मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार! इस बार, जब मैं, ‘मन की बात’ के लिए, जो भी चिट्ठियाँ आती हैं, comments आते हैं, भाँति-भाँति के input मिलते हैं, जब उनकी तरफ नज़र दौड़ा रहा था, तो कई लोगों ने एक बड़ी महत्वपूर्ण बात याद की | MyGov पर आर्यन श्री, बेंगलुरु से अनूप राव, नोएडा से देवेश, ठाणे से सुजीत, इन सभी ने कहा – मोदी जी इस बार ‘मन की बात’ का 75वाँ episode है, इसके लिए आपको बधाई | मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ कि आपने इतनी बारीक नज़र से ‘मन की बात’ को follow किया है और आप जुड़े रहे हैं | ये मेरे लिए बहुत ही गर्व का विषय है, आनंद का विषय है | मेरी तरफ़ से भी, आपका तो धन्यवाद है ही है, ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त करता हूँ क्योंकि आपके साथ के बिना ये सफ़र संभव ही नहीं था | ऐसा लगता है, मानो, ये कल की ही बात हो, जब हम सभी ने एक साथ मिलकर ये वैचारिक यात्रा शुरू की थी | तब 3 अक्टूबर, 2014 को विजयादशमी का पावन पर्व था और संयोग देखिये, कि आज, होलिका दहन है | ‘एक दीप से जले दूसरा और राष्ट्र रोशन हो हमारा’ – इस भावना पर चलते-चलते हमने ये रास्ता तय किया है | हम लोगों ने देश के कोने-कोने से लोगों से बात की और उनके असाधारण कार्यों के बारे में जाना | आपने भी अनुभव किया होगा, हमारे देश के दूर-दराज के कोनों में भी, कितनी अभूतपूर्व क्षमता पड़ी हुई है | भारत माँ की गोद में, कैसे-कैसे रत्न पल रहे हैं | ये अपने आप में भी एक समाज के प्रति देखने का, समाज को जानने का, समाज के सामर्थ्य को पहचानने का, मेरे लिए तो एक अद्भुत अनुभव रहा है | इन 75 episodes के दौरान कितने-कितने विषयों से गुजरना हुआ | कभी नदी की बात तो कभी हिमालय की चोटियों की बात, तो कभी रेगिस्तान की बात, कभी प्राकृतिक आपदा की बात, तो कभी मानव-सेवा की अनगिनत कथाओं की अनुभूति, कभी Technology का आविष्कार, तो कभी किसी अनजान कोने में, कुछ नया कर दिखाने वाले किसी के अनुभव की कथा | अब आप देखिये, क्या स्वच्छता की बात हो, चाहे हमारे heritage को संभालने की चर्चा हो, और इतना ही नहीं, खिलौने बनाने की बात हो, क्या कुछ नहीं था | शायद, कितने विषयों को हमने स्पर्श किया है तो वो भी शायद अनगिनत हो जायेंगे | इस दौरान हमने समय-समय पर महान विभूतियों को श्रद्धांजलि दी, उनके बारे में जाना, जिन्होंने भारत के निर्माण में अतुलनीय योगदान दिया है | हम लोगों ने कई वैश्विक मुद्दों पर भी बात की, उनसे प्रेरणा लेने की कोशिश की है | कई बातें आपने मुझे बताई, कई ideas दिए | एक प्रकार से, इस विचार यात्रा में, आप, साथ-साथ चलते रहे, जुड़ते रहे और कुछ-न-कुछ नया जोड़ते भी रहे | मैं आज, इस 75वें episode के समय सबसे पहले ‘मन की बात’ को सफल बनाने के लिए, समृद्ध बनाने के लिए और इससे जुड़े रहने के लिए हर श्रोता का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, देखिये कितना बड़ा सुखद संयोग है आज मुझे 75वीं ‘मन की बात’ करने का अवसर और यही महीना आज़ादी के 75 साल के ‘अमृत महोत्सव’ के आरंभ का महीना | अमृत महोत्सव दांडी यात्रा के दिन से शुरू हुआ था और 15 अगस्त 2023 तक चलेगा | ‘अमृत महोत्सव’ से जुड़े कार्यक्रम पूरे देश में लगातार हो रहे हैं, अलग-अलग जगहों से इन कार्यक्रमों की तस्वीरें, जानकारियाँ लोग share कर रहे हैं | NamoApp पर ऐसी ही कुछ तस्वीरों के साथ-साथ झारखंड के नवीन ने मुझे एक सन्देश भेजा है | उन्होंने लिखा है कि उन्होंने ‘अमृत महोत्सव’ के कार्यक्रम देखे और तय किया कि वो भी स्वाधीनता संग्राम से जुड़े कम-से-कम 10 स्थानों पर जाएंगे | उनकी list में पहला नाम, भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थान का है | नवीन ने लिखा है कि झारखंड के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियाँ वो देश के दूसरे हिस्सों में पहुँचायेंगे | भाई नवीन, आपकी सोच के लिए मैं आपको बधाई देता हूँ |
साथियो, किसी स्वाधीनता सेनानी की संघर्ष गाथा हो, किसी स्थान का इतिहास हो, देश की कोई सांस्कृतिक कहानी हो, ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान आप उसे देश के सामने ला सकते हैं, देशवासियों को उससे जोड़ने का माध्यम बन सकते हैं | आप देखिएगा, देखते ही देखते ‘अमृत महोत्सव’ ऐसे कितने ही प्रेरणादायी अमृत बिंदुओं से भर जाएगा, और फिर ऐसी अमृत धारा बहेगी जो हमें भारत की आज़ादी के सौ वर्ष तक प्रेरणा देगी | देश को नई ऊँचाई पर ले जाएगी, कुछ-न-कुछ करने का जज्बा पैदा करेगी | आज़ादी के लड़ाई में हमारे सेनानियों ने कितने ही कष्ट इसलिए सहे, क्योंकि, वो देश के लिए त्याग और बलिदान को अपना कर्तव्य समझते थे | उनके त्याग और बलिदान की अमर गाथाएँ अब हमें सतत कर्तव्य पथ के लिए प्रेरित करे और जैसे गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है –
नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मण:
उसी भाव के साथ, हम सब, अपने नियत कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन करें और आज़ादी का ‘अमृत महोत्सव’ का मतलब यही है कि हम नए संकल्प करें | उन संकल्पों को सिद्ध करने के लिए जी-जान से जुट जाएँ और संकल्प वो हो जो समाज की भलाई के हो, देश की भलाई के हो, भारत के उज्जवल भविष्य के लिए हो, और संकल्प वो हो, जिसमें, मेरा, अपना, स्वयं का कुछ-न-कुछ जिम्मा हो, मेरा अपना कर्तव्य जुड़ा हुआ हो | मुझे विश्वास है, गीता को जीने का ये स्वर्ण अवसर, हम लोगों के पास है |
मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले वर्ष ये मार्च का ही महीना था, देश ने पहली बार जनता curfew शब्द सुना था | लेकिन इस महान देश की महान प्रजा की महाशक्ति का अनुभव देखिये, जनता curfew पूरे विश्व के लिए एक अचरज बन गया था | अनुशासन का ये अभूतपूर्व उदहारण था, आने वाली पीढ़ियाँ इस एक बात को लेकर के जरुर गर्व करेगी | उसी प्रकार से हमारे कोरोना warriors के प्रति सम्मान, आदर, थाली बजाना, ताली बजाना, दिया जलाना | आपको अंदाजा नहीं है कोरोना warriors के दिल को कितना छू गया था वो, और, वो ही तो कारण है, जो पूरी साल भर, वे, बिना थके, बिना रुके, डटे रहे | देश के एक-एक नागरिक की जान बचाने के लिए जी-जान से जूझते रहे | पिछले साल इस समय सवाल था कि कोरोना की वैक्सीन कब तक आएगी | साथियो, हम सबके लिए गर्व की बात है, कि आज भारत, दुनिया का, सबसे बड़ा vaccination programme चला रहा है | Vaccination Programme की तस्वीरों के बारे में मुझे भुवनेश्वर की पुष्पा शुक्ला जी ने लिखा है | उनका कहना है कि घर के बड़े बुजुर्गों में वैक्सीन को लेकर जो उत्साह दिख रहा है, उसकी चर्चा मैं ‘मन की बात’ में करूँ | साथियो सही भी है, देश के कोने-कोने से, हम, ऐसी ख़बरें सुन रहे हैं, ऐसी तस्वीरें देख रहे हैं जो हमारे दिल को छू जाती हैं | यूपी के जौनपुर में 109 वर्ष की बुजुर्ग माँ, राम दुलैया जी ने टीका लगवाया है, ऐसे ही, दिल्ली में भी, 107 साल के, केवल कृष्ण जी ने, vaccine की dose ली है | हैदराबाद में 100 साल के जय चौधरी जी ने vaccine लगवाई और सभी से अपील भी है कि vaccine जरुर लगवाएँ | मैं Twitter-Facebook पर भी ये देख रहा हूँ कि कैसे लोग अपने घर के बुजुर्गों को vaccine लगवाने के बाद, उनकी फ़ोटो upload कर रहे हैं | केरल से एक युवा आनंदन नायर ने तो इसे एक नया शब्द दिया है – ‘vaccine सेवा’ | ऐसे ही सन्देश दिल्ली से शिवानी, हिमाचल से हिमांशु और दूसरे कई युवाओं ने भी भेजे हैं | मैं आप सभी श्रोताओं के इस विचारों की सराहना करता हूँ | इन सबके बीच, कोरोना से लड़ाई का मंत्र भी जरुर याद रखिए ‘दवाई भी - कड़ाई भी’ | और सिर्फ मुझे बोलना है - ऐसा नहीं ! हमें जीना भी है, बोलना भी है, बताना भी है और लोगों को भी, ‘दवाई भी, कड़ाई भी’, इसके लिए, प्रतिबद्ध बनाते रहना है |
मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे आज इंदौर की रहने वाली सौम्या जी का धन्यवाद करना है | उन्होंने, एक विषय के बारे में मेरा ध्यान आकर्षित किया है और इसका जिक्र ‘मन की बात’ में करने के लिए कहा है | ये विषय है – भारत की Cricketer मिताली राज जी का नया record | मिताली जी, हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में दस हजार रन बनाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बनी हैं | उनकी इस उपलब्धि पर बहुत-बहुत बधाई | One Day Internationals में सात हजार रन बनाने वाली भी वो अकेली अंतर्राष्ट्रीय महिला खिलाड़ी हैं | महिला क्रिकेट के क्षेत्र में उनका योगदान बहुत शानदार है | दो दशकों से ज्यादा के career में मिताली राज जी ने हजारों-लाखों को प्रेरित किया है | उनके कठोर परिश्रम और सफलता की कहानी, न सिर्फ महिला क्रिकेटरों, बल्कि, पुरुष क्रिकेटरों के लिए भी एक प्रेरणा है |
साथियो, ये दिलचस्प है, इसी मार्च महीने में, जब हम महिला दिवस celebrate कर रहे थे, तब कई महिला खिलाड़ियों ने Medals और Records अपने नाम किये हैं | दिल्ली में आयोजित shooting में ISSF World Cup में भारत शीर्ष स्थान पर रहा | Gold Medal की संख्या के मामले में भी भारत ने बाजी मारी | ये भारत के महिला और पुरुष निशानेबाजों के शानदार प्रदर्शन की वजह से ही संभव हो पाया | इस बीच, पी.वी.सिन्धु जी ने BWF Swiss Open Super 300 Tournament में Silver Medal जीता है | आज, Education से लेकर Entrepreneurship तक, Armed Forces से लेकर Science & Technology तक, हर जगह देश की बेटियाँ, अपनी, अलग पहचान बना रही हैं | मुझे विशेष ख़ुशी इस बात से है, कि, बेटियाँ खेलों में, अपना एक नया मुकाम बना रही हैं | Professional Choice के रूप में Sports एक पसंद बनकर उभर रहा है|
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ समय पहले हुई Maritime India Summit आपको याद है ना ? इस Summit में मैंने क्या कहा था, क्या ये आपको याद है ? स्वाभाविक है, इतने कार्यक्रम होते रहते हैं, इतनी बातें होती रहती हैं, हर बात कहाँ याद रहती हैं और उतना ध्यान भी कहाँ जाता है - स्वाभाविक है | लेकिन, मुझे अच्छा लगा कि मेरे एक आग्रह को गुरु प्रसाद जी ने बहुत दिलचस्पी लेकर आगे बढ़ाया है | मैंने इस Summit में देश के Light House Complexes के आस-पास Tourism Facilities विकसित करने के बारे में बात की थी | गुरु प्रसाद जी ने तमिलनाडु के दो लाइट हाउसों - चेन्नई लाइट हाउस और महाबलीपुरम लाइट हाउस की 2019 की अपनी यात्रा के अनुभवों को साझा किया है | उन्होंने बहुत ही रोचक facts share किये हैं जो ‘मन की बात’ सुनने वालों को भी हैरान करेंगे | जैसे, चेन्नई light house, दुनिया के उन चुनिन्दा light house में से एक है, जिनमें Elevator मौजूद है | यही नहीं, भारत का ये इकलौता light house है, जो शहर की सीमा के अन्दर स्थित है | इसमें, बिजली के लिए Solar Panel भी लगे हैं | गुरु प्रसाद जी ने light house के Heritage Museum के बारे में भी बात की, जो Marine Navigation के इतिहास को सामने लाता है | Museum में, तेल से जलने वाली बड़ी-बड़ी बत्तियाँ, kerosene lights, Petroleum Vapour और पुराने समय में प्रयोग होने वाले बिजली के Lamp प्रदर्शित किये गए हैं | भारत के सबसे पुराने light house – महाबलीपुरम light house के बारे में भी गुरु प्रसाद जी ने विस्तार से लिखा है | उनका कहना है कि इस light house के बगल में सैकड़ों वर्ष पहले, पल्लव राजा महेंद्र वर्मन प्रथम द्वारा बनाया गया ‘उल्कनेश्वरा’ Temple है |
साथियो, ‘मन की बात’ के दौरान, मैंने, पर्यटन के विभिन्न पहलुओं पर अनेक बार बात की है, लेकिन, ये light house, Tourism के लिहाज से unique होते हैं | अपनी भव्य संरचनाओं के कारण Light Houses हमेशा से लोगों के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं | पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत में भी 71 (Seventy One) Light Houses Identify किये गए हैं | इन सभी light house में उनकी क्षमताओं के मुताबिक Museum, Amphi-Theatre, Open Air Theatre, Cafeteria, Children’s Park, Eco Friendly Cottages और Landscaping तैयार किये जाएंगे | वैसे, Light Houses की बात चल रही है तो मैं एक Unique Light House के बारे में भी आपको बताना चाहूँगा | ये Light house गुजरात के सुरेन्द्र नगर जिले में जिन्झुवाड़ा नाम के एक स्थान में है | जानते हैं, ये लाइट हाउस क्यों खास है ? खास इसलिए है क्योंकि जहाँ ये light house है, वहाँ से अब समुंद्र तट सौ किलोमीटर से भी अधिक दूर है | आपको इस गाँव में ऐसे पत्थर भी मिल जाएंगे, जो यह बताते हैं कि, यहाँ, कभी, एक व्यस्त बंदरगाह रहा होगा | यानि इसका मतलब ये है कि पहले Coastline जिन्झुवाड़ा तक थी | समंदर का घटना, बढ़ना, पीछे हो जाना, इतनी दूर चले जाना, ये भी उसका एक स्वरुप है | इसी महीने जापान में आई विकराल सुनामी को 10 वर्ष हो रहे हैं | इस सुनामी में हजारों लोगों की जान चली गई थी | ऐसी एक सुनामी भारत में 2004 में आई थी | सुनामी के दौरान हमने अपने light house में काम करने वाले, हमारे, 14 कर्मचारियों को खो दिया था, अंडमान निकोबार में और तमिलनाडु में Light House पर वो अपनी ड्यूटी कर रहे थे | कड़ी मेहनत करने वाले, हमारे इन Light- Keepers को मैं आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूँ और light keepers के काम की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ |
प्रिय देशवासियो, जीवन के हर क्षेत्र में, नयापन, आधुनिकता, अनिवार्य होती है, वरना, वही, कभी-कभी, हमारे लिए बोझ बन जाती है | भारत के कृषि जगत में – आधुनिकता, ये समय की मांग है | बहुत देर हो चुकी है | हम बहुत समय गवां चुके हैं | Agriculture sector में रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए, किसानों की आय बढ़ाने के लिए, परंपरागत कृषि के साथ ही, नए विकल्पों को, नए-नए innovations को, अपनाना भी, उतना ही जरूरी है | White Revolution के दौरान, देश ने, इसे अनुभव किया है | अब Bee farming भी ऐसा ही एक विकल्प बन करके उभर रहा है | Bee farming, देश में शहद क्रांति या sweet revolution का आधार बना रही है | बड़ी संख्या में किसान इससे जुड़ रहे हैं, innovation कर रहे हैं | जैसे कि पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में एक गाँव है गुरदुम | पहाड़ों की इतनी ऊँचाई, भौगोलिक दिक्कतें, लेकिन, यहाँ के लोगों ने honey bee farming का काम शुरू किया, और आज, इस जगह पर बने शहद की, मधु की, अच्छी मांग हो रही है | इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है | पश्चिम बंगाल के ही सुंदरबन इलाकों का प्राकृतिक organic honey तो देश दुनिया में पसंद किया जाता है | ऐसा ही एक व्यक्तिगत अनुभव मुझे गुजरात का भी है | गुजरात के बनासकांठा में वर्ष 2016 में एक आयोजन हुआ था | उस कार्यक्रम में मैंने लोगों से कहा यहाँ इतनी संभावनाएं हैं, क्यों न बनासकांठा और हमारे यहाँ के किसान sweet revolution का नया अध्याय लिखें ? आपको जानकर खुशी होगी, इतने कम समय में, बनासकांठा, शहद उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया है | आज बनासकांठा के किसान honey से लाखों रुपए सालाना कमा रहे हैं | ऐसा ही एक उदाहरण हरियाणा के यमुना नगर का भी है | यमुना नगर में, किसान, Bee farming करके, सालाना, कई सौ-टन शहद पैदा कर रहे हैं, अपनी आय बढ़ा रहे हैं | किसानों की इस मेहनत का परिणाम है कि देश में शहद का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है, और सालाना, करीब, सवा-लाख टन पहुँचा है, इसमें से, बड़ी मात्रा में, शहद, विदेशों में निर्यात भी हो रहा है |
साथियो,Honey Bee Farming में केवल शहद से ही आय नहीं होती, बल्कि bee wax भी आय का एक बहुत बड़ा माध्यम है | Pharma industry, food industry, textile और cosmetic industry, हर जगह bee wax की demand है | हमारा देश फिलहाल bee wax का आयात करता है, लेकिन, हमारे किसान, अब ये स्थिति, तेजी से बदल रहे हैं | यानि एक तरह से आत्मनिर्भर भारत अभियान में मदद कर रहे हैं | आज तो पूरी दुनिया आयुर्वेद और Natural Health Products की ओर देख रही है | ऐसे में honey की माँग और भी तेजी से बढ़ रही है | मैं चाहता हूँ देश के ज्यादा-से-ज्यादा किसान अपनी खेती के साथ-साथ bee farming से भी जुड़ें | ये किसानों की आय भी बढ़ाएगा और उनके जीवन में मिठास भी घोलेगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, अभी कुछ दिन पहले World Sparrow Day मनाया गया | Sparrow यानि गोरैया | कहीं इसे चकली बोलते हैं, कहीं चिमनी बोलते हैं, कहीं घान चिरिका कहा जाता है | पहले हमारे घरों की दीवारों पर, आस-पास के पेड़ों पर गोरैया चहकती रहती थी | लेकिन अब लोग गोरैया को ये कहकर याद करते हैं कि पिछली बार, बरसों पहले, गोरैया देखा था | आज इसे बचाने के लिए हमें प्रयास करने पड़ रहे हैं | मेरे बनारस के एक साथी इंद्रपाल सिंह बत्रा जी ने ऐसा काम किया है जिसे मैं, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को जरूर बताना चाहता हूं | बत्रा जी ने अपने घर को ही गोरैया का आशियाना बना दिया है | इन्होंने अपने घर में लकड़ी के ऐसे घोंसले बनवाए जिनमें गोरैया आसानी से रह सके | आज बनारस के कई घर इस मुहिम से जुड़ रहे हैं | इससे घरों में एक अद्भुत प्राकृतिक वातावरण भी बन गया है | मैं चाहूँगा प्रकृति, पर्यावरण, प्राणी, पक्षी जिनके लिए भी बन सके, कम-ज्यादा प्रयास हमें भी करने चाहिए | जैसे एक साथी हैं बिजय कुमार काबी जी | बिजय जी ओड़िशा के केंद्रपाड़ा के रहने वाले हैं | केंद्रपाड़ा समुंद्र के किनारे है | इसलिए इस जिले के कई गांव ऐसे हैं, जिन पर समुंद्र की ऊँची लहरों और Cyclone का खतरा रहता है | इससे कई बार बहुत नुकसान भी होता है | बिजय जी ने महसूस किया कि अगर इस प्राकृतिक तबाही को कोई रोक सकता है तो वो प्रकृति ही रोक सकती है | फिर क्या था - बिजय जी ने, बड़ाकोट गांव से अपना मिशन शुरू किया | उन्होंने 12 साल | साथियों 12 साल, मेहनत करके, गांव के बाहर, समुन्द्र की तरफ 25 एकड़ का mangrove जंगल खड़ा कर दिया | आज ये जंगल इस गाँव की सुरक्षा कर रहा है | ऐसा ही काम ओडिशा के ही पारादीप जिले में एक इंजीनियर अमरेश सामंत जी ने किया है | अमरेश जी ने छोटे छोटे जंगल लगाए हैं, जिनसे आज कई गांवों का बचाव हो रहा है | साथियो, इस तरह के कामों में, अगर हम, समाज को साथ जोड़ लें, तो बड़े परिणाम आते हैं | जैसे, तमिलनाडु के कोयम्बटूर में बस कन्डक्टर का काम करने वाले मरिमुथु योगनाथन जी हैं | योगनाथान जी, अपनी बस के यात्रियों को टिकट देते हैं, तो साथ में ही एक पौधा भी मुफ्त देते हैं | इस तरह योगनाथन जी न जाने कितने ही पेड़ लगवा चुके हैं | योगनाथन जी अपने वेतन का काफी हिस्सा इसी काम में खर्च करते आ रहे हैं | अब इसको सुनने के बाद ऐसा कौन नागरिक होगा जो मरिमुथु योगनाथन जी के काम की प्रशंसा न करे | मैं हृदय से उनके इस प्रयासों को बहुत बधाई देता हूँ, उनके इस प्रेरक कार्य के लिए |
मेरे प्यारे देशवासियो, Waste से Wealth यानी कचरे से कंचन बनाने के बारे में हम सबने देखा भी है, सुना भी है, और हम भी औरों को बताते रहते हैं | कुछ उसी प्रकार से Waste को Value में बदलने का भी काम किया जा रहा है | ऐसा ही एक उदाहरण केरल के कोच्चि के सेंट टेरेसा कॉलेज का है | मुझे याद है कि 2017 में, मैं इस कॉलेज के कैंपस में, एक Book Reading पर आधारित कार्यक्रम में शामिल हुआ था | इस कॉलेज के स्टूडेंट्स Reusable Toys बना रहे हैं, वो भी बहुत ही creative तरीके से | ये students पुराने कपड़ों, फेंके गए लकड़ी के टुकड़ों, bag और Boxes का इस्तेमाल खिलौने बनाने में कर रहे हैं | कोई विद्यार्थी Puzzle बना रहा है तो कोई car और train बना रहा है | यहां इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है कि खिलौने Safe होने के साथ-साथ Child Friendly भी हों | और इस पूरे प्रयास की एक अच्छी बात ये भी है कि ये खिलौने आंगनबाड़ी बच्चों को खेलने के लिए दिए जाते हैं | आज जब भारत खिलौनों की Manufacturing में काफी आगे बढ़ रहा है तो Waste से Value के ये अभियान, ये अभिनव प्रयोग बहुत मायना रखते हैं |
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक प्रोफेसर श्रीनिवास पदकांडला जी है | वे बहुत ही रोचक कार्य कर रहे हैं | उन्होंने Automobile Metal Scrap से Sculptures (स्कल्पचर्स) बनाए हैं | उनके द्वारा बनाए गए ये विशाल Sculptures सार्वजानिक पार्कों में लगाये गये हैं और लोग उन्हें बहुत उत्साह से देख रहे हैं | Electronic और Automobile Waste की Recycling का यह एक अभिनव प्रयोग है | मैं एक बार फिर कोच्चि और विजयवाड़ा के इन प्रयासों की सराहना करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि और लोग भी ऐसे प्रयासों में आगे आएंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, भारत के लोग दुनिया के किसी कोने में जाते हैं तो गर्व से कहते हैं कि वो भारतीय हैं | हम अपने योग, आयुर्वेद, दर्शन न जाने क्या कुछ नहीं है हमारे पास जिसके लिए हम गर्व करते हैं गर्व की बाते करते हैं साथ ही अपनी स्थानीय भाषा, बोली, पहचान, पहनाव, खान-पान उसका भी गर्व करते हैं | हमें नया तो पाना है, और वही तो जीवन होता है लेकिन साथ-साथ पुरातन गँवाना भी नहीं है | हमें बहुत परिश्रम के साथ अपने आस-पास मौजूद अथाह सांस्कृतिक धरोहर का संवर्धन करना है, नई पीढ़ी तक पहुँचाना है | यही काम, आज, असम के रहने वाले ‘सिकारी टिस्सौ’ बहुत ही लगन के साथ कर रहे है | Karbi Anglong जिले के ‘सिकारी टिस्सौ’ जी पिछले 20 सालों से Karbi भाषा का documentation कर रहे हैं | किसी ज़माने में किसी युग में ‘कार्बी आदिवासी’ भाई बहनों की भाषा ‘कार्बी’ आज मुख्यधारा से गायब हो रही है | श्रीमान ‘सिकारी टिस्सौ’ जी ने तय किया था कि अपनी इस पहचान को वो बचाएंगे, और आज उनके प्रयासों से कार्बी भाषा की काफी जानकारी documented हो गई है | उन्हें अपने इस प्रयासों के लिए कई जगह प्रशंसा भी मिली है, और award भी मिले हैं | ‘मन की बात’ के द्वारा श्रीमान ‘सिकारी टिस्सौ’ जी को मैं तो बधाई देता ही हूँ लेकिन देश के कई कोने में इस प्रकार से कई साधक होंगे जो एक काम लेकर के खपते रहते होंगे मैं उन सबको भी बधाई देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियों, कोई भी नई शुरुआत यानी New Beginning हमेशा बहुत ख़ास होती हैं | New Beginning का मतलब होता है New Possibilities – नए प्रयास | और, नए प्रयासों का अर्थ है – नई ऊर्जा और नया जोश | यही कारण है कि अलग- अलग राज्यों और क्षेत्रों में एवं विविधता से भरी हमारी संस्कृति में किसी भी शुरुआत को उत्सव के तौर पर मनाने की परंपरा रही है | और यह समय नई शुरुआत और नए उत्सवों के आगमन का है | होली भी तो बसंत को उत्सव के तौर पर ही मनाने की एक परंपरा है | जिस समय हम रंगों के साथ होली मना रहे होते हैं, उसी समय, बसन्त भी, हमारे चारों ओर नए रंग बिखेर रहा होता है | इसी समय फूलों का खिलना शुरू होता है और प्रकृति जीवंत हो उठती है | देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जल्द ही नया साल भी मनाया जाएगा | चाहे उगादी हो या पुथंडू, गुड़ी पड़वा हो या बिहू, नवरेह हो या पोइला, या फिर बोईशाख हो या बैसाखी - पूरा देश, उमंग, उत्साह और नई उम्मीदों के रंग में सराबोर दिखेगा | इसी समय, केरल भी खूबसूरत त्योहार विशु मनाता है | इसके बाद, जल्द ही चैत्र नवरात्रि का पावन अवसर भी आ जाएगा | चैत्र महीने के नौवें दिन हमारे यहाँ रामनवमी का पर्व होता है | इसे भगवान राम के जन्मोत्सव के साथ ही न्याय और पराक्रम के एक नए युग की शुरुआत के रूप में भी मना जाता है | इस दौरान चारों ओर धूमधाम के साथ ही भक्तिभाव से भरा माहौल होता है, जो लोगों को और करीब लाता है, उन्हें परिवार और समाज से जोड़ता है, आपसी संबंधों को मजबूत करता है | इन त्योहारों के अवसर पर मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूँ |
साथियो, इस दौरान 4 अप्रैल को देश ईस्टर भी मनाएगा | Jesus Christ के पुनर्जीवन के उत्सव के रूप में ईस्टर का त्योहार मनाया जाता है | प्रतीकात्मक रूप से कहें तो ईस्टर जीवन की नई शुरुआत से जुड़ा है | ईस्टर उम्मीदों के पुनर्जीवित होने का प्रतीक है |
On this holy and auspicious occasion, I greet not only the Christian Community in India, but also Christians globally.
मेरे प्यारे देशवासियो, आज ‘मन की बात’ में हमने ‘अमृत महोत्सव’ और देश के लिए अपने कर्तव्यों की बात की | हमने अन्य पर्वों और त्योहारों पर भी चर्चा की | इसी बीच एक और पर्व आने वाला है जो हमारे संवैधानिक अधिकारों, और कर्तव्यों की याद दिलाता है | वो है 14 अप्रैल – डॉक्टर बाबा साहेब अम्बेडकर जी की जन्म जयंती | इस बार ‘अमृत महोत्सव’ में तो ये अवसर और भी ख़ास बन गया है | मुझे विश्वास है, बाबा साहेब की इस जन्म जयंती को हम जरूर यादगार बनाएँगे, अपने कर्तव्यों का संकल्प लेकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे | इसी विश्वास के साथ, आप सभी को पर्व त्योहारों की एक बार फिर शुभकामनाएँ | आप सब खुश रहिए, स्वस्थ रहिए, और खूब उल्लास मनाइए | इसी कामना के साथ फिर से याद कराता हूँ ‘दवाई भी - कड़ाई भी’ | बहुत बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार! इस बार, जब मैं, ‘मन की बात’ के लिए, जो भी चिट्ठियाँ आती हैं, comments आते हैं, भाँति-भाँति के input मिलते हैं, जब उनकी तरफ नज़र दौड़ा रहा था, तो कई लोगों ने एक बड़ी महत्वपूर्ण बात याद की | MyGov पर आर्यन श्री, बेंगलुरु से अनूप राव, नोएडा से देवेश, ठाणे से सुजीत, इन सभी ने कहा – मोदी जी इस बार ‘मन की बात’ का 75वाँ episode है, इसके लिए आपको बधाई | मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ कि आपने इतनी बारीक नज़र से ‘मन की बात’ को follow किया है और आप जुड़े रहे हैं | ये मेरे लिए बहुत ही गर्व का विषय है, आनंद का विषय है | मेरी तरफ़ से भी, आपका तो धन्यवाद है ही है, ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त करता हूँ क्योंकि आपके साथ के बिना ये सफ़र संभव ही नहीं था | ऐसा लगता है, मानो, ये कल की ही बात हो, जब हम सभी ने एक साथ मिलकर ये वैचारिक यात्रा शुरू की थी | तब 3 अक्टूबर, 2014 को विजयादशमी का पावन पर्व था और संयोग देखिये, कि आज, होलिका दहन है | ‘एक दीप से जले दूसरा और राष्ट्र रोशन हो हमारा’ – इस भावना पर चलते-चलते हमने ये रास्ता तय किया है | हम लोगों ने देश के कोने-कोने से लोगों से बात की और उनके असाधारण कार्यों के बारे में जाना | आपने भी अनुभव किया होगा, हमारे देश के दूर-दराज के कोनों में भी, कितनी अभूतपूर्व क्षमता पड़ी हुई है | भारत माँ की गोद में, कैसे-कैसे रत्न पल रहे हैं | ये अपने आप में भी एक समाज के प्रति देखने का, समाज को जानने का, समाज के सामर्थ्य को पहचानने का, मेरे लिए तो एक अद्भुत अनुभव रहा है | इन 75 episodes के दौरान कितने-कितने विषयों से गुजरना हुआ | कभी नदी की बात तो कभी हिमालय की चोटियों की बात, तो कभी रेगिस्तान की बात, कभी प्राकृतिक आपदा की बात, तो कभी मानव-सेवा की अनगिनत कथाओं की अनुभूति, कभी Technology का आविष्कार, तो कभी किसी अनजान कोने में, कुछ नया कर दिखाने वाले किसी के अनुभव की कथा | अब आप देखिये, क्या स्वच्छता की बात हो, चाहे हमारे heritage को संभालने की चर्चा हो, और इतना ही नहीं, खिलौने बनाने की बात हो, क्या कुछ नहीं था | शायद, कितने विषयों को हमने स्पर्श किया है तो वो भी शायद अनगिनत हो जायेंगे | इस दौरान हमने समय-समय पर महान विभूतियों को श्रद्धांजलि दी, उनके बारे में जाना, जिन्होंने भारत के निर्माण में अतुलनीय योगदान दिया है | हम लोगों ने कई वैश्विक मुद्दों पर भी बात की, उनसे प्रेरणा लेने की कोशिश की है | कई बातें आपने मुझे बताई, कई ideas दिए | एक प्रकार से, इस विचार यात्रा में, आप, साथ-साथ चलते रहे, जुड़ते रहे और कुछ-न-कुछ नया जोड़ते भी रहे | मैं आज, इस 75वें episode के समय सबसे पहले ‘मन की बात’ को सफल बनाने के लिए, समृद्ध बनाने के लिए और इससे जुड़े रहने के लिए हर श्रोता का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, देखिये कितना बड़ा सुखद संयोग है आज मुझे 75वीं ‘मन की बात’ करने का अवसर और यही महीना आज़ादी के 75 साल के ‘अमृत महोत्सव’ के आरंभ का महीना | अमृत महोत्सव दांडी यात्रा के दिन से शुरू हुआ था और 15 अगस्त 2023 तक चलेगा | ‘अमृत महोत्सव’ से जुड़े कार्यक्रम पूरे देश में लगातार हो रहे हैं, अलग-अलग जगहों से इन कार्यक्रमों की तस्वीरें, जानकारियाँ लोग share कर रहे हैं | NamoApp पर ऐसी ही कुछ तस्वीरों के साथ-साथ झारखंड के नवीन ने मुझे एक सन्देश भेजा है | उन्होंने लिखा है कि उन्होंने ‘अमृत महोत्सव’ के कार्यक्रम देखे और तय किया कि वो भी स्वाधीनता संग्राम से जुड़े कम-से-कम 10 स्थानों पर जाएंगे | उनकी list में पहला नाम, भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थान का है | नवीन ने लिखा है कि झारखंड के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियाँ वो देश के दूसरे हिस्सों में पहुँचायेंगे | भाई नवीन, आपकी सोच के लिए मैं आपको बधाई देता हूँ |
साथियो, किसी स्वाधीनता सेनानी की संघर्ष गाथा हो, किसी स्थान का इतिहास हो, देश की कोई सांस्कृतिक कहानी हो, ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान आप उसे देश के सामने ला सकते हैं, देशवासियों को उससे जोड़ने का माध्यम बन सकते हैं | आप देखिएगा, देखते ही देखते ‘अमृत महोत्सव’ ऐसे कितने ही प्रेरणादायी अमृत बिंदुओं से भर जाएगा, और फिर ऐसी अमृत धारा बहेगी जो हमें भारत की आज़ादी के सौ वर्ष तक प्रेरणा देगी | देश को नई ऊँचाई पर ले जाएगी, कुछ-न-कुछ करने का जज्बा पैदा करेगी | आज़ादी के लड़ाई में हमारे सेनानियों ने कितने ही कष्ट इसलिए सहे, क्योंकि, वो देश के लिए त्याग और बलिदान को अपना कर्तव्य समझते थे | उनके त्याग और बलिदान की अमर गाथाएँ अब हमें सतत कर्तव्य पथ के लिए प्रेरित करे और जैसे गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है –
नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मण:
उसी भाव के साथ, हम सब, अपने नियत कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन करें और आज़ादी का ‘अमृत महोत्सव’ का मतलब यही है कि हम नए संकल्प करें | उन संकल्पों को सिद्ध करने के लिए जी-जान से जुट जाएँ और संकल्प वो हो जो समाज की भलाई के हो, देश की भलाई के हो, भारत के उज्जवल भविष्य के लिए हो, और संकल्प वो हो, जिसमें, मेरा, अपना, स्वयं का कुछ-न-कुछ जिम्मा हो, मेरा अपना कर्तव्य जुड़ा हुआ हो | मुझे विश्वास है, गीता को जीने का ये स्वर्ण अवसर, हम लोगों के पास है |
मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले वर्ष ये मार्च का ही महीना था, देश ने पहली बार जनता curfew शब्द सुना था | लेकिन इस महान देश की महान प्रजा की महाशक्ति का अनुभव देखिये, जनता curfew पूरे विश्व के लिए एक अचरज बन गया था | अनुशासन का ये अभूतपूर्व उदहारण था, आने वाली पीढ़ियाँ इस एक बात को लेकर के जरुर गर्व करेगी | उसी प्रकार से हमारे कोरोना warriors के प्रति सम्मान, आदर, थाली बजाना, ताली बजाना, दिया जलाना | आपको अंदाजा नहीं है कोरोना warriors के दिल को कितना छू गया था वो, और, वो ही तो कारण है, जो पूरी साल भर, वे, बिना थके, बिना रुके, डटे रहे | देश के एक-एक नागरिक की जान बचाने के लिए जी-जान से जूझते रहे | पिछले साल इस समय सवाल था कि कोरोना की वैक्सीन कब तक आएगी | साथियो, हम सबके लिए गर्व की बात है, कि आज भारत, दुनिया का, सबसे बड़ा vaccination programme चला रहा है | Vaccination Programme की तस्वीरों के बारे में मुझे भुवनेश्वर की पुष्पा शुक्ला जी ने लिखा है | उनका कहना है कि घर के बड़े बुजुर्गों में वैक्सीन को लेकर जो उत्साह दिख रहा है, उसकी चर्चा मैं ‘मन की बात’ में करूँ | साथियो सही भी है, देश के कोने-कोने से, हम, ऐसी ख़बरें सुन रहे हैं, ऐसी तस्वीरें देख रहे हैं जो हमारे दिल को छू जाती हैं | यूपी के जौनपुर में 109 वर्ष की बुजुर्ग माँ, राम दुलैया जी ने टीका लगवाया है, ऐसे ही, दिल्ली में भी, 107 साल के, केवल कृष्ण जी ने, vaccine की dose ली है | हैदराबाद में 100 साल के जय चौधरी जी ने vaccine लगवाई और सभी से अपील भी है कि vaccine जरुर लगवाएँ | मैं Twitter-Facebook पर भी ये देख रहा हूँ कि कैसे लोग अपने घर के बुजुर्गों को vaccine लगवाने के बाद, उनकी फ़ोटो upload कर रहे हैं | केरल से एक युवा आनंदन नायर ने तो इसे एक नया शब्द दिया है – ‘vaccine सेवा’ | ऐसे ही सन्देश दिल्ली से शिवानी, हिमाचल से हिमांशु और दूसरे कई युवाओं ने भी भेजे हैं | मैं आप सभी श्रोताओं के इस विचारों की सराहना करता हूँ | इन सबके बीच, कोरोना से लड़ाई का मंत्र भी जरुर याद रखिए ‘दवाई भी - कड़ाई भी’ | और सिर्फ मुझे बोलना है - ऐसा नहीं ! हमें जीना भी है, बोलना भी है, बताना भी है और लोगों को भी, ‘दवाई भी, कड़ाई भी’, इसके लिए, प्रतिबद्ध बनाते रहना है |
मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे आज इंदौर की रहने वाली सौम्या जी का धन्यवाद करना है | उन्होंने, एक विषय के बारे में मेरा ध्यान आकर्षित किया है और इसका जिक्र ‘मन की बात’ में करने के लिए कहा है | ये विषय है – भारत की Cricketer मिताली राज जी का नया record | मिताली जी, हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में दस हजार रन बनाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बनी हैं | उनकी इस उपलब्धि पर बहुत-बहुत बधाई | One Day Internationals में सात हजार रन बनाने वाली भी वो अकेली अंतर्राष्ट्रीय महिला खिलाड़ी हैं | महिला क्रिकेट के क्षेत्र में उनका योगदान बहुत शानदार है | दो दशकों से ज्यादा के career में मिताली राज जी ने हजारों-लाखों को प्रेरित किया है | उनके कठोर परिश्रम और सफलता की कहानी, न सिर्फ महिला क्रिकेटरों, बल्कि, पुरुष क्रिकेटरों के लिए भी एक प्रेरणा है |
साथियो, ये दिलचस्प है, इसी मार्च महीने में, जब हम महिला दिवस celebrate कर रहे थे, तब कई महिला खिलाड़ियों ने Medals और Records अपने नाम किये हैं | दिल्ली में आयोजित shooting में ISSF World Cup में भारत शीर्ष स्थान पर रहा | Gold Medal की संख्या के मामले में भी भारत ने बाजी मारी | ये भारत के महिला और पुरुष निशानेबाजों के शानदार प्रदर्शन की वजह से ही संभव हो पाया | इस बीच, पी.वी.सिन्धु जी ने BWF Swiss Open Super 300 Tournament में Silver Medal जीता है | आज, Education से लेकर Entrepreneurship तक, Armed Forces से लेकर Science & Technology तक, हर जगह देश की बेटियाँ, अपनी, अलग पहचान बना रही हैं | मुझे विशेष ख़ुशी इस बात से है, कि, बेटियाँ खेलों में, अपना एक नया मुकाम बना रही हैं | Professional Choice के रूप में Sports एक पसंद बनकर उभर रहा है|
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ समय पहले हुई Maritime India Summit आपको याद है ना ? इस Summit में मैंने क्या कहा था, क्या ये आपको याद है ? स्वाभाविक है, इतने कार्यक्रम होते रहते हैं, इतनी बातें होती रहती हैं, हर बात कहाँ याद रहती हैं और उतना ध्यान भी कहाँ जाता है - स्वाभाविक है | लेकिन, मुझे अच्छा लगा कि मेरे एक आग्रह को गुरु प्रसाद जी ने बहुत दिलचस्पी लेकर आगे बढ़ाया है | मैंने इस Summit में देश के Light House Complexes के आस-पास Tourism Facilities विकसित करने के बारे में बात की थी | गुरु प्रसाद जी ने तमिलनाडु के दो लाइट हाउसों - चेन्नई लाइट हाउस और महाबलीपुरम लाइट हाउस की 2019 की अपनी यात्रा के अनुभवों को साझा किया है | उन्होंने बहुत ही रोचक facts share किये हैं जो ‘मन की बात’ सुनने वालों को भी हैरान करेंगे | जैसे, चेन्नई light house, दुनिया के उन चुनिन्दा light house में से एक है, जिनमें Elevator मौजूद है | यही नहीं, भारत का ये इकलौता light house है, जो शहर की सीमा के अन्दर स्थित है | इसमें, बिजली के लिए Solar Panel भी लगे हैं | गुरु प्रसाद जी ने light house के Heritage Museum के बारे में भी बात की, जो Marine Navigation के इतिहास को सामने लाता है | Museum में, तेल से जलने वाली बड़ी-बड़ी बत्तियाँ, kerosene lights, Petroleum Vapour और पुराने समय में प्रयोग होने वाले बिजली के Lamp प्रदर्शित किये गए हैं | भारत के सबसे पुराने light house – महाबलीपुरम light house के बारे में भी गुरु प्रसाद जी ने विस्तार से लिखा है | उनका कहना है कि इस light house के बगल में सैकड़ों वर्ष पहले, पल्लव राजा महेंद्र वर्मन प्रथम द्वारा बनाया गया ‘उल्कनेश्वरा’ Temple है |
साथियो, ‘मन की बात’ के दौरान, मैंने, पर्यटन के विभिन्न पहलुओं पर अनेक बार बात की है, लेकिन, ये light house, Tourism के लिहाज से unique होते हैं | अपनी भव्य संरचनाओं के कारण Light Houses हमेशा से लोगों के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं | पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत में भी 71 (Seventy One) Light Houses Identify किये गए हैं | इन सभी light house में उनकी क्षमताओं के मुताबिक Museum, Amphi-Theatre, Open Air Theatre, Cafeteria, Children’s Park, Eco Friendly Cottages और Landscaping तैयार किये जाएंगे | वैसे, Light Houses की बात चल रही है तो मैं एक Unique Light House के बारे में भी आपको बताना चाहूँगा | ये Light house गुजरात के सुरेन्द्र नगर जिले में जिन्झुवाड़ा नाम के एक स्थान में है | जानते हैं, ये लाइट हाउस क्यों खास है ? खास इसलिए है क्योंकि जहाँ ये light house है, वहाँ से अब समुंद्र तट सौ किलोमीटर से भी अधिक दूर है | आपको इस गाँव में ऐसे पत्थर भी मिल जाएंगे, जो यह बताते हैं कि, यहाँ, कभी, एक व्यस्त बंदरगाह रहा होगा | यानि इसका मतलब ये है कि पहले Coastline जिन्झुवाड़ा तक थी | समंदर का घटना, बढ़ना, पीछे हो जाना, इतनी दूर चले जाना, ये भी उसका एक स्वरुप है | इसी महीने जापान में आई विकराल सुनामी को 10 वर्ष हो रहे हैं | इस सुनामी में हजारों लोगों की जान चली गई थी | ऐसी एक सुनामी भारत में 2004 में आई थी | सुनामी के दौरान हमने अपने light house में काम करने वाले, हमारे, 14 कर्मचारियों को खो दिया था, अंडमान निकोबार में और तमिलनाडु में Light House पर वो अपनी ड्यूटी कर रहे थे | कड़ी मेहनत करने वाले, हमारे इन Light- Keepers को मैं आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूँ और light keepers के काम की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ |
प्रिय देशवासियो, जीवन के हर क्षेत्र में, नयापन, आधुनिकता, अनिवार्य होती है, वरना, वही, कभी-कभी, हमारे लिए बोझ बन जाती है | भारत के कृषि जगत में – आधुनिकता, ये समय की मांग है | बहुत देर हो चुकी है | हम बहुत समय गवां चुके हैं | Agriculture sector में रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए, किसानों की आय बढ़ाने के लिए, परंपरागत कृषि के साथ ही, नए विकल्पों को, नए-नए innovations को, अपनाना भी, उतना ही जरूरी है | White Revolution के दौरान, देश ने, इसे अनुभव किया है | अब Bee farming भी ऐसा ही एक विकल्प बन करके उभर रहा है | Bee farming, देश में शहद क्रांति या sweet revolution का आधार बना रही है | बड़ी संख्या में किसान इससे जुड़ रहे हैं, innovation कर रहे हैं | जैसे कि पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में एक गाँव है गुरदुम | पहाड़ों की इतनी ऊँचाई, भौगोलिक दिक्कतें, लेकिन, यहाँ के लोगों ने honey bee farming का काम शुरू किया, और आज, इस जगह पर बने शहद की, मधु की, अच्छी मांग हो रही है | इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है | पश्चिम बंगाल के ही सुंदरबन इलाकों का प्राकृतिक organic honey तो देश दुनिया में पसंद किया जाता है | ऐसा ही एक व्यक्तिगत अनुभव मुझे गुजरात का भी है | गुजरात के बनासकांठा में वर्ष 2016 में एक आयोजन हुआ था | उस कार्यक्रम में मैंने लोगों से कहा यहाँ इतनी संभावनाएं हैं, क्यों न बनासकांठा और हमारे यहाँ के किसान sweet revolution का नया अध्याय लिखें ? आपको जानकर खुशी होगी, इतने कम समय में, बनासकांठा, शहद उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया है | आज बनासकांठा के किसान honey से लाखों रुपए सालाना कमा रहे हैं | ऐसा ही एक उदाहरण हरियाणा के यमुना नगर का भी है | यमुना नगर में, किसान, Bee farming करके, सालाना, कई सौ-टन शहद पैदा कर रहे हैं, अपनी आय बढ़ा रहे हैं | किसानों की इस मेहनत का परिणाम है कि देश में शहद का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है, और सालाना, करीब, सवा-लाख टन पहुँचा है, इसमें से, बड़ी मात्रा में, शहद, विदेशों में निर्यात भी हो रहा है |
साथियो,Honey Bee Farming में केवल शहद से ही आय नहीं होती, बल्कि bee wax भी आय का एक बहुत बड़ा माध्यम है | Pharma industry, food industry, textile और cosmetic industry, हर जगह bee wax की demand है | हमारा देश फिलहाल bee wax का आयात करता है, लेकिन, हमारे किसान, अब ये स्थिति, तेजी से बदल रहे हैं | यानि एक तरह से आत्मनिर्भर भारत अभियान में मदद कर रहे हैं | आज तो पूरी दुनिया आयुर्वेद और Natural Health Products की ओर देख रही है | ऐसे में honey की माँग और भी तेजी से बढ़ रही है | मैं चाहता हूँ देश के ज्यादा-से-ज्यादा किसान अपनी खेती के साथ-साथ bee farming से भी जुड़ें | ये किसानों की आय भी बढ़ाएगा और उनके जीवन में मिठास भी घोलेगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, अभी कुछ दिन पहले World Sparrow Day मनाया गया | Sparrow यानि गोरैया | कहीं इसे चकली बोलते हैं, कहीं चिमनी बोलते हैं, कहीं घान चिरिका कहा जाता है | पहले हमारे घरों की दीवारों पर, आस-पास के पेड़ों पर गोरैया चहकती रहती थी | लेकिन अब लोग गोरैया को ये कहकर याद करते हैं कि पिछली बार, बरसों पहले, गोरैया देखा था | आज इसे बचाने के लिए हमें प्रयास करने पड़ रहे हैं | मेरे बनारस के एक साथी इंद्रपाल सिंह बत्रा जी ने ऐसा काम किया है जिसे मैं, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को जरूर बताना चाहता हूं | बत्रा जी ने अपने घर को ही गोरैया का आशियाना बना दिया है | इन्होंने अपने घर में लकड़ी के ऐसे घोंसले बनवाए जिनमें गोरैया आसानी से रह सके | आज बनारस के कई घर इस मुहिम से जुड़ रहे हैं | इससे घरों में एक अद्भुत प्राकृतिक वातावरण भी बन गया है | मैं चाहूँगा प्रकृति, पर्यावरण, प्राणी, पक्षी जिनके लिए भी बन सके, कम-ज्यादा प्रयास हमें भी करने चाहिए | जैसे एक साथी हैं बिजय कुमार काबी जी | बिजय जी ओड़िशा के केंद्रपाड़ा के रहने वाले हैं | केंद्रपाड़ा समुंद्र के किनारे है | इसलिए इस जिले के कई गांव ऐसे हैं, जिन पर समुंद्र की ऊँची लहरों और Cyclone का खतरा रहता है | इससे कई बार बहुत नुकसान भी होता है | बिजय जी ने महसूस किया कि अगर इस प्राकृतिक तबाही को कोई रोक सकता है तो वो प्रकृति ही रोक सकती है | फिर क्या था - बिजय जी ने, बड़ाकोट गांव से अपना मिशन शुरू किया | उन्होंने 12 साल | साथियों 12 साल, मेहनत करके, गांव के बाहर, समुन्द्र की तरफ 25 एकड़ का mangrove जंगल खड़ा कर दिया | आज ये जंगल इस गाँव की सुरक्षा कर रहा है | ऐसा ही काम ओडिशा के ही पारादीप जिले में एक इंजीनियर अमरेश सामंत जी ने किया है | अमरेश जी ने छोटे छोटे जंगल लगाए हैं, जिनसे आज कई गांवों का बचाव हो रहा है | साथियो, इस तरह के कामों में, अगर हम, समाज को साथ जोड़ लें, तो बड़े परिणाम आते हैं | जैसे, तमिलनाडु के कोयम्बटूर में बस कन्डक्टर का काम करने वाले मरिमुथु योगनाथन जी हैं | योगनाथान जी, अपनी बस के यात्रियों को टिकट देते हैं, तो साथ में ही एक पौधा भी मुफ्त देते हैं | इस तरह योगनाथन जी न जाने कितने ही पेड़ लगवा चुके हैं | योगनाथन जी अपने वेतन का काफी हिस्सा इसी काम में खर्च करते आ रहे हैं | अब इसको सुनने के बाद ऐसा कौन नागरिक होगा जो मरिमुथु योगनाथन जी के काम की प्रशंसा न करे | मैं हृदय से उनके इस प्रयासों को बहुत बधाई देता हूँ, उनके इस प्रेरक कार्य के लिए |
मेरे प्यारे देशवासियो, Waste से Wealth यानी कचरे से कंचन बनाने के बारे में हम सबने देखा भी है, सुना भी है, और हम भी औरों को बताते रहते हैं | कुछ उसी प्रकार से Waste को Value में बदलने का भी काम किया जा रहा है | ऐसा ही एक उदाहरण केरल के कोच्चि के सेंट टेरेसा कॉलेज का है | मुझे याद है कि 2017 में, मैं इस कॉलेज के कैंपस में, एक Book Reading पर आधारित कार्यक्रम में शामिल हुआ था | इस कॉलेज के स्टूडेंट्स Reusable Toys बना रहे हैं, वो भी बहुत ही creative तरीके से | ये students पुराने कपड़ों, फेंके गए लकड़ी के टुकड़ों, bag और Boxes का इस्तेमाल खिलौने बनाने में कर रहे हैं | कोई विद्यार्थी Puzzle बना रहा है तो कोई car और train बना रहा है | यहां इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है कि खिलौने Safe होने के साथ-साथ Child Friendly भी हों | और इस पूरे प्रयास की एक अच्छी बात ये भी है कि ये खिलौने आंगनबाड़ी बच्चों को खेलने के लिए दिए जाते हैं | आज जब भारत खिलौनों की Manufacturing में काफी आगे बढ़ रहा है तो Waste से Value के ये अभियान, ये अभिनव प्रयोग बहुत मायना रखते हैं |
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक प्रोफेसर श्रीनिवास पदकांडला जी है | वे बहुत ही रोचक कार्य कर रहे हैं | उन्होंने Automobile Metal Scrap से Sculptures (स्कल्पचर्स) बनाए हैं | उनके द्वारा बनाए गए ये विशाल Sculptures सार्वजानिक पार्कों में लगाये गये हैं और लोग उन्हें बहुत उत्साह से देख रहे हैं | Electronic और Automobile Waste की Recycling का यह एक अभिनव प्रयोग है | मैं एक बार फिर कोच्चि और विजयवाड़ा के इन प्रयासों की सराहना करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि और लोग भी ऐसे प्रयासों में आगे आएंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, भारत के लोग दुनिया के किसी कोने में जाते हैं तो गर्व से कहते हैं कि वो भारतीय हैं | हम अपने योग, आयुर्वेद, दर्शन न जाने क्या कुछ नहीं है हमारे पास जिसके लिए हम गर्व करते हैं गर्व की बाते करते हैं साथ ही अपनी स्थानीय भाषा, बोली, पहचान, पहनाव, खान-पान उसका भी गर्व करते हैं | हमें नया तो पाना है, और वही तो जीवन होता है लेकिन साथ-साथ पुरातन गँवाना भी नहीं है | हमें बहुत परिश्रम के साथ अपने आस-पास मौजूद अथाह सांस्कृतिक धरोहर का संवर्धन करना है, नई पीढ़ी तक पहुँचाना है | यही काम, आज, असम के रहने वाले ‘सिकारी टिस्सौ’ बहुत ही लगन के साथ कर रहे है | Karbi Anglong जिले के ‘सिकारी टिस्सौ’ जी पिछले 20 सालों से Karbi भाषा का documentation कर रहे हैं | किसी ज़माने में किसी युग में ‘कार्बी आदिवासी’ भाई बहनों की भाषा ‘कार्बी’ आज मुख्यधारा से गायब हो रही है | श्रीमान ‘सिकारी टिस्सौ’ जी ने तय किया था कि अपनी इस पहचान को वो बचाएंगे, और आज उनके प्रयासों से कार्बी भाषा की काफी जानकारी documented हो गई है | उन्हें अपने इस प्रयासों के लिए कई जगह प्रशंसा भी मिली है, और award भी मिले हैं | ‘मन की बात’ के द्वारा श्रीमान ‘सिकारी टिस्सौ’ जी को मैं तो बधाई देता ही हूँ लेकिन देश के कई कोने में इस प्रकार से कई साधक होंगे जो एक काम लेकर के खपते रहते होंगे मैं उन सबको भी बधाई देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियों, कोई भी नई शुरुआत यानी New Beginning हमेशा बहुत ख़ास होती हैं | New Beginning का मतलब होता है New Possibilities – नए प्रयास | और, नए प्रयासों का अर्थ है – नई ऊर्जा और नया जोश | यही कारण है कि अलग- अलग राज्यों और क्षेत्रों में एवं विविधता से भरी हमारी संस्कृति में किसी भी शुरुआत को उत्सव के तौर पर मनाने की परंपरा रही है | और यह समय नई शुरुआत और नए उत्सवों के आगमन का है | होली भी तो बसंत को उत्सव के तौर पर ही मनाने की एक परंपरा है | जिस समय हम रंगों के साथ होली मना रहे होते हैं, उसी समय, बसन्त भी, हमारे चारों ओर नए रंग बिखेर रहा होता है | इसी समय फूलों का खिलना शुरू होता है और प्रकृति जीवंत हो उठती है | देश के अलग-अलग क्षेत्रों में जल्द ही नया साल भी मनाया जाएगा | चाहे उगादी हो या पुथंडू, गुड़ी पड़वा हो या बिहू, नवरेह हो या पोइला, या फिर बोईशाख हो या बैसाखी - पूरा देश, उमंग, उत्साह और नई उम्मीदों के रंग में सराबोर दिखेगा | इसी समय, केरल भी खूबसूरत त्योहार विशु मनाता है | इसके बाद, जल्द ही चैत्र नवरात्रि का पावन अवसर भी आ जाएगा | चैत्र महीने के नौवें दिन हमारे यहाँ रामनवमी का पर्व होता है | इसे भगवान राम के जन्मोत्सव के साथ ही न्याय और पराक्रम के एक नए युग की शुरुआत के रूप में भी मना जाता है | इस दौरान चारों ओर धूमधाम के साथ ही भक्तिभाव से भरा माहौल होता है, जो लोगों को और करीब लाता है, उन्हें परिवार और समाज से जोड़ता है, आपसी संबंधों को मजबूत करता है | इन त्योहारों के अवसर पर मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूँ |
साथियो, इस दौरान 4 अप्रैल को देश ईस्टर भी मनाएगा | Jesus Christ के पुनर्जीवन के उत्सव के रूप में ईस्टर का त्योहार मनाया जाता है | प्रतीकात्मक रूप से कहें तो ईस्टर जीवन की नई शुरुआत से जुड़ा है | ईस्टर उम्मीदों के पुनर्जीवित होने का प्रतीक है |
On this holy and auspicious occasion, I greet not only the Christian Community in India, but also Christians globally.
मेरे प्यारे देशवासियो, आज ‘मन की बात’ में हमने ‘अमृत महोत्सव’ और देश के लिए अपने कर्तव्यों की बात की | हमने अन्य पर्वों और त्योहारों पर भी चर्चा की | इसी बीच एक और पर्व आने वाला है जो हमारे संवैधानिक अधिकारों, और कर्तव्यों की याद दिलाता है | वो है 14 अप्रैल – डॉक्टर बाबा साहेब अम्बेडकर जी की जन्म जयंती | इस बार ‘अमृत महोत्सव’ में तो ये अवसर और भी ख़ास बन गया है | मुझे विश्वास है, बाबा साहेब की इस जन्म जयंती को हम जरूर यादगार बनाएँगे, अपने कर्तव्यों का संकल्प लेकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे | इसी विश्वास के साथ, आप सभी को पर्व त्योहारों की एक बार फिर शुभकामनाएँ | आप सब खुश रहिए, स्वस्थ रहिए, और खूब उल्लास मनाइए | इसी कामना के साथ फिर से याद कराता हूँ ‘दवाई भी - कड़ाई भी’ | बहुत बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | कल माघ पूर्णिमा का पर्व था | माघ का महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्त्रोतों से जुड़ा हुआ माना जाता है | हमारे शास्त्रों में कहा गया है :-
“माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति ||”
अर्थात, माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है | दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है | नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं | हमारी संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है, इसलिए, इसका विस्तार हमारे यहाँ और ज्यादा मिलता है | भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो | माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं | इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है | जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है | पानी, एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है | कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है | वैसे ही पानी का स्पर्श, जीवन के लिये जरुरी है, विकास के लिये जरुरी है |
साथियो, माघ महीने को जल से जोड़ने का संभवतः एक और भी कारण है, इसके बाद से ही, सर्दियाँ खत्म हो जाती हैं, और, गर्मियों की दस्तक होने लगती है, इसलिए पानी के संरक्षण के लिये, हमें, अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए | कुछ दिनों बाद मार्च महीने में ही 22 तारीख को ‘World Water Day’ भी है |
मुझे U.P. की आराध्या जी ने लिखा है कि दुनिया में करोड़ों लोग, अपने जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा पानी की कमी को पूरा करने में ही लगा देते हैं | ‘बिन पानी सब सून’, ऐसे ही नहीं कहा गया है | पानी के संकट को हल करने के लिये एक बहुत ही अच्छा message पश्चिम बंगाल के ‘उत्तर दीनाजपुर’ से सुजीत जी ने मुझे भेजा है | सुजीत जी ने लिखा है कि प्रकृति ने जल के रूप में हमें एक सामूहिक उपहार दिया है इसलिए इसे बचाने की जिम्मेदारी भी सामूहिक है | ये बात सही है जैसे सामूहिक उपहार है, वैसे ही सामूहिक उत्तरदायित्व भी है | सुजीत जी की बात बिलकुल सही है | नदी, तालाब, झील, वर्षा या जमीन का पानी, ये सब, हर किसी के लिये हैं |
साथियो, एक समय था जब गाँव में कुएं, पोखर, इनकी देखभाल, सब मिलकर करते थे, अब ऐसा ही एक प्रयास, तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में हो रहा है | यहाँ स्थानीय लोगों ने अपने कुओं को संरक्षित करने के लिये अभियान चलाया हुआ है | ये लोग अपने इलाके में वर्षों से बंद पड़े सार्वजनिक कुओं को फिर से जीवित कर रहे हैं |
मध्य प्रदेश के अगरोथा गाँव की बबीता राजपूत जी भी जो कर रही हैं, उससे आप सभी को प्रेरणा मिलेगी | बबीता जी का गाँव बुंदेलखंड में है | उनके गाँव के पास कभी एक बहुत बड़ी झील थी जो सूख गई थी | उन्होंने गाँव की ही दूसरी महिलाओं को साथ लिया और झील तक पानी ले जाने के लिये एक नहर बना दी | इस नहर से बारिश का पानी सीधे झील में जाने लगा | अब ये झील पानी से भरी रहती है |
साथियो, उत्तराखंड के बागेश्वर में रहने वाले जगदीश कुनियाल जी का काम भी बहुत कुछ सिखाता है | जगदीश जी का गाँव और आस-पास का क्षेत्र पानी की जरूरतों के लिये के एक प्राकृतिक स्रोत्र पर निर्भर था | लेकिन कई साल पहले ये स्त्रोत सूख गया | इससे पूरे इलाके में पानी का संकट गहराता चला गया | जगदीश जी ने इस संकट का हल वृक्षारोपण से करने की ठानी | उन्होंने पूरे इलाके में गाँव के लोगों के साथ मिलकर हजारों पेड़ लगाए और आज उनके इलाके का सूख चुका वो जलस्त्रोत फिर से भर गया है |
साथियो, पानी को लेकर हमें इसी तरह अपनी सामूहिक जिम्मेदारियों को समझना होगा | भारत के ज्यादातर हिस्सों में मई-जून में बारिश शुरू होती है | क्या हम अभी से अपने आसपास के जलस्त्रोतों की सफाई के लिये, वर्षा जल के संचयन के लिये, 100 दिन का कोई अभियान शुरू कर सकते हैं ? इसी सोच के साथ अब से कुछ दिन बाद जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी जल शक्ति अभियान – ‘Catch the Rain’ भी शुरू किया जा रहा है | इस अभियान का मूल मन्त्र है – ‘Catch the rain, where it falls, when it falls.’ | हम अभी से जुटेंगे, हम पहले से जो rain water harvesting system है उन्हें दुरुस्त करवा लेंगे, गांवो में, तालाबों में, पोखरों की, सफाई करवा लेंगे, जलस्त्रोतों तक जा रहे, पानी के रास्ते की रुकावटें, दूर, कर लेंगे तो ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल का संचयन कर पायेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती | ये नाम है संत रविदास जी का | माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास जी की जयंती होती है | आज भी, संत रविदास जी के शब्द, उनका ज्ञान, हमारा पथप्रदर्शन करता है |
उन्होंने कहा था-
एकै माती के सभ भांडे,
सभ का एकौ सिरजनहार |
रविदास व्यापै एकै घट भीतर,
सभ कौ एकै घड़ै कुम्हार ||
हम सभी एक ही मिट्टी के बर्तन हैं, हम सभी को एक ने ही गढ़ा है | संत रविदास जी ने समाज में व्याप्त विकृतियों पर हमेशा खुलकर अपनी बात कही | उन्होंने इन विकृतियों को समाज के सामने रखा, उसे सुधारने की राह दिखाई और तभी तो मीरा जी ने कहा था
‘गुरु मिलिया रैदास, दीन्हीं ज्ञान की गुटकी’ |
ये मेरा सौभाग्य है कि मैं संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी से जुड़ा हुआ हूँ | संत रविदास जी के जीवन की आध्यात्मिक ऊंचाई को और उनकी ऊर्जा को मैंने उस तीर्थ स्थल में अनुभव किया है |
साथियो, रविदास जी कहते थे-
करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस |
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास ||
अर्थात् हमें निरंतर अपना कर्म करते रहना चाहिए, फिर फल तो मिलेगा ही मिलेगा, यानी, कर्म से सिद्धि तो होती ही होती है | हमारे युवाओं को एक और बात संत रविदास जी से जरुर सीखनी चाहिए | युवाओं को कोई भी काम करने के लिये, खुद को, पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिए | आप, अपने जीवन को खुद ही तय करिए | अपने तौर तरीके भी खुद बनाइए और अपने लक्ष्य भी खुद ही तय करिए | अगर आपका विवेक, आपका आत्मविश्वास मजबूत है तो आपको दुनिया में किसी भी चीज से डरने की जरुरत नहीं है | मैं ऐसा इसलिए कहता हूँ क्योंकि कई बार हमारे युवा एक चली आ रही सोच के दबाव में वो काम नहीं कर पाते, जो करना वाकई उन्हें पसंद होता है | इसलिए आपको कभी भी नया सोचने, नया करने में, संकोच नहीं करना चाहिए | इसी तरह, संत रविदास जी ने एक और महत्वपूर्ण सन्देश दिया है | ये सन्देश है ‘अपने पैरों पर खड़ा होना’ | हम अपने सपनों के लिये किसी दूसरे पर निर्भर रहें ये बिलकुल ठीक नहीं है | जो जैसा है वो वैसा चलता रहे, रविदास जी कभी भी इसके पक्ष में नहीं थे और आज हम देखते है कि देश का युवा भी इस सोच के पक्ष में बिलकुल नहीं है | आज जब मैं देश के युवाओं में innovative spirit देखता हूँ तो मुझे लगता है कि हमारे युवाओं पर संत रविदास जी को जरुर गर्व होता |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज ‘National Science Day’ भी है | आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक, डॉक्टर सी.वी. रमन जी द्वारा की गई ‘Raman Effect’ खोज को समर्पित है | केरल से योगेश्वरन जी ने NamoApp पर लिखा है कि Raman Effect की खोज ने पूरी विज्ञान की दिशा को बदल दिया था | इससे जुड़ा हुआ एक बहुत अच्छा सन्देश मुझे नासिक के स्नेहिल जी ने भी भेजा है | स्न्नेहिल जी ने लिखा है कि हमारे देश के अनगिनत वैज्ञानिक हैं, जिनके योगदान के बिना साइंस इतनी प्रगति नहीं कर सकती थी | हम जैसे दुनिया के दूसरे वैज्ञानिकों के बारे में जानते हैं, वैसे ही, हमें, भारत के वैज्ञानिकों के बारे में भी जानना चाहिए | मैं भी ‘मन की बात’ के इन श्रोताओं की बात से सहमत हूँ | मैं जरुर चाहूँगा कि हमारे युवा, भारत के वैज्ञानिक - इतिहास को, हमारे वैज्ञानिकों को जाने, समझें और खूब पढ़ें |
साथियो, जब हम science की बात करते हैं तो कई बार इसे लोग physics-chemistry या फिर labs तक ही सीमित कर देते हैं, लेकिन, science का विस्तार तो इससे कहीं ज्यादा है और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में science की शक्ति का बहुत योगदान भी है | हमें science को Lab to Land के मंत्र के साथ आगे बढ़ाना होगा |
उदाहरण के तौर पर हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डी जी हैं | रेड्डी जी के एक डॉक्टर मित्र ने उन्हें एक बार ‘विटामिन-डी’ की कमी से होने वाली बीमारियाँ और इसके खतरों के बारे में बताया | रेड्डी जी किसान हैं, उन्होंने सोचा कि वो इस समस्या के समाधान के लिए क्या कर सकते हैं ? इसके बाद उन्होंने मेहनत की और गेहूं चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित की जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं | इसी महीने उन्हें World Intellectual Property Organization, Geneva से patent भी मिली है | ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि वेंकट रेड्डी जी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था |
ऐसे ही बहुत Innovative तरीके से लद्दाख के उरगेन फुत्सौग भी काम कर रहे हैं | उरगेन जी इतनी ऊंचाई पर Organic तरीके से खेती करके करीब 20 फसलें उगा रहे हैं वो भी cyclic तरीके से, यानी वो, एक फसल के waste को, दूसरी फसल में, खाद के तौर पर, इस्तेमाल कर लेते हैं | है न कमाल की बात |
इसी तरह गुजरात के पाटन जिले में कामराज भाई चौधरी ने घर में ही सहजन के अच्छे बीज विकसित किए हैं | सहजन को कुछ लोग सर्गवा बोलते हैं, इसे मोरिंगा या drum stick भी कहा जाता है | अच्छे बीजों की मदद से जो सहजन पैदा होता है, उसकी quality भी अच्छी होती है | अपनी उपज को वो अब तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल भेजकर, अपनी आय भी बढ़ा रहे हैं |
साथियो, आजकल Chia seeds (चिया सीड्स) का नाम आप लोग बहुत सुनते होंगे | Health awareness से जुड़े लोग इसे काफी महत्व देते हैं और दुनिया में इसकी बड़ी मांग भी है | भारत में इसे ज्यादातर बाहर से मगाते हैं, लेकिन अब, Chia seeds (चिया सीड्स) में आत्मनिर्भरता का बीड़ा भी लोग उठा रहे हैं | ऐसे ही यूपी के बाराबंकी में हरिश्चंद्र जी ने Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती शुरू की है | Chia seeds (चिया सीड्स) की खेती उनकी आय भी बढ़ाएगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान में भी मदद करेगी |
साथियो, Agriculture waste से wealth create करने के भी कई प्रयोग देशभर में सफलतापूर्वक चल रहे हैं | जैसे, मदुरै के मुरुगेसन जी ने केले के waste से रस्सी बनाने की एक मशीन बनाई है | मुरुगेसन जी के इस innovation से पर्यावरण और गंदगी का भी समाधान होगा, और किसानों के लिए अतिरिक्त आय का रास्ता भी बनेगा |
साथियो, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को इतने सारे लोगों के बारे में बताने का मेरा मकसद यही है कि हम सभी इनसे प्रेरणा लें | जब देश का हर नागरिक अपने जीवन में विज्ञान का विस्तार करेगा, हर क्षेत्र में करेगा, तो प्रगति के रास्ते भी खुलेंगे और देश आत्मनिर्भर भी बनेगा | और मुझे विश्वास है, ये देश का हर नागरिक कर सकता है |
मेरे प्यारे साथियो, कोलकाता के रंजन जी ने अपने पत्र में बहुत ही दिलचस्प और बुनियादी सवाल पूछा है, और साथ ही, बेहतरीन तरीके से उसका जवाब भी देने की कोशिश की है | वे लिखते हैं कि जब हम आत्मनिर्भर होने की बात करते हैं, तो इसका हमारे लिए क्या अर्थ होता है ? इसी सवाल के जवाब में उन्होंने खुद ही आगे लिखा है कि – ‘‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ केवल एक Government policy नहीं है, बल्कि एक National spirit है | वो मानते हैं कि आत्मनिर्भर होने का अर्थ है कि अपनी किस्मत का फैसला खुद करना यानि स्वयं अपने भाग्य का नियंता होना | रंजन बाबू की बात सौ-टका सही है | उनकी बात को आगे बढ़ाते हुये मैं ये भी कहूँगा कि आत्मनिर्भरता की पहली शर्त होती है – अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के लोगों द्वारा बनाई वस्तुओं पर गर्व होना | जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत, सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक National spirit बन जाता है | जब आसमान में हम अपने देश में बने Fighter Plane Tejas को कलाबाजियाँ खाते देखते हैं, जब भारत में बने टैंक, भारत में बनी मिसाइलें, हमारा गौरव बढ़ाते हैं, जब समृद्ध देशों में हम Metro Train के Made in India coaches देखते हैं, जब दर्जनों देशों तक Made in India कोरोना वैक्सीन को पहुँचते हुए देखते हैं, तो हमारा माथा और ऊंचा हो जाता है | और ऐसा ही नहीं है कि बड़ी-बड़ी चीजें ही भारत को आत्मनिर्भर बनाएँगी | भारत में बने कपड़े, भारत के talented कारीगरों द्वारा बनाया गया Handicraft का समान, भारत के Electronic उपकरण, भारत के मोबाइल, हर क्षेत्र में, हमें, इस गौरव को बढ़ाना होगा | जब हम इसी सोच के साथ आगे बढ़ेंगे, तभी सही मायने में आत्मनिर्भर बन पाएंगे और साथियो, मुझे खुशी है कि आत्मनिर्भर भारत का ये मंत्र, देश के गाँव-गाँव में पहुँच रहा है | बिहार के बेतिया में यही हुआ है, जिसके बारे में मुझे मीडिया में पढ़ने को मिला |
बेतिया के रहने वाले प्रमोद जी, दिल्ली में एक Technician के रूप में LED Bulb बनाने वाली Factory में काम करते थे, उन्होंने इस factory में कार्य करने के दौरान पूरी प्रक्रिया को बहुत बारीकी से समझा | लेकिन कोरोना के दौरान प्रमोद जी को अपने घर वापस लौटना पड़ा | आप जानते हैं लौटने के बाद प्रमोद जी ने क्या किया ? उन्होंने खुद LED Bulb बनाने की एक छोटी-सी unit ही शुरू कर दी | उन्होंने अपने क्षेत्र के कुछ युवाओं को साथ लिया और कुछ ही महीनों में Factory worker से लेकर Factory owner बनने तक का सफर पूरा कर दिया | वह भी अपने ही घर में रहते हुये |
एक और उदाहरण है – यूपी के गढ़मुक्तेश्वर का | गढ़मुक्तेश्वर से श्रीमान संतोष जी ने लिखा है कि कैसे कोरोना काल में उन्होंने आपदा को अवसर में बदला | संतोष जी के पुरखे शानदार कारीगर थे, चटाई बनाने का काम करते थे | कोरोना के समय जब बाकी काम रुके तो इन लोगों ने बड़ी ऊर्जा और उत्साह के साथ चटाई बनाना शुरू किया | जल्द ही, उन्हें न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि दूसरे राज्यों से भी चटाई के order मिलने शुरू हो गए | संतोष जी ने यह भी बताया है इससे इस क्षेत्र की सैकड़ों साल पुरानी खूबसूरत कला को भी एक नई ताकत मिली है |
साथियो, देशभर में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां लोग, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में, इसी तरह, अपना योगदान दे रहे हैं | आज यह एक भाव बन चुका है, जो आम जनों के दिलों में प्रवाहित हो रहा है |
मेरे प्यारे देशवासियो, मैंने NaMoApp पर गुड़गाँव निवासी मयूर की एक Interesting post देखी | वे Passionate Bird Watcher और Nature Lover हैं | मयूर जी ने लिखा है कि मैं तो हरियाणा में रहता हूँ, लेकिन, मैं चाहता हूँ कि आप, असम के लोगों, और विशेष रूप से, Kaziranga के लोगों की चर्चा करें | मुझे लगा कि मयूर जी, Rhinos के बारे में बात करेंगे, जिन्हें वहाँ का गौरव कहा जाता है | लेकिन मयूर जी ने काजीरंगा में Waterfowls (वॉटर-फाउल्स) की संख्या में हुई बढ़ोतरी को लेकर असम के लोगों की सराहना के लिए कहा है | मैं ढूंढ रहा था कि हम Waterfowls को साधारण शब्दों में क्या कह सकते हैं, तो एक शब्द मिला – जलपक्षी | ऐसे पक्षी जिनका बसेरा, पेड़ों पर नहीं, पानी पर होता है, जैसे बतख वगैरह | Kaziranga National Park & Tiger Reserve Authority कुछ समय से Annual Waterfowls Census करती आ रही है | इस Census से जल पक्षियों की संख्या का पता चलता है और उनके पसंदीदा Habitat की जानकारी मिलती है | अभी दो-तीन सप्ताह पहले ही survey फिर हुआ है | आपको भी ये जानकार खुशी होगी कि इस बार जल-पक्षियों की संख्या, पिछले वर्ष की तुलना में करीब एक-सौ पिचहत्तर (175) प्रतिशत ज्यादा आई है | इस Census के दौरान काजीरंगा नेशनल पार्क में Birds की कुल 112 Species को देखा गया है | इनमें से 58 Species यूरोप, Central Asia और East Asia सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए Winter Migrants हैं | इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि यहाँ बेहतर Water Conservation होने के साथ Human Interference बहुत कम है | वैसे कुछ मामलों में Positive Human Interference भी बहुत महत्वपूर्ण होता है |
असम के श्री जादव पायेन्ग को ही देख लीजिये | आप में से कुछ लोग उनके बारे में जरूर जानते होंगे | अपने कार्यों के लिए उन्हें पद्म सम्मान मिला है | श्री जादव पायेन्ग वो शख्स हैं जिन्होंने असम में मजूली आइलैंड में करीब 300 हेक्टेयर Plantation में अपना सक्रिय योगदान दिया है | वे वन संरक्षण के लिए काम करते रहे हैं और लोगों को Plantation एवं Biodiversity के Conservation को लेकर प्रेरित करने में भी जुटे हुए हैं |
साथियो, असम में हमारे मंदिर भी, प्रकृति के संरक्षण में, अपनी अलग ही भूमिका निभा रहे हैं, यदि आप, हमारे मंदिरों को देखेंगे, तो पाएंगे कि हर मंदिर के पास तालाब होता है | हजो स्थित हयाग्रीव मधेब मंदिर, सोनितपुर के नागशंकर मंदिर और गुवाहाटी में स्थित उग्रतारा Temple के पास इस प्रकार के कई तालाब हैं | इनका उपयोग विलुप्त होते कछुओं की प्रजातियों को बचाने के लिए किया जा रहा है | असम में कछुओं की सबसे अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं | मंदिरों के ये तालाब कछुओं के संरक्षण, प्रजनन और उनके बारे में प्रशिक्षण के लिए एक बेहतरीन स्थल बन सकते हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ लोग समझते हैं कि Innovation करने के लिए आपका Scientist होना जरूरी है, कुछ सोचते हैं कि दूसरों को कुछ सिखाने के लिए आपका Teacher होना जरूरी है | इस सोच को चुनौती देने वाले व्यक्ति हमेशा सराहनीय होते हैं | अब जैसे, क्या कोई, किसी को, Soldier बनने के लिए प्रशिक्षित करता है, तो क्या उसको सैनिक होना जरूरी है ? आप सोच रहे होंगे कि हाँ, जरुरी है | लेकिन यहाँ थोड़ा-सा Twist है |
MyGov पर कमलकांत जी ने मीडिया की एक रिपोर्ट साझा की है, जो कुछ अलग बात कहती है | ओडिशा में अराखुड़ा में एक सज्जन हैं – नायक सर | वैसे तो इनका नाम सिलू नायक है, पर सब उन्हें नायक सर ही बुलाते हैं | दरअसल वे Man on a Mission हैं | वह उन युवाओं को मुफ्त में प्रशिक्षित करते हैं, जो सेना में शामिल होना चाहते हैं | नायक सर के Organization का नाम महागुरु Battalion है | इसमें Physical Fitness से लेकर Interviews तक और Writing से लेकर Training तक, इन सभी पहलुओं के बारे में बताया जाता है | आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उन्होंने जिन लोगों को प्रशिक्षण दिया है, उन्होंने थल सेना, जल सेना, वायु सेना, CRPF, BSF ऐसे uniform forces में अपनी जगह बनाई है | वैसे आप ये जानकर भी आश्चर्य से भर जाएंगे कि सिलू नायक जी ने खुद ओडिशा पुलिस में भर्ती होने के लिए प्रयास किया था, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए, इसके बावजूद, उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दम पर अनेक युवाओं को राष्ट्र सेवा के योग्य बनाया है | आइए, हम सब मिलकर नायक सर को शुभकामना दें कि वह हमारे देश के लिए और अधिक नायकों को तैयार करें |
साथियो, कभी-कभी बहुत छोटा और साधारण सा सवाल भी मन को झकझोर जाता है | ये सवाल लंबे नहीं होते हैं, बहुत simple होते हैं, फिर भी वे हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं | कुछ दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी जी ने मुझसे ऐसा ही एक सवाल पूछा | उन्होंने कहा कि – आप इतने साल से पी.एम. हैं, इतने साल सी.एम. रहे, क्या आपको कभी लगता है कि कुछ कमी रह गई | अपर्णा जी का सवाल बहुत सहज है लेकिन उतना ही मुश्किल भी | मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा – तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया | यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है | बहुत से लोगों ने मुझे तमिल literature की quality और इसमें लिखी गई कविताओं की गहराई के बारे में बहुत कुछ बताया है | भारत ऐसी अनेक भाषाओँ की स्थली है, जो हमारी संस्कृति और गौरव का प्रतीक है | भाषा के बारे में बाते करते हुए, मैं एक छोटी सी interesting clip आप सबके साथ साझा करना चाहता हूँ |
दरअसल अभी जो आप सुन रहे थे, वो statue of unity पर एक Guide, संस्कृत में लोगों को सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के बारे में बता रही हैं | आपको जानकर खुशी होगी कि केवड़िया में 15 से ज्यादा Guide, धारा प्रवाह संस्कृत में लोगों को गाइड करते हैं | अब मैं आपको एक और आवाज सुनवाता हूं -
प भी इसे सुनकर हैरान हो गए होंगे ! दरअसल, यह संस्कृत में की जा रही cricket commentary है | वाराणसी में, संस्कृत महाविद्यालयों के बीच एक cricket tournament होता है | ये महाविद्यालय हैं – शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट | इस tournament के मैचों के दौरान commentary संस्कृत में भी की जाती है | अभी मैंने उस commentary का एक बहुत ही छोटा-सा हिस्सा आपको सुनाया | यही नहीं, इस tournament में, खिलाड़ी और commentator पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं | यदि आपको energy, excitement, suspense सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की commentary सुननी चाहिए | टी.वी. आने से बहुत पहले, sports commentary ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए cricket और hockey जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे | Tennis और football मैचों की commentary भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है | हमने देखा है कि जिन खेलों में commentary समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है | हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें commentary culture नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं | मेरे मन में एक विचार है – क्यों न, अलग-अलग sports और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी commentary अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए | मैं खेल मंत्रालय और private संस्थान के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करूंगा |
मेरे प्यारे युवा साथियो, आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं | अधिकतर युवा साथियों के exams, परिक्षाए होंगी | आप सब को याद है ना – Warrior बनना है worrier नहीं, हँसते हुए exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है | किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है | पर्याप्त नींद भी लेनी है, और time management भी करना है | खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले | Revision और याद करने के smart तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन exams में, अपने best को, बाहर लाना है | आप सोच रहे होंगे यह सब होगा कैसे | हम सब मिलकर यह करने वाले है | हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब करेंगे ‘परीक्षा पे चर्चा’ | लेकिन मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरी आप सभी exam warriors से, parents से, और teachers से, request है कि अपने अनुभव, अपने tips ज़रूर share करें | आप MyGov पर share कर सकते हैं | NarendraModi App पर share कर सकते हैं | इस बार की ‘परीक्षा पे चर्चा’ में युवाओं के साथ-साथ, parents और teachers भी आमंत्रित है | कैसे participate करना है, कैसे prize जीतने है, कैसे मेरे साथ discussion का अवसर पाना है यह सारी जानकारियाँ आपको MyGov पर मिलेंगी | अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थी, करीब 40 हजार parents, और तकरीबन, 10 हजार teacher भाग ले चुके हैं | आप भी आज ही participate कीजिये | इस कोरोना के समय में, मैंने, कुछ समय निकालकर exam warrior book में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं, अब इसमें parents के लिए भी कुछ मंत्र add किये गए हैं | इन मंत्रों से जुड़ी ढ़ेर सारी interesting activities NarendraModi App पर दी हुई है जो आपके अंदर के exam warrior को ignite करने में मदद करेंगी | आप इनको ज़रूर try करके देखिए | सभी युवा साथियों को आने वाली परीक्षाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं |
मेरे प्यारे देशवासियो, मार्च का महीना हमारे financial year का आखिरी महीना भी होता है, इसलिए, आप में से बहुत से लोगों के लिए काफी व्यस्तता भी रहेगी | अब जिस तरह से देश में आर्थिक गतिविधियां तेज हो रही हैं उससे हमारे व्यापारी और उद्यमी साथियों की व्यस्तता भी बहुत बढ़ रही है | इन सारे कार्यों के बीच हमें कोरोना से सावधानी कम नहीं करनी है | आप सब स्वस्थ रहेंगे, खुश रहेंगे, कर्त्तव्य पथ पर डटे रहेंगे, तो देश तेजी से आगे बढ़ता रहेगा |
आप सभी को त्योहारों की अग्रिम शुभकामनायें, साथ-साथ कोरोना के सम्बन्ध में जो भी नियमों का पालन करना उसमें कोई ढिलाई नहीं आनी चाहिये | बहुत-बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | जब मैं ‘मन की बात’ करता हूँ तो ऐसा लगता है, जैसे आपके बीच, आपके परिवार के सदस्य के रूप में उपस्थित हूँ | हमारी छोटी-छोटी बातें, जो एक-दूसरे को, कुछ, सिखा जाये, जीवन के खट्टे-मीठे अनुभव जो, जी-भर के जीने की प्रेरणा बन जाये - बस यही तो है ‘मन की बात’ | आज, 2021 की जनवरी का आखिरी दिन है | क्या आप भी मेरी तरह ये सोच रहे हैं कि अभी कुछ ही दिन पहले तो 2021 शुरू हुआ था ? लगता ही नहीं कि जनवरी का पूरा महीना बीत गया है - समय की गति इसी को तो कहते हैं | कुछ दिन पहले की ही तो बात लगती है जब हम एक दूसरे को शुभकमनाएं दे रहे थे, फिर हमने लोहड़ी मनाई, मकर संक्रांति मनाई, पोंगल, बिहु मनाया | देश के अलग-अलग हिस्सों में त्योहारों की धूम रही | 23 जनवरी को हमने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन को ‘पराक्रम दिवस’ के तौर पर मनाया और 26 जनवरी को ‘गणतन्त्र दिवस’ की शानदार परेड भी देखी | राष्ट्रपति जी द्वारा संसद के संयुक्त सत्र को सम्बोधन के बाद ‘बजट सत्र’ भी शुरू हो गया है | इन सभी के बीच एक और कार्य हुआ, जिसका हम सभी को बहुत इंतजार रहता है - ये है पद्म पुरस्कारों की घोषणा | राष्ट्र ने असाधारण कार्य कर रहे लोगों को उनकी उपलब्धियाँ और मानवता के प्रति उनके योगदान के लिए सम्मानित किया | इस साल भी, पुरस्कार पाने वालों में, वे लोग शामिल हैं, जिन्होंने, अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतरीन काम किया है, अपने कामों से किसी का जीवन बदला है, देश को आगे बढ़ाया है | यानी, जमीनी स्तर पर काम करने वाले Unsung Heroes को पद्म सम्मान देने की जो परंपरा देश ने कुछ वर्ष पहले शुरू की थी, वो, इस बार भी कायम रखी गई है | मेरा आप सभी से आग्रह है, कि, इन लोगों के बारे में, उनके योगदान के बारे में जरुर जानें, परिवार में, उनके बारे में, चर्चा करें | देखिएगा, सबको इससे कितनी प्रेरणा मिलती है |
इस महीने, क्रिकेट पिच से भी बहुत अच्छी खबर मिली | हमारी क्रिकेट टीम ने शुरुआती दिक्कतों के बाद, शानदार वापसी करते हुए ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीती | हमारे खिलाड़ियों का hard work और teamwork प्रेरित करने वाला है | इन सबके बीच, दिल्ली में, 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देख, देश, बहुत दुखी भी हुआ | हमें आने वाले समय को नई आशा और नवीनता से भरना है | हमने पिछले साल असाधारण संयम और साहस का परिचय दिया | इस साल भी हमें कड़ी मेहनत करके अपने संकल्पों को सिद्ध करना है | अपने देश को, और तेज गति से, आगे ले जाना है |
मेरे प्यारे देशवासियो, इस साल की शुरुआत के साथ ही कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई को भी करीब-करीब एक साल पूरा हो गया है | जैसे कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई एक उदाहरण बनी है, वैसे ही, अब, हमारा Vaccination programme भी, दुनिया में, एक मिसाल बन रहा है | आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा Covid vaccine programme चला रहा है | आप जानते हैं, और भी ज्यादा गर्व की बात क्या है ? हम सबसे बड़े Vaccine programme के साथ ही दुनिया में सबसे तेज गति से अपने नागरिकों का Vaccination भी कर रहे हैं | सिर्फ 15 दिन में, भारत, अपने 30 लाख से ज्यादा, corona warrior का टीकाकरण कर चुका है, जबकि, अमेरिका जैसे समृद्ध देश को, इसी काम में, 18 दिन लगे थे और ब्रिटेन को 36 दिन |
साथियो, ‘Made-in-India Vaccine’, आज, भारत की आत्मनिर्भरता का तो प्रतीक है ही, भारत के, आत्मगौरव का भी प्रतीक है | NaMo App पर यू.पी. से भाई हिमांशु यादव ने लिखा है कि ‘Made-in-India Vaccine’ से मन में एक नया आत्मविश्वास आ गया है | मदुरै से कीर्ति जी लिखती हैं, कि उनके कई विदेशी दोस्त, उनको, message मैसेज भेजकर भारत का शुक्रिया अदा कर रहे हैं | कीर्ति जी के दोस्तों ने उन्हें लिखा है कि भारत ने जिस तरह कोरोना से लड़ाई में दुनिया की मदद की है, उससे भारत के बारे में, उनके मन में, इज्जत और भी बढ़ गई है | कीर्ति जी, देश का ये गौरवगान सुनकर, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को भी गर्व होता है | आजकल मुझे भी अलग-अलग देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्रियों की तरफ से भारत के लिए ऐसे ही संदेश मिलते हैं | आपने भी देखा होगा, अभी, ब्राज़ील के राष्ट्रपति ने, ट्वीट करके जिस तरह से भारत को धन्यवाद दिया है, वो देखकर हर भारतीय को कितना अच्छा लगा | हजारों किलोमीटर दूर, दुनिया के दूर-सुदूर कोने के निवासियों को, रामायण के उस प्रसंग की इतनी गहरी जानकारी है, उनके मन पर गहरा प्रभाव है - ये हमारी संस्कृति की विशेषता है |
साथियो, इस Vaccination कार्यक्रम में, आपने, एक और बात पर अवश्य ध्यान दिया होगा | संकट के समय में भारत, दुनिया की सेवा इसलिए कर पा रहा है, क्योंकि, भारत, आज, दवाओं और Vaccine को लेकर सक्षम है, आत्मनिर्भर है | यही सोच आत्मनिर्भर भारत अभियान की भी है | भारत, जितना सक्षम होगा, उतनी ही अधिक मानवता की सेवा करेगा, उतना ही अधिक लाभ दुनिया को होगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, हर बार आपके ढेर सारे पत्र मिलते है, NaMo App और Mygov पर आपके messages, phone calls के माध्यम से आपकी बातें जानने का अवसर मिलता है | इन्हीं संदेशों में एक ऐसा भी संदेश है, जिसने, मेरा ध्यान खींचा - ये संदेश है, बहन प्रियंका पांडेय जी का | 23 साल की बेटी प्रियंका जी, हिन्दी साहित्य की विद्यार्थिनी हैं, और, बिहार के सीवान में रहती हैं | प्रियंका जी ने NaMo App पर लिखा है, कि वो, देश के 15 घरेलू पर्यटन स्थलों पर जाने के मेरे सुझाव से बहुत प्रेरित हुईं थीं, इसलिए, एक जनवरी को वो एक जगह के लिए निकलीं, जो बहुत खास थी | वे जगह थी, उनके घर से 15 किलोमीटर दूर, देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी का पैतृक निवास | प्रियंका जी ने बड़ी सुंदर बात लिखी है कि अपने देश की महान विभूतियों को जानने की दिशा में उनका ये पहला कदम था | प्रियंका जी को वहाँ डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी द्वारा लिखी गई पुस्तकें मिलीं, अनेक ऐतिहासिक तस्वीरें मिलीं | वाकई, प्रियंका जी आपका यह अनुभव, दूसरों को भी, प्रेरित करेगा |
साथियो, इस वर्ष से भारत, अपनी आजादी के, 75 वर्ष का समारोह – अमृत महोत्सव शुरू करने जा रहा है | ऐसे में यह हमारे उन महानायकों से जुड़ी स्थानीय जगहों का पता लगाने का बेहतरीन समय है, जिनकी वजह से हमें आजादी मिली |
साथियो, हम आजादी के आंदोलन और बिहार की बात कर रहें हैं, तो, मैं, NaMo App पर ही की गई एक और टिपण्णी की भी चर्चा करना चाहूँगा | मुंगेर के रहने वाले जयराम विप्लव जी ने मुझे तारापुर शहीद दिवस के बारे में लिखा है | 15 फरवरी, Nineteen thirty two, 1932 को, देशभक्तों की एक टोली के कई वीर नौजवानों की अंग्रेजों ने बड़ी ही निर्ममता से हत्या कर दी थी | उनका एकमात्र अपराध यह था कि वे ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माँ की जय’ के नारे लगा रहे थे | मैं उन शहीदों को नमन करता हूँ और उनके साहस का श्रद्धापूर्वक स्मरण करता हूँ | मैं जयराम विप्लव जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ | वे, एक ऐसी घटना को देश के सामने लेकर आए, जिस पर उतनी चर्चा नहीं हो पाई, जितनी होनी चाहिए थी |
मेरे प्यारे देशवासियो, भारत के हर हिस्से में, हर शहर, कस्बे और गाँव में आजादी की लड़ाई पूरी ताकत के साथ लड़ी गई थी | भारत भूमि के हर कोने में ऐसे महान सपूतों और वीरांगनाओं ने जन्म लिया, जिन्होंने, राष्ट्र के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया, ऐसे में, यह, बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे लिए किए गए उनके संघर्षों और उनसे जुड़ी यादों को हम संजोकर रखें और इसके लिए उनके बारे में लिख कर हम अपनी भावी पीढ़ियों के लिए उनकी स्मृतियों को जीवित रख सकते हैं | मैं, सभी देशवासियों को और खासकर के अपने युवा साथियों को आह्वान करता हूं कि वे देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में, आजादी से जुड़ी घटनाओं के बारे में लिखें | अपने इलाके में स्वतंत्रता संग्राम के दौर की वीरता की गाथाओं के बारे में किताबें लिखें | अब, जबकि, भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष मनायेगा, तो आपका लेखन आजादी के नायकों के प्रति उत्तम श्रद्दांजलि होगी | Young Writers के लिए India Seventy Five के निमित्त एक initiative शुरू किया जा रहा है | इससे सभी राज्यों और भाषाओं के युवा लेखकों को प्रोत्साहन मिलेगा | देश में बड़ी संख्या में ऐसे विषयों पर लिखने वाले writers तैयार होंगे, जिनका भारतीय विरासत और संस्कृति पर गहन अध्ययन होगा | हमें ऐसी उभरती प्रतिभाओं की पूरी मदद करनी है | इससे भविष्य की दिशा निर्धारित करने वाले thought leaders का एक वर्ग भी तैयार होगा | मैं, अपने युवा मित्रों को इस पहल का हिस्सा बनने और अपने साहित्यिक कौशल का अधिक-से-अधिक उपयोग करने के लिए आमंत्रित करता हूँ | इससे जुड़ी जानकारियाँ शिक्षा मंत्रालय की website से प्राप्त कर सकते हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में श्रोताओं को क्या पसंद आता है, ये आप ही बेहतर जानते हैं | लेकिन मुझे ‘मन की बात’ में सबसे अच्छा ये लगता है कि मुझे बहुत कुछ जानने-सीखने और पढ़ने को मिलता है | एक प्रकार से, परोक्ष रूप से, आप सबसे, जुड़ने का अवसर मिलता है | किसी का प्रयास, किसी का जज़्बा, किसी का देश के लिए कुछ कर गुजर जाने का जुनून – यह सब, मुझे, बहुत प्रेरित करते है, ऊर्जा से भर देते हैं |
हैदराबाद के बोयिनपल्ली में, एक स्थानीय सब्जी मंडी, किस तरह, अपने दायित्व को निभा रही है, ये पढ़कर भी मुझे बहुत अच्छा लगा | हम सबने देखा है कि सब्जी मंडियों में अनेक वजहों से काफी सब्जी खराब हो जाती है | ये सब्जी इधर-उधर फैलती है, गंदगी भी फैलाती हैं लेकिन, बोयिनपल्ली की सब्जी मंडी ने तय किया कि, हर रोज बचने वाली इन सब्जियों को ऐसे ही फेंका नहीं जाएगा | सब्जी मंडी से जुड़े लोगों ने तय किया, इससे, बिजली बनाई जाएगी | बेकार हुई सब्जियों से बिजली बनाने के बारे में शायद ही आपने कभी सुना हो - यही तो innovation की ताकत है | आज बोयिनपल्ली की मंडी में पहले जो waste था, आज उसी से wealth create हो रही है - यही तो कचरे से कंचन बनाने की यात्रा है | वहाँ हर दिन करीब 10 टन waste निकलता है, इसे एक प्लांट में इकठ्ठा कर लिया जाता है | Plant के अंदर इस waste से हर दिन 500 यूनिट बिजली बनती है, और करीब 30 किलो bio fuel भी बनता है | इस बिजली से ही सब्जी मंडी में रोशनी होती है, और, जो, bio fuel बनता है, उससे, मंडी की कैंटीन में खाना बनाया जाता है - है न कमाल का प्रयास!
ऐसा ही एक कमाल, हरियाणा के पंचकुला की बड़ौत ग्राम पंचायत ने भी करके दिखाया है | इस पंचायत के क्षेत्र में पानी की निकासी की समस्या थी | इस वजह से गंदा पानी इधर-उधर फैल रहा था, बीमारी फैलाता था, लेकिन, बड़ौत के लोगों ने तय किया कि इस water waste से भी wealth create करेंगे | ग्राम पंचायत ने पूरे गाँव से आने वाले गंदे पानी को एक जगह इकठ्ठा करके filter करना शुरू किया, और filter किया हुआ ये पानी, अब गाँव के किसान, खेतों में सिंचाई के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, यानी, प्रदूषण, गंदगी और बीमारियों से छुटकारा भी, और खेतों में सिंचाई भी |
साथियो, पर्यावरण की रक्षा से कैसे आमदनी के रास्ते भी खुलते हैं, इसका एक उदाहरण अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भी देखने को मिला | अरुणाचल प्रदेश के इस पहाड़ी इलाके में सदियों से ‘मोन शुगु’ नाम का एक पेपर बनाया जाता है | ये कागज यहाँ के स्थानीय शुगु शेंग नाम के एक पौधे की छाल से बनाते हैं, इसलिए, इस कागज को बनाने के लिए पेड़ों को नहीं काटना पड़ता है | इसके अलावा, इसे बनाने में किसी chemical का इस्तेमाल भी नहीं होता है, यानी, ये कागज पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है, और स्वास्थ्य के लिए भी | एक वो भी समय था, जब, इस कागज का निर्यात होता था, लेकिन, जब आधुनिक तकनीक से बड़ी मात्रा में कागज बनने लगे, तो, ये स्थानीय कला, बंद होने की कगार पर पहुँच गई | अब एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता गोम्बू ने इस कला को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है, इससे, यहाँ के आदिवासी भाई-बहनों को रोजगार भी मिल रहा है |
मैंने एक और खबर केरल की देखी है, जो, हम सभी को अपने दायित्वों का एहसास कराती है | केरल के कोट्टयम में एक दिव्यांग बुजुर्ग हैं - एन.एस. राजप्पन साहब | राजप्पन जी paralysis के कारण चलने में असमर्थ हैं, लेकिन इससे, स्वच्छता के प्रति उनके समर्पण में कोई कमी नहीं आई है | वो, पिछले कई सालों से नाव से वेम्बनाड झील में जाते हैं और झील में फेंकी गई प्लास्टिक की बोतलें बाहर निकाल करके ले आते हैं | सोचिये, राजप्पन जी की सोच कितनी ऊँची है | हमें भी, राजप्पन जी से प्रेरणा लेकर, स्वच्छता के लिए, जहां संभव हो, अपना योगदान देना चाहिए |
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन पहले आपने देखा होगा, अमेरिका के San Francisco से बैंगलुरू के लिए एक non-stop flight की कमान भारत की चार women pilots ने संभाली | दस हजार किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा सफ़र तय करके ये flight सवा दो-सौ से अधिक यात्रियों को भारत लेकर आई | आपने इस बार 26 जनवरी की परेड में भी गौर किया होगा, जहां, भारतीय वायुसेना की दो women officers ने नया इतिहास रच दिया है | क्षेत्र कोई भी हो, देश की महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, लेकिन, अक्सर हम देखते हैं, कि, देश के गाँवों में हो रहे इसी तरह के बदलाव की उतनी चर्चा नहीं हो पाती, इसलिए, जब मैंने एक खबर मध्य प्रदेश के जबलपुर की देखी, तो मुझे लगा कि इसका जिक्र तो मुझे ‘मन की बात’ में जरुर करना चाहिए | ये खबर बहुत प्रेरणा देने वाली है | जबलपुर के चिचगांव में कुछ आदिवासी महिलाएं एक rice mill में दिहाड़ी पर काम करती थीं | कोरोना वैश्विक महामारी ने जिस तरह दुनिया के हर व्यक्ति को प्रभावित किया, उसी तरह, ये महिलाएं भी प्रभावित हुईं | उनकी rice mill में काम रुक गया | स्वाभाविक है कि इससे आमदनी की भी दिक्कत आने लगी, लेकिन ये निराश नहीं हुईं, इन्होंने, हार नहीं मानी | इन्होंने तय किया, कि, ये साथ मिलकर अपनी खुद की rice mill शुरू करेंगी | जिस मिल में ये काम करती थीं, वो अपनी मशीन भी बेचना चाहती थी | इनमें से मीना राहंगडाले जी ने सब महिलाओं को जोड़कर ‘स्वयं सहायता समूह’ बनाया, और सबने अपनी बचाई हुई पूंजी से पैसा जुटाया, | जो पैसा कम पड़ा, उसके लिए ‘आजीविका मिशन’ के तहत बैंक से कर्ज ले लिया, और अब देखिये, इन आदिवासी बहनों ने वही rice mill खरीद ली, जिसमें वो कभी काम किया करती थीं | आज वो अपनी खुद की rice mill चला रही हैं | इतने ही दिनों में इस mill ने करीब तीन लाख रूपये का मुनाफ़ा भी कमा लिया है | इस मुनाफे से मीना जी और उनकी साथी, सबसे पहले, बैंक का लोन चुकाने और फिर अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए तैयारी कर रही हैं | कोरोना ने जो परिस्थितियां बनाईं, उससे मुकाबले के लिए देश के कोने-कोने में ऐसे अद्भुत काम हुए हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, अगर मैं आपसे बुदेलखंड के बारे में बात करूँ तो वो कौन सी चीजें हैं, जो आपके मन में आएंगी! इतिहास में रूचि रखने वाले लोग इस क्षेत्र को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ जोड़ेंगे | वहीँ, कुछ लोग सुन्दर और शांत ‘ओरछा’ के बारे में सोचेंगे | कुछ लोगों को इस क्षेत्र में पड़ने वाली अत्यधिक गर्मी की भी याद आ जाएगी, लेकिन, इन दिनों, यहाँ, कुछ अलग हो रहा है, जो, काफी उत्साहवर्धक है, और जिसके बारे में, हमें, जरुर जानना चाहिए | पिछले दिनों झांसी में एक महीने तक चलने वाला ‘Strawberry Festival’ शुरू हुआ | हर किसी को आश्चर्य होता है – Strawberry और बुंदेलखंड! लेकिन, यही सच्चाई है | अब बुंदेलखंड में Strawberry की खेती को लेकर उत्साह बढ़ रहा है, और, इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभाई है, झाँसी की एक बेटी – गुरलीन चावला ने | law की छात्रा गुरलीन ने पहले अपने घर पर और फिर अपने खेत में Strawberry की खेती का सफल प्रयोग कर ये विश्वास जगाया है कि झाँसी में भी ये हो सकता है | झाँसी का ‘Strawberry festival’ Stay At Home concept पर जोर देता है | इस महोत्सव के माध्यम से किसानों और युवाओं को अपने घर के पीछे खाली जगह पर, या छत पर Terrace Garden में बागवानी करने और strawberries उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है | नई technology की मदद से ऐसे ही प्रयास देश के अन्य हिस्सों में भी हो रहे हैं, जो Strawberry, कभी, पहाड़ों की पहचान थी, वो अब, कच्छ की रेतीली जमीन पर भी होने लगी है, किसानों की आय बढ़ रही है |
साथियो, Strawberry Festival जैसे प्रयोग Innovation की Spirit को तो प्रदर्शित करते ही हैं, साथ ही यह भी दिखाते हैं, कि, हमारे देश का कृषि क्षेत्र, कैसे, नई technology को अपना रहा है |
साथियो, खेती को आधुनिक बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और अनेक कदम उठा भी रही है | सरकार के प्रयास आगे भी जारी रहेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ ही दिन पहले मैंने एक वीडियो देखा | वह वीडियो पश्चिम बंगाल के वेस्ट मिदनापुर स्थित ‘नया पिंगला’ गाँव के एक चित्रकार सरमुद्दीन का था | वो प्रसन्नता व्यक्त कर रहे थे कि रामायण पर बनाई उनकी painting दो लाख रुपये में बिकी है | इससे उनके गांववालों को भी काफी खुशी मिली है | इस वीडियो को देखने के बाद मुझे इसके बारे में और अधिक जानने की उत्सुकता हुई | इसी क्रम में मुझे पश्चिम बंगाल से जुड़ी एक बहुत अच्छी पहल के बारे में जानकारी मिली, जिसे, मैं, आपसे साथ जरुर साझा करना चाहूंगा | पर्यटन मंत्रालय के regional office ने महीने के शुरू में ही बंगाल के गाँवों में एक ‘Incredible India Weekend Gateway’ की शुरुआत की | इसमें पश्चिम मिदनापुर, बांकुरा, बीरभूम, पुरुलिया, पूर्व बर्धमान, वहाँ के हस्तशिल्प कलाकारों ने visitors के लिये Handicraft Workshop आयोजित की | मुझे यह भी बताया गया कि Incredible India Weekend Getaways के दौरान handicrafts की जो कुल बिक्री हुई, वो हस्त शिल्पकारों को बेहद प्रोत्साहित करने वाली है | देशभर में लोग भी नए-नए तरीकों से हमारी कला को लोकप्रिय बना रहे हैं | ओडिशा के राउरकेला की भाग्यश्री साहू को देख लीजिए | वैसे तो वे Engineering की छात्रा हैं, लेकिन, पिछले कुछ महीनों में उन्होंने पट्टचित्र कला को सीखना शुरू किया और उसमें निपुणता हासिल कर ली है | लेकिन, क्या आप जानते हैं, कि, उन्होंने paint कहाँ किया - Soft Stones! Soft Stones पर| कॉलेज जाने के रास्ते में भाग्यश्री को ये Soft Stones मिले, उन्होंने, इन्हें एकत्र किया और साफ़ किया | बाद में, उन्होंने, रोजाना दो घंटे इन पत्थरों पर पट्टचित्र style में painting की | वह, इन पत्थरों को paint कर, उन्हें अपने दोस्तों को gift करने लगीं | लॉकडाउन के दौरान उन्होंने बोतलों पर भी paint करना शुरू कर दिया | अब तो वो इस Art पर workshops भी आयोजित करती हैं | कुछ दिन पहले ही, सुभाष बाबू की जयन्ती पर, भाग्यश्री ने, पत्थर पर ही, उन्हें, अनोखी श्रद्धांजलि दी | मैं, भविष्य के उनके प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूँ | Art and Colors के जरिए बहुत कुछ नया सीखा जा सकता है, किया जा सकता है | झारखण्ड के दुमका में किए गए एक ऐसे ही अनुपम प्रयास के बारे में मुझे बताया गया | यहाँ, Middle School के एक Principal ने बच्चों को पढ़ाने और सिखाने के लिए गाँव की दीवारों को ही अंग्रेजी और हिंदी के अक्षरों से paint करवा दिया, साथ ही, उसमें, अलग-अलग चित्र भी बनाए गए हैं, इससे, गाँव के बच्चों को काफी मदद मिल रही है | मैं, ऐसे सभी लोगों का अभिनन्दन करता हूँ, जो, इस प्रकार के प्रयासों में लगे हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, भारत से हजारों किलोमीटर दूर, कई महासागरों, महाद्वीपों के पार एक देश है, जिसका नाम है Chile | भारत से Chile पहुँचने में बहुत अधिक समय लगता है, लेकिन, भारतीय संस्कृति की खुशबू, वहाँ बहुत समय पहले से ही फैली हुई है | एक और खास बात ये है, कि, वहाँ पर योग बहुत अधिक लोकप्रिय है | आपको यह जानकार अच्छा लगेगा कि Chile की राजधानी Santiago में 30 से ज्यादा योग विद्यालय हैं | Chile में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस भी बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है | मुझे बताया गया है कि House of Deputies में योग दिवस को लेकर बहुत ही गर्मजोशी भरा माहौल होता है | कोरोना के इस समय में immunity पर ज़ोर, और immunity बढ़ाने में, योग की ताकत को देखते हुए, अब वे लोग योग को पहले से कहीं ज्यादा महत्व दे रहे हैं | Chile की कांग्रेस, यानी वहाँ की Parliament ने एक प्रस्ताव पारित किया है | वहाँ, 4 नवम्बर को National Yoga Day घोषित किया गया है | अब आप ये सोच सकते हैं कि आखिर 4 नवम्बर में ऐसा क्या है ? 4 नवम्बर 1962 को ही Chile का पहला योग संस्थान होज़े राफ़ाल एस्ट्राडा द्वारा स्थापित किया था | इस दिन को National Yoga Day घोषित करके Estrada जी को भी श्रद्धांजलि दी गई है | Chile की Parliament द्वारा यह एक विशेष सम्मान है, जिस पर हर भारतीय को गर्व है | वैसे, Chile की संसद से जुड़ी एक और बात आपको दिलचस्प लगेगी | Chile Senate के Vice President का नाम रबिंद्रनाथ क्विन्टेरॉस है | उनका यह नाम विश्व कवि गुरुदेव टैगोर से प्रेरित होकर रखा गया है |
मेरे प्यारे देशवासियो, MyGov पर, महाराष्ट्र के जालना के डॉ. स्वप्निल मंत्री और केरल के पलक्कड़ के प्रहलाद राजगोपालन ने आग्रह किया है कि मैं ‘मन की बात’ में सड़क सुरक्षा पर भी आपसे बात करूँ | इसी महीने 18 जनवरी से 17 फरवरी तक, हमारा देश ‘सड़क सुरक्षा माह’ यानि ‘Road Safety Month’ भी मना रहा है| सड़क हादसे आज हमारे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में चिंता का विषय हैं | आज भारत में Road Safety के लिए सरकार के साथ ही व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर कई तरह के प्रयास भी किये जा रहे हैं | जीवन बचाने के इन प्रयासों में हम सबको सक्रिय रूप से भागीदार बनना चाहिए |
साथियो, आपने ध्यान दिया होगा, Border Road Organisation जो सड़कें बनाती है, उससे गुजरते हुए आपको बड़े ही innovative slogans देखने को मिलते हैं | ‘This is highway not runway’ या फिर ‘Be Mr. Late than Late Mr.’ ये slogans सड़क पर सावधानी बरतने को लेकर लोगों को जागरूक करने में काफी प्रभावी होते हैं | अब आप भी ऐसे ही innovative slogans या catch phrases, MyGov पर भेज सकते हैं | आपके अच्छे slogans भी इस अभियान में उपयोग किए जायेंगे |
साथियो, Road Safety के बारे में बात करते हुए, मैं NaMo App पर कोलकाता की अपर्णा दास जी की एक पोस्ट की चर्चा करना चाहूँगा | अपर्णा जी ने मुझे ‘FASTag’ Programme पर बात करने की सलाह दी है | उनका कहना है कि ‘FASTag’ से यात्रा का अनुभव ही बदल गया है | इससे समय की तो बचत होती ही है, Toll Plaza पर रुकने, cash payment की चिंता करने जैसी दिक्कतें भी खत्म हो गई हैं | अपर्णा जी की बात सही भी है | पहले हमारे यहाँ Toll Plaza पर एक गाड़ी को औसतन 7 से 8 मिनट लग जाते थे, लेकिन ‘FASTag’ आने के बाद, ये समय, औसतन सिर्फ डेढ़-दो मिनट रह गया है | Toll Plaza पर waiting time में कमी आने से गाड़ी के ईंधन की बचत भी हो रही है | इससे देशवासियों के करीब 21 हजार करोड़ रूपए बचने का अनुमान है, यानी पैसे की भी बचत, और समय की भी बचत | मेरा आप सभी से आग्रह है कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, अपना भी ध्यान रखें और दूसरों का जीवन भी बचाएं |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे यहाँ कहा जाता है – “जलबिंदु निपातेन क्रमशः पूर्यते घटः” | अर्थात् एक एक बूँद से ही घड़ा भरता है | हमारे एक-एक प्रयास से ही हमारे संकल्प सिद्ध होते हैं | इसलिए, 2021 की शुरुआत जिन लक्ष्यों के साथ हमने की है, उनको, हम सबको मिलकर ही पूरा करना है तो आइए, हम सब मिलकर इस साल को सार्थक करने के लिए अपने अपने कदम बढ़ाएं | आप अपना सन्देश, अपने ideas जरुर भेजते रहिएगा | अगले महीने हम फिर मिलेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | आज 27 दिसम्बर है | चार दिन बाद ही 2021 की शुरुआत होने जा रही है | आज की ‘मन की बात’ एक प्रकार से 2020 की आख़िरी ‘मन की बात’ है | अगली ‘मन की बात’ 2021 में प्रारम्भ होगी | साथियो, मेरे सामने आपकी लिखी ढ़ेर सारी चिट्ठियाँ हैं | Mygov पर जो आप सुझाव भेजते हैं, वो भी मेरे सामने हैं | कितने ही लोगों ने फ़ोन करके अपनी बात बताई है | ज्यादातर संदेशों में, बीते हुए वर्ष के अनुभव, और, 2021 से जुड़े संकल्प हैं | कोल्हापुर से अंजलि जी ने लिखा है, कि नए साल पर, हम, दूसरों को बधाई देते हैं, शुभकामनाएं देते हैं, तो इस बार हम एक नया काम करें | क्यों न हम, अपने देश को बधाई दें, देश को भी शुभकामनाएं दें | अंजलि जी, वाकई, बहुत ही अच्छा विचार है | हमारा देश, 2021 में, सफलताओं के नए शिखर छुएँ, दुनिया में भारत की पहचान और सशक्त हो, इसकी कामना से बड़ा और क्या हो सकता है |
साथियो, NamoApp पर मुम्बई के अभिषेक जी ने एक message पोस्ट किया है | उन्होंने लिखा है कि 2020 ने जो-जो दिखा दिया, जो-जो सिखा दिया, वो कभी सोचा ही नहीं था | कोरोना से जुड़ी तमाम बातें उन्होंने लिखी हैं | इन चिट्ठियों में, इन संदेशों में, मुझे, एक बात जो common नजर आ रही है, ख़ास नजर आ रही है, वो मैं आज आपसे share करना चाहूँगा | अधिकतर पत्रों में लोगों ने देश के सामर्थ्य, देशवासियों की सामूहिक शक्ति की भरपूर प्रशंसा की है | जब जनता कर्फ्यू जैसा अभिनव प्रयोग, पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बना, जब, ताली-थाली बजाकर देश ने हमारे कोरोना वारियर्स का सम्मान किया था, एकजुटता दिखाई थी, उसे भी, कई लोगों ने याद किया है |
साथियो, देश के सामान्य से सामान्य मानवी ने इस बदलाव को महसूस किया है | मैंने, देश में आशा का एक अद्भुत प्रवाह भी देखा है | चुनौतियाँ खूब आईं | संकट भी अनेक आए | कोरोना के कारण दुनिया में supply chain को लेकर अनेक बाधाएं भी आईं, लेकिन, हमने हर संकट से नए सबक लिए | देश में नया सामर्थ्य भी पैदा हुआ | अगर शब्दों में कहना है, तो इस सामर्थ्य का नाम है ‘आत्मनिर्भरता’ |
साथियो, दिल्ली में रहने वाले अभिनव बैनर्जी ने अपना जो अनुभव मुझे लिखकर भेजा है वो भी बहुत दिलचस्प है | अभिनव जी को अपनी रिश्तेदारी में, बच्चों को gift देने के लिए कुछ खिलौने खरीदने थे इसलिए, वो, दिल्ली की झंडेवालान मार्किट गए थे | आप में से बहुत लोग जानते ही होंगे, ये मार्केट दिल्ली में साइकिल और खिलौनों के लिए जाना जाता है | पहले वहां महंगे खिलौनों का मतलब भी imported खिलौने होता था, और, सस्ते खिलौने भी बाहर से आते थे | लेकिन, अभिनव जी ने चिट्ठी में लिखा है, कि, अब वहां के कई दुकानदार, customers को, ये बोल-बोलकर toys बेच रहे हैं, कि अच्छे वाला toy है, क्योंकि ये भारत में बना है ‘Made in India’ है | Customers भी, India made toys की ही माँग कर रहे हैं | यही तो है, ये एक सोच में कितना बड़ा परिवर्तन - यह तो जीता-जागता सबूत है | देशवासियों की सोच में कितना बड़ा परिवर्तन आ रहा है, और वो भी एक साल के भीतर-भीतर | इस परिवर्तन को आंकना आसान नहीं है | अर्थशास्त्री भी, इसे, अपने पैमानों पर तौल नहीं सकते |
साथियो, मुझे विशाखापत्तनम से वेंकट मुरलीप्रसाद जी ने जो लिखा है, उसमें भी एक अलग ही तरह का idea है | वेंकट जी ने लिखा है, मैं, आपको, twenty, twenty one के लिए, दो हजार इक्कीस के लिए, अपना ABC attach कर रहा हूँ | मुझे कुछ समझ में नहीं आया, कि आखिर ABC से उनका क्या मतलब है | तब मैंने देखा कि वेंकट जी ने चिट्ठी के साथ एक चार्ट भी attach कर रखा है | मैंने वो चार्ट देखा, और फिर समझा कि ABC का उनका मतलब है – आत्मनिर्भर भारत चार्ट ABC | यह बहुत ही दिलचस्प है | वेंकट जी ने उन सभी चीजों की पूरी list बनायी है, जिन्हें वो प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं | इसमें electronics, stationery, self care items उसके अलावा और भी बहुत कुछ शामिल हैं | वेंकट जी ने कहा है, कि, हम जाने-अनजाने में, उन विदेशी products का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनके विकल्प भारत में आसानी से उपलब्ध हैं | अब उन्होंने कसम खाई है कि मैं उसी product का इस्तेमाल करूंगा, जिनमें हमारे देशवासियों की मेहनत और पसीना लगा हो |
साथियो, लेकिन, इसके साथ ही उन्होंने कुछ और भी ऐसा कहा है, जो मुझे काफी रोचक लगा है | उन्होंने लिखा है कि हम आत्मनिर्भर भारत का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन हमारे manufacturers, उनके लिए भी, साफ़ सन्देश होना चाहिए, कि, वे products की quality से कोई समझौता न करें | बात तो सही है | Zero effect, zero defect की सोच के साथ काम करने का ये उचित समय है | मैं देश के manufacturers और industry leaders से आग्रह करता हूँ: देश के लोगों ने मजबूत कदम उठाया है, मजबूत कदम आगे बढ़ाया है | Vocal for local ये आज घर-घर में गूँज रहा है | ऐसे में, अब, यह सुनिश्चित करने का समय है, कि, हमारे products विश्वस्तरीय हों | जो भी Global best है, वो हम भारत में बनाकर दिखायें | इसके लिए हमारे उद्यमी साथियों को आगे आना है | Start-ups को भी आगे आना है | एक बार फिर मैं वेंकट जी को उनके बेहतरीन प्रयास के लिए बधाई देता हूँ |
साथियो, हमें इस भावना को बनाये रखना है, बचाए रखना है, और बढ़ाते ही रहना है | मैंने, पहले भी कहा है, और फिर मैं, देशवासियों से आग्रह करूंगा | आप भी एक सूची बनायें | दिन-भर हम जो चीजें काम में लेते, उन सभी चीजों की विवेचना करें और ये देखें, कि अनजाने में कौन सी, विदेश में बनी चीजों ने हमारे जीवन में प्रवेश कर लिया है | एक प्रकार से, हमें, बन्दी बना दिया है | इनके, भारत में बने विकल्पों का पता करें, और, ये भी तय करें, कि आगे से भारत में बने, भारत के लोगों के मेहनत से पसीने से बने उत्पादों का हम इस्तेमाल करें | आप हर साल new year resolutions लेते हैं, इस बार एक resolution अपने देश के लिए भी जरुर लेना है |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश में आतताइयों से, अत्याचारियों से, देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति, सभ्यता, हमारे रीति-रिवाज को बचाने के लिए, कितने बड़े बलिदान दिए गए हैं, आज उन्हें याद करने का भी दिन है | आज के ही दिन गुरु गोविंद जी के पुत्रों, साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था | अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपनी आस्था छोड़ दें, महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें | लेकिन, हमारे साहिबजादों ने इतनी कम उम्र में भी गजब का साहस दिखाया, इच्छाशक्ति दिखाई | दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊँची होती रही, मौत सामने मंडरा रही थी, लेकिन, फिर भी वो टस-से-मस नहीं हुए | आज ही के दिन गुरु गोविंद सिंह जी की माता जी – माता गुजरी ने भी शहादत दी थी | करीब एक सप्ताह पहले, श्री गुरु तेग बहादुर जी की भी शहादत का दिन था | मुझे, यहाँ दिल्ली में, गुरुद्वारा रकाबगंज जाकर, गुरु तेग बहादुर जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने का, मत्था टेकने का अवसर मिला | इसी महीने, श्री गुरु गोविंद सिंह जी से प्रेरित अनेक लोग जमीन पर सोते हैं | लोग, श्री गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार के लोगों के द्वारा दी गयी शहादत को बड़ी भावपूर्ण अवस्था में याद करते हैं | इस शहादत ने संपूर्ण मानवता को, देश को, नई सीख दी | इस शहादत ने, हमारी सभ्यता को सुरक्षित रखने का महान कार्य किया | हम सब इस शहादत के कर्जदार हैं | एक बार फिर मैं, श्री गुरु तेग बहादुर जी, माता गुजरी जी, गुरु गोविंद सिंह जी, और, चारों साहिबजादों की शहादत को, नमन करता हूं | ऐसी ही, अनेकों शहादतों ने भारत के आज के स्वरूप को बचाए रखा है, बनाए रखा है |
मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं एक ऐसी बात बताने जा रहा हूँ, जिससे आपको आनंद भी आएगा और गर्व भी होगा | भारत में Leopards यानी तेंदुओं की संख्या में, 2014 से 2018 के बीच, 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है | 2014 में, देश में, leopards की संख्या लगभग 7,900 थी, वहीँ 2019 में, इनकी संख्या बढ़कर 12,852 हो गयी | ये वही leopards हैं जिनके बारे में Jim Corbett ने कहा था: “जिन लोगों ने leopards को प्रकृति में स्वछन्द रूप से घूमते नहीं देखा, वो उसकी खूबसूरती की कल्पना ही नहीं कर सकते | उसके रंगों की सुन्दरता और उसकी चाल की मोहकता का अंदाज नहीं लगा सकते |” देश के अधिकतर राज्यों में, विशेषकर मध्य भारत में, तेंदुओं की संख्या बढ़ी है | तेंदुए की सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में, मध्यप्रदेश, कर्नाटका और महाराष्ट्र सबसे ऊपर हैं | यह एक बड़ी उपलब्धि है | तेंदुए, पूरी दुनिया में वर्षों से खतरों का सामना करते आ रहे हैं, दुनियाभर में उनके habitat को नुकसान हुआ है | ऐसे समय में, भारत ने तेंदुए की आबादी में लगातार बढ़ोतरी कर पूरे विश्व को एक रास्ता दिखाया है | आपको इन बातों की भी जानकारी होगी कि पिछले कुछ सालों में, भारत में शेरों की आबादी बढ़ी है, बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, साथ ही, भारतीय वनक्षेत्र में भी इजाफा हुआ है | इसकी वजह ये है कि सरकार ही नहीं बल्कि बहुत से लोग, civil society, कई संस्थाएँ भी, हमारे पेड़-पौधों और वन्यजीवों के संरक्षण में जुटी हुई हैं | वे सब बधाई के पात्र हैं |
साथियो, मैंने, तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक ह्रदयस्पर्शी प्रयास के बारे में पढ़ा | आपने भी social media पर इसके visuals देखे होंगे | हम सबने इंसानों वाली wheelchair देखी है, लेकिन, कोयंबटूर की एक बेटी गायत्री ने, अपने पिताजी के साथ, एक पीड़ित dog के लिए wheelchair बना दी | ये संवेदनशीलता, प्रेरणा देने वाली है, और, ये तभी हो सकता है, जब व्यक्ति हर जीव के प्रति, दया और करुणा से भरा हुआ हो | दिल्ली NCR और देश के दूसरे शहरों में ठिठुरती ठण्ड के बीच बेघर पशुओं की देखभाल के लिए कई लोग, बहुत कुछ कर रहे हैं | वे उन पशुओं के खाने-पीने और उनके लिए स्वेटर और बिस्तर तक का इंतजाम करते हैं | कुछ लोग तो ऐसे हैं, जो रोजाना सैकड़ों की संख्या में ऐसे पशुओं के लिए भोजन का इंतजाम करते हैं | ऐसे प्रयास की सराहना होनी चाहिये | कुछ इसी प्रकार के नेक प्रयास, उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में भी किये जा रहे हैं | वहाँ जेल में बंद कैदी, गायों को ठण्ड से बचाने के लिए, पुराने और फटे कम्बलों से cover बना रहे हैं | इन कम्बलों को कौशाम्बी समेत दूसरे ज़िलों की जेलों से एकत्र किया जाता है, और, फिर उन्हें सिलकर गौ-शाला भेज दिया जाता है | कौशाम्बी जेल के कैदी हर सप्ताह अनेकों cover तैयार कर रहे हैं | आइये, दूसरों की देखभाल के लिए सेवा-भाव से भरे इस प्रकार के प्रयासों को प्रोत्साहित करें | यह वास्तव में एक ऐसा सत्कार्य है, जो समाज की संवेदनाओं को सशक्त करता है |
मेरे प्यारे देशवासियो, अब जो पत्र मेरे सामने है, उसमें, दो बड़े फोटो हैं | ये फोटो एक मंदिर के हैं, और, before और after के हैं | इन फोटों के साथ जो पत्र है, उसमें युवाओं की एक ऐसी टीम के बारे में बताया गया है, जो खुद को युवा brigade कहती है | दरअसल, इस युवा brigade ने कर्नाटका में, श्रीरंगपट्न (Srirangapatna) के पास स्थित वीरभद्र स्वामी नाम के एक प्राचीन शिवमंदिर का कायाकल्प कर दिया | मंदिर में हर तरफ घास-फूस और झाड़ियाँ भरी हुई थीं, इतनी, कि, राहगीर भी नहीं बता सकते, कि, यहाँ एक मंदिर है | एक दिन, कुछ पर्यटकों ने इस भूले-बिसरे मंदिर का एक video social media पर post कर दिया | युवा brigade ने जब इस वीडियो को social media पर देखा तो उनसे रहा नहीं गया और फिर, इस टीम ने मिलजुल कर इसका जीर्णोद्धार करने का फैसला किया | उन्होंने मंदिर परिसर में उग आयी कंटीली झाड़ियाँ, घास और पौधों को हटाया | जहां मरम्मत और निर्माण की आवश्यकता थी, वो किया | उनके अच्छे काम को देखते हुए स्थानीय लोगों ने भी मदद के हाथ बढाए | किसी ने सीमेंट दिया तो किसी ने पेंट, ऐसी कई और चीजों के साथ लोगों ने अपना-अपना योगदान किया | ये सभी युवा कई अलग तरह के profession से जुड़े हुए हैं | ऐसे में इन्होंने weekends के दौरान समय निकाला और मंदिर के लिए कार्य किया | युवाओं ने मंदिर में दरवाजा लगवाने के साथ-साथ बिजली का connection भी लगवाया | इस प्रकार उन्होंने मंदिर के पुराने वैभव को फिर से स्थापित करने का काम किया | जुनून और दृढ़निश्चय ऐसी दो चीजें हैं जिनसे लोग हर लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं | जब मैं भारत के युवाओं को देखता हूँ तो खुद को आनंदित और आश्वस्त महसूस करता हूँ | आनंदित और आश्वस्त इसलिए, क्योंकि मेरे देश के युवाओं में ‘Can Do’ की Approach है और ‘Will Do’ की Spirit है | उनके लिए कोई भी चुनौती बड़ी नहीं है | कुछ भी उनकी पहुँच से दूर नहीं है | मैंने तमिलनाडु की एक टीचर के बारे में पढ़ा | उनका नाम Hemlata N.K है, जो विडुपुरम के एक स्कूल में दुनिया की सबसे पुरानी भाषा तमिल पढ़ाती हैं | कोविड 19 महामारी भी उनके अध्यापन के काम में आड़े नहीं आ पायी | हाँ ! उनके सामने चुनौतियाँ जरुर थीं, लेकिन, उन्होंने एक innovative रास्ता निकाला | उन्होंने, course के सभी 53 (तरेपन) chapters को record किया, animated video तैयार किये और इन्हें एक pen drive में लेकर अपने students को बाँट दिए | इससे, उनके students को बहुत मदद मिली, वो chapters को visually भी समझ पाए | इसके साथ ही, वे, अपने students से टेलीफोन पर भी बात करती रहीं | इससे students के लिये पढ़ाई काफी रोचक हो गयी | देशभर में कोरोना के इस समय में, टीचर्स ने जो innovative तरीके अपनाये, जो course material creatively तैयार किया है, वो online पढ़ाई के इस दौर में अमूल्य है | मेरा सभी टीचर्स से आग्रह है कि वो इन course material को शिक्षा मंत्रालय के दीक्षा पोर्टल पर जरुर upload करें | इससे देश के दूर-दराज वाले इलाकों में रह रहे छात्र-छात्राओं को काफी लाभ होगा |
साथियो, आइये अब बात करते हैं झारखण्ड की कोरवा जनजाति के हीरामन जी की | हीरामन जी, गढ़वा जिले के सिंजो गाँव में रहते हैं | आपको यह जानकार हैरानी होगी कि कोरवा जनजाति की आबादी महज़ 6,000 है, जो शहरों से दूर पहाड़ों और जंगलों में निवास करती है | अपने समुदाय की संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए हीरामन जी ने एक बीड़ा उठाया है | उन्होंने 12 साल के अथक परिश्रम के बाद विलुप्त होती, कोरवा भाषा का शब्दकोष तैयार किया है | उन्होंने इस शब्दकोष में, घर-गृहस्थी में प्रयोग होने वाले शब्दों से लेकर दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले कोरवा भाषा के ढेर सारे शब्दों को अर्थ के साथ लिखा है | कोरवा समुदाय के लिए हीरामन जी ने जो कर दिखाया है, वह, देश के लिए एक मिसाल है |
मेरे प्यारे देशवासियो, ऐसा कहते हैं कि अकबर के दरबार में एक प्रमुख सदस्य – अबुल फजल थे | उन्होंने एक बार कश्मीर की यात्रा के बाद कहा था कि कश्मीर में एक ऐसा नजारा है, जिसे देखकर चिड़चिड़े और गुस्सैल लोग भी खुशी से झूम उठेंगे | दरअसल, वे, कश्मीर में केसर के खेतों का उल्लेख कर थे | केसर, सदियों से कश्मीर से जुड़ा हुआ है | कश्मीरी केसर मुख्य रूप से पुलवामा, बडगाम और किश्तवाड़ जैसी जगहों पर उगाया जाता है | इसी साल मई में, कश्मीरी केसर को Geographical Indication Tag यानि GI Tag दिया गया | इसके जरिए, हम, कश्मीरी केसर को एक Globally Popular Brand बनाना चाहते हैं | कश्मीरी केसर वैश्विक स्तर पर एक ऐसे मसाले के रूप में प्रसिद्ध है, जिसके कई प्रकार के औषधीय गुण हैं | यह अत्यंत सुगन्धित होता है, इसका रंग गाढ़ा होता है और इसके धागे लंबे व मोटे होते हैं | जो इसकी Medicinal Value को बढ़ाते हैं | यह जम्मू और कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है | Quality की बात करें, तो, कश्मीर का केसर बहुत unique है और दूसरे देशों के केसर से बिलकुल अलग है | कश्मीर के केसर को GI Tag Recognition से एक अलग पहचान मिली है | आपको यह जानकर खुशी होगी कि कश्मीरी केसर को GI Tag का सर्टिफिकेट मिलने के बाद दुबई के एक सुपर मार्किट में इसे launch किया गया | अब इसका निर्यात बढ़ने लगेगा | यह आत्मनिर्भर भारत बनाने के हमारे प्रयासों को और मजबूती देगा | केसर के किसानों को इससे विशेष रूप से लाभ होगा | पुलवामा में त्राल के शार इलाके के रहने वाले अब्दुल मजीद वानी को ही देख लीजिए | वह अपने GI Tagged केसर को National Saffron Mission की मदद से पम्पोर के Trading Centre में E-Trading के जरिए बेच रहे हैं | इसके जैसे कई लोग कश्मीर में यह काम कर रहे है | अगली बार जब आप केसर को खरीदने का मन बनायें, तो कश्मीर का ही केसर खरीदने की सोचें | कश्मीरी लोगों की गर्मजोशी ऐसी है कि वहाँ के केसर का स्वाद ही अलग होता है|
मेरे प्यारे देशवासियों, अभी दो दिन पहले ही गीता जयंती थी | गीता, हमें, हमारे जीवन के हर सन्दर्भ में प्रेरणा देती है | लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, गीता इतनी अद्भुत ग्रन्थ क्यों है ? वो इसलिए क्योंकि ये स्वयं भगवन श्रीकृष्ण की ही वाणी है | लेकिन गीता की विशिष्टता ये भी है कि ये जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है | प्रश्न से शुरू होती है | अर्जुन ने भगवान से प्रश्न किया, जिज्ञासा की, तभी तो गीता का ज्ञान संसार को मिला | गीता की ही तरह, हमारी संस्कृति में जितना भी ज्ञान है, सब, जिज्ञासा से ही शुरू होता है | वेदांत का तो पहला मंत्र ही है – ‘अथातो ब्रह्म जिज्ञासा’ अर्थात, आओ हम ब्रह्म की जिज्ञासा करें | इसीलिए तो हमारे यहाँ ब्रह्म के भी अन्वेषण की बात कही जाती है | जिज्ञासा की ताकत ही ऐसी है | जिज्ञासा आपको लगातार नए के लिए प्रेरित करती है | बचपन में हम इसीलिए तो सीखते हैं क्योंकि हमारे अन्दर जिज्ञासा होती है | यानी जब तक जिज्ञासा है, तब तक जीवन है | जब तक जिज्ञासा है, तब तक नया सीखने का क्रम जारी है | इसमें कोई उम्र, कोई परिस्थिति, मायने ही नहीं रखती | जिज्ञासा की ऐसी ही उर्जा का एक उदाहरण मुझे पता चला, तमिलनाडु के बुजुर्ग श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी के बारे में ! श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी 92 (बयानबे) साल के हैं Ninety Two Years| वो इस उम्र में भी computer पर अपनी किताब लिख रहे हैं, वो भी, खुद ही टाइप करके | आप सोच रहे होंगे कि किताब लिखना तो ठीक है लेकिन श्रीनिवासाचार्य जी के समय पर तो computer रहा ही नहीं होगा | फिर उन्होंने computer कब सीखा ? ये बात सही है कि उनके कॉलेज के समय में computer नहीं था | लेकिन, उनके मन में जिज्ञासा और आत्मविश्वास अभी भी उतना ही है जितना अपनी युवावस्था में था | दरअसल, श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी संस्कृत और तमिल के विद्वान हैं | वो अब तक करीब 16 आध्यात्मिक ग्रन्थ भी लिख चुके हैं | लेकिन, Computer आने के बाद उन्हें जब लगा कि अब तो किताब लिखने और प्रिंट होने का तरीका बदल गया है, तो उन्होंने, 86 साल की उम्र में, eighty six की उम्र में, computer सीखा, अपने लिए जरुरी software सीखे | अब वो अपनी किताब पूरी कर रहे हैं |
साथियो, श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी का जीवन इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है, कि, जीवन, तब तक उर्जा से भरा रहता है, जब तक जीवन में जिज्ञासा नहीं मरती है, सीखने की चाह नहीं मरती है | इसलिए, हमें कभी ये नहीं सोचना चाहिये कि हम पिछड़ गए, हम चूक गए | काश! हम भी ये सीख लेते ! हमें ये भी नहीं सोचना चाहिए कि हम नहीं सीख सकते, या आगे नहीं बढ़ सकते |
मेरे प्यारे देशवाशियो, अभी हम, जिज्ञासा से, कुछ नया सीखने और करने की बात कर रहे थे | नए साल पर नए संकल्पों की भी बात कर रहे थे | लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो लगातार कुछ-न-कुछ नया करते रहते हैं, नए-नए संकल्पों को सिद्ध करते रहते हैं | आपने भी अपने जीवन में महसूस किया होगा, जब हम समाज के लिए कुछ करते हैं तो बहुत कुछ करने की उर्जा समाज हमें खुद ही देता है | सामान्य सी लगने वाली प्रेरणाओं से बहुत बड़े काम भी हो जाते हैं | ऐसे ही एक युवा हैं श्रीमान प्रदीप सांगवान ! गुरुग्राम के प्रदीप सांगवान 2016 से Healing Himalayas नाम से अभियान चला रहे हैं | वो अपनी टीम और volunteers के साथ हिमालय के अलग-अलग इलाकों में जाते हैं, और जो प्लास्टिक कचरा टूरिस्ट वहाँ छोड़कर जाते हैं, वो साफ करते हैं | प्रदीप जी अब तक हिमालय की अलग-अलग टूरिस्ट locations से टनों प्लास्टिक साफ कर चुके हैं | इसी तरह, कर्नाटका के एक युवा दंपति हैं, अनुदीप और मिनूषा | अनुदीप और मिनूषा ने अभी पिछले महीने नवम्बर में ही शादी की है | शादी के बाद बहुत से युवा घूमने फिरने जाते हैं, लेकिन इन दोनों ने कुछ अलग किया | ये दोनों हमेशा देखते थे कि लोग अपने घर से बाहर घूमने तो जाते हैं, लेकिन, जहाँ जाते हैं वहीँ ढ़ेर सारा कूड़ा-कचरा छोड़ कर आ जाते हैं | कर्नाटका के सोमेश्वर beach पर भी यही स्थिति थी | अनुदीप और मिनूषा ने तय किया कि वो सोमेश्वर beach पर, लोग, जो कचरा छोड़कर गए हैं, उसे साफ करेंगे | दोनों पति पत्नी ने शादी के बाद अपना पहला संकल्प यही लिया | दोनों ने मिलकर समंदर तट का काफी कचरा साफ कर डाला | अनुदीप ने अपने इस संकल्प के बारे में सोशल मीडिया पर भी share किया | फिर क्या था, उनकी इतनी शानदार सोच से प्रभावित होकर ढ़ेर सारे युवा उनके साथ आकर जुड़ गए | आप जानकर हैरान रह जाएंगे | इन लोगों ने मिलकर सोमेश्वर beach से 800 किलो से ज्यादा कचरा साफ किया है |
साथियो, इन प्रयासों के बीच, हमें ये भी सोचना है कि ये कचरा इन beaches पर, इन पहाड़ों पर, पहुंचता कैसे है? आखिर, हम में से ही कोई लोग ये कचरा वहाँ छोड़कर आते हैं | हमें प्रदीप और अनुदीप-मिनूषा की तरह सफाई अभियान चलाना चाहिए | लेकिन, उससे भी पहले हमें ये संकल्प भी लेना चाहिए, कि हम, कचरा फैलाएंगे ही नहीं | आखिर, स्वच्छ भारत अभियान का भी तो पहला संकल्प यही है | हां, एक और बात मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ | कोरोना की वजह से इस साल इसकी चर्चा उतनी हो नहीं पाई है | हमें देश को single use plastic से मुक्त करना ही है | ये भी 2021 के संकल्पों में से एक है | आखिर में, मैं आपको, नए वर्ष के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं | आप खुद स्वस्थ रहिए, अपने परिवार को स्वस्थ रखिए | अगले वर्ष जनवरी में नए विषयों पर ‘मन की बात’ होगी |
बहुत-बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | ‘मन की बात’ की शुरुआत में, आज, मैं, आप सबके साथ एक खुशखबरी साझा करना चाहता हूँ | हर भारतीय को यह जानकर गर्व होगा, कि, देवी अन्नपूर्णा की एक बहुत पुरानी प्रतिमा, Canada से वापस भारत आ रही है | यह प्रतिमा, लगभग, 100 साल पहले, 1913 के करीब, वाराणसी के एक मंदिर से चुराकर, देश से बाहर भेज दी गयी थी | मैं, Canada की सरकार और इस पुण्य कार्य को सम्भव बनाने वाले सभी लोगों का इस सहृदयता के लिये आभार प्रकट करता हूँ | माता अन्नपूर्णा का, काशी से, बहुत ही विशेष संबंध है | अब, उनकी प्रतिमा का, वापस आना, हम सभी के लिए सुखद है | माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की तरह ही, हमारी विरासत की अनेक अनमोल धरोहरें, अंतर्राष्ट्रीय गिरोंहों का शिकार होती रही हैं | ये गिरोह, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में, इन्हें, बहुत ऊँची कीमत पर बेचते हैं | अब, इन पर, सख्ती तो लगायी ही जा रही है, इनकी वापसी के लिए, भारत ने अपने प्रयास भी बढ़ायें हैं | ऐसी कोशिशों की वजह से बीते कुछ वर्षों में, भारत, कई प्रतिमाओं, और, कलाकृतियों को वापस लाने में सफल रहा है | माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की वापसी के साथ, एक संयोग ये भी जुड़ा है, कि, कुछ दिन पूर्व ही World Heritage Week मनाया गया है | World Heritage Week, संस्कृति प्रेमियों के लिये, पुराने समय में वापस जाने, उनके इतिहास के अहम् पड़ावों को पता लगाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है | कोरोना कालखंड के बावजूद भी, इस बार हमने, innovative तरीके से लोगों को ये Heritage Week मनाते देखा | Crisis में culture बड़े काम आता है, इससे निपटने में अहम् भूमिका निभाता है | Technology के माध्यम से भी culture, एक, emotional recharge की तरह काम करता है | आज देश में कई museums और libraries अपने collection को पूरी तरह से digital बनाने पर काम कर रहे हैं | दिल्ली में, हमारे राष्ट्रीय संग्रहालय ने इस सम्बन्ध में कुछ सराहनीय प्रयास किये हैं | राष्ट्रीय संग्राहलय द्वारा करीब दस virtual galleries, introduce करने की दिशा में काम चल रहा है – है ना मज़ेदार ! अब, आप, घर बैठे दिल्ली के National Museum galleries का tour कर पायेंगे | जहां एक ओर सांस्कृतिक धरोहरों को technology के माध्यम से अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुंचाना अहम् है, वहीँ, इन धरोहरों के संरक्षण के लिए technology का उपयोग भी महत्वपूर्ण है | हाल ही में, एक interesting project के बारे में पढ़ रहा था | नॉर्वे के उत्तर में Svalbard नाम का एक द्वीप है | इस द्वीप में एक project, Arctic world archive बनाया गया है | इस archive में बहुमूल्य heritage data को इस प्रकार से रखा गया है कि किसी भी प्रकार के प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं से प्रभावित ना हो सकें | अभी हाल ही में, यह भी जानकारी आयी है, कि, अजन्ता गुफाओं की धरोहर को भी digitize करके इस project में संजोया जा रहा है | इसमें, अजन्ता गुफाओं की पूरी झलक देखने को मिलेगी | इसमें, digitalized और restored painting के साथ-साथ इससे सम्बंधित दस्तावेज़ और quotes भी शामिल होंगे | साथियो, महामारी ने एक ओर जहाँ, हमारे काम करने के तौर-तरीकों को बदला है, तो दूसरी ओर प्रकृति को नये ढंग से अनुभव करने का भी अवसर दिया है | प्रकृति को देखने के हमारे नज़रिये में भी बदलाव आया है | अब हम सर्दियों के मौसम में कदम रख रहे हैं | हमें प्रकृति के अलग-अलग रंग देखने को मिलेंगे | पिछले कुछ दिनों से internet Cherry Blossoms की viral तस्वीरों से भरा हुआ है | आप सोच रहे होंगे जब मैं Cherry Blossoms की बात कर रहा हूँ तो जापान की इस प्रसिद्ध पहचान की बात कर रहा हूँ – लेकिन ऐसा नहीं है! ये, जापान की तस्वीरें नहीं हैं | ये, अपने मेघालय के शिलाँग की तस्वीरें हैं | मेघालय की खूबसूरती को इन Cherry Blossoms ने और बढ़ा दिया है |
साथियो, इस महीने 12 नवंबर से डॉक्टर सलीम अली जी का 125वाँ जयंती समारोह शुरू हुआ है | डॉक्टर सलीम ने पक्षियों की दुनिया में Bird watching को लेकर उल्लेखनीय कार्य किया है | दुनिया के bird watchers को भारत के प्रति आकर्षित भी किया है | मैं, हमेशा से Bird watching के शौकीन लोगों का प्रशंसक रहा हूं | बहुत धैर्य के साथ, वो, घंटों तक, सुबह से शाम तक, Bird watching कर सकते हैं, प्रकृति के अनूठे नजारों का लुत्फ़ उठा सकते हैं, और, अपने ज्ञान को हम लोगों तक भी पहुंचाते रहते हैं | भारत में भी, बहुत-सी Bird watching society सक्रिय हैं | आप भी, जरूर, इस विषय के साथ जुड़िये | मेरी भागदौड़ की ज़िन्दगी में, मुझे भी, पिछले दिनों केवड़िया में, पक्षियों के साथ, समय बिताने का बहुत ही यादगार अवसर मिला | पक्षियों के साथ बिताया हुआ समय, आपको, प्रकृति से भी जोड़ेगा, और, पर्यावरण के लिए भी प्रेरणा देगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, भारत की संस्कृति और शास्त्र, हमेशा से ही पूरी दुनिया के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं | कई लोग तो, इनकी खोज में भारत आए, और, हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए, तो, कई लोग, वापस अपने देश जाकर, इस संस्कृति के संवाहक बन गए | मुझे “Jonas Masetti” के काम के बारे में जानने का मौका मिला, जिन्हें, ‘विश्वनाथ’ के नाम से भी जाना जाता है | जॉनस ब्राजील में लोगों को वेदांत और गीता सिखाते हैं | वे विश्वविद्या नाम की एक संस्था चलाते हैं, जो रियो डि जेनेरो (Rio de Janeiro) से घंटें भर की दूरी पर Petrópolis (पेट्रोपोलिस) के पहाड़ों में स्थित है | जॉनस ने Mechanical Engineering की पढ़ाई करने के बाद, stock market में अपनी कंपनी में काम किया, बाद में, उनका रुझान भारतीय संस्कृति और खासकर वेदान्त की तरफ हो गया | Stock से लेकर के Spirituality तक, वास्तव में, उनकी, एक लंबी यात्रा है | जॉनस ने भारत में वेदांत दर्शन का अध्ययन किया और 4 साल तक वे कोयंबटूर के आर्ष विद्या गुरूकुलम में रहे हैं | जॉनस में एक और खासियत है, वो, अपने मैसेज को आगे पहुंचाने के लिए technology का प्रयोग कर रहे हैं | वह नियमित रूप से online programmes करते हैं | वे, प्रतिदिन पोडकास्ट (Podcast) करते हैं | पिछले 7 वर्षों में जॉनस ने वेदांत पर अपने Free Open Courses के माध्यम से डेढ़ लाख से अधिक students को पढ़ाया है | जॉनस ना केवल एक बड़ा काम कर रहे हैं, बल्कि, उसे एक ऐसी भाषा में कर रहे हैं, जिसे, समझने वालों की संख्या भी बहुत अधिक है | लोगों में इसको लेकर काफी रुचि है कि Corona और Quarantine के इस समय में वेदांत कैसे मदद कर सकता है ? ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं जॉनस को उनके प्रयासों के लिए बधाई देता हूं और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं |
साथियो, इसी तरह, अभी, एक खबर पर आपका ध्यान जरूर गया होगा | न्यूजीलैंड में वहाँ के नवनिर्वाचित एम.पी. डॉ० गौरव शर्मा ने विश्व की प्राचीन भाषाओं में से एक संस्कृत भाषा में शपथ ली है | एक भारतीय के तौर पर भारतीय संस्कृति का यह प्रसार हम सब को गर्व से भर देता है | ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं गौरव शर्मा जी को शुभकामनाएं देता हूं | हम सभी की कामना है, वो, न्यूजीलैंड के लोगों की सेवा में नई उपलब्धियां प्राप्त करें |
मेरे प्यारे देशवासियो, कल 30 नवंबर को, हम, श्री गुरु नानक देव जी का 551वाँ प्रकाश पर्व मनाएंगे | पूरी दुनिया में गुरु नानक देव जी का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है |
Vancouver से Wellington तक, Singapore से South Africa तक, उनके संदेश हर तरफ सुनाई देते हैं | गुरुग्रन्थ साहिब में कहा गया है – “सेवक को सेवा बन आई”, यानी, सेवक का काम, सेवा करना है | बीते कुछ वर्षों में कई अहम पड़ाव आये और एक सेवक के तौर पर हमें बहुत कुछ करने का अवसर मिला | गुरु साहिब ने हमसे सेवा ली | गुरु नानक देव जी का ही 550वाँ प्रकाश पर्व, श्री गुरु गोविंद सिंह जी का 350वाँ प्रकाश पर्व, अगले वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी का 400वाँ प्रकाश पर्व भी है | मुझे महसूस होता है, कि, गुरु साहब की मुझ पर विशेष कृपा रही जो उन्होंने मुझे हमेशा अपने कार्यों में बहुत करीब से जोड़ा है |
साथियो, क्या आप जानते हैं कि कच्छ में एक गुरुद्वारा है, लखपत गुरुद्वारा साहिब | श्री गुरु नानक जी अपने उदासी के दौरान लखपत गुरुद्वारा साहिब में रुके थे | 2001 के भूकंप से इस गुरूद्वारे को भी नुकसान पहुँचा था | यह गुरु साहिब की कृपा ही थी, कि, मैं, इसका जीर्णोद्धार सुनिश्चित कर पाया | ना केवल गुरुद्वारा की मरम्मत की गई बल्कि उसके गौरव और भव्यता को भी फिर से स्थापित किया गया | हम सब को गुरु साहिब का भरपूर आशीर्वाद भी मिला | लखपत गुरुद्वारा के संरक्षण के प्रयासों को 2004 में UNESCO Asia Pacific Heritage Award में Award of Distinction दिया गया | Award देने वाली Jury ने ये पाया कि मरम्मत के दौरान शिल्प से जुड़ी बारीकियों का विशेष ध्यान रखा गया | Jury ने यह भी नोट किया कि गुरुद्वारा के पुनर्निर्माण कार्य में सिख समुदाय की ना केवल सक्रिय भागीदारी रही, बल्कि, उनके ही मार्गदर्शन में ये काम हुआ | लखपत गुरुद्वारा जाने का सौभाग्य मुझे तब भी मिला था जब मैं मुख्यमंत्री भी नहीं था | मुझे वहाँ जाकर असीम ऊर्जा मिलती थी | इस गुरूद्वारे में जाकर हर कोई खुद को धन्य महसूस करता है | मैं, इस बात के लिए बहुत कृतज्ञ हूँ कि गुरु साहिब ने मुझसे निरंतर सेवा ली है | पिछले वर्ष नवम्बर में ही करतारपुर साहिब corridor का खुलना बहुत ही ऐतिहासिक रहा | इस बात को मैं जीवनभर अपने ह्रदय में संजो कर रखूँगा | यह, हम सभी का सौभाग्य है, कि, हमें श्री दरबार साहिब की सेवा करने का एक और अवसर मिला | विदेश में रहने वाले हमारे सिख भाई-बहनों के लिए अब दरबार साहिब की सेवा के लिए राशि भेजना और आसान हो गया है | इस कदम से विश्व-भर की संगत, दरबार साहिब के और करीब आ गई है |
साथियो, ये, गुरु नानक देव जी ही थे, जिन्होंने, लंगर की परंपरा शुरू की थी और आज हमने देखा कि दुनिया-भर में सिख समुदाय ने किस प्रकार कोरोना के इस समय में लोगों को खाना खिलाने की अपनी परंपरा को जारी रखा है , मानवता की सेवा की - ये परंपरा, हम सभी के लिए निरंतर प्रेरणा का काम करती है | मेरी कामना है, हम सभी, सेवक की तरह काम करते रहे | गुरु साहिब मुझसे और देशवासियों से इसी प्रकार सेवा लेते रहें | एक बार फिर, गुरु नानक जयंती पर, मेरी, बहुत-बहुत शुभकामनाएँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले दिनों, मुझे, देश-भर की कई Universities के students के साथ संवाद का, उनकी education journey के महत्वपूर्ण events में शामिल होने का, अवसर प्राप्त हुआ है | Technology के ज़रिये, मैं, IIT-Guwahati, IIT-Delhi, गाँधीनगर की Deendayal Petroleum University, दिल्ली की JNU, Mysore University और Lucknow University के विद्यार्थियों से connect हो पाया | देश के युवाओं के बीच होना बेहद तरो-ताजा करने वाला और ऊर्जा से भरने वाला होता है | विश्वविद्यालय के परिसर तो एक तरह से Mini India की तरह होते हैं | एक तरफ़ जहाँ इन campus में भारत की विविधता के दर्शन होते हैं, वहीँ, दूसरी तरफ़, वहाँ New India के लिए बड़े-बड़े बदलाव का passion भी दिखाई देता है | कोरोना से पहले के दिनों में जब मैं रु-ब-रु किसी institution की event में जाता था, तो, यह आग्रह भी करता था, कि, आस-पास के स्कूलों से गरीब बच्चों को भी उस समारोह में आमंत्रित किया जाए | वो बच्चे, उस समारोह में, मेरे special guest बनकर आते रहे हैं | एक छोटा सा बच्चा उस भव्य समारोह में किसी युवा को Doctor, Engineer, Scientist बनते देखता है, किसी को Medal लेते हुए देखता है, तो उसमें, नए सपने जगते है - मैं भी कर सकता हूँ, यह आत्मविश्वास जगता है | संकल्प के लिए प्रेरणा मिलती है |
साथियो, इसके अलावा एक और बात जानने में मेरी हमेशा रूचि रहती है कि उस institution के alumni कौन हैं, उस संस्थान के अपने alumni से regular engagement की व्यवस्था है क्या? उनका alumni network कितना जीवंत है...
मेरे युवा दोस्तो, आप तब तक ही किसी संस्थान के विद्यार्थी होते हैं जब तक आप वहाँ पढाई करते हैं, लेकिन, वहाँ के alumni, आप, जीवन-भर बने रहते हैं | School, college से निकलने के बाद दो चीजें कभी खत्म नहीं होती हैं – एक, आपकी शिक्षा का प्रभाव, और दूसरा, आपका, अपने school, college से लगाव | जब कभी alumni आपस में बात करते हैं, तो, school, college की उनकी यादों में, किताबों और पढाई से ज्यादा campus में बिताया गया समय और दोस्तों के साथ गुजारे गए लम्हें होते हैं, और, इन्हीं यादों में से जन्म लेता है एक भाव institution के लिए कुछ करने का | जहाँ आपके व्यक्तित्व का विकास हुआ है, वहाँ के विकास के लिए आप कुछ करें इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है ? मैंने, कुछ ऐसे प्रयासों के बारे में पढ़ा है, जहाँ, पूर्व विद्यार्थियों ने, अपने पुराने संस्थानों को बढ़-चढ़ करके दिया है | आजकल, alumni इसको लेकर बहुत सक्रिय हैं | IITians ने अपने संस्थानों को Conference Centres, Management Centres, Incubation Centres जैसे कई अलग-अलग व्यवस्थाएं खुद बना कर दी हैं | ये सारे प्रयास वर्तमान विद्यार्थियों के learning experience को improve करते हैं| IIT दिल्ली ने एक endowment fund की शुरुआत की है, जो कि एक शानदार idea है | विश्व की जानी-मानी university में इस प्रकार के endowments बनाने का culture रहा है , जो students की मदद करता है | मुझे लगता है कि भारत के विश्वविद्यालय भी इस culture को institutionalize करने में सक्षम है |
जब कुछ लौटाने की बात आती है तो कुछ भी बड़ा या छोटा नहीं होता है | छोटे से छोटी मदद भी मायने रखती है | हर प्रयास महत्वपूर्ण होता है | अक्सर पूर्व विद्यार्थी अपने संस्थानों के technology upgradation में, building के निर्माण में, awards और scholarships शुरू करने में, skill development के program शुरू करने में, बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | कुछ स्कूलों की old student association ने mentorship programmes शुरू किए हैं | इसमें वे अलग-अलग बैच के विद्यार्थियों को guide करते हैं | साथ ही education prospect पर चर्चा करते हैं | कई स्कूलों में खासतौर से boarding स्कूलों की alumni association बहुत strong है, जो, sports tournament और community service जैसी गतिविधियों का आयोजन करते रहते हैं | मैं पूर्व विद्यार्थियों से आग्रह करना चाहूँगा, कि उन्होंने जिन संस्था में पढाई की है, वहाँ से, अपनी bonding को और अधिक मजबूत करते रहें | चाहे वो school हो, college हो, या university | मेरा संस्थानों से भी आग्रह है कि alumni engagement के नए और innovative तरीकों पर काम करें | Creative platforms develop करें ताकि alumni की सक्रिय भागीदारी हो सके | बड़े College और Universities ही नहीं, हमारे गांवो के schools का भी, strong vibrant active alumni network हो |
मेरे प्यारे देशवासियो, 5 दिसम्बर को श्री अरबिंदो की पुण्यतिथि है | श्री अरबिंदो को हम जितना पढ़ते हैं, उतनी ही गहराई, हमें, मिलती जाती है | मेरे युवा साथी श्री अरबिंदो को जितना जानेंगें, उतना ही अपने आप को जानेंगें, खुद को समृद्ध करेंगें | जीवन की जिस भाव अवस्था में आप हैं, जिन संकल्पों को सिद्ध करने के लिए आप प्रयासरत हैं, उनके बीच, आप, हमेशा से ही श्री अरबिंदो को एक नई प्रेरणा देते पाएंगें, एक नया रास्ता दिखाते हुए पाएंगें | जैसे, आज, जब हम, ‘लोकल के लिए वोकल’ इस अभियान के साथ आगे बढ़ रहे हैं तो श्री अरबिंदो का स्वदेशी का दर्शन हमें राह दिखाता है | बांग्ला में एक बड़ी ही प्रभावी कविता है |
‘छुई शुतो पॉय-मॉन्तो आशे तुंग होते |
दिय-शलाई काठि, ताउ आसे पोते ||
प्रो-दीप्ती जालिते खेते, शुते, जेते |
किछुते लोक नॉय शाधीन ||
यानि , हमारे यहां सुई और दियासलाई तक विलायती जहाज से आते हैं | खाने-पीने, सोने, किसी भी बात में, लोग, स्वतन्त्र नहीं है |
वो कहते भी थे, स्वदेशी का अर्थ है कि हम अपने भारतीय कामगारों, कारीगरों की बनाई हुई चीजों को प्राथमिकता दें | ऐसा भी नहीं कि श्री अरबिंदों ने विदेशों से कुछ सीखने का भी कभी विरोध किया हो | जहाँ जो नया है वहां से हम सीखें जो हमारे देश में अच्छा हो सकता है उसका हम सहयोग और प्रोत्साहन करें, यही तो आत्मनिर्भर भारत अभियान में, Vocal for Local मन्त्र की भी भावना है | ख़ासकर स्वदेशी अपनाने को लेकर उन्होंने जो कुछ कहा वो आज हर देशवासी को पढ़ना चाहिये | साथियो, इसी तरह शिक्षा को लेकर भी श्री अरबिंदो के विचार बहुत स्पष्ट थे | वो शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान, डिग्री और नौकरी तक ही सीमित नहीं मानते थे | श्री अरबिंदो कहते थे हमारी राष्ट्रीय शिक्षा, हमारी युवा पीढ़ी के दिल और दिमाग की training होनी चाहिये, यानि, मस्तिष्क का वैज्ञानिक विकास हो और दिल में भारतीय भावनाएं भी हों , तभी एक युवा देश का और बेहतर नागरिक बन पाता है , श्री अरबिंदो ने राष्ट्रीय शिक्षा को लेकर जो बात तब कही थी, जो अपेक्षा की थी आज देश उसे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए पूरा कर रहा है |
मेरे प्यारे देशवासियों, भारत मे खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे है | बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं | बरसों से किसानों की जो माँग थी, जिन मांगो को पूरा करने के लिए किसी न किसी समय में हर राजनीतिक दल ने उनसे वायदा किया था, वो मांगे पूरी हुई हैं | काफ़ी विचार विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरुप दिया | इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बन्धन समाप्त हुये हैं , बल्कि उन्हें नये अधिकार भी मिले हैं, नये अवसर भी मिले हैं | इन अधिकारों ने बहुत ही कम समय में, किसानों की परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है | महाराष्ट्र के धुले ज़िले के किसान, जितेन्द्र भोइजी ने, नये कृषि कानूनों का इस्तेमाल कैसे किया, ये आपको भी जानना चाहिये | जितेन्द्र भोइजी ने मक्के की खेती की थी और सही दामों के लिए उसे व्यापारियों को बेचना तय किया | फसल की कुल कीमत तय हुई करीब तीन लाख बत्तीस हज़ार रूपये | जितेन्द्र भोइ को पच्चीस हज़ार रूपये एडवांस भी मिल गए थे | तय ये हुआ था कि बाकी का पैसा उन्हें पन्द्रह दिन में चुका दिया जायेगा | लेकिन बाद में परिस्थितियां ऐसी बनी कि उन्हें बाकी का पेमेन्ट नहीं मिला | किसान से फसल खरीद लो, महीनों – महीनों पेमेन्ट न करो , संभवतः मक्का खरीदने वाले बरसों से चली आ रही उसी परंपरा को निभा रहे थे | इसी तरह चार महीने तक जितेन्द्र जी का पेमेन्ट नहीं हुआ | इस स्थिति में उनकी मदद की सितम्बर मे जो पास हुए हैं, जो नए कृषि क़ानून बने हैं – वो उनके काम आये | इस क़ानून में ये तय किया गया है, कि फसल खरीदने के तीन दिन में ही, किसान को पूरा पेमेन्ट करना पड़ता है और अगर पेमेन्ट नहीं होता है, तो, किसान शिकायत दर्ज कर सकता है | कानून में एक और बहुत बड़ी बात है, इस क़ानून में ये प्रावधान किया गया है कि क्षेत्र के एस.डी.एम(SDM) को एक महीने के भीतर ही किसान की शिकायत का निपटारा करना होगा | अब, जब, ऐसे कानून की ताकत हमारे किसान भाई के पास थी, तो, उनकी समस्या का समाधान तो होना ही था, उन्होंने शिकायत की और चंद ही दिन में उनका बकाया चुका दिया गया | यानि कि कानून की सही और पूरी जानकारी ही जितेन्द्र जी की ताकत बनी | क्षेत्र कोई भी हो, हर तरह के भ्रम और अफवाहों से दूर, सही जानकारी, हर व्यक्ति के लिए बहुत बड़ा सम्बल होती है | किसानों में जागरूकता बढ़ाने का ऐसा ही एक काम कर रहे हैं, राजस्थान के बारां जिले में रहने वाले मोहम्मद असलम जी | ये एक किसान उत्पादक संघ के CEO भी हैं | जी हाँ, आपने सही सुना, किसान उत्पादक संघ के CEO | उम्मीद है, बड़ी बड़ी कम्पनियों के CEOs को ये सुनकर अच्छा लगेगा कि अब देश के दूर दराज वाले इलाको में काम कर रहे किसान संगठनों मे भी CEOs होने लगे हैं, तो साथियो, मोहम्मद असलम जी ने अपने क्षेत्र के अनेकों किसानों को मिलाकर एक WhatsApp group बना लिया है | इस group पर वो हर रोज़, आस-पास की मंडियो में क्या भाव चल रहा है, इसकी जानकारी किसानों को देते हैं | खुद उनका FPO भी किसानों से फ़सल खरीदता है, इसलिए, उनके इस प्रयास से किसानों को निर्णय लेने में मदद मिलती है |
साथियो, जागरूकता है, तो, जीवंतता है | अपनी जागरूकता से हजारों लोगों का जीवन प्रभावित करने वाले एक कृषि उद्यमी श्री वीरेन्द्र यादव जी हैं | वीरेन्द्र यादव जी, कभी ऑस्ट्रेलिया में रहा करते थे | दो साल पहले ही वो भारत आए और अब हरियाणा के कैथल में रहते हैं | दूसरे लोगों की तरह ही, खेती में पराली उनके सामने भी एक बड़ी समस्या थी | इसके solution के लिए बहुत व्यापक स्तर पर काम हो रहा है, लेकिन, आज, ‘मन की बात’ में, मैं, वीरेन्द्र जी को विशेष तौर पर जिक्र इसलिए कर रहा हूँ, क्योंकि, उनके प्रयास अलग हैं, एक नई दिशा दिखाते हैं | पराली का समाधान करने के लिए वीरेन्द्र जी ने, पुआल की गांठ बनाने वाली straw baler मशीन खरीदी | इसके लिए उन्हें कृषि विभाग से आर्थिक मदद भी मिली | इस मशीन से उन्होंने पराली के गठठे बनाने शुरू कर दिया | गठठे बनाने के बाद उन्होंने पराली को Agro Energy Plant और paper mill को बेच दिया | आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि वीरेन्द्र जी ने पराली से सिर्फ दो साल में डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा का व्यापार किया है, और उसमें भी, लगभग 50 लाख रुपये मुनाफा कमाया है | इसका फ़ायदा उन किसानों को भी हो रहा है, जिनके खेतों से वीरेन्द्र जी पराली उठाते हैं | हमने कचरे से कंचन की बात तो बहुत सुनी है, लेकिन, पराली का निपटारा करके, पैसा और पुण्य कमाने का ये अनोखा उदाहरण है | मेरा नौजवानों, विशेषकर कृषि की पढ़ाई कर रहे लाखों विद्यार्थियों से आग्रह है, कि, वो अपने आस-पास के गावों में जाकर किसानों को आधुनिक कृषि के बारे में, हाल में हुए कृषि सुधारो के बारे में, जागरूक करें | ऐसा करके आप देश में हो रहे बड़े बदलाव के सहभागी बनेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो,
‘मन की बात’ में हम अलग-अलग, भांति-भांति के अनेक विषयों पर बात करते हैं | लेकिन, एक ऐसी बात को भी एक साल हो रहा है, जिसको हम कभी खुशी से याद नहीं करना चाहेंगे | करीब-करीब एक साल हो रहे हैं, जब, दुनिया को कोरोना के पहले case के बारे में पता चला था | तब से लेकर अब तक, पूरे विश्व ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं | Lockdown के दौर से बाहर निकलकर, अब, vaccine पर चर्चा होने लगी है | लेकिन, कोरोना को लेकर, किसी भी तरह की लापरवाही अब भी बहुत घातक है | हमें, कोरोना के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई को मज़बूती से जारी रखना है |
साथियो, कुछ दिनों बाद ही, 6 दिसम्बर को बाबा साहब अम्बेडकर की पुण्य-तिथि भी है | ये दिन बाबा साहब को श्रद्धांजलि देने के साथ ही देश के प्रति अपने संकल्पों, संविधान ने, एक नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्य को निभाने की जो सीख हमें दी है, उसे दोहराने का है | देश के बड़े हिस्से में सर्दी का मौसम भी जोर पकड़ रहा है | अनेक जगहों पर बर्फ़-बारी हो रही है | इस मौसम में हमें परिवार के बच्चों और बुजुर्गों का, बीमार लोगों का विशेष ध्यान रखना है, खुद भी सावधानी बरतनी है | मुझे खुशी होती है, जब मैं यह देखता हूँ कि लोग अपने आस-पास के जरूरतमंदों की भी चिंता करते हैं | गर्म कपड़े देकर उनकी मदद करते हैं | बेसहारा जानवरों के लिए भी सर्दियाँ बहुत मुश्किल लेकर आती हैं | उनकी मदद के लिए भी बहुत लोग आगे आते हैं | हमारी युवा-पीढ़ी इस तरह के कार्यों में बहुत बढ़-चढ़ कर सक्रिय होती है | साथियों, अगली बार जब हम, ‘मन की बात’ में मिलेंगे तो 2020 का ये वर्ष समाप्ति की ओर होगा | नई उम्मीदें, नये विश्वास के साथ, हम आगे बढ़ेंगे | अब, जो भी सुझाव हों, ideas हों , उन्हें मुझ तक जरूर साझा करते रहिए | आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ | आप सब, स्वस्थ रहें, देश के लिए सक्रिय रहें | बहुत-बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार ! आज विजयादशमी यानि दशहरे का पर्व है | इस पावन अवसर पर आप सभी को ढ़ेरों शुभकामनाएं | दशहरे का ये पर्व, असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है | लेकिन, साथ ही, ये एक तरह से संकटों पर धैर्य की जीत का पर्व भी है | आज, आप सभी बहुत संयम के साथ जी रहे हैं, मर्यादा में रहकर पर्व, त्योहार मना रहे हैं, इसलिए, जो लड़ाई हम लड़ रहे हैं, उसमें जीत भी सुनिश्चित है | पहले, दुर्गा पंडाल में, माँ के दर्शनों के लिए इतनी भीड़ जुट जाती थी - एकदम, मेले जैसा माहौल रहता था, लेकिन, इस बार ऐसा नही हो पाया | पहले, दशहरे पर भी बड़े-बड़े मेले लगते थे, लेकिन इस बार उनका स्वरुप भी अलग ही है | रामलीला का त्योहार भी, उसका बहुत बड़ा आकर्षण था, लेकिन उसमें भी कुछ-न-कुछ पाबंदियाँ लगी हैं | पहले, नवरात्र पर, गुजरात के गरबा की गूंज हर तरफ़ छाई रहती थी, इस बार, बड़े-बड़े आयोजन सब बंद हैं | अभी, आगे और भी कई पर्व आने वाले हैं | अभी, ईद है, शरद पूर्णिमा है, वाल्मीकि जयंती है, फिर, धनतेरस, दिवाली, भाई-दूज, छठी मैया की पूजा है, गुरु नानक देव जी की जयंती है - कोरोना के इस संकट काल में, हमें संयम से ही काम लेना है, मर्यादा में ही रहना है |
साथियो, जब हम त्योहार की बात करते हैं, तैयारी करते हैं, तो, सबसे पहले मन में यही आता है, कि बाजार कब जाना है? क्या-क्या खरीदारी करनी है? ख़ासकर, बच्चों में तो इसका विशेष उत्साह रहता है - इस बार, त्योहार पर, नया, क्या मिलने वाला है? त्योहारों की ये उमंग और बाजार की चमक, एक-दूसरे से जुड़ी हुई है | लेकिन इस बार जब आप खरीदारी करने जायें तो ‘Vocal for Local’ का अपना संकल्प अवश्य याद रखें | बाजार से सामान खरीदते समय, हमें स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है |
साथियो, त्योहारों के इस हर्षोल्लास के बीच में Lockdown के समय को भी याद करना चाहिए | Lockdown में हमने, समाज के उन साथियों को और करीब से जाना है, जिनके बिना, हमारा जीवन बहुत ही मुश्किल हो जाता - सफाई कर्मचारी, घर में काम करने वाले भाई-बहन, Local सब्जी वाले, दूध वाले, Security Guards, इन सबका हमारे जीवन में क्या रोल है, हमने अब भली-भांति महसूस किया है | कठिन समय में, ये आपके साथ थे, हम सबके साथ थे | अब, अपने पर्वों में, अपनी खुशियों में भी, हमें इनको साथ रखना है | मेरा आग्रह है कि, जैसे भी संभव हो, इन्हें अपनी खुशियों में जरुर शामिल करिये | परिवार के सदस्य की तरह करिये, फिर आप देखिये, आपकी खुशियाँ, कितनी बढ़ जाती हैं |
साथियो, हमें अपने उन जाबाज़ सैनिकों को भी याद रखना है, जो, इन त्योहारों में भी सीमाओं पर डटे हैं | भारत-माता की सेवा और सुरक्षा कर रहें हैं | हमें उनको याद करके ही अपने त्योहार मनाने हैं | हमें घर में एक दीया, भारत माता के इन वीर बेटे-बेटियों के सम्मान में भी जलाना है | मैं, अपने वीर जवानों से भी कहना चाहता हूँ कि आप भले ही सीमा पर हैं, लेकिन पूरा देश आपके साथ हैं, आपके लिए कामना कर रहा है | मैं उन परिवारों के त्याग को भी नमन करता हूँ जिनके बेटे-बेटियाँ आज सरहद पर हैं | हर वो व्यक्ति जो देश से जुड़ी किसी-न-किसी जिम्मेदारी की वजह से अपने घर पर नहीं है, अपने परिवार से दूर है – मैं, ह्रदय से उसका आभार प्रकट करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज जब हम Local के लिए Vocal हो रहे हैं तो दुनिया भी हमारे local products की fan हो रही है | हमारे कई local products में global होने की बहुत बड़ी शक्ति है | जैसे एक उदाहरण है -खादी का | लम्बे समय तक खादी, सादगी की पहचान रही है, लेकिन, हमारी खादी आज, Eco- friendly fabric के रूप में जानी जा रही है | स्वास्थ्य की दृष्टि से ये body friendly fabric है, all weather fabric है और आज खादी fashion statement तो बन ही रही है | खादी की popularity तो बढ़ ही रही है, साथ ही, दुनिया में कई जगह, खादी बनाई भी जा रही है | मेक्सिको में एक जगह है ‘ओहाका(Oaxaca)’ | इस इलाके में कई गाँव ऐसे है, जहाँ स्थानीय ग्रामीण, खादी बुनने का काम करते है | आज, यहाँ की खादी ‘ओहाका खादी’ के नाम से प्रसिद्ध हो चुकी है | ओहाका में खादी कैसे पहुँचीं ये भी कम interesting नहीं है | दरअसल, मेक्सिको के एक युवा Mark Brown ने एक बार महात्मा गाँधी पर एक फिल्म देखी | Brown ये फिल्म देखकर बापू से इतना प्रभावित हुए कि वो भारत में बापू के आश्रम आये और बापू के बारे में और गहराई से जाना-समझा | तब Brown को एहसास हुआ कि खादी केवल एक कपड़ा ही नहीं है बल्कि ये तो एक पूरी जीवन पद्धति है | इससे किस तरह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता का दर्शन जुड़ा है Brown इससे बहुत प्रभावित हुए | यहीं से Brown ने ठाना कि वो मेक्सिको में जाकर खादी का काम शुरू करेंगे | उन्होंने, मेक्सिको के ओहाका में ग्रामीणों को खादी का काम सिखाया, उन्हें प्रशिक्षित किया और आज ‘ओहाका खादी’ एक ब्रांड बन गया है | इस प्रोजेक्ट की वेबसाइट पर लिखा है ‘The Symbol of Dharma in Motion’ | इस वेबसाइट में Mark Brown का बहुत ही दिलचस्प interview भी मिलेगा | वे बताते हैं कि शुरू में लोग खादी को लेकर संदेह में थे, परन्तु, आख़िरकार, इसमें लोगों की दिलचस्पी बढ़ी और इसका बाज़ार तैयार हो गया | ये कहते हैं, ये राम-राज्य से जुड़ी बातें हैं जब आप लोगों की जरूरतों को पूरा करते है तो फिर लोग भी आपसे जुड़ने चले आते हैं |
साथियो, दिल्ली के Connaught Place के खादी स्टोर में इस बार गाँधी जयंती पर एक ही दिन में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी हुई | इसी तरह कोरोना के समय में खादी के मास्क भी बहुत popular हो रहे हैं | देशभर में कई जगह self help groups और दूसरी संस्थाएँ खादी के मास्क बना रहे हैं | यू.पी. में, बाराबंकी में एक महिला हैं - सुमन देवी जी | सुमन जी ने self help group की अपनी साथी महिलाओं के साथ मिलकर खादी मास्क बनाना शुरू किया | धीरे-धीरे उनके साथ अन्य महिलाएँ भी जुड़ती चली गई, अब वे सभी मिलकर हजारों खादी मास्क बना रही हैं | हमारे local products की खूबी है कि उनके साथ अक्सर एक पूरा दर्शन जुड़ा होता है |
मेरे प्यारे देशवासियो, जब हमें अपनी चीजों पर गर्व होता है, तो दुनिया में भी उनके प्रति जिज्ञासा बढती है | जैसे हमारे आध्यात्म ने, योग ने, आयुर्वेद ने, पूरी दुनिया को आकर्षित किया है | हमारे कई खेल भी दुनिया को आकर्षित कर रहे हैं | आजकल, हमारा मलखम्ब भी, अनेकों देशों में प्रचलित हो रहा है | अमेरिका में चिन्मय पाटणकर और प्रज्ञा पाटणकर ने जब अपने घर से ही मलखम्ब सिखाना शुरू किया था, तो, उन्हें भी अंदाजा नहीं था, कि इसे इतनी सफलता मिलेगी | अमेरिका में आज, कई स्थानों पर, मलखम्ब Training Centers चल रहे हैं | बड़ी संख्या में अमेरिका के युवा इससे जुड़ रहे हैं, मलखम्ब सीख रहे हैं | आज, जर्मनी हो, पोलैंड हो, मलेशिया हो, ऐसे करीब 20 अन्य देशो में भी मलखम्ब खूब popular हो रहा है | अब तो, इसकी, World Championship शुरू की गई है, जिसमें, कई देशों के प्रतिभागी हिस्सा लेते हैं | भारत में तो प्रचीन काल से कई ऐसे खेल रहे हैं, जो हमारे भीतर, एक असाधारण विकास करते हैं | हमारे Mind, Body Balance को एक नए आयाम पर ले जाते हैं | लेकिन संभवतः, नई पीढ़ी के हमारे युवा साथी, मलखम्ब से उतना परिचित ना हों | आप इसे इन्टरनेट पर जरूर search करिए और देखिये |
साथियो, हमारे देश मे कितनी ही Martial Arts हैं | मैं चाहूँगा कि हमारे युवा-साथी इनके बारे में भी जाने, इन्हें सीखें , और, समय के हिसाब से innovate भी करे | जब जीवन मे बड़ी चुनौतियाँ नहीं होती हैं, तो व्यक्तित्व का सर्वश्रेष्ठ भी बाहर निकल कर नहीं आता है | इसलिए अपने आप को हमेशा challenge करते रहिए |
मेरे प्यारे देशवासियो, कहा जाता है ‘Learning is Growing’ | आज, ‘मन की बात’ में, मैं आपका परिचय एक ऐसे व्यक्ति से कराऊँगा जिसमें एक अनोखा जुनून है | ये जुनून है दूसरों के साथ reading और learning की खुशियों को बाँटने का | ये हैं पोन मरियप्पन, पोन मरियप्पन तमिलनाडु के तुतुकुड़ी में रहते है | तुतुकुड़ी को pearl city यानि मोतियों के शहर के रूप में भी जाना जाता है | यह कभी पांडियन साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र था | यहाँ रहने वाले मेरे दोस्त पोन मरियप्पन, hair cutting के पेशे से जुड़े हैं और एक saloon चलाते हैं | बहुत छोटा सा saloon है | उन्होंने एक अनोखा और प्रेरणादायी काम किया है | अपने saloon के एक हिस्से को ही पुस्तकालय बना दिया है | यदि व्यक्ति saloon में अपनी बारी का इंतज़ार करने के दौरान वहाँ कुछ पढ़ता है, और जो पढ़ा है उसके बारे में थोड़ा लिखता है, तो पोन मरियप्पन जी उस ग्राहक को discount देते हैं - है न मजेदार!
आइये, तुतुकुड़ी चलते हैं - पोन मरियप्पन जी से बात करते हैं |
प्रधानमंत्री: पोन मरियप्पन जी, वणकम्म... नल्ला इर किंगडा ?
(प्रधानमंत्री: पोन मरियप्पन जी, वणकम्म | आप कैसे हैं ?)
पोन मरियप्पन: ... (तमिल में जवाब) .....
(पोन मरियप्पन: माननीय प्रधानमंत्री जी, वणकम्म (नमस्कार) |)
प्रधानमंत्री : वणकम्म, वणकम्म .. उन्गलक्के इन्द लाइब्रेरी आइडिया येप्पड़ी वन्ददा
(प्रधानमंत्री : वणकम्म, वणकम्म | आपको ये पुस्तकालय का जो
idea है, ये कैसे आया? )
पोन मरियप्पन: ... (तमिल में जवाब) .....
(पोन मरियप्पन के उत्तर का हिंदी अनुवाद : मैं आठवीं कक्षा तक पढ़ा हूँ | उसके आगे मेरी पारिवारिक परिस्थितियों के कारण मैं अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ा ना सका | जब मैं पढ़े-लिखे आदमियों को देखता हूँ, तब मेरे मन में एक कमी महसूस हो रही थी | इसीलिये, मेरे मन में ये आया कि हम क्यों ना एक पुस्तकालय स्थापित करें, और उससे, बहुत से लोगों को ये लाभ होगा, यही मेरे लिये एक प्रेरणा बनी |
प्रधानमंत्री : उन्गलक्के येन्द पुत्तहम पिडिक्कुम ?
(प्रधानमंत्री : आपको कौन सी पुस्तक बहुत पसन्द है ? )
पोन मरियप्पन: ... (तमिल में जवाब) .....
(पोन मरियप्पन (Pon Mariyappan) : मुझे ‘तिरुकुरुल’ बहुत प्रिय है |)
प्रधानमंत्री : उन्गकिट्ट पेसीयदिल येनक्क | रोम्बा मगिलची | नल वाड़ तुक्कल
(प्रधानमंत्री : आपसे बात करने में मुझे बहुत प्रसन्नता हुई | आपको
बहुत शुभकामनाएं | )
पोन मरियप्पन: ... (तमिल में जवाब) .....
(पोन मरियप्पन: मैं भी माननीय प्रधानमंत्री जी से बात करते हुए
अति प्रसन्नता महसूस कर रहा हूँ | )
प्रधानमंत्री : नल वाड़ तुक्कल
(प्रधानमंत्री : अनेक शुभकामनाएं |)
पोन मरियप्पन: ... (तमिल में जवाब) .....
(पोन मरियप्पन: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी |)
प्रधानमंत्री: Thank you.
हमनें अभी पोन मरियप्पन जी से बात की | देखिये, कैसे वो लोगों के बालों को तो संवारते ही हैं, उन्हें, अपना जीवन संवारने का भी अवसर देते हैं | थिरुकुरल की लोकप्रियता के बारे में सुनकर बहुत अच्छा लगा| थिरुकुरल की लोकप्रियता के बारे आप सबने भी सुना | आज हिन्दुस्तान की सभी भाषाओं में थिरुकुरल उपलब्ध है | अगर मौक़ा मिले तो ज़रूर पढ़ना चाहिए | जीवन के लिए वह एक प्रकार से मार्ग दर्शक है |
साथियों लेकिन आपको ये जानकार खुशी होगी कि पूरे भारत में अनेक लोग हैं जिन्हें ज्ञान के प्रसार से अपार खुशी मिलती है | ये वो लोग हैं जो हमेशा इस बात के लिए तत्पर रहते हैं कि हर कोई पढ़ने के लिए प्रेरित हो | मध्य प्रदेश के सिंगरौली की शिक्षिका, उषा दुबे जी ने तो scooty को ही mobile library में बदल दिया | वे प्रतिदिन अपने चलते-फिरते पुस्तकालय के साथ किसी न किसी गाँव में पहुँच जाती हैं और वहाँ बच्चों को पढ़ाती हैं | बच्चे उन्हें प्यार से किताबों वाली दीदी कह कर बुलाते हैं | इस साल अगस्त में अरुणाचल प्रदेश के निरजुली के Rayo Village में एक Self Help Library बनाई गई है | दरअसल, यहाँ की मीना गुरुंग और दिवांग होसाई को जब पता चला कि कस्बे में कोई library नहीं है तो उन्होंने इसकी funding के लिए हाथ बढ़ाया | आपको ये जानकार हैरानी होगी कि इस library के लिए कोई membership ही नहीं है | कोई भी व्यक्ति दो हफ्ते के लिए किताब ले जा सकता है | पढ़ने के बाद उसे वापस करना होता है | ये library सातों दिन, चौबीसों घंटे खुली रहती है | आस-पड़ोस के अभिभावक यह देखकर काफी खुश हैं, कि उनके बच्चे किताब पढ़ने में जुटे हैं | खासकर उस समय जब स्कूलों ने भी online classes शुरू कर दी हैं | वहीं चंडीगढ़ में एक NGO चलाने वाले संदीप कुमार जी ने एक mini van में mobile library बनाई है, इसके माध्यम से गरीब बच्चों को पढ़ने के लिए मुफ्त में books दी जाती हैं | इसके साथ ही गुजरात के भावनगर की भी दो संस्थाओं के बारे में जानता हूँ जो बेहतरीन कार्य कर रही हैं | उनमें से एक है ‘विकास वर्तुल ट्रस्ट’ | यह संस्था प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए बहुत मददगार है | यह ट्रस्ट 1975 से काम कर रहा है और ये 5,000 पुस्तकों के साथ 140 से अधिक magazine उपलब्ध कराता है | ऐसी एक संस्था ‘पुस्तक परब’ है | ये innovative project है जो साहित्यिक पुस्तकों के साथ ही दूसरी किताबें निशुल्क उपलब्ध कराते हैं | इस library में आध्यात्मिक, आयुर्वेदिक उपचार, और कई अन्य विषयों से सम्बंधित पुस्तकें भी शामिल हैं | यदि आपको इस तरह के और प्रयासों के बारे में कुछ पता है तो मेरा आग्रह है कि आप उसे social media पर जरुर साझा करें | ये उदाहरण पुस्तक पढ़ने या पुस्तकालय खोलने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि, यह उस नए भारत की भावना का भी प्रतीक है जिसमें समाज के विकास के लिए हर क्षेत्र और हर तबके के लोग नए-नए और innovative तरीके अपना रहे हैं | गीता में कहा गया है –
न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्र मिह विद्यते
अर्थात, ज्ञान के समान, संसार में कुछ भी पवित्र नहीं हैं | मैं ज्ञान का प्रसार करने वाले, ऐसे नेक प्रयास करने वाले, सभी महानुभावों का हृदय से अभिनंदन करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ ही दिनों बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म जयंती, 31 अक्टूबर को हम सब, ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के तौर पर मनाएंगे | ‘मन की बात’ में, पहले भी हमने, सरदार पटेल पर विस्तार से बात की है | हमने, उनके विराट व्यक्तित्व के कई आयामों पर चर्चा की है | बहुत कम लोग मिलेंगे जिनके व्यक्तित्व में एक साथ कई सारे तत्व मौजूद हों - वैचारिक गहराई, नैतिक साहस, राजनैतिक विलक्षणता, कृषि क्षेत्र का गहरा ज्ञान और राष्ट्रीय एकता के प्रति समर्पण भाव | क्या आप सरदार पटेल के बारे में एक बात जानते हैं जो उनके sense of humour को दर्शाती है | जरा उस लौह-पुरुष की छवि की कल्पना कीजिये जो राजे-रजवाड़ों से बात कर रहे थे, पूज्य बापू के जन-आंदोलन का प्रबंधन कर रहे थे, साथ ही, अंग्रेजों से लड़ाई भी लड़ रहे थे, और इन सब के बीच भी, उनका sense of humour पूरे रंग में होता था | बापू ने सरदार पटेल के बारे में कहा था - उनकी विनोदपूर्ण बातें मुझे इतना हँसाती थी कि हँसते-हँसते पेट में बल पड़ जाते थे ,ऐसा, दिन में एक बार नहीं, कई-कई बार होता था | इसमें, हमारे लिए भी एक सीख है, परिस्थितियाँ कितनी भी विषम क्योँ न हो, अपने sense of humour को जिंदा रखिये, यह हमें सहज तो रखेगा ही, हम अपनी समस्या का समाधान भी निकाल पायेंगे I सरदार साहब ने यही तो किया था!
मेरे प्यारे देशवासियो, सरदार पटेल ने अपना पूरा जीवन देश की एकजुटता के लिए समर्पित कर दिया | उन्होंने, भारतीय जनमानस को, स्वतंत्रता आन्दोलन से जोड़ा | उन्होंने, आजादी के साथ किसानों के मुद्दों को जोड़ने का काम किया | उन्होंने, राजे-रजवाड़ो को हमारे राष्ट्र के साथ एक करने का काम किया | वे विविधिता में एकता के मंत्र को हर भारतीय के मन में जगा रहे थेI
साथियो, आज हमें अपनी वाणी, अपने व्यवहार, अपने कर्म से हर पल उन सब चीजों को आगे बढ़ाना है जो हमें ‘एक’ करे, जो देश के एक भाग में रहने वाले नागरिक के मन में, दूसरे कोने में रहने वाले नागरिक के लिए सहजता और अपनत्व का भाव पैदा कर सके | हमारे पूर्वजों ने सदियों से ये प्रयास निरंतर किए हैं I अब देखिये, केरल में जन्मे पूज्य आदि शंकराचार्य जी ने, भारत की चारों दिशाओं में चार महत्वपूर्ण मठों की स्थापना की- उत्तर में बद्रिकाश्रम, पूर्व में पूरी, दक्षिण में श्रृंगेरी और पश्चिम में द्वारका I उन्होंने श्रीनगर की यात्रा भी की, यही कारण है कि, वहाँ, एक ‘Shankracharya Hill’ है I तीर्थाटन अपने आप में भारत को एक सूत्र में पिरोता है | ज्योर्तिलिंगो और शक्तिपीठों की श्रृंखला भारत को एक सूत्र में बांधती है | त्रिपुरा से ले कर गुजरात तक, जम्मू-कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक स्थापित, हमारे, आस्था के केंद्र, हमें ‘एक’ करते हैं | भक्ति आन्दोलन पूरे भारत में एक बड़ा जन-आन्दोलन बन गया, जिसने, हमें, भक्ति के माध्यम से एकजुट किया I हमारे नित्य जीवन में भी ये बातें कैसे घुल गयी हैं, जिसमें एकता की ताकत है | प्रत्येक अनुष्ठान से पहले विभिन्न नदियों का आह्वान किया जाता है - इसमें सुदूर उत्तर में स्थित सिन्धु नदी से लेकर दक्षिण भारत की जीवनदायिनी कावेरी नदी तक शामिल है | अक्सर, हमारे यहाँ लोग कहते हैं, स्नान करते समय पवित्र भाव से, एकता का मंत्र ही बोलते हैं:
गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वती I
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु II
इसी प्रकार सिखों के पवित्र स्थलों में ‘नांदेड़ साहिब’ और ‘पटना साहिब’ गुरूद्वारे शामिल हैं | हमारे सिख गुरुओं ने भी, अपने जीवन और सद्कार्यों के माध्यम से एकता की भावना को प्रगाढ़ किया है | पिछली शताब्दी में, हमारे देश में, डॉ बाबासाहब अम्बेडकर जैसी महान विभूतियाँ रहीं हैं, जिन्होंने, हम सभी को, संविधान के माध्यम से एकजुट किया |
साथियो,
Unity is Power, Unity is strength,
Unity is Progress, Unity is Empowerment,
United we will scale new heights
वैसे, ऐसी ताकतें भी मौजूद रही हैं जो निरंतर हमारे मन में संदेह का बीज बोने की कोशिश करते रहते हैं, देश को बाँटने का प्रयास करते हैं | देश ने भी हर बार, इन बद-इरादों का मुंहतोड़ जवाब दिया है | हमें निरंतर अपनी creativity से, प्रेम से, हर पल प्रयासपूर्वक अपने छोटे से छोटे कामों में, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के खूबसूरत रंगों को सामने लाना है,एकता के नए रंग भरने हैं, और, हर नागरिक को भरने हैं | इस सन्दर्भ में, मैं, आप सबसे, एक website देखने का आग्रह करता हूँ - ekbharat.gov.in (एक भारत डॉट गव डॉट इन) | इसमें, national integration की हमारी मुहिम को आगे बढ़ाने के कई प्रयास दिखाई देंगे | इसका एक दिलचस्प corner है - आज का वाक्य | इस section में हम, हर रोज एक वाक्य को, अलग-अलग भाषाओँ में कैसे बोलते हैं, यह सीख सकते हैं | आप, इस website के लिए contribute भी करें, जैसे, हर राज्य और संस्कृति में अलग-अलग खान-पान होता है | यह व्यंजन स्थानीय स्तर के ख़ास ingredients, यानी, अनाज और मसालों से बनाए जाते हैं | क्या हम इन local food की recipe को local ingredients के नामों के साथ, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ website पर share कर सकते हैं? Unity और Immunity को बढ़ाने के लिए इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता है!
साथियो, इस महीने की 31 तारीख़ को मुझे केवड़िया में ऐतिहासिक Statue of Unity पर हो रहे कई कार्यक्रमों में शामिल होने का अवसर मिलेगा | आप लोग भी जरुर जुड़ियेगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, 31 अक्तूबर को हम ‘वाल्मीकि जयंती’ भी मनाएंगे | मैं, महर्षि वाल्मीकि को नमन करता हूँ और इस खास अवसर के लिए देशवासियों को हार्दिक शुभकामनायें देता हूँ | महर्षि वाल्मीकि के महान विचार करोड़ों लोगों को प्रेरित करते हैं, शक्ति प्रदान करते हैं | वे लाखों-करोड़ों ग़रीबों और दलितों के लिए, बहुत बड़ी उम्मीद हैं | उनके भीतर आशा और विश्वास का संचार करते हैं | वो कहते हैं - किसी भी मनुष्य की इच्छाशक्ति अगर उसके साथ हो, तो वह कोई भी काम बड़ी आसानी से कर सकता है | ये इच्छाशक्ति ही है, जो कई युवाओं को असाधारण कार्य करने की ताकत देती है | महर्षि वाल्मीकि ने सकारात्मक सोच पर बल दिया - उनके लिए, सेवा और मानवीय गरिमा का स्थान, सर्वोपरी है | महर्षि वाल्मीकि के आचार, विचार और आदर्श आज New India के हमारे संकल्प के लिए प्रेरणा भी हैं और दिशा-निर्देश भी हैं | हम, महर्षि वाल्मीकि के प्रति सदैव कृतज्ञ रहेंगें कि उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के मार्गदर्शन के लिए रामायण जैसे महाग्रंथ की रचना की |
31 अक्तूबर को भारत की पूर्व-प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी को हमने खो दिया | मैं आदरपूर्वक उनको श्रद्धांजलि देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज, कश्मीर का पुलवामा पूरे देश को पढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है | आज देश-भर में बच्चे अपना Home Work करते हैं, Notes बनाते हैं, तो कहीं-न-कहीं इसके पीछे पुलवामा के लोगों की कड़ी मेहनत भी है | कश्मीर घाटी, पूरे देश की, करीब-करीब 90% Pencil Slate, लकड़ी की पट्टी की मांग को पूरा करती है, और उसमें बहुत बड़ी हिस्सेदारी पुलवामा की है | एक समय में, हम लोग विदेशों से Pencil के लिए लकड़ी मंगवाते थे, लेकिन अब हमारा पुलवामा, इस क्षेत्र से, देश को आत्मनिर्भर बना रहा है | वास्तव में, पुलवामा के ये Pencil Slates, States के बीच के Gaps को कम कर रहे हैं | घाटी की चिनार की लकड़ी में High Moisture Content और Softness होती है, जो पेंसिल के निर्माण के लिए उसे सबसे Suitable बनाती है | पुलवामा में, उक्खू को, Pencil Village के नाम से जाना जाता है | यहाँ, Pencil Slate निर्माण की कई इकाईयां हैं, जो रोजगार उपलब्ध करा रही हैं, और इनमें काफ़ी संख्या में महिलाएं काम करती हैं |
साथियो, पुलवामा की अपनी यह पहचान तब स्थापित हुई है, जब, यहाँ के लोगों ने कुछ नया करने की ठानी, काम को लेकर Risk उठाया, और ख़ुद को उसके प्रति समर्पित कर दिया | ऐसे ही कर्मठ लोगों में से एक है - मंजूर अहमद अलाई | पहले मंजूर भाई लकड़ी काटने वाले एक सामान्य मजदूर थे | मंजूर भाई कुछ नया करना चाहते थे ताकि उनकी आने वाली पीढ़ियाँ ग़रीबी में ना जिए | उन्होंने, अपनी पुस्तैनी जमीन बेच दी और Apple Wooden Box, यानी सेब रखने वाले लकड़ी के बक्से बनाने की यूनिट शुरू की | वे, अपने छोटे से Business में जुटे हुए थे, तभी मंजूर भाई को कहीं से पता चला कि पेंसिल निर्माण में Poplar Wood यानी चिनार की लकड़ी का उपयोग शुरू किया गया है | ये जानकारी मिलने के बाद, मंजूर भाई ने अपनी उद्यमिता का परिचय देते हुए कुछ Famous Pencil Manufacturing Units को Poplar Wooden Box की आपूर्ति शुरू की | मंजूर जी को ये बहुत फायदेमंद लगा और उनकी आमदनी भी अच्छी ख़ासी बढ़ने लगी | समय के साथ उन्होंने Pencil Slate Manufacturing Machinery ले ली और उसके बाद उन्होंने देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों को Pencil Slate की Supply शुरू कर दी | आज, मंजूर भाई के इस Business का Turnover करोड़ों में है और वे लगभग दो-सौ लोगों को आजीविका भी दे रहे हैं | आज ‘मन की बात’ के जरिये समस्त देशवासियों की ओर से, मैं मंजूर भाई समेत, पुलवामा के मेहनतकश भाई-बहनों को और उनके परिवार वालों को, उनकी प्रशंसा करता हूँ - आप सब, देश के Young Minds को, शिक्षित करने के लिए, अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, Lock down के दौरान Technology-Based service delivery के कई प्रयोग हमारे देश में हुए हैं, और अब ऐसा नहीं रहा कि बहुत बड़ी technology और logistics companies ही यह कर सकती हैं | झारखण्ड में ये काम महिलाओं के self help group ने करके दिखाया है | इन महिलाओं ने किसानों के खेतों से सब्जियाँ और फल लिए और सीधे, घरों तक पहुँचाए | इन महिलाओं ने ‘आजीविका farm fresh’ नाम से एक app बनवाया जिसके जरिए लोग आसानी से सब्जियाँ मंगा सकते थे | इस पूरे प्रयास से किसानों को अपनी सब्जियाँ और फलों के अच्छे दाम मिले, और लोगों को भी fresh सब्जियाँ मिलती रही | वहाँ ‘आजीविका farm fresh’ app का idea बहुत popular हो रहा है | Lock down में इन्होंने 50 लाख रुपये से भी ज्यादा के फल-सब्जियाँ लोगों तक पहुँचाई हैं | साथियो, agriculture sector में नई सम्भावनाएँ बनता देख, हमारे युवा भी काफी संख्या में इससे जुड़ने लगे हैं | मध्यप्रदेश के बड़वानी में अतुल पाटीदार अपने क्षेत्र के 4 हजार किसानों को digital रूप से जोड़ चुके हैं | ये किसान अतुल पाटीदार के E-platform farm card के जरिए, खेती के सामान, जैसे, खाद, बीज, pesticide, fungicide आदि की home delivery पा रहे हैं, यानी किसानों को घर तक, उनकी जरुरत की चीज़ें मिल रही हैं | इस digital platform पर आधुनिक कृषि उपकरण भी किराये पर मिल जाते हैं | Lock down के समय भी इस digital platform के जरिये किसानों को हज़ारों packet delivery किये गए, जिसमें, कपास और सब्जियों के बीज भी थे | अतुल जी और उनकी team, किसानों को तकनीकी रूप से जागरूक कर रही है, on line payment और खरीदारी सिखा रही हैं |
साथियो, इन दिनों महाराष्ट्र की एक घटना पर मेरा ध्यान गया | वहां एक farmer producer कंपनी ने मक्के की खेती करने वाले किसानों से मक्का ख़रीदा | कंपनी ने किसानों को इस बार, मूल्य के अतिरिक्त, bonus भी दिया | किसानों को भी एक सुखद आश्चर्य हुआ | जब उस कंपनी से पूछा, तो उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने जो नये कृषि क़ानून बनाये हैं, अब उसके तहत, किसान, भारत में कहीं पर भी फ़सल बेच पा रहे हैं और उन्हें अच्छे दाम मिल रहे हैं, इसलिये उन्होंने सोचा कि इस extra profit को किसानों के साथ भी बाँटना चाहिये | उस पर उनका भी हक़ है और उन्होंने किसानों को bonus दिया है | साथियो, bonus अभी भले ही छोटा हो, लेकिन ये शुरुआत बहुत बड़ी है | इससे हमें पता चलता है कि नये कृषि-क़ानून से जमीनी स्तर पर, किस तरह के बदलाव किसानों के पक्ष में आने की संभावनायें भरी पड़ी हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज ‘मन की बात’ में देशवासियों की असाधारण उपलब्धियाँ, हमारे देश, हमारी संस्कृति के अलग-अलग आयामों पर, आप सबसे बात करने का अवसर मिला | हमारा देश प्रतिभावान लोगों से भरा हुआ है | अगर, आप भी ऐसे लोगों को जानते हो, तो उनके बारे में बात कीजिये, लिखिये और उनकी सफलताओं को share कीजिए | आने वाले त्योहारों की आपको और आपके पूरे परिवार को बहुत-बहुत बधाई | लेकिन एक बात याद रखिये और त्योहारों में, ज़रा विशेष रूप से याद रखिये- mask पहनना है, हाथ साबुन से धोते रहना है, दो गज की दूरी बनाये रखनी है |
साथियो, अगले महीने फिर आपसे ‘मन की बात’ होगी, बहुत-बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है | आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरुरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है | लेकिन, इतने लम्बे समय तक, एक साथ रहना, कैसे रहना, समय कैसे बिताना, हर पल खुशी भरी कैसे हो ? तो, कई परिवारों को दिक्कतें आईं और उसका कारण था, कि, जो हमारी परम्पराएं थी, जो परिवार में एक प्रकार से संस्कार सरिता के रूप में चलती थी, उसकी कमी महसूस हो रही है, ऐसा लग रहा है, कि, बहुत से परिवार है जहाँ से ये सब कुछ खत्म हो चुका है, और, इसके कारण, उस कमी के रहते हुए, इस संकट के काल को बिताना भी परिवारों के लिए थोड़ा मुश्किल हो गया, और, उसमें एक महत्वपूर्ण बात क्या थी? हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियाँ सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं | हमें, जरुर एहसास हुआ होगा, कि, हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी, वो, आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है | ऐसी ही एक विधा जैसा मैंने कहा, कहानी सुनाने की कला story telling | साथियो, कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता |
‘where there is a soul there is a story’
कहानियाँ, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं | कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई माँ अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें | मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक (A wandering ascetic) के रूप में रहा | घुमंत ही मेरी जिंदगी थी | हर दिन नया गाँव, नए लोग, नए परिवार, लेकिन, जब मैं परिवारों में जाता था, तो, मैं, बच्चों से जरुर बात करता था और कभी-कभी बच्चों को कहता था, कि, चलो भई, मुझे, कोई कहानी सुनाओ, तो मैं हैरान था, बच्चे मुझे कहते थे, नहीं uncle, कहानी नहीं, हम, चुटकुला सुनायेंगे, और मुझे भी, वो, यही कहते थे, कि, uncle आप हमें चुटकुला सुनाओ यानि उनको कहानी से कोई परिचय ही नहीं था | ज्यादातर, उनकी जिंदगी चुटकुलों में समाहित हो गई थी |
साथियो, भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-गोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है | हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी है, जहाँ, हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है, जहाँ, कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गयी, ताकि, विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके | हमारे यहाँ कथा की परंपरा रही है | ये धार्मिक कहानियाँ कहने की प्राचीन पद्धति है | इसमें ‘कताकालक्षेवम्’ भी शामिल रहा है| हमारे यहाँ तरह-तरह की लोक-कथाएं प्रचलित हैं | तमिलनाडु और केरल में कहानी सुनाने की बहुत ही रोचक पद्धति है | इसे ‘विल्लू पाट्’ कहा जाता है | इसमें कहानी और संगीत का बहुत ही आकर्षक सामंजस्य होता है | भारत में कठपुतली की जीवन्त परम्परा भी रही है | इन दिनों science और science fiction से जुड़ी कहानियाँ एवं कहानी कहने की विधा लोकप्रिय हो रही है | मैं देख रहा हूँ कि कई लोग किस्सागोई की कला को आगे बढाने के लिए सराहनीय पहल कर रहे हैं | मुझे gaathastory.in जैसी website के बारे में जानकारी मिली, जिसे, अमर व्यास, बाकी लोगों के साथ मिलकर चलाते हैं | अमर व्यास, IIM अहमदाबाद से MBA करने के बाद विदेशों में चले गए, फिर वापिस आए | इस समय बेंगलुरु में रहते हैं और समय निकालकर कहानियों से जुड़ा, इस प्रकार का, रोचक कार्य कर रहे है | कई ऐसे प्रयास भी हैं जो ग्रामीण भारत की कहानियों को खूब प्रचलित कर रहे हैं | वैशाली व्यवहारे देशपांडे जैसे कई लोग हैं जो इसे मराठी में भी लोकप्रिय बना रहे हैं |
चेन्नई की श्रीविद्या वीर राघवन भी हमारी संस्कृति से जुड़ी कहानियों को प्रचारित, प्रसारित, करने में जुटी है, वहीँ, कथालय और The Indian story telling network नाम की दो website भी इस क्षेत्र में जबरदस्त कार्य कर रही हैं | गीता रामानुजन ने kathalaya.org में कहानियों को केन्द्रित किया है, वहीँ, The Indian story telling network के ज़रिये भी अलग-अलग शहरों के story tellers का network तैयार किया जा रहा है I बेंगलुरु में एक विक्रम श्रीधर हैं, जो बापू से जुड़ी कहानियों को लेकर बहुत उत्साहित हैं | और भी कई लोग, इस क्षेत्र में, काम कर रहे होंगे - आप ज़रूर उनके बारे में Social media पर शेयर करें I
आज हमारे साथ बेंगलुरु Story telling society की बहन Aparna Athreya और अन्य सदस्य जुड़े हैं | आईये, उन्हीं से बात करते हैं और जानते हैं उनके अनुभव |
प्रधानमंत्री:- हेलो
Aparna:- नमस्कार आदरणीय प्रधानमंत्री जी | कैसे हैं आप ?
प्रधानमंत्री :- मैं ठीक हूँ | आप कैसी है Aparna जी ?
Aparna:- बिल्कुल बढ़िया सर जी | सबसे पहले मैं Bangalore Story Telling Society की ओर से धन्यवाद देना चाहती हूँ कि आपने हमारे जैसे कलाकारों को इस मंच पर बुलाया है और बात कर रहे हैं |
प्रधानमंत्री:- और मैंने सुना है कि आज तो शायद आप की पूरी टीम भी आपके साथ बैठी हुई है |
Aparna:- जी... जी बिल्कुल | बिल्कुल सर |
प्रधानमंत्री :- तो अच्छा होगा की आप की टीम का परिचय करवा दें| ताकि ‘मन की बात’ के जो श्रोता हैं उनको परिचय हो जाए कि आप लोग कैसा बड़ा अभियान चला रहे है |
Aparna:- सर | मैं Aparna Athreya हूँ, मैं दो बच्चों की माँ हूँ, एक भारतीय वायुसेना के अफसर की बीवी हूँ और एक passionate storyteller हूँ सर | Storytelling की शुरुआत 15 साल पहले हुई थी जब मैं software industry में काम कर रही थी | तब मैं CSR projects में voluntary काम करने के लिए जब गई थी तब हजारों बच्चों को कहानियों के माध्यम से शिक्षा देने का मौका मिला और ये कहानी जो मैं बता रही थी वो अपनी दादी माँ से सुनी थी | लेकिन जब कहानी सुनते वक़्त मैंने जो ख़ुशी उन बच्चों में देखी, मैं क्या बोलू आपको कितनी मुस्कराहट थी, कितनी ख़ुशी थी तो उसी समय मैंने तय किया कि Storytelling मेरे जीवन का एक लक्ष्य होगा, सर |
प्रधानमंत्री:- आपकी टीम में और कौन है वहाँ ?
Aparna:- मेरे साथ हैं, शैलजा संपत |
शैलजा:- नमस्कार सर |
प्रधानमंत्री:- नमस्ते जी |
शैलजा:- मैं शैलजा संपत बात कर रही हूँ | मैं तो पहले teacher थी, उसके बाद जब मेरे बच्चे बड़े हुए तब मैंने theatre में काम शुरू किया और finally कहानियों को सुनाने में सबसे ज्यादा संतृप्ति मिला | प्रधानमंत्री:- धन्यवाद !
शैलजा:- मेरे साथ सौम्या है |
सौम्या:- नमस्कार सर !
प्रधानमंत्री:- नमस्ते जी !
सौम्या:- मैं हूँ सौम्या श्रीनिवासन | मैं एक psychologist हूँ | मैं जब काम करती हूँ, बच्चे और बड़े लोगों के साथ उसमें मैं कहानियों के द्वारा मनुष्य के नवरसाओं को जगाने में कोशिश करती हूँ और उसके साथ चर्चा भी करती हूँ | ये मेरा लक्ष्य है – ‘Healing and transformative storytelling’ |
Aparna:- नमस्ते सर !
प्रधानमंत्री:- नमस्ते जी |
Aparna: मेरा नाम Aparna जयशंकर है | वैसे तो मेरा सौभाग्य है कि मैं अपनी नाना-नानी और दादी के साथ इस देश के विभिन्न भागों में पली हूँ इसलिए रामायण, पुराणों और गीता की कहानियाँ मुझे विरासत में हर रात को मिलती थी और Bangalore Storytelling Society जैसी संस्था है तो मुझे तो storyteller बनना ही था | मेरे साथ मेरी साथी लावण्या प्रसाद है |
प्रधानमंत्री:- लावण्या जी, नमस्ते !
लावण्या:- नमस्ते, सर ! I am an Electrical Engineer turned professional storyteller. Sir, I grew up listening to stories from my grandfather. I work with senior citizens. In my special project called ‘Roots’ where I help them document their life stories for their families.
प्रधानमंत्री:- लावण्या जी आपको बहुत बधाई | और जैसा आपने कहा मैंने भी एक बार ‘मन की बात’ में सबको कहा था कि आप परिवार में अपने दादा-दादी, नाना-नानी है तो, उनसे, उनकी बचपन की कहानियाँ पूछिए और उसको tape कर लीजिये, record कर के लीजिये बहुत काम आयेगा ये मैंने कहा था | लेकिन मुझे अच्छा लगा कि एक तो आप सबने जो परिचय दिया अपना उसमें भी आपकी कला, आपकी communication skill और बहुत ही कम शब्दों में बहुत ही बढ़िया ढंग से आपने अपना परिचय करवाया इसलिए भी मैं आपको बधाई देता हूँ |
लावण्या:- Thank you sir! Thank you !
अब जो हमारे श्रोता लोग हैं ‘मन की बात’ के उनका भी मन करता होगा कहानी सुनने का | क्या मैं आपको request कर सकता हूँ एक-दो कहानी सुनाएँ आप लोग?
Aparna जयशंकर: जी बिल्कुल, ये तो हमारा सौभाग्य है जी |
Aparna जयशंकर: “चलिए चलिए सुनते हैं कहानी एक राजा की । राजा का नाम था कृष्ण देव राय और राज्य का नाम था विजयनगर । अब राजा हमारे थे तो बड़े गुणवान । अगर उनमें कोई खोट बताना ही था, तो वह था अधिक प्रेम अपने मंत्री तेनाली रामा की ओर और दूसरा भोजन की ओर | राजा जी हर दिन दोपहर के भोजन के लिए बड़े आस से बैठते थे - कि आज कुछ अच्छा बना होगा और हर दिन उनके बावर्ची उन्हें वही बेजान सब्जियाँ खिलाते थे - तुरई, लौकी, कददू, टिंडा उफ़। ऐसे ही एक दिन राजा ने खाते खाते गुस्से में थाली फ़ेंक दिया और अपने बावर्ची को आदेश दिया या तो कल कोई दूसरी स्वादिष्ट सब्ज़ी बनाना या फिर कल मैं तुम्हें सूली पे चढ़ा दूंगा । बावर्ची, बिचारा, डर गया। अब नयी सब्ज़ी के लिए वह कहाँ जाये । बावर्ची भागा भागा चला सीधे तेनाली रामा के पास और उसे पूरी कहानी सुनाई । सुनकर तेनाली रामा ने बावर्ची को उपाय दिया । अगले दिन राजा दोपहर के भोजन के लिए आये और बावर्ची को आवाज़ दिया । आज कुछ नया स्वादिष्ट बना है या मैं सूली तैयार कर दूँ । डरे हुए बावर्ची ने झट पट से थाली सजाया और राजा के लिए गरमा-गर्म खाना परोसा । थाली में नयी सब्जी थी । राजा उत्साहित हुए और थोड़ी सी सब्ज़ी चखी । ऊंह वाह ! क्या सब्जी थी ! न तुरई की तरह फीकी थी न कददू की तरह मीठी थी । बावर्ची ने जो भी मसाला भून के, कूट के, डाला था, सब अच्छी तरह से चढ़ी थी । उंगलिया चाटते हुए संतुष्ट राजा ने बावर्ची को बुलाया और पुछा कि यह कौन सी सब्ज़ी हैं ? इसका नाम क्या हैं ? जैसे सिखाया गया था वैसे ही बावर्ची ने उत्तर दिया । महाराज, ये मुकुटधारी बैंगन है ।
प्रभु, ठीक आप ही की तरह यह भी सब्जियों का राजा है और इसीलिए बाकी सब्ज़ियों ने बैंगन को मुकुट पहनाया । राजा खुश हुए और घोषित किये आज से हम यही मुकुटधारी बैंगन खाएंगे ! और सिर्फ हम ही नहीं, हमारे राज्य में भी, सिर्फ बैंगन ही बनेगा और कोई सब्ज़ी नहीं बनेगी | राजा और प्रजा दोनों खुश थे । यानि पहले-पहले तो सब खुश थे कि उन्हें नई सब्जी मिली है, लेकिन जैसे ही दिन बढ़ते गये सुर थोड़ा कम होता गया । एक घर में बैंगन भरता तो दूसरे के घर में बैगन भाजा । एक के यहाँ कत्ते का सांभर तो दूसरे के यहाँ वांगी भात । एक ही बैंगन बिचारा कितना रूप धारण करे । धीरे-धीरे राजा भी तंग आ गए । हर दिन वही बैगन ! और एक दिन ऐसा आया कि राजा ने बावर्ची को बुलाया और खूब डांटा । तुमसे किसने कहा कि बैंगन के सर में मुकुट है । इस राज्य में अब से कोई बैगन नहीं खायेगा । कल से बाकी कोई भी सब्ज़ी बनाना, लेकिन बैंगन मत बनाना । जैसी आपकी आज्ञा, महाराज कहके बावर्ची सीधा गया तेनाली रामा के पास । तेनाली रामा के पाँव पड़ते हुए कहा कि मंत्री जी, धन्यवाद, आपने हमारी प्राण बचा ली । आपके सुझाव की वजह से अब हम कोई भी सब्जी राजा जी को खिला सकते हैं | तेनाली रामा हॅसते हुए कहाँ, वो मंत्री ही क्या, जो, राजा को खुश न रख सके | और इसी तरह राजा कृष्णदेवराय और मंत्री तेनाली रामा की कहानियाँ बनती रही और लोग सुनते रहे ! धन्यवाद |”
प्रधानमंत्री: आपने, बात में, इतनी exactness थी, इतनी बारीकियों को पकड़ा था मैं समझता हूँ बच्चे, बड़े जो भी सुनेंगे कई चीजों का स्मरण रखेंगे | बहुत बढ़िया ढंग से आपने बताया और विशेष coincidence ऐसा है कि देश में पोषण माह चल रहा है, और, आप की कथा भोजन से जुड़ी हुई है और, मैं जरुर, ये जो story tellers आप लोग हैं व और भी लोग हैं | हमें किस प्रकार से हमारे देश की नई पीढ़ी को हमारे महान महापुरुष, महान माताएं-बहनें जो हो गई हैं | कथाओं के माध्यम से उनके साथ कैसे जुड़ा जाए | हम कथा-शास्त्र को और अधिक कैसे प्रचारित करें, popular करें, और, हर घर में अच्छी कथा कहना, अच्छी कथा बच्चों को सुनाना, ये जन-जीवन की बहुत बड़ी credit हो | ये वातावरण कैसे बनाएं, उस दिशा में हम सबने मिल करके काम करना चाहिए, लेकिन, मुझे, बहुत अच्छा लगा आप लोगों से बात करके, और मैं, आप सब को बहुत शुभकामनाएं देता हूँ | धन्यवाद |
समूह स्वर: धन्यवाद सर |
कहानी के द्वारा, संस्कार सरिता को आगे बढ़ाने वाली इन बहनों को हमने सुना | मैं, जब उनसे फोन पर बात कर रहा था, इतनी लम्बी बात थी, तो, मुझे लगा कि ‘मन की बात’ के समय की सीमा है, तो, मेरी उनसे जो बातें हुई है, वो सारी बातें, मैं, मेरे ‘NarendraModiApp’ पर upload करूँगा - पूरी कथाएँ, ज़रूर वहाँ सुनिए | अभी, ‘मन की बात’ में तो, मैंने, उसका बहुत छोटा सा अंश ही आपके सामने प्रस्तुत किया है | मैं, ज़रूर आपसे आग्रह करूँगा, परिवार में, हर सप्ताह, आप, कहानियों के लिए कुछ समय निकालिए, और ये भी कर सकते हैं कि परिवार के हर सदस्य को, हर सप्ताह के लिए, एक विषय तय करें, जैसे, मान लो करुणा है, संवेदनशीलता है, पराक्रम है, त्याग है, शौर्य है - कोई एक भाव और परिवार के सभी सदस्य, उस सप्ताह, एक ही विषय पर, सब के सब लोग कहानी ढूँढेंगे और परिवार के सब मिल करके एक-एक कहानी कहेंगे |
आप देखिये, कि, परिवार में कितना बड़ा खजाना हो जाएगा, Research का कितना बढ़िया काम हो जाएगा, हर किसी को कितना आनन्द आएगा और परिवार में एक नयी प्राण, नयी उर्जा आएगी - उसी प्रकार से हम एक काम और भी कर सकते हैं | मैं, कथा सुनाने वाले, सबसे, आग्रह करूँगा, हम, आज़ादी के 75 वर्ष मनाने जा रहें हैं, क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको, कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं! विशेषकर, 1857 से 1947 तक, हर छोटी-मोटी घटना से, अब, हमारी नयी पीढ़ी को, कथाओं के द्वारा परिचित करा सकते हैं | मुझे विश्वास है कि आप लोग ज़रूर इस काम को करेंगे | कहानी कहने की ये कला देश में और अधिक मजबूत बनें, और अधिक प्रचारित हो और सहज बने, इसलिए, आओ हम सब प्रयास करें I
मेरे प्यारे देशवासियो, आईये, कहानियों की दुनिया से अब हम सात समुन्द्र पार चलते हैं, ये आवाज़ सुनिए!
“नमस्ते, भाइयो और बहनों, मेरा नाम सेदू देमबेले है | मैं West Africa के एक देश माली से हूँ | मुझे फरवरी में भारत में visit पे सबसे बड़े धार्मिक त्यौहार कुम्भ मेला में शामिल होने का अवसर मिला | मेरे लिए ये बहुत ज्यादा गर्व की बात है | मुझे कुम्भ मेला में शामिल होकर बहुत अच्छा लगा और भारत के culture को देखकर बहुत कुछ सीखने को मिला | मैं विनती करना चाहता हूँ, कि, हम लोगों को एक बार फिर भारत visit करने का अवसर दिया जाए, ताकि हम और, भारत के बारे में, सीख सकें | नमस्ते |”
प्रधानमंत्री: है न मज़ेदार, तो ये थे माली के सेदू देमबेले | माली, भारत से दूर, पश्चिम अफ्रिका का एक बड़ा और Land Locked देश है | सेदू देमबेले, माली के एक शहर, Kita के एक पब्लिक स्कूल में शिक्षक हैं, वे, बच्चों को English, Music और Painting, drawing पढ़ाते हैं, सिखाते हैं | लेकिन उनकी एक और पहचान भी है - लोग उन्हें माली के हिंदुस्तान का बाबू कहते हैं, और, उन्हें ऐसा कहलाने में बहुत गर्व की अनुभूति होती है | प्रत्येक रविवार को दोपहर बाद वे माली में एक घंटे का रेडियो कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं, इस कार्यक्रम का नाम है Indian frequency on Bollywood songs | इसे वे पिछले 23 वर्षों से प्रस्तुत करते आ रहे हैं | इस कार्यक्रम के दौरान वे French के साथ-साथ माली की लोकभाषा ‘बमबारा’ में भी अपनी commentary करते हैं और बड़े नाटकीय ढ़ंग से करते हैं | भारत के प्रति उनके मन में अगाध प्रेम है | भारत से उनके गहरे जुड़ाव की एक और वजह ये भी है, कि, उनका जन्म भी 15 अगस्त को हुआ था I सेदू जी ने दो घंटे का एक और कार्यक्रम अब प्रत्येक रविवार रात 9 बजे शुरू किया है, इसमें वे बॉलीवुड की एक पूरी फिल्म की कहानी French और बमबारा में सुनाते हैं | कभी-कभी किसी emotional scene के बारे में बात करते समय वे स्वयं भी, और उनके श्रोता भी, एक-साथ रो पड़ते हैं |
सेदू जी के पिता ने ही भारतीय संस्कृति से उनकी पहचान करवाई थी | उनके पिता, cinema, theatre में काम करते थे और वहाँ भारतीय फ़िल्में भी दिखाई जाती थी | इस 15 अगस्त को उन्होंने हिंदी में एक video के माध्यम से भारत के लोगों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ दी थी | आज, उनके बच्चे भारत का राष्ट्रगान आसानी से गाते हैं | आप, ये दोनों video ज़रूर देखें और उनके भारत प्रेम को महसूस करें | सेदू जी ने जब कुम्भ का दौरा किया था और उस समय वे उस delegation का हिस्सा थे, जिससे मैं मिला था, भारत के लिए उनका, इस प्रकार का जूनून, स्नेह और प्यार वाकई हम सब के लिए गर्व की बात है |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे यहाँ कहा जाता है, जो, ज़मीन से जितना जुड़ा होता है, वो, बड़े-से-बड़े तूफानों में भी उतना ही अडिग रहता है | कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण हैं | संकट के इस काल में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमख़म दिखाया है | साथियो, देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गाँव, आत्मनिर्भर भारत का आधार है | ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी | बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है | मुझे, कई ऐसे किसानों की चिट्ठियाँ मिलती हैं, किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है | जो मैंने उन से सुना है, जो मैंने औरों से सुना है, मेरा मन करता है, आज ‘मन की बात’ में उन किसानों की कुछ बातें जरूर आप को बताऊँ |
हरियाणा के सोनीपत जिले के हमारे एक किसान भाई रहते हैं उनका नाम हैं श्री कंवर चौहान | उन्होंने बताया है कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियाँ बेचने में बहुत दिक्कत आती थी | अगर वो मंडी से बाहर, अपने फल और सब्जियाँ बेचते थे, तो, कई बार उनके फल, सब्जी और गाड़ियाँ तक जब्त हो जाती थी | लेकिन, 2014 में फल और सब्जियों को APMC Act से बाहर कर दिया गया, इसका, उन्हें और आस-पास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ | चार साल पहले, उन्होंने, अपने गाँव के साथी किसानों के साथ मिलकर एक किसान उत्पादक समूह की स्थापना की | आज, गाँव के किसान Sweet Corn और baby Corn की खेती करते हैं |
उनके उत्पाद, आज, दिल्ली की आजादपुर मंडी, बड़ी Retail Chain तथा Five Star होटलों में सीधे supply हो रहे हैं | आज, गाँव के किसान sweet corn और baby corn की खेती से, ढ़ाई से तीन लाख प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं | इतना ही नहीं, इसी गाँव के 60 से अधिक किसान, net house बनाकर, Poly House बनाकर, टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, इसकी, अलग-अलग variety का उत्पादन करके, हर साल प्रति एकड़ 10 से 12 लाख रूपये तक की कमाई कर रहें हैं | जानते हैं, इन किसानों के पास क्या अलग है! अपने फल-सब्जियों को, कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की ताकत है, और ये ताकत ही, उनकी, इस प्रगति का आधार है | अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है | फल-सब्जियों के लिए ही नहीं, अपने खेत में, वो जो पैदा कर रहें हैं - धान, गेहूं, सरसों, गन्ना जो उगा रहे हैं, उसको अपनी इच्छा के अनुसार, जहाँ ज्यादा दाम मिले,वहीँ पर, बेचने की, अब, उनको आज़ादी मिल गई है |
साथियो, तीन–चार साल पहले ही, महाराष्ट्र में, फल और सब्जियों को APMC के दायरे से बाहर किया गया था | इस बदलाव ने कैसे महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली, इसका उदाहरण हैं, Sri Swami Samarth Farmer’s producer company limited - ये किसानों का समूह है | पुणे और मुंबई में किसान साप्ताहिक बाज़ार खुद चला रहे हैं | इन बाज़ारों में, लगभग 70 गाँवों के, साढ़े चार हज़ार किसानों का उत्पाद, सीधे बेचा जाता है - कोई बिचौलिया नहीं | ग्रामीण-युवा, सीधे बाज़ार में, खेती और बिक्री की प्रक्रिया में शामिल होते हैं - इसका सीधा लाभ किसानों को होता है, गाँव के नौजवानों को रोजगार में होता है |
एक और उदाहरण, तमिलनाडु के थेनि जिले का है, यहाँ पर है तमिलनाडु केला farmer produce company, ये farmer produce company कहने को तो company है, हकीकत में, ये, किसानों ने मिल करके अपना एक समूह बनाया है | बड़ा लचीली व्यवस्था है, और वो भी पांच–छ: साल पहले बनाया है | इस किसान समूह ने lockdown के दौरान आसपास के गाँवों से सैकड़ों metric tonne सब्जियाँ, फलों और केले की खरीद की, और, Chennai शहर को, सब्जी combo kit दिया | आप सोचिये, कितने नौजवानों को उन्होंने रोजगार दिया, और मज़ा ये है, कि, बिचौलियोँ ना होने के कारण, किसान को भी लाभ हुआ, और, उपभोक्ता को भी लाभ हुआ | ऐसा ही एक लखनऊ का, किसानों का समूह है | उन्होंने, नाम रखा है ‘इरादा फार्मर प्रोडयूसर’ इन्होंने भी, lockdown के दौरान किसानों के खेतों से, सीधे, फल और सब्जियाँ ली, और, सीधे जा करके, लखनऊ के बाज़ारों में बेची - बिचौलियों से मुक्ति हो गई और मन चाहे उतने दाम उन्होंने प्राप्त किये |
साथियो, गुजरात में बनासकांठा के रामपुरा गाँव में इस्माइल भाई करके एक किसान है | उनकी कहानी भी बहुत दिलचस्प है | इस्माइल भाई खेती करना चाहते थे, लेकिन, अब, जैसे ज्यादातर सोच बन गई है, उनके परिवार को भी लगता था कि इस्माइल भाई ये कैसी बात कर रहे हैं | इस्माइल भाई के पिता खेती करते थे, लेकिन, इसमें उनको अक्सर नुकसान ही होता था | तो पिताजी ने मना भी किया, लेकिन, परिवार वालों के मना करने के बावजूद इस्माइल भाई ने तय किया कि वो तो खेती ही करेंगे | इस्माइल भाई ने सोच लिया था, कि खेती घाटे का सौदा है, वो, ये सोच, और स्थिति, दोनों को, बदलकर दिखायेंगे | उन्होंने, खेती शुरु की, लेकिन, नये तरीकों से, innovative तरीके से | उन्होंने, drip से सिंचाई करके, आलू की खेती शुरू की, और आज, उनके आलू, एक पहचान बन गए हैं | वो, ऐसे आलू उगा रहें हैं, जिनकी quality बहुत ही अच्छी होती है | इस्माइल भाई, ये आलू, सीधे, बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेचते हैं, बिचौलियों का नामों-निशान नहीं, और परिणाम - अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं | अब तो उन्होंने, अपने पिता का सारा कर्जा भी चुका दिया है और सबसे बड़ी बात जानते हैं! इस्माइल भाई, आज, अपने इलाके के सैंकड़ों और किसानों की भी मदद कर रहे हैं | उनकी भी ज़िंदगी बदल रहे हैं |
साथियो, आज की तारीख में खेती को हम जितना आधुनिक विकल्प देंगे, उतना ही, वो, आगे बढ़ेगी, उसमें नये-नये तौर-तरीके आयेंगे, नये innovations जुड़ेंगे | मणिपुर की रहने वाली बिजयशान्ति एक नये innovation के चलते ख़ूब चर्चा में है, उन्होंने कमल की नाल से धागा बनाने का start up शुरू किया है | आज, उनके innovation के चलते कमल की खेती और textile में एक नया ही रास्ता बन गया है |
मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आपको अतीत के एक हिस्से में ले जाना चाहता हूँ | एक-सौ-एक साल पुरानी बात है | 1919 का साल था | अंग्रेजी हुकूमत ने जलियांवाला बाग़ में निर्दोष लोगों का कत्लेआम किया था | इस नरसंहार के बाद एक बारह साल का लड़का उस घटनास्थल पर गया | वह खुशमिज़ाज और चंचल बालक, लेकिन, उसने जलियांवाला बाग में जो देखा, वह उसकी सोच के परे था | वह स्तब्ध था, यह सोचकर कि कोई भी इतना निर्दयी कैसे हो सकता है | वह मासूम गुस्से की आग में जलने लगा था | उसी जलियांवाला बाग़ में उसने अंग्रेजी शासन के खिलाफ़ लड़ने की कसम खायी | क्या आपको पता चला कि मैं किसकी बात कर रहा हूँ? हाँ! मैं, शहीद वीर भगतसिंह की बात कर रहा हूँ | कल, 28 सितम्बर को हम शहीद वीर भगतसिंह की जयन्ती मनायेंगे | मैं, समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगतसिंह को नमन करता हूँ | क्या आप कल्पना कर सकते हैं, एक हुकूमत, जिसका दुनिया के इतने बड़े हिस्से पर शासन था, इसके बारे में कहा जाता था कि उनके शासन में सूर्य कभी अस्त नहीं होता | इतनी ताकतवर हुकूमत, एक 23 साल के युवक से भयभीत हो गयी थी | शहीद भगतसिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे, चिन्तक थे | अपने जीवन की चिंता किये बगैर भगतसिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आज़ादी में बहुत बड़ा योगदान रहा | शहीद वीर भगतसिंह के जीवन का एक और खूबसूरत पहलू यह है कि वे team work के महत्व को बख़ूबी समझते थे |
लाला लाजपतराय के प्रति उनका समर्पण हो या फिर चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु समेत क्रांतिकारियों के साथ उनका जुड़ाव, उनके लिये, कभी व्यक्तिगत गौरव, महत्वपूर्ण नहीं रहा | वे जब तक जिए, सिर्फ एक mission के लिए जिए और उसी के लिये उन्होंने अपना बलिदान दे दिया - वह mission था भारत को अन्याय और अंग्रेजी शासन से मुक्ति दिलाना | मैंने NaMoApp पर हैदराबाद के अजय एस. जी का एक comment पढ़ा | अजय जी लिखते हैं - आज के युवा कैसे भगत सिंह जैसे बन सकते हैं ? देखिये! हम भगत सिंह बन पायें या ना बन पायें, लेकिन, भगत सिंह जैसा देश प्रेम, देश के लिये कुछ कर-गुजरने का ज़ज्बा, जरुर, हम सबके दिलों में हो | शहीद भगत सिंह को यही हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी | चार साल पहले, लगभग यही समय था, जब, surgical strike के दौरान दुनिया ने हमारे जवानों के साहस, शौर्य और निर्भीकता को देखा था | हमारे बहादुर सैनिकों का एक ही मकसद और एक ही लक्ष्य था, हर कीमत पर, भारत माँ के गौरव और सम्मान की रक्षा करना | उन्होंने, अपनी ज़िंदगी की जरा भी परवाह नहीं की | वे, अपने कर्त्तव्य पथ पर आगे बढ़ते गए और हम सबने देखा कि किस प्रकार वे विजयी होकर के सामने आये | भारत माता का गौरव बढ़ाया |
मेरे प्यारे देशवासियो, आने वाले दिनों में हम देशवासी, कई महान लोगों को याद करेंगे, जिनका, भारत के निर्माण में अमिट योगदान है | 02 अक्टूबर हम सबके लिए पवित्र और प्रेरक दिवस होता है | यह दिन माँ भारती के दो सपूतों, महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद करने का दिन है | पूज्य बापू के विचार और आदर्श आज पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हैं, महात्मा गाँधी का जो आर्थिक चिन्तन था, अगर उस spirit को पकड़ा गया होता, समझा गया होता, उस रास्ते पर चला गया होता, तो, आज आत्मनिर्भर भारत अभियान की जरूरत ही नहीं पड़ती | गाँधी जी के आर्थिक चिंतन में भारत की नस-नस की समझ थी, भारत की खुशबू थी | पूज्य बापू का जीवन हमें याद दिलाता है कि हम ये सुनिश्चित करें कि हमारा हर कार्य ऐसा हो, जिससे, ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति का भला हो | वहीं, शास्त्री जी का जीवन, हमें, विनम्रता और सादगी का संदेश देता है | 11 अक्टूबर का दिन भी हमारे लिए बहुत ही विशेष होता है | इस दिन हम भारत रत्न लोक नायक जय प्रकाश जी को’ उनकी जयंती पर स्मरण करते हैं | जे० पी० ने हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई है | हम, भारत रत्न नानाजी देशमुख को भी याद करते हैं, जिनकी जयंती भी, 11 तारीख को ही है | नानाजी देशमुख, जय प्रकाश नारायण जी के बहुत निकट साथी थे | जब, जे० पी० भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जंग लड़ रहे थे, तो, पटना में उन पर प्राणघातक हमला किया गया था | तब, नानाजी देशमुख ने, वो वार, अपने ऊपर ले लिया था |
इस हमले में नानाजी को काफ़ी चोट आई थी, लेकिन, जे० पी० का जीवन बचाने में वो कामयाब रहे थे | इस 12 अक्टूबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की भी जयंती है, उन्होंने, अपना पूरा जीवन, लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया | वे, एक राज परिवार से थीं, उनके पास संपत्ति, शक्ति, और दूसरे संसाधनों की कोई कमी नहीं थी | लेकिन फिर भी उन्होंने, अपना जीवन, एक माँ की तरह, वात्सल्य भाव से, जन-सेवा के लिए खपा दिया | उनका ह्रदय बहुत उदार था | इस 12 अक्टूबर को उनके जन्म शताब्दी वर्ष के समारोह का समापन दिवस होगा, और, आज जब मैं, राजमाता जी की बात कर रहा हूँ, तो, मुझे, भी एक बहुत ही भावुक घटना याद आती है | वैसे तो, उनके साथ बहुत सालों तक काम करने का मौका मिला, कई घटना हैं | लेकिन, मेरा मन करता है, आज, एक घटना का जरूर जिक्र करूं |
“कन्याकुमारी से कश्मीर, हम एकता यात्रा लेकर निकले थे | डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी के नेतृत्व मे यात्रा चल रही थी | दिसम्बर, जनवरी कड़ाके के ठण्ड के दिन थे | हम रात को करीब बारह-एक बजे, मध्य प्रदेश, ग्वालियर के पास शिवपुरी पहुँचे, निवास स्थान पर जा करके, क्योंकि, दिन-भर की थकान होती थी, नहा-धोकर के सोते थे, और, सुबह की तैयारी कर लेते थे | करीब, 2 बजे होंगें, मैं, नहा-धोकर के सोने की तैयारी कर रहा था, तो, दरवाजा किसी ने खटखटाया | मैंने दरवाजा खोला तो राजमाता साहब सामने खड़ी थी | कड़ाके की ठण्ड के दिन और राजमाता साहब को देखकर के मैं हैरान था | मैंने माँ को प्रणाम किया, मैंने कहा, माँ आधी रात में! बोले, कि, नहीं बेटा, आप, ऐसा करो, मोदी जी दूध पी लीजिए ये गर्म दूध पीकर के ही सो जाइए | हल्दी वाला दूध खुद लेकर के आईं | हाँ, लेकिन जब, दूसरे दिन मैंने देखा, वो, सिर्फ मुझे ही नहीं, हमारी यात्रा की व्यवस्था में, जो 30-40 लोग थे, उसमें ड्राइवर भी थे, और भी कार्यकर्ता थे, हर एक के कमरे में जाकर के, खुद ने रात को 2 बजे सबको दूध पिलाया | माँ का प्यार क्या होता है, वात्सल्य क्या होता है, उस घटना को मैं कभी नहीं भूल सकता हूँ |” यह हमारा सौभाग्य है कि ऐसे महान विभूतियों ने हमारी धरती को, अपने त्याग और तपस्या से सींचा है | आईये, हम सब मिल करके, एक ऐसे भारत का निर्माण करें, जिस पर, इन महापुरुषों को गर्व की अनुभूति हो | उनके सपने को अपने संकल्प बनाएं |
मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना के इस कालखंड में, मैं, फिर एक बार आपको याद कराऊंगा, mask अवश्य रखें, face cover के बिना बाहर ना जाएँ | दो गज की दूरी का नियम, आपको भी बचा सकता है, आपके परिवार को भी बचा सकता है | ये कुछ नियम हैं, इस कोरोना की ख़िलाफ, लड़ाई के हथियार हैं, हर नागरिक के जीवन को बचाने के मजबूत साधन हैं | और, हम ना भूलें, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढ़िलाई नहीं | आप स्वस्थ रहें, आपका परिवार स्वस्थ रहे, इसी शुभकामनाओं के साथ बहुत बहुत धन्यवाद | नमस्कार |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | आमतौर पर ये समय उत्सव का होता है, जगह-जगह मेले लगते हैं, धार्मिक पूजा-पाठ होते हैं | कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग तो है, उत्साह भी है, लेकिन, हम सबको मन को छू जाए, वैसा अनुशासन भी है | बहुत एक रूप में देखा जाए तो नागरिकों में दायित्व का एहसास भी है | लोग अपना ध्यान रखते हुए, दूसरों का ध्यान रखते हुए, अपने रोजमर्रा के काम भी कर रहे हैं | देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है | गणेशोत्सव भी कहीं ऑनलाइन मनाया जा रहा है, तो, ज्यादातर जगहों पर इस बार इकोफ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है | साथियो, हम, बहुत बारीकी से अगर देखेंगे, तो एक बात अवश्य हमारे ध्यान में आयेगी - हमारे पर्व और पर्यावरण | इन दोनों के बीच एक बहुत गहरा नाता रहा है | जहां एक ओर हमारे पर्वों में पर्यावरण और प्रकृति के साथ सहजीवन का सन्देश छिपा होता है तो दूसरी ओर कई सारे पर्व प्रकृति की रक्षा के लिये ही मनाए जाते हैं | जैसे, बिहार के पश्चिमी चंपारण में, सदियों से थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के lockdown या उनके ही शब्दों में कहें तो ’60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं | प्रकृति की रक्षा के लिये बरना को थारु समाज ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और सदियों से बनाया है | इस दौरान न कोई गाँव में आता है, न ही कोई अपने घरों से बाहर निकलता है और लोग मानते हैं कि अगर वो बाहर निकले या कोई बाहर से आया, तो उनके आने-जाने से, लोगों की रोजमर्रा की गतिविधियों से, नए पेड़-पौधों को नुकसान हो सकता है | बरना की शुरुआत में भव्य तरीके से हमारे आदिवासी भाई-बहन पूजा-पाठ करते हैं और उसकी समाप्ति पर आदिवासी परम्परा के गीत,संगीत, नृत्य जमकर के उसके कार्यक्रम भी होते हैं |
साथियो, इन दिनों ओणम का पर्व भी धूम-धाम से मनाया जा रहा है | ये पर्व चिनगम महीने में आता है | इस दौरान लोग कुछ नया खरीदते हैं, अपने घरों को सजाते हैं, पूक्क्लम बनाते हैं, ओनम-सादिया का आनंद लेते हैं, तरह-तरह के खेल और प्रतियोगिताएं भी होती हैं | ओणम की धूम तो, आज, दूर-सुदूर विदेशों तक पहुँची हुई है | अमेरिका हो, यूरोप हो, या खाड़ी देश हों, ओणम का उल्लास आपको हर कहीं मिल जाएगा | ओणम एक International Festival बनता जा रहा है |
साथियो, ओणम हमारी कृषि से जुड़ा हुआ पर्व है | ये हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी एक नई शुरुआत का समय होता है | किसानों की शक्ति से ही तो हमारा जीवन, हमारा समाज चलता है | हमारे पर्व किसानों के परिश्रम से ही रंग-बिरंगे बनते हैं | हमारे अन्नदाता को, किसानों की जीवनदायिनी शक्ति को तो वेदों में भी बहुत गौरवपूर्ण रूप से नमन किया गया है |
ऋगवेद में मन्त्र है –
अन्नानां पतये नमः, क्षेत्राणाम पतये नमः |
अर्थात, अन्नदाता को नमन है, किसान को नमन है | हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ताकत को साबित किया है | हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा हुई है |
धान की रुपाई इस बार लगभग 10 प्रतिशत, दालें लगभग 5 प्रतिशत, मोटे अनाज-Coarse Cereals लगभग 3 प्रतिशत, Oilseeds लगभग 13 प्रतिशत, कपास लगभग 3 प्रतिशत ज्यादा बोई गई है | मैं, इसके लिए देश के किसानों को बधाई देता हूँ, उनके परिश्रम को नमन करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना के इस कालखंड में देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ, कई बार मन में ये भी सवाल आता रहा कि इतने लम्बे समय तक घरों में रहने के कारण, मेरे छोटे-छोटे बाल-मित्रों का समय कैसे बीतता होगा | और इसी से मैंने गांधीनगर की Children University जो दुनिया में एक अलग तरह का प्रयोग है, भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, सूक्ष्म-लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय, इन सभी के साथ मिलकर, हम बच्चों के लिये क्या कर सकते हैं, इस पर मंथन किया, चिंतन किया | मेरे लिए ये बहुत सुखद था, लाभकारी भी था क्योंकि एक प्रकार से ये मेरे लिए भी कुछ नया जानने का, नया सीखने का अवसर बन गया |
साथियो, हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने | हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए Toys कैसे मिलें, भारत, Toy Production का बहुत बड़ा hub कैसे बने | वैसे मैं ‘मन की बात’ सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा माँगता हूँ, क्योंकि हो सकता है, उन्हें, अब, ये ‘मन की बात’ सुनने के बाद खिलौनों की नयी-नयी demand सुनने का शायद एक नया काम सामने आ जाएगा |
साथियो, खिलौने जहां activity को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं | खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं | मैंने कहीं पढ़ा, कि, खिलौनों के सम्बन्ध में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि best Toy वो होता है जो Incomplete हो | ऐसा खिलौना, जो अधूरा हो, और, बच्चे मिलकर खेल-खेल में उसे पूरा करें | गुरुदेव टैगोर ने कहा था कि जब वो छोटे थे तो खुद की कल्पना से, घर में मिलने वाले सामानों से ही, अपने दोस्तों के साथ, अपने खिलौने और खेल बनाया करते थे | लेकिन, एक दिन बचपन के उन मौज-मस्ती भरे पलों में बड़ों का दखल हो गया | हुआ ये था कि उनका एक साथी, एक बड़ा और सुंदर सा, विदेशी खिलौना लेकर आ गया | खिलौने को लेकर इतराते हुए अब सब साथी का ध्यान खेल से ज्यादा खिलौने पर रह गया | हर किसी के आकर्षण का केंद्र खेल नहीं रहा, खिलौना बन गया | जो बच्चा कल तक सबके साथ खेलता था, सबके साथ रहता था, घुलमिल जाता था, खेल में डूब जाता था, वो अब दूर रहने लगा | एक तरह से बाकी बच्चों से भेद का भाव उसके मन में बैठ गया | महंगे खिलौने में बनाने के लिये भी कुछ नहीं था, सीखने के लिये भी कुछ नहीं था | यानी कि, एक आकर्षक खिलौने ने एक उत्कृष्ठ बच्चे को कहीं दबा दिया, छिपा दिया, मुरझा दिया | इस खिलौने ने धन का, सम्पत्ति का, जरा बड़प्पन का प्रदर्शन कर लिया लेकिन उस बच्चे की Creative Sprit को बढ़ने और संवरने से रोक दिया | खिलौना तो आ गया, पर खेल ख़त्म हो गया और बच्चे का खिलना भी खो गया | इसलिए, गुरुदेव कहते थे, कि, खिलौने ऐसे होने चाहिए जो बच्चे के बचपन को बाहर लाये, उसकी creativity को सामने लाए | बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है | खेल-खेल में सीखना, खिलौने बनाना सीखना, खिलौने जहां बनते हैं वहाँ की visit करना, इन सबको curriculum का हिस्सा बनाया गया है |
साथियो, हमारे देश में Local खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है | कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं | भारत के कुछ क्षेत्र Toy Clusters यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं | जैसे, कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी, उत्तर प्रदेश का वाराणसी - कई ऐसे स्थान हैं, कई नाम गिना सकते हैं | आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि Global Toy Industry, 7 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की है | 7 लाख करोड़ रुपयों का इतना बड़ा कारोबार, लेकिन, भारत का हिस्सा उसमें बहुत कम है | अब आप सोचिए कि जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परम्परा हो, विविधता हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी, हमें, अच्छा लगेगा क्या? जी नहीं, ये सुनने के बाद आपको भी अच्छा नहीं लगेगा | देखिये साथियो, Toy Industry बहुत व्यापक है | गृह उद्योग हो, छोटे और लघु उद्योग हो, MSMEs हों, इसके साथ-साथ बड़े उद्योग और निजी उद्यमी भी इसके दायरे में आते हैं | इसे आगे बढ़ाने के लिए देश को मिलकर मेहनत करनी होगी | अब जैसे आन्ध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में श्रीमान सी.वी. राजू हैं | उनके गांव के एति-कोप्पका Toys एक समय में बहुत प्रचलित थे | इनकी खासियत ये थी कि ये खिलौने लकड़ी से बनते थे, और दूसरी बात ये कि इन खिलौनों में आपको कहीं कोई angle या कोण नहीं मिलता था | ये खिलौने हर तरफ से round होते थे, इसलिए, बच्चों को चोट की भी गुंजाइश नहीं होती थी | सी.वी. राजू ने एति-कोप्पका toys के लिये, अब, अपने गाँव के कारीगरों के साथ मिलकर एक तरह से नया movement शुरू कर दिया है | बेहतरीन quality के एति-कोप्पका Toys बनाकर सी.वी. राजू ने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस ला दिया है | खिलौनों के साथ हम दो चीजें कर सकते हैं – अपने गौरवशाली अतीत को अपने जीवन में फिर से उतार सकते हैं और अपने स्वर्णिम भविष्य को भी सँवार सकते हैं | मैं अपने start-up मित्रों को, हमारे नए उद्यमियों से कहता हूँ - Team up for toys… आइए मिलकर खिलौने बनाएं | अब सभी के लिये Local खिलौनों के लिये Vocal होने का समय है | आइए, हम अपने युवाओं के लिये कुछ नए प्रकार के, अच्छी quality वाले, खिलौने बनाते हैं | खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी | हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों |
साथियो, इसी तरह, अब कंप्यूटर और स्मार्टफ़ोन के इस जमाने में कंप्यूटर गेम्स का भी बहुत trend है | ये गेम्स बच्चे भी खेलते हैं, बड़े भी खेलते हैं | लेकिन, इनमें भी जितने गेम्स होते हैं, उनकी themes भी अधिकतर बाहर की ही होती हैं | हमारे देश में इतने ideas हैं, इतने concepts हैं, बहुत समृद्ध हमारा इतिहास रहा है | क्या हम उन पर games बना सकते हैं ? मैं देश के युवा talent से कहता हूँ, आप, भारत में भी games बनाइये, और, भारत के भी games बनाइये | कहा भी जाता है - Let the games begin ! तो चलो, खेल शुरू करते हैं !
साथियो, आत्मनिर्भर भारत अभियान में Virtual Games हों, Toys का Sector हो, सबने, बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है और ये अवसर भी है | जब आज से सौ वर्ष पहले, असहयोग आंदोलन शुरू हुआ, तो गांधी जी ने लिखा था कि – “असहयोग आन्दोलन, देशवासियों में आत्मसम्मान और अपनी शक्ति का बोध कराने का एक प्रयास है |”
आज, जब हम देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं, तो, हमें, पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना है, हर क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना है | असहयोग आंदोलन के रूप में जो बीज बोया गया था,उसे, अब, आत्मनिर्भर भारत के वट वृक्ष में परिवर्तित करना हम सब का दायित्व है |
मेरे प्यारे देशवासियो, भारतीयों के innovation और solution देने की क्षमता का लोहा हर कोई मानता है और जब समर्पण भाव हो, संवेदना हो तो ये शक्ति असीम बन जाती है | इस महीने की शुरुआत में, देश के युवाओं के सामने, एक app innovation challenge रखा गया | इस आत्मनिर्भर भारत app innovation challenge में हमारे युवाओं ने बढ़-चढ़कर के हिस्सा लिया | करीब, 7 हजार entries आईं, उसमें भी, करीब-करीब दो तिहाई apps tier two और tier three शहरों के युवाओं ने बनाए हैं | ये आत्मनिर्भर भारत के लिए, देश के भविष्य के लिए, बहुत ही शुभ संकेत है | आत्मनिर्भर app innovation challenge के results देखकर आप ज़रूर प्रभावित होंगे | काफी जाँच-परख के बाद, अलग-अलग category में, लगभग दो दर्जन Apps को award भी दिए गये हैं | आप जरुर इन Apps के बारे में जाने और उनसे जुडें | हो सकता है आप भी ऐसा कुछ बनाने के लिए प्रेरित हो जायें | इनमें एक App है, कुटुकी kids learning app. ये छोटे बच्चों के लिए ऐसा interactive app है जिसमें गानों और कहानियों के जरिए बात-बात में ही बच्चे math science में बहुत कुछ सीख सकते हैं | इसमें activities भी हैं, खेल भी हैं | इसी तरह एक micro blogging platform का भी app है | इसका नाम है कू - K OO कू | इसमें, हम, अपनी मातृभाषा में text, video और audio के जरिए अपनी बात रख सकते हैं, interact कर सकते हैं | इसी तरह चिंगारी App भी युवाओं के बीच काफी popular हो रहा है | एक app है Ask सरकार | इसमें chat boat के जरिए आप interact कर सकते हैं और किसी भी सरकारी योजना के बारे में सही जानकारी हासिल कर सकते हैं, वो भी text, audio और video तीनों तरीकों से | ये आपकी बड़ी मदद कर सकता है | एक और app है, step set go. ये fitness App है | आप कितना चले, कितनी calories burn की, ये सारा हिसाब ये app रखता है, और आपको fit रहने के लिये motivate भी करता है | मैंने ये कुछ ही उदाहरण दिये हैं | कई और apps ने भी इस challenge को जीता है | कई Business Apps हैं, games के App है, जैसे ‘Is EqualTo’, Books & Expense, Zoho (जोहो) Workplace, FTC Talent. आप इनके बारे में net पर search करिए, आपको बहुत जानकारी मिलेगी | आप भी आगे आएं, कुछ innovate करें, कुछ implement करें | आपके प्रयास, आज के छोटे-छोटे start-ups, कल बड़ी-बड़ी कंपनियों में बदलेंगे और दुनिया में भारत की पहचान बनेंगे | और आप ये मत भूलिये कि आज जो दुनिया में बहुत बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ नज़र आती हैं ना, ये भी, कभी, startup हुआ करती थी |
प्रिय देशवासियो, हमारे यहाँ के बच्चे, हमारे विद्यार्थी, अपनी पूरी क्षमता दिखा पाएं, अपना सामर्थ्य दिखा पाएं, इसमें बहुत बड़ी भूमिका Nutrition की भी होती है, पोषण की भी होती है | पूरे देश में सितम्बर महीने को पोषण माह - Nutrition Month के रूप में मनाया जाएगा | Nation और Nutrition का बहुत गहरा सम्बन्ध होता है | हमारे यहाँ एक कहावत है – “यथा अन्नम तथा मन्न्म”
यानी, जैसा अन्न होता है, वैसा ही हमारा मानसिक और बौद्धिक विकास भी होता है | Experts कहते हैं कि शिशु को गर्भ में, और बचपन में, जितना अच्छा पोषण मिलता है, उतना अच्छा उसका मानसिक विकास होता है और वो स्वस्थ रहता है | बच्चों के पोषण के लिये भी उतना ही जरुरी है कि माँ को भी पूरा पोषण मिले और पोषण या Nutrition का मतलब केवल इतना ही नहीं होता कि आप क्या खा रहे हैं, कितना खा रहे हैं, कितनी बार खा रहे हैं | इसका मतलब है आपके शरीर को कितने जरुरी पोषक तत्व, nutrients मिल रहे हैं | आपको Iron, Calcium मिल रहे हैं या नहीं, Sodium मिल रहा है या नहीं, vitamins मिल रहे हैं या नहीं, ये सब Nutrition के बहुत Important aspects हैं | Nutrition के इस आन्दोलन में People Participation भी बहुत जरुरी है | जन-भागीदारी ही इसको सफल करती है | पिछले कुछ वर्षों में, इस दिशा में, देश में, काफी प्रयास किए गये हैं | खासकर हमारे गाँवों में इसे जनभागीदारी से जन-आन्दोलन बनाया जा रहा है | पोषण सप्ताह हो, पोषण माह हो, इनके माध्यम से ज्यादा से ज्यादा जागरूकता पैदा की जा रही है | स्कूलों को जोड़ा गया है | बच्चों के लिये प्रतियोगिताएं हों, उनमें Awareness बढ़े, इसके लिये भी लगातार प्रयास जारी हैं | जैसे Class में एक Class Monitor होता है, उसी तरह Nutrition Monitor भी हो, report card की तरह Nutrition Card भी बने, इस तरह की भी शुरुआत की जा रही है | पोषण माह – Nutrition Month के दौरान MyGov portal पर एक food and nutrition quiz भी आयोजित की जाएगी, और साथ ही एक मीम(meme) competition भी होगा | आप ख़ुद participate करें और दूसरों को भी motivate करें |
साथियो अगर आपको गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल के Statue of Unity जाने का अवसर मिला होगा, और कोविड के बाद जब वो खुलेगा और आपको जाने का अवसर मिलेगा, तो, वहां एक unique प्रकार का Nutrition Park बनाया गया है | खेल-खेल में ही Nutrition की शिक्षा आनंद-प्रमोद के साथ वहां जरुर देख सकते हैं |
साथियो, भारत एक विशाल देश है, खान-पान में ढेर सारी विविधता है | हमारे देश में छह अलग-अलग ऋतुयें होती हैं, अलग-अलग क्षेत्रों में वहाँ के मौसम के हिसाब से अलग-अलग चीजें पैदा होती हैं | इसलिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हर क्षेत्र के मौसम, वहाँ के स्थानीय भोजन और वहाँ पैदा होने वाले अन्न, फल, सब्जियों के अनुसार एक पोषक, nutrient rich, diet plan बने | अब जैसे Millets – मोटे अनाज – रागी है, ज्वार है, ये बहुत उपयोगी पोषक आहार हैं | एक “भारतीय कृषि कोष’ तैयार किया जा रहा है, इसमें हर एक जिले में क्या-क्या फसल होती है, उनकी nutrition value कितनी है, इसकी पूरी जानकारी होगी | ये आप सबके लिए बहुत बड़े काम का कोष हो सकता है | आइये, पोषण माह में पौष्टिक खाने और स्वस्थ रहने के लिए हम सभी को प्रेरित करें |
प्रिय देशवासियो, बीते दिनों, जब हम अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहे थे, तब एक दिलचस्प खबर पर मेरा ध्यान गया | ये खबर है हमारे सुरक्षाबलों के दो जांबाज किरदारों की | एक है सोफी और दूसरी विदा | सोफी और विदा, Indian Army के श्वान हैं, Dogs हैं और उन्हें Chief of Army Staff ‘Commendation Cards’ से सम्मानित किया गया है | सोफी और विदा को ये सम्मान इसलिए मिला, क्योंकि इन्होंने, अपने देश की रक्षा करते हुए, अपना कर्तव्य बखूबी निभाया है | हमारी सेनाओं में, हमारे सुरक्षाबलों के पास, ऐसे, कितने ही बहादुर श्वान है Dogs हैं जो देश के लिये जीते हैं और देश के लिये अपना बलिदान भी देते हैं | कितने ही बम धमाकों को, कितनी ही आंतकी साजिशों को रोकने में ऐसे Dogs ने बहुत अहम् भूमिका निभाई है | कुछ समय पहले मुझे देश की सुरक्षा में dogs की भूमिका के बारे में बहुत विस्तार से जानने को मिला | कई किस्से भी सुने | एक dog बलराम ने 2006 में अमरनाथ यात्रा के रास्ते में, बड़ी मात्र में, गोला-बारूद खोज निकाला था | 2002 में dogs भावना ने IED खोजा था | IED निकालने के दौरान आंतकियों ने विस्फोट कर दिया, और श्वान शहीद हो गये | दो-तीन वर्ष पहले, छत्तीसगढ़ के बीजापुर में CRPF का sniffer dog ‘Cracker’ भी IED blast में शहीद हो गया था | कुछ दिन पहले ही आपने शायद TV पर एक बड़ा भावुक करने वाला दृश्य देखा होगा, जिसमें, बीड पुलिस अपने साथी Dog रॉकी को पूरे सम्मान के साथ आख़िरी विदाई दे रही थी | रॉकी ने 300 से ज्यादा केसों को सुलझाने में पुलिस की मदद की थी | Dogs की Disaster Management और Rescue Missions में भी बहुत बड़ी भूमिका होती हैं | भारत में तो National Disaster Response Force – NDRF ने ऐसे दर्जनों Dogs को Specially Train किया है | कहीं भूकंप आने पर, ईमारत गिरने पर, मलबे में दबे जीवित लोगों को खोज निकालने में ये dogs बहुत expert होते हैं |
साथियो, मुझे यह भी बताया गया कि Indian Breed के Dogs भी बहुत अच्छे होते हैं, बहुत सक्षम होते हैं | Indian Breeds में मुधोल हाउंड हैं, हिमाचली हाउंड है, ये बहुत ही अच्छी नस्लें हैं | राजापलायम, कन्नी, चिप्पीपराई, और कोम्बाई भी बहुत शानदार Indian breeds हैं | इनको पालने में खर्च भी काफी कम आता है, और ये भारतीय माहौल में ढ़ले भी होते हैं | अब हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने भी इन Indian breed के dogs को अपने सुरक्षा दस्ते में शामिल कर रही हैं | पिछले कुछ समय में आर्मी, CISF, NSG ने मुधोल हाउंड dogs को trained करके dog squad में शामिल किया है, CRPF ने कोम्बाई dogs को शामिल किया है | Indian Council of Agriculture Research भी भारतीय नस्ल के Dogs पर research कर रही है | मकसद यही है कि Indian breeds को और बेहतर बनाया जा सके, और, उपयोगी बनाया जा सके | आप internet पर इनके नाम search करिए, इनके बारे में जानिए, आप इनकी खूबसूरती, इनकी qualities देखकर हैरान हो जाएंगे | अगली बार, जब भी आप, dog पालने की सोचें, आप जरुर इनमें से ही किसी Indian breed के dog को घर लाएँ | आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है |
मेरे प्रिय देशवासियो, कुछ दिनों बाद, पांच सितम्बर को हम शिक्षक दिवस मनायेगें | हम सब जब अपने जीवन की सफलताओं को अपनी जीवन यात्रा को देखते है तो हमें अपने किसी न किसी शिक्षक की याद अवश्य आती है| तेज़ी से बदलते हुए समय और कोरोना के संकट काल में हमारे शिक्षकों के सामने भी समय के साथ बदलाव की एक चुनौती लगती है | मुझे ख़ुशी है कि हमारे शिक्षकों ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि, उसे अवसर में बदल भी दिया है| पढाई में तकनीक का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कैसे हो, नए तरीकों को कैसे अपनाएँ, छात्रों को मदद कैसे करें यह हमारे शिक्षकों ने सहजता से अपनाया है और अपने students को भी सिखाया है| आज, देश में, हर जगह कुछ न कुछ innovation हो रहे हैं | शिक्षक और छात्र मिलकर कुछ नया कर रहे हैं | मुझे भरोसा है जिस तरह देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, हमारे शिक्षक इसका भी लाभ छात्रों तक पहुचाने में अहम भूमिका निभायेंगे |
साथियो, और विशेषकर मेरे शिक्षक साथियो, वर्ष 2022 में हमारा देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनायेगा| स्वतंत्रता के पहले अनेक वर्षों तक हमारे देश में आज़ादी की जंग उसका एक लम्बा इतिहास रहा है | इस दौरान देश का कोई कोना ऐसा नहीं था जहाँ आजादी के मतवालों ने अपने प्राण न्योछावर न किये हों, अपना सर्वस्व त्याग न दिया हो | यह बहुत आवश्यक है कि हमारी आज की पीढ़ी, हमारे विद्यार्थी, आज़ादी की जंग हमारे देश के नायकों से परिचित रहे, उसे उतना ही महसूस करे | अपने जिले से, अपने क्षेत्र में, आज़ादी के आन्दोलन के समय क्या हुआ, कैसे हुआ, कौन शहीद हुआ, कौन कितने समय तक देश के लिए ज़ेल में रहा | यह बातें हमारे विद्यार्थी जानेंगे तो उनके व्यक्तित्व में भी इसका प्रभाव दिखेगा इसके लिये बहुत से काम किये जा सकते हैं, जिसमें हमारे शिक्षकों का बड़ा दायित्व है | जैसे, आप जिस जिले में हैं वहाँ शताब्दियों तक जो आजादी का जंग चला उन आजादियों के जंग में वहाँ कोई घटनाएं घटी हैं क्या ? इसे लेकर विद्यार्थियों से research करवाई जा सकती है | उसे स्कूल के हस्तलिखित अंक के रूप में तैयार किया जा सकता है आप के शहर में स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ा कोई स्थान हो तो छात्र छात्राओं को वहाँ ले जा सकते हैं | किसी स्कूल के विद्यार्थी ठान सकते हैं कि वो आजादी के 75 वर्ष में अपने क्षेत्र के आज़ादी के 75 नायकों पर कवितायें लिखेंगे, नाट्य कथाएँ लिखेंगे | आप के प्रयास देश के हजारों लाखों unsung heroes को सामने लायेंगे जो देश के लिए जिये, जो देश के लिए खप गए जिनके नाम समय के साथ विस्मृत हो गए, ऐसे महान व्यक्तित्वों को अगर हम सामने लायेंगे आजादी के 75 वर्ष में उन्हें याद करेंगे तो उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी और जब 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मना रहे हैं तब मैं मेरे शिक्षक साथियों से जरूर आग्रह करूँगा कि वे इसके लिए एक माहोल बनाएं सब को जोड़ें और सब मिल करके जुट जाएँ |
मेरे प्रिय देशवासियो, देश आज जिस विकास यात्रा पर चल रहा है इसकी सफलता सुखद तभी होगी जब हर एक देशवासी इसमें शामिल हो, इस यात्रा का यात्री हो, इस पथ का पथिक हो, इसलिए, ये जरूरी है कि हर एक देशवासी स्वस्थ रहे सुखी रहे और हम मिलकर के कोरोना को पूरी तरह से हराएं | कोरोना तभी हारेगा जब आप सुरक्षित रहेंगे, जब आप “दो गज की दूरी, मास्क जरुरी”, इस संकल्प का पूरी तरह से पालन करेंगे आप सब स्वस्थ रहिये, सुखी रहिये, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ अगली ‘मन की बात’ में फिर मिलेंगे |
बहुत बहुत धन्यवाद | नमस्कार |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | आज 26 जुलाई है, और, आज का दिन बहुत खास है | आज, ‘कारगिल विजय दिवस’ है | 21 साल पहले आज के ही दिन कारगिल के युद्ध में हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था | साथियो, कारगिल का युद्ध जिन परिस्थितियों में हुआ था, वो, भारत कभी नहीं भूल सकता | पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मनसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहाँ चल रहे आन्तरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था | भारत तब पाकिस्तान से अच्छे संबंधों के लिए प्रयासरत था, लेकिन, कहा जाता है ना
“बयरू अकारण सब काहू सों | जो कर हित अनहित ताहू सों ||
यानी, दुष्ट का स्वभाव ही होता है, हर किसी से बिना वजह दुश्मनी करना | ऐसे स्वभाव के लोग, जो हित करता है, उसका भी नुकसान ही सोचते हैं इसीलिए भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान द्वारा पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश हुई थी, लेकिन, उसके बाद भारत की वीर सेना ने जो पराक्रम दिखाया, भारत ने अपनी जो ताकत दिखाई, उसे पूरी दुनिया ने देखा | आप कल्पना कर सकते हैं – ऊचें पहाडों पर बैठा हुआ दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेनाएँ, हमारे वीर जवान, लेकिन, जीत पहाड़ की ऊँचाई की नहीं - भारत की सेनाओं के ऊँचे हौंसले और सच्ची वीरता की हुई | साथियो, उस समय, मुझे भी कारगिल जाने और हमारे जवानों की वीरता के दर्शन का सौभाग्य मिला, वो दिन, मेरे जीवन के सबसे अनमोल क्षणों में से एक है | मैं, देख रहा हूँ कि, आज देश भर में लोग कारगिल विजय को याद कर रहे है | Social Media पर एक hashtag #courageinkargil के साथ लोग अपने वीरों को नमन कर रहें हैं, जो शहीद हुए हैं उन्हें श्रद्धांजलि दे रहें हैं | मैं, आज, सभी देशवासियों की तरफ से, हमारे इन वीर जवानों के साथ-साथ, उन वीर माताओं को भी नमन करता हूँ, जिन्होंने, माँ-भारती के सच्चे सपूतों को जन्म दिया | मेरा, देश के नौजवानों से आग्रह है, कि, आज दिन-भर कारगिल विजय से जुड़े हमारे जाबाजों की कहानियाँ, वीर-माताओं के त्याग के बारे में, एक-दूसरे को बताएँ, share करें | मैं, साथियो, आपसे एक आग्रह करता हूँ - आज | एक Website है www.gallantryawards.gov.in आप उसको ज़रूर Visit करें | वहां आपको, हमारे वीर पराक्रमी योद्धाओं के बारे में, उनके पराक्रम के बारे में, बहुत सारी जानकारियां प्राप्त होगी, और वो जानकारियां, जब, आप, अपने साथियों के साथ चर्चा करेंगे - उनके लिए भी प्रेरणा का कारण बनेगी | आप ज़रूर इस Website को Visit कीजिये, और मैं तो कहूँगा, बार-बार कीजिये |
साथियो, कारगिल युद्ध के समय अटल जी ने लालकिले से जो कहा था, वो, आज भी हम सभी के लिए बहुत प्रासंगिक है | अटल जी ने, तब, देश को, गाँधी जी के एक मंत्र की याद दिलायी थी | महात्मा गाँधी का मंत्र था, कि, यदि किसी को कभी कोई दुविधा हो, कि, उसे क्या करना, क्या न करना, तो, उसे भारत के सबसे गरीब और असहाय व्यक्ति के बारे में सोचना चाहिए | उसे ये सोचना चाहिए कि जो वो करने जा रहा है, उससे, उस व्यक्ति की भलाई होगी या नहीं होगी | गाँधी जी के इस विचार से आगे बढ़कर अटल जी ने कहा था, कि, कारगिल युद्ध ने, हमें एक दूसरा मंत्र दिया है - ये मंत्र था, कि, कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले, हम ये सोचें, कि, क्या हमारा ये कदम, उस सैनिक के सम्मान के अनुरूप है जिसने उन दुर्गम पहाड़ियों में अपने प्राणों की आहुति दी थी | आइए अटल जी की आवाज़ में ही, उनकी इस भावना को, हम सुनें, समझें और समय की मांग है, कि, उसे स्वीकार करें |
“हम सभी को याद है कि गाँधी जी ने हमें एक मंत्र दिया था | उन्होंने कहा था कि यदि कोई दुविधा हो कि तुम्हें क्या करना है, तो तुम भारत के उस सबसे असहाय व्यक्ति के बारे में सोचो और स्वयं से पूछो कि क्या तुम जो करने जा रहे हो उससे उस व्यक्ति की भलाई होगी | कारगिल ने हमें दूसरा मंत्र दिया है – कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले हम ये सोचें कि क्या हमारा ये कदम उस सैनिक के सम्मान के अनुरूप है, जिसने उन दुर्गम पहाड़ियों में अपने प्राणों की आहुति दी थी |”
साथियो, युद्ध की परिस्थिति में, हम जो बात कहते हैं, करते हैं, उसका सीमा पर डटे सैनिक के मनोबल पर उसके परिवार के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है | ये बात हमें कभी भूलनी नहीं चाहिए और इसीलिए हमारा आचार, हमारा व्यवहार, हमारी वाणी, हमारे बयान, हमारी मर्यादा, हमारे लक्ष्य, सभी, कसौटी में ये जरूर रहना चाहिए कि हम जो कर रहे हैं, कह रहे हैं, उससे सैनिकों का मनोबल बढ़े, उनका सम्मान बढ़े | राष्ट्र सर्वोपरी का मंत्र लिए, एकता के सूत्र में बंधे देशवासी, हमारे सैनिकों की ताक़त को कई हज़ार गुणा बढ़ा देते हैं | हमारे यहाँ तो कहा गया है न ‘संघे शक्ति कलौ युगे’
कभी-कभी हम इस बात को समझे बिना Social Media पर ऐसी चीजों को बढ़ावा दे देते हैं जो हमारे देश का बहुत नुक्सान करती हैं | कभी-कभी जिज्ञासावश forward करते रहते हैं | पता है गलत है ये - करते रहते हैं | आजकल, युद्ध, केवल सीमाओं पर ही नहीं लड़े जाते हैं, देश में भी कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा जाता है, और, हर एक देशवासी को उसमें अपनी भूमिका तय करनी होती है | हमें भी अपनी भूमिका, देश की सीमा पर, दुर्गम परिस्तिथियों में लड़ रहे सैनिकों को याद करते हुए तय करनी होगी |
मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले कुछ महीनों से पूरे देश ने एकजुट होकर जिस तरह कोरोना से मुकाबला किया है, उसने, अनेक आशंकाओं को गलत साबित कर दिया है | आज, हमारे देश में recovery rate अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है, साथ ही, हमारे देश में कोरोना से मृत्यु-दर भी दुनिया के ज्यादातर देशों से काफ़ी कम है | निश्चित रूप से एक भी व्यक्ति को खोना दुखद है, लेकिन भारत, अपने लाखों देशवासियों का जीवन बचाने में सफल भी रहा है | लेकिन साथियो, कोरोना का खतरा टला नहीं है | कई स्थानों पर यह तेजी से फैल रहा है | हमें बहुत ही ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है | हमें यह ध्यान रखना है कि कोरोना अब भी उतना ही घातक है, जितना, शुरू में था, इसीलिए, हमें पूरी सावधानी बरतनी है | चेहरे पर mask लगाना या गमछे का उपयोग करना, दो गज की दूरी, लगातार हाथ धोना, कहीं पर भी थूकना नहीं, साफ़ सफाई का पूरा ध्यान रखना - यही हमारे हथियार हैं जो हमें कोरोना से बचा सकते हैं | कभी-कभी हमें mask से तकलीफ होती है और मन करता है कि चेहरे पर से mask हटा दें | बातचीत करना शुरू करते हैं | जब mask की जरूरत होती है ज्यादा, उसी समय, mask हटा देते हैं | ऐसे समय, मैं, आप से आग्रह करूँगा जब भी आपको mask के कारण परेशानी feel होती हो, मन करता हो उतार देना है, तो, पल-भर के लिए उन Doctors का स्मरण कीजिये, उन नर्सों का स्मरण कीजिये, हमारे उन कोरोना वारियर्स का स्मरण कीजिये, आप देखिये, वो, mask पहनकर के घंटो तक लगातार, हम सबके जीवन को, बचाने के लिए जुटे रहते हैं | आठ-आठ, दस-दस घंटे तक mask पहने रखते हैं | क्या उनको तकलीफ नहीं होती होगी! थोड़ा सा उनका स्मरण कीजिये, आपको भी लगेगा कि हमें एक नागरिक के नाते इसमें जरा भी कोताही ना बरतनी है और न किसी को बरतने देनी है | एक तरफ हमें कोरोना के खिलाफ लड़ाई को पूरी सजगता और सतर्कता के साथ लड़ना है, तो दूसरी ओर, कठोर मेहनत से, व्यवसाय, नौकरी, पढाई, जो भी, कर्तव्य हम निभाते हैं, उसमें गति लानी है, उसको भी नई ऊँचाई पर ले जाना है | साथियो, कोरोना काल में तो हमारे ग्रामीण क्षेत्रों ने पूरे देश को दिशा दिखाई है | गांवो से स्थानीय नागरिकों के, ग्राम पंचायतों के, अनेक अच्छे प्रयास लगातार सामने आ रहे हैं | जम्मू में एक ग्राम त्रेवा ग्राम पंचायत है | वहाँ की सरपंच हैं बलबीर कौर जी | मुझे बताया गया कि बलबीर कौर जी ने अपनी पंचायत में 30 bed का एक Quarantine Centre बनवाया | पंचायत आने वाले रास्तों पर, पानी की व्यवस्था की | लोगों को हाथ धोने में कोई दिक्कत न हो - इसका इंतजाम करवाया | इतना ही नहीं, ये बलबीर कौर जी, खुद, अपने कन्धे पर spray pump टांगकर, Volunteers के साथ मिलकर, पूरी पंचायत में, आस-पास क्षेत्र में, sanitization का काम भी करती हैं | ऐसी ही एक और कश्मीरी महिला सरपंच हैं | गान्दरबल के चौंटलीवार की जैतूना बेगम | जैतूना बेगम जी ने तय किया कि उनकी पंचायत कोरोना के खिलाफ जंग लड़ेगी और कमाई के लिए अवसर भी पैदा करेगी | उन्होंने, पूरे इलाके में free mask बांटे, free राशन(ration) बांटा, साथ ही उन्होंने लोगों को फसलों के बीज और सेब के पौधे भी दिए, ताकि, लोगों को खेती में, बागवानी में, दिक्कत न आये | साथियो, कश्मीर से एक और प्रेरक घटना है, यहाँ, अनंतनाग में municipal president हैं - श्रीमान मोहम्मद इकबाल, उन्हें, अपने इलाके में sanitization के लिए sprayer की जरूरत थी | उन्होंने, जानकारी जुटाई, तो पता चला कि मशीन, दूसरे शहर से लानी पड़ेगी और कीमत भी होगी छ: लाख रूपये, तो, श्रीमान इकबाल जी ने खुद ही प्रयास करके अपने आप sprayer मशीन बना ली और वो भी केवल पचास हज़ार रूपये में - ऐसे, कितने ही और उदाहरण हैं | पूरे देश में, कोने-कोने में, ऐसी कई प्रेरक घटनाएँ रोज सामने आती हैं, ये सभी, अभिनंदन के अधिकारी हैं | चुनौती आई, लेकिन लोगों ने, उतनी ही ताकत से, उसका सामना भी किया |
मेरे प्यारे देश्वासियो, सही approach से सकारात्मक approach से हमेशा आपदा को अवसर में, विपत्ति को विकास में बदलने में, बहुत मदद मिलती है | अभी, हम कोरोना के समय भी देख रहे हैं, कि, कैसे हमारे देश के युवाओं-महिलाओं ने, अपने talent और skill के दम पर कुछ नये प्रयोग शुरू किये हैं | बिहार में कई women self help groups ने मधुबनी painting वाले mask बनाना शुरू किया है, और देखते-ही-देखते, ये खूब popular हो गये हैं | ये मधुबनी mask एक तरह से अपनी परम्परा का प्रचार तो करते ही हैं, लोगों को, स्वास्थ्य के साथ, रोजगारी भी दे रहे हैं | आप जानते ही हैं North East में bamboo यानी, बाँस, कितनी बड़ी मात्रा में होता है, अब, इसी बाँस से त्रिपुरा, मणिपुर, असम के कारीगरों ने high quality की पानी की बोतल और Tiffin Box बनाना शुरू किया है | bamboo से, आप, अगर, इनकी quality देखेंगे तो भरोसा नहीं होगा कि बाँस की बोतलें भी इतनी शानदार हो सकती हैं, और, फिर ये बोतलें eco-friendly भी हैं | इन्हें, जब बनाते हैं, तो, बाँस को पहले नीम और दूसरे औषधीय पौधों के साथ उबाला जाता है, इससे, इनमें औषधीय गुण भी आते हैं | छोटे-छोटे स्थानीय products से कैसे बड़ी सफलता मिलती है, इसका, एक उदहारण झारखंड से भी मिलता है | झारखंड के बिशुनपुर में इन दिनों 30 से ज्यादा समूह मिलकर के lemon grass की खेती कर रहे हैं | lemon grass चार महीनों में तैयार हो जाती है, और, उसका तेल बाज़ार में अच्छे दामों में बिकता है | इसकी आजकल काफी माँग भी है | मैं, देश के दो इलाकों के बारे में भी बात करना चाहता हूँ, दोनों ही, एक-दूसरे से सैकड़ों किलोमीटर दूर हैं, और, अपने-अपने तरीक़े से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ हटकर के काम कर रहे हैं - एक है लद्दाख, और दूसरा है कच्छ | लेह और लद्दाख का नाम सामने आते ही खुबसूरत वादियाँ और ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के दृश्य हमारे सामने आ जाते हैं, ताज़ी हवा के झोंके महसूस होने लगते हैं | वहीँ कच्छ का ज़िक्र होते ही रेगिस्तान, दूर-दूर तक रेगिस्तान, कहीं पेड़-पौधा भी नज़र ना आये, ये सब, हमारे सामने आ जाता है | लद्दाख में एक विशिष्ट फल होता है जिसका नाम चूली या apricot यानी खुबानी है | ये फसल, इस क्षेत्र की economy को बदलने की क्षमता रखती है, परन्तु, अफ़सोस की बात ये है, supply chain, मौसम की मार, जैसे, अनेक चुनौतियों से ये जूझता रहता है | इसकी कम-से-कम बर्बादी हो, इसके लिए, आजकल, एक नए innovation का इस्तेमाल शुरू हुआ है - एक Dual system है, जिसका नाम है, solar apricot dryer and space heater | ये, खुबानी और दूसरे अन्य फलों एवं सब्जियों को जरुरत के अनुसार सुखा सकता है, और वो भी hygienic तरीक़े से | पहले, जब खुबानी को खेतों के पास सुखाते थे, तो, इससे बर्बादी तो होती ही थी, साथ ही, धूल और बारिश के पानी की वजह से फलों की quality भी प्रभावित होती थी | दूसरी ओर, आजकल, कच्छ में किसान Dragon Fruits की खेती के लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं | बहुत से लोग जब सुनते हैं, तो, उन्हें आश्चर्य होता है - कच्छ और Dragon Fruits | लेकिन, वहाँ, आज कई किसान इस कार्य में जुटे हैं | फल की गुणवत्ता और कम ज़मीन में ज्यादा उत्पाद को लेकर काफी innovation किये जा रहे हैं | मुझे बताया गया है कि Dragon Fruits की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है, विशेषकर, नाश्ते में इस्तेमाल काफी बढ़ा है | कच्छ के किसानों का संकल्प है, कि, देश को Dragon Fruits का आयात ना करना पड़े - यही तो आत्मनिर्भरता की बात है |
साथियो, जब हम कुछ नया करने का सोचते हैं, Innovative सोचते हैं, तो, ऐसे काम भी संभव हो जाते हैं, जिनकी आम-तौर पर, कोई कल्पना नहीं करता, जैसे कि, बिहार के कुछ युवाओं को ही लीजिये | पहले ये सामान्य नौकरी करते थे | एक दिन, उन्होंने, तय किया कि वो मोती यानी pearls की खेती करेंगे | उनके क्षेत्र में, लोगों को इस बारे में बहुत पता नहीं था, लेकिन, इन लोगों ने, पहले, सारी जानकारी जुटाई, जयपुर और भुवनेश्वर जाकर training ली और अपने गाँव में ही मोती की खेती शुरू कर दी | आज, ये, स्वयं तो इससे काफ़ी कमाई कर ही रहे हैं, उन्होंने, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय और पटना में अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों को इसकी training देनी भी शुरू कर दी है | कितने ही लोगों के लिए, इससे, आत्मनिर्भरता के रास्ते खुल गए हैं I
साथियो, अभी कुछ दिन बाद रक्षाबंधन का पावन पर्व आ रहा है | मैं, इन दिनों देख रहा हूँ कि कई लोग और संस्थायें इस बार रक्षाबंधन को अलग तरीके से मनाने का अभियान चला रहें हैं | कई लोग इसे Vocal for local से भी जोड़ रहे हैं, और, बात भी सही है | हमारे पर्व, हमारे समाज के, हमारे घर के पास ही किसी व्यक्ति का व्यापार बढ़े, उसका भी पर्व खुशहाल हो, तब, पर्व का आनंद, कुछ और ही हो जाता है I सभी देशवासियों को रक्षाबंधन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं I
साथियो, 7 अगस्त को National Handloom Day है | भारत का Handloom, हमारा Handicraft, अपने आप में सैकड़ो वर्षों का गौरवमयी इतिहास समेटे हुए है | हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि न सिर्फ भारतीय Handloom और Handicraft का ज्यादा-से-ज्यादा उपयोग करें, बल्कि, इसके बारे में, हमें, ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को बताना भी चाहिए I भारत का Handloom और Handicraft कितना rich है, इसमें कितनी विविधता है, ये दुनिया जितना ज्यादा जानेगी, उतना ही, हमारे Local कारीगरों और बुनकरों को लाभ होगा I
साथियो, विशेषकर मेरे युवा साथियो, हमारा देश बदल रहा है | कैसे बदल रहा है? कितनी तेज़ी से बदल रहा है ? कैसे-कैसे क्षेत्रों में बदल रहा है ? एक सकारात्मक सोच के साथ अगर निगाह डालें तो हम खुद अचंभित रह जायेंगे | एक समय था, जब, खेल-कूद से लेकर के अन्य sectors में अधिकतर लोग या तो बड़े-बड़े शहरों से होते थे या बड़े-बड़े परिवार से या फिर नामी-गिरामी स्कूल या कॉलेज से होते थे | अब, देश बदल रहा है | गांवों से, छोटे शहरों से, सामान्य परिवार से हमारे युवा आगे आ रहे हैं | सफलता के नए शिखर चूम रहे हैं | ये लोग संकटों के बीच भी नए-नए सपने संजोते हुए आगे बढ़ रहे हैं | कुछ ऐसा ही हमें अभी हाल ही में जो Board exams के result आये, उसमें भी दिखता है | आज ‘मन की बात’ में हम कुछ ऐसे ही प्रतिभाशाली बेटे-बेटियों से बात करते हैं | ऐसी ही एक प्रतिभाशाली बेटी है कृतिका नांदल |
कृतिका जी हरियाणा में पानीपत से हैं |
मोदी जी – हेलो, कृतिका जी नमस्ते |
कृतिका – नमस्ते सर |
मोदी जी – इतने अच्छे परिणाम के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई|
कृतिका – धन्यवाद सर |
मोदी जी – और आपको तो इन दिनों टेलिफोन लेते-लेते भी आप
थक गयी होंगी | इतने सारे लोगों के फ़ोन आते होंगे |
कृतिका – जी सर |
मोदी जी – और जो लोग बधाई देते हैं, वो भी गर्व महसूस करते
होंगे कि वो आपको जानते हैं | आपको कैसा लग रहा है |
कृतिका – सर बहुत अच्छा लग रहा है | parents को proud feel
करा के खुद को भी इतना proud feel हो रहा है |
मोदी जी - अच्छा ये बताइये कि आपकी सबसे बड़ी प्रेरणा कौन है|
कृतिका – सर, मेरे मम्मी है सबसे बड़ी प्रेरणा तो मेरी |
मोदी जी – वाह | अच्छा, आप मम्मी से क्या सीख रही हो |
कृतिका – सर, उन्होंने अपनी ज़िंदगी में इतनी मुश्किलें देखी हैं
फिर भी वो इतनी bold और इतनी strong हैं, सर | उन्हें देख-देख के इतनी प्रेरणा मिलती है कि मैं भी उन्हीं की तरह बनूँ |
मोदी जी - माँ कितनी पढ़ी-लिखी हैं |
कृतिका – सर, BA किया हुआ है उन्होंने |
मोदी जी – BA किया हुआ है |
कृतिका – जी सर |
मोदी जी – अच्छा | तो, माँ आपको सिखाती भी होगी |
कृतिका – जी सर | सिखाती हैं, दुनिया-दारी के बारे में हर बात
बताती हैं |
मोदी जी – वो, डांटती भी होगी |
कृतिका – जी सर, डांटती भी हैं |
मोदी जी – अच्छा बेटा, आप आगे क्या करना चाहती हैं ?
कृतिका – सर हम डॉक्टर बनना चाहते हैं |
मोदी जी – अरे वाह !
कृतिका – MBBS
मोदी जी – देखिये डॉक्टर बनना आसान काम नहीं है !
कृतिका – जी सर |
मोदी जी – Degree तो प्राप्त कर लेगी क्योंकि आप बड़ी तेजस्वी
हो बेटा, लेकिन, डॉक्टर का जीवन जो है, वो, समाज के लिये बहुत समर्पित होता है |
कृतिका – जी सर |
मोदी जी – उसको कभी रात को, चैन से कभी सो भी नहीं सकता
है | कभी patient का फ़ोन आ जाता है, अस्पताल से फ़ोन आ जाता है तो फिर दौड़ना पड़ता है | यानी एक प्रकार से 24x7, Three Sixty Five Days. डॉक्टर की ज़िंदगी लोगों की सेवा में लगी रहती है |
कृतिका – Yes Sir.
मोदी जी - और ख़तरा भी रहता है, क्योंकि, कभी पता नहीं,
आजकल के जिस प्रकार की बीमारियाँ हैं तो डॉक्टर के सामने भी बहुत बड़ा संकट रहता है |
कृतिका – जी सर,
मोदी जी – अच्छा कृतिका, हरियाणा तो खेल-कूद में पूरे हिन्दुस्तान
के लिये हमेशा ही प्रेरणा देने वाला, प्रोत्साहन देने वाला राज्य रहा है |
कृतिका – हाँजी सर |
मोदी जी – तो आप भी तो कोई खेल-कूद में भाग लेती हैं क्या,
कुछ खेल-कूद पसंद है क्या आपको ?
कृतिका – सर, बास्केटबाल खेलते थे, स्कूल में
मोदी जी – अच्छा, आपकी ऊंचाई कितनी है, ज्यादा है ऊंचाई
कृतिका – नहीं सर, पांच दो की है |
मोदी जी – अच्छा, तो फिर तुम्हारे खेल में पसंद करते हैं ?
कृतिका – सर वो तो बस passion है, खेल लेते हैं
मोदी जी – अच्छा-अच्छा | चलिये कृतिका जी, आपके माताजी को
मेरी तरफ से प्रणाम कहिये, उन्होंने, आपको इस प्रकार के योग्य बनाया | आपके जीवन को बनाया | आपकी माताजी को प्रणाम और आपको बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं |
कृतिका – धन्यवाद सर |
आइये ! अब हम चलते हैं केरला, एर्नाकुलम (Ernakulam) | केरला के नौजवान से बात करेंगे |
मोदी जी – हेलो
विनायक - हेलो सर नमस्कार |
मोदी जी – So विनायक, congratulation
विनायक – हाँ, Thank you sir,
मोदी जी – शाबाश विनायक, शाबाश
विनायक – हाँ, Thank you sir,
मोदी जी – How is the जोश
विनायक – High sir
मोदी जी – Do you play any sport?
विनायक – Badminton.
मोदी जी – Badminton
विनायक – हाँ yes.
मोदी जी – In a school or you have any chance to take a training ?
विनायक – No, In school we have already get some training
मोदी जी – हूँ हूँ
विनायक - from our teachers.
मोदी जी – हूँ हूँ
विनायक – So that we get opportunity to participate outside
मोदी जी – Wow
विनायक – From the school itself
मोदी जी – How many states you have visited ?
विनायक – I have visited only Kerala and Tamilnadu
मोदी जी – Only Kerala and Tamilnadu,
विनायक – Oh yes
मोदी जी – So, would you like to visit Delhi ?
विनायक – हाँ Sir, now, I am applying in Delhi University for my
Higher Studies.
मोदी जी – Wah, so you are coming to Delhi
विनायक – हाँ yes sir.
मोदी जी – tell me, do you have any message for fellow students
who will give Board Exams in future
विनायक – hard work and proper time utilization
मोदी जी – So perfect time management
विनायक – हाँ, sir
मोदी जी – Vinayak, I would like to know your hobbies.
विनायक – ………Badminton and than rowing.
मोदी जी – So, you are active on social media
विनायक – Not, we are not allowed to use any electronic items or
gadgets in the school
मोदी जी – So you are lucky
विनायक – Yes Sir,
मोदी जी – Well, Vinayak, congratulations again and wish you all
the best.
विनायक – Thank you sir.
आइये ! हम उत्तर प्रदेश चलते हैं | उत्तर प्रदेश में अमरोहा के श्रीमान् उस्मान सैफी से बात करेंगे |
मोदी जी – हेलो उस्मान, बहुत-बहुत बधाई, आपको ढेरों-ढेरों बधाई
उस्मान – Thank you sir.
मोदी जी – अच्छा आप उस्मान बताइये, कि आपने जो चाहा था
वही result मिला कि कुछ कम आया
उस्मान – नहीं, जो चाहा था वही मिला है | मेरे parents भी
बहुत खुश हैं |
मोदी जी – वाह, अच्छा परिवार में और भाई भी, बहुत इतने ही
तेजस्वी हैं कि घर में आप ही हैं जो इतने तेजस्वी हैं |
उस्मान – सिर्फ मैं ही हूँ, मेरा भाई वो थोड़ा सा शरारती है
मोदी जी – हाँ, हाँ
उस्मान – बाकी मुझे लेकर बहुत खुश रहता है |
मोदी जी – अच्छा, अच्छा | अच्छा आप जब पढ़ रहे थे, तो
उस्मान आपका पसंदीदा विषय क्या था ?
उस्मान – Mathematics
मोदी जी – अरे वाह ! तो क्या mathematic में क्या रूचि रहती
थी? कैसे हुआ ? किस teacher ने आपको प्रेरित
किया?
उस्मान – जी हमारे एक subject teacher रजत सर | उन्होंने मुझे
प्रेरणा दी और वो बहुत अच्छा पढ़ाते हैं और mathematics शुरू से ही मेरा अच्छा रहा है और वो काफी interesting subject भी
मोदी जी – हूँ, हूँ
उस्मान – तो जितना ज्यादा करते हैं, उतना ज्यादा interest आता
है तो इसलिए मेरा favourite subject
मोदी जी – हूँ, हूँ, | आपको मालूम है एक online vedic
mathematics के classes चलते हैं
उस्मान – Yes sir.
मोदी जी – हाँ कभी try किया है इसका ?
उस्मान – नहीं सर, अभी नहीं किया
मोदी जी – आप देखिये, आप बहुत सारे आपके दोस्तों को लगेगा
जैसे आप जादूगर हैं क्योंकि कंप्यूटर की speed से आप गिनती कर सकते हैं Vedic mathematics की | बहुत सरल techniques हैं और आजकल वो online पर भी available होते हैं |
उस्मान – जी सर |
मोदी जी – क्योंकि आपकी mathematics में interest है, तो बहुत
सी नई-नई चीज़ें भी आप दे सकते हैं |
उस्मान – जी सर |
मोदी जी – अच्छा उस्मान, आप खाली समय में क्या करते हैं ?
उस्मान – खाली समय में सर, कुछ-न-कुछ लिखता रहता हूँ मैं |
मुझे लिखने में बहुत interest आता है |
मोदी जी – अरे वाह ! मतलब आप mathematics में भी रूचि लेते
हैं literature में भी रूचि लेते हैं |
उस्मान – yes sir
मोदी जी – क्या लिखते हैं? कविताएँ लिखते हैं, शायरियाँ लिखते हैं
उस्मान – कुछ भी current affairs से related कोई भी topic हो उस पर लिखता रहता हूँ |
मोदी जी – हाँ, हाँ
उस्मान – नयी-नयी जानकारियाँ मिलती रहती हैं जैसे GST चला
था और हमारा नोटबंदी – सब चीज़ |
मोदी जी – अरे वाह ! तो आप कॉलेज की पढाई करने के लिए
आगे का क्या plan बना रहे हैं ?
उस्मान – कॉलेज की पढाई, सर मेरा, JEE Mains का first attempt
clear हो चुका है और अब मैं september के लिए second attempt में अब बैठूंगा | मेरा main aim है कि, मैं पहले IIT से पहले Bachelor Degree लूं और उसके बाद Civil Services में जाऊँ और एक IAS बनूँ |
मोदी जी – अरे वाह ! अच्छा आप technology में भी रूचि लेते हैं?
उस्मान – Yes sir. इसलिए मैंने IT opt किया है first time best IIT
का |
मोदी जी – अच्छा चलिए उस्मान, मेरी तरफ से बहुत शुभकामनाएं
हैं और आपका भाई शरारती है, तो आपका समय भी अच्छा जाता होगा और आपके माताजी-पिताजी को भी मेरी तरफ से प्रणाम कहिये | उन्होंने आपको इस प्रकार से अवसर दिया, हौसला बुलन्द किया, और ये मुझे अच्छा लगा कि आप पढाई के साथ-साथ current issues पर अध्ययन भी करते हैं और लिखते भी हैं | देखिये लिखने का फायदा ये होता है कि आपके विचार में sharpness आती है | बहुत-बहुत अच्छा फायदा होता है लिखने से | तो, बहुत-बहुत बधाई, मेरी तरफ से
उस्मान – Thank you sir.
आइये ! चलिए फिर एकदम से नीचे South में चले जाते हैं | तमिलनाडु, नामाक्कल से बेटी कनिग्गा से बात करेंगे और कनिग्गा की बात तो बहुत ही inspirational है |
मोदी जी : कनिग्गा जी, वडक्कम (Vadakam)
कनिग्गा: वडक्कम (Vadakam) Sir
मोदी जी : How are you
कनिग्गा: Fine sir
मोदी जी : first of all I would like to congratulate you for your
great success.
कनिग्गा: Thank you sir.
मोदी जी : When I hear of Namakkal I think of the Anjaneyar
temple
कनिग्गा: Yes sir.
मोदी जी : Now I will also remember my interaction with you.
कनिग्गा: Yes sir.
मोदी जी : So, Congratulations again.
कनिग्गा: Thank you sir.
मोदी जी : You would have worked very hard for exams, how was
your experience while preparing.
कनिग्गा: Sir, we are working hard from the start so, I didn’t
expect this result but I have written well so I get a good result.
मोदी जी : What were your expectation ?
कनिग्गा: 485 or 486 like that, I thought so
मोदी जी : and now
कनिग्गा: 490
मोदी जी : So what is the reaction of your family members & your
teachers?
कनिग्गा: They were so happy and they were so proud sir.
मोदी जी : Which one is your favorite subject.
कनिग्गा : Mathematics
मोदी जी : Ohh! And what are your future plans?
कनिग्गा: I’m going to become a Doctor if possible in AFMC sir.
मोदी जी : And your family members are also in a medical
profession or somewhere else ?
कनिग्गा: No sir, my father is a driver but my sister is studying in
MBBS sir.
मोदी जी : अरे वाह ! so first of all I will do the प्रणाम to your
father who is taking lot of care your sister and yourself. It’s great service he is doing
कनिग्गा: Yes sir
मोदी जी : and he is inspiration for all.
कनिग्गा: Yes sir
मोदी जी : So my congratulations to you, your sister and your
father and your family.
कनिग्गा: Thank you sir.
साथियो, ऐसे और भी कितने युवा दोस्त हैं, कठिन परिस्थितियों में भी जिनके हौसलें की, जिनकी सफलता की कहानियाँ हमें प्रेरित करती हैं | मेरा मन था कि ज्यादा-से-ज्यादा युवा साथियों से बात करने का मौका मिले, लेकिन, समय की भी कुछ मर्यादाएं रहती हैं | मैं सभी युवा साथियों को यह आग्रह करूँगा कि वो अपनी कहानी, अपनी जुबानी जो देश को प्रेरित कर सके, वो हम सब के साथ, जरुर साझा करें |
मेरे प्यारे देशवासियो, सात समुन्द्र पार, भारत से हजारों मील दूर एक छोटा सा देश है जिसका नाम है ‘सूरीनाम’ | भारत के ‘सूरीनाम’ के साथ बहुत ही करीबी सम्बन्ध हैं | सौ-साल से भी ज्यादा समय पहले, भारत से लोग वहाँ गए, और, उसे ही अपना घर बना लिया | आज, चौथी-पांचवी पीढ़ी वहाँ पर है | आज, सूरीनाम में एक चौथाई से अधिक लोग भारतीय मूल के हैं I क्या आप जानते हैं, वहाँ की आम भाषाओँ में से एक ‘सरनामी’ भी, ‘भोजपुरी’ की ही एक बोली है I इन सांस्कृतिक संबंधों को लेकर हम भारतीय काफ़ी गर्व महसूस करते हैं |
हाल ही में, श्री चन्द्रिका प्रसाद संतोखी, ‘सूरीनाम’ के नये राष्ट्रपति बने हैं | वे, भारत के मित्र हैं, और, उन्होंने साल 2018 में आयोजित Person of Indian Origin (PIO) Parliamentary conference में भी हिस्सा लिया था I श्री चन्द्रिका प्रसाद संतोखी जी ने शपथ की शुरुआत वेद मन्त्रों के साथ की, वे संस्कृत में बोले | उन्होंने, वेदों का उल्लेख किया और “ॐ शांति: शांति: शांति:” के साथ अपनी शपथ पूर्ण करी | अपने हाथ में वेद लेकर वे बोले - मैं, चन्द्रिका प्रसाद संतोखी और, आगे, उन्होंने शपथ में क्या कहा ? उन्होंने वेद का ही एक मंत्र का उच्चारण किया | उन्होंने कहा –
ॐ अग्ने व्रतपते व्रतं चरिष्यामि तच्छकेयम तन्मे राध्यताम |
इदमहमनृतात सत्यमुपैमि ||
यानी, हे अग्नि, संकल्प के देवता, मैं एक प्रतिज्ञा कर रहा हूँ | मुझे इसके लिए शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करें | मुझे असत्य से दूर रहने और सत्य की ओर जाने का आशीर्वाद प्रदान करें | सच में, ये, हम सभी के लिए, गौरवान्वित होने वाली बात है |
मैं श्री चंद्रिका प्रसाद संतोखी को बधाई देता हूँ, और, अपने राष्ट्र की सेवा करने के लिए, 130 करोड़ भारतीयों की ओर से, उन्हें, शुभकामनायें देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, इस समय बारिश का मौसम भी है | पिछली बार भी मैंने आप से कहा था, कि, बरसात में गन्दगी और उनसे होने वाली बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, अस्पतालों में भीड़ भी बढ़ जाती है, इसलिए, आप, साफ़-सफ़ाई पर बहुत ज्यादा ध्यान दें | Immunity बढ़ाने वाली चीजें, आयुर्वेदिक काढ़ा वगैरह लेते रहें | कोरोना संक्रमण के समय में, हम, अन्य बीमारियों से दूर रहें | हमें, अस्पताल के चक्कर न लगाने पड़ें, इसका पूरा ख्याल रखना होगा |
साथियो, बारिश के मौसम में, देश का एक बड़ा हिस्सा, बाढ़ से भी जूझ रहा है | बिहार, असम जैसे राज्यों के कई क्षेत्रों में तो बाढ़ ने काफी मुश्किलें पैदा की हुई हैं, यानी, एक तरफ कोरोना है, तो दूसरी तरफ ये एक और चुनौती है, ऐसे में, सभी सरकारें, NDRF की टीमें, राज्य की आपदा नियंत्रण टीमें, स्वयं सेवी संस्थाएं, सब एक-साथ मिलकर, जुटे हुए हैं, हर तरह से, राहत और बचाव के काम कर रहे हैं | इस आपदा से प्रभावित सभी लोगों के साथ पूरा देश खड़ा है |
साथियो, अगली बार, जब हम, ‘मन की बात’ में मिलेंगे, उसके पहले ही, 15 अगस्त भी आने वाला है | इस बार 15 अगस्त भी, अलग परिस्थितियों में होगा - कोरोना महामारी की इस आपदा के बीच होगा |
मेरा, अपने युवाओं से, सभी देशवासियों से, अनुरोध है, कि, हम स्वतंत्रता दिवस पर, महामारी से आजादी का संकल्प लें, आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लें, कुछ नया सीखने, और सिखाने का, संकल्प लें, अपने कर्त्तव्यों के पालन का संकल्प लें | हमारा देश आज जिस ऊँचाई पर है, वो, कई ऐसी महान विभूतियों की तपस्या की वजह से है, जिन्होंने, राष्ट्र निर्माण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, उन्हीं महान विभूतियों में से एक हैं ‘लोकमान्य तिलक’ | 1 अगस्त 2020 को लोकमान्य तिलक जी की 100वीं पुण्यतिथि है | लोकमान्य तिलक जी का जीवन हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है | हम सभी को बहुत कुछ सिखाता है |
अगली बार जब हम मिलेंगें, तो, फिर ढ़ेर सारी बातें करेंगे, मिलकर कुछ नया सीखेंगे, और सबके साथ साझा करेंगें | आप सब, अपना ख्याल रखिये, अपने परिवार का ख्याल रखिये, और स्वस्थ रहिए | सभी देशवासियों को आने वाले सभी पर्वों की बहुत-बहुत शुभकामनायें | बहुत-बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | ‘मन की बात’ ने वर्ष 2020 में अपना आधा सफ़र अब पूरा कर लिया है | इस दौरान हमने अनेक विषयों पर बात की I स्वाभाविक है कि जो वैश्विक महामारी आयी, मानव जाति पर जो संकट आया, उस पर, हमारी बातचीत कुछ ज्यादा ही रही, लेकिन, इन दिनों मैं देख रहा हूं, लगातार लोगों में, एक विषय पर चर्चा हो रही है, कि, आखिर ये साल कब बीतेगा I कोई किसी को फोन भी कर रहा है, तो, बातचीत, इसी विषय से शुरू हो रही है, कि, ये साल जल्दी क्यों नहीं बीत रहा है I कोई लिख रहा है, दोस्तों से बात कर रहा है, कह रहा है, कि, ये साल अच्छा नहीं है, कोई कह रहा है 2020 शुभ नहीं है I बस, लोग यही चाहते हैं कि किसी भी तरह से ये साल जल्द-से-जल्द बीत जाए I
साथियो, कभी कभी मैं सोचता हूँ, कि, ऐसा क्यों हो रहा है, हो सकता है ऐसी बातचीत के कुछ कारण भी हों | 6-7 महीना पहले, ये, हम कहां जानते थे, कि, कोरोना जैसा संकट आएगा और इसके खिलाफ़ ये लड़ाई इतनी लम्बी चलेगी I ये संकट तो बना ही हुआ है, ऊपर से, देश में नित नयी चुनौतियाँ सामने आती जा रही हैं | अभी, कुछ दिन पहले, देश के पूर्वी छोर पर Cyclone Amphan आया, तो, पश्चिमी छोर पर Cyclone Nisarg आया I कितने ही राज्यों में हमारे किसान भाई–बहन टिड्डी दल के हमले से परेशान हैं, और कुछ नहीं, तो, देश के कई हिस्सों में छोटे-छोटे भूकंप रुकने का ही नाम नहीं ले रहे, और इन सबके बीच, हमारे कुछ पड़ोसियों द्वारा जो हो रहा है, देश उन चुनौतियों से भी निपट रहा है I वाकई, एक-साथ इनती आपदाएं, इस स्तर की आपदाएं, बहुत कम ही देखने-सुनने को मिलती हैं I हालत तो ये हो गयी है, कि, कोई छोटी-छोटी घटना भी हो रही है, तो, लोग उन्हें भी इन चुनौतियों के साथ जोड़कर के देख रहें हैं I
साथियो, मुश्किलें आती हैं, संकट आते हैं, लेकिन, सवाल यही है, कि, क्या इन आपदाओं की वजह से हमें साल 2020 को ख़राब मान लेना चाहिए? क्या पहले के 6 महीने जैसे बीते, उसकी वजह से, ये, मान लेना कि पूरा साल ही ऐसा है, क्या ये सोचना सही है ? जी नहीं I मेरे प्यारे देशवासियो - बिल्कुल नहीं I एक साल में एक चुनौती आए, या, पचास चुनौतियां आएँ, नंबर कम-ज्यादा होने से, वो साल, ख़राब नहीं हो जाता I भारत का इतिहास ही आपदाओं और चुनौतियों पर जीत हासिल कर, और ज्यादा निखरकर निकलने का रहा है I सैकड़ों वर्षों तक अलग- अलग आक्रांताओं ने भारत पर हमला किया, उसे संकटों में डाला, लोगों को लगता था कि भारत की संरचना ही नष्ट हो जाएगी, भारत की संस्कृति ही समाप्त हो जाएगी, लेकिन, इन संकटों से भारत और भी भव्य होकर सामने आया I
साथियो, हमारे यहां कहा जाता है - सृजन शास्वत है, सृजन निरंतर है I
मुझे एक गीत की कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं –
यह कल-कल छल-छल बहती, क्या कहती गंगा धारा ?
युग-युग से बहता आता, यह पुण्य प्रवाह हमारा I
उसी गीत में, आगे आता है –
क्या उसको रोक सकेंगे, मिटनेवाले मिट जाएं,
कंकड़-पत्थर की हस्ती, क्या बाधा बनकर आए I
भारत में भी, जहां, एक तरफ़ बड़े-बड़े संकट आते गए, वहीँ, सभी बाधाओं को दूर करते हुए अनेकों-अनेक सृजन भी हुए I नए साहित्य रचे गए, नए अनुसंधान हुए, नए सिद्धांत गड़े गए, यानि, संकट के दौरान भी, हर क्षेत्र में, सृजन की प्रक्रिया जारी रही और हमारी संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही, देश आगे बढ़ता ही रहा I भारत ने हमेशा, संकटों को, सफलता की सीढियों में परिवर्तित किया है | इसी भावना के साथ, हमें, आज भी, इन सारे संकटों के बीच आगे बढ़ते ही रहना है I आप भी इसी विचार से आगे बढ़ेंगे, 130 करोड़ देशवासी आगे बढ़ेंगे, तो, यही साल, देश के लिये नए कीर्तिमान बनाने वाला साल साबित होगा | इसी साल में, देश, नये लक्ष्य प्राप्त करेगा, नयी उड़ान भरेगा, नयी ऊँचाइयों को छुएगा I मुझे, पूरा विश्वास, 130 करोड़ देशवासियों की शक्ति पर है, आप सब पर है, इस देश की महान परम्परा पर है I
मेरे प्यारे देशवासियो, संकट चाहे जितना भी बड़ा हो, भारत के संस्कार, निस्वार्थ भाव से सेवा की प्रेरणा देते हैं | भारत ने जिस तरह मुश्किल समय में दुनिया की मदद की, उसने आज, शांति और विकास में भारत की भूमिका को और मज़बूत किया है | दुनिया ने इस दौरान भारत की विश्व बंधुत्व की भावना को भी महसूस किया है, और इसके साथ ही, दुनिया ने अपनी संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने के लिए भारत की ताकत और भारत के commitment को भी देखा है | लद्दाख में भारत की भूमि पर, आँख उठाकर देखने वालों को, करारा जवाब मिला है | भारत, मित्रता निभाना जानता है, तो, आँख-में-आँख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है | हमारे वीर सैनिकों ने दिखा दिया है, कि, वो, कभी भी माँ भारती के गौरव पर आँच नहीं आने देंगे |
साथियो, लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है | पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मस्तक है | इन साथियों के परिवारों की तरह ही, हर भारतीय, इन्हें खोने का दर्द भी अनुभव कर रहा है | अपने वीर-सपूतों के बलिदान पर, उनके परिजनों में गर्व की जो भावना है, देश के लिए जो ज़ज्बा है - यही तो देश की ताकत है | आपने देखा होगा, जिनके बेटे शहीद हुए, वो माता-पिता, अपने दूसरे बेटों को भी, घर के दूसरे बच्चों को भी, सेना में भेजने की बात कर रहे हैं | बिहार के रहने वाले शहीद कुंदन कुमार के पिताजी के शब्द तो कानों में गूँज रहे हैं | वो कह रहे थे, अपने पोतों को भी, देश की रक्षा के लिए, सेना में भेजूंगा | यही हौंसला हर शहीद के परिवार का है | वास्तव में, इन परिजनों का त्याग पूजनीय है | भारत-माता की रक्षा के जिस संकल्प से हमारे जवानों ने बलिदान दिया है, उसी संकल्प को हमें भी जीवन का ध्येय बनाना है, हर देश-वासी को बनाना है | हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे, सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने - यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी | मुझे, असम से रजनी जी ने लिखा है, उन्होंने, पूर्वी लद्दाख में जो कुछ हुआ, वो देखने के बाद, एक प्रण लिया है - प्रण ये, कि, वो local ही खरीदेंगे, इतना ही नहीं local के लिए vocal भी होगी | ऐसे संदेश, मुझे, देश के हर कोने से आ रहे हैं | बहुत से लोग, मुझे पत्र लिखकर बता रहे हैं, कि, वो इस ओर बढ़ चले हैं | इसी तरह, तमिलनाडु के मदुरै से मोहन रामामूर्ति जी ने लिखा है, कि, वो, भारत को defence के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनते हुए देखना चाहते हैं |
साथियो, आज़ादी के पहले हमारा देश defence sector में दुनिया के कई देशों से आगे था | हमारे यहाँ अनेकों ordinance फैक्ट्रियां होती थीं | उस समय कई देश, जो, हमसे बहुत पीछे थे, वो, आज हमसे आगे हैं | आज़ादी के बाद defence sector में हमें जो प्रयास करने चाहिए थे, हमें अपने पुराने अनुभवों का जो लाभ उठाना चाहिए था, हम उसका लाभ नहीं उठा पाए | लेकिन, आज defence sector में, technology के क्षेत्र में, भारत आगे बढ़ने का निरंतर प्रयास कर रहा है, भारत आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा रहा है |
साथियो, कोई भी मिशन, People’s Participation जन-भागीदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता, सफल नहीं हो सकता, इसीलिए, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में, एक नागरिक के तौर पर, हम सबका संकल्प, समर्पण और सहयोग बहुत जरूरी है, अनिवार्य है | आप, local खरीदेंगे, local के लिए vocal होंगे, तो समझिए, आप, देश को मजबूत करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं | ये भी, एक तरह से देश की सेवा ही है | आप, किसी भी profession में हों, हर-एक जगह, देश-सेवा का बहुत scope होता ही है | देश की आवश्यकता को समझते हुए, जो भी कार्य करते हैं, वो, देश की सेवा ही होती है | आपकी यही सेवा, देश को कहीं- न-कहीं मजबूत भी करती है, और, हमें, ये भी याद रखना है - हमारा देश जितना मजबूत होगा, दुनिया में शांति की संभावनाएं भी उतनी ही मजबूत होंगी | हमारे यहाँ कहा जाता है -
विद्या विवादाय धनं मदाय, शक्ति: परेषां परिपीडनाय |
खलस्य साधो: विपरीतम् एतत्, ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय ||
अर्थात, अगर स्वभाव से दुष्ट है, तो, विद्या का प्रयोग व्यक्ति विवाद में, धन का प्रयोग घमंड में, और ताकत का प्रयोग दूसरों को तकलीफ देने में करता है | लेकिन, सज्जन की विद्या, ज्ञान के लिए, धन मदद के लिए, और ताकत, रक्षा करने के लिए इस्तेमाल होती है | भारत ने अपनी ताकत हमेशा इसी भावना के साथ इस्तेमाल की है | भारत का संकल्प है - भारत के स्वाभिमान और संप्रभुता की रक्षा | भारत का लक्ष्य है – आत्मनिर्भर भारत | भारत की परंपरा है – भरोसा, मित्रता | भारत का भाव है – बंधुता, हम इन्हीं आदर्शों के साथ आगे बढ़ते रहेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना के संकट काल में देश lockdown से बाहर निकल आया है | अब हम unlock के दौर में हैं | unlock के इस समय में, दो बातों पर बहुत focus करना है - कोरोना को हराना और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना, उसे ताकत देना | साथियो, lockdown से ज्यादा सतर्कता हमें unlock के दौरान बरतनी है | आपकी सतर्कता ही आपको कोरोना से बचाएगी | इस बात को हमेशा याद रखिए कि अगर आप mask नहीं पहनते हैं, दो गज की दूरी का पालन नहीं करते हैं, या फिर, दूसरी जरुरी सावधानियां नहीं बरतते हैं, तो, आप अपने साथ-साथ दूसरों को भी जोखिम में डाल रहे हैं | खास-तौर पर, घर के बच्चों और बुजुर्गों को, इसीलिए, सभी देशवासियों से मेरा निवेदन है और ये निवेदन मैं बार-बार करता हूँ और मेरा निवेदन है कि आप लापरवाही मत बरतिये, अपना भी ख्याल रखिए, और, दूसरों का भी |
साथियो, unlock के दौर में बहुत सी ऐसी चीजें भी unlock हो रही हैं, जिनमें भारत दशकों से बंधा हुआ था | वर्षों से हमारा mining sector lockdown में था | Commercial Auction को मंजूरी देने के एक निर्णय ने स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है | कुछ ही दिन पहले space sector में ऐतिहासिक सुधार किए गए | उन सुधारों के जरिए वर्षों से lockdown में जकड़े इस sector को आजादी मिली | इससे आत्मनिर्भर भारत के अभियान को न केवल गति मिलेगी, बल्कि देश technology में भी advance बनेगा | अपने कृषि क्षेत्र को देखें, तो, इस sector में भी बहुत सारी चीजें दशकों से lockdown में फसी थीं | इस sector को भी अब unlock कर दिया गया है | इससे जहां एक तरफ किसानों को अपनी फसल कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की आजादी मिली है, वहीँ, दूसरी तरफ, उन्हें अधिक ऋण मिलना भी सुनिश्चित हुआ है, ऐसे, अनेक क्षेत्र हैं जहाँ हमारा देश इन सब संकटों के बीच, ऐतिहासिक निर्णय लेकर, विकास के नये रास्ते खोल रहा है |
मेरे प्यारे देशवासियो, हर महीने, हम ऐसी ख़बरें पढ़ते और देखते हैं, जो हमें भावुक कर देती हैं | यह, हमें, इस बात का स्मरण कराती हैं, कि, कैसे, हर भारतीय एक-दूसरे की मदद के लिए तत्पर हैं, वह, जो कुछ भी कर सकता है, उसे करने में जुटा है |
अरुणाचल प्रदेश की एक ऐसी ही प्रेरक कहानी, मुझे, media में पढ़ने को मिली | यहां, सियांग जिले के मिरेम गांव ने वो अनोखा कार्य कर दिखाया, जो समूचे भारत के लिए, एक मिसाल बन गया है | इस गांव के कई लोग, बाहर रहकर, नौकरी करते हैं | गांव वालों ने देखा कि कोरोना महामारी के समय, ये सभी, अपने गांव की ओर लौट रहे हैं | ऐसे में, गांव वालों ने, पहले से ही गांव के बाहर quarantine का इंतजाम करने का फैसला किया | उन्होंने, आपस में मिलकर, गांव से कुछ ही दूरी पर, 14 अस्थायी झोपड़ियाँ बना दीं, और ये तय किया, कि, जब, गांव वाले लौटकर आएंगे तो उन्हें इन्हीं झोपड़ियों में कुछ दिन quarantine में रखा जाएगा | उन झोपड़ियों में शौचालय, बिजली-पानी समेत, दैनिक जरुरत की हर तरह की सुविधा उपलब्ध करायी गयी | जाहिर है, मिरेम गांव के लोगों के इस सामूहिक प्रयास और जागरूकता ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया |
साथियो, हमारे यहां कहा जाता है -
स्वभावं न जहाति एव, साधु: आपद्रतोपी सन |
कर्पूर: पावक स्पृष्ट: सौरभं लभतेतराम ||
अर्थात, जैसे कपूर, आग में तपने पर भी अपनी सुगंध नहीं छोड़ता, वैसे ही अच्छे लोग आपदा में भी अपने गुण, अपना स्वभाव नहीं छोड़ते | आज, हमारे देश की जो श्रमशक्ति है, जो श्रमिक साथी हैं, वो भी, इसका जीता जागता उदाहरण हैं | आप देखिए, इन दिनों हमारे प्रवासी श्रमिकों की ऐसी कितनी ही कहानियां आ रही हैं जो पूरे देश को प्रेरणा दे रही हैं | यू.पी. के बाराबंकी में गांव लौटकर आए मजदूरों ने कल्याणी नदी का प्राकृतिक स्वरूप लौटाने के लिए काम शुरू कर दिया | नदी का उद्धार होता देख, आस-पास के किसान, आस-पास के लोग भी उत्साहित हैं | गांव में आने के बाद, quarantine centre में रहते हुए, isolation centre में रहते हुए, हमारे श्रमिक साथियों ने जिस तरह अपने कौशल्य का इस्तेमाल करते हुए अपने आस-पास की स्थितियों को बदला है, वो अद्भुत है, लेकिन, साथियो, ऐसे कितने ही किस्से कहानियां देश के लाखों गांव के हैं, जो, हम तक नहीं पहुंच पाए हैं |
जैसा हमारे देश का स्वाभाव है, मुझे विश्वास है, साथियो, कि आपके गांव में भी, आपके आस-पास भी, ऐसी अनेक घटनाये घटी होंगी | अगर, आपके ध्यान में ऐसी बात आयी है, तो, आप, ऐसी प्रेरक घटना को मुझे जरूर लिखिए | संकट के इस समय में, ये सकारात्मक घटनाएँ, ये कहानियाँ, औरों को भी प्रेरणा देंगी |
मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना वायरस ने निश्चित रूप से हमारे जीवन जीने के तरीकों में बदलाव ला दिया है | मैं, London से प्रकाशित Financial Times में एक बहुत ही दिलचस्प लेख पढ़ रहा था | इसमें लिखा था, कि, कोरोना काल के दौरान अदरक, हल्दी समेत दूसरे मसालों की मांग, एशिया के आलावा, अमेरिका तक में भी बढ़ गई है | पूरी दुनिया का ध्यान इस समय अपनी immunity बढ़ाने पर है, और, immunity बढ़ाने वाली इन चीजों का संबंध हमारे देश से है | हमें, इनकी खासियत, विश्व के लोगों को ऐसी सहज और सरल भाषा में बतानी चाहिए, जिससे वे आसानी से समझ सकें और हम एक Healthier Planet बनाने में अपना योगदान दे सकें |
मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना जैसा संकट नहीं आया होता, तो शायद, जीवन क्या है, जीवन क्यों है, जीवन कैसा है, हमें, शायद, ये, याद ही नहीं आता | कई लोग, इसी वजह से, मानसिक तनावों में जीते रहे हैं | तो, दूसरी ओर, लोगों ने मुझे ये भी share किया है, कि, कैसे lockdown के दौरान, खुशियों के छोटे-छोटे पहलू भी - उन्होंने जीवन में re-discover किए हैं | कई लोगों ने, मुझे, पारम्परिक in-door games खेलने और पूरे परिवार के साथ उसका आनंद लेने के अनुभव भेजे हैं |
साथियो, हमारे देश में पारम्परिक खेलों की बहुत समृद्ध विरासत रही है | जैसे, आपने एक खेल का नाम सुना होगा – पचीसी | यह खेल तमिलनाडु में “पल्लान्गुली”, कर्नाटक में ‘अलि गुलि मणे’ और आन्ध्र प्रदेश में “वामन गुंटलू” के नाम से खेला जाता है | ये एक प्रकार का Strategy Game है, जिसमें, एक board का उपयोग किया जाता है | इसमें, कई खांचे होते हैं, जिनमें मौजूद गोली या बीज को खिलाडियों को पकड़ना होता है | कहा जाता है कि यह game दक्षिण भारत से दक्षिण-पूर्व एशिया और फिर दुनिया में फैला है |
साथियो, आज हर बच्चा सांप-सीढ़ी के खेल के बारे में जानता है | लेकिन, क्या आपको पता है कि यह भी एक भारतीय पारंपरिक game का ही रूप है, जिसे मोक्ष पाटम या परमपदम कहा जाता है | हमारे यहाँ का एक और पारम्परिक गेम रहा है – गुट्टा | बड़े भी गुट्टे खेलते हैं और बच्चे भी - बस, एक ही size के पांच छोटे पत्थर उठाए और आप गुट्टे खेलने के लिए तैयार | एक पत्थर हवा में उछालिए और जब तक वो पत्थर हवा में हो आपको जमीन में रखे बाकी पत्थर उठाने होते हैं | आमतौर पर हमारे यहाँ Indoor खेलों में कोई बड़े साधनों की जरूरत नहीं होती है | कोई एक chalk या पत्थर ले आता है, उससे जमीन पर ही कुछ लकीरे खींच देता और फिर खेल शुरू हो जाता है | जिन खेलों में dice की जरूरत पड़ती है, कौड़ियों से या इमली के बीज से भी काम चल जाता है |
साथियो, मुझे मालूम है, आज, जब मैं ये बात कर रहा हूँ, तो, कितने ही लोग अपने बचपन में लौट गए होंगे, कितनों को ही अपने बचपन के दिन याद आ गए होंगे | मैं यही कहूँगा कि उन दिनों को आप भूले क्यों हैं? उन खेलों को आप भूले क्यों हैं? मेरा, घर के नाना-नानी, दादा-दादी, घर के बुजुर्गों से आग्रह है, कि, नयी पीढ़ी में ये खेल आप अगर transfer नहीं करेंगे तो कौन करेगा! जब online पढ़ाई की बात आ रही है, तो balance बनाने के लिए, online खेल से मुक्ति पाने के लिए भी, हमें, ऐसा करना ही होगा | हमारी युवा पीढ़ी के लिए भी, हमारे start-ups के लिए भी, यहाँ, एक नया अवसर है, और, मजबूत अवसर है | हम भारत के पारम्परिक Indoor Games को नये और आकर्षक रूप में प्रस्तुत करें | उनसे जुड़ी चीजों को जुटाने वाले, supply करने वाले, start-ups बहुत popular हो जाएँगे, और, हमें ये भी याद रखना है, हमारे भारतीय खेल भी तो local हैं, और हम local के लिए vocal होने का प्रण पहले ही ले चुके हैं, और, मेरे बाल-सखा मित्रों, हर घर के बच्चों से, मेरे नन्हें साथियों से भी, आज, मैं एक विशेष आग्रह करता हूँ | बच्चों, आप मेरा आग्रह मानेगें न? देखिये, मेरा आग्रह है, कि, मैं जो कहता हूँ, आप, जरूर करिए, एक काम करिए – जब थोड़ा समय मिले, तो, माता-पिता से पूछकर मोबाइल उठाइए और अपने दादा-दादी, नाना-नानी या घर में जो भी बुर्जुर्ग है, उनका interview record कीजिए, अपने मोबाइल फ़ोन में record करिए | जैसे आपने टीवी पर देखा होगा ना, कैसे पत्रकार interview करते हैं, बस वैसा ही interview आप कीजिए, और, आप, उनसे सवाल क्या करेंगे? मैं आपको सुझाव देता हूँ | आप, उनसे जरुर पूछिए, कि, वो, बचपन में उनका रहन-सहन कैसा था, वो कौन से खेल खेलते थे, कभी नाटक देखने जाते थे, सिनेमा देखने जाते थे, कभी छुट्टियों में मामा के घर जाते थे, कभी खेत-खलियान में जाते थे, त्यौहार कैसे मानते थे, बहुत सी बातें आप उनको पूछ सकते हैं, उनको भी, 40-50 साल, 60 साल पुरानी अपनी जिंदगी में जाना, बहुत, आनंद देगा और आपके लिए 40-50 साल पहले का हिंदुस्तान कैसा था, आप, जहाँ रहते हैं, वो इलाका कैसा था, वहाँ परिसर कैसा था, लोगों के तौर-तरीके क्या थे - सब चीजें, बहुत आसानी से, आपको, सीखने को मिलेगी, जानने को मिलेगी, और, आप देखिए, आपको, बहुत मजा आएगा, और, परिवार के लिए एक बहुत ही अमूल्य ख़जाना, एक अच्छा video album भी बन जाएगा |
साथियो, यह सत्य है - आत्मकथा या जीवनी, autobiography या biography, इतिहास की सच्चाई के निकट जाने के लिए बहुत ही उपयोगी माध्यम होती है | आप भी, अपने बड़े-बुजुर्गों से बातें करेंगे, तो, उनके समय की बातों को, उनके बचपन, उनके युवाकाल की बातों को और आसानी से समझ पाएँगे | ये बेहतरीन मौका है कि बुजुर्ग भी अपने बचपन के बारे में, उस दौर के बारे में, अपने घर के बच्चों को बताएँ |
साथियो, देश के एक बड़े हिस्से में, अब, मानसून पहुँच चुका है | इस बार बारिश को लेकर मौसम विज्ञानी भी बहुत उत्साहित हैं, बहुत उम्मीद जता रहा है | बारिश अच्छी होगी तो हमारे किसानों की फसलें अच्छी होंगी, वातावरण भी हरा-भरा होगा | बारिश के मौसम में प्रकृति भी जैसे खुद को rejuvenate कर लेती है | मानव, प्राकृतिक संसाधनों का जितना दोहन करता है, प्रकृति एक तरह से, बारिश के समय, उनकी भरपाई करती है, refilling करती है | लेकिन, ये refilling तभी हो सकती है जब हम भी इसमें अपनी धरती-माँ का साथ दें, अपना दायित्व निभाएँ | हमारे द्वारा किया गया थोड़ा सा प्रयास, प्रकृति को, पर्यावरण को, बहुत मदद करता है | हमारे कई देशवासी तो इसमें बहुत बड़ा काम कर रहे हैं |
कर्नाटक के मंडावली में एक 80-85 साल के बुजुर्ग हैं, Kamegowda | कामेगौड़ा जी एक साधारण किसान हैं, लेकिन, उनका व्यक्तित्व बहुत असाधारण है | उन्होंने, एक ऐसा काम किया है कि कोई भी आश्चर्य में पड़ जायेगा | 80-85 साल के कामेगौड़ा जी, अपने जानवरों को चराते हैं, लेकिन, साथ-साथ उन्होंने अपने क्षेत्र में नये तालाब बनाने का भी बीड़ा उठाया हुआ है | वे अपने इलाके में पानी की समस्या को दूर करना चाहते हैं, इसलिए, जल-संरक्षण के काम में, छोटे-छोटे तालाब बनाने के काम में जुटे हैं | आप हैरान होंगे कि 80-85 वर्ष के कामेगौड़ा जी, अब तक, 16 तालाब खोद चुके हैं, अपनी मेहनत से, अपने परिश्रम से | हो सकता है कि ये जो तालाब उन्होंने बनाए, वो, बहुत बड़े-बड़े न हों, लेकिन, उनका ये प्रयास बहुत बड़ा है | आज, पूरे इलाके को, इन तालाबों से एक नया जीवन मिला है |
साथियो, गुजरात के वडोदरा का भी एक उदहारण बहुत प्रेरक है | यहाँ, जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों ने मिलकर एक दिलचस्प मुहिम चलाई | इस मुहिम की वजह से आज वडोदरा में, एक हजार स्कूलों में rain water harvesting होने लगी है | एक अनुमान है, कि, इस वजह से, हर साल, औसतन करीब 10 करोड़ लीटर पानी, बेकार बह जाने से बचाया जा रहा है |
साथियो, इस बरसात में प्रकृति की रक्षा के लिए, पर्यावरण की रक्षा के लिए, हमें भी, कुछ इसी तरह सोचने की, कुछ करने की पहल करनी चाहिए | जैसे कई स्थानों पर, गणेश चतुर्थी को लेकर तैयारियाँ शुरू होने जा रही होंगी | क्या इस बार, हम प्रयास कर सकते हैं कि eco-friendly गणेश जी की प्रतिमायें बनायेंगे, और, उन्हीं का पूजन करेंगे | क्या हम, ऐसी प्रतिमाओं के पूजन से बच सकते हैं, जो, नदी-तालाबों में विसर्जित किये जाने के बाद, जल के लिए, जल में रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए संकट बन जाती है | मुझे विश्वास है, आप, ऐसा जरुर करेंगे और इन सब बातों के बीच हमें ये भी ध्यान रखना है कि मानसून के season में कई बीमारियाँ भी आती हैं | कोरोना काल में हमें इनसे भी बचकर रहना है | आर्युवेदिक औषधियाँ, काढ़ा, गर्म पानी, इन सबका इस्तेमाल करते रहिए, स्वस्थ रहिए |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज 28 जून को भारत अपने एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री को श्रृद्धांजलि दे रहा है, जिन्होंने एक नाजुक दौर में देश का नेतृत्व किया | हमारे, ये, पूर्व प्रधानमंत्री श्री पी. वी नरसिम्हा राव जी की आज जन्म-शताब्दी वर्ष की शुरुआत का दिन है | जब, हम, पी.वी नरसिम्हा राव जी के बारे में बात करते हैं, तो, स्वाभाविक रूप से राजनेता के रूप में उनकी छवि हमारे सामने उभरती है, लेकिन, यह भी सच्चाई है, कि, वे, अनेक भाषाओँ को जानते थे | भारतीय एवं विदेशी भाषाएँ बोल लेते थे | वे, एक ओर भारतीय मूल्यों में रचे-बसे थे, तो दूसरी ओर, उन्हें पाश्चात्य साहित्य और विज्ञान का भी ज्ञान था | वे, भारत के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक थे | लेकिन, उनके जीवन का एक और पहलू भी है, और वो उल्लेखनीय है, हमें जानना भी चाहिए| साथियो, नरसिम्हा राव जी अपनी किशोरावस्था में ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए थे | जब, हैदराबाद के निजाम ने वन्दे मातरम् गाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, तब, उनके ख़िलाफ़ आंदोलन में उन्होंने भी सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था, उस समय, उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी | छोटी उम्र से ही श्रीमान नरसिम्हा राव अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज उठाने में आगे थे | अपनी आवाज बुलंद करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ते थे | नरसिम्हा राव जी इतिहास को भी बहुत अच्छी तरह समझते थे | बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से उठकर उनका आगे बढ़ना, शिक्षा पर उनका जोर, सीखने की उनकी प्रवृत्ति, और, इन सबके साथ, उनकी, नेतृत्व क्षमता – सब कुछ स्मरणीय है | मेरा आग्रह है, कि, नरसिम्हा राव जी के जन्म-शताब्दी वर्ष में, आप सभी लोग, उनके जीवन और विचारों के बारे में, ज्यादा-से-ज्यादा जानने का प्रयास करें | मैं, एक बार फिर उन्हें अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, इस बार ‘मन की बात’ में कई विषयों पर बात हुई | अगली बार जब हम मिलेंगे, तो कुछ और नए विषयों पर बात होगी | आप, अपने संदेश, अपने innovative ideas मुझे जरूर भेजते रहिये | हम, सब-मिलकर आगे बढ़ेंगे, और आने वाले दिन और भी सकारात्मक होंगे, जैसा कि, मैंने, आज शुरू में कहा, हम, इसी साल यानि 2020 में ही बेहतर करेंगे, आगे बढ़ेंगे और देश भी नई उंचाईयों को छुएगा | मुझे भरोसा है कि 2020, भारत को इस दशक में एक नयी दिशा देने वाला वर्ष साबित होगा | इसी भरोसे को लेकर, आप भी आगे बढ़िये, स्वस्थ रहिए, सकारात्मक रहिए | इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, आप सभी का बहुत–बहुत धन्यवाद |
नमस्कार |
मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार | कोरोना के प्रभाव से हमारी ‘मन की बात’ भी अछूती नहीं रही है | जब मैंने पिछली बार आपसे ‘मन की बात’ की थी, तब, passenger ट्रेनें बंद थीं, बसें बंद थीं, हवाई सेवा बंद थी | इस बार, बहुत कुछ खुल चुका है, श्रमिक special ट्रेनें चल रही हैं, अन्य special ट्रेनें भी शुरू हो गई हैं | तमाम सावधानियों के साथ, हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीरे-धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुआ है, यानी, अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है, खुल गया है | ऐसे में, हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है | दो गज की दूरी का नियम हो, मुँह पर mask लगाने की बात हो, हो सके वहाँ तक, घर में रहना हो, ये सारी बातों का पालन, उसमें जरा भी ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए |
देश में, सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है | जब हम दुनिया की तरफ देखते हैं, तो, हमें अनुभव होता है कि वास्तव में भारतवासियों की उपलब्धि कितनी बड़ी है | हमारी जनसँख्या ज़्यादातर देशों से कई गुना ज्यादा है | हमारे देश में चुनौतियाँ भी भिन्न प्रकार की हैं, लेकिन, फिर भी हमारे देश में कोरोना उतनी तेजी से नहीं फ़ैल पाया, जितना दुनिया के अन्य देशों में फैला | कोरोना से होने वाली मृत्यु दर भी हमारे देश में काफी कम है |
जो नुकसान हुआ है, उसका दुःख हम सबको है | लेकिन जो कुछ भी हम बचा पाएं हैं, वो निश्चित तौर पर, देश की सामूहिक संकल्पशक्ति का ही परिणाम है | इतने बड़े देश में, हर-एक देशवासी ने, खुद, इस लड़ाई को लड़ने की ठानी है, ये पूरी मुहिम people driven है |
साथियो, देशवासियों की संकल्पशक्ति के साथ, एक और शक्ति इस लड़ाई में हमारी सबसे बड़ी ताकत है – वो है - देशवासियों की सेवाशक्ति | वास्तव में, इस माहामारी के समय, हम भारतवासियों ने ये दिखा दिया है, कि, सेवा और त्याग का हमारा विचार, केवल हमारा आदर्श नहीं है, बल्कि, भारत की जीवनपद्धति है, और, हमारे यहाँ तो कहा गया है – सेवा परमो धर्म:
सेवा स्वयं में सुख है, सेवा में ही संतोष है |
आपने देखा होगा, कि, दूसरों की सेवा में लगे व्यक्ति के जीवन में, कोई depression, या तनाव, कभी नहीं दिखता | उसके जीवन में, जीवन को लेकर उसके नजरिए में, भरपूर आत्मविश्वास, सकारात्मकता और जीवंतता प्रतिपल नजर आती है |
साथियो, हमारे डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडिया के साथी, ये सब, जो सेवा कर रहे हैं, उसकी चर्चा मैंने कई बार की है | ‘मन की बात’ में भी मैंने उसका जिक्र किया है | सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले लोगों की संख्या अनगिनत है |
ऐसे ही एक सज्जन हैं तमिलनाडु के सी. मोहन | सी. मोहन जी मदुरै में एक saloon चलाते हैं | अपनी मेहनत की कमाई से इन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए पांच लाख रूपये बचाए थे, लेकिन, इन्होंने ये पूरी राशि इस समय जरुरतमंदों, ग़रीबों की सेवा के लिए, खर्च कर दी |
इसी तरह, अगरतला में, ठेला चलाकर जीवनयापन करने वाले गौतमदास जी अपनी रोजमर्रा की कमाई की बचत में से, हर रोज़, दाल-चावल खरीदकर जरुरतमंदों को खाना खिला रहे हैं |
पंजाब के पठानकोट से भी एक ऐसा ही उदाहरण मुझे पता चला | यहाँ दिव्यांग, भाई राजू ने, दूसरों की मदद से जोड़ी गई, छोटी सी पूंजी से, तीन हजार से अधिक mask बनवाकर लोगों में बांटे | भाई राजू ने, इस मुश्किल समय में, करीब 100 परिवारों के लिए खाने का राशन भी जुटाया है |
देश के सभी इलाकों से women self help group के परिश्रम की भी अनगिनत कहानियाँ इन दिनों हमारे सामने आ रही हैं | गांवों में, छोटे कस्बों में, हमारी बहनें-बेटियाँ, हर दिन हजारों की संख्या में mask बना रही हैं | तमाम सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में इनका सहयोग कर रही हैं |
साथियो, ऐसे कितने ही उदाहरण, हर दिन, दिखाई और सुनाई पड़ रहे हैं | कितने ही लोग, खुद भी मुझे NamoApp और अन्य माध्यमों के जरिए अपने प्रयासों के बारे में बता रहे हैं |
कई बार समय की कमी के चलते, मैं, बहुत से लोगों का, बहुत से संगठनों का, बहुत सी संस्थाओं का, नाम नहीं ले पाता हूँ | सेवा-भाव से, लोगों की मदद कर रहे, ऐसे सभी लोगों की, मैं प्रशंसा करता हूँ, उनका आदर करता हूँ, उनका तहेदिल से अभिनन्दन करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, एक और बात, जो, मेरे मन को छू गई है, वो है, संकट की इस घड़ी में innovation | तमाम देशवासी गाँवों से लेकर शहरों तक, हमारे छोटे व्यापारियों से लेकर startup तक, हमारी labs कोरोना के खिलाफ लड़ाई में, नए-नए तरीके इज़ाद कर रहे हैं, नए-नए innovation कर रहे हैं |
जैसे, नासिक के राजेन्द्र यादव का उदाहरण बहुत दिलचस्प है | राजेन्द्र जी नासिक में सतना गाँव के किसान हैं | अपने गाँव को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए, उन्होंने, अपने tractor से जोड़कर एक sanitization मशीन बना ली है, और ये innovative मशीन बहुत प्रभावी तरीके से काम कर रही है |
इसी तरह, मैं social media में कई तस्वीरें देख रहा था | कई दुकानदारों ने, दो गज की दूरी के लिए, दुकान में, बड़े pipeline लगा लिए हैं, जिसमें, एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं, और दूसरी छोर से, ग्राहक, अपना सामान ले लेते हैं |
इस दौरान पढ़ाई के क्षेत्र में भी कई अलग-अलग innovation शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर किए हैं | online classes, video classes, उसको भी, अलग-अलग तरीकों से innovate किया जा रहा है |
कोरोना की वैक्सीन पर, हमारी labs में, जो, काम हो रहा है उस पर तो दुनियाभर की नज़र है और हम सबकी आशा भी |
किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए, इच्छाशक्ति के साथ ही, बहुत कुछ innovation पर भी निर्भर करता है | हजारों सालों की मानव-जाति की यात्रा, लगातार, innovation से ही इतने आधुनिक दौर में पहुँची है, इसलिए, इस महामारी पर, जीत के लिए हमारे ये विशेष innovations भी बहुत बड़ा आधार है |
साथियो, कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई का यह रास्ता लंबा है | एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज ही नहीं है, जिसका, कोई पहले का अनुभव ही नहीं है, तो ऐसे में, नयी-नयी चुनौतियाँ और उसके कारण परेशानियाँ हम अनुभव भी कर रहें हैं | ये दुनिया के हर कोरोना प्रभावित देश में हो रहा है और इसलिए भारत भी इससे अछूता नहीं है | हमारे देश में भी कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो कठिनाई में न हो, परेशानी में न हो, और इस संकट की सबसे बड़ी चोट, अगर किसी पर पड़ी है, तो, हमारे गरीब, मजदूर, श्रमिक वर्ग पर पड़ी है | उनकी तकलीफ, उनका दर्द, उनकी पीड़ा, शब्दों में नहीं कही जा सकती | हम में से कौन ऐसा होगा जो उनकी और उनके परिवार की तकलीफों को अनुभव न कर रहा हो | हम सब मिलकर इस तकलीफ को, इस पीड़ा को, बांटने का प्रयास कर रहे हैं, पूरा देश प्रयास कर रहा है | हमारे रेलवे के साथी दिन-रात लगे हुए हैं | केंद्र हो, राज्य हो, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं हो - हर कोई, दिन-रात मेहनत कर रहें हैं | जिस प्रकार रेलवे के कर्मचारी आज जुटे हुए हैं, वे भी एक प्रकार से अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वॉरियर्स ही हैं | लाखों श्रमिकों को, ट्रेनों से, और बसों से, सुरक्षित ले जाना, उनके खाने-पाने की चिंता करना, हर जिले में Quarantine केन्द्रों की व्यवस्था करना, सभी की Testing, Check-up, उपचार की व्यवस्था करना, ये सब काम लगातार चल रहे हैं, और, बहुत बड़ी मात्रा में चल रहे हैं | लेकिन, साथियो, जो दृश्य आज हम देख रहे हैं, इससे देश को अतीत में जो कुछ हुआ, उसके अवलोकन और भविष्य के लिए सीखने का अवसर भी मिला है | आज, हमारे श्रमिकों की पीड़ा में, हम, देश के पूर्वीं हिस्से की पीड़ा को देख सकते हैं | जिस पूर्वी हिस्से में, देश का growth engine बनने की क्षमता है, जिसके श्रमिकों के बाहुबल में, देश को, नई ऊँचाई पर ले जाने का सामर्थ्य है, उस पूर्वी हिस्से का विकास बहुत आवश्यक है | पूर्वी भारत के विकास से ही, देश का संतुलित आर्थिक विकास संभव है | देश ने, जब, मुझे सेवा का अवसर दिया, तभी से, हमने पूर्वी भारत के विकास को प्राथमिकता दी है | मुझे संतोष है कि बीते वर्षों में, इस दिशा में, बहुत कुछ हुआ है, और, अब प्रवासी मजदूरों को देखते हुए बहुत कुछ नए कदम उठाना भी आवश्यक हो गया है, और, हम लगातार उस दिशा में आगे बढ़ रहें हैं | जैसे, कहीं श्रमिकों की skill mapping का काम हो रहा है, कहीं start-ups इस काम में जुटे हैं, कहीं migration commission बनाने की बात हो रही है | इसके अलावा, केंद्र सरकार ने अभी जो फैसले लिए हैं, उससे भी गाँवों में रोजगार, स्वरोजगार, लघु उद्योगों से जुड़ी विशाल संभावनाएँ खुली हैं | ये फैसले, इन स्थितियों के समाधान के लिए हैं, आत्मनिर्भर भारत के लिए हैं, अगर, हमारे गाँव, आत्मनिर्भर होते, हमारे कस्बे, हमारे जिले, हमारे राज्य, आत्मनिर्भर होते, तो, अनेक समस्याओं ने, वो रूप नहीं लिया होता, जिस रूप में वो आज हमारे सामने खड़ी हैं | लेकिन, अंधेरे से रोशनी की ओर बढ़ना मानव स्वभाव है | तमाम चुनौतियों के बीच मुझे खुशी है, कि, आत्मनिर्भर भारत पर, आज, देश में, व्यापक मंथन शुरू हुआ है | लोगों ने, अब, इसे अपना अभियान बनाना शुरू किया है | इस mission का नेतृत्व देशवासी अपने हाथ में ले रहे हैं | बहुत से लोगों ने तो ये भी बताया है, कि, उन्होंने जो-जो सामान, उनके इलाके में बनाए जाते हैं, उनकी, एक पूरी लिस्ट बना ली है | ये लोग, अब, इन local products को ही खरीद रहे हैं, और Vocal for
Local को promote भी कर रहे हैं | Make in India को बढ़ावा मिले, इसके लिए, सब कोई, अपना-अपना संकल्प जता रहा है |
बिहार के हमारे एक साथी, श्रीमान् हिमांशु ने, मुझे NaMoApp पर लिखा है कि, वो, एक ऐसा दिन देखना चाहते हैं जब भारत, विदेश से आने वाले आयात को कम से कम कर दे | चाहे पेट्रोल, डीजल, ईंधन का आयात हो, electronic items का आयात हो, यूरिया का आयात हो, या फिर, खाद्य तेल का आयात हो | मैं, उनकी भावनाओं को समझता हूँ | हमारे देश में कितनी ही ऐसी चीजें बाहर से आती हैं, जिन पर हमारे ईमानदार tax payers का पैसा खर्च होता है, जिनका विकल्प हम आसानी से भारत में तैयार कर सकते हैं |
असम के सुदीप ने मुझे लिखा है कि वो महिलाओं के बनाए हुए local bamboo products का व्यापार करते हैं, और उन्होंने तय किया है, कि, आने वाले 2 वर्ष में, वे, अपने bamboo product को एक global brand बनायेंगे | मुझे पूरा भरोसा है आत्मनिर्भर भारत अभियान, इस दशक में देश को नई ऊँचाई पर ले जाएगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना संकट के इस दौर में, मेरी, विश्व के अनेक नेताओं से बातचीत हुई है, लेकिन, मैं एक secret जरुर आज बताना चाहूँगा - विश्व के अनेक नेताओं की जब बातचीत होती है, तो मैंने देखा, इन दिनों, उनकी, बहुत ज्यादा दिलचस्पी ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ के सम्बन्ध में होती है | कुछ नेताओं ने मुझसे पूछा कि कोरोना के इस काल में, ये, ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ कैसे मदद कर सकते हैं !
साथियो, ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ जल्द ही आने वाला है | ‘योग’ जैसे-जैसे लोगों के जीवन से जुड़ रहा है, लोगों में, अपने स्वास्थ्य को लेकर, जागरूकता भी लगातार बढ़ रही है | अभी कोरोना संकट के दौरान भी ये देखा जा रहा है कि हॉलीवुड से हरिद्वार तक, घर में रहते हुए, लोग ‘योग’ पर बहुत गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं | हर जगह लोगों ने ‘योग’ और उसके साथ-साथ ‘आयुर्वेद’ के बारे में, और ज्यादा, जानना चाहा है, उसे, अपनाना चाहा है | कितने ही लोग, जिन्होंने, कभी योग नहीं किया, वे भी, या तो online योग class से जुड़ गए हैं या फिर online video के माध्यम से भी योग सीख रहे हैं | सही में, ‘योग’ - community, immunity और unity सबके लिए अच्छा है |
साथियो, कोरोना संकट के इस समय में ‘योग’ - आज, इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि, ये virus, हमारे respiratory system को सबसे अधिक प्रभावित करता है | ‘योग’ में तो Respiratory system को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं, जिनका असर हम लम्बे समय से देखते आ रहे हैं | ये time tested techniques हैं, जिसका, अपना अलग महत्व है | ‘कपालभाती’ और ‘अनुलोम-विलोम’, ‘प्राणायाम’ से अधिकतर लोग परिचित होंगे | लेकिन ‘भस्त्रिका’, ‘शीतली’, ‘भ्रामरी’ जैसे कई प्राणायाम के प्रकार हैं, जिसके, अनेक लाभ भी हैं | वैसे, आपके जीवन में योग को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने भी इस बार एक अनोखा प्रयोग किया है | आयुष मंत्रालय ने ‘My Life, My Yoga’ नाम से अंतर्राष्ट्रीय Video Blog उसकी प्रतियोगिता शुरू की है | भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लोग, इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं | इसमें हिस्सा लेने के लिए आपको अपना तीन मिनट का एक video बना करके upload करना होगा | इस video में आप, जो योग, या आसन करते हों, वो करते हुए दिखाना है, और, योग से, आपके जीवन में जो बदलाव आया है, उसके बारे में भी बताना है | मेरा, आपसे अनुरोध है, आप सभी, इस प्रतियोगिता में अवश्य भाग लें, और इस नए तरीके से, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में, आप हिस्सेदार बनिए |
साथियो, हमारे देश में, करोडों-करोड़ ग़रीब, दशकों से, एक बहुत बड़ी चिंता में रहते आए हैं - अगर, बीमार पड़ गए तो क्या होगा? अपना इलाज कराएं, या फिर, परिवार के लिए रोटी की चिंता करें | इस तकलीफ को समझते हुए, इस चिंता को दूर करने के लिए ही, करीब डेढ़ साल पहले ‘आयुष्मान भारत’ योजना शुरू की गई थी | कुछ ही दिन पहले, ‘आयुष्मान भारत’ के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार हो गई है | एक करोड़ से ज्यादा मरीज, मतलब, देश के एक करोड़ से अधिक परिवारों की सेवा हुई है | एक करोड़ से ज्यादा मरीज का मतलब क्या होता है, मालूम है? एक करोड़ से ज्यादा मरीज़, मतलब, नॉर्वे जैसा देश, सिंगापुर जैसा देश, उसकी जो total जनसँख्या है, उससे, दो गुना लोगों को, मुफ्त में, इलाज दिया गया है | अगर, गरीबों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज के लिए पैसे देने पड़ते, इनका मुफ्त इलाज नहीं हुआ होता, तो, उन्हें एक मोटा-मोटा अंदाज़ है, करीब-करीब 14 हज़ार करोड़ रूपए से भी ज्यादा, अपनी जेब से, खर्च करने पड़ते | ‘आयुष्मान भारत’ योजना ने गरीबों के पैसे खर्च होने से बचाए हैं | मैं, ‘आयुष्मान भारत’ के सभी लाभार्थियों के साथ-साथ मरीजों का उपचार करने वाले सभी डॉक्टरों, nurses और मेडिकल स्टाफ को भी बधाई देता हूँ | ‘आयुष्मान भारत’ योजना के साथ एक बहुत बड़ी विशेषता portability की सुविधा भी है | Portability ने, देश को, एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है, यानी, बिहार का कोई गरीब अगर चाहे तो, उसे, कर्नाटका में भी वही सुविधा मिलेगी, जो उसे, अपने राज्य में मिलती | इसी तरह, महाराष्ट्र का कोई गरीब चाहे तो, उसे, इलाज की वही सुविधा, तमिलनाडु में मिलती | इस योजना के कारण, किसी क्षेत्र में, जहाँ, स्वास्थ्य की व्यवस्था कमजोर है, वहाँ के गरीब को, देश के किसी भी कोने में उत्तम इलाज कराने की सहूलियत मिलती हैं |
साथियो, आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि एक करोड़ लाभार्थियों में से 80 प्रतिशत लाभार्थी देश के ग्रामीण इलाकों के हैं | इनमें भी करीब-करीब 50 प्रतिशत लाभार्थी, हमारी, माताएँ-बहने और बेटियाँ हैं | इन लाभार्थियों में ज्यादातर लोग ऐसी बीमारियों से पीड़ित थे जिनका इलाज सामान्य दवाओं से संभव नहीं था | इनमें से 70 प्रतिशत लोगों की Surgery की गई है | आप अनुमान लगा सकते हैं कि कितनी बड़ी तकलीफों से इन लोगों को मुक्ति मिली है | मणिपुर के चुरा-चांदपुर में छह साल के बच्चे केलेनसांग, उसको भी, इसी तरह आयुष्मान योजना से नया जीवन मिला है | केलेनसांग को इतनी छोटी उम्र में brain की गंभीर बीमारी हो गई | इस बच्चे के पिता दिहाड़ी-मज़दूर हैं, और माँ बुनाई का काम करती हैं | ऐसे में बच्चे का इलाज़ कराना बहुत कठिन हो रहा था | लेकिन, ‘आयुष्मान भारत’ योजना से अब उनके बेटे का मुफ्त इलाज हो गया है | कुछ इसी तरह का अनुभव पुडुचेरी की अमूर्था वल्ली जी का भी है | उनके लिए भी ‘आयुष्मान भारत’ योजना संकटमोचक बनकर आई है | अमूर्था वल्ली जी के पति की Heart attack से दुखद मृत्यु हो चुकी है | उनके 27 साल के बेटे जीवा को भी heart की बीमारी थी | Doctors ने जीवा के लिए surgery की सलाह दी थी, लेकिन, दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले जीवा के लिए, अपने खर्च से, इतना बड़ा operation करवाना संभव ही नहीं था, लेकिन, अमूर्था वल्ली ने अपने बेटे का ‘आयुष्मान भारत’ योजना में registration करवाया और नौ दिनों बाद, बेटे जीवा के heart की surgery भी हो गई |
साथियो, मैंने आपको सिर्फ तीन-चार घटनाओं का जिक्र किया | ‘आयुष्मान भारत’ से तो ऐसी एक करोड़ से अधिक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं | ये कहानियाँ जीते-जागते इंसानों की हैं, दुख-तकलीफ से मुक्त हुए हमारे अपने परिवारजनों की है | आपसे मेरा आग्रह है, कभी समय मिले तो ऐसे व्यक्ति से जरूर बात करियेगा, जिसने ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत अपना इलाज कराया हो | आप देखेंगे कि जब एक गरीब बीमारी से बाहर आता है, तो उसमें गरीबी से लड़ने की भी ताकत नजर आने लगती है | और मैं, हमारे देश के ईमानदार Tax payer से कहना चाहता हूँ ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत जिन गरीबों का मुफ्त इलाज हुआ है, उनके जीवन में जो सुख आया है, संतोष मिला है, उस पुण्य के असली हकदार आप भी हैं, हमारा ईमानदार Tax Payer भी इस पुण्य का हकदार है |
मेरे प्यारे देशवासियो, एक तरफ़ हम महामारी से लड़ रहें हैं, तो दूसरी तरफ़, हमें, हाल में पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में, प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ा है | पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान हमने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में Super Cyclone अम्फान का कहर देखा | तूफ़ान से अनेकों घर तबाह हो गए | किसानों को भी भारी नुकसान हुआ | हालात का जायजा लेने के लिए मैं पिछले हफ्ते ओडिशा और पश्चिम बंगाल गया था | पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोगों ने जिस हिम्मत और बहादुरी के साथ हालात का सामना किया है - प्रशंसनीय है | संकट की इस घड़ी में, देश भी, हर तरह से वहाँ के लोगों के साथ खड़ा है |
साथियो, एक तरफ़ जहाँ पूर्वी भारत तूफान से आयी आपदा का सामना कर रहा है, वहीँ दूसरी तरफ़, देश के कई हिस्से टिड्डियों या locust के हमले से प्रभावित हुए हैं | इन हमलों ने फिर हमें याद दिलाया है कि ये छोटा सा जीव कितना नुकसान करता है | टिड्डी दल का हमला कई दिनों तक चलता है, बहुत बड़े क्षेत्र पर इसका प्रभाव पड़ता है | भारत सरकार हो, राज्य सरकार हो, कृषि विभाग हो, प्रशासन भी इस संकट के नुकसान से बचने के लिए, किसानों की मदद करने के लिए, आधुनिक संसाधनों का भी उपयोग कर रहा है | नए-नए आविष्कार की तरफ़ भी ध्यान दे रहा है, और मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के हमारे कृषि क्षेत्र पर जो ये संकट आया है, उससे भी लोहा लेंगे, बहुत कुछ बचा लेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन बाद ही 5 जून को पूरी दुनिया ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाएगी I ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर इस साल की theme है - Bio Diversity यानी जैव-विविधिता I वर्तमान परिस्थितियों में यह theme विशेष रूप से महत्वपूर्ण है I LOCKDOWN के दौरान पिछले कुछ हफ़्तों में जीवन की रफ़्तार थोड़ी धीमी जरुर हुई है, लेकिन इससे हमें अपने आसपास, प्रकृति की समृद्ध विविधता को, जैव-विविधता को, करीब से देखने का अवसर भी मिला है I आज कितने ही ऐसे पक्षी जो प्रदूषण और शोर–शराबे में ओझल हो गए थे, सालों बाद उनकी आवाज़ को लोग अपने घरों में सुन रहे हैं I अनेक जगहों से, जानवरों के उन्मुक्त विचरण की खबरें भी आ रही हैं I मेरी तरह आपने भी social media में ज़रूर इन बातों को देखा होगा, पढ़ा होगा | बहुत लोग कह रहे हैं, लिख रहे हैं, तस्वीरें साझा कर रहे हैं, कि, वह अपने घर से दूर-दूर पहाड़ियां देख पा रहे हैं, दूर-दूर जलती हुई रोशनी देख रहे हैं | इन तस्वीरों को देखकर, कई लोगों के मन में ये संकल्प उठा होगा क्या हम उन दृश्यों को ऐसे ही बनाए रख सकते हैं I इन तस्वीरों नें लोगों को प्रकृति के लिए कुछ करने की प्रेरणा भी दी है I नदियां सदा स्वच्छ रहें, पशु-पक्षियों को भी खुलकर जीने का हक़ मिले, आसमान भी साफ़-सुथरा हो, इसके लिए हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की प्रेरणा ले सकते हैं I
मेरे प्यारे देशवासियो, हम बार-बार सुनते हैं ‘जल है तो जीवन है - जल है तो कल है’, लेकिन, जल के साथ हमारी जिम्मेवारी भी है | वर्षा का पानी, बारिश का पानी - ये हमें बचाना है, एक-एक बूंद को बचाना है | गाँव-गाँव वर्षा के पानी को हम कैसे बचाएँ? परंपरागत बहुत सरल उपाय हैं, उन सरल उपाय से भी हम पानी को रोक सकते हैं I पाँच दिन - सात दिन भी अगर पानी रुका रहेगा तो धरती माँ की प्यास बुझाएगा, पानी फिर जमीन में जायेगा, वही जल, जीवन की शक्ति बन जायेगा और इसलिए, इस वर्षा ऋतु में, हम सब का प्रयास रहना चाहिए कि हम पानी को बचाएँ, पानी को संरक्षित करें |
मेरे प्यारे देशवासियो, स्वच्छ पर्यावरण सीधे हमारे जीवन, हमारे बच्चों के भविष्य का विषय है I इसलिए, हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी इसकी चिंता करनी होगी I मेरा आपसे अनुरोध है कि इस ‘पर्यावरण दिवस’ पर, कुछ पेड़ अवश्य लगाएँ और प्रकृति की सेवा के लिए कुछ ऐसा संकल्प अवश्य लें जिससे प्रकृति के साथ आपका हर दिन का रिश्ता बना रहे I हाँ! गर्मी बढ़ रही है, इसलिए, पक्षियों के लिए पानी का इंतजाम करना मत भूलियेगा |
साथियो, हम सबको ये भी ध्यान रखना होगा कि इतनी कठिन तपस्या के बाद, इतनी कठिनाइयों के बाद, देश ने, जिस तरह हालात संभाला है, उसे बिगड़ने नहीं देना है I हमें इस लड़ाई को कमज़ोर नहीं होने देना है I हम लापरवाह हो जाएँ, सावधानी छोड़ दें, ये कोई विकल्प नहीं है I कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई अब भी उतनी ही गंभीर है | आपको, आपके परिवार को, कोरोना से अभी भी उतना ही गंभीर ख़तरा हो सकता है I हमें, हर इंसान की ज़िन्दगी को बचाना है, इसलिए, दो गज की दूरी, चेहरे पर मास्क, हाथों को धोना, इन सब सावधानियों का वैसे ही पालन करते रहना है जैसे अभी तक करते आए हैं I मुझे पूरा विश्वास है, कि आप अपने लिए, अपनों के लिए, अपने देश के लिए, ये सावधानी ज़रूर रखेंगे I इसी विश्वास के साथ, आपके उत्तम स्वास्थ्य के लिए, मेरी, हार्दिक शुभकामनायें हैं I अगले महीने, फिर एक बार, ‘मन की बात’ अनेक नए विषयों के साथ जरुर करेंगे |
धन्यवाद I
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | आप सब lockdown में इस ‘मन की बात’ को सुन रहे हैं | इस ‘मन की बात’ के लिये आने वाले सुझाव, phone call की संख्या, सामान्य रूप से कई गुणा ज्यादा है | कई सारे विषयों को अपने अन्दर समेट, आपकी यह मन की बातें, मेरे तक, पहुँची हैं | मैंने कोशिश की है, कि, इनको ज्यादा-से-ज्यादा पढ़ पाऊँ, सुन पाऊँ | आपकी बातों से कई ऐसे पहलू जानने को मिले हैं, जिनपर, इस आपा-धापी में ध्यान ही नहीं जाता है | मेरा मन करता है, कि, युद्ध के बीच हो रही इस ‘मन की बात’ में, उन्हीं कुछ पहलुओं को, आप सभी देशवासियों के साथ बाटूँ |
साथियो, भारत की CORONA के खिलाफ़ लड़ाई सही मायने में people driven है | भारत में CORONA के खिलाफ़ लड़ाई जनता लड़ रही है, आप लड़ रहे हैं, जनता के साथ मिलकर शासन, प्रशासन लड़ रहा है | भारत जैसा विशाल देश, जो विकास के लिए प्रयत्नशील है, ग़रीबी से निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है | उसके पास, CORONA से लड़ने और जीतने का यही एक तरीका है | और, हम भाग्यशाली हैं कि, आज, पूरा देश, देश का हर नागरिक, जन-जन, इस लड़ाई का सिपाही है, लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है | आप कहीं भी नज़र डालिये, आपको एहसास हो जायेगा कि भारत की लड़ाई people driven है | जब पूरा विश्व इस महामारी के संकट से जूझ रहा है | भविष्य में जब इसकी चर्चा होगी, उसके तौर-तरीकों की चर्चा होगी, मुझे विश्वास है कि भारत की यह people driven लड़ाई, इसकी ज़रुर चर्चा होगी | पूरे देश में, गली-मोहल्लों में, जगह-जगह पर, आज लोग एक-दूसरे की सहायता के लिए आगे आये हैं | ग़रीबों के लिए खाने से लेकर, राशन की व्यवस्था हो, lockdown का पालन हो, अस्पतालों की व्यवस्था हो, medical equipment का देश में ही निर्माण हो - आज पूरा देश, एक लक्ष्य, एक दिशा, साथ-साथ चल रहा है | ताली, थाली, दीया, मोमबत्ती, इन सारी चीज़ों ने जो भावनाओं को जन्म दिया | जिस ज़ज्बे से देशवासियों ने, कुछ-न-कुछ करने की ठान ली - हर किसी को इन बातों ने प्रेरित किया है | शहर हो या गाँव, ऐसा लग रहा है, जैसे देश में एक बहुत बड़ा महायज्ञ चल रहा है, जिसमें, हर कोई अपना योगदान देने के लिये आतुर है | हमारे किसान भाई-बहनों को ही देखिये – एक तरफ, वो, इस महामारी के बीच अपने खेतों में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं और इस बात की भी चिंता कर रहे हैं कि देश में कोई भी भूखा ना सोये | हर कोई, अपने सामर्थ्य के हिसाब से, इस लड़ाई को लड़ रहा है | कोई किराया माफ़ कर रहा है, तो कोई अपनी पूरी पेंशन या पुरस्कार में मिली राशि को, PM CARES में जमा करा रहा है | कोई खेत की सारी सब्जियाँ दान दे रहा है, तो कोई, हर रोज़ सैकड़ों ग़रीबों को मुफ़्त भोजन करा रहा है | कोई mask बना रहा है, कहीं हमारे मजदूर भाई-बहन quarantine में रहते हुए, जिस school में रह रहे हैं, उसकी रंगाई-पुताई कर रहे हैं|
साथियो, दूसरों की मदद के लिए, आपके भीतर, ह्रदय के किसी कोने में, जो ये उमड़ता-घुमड़ता भाव है ना ! वही, वही CORONA के खिलाफ, भारत की इस लड़ाई को ताकत दे रहा है, वही, इस लड़ाई को सच्चे मायने में people driven बना रहा है और हमने देखा है, पिछले कुछ साल में, हमारे देश में, यह मिज़ाज बना है, निरंतर मज़बूत होता रहा है | चाहे करोड़ों लोगों का gas subsidy छोड़ना हो, लाखों senior citizen का railway subsidy छोड़ना हो, स्वच्छ भारत अभियान का नेतृत्व लेना हो, toilet बनाने हो - अनगिनत बातें ऐसी हैं | इन सारी बातों से पता चलता है - हम सबको - एक मन, एक मजबूत धागे से पिरो दिया है | एक होकर देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा दी है |
मेरे प्यारे देशवासियो, मैं पूरी नम्रतापूर्वक, बहुत ही आदर के साथ, आज, 130 करोड़ देशवासियों की इस भावना को, सर झुका करके, नमन करता हूँ | आप, अपनी भावना के अनुरूप, देश के लिए अपनी रूचि के हिसाब से, अपने समय के अनुसार, कुछ कर सके, इसके लिए सरकार ने एक Digital Platform भी तैयार किया है | ये platform है – covidwarriors.gov.in | मैं दोबारा बोलता हूँ - covidwarriors.gov.in | सरकार ने इस platform के माध्यम से तमाम सामाजिक संस्थाओं के Volunteers, Civil Society के प्रतिनिधि और स्थानीय प्रशासन को एक-दूसरे से जोड़ दिया है | बहुत ही कम समय में, इस portal से सवा-करोड़ लोग जुड़ चुके हैं | इनमें Doctor, Nurses से लेकर हमारी ASHA, ANM बहनें, हमारे NCC, NSS के साथी, अलग-अलग field के तमाम professionals, उन्होंने, इस platform को, अपना platform बना लिया है | ये लोग स्थानीय स्तर पर crisis management plan बनाने वालों में और उसकी पूर्ति में भी बहुत मदद कर रहें हैं | आप भी covidwarriors.gov.in से जुड़कर, देश की सेवा कर सकते हैं, Covid Warrior बन सकते हैं |
साथियो, हर मुश्किल हालात, हर लड़ाई, कुछ-न-कुछ सबक देती है, कुछ-न-कुछ सिखा करके जाती है, सीख देती है | कुछ संभावनाओं के मार्ग बनाती है और कुछ नई मंजिलों की दिशा भी देती है | इस परिस्थिति में आप सब देशवासियों ने जो संकल्प शक्ति दिखाई है, उससे, भारत में एक नए बदलाव की शुरुआत भी हुई है | हमारे Business, हमारे दफ्तर, हमारे शिक्षण संस्थान, हमारा Medical Sector, हर कोई, तेज़ी से, नये तकनीकी बदलावों की तरफ भी बढ़ रहें हैं | Technology के front पर तो वाकई ऐसा लग रहा है कि देश का हर innovator नई परिस्तिथियों के मुताबिक कुछ-न-कुछ नया निर्माण कर रहा है |
साथियो, देश जब एक team बन करके काम करता है, तब क्या कुछ होता है - ये हम अनुभव कर रहें हैं | आज केन्द्र सरकार हो, राज्य सरकार हो, इनका हर एक विभाग और संस्थान राहत के लिए मिल-जुल करके पूरी speed से काम कर रहे हैं | हमारे Aviation Sector में काम कर रहे लोग हों, Railway कर्मचारी हों, ये दिन-रात मेहनत कर रहें हैं, ताकि, देशवासियों को कम-से-कम समस्या हो | आप में से शायद बहुत लोगों को मालूम होगा कि देश के हर हिस्से में दवाईयों को पहुँचाने के लिए ‘Lifeline Udan (लाइफ-लाइन उड़ान)’ नाम से एक विशेष अभियान चल रहा है | हमारे इन साथियों ने, इतने कम समय में, देश के भीतर ही, तीन लाख किलोमीटर की हवाई उड़ान भरी है और 500 टन से अधिक Medical सामग्री, देश के कोने-कोने में आप तक पहुँचाया है | इसी तरह, Railway के साथी, Lockdown में भी लगातार मेहनत कर रहें हैं, ताकि देश के आम लोगों को, जरुरी वस्तुओं की कमी न हो | इस काम के लिए भारतीय रेलवे करीब-करीब 60 से अधिक रेल मार्ग पर 100 से भी ज्यादा parcel train चला रही है | इसी तरह दवाओं की आपूर्ति में, हमारे डाक विभाग के लोग, बहुत अहम भूमिका निभा रहें हैं | हमारे ये सभी साथी, सच्चे अर्थ में, कोरोना के warrior ही हैं |
साथियो, ‘प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण पैकेज़’ के तहत, ग़रीबों के Account में पैसे, सीधे transfer किए जा रहे हैं | ‘वृद्धावस्था पेंशन’ जारी की गई है | गरीबों को तीन महीने के मुफ़्त गैस सिलेंडर, राशन जैसी सुविधायें भी दी जा रही हैं | इन सब कामों में, सरकार के अलग-अलग विभागों के लोग, बैंकिंग सेक्टर के लोग, एक team की तरह दिन-रात काम कर रहे हैं | और मैं, हमारे देश की राज्य सरकारों की भी इस बात के लिए प्रशंसा करूँगा कि वो इस महामारी से निपटने में बहुत सक्रिय भूमिका निभा रही हैं | स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकारें जो जिम्मेदारी निभा रही हैं, उसकी, कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई में बहुत बड़ी भूमिका है | उनका ये परिश्रम बहुत प्रशंसनीय है |
मेरे प्यारे देशवासियो, देशभर से स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों ने, अभी हाल ही में जो अध्यादेश लाया गया है, उस पर अपना संतोष व्यक्त किया है | इस अध्यादेश में, कोरोना warriors के साथ हिंसा, उत्पीड़न और उन्हें किसी रूप में चोट पहुचाने वालों के खिलाफ़ बेहद सख्त़ सज़ा का प्रावधान किया गया है | हमारे डॉक्टर, Nurses , para-medical staff, Community Health Workers और ऐसे सभी लोग, जो देश को ‘कोरोना-मुक्त’ बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं,उनकी रक्षा करने के लिए ये कदम बहुत ज़रुरी था |
मेरे प्यारे देशवासियों, हम सब अनुभव कर रहे हैं कि महामारी के खिलाफ़, इस लड़ाई के दौरान हमें अपने जीवन को, समाज को, हमारे आप-पास हो रही घटनाओं को, एक fresh नज़रिए से देखने का अवसर भी मिला है | समाज के नज़रिये में भी व्यापक बदलाव आया है | आज अपने जीवन से जुड़े हर व्यक्ति की अहमियत का हमें आभास हो रहा है | हमारे घरों में काम करने वाले लोग हों, हमारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काम करने वाले हमारे सामान्य कामगार हों, पड़ोस की दुकानों में काम करने वाले लोग हों, इन सबकी कितनी बड़ी भूमिका है - हमें यह अनुभव हो रहा है | इसी तरह, ज़रुरी सेवाओं की delivery करने वाले लोग, मंडियों में काम करने वाले हमारे मज़दूर भाई-बहन, हमारे आस-पड़ोस के ऑटो-चालक, रिक्शा-चालक - आज हम अनुभव कर रहे हैं कि इन सब के बिना हमारा जीवन कितना मुश्किल हो सकता है |
आज कल Social Media में हम सबलोग लगातार देख रहे हैं कि LOCKDOWN के दौरान, लोग अपने इन साथियों को न सिर्फ़ याद कर रहे है, उनकी ज़रूरतों का ध्यान रख रहे हैं, बल्कि उनके बारे में, बहुत सम्मान से लिख भी रहे हैं | आज, देश के हर कोने से ऐसी तस्वीरे आ रही हैं कि लोग सफाई-कर्मियों पर पुष्प-वर्षा कर रहे हैं | पहले, उनके काम को संभवतः आप भी कभी notice नहीं करते थे | डॉक्टर हों, सफाईकर्मी हों, अन्य सेवा करने वाले लोग हों - इतना ही नहीं, हमारी पुलिस-व्यवस्था को लेकर भी आम लोगों की सोच में काफ़ी बदलाव हुआ है | पहले पुलिस के विषय में सोचते ही नकारात्मकता के सिवाय, हमें कुछ नज़र नहीं आता था | हमारे पुलिसकर्मी आज ग़रीबों, ज़रुरतमंदो को खाना पंहुचा रहे हैं, दवा पंहुचा रहे हैं | जिस तरह से हर मदद के लिए पुलिस सामने आ रही है इससे POLICING का मानवीय और संवेदनशील पक्ष हमारे सामने उभरकर के आया है, हमारे मन को झकझोर दिया है, हमारे दिल को छू लिया है | एक ऐसा अवसर है जिसमें आम-लोग, पुलिस से भावात्मक तरीक़े से जुड़ रहे हैं | हमारे पुलिसकर्मियों ने, इसे जनता की सेवा के एक अवसर के रूप में लिया है और मुझे पूरा विश्वास है - इन घटनाओं से, आने वाले समय में, सच्चे अर्थ में, बहुत ही सकारात्मक बदलाव आ सकता है और हम सबने इस सकारात्मकता को कभी भी नकारात्मकता के रंग से रंगना नहीं है |
साथियो, हम अक्सर सुनते हैं – प्रकृति, विकृति और संस्कृति, इन शब्दों को एक साथ देखें और इसके पीछे के भाव को देखें तो आपको जीवन को समझने का भी एक नया द्वार खुलता हुआ दिखेगा | अगर, मानव- प्रकृति की चर्चा करें तो ‘ये मेरा है’, ‘मैं इसका उपयोग करता हूँ’ इसको और इस भावना को, बहुत स्वाभाविक माना जाता है | किसी को इसमें कोई ऐतराज़ नहीं होता | इसे हम ‘प्रकृति’ कह सकते हैं | लेकिन ‘जो मेरा नहीं है’, ‘जिस पर मेरा हक़ नहीं है’ उसे मैं दूसरे से छीन लेता हूँ, उसे छीनकर उपयोग में लाता हूँ तब हम इसे ‘विकृति’ कह सकते हैं | इन दोनों से परे, प्रकृति और विकृति से ऊपर, जब कोई संस्कारित-मन सोचता है या व्यवहार करता है तो हमें ‘संस्कृति’ नज़र आती है | जब कोई अपने हक़ की चीज़, अपनी मेहनत से कमाई चीज़, अपने लिए ज़रूरी चीज़, कम हो या अधिक, इसकी परवाह किये बिना, किसी व्यक्ति की ज़रूरत को देखते हुए, खुद की चिंता छोड़कर, अपने हक़ के हिस्से को बाँट करके किसी दूसरे की ज़रुरत पूरी करता है - वही तो ‘संस्कृति’ है | साथियो, जब कसौटी का काल होता है, तब इन गुणों का परीक्षण होता है|
आपने पिछले दिनों देखा होगा, कि, भारत ने अपने संस्कारो के अनुरूप, हमारी सोच के अनुरूप, हमारी संस्कृति का निर्वहन करते हुए कुछ फ़ैसले लिए हैं | संकट की इस घड़ी में, दुनिया के लिए भी, समृद्ध देशों के लिए भी, दवाईयों का संकट बहुत ज्यादा रहा है | एक ऐसा समय है की अगर भारत दुनिया को दवाईयां न भी दे तो कोई भारत को दोषी नहीं मानता | हर देश समझ रहा है कि भारत के लिए भी उसकी प्राथमिकता अपने नागरिकों का जीवन बचाना है | लेकिन साथियो, भारत ने, प्रकृति, विकृति की सोच से परे होकर फैसला लिया | भारत ने अपने संस्कृति के अनुरूप फैसला लिया | हमने भारत की आवश्यकताओं के लिए जो करना था, उसका प्रयास तो बढ़ाया ही, लेकिन, दुनिया-भर से आ रही मानवता की रक्षा की पुकार पर भी, पूरा-पूरा ध्यान दिया | हमने विश्व के हर जरूरतमंद तक दवाइयों को पहुँचाने का बीड़ा उठाया और मानवता के इस काम को करके दिखाया | आज जब मेरी अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों से फ़ोन पर बात होती है तो वो भारत की जनता का आभार जरुर व्यक्त करते है | जब वो लोग कहते हैं ‘Thank You India , Thank You People of India’ तो देश के लिए गर्व और बढ़ जाता है | इसी तरह इस समय दुनिया-भर में भारत के आयुर्वेद और योग के महत्व को भी लोग बड़े विशिष्ट-भाव से देख रहे हैं | Social Media पर देखिये, हर तरफ immunity बढ़ाने के लिए, किस तरह से, भारत के आयुर्वेद और योग की चर्चा हो रही है | कोरोना की दृष्टि से, आयुष मंत्रालय ने immunity बढ़ाने के लिए जो protocol दिया था, मुझे विश्वास है कि आप लोग, इसका प्रयोग, जरुर कर रहे होंगे | गर्म पानी, काढ़ा और जो अन्य दिशा-निर्देश, आयुष मंत्रालय ने जारी किये हैं, वो, आप अपनी दिनचर्या में शामिल करेगें तो आपको बहुत लाभ होगा |
साथियो, वैसे ये दुर्भाग्य रहा है कि कई बार हम अपनी ही शक्तियाँ और समृद्ध परम्परा को पहचानने से इंकार कर देते हैं | लेकिन, जब विश्व का कोई दूसरा देश, evidence based research के आधार पर वही बात करता है | हमारा ही formula हमें सिखाता है तो हम उसे हाथों-हाथ ले लेते हैं | संभवत:, इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण - सैकड़ों वर्षों की हमारी गुलामी का कालखंड रहा है | इस वजह से कभी-कभी, हमें, अपनी ही शक्ति पर विश्वास नहीं होता है | हमारा आत्म-विश्वास कम नज़र आता है | इसलिए, हम अपने देश की अच्छी बातों को, हमारे पारम्परिक सिद्दांतों को, evidence based research के आधार पर, आगे बढ़ाने के बजाय उसे छोड़ देते हैं, उसे, हीन समझने लगते हैं | भारत की युवा-पीढ़ी को, अब इस चुनौती को स्वीकार करना होगा | जैसे, विश्व ने योग को सहर्ष स्वीकार किया है, वैसे ही, हजारों वर्षों पुराने, हमारे आयुर्वेद के सिद्दांतों को भी विश्व अवश्य स्वीकार करेगा | हाँ! इसके लिए युवा-पीढ़ी को संकल्प लेना होगा और दुनिया जिस भाषा में समझती है उस वैज्ञानिक भाषा में हमें समझाना होगा, कुछ करके दिखाना होगा |
साथियो, वैसे covid-19 के कारण कई सकारात्मक बदलाव, हमारे काम करने के तरीके, हमारी जीवन-शैली और हमारी आदतों में भी स्वाभाविक रूप से अपनी जगह बना रहे हैं | आपने सबने भी महसूस किया होगा, इस संकट ने, कैसे अलग-अलग विषयों पर, हमारी समझ और हमारी चेतना को जागृत किया है | जो असर, हमें अपने आस-पास देखने को मिल रहे हैं, इनमें सबसे पहला है – mask पहनना और अपने चेहरे को ढ़ककर रखना | कोरोना की वजह से, बदलते हुए हालत में, mask भी, हमारे जीवन का हिस्सा बन रहा है | वैसे, हमें इसकी भी आदत कभी नहीं रही कि हमारे आस-पास के बहुत सारे लोग mask में दिखें, लेकिन, अब हो यही रहा है | हाँ! इसका ये मतलब नहीं है, जो mask लगाते हैं वे सभी बीमार हैं | और, जब मैं mask की बात करता हूँ, तो, मुझे पुरानी बात याद आती हैं | आप सबको भी याद होगा | एक जमाना था, कि, हमारे देश के कई ऐसे इलाके होते थे, कि, वहाँ अगर कोई नागरिक फल खरीदता हुआ दिखता था तो आस-पड़ोस के लोग उसको जरुर पूछते थे – क्या घर में कोई बीमार है? यानी, फल – मतलब, बीमारी में ही खाया जाता है - ऐसी एक धारणा बनी हुई थी | हालाँकि, समय बदला और ये धारणा भी बदली | वैसे ही mask को लेकर भी धारणा अब बदलने वाली ही है | आप देखियेगा, mask, अब सभ्य-समाज का प्रतीक बन जायेगा | अगर, बीमारी से खुद को बचना है, और, दूसरों को भी बचाना है, तो, आपको mask लगाना पड़ेगा, और, मेरा तो simple सुझाव रहता है – गमछा, मुहँ ढ़कना है |
साथियो, हमारे समाज में एक और बड़ी जागरूकता ये आयी है कि अब सभी लोग ये समझ रहे हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के क्या नुकसान हो सकते हैं | यहाँ-वहाँ, कहीं पर भी थूक देना, गलत आदतों का हिस्सा बना हुआ था | ये स्वच्छता और स्वास्थ्य को गंभीर चुनौती भी देता था | वैसे एक तरह से देखें तो हम हमेशा से ही इस समस्या को जानते रहें हैं, लेकिन, ये समस्या, समाज से समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही थी - अब वो समय आ गया है, कि इस बुरी आदत को, हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया जाए | कहते भी हैं कि “better late than never” | तो, देर भले ही हो गई हो, लेकिन, अब, ये थूकने की आदत छोड़ देनी चाहिए | ये बातें जहाँ basic hygiene का स्तर बढ़ाएंगी, वहीं, कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में भी मदद करेगी |
मेरे प्यारे देशवासियो, ये सुखद संयोग ही है, कि, आज जब आपसे मैं ‘मन की बात’ कर रहा हूँ तो अक्षय-तृतीया का पवित्र पर्व भी है | साथियो, ‘क्षय’ का अर्थ होता है विनाश लेकिन जो कभी नष्ट नहीं हो, जो कभी समाप्त नहीं हो वो ‘अक्षय’ है | अपने घरों में हम सब इस पर्व को हर साल मनाते हैं लेकिन इस साल हमारे लिए इसका विशेष महत्व है | आज के कठिन समय में यह एक ऐसा दिन है जो हमें याद दिलाता है कि हमारी आत्मा, हमारी भावना, ‘अक्षय’ है | यह दिन हमें याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ रास्ता रोकें, चाहे कितनी भी आपदाएं आएं, चाहे कितनी भी बीमारियोँ का सामना करना पड़े - इनसे लड़ने और जूझने की मानवीय भावनाएं अक्षय है | माना जाता है कि यही वो दिन है जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण और भगवान सूर्यदेव के आशीर्वाद से पांडवों को अक्षय-पात्र मिला था | अक्षय-पात्र यानि एक ऐसा बर्तन जिसमें भोजन कभी समाप्त नही होता है | हमारे अन्नदाता किसान हर परिस्थिति में देश के लिए, हम सब के लिए, इसी भावना से परिश्रम करते हैं | इन्हीं के परिश्रम से, आज हम सबके लिए, गरीबों के लिए, देश के पास अक्षय अन्न-भण्डार है | इस अक्षय-तृतीया पर हमें अपने पर्यावरण, जंगल, नदियाँ और पूरे Ecosystem के संरक्षण के बारे में भी सोचना चाहिए, जो, हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | अगर हम ‘अक्षय’ रहना चाहते हैं तो हमें पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी धरती अक्षय रहे |
क्या आप जानते हैं कि अक्षय-तृतीया का यह पर्व, दान की शक्ति यानि Power of Giving का भी एक अवसर होता है! हम हृदय की भावना से जो कुछ भी देते हैं, वास्तव में महत्व उसी का होता है | यह बात महत्वपूर्ण नहीं है कि हम क्या देते हैं और कितना देते हैं | संकट के इस दौर में हमारा छोटा-सा प्रयास हमारे आस–पास के बहुत से लोगों के लिए बहुत बड़ा सम्बल बन सकता है | साथियो, जैन परंपरा में भी यह बहुत पवित्र दिन है क्योंकि पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के जीवन का यह एक महत्वपूर्ण दिन रहा है | ऐसे में जैन समाज इसे एक पर्व के रूप में मनाता है और इसलिए यह समझना आसान है कि क्यों इस दिन को लोग, किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करना पसन्द करते हैं | चूँकि, आज कुछ नया शुरू करने का दिन है, तो, ऐसे में क्या हम सब मिलकर, अपने प्रयासों से, अपनी धरती को अक्षय और अविनाशी बनाने का संकल्प ले सकते हैं ? साथियो, आज भगवान बसवेश्वर जी की भी जयन्ती है | ये मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे भगवान बसवेश्वर की स्मृतियाँ और उनके सन्देश से बार–बार जुड़ने का, सीखने का, अवसर मिला है | देश और दुनिया में भगवान बसवेश्वर के सभी अनुयायियों को उनकी जयन्ती पर बहुत–बहुत शुभकामनाएँ |
साथियो, रमज़ान का भी पवित्र महीना शुरू हो चुका है | जब पिछली बार रमज़ान मनाया गया था तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि इस बार रमज़ान में इतनी बड़ी मुसीबतों का भी सामना करना पड़ेगा | लेकिन, अब जब पूरे विश्व में यह मुसीबत आ ही गई है तो हमारे सामने अवसर है इस रमज़ान को संयम, सद्भावना, संवेदनशीलता और सेवा-भाव का प्रतीक बनाएं | इस बार हम, पहले से ज्यादा इबादत करें ताकि ईद आने से पहले दुनिया कोरोना से मुक्त हो जाये और हम पहले की तरह उमंग और उत्साह के साथ ईद मनायें | मुझे विश्वास है कि रमज़ान के इन दिनों में स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोरोना के खिलाफ़ चल रही इस लड़ाई को हम और मज़बूत करेंगे | सड़कों पर, बाज़ारों में, मोहल्लों में, physical distancing के नियमों का पालन अभी बहुत आवश्यक है | मैं, आज उन सभी Community leaders के प्रति भी आभार प्रकट करता हूँ जो दो गज दूरी और घर से बाहर नहीं निकलने को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं | वाक़ई कोरोना ने इस बार भारत समेत, दुनिया-भर में त्योहारों को मनाने का स्वरुप ही बदल दिया है, रंग-रूप बदल दिए हैं | अभी पिछले दिनों ही, हमारे यहाँ भी, बिहू, बैसाखी, पुथंडू, विशू, ओड़िया New Year ऐसे अनेक त्योहार आये | हमने देखा कि लोगों ने कैसे इन त्योहारों को घर में रहकर, और बड़ी सादगी के साथ और समाज के प्रति शुभचिंतन के साथ त्योहारों को मनाया | आमतौर पर, वे इन त्योहारों को अपने दोस्तों और परिवारों के साथ पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाते थे | घर के बाहर निकलकर अपनी ख़ुशी साझा करते थे | लेकिन इस बार, हर किसी नें संयम बरता | लॉकडाउन के नियमों का पालन किया | हमने देखा है कि इस बार हमारे ईसाई दोस्तों ने ‘ईस्टर(Easter)’ भी घर पर ही मनाया है | अपने समाज, अपने देश के प्रति ये ज़िम्मेदारी निभाना आज की बहुत बड़ी ज़रूरत है | तभी हम कोरोना के फैलाव को रोक पाने में सफल होंगे | कोरोना जैसी वैश्विक-महामारी को परास्त कर पाएँगे|
मेरे प्यारे देशवासियों, इस वैश्विक-महामारी के संकट के बीच आपके परिवार के एक सदस्य के नाते , और आप सब भी मेरे ही परिवार-जन हैं, तब कुछ संकेत करना,कुछ सुझाव देना, यह मेरा दायित्व भी बनता है | मेरे देशवासियों से, मैं आपसे, आग्रह करूँगा – हम कतई अति-आत्मविश्वास में न फंस जाएं, हम ऐसा विचार न पाल लें कि हमारे शहर में, हमारे गाँव में, हमारी गली में, हमारे दफ़्तर में, अभी तक कोरोना पहुंचा नहीं है, इसलिए अब पहुँचने वाला नहीं है | देखिये,ऐसी ग़लती कभी मत पालना | दुनिया का अनुभव हमें बहुत कुछ कह रहा है | और, हमारे यहाँ तो बार–बार कहा जाता है – ‘सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी’| याद रखिये, हमारे पूर्वजों ने हमें इन सारे विषयों में बहुत अच्छा मार्ग-दर्शन किया है | हमारे पूर्वजों ने कहा है –
‘अग्नि: शेषम् ऋण: शेषम् ,
व्याधि: शेषम् तथैवच |
पुनः पुनः प्रवर्धेत,
तस्मात् शेषम् न कारयेत ||
अर्थात, हल्के में लेकर छोड़ दी गयी आग, कर्ज़ और बीमारी, मौक़ा पाते ही दोबारा बढ़कर ख़तरनाक हो जाती हैं | इसलिए इनका पूरी तरह उपचार बहुत आवश्यक होता है | इसलिए अति-उत्साह में, स्थानीय-स्तर पर, कहीं पर भी कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए | इसका हमेशा–हमेशा हमने ध्यान रखना ही होगा | और, मैं फिर एक बार कहूँगा – दो गज दूरी बनाए रखिये, खुद को स्वस्थ रखिये - “दो गज दूरी, बहुत है ज़रूरी” | आप सबके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हुए, मैं मेरी बात को समाप्त करता हूँ | अगली ‘मन की बात’ के समय जब मिलें तब, इस वैश्विक-महामारी से कुछ मुक्ति की ख़बरें दुनिया भर से आएं, मानव-जात इन मुसीबतों से बाहर आए – इसी प्रार्थना के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, आमतौर पर ‘मन की बात’, उसमें मैं कई विषयों को ले करके आता हूँ | लेकिन आज, देश और दुनिया के मन में सिर्फ और सिर्फ एक ही बात है- ‘कोरोना वैश्विक महामारी’ से आया हुआ ये भयंकर संकट | ऐसे में , मैं और कुछ बातें करूं वो उचित नहीं होगा | लेकिन सबसे पहले मैं सभी देशवासियों से क्षमा माँगता हूँ | और मेरी आत्मा कहती है कि आप मुझे जरुर क्षमा करेंगें क्योंकि कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़े हैं जिसकी वजह से आपको कई तरह की कठिनाइयाँ उठानी पड़ रही हैं, खास करके मेरे गरीब भाई-बहनों को देखता हूँ तो जरुर लगता है कि उनको लगता होगा की ऐसा कैसा प्रधानमंत्री है, हमें इस मुसीबत में डाल दिया | उनसे भी मैं विशेष रूप से क्षमा मांगता हूँ | हो सकता है, बहुत से लोग मुझसे नाराज भी होंगे कि ऐसे कैसे सबको घर में बंद कर रखा है | मैं आपकी दिक्कतें समझता हूँ, आपकी परेशानी भी समझता हूँ लेकिन भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी वाले देश को, कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई के लिए, ये कदम उठाये बिना कोई रास्ता नहीं था | कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई, जीवन और मृत्य के बीच की लड़ाई है और इस लड़ाई में हमें जीतना है और इसीलिए ये कठोर कदम उठाने बहुत आवश्यक थे | किसी का मन नहीं करता है ऐसे कदमों के लिए लेकिन दुनिया के हालात देखने के बाद लगता है कि यही एक रास्ता बचा है | आपको, आपके परिवार को सुरक्षित रखना है | मैं फिर एक बार, आपको जो भी असुविधा हुई है, कठिनाई हुई है, इसके लिए क्षमा मांगता हूँ | साथियों, हमारे यहाँ कहा गया है – ‘एवं एवं विकारः, अपी तरुन्हा साध्यते सुखं’ यानि बीमारी और उसके प्रकोप से शुरुआत में ही निबटना चाहिए | बाद में रोग असाध्य हो जाते हैं तब इलाज भी मुश्किल हो जाता है | और आज पूरा हिंदुस्तान, हर हिन्दुस्तानी यही कर रहा है. भाइयों,बहनों, माताओं, बुजर्गो कोरोना वायरस ने दुनिया को क़ैद कर दिया है | ये ज्ञान, विज्ञान, गरीब, संपन्न, कमज़ोर, ताक़तवर हर किसी को चुनौती दे रहा है | ये ना तो राष्ट्र की सीमाओं में बंधा है, न ही ये कोई क्षेत्र देखता है और न ही कोई मौसम | ये वायरस इंसान को मारने पर, उसे समाप्त करने की जिद उठाकर बैठा है और इसीलिए सभी लोगों को, पूरी मानवजाति को इस वायरस के ख़त्म करने के लिए, एकजुट होकर संकल्प लेना ही होगा | कुछ लोगों को लगता है कि वो लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं तो ऐसा करके वो मानो जैसे दूसरों की मदद कर रहे हैं | अरे भाई, ये भ्रम पालना सही नहीं है | ये लॉकडाउन आपके खुद के बचने के लिए है | आपको अपने को बचाना है, अपने परिवार को बचाना है | अभी आपको आने वाले कई दिनों तक इसी तरह धैर्य दिखाना ही है, लक्ष्मण-रेखा का पालन करना ही है | साथियों, मैं यह भी जानता हूँ कि कोई कानून नहीं तोड़ना चाहता, नियम नहीं तोड़ना चाहता लेकिन कुछ लोग ऐसा कर रहे हैं क्योंकि अब भी वो स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं | ऐसे लोगों को यही कहूँगा कि लॉकडाउन का नियम तोड़ेंगे तो कोरोना वायरस से बचना मुश्किल हो जायेगा | दुनिया भर में बहुत से लोगों को कुछ इसी तरह की खुशफ़हमी थी | आज ये सब पछता रहे हैं | साथियों, हमारे यहाँ कहा गया है – ‘आर्योग्यम परं भागय्म स्वास्थ्यं सर्वार्थ साधनं’ यानि आरोग्य ही सबसे बड़ा भाग्य है | दुनिया में सभी सुख का साधन, स्वास्थ्य ही है| ऐसे में नियम तोड़ने वाले अपने जीवन के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ कर रहे हैं | साथियों, इस लड़ाई के अनेकों योद्धा ऐसे हैं जो घरों में नहीं, घरों के बाहर रहकर कोरोना वायरस का मुकाबला कर रहे हैं | जो हमारे FRONT LINE SOLDIERS हैं | ख़ासकर के हमारी नर्सेज बहनें हैं, नर्सेज का काम करने वाले भाई हैं, डॉक्टर हैं, PARA-MEDICAL STAFF हैं | ऐसे साथी, जो कोरोना को पराजित कर चुके हैं | आज हमें उनसे प्रेरणा लेनी है | बीते दिनों में मैंने ऐसे कुछ लोगों से फ़ोन पर बात की है, उनका उत्साह भी बढ़ाया है और उनसे बातें करके मेरा भी उत्साह बढ़ा है | मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है. मेरा बहुत मन था इसलिए इस बार ‘मन की बात’ में ऐसे साथियों के अनुभव, उनसे हुई बातचीत, उसमें से कुछ बातें आपसे साझा करूँ | सबसे पहले हमारे साथ जुड़ेंगे श्री रामगम्पा तेजा जी | वैसे तो वे IT PROFESSIONAL हैं, आइये उनके अनुभव सुनते हैं | यस राम
रामगम्पा तेजा : नमस्ते जी |
मोदी जी: हाँ राम, नमस्ते |
राम गम्पा तेजा: नमस्ते, नमस्ते |
मोदी जी: मैंने सुना है कि आप CORONA Virus के इस गंभीर संकट से बाहर निकले हैं ?
राम गम्पा तेजा: हाँ, जी |
मोदी जी: जरुर मैं, आपसे कुछ बात करना चाहता था | बताइये आप, ये सारे संकट से निकले हैं, तो, अपना अनुभव मैं सुनना चाहता था |
राम गम्पा तेजा: मैं IT sector का employee हूँ | काम की वजह से Dubai गया था मैं, meetings के लिए | वहां पर जाने-अनजाने ऐसे हो गया था | वापस आते ही, fever वो सब चालू हो गया था जी | तो पांच-छः दिन के बाद डॉक्टर्स ने CORONA Virus का test की और तब positive आ गया था | तब Gandhi Hospital, Government Hospital, Hyderabad में वहां पे admit किया था मुझे और उसके बाद 14 दिन के बाद ठीक हो गया था मैं, और discharge हो गया था | तो, थोड़ा डरावना था ये सब |
मोदी जी: यानी, जब आपको संक्रमण का पता चला
राम गम्पा तेजा: हाँ |
मोदी जी: और ये उसके पहले पता तो होगा ही कि ये virus
बहुत भयंकर है, तकलीफ़ लग रहा है |
राम गम्पा तेजा: हाँ |
मोदी जी: तो, जब आपके साथ हुआ, तब आपको क्या, एकदम
से immediate क्या response था आपका?
राम गम्पा तेजा: पहले तो बहुत डर गया था, पहले तो believe भी नहीं कर रहा था मैं कि हो गया ,ऐसा कैसा हुआ था | क्योंकि India में किसी को दो-तीन लोगों को आया था , तो कुछ नहीं पता था, उसके बारे में | Hospital में जब admit किया था तब मुझे quarantine में रखे थे | तब तो, पहले दो-तीन दिन, पूरा ऐसे ही चला गया था, लेकिन वहाँ के डॉक्टर्स और nurses, जो है न !
मोदी जी: हाँ
राम गम्पा तेजा: वो बहुत अच्छे थे, मेरे साथ | हर दिन मुझे call करके मुझसे बात कर रहे थे और confidence दे रहे थे कि कुछ नहीं होगा, आप ठीक हो जाओगे - ऐसे, बात करते रहते थे | दिन में, दो-तीन बार डॉक्टर बात करते थे, nurse भी बात करते थे | तो, पहले जब डर था, लेकिन, उसके बाद ऐसे लगा कि, हाँ, इतने अच्छे लोगों के साथ हूँ, वो कुछ, उनको पता है कि क्या करना है and I will get better, ऐसे लगा था |
मोदी जी: परिवार के लोगों की मनःस्थिति क्या थी ?
राम गम्पा तेजा: जब मैं hospital में admit हुआ था ! पहले तो,सब बहुत stress में थे | ज्यादा attention वो सब था | लेकिन हाँ, सबसे पहले तो उनका भी test किए थे | सबका negative आ गया था, वो, सबसे बड़ा blessing है हमारे लिये, हमारे family के लिये और सबके लिये, जो मेरे आस-पास थे | उसके बाद तो हर दिन improvement दिख रहे थे | डॉक्टर हमसे बात कर रहे थे | वो बता रहे थे परिवार को भी |
मोदी जी: आपने स्वयं ने, क्या-क्या सावधानियाँ रखी, आपने
परिवार की क्या सावधानियां रखी ?
राम गम्पा तेजा: परिवार के लिये तो, पहले, उसके बारे में जब पता
चला, तब तो मैं quarantine में था, लेकिन quarantine के बाद भी डॉक्टर्स ने बताया था, कि और 14 दिन, घर पे ही रहना है और अपने room में रहना और self को House quarantine रखने के लिए बोले थे | तो, आने के बाद भी मैं अपने घर में ही हूँ , मेरे ही room में रहता हूँ ज्यादातर, mask पहनकर ही रहता हूँ दिन-भर, जब भी बाहर खाने के लिये कुछ होगा ...hand washing वो सब important है |
मोदी जी: चलिये राम, आप स्वस्थ होकर के आये हैं | आपको और आपके परिवार को मेरी बहुत शुभकामनाएं हैं |
राम गम्पा तेजा: Thank you.
मोदी जी : लेकिन मैं चाहूंगा कि आपका ये अनुभव
राम गम्पा तेजा: हाँ
मोदी जी: आप तो IT Profession में हैं
राम गम्पा तेजा: हाँ
मोदी जी: तो audio बनाकर के
राम गम्पा तेजा: हाँ
मोदी जी: लोगों को share कीजिये, बहुत social media में viral कीजिये | तो क्या होगा कि लोग डर भी नहीं जायेंगे, at the same time, care करने से, कैसे बच सकते हैं, वो भी, बड़े आराम से लोगों तक पहुँच जायेगा |
राम गम्पा तेजा: हाँ, जी, ये ऐसा है कि बाहर आके देख रहा हूँ सब quarantine मतलब एक jail में जाने के जैसा लोग सोच रहे हैं, वो ऐसा नहीं है | सबको पता होना चाहिये कि government quarantine उनके लिये है, उनके परिवार के लिये ही है | तो, उसके बारे में ज्यादातर लोगों को बोलना चाहता हूँ कि test करवाओ, quarantine, मतलब, डरना मत | on quarantine मतलब वो stigma नहीं होनी चाहिये उसके ऊपर |
मोदी जी: चलिए राम, बहुत-बहुत शुभकामनाएं आपको |
राम गम्पा तेजा: Thank you
मोदी जी: Thank you भैया, thanks a lot
राम गम्पा तेजा: Thank you
साथियो जैसा कि राम ने बताया कि उन्होंने हर उस निर्देश का पालन किया जो इनको कोरोना की आशंका होने के बाद डॉक्टरों ने दिए, इसी का परिणाम है कि आज वो स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं | हमारे साथ ऐसे ही एक और साथी जुड़े हैं जिन्होंने कोरोना को पराजित किया है और उनका तो पूरा परिवार इस संकट में फँस गया था | नौजवान बेटा भी फँस गया था | आइए आगरा के श्रीमान अशोक कपूर के साथ हम बात करते हैं.
मोदी जी : अशोक जी नमस्ते |
अशोक कपूर:नमस्कार जी | मेरा सौभाग्य है जी, आपसे बात हो रही है |
मोदी जी : चलिए, हमारा भी सौभाग्य है, मैंने फ़ोन इसलिये किया
क्योंकि आपका पूरा परिवार इस समय संकट में फंसा था |
अशोक कपूर: जी, जी, जी |
मोदी जी : तो मैं जरुर जानना चाहूंगा कि आपको ये समस्या , इस संक्रमण का पता कैसे चला? क्या हुआ ? अस्पताल में, क्या हुआ? ताकि मैं आपकी बात सुनकर अगर कोई चीज़ें देश को बताने जैसी होगी तो मैं उसका उपयोग करूँगा |
अशोक कपूर: बिलकुल साहब | ऐसा था कि मेरे दो बेटे हैं | ये Italy गए थे | वहां पर, fair था shoes का | हम यहाँ जूते का काम करते हैं जी, factory है, manufacturing का |
मोदी जी : हाँ
अशोक कपूर: तो वहां गए थे Italy, fair पे | जब ये वापिस आये न !
मोदी जी : हाँ |
अशोक कपूर: तो हमारा दामाद भी गया था, वो दिल्ली रहते हैं | तो उनको थोड़ी problem हुई तो वो hospital चले गए राम मनोहर लोहिया
मोदी जी : हाँ
अशोक कपूर: तो उन्होंने उनको positive बताया | उसको, उन्होंने shift कर दिया सफदरजंग
मोदी जी : हाँ
अशोक कपूर: हमको वहां से फ़ोन आया कि आप भी उनके साथ गए थे, आप भी test करायें, तो दोनों बेटे चले गये test कराने | यहीं, Agra District Hospital में | Agra District Hospital वालों ने इनको बोला कि आप अपने परिवार को भी बुला लें | कहीं कोई ऐसी बात ना हो | ultimately क्या हुआ जी हम सब गए
मोदी जी : हाँ
अशोक कपूर: तो next day उन्होंने बताया कि आपके जो छः जने जो हैं – मेरे दोनों बेटे, मैं, मेरी wife, मैंने वैसे seventy three year old हूँ, मेरी wife और मेरे बेटे की wife, और मेरा grandson वो सोलह साल का है | तो हम छः का उन्होंने positive बताया, तो आप उन्हें दिल्ली ले जाना है |
मोदी जी : Oh my god !
अशोक कपूर: हम Sir डरे नहीं | हमने कहा ठीक है, अच्छा है पता लग गया | हम लोग दिल्ली चले गए सफदरजंग हॉस्पिटल | ये आगरा वालों ने ही भेजा उन्होंने दो हमको ambulance दी | कोइ charge नहीं किया | उनकी बड़ी मेहरबानी है आगरा के डॉक्टर्स की, administration की | पूरा उन्होंने हमें सहयोग किया |
मोदी जी : Ambulance से आये आप ?
अशोक कपूर: हां जी, ambulance से | ठीक-ठाक थे, बैठ के जैसे उसमें बैठ के आते हैं | हमको उन्होंने दो ambulance दे दी | संग में डॉक्टर भी थे, और हमको उन्होंने सफदरजंग हॉस्पिटल छोड़ दिया | सफदरजंग हॉस्पिटल में DOCTORS ने ,already वो खड़े थे वहां पर गेट पे , तो उन्होंने हमको, जो वार्ड था वहां पर हमको उन्होंने shift कर दिया | हम छः को उन्होंने अलग-अलग room दिया | अच्छे room थे, सबकुछ था | तो sir फिर हम 14 दिन वहां हॉस्पिटल में अकेले रहते थे | और डॉक्टरों का जहां तक बात है ,बहुत सहयोग रहा जी, बड़ा अच्छा उन्होंने हमको treat किया चाहे वो staff हो | वो actually वो अपनी dress पहनकर आते थे न sir, पता नहीं चलता था कि ये डॉक्टर है या ward boy है या nurse है | और जो कहते थे, हम मान लेते थे | फिलहाल हमको किसी भी तरह की 1% भी problem नहीं आयी |
मोदी जी : आपका आत्मविश्वास भी बड़ा मजबूत दिखता है |
अशोक कपूर: जी sir, I am perfect हां जी | मैंने तो बल्कि sir अपने घुटनों का भी operation कराया हुआ है | even then I am perfect
मोदी जी : नहीं, लेकिन जब इतना बड़ा संकट परिवार के सबको आ गया और 16 साल के बच्चे तक पहुँच गया
अशोक कपूर: उसका पेपर था sir. ICSE के paper थे ना ! तो उसका paper था, तो हमने नहीं दिये paper. मैंने देखी जायेगी बाद में | ये तो ज़िंदगी रहेगी तो सब paper हो जायेंगे |कोई बात नहीं है|
मोदी जी : सही बात है | चलिये आपका अनुभव इसमें काम आया | पूरे परिवार को विश्वास भी दिलाया, हिम्मत भी दिलाई|
अशोक कपूर: जी , हमने पूरे परिवार को गए, एक-दूसरे का वहां सहारा रहा, मिलते नहीं थे | फ़ोन पर बात कर लेते थे | मिलते-जुलते नहीं थे और डॉक्टरों ने पूरी हमारी care की - जितनी होनी चाहिए | हम उनके आभारी हैं उन्होंने बहुत अच्छा हमारे साथ किया | जो staff, nurses थी उन्होंने पूरा हमको सहयोग दिया है sir |
मोदी जी : चलिये मेरी आपको और आपके पूरे परिवार को बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं |
अशोक कपूर: Thank you जी | धन्यवाद | हम बड़े खुश हैं कि आपसे मेरी बात हो गयी है |
मोदी जी : नहीं हम भी जो
अशोक कपूर: उसके बाद भी Sir , हमारे लिए कोई, किसी तरह की मतलब awareness के लिए कहीं जाना हो, कुछ करना हो, हम हर वक़्त तैयार हैं |
मोदी जी : नहीं आप अपने तरीके से, आगरा में करिये | कोई भूखा है तो उसको खाना खिलाइए |
अशोक कपूर: बिलकुल बिलकुल
मोदी जी :गरीब की चिन्ता कीजिये, और नियमों का लोग पालन करें | लोगों को समझाइये कि आपका परिवार इस बीमारी में फंसा था, लेकिन आपने नियमों का पालन करके अपने परिवार को बचाया, सब लोग अगर नियमों का पालन करें तो देश बच जाएगा |
अशोक कपूर: हमने सर ,मोदी सर, कि हमने अपना video वगैरह बना करके ना channels में दिया है |
मोदी जी : अच्छा |
अशोक कपूर: channels वालों ने दिखाया भी है इसलिए कि लोगों में awareness रहे और
मोदी जी : Social media में बहुत popular करना चाहिये |
अशोक कपूर: जी जी, और हम अपनी कॉलोनी में जहाँ हम रहते हैं | साफ़-सुथरी कॉलोनी है सबको हमने कह दिया कि देखो जी, हम आ गए हैं तो डरे नहीं | किसी को कोई problem है , जा के test करायें | और जो लोग हमारे संग मिले होंगे जो टेस्ट करवाए , ईश्वर की दया से ठीक रहे | जी सर |
मोदी जी : चलिए बहुत शुभकामनाएं सबको |
साथियो हम अशोक जी और उनके परिवार के दीर्घायु की कामना करते हैं, जैसा कि इन्होंने कहा कि panic हुए बिना, डरे बिना समय पर सही कदम उठाना, समय पर डाक्टरों से संपर्क करना और उचित सावधानी रखते हुए इस महामारी को हम पराजित कर सकते हैं | साथियों, हम मेडिकल स्तर पर इस महामारी से कैसे निपट रहे हैं इसके अनुभव जानने के लिए मैंने कुछ डाक्टरों से बात की जो इस लड़ाई में पहली पंक्ति में मोर्चा संभाले हुए हैं | रोजमर्रा की उनकी गतिविधि इन्ही पेशोंटो (patients) के साथ पड़ती है | आइये हमारे साथ दिल्ली से डाक्टर नीतेश गुप्ता जुड़े हैं...
मोदी जी: नमस्ते डॉक्टर |
डॉ० नीतेश गुप्ता: नमस्ते सर
मोदी जी: नमस्ते नितीश जी, आप तो बिलकुल मोर्चे पर डटे हुए हो, तो, मैं जानना चाहता हूँ कि अस्पतालों में बाकी आपके साथियों का mood कैसा है ? क्या है ज़रा
डॉ० नीतेश गुप्ता: सबका mood upbeat है | आपका आशीर्वाद सबके साथ है | आपने दिया हुआ सारा हॉस्पिटल को जो भी आप support कर रहे हैं , जो भी चीज़ हम माँग रहे हैं , आप सब provide कर रहे हैं | तो हम लोग बिलकुल जैसे Army border पर लड़ी रहती है, हम लोग बिलकुल वैसे ही लगे हुए हैं | और, हमारा सिर्फ एक ही कर्त्तव्य है कि patient ठीक होकर घर जाए |
मोदी जी: आपकी बात सही है , ये युद्ध जैसा स्थिति है और आप ही सब मोर्चा संभाले बैठे हो |
डॉ० नीतेश गुप्ता: हाँ जी सर |
मोदी जी: आपको तो इलाज के साथ-साथ मरीज़ की counselling भी करनी पड़ती होगी ?
डॉ० नीतेश गुप्ता: हां जी सर, वो सबसे ज्यादा जरुरी चीज है | क्योंकि मरीज़, एकदम सुनके एकदम से डर जाता है कि ये क्या हो रहा है उसके साथ | उनको समझाना होता है, कुछ नहीं है, अगले 14 दिन आप ठीक होंगे, आप घर जायेंगे बिलकुल | तो हम अभी तक ऐसे 16 मरीजों को घर भेज चुके हैं |
मोदी जी: तो जब आप बात करते हैं तो over-all क्या आता है आपके सामने, जब, डरे हुए लोग हैं तो इनकी चिंता क्या सताती है?
डॉ० नीतेश गुप्ता: उनको यही लगता है कि आगे क्या होगा ? अब क्या होगा? ये तो बिलकुल एकदम जैसा वो बाहर की दुनिया में देखते हैं कि बाहर लोग इतने expire हो रहे हैं तो हमारे साथ भी ऐसा ही होगा | तो हम उनको समझाते हैं कि आपकी कौन सी दिक्कत, किस दिन ठीक होगी | आपका case बहुत mild वाला है | normal सर्दी-जुकाम वाला जो case होता है, वैसा ही है | तो जैसे वो ठीक हो जाता है पांच-सात दिन में आप भी ठीक हो जायेंगे | फिर हम आपके test करेंगे जब वो negative आयेंगे तो आपको घर भेज सकते हैं | हम तो इसीलिये बार-बार, दो-तीन-चार घंटे में उनके पास जाते हैं, मिलते हैं, उनसे पूछते हैं | उनको सहूलियत होती है पूरे दिन में तो ही उनको अच्छा लगता है |
मोदी जी: उनका आत्मविश्वास बन जाता है | शुरू में तो डर जाते हैं ?
डॉ० नीतेश गुप्ता: शुरू में तो डर जाते हैं, but जब हम समझाते हैं, तो दूसरे-तीसरे दिन तक जब वो खुद ठीक होने लगते हैं तो उन्हें भी लगता है कि हम ठीक हो सकते हैं |
मोदी जी: लेकिन सभी डाक्टरों को लगता है कि जीवन का सबसे बड़ा सेवा का काम उनके जिम्मे आया है, ये भाव बनता है सबको ?
डॉ० नीतेश गुप्ता: हाँ जी , बिलकुल बनता है | हम अपनी team को बिलकुल प्रोत्साहित करके रखते हैं कि डरने वाली कोई बात नहीं है, कोई ऐसी चीज नहीं है | अगर हम पूरी precaution लेंगे, मरीज़ को अच्छे से precaution समझायेंगे कि आपको ऐसे करना है तो सब चीज़ें ठीक रहेंगी |
मोदी जी: चलिए डॉक्टर, आपके यहाँ तो बहुत बड़ी मात्रा में patient भी आते हैं और आप बिलकुल जी-जान से लगे हैं | आपसे बात करके अच्छा लगा | मैं आपके साथ हूँ | लड़ाई लड़ते रहें |
डॉ० नीतेश गुप्ता: आपका आशीर्वाद रहे, यही हम चाहते हैं |
मोदी जी: बहुत-बहुत शुभकामनाएं, भैया |
डॉ० नीतेश गुप्ता: Sir Thank you.
मोदी जी: Thank You.नितीश जी आपको बहुत-बहुत साधुवाद | आप जैसे लोगों के प्रयासों से भारत कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई में अवश्य विजयी होगा | मेरा आपसे आग्रह है कि आप अपना ध्यान रखें | अपने साथियों का ध्यान रखें | अपने परिवार का ध्यान रखें | दुनिया का अनुभव बताता है कि इस बीमारी से संक्रमित होने वाले व्यक्तियों कि संख्या अचानक बढती है |अचानक होने वाली इस वृद्धि की वजह से विदेशों में हमने अच्छे से अच्छे स्वास्थ्य सेवा को जवाब देते हुए देखा है | भारत में ऐसी स्थिति न आये इसके लिए ही हमें निरंतर प्रयास करना है | एक और डाक्टर हमारे साथ पुणे से जुड़ रहे हैं... श्रीमान डाक्टर बोरसे
मोदी जी: नमस्ते डॉक्टर |
डॉक्टर: नमस्ते | नमस्ते |
मोदी जी: नमस्ते | आप तो बिल्कुल एक ‘जन-सेवा, प्रभु-सेवा’ के मिजाज़ से काम में लगे हैं | तो मैं आज आपसे कुछ बातें करना चाहता हूँ जो देशवासियो के लिए आपका संदेश चाहिए | एक तो अनेक लोगों के मन में ये प्रश्न है कि कब डॉक्टर्स से संपर्क करना है और कब उनको कोरोना का test कराना है ? एक डॉक्टर के नाते और आप तो पूरी तरह अपने आप को इस कोरोना के मरीजों के लिए समर्पित कर दिया है | तो आपकी बात में बहुत ताकत है तो मैं सुनना चाहता हूँ ?
डॉक्टर: सर जी ,यहाँ मैं यहाँ से बी.जे.मेडिकल कॉलेज पुणे है | वहाँ पे प्रोफ़ेसर हूँ | और हमारे पुणे municipal corporation hospital है, नायडू हॉस्पिटल करके | वहाँ पे जनवरी 2020 से एक screening center चालू हो गया है | वहाँ पे आज तक 16 (Sixteen) COVID-19 Positive cases निकले हैं | और वो जो 16 (Sixteen) COVID-19 Positive patients जो निकले हैं उसमे से हमने treatment देके, उनको Quarantine करके, isolation करके, treatment देके 7 लोगों को discharge कर दिया है Sir | और जो अभी बाकि नौ cases हैं they are also very stable and they are also doing well | Though वो virus body में होते हुए भी they are getting well, they are recovering out of the Corona Virus | और अभी यहाँ पे जो sample size तो वैसे छोटा है सर 16 cases ही है | लेकिन ऐसा मालूम हो रहा है कि young population भी affect हो रही है | और young population affect होते हुए भी जो disease है और वो ज्यादा serious disease नहीं है सर | वो mild disease है और वो patient लोग काफ़ी अच्छे हो रहे हैं सर | और अभी ये जो 9 लोग बाकी है वहाँ पे they are also going to be well, they are not going to deteriorate , we are keeping watch on them on daily basis लेकिन they are also going to be well in current 4-5 days | जो लोग हमारे यहाँ suspect करके आते हैं, international travellers हैं और जो contact में आये हैं , ऐसे लोगों का सर हम swab ले रहें हैं | ये जो oropharyngeal swab ले रहे हैं , nasal swab ले रहे हैं और nasal swab का रिपोर्ट आने के बाद अगर positive निकला है तो हम positive ward में admit कर रहें हैं | और negative अगर निकला तो उनको home Quarantine का संदेश देके , कैसे लेना है home Quarantine , क्या करना है home को जा के , ये advice करके हम उनको घर पे भेज रहें हैं |
मोदी जी: उसमे क्या समझाते हैं आप ? घर में रहने के लिए क्या-क्या समझाते हैं आप जरा बताइये ?
डॉक्टर: सर एक तो अगर home में ही रहे तो home में भी Quarantine आपको करना है | 6 फीट distance कम से कम तो आपको रखना है, ये पहली बात | दूसरी बात, उनको मास्क use करना है और बार-बार हाथ साफ़ करना है | अगर आपके पास sanitisation नहीं है फिर भी अपना सादा simple साबुन से और पानी से हाथ साफ़ करना है और वो भी बार-बार साफ़ करना है | और जब आपको खाँसी आयेंगी sneezing होगा तो रुमाल लगा के सादा रुमाल लगा के उसके ऊपर खाँसी करना है | so that वो जो droplets हैं, वो droplets ज्यादा दूर तक नहीं जाएँ और ज़मीन पे ना गिरे और ज़मीन पे न गिरने की वजह से ज्यादा हाथ लग जाता है तो किसी को फैलना possible नही होगा | ये समझा रहे हैं सर | दूसरी बात समझा रहे हैं कि they are supposed to be there as a home quarantine, they are not supposed to go out of the home | अभी तो lockdown हो गया है , in fact , during this particular situation they are supposed to be lockdown but they are supposed to be home quarantine also properly for minimum 14 days के लिए quarantine हम उनको सूचित कर रहे हैं , सन्देश दे रहे हैं सर|.........................
मोदी जी: चलिए डॉक्टर, आप तो बहुत अच्छी सेवा कर रहे हो और समर्पण भाव से कर रहे हो और आपकी पूरी टीम लगी है | मुझे विश्वास है कि हमारे जितने भी patients आये हैं, सब सुरक्षित होकर के अपने घर जायेंगे और देश में भी हम इस लड़ाई में जीतेंगे | आप सबके लोगों की मदद से |
डॉक्टर: सर, हमें विश्वास है हम जीतेंगे | ये लड़ाई जीत जायेगे |
मोदी जी: बहुत-बहुत शुभकामनाएं डॉक्टर आपको , धन्यवाद डॉक्टर|
डॉक्टर: Thank you ,Thank you Sir |
साथियों हमारे ये तमाम साथी आपको, पूरे देश को इस संकट से बाहर निकालने में जुटे हैं.|ये जो बातें हमें बताते हैं उन्हें हमें सुनना ही नहीं है बल्कि अपने जीवन में उतारना भी है|आज जब मै डाक्टरों का त्याग़, तपस्या , समर्पण देख रहा हूँ तो मुझे आचार्य चरक की कही हुई बात याद आती है | आचार्य चरक ने डाक्टरों के लिए बहुत सटीक बात कही है और आज वो हम अपने डाक्टरों के जीवन में हम देख रहे हैं... आचार्य चरक ने कहा है ...
न आत्मार्थम् न अपि कामार्थम् अतभूत दयां प्रति ||
वतर्ते यत् चिकित्सायां स सवर्म इति वर्तते ||
...यानी धन और किसी ख़ास कामना को लेकर नहीं, बल्कि मरीज की सेवा के लिए, दया भाव रखकर कार्य करता है, वो सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक होता है |
साथियों मानवता से भरी हुई हर Nurse को आज मैं
नमन करता हूँ... आप सभी जिस सेवा भाव के साथ कार्य करते है वो
अतुलनीय है...ये भी संयोग है कि इस वर्ष यानि 2020 को पूरा विश्व
International Year of the Nurse and Midwife के तौर पर मना रहा
है...इसका सबंध 200 वर्ष पूर्व 1820 में जन्म लेने वाली Florence Nightingale से जुड़ा हुआ है...जिन्होंने मानव सेवा को, नर्सिंग को एक नई पहचान दी...एक नई ऊंचाई पर पहुँचाया...दुनिया की हर Nurse के सेवा भाव को समर्पित ये वर्ष निश्चित तौर पर पूरे नर्सिंग समुदाय के लिए बहुत बड़ी परीक्षा की घड़ी बनकरके आया है...मुझे विश्वास है कि आप सभी इस इम्तिहान में ना सिर्फ सफल होंगी बल्कि अनेकों जीवन भी बचाएंगी...
आप जैसे तमाम साथियों के हौसले और जज़्बे के कारण ही इतनी बड़ी लड़ाई हम लड़ पा रहे हैं | आप जैसे साथी चाहे वो डाक्टर हों, नर्स हों, para-medical , आशा, ए एन एम कार्यकर्ता , सफाई कर्मचारी हों , आपके स्वास्थ्य की भी देश को बहुत चिंता है | इसी को देखते हुए, ऐसे करीब 20 लाख साथियों के लिए 50 लाख रुपये तक के स्वास्थ्य-बीमा की घोषणा सरकार ने की है, ताकि आप इस लड़ाई में और अधिक आत्मविश्वास के साथ देश का नेतृत्व कर सकें |
मेरे प्यारे देशवासियों,CORONAVirus के खिलाफ़ इस जंग में हमारे आसपास ऐसे अनेक लोग हैं जो समाज के Real Hero हैं और इस परिस्थिति में भी सबसे आगे खड़े हैं | मुझे NarendraModi App पर, NAMO App पर बेंगलुरु के निरंजन सुधाकर हेब्बाले जी ने लिखा है कि ऐसे लोग Daily-Life Heroes हैं| यह बात सही भी है | ये वो लोग हैं जिनकी वज़ह से हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी आसानी से चलती रहती है | आप कल्पना करिए कि एक दिन आपके घरों में नल में आने वाला पानी बंद हो जाए या फिर आपके घर की बिजली अचानक कट जाए , तब ये Daily–Life Heroes ही होते हैं जो हमारी दिक्क़तों को दूर करते हैं | ज़रा आप अपने पडोस में मौजूद छोटी परचून की दूकान के बारे में सोचिये | आज के इस कठिन समय में, वो दुकानदार भी जोख़िम उठा रहा है | आख़िर किसलिए ? इसलिए न , कि आपको ज़रुरत का सामान मिलने में कोई परेशानी ना हो | ठीक इसी प्रकार, उन drivers, उन workers के बारे में सोचिये, जो बिना रुके अपने काम में डटे हैं ताकि देश भर में आवश्यक वस्तुओं की supply-chain में कोई रुकावट ना आये | आपने देखा होगा, बैंकिंग सेवाओं को सरकार ने चालू रखा है और बैंकिंग-क्षेत्र के हमारे लोग पूरे लगन से, पूरे मन से इस लड़ाई का नेतृत्व करते हुए बैंकों को सँभालते हैं, आपकी सेवा में मौजूद हैं | आज के समय, ये सेवा छोटी नहीं है | उन बैंक के लोगों का भी हम जितना धन्यवाद करें उतना कम है | बड़ी संख्या में हमारे साथी e-commerce से जुड़ी कम्पनियों में delivery person के रूप में कार्य कर रहे हैं | ये लोग इस कठिन दौर में भी Groceries की delivery देने में लगे हुए हैं | ज़रा सोचिये कि आप lockdown के समय भी जो TV देख पा रहे हैं, घर में रहते हुए जिस PHONE और INTERNET का इस्तेमाल कर रहे हैं – उन सब को सुचारू रखने के लिए कोई न कोई अपनी ज़िंदगी खपा रहा है | इस दौरान,आप में से अधिकांश लोग जो Digital Payment आसानी से कर पा रहे हैं, उसके पीछे भी बहुत से लोग काम कर रहे हैं | Lockdown के दौरान यही वो लोग हैं जो देश के काम-काज को संभाले हुए हैं | आज सभी देशवासियों की तरफ से, मैं उन सभी लोगों के प्रति आभार प्रकट करता हूँ और उनसे अनुरोध करता हूँ कि वे अपने लिए भी, हर तरह के safety precautions लें, अपना भी ख्याल रखें, अपने परिवारजनों का भी ख्याल रखें |
मेरे प्यारे देशवासियों , मुझे कुछ ऐसी घटनाओं का पता चला है जिनमें CORONA virus के संदिग्ध या फिर जिन्हें home quarantine में रहने को कहा गया है , उनके साथ कुछ लोग बुरा बर्ताव कर रहे हैं | ऐसी बातें सुनकर मुझे अत्यंत पीड़ा हुई है | यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है | हमें ये समझना होगा कि मौजूदा हालात में, अभी एक दूसरे से सिर्फ़ social distance बना कर रखना है , न कि emotional या human distance | ऐसे लोग कोई अपराधी नहीं हैं बल्कि virus के संभावित पीड़ित–भर हैं | इन लोगों ने दूसरों को संक्रमण से बचाने के लिए ख़ुद को अलग किया है और quarantine में रहे हैं | कई जगह पर लोगों ने अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लिया है | यहाँ तक कि virus के कोई लक्षण नहीं दिखने पर भी उन्होंने ख़ुद को quarantine किया | ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि वे विदेश से लौट करके आये हैं और दोहरी सावधानी बरत रहे हैं | वे ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि किसी भी सूरत में कोई दूसरा व्यक्ति इस Virus से संक्रमित ना हो पाए | इसलिए जब लोग ख़ुद इतनी ज़िम्मेदारी दिखा रहे हैं तो उनके साथ ख़राब व्यवहार करना कहीं से भी जायज़ नहीं है बल्कि उनके साथ सहानूभूतिपूर्वक सहयोग करने की आवश्यकता है |
कोरोना वायरस से लड़ने का सबसे कारगर तरीका social distancing है, लेकिन, हमें ये समझना होगा कि social distancing का मतलब social interaction को खत्म करना नहीं है, वास्तव में, ये समय, अपने सभी पुराने सामाजिक रिश्तों में नई जान फूँकने का है, उन रिश्तों को तरो-ताज़ा करने का है - एक प्रकार से, ये समय, हमें ये भी बताता है कि social distancing बढ़ाओ और emotional distance घटाओ | मैं फिर कहता हूँ, social distancing बढ़ाओ और emotional distance घटाओ | कोटा से यश वर्धन ने NarendraModi App पर लिखा है कि, वे, lockdown में family bounding को मजबूत कर रहे है | बच्चों के साथ board games और क्रिकेट खेल रहे हैं | Kitchen में नयी-नयी dishes बना रहे हैं | जबलपुर की निरुपमा हर्षेय जी NarendraModi App पर लिखती है कि उन्हें पहली बार रजाई बनाने के अपने शौक को पूरा करने का मौका मिला है, यही नहीं, वो, इसके साथ ही बागवानी का शौक भी पूरा कर रही हैं | वहीँ रायपुर के परीक्षित , गुरुग्राम के आर्यमन और झारखण्ड के सूरज जी का पोस्ट पढ़ने को मिला जिसमें उन्होंने अपने स्कूल के दोस्तों के E-Reunion करने की चर्चा की है | उनका ये idea काफी रोचक है | हो सकता है कि, आपको भी दशकों से अपने स्कूल, कॉलेज के दोस्तों से बात करने का मौका ना मिला हो | आप भी इस idea को आज़मा के देखिए | भुवनेश्वर के प्रत्यूष और कोलकाता की वसुधा ने बताया कि, वे, आजकल उन किताबों को पढ़ रहे है जिन्हें अब तक पढ़ नहीं पाए थे | Social media में ही मैंने देखा, कि कुछ लोगो ने, वर्षों से घर में पड़े तबला, वीणा, जैसे musical Instrument को निकालकर रियाज़ करना शुरू कर दिया है | आप भी ऐसा कर सकते हैं | इससे, आपको संगीत का आनंद तो मिलेगा ही पुरानी यादें भी ताज़ा हो उठेंगी | यानि मुश्किल की इस घड़ी में आपको मुश्किल से एक ऐसा पल मिला है जिसमें, आपको ना केवल, अपने आप से जुड़ने का मौका मिलेगा, बल्कि, आप, अपने passion से भी जुड़ पाएंगे | आपको, अपने पुराने दोस्तों और परिवार के साथ भी जुड़ने का पूरा अवसर मिलेगा |
नमो एप पर मुझे रुड़की से शशि जी ने पूछा है कि lockdown के समय में, मैं अपनी fitness के लिए क्या करता हूँ ? इन परिस्थितियों में नवरात्रि का उपवास कैसे रखता हूँ ? मैं एक बार और आपको बता दूँ, मैंने, आपको बाहर निकलने के लिए मना किया है लेकिन, आपको अपने भीतर झाँकने के लिए अवसर भी दिया है | ये मौका है, बाहर मत निकलो, लेकिन, अपने अन्दर प्रवेश करो, अपने आप को जानने का प्रयास करो | जहाँ तक नवरात्रि के उपवास की बात है, ये, मेरी और शक्ति के, भक्ति के, बीच का विषय है | जहाँ तक fitness की बात है, मुझे लगता है कि बात लम्बी हो जाएगी, तो, मैं ऐसा करता हूँ कि मैं, social media में, मैं क्या करता हूँ, उसके विषय में कुछ videos, upload करूंगा | NarendraModi App पर आप जरूर उस video को देखेंगे | जो मैं करता हूँ संभवतः उसमें से कुछ बातें, आपके काम आ जाए, लेकिन, एक बात समझ लीजिए कि मैं fitness expert नहीं हूँ और ना ही मैं योगा टीचर हूँ - मैं सिर्फ Practitioner हूँ | हां, ये, जरूर मानता हूँ, योग के कुछ आसनों से मुझे बहुत लाभ हुआ है | Lockdown के दौरान आपको भी हो सकता है ये बातें कुछ काम आ जाए |
साथियो, कोरोना के ख़िलाफ़ ये युद्ध अभूतपूर्व भी है और चुनौतीपूर्ण भी | इसलिए, इस दौरान लिए जा रहे फैसले भी ऐसे हैं, जो, दुनिया के इतिहास में कभी देखने और सुनने को नहीं मिले | कोरोना को रोकने के लिए जो तमाम कदम भारतवासियों ने उठाए हैं, जो प्रयास अभी हम कर रहे हैं – वही, भारत को कोरोना महामारी पर जीत दिलायेंगे | एक-एक भारतीय का संयम और संकल्प भी, हमें, मुश्किल स्थिति से बाहर निकालेगा | साथ-साथ ग़रीबों के प्रति हमारी संवेदनाएँ और अधिक तीव्र होनी चाहिये | हमारी मानवता का वास इस बात मे है कि कहीं पर भी कोई ग़रीब, दुखी- भूखा नज़र आता है, तो, इस संकट की घड़ी में हम पहले उसका पेट भरेंगे, उसका जरूरत की चिंता करेंगे और ये हिंदुस्तान कर सकता है | ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारी संस्कृति है |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज हर भारतीय, अपने जीवन की रक्षा के लिए घर मे बंद है, लेकिन, आने वाले समय में यही हिन्दुस्तानी अपने देश के विकास के लिए सारी दीवारों को तोड़कर आगे निकलेगा, देश को आगे ले जाएगा | आप, अपने परिवार के साथ घर पर रहिए, सुरक्षित और सावधान रहिए- हमें, ये जंग जीतना है | जरूर जीतेगें | ‘मन की बात’ के लिए, फिर, अगले महीने मिलेगें और तब तक इस संकटों को मात करने में हम सफल हो भी जाएँ, इसी एक कल्पना के साथ, इसी एक शुभकामना के साथ, आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, ये मेरा सौभाग्य है कि ‘मन की बात’ के माध्यम से मुझे कच्छ से लेकर कोहिमा, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, देश-भर के सभी नागरिकों को फिर एक बार नमस्कार करने का मौका मिला है | आप सबको नमस्कार |
हमारे देश की विशालता और विविधता इसको याद करना, इसको नमन करना, हर भारतीय को, गर्व से भर देता है | और इस विविधता के अनुभव का अवसर तो हमेशा ही अभीभूत कर देने वाला, आनंद से भर देने वाला, एक प्रकार से, प्रेरणा का पुष्प होता है | कुछ दिनों पहले, मैंने, दिल्ली के हुनर हाट में एक छोटी सी जगह में, हमारे देश की विशालता, संस्कृति, परम्पराओं, खानपान और जज्बातों की विविधताओं के दर्शन किये | पारंपरिक वस्त्र, हस्तशिल्प, कालीन, बर्तन, बांस और पीतल के उत्पाद, पंजाब की फुलकारी, आंध्र प्रदेश का शानदार leather का काम, तमिलनाडु की खूबसूरत painting, उत्तर प्रदेश के पीतल के उत्पाद, भदोही (Bhadohi) की कालीन, कच्छ के copper के उत्पाद, अनेक संगीत वादय यंत्र, अनगिनत बातें, समूचे भारत की कला और संस्कृति की झलक, वाकई अनोखी ही थी और इनके पीछे, शिल्पकारों की साधना, लगन और अपने हुनर के प्रति प्रेम की कहानियाँ भी, बहुत ही, inspiring होती हैं | हुनर हाट में एक दिव्यांग महिला की बातें सुनकर बड़ा संतोष हुआ | उन्होंने मुझे बताया कि पहले वो फुटपाथ पर अपनी paintings बेचती थी | लेकिन हुनर हाट से जुड़ने के बाद उनका जीवन बदल गया | आज वो ना केवल आत्मनिर्भर है बल्कि उन्होंने खुद का एक घर भी खरीद लिया है | हुनर हाट में मुझे कई और शिल्पकारों से मिलने और उनसे बातचीत करने का अवसर भी मिला | मुझे बताया गया है कि हुनर हाट में भाग लेने वाले कारीगरों में पचास प्रतिशत से अधिक महिलाएँ हैं | और पिछले तीन वर्षों में हुनर हाट के माध्यम से, लगभग तीन लाख कारीगरों, शिल्पकारों को रोजगार के अनेक अवसर मिले हैं | हुनर हाट, कला के प्रदर्शन के लिए एक मंच तो है ही, साथ-ही-साथ, यह, लोगों के सपनों को भी पंख दे रहा है | एक जगह है जहां इस देश की विविधता को अनदेखा करना असंभव ही है | शिल्पकला तो है ही है, साथ-साथ, हमारे खान-पान की विविधता भी है | वहां एक ही line में इडली-डोसा, छोले-भटूरे, दाल-बाटी, खमन-खांडवी, ना जाने क्या-क्या था | मैंने, खुद भी वहां बिहार के स्वादिष्ट लिट्टी-चोखे का आनन्द लिया, भरपूर आनंद लिया | भारत के हर हिस्से में ऐसे मेले, प्रदर्शिनियों का आयोजन होता रहता है | भारत को जानने के लिए, भारत को अनुभव के लिए, जब भी मौका मिले, जरुर जाना चाहिए | ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ को, जी-भर जीने का, ये अवसर बन जाता है | आप ना सिर्फ देश की कला और संस्कृति से जुड़ेंगे, बल्कि आप देश के मेहनती कारीगरों की, विशेषकर, महिलाओं की समृद्धि में भी अपना योगदान दे सकेंगे - जरुर जाइये |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश की महान परम्परायें हैं | हमारे पूर्वजों ने हमें जो विरासत में दिया है, जो शिक्षा और दीक्षा हमें मिली है जिसमें जीव-मात्र के प्रति दया का भाव, प्रकृति के प्रति अपार प्रेम, ये सारी बातें, हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं और भारत के इस वातावरण का आतिथ्य लेने के लिए दुनिया भर से अलग-अलग प्रजातियों के पक्षी भी, हर साल भारत आते हैं | भारत पूरे साल कई migratory species का भी आशियाना बना रहता है | और ये भी बताते हैं कि ये जो पक्षी आते हैं, पांच-सौ से भी ज्यादा, अलग-अलग प्रकार के और अलग-अलग इलाके से आते हैं | पिछले दिनों, गाँधी नगर में ‘COP - 13 convention’, जिसमें इस विषय पर काफी चिंतन हुआ, मनन हुआ, मन्थन भी हुआ और भारत के प्रयासों की काफी सराहना भी हुई | साथियो, ये हमारे लिए गर्व की बात है कि आने वाले तीन वर्षों तक भारत migratory species पर होने वाले ‘COP convention’ की अध्यक्षता करेगा | इस अवसर को कैसे उपयोगी बनायें, इसके लिये, आप अपने सुझाव जरुर भेजें |
COP Convention पर हो रही इस चर्चा के बीच मेरा ध्यान मेघालय से जुडी एक अहम् जानकारी पर भी गया | हाल ही में Biologists ने मछली की एक ऐसी नई प्रजाति की खोज की है, जो केवल मेघालय में गुफाओं के अन्दर पाई जाती है | माना जा रहा है कि यह मछली गुफाओं में जमीन के अन्दर रहने वाले जल-जीवों की प्रजातियों में से सबसे बड़ी है | यह मछली ऐसी गहरी और अंधेरी underground caves में रहती है, जहां रोशनी भी शायद ही पहुँच पाती है | वैज्ञानिक भी इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि इतनी बड़ी मछली इतनी गहरी गुफाओं में कैसे जीवित रहती है ? यह एक सुखद बात है कि हमारा भारत और विशेष तौर पर मेघालय एक दुर्लभ प्रजाति का घर है | यह भारत की जैव-विविधता को एक नया आयाम देने वाला है | हमारे आस-पास ऐसे बहुत सारे अजूबे हैं, जो अब भी undiscovered हैं | इन अजूबों का पता लगाने के लिए खोजी जुनून जरुरी होता है |
महान तमिल कवियत्री अव्वैयार (Avvaiyar) ने लिखा है,
“कट्टत केमांवु कल्लादरु उडगड़वु, कड्डत कयिमन अड़वा कल्लादर ओलाआडू”
इसका अर्थ है कि हम जो जानते हैं, वह महज़, मुट्ठी-भर एक रेत है लेकिन, जो हम नहीं जानते हैं, वो, अपने आप में पूरे ब्रह्माण्ड के समान है | इस देश की विविधता के साथ भी ऐसा ही है जितना जाने उतना कम है | हमारी biodiversity भी पूरी मानवता के लिए अनोखा खजाना है जिसे हमें संजोना है, संरक्षित रखना है, और, explore भी करना है |
मेरे प्यारे युवा साथियो, इन दिनों हमारे देश के बच्चों में, युवाओं में Science और Technology के प्रति रूचि लगातार बढ़ रही है | अंतरिक्ष में Record Satellite का प्रक्षेपण, नए-नए record, नए-नए mission हर भारतीय को गर्व से भर देते हैं | जब मैं चंद्रयान-2 के समय बेंगलुरु में था, तो, मैंने देखा था कि वहाँ उपस्थित बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था | नींद का नाम-ओ-निशान नहीं था | एक प्रकार से पूरी रात वो जागते रहे | उनमें Science, Technology और innovation को लेकर जो उत्सुकता थी वो कभी हम भूल नहीं सकते हैं | बच्चों के, युवाओं के, इसी उत्साह को बढ़ाने के लिए, उनमें scientific temper को बढ़ाने के लिए, एक और व्यवस्था, शुरू हुई है | अब आप श्रीहरिकोटा से होने वाले rocket launching को सामने बैठकर देख सकते हैं | हाल ही में, इसे सबके लिए खोल दिया गया है | Visitor Gallery बनाई गई है जिसमें 10 हज़ार लोगों के बैठने की व्यवस्था है | ISRO की website पर दिए गए link के ज़रिये online booking भी कर सकते हैं | मुझे बताया गया है कि कई स्कूल अपने विद्यार्थियों को rocket launching दिखाने और उन्हें motivate करने के लिए tour पर भी ले जा रहे हैं | मैं सभी स्कूलों के Principal और शिक्षकों से आग्रह करूँगा कि आने वाले समय में वे इसका लाभ जरुर उठायें |
साथियो, मैं आपको एक और रोमांचक जानकारी देना चाहता हूँ | मैंने Namo App पर झारखण्ड के धनबाद के रहने वाले पारस का comment पढ़ा | पारस चाहते हैं कि मैं ISRO के ‘युविका’ programme के बारे में युवा-साथियों को बताऊँ | युवाओं को Science से जोड़ने के लिए ‘युविका’, ISRO का एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है | 2019 में यह कार्यक्रम स्कूली Students के लिए launch किया गया था | ‘युविका’ का मतलब है- “युवा विज्ञानी कार्यक्रम” (YUva Vigyani Karyakram) | यह कार्यक्रम हमारे vision, “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान” के अनुरूप है | इस प्रोग्राम में, अपने exam के बाद, छुट्टियों में students, ISRO के अलग-अलग centres में जाकर Space Technology, Space Science और Space Applications के बारे में सीखते हैं | आपको यदि यह जानना है training कैसी है ? किस प्रकार की है ? कितनी रोमांचक है ? पिछली बार जिन्होंने इसको attend किया है, उनके experience अवश्य पढ़ें | आपको खुद attend करना हैं तो ISRO से जुड़ी ‘युविका’ की website पर जाकर अपना registration भी करा सकते हैं | मेरे युवा साथियों, मैं आपके लिए बताता हूँ, website का नाम लिख लीजिये और जरुर आज ही visit कीजिये – www.yuvika.isro.gov.in | लिख लिया ना ?
मेरे प्यारे देशवासियों, 31 जनवरी 2020 को लद्दाख़ की खूबसूरत वादियाँ, एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बनी | लेह के कुशोक बाकुला रिम्पोची एयरपोर्ट से भारतीय वायुसेना के AN-32 विमान ने जब उड़ान भरी तो एक नया इतिहास बन गया | इस उड़ान में 10% इंडियन Bio-jet fuel का मिश्रण किया गया था I ऐसा पहली बार हुआ जब दोनों इंजनो में इस मिश्रण का इस्तेमाल किया गया | यही नहीं, लेह के जिस हवाई अड्डे पर इस विमान ने उड़ान भरी, वह न केवल भारत में, बल्कि दुनिया में सबसे ऊँचाई पर स्थित एयरपोर्ट में से एक है | ख़ास बात ये है कि Bio-jet fuel को non-edible tree borne oil से तैयार किया गया है | इसे भारत के विभिन्न आदिवासी इलाकों से खरीदा जाता है | इन प्रयासों से न केवल carbon के उत्सर्जन में भी कमी आएगी, बल्कि कच्चे-तेल के आयात पर भी भारत की निर्भरता कम हो सकती है | मैं इस बड़े कार्य में जुड़े सभी लोगो को बधाई देता हूँ | विशेष रूप से CSIR, Indian Institute of Petroleum, Dehradun के वैज्ञानिकों को, जिन्होनें bio-fuel से विमान उड़ाने की तकनीक को संभव कर दिया | उनका ये प्रयास, Make in India को भी सशक्त करता है I
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारा नया भारत, अब पुराने approach के साथ चलने को तैयार नहीं है | खासतौर पर, New India की हमारी बहनें और माताएँ तो आगे बढ़कर उन चुनौतियों को अपने हाथों में ले रही हैं जिनसे पूरे समाज में, एक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है | बिहार के पूर्णिया की कहानी, देश-भर के लोगों को प्रेरणा से भर देने वाली है | ये, वो इलाका है जो दशकों से बाढ़ की त्रासदी से जूझता रहा है | ऐसे में, यहाँ, खेती और आय के अन्य संसाधनों को जुटाना बहुत मुश्किल रहा है | मगर इन्हीं परिस्थितियों में पूर्णिया की कुछ महिलाओं ने एक अलग रास्ता चुना I साथियो, पहले इस इलाके की महिलाएं, शहतूत या मलबरी के पेड़ पर रेशम के कीड़ों से कोकून (Cocoon) तैयार करती थीं जिसका उन्हें बहुत मामूली दाम मिलता था | जबकि उसे खरीदने वाले लोग, इन्हीं कोकून से रेशम का धागा बना कर मोटा मुनाफा कमाते थे | लेकिन, आज पूर्णिया की महिलाओं ने एक नई शुरुआत की और पूरी तस्वीर ही बदल कर के रख दी I इन महिलाओं ने सरकार के सहयोग से, मलबरी-उत्पादन समूह बनाए | इसके बाद उन्होंने कोकून से रेशम के धागे तैयार किये और फिर उन धागों से खुद ही साड़ियाँ बनवाना भी शुरू कर दिया I आपको जान करके हैरानी होगी कि पहले जिस कोकून को बेचकर मामूली रकम मिलती थी, वहीँ अब, उससे बनी साड़ियाँ हजारो रुपयों में बिक रही हैं I ‘आदर्श जीविका महिला मलबरी उत्पादन समूह’ की दीदीयों ने जो कमाल किये हैं, उसका असर अब कई गावों में देखने को मिल रहा है | पूर्णिया के कई गावोँ के किसान दीदीयाँ, अब न केवल साड़ियाँ तैयार करवा रही हैं, बल्कि बड़े मेलों में, अपने स्टाल लगा कर बेच भी रही हैं I एक उदाहरण कि - आज की महिला नई शक्ति, नई सोच के साथ किस तरह नए लक्ष्यों को प्राप्त कर रही हैं I
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश की महिलाओं, हमारी बेटियों की उद्यमशीलता, उनका साहस, हर किसी के लिए गर्व की बात है | अपने आस पास हमें अनेकों ऐसे उदाहरण मिलते हैं | जिनसे पता चलता है कि बेटियाँ किस तरह पुरानी बंदिशों को तोड़ रही हैं, नई ऊँचाई प्राप्त कर रही हैं | मैं, आपके साथ, बारह साल की बेटी काम्या कार्तिकेयन की उपलब्धि की चर्चा जरुर करना चाहूँगा | काम्या ने, सिर्फ, बारह साल की उम्र में ही Mount Aconcagua, उसको फ़तेह करने का कारनामा कर दिखाया है | ये, दक्षिण अमेरिका में ANDES पर्वत की सबसे ऊँची चोटी है, जो लगभग 7000 meter ऊँची है | हर भारतीय को ये बात छू जायेगी कि जब इस महीने की शुरुआत में काम्या ने चोटी को फ़तेह किया और सबसे पहले, वहाँ, हमारा तिरंगा फहराया | मुझे यह भी बताया गया है कि देश को गौरवान्वित करने वाली काम्या, एक नये Mission पर है, जिसका नाम है ‘Mission साहस’ | इसके तहत वो सभी महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों को फ़तेह करने में जुटी है | इस अभियान में उसे North और South poles पर Ski भी करना है | मैं काम्या को ‘Mission साहस’ के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूँ | वैसे, काम्या की उपलब्धि सभी को fit रहने के लिए भी प्रेरित करती है | इतनी कम उम्र में, काम्या, जिस ऊँचाई पर पहुंची है, उसमें fitness का भी बहुत बड़ा योगदान है | A Nation that is fit, will be a nation that is hit. यानी जो देश fit है, वो हमेशा hit भी रहेगा | वैसे आने वाले महीने तो adventure Sports के लिए भी बहुत उपयुक्त हैं | भारत की geography ऐसी है जो हमारे देश में adventure Sports के लिए ढेरों अवसर प्रदान करती है | एक तरफ जहाँ ऊँचे - ऊँचे पहाड़ हैं तो वहीँ दूसरी तरफ, दूर-दूर तक फैला रेगिस्तान है | एक ओर जहाँ घने जंगलों का बसेरा है, तो वहीँ दूसरी ओर समुद्र का असीम विस्तार है | इसलिए मेरा आप सब से विशेष आग्रह है कि आप भी, अपनी पसंद की जगह, अपनी रूचि की activity चुनें और अपने जीवन को adventure के साथ जरूर जोड़ें | ज़िन्दगी में adventure तो होना ही चाहिए ना !
वैसे साथियो, बारह साल की बेटी काम्या की सफलता के बाद, आप जब, 105 वर्ष की भागीरथी अम्मा की सफलता की कहानी सुनेंगे तो और हैरान हो जाएंगे | साथियो, अगर हम जीवन में प्रगति करना चाहते हैं, विकास करना चाहते हैं, कुछ कर गुजरना चाहते हैं, तो पहली शर्त यही होती है, कि हमारे भीतर का विद्यार्थी, कभी मरना नहीं चाहिए | हमारी 105 वर्ष की भागीरथी अम्मा, हमें यही प्रेरणा देती है | अब आप सोच रहे होंगे कि भागीरथी अम्मा कौन है ? भागीरथी अम्मा kerala के kollam में रहती है | बहुत बचपन में ही उन्होंने अपनी माँ को खो दिया | छोटी उम्र में शादी के बाद पति को भी खो दिया | लेकिन, भागीरथी अम्मा ने अपना हौसला नहीं खोया, अपना ज़ज्बा नहीं खोया | दस साल से कम उम्र में उन्हें अपना school छोड़ना पड़ा था | 105 साल की उम्र में उन्होंने फिर school शुरू किया | पढाई शुरू की | इतनी उम्र होने के बावजूद भागीरथी अम्मा ने level-4 की परीक्षा दी और बड़ी बेसब्री से result का इंतजार करने लगी | उन्होंने परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किए | इतना ही नहीं, गणित में तो शत-प्रतिशत अंक हासिल किए | अम्मा अब और आगे पढ़ना चाहती हैं | आगे की परीक्षाएं देना चाहती हैं | ज़ाहिर है, भागीरथी अम्मा जैसे लोग, इस देश की ताकत हैं | प्रेरणा की एक बहुत बड़ी स्रोत हैं | मैं आज विशेष-रूप से भागीरथी अम्मा को प्रणाम करता हूँ |
साथियों, जीवन के विपरीत समय में हमारा हौसला, हमारी इच्छा-शक्ति किसी भी परिस्थिति को बदल देती है | अभी हाल ही में, मैंने, media में एक ऐसी story पढ़ी जिसे मैं आपसे जरुर share करना चाहता हूँ | ये कहानी है मुरादाबाद के हमीरपुर गाँव में रहने वाले सलमान की | सलमान, जन्म से ही दिव्यांग हैं | उनके पैर, उन्हें साथ नहीं देते हैं | इस कठिनाई के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और खुद ही अपना काम शुरू करने का फैसला किया | साथ ही, ये भी निश्चय किया कि, अब वो, अपने जैसे दिव्यांग साथियों की मदद भी करेंगे | फिर क्या था, सलमान ने अपने ही गाँव में चप्पल और detergent बनाने का काम शुरू कर दिया | देखते-ही-देखते, उनके साथ 30 दिव्यांग साथी जुड़ गए | आप ये भी गौर करिए कि सलमान को खुद चलने में दिक्कत थी लेकिन उन्होंने दूसरों का चलना आसान करने वाली चप्पल बनाने का फैसला किया | खास बात ये है कि सलमान ने, साथी दिव्यांगजनों को खुद ही training दी | अब ये सब मिलकर manufacturing भी करते हैं और marketing भी | अपनी मेहनत से इन लोगों ने, ना केवल अपने लिए रोजगार सुनिश्चित किया बल्कि अपनी company को भी profit में पहुंचा दिया | अब ये लोग मिलकर, दिनभर में, डेढ़-सौ (150) जोड़ी चप्पलें तैयार कर लेते हैं | इतना ही नहीं, सलमान ने इस साल 100 और दिव्यांगो को रोजगार देने का संकल्प भी लिया है | मैं इन सबके हौंसले, उनकी उद्यमशीलता को, salute करता हूँ | ऐसी ही संकल्प शक्ति, गुजरात के, कच्छ इलाके में, अजरक गाँव के लोगों ने भी दिखाई है | साल 2001 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद सभी लोग गाँव छोड़ रहे थे, तभी, इस्माइल खत्री नाम के शख्स ने, गाँव में ही रहकर, ‘अजरक print’ की अपनी पारंपरिक कला को सहेजने का फैसला लिया | फिर क्या था, देखते-ही-देखते प्रकृति के रंगों से बनी ‘अजरक कला’ हर किसी को लुभाने लगी और ये पूरा गाँव, हस्तशिल्प की अपनी पारंपरिक विधा से जुड़ गया | गाँव वालों ने, ना केवल सैकड़ों वर्ष पुरानी अपनी इस कला को सहेजा, बल्कि उसे, आधुनिक fashion के साथ भी जोड़ दिया | अब बड़े-बड़े designer, बड़े-बड़े design संस्थान, ‘अजरक print’ का इस्तेमाल करने लगे हैं | गाँव के परिश्रमी लोगों की वजह से आज ‘अजरक print’ एक बड़ा brand बन रहा है | दुनिया के बड़े खरीदार इस print की तरफ आकर्षित हो रहे हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, हाल ही में देशभर में महा-शिवरात्रि का पर्व मनाया गया है | भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद देश की चेतना को जागृत किये हुए हैं | महा-शिवरात्रि पर भोले बाबा के आशीर्वाद आप पर बना रहे, आपकी हर मनोकामना शिवजी पूरी करें, आप ऊर्जावान रहें, स्वस्थ रहें, सुखी रहें और देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करते रहें |
साथियो, महा-शिवरात्रि के साथ ही वसंत ऋतु की आभा भी दिनोदिन अब और बढ़ती जायेगी | आने वाले दिनों में होली का भी त्योहार है इसके तुरंत बाद गुड़ी-पड़वा भी आने वाला है | नवरात्रि का पर्व भी इसके साथ जुड़ा होता है | राम-नवमीं का पर्व भी आएगा | पर्व और त्योहार, हमारे देश में सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं | हर त्योहार के पीछे कोई-न-कोई ऐसा सामाजिक संदेश छुपा होता है जो समाज को ही नहीं, पूरे देश को, एकता में, बाँधकर रखता है | होली के बाद चैत्र शुक्ल-प्रतिपदा से भारतीय विक्रमी नव-वर्ष की शुरुआत भी होती है | उसके लिए भी, भारतीय नव-वर्ष की भी, मैं आपको अग्रिम शुभकामनायें देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, अगली ‘मन की बात’ तक तो मुझे लगता है शायद विद्यार्थी परीक्षा में व्यस्त होंगें | जिनकी परीक्षा पूरी हो गई होगी, वो मस्त होंगें | जो व्यस्त हैं, जो मस्त हैं, उनको भी, अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देते हुए आइये, अगली ‘मन की बात’ के लिए अनेक-अनेक बातों को लेकर के फिर से मिलेंगे |
बहुत-बहुत धन्यवाद | नमस्कार |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार |
आज 26 जनवरी है | गणतंत्र पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनायें | 2020 का ये प्रथम ‘मन की बात’ का मिलन है | इस वर्ष का भी यह पहला कार्यक्रम है, इस दशक का भी यह पहला कार्यक्रम है | साथियो, इस बार ‘गणतंत्र दिवस’ समारोह की वजह से आपसे ‘मन की बात’, उसके समय में परिवर्तन करना, उचित लगा | और इसीलिए, एक अलग समय तय करके आज आपसे ‘मन की बात’ कर रहा हूँ | साथियो, दिन बदलते हैं, हफ्ते बदल जाते हैं, महीने भी बदलते हैं, साल बदल जाते हैं, लेकिन, भारत के लोगों का उत्साह और हम भी कुछ कम नहीं हैं, हम भी कुछ करके रहेंगे | ‘Can do’, ये ‘Can do’ का भाव, संकल्प बनता हुआ उभर रहा है | देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की भावना, हर दिन, पहले से अधिक मजबूत होती जाती है | साथियो, ‘मन की बात’ के मंच पर, हम सब, एक बार फिर इकट्ठा हुए हैं | नये-नये विषयों पर चर्चा करने के लिए और देशवासियों की नयी-नयी उपलब्धियों को celebrate करने के लिए, भारत को celebrate करने के लिए | ‘मन की बात’ - sharing, learning और growing together का एक अच्छा और सहज platform बन गया है | हर महीने हज़ारों की संख्या में लोग, अपने सुझाव, अपने प्रयास, अपने अनुभव share करते हैं | उनमें से, समाज को प्रेरणा मिले, ऐसी कुछ बातों, लोगों के असाधारण प्रयासों पर हमें चर्चा करने का अवसर मिलता है |
‘किसी ने करके दिखाया है’ - तो क्या हम भी कर सकते हैं ? क्या उस प्रयोग को पूरे देश-भर में दोहराकर एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं? क्या उसको, समाज के एक सहज आदत के रूप में विकसित कर, उस परिवर्तन को, स्थायी कर सकते हैं ? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब खोजते-खोजते, हर महीने ‘मन की बात’ में, कुछ appeal, कुछ आह्वाहन, कुछ कर दिखाने के संकल्पों का सिलसिला चल पड़ता है | पिछले कई सालो में हमने कई छोटे-छोटे संकल्प लिये होंगे | जैसे – ‘No to single use plastic’, ‘खादी’ और ‘local खरीदने’ की बात हो, स्वच्छता की बात हो, बेटियों का सम्मान और गर्व की चर्चा हो, less cash Economy का ये नया पहलू - उसको बल देना हो | ऐसे ढ़ेर सारे संकल्पों का जन्म हमारी इन हल्की-फुल्की मन की बातों से हुआ है | और, उसे बल भी आप ही लोगों ने दिया है |
मुझे एक बहुत ही प्यारा पत्र मिला है | बिहार के श्रीमान शैलेश का | वैसे तो, अभी वो बिहार में नहीं रहते हैं | उन्होंने बताया है कि वो दिल्ली में रहकर किसी NGO में काम करते हैं | श्रीमान शैलेश जी लिखते हैं – “मोदी जी, आप हर ‘मन की बात’ में कुछ अपील करते हैं | मैंने उनमें से कई चीजों को किया है | इन सर्दियों में मैंने लोगो के घरों में से कपड़े इकट्ठे कर जरुरतमंदो को बाँटे है | मैंने ‘मन की बात’ से लेकर, कई चीजों को करना शुरू किया | लेकिन, फिर धीरे-धीरे कुछ मैं भूल गया और कुछ चीजें छूट गयी ! मैंने इस नए साल पर, एक ‘मन की बात’ पर चार्टर बनाया है, जिसमें, इन सभी चीजों की एक लिस्ट बना डाली है | जैसे लोग, नए साल पर new year resolutions बनाते हैं | मोदी जी, यह मेरे नए साल का social resolution है | मुझे लगता है कि यह सब छोटी छोटी चीजें है, लेकिन, बड़ा बदलाव ला सकती हैं | क्या आप इस चार्टर पर अपने autograph देकर मुझे वापस भेज सकते हैं?” शैलेश जी – आपको बहुत-बहुत अभिनन्दन और शुभकामनाएं | आपके नए साल के resolution के लिए ‘मन की बात चार्टर’, ये बहुत ही Innovative है | मैं अपनी ओर से शुभकामनायें लिखकर, इसे जरुर आपको वापस भेजूंगा |
साथियो, इस ‘मन की बात चार्टर’ को जब मैं पढ़ रहा था, तब, मुझे भी आश्चर्य हुआ कि इतनी सारी बाते हैं! इतने सारे हैश-टैग्स हैं! और, हम सबने मिलकर ढ़ेर सारे प्रयास भी किए हैं | कभी हमने ‘सन्देश-टू-सोल्जर्स’ के साथ अपने जवानों से भावात्मक रूप से और मजबूती से जुड़ने का अभियान चलाया, ‘Khadi for Nation - Khadi for Fashion’ के साथ खादी की बिक्री को नए मुकाम पर पहुंचाया | ‘buy local’ का मन्त्र अपनाया | ‘हम फिट तो इंडिया फिट’ से फिटनेस के प्रति जागरूकता बढ़ाई | ‘My Clean India’ या ‘Statue Cleaning’ के प्रयासों से स्वच्छता को mass movement बनाया | हैश-टैग नो टू ड्रग्स (#NoToDrugs,), हैश-टैग भारत की लक्ष्मी (#BharatKiLakshami), हैश-टैग सेल्फफॉरसोसाइटी (#Self4Society), हैश-टैग StressFreeExam (#StressFreeExams), हैश-टैग सुरक्षा बन्धन (#SurakshaBandhan), हैश-टैग Digital Economy (#DigitalEconomy), हैश-टैग Road Safety (#RoadSafety), ओ हो हो! अनगिनत हैं |
शैलेश जी, आपके इस मन की बात के चार्टर को देखकर एहसास हुआ यह list वाकई बहुत लम्बी है | आइये, इस यात्रा को continue करें | इस ‘मन की बात चार्टर’ में से, अपनी रूचि के, किसी भी cause से जुड़ें | हैश-टैग use करके, सबके साथ गर्व से अपने contribution को share करें | दोस्तों को, परिवार को, और सभी को motivate करें | जब हर भारतवासी एक कदम चलता है तो हमारा भारत वर्ष 130 करोड़ कदम आगे बढ़ाता है | इसीलिए चरैवेति-चरैवेति-चरैवेति, चलते रहो-चलते रहो-चलते रहो का मन्त्र लिए, अपने प्रयास, करते रहें l|
मेरे प्यारे देशवासियो, हमने ‘मन की बात चार्टर’ के बारे में बात की | स्वच्छता के बाद जन-भागीदारी की भावना, participative spirit, आज एक और क्षेत्र में तेजी से बढ़ रही है और वह है ‘जल संरक्षण’ | ‘जल संरक्षण’ के लिए कई व्यापक और innovative प्रयास देश के हर कोने में चल रहे हैं | मुझे यह कहते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि पिछले मानसून के समय शुरू किया गया ये ‘जल-शक्ति अभियान’ जन-भागीदारी से अत्यधिक सफलता की ओर आगे बढ़ रहा है | बड़ी संख्या में तालाबों, पोखरों आदि का निर्माण किया गया | सबसे बड़ी बात ये है, कि इस अभियान में, समाज के हर तबके के लोगों ने, अपना योगदान दिया | अब, राजस्थान के झालोर जिले को ही देख लीजिये - यहां की, दो ऐतिहासिक बावड़िया कूड़े और गन्दे पानी का भण्डार बन गयी थी | फिर क्या था ! भद्रायुं और थानवाला पंचायत के सैकड़ों लोगों ने ‘जलशक्ति अभियान’ के तहत इन्हें पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया | बारिश से पहले ही वे लोग, इन बावड़ियों में जमे हुए गंदे पानी, कूड़े और कीचड़ को साफ करने में जुट गये | इस अभियान के लिए किसी ने श्रमदान किया, तो किसी ने धन का दान | और, इसी का परिणाम है कि ये बावड़ियां आज वहां की जीवन रेखा बन गई है | कुछ ऐसी ही कहानी है उत्तर प्रदेश के बाराबंकी की | यहां, 43 Hectare क्षेत्र में फैली सराही झील अपनी अंतिम सांसे गिन रही थी, लेकिन, ग्रामीणों ने अपनी संकल्प शक्ति से इसमें नई जान डाल दी | इतने बड़े मिशन के रास्ते में इन्होंने किसी भी कमी को आड़े नहीं आने दिया | एक-के-बाद एक कई गाँव आपस में जुड़ते चले गए | इन्होंने झील के चारों ओर, एक मीटर ऊँचा तटबन्ध बना डाला | अब झील पानी से लबालब है और आस-पास का वातावरण पक्षियों के कलरव से गूंज रहा है |
उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा - हल्द्वानी हाइवे से सटे ‘सुनियाकोट गाँव’ से भी जन-भागीदारी का एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया है I गाँव वालों ने जल संकट से निपटने के लिए खुद ही गाँव तक पानी लाने का संकल्प लिया I फिर क्या था! लोगों ने आपस में पैसे इकट्ठे किये, योजना बनी, श्रमदान हुआ और करीब एक किलोमीटर दूर से गाँव तक पाईप बिछाई गई | pumping station लगाया गया और फिर देखते ही देखते दो दशक पुरानी समस्या हमेशा-हमेशा के लिये खत्म हो गई I वहीं, तमिलनाडु से borewell को Rainwater Harvesting का जरिया बनाने का बहुत ही innovative idea सामने आया है I देशभर में ‘जल संरक्षण’ से जुड़ी ऐसी अनगिनत कहानियां हैं, जो New India के संकल्पों को बल दे रही हैं I आज हमारे जलशक्ति Champions की कहानियाँ, सुनने को पूरा देश उत्सुक है I मेरा आपसे अनुरोध है कि जल-संचय और जलसंरक्षण पर किये गये, अपने स्वयं के या अपने आसपास हो रहे प्रयासों की कहानियाँ, Photo एवं Video #jalshakti4India, उस पर ज़रूर Share करें I
मेरे प्यारे देशवासियों और खासकर के मेरे युवा साथियों, आज ‘मन की बात’ के माध्यम से, मैं असम की सरकार और असम के लोगों को ‘खेलो इण्डिया’ की शानदार मेज़बानी के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ I साथियो, 22 जनवरी को ही गुवाहाटी में तीसरे ‘खेलो इंडिया Games’ का समापन हुआ है I इसमें विभिन्न राज्यों के लगभग 6 हज़ार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया I आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि खेलों के इस महोत्सव के अंदर 80 Record टूटे और मुझे गर्व है कि जिनमें से 56 Record तोड़ने का काम हमारी बेटियों ने किया है I ये सिद्धि, बेटियों के नाम हुई है I मैं सभी विजेताओं के साथ, इसमें हिस्सा लेने वाले सभी प्रतिभागियों को बधाई देता हूँ I साथ ही ‘खेलो इंडिया Games’ के सफल आयोजन के लिए इससे जुड़े सभी लोगों, प्रशिक्षकों और तकनीकी अधिकारियों का आभार व्यक्त करता हूँ I यह हम सबके लिये बहुत ही सुखद है, कि साल-दर-साल ‘खेलो इंडिया Games’ में खिलाड़ियों की भागीदारी बढ़ रही है I यह बताता है कि स्कूली स्तर पर बच्चों मे Sports के प्रति झुकाव कितना बढ़ रहा है I
मैं आपको बताना चाहता हूँ, कि 2018 में, जब ‘खेलो इंडिया Games’ की शुरुआत हुई थी, तब इसमें पैंतीस-सौ खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, लेकिन महज़ तीन वर्षों में खिलाड़ियों की संख्या 6 हज़ार से अधिक हो गई है, यानि क़रीब-क़रीब दोगुनी I इतना ही नहीं, सिर्फ तीन वर्षों में ‘खेलो इंडिया Games’ के माध्मय से, बत्तीस-सौ प्रतिभाशाली बच्चे उभर कर सामने आये हैं I इनमें से कई बच्चे ऐसे हैं जो अभाव और ग़रीबी के बीच पले-बढ़े हैं I ‘खेलो इंडिया Games’ में शामिल होने वाले बच्चों और उनके माता-पिता के धैर्य और दृढ़ संकल्प की कहानियाँ ऐसी हैं जो हर हिन्दुस्तानी को प्रेरणा देगी I अब गुवाहाटी की पूर्णिमा मंडल को ही ले लीजिये, वो खुद गुवाहाटी नगर निगम में एक सफाई कर्मचारी हैं, लेकिन उनकी बेटी मालविका ने जहाँ फुटबॉल में दम दिखाया, वहीं उनके एक बेटे सुजीत ने खो-खो में, तो दूसरे बेटे प्रदीप ने, हॉकी में असम का प्रतिनिधित्व किया I
कुछ ऐसी ही गर्व से भर देने वाली कहानी तमिलनाडु के योगानंथन की है | वह खुद तो तमिलनाडु में बीड़ी बनाने का कार्य करते है, लेकिन उनकी बेटी पुर्णाश्री ने Weight Lifting का गोल्ड मेडल हासिल कर हर किसी का दिल जीत लिया | जब मैं David Beckham का नाम लूँगा तो आप कहेंगे मशहूर International Footballer | लेकिन अब अपने पास भी एक David Beckham है, और उसने, गुवाहाटी के Youth Games में स्वर्ण पदक जीता है | वो भी साइक्लिंग स्पर्धा के 200 मीटर के Sprint Event में, कुछ समय, मैं जब अंडमान-निकोबार गया था, कार -निकोबार द्वीप के रहने वाले डेविड के सिर से बचपन में ही माता-पिता का साया उठ गया था | चाचा उन्हें फुटबॉलर बनाना चाहते थे, तो मशहूर फुटबॉलर के नाम पर उनका नाम रख दिया | लेकिन इनका मन तो cycling में रमा हुआ था | ‘खेलो इंडिया’ स्कीम के तहत इनका चयन भी हो गया और आज देखिए इन्होंने cycling में एक नया कीर्तिमान रच डाला |
भिवानी के प्रशांत सिंह कन्हैया ने Pole vault इवेंट में खुद अपना ही नेशनल रिकॉर्ड break किया है | 19 साल के प्रशांत एक किसान परिवार से हैं | आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि प्रशांत मिट्टी में Pole vault की Practice करते थे | यह जानने के बाद खेल विभाग ने उनके कोच को दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु स्टेडियम में academy चलाने में मदद की और आज प्रशांत वहाँ पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं |
मुंबई की करीना शान्क्ता की कहानी में किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानने का एक जज्बा हर किसी को प्रेरित करता है | करीना ने swimming में 100 मीटर ब्रेस्ट-स्ट्रोक स्पर्धा की, Under-17 category में गोल्ड मेडल जीता और नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया | 10th Standard में पढ़ने वाली करीना के लिए एक समय ऐसा भी आया जब knee injury के चलते हुए ट्रेनिंग छोड़नी पड़ी थी लेकिन करीना और उनकी माँ ने हिम्मत नहीं हारी और आज परिणाम हम सब के सामने है | मैं सभी खिलाड़ियों के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ | इसके साथ ही मैं सभी देशवासियों की तरफ़ से इन सबके parents को भी नमन करता हूँ, जिन्होंने गरीबी को बच्चों के भविष्य का रोड़ा नहीं बनने दिया |
हम सभी जानते हैं कि राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता के माध्यम से जहाँ खिलाड़ियों को अपना passion दिखाने का मौका मिलता है वहीँ वे दूसरे राज्यों की संस्कृति से भी रूबरू होते हैं | इसलिए हमने ‘खेलो इंडिया youth games’ की तर्ज पर ही हर वर्ष ‘खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स’ भी आयोजित करने का निर्णय लिया है |
साथियो, अगले महीने 22 फरवरी से 1 मार्च तक ओडिशा के कटक और भुवनेश्वर में पहले ‘खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स’ आयोजित हो रहे हैं | इसमें भागीदारी के लिए 3000 से ज्यादा खिलाड़ी qualify कर चुके हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, exam का season आ चुका है, तो जाहिर है सभी विद्यार्थी अपनी-अपनी तैयारियों का आखिरी shape देने में जुटे होंगे | देश के करोड़ो विद्यार्थी साथियों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ के अनुभव के बाद मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि देश का युवा आत्म-विश्वास से भरा हुआ है और हर चुनौती के लिए तैयार है |
साथियो, एक ओर परीक्षाएँ और दूसरी ओर सर्दी का मौसम | इस दोनों के बीच मेरा आग्रह है कि खुद को fit जरूर रखें | थोड़ी बहुत exercise जरूर करें, थोड़ा खेलें, कूदें | खेल-कूद Fit रहने का मूल मंत्र है | वैसे, मैं इन दिनों देखता हूँ कि ‘Fit India’ को लेकर कई सारे events होते हैं | 18 जनवरी को युवाओं ने देशभर में cyclothon का आयोजन किया | जिसमें शामिल लाखों देशवासियों ने fitness का संदेश दिया | हमारा New India पूरी तरह से Fit रहे इसके लिए हर स्तर पर जो प्रयास देखने को मिल रहे हैं वे जोश और उत्साह से भर देने वाले हैं | पिछले साल नवम्बर में शुरू हुई ‘फिट इंडिया स्कूल’ की मुहीम भी अब रंग ला रही है |
मुझे बताया गया है कि अब तक 65000 से ज्यादा स्कूलों ने online registration करके ‘फिट इंडिया स्कूल’ certificate प्राप्त किया है | देश के बाकी सभी स्कूलों से भी मेरा आग्रह है कि वे physical activity और खेलों को पढ़ाई के साथ जोड़कर ‘फिट स्कूल’ ज़रूर बनें | इसके साथ ही मैं सभी देशवासियों से यह appeal करता हूँ वह अपनी दिनचर्या में physical activity को अधिक से अधिक बढ़ावा दें | रोज़ अपने आप को याद दिलाएँ हम फिट तो इंडिया फिट |
मेरे प्यारे देशवासियों, दो सप्ताह पहले, भारत के अलग अलग हिस्सों में अलग-अलग त्योहारों की धूम थी | जब पंजाब में लोहड़ी, जोश और उत्साह की गर्माहट फ़ैला रही थीं | तमिलनाडु की बहनें और भाई, पोंगल का त्योहार मना रहे थे, तिरुवल्लुवर की जयंती celebrate कर रहे थे | असम में बिहू की मनोहारी छटा देखने को मिल रही थी, गुजरात में हर तरफ उत्तरायण की धूम और पतंगों से भरा आसमान था | ऐसे समय में दिल्ली, एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बन रही थी | दिल्ली में, एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किये गए | इसके साथ ही, लगभग 25 वर्ष पुरानी ब्रू-रियांग (Bru-Reang) refugee crisis, एक दर्दनाक chapter, का अंत हुआ हमेशा– हमेशा के लिए समाप्त हो गयी |
अपने busy routine और festive season के चलते, आप शायद इस ऐतिहासिक समझौते के बारे में विस्तार से नहीं जान पाए हों, इसलिए मुझे लगा कि इसके बारे में ‘मन की बात’ में आप से अवश्य चर्चा करूँ | ये समस्या 90 के दशक की है | 1997 में जातीय तनाव के कारण Bru Reang जनजाति के लोगों को मिज़ोरम से निकल करके त्रिपुरा में शरण लेनी पड़ी थी | इन शरणार्थियों को North Tripura के कंचनपुर स्थित अस्थाई कैम्पों में रखा गया | यह बहुत पीड़ा दायक है कि Bru Reang समुदाय के लोगों ने शरणार्थी के रूप में अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खो दिया | उनके लिए कैम्पों में जीवन काटने का मतलब था- हर बुनियादी सुविधा से वंचित होना | 23 साल तक - न घर, न ज़मीन, न परिवार के लिए , बीमारियों के लिए इलाज़ का प्रबंध और ना बच्चों के शिक्षा की चिंता या उनके लिए सुविधा | ज़रा सोचिए, 23 साल तक कैम्पों में कठिन परिस्थितियों में जीवन-यापन करना, उनके लिए कितना दुष्कर रहा होगा | जीवन के हर पल, हर दिन का एक अनिश्चित भविष्य के साथ बढ़ना, कितना कष्टप्रद रहा होगा |
सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन इनकी पीड़ा का हल नहीं निकल पाया | लेकिन इतने कष्ट के बावज़ूद भारतीय संविधान और संस्कृति के प्रति उनका विश्वास अडिग बना रहा | और इसी विश्वास का नतीज़ा है कि उनके जीवन में आज एक नया सवेरा आया है | समझौते के तहत, अब उनके लिए गरिमापूर्ण जीवन जीने का रास्ता खुल गया है | आखिरकार 2020 का नया दशक, Bru-Reang समुदाय के जीवन में एक नई आशा और उम्मीद की किरण लेकर आया | करीब 34000 ब्रू-शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जाएगा | इतना ही नहीं, उनके पुनर्वास और सर्वांगीण-विकास के लिए केंद्र सरकार लगभग 600 करोड़ रूपए की मदद भी करेगी | प्रत्येक विस्थापित परिवार को plot दिया जाएगा | घर बनाने में उनकी मदद की जाएगी |
इसके साथ ही, उनके राशन का प्रबंध भी किया जाएगा | वे अब केंद्र और राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे | ये समझौता कई वजहों से बहुत ख़ास है | ये Cooperative Federalism की भावना को दर्शाता है | समझौते के लिए मिज़ोरम और त्रिपुरा, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री मौज़ूद थे | ये समझौता, दोनों राज्यों की जनता की सहमति और शुभकामनाओं से ही सम्भव हुआ है | इसके लिए मैं दोनों राज्यों की जनता का, वहाँ के मुख्यमंत्रियों का, विशेष-रूप से आभार जताना चाहता हूँ | ये समझौता, भारतीय संस्कृति में समाहित करुणाभाव और सहृदयता को भी प्रकट करता है | सभी को अपना मानकर चलना और एक-जुटता के साथ रहना, इस पवित्र-भूमि के संस्कारों में रचा बसा है | एक बार फिर इन राज्यों के निवासियों और Bru-Reang समुदाय के लोगों को मैं विशेष रूप से बधाई देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियों, इतने बड़े ‘खेलो-इंडिया’ गेम्स का सफल आयोजन करने वाले असम में, एक और बड़ा काम हुआ है | आपने भी न्यूज़ में देखा होगा कि अभी कुछ दिनों पहले असम में, आठ अलग-अलग मिलिटेंट ग्रुप के 644 लोगों ने अपने हथियारों के साथ आत्म-समर्पण किया | जो पहले हिंसा के रास्ते पर चले गए थे उन्होंने अपना विश्वास, शान्ति में जताया और देश के विकास में भागीदार बनने का निर्णय लिया है, मुख्य-धारा में वापस आए हैं | पिछले वर्ष, त्रिपुरा में भी 80 से अधिक लोग, हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्य-धारा में लौट आए हैं | जिन्होंने यह सोचकर हथियार उठा लिए थे कि हिंसा से समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है, उनका यह विश्वास दृढ़ हुआ है कि शांति और एकजुटता ही, किसी भी विवाद को सुलझाने का एक-मात्र रास्ता है |
देशवासियों को यह जानकर बहुत प्रसन्ता होगी कि North-East में insurgency बहुत-एक मात्रा में कम हुई है और इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस क्षेत्र से जुड़े हर एक मुद्दे को शांति के साथ, ईमानदारी से, चर्चा करके सुलझाया जा रहा है | देश के किसी भी कोने में अब भी हिंसा और हथियार के बल पर समस्याओं का समाधान खोज रहे लोगों से आज, इस गणतंत्र-दिवस के पवित्र अवसर पर अपील करता हूँ कि वे वापस लौट आएं |
मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने में, अपनी और इस देश की क्षमताओं पर भरोसा रखें | हम इक्कीसवीं सदी में हैं, जो ज्ञान-विज्ञान और लोक-तंत्र का युग है | क्या आपने किसी ऐसी जगह के बारे में सुना है जहाँ हिंसा से जीवन बेहतर हुआ हो ? क्या आपने ऐसी किसी जगह के बारे में सुना है, जहाँ शांति और सद्भाव जीवन के लिए मुसीबत बने हों ? हिंसा, किसी समस्या का समाधान नहीं करती| दुनिया की किसी भी समस्या का हल, कोई दूसरी समस्या पैदा करने से नहीं, बल्कि अधिक-से-अधिक समाधान ढूँढकर ही हो सकता है | आइये, हम सब मिल कर,एक ऐसे नए भारत के निर्माण में जुट जाएँ, जहाँ शांति हर सवाल के जवाब का आधार हो | एकजुटता हर समस्या के समाधान के प्रयास में हो | और, भाईचारा, हर विभाजन और बंटवारे की कोशिश को नाकाम करे |
मेरे प्यारे देशवासियों, आज गणतंत्र-दिवस के पावन अवसर पर मुझे ‘गगनयान’ के बारे में बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है | देश, उस दिशा में एक और कदम आगे बढ़ चला है | 2022 में, हमारी आज़ादी के 75 साल पूरे होने वाले हैं | और उस मौक़े पर हमें ‘गगनयान मिशन’ के साथ एक भारतवासी को अन्तरिक्ष में ले जाने के अपने संकल्प को सिद्ध करना है | ‘गगनयान मिशन’, 21वीं सदी में science & technology के क्षेत्र में भारत की एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगा | नए भारत के लिए, ये एक ‘मील का पत्थर’ साबित होगा |
साथियो, आपको पता ही होगा इस मिशन में astronaut यानी अंतरिक्ष यात्री के लिए 4 उम्मीदवारों का चयन कर लिया गया है | ये चारों युवा भारतीय वायु-सेना के पायलट हैं | ये होनहार युवा, भारत के कौशल, प्रतिभा, क्षमता, साहस और सपनों के प्रतीक हैं | हमारे चारों मित्र, अगले कुछ ही दिनों में training के लिए रूस जाने वाले हैं | मुझे विश्वास है, कि ये भारत और रूस के बीच मैत्री और सहयोग का एक और सुनहरा अध्याय बनेगा | इन्हें एक साल से अधिक समय तक प्रशिक्षण दिया जायेगा | इसके बाद देश की आशाओं और आकांक्षाओं की उड़ान को अंतरिक्ष तक ले जाने का दारोमदार, इन्हीं में से किसी एक पर होगा | आज गणतंत्र दिवस के शुभ-अवसर पर इन चारों युवाओं और इस मिशन से जुड़े भारत और रूस के वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों को मैं बधाई देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियों, पिछले मार्च में एक video, Media और Social Media पर चर्चा का विषय बना हुआ था | चर्चा यह थी कि कैसे एक-सौ सात साल (107) की एक बुजुर्ग माँ, राष्ट्रपति-भवन समारोह में protocol तोड़कर राष्ट्रपति जी को आशीर्वाद देती है | यह महिला थी सालूमरदा थिमक्का, जो कर्नाटक में ‘वृक्ष माता’ के नाम से प्रख्यात हैं | और वो समारोह था, पद्म-पुरस्कार का | बहुत ही साधारण background से आने वाली थिमक्का के असाधारण योगदान को देश ने जाना, समझा और सम्मान दिया था | उन्हें पद्मश्री सम्मान मिल रहा था |
साथियो, आज भारत अपनी इन महान विभूतियों को लेकर गर्व की अनुभूति करता है | जमीन से जुड़े लोगों को सम्मानित कर गौरवान्वित महसूस करता है | हर वर्ष की भाँति, कल शाम को पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई है | मेरा आग्रह है कि आप सब इन लोगों के बारे में ज़रूर पढें | इनके योगदान के बारे में, परिवार में, चर्चा करें | 2020 के पद्म-पुरस्कारों के लिए, इस साल 46 हज़ार से अधिक नामांकन प्राप्त हुए हैं | ये संख्या 2014 के मुक़ाबले 20 गुना से भी अधिक है | यह आँकड़े जन-जन के इस विश्वास को दर्शाते हैं कि पद्म-अवार्ड, अब People's Award बन चुका है | आज पद्म- पुरस्कारों की सारी प्रक्रिया online है | पहले जो निर्णय सीमित लोगों के बीच होते थे वो आज, पूरी तरह से people-driven है | एक प्रकार से कहें तो पद्म-पुरस्कारों को लेकर देश में एक नया विश्वास और सम्मान पैदा हुआ है | अब सम्मान पाने वालों में से कई लोग ऐसे होते हैं जो परिश्रम की पराकाष्ठा कर ज़मीन से उठे हैं |
सीमित संसाधन की बाधाओं और अपने आस-पास की घनघोर निराशा को तोड़कर आगे बढ़े हैं | दरअसल उनकी मजबूत इच्छाशक्ति सेवा की भावना और निस्वार्थ-भाव, हम सभी को प्रेरित करता है | मैं एक बार फिर सभी पद्म-पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूँ | और आप सभी से उनके बारे में पढ़ने के लिए, अधिक जानकारी जुटाने के लिए विशेष आग्रह करता हूँ | उनके जीवन की असाधारण कहानियाँ, समाज को सही मायने में प्रेरित करेंगी |
मेरे प्यारे देशवासियों, फिर एक बार गणतंत्र-पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ | यह पूरा दशक, आपके जीवन में, भारत के जीवन में, नए संकल्पों वाला बने, नई सिद्धि वाला बने | और विश्व, भारत से जो अपेक्षा करता है, उस अपेक्षाओं को पूर्ण करने का सामर्थ्य, भारत प्राप्त करके रहे | इसी एक विश्वास के साथ आइये - नए दशक की शुरुआत करते हैं | नए संकल्पों के साथ, माँ भारती के लिए जुट जाते हैं | बहुत-बहुत धन्यवाद | नमस्कार |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। 2019 की विदाई का पल हमारे सामने है। 3 दिन के भीतर-भीतर 2019 विदाई ले लेगा और हम, ना सिर्फ 2020 में प्रवेश करेंगे, नए साल में प्रवेश करेंगे, नये दशक में प्रवेश करेंगे,21वीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश करेंगे।मैं, सभी देशवासियों को 2020 के लिए हार्दिक शुभकामनायें देता हूँ। इस दशक के बारे में एक बात तो निश्चित है, इसमें, देश के विकास को गति देने में वो लोग सक्रिय भूमिका निभायेंगे जिनका जन्म 21वीं सदी में हुआ है -जो इस सदी के महत्वपूर्ण मुद्दों को समझते हुये बड़े हो रहे हैं।ऐसे युवाओं के लिए, आज, बहुत सारे शब्दों से पहचाना जाता है।कोई उन्हें Millennials के रूप में जानता है,तो कुछ उन्हें, Generation Z या तो Gen Z ये भी कहते हैं। और व्यापक रूप से एक बात तो लोगों के दिमाग में फिट हो गई है कि ये Social Media Generation है। हम सब अनुभव करते हैं कि हमारी ये पीढ़ी बहुत ही प्रतिभाशाली है। कुछ नया करने का, अलग करने का, उसका ख्वाब रहता है। उसके अपने opinion भी होते हैं और सबसे बड़ी खुशी की बात ये है, और विशेषकरके, मैं, भारत के बारे में कहना चाहूँगा, कि, इन दिनों युवाओं को हम देखते हैं, तो वो, व्यवस्था को पसंद करते हैं, system को पसंद करते हैं। इतना ही नहीं, वे system को, follow भी करना पसंद करते हैं। और कभी, कहीं system,properly respond ना करें तो वे बैचेन भी हो जाते हैं और हिम्मत के साथ,system को, सवाल भी करते हैं।मैं इसे अच्छा मानता हूँ। एक बात तो पक्की है कि हमारे देश के युवाओं को, हम ये भी कह सकते हैं, अराजकता के प्रति नफ़रत है।अव्यवस्था, अस्थिरता, इसके प्रति, उनको, बड़ी चिढ़ है।वे परिवारवाद, जातिवाद, अपना-पराया, स्त्री-पुरुष, इन भेद-भावों को पसंद नहीं करते हैं। कभी-कभी हम देखते हैं कि हवाई अड्डे पर, या तो सिनेमा के theatre में भी, अगर, कोई कतार में खड़ा है और बीच में कोई घुस जाता है तो सबसे पहले आवाज उठाने वाले, युवा ही होते हैं।और हमने तो देखा है,कि, ऐसी कोई घटना होती है, तो, दूसरे नौजवान तुरंत अपना mobile phone निकाल करके उसकी video बना देते हैं और देखते-ही-देखते वो video,viral भी हो जाता है।और जो गलती करता है वो महसूस करता है कि क्या हो गया! तो, एक नए प्रकार की व्यवस्था, नए प्रकार का युग, नए प्रकार की सोच, इसको, हमारी युवा-पीढ़ी परिलक्षित करती है।आज, भारत को इस पीढ़ी से बहुत उम्मीदे हैं।इन्हीं युवाओं को, देश को, नई ऊँचाई पर ले जाना है। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था –“My Faith is in the Younger Generation, the Modern Generation, out of them, will come my workers”। उन्होंने कहा था –‘मेरा विश्वास युवा पीढ़ी में है, इस आधुनिक generation में है, modern generation में है, और, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया था, इन्हीं में से, मेरे कार्यकर्ता निकलेंगे। युवाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा – “युवावस्था की कीमत को ना तो आँका जा सकता है और ना ही इसका वर्णन किया जा सकता है”।यह जीवन का सबसे मूल्यवान कालखंड होता है। आपका भविष्य और आपका जीवन, इस पर निर्भर करता है कि आप अपनी युवावस्था का उपयोग किस प्रकार करते हैं।विवेकानंद जी के अनुसार, युवा वह है जो energy और dynamism से भरा है और बदलाव की ताकत रखता है। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत में, यह दशक, ये decade,न केवल युवाओं के विकास का होगा, बल्कि, युवाओं के सामर्थ्य से, देश का विकास करने वाला भी साबित होगा और भारत आधुनिक बनाने में इस पीढ़ी की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है,ये मैं साफ अनुभव करता हूँ। आने वाली 12 जनवरी को विवेकानंद जयंती पर, जब देश, युवा-दिवस मना रहा होगा, तब प्रत्येक युवा, इस दशक में, अपने इस दायित्व पर जरुर चिंतन भी करे और इस दशक के लिए अवश्य कोई संकल्प भी ले।
मेरे प्यारे देशवासियो, आप में से कई लोगों को कन्याकुमारी में जिस rock पर स्वामी विवेकानंद जी ने अंतर्ध्यान किया था, वहां परजो विवेकानंद rock memorial बना है, उसके पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं। पिछले पांच दशकों में, यह स्थान भारत का गौरव रहा है। कन्याकुमारी, देश और दुनिया के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना है। राष्ट्रभक्ति से भरे हुए आध्यात्मिक चेतना को अनुभव करना चाहने वाले, हर किसी के लिए, ये एक तीर्थ-क्षेत्र बना हुआ है, श्रद्धा-केंद्र बना हुआ है। स्वामीजी के स्मारक ने, हर पन्थ, हर आयु के, वर्ग के लोगों को, राष्ट्रभक्ति के लिए प्रेरित किया है।‘दरिद्र नारायण की सेवा’, इस मन्त्र को जीने का रास्ता दिखाया है। जो भी वहां गया, उसके अन्दर शक्ति का संचार हो, सकरात्मकता का भाव जगे, देश के लिए कुछ करने का जज्बा पैदा हो - ये बहुत स्वाभाविक है।
हमारे माननीय राष्ट्रपति महोदय जी भी पिछले दिनों इस पचास वर्ष निर्मित rock memorial का दौरा करके आए हैं और मुझे खुशी है कि हमारे उप-राष्ट्रपति जी भी गुजरात के, कच्छ के रण में, जहाँ एक बहुत ही उत्तमरणोत्सवहोता है, उसके उद्घाटन के लिए गए थे। जब हमारे राष्ट्रपति जी, उप-राष्ट्रपति जी भी, भारत में ही ऐसे महत्वपूर्ण tourist destination पर जा रहे हैं, देशवासियों को, उससे जरुर प्रेरणा मिलती है - आप भी जरुर जाइये।
मेरे प्यारे देशवासियो, हम अलग-अलग colleges में, universities में, schools में पढ़ते तो हैं, लेकिन, पढाई पूरी होने के बाद alumni meet एक बहुत ही सुहाना अवसर होता है और alumni meet,ये सब नौजवान मिलकर के पुरानी यादों में खो जाते हैं,जिनकी, 10 साल, 20 साल, 25 साल पीछे चली जाती हैं।लेकिन, कभी-कभी ऐसी alumni meet, विशेष आकर्षण का कारण बन जाती है, उस पर ध्यान जाता है और देशवासियों का भी ध्यान उस तरफ जाना बहुत जरुरी होता है। Alumni meet, दरअसल, पुराने दोस्तों के साथ मिलना, यादों को ताज़ा करना, इसका अपना एक अलग ही आनंद है और जब इसके साथ shared purpose हो, कोई संकल्प हो, कोई भावात्मक लगाव जुड़ जाए, फिर तो, उसमें कई रंग भर जाते हैं।आपने देखा होगा कि alumni group कभी-कभी अपने स्कूलों के लिए कुछ-न-कुछ योगदान देते हैं।कोई computerized करने के लिए व्यवस्थायें खड़ी कर देते हैं,कोई अच्छी library बना देते हैं, कोई अच्छी पानी की सुविधायें खड़ी कर देते हैं,कुछ लोग नए कमरे बनाने के लिए करते हैं,कुछ लोग sports complex के लिए करते हैं।कुछ-न-कुछ कर लेते हैं।उनको आनंद आता है कि जिस जगह पर अपनी ज़िन्दगी बनी उसके लिए जीवन में कुछ करना, ये, हर किसी के मन में रहता है और रहना भी चाहिएऔर इसके लिए लोग आगे भी आते हैं।लेकिन, मैं आज किसी एक विशेष अवसर को आपके सामने प्रस्तुत करना चाहता हूँ I अभी पिछले दिनों, मीडिया में, बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के भैरवगंज हेल्थ सेंटर की कहानी जब मैंने सुनी, मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं आप लोगों को बताये बिना रह नहीं सकता हूँ I इस भैरवगंज Healthcentre के, यानि, स्वास्थ्य केंद्र में, मुफ्त में, health check up करवाने के लिए आसपास के गांवों के हजारों लोगों की भीड़ जुट गई I अब, ये कोई बात सुन करके, आपको, आश्चर्य नहीं होगा। आपको लगता है, इसमें क्या नई बात है?आये होंगे लोग ! जी नहीं! बहुत कुछ नया है।ये कार्यक्रम सरकार का नहीं था, न ही सरकार का initiative था।ये वहां के K.R High School, उसके जो पूर्व-छात्र थे, उनकी जो Alumni Meet थी, उसके तहत उठाया गया कदम था, और, इसका नाम दिया था ‘संकल्प Ninety Five’। ‘संकल्प Ninety Five’ का अर्थ है- उस High School के 1995 (Nineteen Ninety Five) Batch के विद्यार्थियों का संकल्प I दरअसल, इस Batch के विद्यार्थियों ने एक Alumni Meet रखी और कुछ अलग करने के लिए सोचा Iइसमें पूर्व-छात्रों ने, समाज के लिए, कुछ करने की ठानी और उन्होंने जिम्मा उठाया Public Health Awareness का I‘संकल्प Ninety Five’ की इस मुहिम में बेतिया के सरकारी Medical College और कई अस्पताल भी जुड़ गये।उसके बाद तो, जैसे, जन-स्वास्थ्य को लेकर एक पूरा अभियान ही चल पड़ा।निशुल्क जाँच हो, मुफ्त में दवायें देना हो, या फिर, जागरूकता फ़ैलाने का, ‘संकल्प Ninety Five’ हर किसी के लिए एक मिसाल बनकर सामने आया है I हम अक्सर ये बात कहते हैं कि जब देश का हर नागरिक एक कदम आगे बढ़ता है, तो ये देश, 130 करोड़ कदम आगे बढ़ जाता है I ऐसी बातें जब समाज में प्रत्यक्ष रूप में देखने को मिलती हैं तो हर किसी को आनंद आता है, संतोष मिलता है और जीवन में कुछ करने की प्ररेणा भी मिलती है I एक तरफ, जहाँ बिहार के बेतिया में,पूर्व-छात्रों के समूह नेस्वास्थ्य-सेवा का बीड़ा उठाया, वहीं उत्तर प्रदेश के फूलपुर की कुछ महिलाओं ने अपनी जीवटता से, पूरे इलाके को प्रेरणा दी है। इन महिलाओं ने साबित किया है कि अगर एकजुटता के साथ कोई संकल्प ले तो फिर परिस्थितियों को बदलने से कोई रोक नहीं सकता। कुछ समय पहले तक, फूलपुर की ये महिलाएँ आर्थिक तंगी और गरीबी से परेशान थीं, लेकिन, इनमें अपने परिवार और समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा था I इन महिलाओं ने, कादीपुर के स्वंय सहायता समूह,Women Self Help Group उसके साथ जुड़कर चप्पल बनाने का हुनर सीखा, इससे इन्होंने, न सिर्फ अपने पैरों में चुभे मजबूरी के कांटे को निकाल फेंका, बल्कि, आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार का सम्बल भी बन गईं I ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से अब तो यहाँ चप्पल बनाने काplant भीस्थापित हो गया है, जहाँ, आधुनिक मशीनों से चप्पलें बनाई जा रही हैं। मैं विशेष रूप से स्थानीय पुलिस और उनके परिवारों को भी बधाई देता हूँ, उन्होंने, अपने लिए और अपने परिजनों के लिए, इन महिलाओं द्वारा बनाई गई चप्पलों को खरीदकर, इनको प्रोत्साहित किया है।आज, इन महिलाओं के संकल्प से न केवल उनके परिवार के आर्थिक हालत मजबूत हुए हैं, बल्कि, जीवन स्तर भी ऊँचा उठा है I जब फूलपुर के पुलिस के जवानों की या उनके परिवारजनों की बातें सुनता हूँ तो आपको याद होगा कि मैंने लाल किले से 15 अगस्त को देशवासियों को एक बात के लिए आग्रह किया था और मैंने कहा था कि हम देशवासी local खरीदने का आग्रह रखें।आज फिर से एक बार मेरा सुझाव है, क्या हम स्थानीय स्तर पर बने उत्पादों को प्रोत्साहन दे सकते हैं? क्या अपनी खरीदारी में उन्हें प्राथमिकता दे सकतें हैं? क्या हम Local Products को अपनी प्रतिष्ठा और शान से जोड़ सकते हैं? क्या हम इस भावना के साथ अपने साथी देशवासियों के लिए समृद्धि लाने का माध्यम बन सकते हैं? साथियो, महात्मा गाँधी ने, स्वदेशी की इस भावना को, एक ऐसे दीपक के रूप में देखा, जो, लाखों लोगों के जीवन को रोशन करता हो। ग़रीब-से-ग़रीब के जीवन में समृद्धि लाता हो। सौ-साल पहले गाँधी जी ने एक बड़ा जन-आन्दोलन शुरू किया था। इसका एक लक्ष्य था, भारतीय उत्पादों को प्रोत्साहित करना। आत्मनिर्भर बनने का यही रास्ता गाँधी जी ने दिखाया था। दो हज़ार बाईस (2022) में, हम हमारी आज़ादी के 75 साल पूरे करेंगे।जिस आज़ाद भारत में हम सांस ले रहे हैं, उस भारत को आज़ाद कराने के लिए लक्ष्यावधि सपूतोंने, बेटे-बेटियों ने, अनेक यातनाएं सही हैं, अनेकों ने प्राण की आहुति दी है।लक्ष्यावधि लोगों के त्याग, तपस्या, बलिदान के कारण, जहाँ आज़ादी मिली, जिस आज़ादी का हम भरपूर लाभ उठा रहे हैं, आज़ाद ज़िन्दगी हम जी रहे हैं और देश के लिए मर-मिटने वाले, देश के लिए जीवन खपाने वाले, नामी-अनामी, अनगिनत लोग, शायद, मुश्किल से हम, बहुत कम ही लोगों के नाम जानते होंगे, लेकिन, उन्होंने बलिदान दिया - उस सपनों को ले करके, आज़ाद भारत के सपनों को ले करके - समृद्ध, सुखी, सम्पन्न, आज़ाद भारत के लिए !
मेरे प्यारे देशवासियो, क्या हम संकल्प कर सकते हैं, कि 2022, आज़ादी के 75 वर्ष हो रहे हैं, कम-से-कम, ये दो-तीन साल, हम स्थानीय उत्पाद खरीदने के आग्रही बनें? भारत में बना, हमारे देशवासियों के हाथों से बना, हमारे देशवासियों के पसीने की जिसमें महक हो, ऐसी चीजों को, हम, खरीद करने का आग्रह कर सकते हैं क्या ? मैं लम्बे समय के लिए नहीं कहता हूँ, सिर्फ 2022 तक, आज़ादी के 75 साल हो तब तक। और ये काम, सरकारी नहीं होना चाहिए, स्थान-स्थान पर नौजवान आगे आएं, छोटे-छोटे संगठन बनायें, लोगों को प्रेरित करें, समझाएं और तय करें - आओ, हम लोकल खरीदेंगे, स्थानीय उत्पादों पर बल देंगे, देशवासियों के पसीने की जिसमें महक हो - वही, मेरे आज़ाद भारत का सुहाना पल हो, इन सपनों को लेकर के हम चलें।
मेरे प्यारे देशवासियों, यह, हम सब के लिए, बहुत ही महत्वपूर्ण है, कि देश के नागरिक, आत्मनिर्भर बनें और सम्मान के साथ अपना जीवन यापन करें। मैं एक ऐसे पहल की चर्चा करना चाहूँगा जिसने मेरा ध्यान खींचा और वो पहल है, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का हिमायत प्रोग्राम।हिमायत दरअसल Skill Development और रोज़गार से जुड़ा है।इसमें, 15 से 35 वर्ष तक के किशोर और युवा शामिल होते हैं। ये, जम्मू-कश्मीर के वे लोग हैं, जिनकी पढाई, किसी कारण, पूरी नहीं हो पाई, जिन्हें, बीच में ही स्कूल-कॉलेज छोड़ना पड़ा।
मेरे प्यारे देशवासियो, आपको जानकर के बहुत अच्छा लगेगा, कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत, पिछले दो सालों में, अठारह हज़ार युवाओं को,77 (seventy seven), अलग-अलग ट्रेड में प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें से, क़रीब पाँच हज़ार लोग तो, कहीं-न-कहीं job कर रहे हैं, और बहुत सारे, स्व-रोजगार की ओर आगे बढे हैं।हिमायत प्रोग्राम से अपना जीवन बदलने वाले इन लोगों की जो कहानियां सुनने को मिली हैं, वे सचमुच ह्रदय को छू लेती हैं !
परवीन फ़ातिमा, तमिलनाडु के त्रिपुर की एक Garment Unit में promotion के बाद Supervisor-cum-Coordinator बनी हैं।एक साल पहले तक, वो, करगिल के एक छोटे से गाँव में रह रही थी।आज उसके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया, आत्मविश्वास आया - वह आत्मनिर्भर हुई है और अपने पूरे परिवार के लिए भी आर्थिक तरक्की का अवसर लेकर आई है।परवीन फ़ातिमा की तरह ही, हिमायत प्रोग्राम ने, लेह-लद्दाख क्षेत्र के निवासी, अन्य बेटियों का भी भाग्य बदला है और ये सभी आज तमिलनाडु की उसी फार्म में काम कर रहे हैं। इसी तरह हिमायत डोडा के फियाज़ अहमद के लिए वरदान बन के आया।फियाज़ ने 2012 में, 12वीं की परीक्षा पास की, लेकिन बीमारी के कारण,वो अपनी पढाई जारी नहीं रख सके।फियाज़,दो साल तक हृदय की बीमारी से जूझते रहे।इस बीच, उनके एक भाई और एक बहन की मृत्यु भी हो गई।एक तरह से उनके परिवार पर परेशानियों का पहाड़ टूट गया। आखिरकार, उन्हें हिमायत से मदद मिली।हिमायत के ज़रिये ITES यानी Information Technologyenabled services’में training मिली और वे आज पंजाब में नौकरी कर रहे हैं।
फियाज़ अहमद की graduation की पढाई, जो उन्होंने साथ-साथ जारी रखी वह भी अब पूरी होने वाली है। हाल ही में, हिमायत के एक कार्यक्रम में उन्हें अपना अनुभव साझा करने के लिए बुलाया गया। अपनी कहानी सुनाते समय उनकी आँखों में से आंसू छलक आये।इसी तरह, अनंतनाग के रकीब-उल-रहमान, आर्थिक तंगी के चलते अपनी पढाई पूरी नहीं कर पाये।एक दिन,रकीब को अपने ब्लॉक में जो एक कैंप लगा था mobilisation camp, उसके जरिये हिमायत कार्यक्रम का पता चला।रकीब ने तुरंत retail team leader course में दाखिला ले लिया। यहाँ ट्रेनिग पूरी करने बाद आज, वो एक कॉर्पोरेट हाउस में नौकरी कर रहे हैं।‘हिमायत मिशन’ से लाभान्वित, प्रतिभाशाली युवाओं के ऐसे कई उदाहरण हैं जो जम्मू-कश्मीर में परिवर्तन के प्रतीक बने हैं। हिमायत कार्यक्रम, सरकार, ट्रैनिंग पार्टनर , नौकरी देने वाली कम्पनियाँ और जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच एक बेहतरीन तालमेल का आदर्श उदाहरण है|
इस कार्यक्रम ने जम्मू-कश्मीर में युवाओं के अन्दर एक नया आत्मविश्वास जगाया है और आगे बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त किया।
मेरे प्यारे देशवासियों, 26 तारीख को हमने इस दशक का आख़िरी सूर्य-ग्रहण देखा।शायद सूर्य-ग्रहण की इस घटना के कारण ही MY GOV पर रिपुन ने बहुत ही Interesting comment लिखा है।वे लिखते हैं ...’नमस्कार सर, मेरा नाम रिपुन है ..मैं north-east का रहने वाला हूँ लेकिन इन दिनों south में काम करता हूँ। एक बात मैं आप से share करना चाहता हूँ।मुझे याद है हमारे क्षेत्र में आसमान साफ़ होने की वजह से हम घंटों, आसमान में तारों पर टकटकी लगाये रखते थे। star gazing, मुझे बहुत अच्छा लगता था। अब मैं एक professional हूँ और अपनी दिनचर्या के कारण, मैं इन चीज़ों के लिए समय नहीं दे पा रहा हूँ... क्या आप इस विषय पर कुछ बात कर सकते हैं क्या ? विशेष रूप से Astronomy को युवाओं के बीच में कैसे popular किया जा सकता है ?’
मेरे प्यारे देशवासियों , मुझे सुझाव बहुत आते हैं लेकिन मैं कह सकता हूँ कि इस प्रकार का सुझाव शायद पहली बार मेरे पास आया है।वैसे विज्ञान पर, कई पहलुओं पर बातचीत करने का मौका मिला है।खासकर के युवा पीढ़ी के आग्रह पर मुझे बातचीत करने का अवसर मिला है। लेकिन ये विषय तो अछूता ही रहा था और अभी 26 तारीख को ही सूर्य-ग्रहण हुआ है तो लगता है कि शायद इस विषय में आपको भी कुछ न कुछ रूचि रहेगी।तमाम देशवासियों , विशेष तौर पर मेरे युवा-साथियों की तरह मैं भी,जिस दिन, 26 तारीख को, सूर्य-ग्रहण था, तो देशवासियों की तरह मुझे भी और जैसे मेरी युवा-पीढ़ी के मन में जो उत्साह था वैसे मेरे मन में भी था, और मैं भी, सूर्य-ग्रहण देखना चाहता था, लेकिन, अफसोस की बात ये रही कि उस दिन, दिल्ली में आसमान में बादल छाए हुए थे और मैं वो आनन्द तो नहीं ले पाया, हालाँकि, टी.वी पर कोझीकोड और भारत के दूसरे हिस्सों में दिख रहे सूर्य-ग्रहण की सुन्दर तस्वीरें देखने को मिली। सूर्य चमकती हुई ring के आकार का नज़र आ रहा था।और उस दिन मुझे कुछ इस विषय के जो experts हैं उनसे संवाद करने का अवसर भी मिला और वो बता रहे थे कि ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि चंद्रमा, पृथ्वी से काफी दूर होता है और इसलिए, इसका आकार, पूरी तरह से सूर्य को ढक नहीं पाता है।इस तरह से, एक ring का आकार बन जाता है।यह सूर्य ग्रहण, एक annular solar eclipse जिसे वलय-ग्रहण या कुंडल-ग्रहण भी कहते हैं।ग्रहण हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि हम पृथ्वी पर रहकर अंतरिक्ष में घूम रहे हैं । अंतरिक्ष में सूर्य, चंद्रमा एवं अन्य ग्रहों जैसे और खगोलीय पिंड घूमते रहते हैं । चंद्रमा की छाया से ही हमें, ग्रहण के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं । साथियो, भारत में Astronomy यानि खगोल-विज्ञान का बहुत ही प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है । आकाश में टिमटिमाते तारों के साथ हमारा संबंध, उतना ही पुराना है जितनी पुरानी हमारी सभ्यता है । आप में से बहुत लोगों को पता होगा कि भारत के अलग-अलग स्थानों में बहुत ही भव्य जंतर-मंतर हैं , देखने योग्य हैं । और, इस जंतर-मंतर का Astronomy से गहरा संबंध है । महान आर्यभट की विलक्षण प्रतिभा के बारे में कौननहीं जानता ! अपनी काल -क्रिया में उन्होंने सूर्य-ग्रहण के साथ-साथ, चन्द्र-ग्रहण की भी विस्तार से व्याख्या की है । वो भी philosophical और mathematical, दोनों ही angle से की है । उन्होंने mathematically बताया कि पृथ्वी की छाया या shadow की size का calculation कैसे कर सकते हैं।उन्होंने ग्रहण के duration और extent को calculate करने की भी सटीक जानकारियाँ दी। भास्कर जैसे उनके शिष्यों ने इस spirit को और इस knowledge को आगे बढ़ाने के लिएभरसक प्रयास किये।बाद में, चौदहवीं–पंद्रहवीं सदी में, केरल में, संगम ग्राम के माधव, इन्होंने ब्रहमाण्ड में मौजूद ग्रहों की स्थिति की गणना करने के लिए calculus का उपयोग किया।रात में दिखने वाला आसमान, सिर्फ, जिज्ञासा का ही विषय नहीं था बल्कि गणित की दृष्टि से सोचने वालों और वैज्ञानिकों के लिए एक महवपूर्ण sourceथा।कुछ वर्ष पहले मैंने ‘Pre-Modern Kutchi (कच्छी) Navigation Techniques and Voyages’, इस पुस्तक का अनावरण किया था । ये पुस्तक एक प्रकार से तो ‘मालम (maalam) की डायरी’ है । मालम, एक नाविक के रूप में जो अनुभव करते थे, उन्होंने, अपने तरीक़े से उसको डायरी में लिखा था । आधुनिक युग में उसी मालम की पोथी को और वो भी गुजराती पांडुलिपियों का संग्रह, जिसमें, प्राचीन navigation technology का वर्णन करती है और उसमें बार-बार ‘मालम नी पोथी’ में आसमान का, तारों का, तारों की गति का, वर्णन किया है, और ये, साफ बताया है कि समन्दर में यात्रा करते समय, तारों के सहारे, दिशा तय की जाती है। Destination पर पहुँचने का रास्ता, तारे दिखाते हैं ।
मेरे प्यारे देशवासियो, Astronomy के क्षेत्र में भारत काफी आगे है और हमारे initiatives , path breaking भी हैं। हमारे पास, पुणे के निकट विशालकाय Meter Wave Telescope है। इतना ही नहीं, Kodaikanal , Udaghmandalam ,Guru shikhar और Hanle Ladakh में भी powerful telescope हैं । 2016 में, बेल्जियम के तत्कालीन प्रधानमंत्री, और मैंने, नैनीताल में3.6 मीटर देवस्थल optical telescope का उद्घाटन किया था।इसे एशिया का सबसे बड़ा telescope कहा जाता है।ISRO के पास ASTROSAT नाम का एक Astronomical satellite है। सूर्य के बारे में research करने के लिये ISRO, ‘आदित्य’ के नाम से एक दूसरा satellite भी launch करने वाला है। खगोल-विज्ञान को लेकर, चाहे, हमारा प्राचीन ज्ञान हो, या आधुनिक उपलब्धियां, हमें इन्हें अवश्य समझना चाहिए, और उनपर गर्व करना चाहिए। आज हमारे युवा वैज्ञानिकों में’ न केवल अपने वैज्ञानिक इतिहास को जानने की ललक दिखाई पड़ती है बल्कि वे,Astronomy के भविष्य को लेकर भी एक दृढ़ इच्छाशक्ति रखते हैं।
हमारे देश के Planetarium, Night Sky को समझने के साथ Star Gazing को शौक के रूप में विकसित करने के लिए भी motivate करते हैं।कई लोग Amateur telescopes को छतों या Balconies में लगाते हैं। Star Gazing से Rural Camps और Rural Picnic को भी बढ़ावा मिल सकता है। और कई ऐसे school-colleges हैंजो Astronomy के club भी गठन करते हैं और इस प्रयोग को आगे भी बढ़ाना चाहिए।
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारी संसद को, लोकतंत्र के मंदिर के रूप में हम जानते हैं।एक बात का मैं आज बड़े गर्व से उल्लेख करना चाहता हूँ कि आपने जिन प्रतिनिधियों को चुन करके संसद में भेजा है उन्होंने पिछले 60 साल के सारे विक्रम तोड़ दिये हैं। पिछले छः मास में, 17वीं लोकसभा के दोनों सदनों, बहुत ही productive रहे हैं। लोकसभा ने तो 114% काम किया, तो, राज्य सभा ने Ninty four प्रतिशत काम किया। और इससे पहले, बजट-सत्र में, करीब 135 फ़ीसदी काम किया था।देर-देर रात तक संसद चली। ये बात मैं इसलिये कह रहा हूँ कि सभी सांसद इसके लिये बधाई के पात्र हैं, अभिनन्दन के अधिकारी हैं। आपने जिन जन-प्रतिनिधियों को भेजा है, उन्होंने, साठ साल के सारे record तोड़ दिये हैं। इतना काम होना, अपने आप में, भारत के लोकतंत्र की ताकत का भी, और लोकतंत्र के प्रति आस्था का भी, परिचायक है। मैं दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों, सभी राजनैतिक दलों को, सभी सांसदों को, उनके इस सक्रिय भूमिका के लिये बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ।
मेरे प्यारे देशवासियो, सूर्य, पृथ्वी, चंद्रमा की गति केवल ग्रहण तय नहीं करती है, बल्कि, कई सारी चीजें भी इससे जुड़ी हुई हैं। हम सब जानते हैं कि सूर्य की गति के आधार पर, जनवरी के मध्य में, पूरे भारत में विभिन्न प्रकार के त्यौहार मनाये जाएंगे। पंजाब से लेकर तमिलनाडु तक और गुजरात से लेकर असम तक, लोग, अनेक त्योहारों का जश्न मनायेंगे। जनवरी में बड़े ही धूम-धाम से मकर- संक्रांतिऔर उत्तरायण मनाया जाता है। इनको ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है। इसी दौरान पंजाब में लोहड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, असम में माघ-बिहु भी मनाये जाएंगे।ये त्यौहार, किसानों की समृद्धि और फसलों से बहुत निकटता से जुड़े हुए हैं।ये त्यौहार, हमें, भारत की एकता और भारत की विविधता के बारे में याद दिलाते हैं। पोंगल के आख़िरी दिन, महान तिरुवल्लुवर की जयन्ती मनाने का सौभाग्य, हम देशवासियों को मिलता है। यह दिन, महान लेखक-विचारक संत तिरुवल्लुवर जी को, उनके जीवन को, समर्पित होता है।
मेरे प्यारे देशवासियो, 2019 की ये आख़िरी ‘मन की बात’ है। 2020 में हम फिर मिलेंगे। नया वर्ष, नया दशक, नये संकल्प, नयी ऊर्जा, नया उमंग, नया उत्साह – आइये चल पड़ें। संकल्प की पूर्ति के लिए सामर्थ्य जुटाते चलें।दूर तक चलना है, बहुत कुछ करना है,देश को नई ऊंचाइयों पर पहुँचना है। 130 करोड़ देशवासियों के पुरुषार्थ पर, उनके सामर्थ्य पर, उनके संकल्प पर, अपार श्रद्धा रखते हुए, आओ, हम चल पड़ें। बहुत-बहुत धन्यवाद, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में आप सबका स्वागत है | आज मन की बात की शुरुआत, युवा देश के, युवा, वो गर्म जोशी, वो देशभक्ति, वो सेवा के रंग में रंगे नौजवान, आप जानते हैं ना | नवम्बर महीने का चौथा रविवार हर साल NCC Day के रूप में मनाया जाता है | आमतौर पर हमारी युवा पीढ़ी को Friendship Day बराबर याद रहता है | लेकिन बहुत लोग हैं जिनको NCC Day भी उतना ही याद रहता है | तो चलिए आज NCC के बारे में बातें हो जाए | मुझे भी कुछ यादें ताजा करने का अवसर मिल जाएगा | सबसे पहले तो NCC के सभी पूर्व और मौजूदा Cadet को NCC Day की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ | क्योंकि मैं भी आप ही की तरह Cadet रहा हूँ और मन से भी, आज भी अपने आपको Cadet मानता हूँ | यह तो हम सबको पता ही है NCC यानी National Cadet Corps | दुनिया के सबसे बड़े uniformed youth organizations में भारत की NCC एक है | यह एक Tri-Services Organization है जिसमें सेना, नौ-सेना, वायुसेना तीनों ही शामिल हैं | Leadership, देशभक्ति, selfless service, discipline, hard-work इन सबको अपने character का हिस्सा बना लें, अपनी habits बनाने की एक रोमांचक यात्रा मतलब - NCC | इस journey के बारे में कुछ और अधिक बातें करने के लिए आज फ़ोन कॉल्स से कुछ नौजवानों से, जिन्होंने अपने NCC में भी अपनी जगह बनायी है | आइये उनसे बातें करते हैं |
प्रधानमंत्री : साथियो आप सब कैसे हैं |
तरन्नुम खान : जय हिन्द प्रधानमंत्री जी
प्रधानमंत्री : जय हिन्द
तरन्नुम खान : सर मेरा नाम Junior Under Officer तरन्नुम खान है
प्रधानमंत्री : तरन्नुम आप कहाँ से हैं |
तरन्नुम खान : मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ सर
प्रधानमंत्री : अच्छा | तो NCC में कितने साल कैसे कैसे
अनुभव रहे आपके ?
तरन्नुम खान : सर मैं NCC में 2017 में भर्ती हुई थी and ये तीन
साल मेरी ज़िंदगी के सबसे बेहतरीन साल रहे हैं |
प्रधानमंत्री : वाह, सुनकर के बहुत अच्छा लगा |
तरन्नुम खान : सर, मैं आपको बताना चाहूंगी कि मेरा सबसे अच्छा अनुभव जो रहा वो ‘एक भारत-श्रेष्ठभारत’ कैम्प में रहा था | ये हमारा कैम्प अगस्त में हुआ था जिसमें NER ‘North Eastern Region’ के बच्चे भी आये थे | उन Cadets के साथ हम 10 दिन के लिये रहे | हमने उनका रहन-सहन सीखा | हमने देखा कि उनकी language क्या है | उनका tradition, उनका culture हमने उनसे ऐसी कई सारी चीजें सीखी | जैसे via-zhomi का मतलब होता है... हेलो आप कैसे हैं?.... वैसे ही, हमारी cultural night हुई थी,उसके अन्दर उन्होंने हमें अपना dance सिखाया, तेहरा कहते हैं उनके dance को | और उन्होंने मुझे ‘मेखाला’(mekhela) पहनना भी सिखाया | मैं सच बताती हूँ , उसके अन्दर बहुत खूबसूरत हम सभी लग रहे थे दिल्ली वाले as well as हमारे नागालैंड के दोस्त भी | हम उनको दिल्ली दर्शन पर भी लेकर गये थे ,जहां हमने उनको National War Memorial और India Gate दिखाया | वहां पर हमने उनको दिल्ली की चाट भी खिलायी, भेल-पूरी भी खिलाई लेकिन उनको थोड़ा तीखा लगा क्योंकि जैसा उन्होंने बताया हमको कि वो ज्यादातर soup पीना पसंद करते हैं, थोड़ी उबली हुई सब्जियां खाते हैं, तो उनको खाना तो इतना भाया नहीं, लेकिन, उसके अलावा हमने उनके साथ काफी pictures खींची, काफी हमने अनुभव share करे अपने |
प्रधानमंत्री : आपने उनसे संपर्क बनाये रखा है ?
तरन्नुम खान : जी सर, हमारे संपर्क उनसे अब तक बने हुए हैं |
प्रधानमंत्री : चलिए ,अच्छा किया आपने |
तरन्नुम खान : जी सर
प्रधानमंत्री : और कौन है साथी आपके साथ?
श्री हरि जी.वी. : जय हिन्द सर |
प्रधानमंत्री : जय हिन्द
श्री हरि जी.वी. : मैं Senior Under Officer Sri Hari
G.V. बोल रहा हूँ | मैं बेंगलूरू, कर्नाटका का रहने वाला हूँ |
प्रधानमंत्री : और आप कहाँ पढ़ते हैं ?
श्री हरि जी.वी. : सर बेंगलूरू में Kristujayanti College में
प्रधानमंत्री : अच्छा, बेंगलूरू में ही हैं !
श्री हरि जी.वी. : Yes Sir,
प्रधानमंत्री : बताइये
श्री हरि जी.वी. : सर, मैं कल ही Youth Exchange Programme
Singapore से वापिस आये थे
प्रधानमंत्री : अरे वाह !
श्री हरि जी.वी. : हाँ सर
प्रधानमंत्री : तो आपको मौका मिल गया वहां जाने का
श्री हरि जी.वी. : Yes Sir
प्रधानमंत्री : कैसा अनुभव रहा सिंगापुर में ?
श्री हरि जी.वी. : वहां पे छह (six) country आये थे जिनमें था
United Kingdom, United States of America, Singapore, Brunei, Hong Kong और Nepal | यहाँ पर हमने combat lessons और International Military exercises का एक exchange सीखा था | यहाँ पर हमारा performance कुछ ही अलग था, sir | इनमें से हमें water sports और adventure activities सिखाया था और water polo tournament में India team जीत हासिल किया था sir | और cultural में हम overall performers थे sir | हमारा drill और word of command बहुत अच्छा लगा था sir उनको |
प्रधानमंत्री : आप कितने लोग थे हरि ?
श्री हरि जी.वी. : 20 लोग sir | हम 10 (ten) boy, 10 (ten) girl थे sir|
प्रधानमंत्री : हाँ यही, भारत के सभी अलग-अलग राज्य से थे?
श्री हरि जी.वी. : हाँ सर |
प्रधानमंत्री : चलिए, आपके सारे साथी आपका अनुभव सुनने के
लिए बहुत आतुर होंगे लेकिन मुझे अच्छा लगा | और कौन है आपके साथ ?
विनोले किसो : जय हिन्द सर,
प्रधानमंत्री : जय हिन्द
विनोले किसो : मेरा नाम है Senior Under Officer
विनोले किसो | मैं North Eastern Region Nagaland State का है सर
प्रधानमंत्री : हाँ, विनोले, बताइए क्या अनुभव है आपका ?
विनोले किसो : सर, मैं St. Joseph’s college, Jakhama ( Autonomous) में पढ़ाई कर रहा है , B.A. History (Honours) में | मैंने 2017 साल में NCC join किया और ये मेरे ज़िन्दगी का सबसे बड़ा और अच्छी decision था, सर |
प्रधानमंत्री : NCC के कारण हिंदुस्तान में कहाँ-कहाँ जाने का
मौका मिला है ?
विनोले किसो : सर, मैंने NCC join किया और बहुत सीखा था
और मुझे opportunities भी बहुत मिली थी और मेरा एक experience था वो मैं आपको बताना चाहता है | मैंने इस साल 2019 जून महीने से एक कैंप attend किया वो है Combined Annual Training Camp और वो Sazolie College, Kohima में held किया | इस कैंप में 400 cadets ने attend किया |
प्रधानमंत्री : तो नागालैंड में सारे आपके साथी जानना चाहते होंगे हिंदुस्तान में कहाँ गए, क्या-क्या देखा ? सब अनुभव सुनाते हो सबको ?
विनोले किसो : Yes sir.
प्रधानमंत्री : और कौन है आपके साथ ?
अखिल : जय हिन्द सर, मेरा नाम Junior Under Officer
Akhil है |
प्रधानमंत्री : हाँ अखिल, बताइए |
अखिल : मैं रोहतक, हरियाणा का रहने वाला हूँ, सर |
प्रधानमंत्री : हाँ...
अखिल : मैं दयाल सिंह कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी से
Physics Honours कर रहा हूँ |
प्रधानमंत्री : हाँ... हाँ...
अखिल : सर, मुझे NCC में सबसे अच्छा discipline लगा है
सर |
प्रधानमंत्री : वाह...
अखिल : इसने मुझे और ज्यादा responsible citizen बनाया
है सर | NCC cadet की drill, uniform मुझे बेहद पसंद है |
प्रधानमंत्री : कितने camp करने का मौका मिला, कहाँ-कहाँ
जाने का मौका मिला ?
अखिल : सर, मैंने 3 camp किये है सर | मैं हाल ही में
Indian Military Academy, Dehradun में attachment camp का हिस्सा रहा हूँ |
प्रधानमंत्री : कितने समय का था ?
अखिल : सर, ये 13 दिन का camp का था सर |
प्रधानमंत्री : अच्छा
अखिल : सर, मैंने वहाँ पर भारतीय फौज में अफसर कैसे
बनते हैं ,उसको बड़े करीब से देखा है और उसके बाद मेरा भारतीय फौज में अफसर बनने का संकल्प और ज्यादा दृढ़ हुआ है सर |
प्रधानमंत्री : वाह...
अखिल : और सर मैंने Republic Day Parade में भी हिस्सा
लिया था और वो मेरे लिए और मेरे परिवार के लिए बहुत ही गर्व की बात थी |
प्रधानमंत्री : शाबाश...
अखिल : मेरे से ज्यादा ख़ुशी मेरी माँ थी सर | जब
हम सुबह 2 बजे उठ कर राजपथ पर practice करने जाते थे तो जोश हम में इतना होता था कि वो देखने लायक था | बाकी forces contingent के लोग जो हमें इतना प्रोत्साहित करते थे राजपथ पर march करते वक़्त हमारे रोंगटे खड़े हो गए थे सर |
प्रधानमंत्री : चलिए आप चारों से बात करने का मौका मिला
और वो भी NCC Day पर | मेरे लिये बहुत ख़ुशी की बात है क्योंकि मेरा भी सौभाग्य रहा कि मैं भी बचपन में मेरे गाँव के स्कूल में NCC Cadet रहा था तो मुझे मालूम है कि ये discipline, ये uniform, उसके कारण जो confidence level बढ़ता है, ये सारी चीज़ें बचपन में मुझे एक NCC Cadet के रूप में अनुभव करने का मौका मिला था |
विनोले : प्रधानमंत्री जी मेरा एक सवाल है |
प्रधानमंत्री : हाँ बताइए...
तरन्नुम : कि आप भी एक NCC का हिस्सा रहे हैं
प्रधानमंत्री : कौन ? विनोले बोल रही हो ?
विनोले : yes sir
प्रधानमंत्री : हाँ विनोले बताइए...
विनोले : क्या आपको कभी भी punishment मिली थी ?
प्रधानमंत्री : (हँस कर) इसका मतलब कि आप लोगों को
punishment मिलती है ?
विनोले : हां सर |
प्रधानमंत्री : जी नहीं, मुझे ऐसा कभी हुआ नहीं क्योंकि मैं
बहुत ही, एक प्रकार से discipline मैं मानने वाला था लेकिन एक बार जरुर misunderstanding हुआ था | जब हम camp में थे तो मैं एक पेड़ पर चढ़ गया था | तो पहले तो ऐसा ही लगा कि मैं कोई कानून तोड़ दिया है लेकिन बाद में सबको ध्यान में आया कि वहाँ, ये पतंग की डोर में एक पक्षी फंस गया था | तो उसको बचाने के लिए मैं वहाँ चढ़ गया था | तो खैर, पहले तो लगता था कि मुझ पर कोई discipline action होंगे लेकिन बाद में मेरी बड़ी वाह-वाही हो गयी | तो इस प्रकार से एक अलग ही अनुभव आया मुझे |
तरन्नुम खान : जी सर, ये जान कर बहुत अच्छा लगा सर |
प्रधानमंत्री : Thank You.
तरन्नुम खान : मैं तरन्नुम बात कर रही हूँ |
प्रधानमंत्री : हाँ तरन्नुम, बताइए...
तरन्नुम खान : अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं आपसे एक सवाल
करना चाहूंगी सर |
प्रधानमंत्री : जी... जी... बताइए |
तरन्नुम खान : सर, आपने अपने संदेशों में हमें कहा है कि हर
भारतीय नागरिक को 3 सालों में 15 जगह तो जाना ही चाहिए | आप हमें बताना चाहेंगे कि हमें कहाँ जाना चाहिए ? और आपको किस जगह जा कर सबसे अच्छा महसूस हुआ था ?
प्रधानमंत्री : वैसे मैं हिमालय को बहुत पसंद करता रहता हूँ
हमेशा |
तरन्नुम खान : जी...
प्रधानमंत्री : लेकिन फिर भी मैं भारत के लोगों से आग्रह
करूँगा कि अगर आपको प्रकृति से प्रेम है |
तरन्नुम खान : जी...
प्रधानमंत्री : घने जंगल, झरने, एक अलग ही प्रकार का माहौल
देखना है तो मैं सबको कहता हूँ आप North East जरुर जाइए |
तरन्नुम खान : जी सर |
प्रधानमंत्री : ये मैं हमेशा बताता हूँ और उसके कारण North
East में tourism भी बहुत बढ़ेगा, economy को भी बहुत फायदा होगा और ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के सपने को भी वहाँ मजबूती मिलेगी |
तरन्नुम खान : जी सर |
प्रधानमंत्री : लेकिन हिंदुस्तान में हर जगह पर बहुत कुछ
देखने जैसा है, अध्ययन करने जैसा है और एक प्रकार से आत्मसात करने जैसा है |
श्री हरि जी.वी. : प्रधानमंत्री जी, मैं श्री हरि बोल रहा हूँ |
प्रधानमंत्री : जी हरि बताइए...
श्री हरि जी.वी. : मैं आपसे जानना चाहता हूँ कि आप एक
politician न होते तो आप क्या होते ?
प्रधानमंत्री : अब ये तो बड़ा कठिन सवाल है क्योंकि हर बच्चे
के जीवन में कई पड़ाव आते हैं | कभी ये बनने का मन करता है, कभी वो बनने का मन करता है लेकिन ये बात सही है कि मुझे कभी राजनीति में जाने का मन नहीं था, न ही कभी सोचा था लेकिन अब पहुँच गया हूँ तो जी-जान से देश के काम आऊँ, उसके लिए सोचता रहता हूँ और इसलिए अब मैं ‘यहाँ न होता तो कहाँ होता’ ये सोचना ही नहीं चाहिए मुझे | अब तो जी-जान से जहाँ हूँ वहाँ जी भरकर के जीना चाहिए, जी-जान से जुटना चाहिए और जमकर के देश के लिए काम करना चाहिए | न दिन देखनी है, न रात देखनी है बस यही एक मकसद से अपने आप को मैंने खपा दिया है |
अखिल : प्रधानमंत्री जी...
प्रधानमंत्री : जी...
अखिल : आप दिन में इतने busy रहते हो तो मेरी ये जिज्ञासा
थी जानने की कि आपको टी.वी. देखने का, फिल्म देखने का या किताब पढ़ने का समय मिलता है ?
प्रधानमंत्री : वैसे मेरी किताब पढ़ने की रूचि तो रहती थी |
फिल्म देखने की कभी रूचि भी नहीं रही, उसमें समय का बंधन तो नहीं है और न ही उस प्रकार से टी.वी. देख पाता हूँ | बहुत कम | कभी-कभी पहले discovery channel देखा करता था, जिज्ञासा के कारण | और किताबें पढ़ता था लेकिन इन दिनों तो पढ़ नहीं पाता हूँ और दूसरा Google के कारण भी आदतें ख़राब हो गई हैं क्योंकि अगर किसी reference को देखना है तो तुरंत shortcut ढूंढ लेते हैं | तो कुछ आदतें जो सबकी बिगड़ी हैं, मेरी भी बिगड़ी है | चलिए दोस्तों, मुझे बहुत अच्छा लगा आप सबसे बात करने के लिए और मैं आपके माध्यम से NCC के सभी cadets को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ | बहुत-बहुत धन्यवाद दोस्तों, Thank You !
सभी NCC cadets : बहुत-बहुत धन्यवाद सर, Thank You !
प्रधानमंत्री : Thank you, Thank You.
सभी NCC cadets : जय हिन्द सर |
प्रधानमंत्री : जय हिन्द |
सभी NCC cadets : जय हिन्द सर |
प्रधानमंत्री : जय हिन्द, जय हिन्द |
मेरे प्यारे देशवासियो, हम सभी देशवासियों को ये कभी भी नहीं भूलना चाहिए कि 7 दिसम्बर को Armed Forces Flag Day मनाया जाता है | ये वो दिन है जब हम अपने वीर सैनिकों को, उनके पराक्रम को, उनके बलिदान को याद तो करते ही हैं लेकिन योगदान भी करते हैं | सिर्फ सम्मान का भाव इतने से बात चलती नहीं है | सहभाग भी जरुरी होता है और 07 दिसम्बर को हर नागरिक को आगे आना चाहिए | हर एक के पास उस दिन Armed Forces का Flag होना ही चाहिए और हर किसी का योगदान भी होना चाहिए | आइये, इस अवसर पर हम अपनी Armed Forces के अदम्य साहस, शौर्य और समर्पण भाव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें और वीर सैनिको का स्मरण करें |
मेरे प्यारे देशवासियो, भारत में Fit India Movement से तो आप परिचित हो ही गए होंगे | CBSE ने एक सराहनीय पहल की है | Fit India सप्ताह की | Schools, Fit India सप्ताह दिसम्बर महीने में कभी भी मना सकते हैं | इसमें fitness को लेकर कई प्रकार के आयोजन किए जाने हैं | इसमें quiz, निबंध, लेख, चित्रकारी, पारंपरिक और स्थानीय खेल, योगासन, dance एवं खेलकूद प्रतियोगिताएं शामिल हैं | Fit India सप्ताह में विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके शिक्षक और माता-पिता भी भाग ले सकते हैं | लेकिन ये मत भूलना कि Fit India मतलब सिर्फ दिमागी कसरत, कागजी कसरत या laptop या computer पर या mobile phone पर fitness की app देखते रहना | जी नहीं ! पसीना बहाना है | खाने की आदतें बदलनी है | अधिकतम focus activity करने की आदत बनानी है | मैं देश के सभी राज्यों के school board एवं school प्रबंधन से अपील करता हूँ कि हर school में, दिसम्बर महीने में, Fit India सप्ताह मनाया जाए | इससे fitness की आदत हम सभी की दिनचर्या में शामिल होगी | Fit India Movement में fitness को लेकर स्कूलों की ranking की व्यवस्था भी की गई हैं | इस ranking को हासिल करने वाले सभी school, Fit India logo और flag का इस्तेमाल भी कर पाएंगे | Fit India portal पर जाकर school स्वयं को Fit घोषित कर सकते हैं | Fit India three star और Fit India five star ratings भी दी जाएगी | मैं अनुरोध करते हूँ कि सभी school, Fit India ranking में शामिल हों और Fit India यह सहज स्वभाव बने | एक जनांदोलन बने | जागरूकता आए | इसके लिए प्रयास करना चाहिए |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश इतना विशाल है | इतना विविधिताओं से भरा हुआ है | इतना पुरातन है कि बहुत सी बातें हमारे ध्यान में ही नहीं आती हैं और स्वाभाविक भी है | वैसी एक बात मैं आपको share करना चाहता हूँ | कुछ दिन पहले MyGov पर एक comment पर मेरी नजर पड़ी | ये comment असम के नौगाँव के श्रीमान रमेश शर्मा जी ने लिखा था | उन्होंने लिखा ब्रहमपुत्र नदी पर एक उत्सव चल रहा है | जिसका नाम है ब्रहमपुत्र पुष्कर | 04 नवम्बर से 16 नवम्बर तक ये उत्सव था और इस ब्रहमपुत्र पुष्कर में शामिल होने के लिए देश के भिन्न-भिन्न भागों से कई लोग वहाँ पर शामिल हुए हैं | ये सुनकर आपको भी आश्चर्य हुआ ना | हाँ यही तो बात है ये ऐसा महत्वपूर्ण उत्सव है और हमारे पूर्वजों ने इसकी ऐसी रचना की है कि जब पूरी बात सुनोगे तो आपको भी आश्चर्य होगा | लेकिन दुर्भाग्य से इसका जितना व्यापक प्रचार होना चाहिए | जितनी देश के कोने-कोने में जानकारी होनी चाहिए, उतनी मात्रा में नहीं होती है | और ये भी बात सही है इस पूरा आयोजन एक प्रकार से एक देश-एक सन्देश और हम सब एक है | उस भाव को भरने वाला है, ताकत देने वाला है |
सबसे पहले तो रमेश जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने ‘मन की बात’ के माध्यम से देशवासियों के बीच ये बात शेयर करने का निश्चय किया | आपने पीड़ा भी व्यक्त की है कि है इतने महत्वपूर्ण बात की कोई व्यापक चर्चा नहीं होती है, प्रचार नहीं होता है | आपकी पीड़ा मैं समझ सकता हूँ | देश में ज्यादा लोग इस विषय में नहीं जानते हैं | हाँ, अगर शायद किसी ने इसको International River festival कह दिया होता, कुछ बड़े शानदार शब्दों का उपयोग किया होता, तो शायद, हमारे देश में कुछ लोग है जो ज़रूर उस पर कुछ न कुछ चर्चाएँ करते और प्रचार भी हो जाता |
मेरे प्यारे देशवासियों पुष्करम, पुष्करालू, पुष्करः क्या आपने कभी ये शब्द सुने हैं, क्या आप जानते हैं आपको पता है ये क्या है, मै बताता हूँ यह देश कि बारह अलग अलग नदियों पर जो उत्सव आयोजित होते हैं उसके भिन्न- भिन्न नाम है | हर वर्ष एक नदी पर यानि उस नदी का नंबर फिर बारह वर्ष के बाद लगता है, और यह उत्सव देश के अलग-अलग कोने की बारह नदियों पर होता है, बारी- बारी से होता है और बारह दिन चलता है कुम्भ की तरह ही ये उत्सव भी राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है और ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के दर्शन कराता है | पुष्करम यह ऐसा उत्सव है जिसमें नदी का मह्त्मय , नदी का गौरव, जीवन में नदी की महत्ता एक सहज रूप से उजागर होती है!
हमारे पूर्वजो ने प्रकृति को, पर्यावरण को , जल को , जमीन को , जंगल को बहुत अहमियत दी | उन्होंने नदियों के महत्व को समझा और समाज को नदियों के प्रति सकारात्मत भाव कैसा पैदा हो, एक संस्कार कैसे बनें , नदी के साथ संस्कृति की धारा, नदी के साथ संस्कार की धारा , नदी के साथ समाज को जोड़ने का प्रयास ये निरंतर चलता रहा और मजेदार बात ये है कि समाज नदियों से भी जुड़ा और आपस में भी जुड़ा | पिछले साल तमिलनाडु के तामीर बरनी नदी पर पुष्करम हुआ था | इस वर्ष यह ब्रह्मपुत्र नदी पर आयोजित हुआ और आने वाले साल तुंगभद्रा नदी आँध्रप्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में आयोजित होगा | एक तरह से आप इन बारह स्थानों की यात्रा एक Tourist circuit के रूप में भी कर सकते हैं | यहाँ मैं असम के लोगों की गर्मजोशी उनके आतिथ्य की सराहना करना चाहता हूँ जिन्होंने पूरे देश से आये तीर्थयात्रियों का बहुत सुन्दर सत्कार किया | आयोजकों ने स्वच्छता का भी पूरा ख्याल रखा | plastic free zone सुनिश्चित किये | जगह-जगह Bio Toilets की भी व्यवस्था की | मुझे उम्मीद है कि नदियों के प्रति इस प्रकार का भाव जगाने का ये हज़ारों साल पुराना हमारा उत्सव भावी पीढ़ी को भी जोड़े | प्रकृति, पर्यावरण, पानी ये सारी चीजें हमारे पर्यटन का भी हिस्सा बनें, जीवन का भी हिस्सा बनें |
मेरे प्यारे देशवासियों Namo App पर मध्यप्रदेश से बेटी श्वेता लिखती है, और उसने लिखा है, सर, मैं क्लास 9th में हूँ मेरी बोर्ड की परीक्षा में अभी एक साल का समय है लेकिन मैं students और exam warriors के साथ आपकी बातचीत लगातार सुनती हूँ, मैंने आपको इसलिए लिखा है क्योंकि आपने हमें अब तक ये नहीं बताया है कि अगली परीक्षा पर चर्चा कब होगी | कृपया आप इसे जल्द से जल्द करें | अगर, सम्भव हो तो, जनवरी में ही इस कार्यक्रम का आयोजन करें | साथियो, ‘मन की बात’ के बारे में मुझे यही बात बहुत अच्छी लगती है - मेरे युवा-मित्र, मुझे, जिस अधिकार और स्नेह के साथ शिकायत करते हैं, आदेश देते हैं, सुझाव देते हैं - यह देख कर मुझे बहुत खुशी होती है | श्वेता जी, आपने बहुत ही सही समय पर इस विषय को उठाया है | परीक्षाएँ आने वाली हैं, तो, हर साल की तरह हमें परीक्षा पर चर्चा भी करनी है | आपकी बात सही है इस कार्यक्रम को थोड़ा पहले आयोजित करने की आवश्यकता है !
पिछले कार्यक्रम के बाद कई लोगों ने इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए अपने सुझाव भी भेजे हैं, और, शिकायत भी की थी कि पिछली बार देर से हुआ था, परीक्षा एकदम से निकट आ गई थी | और श्वेता का सुझाव सही है कि मुझे, इसको, जनवरी में करना चाहिए HRD Ministry और MyGov की टीम, मिलकर, इस पर काम कर रही हैं | लेकिन, मैं, कोशिश करुगां, इस बार परीक्षा पर चर्चा जनवरी की शुरू में या बीच में हो जाए | देश भर के विद्यार्थियों-साथियों के पास दो अवसर हैं | पहला, अपने स्कूल से ही इस कार्यक्रम का हिस्सा बनना | दूसरा, यहाँ दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में भाग लेना | दिल्ली के लिए देश-भर से विद्यार्थियों का चयन MyGov के माध्यम से किया जाएगा | साथियो, हम सबको मिलकर परीक्षा के भय को भगाना है | मेरे युवा-साथी परीक्षाओं के समय हँसते-खिलखिलाते दिखें, Parents तनाव मुक्त हों, Teachers आश्वस्त हों, इसी उद्देश्य को लेकर, पिछले कई सालों से, हम, ‘मन की बात’ के माध्यम से ‘परीक्षा पर चर्चा’ Town Hall के माध्यम से या फिर Exam Warrior’s Book के माध्यम से लगातार प्रयास कर रहें हैं | इस मिशन को देश-भर के विद्यार्थियों ने, Parents ने, और Teachers ने गति दी इसके लिए मैं इन सबका आभारी हूँ, और, आने वाली परीक्षा चर्चा का कार्यक्रम हम सब मिलकर के मनाएँ - आप सब को निमंत्रण हैं |
साथियो, पिछले ‘मन की बात’ में हमने 2010 में अयोध्या मामले में आये इलाहाबाद हाई कोर्ट के Judgement के बारे में चर्चा की थी, और, मैंने कहा था कि देश ने तब किस तरह से शांति और भाई-चारा बनाये रखा था | निर्णय आने के पहले भी, और, निर्णय आने के बाद भी | इस बार भी, जब, 9 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट का Judgement आया, तो 130 करोड़ भारतीयों ने, फिर से ये साबित कर दिया कि उनके लिए देशहित से बढ़कर कुछ नहीं है | देश में, शांति, एकता और सदभावना के मूल्य सर्वोपरि हैं | राम मंदिर पर जब फ़ैसला आया तो पूरे देश ने उसे दिल खोलकर गले लगाया | पूरी सहजता और शांति के साथ स्वीकार किया | आज, ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं देशवासियों को साधुवाद देता हूँ, धन्यवाद देना चाहता हूँ | उन्होंने, जिस प्रकार के धैर्य, संयम और परिपक्वता का परिचय दिया है, मैं, उसके लिए विशेष आभार प्रकट करना चाहता हूँ | एक ओर, जहाँ, लम्बे समय के बाद कानूनी लड़ाई समाप्त हुई है, वहीं, दूसरी ओर, न्यायपालिका के प्रति, देश का सम्मान और बढ़ा है | सही मायने में ये फैसला हमारी न्यायपालिका के लिए भी मील का पत्थर साबित हुआ है | सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद, अब देश, नई उम्मीदों और नई आकांशाओं के साथ नए रास्ते पर, नये इरादे लेकर चल पड़ा है | New India, इसी भावना को अपनाकर शांति, एकता और सदभावना के साथ आगे बढ़े - यही मेरी कामना है, हम सबकी कामना है |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारी सभ्यता, संस्कृति और भाषाएं पूरे विश्व को, विविधता में, एकता का सन्देश देती हैं | 130 करोड़ भारतीयों का ये वो देश है, जहाँ कहा जाता था, कि, ‘कोस-कोस पर पानी बदले और चार कोस पर वाणी’ | हमारी भारत भूमि पर सैकड़ों भाषाएँ सदियों से पुष्पित पल्लवित होती रही हैं | हालाँकि, हमें इस बात की भी चिंता होती है कि कहीं भाषाएँ और बोलियाँ ख़त्म तो नहीं हो जाएगी ! पिछले दिनों, मुझे, उत्तराखंड के धारचुला की कहानी पढ़ने को मिली | मुझे काफी संतोष मिला | इस कहानी से पता चलता है कि किस प्रकार लोग अपनी भाषाओँ, उसे बढ़ावा देने के लिए, आगे आ रहें है | कुछ, Innovative कर रहें हैं धारचुला खबर मैंने, मेरा, ध्यान भी, इसलिए गया कि किसी समय, मैं, धारचूला में आते-जाते रुका करता था | उस पार नेपाल, इस पार कालीगंगा - तो स्वाभाविक धारचूला सुनते ही, इस खबर पर, मेरा ध्यान गया | पिथौरागढ़ के धारचूला में, रंग समुदाय के काफ़ी लोग रहते हैं, इनकी, आपसी बोल-चाल की भाषा रगलो है | ये लोग इस बात को सोचकर अत्यंत दुखी हो जाते थे कि इनकी भाषा बोलने वाले लोग लगातार कम होते जा रहे हैं - फिर क्या था, एक दिन, इन सबने, अपनी भाषा को बचाने का संकल्प ले लिया | देखते-ही-देखते इस मिशन में रंग समुदाय के लोग जुटते चले गए | आप हैरान हो जायेंगे, इस समुदाय के लोगों की संख्या, गिनती भर की है | मोटा-मोटा अंदाज़ कर सकते हैं कि शायद दस हज़ार हो, लेकिन, रंग भाषा को बचाने के लिए हर कोई जुट गया, चाहे, चौरासी साल के बुज़ुर्ग दीवान सिंह हों या बाईस वर्ष की युवा वैशाली गर्ब्याल प्रोफेसर हों या व्यापारी, हर कोई, हर संभव कोशिश में लग गया | इस मिशन में, सोशल मिडिया का भी भरपूर उपयोग किया गया | कई Whatsapp group बनाए गए | सैकड़ों लोगों को, उस पर भी, जोड़ा गया | इस भाषा की कोई लिपि नहीं है | सिर्फ, बोल-चाल में ही एक प्रकार से इसका चलन है | ऐसे में, लोग कहानियाँ, कवितायेँ और गाने पोस्ट करने लगे | एक-दूसरे की भाषा ठीक करने लगे | एक प्रकार से Whatsapp ही classroom बन गया जहाँ हर कोई शिक्षक भी है और विद्यार्थी भी ! रंगलोक भाषा को संरक्षित करने का एक इस प्रयास में है | तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, पत्रिका निकाली जा रही है और इसमें सामाजिक संस्थाओं की भी मदद मिल रही है |
साथियो, ख़ास बात ये भी है कि संयुक्त राष्ट्र ने 2019 यानी इस वर्ष को ‘International Year of Indigenous Languages’ घोषित किया है | यानी उन भाषाओँ को संरक्षित करने पर जोर दिया जा रहा है जो विलुप्त होने के कगार पर है | डेढ़-सौ साल पहले, आधुनिक हिंदी के जनक, भारतेंदु हरीशचंद्र जी ने भी कहा था :-
“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल,
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल ||”
अर्थात, मातृभाषा के ज्ञान के बिना उन्नति संभव नहीं है | ऐसे में रंग समुदाय की ये पहल पूरी दुनिया को एक राह दिखाने वाली है | यदि आप भी इस कहानी से प्रेरित हुए हैं, तो, आज से ही, अपनी मातृभाषा या बोली का खुद उपयोग करें | परिवार को, समाज को प्रेरित करें |
19वीं शताब्दी के आखरी काल में महाकवि सुब्रमण्यम भारती जी नें कहा था और तमिल में कहा था | वो भी हम लोगों के लिए बहुत ही प्रेरक है | सुब्रमण्यम भारती जी ने तमिल भाषा में कहा था -
मुप्पदु कोडि मुगमुडैयाळ् उयिर्,
मोईम्बुर ओन्ड्रुडैयाळ् – इवळ्,
सेप्पु मोऴि पतिनेट्टुडैयाळ् एनिर्,
सिन्तनै ओन्रुडैयाळ्॥
(muppadhu KOdi mugamudayAL, uyir,
moymbura ondrudaiyAL – ivaL,
seppu mozhi pathinettudaiyAL enir,
sinthanai ondrudaiyAL.)
और उस समय ये 19वीं शताब्दी के ये आखरी उत्तरार्ध की बात है | और उन्होंने कहा है भारत माता के 30 करोड़ चेहरे हैं, लेकिन शरीर एक है | यह 18 भाषाएँ बोलती हैं, लेकिन सोच एक है |
मेरे प्यारे देशवासियो, कभी-कभी जीवन में, छोटी-छोटी चीज़ें भी हमें बहुत बड़ा सन्देश दे जाती हैं | अब देखिये न, media में ही scuba divers की एक story पढ़ रहा था | एक ऐसी कहानी है जो हर भारतवासी को प्रेरित करने वाली है | विशाखापत्तनम में गोताखोरी का प्रशिक्षण देने वाले scuba divers एक दिन mangamaripeta beach पर समुद्र से लौट रहे थे तो समुद्र में तैरती हुई कुछ प्लास्टिक की बोतलों और pouch से टकरा रहे थे | इसे साफ़ करते हुए उन्हें मामला बड़ा गंभीर लगा | हमारा समुद्र किस प्रकार से कचरे से भर दिया जा रहा है | पिछले कई दिनों से ये गोताखोर समुद्र में, तट के, करीब 100 मीटर दूर जाते है, गहरे पानी में गोता लगाते हैं और फिर वहाँ मौजूद कचरे को बाहर निकालते हैं | और मुझे बताया गया है कि 13 दिनों में ही, यानी 2 सप्ताह के भीतर-भीतर, करीब-करीब 4000 किलो से अधिक plastic waste उन्होंने समुद्र से निकाला है | इन scuba divers की छोटी- सी शुरुआत एक बड़े अभियान का रूप लेती जा रही है | इन्हें अब स्थानीय लोगों की भी मदद मिलने लगी है | आस-पास के मछुआरें भी उन्हें हर प्रकार की सहायता करने लगे है | जरा सोचिये, इस scuba divers से प्रेरणा लेकर, अगर, हम भी, सिर्फ अपने आस-पास के इलाके को प्लास्टिक के कचरे से मुक्त करने का संकल्प कर लें तो फिर ‘प्लास्टिक मुक्त भारत’ पूरी दुनिया के लिए एक नई मिसाल पेश कर सकता है |
मेरे प्यारे देशवासियो, दो दिन बाद 26 नवम्बर है | यह दिन पूरे देश के लिए बहुत ख़ास है | हमारे गणतंत्र के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन को हम ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाते हैं | और इस बार का ‘संविधान दिवस’ अपने आप में विशेष है, क्योंकि, इस बार संविधान को अपनाने के 70 वर्ष पूरे हो रहे हैं | इस बार इस अवसर पर पार्लियामेंट में विशेष आयोजन होगा और फिर साल भर पूरे देशभर में अलग-अलग कार्यक्रम होंगे | आइये, इस अवसर पर हम संविधान सभा के सभी सदस्यों को आदरपूर्वक नमन् करें, अपनी श्रद्धा अर्पित करें | भारत का संविधान ऐसा है जो प्रत्येक नागरिक के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करता है और यह हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता की वजह से ही सुनिश्चित हो सका है | मैं कामना करता हूँ कि ‘संविधान दिवस’ हमारे संविधान के आदर्शों को कायम रखने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की हमारी प्रतिबद्धता को बल दे | आखिर ! यही सपना तो हमारे संविधान निर्माताओं ने देखा था|
मेरे प्यारे देशवासियो, ठंड का मौसम शुरू हो रहा है, गुलाबी ठंड अब महसूस हो रही है | हिमालय के कुछ भाग बर्फ की चादर ओढ़ना शुरू किये हैं लेकिन ये मौसम ‘Fit India Movement’ का है | आप, आपका परिवार, आपके मित्रवार्तूर आपके साथी, मौका मत गंवाइये | ‘Fit India Movement’ को आगे बढ़ाने के लिए मौसम का भरपूर फ़ायदा उठाइए |बहुत-बहुत शुभकामनाएँ | बहुत-बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | आज दीपावली का पावन पर्व है | आप सबको दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं | हमारे यहाँ कहा गया है -
शुभम् करोति कल्याणं आरोग्यं धनसम्पदाम |
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोस्तुते |
कितना उत्तम सन्देश है | इस श्लोक में कहा है – प्रकाश जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि लेकर के आता है, जो, विपरीत बुद्धि का नाश करके, सदबुद्धि दिखाता है | ऐसी दिव्यज्योति को मेरा नमन | इस दीपावली को याद रखने के लिए इससे बेहतर विचार और क्या हो सकता है कि हम प्रकाश को विस्तार दें, positivity का प्रसार करें और शत्रुता की भावना को ही नष्ट करने की प्रार्थना करें ! आजकल दुनिया के अनेक देशों में दिवाली मनायी जाती है | विशेष बात यह कि इसमें सिर्फ भारतीय समुदाय शामिल होता है, ऐसा नहीं है बल्कि अब कई देशों की सरकारें, वहां के नागरिक, वहां के सामाजिक संगठन दिवाली को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं | एक प्रकार से वहां ‘भारत’ खड़ा कर देते हैं |
साथियो, दुनिया में festival tourism का अपना ही आकर्षण है | हमारा भारत, जो country of festivals है, उसमें festival tourism की भी अपार संभावनाएँ हैं | हमारा प्रयास होना चाहिये कि होली हो, दिवाली हो, ओणम हो, पोंगल हो, बिहु हो, इन जैसे त्योहारों का प्रसार करें और त्योहारों की खुशियों में, अन्य राज्यों, अन्य देशों के लोगों को भी शामिल करें | हमारे यहाँ तो हर राज्य, हर क्षेत्र के अपने-अपने इतने विभिन्न उत्सव होते हैं – दूसरे देशों के लोगों की तो इनमें बहुत दिलचस्पी होती है | इसलिए, भारत में festival tourism बढ़ाने में, देश के बाहर रहने वाले भारतीयों की भूमिका भी बहुत अहम है |
मेरे प्यारे देशवासियो, पिछली ‘मन की बात’ में हमने तय किया था कि इस दीपावली पर कुछ अलग करेंगे | मैंने कहा था – आइये, हम सभी इस दीपावली पर भारत की नारी शक्ति और उनकी उपलब्धियों को celebrate करें, यानी भारत की लक्ष्मी का सम्मान | और देखते ही देखते, इसके तुरंत बाद, social media पर अनगिनत inspirational stories का अम्बार लग गया | Warangal के Kodipaka Ramesh ने NamoApp पर लिखा कि मेरी माँ मेरी शक्ति है | Nineteen Ninty में, 1990 में, जब मेरे पिताजी का निधन हो गया था, तो मेरी माँ ने ही पाँचों बेटों की जिम्मेदारी उठायी | आज हम पाँचों भाई अच्छे profession में हैं | मेरी माँ ही मेरे लिये भगवान है | मेरे लिये सब कुछ है और वो सही अर्थ में भारत की लक्ष्मी है |
रमेश जी, आपकी माताजी को मेरी प्रणाम | Twitter पर active रहने वाली गीतिका स्वामी का कहना है कि उनके लिये मेजर खुशबू कंवर ‘भारत की लक्ष्मी है’ जो bus conductor की बेटी है और उन्होंने असम Rifles की All - Women टुकड़ी का नेतृत्व किया था | कविता तिवारी जी के लिए तो भारत की लक्ष्मी, उनकी बेटी हैं, जो उनकी ताकत भी है | उन्हें गर्व है कि उनकी बेटी बेहतरीन painting करती है | उसने CLAT की परीक्षा में बहुत अच्छी rank भी हासिल की है | वहीं मेघा जैन जी ने लिखा है कि Ninety Two Year की, 92 साल की एक बुजुर्ग महिला, वर्षों से ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को मुफ्त में पानी पिलाती है | मेघा जी, इस भारत की लक्ष्मी की विनम्रता और करुणा से काफी प्रेरित हुई हैं | ऐसी अनेक कहानियाँ लोगों ने share की हैं | आप जरुर पढ़िये, प्रेरणा लीजिये और खुद भी ऐसा ही कुछ अपने आस-पास से share कीजिये और मेरा, भारत की इन सभी लक्ष्मियों को आदरपूर्वक नमन है |
मेरे प्यारे देशवासियो, 17वीं शताब्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री साँची होनम्मा (Sanchi Honnamma), उन्होंने, 17वीं शताब्दी में, कन्नड़ भाषा में, एक कविता लिखी थी | वो भाव, वो शब्द, भारत की हर लक्ष्मी, ये जो हम बात कर रहे हैं ना ! ऐसा लगता है, जैसे कि उसका foundation 17वीं शताब्दी में ही रच दिया गया था | कितने बढ़िया शब्द, कितने बढ़िया भाव और कितने उत्तम विचार, कन्नड़ भाषा की इस कविता में हैं |
पैन्निदा पर्मेगोंडनू हिमावंतनु,
पैन्निदा भृगु पर्चिदानु
पैन्निदा जनकरायनु जसुवलीदनू
(Penninda permegondanu himavantanu.
Penninda broohu perchidanu
Penninda janakaraayanu jasuvalendanu)
अर्थात हिमवन्त यानी पर्वतराजा ने अपनी बेटी पार्वती के कारण, ऋषि भृगु ने अपनी बेटी लक्ष्मी के कारण और राजा जनक ने अपनी बेटी सीता के कारण प्रसिद्धि पायी | हमारी बेटियाँ, हमारा गौरव हैं और इन बेटियों के महात्मय से ही, हमारे समाज की, एक मजबूत पहचान है और उसका उज्ज्वल भविष्य है |
मेरे प्यारे देशवासियो, 12 नवंबर, 2019 – यह वो दिन है, जिस दिन दुनिया भर में, श्री गुरुनानक देव जी का 550वाँ प्रकाश उत्सव मनाया जाएगा | गुरुनानक देव जी का प्रभाव भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व मे है | दुनिया के कई देशों में हमारे सिख भाई-बहन बसे हुए हैं जो गुरुनानकदेव जी के आदर्शों के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं | मैं वैंकूवर (Vancouver) और तेहरान (Tehran) में गुरुद्वारों की अपनी यात्राओं को कभी नहीं भूल सकता | श्री गुरुनानकदेव जी बारे में ऐसा बहुत कुछ है जिसे मैं आपके साथ साझा कर सकता हूँ, लेक