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मेरे प्यारे देशवासियो,नमस्कार |
‘मन की बात’ में एक बार फिर, आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है | इस बार ‘मन की बात’ का ये एपिसोड 2nd century का प्रारंभ है | पिछले महीने हम सभी ने इसकी special century को Celebrate किया है | आपकी भागीदारी ही इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी ताकत है | 100वें एपिसोड के Broadcast के समय, एक प्रकार से पूरा देश एक सूत्र में बंध गया था | हमारे सफाईकर्मी भाई-बहन हों या फिर अलग-अलग sectors के दिग्गज, ‘मन की बात’ ने सबको एक साथ लाने का काम किया है| आप सभी ने जो आत्मीयता और स्नेह ‘मन की बात’ के लिए दिखाया है, वो अभूतपूर्व है, भावुक कर देने वाला है |
जब ‘मन की बात’ का प्रसारण हुआ, तो उस समय दुनिया के अलग-अलग देशों में, अलग-अलग Time zone में, कहीं शाम हो रही थी तो कहीं देर रात थी, इसके बावजूद, बड़ी संख्या में लोगों ने 100वें एपिसोड को सुनने के लिए समय निकाला | मैंने हजारों मील दूर New Zealand का वो विडियो भी देखा, जिसमें 100 वर्ष की एक माताजी अपना आशीर्वाद दे रही हैं | ‘मन की बात’ को लेकर देश-विदेश के लोगों ने अपने विचार रखे हैं | बहुत सारे लोगों ने Constructive Analysis भी किया है | लोगों ने इस बात को appreciate किया है कि ‘मन की बात’ में देश और देशवासियो की उपलब्धियों की ही चर्चा होती है | मैं एक बार फिर आप सभी को इस आशीर्वाद के लिए पूरे आदर के साथ धन्यवाद देता हूं |
मेरे प्यारे देशवासियो, बीते दिनों हमने ‘मन की बात’ में काशी- तमिल संगमम की बात की, सौराष्ट्र-तमिल संगमम की बात की | कुछ समय पहले ही वाराणसी में, काशी-तेलुगू संगमम भी हुआ | एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को ताकत देने वाला ऐसे ही एक और अनूठा प्रयास देश में हुआ है | ये प्रयास है, युवा संगम का | मैंने सोचा, इस बारे में विस्तार से क्यों न उन्हीं लोगों से पूछा जाए, जो इस अनूठे प्रयास का हिस्सा रहे हैं | इसलिए अभी मेरे साथ फ़ोन पर दो युवा जुड़े हुए हैं - एक हैं अरुणाचल प्रदेश के ग्यामर न्योकुम जी और दूसरी बेटी है बिहार की बिटिया विशाखा सिंह जी | आइए पहले हम ग्यामर न्योकुम से बात करते हैं |
प्रधानमंत्री जी : ग्यामर जी, नमस्ते !
ग्यामर जी : नमस्ते मोदी जी !
प्रधानमंत्री जी : अच्छा ग्यामर जी जरा सबसे पहले तो मैं आपके
विषय में जानना चाहता हूँ |
ग्यामर जी – मोदी जी सबसे पहले तो मैं आपका और भारत सरकार का बहुत ही ज्यादा आभार व्यक्त करता हूँ, कि आपने बहुत कीमती Time निकाल के मुझ से बात करने का मुझे मौका दिया मैं National Institute Of Technology, Arunachal Pradesh में First year में Mechanical Engineering में पढ़ रहा हूँ
प्रधानमंत्री जी : और परिवार में क्या करते हैं पिताजी वगैरह |
ग्यामर जी : जी मेरे पिताजी छोटे मोटे business और उसके बाद
कुछ farming में सब करते हैं |
प्रधानमंत्री जी : युवा संगम के लिए आपको पता कैसे चला, युवा
संगम में गए कहाँ, कैसे गए, क्या हुआ ?
ग्यामर जी : मोदी जी मुझे युवा संगम का हमारे जो institution हैं
जो NIT हैं उन्होंने हमें बताया था कि आप इसमें भाग ले सकते हैं | तो मैंने फिर थोड़ा internet में खोज किया फिर मुझे पता चला कि ये बहुत ही अच्छा Programme है जिसने मुझे एक भारत श्रेष्ठ भारत का जो visionहै उसमें भी बहुत ही योगदान दे सकते हैं और मुझे कुछ नया चीज़ जानने का मौका मिलेगा ना, तो तुरंत, मैंने, फिर, उसमें website में जाके enrol किया | मेरा अनुभव बहुत ही मजेदार रहा, बहुत ही अच्छा था |
प्रधानमंत्री जी : कोई selection आप को करना था?
ग्यामर जी : मोदी जी जब website खोला था तो अरुणाचल वालों
के लिए दो option था | पहला था आँध्रप्रदेश जिसमें IIT तिरुपति था और दूसरा था Central University, Rajasthan तो मैंने राजस्थान में किया था अपना First preference, Second Preference मैंने IIT तिरुपति किया था | तो मुझे राजस्थान के लिए select हुआ था | तो मैं राजस्थान गया था |
प्रधानमंत्री जी : कैसा रहा आपका राजस्थान यात्रा? आप पहली बार राजस्थान गए थे!
ग्यामर जी : हाँ मैं पहली बार अरुणाचल से बाहर गया था मैंने तो जो राजस्थान के किले ये सब तो मैंने बस फिल्म और फ़ोन में ही देखा था न, तो, मैंने, जब, पहली बार गया तो मेरा experience बहुत ही वहां के लोग बहुत ही अच्छे थे और जो हमें treatment दिया बहुत ही ज्यादा अच्छे थे | क्या हमें नया-नया चीज़ सीखने को मिला मुझे राजस्थान के बड़े झील और उधर के लोग जैसे कि rain water harvesting बहुत कुछ नया-नया चीज़ सीखने को मिला, जो मुझे बिलकुल ही मालूम नहीं था, तो, ये programme मुझे बहुत ही अच्छा था, राजस्थान का visit |
प्रधानमंत्री जी : देखिये आपको तो सबसे बड़ा फायदा ये हुआ है, कि,अरुणाचल में भी वीरों की भूमि है, राजस्थान भी वीरों की भूमि है और राजस्थान से सेना में भी बहुत बड़ी संख्या में लोग हैं, और अरुणाचल में सीमा पर जो सैनिक हैं उसमें जब भी राजस्थान के लोग मिलेंगे तो आप जरुर उनसे बात करेंगे, कि देखिये,मैं राजस्थान गया था, ऐसा अनुभव था तो, आपकी तो निकटता, एकदम से बढ़ जाएगी | अच्छा आपको वहां कोई समानताएं भी ध्यान में आई होगी आपको लगता होगा हां यार ये अरुणाचल में भी तो ऐसा ही है |
ग्यामर जी : मोदी जी मुझे जो एक समानता मुझे मिली न वो थी कि जो देश प्रेम है ना और जो एक भारत श्रेष्ठ भारत का जो vision और जो feeling जो मुझे देखा, क्योंकि अरुणाचल में भी लोग अपने आप को बहुत ही गर्व महसूस करते हैं कि वो भारतीय हैं इसलिये और राजस्थान में भी लोग अपनी मातृ भूमि के लिए बहुत जो गर्व महसूस होता है वो चीज़ मुझे बहुत ही ज्यादा नज़र आया और specially जो युवा पीढ़ी है ना क्योंकि मैंने उधर में बहुत सारे युवा के साथ interact और बातचीत किया ना तो वो चीज़ जो मुझे बहुत similarity नज़र आया, जो वो चाहते हैं कि भारत के लिए जो कुछ करने का और जो अपने देश के लिए प्रेम है ना वो चीज़ मुझे बहुत ही दोनों ही राज्यों में बहुत ही similarity नज़र आया |
प्रधानमंत्री जी : तो वहां जो मित्र मिले हैं उनसे परिचय बढ़ाया कि
आकर के भूल गए?
ग्यामर जी : नहीं, हमने बढ़ाया परिचय किया |
प्रधानमंत्री जी : हाँ...! तो आप Social Media में active है ?
ग्यामर जी : जी मोदी जी, मैं active हूँ |
प्रधानमंत्री जी : तो आपने Blog लिखना चाहिए, अपना ये युवा संगम
का अनुभव कैसा रहा, आपने उसमें enrol कैसे किया, राजस्थान में अनुभव कैसा रहा ताकि देशभर के युवाओं को पता चले कि एक भारत श्रेष्ठ भारत का माहात्मय क्या है, ये योजना क्या है ? उसका फायदा युवक कैसे ले सकते हैं, पूरा अपने experience का blog लिखना चाहिए, तो बहुत लोगों को पढ़ने के लिए काम आयेगा |
ग्यामर जी : जी मैं जरुर करूँगा |
प्रधानमंत्री जी : ग्यामर जी, बहुत अच्छा लगा आपसे बात कर करके,
और आप सब युवा देश के लिए, देश के उज्जवल भविष्य के लिए, क्योंकि ये 25 साल अत्यंत महत्वपूर्ण हैं - आपके जीवन के भी और देश के जीवन के भी, तो मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएं है धन्यवाद |
ग्यामर जी : धन्यवाद मोदी जी आपको भी |
प्रधानमंत्री जी : नमस्कार, भईया |
साथियो, अरुणाचल के लोग इतनी आत्मीयता से भरे होते हैं, कि उनसे बात करते हुए, मुझे, बहुत आनंद आता है | युवा संगम में ग्यामर जी का अनुभव तो बेहतरीन रहा | आइये, अब बिहार की बेटी विशाखा सिंह जी से बात करते हैं |
प्रधानमंत्री जी : विशाखा जी, नमस्कार |
विशाखा जी : सर्वप्रथम तो भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी कोमेरा प्रणाम और मेरे साथ सभी Delegates की तरफ़ से आप को बहुत-बहुत प्रणाम |
प्रधानमंत्री जी : अच्छा विशाखा जी पहले अपने बारे में बताइए | फिर मुझे युवा संगम के विषय में भी जानना है |
विशाखा जी : मैं बिहार के सासाराम नाम के शहर की निवासी हूँ और मुझे युवा संगम के बारे में मेरे कॉलेज के WhatsApp group के message के through पता चला था सबसे पहले | तो, उसके बाद फिर मैंने पता करा इसके बारे में और detail निकाली कि ये क्या है ? तो मुझे पता चला कि ये प्रधानमंत्री जी की एक scheme ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के through युवा संगम है | तो उसके बाद मैंने apply करा और जब मैंने apply करा तो मैं excited थी इससे join होने के लिए लेकिन जब वहाँ से घूम के तमिलनाडु जा के वापस आई | वो जो exposure मैंने gain किया उसके बाद मुझे अभी बहुत ज्यादा ऐसा proud feel होता है that I have been the part of this programme, तो मुझे बहुत ही ज्यादा ख़ुशी है उस programme में part लेने की और मैं तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूँ आपका कि आपने हमारे जैसे युवाओं के लिए इतना बेहतरीन programme बनाया जिससे हम भारत के विभिन्न भागों के culture को adapt कर सकते हैं |
प्रधानमंत्री जी : विशाखा जी, आप क्या पढ़ती हैं?
विशाखा जी : मैं Computer Science Engineering की Second Year की छात्रा हूँ |
प्रधानमंत्री जी : अच्छा विशाखा जी, आपने किस राज्य में जाना है, कहाँ जुड़ना है ? वो निर्णय कैसे किया ?
विशाखा जी : जब मैंने ये युवा संगम के बारे में search करना शुरू किया Google पर, तभी मुझे पता चल गया था कि बिहार के delegates को तमिलनाडु के delegates के साथ exchange किया जा रहा है | तमिलनाडु काफी rich cultural state है हमारे country का तो उस time भी जब मैंने ये जाना, ये देखा कि बिहार वालों को तमिलनाडु भेजा जा रहा है तो इसने भी मुझे बहुत ज्यादा मदद किया ये decision लेने में कि मुझे form fill करना चाहिए, वहाँ जाना चाहिए या नहीं और मैं सच में आज बहुत ज्यादा गौरवान्वित महसूस करती हूँ कि मैंने इसमें part लिया और मुझे बहुत खुशी है |
प्रधानमंत्री जी : आपका पहली बार जाना हुआ तमिलनाडु?
विशाखा जी : जी, मैं पहली बार गई थी |
प्रधानमंत्री जी : अच्छा, कोई ख़ास यादगार चीज अगर आप कहना चाहें तो क्या कहेंगें? देश के युवा सुन रहें हैं आपको|
विशाखा जी : जी, पूरा journey ही माने तो मेरे लिए बहुत ही ज्यादा बेहतरीन रहा है | एक-एक पड़ाव पर हमने बहुत ही अच्छी चीजें सीखी हैं | मैंने तमिलनाडु में जा के अच्छे दोस्त बनाए हैं | वहाँ के culture को adapt किया है | वहाँ के लोगों से मिली मैं | लेकिन सबसे ज्यादा अच्छी चीज जो मुझे लगी वहाँ पे वो पहली चीज़ तो ये कि किसी को भी मौका नहीं मिलता है ISRO में जाने का और हम delegates थे तो हमें ये मौका मिला था कि हम ISRO में जाएँ Plus दूसरी बात सबसे अच्छी थी वो जब हम राजभवन में गए और हम तमिलनाडु के राज्यपाल जी से मिले | तो वो दो moment जो था वो मेरे लिए काफी सही था और मुझे ऐसा लगता है कि जिस age में हम हैं as a youth हमें वो मौका नहीं मिल पाता जो कि युवा संगम के through मिला है | तो ये काफ़ी सही और सबसे यादगार moment था मेरे लिए |
प्रधानमंत्री जी :बिहार में तो खाने का तरीका अलग है, तमिलनाडु में खाने का तरीका अलग है |
विशाखा जी : जी |
प्रधानमंत्री जी : तो वो set हो गया था पूरी तरह ?
विशाखा जी : वहाँ जब हम लोग गए थे, तो South Indian Cuisine है वहाँ पे तमिलनाडु में | तो जैसे ही हम लोग गए थे तो वहाँ जाते के साथ हमें डोसा, इडली, सांभर, उत्तपम, वड़ा, उपमा ये सब serve किया गया था | तो पहले जब हमने try करा तो that was too good! वहाँ का खाना जो है वो बहुत ही healthy है actually बहुत ही ज्यादा taste में भी बेहतरीन है और हमारे North के खाने से बहुत ही ज्यादा अलग है तो मुझे वहाँ का खाना भी बहुत अच्छा लगा और वहाँ के लोग भी बहुत अच्छे लगे |
प्रधानमंत्री जी : तो अब तो दोस्त भी बन गए होंगे तमिलनाडु में ?
विशाखा जी : जी ! जी वहाँ पर हम रुके थे NIT Trichy में, उसके बाद IIT Madras में तो उन दोनों जगह के Students से तो मेरी दोस्ती हो गई है | Plus बीच में एक CII का Welcome Ceremony था तो वहां पे वहाँ के आस-पास के college के भी बहुत सारे students आये थे | तो वहाँ हमने उन students से भी interact किया और मुझे बहुत अच्छा लगा उन लोगों से मिल के, काफ़ी लोग तो मेरे दोस्त भी हैं | और कुछ delegate से भी मिले थे जो तमिलनाडु के delegate बिहार आ रहे थे तो हमारी बातचीत उनसे भी हुई थी और हम अभी भी आपस में बात करते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है |
प्रधानमंत्री जी : तो विशाखा जी, आप एक blog लिखिए और social media पर ये आपको पूरा अनुभव एक तो इस युवा संगम का फिर ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का और फिर तमिलनाडु में अपनापन जो मिला, जो आपको स्वागत-सत्कार हुआ | तमिल लोगों का प्यार मिला, ये सारी चीजें देश को बताइये आप | तो लिखोगी आप ?
विशाखा जी : जी जरुर !
प्रधानमंत्री जी : तो मेरी तरफ़ से आपको बहुत शुभकामना है और बहुत-बहुत धन्यवाद |
विशाखा जी : जी thank you so much | नमस्कार |
ग्यामर और विशाखा आपको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं | युवा संगम में आपने जो सीखा है, वो जीवनपर्यंत आपके साथ रहे | यही मेरी आप सबके प्रति शुभकामना है |
साथियो, भारत की शक्ति इसकी विविधता में है | हमारे देश में देखने के लिए बहुत कुछ है | इसी को देखते हुए Education Ministry ने ‘युवासंगम’ नाम से एक बेहतरीन पहल की है | इस पहल का उद्देश्य People to People Connect बढ़ाने के साथ ही देश के युवाओं को आपस में घुलने-मिलने का मौका देना | विभिन्न राज्यों के उच्च शिक्षा संस्थानों को इससे जोड़ा गया है | ‘युवासंगम’ में युवा दूसरे राज्यों के शहरों और गावों में जाते हैं, उन्हें अलग-अलग तरह के लोगों के साथ मिलने का मौका मिलता है | युवासंगम के First Round में लगभग 1200 युवा, देश के 22 राज्यों का दौरा कर चुके हैं | जो भी युवा इसका हिस्सा बने हैं, वे अपने साथ ऐसी यादें लेकर वापस लौट रहे हैं, जो जीवनभर उनके ह्रदय में बसी रहेंगी | हमने देखा है कि कई बड़ी कंपनियों के CEO, Business leaders, उन्होंने Bag-Packers की तरह भारत में समय गुजारा है | मैं जब दूसरे देशों के Leaders से मिलता हूँ, तो कई बार वो भी बताते हैं कि वो अपनी युवावस्था में भारत घूमने के लिए गए थे | हमारे भारत में इतना कुछ जानने और देखने के लिए है कि आपकी उत्सुकता हर बार बढ़ती ही जाएगी | मुझे उम्मीद है कि इन रोमांचक अनुभवों को जानकर आप भी देश के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा के लिए जरुर प्रेरित होंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन पहले ही मैं जापान में हिरोशिमा में था | वहां मुझे Hiroshima Peace Memorial museum में जाने का अवसर मिला | ये एक भावुक कर देने वाला अनुभव था | जब हम इतिहास की यादों को संजोकर रखते हैं तो वो आने वाली पीढ़ियों की बहुत मदद करता है| कई बार Museum में हमें नए सबक मिलते हैं तो कई बार हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है | कुछ दिन पहले ही भारत में International Museum Expo का भी आयोजन किया था | इसमें दुनिया के 1200 से अधिक Museums की विशेषताओं को दर्शाया गया | हमारे यहां भारत में अलग-अलग प्रकार के ऐसे कई Museums हैं, जो हमारे अतीत से जुड़े अनेक पहलुओं को प्रदर्शित करते हैं, जैसे, गुरुग्राम में एक अनोखा संग्रहालय है - Museo Camera, इसमें 1860 के बाद के 8 हजार से ज्यादा कैमरों का collection मौजूद है | तमिलनाडु के Museum of Possibilities को हमारे दिव्यांगजनों को ध्यान में रखकर, design किया गया है | मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय एक ऐसा museum है, जिसमें 70 हजार से भी अधिक चीजें संरक्षित की गई हैं | साल 2010 में स्थापित, Indian Memory Project एक तरह का Online museum है | ये जो दुनियाभर से भेजी गयी तस्वीरों और कहानियों के माध्यम से भारत के गौरवशाली इतिहास की कड़ियों को जोड़ने में जुटा है| विभाजन की विभिषिका से जुड़ी स्मृतियों को भी सामने लाने का प्रयास किया गया है | बीते वर्षों में भी हमने भारत में नए-नए तरह के museum और memorial बनते देखे हैं | स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी भाई–बहनों के योगदान को समर्पित 10 नए museum बनाए जा रहे हैं | कोलकाता के Victoria Memorial में बिप्लोबी भारत Gallery हो या फिर जलियावालां बाग memorial का पुनुरुद्धार, देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को समर्पित PM Museum भी आज दिल्ली की शोभा बढ़ा रहा है | दिल्ली में ही National War Memorial और Police Memorial में हर रोज अनेकों लोग शहीदों को नमन करने आते हैं | ऐतिहासिक दांडी यात्रा को समर्पित दांडी memorial हो या फिर Statue of Unity Museum. खैर, मुझे यहीं रुक जाना पड़ेगा क्योंकि देशभर में Museums की list काफ़ी लम्बी है और पहली बार देश में सभी museums के बारे में जरुरी जानकारियों को compile भी किया गया है | Museum किस Theme पर आधारित है, वहाँ किस तरह की वस्तुएं रखी हैं, वहां की contact details क्या है - ये सब कुछ एक online directory में समाहित है | मेरा आपसे आग्रह है कि आपको जब भी मौका मिले, अपने देश के इन Museums को देखने जरुर जाएँ | आप वहां की आकर्षक तस्वीरों को #(Hashtag) Museum Memories पर share करना भी ना भूलें | इससे अपनी वैभवशाली संस्कृति के साथ हम भारतीयों का जुड़ाव और मजबूत होगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, हम सबने एक कहावत कई बार सुनी होगी, बार-बार सुनी होगी - बिन पानी सब सून | बिना पानी जीवन पर संकट तो रहता ही है, व्यक्ति और देश का विकास भी ठप्प पड़ जाता है | भविष्य की इसी चुनौती को देखते हुए आज देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा रहा है | हमारे अमृत सरोवर, इसलिए विशेष हैं, क्योंकि, ये आजादी के अमृत काल में बन रहे हैं और इसमें लोगों का अमृत प्रयास लगा है | आपको जानकर अच्छा लगेगा कि अब तक 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों का निर्माण भी हो चुका है | ये जल संरक्षण की दिशा में बहुत बड़ा कदम है |
साथियो, हम हर गर्मी में इसी तरह, पानी से जुड़ी चुनौतियों के बारे में बात करते रहते हैं | इस बार भी हम इस विषय को लेंगे, लेकिन इस बार चर्चा करेंगे जल संरक्षण से जुड़े Start-Ups की | एक Start-Up है –FluxGen| ये Start-Up IOT enabled तकनीक के जरिए water management के विकल्प देता है | ये technology पानी के इस्तेमाल के patterns बताएगा और पानी के प्रभावी इस्तेमाल में मदद करेगा | एक और startup है LivNSense | ये artificial intelligence और machine learning पर आधारित platform है | इसकी मदद से water distribution की प्रभावी निगरानी की जा सकेगी | इससे ये भी पता चल सकेगा कि कहाँ कितना पानी बर्बाद हो रहा है | एक और Start-Up है ‘कुंभी कागज (Kumbhi Kagaz)’ | ये कुंभी कागज (Kumbhi Kagaz) एक ऐसा विषय है, मुझे पक्का विश्वास है, आपको भी बहुत पसंद आएगा | ‘कुंभी कागज’ (Kumbhi Kagaz) Start-Up उसने एक विशेष काम शुरू किया है | वे जलकुंभी से कागज बनाने का काम कर रहे हैं, यानी, जो जलकुंभी, कभी, जलस्त्रोतों के लिए एक समस्या समझी जाती थी, उसी से अब कागज बनने लगा है |
साथियो, कई युवा अगर innovation और technology के जरिए काम कर रहे हैं, तो कई युवा ऐसे भी हैं जो समाज को जागरूक करने के mission में भी लगे हुए हैं जैसे कि छत्तीसगढ़ में बालोद जिले के युवा हैं | यहाँ के युवाओं ने पानी बचाने के लिए एक अभियान शुरु किया है | ये घर-घर जाकर लोगों को जल-संरक्षण के लिए जागरूक करते हैं | कहीं शादी-ब्याह जैसा कोई आयोजन होता है, तो, युवाओं का ये group वहाँ जाकर, पानी का दुरूपयोग कैसे रोका जा सकता है, इसकी जानकारी देता है | पानी के सदुपयोग से जुड़ा एक प्रेरक प्रयास झारखंड के खूंटी जिले में भी हो रहा है | खूंटी में लोगों ने पानी के संकट से निपटने के लिए बोरी बाँध का रास्ता निकाला है | बोरी बांध से पानी इकट्ठा होने के कारण यहाँ साग-सब्जियाँ भी पैदा होने लगी हैं | इससे लोगों की आमदनी भी बढ़ रही है, और, इलाके की जरूरतें भी पूरी हो रहीं हैं | जनभागीदारी का कोई भी प्रयास कैसे कई बदलावों को साथ लेकर आता है, खूंटी इसका एक आकर्षक उदाहरण बन गया है | मैं, यहाँ के लोगों को इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, 1965 के युद्ध के समय, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था | बाद में अटल जी ने इसमें जय विज्ञान भी जोड़ दिया था | कुछ वर्ष पहले, देश के वैज्ञानिकों से बात करते हुए मैंने जय अनुसंधान की बात की थी | ‘मन की बात’ में आज बात एक ऐसे व्यक्ति की, एक ऐसी संस्था की, जो, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान, इन चारों का ही प्रतिबिंब है | ये सज्जन हैं, महाराष्ट्र के श्रीमान् शिवाजी शामराव डोले जी | शिवाजी डोले, नासिक जिले के एक छोटे से गाँव के रहने वाले हैं | वो गरीब आदिवासी किसान परिवार से आते हैं, और, एक पूर्व सैनिक भी हैं | फौज में रहते हुए उन्होंने अपना जीवन देश के लिए लगाया | Retire होने के बाद उन्होंने कुछ नया सीखने का फैसला किया और Agriculture में Diploma किया, यानी,वो, जय जवान से, जय किसान की तरफ बढ़ चले | अब हर पल उनकी कोशिश यही रहती है कि कैसे कृषि क्षेत्र में अपना अधिक से अधिक योगदान दें | अपने इस अभियान में शिवाजी डोले जी ने 20 लोगों की एक छोटी-सी Team बनाई और कुछ पूर्व सैनिकों को भी इसमें जोड़ा | इसके बाद उनकी इस Team ने Venkateshwara Co-Operative Power & Agro Processing Limited नाम की एक सहकारी संस्था का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया | ये सहकारी संस्था निष्क्रिय पड़ी थी, जिसे revive करने का बीड़ा उन्होंने उठाया | देखते ही देखते आज Venkateshwara Co-Operative का विस्तार कई जिलों में हो गया है |
आज ये team महाराष्ट्र और कर्नाटका में काम कर रही है | इससे करीब 18 हजार लोग जुड़े हैं, जिनमें काफी संख्या में हमारे Ex-Servicemen भी हैं | नासिक के मालेगाँव में इस team के सदस्य 500 एकड़ से ज्यादा जमीन में Agro Farming कर रहे हैं | ये team जल संरक्षण के लिए भी कई तालाब भी बनवाने में जुटी है | खास बात यह है कि इन्होंने Organic Farming और Dairy भी शुरू की है | अब इनके उगाए अंगूरों को यूरोप में भी export किया जा रहा है | इस team की जो दो बड़ी विशेषतायें हैं, जिसने मेरा ध्यान आकर्षित किया है, वो ये है - जय विज्ञान और जय अनुसंधान | इसके सदस्य technology और Modern Agro Practices का अधिक से अधिक उपयोग कर रहे हैं | दूसरी विशेषता ये है कि वे export के लिए जरुरी कई तरह के certifications पर भी focus कर रहे हैं | ‘सहकार से समृद्धि’ की भावना के साथ काम कर रही इस team की मैं सराहना करता हूँ | इस प्रयास से ना सिर्फ बड़ी संख्या में लोगों का सशक्तिकरण हुआ है, बल्कि, आजीविका के अनेक साधन भी बने हैं | मुझे उम्मीद है कि यह प्रयास ‘मन की बात’ के हर श्रोता को प्रेरित करेगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज 28 मई को, महान स्वतंत्रता सेनानी, वीर सावरकर जी की जयंती है | उनके त्याग, साहस और संकल्प-शक्ति से जुड़ी गाथाएँ आज भी हम सबको प्रेरित करती हैं | मैं, वो दिन भूल नहीं सकता, जब मैं, अंडमान में, उस कोठरी में गया था जहाँ वीर सावरकर ने कालापानी की सजा काटी थी | वीर सावरकर का व्यक्तित्व दृढ़ता और विशालता से समाहित था | उनके निर्भीक और स्वाभिमानी स्वाभाव को गुलामी की मानसिकता बिल्कुल भी रास नहीं आती थी | स्वतंत्रता आंदोलन ही नहीं, सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए भी वीर सावरकर ने जितना कुछ किया उसे आज भी याद किया जाता है |
साथियो, कुछ दिन बाद 4 जून को संत कबीरदास जी की भी जयंती है | कबीरदास जी ने जो मार्ग हमें दिखाया है, वो आज भी उतना ही प्रासंगिक है | कबीरदास जी कहते थे,“कबीरा कुआँ एक है, पानी भरे अनेक |
बर्तन में ही भेद है, पानी सब में एक ||”
यानी, कुएं पर भले भिन्न-भिन्न तरह के लोग पानी भरने आए, लेकिन, कुआँ किसी में भेद नहीं करता, पानी तो सभी बर्तनों में एक ही होता है | संत कबीर ने समाज को बांटने वाली हर कुप्रथा का विरोध किया, समाज को जागृत करने का प्रयास किया | आज, जब देश विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो हमें, संत कबीर से प्रेरणा लेते हुए, समाज को सशक्त करने के अपने प्रयास और बढ़ाने चाहिए |
मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं आपसे देश की एक ऐसी महान हस्ती के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ जिन्होंने राजनीति और फिल्म जगत में अपनी अद्भुत प्रतिभा के बल पर अमिट छाप छोड़ी | इस महान हस्ती का नाम है एन.टी. रामाराव, जिन्हें हम सभी, एन.टी.आर(NTR) के नाम से भी जानते हैं | आज, एन.टी.आर की 100वीं जयंती है | अपनी बहुमुखी प्रतिभा के बल पर वो न सिर्फ तेलुगु सिनेमा के महानायक बने, बल्कि उन्होंने, करोड़ो लोगों का दिल भी जीता | क्या आपको मालूम है कि उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया था? उन्होंने कई ऐतिहासिक पात्रों को अपने अभिनय के दम पर फिर से जीवंत कर दिया था | भगवान कृष्ण, राम और ऐसी कई अन्य भूमिकाओं में एन.टी.आर की acting को लोगों ने इतना पसंद किया कि लोग उन्हें आज भी याद करते हैं | एन.टी.आर ने सिनेमा जगत के साथ-साथ राजनीति में भी अपनी अलग पहचान बनाई थी | यहाँ भी उन्हें लोगों का भरपूर प्यार और आशीर्वाद मिला | देश-दुनिया में लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाले एन.टी. रामाराव जी को मैं अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में इस बार इतना ही | अगली बार कुछ नए विषयों के साथ आपके बीच आऊँगा, तब तक कुछ इलाकों में गर्मी और ज्यादा बढ़ चुकी होगी | कहीं-कहीं पर बारिश भी शुरू हो जाएगी | आपको मौसम की हर परिस्थिति में अपनी सेहत का ध्यान रखना है | 21 जून को हम ‘World Yoga Day’ भी मनाएंगे | उसकी भी देश-विदेश में तैयारियां चल रही हैं | आप इन तैयारियों के बारे में भी अपने ‘मन की बात’ मुझे लिखते रहिए | किसी और विषय पर कोई और जानकारी अगर आपको मिले तो वो भी मुझे बताइयेगा | मेरा प्रयास ज्यादा से ज्यादा सुझावों को ‘मन की बात’ में लेने का रहेगा | एक बार फिर आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद | अब मिलेंगे - अगले महीने, तब तक के लिए मुझे विदा दीजिए | नमस्कार|
मेरे प्यारे देशवासियो,नमस्कार |
‘मन की बात’ में एक बार फिर, आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है | इस बार ‘मन की बात’ का ये एपिसोड 2nd century का प्रारंभ है | पिछले महीने हम सभी ने इसकी special century को Celebrate किया है | आपकी भागीदारी ही इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी ताकत है | 100वें एपिसोड के Broadcast के समय, एक प्रकार से पूरा देश एक सूत्र में बंध गया था | हमारे सफाईकर्मी भाई-बहन हों या फिर अलग-अलग sectors के दिग्गज, ‘मन की बात’ ने सबको एक साथ लाने का काम किया है| आप सभी ने जो आत्मीयता और स्नेह ‘मन की बात’ के लिए दिखाया है, वो अभूतपूर्व है, भावुक कर देने वाला है |
जब ‘मन की बात’ का प्रसारण हुआ, तो उस समय दुनिया के अलग-अलग देशों में, अलग-अलग Time zone में, कहीं शाम हो रही थी तो कहीं देर रात थी, इसके बावजूद, बड़ी संख्या में लोगों ने 100वें एपिसोड को सुनने के लिए समय निकाला | मैंने हजारों मील दूर New Zealand का वो विडियो भी देखा, जिसमें 100 वर्ष की एक माताजी अपना आशीर्वाद दे रही हैं | ‘मन की बात’ को लेकर देश-विदेश के लोगों ने अपने विचार रखे हैं | बहुत सारे लोगों ने Constructive Analysis भी किया है | लोगों ने इस बात को appreciate किया है कि ‘मन की बात’ में देश और देशवासियो की उपलब्धियों की ही चर्चा होती है | मैं एक बार फिर आप सभी को इस आशीर्वाद के लिए पूरे आदर के साथ धन्यवाद देता हूं |
मेरे प्यारे देशवासियो, बीते दिनों हमने ‘मन की बात’ में काशी- तमिल संगमम की बात की, सौराष्ट्र-तमिल संगमम की बात की | कुछ समय पहले ही वाराणसी में, काशी-तेलुगू संगमम भी हुआ | एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को ताकत देने वाला ऐसे ही एक और अनूठा प्रयास देश में हुआ है | ये प्रयास है, युवा संगम का | मैंने सोचा, इस बारे में विस्तार से क्यों न उन्हीं लोगों से पूछा जाए, जो इस अनूठे प्रयास का हिस्सा रहे हैं | इसलिए अभी मेरे साथ फ़ोन पर दो युवा जुड़े हुए हैं - एक हैं अरुणाचल प्रदेश के ग्यामर न्योकुम जी और दूसरी बेटी है बिहार की बिटिया विशाखा सिंह जी | आइए पहले हम ग्यामर न्योकुम से बात करते हैं |
प्रधानमंत्री जी : ग्यामर जी, नमस्ते !
ग्यामर जी : नमस्ते मोदी जी !
प्रधानमंत्री जी : अच्छा ग्यामर जी जरा सबसे पहले तो मैं आपके
विषय में जानना चाहता हूँ |
ग्यामर जी – मोदी जी सबसे पहले तो मैं आपका और भारत सरकार का बहुत ही ज्यादा आभार व्यक्त करता हूँ, कि आपने बहुत कीमती Time निकाल के मुझ से बात करने का मुझे मौका दिया मैं National Institute Of Technology, Arunachal Pradesh में First year में Mechanical Engineering में पढ़ रहा हूँ
प्रधानमंत्री जी : और परिवार में क्या करते हैं पिताजी वगैरह |
ग्यामर जी : जी मेरे पिताजी छोटे मोटे business और उसके बाद
कुछ farming में सब करते हैं |
प्रधानमंत्री जी : युवा संगम के लिए आपको पता कैसे चला, युवा
संगम में गए कहाँ, कैसे गए, क्या हुआ ?
ग्यामर जी : मोदी जी मुझे युवा संगम का हमारे जो institution हैं
जो NIT हैं उन्होंने हमें बताया था कि आप इसमें भाग ले सकते हैं | तो मैंने फिर थोड़ा internet में खोज किया फिर मुझे पता चला कि ये बहुत ही अच्छा Programme है जिसने मुझे एक भारत श्रेष्ठ भारत का जो visionहै उसमें भी बहुत ही योगदान दे सकते हैं और मुझे कुछ नया चीज़ जानने का मौका मिलेगा ना, तो तुरंत, मैंने, फिर, उसमें website में जाके enrol किया | मेरा अनुभव बहुत ही मजेदार रहा, बहुत ही अच्छा था |
प्रधानमंत्री जी : कोई selection आप को करना था?
ग्यामर जी : मोदी जी जब website खोला था तो अरुणाचल वालों
के लिए दो option था | पहला था आँध्रप्रदेश जिसमें IIT तिरुपति था और दूसरा था Central University, Rajasthan तो मैंने राजस्थान में किया था अपना First preference, Second Preference मैंने IIT तिरुपति किया था | तो मुझे राजस्थान के लिए select हुआ था | तो मैं राजस्थान गया था |
प्रधानमंत्री जी : कैसा रहा आपका राजस्थान यात्रा? आप पहली बार राजस्थान गए थे!
ग्यामर जी : हाँ मैं पहली बार अरुणाचल से बाहर गया था मैंने तो जो राजस्थान के किले ये सब तो मैंने बस फिल्म और फ़ोन में ही देखा था न, तो, मैंने, जब, पहली बार गया तो मेरा experience बहुत ही वहां के लोग बहुत ही अच्छे थे और जो हमें treatment दिया बहुत ही ज्यादा अच्छे थे | क्या हमें नया-नया चीज़ सीखने को मिला मुझे राजस्थान के बड़े झील और उधर के लोग जैसे कि rain water harvesting बहुत कुछ नया-नया चीज़ सीखने को मिला, जो मुझे बिलकुल ही मालूम नहीं था, तो, ये programme मुझे बहुत ही अच्छा था, राजस्थान का visit |
प्रधानमंत्री जी : देखिये आपको तो सबसे बड़ा फायदा ये हुआ है, कि,अरुणाचल में भी वीरों की भूमि है, राजस्थान भी वीरों की भूमि है और राजस्थान से सेना में भी बहुत बड़ी संख्या में लोग हैं, और अरुणाचल में सीमा पर जो सैनिक हैं उसमें जब भी राजस्थान के लोग मिलेंगे तो आप जरुर उनसे बात करेंगे, कि देखिये,मैं राजस्थान गया था, ऐसा अनुभव था तो, आपकी तो निकटता, एकदम से बढ़ जाएगी | अच्छा आपको वहां कोई समानताएं भी ध्यान में आई होगी आपको लगता होगा हां यार ये अरुणाचल में भी तो ऐसा ही है |
ग्यामर जी : मोदी जी मुझे जो एक समानता मुझे मिली न वो थी कि जो देश प्रेम है ना और जो एक भारत श्रेष्ठ भारत का जो vision और जो feeling जो मुझे देखा, क्योंकि अरुणाचल में भी लोग अपने आप को बहुत ही गर्व महसूस करते हैं कि वो भारतीय हैं इसलिये और राजस्थान में भी लोग अपनी मातृ भूमि के लिए बहुत जो गर्व महसूस होता है वो चीज़ मुझे बहुत ही ज्यादा नज़र आया और specially जो युवा पीढ़ी है ना क्योंकि मैंने उधर में बहुत सारे युवा के साथ interact और बातचीत किया ना तो वो चीज़ जो मुझे बहुत similarity नज़र आया, जो वो चाहते हैं कि भारत के लिए जो कुछ करने का और जो अपने देश के लिए प्रेम है ना वो चीज़ मुझे बहुत ही दोनों ही राज्यों में बहुत ही similarity नज़र आया |
प्रधानमंत्री जी : तो वहां जो मित्र मिले हैं उनसे परिचय बढ़ाया कि
आकर के भूल गए?
ग्यामर जी : नहीं, हमने बढ़ाया परिचय किया |
प्रधानमंत्री जी : हाँ...! तो आप Social Media में active है ?
ग्यामर जी : जी मोदी जी, मैं active हूँ |
प्रधानमंत्री जी : तो आपने Blog लिखना चाहिए, अपना ये युवा संगम
का अनुभव कैसा रहा, आपने उसमें enrol कैसे किया, राजस्थान में अनुभव कैसा रहा ताकि देशभर के युवाओं को पता चले कि एक भारत श्रेष्ठ भारत का माहात्मय क्या है, ये योजना क्या है ? उसका फायदा युवक कैसे ले सकते हैं, पूरा अपने experience का blog लिखना चाहिए, तो बहुत लोगों को पढ़ने के लिए काम आयेगा |
ग्यामर जी : जी मैं जरुर करूँगा |
प्रधानमंत्री जी : ग्यामर जी, बहुत अच्छा लगा आपसे बात कर करके,
और आप सब युवा देश के लिए, देश के उज्जवल भविष्य के लिए, क्योंकि ये 25 साल अत्यंत महत्वपूर्ण हैं - आपके जीवन के भी और देश के जीवन के भी, तो मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएं है धन्यवाद |
ग्यामर जी : धन्यवाद मोदी जी आपको भी |
प्रधानमंत्री जी : नमस्कार, भईया |
साथियो, अरुणाचल के लोग इतनी आत्मीयता से भरे होते हैं, कि उनसे बात करते हुए, मुझे, बहुत आनंद आता है | युवा संगम में ग्यामर जी का अनुभव तो बेहतरीन रहा | आइये, अब बिहार की बेटी विशाखा सिंह जी से बात करते हैं |
प्रधानमंत्री जी : विशाखा जी, नमस्कार |
विशाखा जी : सर्वप्रथम तो भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी कोमेरा प्रणाम और मेरे साथ सभी Delegates की तरफ़ से आप को बहुत-बहुत प्रणाम |
प्रधानमंत्री जी : अच्छा विशाखा जी पहले अपने बारे में बताइए | फिर मुझे युवा संगम के विषय में भी जानना है |
विशाखा जी : मैं बिहार के सासाराम नाम के शहर की निवासी हूँ और मुझे युवा संगम के बारे में मेरे कॉलेज के WhatsApp group के message के through पता चला था सबसे पहले | तो, उसके बाद फिर मैंने पता करा इसके बारे में और detail निकाली कि ये क्या है ? तो मुझे पता चला कि ये प्रधानमंत्री जी की एक scheme ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के through युवा संगम है | तो उसके बाद मैंने apply करा और जब मैंने apply करा तो मैं excited थी इससे join होने के लिए लेकिन जब वहाँ से घूम के तमिलनाडु जा के वापस आई | वो जो exposure मैंने gain किया उसके बाद मुझे अभी बहुत ज्यादा ऐसा proud feel होता है that I have been the part of this programme, तो मुझे बहुत ही ज्यादा ख़ुशी है उस programme में part लेने की और मैं तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूँ आपका कि आपने हमारे जैसे युवाओं के लिए इतना बेहतरीन programme बनाया जिससे हम भारत के विभिन्न भागों के culture को adapt कर सकते हैं |
प्रधानमंत्री जी : विशाखा जी, आप क्या पढ़ती हैं?
विशाखा जी : मैं Computer Science Engineering की Second Year की छात्रा हूँ |
प्रधानमंत्री जी : अच्छा विशाखा जी, आपने किस राज्य में जाना है, कहाँ जुड़ना है ? वो निर्णय कैसे किया ?
विशाखा जी : जब मैंने ये युवा संगम के बारे में search करना शुरू किया Google पर, तभी मुझे पता चल गया था कि बिहार के delegates को तमिलनाडु के delegates के साथ exchange किया जा रहा है | तमिलनाडु काफी rich cultural state है हमारे country का तो उस time भी जब मैंने ये जाना, ये देखा कि बिहार वालों को तमिलनाडु भेजा जा रहा है तो इसने भी मुझे बहुत ज्यादा मदद किया ये decision लेने में कि मुझे form fill करना चाहिए, वहाँ जाना चाहिए या नहीं और मैं सच में आज बहुत ज्यादा गौरवान्वित महसूस करती हूँ कि मैंने इसमें part लिया और मुझे बहुत खुशी है |
प्रधानमंत्री जी : आपका पहली बार जाना हुआ तमिलनाडु?
विशाखा जी : जी, मैं पहली बार गई थी |
प्रधानमंत्री जी : अच्छा, कोई ख़ास यादगार चीज अगर आप कहना चाहें तो क्या कहेंगें? देश के युवा सुन रहें हैं आपको|
विशाखा जी : जी, पूरा journey ही माने तो मेरे लिए बहुत ही ज्यादा बेहतरीन रहा है | एक-एक पड़ाव पर हमने बहुत ही अच्छी चीजें सीखी हैं | मैंने तमिलनाडु में जा के अच्छे दोस्त बनाए हैं | वहाँ के culture को adapt किया है | वहाँ के लोगों से मिली मैं | लेकिन सबसे ज्यादा अच्छी चीज जो मुझे लगी वहाँ पे वो पहली चीज़ तो ये कि किसी को भी मौका नहीं मिलता है ISRO में जाने का और हम delegates थे तो हमें ये मौका मिला था कि हम ISRO में जाएँ Plus दूसरी बात सबसे अच्छी थी वो जब हम राजभवन में गए और हम तमिलनाडु के राज्यपाल जी से मिले | तो वो दो moment जो था वो मेरे लिए काफी सही था और मुझे ऐसा लगता है कि जिस age में हम हैं as a youth हमें वो मौका नहीं मिल पाता जो कि युवा संगम के through मिला है | तो ये काफ़ी सही और सबसे यादगार moment था मेरे लिए |
प्रधानमंत्री जी :बिहार में तो खाने का तरीका अलग है, तमिलनाडु में खाने का तरीका अलग है |
विशाखा जी : जी |
प्रधानमंत्री जी : तो वो set हो गया था पूरी तरह ?
विशाखा जी : वहाँ जब हम लोग गए थे, तो South Indian Cuisine है वहाँ पे तमिलनाडु में | तो जैसे ही हम लोग गए थे तो वहाँ जाते के साथ हमें डोसा, इडली, सांभर, उत्तपम, वड़ा, उपमा ये सब serve किया गया था | तो पहले जब हमने try करा तो that was too good! वहाँ का खाना जो है वो बहुत ही healthy है actually बहुत ही ज्यादा taste में भी बेहतरीन है और हमारे North के खाने से बहुत ही ज्यादा अलग है तो मुझे वहाँ का खाना भी बहुत अच्छा लगा और वहाँ के लोग भी बहुत अच्छे लगे |
प्रधानमंत्री जी : तो अब तो दोस्त भी बन गए होंगे तमिलनाडु में ?
विशाखा जी : जी ! जी वहाँ पर हम रुके थे NIT Trichy में, उसके बाद IIT Madras में तो उन दोनों जगह के Students से तो मेरी दोस्ती हो गई है | Plus बीच में एक CII का Welcome Ceremony था तो वहां पे वहाँ के आस-पास के college के भी बहुत सारे students आये थे | तो वहाँ हमने उन students से भी interact किया और मुझे बहुत अच्छा लगा उन लोगों से मिल के, काफ़ी लोग तो मेरे दोस्त भी हैं | और कुछ delegate से भी मिले थे जो तमिलनाडु के delegate बिहार आ रहे थे तो हमारी बातचीत उनसे भी हुई थी और हम अभी भी आपस में बात करते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है |
प्रधानमंत्री जी : तो विशाखा जी, आप एक blog लिखिए और social media पर ये आपको पूरा अनुभव एक तो इस युवा संगम का फिर ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का और फिर तमिलनाडु में अपनापन जो मिला, जो आपको स्वागत-सत्कार हुआ | तमिल लोगों का प्यार मिला, ये सारी चीजें देश को बताइये आप | तो लिखोगी आप ?
विशाखा जी : जी जरुर !
प्रधानमंत्री जी : तो मेरी तरफ़ से आपको बहुत शुभकामना है और बहुत-बहुत धन्यवाद |
विशाखा जी : जी thank you so much | नमस्कार |
ग्यामर और विशाखा आपको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं | युवा संगम में आपने जो सीखा है, वो जीवनपर्यंत आपके साथ रहे | यही मेरी आप सबके प्रति शुभकामना है |
साथियो, भारत की शक्ति इसकी विविधता में है | हमारे देश में देखने के लिए बहुत कुछ है | इसी को देखते हुए Education Ministry ने ‘युवासंगम’ नाम से एक बेहतरीन पहल की है | इस पहल का उद्देश्य People to People Connect बढ़ाने के साथ ही देश के युवाओं को आपस में घुलने-मिलने का मौका देना | विभिन्न राज्यों के उच्च शिक्षा संस्थानों को इससे जोड़ा गया है | ‘युवासंगम’ में युवा दूसरे राज्यों के शहरों और गावों में जाते हैं, उन्हें अलग-अलग तरह के लोगों के साथ मिलने का मौका मिलता है | युवासंगम के First Round में लगभग 1200 युवा, देश के 22 राज्यों का दौरा कर चुके हैं | जो भी युवा इसका हिस्सा बने हैं, वे अपने साथ ऐसी यादें लेकर वापस लौट रहे हैं, जो जीवनभर उनके ह्रदय में बसी रहेंगी | हमने देखा है कि कई बड़ी कंपनियों के CEO, Business leaders, उन्होंने Bag-Packers की तरह भारत में समय गुजारा है | मैं जब दूसरे देशों के Leaders से मिलता हूँ, तो कई बार वो भी बताते हैं कि वो अपनी युवावस्था में भारत घूमने के लिए गए थे | हमारे भारत में इतना कुछ जानने और देखने के लिए है कि आपकी उत्सुकता हर बार बढ़ती ही जाएगी | मुझे उम्मीद है कि इन रोमांचक अनुभवों को जानकर आप भी देश के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा के लिए जरुर प्रेरित होंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिन पहले ही मैं जापान में हिरोशिमा में था | वहां मुझे Hiroshima Peace Memorial museum में जाने का अवसर मिला | ये एक भावुक कर देने वाला अनुभव था | जब हम इतिहास की यादों को संजोकर रखते हैं तो वो आने वाली पीढ़ियों की बहुत मदद करता है| कई बार Museum में हमें नए सबक मिलते हैं तो कई बार हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है | कुछ दिन पहले ही भारत में International Museum Expo का भी आयोजन किया था | इसमें दुनिया के 1200 से अधिक Museums की विशेषताओं को दर्शाया गया | हमारे यहां भारत में अलग-अलग प्रकार के ऐसे कई Museums हैं, जो हमारे अतीत से जुड़े अनेक पहलुओं को प्रदर्शित करते हैं, जैसे, गुरुग्राम में एक अनोखा संग्रहालय है - Museo Camera, इसमें 1860 के बाद के 8 हजार से ज्यादा कैमरों का collection मौजूद है | तमिलनाडु के Museum of Possibilities को हमारे दिव्यांगजनों को ध्यान में रखकर, design किया गया है | मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय एक ऐसा museum है, जिसमें 70 हजार से भी अधिक चीजें संरक्षित की गई हैं | साल 2010 में स्थापित, Indian Memory Project एक तरह का Online museum है | ये जो दुनियाभर से भेजी गयी तस्वीरों और कहानियों के माध्यम से भारत के गौरवशाली इतिहास की कड़ियों को जोड़ने में जुटा है| विभाजन की विभिषिका से जुड़ी स्मृतियों को भी सामने लाने का प्रयास किया गया है | बीते वर्षों में भी हमने भारत में नए-नए तरह के museum और memorial बनते देखे हैं | स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी भाई–बहनों के योगदान को समर्पित 10 नए museum बनाए जा रहे हैं | कोलकाता के Victoria Memorial में बिप्लोबी भारत Gallery हो या फिर जलियावालां बाग memorial का पुनुरुद्धार, देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को समर्पित PM Museum भी आज दिल्ली की शोभा बढ़ा रहा है | दिल्ली में ही National War Memorial और Police Memorial में हर रोज अनेकों लोग शहीदों को नमन करने आते हैं | ऐतिहासिक दांडी यात्रा को समर्पित दांडी memorial हो या फिर Statue of Unity Museum. खैर, मुझे यहीं रुक जाना पड़ेगा क्योंकि देशभर में Museums की list काफ़ी लम्बी है और पहली बार देश में सभी museums के बारे में जरुरी जानकारियों को compile भी किया गया है | Museum किस Theme पर आधारित है, वहाँ किस तरह की वस्तुएं रखी हैं, वहां की contact details क्या है - ये सब कुछ एक online directory में समाहित है | मेरा आपसे आग्रह है कि आपको जब भी मौका मिले, अपने देश के इन Museums को देखने जरुर जाएँ | आप वहां की आकर्षक तस्वीरों को #(Hashtag) Museum Memories पर share करना भी ना भूलें | इससे अपनी वैभवशाली संस्कृति के साथ हम भारतीयों का जुड़ाव और मजबूत होगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, हम सबने एक कहावत कई बार सुनी होगी, बार-बार सुनी होगी - बिन पानी सब सून | बिना पानी जीवन पर संकट तो रहता ही है, व्यक्ति और देश का विकास भी ठप्प पड़ जाता है | भविष्य की इसी चुनौती को देखते हुए आज देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा रहा है | हमारे अमृत सरोवर, इसलिए विशेष हैं, क्योंकि, ये आजादी के अमृत काल में बन रहे हैं और इसमें लोगों का अमृत प्रयास लगा है | आपको जानकर अच्छा लगेगा कि अब तक 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों का निर्माण भी हो चुका है | ये जल संरक्षण की दिशा में बहुत बड़ा कदम है |
साथियो, हम हर गर्मी में इसी तरह, पानी से जुड़ी चुनौतियों के बारे में बात करते रहते हैं | इस बार भी हम इस विषय को लेंगे, लेकिन इस बार चर्चा करेंगे जल संरक्षण से जुड़े Start-Ups की | एक Start-Up है –FluxGen| ये Start-Up IOT enabled तकनीक के जरिए water management के विकल्प देता है | ये technology पानी के इस्तेमाल के patterns बताएगा और पानी के प्रभावी इस्तेमाल में मदद करेगा | एक और startup है LivNSense | ये artificial intelligence और machine learning पर आधारित platform है | इसकी मदद से water distribution की प्रभावी निगरानी की जा सकेगी | इससे ये भी पता चल सकेगा कि कहाँ कितना पानी बर्बाद हो रहा है | एक और Start-Up है ‘कुंभी कागज (Kumbhi Kagaz)’ | ये कुंभी कागज (Kumbhi Kagaz) एक ऐसा विषय है, मुझे पक्का विश्वास है, आपको भी बहुत पसंद आएगा | ‘कुंभी कागज’ (Kumbhi Kagaz) Start-Up उसने एक विशेष काम शुरू किया है | वे जलकुंभी से कागज बनाने का काम कर रहे हैं, यानी, जो जलकुंभी, कभी, जलस्त्रोतों के लिए एक समस्या समझी जाती थी, उसी से अब कागज बनने लगा है |
साथियो, कई युवा अगर innovation और technology के जरिए काम कर रहे हैं, तो कई युवा ऐसे भी हैं जो समाज को जागरूक करने के mission में भी लगे हुए हैं जैसे कि छत्तीसगढ़ में बालोद जिले के युवा हैं | यहाँ के युवाओं ने पानी बचाने के लिए एक अभियान शुरु किया है | ये घर-घर जाकर लोगों को जल-संरक्षण के लिए जागरूक करते हैं | कहीं शादी-ब्याह जैसा कोई आयोजन होता है, तो, युवाओं का ये group वहाँ जाकर, पानी का दुरूपयोग कैसे रोका जा सकता है, इसकी जानकारी देता है | पानी के सदुपयोग से जुड़ा एक प्रेरक प्रयास झारखंड के खूंटी जिले में भी हो रहा है | खूंटी में लोगों ने पानी के संकट से निपटने के लिए बोरी बाँध का रास्ता निकाला है | बोरी बांध से पानी इकट्ठा होने के कारण यहाँ साग-सब्जियाँ भी पैदा होने लगी हैं | इससे लोगों की आमदनी भी बढ़ रही है, और, इलाके की जरूरतें भी पूरी हो रहीं हैं | जनभागीदारी का कोई भी प्रयास कैसे कई बदलावों को साथ लेकर आता है, खूंटी इसका एक आकर्षक उदाहरण बन गया है | मैं, यहाँ के लोगों को इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, 1965 के युद्ध के समय, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था | बाद में अटल जी ने इसमें जय विज्ञान भी जोड़ दिया था | कुछ वर्ष पहले, देश के वैज्ञानिकों से बात करते हुए मैंने जय अनुसंधान की बात की थी | ‘मन की बात’ में आज बात एक ऐसे व्यक्ति की, एक ऐसी संस्था की, जो, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान, इन चारों का ही प्रतिबिंब है | ये सज्जन हैं, महाराष्ट्र के श्रीमान् शिवाजी शामराव डोले जी | शिवाजी डोले, नासिक जिले के एक छोटे से गाँव के रहने वाले हैं | वो गरीब आदिवासी किसान परिवार से आते हैं, और, एक पूर्व सैनिक भी हैं | फौज में रहते हुए उन्होंने अपना जीवन देश के लिए लगाया | Retire होने के बाद उन्होंने कुछ नया सीखने का फैसला किया और Agriculture में Diploma किया, यानी,वो, जय जवान से, जय किसान की तरफ बढ़ चले | अब हर पल उनकी कोशिश यही रहती है कि कैसे कृषि क्षेत्र में अपना अधिक से अधिक योगदान दें | अपने इस अभियान में शिवाजी डोले जी ने 20 लोगों की एक छोटी-सी Team बनाई और कुछ पूर्व सैनिकों को भी इसमें जोड़ा | इसके बाद उनकी इस Team ने Venkateshwara Co-Operative Power & Agro Processing Limited नाम की एक सहकारी संस्था का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया | ये सहकारी संस्था निष्क्रिय पड़ी थी, जिसे revive करने का बीड़ा उन्होंने उठाया | देखते ही देखते आज Venkateshwara Co-Operative का विस्तार कई जिलों में हो गया है |
आज ये team महाराष्ट्र और कर्नाटका में काम कर रही है | इससे करीब 18 हजार लोग जुड़े हैं, जिनमें काफी संख्या में हमारे Ex-Servicemen भी हैं | नासिक के मालेगाँव में इस team के सदस्य 500 एकड़ से ज्यादा जमीन में Agro Farming कर रहे हैं | ये team जल संरक्षण के लिए भी कई तालाब भी बनवाने में जुटी है | खास बात यह है कि इन्होंने Organic Farming और Dairy भी शुरू की है | अब इनके उगाए अंगूरों को यूरोप में भी export किया जा रहा है | इस team की जो दो बड़ी विशेषतायें हैं, जिसने मेरा ध्यान आकर्षित किया है, वो ये है - जय विज्ञान और जय अनुसंधान | इसके सदस्य technology और Modern Agro Practices का अधिक से अधिक उपयोग कर रहे हैं | दूसरी विशेषता ये है कि वे export के लिए जरुरी कई तरह के certifications पर भी focus कर रहे हैं | ‘सहकार से समृद्धि’ की भावना के साथ काम कर रही इस team की मैं सराहना करता हूँ | इस प्रयास से ना सिर्फ बड़ी संख्या में लोगों का सशक्तिकरण हुआ है, बल्कि, आजीविका के अनेक साधन भी बने हैं | मुझे उम्मीद है कि यह प्रयास ‘मन की बात’ के हर श्रोता को प्रेरित करेगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज 28 मई को, महान स्वतंत्रता सेनानी, वीर सावरकर जी की जयंती है | उनके त्याग, साहस और संकल्प-शक्ति से जुड़ी गाथाएँ आज भी हम सबको प्रेरित करती हैं | मैं, वो दिन भूल नहीं सकता, जब मैं, अंडमान में, उस कोठरी में गया था जहाँ वीर सावरकर ने कालापानी की सजा काटी थी | वीर सावरकर का व्यक्तित्व दृढ़ता और विशालता से समाहित था | उनके निर्भीक और स्वाभिमानी स्वाभाव को गुलामी की मानसिकता बिल्कुल भी रास नहीं आती थी | स्वतंत्रता आंदोलन ही नहीं, सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए भी वीर सावरकर ने जितना कुछ किया उसे आज भी याद किया जाता है |
साथियो, कुछ दिन बाद 4 जून को संत कबीरदास जी की भी जयंती है | कबीरदास जी ने जो मार्ग हमें दिखाया है, वो आज भी उतना ही प्रासंगिक है | कबीरदास जी कहते थे,“कबीरा कुआँ एक है, पानी भरे अनेक |
बर्तन में ही भेद है, पानी सब में एक ||”
यानी, कुएं पर भले भिन्न-भिन्न तरह के लोग पानी भरने आए, लेकिन, कुआँ किसी में भेद नहीं करता, पानी तो सभी बर्तनों में एक ही होता है | संत कबीर ने समाज को बांटने वाली हर कुप्रथा का विरोध किया, समाज को जागृत करने का प्रयास किया | आज, जब देश विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो हमें, संत कबीर से प्रेरणा लेते हुए, समाज को सशक्त करने के अपने प्रयास और बढ़ाने चाहिए |
मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं आपसे देश की एक ऐसी महान हस्ती के बारे में चर्चा करने जा रहा हूँ जिन्होंने राजनीति और फिल्म जगत में अपनी अद्भुत प्रतिभा के बल पर अमिट छाप छोड़ी | इस महान हस्ती का नाम है एन.टी. रामाराव, जिन्हें हम सभी, एन.टी.आर(NTR) के नाम से भी जानते हैं | आज, एन.टी.आर की 100वीं जयंती है | अपनी बहुमुखी प्रतिभा के बल पर वो न सिर्फ तेलुगु सिनेमा के महानायक बने, बल्कि उन्होंने, करोड़ो लोगों का दिल भी जीता | क्या आपको मालूम है कि उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया था? उन्होंने कई ऐतिहासिक पात्रों को अपने अभिनय के दम पर फिर से जीवंत कर दिया था | भगवान कृष्ण, राम और ऐसी कई अन्य भूमिकाओं में एन.टी.आर की acting को लोगों ने इतना पसंद किया कि लोग उन्हें आज भी याद करते हैं | एन.टी.आर ने सिनेमा जगत के साथ-साथ राजनीति में भी अपनी अलग पहचान बनाई थी | यहाँ भी उन्हें लोगों का भरपूर प्यार और आशीर्वाद मिला | देश-दुनिया में लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाले एन.टी. रामाराव जी को मैं अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में इस बार इतना ही | अगली बार कुछ नए विषयों के साथ आपके बीच आऊँगा, तब तक कुछ इलाकों में गर्मी और ज्यादा बढ़ चुकी होगी | कहीं-कहीं पर बारिश भी शुरू हो जाएगी | आपको मौसम की हर परिस्थिति में अपनी सेहत का ध्यान रखना है | 21 जून को हम ‘World Yoga Day’ भी मनाएंगे | उसकी भी देश-विदेश में तैयारियां चल रही हैं | आप इन तैयारियों के बारे में भी अपने ‘मन की बात’ मुझे लिखते रहिए | किसी और विषय पर कोई और जानकारी अगर आपको मिले तो वो भी मुझे बताइयेगा | मेरा प्रयास ज्यादा से ज्यादा सुझावों को ‘मन की बात’ में लेने का रहेगा | एक बार फिर आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद | अब मिलेंगे - अगले महीने, तब तक के लिए मुझे विदा दीजिए | नमस्कार|
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | आज ‘मन की बात’ का सौवां एपिसोड है | मुझे आप सबकी हजारों चिट्ठियाँ मिली हैं, लाखों सन्देश मिले हैं और मैंने कोशिश की है कि ज्यादा से ज्यादा चिट्ठियों को पढ़ पाऊँ, देख पाऊँ, संदेशों को जरा समझने की कोशिश करूँ | आपके पत्र पढ़ते हुए कई बार मैं भावुक हुआ, भावनाओं से भर गया, भावनाओं में बह गया और खुद को फिर सम्भाल भी लिया | आपने मुझे ‘मन की बात’ के सौवें एपिसोड पर बधाई दी है लेकिन मैं सच्चे दिल से कहता हूँ, दरअसल बधाई के पात्र तो आप सभी ‘मन की बात’ के श्रोता हैं, हमारे देशवासी हैं | ‘मन की बात’, कोटि-कोटि भारतीयों के ‘मन की बात’ है, उनकी भावनाओं का प्रकटीकरण है |
साथियो, 3 अक्टूबर, 2014, विजय दशमी का वो पर्व था और हम सबने मिलकर विजय दशमी के दिन ‘मन की बात’ की यात्रा शुरू की थी | विजय दशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व | ‘मन की बात’ भी देशवासियों की अच्छाइयों का, सकारात्मकता का, एक अनोखा पर्व बन गया है | एक ऐसा पर्व जो हर महीने आता है, जिसका इंतजार हम सभी को होता है | हम इसमें positivity को celebrate करते हैं | हम इसमें people’s participation को भी celebrate करते हैं | कई बार यकीन नहीं होता कि ‘मन की बात’ को इतने महीने और इतने साल गुजर गए | हर एपिसोड अपने आप में खास रहा | हर बार, नए उदाहरणों की नवीनता, हर बार देशवासियों की नई सफलताओं का विस्तार | ‘मन की बात’ में पूरे देश के कोने-कोने से लोग जुड़े, हर आयु-वर्ग के लोग जुड़े | बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ की बात हो, स्वच्छ भारत आन्दोलन हो, खादी के प्रति प्रेम हो या प्रकृति की बात, आजादी का अमृत महोत्सव हो या फिर अमृत सरोवर की बात, ‘मन की बात’ जिस विषय से जुड़ा, वो, जन-आंदोलन बन गया, और आप लोगों ने बना दिया | जब मैंने, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ साझा ‘मन की बात’ की थी, तो इसकी चर्चा पूरे विश्व में हुई थी |
साथियो, ‘मन की बात’ मेरे लिए तो दूसरों के गुणों की पूजा करने की तरह ही रहा है | मेरे एक मार्गदर्शक थे – श्री लक्ष्मणराव जी ईनामदार | हम उनको वकील साहब कहा करते थे | वो हमेशा कहते थे कि हमें दूसरों के गुणों की पूजा करनी चाहिए | सामने कोई भी हो, आपके साथ का हो, आपका विरोधी हो, हमें उसके अच्छे गुणों को जानने का, उनसे सीखने का, प्रयास करना चाहिए | उनकी इस बात ने मुझे हमेशा प्रेरणा दी है | ‘मन की बात’ दूसरों के गुणों से सीखने का बहुत बड़ा माध्यम बन गयी है |
मेरे प्यारे देशवासियो, इस कार्यक्रम ने मुझे कभी भी आपसे दूर नहीं होने दिया | मुझे याद है, जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो वहां सामान्य जन से मिलना-जुलना स्वाभाविक रूप से हो ही जाता था | मुख्यमंत्री का कामकाज और कार्यकाल ऐसा ही होता है, मिलने जुलने के अवसर बहुत मिलते ही रहते हैं | लेकिन 2014 में दिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहाँ का जीवन तो बहुत ही अलग है | काम का स्वरूप अलग, दायित्व अलग, स्थितियाँ-परिस्तिथियों के बंधन, सुरक्षा का तामझाम, समय की सीमा | शुरुआती दिनों में, कुछ अलग महसूस करता था, खाली-खाली सा महसूस करता था | पचासों साल पहले मैंने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन अपने ही देश के लोगों से संपर्क ही मुश्किल हो जायेगा | जो देशवासी मेरा सब कुछ है, मैं उनसे ही कट करके जी नहीं सकता था | ‘मन की बात’ ने मुझे इस चुनौती का समाधान दिया, सामान्य मानवी से जुड़ने का रास्ता दिया | पदभार और प्रोटोकॉल, व्यवस्था तक ही सीमित रहा और जनभाव, कोटि-कोटि जनों के साथ, मेरे भाव, विश्व का अटूट अंग बन गया | हर महीने में देश के लोगों के हजारों संदेशों को पढता हूँ, हर महीने में देशवासियों के एक से एक अद्भुत स्वरूप के दर्शन करता हूँ | मैं देशवासियों के तप-त्याग की पराकाष्ठा को देखता हूँ, महसूस करता हूँ | मुझे लगता ही नहीं है, कि मैं, आपसे थोडा भी दूर हूँ | मेरे लिए ‘मन की बात’ ये एक कार्यक्रम नहीं है, मेरे लिए एक आस्था, पूजा, व्रत है | जैसे लोग, ईश्वर की पूजा करने जाते हैं, तो, प्रसाद की थाल लाते हैं | मेरे लिए ‘मन की बात’ ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल की तरह है | ‘मन की बात’ मेरे मन की आध्यात्मिक यात्रा बन गया है |
‘मन की बात’ स्व से समिष्टि की यात्रा है |
‘मन की बात’ अहम् से वयम् की यात्रा है |
यह तो मैं नहीं तू ही इसकी संस्कार साधना है |
आप कल्पना करिए, मेरा कोई देशवासी 40-40 साल से निर्जन पहाड़ी और बंजर जमीन पर पेड़ लगा रहा है, कितने ही लोग 30-30 साल से जल-संरक्षण के लिए बावड़ियां और तालाब बना रहे हैं, उसकी साफ़-सफाई कर रहे हैं | कोई 25-30 साल से निर्धन बच्चों को पढ़ा रहा है, कोई गरीबों की इलाज में मदद कर रहा है | कितनी ही बार ‘मन की बात’ में इनका जिक्र करते हुए मैं भावुक हो गया हूँ | आकाशवाणी के साथियों को कितनी ही बार इसे फिर से रिकॉर्ड करना पड़ा है | आज, पिछला कितना ही कुछ, आँखों के सामने आए जा रहा है | देशवासियों के इन प्रयासों ने मुझे लगातार खुद को खपाने की प्रेरणा दी है |
साथियो, ‘मन की बात’ में जिन लोगों का हम ज़िक्र करते हैं वे सब हमारे Heroes हैं जिन्होंने इस कार्यक्रम को जीवंत बनाया है | आज जब हम 100वें एपिसोड के पड़ाव पर पहुंचे हैं, तो मेरी ये भी इच्छा है कि हम एक बार फिर इन सारे Heroes के पास जाकर उनकी यात्रा के बारे में जानें | आज हम कुछ साथियों से बात भी करने की कोशिश करेंगे | मेरे साथ जुड़ रहे हैं हरियाणा के भाई सुनील जगलान जी | सुनील जगलान जी का मेरे मन पर इतना प्रभाव इसलिए पड़ा क्योंकि हरियाणा में Gender Ratio पर काफी चर्चा होती थी और मैंने भी ‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’ का अभियान हरियाणा से ही शुरू किया था | और इसी बीच जब सुनील जी के ‘Selfie With Daughter’ Campaign पर मेरी नजर पडी, तो मुझे बहुत अच्छा लगा | मैंने भी उनसे सीखा और इसे ‘मन की बात’ में शामिल किया | देखते ही देखते ‘Selfie With Daughter’ एक Global Campaign में बदल गया | और इसमें मुद्दा Selfie नहीं थी, technology नहीं थी, इसमें Daughter को, बेटी को प्रमुखता दी गयी थी | जीवन में बेटी का स्थान कितना बड़ा होता है, इस अभियान से यह भी प्रकट हुआ | ऐसे ही अनेकों प्रयासों का परिणाम है कि आज हरियाणा में Gender Ratio में सुधार आया है | आईये आज सुनील जी से ही कुछ गप मार लेते हैं |
प्रधानमंत्री जी- नमस्कार सुनील जी,
सुनील- नमस्कार सर, मेरी खुशी बहुत बढ़ गई है सर आपकी आवाज़ सुन कर |
प्रधानमंत्री जी- सुनील जी ‘Selfie with Daughter’ हर किसी को याद है...अब जब इसकी फिर चर्चा हो रही है तो आपको कैसा लग रहा है |
सुनील - प्रधानमंत्री जी, ये असल में आपने जो हमारे प्रदेश हरियाणा से पानीपत की चौथी लड़ाई बेटियों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने के लिए शुरू की थी जिसे आपके नेतृत्व में पूरे देश ने जितने की कोशिश की है तो वाकई ये मेरे लिए और हर बेटी के पिता और बेटियों को चाहने वालों के लिए बहुत बड़ी बात है |
प्रधानमंत्री जी- सुनील जी अब आपकी बिटिया कैसी है, आज कल क्या कर रही है ?
सुनील- जी मेरी बेटियां नंदनी और याचिका है एक 7th Class में पढ़ रही है एक 4th Class में पढ़ रही है और आपकी बड़ी प्रशंसक है उन्होंने आपके लिए थैंक्यू प्राइम मिनिस्टर करके अपनी क्लासमेट्स जो हैं लैटर भी लिखवाए थे असल में |
प्रधानमंत्री जी- वाह वाह ! अच्छा बिटिया को आप मेरा और मन की बात के श्रोताओं का खूब सारा आशीर्वाद दीजिये |
सुनील- बहुत- बहुत शुक्रिया जी, आपकी वजह से देश की बेटियों के चेहरे पर लगातार मुस्कान बढ़ रही है |
प्रधानमंत्री जी- बहुत- बहुत धन्यवाद सुनील जी |
सुनील – जी शुक्रिया |
साथियो, मुझे इस बात का बहुत संतोष है कि ‘मन की बात’ में हमने देश की नारी शक्ति की सैकड़ों प्रेरणादायी गाथाओं का जिक्र किया है | चाहे हमारी सेना हो या फिर खेल जगत हो, मैंने जब भी महिलाओं की उपलब्धियों पर बात की है, उसकी खूब प्रशंसा हुई है | जैसे हमने छत्तीसगढ़ के देउर गाँव की महिलाओं की चर्चा की थी | ये महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के जरिए गाँव के चौराहों, सड़कों और मंदिरों के सफाई के लिए अभियान चलाती हैं | ऐसे ही, तमिलनाडु की वो आदिवासी महिलाएं, जिन्होंने हज़ारों Eco-Friendly Terracotta Cups (टेराकोटा कप्स) निर्यात किए, उनसे भी देश ने खूब प्रेरणा ली | तमिलनाडु में ही 20 हजार महिलाओं ने साथ आकर वेल्लोर में नाग नदी को पुनर्जीवित किया था | ऐसे कितने ही अभियानों को हमारी नारी-शक्ति ने नेतृत्व दिया है और ‘मन की बात’ उनके प्रयासों को सामने लाने का मंच बना है |
साथियो, अब हमारे साथ Phone line पर एक और सज्जन मौजूद हैं | इनका नाम है, मंजूर अहमद | ‘मन की बात’ में, जम्मू-कश्मीर की Pencil Slates (पेन्सिल स्लेट्स) के बारे में बताते हुए मंजूर अहमद जी का जिक्र हुआ था |
प्रधानमंत्री जी- मंजूर जी, कैसे हैं आप ?
मंजूर जी- थैंक्यू सर...बड़े अच्छे से हैं सर |
प्रधानमंत्री जी- मन की बात के इस 100 वें एपिसोड में आपसे बात करके मुझे बहुत अच्छा लग रहा है |
मंजूर जी – थैंक्यू सर |
प्रधानमंत्री जी- अच्छा ये पेंसिल- स्लेट्स वाला काम कैसा चल रहा है?
मंजूर जी- बहुत अच्छे से चल रहा है सर बहुत अच्छे से, जब से सर आपने हमारी बात, ‘मन की बात’ में कही सर तब से बहुत काम बढ़ गया सर और दूसरों को भी रोज़गार यहाँ बहुत बढ़ा है इस काम में |
प्रधानमंत्री जी- कितने लोगों को अब रोज़गार मिलता होगा ?
मंजूर जी- अभी मेरे पास 200 प्लस है...
प्रधानमंत्री जी- अरे वाह! मुझे बहुत खुशी हुई |
मंजूर जी – जी सर..जी सर...अभी एक दो महीनें में इसको expand कर रहा हूँ और 200 लोगों को रोज़गार बढ़ जाएगा सर|
प्रधानमंत्री जी- वाह वाह! देखिये मंजूर जी...
मंजूर जी- जी सर...
प्रधानमंत्री जी- मुझे बराबर याद है और उस दिन आपने मुझे कहा था कि ये एक ऐसा काम है जिसकी न कोई पहचान है, न स्वयं की पहचान है, और आपको बड़ी पीड़ा भी थी और इस वजह से आपको बड़ी मुश्किलें होती थी वो भी आप कह रहे थे, लेकिन अब तो पहचान भी बन गई और 200 से ज़्यादा लोगों को रोज़गार दे रहे हैं|
मंजूर जी- जी सर... जी सर.
प्रधानमंत्री जी- और नए expansion करके और 200 लोगों को रोज़गार दे रहे हैं, ये तो बहुत खुशी की खबर दी आपने |
मंजूर जी- Even सर, यहाँ पर जो farmer हैं सर उनका भी बहुत बड़ा इसमें फायदा मिला सर तब से | 2000 का tree बेचते थे अभी वही tree 5000 तक पहुँच गया सर | इतनी demand बढ़ गई है इसमें तब से..और इसमें अपनी पहचान भी बन गई है इसमें बहुत से order हैं अपने पास सर, अभी मै आगे एक-दो महीनें में और expand करके और दो-ढाई, सौ दो-चार गांव में जितने भी लड़के-लड़कियां हैं इसमें adjust हो सकते हैं उनका भी रोज़ी-रोटी चल सकता है सर |
प्रधानमंत्री जी- देखिये मंजूर जी, Vocal for Local की ताकत कितनी जबरदस्त है आपने धरती पर उतार कर दिखा दिया है|
मंजूर जी- जी सर|
प्रधानमंत्री जी- मेरी तरफ से आपको और गांव के सभी किसानों को और आपके साथ काम कर रहे सभी साथियों को भी मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं, धन्यवाद भैया |
मंजूर जी- धन्यवाद सर |
साथियो, हमारे देश में ऐसे कितने ही प्रतिभाशाली लोग हैं, जो अपनी मेहनत के बलबूते ही सफलता के शिखर तक पहुंचे हैं | मुझे याद है, विशाखापट्नम के वेंकट मुरली प्रसाद जी ने एक आत्मनिर्भर भारत Chart Share किया था | उन्होंने बताया था कि वो कैसे ज्यादा से ज्यादा भारतीय products ही इस्तेमाल करेंगे | जब बेतिया के प्रमोद जी ने LED बल्ब बनाने की छोटी यूनिट लगाई या गढ़मुक्तेश्वर के संतोष जी ने mats बनाने का काम किया, ‘मन की बात’ ही उनके उत्पादों को सबके सामने लाने का माध्यम बना | हमने Make in India के अनेक उदाहरणों से लेकर Space Start-ups तक की चर्चा ‘मन की बात’ में की है |
साथियो, आपको याद होगा, कुछ एपिसोड पहले मैंने मणिपुर की बहन विजयशांति देवी जी का भी जिक्र किया था | विजयशांति जी कमल के रेशों से कपड़े बनाती हैं | ‘मन की बात’ में उनके इस अनोखे eco-friendly idea की बात हुई तो उनका काम और popular हो गया | आज विजयशांति जी फ़ोन पर हमारे साथ हैं |
प्रधानमंत्री जी :- नमस्ते विजयशांति जी ! How are you?
विजयशांति जी:- Sir, I am fine.
प्रधानमंत्री जी :- and how’s your work going on ?
विजयशांति जी:- sir, still working along with my 30 women
प्रधानमंत्री जी :- in such a short period you have reached 30 persons team !
विजयशांति जी:- Yes sir, this year also more expand with 100 women in my area
प्रधानमंत्री जी :- so your target is 100 women
विजयशांति जी:- yaa ! 100 women
प्रधानमंत्री जी :- and now people are familiar with this lotus stem fiber
विजयशांति जी :- yes sir, everyone’s know from ‘Mann Ki Baat’ Programme all over India.
प्रधानमंत्री जी :- so now it’s very popular
विजयशांति जी:- yes sir, from Prime Minister ‘Mann ki Baat’ programme everyone knows about lotus fibre
प्रधानमंत्री जी :- so now you got the market also ?
विजयशांति जी:- yes, I have got a market from USA also they want to buy in bulk, in lots quantities, but I want to give from this year to send the U.S also
प्रधानमंत्री जी :- So, now you are exporter ?
विजयशांति जी:- yes sir, from this year I export our product made in India Lotus fibre
प्रधानमंत्री जी :- so, when I say Vocal for Local and now Local for Global
विजयशांति जी:- yes sir, I want to reach my product all over the globe of all world
प्रधानमंत्री जी :- so congratulation and wish you best luck
विजयशांति जी:- Thank you sir
प्रधानमंत्री जी :- Thank you, Thank you Vijaya Shanti
विजयशांति जी:- Thank You sir
साथियो, ‘मन की बात’ के एक और विशेषता रही है | ‘मन की बात’ के जरिए कितने ही जन-आन्दोलन ने जन्म भी लिया है और गति भी पकड़ी है | जैसे हमारे खिलौने, हमारी Toy Industry को फिर से स्थापित करने का mission ‘मन की बात’ से ही तो शुरू हुआ था | भारतीय नस्ल के श्वान हमारे देशी डॉग्स उसको लेकर जागरूकता बढ़ाने की शुरुआत भी तो ‘मन की बात’ से ही की थी | हमने एक और मुहिम शुरू की थी कि हम ग़रीब छोटे दुकानदारों से मोलभाव नहीं करेंगे, झगड़ा नहीं करेंगे | जब ‘हर घर तिरंगा’ मुहिम शुरू हुई, तब भी ‘मन की बात’ ने देशवासियों को इस संकल्प से जोड़ने में खूब भूमिका निभाई | ऐसे हर उदाहरण, समाज में बदलाव का कारण बने हैं | समाज को प्रेरित करने का ऐसे ही बीड़ा प्रदीप सांगवान जी ने भी उठा रखा है | ‘मन की बात’ में हमने प्रदीप सांगवान जी के ‘हीलिंग हिमालयाज़’ अभियान की चर्चा की थी | वो फ़ोनलाइन पर हमारे साथ हैं |
मोदी जी – प्रदीप जी नमस्कार !
प्रदीप जी – सर जय हिन्द |
मोदी जी – जय हिन्द, जय हिन्द, भईया ! कैसे हैं आप ?
प्रदीप जी – सर बहुत बढ़िया | आपकी आवाज सुनकर और भी अच्छा|
मोदी जी – आपने हिमालय को Heal करने की सोची |
प्रदीप जी – हाँ जी सर |
मोदी जी – अभियान भी चलाया | आज कल आपका Campaign कैसा चल रहा है ?
प्रदीप जी – सर बहुत अच्छा चल रहा है | 2020 से ऐसा मानिये कि जितना काम हम पांच साल में करते थे अब वो एक साल में हो जाता है |
मोदी जी – अरे वाह !
प्रदीप जी – हाँ जी, हाँ जी, सर | शुरुआत बहुत nervous हुई थी बहुत डर था इस बात को लेके कि जिंदगी भर ये कर पाएँगे कि नहीं कर पाएँगे पर थोड़ा support मिला और 2020 तक हम बहुत struggle भी कर रहे थे honestly | लोग बहुत कम जुड़ रहे थे बहुत सारे ऐसे लोग थे जो कि support नहीं कर पा रहे थे | हमारी मुहिम को इतना तवज्जो भी नहीं दे रहे थे | But 2020 के बाद जब ‘मन की बात’ में जिक्र हुआ उसके बाद बहुत सारी चीज़े बदल गई | मतलब पहले हम, साल में 6-7 cleaning drive कर पाते थे, 10 cleaning drive कर पाते थे | आज की date में हम daily bases पे पाँच टन कचरा इक्कठा करते हैं | अलग-अलग location से |
मोदी जी – अरे वाह !
प्रदीप जी – ‘मन की बात’ में जिक्र होने के बाद आप सर believe करें मेरी बात को कि मैं almost give-up करने की stage पर था एक टाइम पे और उसके बाद फिर बहुत सारा बदलाव आया मेरे जीवन में और चीजें इतनी speed-up हो गई कि जो चीजें हमने सोची नहीं थी | So I’m really thankful कि पता नहीं कैसे हमारे जैसे लोगों को आप ढूंढ लेते हैं | कौन इतनी दूर-दराज area में काम करता है हिमालय के क्षेत्र में जाके बैठ के हम काम कर रहे हैं | इस altitude पे हम काम कर रहे हैं | वहाँ पे आपने ढूंढा हमें | हमारे काम को दुनिया के सामने ले के आये | तो मेरे लिए बहुत emotional moment था तब भी और आज भी कि मैं जो हमारे देश के जो प्रथम सेवक हैं उनसे मैं बातचीत कर पा रहा हूँ | मेरे लिए इससे बड़े सौभाग्य की बात नहीं हो सकती |
मोदी जी – प्रदीप जी ! आप तो हिमालय की चोटियों पर सच्चे अर्थ में साधना कर रहे हैं और मुझे पक्का विश्वास है अब आपका नाम सुनते ही लोगों को याद आ जाता है कि आप कैसे पहाड़ों की स्वच्छता अभियान में जुड़े हैं |
प्रदीप जी – हाँ जी सर |
मोदी जी – और जैसा आपने बताया कि अब तो बहुत बड़ी team बनती जा रही है और आप इतनी बड़ी मात्रा में daily काम कर रहे हैं|
प्रदीप जी – हाँ जी सर |
मोदी जी – और मुझे पूरा विश्वास है कि आपके इन प्रयासों से, उसकी चर्चा से, अब तो कितने ही पर्वतारोही स्वच्छता से जुड़े photo post करने लगे हैं |
प्रदीप जी – हाँ जी सर ! बहुत |
मोदी जी – ये अच्छी बात है, आप जैसे साथियों के प्रयास के कारण waste is also a wealth ये लोगों के दिमाग में अब स्थिर हो रहा है, और पर्यावरण की भी रक्षा अब हो रही है और हिमालय का जो हमारा गर्व है उसको संभालना, संवारना और सामान्य मानवी भी जुड़ रहा है | प्रदीप जी बहुत अच्छा लगा मुझे | बहुत-बहुत धन्यवाद भईया |
प्रदीप जी - Thank you Sir Thank you so much जय हिन्द |
साथियो, आज देश में Tourism बहुत तेजी से Grow कर रहा है | हमारे ये प्राकृतिक संसाधन हों, नदियाँ, पहाड़, तालाब या फिर हमारे तीर्थ स्थल हों, उन्हें साफ़ रखना बहुत ज़रूरी है | ये Tourism Industry की बहुत मदद करेगा | पर्यटन में स्वच्छता के साथ-साथ हमने Incredible India movement की भी कई बार चर्चा की है | इस movement से लोगों को पहली बार ऐसे कितनी ही जगहों के बारे में पता चला, जो उनके आस-पास ही थे | मैं हमेशा ही कहता हूँ कि हमें विदेशों में Tourism पर जाने से पहले हमारे देश के कम से कम 15 Tourist destination पर जरुर जाना चाहिए और यह Destination जिस राज्य में आप रहते हैं, वहां के नहीं होने चाहिए, आपके राज्य से बाहर किसी अन्य राज्य के होने चाहिए | ऐसे ही हमने स्वच्छ सियाचिन, single use plastic और e-waste जैसे गंभीर विषयों पर भी लगातार बात की है | आज पूरी दुनिया पर्यावरण के जिस issue को लेकर इतना परेशान है, उसके समाधान में ‘मन की बात’ का ये प्रयास बहुत अहम है |
साथियो, ‘मन की बात’ को लेकर मुझे इस बार एक और खास संदेश UNESCO की DG औद्रे ऑजुले (Audrey Azoulay) का आया है | उन्होंने सभी देशवासियों को सौ एपिसोड्स (100th Episodes) की इस शानदार journey के लिये शुभकामनायें दी हैं | साथ ही, उन्होनें कुछ सवाल भी पूछे हैं | आइये, पहले UNESCO की DG के मन की बात सुनते हैं |
#Audio (UNESCO DG)#
DG UNESCO: Namaste Excellency, Dear Prime Minister on behalf of UNESCO I thank you for this opportunity to be part of the 100th episode of the ‘Mann Ki Baat’ Radio broadcast. UNESCO and India have a long common history. We have very strong partnerships together in all areas of our mandate - education, science, culture and information and I would like to take this opportunity today to talk about the importance of education. UNESCO is working with its member states to ensure that everyone in the world has access to quality education by 2030. With the largest population in the world, could you please explain Indian way to achieving this objective. UNESCO also works to support culture and protect heritage and India is chairing the G-20 this year. World leaders would be coming to Delhi for this event. Excellency, how does India want to put culture and education at the top of the international agenda? I once again thank you for this opportunity and convey my very best wishes through you to the people of India....see you soon. Thank you very much.
PM Modi: Thank you, Excellency. I am happy to interact with you in the 100th ‘Mann ki Baat’ programme. I am also happy that you have raised the important issues of education and culture.
साथियो, UNESCO की DG ने Education और Cultural Preservation, यानी शिक्षा और संस्कृति संरक्षण को लेकर भारत के प्रयासों के बारे में जानना चाहा है | ये दोनों ही विषय ‘मन की बात’ के पसंदीदा विषय रहे हैं |
बात शिक्षा की हो या संस्कृति की, उसके संरक्षण की बात हो या संवर्धन की, भारत की यह प्राचीन परंपरा रही है | इस दिशा में आज देश जो काम कर रहा है, वो वाकई बहुत सराहनीय है | National Education Policy हो या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का विकल्प हो, Education में Technology Integration हो, आपको ऐसे अनेक प्रयास देखने को मिलेंगे | वर्षों पहले गुजरात में बेहतर शिक्षा देने और Dropout Rates को कम करने के लिए ‘गुणोत्सव और शाला प्रवेशोत्सव’ जैसे कार्यक्रम जनभागीदारी की एक अद्भुत मिसाल बन गए थे | ‘मन की बात’ में हमने ऐसे कितने ही लोगों के प्रयासों को Highlight किया है, जो नि:स्वार्थ भाव से शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं | आपको याद होगा, एक बार हमने ओडिशा में ठेले पर चाय बेचने वाले स्वर्गीय डी. प्रकाश राव जी के बारे में चर्चा की थी, जो गरीब बच्चों को पढ़ाने के मिशन में लगे हुए थे | झारखण्ड के गांवों में Digital Library चलाने वाले संजय कश्यप जी हों, Covid के दौरान E-learning के जरिये कई बच्चों की मदद करने वाली हेमलता N.K. जी हों, ऐसे अनेक शिक्षकों के उदाहरण हमने ‘मन की बात’ में लिये हैं | हमने Cultural Preservation के प्रयासों को भी ‘मन की बात’ में लगातार जगह दी है |
लक्षदीप का Kummel Brothers Challengers Club हो, या कर्नाटका के ‘क्वेमश्री’ जी ‘कला चेतना’ जैसे मंच हो, देश के कोने-कोने से लोगों ने मुझे चिट्ठी लिखकर ऐसे उदाहरण भेजे हैं | हमने उन तीन Competitions को लेकर भी बात की थी, जो देशभक्ति पर ‘गीत’ ‘लोरी’ और ‘रंगोली’ से जुड़े थे | आपको ध्यान होगा, एक बार हमने देश भर के Story Tellers से Story Telling के माध्यम से शिक्षा की भारतीय विधाओं पर चर्चा की थी | मेरा अटूट विश्वास है कि सामूहिक प्रयास से बड़े से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है | इस साल हम जहाँ आजादी के अमृतकाल में आगे बढ़ रहे हैं, वहीं G-20 की अध्यक्षता भी कर रहे हैं | यह भी एक वजह है कि Education के साथ-साथ Diverse Global Cultures को समृद्ध करने के लिये हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे उपनिषदों का एक मंत्र सदियों से हमारे मानस को प्रेरणा देता आया है |
चरैवेति चरैवेति चरैवेति |
चलते रहो-चलते रहो-चलते रहो |
आज हम इसी चरैवेति चरैवेति की भावना के साथ ‘मन की बात’ का 100वाँ एपिसोड पूरा कर रहे हैं | भारत के सामाजिक ताने-बाने को मजबूती देने में ‘मन की बात’, किसी भी माला के धागे की तरह है, जो हर मनके को जोड़े रखता है | हर एपिसोड में देशवासियों के सेवा और सामर्थ्य ने दूसरों को प्रेरणा दी है | इस कार्यक्रम में हर देशवासी दूसरे देशवासी की प्रेरणा बनता है | एक तरह से ‘मन की बात’ का हर एपिसोड अगले एपिसोड के लिए जमीन तैयार करता है | ‘मन की बात’ हमेशा सद्भावना, सेवा-भावना और कर्तव्य-भावना से ही आगे बढ़ा है | आज़ादी के अमृतकाल में यही Positivity देश को आगे ले जाएगी, नई ऊंचाई पर ले जाएगी और मुझे खुशी है कि ‘मन की बात’ से जो शुरुआत हुई, वो आज देश की नई परंपरा भी बन रही है | एक ऐसी परंपरा जिसमें हमें सबका प्रयास की भावना के दर्शन होते हैं |
साथियो, मैं आज आकाशवाणी के साथियों को भी धन्यवाद दूंगा जो बहुत धैर्य के साथ इस पूरे कार्यक्रम को रिकॉर्ड करते हैं | वो translators, जो बहुत ही कम समय में, बहुत तेज़ी के साथ ‘मन की बात’ का विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करते हैं, मैं उनका भी आभारी हूँ | मैं दूरदर्शन के और MyGov के साथियों को भी धन्यवाद देता हूँ | देशभर के TV Channels, Electronic media के लोग, जो ‘मन की बात’ को बिना commercial break के दिखाते हैं, उन सभी का मैं आभार व्यक्त करता हूँ और आखिरी में, मैं उनका भी आभार व्यक्त करूँगा, जो ‘मन की बात’ की कमान संभाले हुए हैं -भारत के लोग, भारत में आस्था रखने वाले लोग | ये सब कुछ आपकी प्रेरणा और ताकत से ही संभव हो पाया है |
साथियो, वैसे तो मेरे मन में आज इतना कुछ कहने को है कि समय और शब्द दोनों कम पड़ रहे हैं | लेकिन मुझे विश्वास है कि आप सब मेरे भावों को समझेंगे, मेरी भावनाओं को समझेंगे | आपके परिवार के ही एक सदस्य के रूप में ‘मन की बात’ के सहारे आपके बीच में रहा हूँ, आपके बीच में रहूँगा | अगले महीने हम एक बार फिर मिलेंगे | फिर से नए विषयों और नई जानकारियों के साथ देशवासियों की सफलताओं को celebrate करेंगे तब तक के लिए मुझे विदा दीजिये और अपना और अपनों का खूब ख्याल रखिए | बहुत-बहुत धन्यवाद | नमस्कार |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में आप सभी का एक बार फिर बहुत-बहुत स्वागत है | आज इस चर्चा को शुरू करते हुए मन-मस्तिष्क में कितने ही भाव उमड़ रहे हैं | हमारा और आपका ‘मन की बात’ का ये साथ, अपने निन्यानवें (99वें) पायदान पर आ पहुँचा है | आम तौर पर हम सुनते हैं कि निन्यानवें (99वें) का फेर बहुत कठिन होता है | क्रिकेट में तो ‘Nervous Nineties’ को बहुत मुश्किल पड़ाव माना जाता है | लेकिन, जहाँ भारत के जन-जन के ‘मन की बात’ हो, वहाँ की प्रेरणा ही कुछ और होती है | मुझे इस बात की भी खुशी है कि ‘मन की बात’ के सौवें (100वें) episode को लेकर देश के लोगों में बहुत उत्साह है | मुझे बहुत सारे सन्देश मिल रहे हैं, फोन आ रहे हैं | आज जब हम आज़ादी का अमृतकाल मना रहे हैं, नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहे हैं, तो सौवें (100वें) ‘मन की बात’ को लेकर, आपके सुझावों, और विचारों को जानने के लिए मैं भी बहुत उत्सुक हूँ | मुझे, आपके ऐसे सुझावों का बेसब्री से इंतज़ार है | वैसे तो इंतज़ार हमेशा होता है लेकिन इस बार ज़रा इंतज़ार ज्यादा है | आपके ये सुझाव और विचार ही 30 अप्रैल को होने वाले सौवें (100वें) ‘मन की बात’ को और यादगार बनाएँगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में हमने ऐसे हजारों लोगों की चर्चा की है, जो दूसरों की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं | कई लोग ऐसे होते हैं जो बेटियों की शिक्षा के लिए अपनी पूरी पेंशन लगा देते हैं, कोई अपने पूरे जीवन की कमाई पर्यावरण और जीव-सेवा के लिए समर्पित कर देता है | हमारे देश में परमार्थ को इतना ऊपर रखा गया है कि दूसरों के सुख के लिए, लोग, अपना सर्वस्व दान देने में भी संकोच नहीं करते | इसलिए तो हमें बचपन से शिवि और दधीचि जैसे देह-दानियों की गाथाएँ सुनाई जाती हैं |
साथियो, आधुनिक Medical Science के इस दौर में Organ Donation, किसी को जीवन देने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन चुका है | कहते हैं, जब एक व्यक्ति मृत्यु के बाद अपना शरीर दान करता है तो उससे 8 से 9 लोगों को एक नया जीवन मिलने की संभावना बनती है | संतोष की बात है कि आज देश में Organ Donation के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है | साल 2013 में, हमारे देश में, Organ Donation के 5 हजार से भी कम cases थे, लेकिन 2022 में, ये संख्या बढ़कर, 15 हजार से ज्यादा हो गई है | Organ Donation करने वाले व्यक्तियों ने, उनके परिवार ने, वाकई, बहुत पुण्य का काम किया है |
साथियो, मेरा बहुत समय से मन था कि मैं ऐसा पुण्य कार्य करने वाले लोगों के ‘मन की बात’ जानूं और इसे देशवासियों के साथ भी share करूं | इसलिए आज ‘मन की बात’ में हमारे साथ एक प्यारी सी बिटिया, एक सुंदर गुडिया के पिता और उनकी माता जी हमारे साथ जुड़ने जा रहे हैं | पिता जी का नाम है सुखबीर सिंह संधू जी और माता जी का नाम है सुप्रीत कौर जी, ये परिवार पंजाब के अमृतसर में रहते हैं | बहुत मन्नतों के बाद उन्हें, एक बहुत सुंदर गुडिया, बिटिया हुई थी | घर के लोगों ने बहुत प्यार से उसका नाम रखा था – अबाबत कौर | अबाबत का अर्थ, दूसरे की सेवा से जुड़ा है, दूसरों का कष्ट दूर करने से जुड़ा है | अबाबत जब सिर्फ उनतालीस (39) दिन की थी, तभी वो यह दुनिया छोड़कर चली गई | लेकिन सुखबीर सिंह संधू जी और उनकी पत्नी सुप्रीत कौर जी ने, उनके परिवार ने, बहुत ही प्रेरणादायी फैसला लिया | ये फैसला था - उनतालीस (39) दिन की उम्र वाली बेटी के अंगदान का, Organ Donation का | हमारे साथ इस समय phone line पर सुखबीर सिंह और उनकी श्रीमती जी मौजूद हैं | आइये, उनसे बात करते हैं |
प्रधानमंत्री जी - सुखबीर जी नमस्ते |
सुखबीर जी – नमस्ते माननीय प्रधानमंत्री जी | सत श्री अकाल
प्रधान मंत्री जी – सत श्री अकाल जी, सत श्री अकाल जी, सुखबीर जी मैं आज ‘मन की बात’ के सम्बन्ध में सोच रहा था तो मुझे लगा कि अबाबत की बात इतनी प्रेरक है वो आप ही के मुँह से सुनुं क्योंकि घर में बेटी का जन्म जब होता है तो अनेक सपने अनेक खुशियाँ लेकर आता है, लेकिन बेटी इतनी जल्दी चली जाए वो कष्ट कितना भयंकर होगा उसका भी मैं अंदाज़ लगा सकता हूँ | जिस प्रकार से आपने फैसला लिया, तो मैं सारी बात जानना चाहता हूँ जी |
सुखबीर जी – सर भगवान ने बहुत अच्छा बच्चा दिया था हमें, बहुत प्यारी गुडिया हमारे घर में आई थी | उसके पैदा होते ही हमें पता चला कि उसके दिमाग में एक ऐसा नाड़ियों का गुच्छा बना हुआ है जिसकी वजह से उसके दिल का आकार बड़ा हो रहा है | तो हम हैरान हो गए कि बच्चे की सेहत इतनी अच्छी है, इतना खुबसूरत बच्चा है और इतनी बड़ी समस्या लेकर पैदा हुआ है तो पहले 24 दिन तक तो बहुत ठीक रहा बच्चा बिलकुल normal रहा | अचानक उसका दिल एकदम काम करना बंद हो गया, तो हम जल्दी से उसको हॉस्पिटल लेके गए, वहाँ, डॉक्टरों ने उसको revive तो कर दिया लेकिन समझने में टाईम लगा कि इसको क्या दिक्कत आई इतनी बड़ी दिक्कत की छोटा सा बच्चा और अचानक दिल का दौरा पड़ गया तो हम उसको इलाज के लिए PGI चंडीगढ़ ले गए | वहां बड़ी बहादुरी से उस बच्चे ने इलाज़ के लिए संघर्ष किया | लेकिन बीमारी ऐसी थी कि उसका इलाज़ इतनी छोटी उम्र में संभव नहीं था | डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की कि उसको revive करवाया जाए अगर छ: महीने के आस-पास बच्चा चला जाए तो उसका operation करने की सोची जा सकती थी | लेकिन भगवान को कुछ और मंजूर था, उन्होंने, केवल 39 days की जब हुई तब डॉक्टर ने कहा कि इसको दोबारा दिल का दौरा पड़ा है अब उम्मीद बहुत कम रह गई है | तो हम दोनों मियाँ-बीवी रोते हुए इस निर्णय पे पहुंचे कि हमने देखा था उसको बहादुरी से जूझते हुए बार बार ऐसे लग रहा था जैसे अब चला जाएगी लेकिन फिर revive कर रही थी तो हमें लगा कि इस बच्चे का यहाँ आने का कोई मकसद है तो उन्होंने जब बिलकुल ही जवाब दे दिया तो हम दोनों ने decide किया कि क्यों न हम इस बच्चे के organ donate कर दे | शायद किसी और की जिंदगी में उजाला आ जाए, फिर हमने PGI के जो administrative block है उनमे संपर्क किया और उन्होंने हमें guide किया कि इतने छोटे बच्चे की केवल kidney ही ली जा सकती है | परमात्मा ने हिम्मत दी गुरु नानक साहब का फलसफा है इसी सोच से हमने decision ले लिया |
प्रधान मंत्री जी– गुरुओं ने जो शिक्षा दी है जी उसे आपने जीकर के दिखाया है जी | सुप्रीत जी है क्या ? उनसे बात हो सकती है ?
सुखबीर जी– जी सर |
सुप्रीत जी– हेल्लो |
प्रधान मंत्री जी– सुप्रीत जी मैं आपको प्रणाम करता हूँ
सुप्रीत जी– नमस्कार सर नमस्कार, सर ये हमारे लिए बड़ी गर्व की बात है कि आप हमसे बात कर रहे हैं |
प्रधान मंत्री जी– आपने इतना बड़ा काम किया है और मैं मानता हूँ देश ये सारी बातें जब सुनेगा तो बहुत लोग किसी की जिंदगी बचाने के लिए आगे आयेंगे | अबाबत का ये योगदान है, ये बहुत बड़ा है जी |
सुप्रीत जी– सर ये भी गुरु नानक बादशाह जी शायद बक्शीश थी कि उन्होंने हिम्मत दी ऐसा decision लेने में |
प्रधान मंत्री जी– गुरुओं की कृपा के बिना तो कुछ हो ही नहीं सकता जी |
सुप्रीत जी– बिलकुल सर, बिलकुल |
प्रधान मंत्री जी– सुखबीर जी जब आप अस्पताल में होंगे और ये हिला देने वाला समाचार जब डॉक्टर ने आपको दिया, उसके बाद भी आपने स्वस्थ मन से आपने और आपकी श्रीमती जी ने इतना बड़ा निर्णय किया, गुरुओं की सीख तो है ही है कि आपके मन में इतना बड़ा उदार विचार और सचमुच में अबाबत का जो अर्थ सामान्य भाषा में कहें तो मददगार होता है | ये काम कर दिया ये उस पल को मैं सुनना चाहता हूँ |
सुखबीर जी– सर actually हमारे एक family friend हैं प्रिया जी उन्होंने अपने organ donate किये थे उनसे भी हमें प्रेरणा मिली तो उस समय तो हमें लगा कि शरीर जो है पञ्च तत्वों में विलीन हो जाएगा | जब कोई बिछड़ जाता है चला जाता है तो उसके शरीर को जला दिया जाता है या दबा दिया जाता है, लेकिन, अगर उसके organ किसी के काम आ जाएँ, तो ये भले का ही काम है, और उस समय हमें, और गर्व महसूस हुआ, जब doctors ने, ये बताया हमें, कि आपकी बेटी, India की youngest donar बनी है जिसके organ successfully transplant हुए, तो हमारा सर गर्व से ऊँचा हो गया, कि जो नाम हम अपने parents का, इस उम्र तक नहीं कर पाए, एक छोटा सा बच्चा आ के
इतने दिनों में हमारा नाम ऊँचा कर गया और इससे और बड़ी बात है कि आज आपसे बात हो रही है इस विषय पे | हम proud feel कर रहे हैं |
प्रधान मंत्री जी - सुखबीर जी, आज आपकी बेटी का सिर्फ एक अंग जीवित है, ऐसा नहीं है | आपकी बेटी मानवता की अमर-गाथा की अमर यात्री बन गई है | अपने शरीर के अंश के जरिए वो आज भी उपस्थित है | इस नेक कार्य के लिए, मैं, आपकी, आपकी श्रीमती जी की, आपके परिवार की, सराहना करता हूं |
सुखबीर जी– Thank You sir.
साथियो, organ donation के लिए सबसे बड़ा जज्बा यही होता है कि जाते-जाते भी किसी का भला हो जाए, किसी का जीवन बच जाए | जो लोग, organ donation का इंतजार करते हैं, वो जानते हैं, कि, इंतजार का एक-एक पल गुजरना, कितना मुश्किल होता है | और ऐसे में जब कोई अंगदान या देहदान करने वाला मिल जाता है, तो उसमें, ईश्वर का स्वरूप ही नजर आता है | झारखंड की रहने वाली स्नेहलता चौधरी जी भी ऐसी ही थी जिन्होंने ईश्वर बनकर दूसरों को जिंदगी दी | 63 वर्ष की स्नेहलता चौधरी जी, अपना heart, kidney और liver, दान करके गईं | आज ‘मन की बात’ में, उनके बेटे भाई अभिजीत चौधरी जी हमारे साथ हैं | आइये उनसे सुनते हैं |
प्रधानमंत्री जी- अभिजीत जी नमस्कार |
अभिजीत जी- प्रणाम सर |
प्रधानमंत्री जी- अभिजीत जी आप एक ऐसी माँ के बेटे हैं जिसने आपको जन्म देकर एक प्रकार से जीवन तो दिया ही, लेकिन और जो अपनी मृत्यु के बाद भी आपकी माता जी कई लोगों को जीवन देकर गईं | एक पुत्र के नाते अभिजीत आप जरूर गर्व अनुभव करते होंगे
अभिजीत जी – हाँ जी सर |
प्रधानमंत्री जी- आप, अपनी माता जी के बारे में जरा बताइये, किन परिस्थितियों में organ donation का फैसला लिया गया ?
अभिजीत जी– मेरी माता जी सराइकेला बोलकर एक छोटा सा गाँव है झारखंड में, वहां पर मेरे मम्मी पापा दोनों रहते हैं | ये पिछले पच्चीस साल से लगातार morning walk करते थे और अपने habit के अनुसार सुबह 4 बजे अपने morning walk के लिए निकली थी | उस समय एक motorcycle वाले ने इनको पीछे से धक्का मारा और वो उसी समय गिर गई जिससे उनको सर पे बहुत ज्यादा चोट लगा | तुरंत हम लोग उनको सदर अस्पताल सराइकेला ले गए जहाँ डॉक्टर साहब ने उनकी मरहम पट्टी की पर खून बहुत निकल रहा था | और उनको कोई sense नहीं था | तुरंत हम लोग उनको Tata main hospital लेकर चले गए | वहां उनकी सर्जरी हुई, 48 घंटे के observation के बाद डॉक्टर साहब ने बोला कि वहां से chances बहुत कम हैं | फिर हमने उनको Airlift कर के AIIMS Delhi लेकर आये हम लोग | यहाँ पर उनकी treatment हुई तक़रीबन 7-8 दिन | उसके बाद position ठीक था एकदम उनका blood pressure काफी गिर गया उसके बाद पता चला उनकी brain death हो गई है | तब फिर डॉक्टर साहब हमें प्रोटोकॉल के साथ brief कर रहे थे organ donation के बारे में | हम अपने पिताजी, को शायद ये नहीं बता पाते कि, organ donation type का भी कोई चीज़ होता है, क्योंकि हमें लगा, वो उस बात को absorb नहीं कर पायेंगे, तो, उनके दिमाग से हम ये निकालना चाहते थे कि ऐसा कुछ चल रहा है | जैसे ही हमने उनको बोला की organ donation की बातें चल रही हैं | तब उन्होंने ये बोला की नहीं- नहीं ये मम्मी का बहुत मन था और हमें ये करना है | हम काफी निराश थे उस समय तक जब तक हमें ये पता चला था कि मम्मी नहीं बच सकेंगें, पर जैसे ही ये organ donation वाला discussion चालू हुआ वो निराशा एक बहुत ही positive side चला गया और हम काफी अच्छे एक बहुत ही positive environment में आ गए | उसको करते-करते फिर हम लोग रात में 8 बजे counseling हुई | दूसरे दिन हम लोगों ने organ donation किया | इसमें मम्मी का एक सोच बहुत बड़ा था कि पहले वो काफी नेत्रदान और इन चीजों में social activities में ये बहुत active थी | शायद यही सोच को लेकर के ये इतना बड़ा चीज़ हम लोग कर पाए, और मेरे पिताजी का जो decision making था इस चीज़ के बारे में, इस कारण से ये चीज़ हो पाया |
प्रधानमंत्री जी- कितने लोगों को काम आया अंग ?
अभिजीत जी– इनका heart, दो kidney, liver और दोनों आँख ये donation हुआ था तो चार लोगों की जान और दो जनों को आँख मिला है |
प्रधानमंत्री जी- अभिजीत जी, आपके पिता जी और माताजी दोनों नमन के अधिकारी हैं | मैं उनको प्रणाम करता हूँ और आपके पिताजी ने इतने बड़े निर्णय में, आप परिवार जनों का नेतृत्व किया, ये वाकई बहुत ही प्रेरक है और मैं मानता हूँ कि माँ तो माँ ही होती है | माँ एक अपने आप में प्रेरणा भी होती है | लेकिन माँ जो परम्पराएँ छोड़ कर के जाती हैं, वो पीढ़ी-दर-पीढ़ी, एक बहुत बड़ी ताकत बन जाती हैं | अंगदान के लिए आपकी माता जी की प्रेरणा आज पूरे देश तक पहुँच रही है | मैं आपके इस पवित्र कार्य और महान कार्य के लिए आपके पूरे परिवार को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ | अभिजीत जी धन्यवाद् जी, और आपके पिताजी को हमारा प्रणाम जरूर कह देना |
अभिजीत जी– जरूर-जरूर, thank you.
साथियो, 39 दिन की अबाबत कौर हो या 63 वर्ष की स्नेहलता चौधरी, इनके जैसे दानवीर, हमें, जीवन का महत्व समझाकर जाते हैं | हमारे देश में, आज, बड़ी संख्या में ऐसे जरूरतमंद हैं, जो स्वस्थ जीवन की आशा में किसी organ donate करने वाले का इंतज़ार कर रहे हैं | मुझे संतोष है कि अंगदान को आसान बनाने और प्रोत्साहित करने के लिए पूरे देश में एक जैसी policy पर भी काम हो रहा है | इस दिशा में राज्यों के domicile की शर्त को हटाने का निर्णय भी लिया गया है, यानी, अब देश के किसी भी राज्य में जाकर मरीज organ प्राप्त करने के लिए register करवा पाएगा | सरकार ने organ donation के लिए 65 वर्ष से कम आयु की आयु-सीमा को भी खत्म करने का फैसला लिया है | इन प्रयासों के बीच, मेरा देशवासियों से आग्रह है, कि organ donor, ज्यादा से ज्यादा संख्या में आगे आएं | आपका एक फैसला, कई लोगों की जिंदगी बचा सकता है, जिंदगी बना सकता है |
मेरे प्यारे देशवासियो, ये नवरात्र का समय है, शक्ति की उपासना का समय है | आज, भारत का जो सामर्थ्य नए सिरे से निखरकर सामने आ रहा है, उसमें बहुत बड़ी भूमिका हमारी नारी शक्ति की है | हाल-फिलहाल ऐसे कितने ही उदाहरण हमारे सामने आये हैं | आपने सोशल मीडिया पर, एशिया की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव जी को जरुर देखा होगा | सुरेखा जी, एक और कीर्तिमान बनाते हुये वंदे भारत एक्सप्रेस की भी पहली महिला लोको पायलट बन गई हैं | इसी महीने, producer गुनीत मोंगा और Director कार्तिकी गोंज़ाल्विस उनकी Documentary ‘Elephant Whisperers’ ने Oscar जीतकर देश का नाम रौशन किया है| देश के लिए एक और उपलब्धि Bhabha Atomic Reseach Centre की Scientist, बहन ज्योतिर्मयी मोहंती जी ने भी हासिल की है | ज्योतिर्मयी जी को Chemistry और Chemical Engineering की field में IUPAC का विशेष award मिला है | इस वर्ष की शुरुआत में ही भारत की Under-19 महिला क्रिकेट टीम ने T-20 World cup जीतकर नया इतिहास रचा | अगर आप राजनीति की ओर देखेंगे, तो एक नई शरुआत नागालैंड में हुई है | नागालैंड में 75 वर्षों में पहली बार दो महिला विधायक जीतकर विधानसभा पहुंची है | इनमें से एक को नागालैंड सरकार में मंत्री भी बनाया गया है, यानि, राज्य के लोगों को पहली बार एक महिला मंत्री भी मिली हैं |
साथियो, कुछ दिनों पहले मेरी मुलाकात, उन जांबांज बेटियों से भी हुई, जो, तुर्किए में विनाशकारी भूकंप के बाद वहां के लोगों की मदद के लिए गयी थीं | ये सभी NDRF के दस्ते में शामिल थी | उनके साहस और कुशलता की पूरी दुनिया में तारीफ़ हो रही है | भारत ने UN Mission के तहत शांतिसेना में Women-only Platoon की भी तैनाती की है |
आज, देश की बेटियाँ, हमारी तीनों सेनाओं में, अपने शौर्य का झंडा बुलंद कर रही हैं | Group Captain शालिजा धामी Combat Unit में Command Appointment पाने वाली पहली महिला वायुसेना अधिकारी बनी हैं | उनके पास करीब 3 हजार घंटे का flying experience है | इसी तरह, भारतीय सेना की जांबाज captain शिवा चौहान सियाचिन में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनी हैं | सियाचिन में जहाँ पारा माइनस सिक्सटी (-60) डिग्री तक चला जाता है, वहां शिवा तीन महीनों के लिए तैनात रहेंगी |
साथियो, यह list इतनी लम्बी है कि यहाँ सबकी चर्चा करना भी मुश्किल है | ऐसी सभी महिलाएं, हमारी बेटियां, आज, भारत और भारत के सपनों को ऊर्जा दे रही हैं | नारीशक्ति की ये ऊर्जा ही विकसित भारत की प्राणवायु है |
मेरे प्यारे देशवासियो, इन दिनों पूरे विश्व में स्वच्छ ऊर्जा, renewable energy की खूब बात हो रही है | मैं, जब विश्व के लोगों से मिलता हूँ, तो वो इस क्षेत्र में भारत की अभूतपूर्व सफलता की जरुर चर्चा करते हैं | खासकर, भारत, Solar energy के क्षेत्र में जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, वो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है | भारत के लोग तो सदियों से सूर्य से विशेष रूप से नाता रखते हैं | हमारे यहाँ सूर्य की शक्ति को लेकर जो वैज्ञानिक समझ रही है, सूर्य की उपासना की जो परंपराएँ रही हैं, वो अन्य जगहों पर, कम ही देखने को मिलते हैं | मुझे ख़ुशी है कि आज हर देशवासी सौर ऊर्जा का महत्व भी समझ रहा है, और clean energy में अपना योगदान भी देना चाहता है | ‘सबका प्रयास’ की यही spirit आज भारत के Solar Mission को आगे बढ़ा रही है | महाराष्ट्र के पुणे में, ऐसे ही एक बेहतरीन प्रयास ने, मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा है | यहाँ MSR-Olive Housing Society के लोगों ने तय किया कि वे society में पीने के पानी, लिफ्ट और लाईट जैसे सामूहिक उपयोग की चीजें, अब, solar energy से ही चलाएंगे | इसके बाद इस society में सबने मिलकर Solar Panel लगवाए | आज इन Solar Panels से हर साल करीब 90 हजार किलोवाट Hour बिजली पैदा हो रही है | इससे हर महीने लगभग 40,000 रूपये की बचत हो रही है | इस बचत का लाभ Society के सभी लोगों को हो रहा है |
साथियो, पुणे की तरह ही दमन-दीव में जो दीव है, जो एक अलग जिला है, वहाँ के लोगों ने भी, एक अद्भुत काम करके दिखाया है | आप जानते ही होंगे कि दीव, सोमनाथ के पास है | दीव भारत का पहला ऐसा जिला बना है, जो, दिन के समय सभी जरूरतों के लिए शत्-प्रतिशत Clean Energy का इस्तेमाल कर रहा है | दीव की इस सफलता का मंत्र भी सबका प्रयास ही है | कभी यहाँ बिजली उत्पादन के लिए संसाधनों की चुनौती थी | लोगों ने इस चुनौती के समाधान के लिए Solar Energy को चुना | यहाँ बंजर जमीन और कई Buildings पर Solar Panels लगाए गए | इन Panels से, दीव में, दिन के समय, जितनी बिजली की जरुरत होती है, उससे ज्यादा बिजली पैदा हो रही है | इस Solar Project से, बिजली खरीद पर खर्च होने वाले करीब, 52 करोड़ रूपये भी बचे हैं | इससे पर्यावरण की भी बड़ी रक्षा हुई है |
साथियो, पुणे और दीव उन्होंने जो कर दिखाया है, ऐसे प्रयास देशभर में कई और जगहों पर भी हो रहे हैं | इनसे पता चलता है कि पर्यावरण और प्रकृति को लेकर हम भारतीय कितने संवेदनशील हैं, और हमारा देश, किस तरह भविष्य की पीढ़ी के लिए बहुत जागृत है | मैं इस तरह के सभी प्रयासों की हृदय से सराहना करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश में समय के साथ, स्थिति-परिस्थितियों के अनुसार, अनेक परम्पराएँ विकसित होती हैं | यही परम्पराएँ, हमारी संस्कृति का सामर्थ्य बढ़ाती हैं और उसे नित्य नूतन प्राणशक्ति भी देती हैं | कुछ महीने पहले ऐसी ही एक परंपरा शुरू हुई काशी में | काशी-तमिल संगमम के दौरान, काशी और तमिल क्षेत्र के बीच सदियों से चले आ रहे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को Celebrate किया गया | ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना हमारे देश को मजबूती देती है | हम जब एक-दूसरे के बारे में जानते हैं, सीखते हैं, तो, एकता की ये भावना और प्रगाढ़ होती है | Unity की इसी Spirit के साथ अगले महीने गुजरात के विभिन्न हिस्सों में ‘सौराष्ट्र-तमिल संगमम’ होने जा रहा है | ‘सौराष्ट्र-तमिल संगमम’ 17 से 30 अप्रैल तक चलेगा | ‘मन की बात’ के कुछ श्रोता जरुर सोच रहे होंगे, कि, गुजरात के सौराष्ट्र का तमिलनाडु से क्या संबंध है ? दरअसल, सदियों पहले सौराष्ट्र के अनेकों लोग तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों में बस गए थे | ये लोग आज भी ‘सौराष्ट्री तमिल’ के नाम से जाने जाते हैं | उनके खान-पान, रहन-सहन, सामाजिक संस्कारों में आज भी कुछ-कुछ सौराष्ट्र की झलक मिल जाती है | मुझे इस आयोजन को लेकर तमिलनाडु से बहुत से लोगों ने सराहना भरे पत्र लिखे हैं | मदुरै में रहने वाले जयचंद्रन जी ने एक बड़ी ही भावुक बात लिखी है | उन्होंने कहा है कि – “हजार साल के बाद, पहली बार किसी ने सौराष्ट्र-तमिल के इन रिश्तों के बारे में सोचा है, सौराष्ट्र से तमिलनाडु आकर के बसे हुए लोगों को पूछा है |” जयचंद्रन जी की बातें, हजारों तमिल भाई-बहनों की अभिव्यक्ति हैं |
साथियो, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को, मैं, असम से जुड़ी हुई एक खबर के बारे में बताना चाहता हूँ | ये भी ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करती है | आप सभी जानते हैं कि हम वीर लासित बोरफुकन जी की 400वीं जयंती मना रहे हैं | वीर लासित बोरफुकन ने अत्याचारी मुग़ल सल्तनत के हाथों से, गुवाहाटी को आज़ाद करवाया था | आज देश, इस महान योद्धा के अदम्य साहस से परिचित हो रहा है | कुछ दिन पहले लासित बोरफुकन के जीवन पर आधारित निबंध लेखन का एक अभियान चलाया गया था | आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इसके लिए करीब 45 लाख लोगों ने निबंध भेजे | आपको, ये जानकर भी ख़ुशी होगी कि अब यह एक Guinness Record बन चुका है | और सबसे बड़ी बात है और जो ज्यादा प्रसन्नता की बात ये है, कि, वीर लासित बोरफुकन पर ये जो निबंध लिखे गए है उसमें करीब-करीब 23 अलग-अलग भाषाओँ में लिखा गया है और लोगों ने भेजा है | इनमें, असमिया भाषा के अलावा, हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, बोडो, नेपाली, संस्कृत, संथाली जैसी भाषाओँ में लोगों ने निबंध भेजे हैं | मैं इस प्रयास का हिस्सा बने सभी लोगों की हृदय से प्रशंसा करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, जब कश्मीर या श्रीनगर की बात होती है, तो सबसे पहले, हमारे सामने, उसकी वादियाँ और डल झील की तस्वीर आती है | हम में से हर कोई डल झील के नज़ारों का लुत्फ़ उठाना चाहता है, लेकिन, डल झील में एक और बात ख़ास है | डल झील, अपने स्वादिष्ट Lotus Stems - कमल के तनों या कमल ककड़ी, के लिये भी जानी जाती है | कमल के तनों को देश में अलग-अलग जगह, अलग-अलग नाम से, जानते हैं | कश्मीर में इन्हें नादरू कहते हैं | कश्मीर के नादरू की demand लगातार बढ़ रही है | इस demand को देखते हुए डल झील में नादरू की खेती करने वाले किसानों ने एक FPO बनाया है | इस FPO में करीब 250 किसान शामिल हुए हैं | आज ये किसान अपने नादरू को विदेशों तक भेजने लगे हैं | अभी कुछ समय पहले ही इन किसानों ने दो खेप UAE भेजी हैं | ये सफलता कश्मीर का नाम तो कर ही रही है, साथ ही इससे, सैकड़ों किसानों की, आमदनी भी बढ़ी है |
साथियो, कश्मीर के लोगों का कृषि से ही जुड़ा हुआ ऐसा ही एक और प्रयास इन दिनों अपनी कामयाबी की खुशबू फैला रहा है | आप सोच रहे होंगे कि मैं कामयाबी की खुशबू क्यों बोल रहा हूँ - बात है ही खुशबू की, सुगंध की ही तो बात है! दरअसल, जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में एक कस्बा है ‘भदरवाह’ ! यहाँ के किसान, दशकों से मक्के की पारंपरिक खेती करते आ रहे थे, लेकिन, कुछ किसानों ने, कुछ अलग, करने की सोची | उन्होंने, floriculture, यानी फूलों की खेती का रुख किया | आज, यहाँ के करीब 25 सौ किसान (ढाई हज़ार किसान) लैवेंडर (lavender) की खेती कर रहे हैं | इन्हें केंद्र सरकार के aroma mission से मदद भी मिली है | इस नई खेती ने किसानों की आमदनी में बड़ा इजाफ़ा किया है, और आज, लैवेंडर के साथ-साथ, इनकी सफलता की खुशबू भी, दूर-दूर तक फैल रही है |
साथियो, जब कश्मीर की बात हो, कमल की बात हो, फूल की बात हो, सुगंध की बात हो, तो, कमल के फूल पर विराजमान रहने वाली माँ शारदा का स्मरण आना बहुत स्वाभाविक है | कुछ दिन पूर्व ही कुपवाड़ा में माँ शारदा के भव्य मंदिर का लोकार्पण हुआ है | ये मंदिर उसी मार्ग पर बना है, जहां से कभी शारदा पीठ के दर्शनों के लिये जाया करते थे | स्थानीय लोगों ने इस मंदिर के निर्माण में बहुत मदद की है | मैं, जम्मू-कश्मीर के लोगों को इस शुभ कार्य के लिये बहुत-बहुत बधाई देता हूं |
मेरे प्यारे देशवासियो, इस बार ‘मन की बात’ में बस इतना ही | अगली बार, आपसे, ‘मन की बात’ के सौंवे (100वें) एपिसोड में मुलाकात होगी | आप सभी, अपने सुझाव जरूर भेजिए | मार्च के इस महीने में, हम, होली से लेकर नवरात्रि तक, कई पर्व और त्योहारों में व्यस्त रहे हैं | रमजान का पवित्र महीना भी शुरू हो चूका है | अगले कुछ दिनों में श्री राम नवमी का महापर्व भी आने वाला है | इसके बाद महावीर जयंती, Good Friday और Easter भी आएंगे | अप्रैल के महीने में हम, भारत की दो महान विभूतियों की जयंती भी मनाते हैं | ये दो महापुरुष हैं – महात्मा ज्योतिबा फुले, और बाबा साहब आंबेडकर | इन दोनों ही महापुरुषों ने समाज में भेदभाव मिटाने के लिये अभूतपूर्व योगदान दिया | आज, आजादी के अमृतकाल में, हमें, ऐसी महान विभूतियों से सीखने और निरंतर प्रेरणा लेने की जरुरत है | हमें, अपने कर्तव्यों को, सबसे आगे रखना है | साथियो, इस समय कुछ जगहों पर कोरोना भी बढ़ रहा है | इसलिये आप सभी को एहतियात बरतनी है, स्वच्छता का भी ध्यान रखना है | अगले महीने,‘मन की बात’ के सौवें (100वें) एपिसोड में, हम लोग, फिर मिलेंगे, तब तक के लिए मुझे विदा दीजिए | धन्यवाद | नमस्कार |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | ‘मन की बात’ के इस 98वें एपिसोड में आप सभी के साथ जुड़कर मुझे बहुत खुशी हो रही है | century की तरफ बढ़ते इस सफर में, ‘मन की बात’ को, आप सभी ने, जनभागीदारी की अभिव्यक्ति का, अद्भुत platform बना दिया है | हर महीने, लाखों सदेशों में, कितने ही लोगों के ‘मन की बात’ मुझ तक पहुँचती है | आप, अपने मन की शक्ति तो जानते ही हैं, वैसे ही, समाज की शक्ति से कैसे देश की शक्ति बढ़ती है, ये हमने ‘मन की बात’ के अलग-अलग Episodes में देखा है, समझा है, और मैंने अनुभव किया है - स्वीकार भी किया है | मुझे वो दिन याद है, जब हमने ‘मन की बात’ में भारत के पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहन की बात की थी | तुरंत उस समय देश में एक लहर सी उठ गई भारतीय खेलों के जुड़ने की, इनमें रमने की, इन्हें सीखने की | ‘मन की बात’ में, जब, भारतीय खिलौनों की बात हुई, तो देश के लोगों ने,इसे भी, हाथों-हाथ बढ़ावा दे दिया | अब तो भारतीय खिलौनों का इतना craze हो गया है, कि, विदेशों में भी इनकी demand बहुत बढ़ रही है | जब ‘मन की बात’ में हमने story-telling की भारतीय विधाओं पर बात की, तो इनकी प्रसिद्धि भी, दूर-दूर तक पहुँच गई | लोग, ज्यादा से ज्यादा भारतीय story-telling की विधाओं की तरफ आकर्षित होने लगे |
साथियो, आपको याद होगा सरदार पटेल की जयन्ती यानी ‘एकता दिवस’ के अवसर पर ‘मन की बात’ में हमने तीन competitions की बात की थी | ये प्रतियोगिताएं, देशभक्ति पर ‘गीत’,‘लोरी’ और ‘रंगोली’ इससे जुडी थीं | मुझे, यह बताते हुए खुशी है, देशभर के 700 से अधिक जिलों के 5 लाख से अधिक लोगों ने बढ़-चढ़ कर इसमें हिस्सा लिया है | बच्चे, बड़े, बुजुर्ग, सभी ने, इसमें, बढ़-चढ़कर भागीदारी की और 20 से अधिक भाषाओं में अपनी entries भेजी हैं | इन competitions में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई है | आपमें से हर कोई, अपने आप में, एक champion है, कला साधक है | आप सभी ने यह दिखाया है, कि, अपने देश की विविधता और संस्कृति के लिए आपके ह्रदय में कितना प्रेम है |
साथियो, आज इस मौके पर मुझे लता मंगेशकर जी, लता दीदी की याद आना बहुत स्वाभाविक है | क्योंकि जब ये प्रतियोगिता प्रारंभ हुई थी, उस दिन लता दीदी ने tweet करके देशवासियों से आग्रह किया था कि वे इस प्रथा में जरुर जुड़ें |
साथियो, लोरी writing competition में, पहला पुरस्कार, कर्नाटक के चामराजनगर जिले के बी.एम. मंजूनाथ जी ने जीता है | इन्हें ये पुरस्कार कन्नड़ में लिखी उनकी लोरी ‘मलगू कन्दा’ (Malagu Kanda) के लिए मिला है | इसे लिखने की प्रेरणा इन्हें अपनी माँ और दादी के गाए लोरी-गीतों से मिली | आप इसे सुनेंगे तो आपको भी आनंद आएगा |
“सो जाओ, सो जाओ, बेबी,
मेरे समझदार लाडले, सो जाओ,
दिन चला गया है और अन्धेरा है,
निद्रा देवी आ जायेगी,
सितारों के बाग से,
सपने काट लायेगी,
सो जाओ, सो जाओ,
जोजो...जो..जो..
जोजो...जो..जो..”
असम में कामरूप जिले के रहने वाले दिनेश गोवाला जी ने इस प्रतियोगिता में second prize जीता है | इन्होंने जो लोरी लिखी है, उसमें स्थानीय मिट्टी और metal के बर्तन बनाने वाले कारीगरों के popular craft की छाप है |
कुम्हार दादा झोला लेकर आये हैं,
झोले में भला क्या है?
खोलकर देखा कुम्हार के झोले को तो,
झोले में थी प्यारी सी कटोरी!
हमारी गुड़िया ने कुम्हार से पूछा,
कैसी है ये छोटी सी कटोरी!
गीतों और लोरी की तरह ही Rangoli Competition भी काफी लोकप्रिय रहा | इसमें हिस्सा लेने वालों ने एक से बढ़कर एक सुन्दर रंगोली बनाकर भेजी | इसमें winning entry, पंजाब के, कमल कुमार जी की रही | इन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और अमर शहीद वीर भगत सिंह की बहुत ही सुन्दर रंगोली बनाई | महाराष्ट्र के सांगली के सचिन नरेंद्र अवसारी जी ने अपनी रंगोली में जलियांवाला बाग, उसका नरसंहार और शहीद उधम सिंह की बहादुरी को प्रदर्शित किया | गोवा के रहने वाले गुरुदत्त वान्टेकर जी ने गांधी जी की रंगोली बनाई, जबकि पुदुचेरी के मालातिसेल्वम जी ने भी आजादी के कई महान सेनानियों पर अपना focus रखा | देशभक्ति गीत प्रतियोगिता की विजेता,टी. विजय दुर्गा जी आन्ध्र प्रदेश की हैं | उन्होंने, तेलुगु में अपनी entry भेजी थी | वे अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी नरसिम्हा रेड्डी गारू जी से काफी प्रेरित रही हैं | आप भी सुनिये विजय दुर्गा जी की entry का यह हिस्सा
रेनाडू प्रांत के सूरज,
हे वीर नरसिंह!
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अंकुर हो, अंकुश हो!
अंग्रेजों के न्याय रहित निरंकुश दमन कांड को देख
खून तेरा सुलगा और आग उगला!
रेनाडू प्रांत के सूरज,
हे वीर नरसिंह!
तेलुगु के बाद, अब मैं, आपको, मैथिली में एक clip सुनाता हूँ | इसे दीपक वत्स जी ने भेजा है | उन्होंने भी इस प्रतियोगिता में पुरस्कार जीता है |
भारत दुनियाँ की शान है भैया,
अपना देश महान है,
तीन दिशा समुन्द्र से घिरा,
उत्तर में कैलाश बलवान है,
गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी,
कोशी, कमला बलान है,
अपना देश महान है भैया,
तिरंगे में बसा प्राण है
साथियो, मुझे उम्मीद है, आपको ये पसंद आई होगी | प्रतियोगिता में आयी इस तरह की entries की list बहुत लम्बी है | आप, संस्कृति मंत्रालय की वेबसाईट पर जाकर, इन्हें, अपने परिवार के साथ देखें और सुनें - आपको बहुत प्रेरणा मिलेगी |
मेरे प्यारे देशवासियो, बात बनारस की हो, शहनाई की हो, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जी की हो, तो, स्वाभाविक है कि मेरा ध्यान उस तरफ जाएगा ही | कुछ दिन पहले ‘उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार’ दिए गए | ये पुरस्कार music और performing arts के क्षेत्र में उभर रहे, प्रतिभाशाली कलाकारों को दिए जाते हैं | ये कला और संगीत जगत की लोकप्रियता बढ़ाने के साथ ही इसकी समृद्धि में अपना योगदान दे रहे हैं | इनमें, वे कलाकार भी शामिल हैं, जिन्होंने, उन instruments में नई जान फूंकी है, जिनकी popularity समय के साथ कम होती जा रही थी | अब, आप सभी इस tune को ध्यान से सुनिए ...
क्या आप जानते हैं ये कौन सा instrument है ? संभव है आपको पता न भी हो! इस वाद्यमंत्र का नाम ‘सुरसिंगार’ है और इस धुन को तैयार किया है जॉयदीप मुखर्जी ने | जॉयदीप जी, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार से सम्मानित युवाओं में शामिल हैं | इस instrument की धुनों को सुनना पिछले 50 और 60 के दशक से ही दुर्लभ हो चुका था, लेकिन, जॉयदीप, सुरसिंगार को फिर से Popular बनाने में जी-जान से जुटे हैं | उसी प्रकार बहन उप्पलपू नागमणि जी का प्रयास भी बहुत ही प्रेरक है, जिन्हें Mandolin में Carnatic Instrumental के लिए यह पुरस्कार दिया गया है | वहीँ, संग्राम सिंह सुहास भंडारे जी को वारकरी कीर्तन के लिए यह पुरस्कार मिला है | इस list में सिर्फ संगीत से जुड़े कलाकार ही नहीं है - वी दुर्गा देवी जी ने, नृत्य की एक प्राचीन शैली,‘करकट्टम’ के लिए यह पुरस्कार जीता है | इस पुरस्कार के एक और विजेता, राज कुमार नायक जी ने, तेलंगाना के 31 जिलों में, 101 दिन तक चलने वाली पेरिनी ओडिसी का आयोजन किया था | आज, लोग, इन्हें, पेरिनी राजकुमार के नाम से जानने लगे हैं | पेरिनी नाट्यम, भगवान शिव को समर्पित एक नृत्य है, जो काकतीय Dynasty के दौर में काफी लोकप्रिय था | इस Dynasty की जड़ें आज के तेलंगाना से जुड़ी हैं | एक अन्य पुरस्कार विजेता साइखौम सुरचंद्रा सिंह जी हैं | ये मैतेई पुंग Instrument बनाने में अपनी महारत के लिए जाने जाते हैं | इस Instrument का मणिपुर से नाता है | पूरन सिंह एक दिव्यांग कलाकार हैं, जो, राजूला-मलुशाही, न्यौली, हुड़का बोल, जागर जैसी विभिन्न Music Forms को लोकप्रिय बना रहे हैं | इन्होंने इनसे जुड़ी कई Audio Recordings भी तैयार की हैं | उत्तराखंड के Folk Music में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर पूरन सिंह जी ने कई पुरस्कार भी जीते हैं | समय की सीमा के चलते, मैं, यहाँ, सभी Awardees की बातें भले न कर पाऊं, लेकिन मुझे विश्वास है कि, आप, उनके बारे में जरुर पढ़ेंगे | मुझे उम्मीद है, कि, ये सभी कलाकार, Performing Arts को और Popular बनाने के लिए Grassroots पर सभी को प्रेरित करते रहेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, तेजी से आगे बढ़ते हमारे देश में Digital India की ताकत कोने-कोने में दिख रही है | Digital India की शक्ति को घर-घर पहुँचाने में अलग-अलग Apps की बड़ी भूमिका होती है | ऐसा ही एक App है, E-Sanjeevani | इस App से Tele-consultation, यानी, दूर बैठे, video conference के माध्यम से, डॉक्टर से, अपनी बीमारी के बारे में सलाह कर सकते हैं | इस App का उपयोग करके अब तक Tele-consultation करने वालों की संख्या 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है | आप कल्पना कर सकते हैं | video conference के माध्यम से 10 करोड़ Consultations! मरीज और डॉक्टर के साथ अद्भुत नाता - ये बहुत बड़ी achievement है | इस उपलब्धि के लिए, मैं, सभी डॉक्टरों और इस सुविधा का लाभ उठाने वाले मरीजों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ | भारत के लोगों ने, तकनीक को, कैसे, अपने जीवन का हिस्सा बनाया है, ये इसका जीता-जागता उदाहरण है | हमने देखा है कि कोरोना के काल में E-Sanjeevani App इसके जरिए Tele-consultation लोगों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हुआ है | मेरा भी मन हुआ, कि क्यों ना इसके बारे में ‘मन की बात’ में हम एक डॉक्टर और एक मरीज से बात करें, संवाद करें और आप तक बात को पहुंचाएं| हम ये जानने की कोशिश करें कि, Tele-consultation, लोगों के लिए, आखिर, कितना प्रभावी रहा है | हमारे साथ सिक्किम से डॉक्टर मदन मणि जी हैं | डॉक्टर मदन मणि जी रहने वाले सिक्किम के ही हैं, लेकिन उन्होंने MBBS धनबाद से किया और फिर Banaras Hindu University से MD किया | वो ग्रामीण इलाकों के सैकड़ों लोगों को Tele-consultation दे चुके हैं |
प्रधानमंत्री जी: नमस्कार... नमस्कार मदन मणि जी |
डॉ. मदन मणि: जी नमस्कार सर |
प्रधानमंत्री जी: मैं नरेन्द्र मोदी बोल रहा हूँ |
डॉ. मदन मणि: जी... जी सर |
प्रधानमंत्री जी: आप तो बनारस में पढ़े हैं |
डॉ. मदन मणि: जी मैं बनारस में पढ़ा हूँ सर|
प्रधानमंत्री जी: आपका medical education वहीँ हुआ |
डॉ. मदन मणि: जी... जी |
प्रधानमंत्री जी: तो जब आप बनारस में थे तब का बनारस और आज बदला हुआ बनारस कभी देखने गए कि नहीं गए |
डॉ. मदन मणि: जी प्रधानमत्री जी मैं जा नहीं पाया हूँ, जबसे में वापस सिक्किम आया हूँ, लेकिन मैंने सुना है कि काफी बदल गया है |
प्रधानमंत्री जी: तो कितने साल हो गए आपको बनारस छोड़े ?
डॉ. मदन मणि: बनारस 2006 से छोड़ा हुआ हूँ सर |
प्रधानमंत्री जी: ओह... फिर तो आपको जरुर जाना चाहिए |
डॉ. मदन मणि: जी... जी |
प्रधानमंत्री जी: अच्छा, मैंने फ़ोन तो इसलिए किया कि आप सिक्किम के अंदर दूर-सुदूर पहाड़ों में रहकर के वहाँ के लोगों को Tele Consultation का बहुत बड़ी सेवाएँ दे रहे हैं |
डॉ. मदन मणि: जी |
प्रधानमंत्री जी: मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं को आपका अनुभव सुनाना चाहता हूँ |
डॉ. मदन मणि: जी |
प्रधानमंत्री जी: जरा मुझे बताइए, कैसा अनुभव रहा ?
डॉ. मदन मणि: अनुभव, बहुत बढ़िया रहा प्रधानमंत्री जी | क्या है कि सिक्किम में बहुत नजदीक का जो PHC है, वहाँ जाने के लिए भी लोगों को गाड़ी में चढ़ के कम-से-कम एक-दो सौ रूपया ले के जाना पड़ता है | और डॉक्टर मिले, नहीं मिले ये भी एक problem है | तो Tele Consultation के माध्यम से लोग हम लोग से सीधे जुड़ जाते हैं, दूर-दराज के लोग | Health & Wellness Centre के जो CHOs होते हैं, वो लोग, हम लोग से, connect करवा देते हैं | और हम लोग का जो पुरानी उनकी बीमारी है उनकी reports, उनका अभी का present condition सारी चीज़ें वो हम लोग को बता देते हैं |
प्रधानमंत्री जी: यानि document transfer करते हैं |
डॉ. मदन मणि: जी.. जी | Document transfer भी करते हैं और अगर transfer नहीं कर सके तो वो पढ़ के हम लोगों को बताते हैं |
प्रधानमंत्री जी: वहाँ का Wellness Centre का doctor बताता है |
डॉ. मदन मणि: जी, Wellness Centre में जो CHO रहता है, Community Health Officer |
प्रधानमंत्री जी: और जो patient है वो अपनी कठिनाईयाँ आपको सीधी बताता है |
डॉ. मदन मणि: जी, patient भी कठिनाइयाँ हम को बताता है | फिर पुराने records देख के फिर अगर कोई नई चीज़ें हम लोगों को जानना है | जैसे किसी का Chest Auscultate करना है, अगर उनको पैर सूजा है कि नहीं ? अगर CHO ने नहीं देखा है तो हम लोग उसको बोलते है कि जाके देखो सूजन है, नहीं है, आँख देखो, anaemia है कि नहीं है, उसका अगर खाँसी है तो Chest को Auscultate करो और पता करो कि वहाँ पे sounds है कि नहीं |
प्रधानमंत्री जी: आप Voice Call से बात करते हैं या Video Call का भी उपयोग करते हैं ?
डॉ. मदन मणि: जी, Video Call का उपयोग करते हैं |
प्रधानमंत्री जी: तो आप Patient को भी, आप भी देखते हैं |
डॉ. मदन मणि: Patient को भी देख पाते हैं, जी |
प्रधानमंत्री जी: Patient को क्या feeling आता है ?
डॉ. मदन मणि: Patient को अच्छा लगता है क्योंकि डॉक्टर को नज़दीक से वो देख पाता है | उसको confusion रहता है कि उसका दवा घटाना है, बढ़ाना है, क्योंकि, सिक्किम में ज्यादातर जो patient होते हैं, वो, diabetes, Hypertension के आते हैं और एक diabetes और hypertension के दवा को change करने के लिये उसको डॉक्टर मिलने के लिए कितना दूर जाना पड़ता है | लेकिन Tele Consultation के through वहीँ मिल जाता है और दवा भी health & Wellness Centre में Free Drugs initiative के through मिल जाता है | तो वहीँ से दवा भी लेके जाता है वो |
प्रधानमंत्री जी: अच्छा मदन मणि जी, आप तो जानते ही हैं कि patient का एक स्वभाव रहता है कि जब तक वो डॉक्टर आता नहीं है, डॉक्टर देखता नहीं है, उसको संतोष नहीं होता है और डॉक्टर को भी लगता है जरा मरीज को देखना पड़ेगा, अब वहाँ सारा ही Telecom में Consultation होता है तो डॉक्टर को क्या feel होता है, patient को क्या feel होता है ?
डॉ. मदन मणि: जी, वो हम लोग को भी लगता है कि अगर patient को लगता है कि डॉक्टर को देखना चाहिए, तो हम लोग को, जो-जो चीज़ें देखना है, वो, हम लोग,CHO को बोल के, video में ही हम लोग देखने के लिए बोलते हैं | और कभी-कभी तो patient को video में ही नजदीक में आ के उसकी जो परेशानियाँ है अगर किसी को चर्म का problem है, skin का problem है तो वो हम लोग को video से ही दिखा देते हैं | तो संतुष्टि रहता है उन लोगों को |
प्रधानमंत्री जी: और बाद में उसका उपचार करने के बाद उसको संतोष मिलता है, क्या अनुभव आता है ? Patient ठीक हो रहे हैं?
डॉ. मदन मणि: जी, बहुत संतोष मिलता है | हमको भी संतोष मिलता है सर | क्योंकि मैं अभी स्वास्थ्य विभाग में हूँ और साथ-साथ में Tele Consultation भी करता हूँ तो file के साथ-साथ patient को भी देखना मेरे लिए बहुत अच्छा, सुखद अनुभव रहता है |
प्रधानमंत्री जी: Average, कितने patient आपको Tele Consultation case आते होंगे ?
डॉ. मदन मणि: अभी तक मैंने 536 patient देखे हैं |
प्रधानमंत्री जी: ओह... यानि आपको काफी इसमें महारथ आ गई है |
डॉ. मदन मणि: जी, अच्छा लगता है देखने में |
प्रधानमंत्री जी: चलिए, मैं आपको शुभकामनाएँ देता हूँ | इस Technology का उपयोग करते हुए आप सिक्किम के दूर-सुदूर जंगलों में, पहाड़ों में रहने वाले लोगों की इतनी बड़ी सेवा कर रहे हैं | और खुशी की बात है कि हमारे देश के दूर-दराज क्षेत्र में भी technology का इतना बढ़िया उपयोग हो रहा है | चलिए, मेरी तरफ़ से आपको बहुत-बहुत बधाई |
डॉ. मदन मणि: Thank You!
साथियो, डॉक्टर मदन मणि जी की बातों से साफ़ है कि E-Sanjeevani App, किस तरह उनकी मदद कर रहा है | डॉक्टर मदन जी के बाद अब हम एक और मदन जी से जुड़ते हैं | ये उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के रहने वाले मदन मोहन लाल जी हैं | अब ये भी संयोग है कि चंदौली भी बनारस से सटा हुआ है | आइये मदन मोहन जी से जानते हैं कि E-Sanjeevani को लेकर एक मरीज के रूप में उनका अनुभव क्या रहा है ?
प्रधानमंत्री जी: मदन मोहन जी, प्रणाम !
मदन मोहन जी: नमस्कार, नमस्कार साहब |
प्रधानमंत्री जी: नमस्कार! अच्छा, मुझे बताया गया है कि आप diabetes के मरीज हैं |
मदन मोहन जी: जी |
प्रधानमंत्री जी: और आप technology का उपयोग करके Tele-Consultation कर-कर के अपनी बीमारी के संबंध में मदद लेते हैं |
मदन मोहन जी: जी |
प्रधानमंत्री जी: एक patient के नाते, एक दर्दी के रूप में, मैं, आपके अनुभव सुनना चाहता हूँ, ताकि, मैं, देशवासियों तक इस बात को पहुँचाना चाहूँ कि आज की technology से हमारे गाँव में रहने वाले लोग भी किस प्रकार से इसका उपयोग भी कर सकते हैं | जरा बताइये कैसे करते हैं ?
मदन मोहन जी: ऐसा है सर जी, हॉस्पिटलें दूर हैं और जब diabetes हमको हुआ तो हम को जो है 5-6 किलोमीटर दूर जा कर के इलाज करवाना पड़ता था, दिखाना पड़ता था | और जब से व्यवस्था आप द्वारा बनाई गई है | इसे है कि हम अब जाता हूँ, हमारा जांच होता है, हमको बाहर के डॉक्टरों से बात भी करा देती हैं और दवा भी दे देती हैं | इससे हमको बड़ा लाभ है और, और लोगों को भी लाभ है इससे |
प्रधानमंत्री जी: तो एक ही डॉक्टर हर बार आपको देखते हैं कि डॉक्टर बदलते जाते है ?
मदन मोहन जी: जैसे उनको नहीं समझ, डॉक्टर को दिखा देती हैं | वो ही बात करके दूसरे डॉक्टर से हमसे बात कराती हैं |
प्रधानमंत्री जी: और डॉक्टर आपको जो guidance देते हैं वो आपको पूरा फायदा होता है उससे |
मदन मोहन जी: हमको फायदा होता है | हमको उससे बहुत बड़ा फायदा है | और गाँव के लोगों को भी फायदा उससे है | सभी लोग वहाँ पूछते हैं कि भईया हमारा BP है, हमारा sugar है, test करो, जांच करो, दवा बताओ | और पहले तो 5-6 किलोमीटर दूर जाते थे, लम्बी लाईन लगी रहती थी, Pathology में लाइन लगी रहती थी | एक-एक दिन का समय नुकसान होता था |
प्रधानमंत्री जी: मतलब, आपका समय भी बच जाता है |
मदन मोहन जी: और पैसा भी व्यय होता था और यहाँ पर नि:शुल्क सेवाएँ सब हो रही हैं |
प्रधानमंत्री जी: अच्छा, जब आप अपने सामने डॉक्टर को मिलते हैं तो एक विश्वास बनता है | चलो भई, डॉक्टर है, उन्होंने मेरी नाड़ी देख ली है, मेरी आँखें देख ली है, मेरा जीभ को भी check कर लिया है | तो एक अलग feeling आता है | अब ये Tele Consultation करते हैं तो वैसा ही संतोष होता है आपको ?
मदन मोहन जी: हाँ, संतोष होता है | के वो हमारी नाड़ी पकड़ रहे हैं, आला लगा रहे हैं, ऐसा मुझे महसूस होता है और हमको बड़ा तबीयत खुश होती है कि भई इतनी अच्छी व्यवस्था आप द्वारा बनाई गई है कि जिससे कि हमको यहाँ परेशानी से जाना पड़ता था, गाड़ी का भाड़ा देना पड़ता था, वहाँ लाईन लगाना पड़ता था | और सारी सुविधाएँ हमको घर बैठे-बैठे मिल रही हैं |
प्रधानमंत्री जी: चलिए, मदन मोहन जी मेरी तरफ़ से आपको बहुत शुभकामनाएं हैं | उम्र के इस पड़ाव पर भी आप technology को सीखे हैं, technology का उपयोग करते है | औरों को भी बताइए ताकि लोगों का समय भी बच जाए, धन भी बच जाए और उनको जो भी मार्गदर्शन मिलता है उससे दवाईयाँ भी अच्छे ढंग से हो सकती हैं |
मदन मोहन जी: हाँ, और क्या |
प्रधानमंत्री जी: चलिए, मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ हैं आपको मदन मोहन जी |
मदन मोहन जी: बनारस को साहब आपने काशी विश्वनाथ स्टेशन बना दिया, development कर दिया | ये आपको बधाई है हमारी तरफ़ से |
प्रधानमंत्री जी: मैं आपका धन्यवाद करता हूँ | हमने क्या बनाया जी, बनारस के लोगों ने बनारस को बनाया है | नहीं तो, हम तो माँ गंगा की सेवा के लिए, माँ गंगा ने बुलाया है, बस, और कुछ नहीं | ठीक है जी, बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आपको | प्रणाम जी |
मदन मोहन जी: नमस्कार सर !
प्रधानमंत्री जी: नमस्कार जी !
साथियो, देश के सामान्य मानवी के लिए, मध्यम वर्ग के लिए, पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वालों के लिए, E-Sanjeevani, जीवन रक्षा करने वाला App बन रहा है | ये है भारत की digital क्रान्ति की शक्ति | और इसका प्रभाव आज हम हर क्षेत्र में देख रहे हैं | भारत के UPI की ताकत भी आप जानते ही हैं | दुनिया के कितने ही देश, इसकी तरफ आकर्षित हैं | कुछ दिन पहले ही भारत और सिंगापुर के बीच UPI-Pay Now Link launch किया गया | अब, सिंगापुर और भारत के लोग, अपने मोबाईल फ़ोन से उसी तरह पैसे transfer कर रहे हैं जैसे वे अपने-अपने देश के अन्दर करते हैं | मुझे खुशी है कि लोगों ने इसका लाभ उठाना शुरू कर दिया है | भारत का E-Sanjeevani App हो या फिर UPI, ये Ease of Livingको बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हुए हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, जब किसी देश में विलुप्त हो रहे किसी पक्षी की प्रजाति को, किसी जीव-जंतु को बचा लिया जाता है, तो उसकी पूरी दुनिया में चर्चा होती है | हमारे देश में ऐसी अनेकों महान परम्पराएँ भी हैं जो लुप्त हो चुकी थी, लोगों के मन-मस्तिष्क से हट चुकी थी, लेकिन अब इन्हें जनभागीदारी की शक्ति से पुनर्जीवित करने का प्रयास हो रहा है तो इसकी चर्चा के लिए ‘मन की बात’ से बेहतर मंच और क्या होगा ?
अब जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ, वो जानकर वाकई आपको बहुत प्रसन्नता होगी, विरासत पर गर्व होगा | अमेरिका में रहने वाले श्रीमान कंचन बैनर्जी ने विरासत के संरक्षण से जुड़े ऐसे ही एक अभियान की तरफ मेरा ध्यान आकर्षित किया है | मैं उनका अभिनंदन करता हूँ | साथियो, पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के बांसबेरिया में, इस महीने, ‘त्रिबेनी कुम्भो मोहोत्शौव’ का आयोजन किया गया | इसमें आठ लाख से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हुए लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह इतना विशेष क्यों है? विशेष इसलिए, क्योंकि, इस प्रथा को 700 साल के बाद पुनर्जीवित किया गया है | यूं तो ये परंपरा हजारों वर्ष पुरानी है लेकिन दुर्भाग्य से 700 साल पहले बंगाल के त्रिबेनी में होने वाला ये महोत्सव बंद हो गया था | इसे आजादी के बाद शुरू किया जाना चाहिए था, लेकिन, वो भी नहीं हो पाया | दो वर्ष पहले, स्थानीय लोग और ‘त्रिबेनी कुंभो पॉरिचालोना शॉमिति’ के माध्यम से, ये महोत्सव, फिर शुरू हुआ है | मैं इसके आयोजन से जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आप, सिर्फ एक परंपरा को ही जीवित नहीं कर रहे हैं, बल्कि आप, भारत की सांस्कृतिक विरासत की भी रक्षा भी कर रहे हैं |
साथियो, पश्चिम बंगाल में त्रिबेनी को सदियों से एक पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है | इसका उल्लेख, विभिन्न मंगलकाव्य, वैष्णव साहित्य, शाक्त साहित्य और अन्य बंगाली साहित्यिक कृतियों में भी मिलता है | विभिन्न ऐतिहासिक दस्तावेजों से यह पता चलता है, कि, कभी ये क्षेत्र, संस्कृत, शिक्षा और भारतीय संस्कृति का केंद्र था | कई संत इसे माघ संक्रांति में कुंभ स्नान के लिए पवित्र स्थान मानते हैं | त्रिबेनी में आपको कई गंगा घाट, शिव मंदिर और टेराकोटा वास्तुकला से सजी प्राचीन इमारतें देखने को मिल जाएंगी | त्रिबेनी की विरासत को पुनर्स्थापित करने और कुंभ परंपरा के गौरव को पुनर्जीवित करने के लिए यहां पिछले साल कुंभ मेले का आयोजन किया गया था | सात सदियों बाद, तीन दिन के कुंभ महास्नान और मेले ने, इस क्षेत्र में, एक नई ऊर्जा का संचार किया है | तीन दिनों तक हर रोज होने वाली गंगा आरती, रुद्राभिषेक और यज्ञ में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए | इस बार हुए महोत्सव में विभिन्न आश्रम, मठ और अखाड़े भी शामिल थे | बंगाली परंपराओं से जुड़ी विभिन्न विधाएं जैसे कीर्तन, बाउल, गोड़ियों नृत्तों, स्री-खोल, पोटेर गान, छोऊ-नाच, शाम के कार्यक्रमों में, आकर्षण का केंद्र बने थे | हमारे युवाओं को देश के सुनहरे अतीत से जोड़ने का यह एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है | भारत में ऐसी कई और practices हैं, जिन्हें revive करने की जरुरत है | मुझे आशा है, कि, इनके बारे में होने वाली चर्चा, लोगों को इस दिशा में जरुर प्रेरित करेगी |
मेरे प्यारे देशवासियो, स्वच्छ भारत अभियान में हमारे देश में जन भागीदारी के मायने ही बदल दिए हैं | देश में कहीं पर भी कुछ स्वच्छता से जुड़ा हुआ होता है, तो लोग इसकी जानकारी मुझ तक जरुर पहुंचाते हैं | ऐसे ही मेरा ध्यान गया है, हरियाणा के युवाओं के एक स्वच्छता अभियान पर | हरियाणा में एक गाँव है – दुल्हेड़ी | यहाँ के युवाओं ने तय किया हमें भिवानी शहर को स्वच्छता के मामले में एक मिसाल बनाना है | उन्होंने युवा स्वच्छता एवं जन सेवा समिति नाम से एक संगठन बनाया | इस समिति से जुड़े युवा सुबह 4 बजे भिवानी पहुँच जाते हैं | शहर के अलग-अलग स्थलों पर ये मिलकर सफाई अभियान चलाते हैं | ये लोग अब तक शहर के अलग-अलग इलाकों से कई टन कूड़ा साफ़ कर चुके हैं |
साथियो, स्वच्छ भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण आयाम वेस्ट टू वेल्थ (Waste to Wealth) भी है | ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले की एक बहन कमला मोहराना एक स्वयं सहायता समूह चलाती हैं | इस समूह की महिलाएं दूध की थैली और दूसरी प्लास्टिक पैकिंग से टोकरी और मोबाइल स्टैंड जैसी कई चीजें बनाती हैं | ये इनके लिए स्वच्छता के साथ ही आमदनी का भी एक अच्छा जरिया बन रहा है | हम अगर ठान लें तो स्वच्छ भारत में अपना बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं | कम-से-कम प्लास्टिक के बैग की जगह कपड़े के बैग का संकल्प तो हम सबको ही लेना चाहिए | आप देखेंगे, आपका ये संकल्प आपको कितना सन्तोष देगा, और दूसरे लोगों को ज़रूर प्रेरित करेगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज हमने और आपने साथ जुड़कर एक बार फिर कई प्रेरणादायी विषयों पर बात की | परिवार के साथ बैठकर के उसे सुना और अब उसे दिनभर गुनगुनाएंगे भी | हम देश की कर्मठता की जितनी चर्चा करते हैं, उतनी ही हमें ऊर्जा मिलती है | इसी ऊर्जा प्रवाह के साथ चलते-चलते आज हम ‘मन की बात’ के 98वें एपिसोड के मुकाम तक पहुँच गए हैं |
आज से कुछ दिन बाद ही होली का त्यौहार है | आप सभी को होली की शुभकामनाएँ| हमें, हमारे त्यौहार वोकल फॉर लोकल (Vocal for Local) के संकल्प के साथ ही मनाने हैं | अपने अनुभव भी मेरे साथ share करना न भूलियेगा | तब तक के लिये मुझे विदा दीजिये | अगली बार हम फिर नये विषयों के साथ मिलेंगे | बहुत-बहुत धन्यवाद | नमस्कार|
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | 2023 की यह पहली ‘मन की बात’ और उसके साथ-साथ, इस कार्यक्रम का सत्तानवे-वाँ(97th Episode) एपिसोड भी है | आप सभी के साथ एक बार फिर बातचीत करके, मुझे बहुत खुशी हो रही है | हर साल जनवरी का महीना काफी Eventful होता है | इस महीने, 14 जनवरी के आसपास उत्तर से दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम तक, देश-भर में त्योहारों की रौनक होती है | इसके बाद देश अपने गणतंत्र उत्सव भी मनाता है | इस बार भी गणतन्त्र दिवस समारोह में अनेक पहलुओं की काफी प्रशंसा हो रही है | जैसलमेर से पुल्कित ने मुझे लिखा है कि 26 जनवरी की परेड के दौरान कर्तव्य पथ का निर्माण करने वाले श्रमिकों को देखकर बहुत अच्छा लगा | कानपुर से जया ने लिखा है कि उन्हें परेड में शामिल झांकियों में भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को देखकर आनंद आया | इस परेड में पहली बार हिस्सा लेने वाली Women Camel Riders और CRPF की महिला टुकड़ी भी काफी सराहना हो रही है |
साथियो, देहरादून के वत्सल जी ने मुझे लिखा है कि 25 जनवरी का मैं हमेशा इंतजार करता हूं क्योंकि उस दिन पद्म पुरस्कारों की घोषणा होती है और एक प्रकार से 25 तारीख की शाम ही मेरी 26 जनवरी की उमंग को और बढ़ा देती है | जमीनी स्तर पर अपने समर्पण और सेवा-भाव से उपलब्धि हासिल करने वालों को People’s Padma को लेकर भी कई लोगों ने अपनी भावनाएँ साझा की हैं | इस बार पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में जनजातीय समुदाय और जनजातीय जीवन से जुड़े लोगों का अच्छा-खासा प्रतिनिधत्व रहा है | जनजातीय जीवन, शहरों की भागदौड़ से अलग होता है, उसकी चुनौतियां भी अलग होती हैं | इसके बावजूद जनजातीय समाज, अपनी परम्पराओं को सहेजने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं | जनजातीय समुदायों से जुड़ी चीज़ों के संरक्षण और उन पर research के प्रयास भी होते हैं | ऐसे ही टोटो, हो, कुइ, कुवी और मांडा जैसी जनजातीय भाषाओं पर काम करने वाले कई महानुभावों को पद्म पुरस्कार मिले हैं | यह हम सभी के लिए गर्व की बात है | धानीराम टोटो, जानुम सिंह सोय और बी. रामकृष्ण रेड्डी जी के नाम, अब तो पूरा देश उनसे परिचित हो गया है | सिद्धी, जारवा और ओंगे जैसी आदि-जनजाति के साथ काम करने वाले लोगों को भी इस बार सम्मानित किया गया है | जैसे – हीराबाई लोबी, रतन चंद्र कार और ईश्वर चंद्र वर्मा जी | जनजातिय समुदाय हमारी धरती, हमारी विरासत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं | देश और समाज के विकास में उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है | उनके लिए काम करने वाले व्यक्तित्वों का सम्मान, नई पीढ़ी को भी प्रेरित करेगा | इस वर्ष पद्म पुरस्कारों की गूँज उन इलाकों में भी सुनाई दे रही है, जो नक्सल प्रभावित हुआ करते थे | अपने प्रयासों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गुमराह युवकों को सही राह दिखाने वालों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है | इसके लिए कांकेर में लकड़ी पर नक्काशी करने वाले अजय कुमार मंडावी और गढ़चिरौली के प्रसिद्द झाडीपट्टी रंगभूमि से जुड़े परशुराम कोमाजी खुणे को भी ये सम्मान मिला है | इसी प्रकार नॉर्थ-ईस्ट में अपनी संस्कृति के संरक्षण में जुटे रामकुईवांगबे निउमे, बिक्रम बहादुर जमातिया और करमा वांगचु को भी सम्मानित किया गया है |
साथियो, इस बार पद्म पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में कई ऐसे लोग शामिल हैं, जिन्होंने संगीत की दुनिया को समृद्ध किया है | कौन होगा जिसको संगीत पसंद ना हो | हर किसी की संगीत की पसंद अलग-अलग हो सकती है, लेकिन संगीत हर किसी के जीवन का हिस्सा होता है | इस बार पद्म पुरस्कार पाने वालों में वो लोग हैं, जो, संतूर, बम्हुम, द्वितारा जैसे हमारे पारंपरिक वाद्ययंत्र की धुन बिखेरने में महारत रखते हैं | गुलाम मोहम्मद ज़ाज़, मोआ सु-पोंग, री-सिंहबोर कुरका-लांग, मुनि-वेंकटप्पा और मंगल कांति राय ऐसे कितने ही नाम हैं जिनकी चारों तरफ़ चर्चा हो रही है |
साथियो, पद्म पुरस्कार पाने वाले अनेक लोग, हमारे बीच के वो साथी हैं, जिन्होंने, हमेशा देश को सर्वोपरि रखा, राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया | वो सेवाभाव से अपने काम में लगे रहे और इसके लिए उन्हें कभी किसी पुरस्कार की आशा नहीं की | वो जिनके लिए काम कर रहे हैं, उनके चेहरे का संतोष ही उनके लिए सबसे बड़ा award है | ऐसे समर्पित लोगों को सम्मानित करके हम देशवासियों का गौरव बढ़ा है | मैं सभी पद्म पुरस्कार विजेताओं के नाम भले ही यहाँ नहीं ले पाऊँ, लेकिन आप से मेरा आग्रह जरुर है, कि आप, पद्म पुरस्कार पाने वाले इन महानुभावों के प्रेरक जीवन के विषय में विस्तार से जानें और औरों को भी बताएं |
साथियो, आज जब हम आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान गणतंत्र दिवस की चर्चा कर रहे हैं, तो मैं यहाँ एक दिलचस्प किताब का भी जिक्र करूंगा | कुछ हफ्ते पहले ही मुझे मिली इस book में एक बहुत ही interesting Subject पर चर्चा की गयी है | इस book का नाम India - The Mother of Democracy है और इसमें कई बेहतरीन Essays हैं | भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हम भारतीयों को इस बात का गर्व भी है कि हमारा देश Mother of Democracy भी है | लोकतंत्र हमारी रगों में है, हमारी संस्कृति में है - सदियों से यह हमारे कामकाज का भी एक अभिन्न हिस्सा रहा है | स्वभाव से, हम एक Democratic Society हैं | डॉ० अम्बेडकर ने बौद्ध भिक्षु संघ की तुलना भारतीय संसद से की थी | उन्होंने उसे एक ऐसी संस्था बताया था, जहां Motions, Resolutions, Quorum (कोरम), Voting और वोटों की गिनती के लिए कई नियम थे | बाबासाहेब का मानना था कि भगवान बुद्ध को इसकी प्रेरणा उस समय की राजनीतिक व्यवस्थाओं से मिली होगी |
तमिलनाडु में एक छोटा, लेकिन चर्चित गाँव है – उतिरमेरुर | यहाँ ग्यारह सौ-बारह सौ साल पहले का एक शिलालेख दुनिया भर को अचंभित करता है | यह शिलालेख एक Mini-Constitution की तरह है | इसमें विस्तार से बताया गया है कि ग्राम सभा का संचालन कैसे होना चाहिए और उसके सदस्यों के चयन की प्रक्रिया क्या हो | हमारे देश के इतिहास में Democratic Values का एक और उदाहरण है – 12वीं सदी के भगवान बसवेश्वर का अनुभव मंडपम | यहाँ free debate और discussion को प्रोत्साहन दिया जाता था | आपको यह जानकार हैरानी होगी कि यह Magna Carta से भी पहले की बात है | वारंगल के काकतीय वंश के राजाओं की गणतांत्रिक परम्पराएं भी बहुत प्रसिद्ध थी | भक्ति आन्दोलन ने, पश्चिमी भारत में, लोकतंत्र की संस्कृति को आगे बढ़ाया | Book में सिख पंथ की लोकतान्त्रिक भावना पर भी एक लेख को शामिल किया गया है जो गुरु नानक देव जी के सर्वसम्मति से लिए गए निर्णयों पर प्रकाश डालता है | मध्य भारत की उरांव और मुंडा जनजातियों में community driven और consensus driven decision पर भी इस किताब में अच्छी जानकारी है | आप इस किताब को पढ़ने के बाद महसूस करेंगे कि कैसे देश के हर हिस्से में सदियों से लोकतंत्र की भावना प्रवाहित होती रही है | Mother of Democracy के रूप में, हमें, निरंतर इस विषय का गहन चिंतन भी करना चाहिए, चर्चा भी करना चाहिए और दुनिया को अवगत भी कराना चाहिए | इससे देश में लोकतंत्र की भावना और प्रगाढ़ होगी |
मेरे प्यारे देशवासियो, अगर मैं आपसे पूंछू कि योग दिवस और हमारे विभिन्न तरह के मोटे अनाजों - Millets में क्या common है तो आप सोचेंगे ये भी क्या तुलना हुई ? अगर मैं आपसे कहूँ कि दोनों में काफी कुछ common है तो आप हैरान हो जाएंगे | दरअसल संयुक्त राष्ट्र ने International Yoga Day और International Year of Millets, दोनों का ही निर्णय भारत के प्रस्ताव के बाद लिया है | दूसरी बात ये कि योग भी स्वास्थ्य से जुड़ा है और millets भी सेहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | तीसरी बात और महत्वपूर्ण है – दोनों ही अभियानो में जन-भागीदारी की वजह से क्रांति आ रही है | जिस तरह लोगों ने व्यापक स्तर पर सक्रिय भागीदारी करके योग और fitness को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है उसी तरह millets को भी लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं | लोग अब millets को अपने खानपान का हिस्सा बना रहे हैं | इस बदलाव का बहुत बड़ा प्रभाव भी दिख रहा है | इससे एक तरफ वो छोटे किसान बहुत उत्साहित हैं जो पारंपरिक रूप से millets का उत्पादन करते थे | वो इस बात से बहुत खुश हैं कि दुनिया अब millets का महत्व समझने लगी है | दूसरी तरफ, FPO और entrepreneurs ने millets को बाजार तक पहुँचाने और उसे लोगों तक उपलब्ध कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं |
आंध्र प्रदेश के नांदयाल जिले के रहने वाले के.वी. रामा सुब्बा रेड्डी जी ने millets के लिए अच्छी-खासी salary वाली नौकरी छोड़ दी | माँ के हाथों से बने millets के पकवानों का स्वाद कुछ ऐसा रचा-बसा था कि इन्होंने अपने गाँव में बाजरे की processing unit ही शुरू कर दी | सुब्बा रेड्डी जी लोगों को बाजरे के फायदे भी बताते हैं और उसे आसानी से उपलब्ध भी कराते हैं | महाराष्ट्र में अलीबाग के पास केनाड गाँव की रहने वाली शर्मीला ओसवाल जी पिछले 20 साल से millets की पैदावार में unique तरीके से योगदान दे रही हैं | वो किसानों को smart agriculture की training दे रही हैं | उनके प्रयासों से न सिर्फ millets की उपज बढ़ी है, बल्कि, किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है |
अगर आपको छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जाने का मौका मिले तो यहाँ के Millets Cafe जरुर जाइएगा | कुछ ही महीने पहले शुरू हुए इस Millets Cafe में चीला, डोसा, मोमोस, पिज़्ज़ा और मंचूरियन जैसे Item खूब popular हो रहे हैं |
मैं, आपसे एक और बात पूंछू ? आपने entrepreneur शब्द सुना होगा, लेकिन, क्या आपने Milletpreneurs सुना है क्या ? ओडिशा की Milletpreneurs, आजकल खूब सुर्ख़ियों में हैं | आदिवासी जिले सुंदरगढ़ की करीब डेढ़ हजार महिलाओं का Self Help Group, Odisha Millets Mission से जुड़ा हुआ है | यहाँ महिलाएं millets से cookies, रसगुल्ला, गुलाब जामुन और केक तक बना रही हैं | बाजार में इनकी खूब demand होने से महिलाओं की आमदनी भी बढ़ रही है |
कर्नाटका के कलबुर्गी में Aland Bhootai (अलंद भुताई) Millets Farmers Producer Company ने पिछले साल Indian Institute of Millets Research की देखरेख में काम शुरू किया | यहाँ के खाकरा, बिस्कुट और लड्डू लोगों को भा रहे हैं | कर्नाटका के ही बीदर जिले में, Hulsoor Millet Producer Company से जुड़ी महिलाएं millets की खेती के साथ ही उसका आटा भी तैयार कर रही हैं | इससे इनकी कमाई भी काफी बढ़ी है | प्राकृतिक खेती से जुड़े छत्तीसगढ़ के संदीप शर्मा जी के FPO से आज 12 राज्यों के किसान जुड़े हैं | बिलासपुर का यह FPO, 8 प्रकार के millets का आटा और उसके व्यंजन बना रहा है |
साथियो, आज हिंदुस्तान के कोने-कोने में G-20 की summits लगातार चल रही है और मुझे खुशी है कि देश के हर कोने में, जहां भी G-20 की summit हो रही है, millets से बने पौष्टिक, और स्वादिष्ट व्यंजन उसमें शामिल होते हैं | यहाँ बाजरे से बनी खिचड़ी, पोहा, खीर और रोटी के साथ ही रागी से बने पायसम, पूड़ी और डोसा जैसे व्यंजन भी परोसे जाते हैं | G20 के सभी Venues पर Millets Exhibitions में Millets से बनी Health Drinks, Cereals (सीरियल्स) और Noodles को Showcase किया गया | दुनिया भर में Indian Missions भी इनकी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं | आप कल्पना कर सकते हैं कि देश का ये प्रयास और दुनिया में बढ़ने वाली मिलेट्स (Millets) की डिमांड (demand), हमारे छोटे किसानों को कितनी ताकत देने वाली है | मुझे ये देखकर भी अच्छा लगता है कि आज जितने तरह की नई-नई चीज़ें मिलेट्स (Millets) से बनने लगी हैं, वो युवा पीढ़ी को भी उतनी ही पसंद आ रही है | International Year of Millets की ऐसी शानदार शुरुआत के लिए और उसको लगातार आगे बढाने के लिए मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं को भी बधाई देता हूं |
मेरे प्यारे देशवासियो, जब आपसे कोई Tourist Hub गोवा की बात करता है, तो, आपके मन में क्या ख्याल आता है ? स्वभाविक है, गोवा का नाम आते ही, सबसे पहले, यहां की खूबसूरत Coastline, Beaches और पसंदीदा खानपान की बातें ध्यान में आने लगती हैं | लेकिन गोवा में इस महीने कुछ ऐसा हुआ, जो बहुत सुर्ख़ियों में है | आज ‘मन की बात’ में, मैं इसे, आप सबके साथ साझा करना चाहता हूं | गोवा में हुआ ये इवेंट (Event) है - Purple Fest (पर्पल फेस्ट) इस फेस्ट को 6 से 8 जनवरी तक पणजी में आयोजित किया गया | दिव्यांगजनों के कल्याण को लेकर यह अपने-आप में एक अनूठा प्रयास था | Purple Fest (पर्पल फेस्ट) कितना बड़ा मौका था, इसका अंदाजा आप सभी इस बात से लगा सकते हैं, कि 50 हजार से भी ज्यादा हमारे भाई-बहन इसमें शामिल हुए | यहां आये लोग इस बात को लेकर रोमांचित थे कि वो अब ‘मीरामार बीच’ घूमने का भरपूर आनंद उठा सकते हैं | दरअसल, ‘मीरामार बीच’ हमारे दिव्यांग भाई-बहनों के लिए गोवा के Accessible Beaches में से एक बन गया है | यहां पर Cricket Tournament, Table Tennis Tournament, Marathon Competition के साथ ही एक डीफ-ब्लाइंड कन्वेंशन भी आयोजित किया गया | यहाँ Unique Bird Watching Programme के अलावा एक फिल्म भी दिखाई गयी | इसके लिए विशेष इंतजाम किये गए थे, ताकि, हमारे सभी दिव्यांग भाई-बहन और बच्चे इसका पूरा आनंद ले सकें | Purple Fest की एक ख़ास बात इसमें देश के private sector की भागीदारी भी रही | उनकी ओर से ऐसे products को showcase किया गया, जो, Divyang Friendly हैं | इस fest में दिव्यांग कल्याण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के अनेक प्रयास देखे गए | Purple Fest को सफल बनाने के लिए, मैं, इसमें हिस्सा लेने वाले सभी लोगों को बधाई देता हूँ | इसके साथ ही उन Volunteers का भी अभिनन्दन करता हूं, जिन्होंने इसे Organise करने के लिए रात-दिन एक कर दिया | मुझे पूरा विश्वास है कि Accessible India के हमारे Vision को साकार करने में इस प्रकार के अभियान बहुत ही कारगर साबित होंगे|
मेरे प्यारे देशवासियो, अब ‘मन की बात’ में, मैं, एक ऐसे विषय पर बात करूंगा’ जिसमें’ आपको आनंद भी आएगा, गर्व भी होगा और मन कह उठेगा – वाह भाई वाह ! दिल खुश हो गया ! देश के सबसे पुराने Science Institutions में से एक बेंगलुरु का Indian Institute of Science, यानी IISc एक शानदार मिसाल पेश कर रहा है | ‘मन की बात’ में, मैं, पहले इसकी चर्चा कर चुका हूं, कि कैसे, इस संस्थान की स्थापना के पीछे, भारत की दो महान विभूतियाँ, जमशेदजी टाटा और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा रही है, तो, आपको और मुझे आनंद और गर्व दिलाने वाली बात ये है कि साल 2022 में इस संस्थान के नाम कुल 145 patents रहे हैं | इसका मतलब है – हर पांच दिन में दो patents. ये रिकॉर्ड अपने आप में अद्भुत है | इस सफलता के लिए मैं IISc की टीम को भी बधाई देना चाहता हूं | साथियो, आज Patent Filing में भारत की ranking 7वीं और trademarks में 5वीं है | सिर्फ patents की बात करें, तो पिछले पांच वर्षों में इसमें करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है | Global Innovation Index में भी, भारत की ranking में, जबरदस्त सुधार हुआ है और अब वो 40वें पर आ पहुंची है, जबकि 2015 में, भारत Global Innovation Index में 80 नंबर के भी पीछे था | एक और दिलचस्प बात मैं आपको बताना चाहता हूं | भारत में पिछले 11 वर्षों में पहली बार Domestic Patent Filing की संख्या Foreign Filing से अधिक देखी गई है | ये भारत के बढ़ते हुए वैज्ञानिक सामर्थ्य को भी दिखाता है |
साथियो, हम सभी जानते हैं कि 21वीं सदी की Global Economy में Knowledge ही सर्वोपरि है | मुझे विश्वास है कि भारत के Techade का सपना हमारे Innovators और उनके Patents के दम पर जरूर पूरा होगा | इससे हम सभी अपने ही देश में तैयार World Class Technology और Products का भरपूर लाभ ले सकेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, NaMoApp पर मैंने तेलंगाना के इंजीनियर विजय जी की एक Post देखी | इसमें विजयजी ने E-Waste के बारे में लिखा है | विजय जी का आग्रह है कि मैं ‘मन की बात’ में इस पर चर्चा करूं | इस कार्यक्रम में पहले भी हमने ‘Waste to Wealth’यानी ‘कचरे से कंचन’ के बारे में बातें की हैं, लेकिन आइए, आज, इसी से जुड़ी E-Waste की चर्चा करते हैं |
साथियो, आज हर घर में Mobile Phone, Laptop, Tablet जैसी devices आम हो चली हैं | देशभर में इनकी संख्या Billions में होगी | आज के Latest Devices, भविष्य के E-Waste भी होते हैं | जब भी कोई नई device खरीदता है या फिर अपनी पुरानी device को बदलता है, तो यह ध्यान रखना जरूरी हो जाता है कि उसे सही तरीके से Discard किया जाता है या नहीं | अगर E-Waste को ठीक से Dispose नहीं किया गया, तो यह, हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है | लेकिन, अगर सावधानीपूर्वक ऐसा किया जाता है, तो, यह Recycle और Reuse की Circular Economy की बहुत बड़ी ताकत बन सकता है | संयुक्त राष्ट्र की एक Report में बताया गया था कि हर साल 50 मिलियन टन E-Waste फेंका जा रहा है | आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना होता है? मानव इतिहास में जितने Commercial Plane बने हैं, उन सभी का वजन मिला दिया जाए, तो भी जितना E-Waste निकल रहा है, उसके बराबर, नहीं होगा | ये ऐसा है जैसे हर Second 800 Laptop फेंक दिए जा रहे हों | आप जानकर चौंक जाएंगे कि अलग-अलग Process के जरिए इस E-Waste से करीब 17 प्रकार के Precious Metal निकाले जा सकते हैं | इसमें Gold, Silver, Copper और Nickel शामिल हैं, इसलिए E-Waste का सदुपयोग करना, ‘कचरे को कंचन’ बनाने से कम नहीं है | आज ऐसे Start-Ups की कमी नहीं, जो इस दिशा में Innovative काम कर रहे हैं | आज, करीब 500 E-Waste Recyclers इस क्षेत्र से जुड़े हैं और बहुत सारे नए उद्यमियों को भी इससे जोड़ा जा रहा है | इस Sector ने हजारों लोगों को सीधे तौर पर रोजगार भी दिया है | बेंगलुरु की E-Parisaraa ऐसे ही एक प्रयास में जुटी है | इसने Printed Circuit Boards की कीमती धातुओं को अलग करके ही स्वदेशी Technology विकसित की है | इसी तरह मुंबई में काम कर रही Ecoreco (इको-रीको)ने Mobile App से E-Waste को Collect करने का System तैयार किया है | उत्तराखंड के रुड़की की Attero (एटेरो) Recycling ने तो इस क्षेत्र में दुनियाभर में कई Patents हासिल किए हैं | इसने भी खुद की E-Waste Recycling Technology तैयार कर काफी नाम कमाया है | भोपाल में Mobile App और Website ‘कबाड़ीवाला’ के जरिए टनों E-Waste एकत्रित किया जा रहा है | इस तरह के कई उदाहरण हैं | ये सभी भारत को Global Recycling Hub बनाने में मदद कर रहे हैं, लेकिन, ऐसे Initiatives की सफलता के लिए एक जरूरी शर्त भी है - वो ये है कि E-Waste के निपटारे से सुरक्षित उपयोगी तरीकों के बारे में लोगों को जागरूक करते रहना होगा | E-Waste के क्षेत्र में काम करने वाले बताते हैं कि अभी हर साल सिर्फ 15-17 प्रतिशत E-Waste को ही Recycle किया जा रहा है |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज पूरी दुनिया में Climate-change और Biodiversity के संरक्षण की बहुत चर्चा होती है | इस दिशा में भारत के ठोस प्रयासों के बारे में हम लगातार बात करते रहे हैं | भारत ने अपने wetlands के लिए जो काम किया है, वो जानकर आपको भी बहुत अच्छा लगेगा | कुछ श्रोता सोच रहे होंगे कि wetlands क्या होता है ? Wetland sites यानी वो स्थान जहाँ दलदली मिट्टी जैसी जमीन पर साल-भर पानी जमा रहता है | कुछ दिन बाद, 2 फरवरी को ही World Wetlands day है | हमारी धरती के अस्तित्व के लिए Wetlands बहुत ज़रूरी हैं, क्योंकि इन पर, कई सारे पक्षी, जीव-जंतु निर्भर करते हैं | ये Biodiversity को समृद्ध करने के साथ Flood control और Ground Water Recharge को भी सुनिश्चित करते हैं | आप में से बहुत लोग जानते होंगे Ramsar (रामसर) Sites ऐसे Wetlands होते हैं, जो International Importance के हैं | Wetlands भले ही किसी देश में हो, लेकिन उन्हें, अनेक मापदंडो को पूरा करना होता है, तब जाकर उन्हें, Ramsar Sites घोषित किया जाता है | Ramsar Sites में 20,000 या उससे अधिक water birds होने चाहिए | स्थानीय मछली की प्रजातियों का बड़ी संख्या में होना जरुरी है | आजादी के 75 साल पर, अमृत महोत्सव के दौरान Ramsar Sites से जुड़ी एक अच्छी जानकारी भी मैं आपके साथ share करना चाहता हूँ | हमारे देश में अब Ramsar Sites की कुल संख्या 75 हो गयी है, जबकि, 2014 के पहले देश में सिर्फ 26 Ramsar Sites थी | इसके लिए स्थानीय समुदाय बधाई के पात्र हैं, जिन्होनें इस Biodiversity को संजोकर रखा है | यह प्रकृति के साथ सद्भावपूर्वक रहने की हमारी सदियों पुरानी संस्कृति और परंपरा का भी सम्मान है | भारत के ये Wetlands हमारे प्राकृतिक सामर्थ्य का भी उदाहरण हैं | ओडिशा की चिलका झील को 40 से अधिक Water Bird Species को आश्रय देने के लिए जाना जाता है | कईबुल-लमजाअ, लोकटाक को Swamp Deer का एकमात्र Natural Habitat (हैबिटैट) माना जाता है | तमिलनाडु के वेड़न्थांगल को 2022 में Ramsar Site घोषित किया गया | यहाँ की Bird Population को संरक्षित करने का पूरा श्रेय आस-पास के किसानों को जाता है | कश्मीर में पंजाथ नाग समुदाय Annual Fruit Blossom festival के दौरान एक दिन को विशेष तौर पर गाँव के झरने की साफ़–सफाई में लगाता है | World’s Ramsar Sites में अधिकतर Unique Culture Heritage भी हैं | मणिपुर का लोकटाक और पवित्र झील रेणुका से वहाँ की संस्कृतियों का गहरा जुड़ाव रहा है | इसी प्रकार Sambhar का नाता माँ दुर्गा के अवतार शाकम्भरी देवी से भी है | भारत में Wetlands का ये विस्तार उन लोगों की वजह से संभव हो पा रहा है, जो Ramsar Sites के आसपास रहते हैं | मैं, ऐसे सभी लोगों की बहुत सराहना करता हूँ, ‘मन की बात’ के श्रोताओं की तरफ से उन्हें शुभकामनाएं देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, इस बार हमारे देश में, खासकर उत्तर भारत में, खूब कड़ाके की सर्दी पड़ी | इस सर्दी में लोगों ने पहाड़ों पर बर्फबारी का मजा भी खूब लिया | जम्मू-कश्मीर से कुछ ऐसी तस्वीरें आईं जिन्होंने पूरे देश का मन मोह लिया | Social Media पर तो पूरी दुनिया के लोग इन तस्वीरों को पसंद कर रहे हैं | बर्फबारी की वजह से हमारी कश्मीर घाटी हर साल की तरह इस बार भी बहुत खूबसूरत हो गई है | बनिहाल से बडगाम जाने वाली ट्रेन की वीडियो को भी लोग खासकर पसंद कर रहे हैं | खूबसूरत बर्फबारी, चारों ओर सफ़ेद चादर सी बर्फ | लोग कह रहे हैं, कि ये दृश्य, परिलोक की कथाओं सा लग रहा है | कई लोग कह रहे हैं कि ये किसी विदेश की नहीं, बल्कि अपने ही देश में कश्मीर की तस्वीरें हैं |
एक Social Media User ने लिखा है – ‘कि स्वर्ग इससे ज्यादा खूबसूरत और क्या होगा?’ ये बात बिलकुल सही है - तभी तो कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है | आप भी इन तस्वीरों को देखकर कश्मीर की सैर जाने का जरुर सोच रहे होंगे | मैं चाहूँगा, आप, खुद भी जाइए और अपने साथियों को भी ले जाइए | कश्मीर में बर्फ से ढ़के पहाड़, प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ और भी बहुत कुछ देखने-जानने के लिए हैं | जैसे कि कश्मीर के सय्यदाबाद में Winter games आयोजित किए गए | इन Games की theme थी - Snow Cricket ! आप सोच रहे होंगे कि Snow Cricket तो ज्यादा ही रोमांचक खेल होगा - आप बिलकुल सही सोच रहे हैं | कश्मीरी युवा बर्फ के बीच Cricket को और भी अद्भुत बना देते हैं | इसके जरिए कश्मीर में ऐसे युवा खिलाड़ियों की तलाश भी होती है, जो आगे चलकर टीम इंडिया के तौर पर खेलेंगे | ये भी एक तरह से Khelo India Movement का ही विस्तार है | कश्मीर में, युवाओं में, खेलों को लेकर, बहुत उत्साह बढ़ रहा है | आने वाले समय में इनमें से कई युवा, देश के लिए मेडल जीतेंगे, तिरंगा लहरायेंगे | मेरा आपको सुझाव होगा कि अगली बार जब आप कश्मीर की यात्रा plan करें तो इन तरह के आयोजनों को देखने के लिए भी समय निकालें | ये अनुभव आपकी यात्रा को और भी यादगार बना देंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, गणतंत्र को मजबूत करने के हमारे प्रयास निरंतर चलते रहने चाहिए | गणतंत्र मजबूत होता है ‘जन-भागीदारी से’, ‘सबका प्रयास से’, ‘देश के प्रति अपने-अपने कर्तव्यों को निभाने से’, और मुझे संतोष है, कि, हमारा ‘मन की बात’, ऐसे कर्तव्यनिष्ठ सेनानियों की बुलंद आवाज है | अगली बार फिर से मुलाकात होगी ऐसे कर्तव्यनिष्ठ लोगों की दिलचस्प और प्रेरक गाथाओं के साथ | बहुत-बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार |
आज हम ‘मन की बात’ के छियानवे (96) एपिसोड में साथ जुड़ रहे हैं | ‘मन की बात’ का अगला एपिसोड वर्ष 2023 का पहला एपिसोड होगा | आप लोगों ने जो सन्देश भेजे, उनमें जाते हुए 2022 के बारे में बात करने को भी बड़े आग्रह से कहा है | अतीत का अवलोकन तो हमेशा हमें वर्तमान और भविष्य की तैयारियोँ की प्रेरणा देता है | 2022 में देश के लोगों का सामर्थ्य, उनका सहयोग, उनका संकल्प, उनकी सफलता का विस्तार इतना ज्यादा रहा कि ‘मन की बात’ में सभी को समेटना मुश्किल होगा | 2022 वाकई कई मायनों में बहुत ही प्रेरक रहा, अद्भुत रहा | इस साल भारत ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे किये और इसी वर्ष अमृतकाल का प्रारंभ हुआ | इस साल देश ने नई रफ़्तार पकड़ी, सभी देशवासियों ने एक से बढ़कर एक काम किया | 2022 की विभिन्न सफलताओं ने, आज, पूरे विश्व में भारत के लिए एक विशेष स्थान बनाया है | 2022 यानि भारत द्वारा दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का मुकाम हासिल करना, 2022 यानि भारत द्वारा 220 करोड़ vaccine का अविश्वसनीय आंकड़ा पार करने का रिकॉर्ड, 2022 यानि भारत द्वारा निर्यात का 400 Billion Dollar का जादुई आंकड़ा पार कर जाना, 2022 यानि देश के जन-जन द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को अपनाना, जी कर दिखाना, 2022 यानि भारत के पहले स्वदेशी Aircraft Carrier INS Vikrant का स्वागत, 2022 यानि Space, Drone और Defence Sector में भारत का परचम, 2022 यानि हर क्षेत्र में भारत का दमखम | खेल के मैदान में भी, चाहे, Commonwealth Games हो, या हमारी महिला हॉकी टीम की जीत, हमारे युवाओं ने जबरदस्त सामर्थ्य दिखाया |
साथियो, इन सबके साथ ही साल 2022 एक और कारण से हमेशा याद किया जाएगा | ये है, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना का विस्तार | देश के लोगों ने एकता और एकजुटता को celebrate करने के लिए भी कई अद्भुत आयोजन किए | गुजरात के माधवपुर मेला हो, जहाँ, रुक्मिणी विवाह, और, भगवान कृष्ण के पूर्वोतर से संबंधों को celebrate किया जाता है या फिर काशी-तमिल संगमम् हो, इन पर्वों में भी एकता के कई रंग दिखे | 2022 में देशवासियों ने एक और अमर इतिहास लिखा है | अगस्त के महीने में चला ‘हर घर तिरंगा’ अभियान भला कौन भूल सकता है | वो पल थे हर देशवासी के रौंगटे खड़े हो जाते थे | आजादी के 75 वर्ष के इस अभियान में पूरा देश तिरंगामय हो गया | 6 करोड़ से ज्यादा लोगों ने तो तिरंगे के साथ Selfie भी भेजीं | आजादी का ये अमृत महोत्सव अभी अगले साल भी ऐसे ही चलेगा - अमृतकाल की नींव को और मजबूत करेगा|
साथियो, इस साल भारत को G-20 समूह की अध्यक्षता की जिम्मेदारी भी मिली है | मैंने पिछली बार इस पर विस्तार से चर्चा भी की थी | साल 2023 में हमें G-20 के उत्साह को नई ऊँचाई पर लेकर जाना है, इस आयोजन को एक जन-आंदोलन बनाना है |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज दुनियाभर में धूमधाम से Christmas का त्योहार भी मनाया जा रहा है | ये Jesus Christ के जीवन, उनकी शिक्षाओं को याद करने का दिन है | मैं आप सभी को Christmas की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं देता हूँ |
साथियो, आज, हम सभी के श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपयी जी का जन्मदिन भी है | वे एक महान राजनेता थे, जिन्होनें देश को असाधारण नेतृत्व दिया | हर भारतवासी के ह्रदय में उनके लिए एक खास स्थान है | मुझे कोलकाता से आस्था जी का एक पत्र मिला है | इस पत्र में उन्होंने हाल की अपनी दिल्ली यात्रा का जिक्र किया है | वे लिखती हैं कि इस दौरान उन्होंने PM Museum देखने के लिए समय निकाला | इस Museum में उन्हें अटल जी की Gallery खूब पसंद आई | अटल जी के साथ वहाँ खिंची गई तस्वीर तो उनके लिए यादगार बन गई है | अटल जी की गैलरी में, हम, देश के लिए उनके बहुमूल्य योगदान की झलक देख सकते हैं | Infrastructure हो, शिक्षा या फिर विदेश नीति, उन्होंने भारत को हर क्षेत्र में नई ऊँचाइयों पर ले जाने का काम किया | मैं एक बार फिर अटल जी को हृदय से नमन करता हूँ |
साथियो, कल 26 दिसम्बर को ‘वीर बाल दिवस’ है और मुझे इस अवसर पर दिल्ली में साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फ़तेह सिंह जी की शहादत को समर्पित एक कार्यक्रम में शामिल होने का सौभाग्य मिलेगा | देश, साहिबजादे और माता गुजरी के बलिदान को हमेशा याद रखेगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे यहां कहा जाता है –
सत्यम किम प्रमाणम , प्रत्यक्षम किम प्रमाणम |
यानि सत्य को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती, जो प्रत्यक्ष है, उसे भी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती | लेकिन बात जब आधुनिक Medical Science की हो, तो उसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है - प्रमाण- Evidence. सदियों से भारतीय जीवन का हिस्सा रहे योग और आयुर्वेद जैसे हमारे शास्त्रों के सामने Evidence based research की कमी, हमेशा-हमेशा एक चुनौती रही है - परिणाम दिखते हैं, लेकिन प्रमाण नहीं होते हैं | लेकिन, मुझे ख़ुशी है कि Evidence- based medicine के युग में, अब योग और आयुर्वेद, आधुनिक युग की जाँच और कसौटियों पर भी खरे उतर रहे हैं | आप सभी ने मुंबई के Tata Memorial centre के बारे में ज़रूर सुना होगा | इस संस्थान ने Research, Innovation और Cancer care में बहुत नाम कमाया है | इस Centre द्वारा की गई एक Intensive Research में सामने आया है कि Breast (ब्रेस्ट) Cancer के मरीजों के लिए योग बहुत ज्यादा असरकारी है | Tata Memorial centre ने अपनी Research के नतीजों को अमेरिका में हुई बहुत ही प्रतिष्ठित, Breast cancer conference में प्रस्तुत किया है | इन नतीजों ने दुनिया के बड़े-बड़े Experts का ध्यान अपनी तरफ खींचा है | क्योंकि, Tata Memorial centre ने Evidence के साथ बताया है कि कैसे मरीजों को योग से लाभ हुआ है | इस centre की research के मुताबिक, योग के नियमित अभ्यास से, Breast Cancer के मरीजों की बीमारी के, फिर से उभरने और मृत्यु के खतरे में, 15 प्रतिशत तक की कमी आई है | भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में यह पहला उदाहरण है, जिसे, पश्चिमी तौर-तरीकों वाले कड़े मानकों पर परखा गया है | साथ ही, यह पहली study है, जिसमें Breast Cancer से प्रभावित महिलाओं में, योग से, Quality of life के बेहतर होने का पता चला है | इसके long term benefits भी सामने आये हैं | Tata Memorial Centre ने अपनी study के नतीजों को पेरिस में हुए European Society of Medical Oncology (ऑन्कोलॉजी) में, उस सम्मेलन में, प्रस्तुत किया है |
साथियो, आज के युग में, भारतीय चिकित्सा पद्दतियाँ, जितनी ज्यादा Evidence-based होंगी, उतनी ही पूरे विश्व में उनकी स्वीकार्यता, बढ़ेगी | इसी सोच के साथ, दिल्ली के AIIMS में भी एक प्रयास किया जा रहा है | यहाँ, हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्दतियों को validate करने लिए छह साल पहले Centre for Integrative Medicine and Research की स्थापना की गई | इसमें Latest Modern Techniques और Research Methods का उपयोग किया जाता है | यह centre पहले ही प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय journals में 20 papers प्रकाशित कर चुका है | American college of Cardiology के journal में प्रकाशित एक paper में syncope (सिन्कपी) से पीड़ित मरीजों को योग से होने वाले लाभ के बारे में बताया गया है | इसी प्रकार, Neurology Journal के paper में, Migraine में, योग के फायदों के बारे में बताया गया है | इनके अलावा कई और बीमारियों में भी योग के benefits को लेकर study की जा रही है | जैसे Heart Disease, Depression, Sleep Disorder और Pregnancy के दौरान महिलाओं को होने वाली समस्यायें |
साथियो, कुछ दिन पहले ही मैं World Ayurveda Congress के लिए गोवा में था | इसमें 40 से ज्यादा देशों के Delegates शामिल हुए और यहां 550 से अधिक Scientific Papers present किये गए | भारत सहित दुनियाभर की करीब 215 कंपनियों ने यहाँ Exhibition में अपने products को display किया | चार दिनों तक चले इस Expo में एक लाख से भी अधिक लोगों ने आयुर्वेद से जुड़े अपने Experience को Enjoy किया | आयुर्वेद कांग्रेस में भी मैंने दुनिया भर से जुटे आयुर्वेद Experts के सामने Evidence based research का आग्रह दोहराया | जिस तरह कोरोना वैश्विक महामारी के इस समय में योग और आयुर्वेद की शक्ति को हम सभी देख रहे हैं, उसमें इनसे जुड़ी Evidence- based research बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगी | मेरा आपसे भी आग्रह है कि योग, आयुर्वेद और हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े हुए ऐसे प्रयासों के बारे में अगर आपके पास कोई जानकारी हो तो उन्हें सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करें |
मेरे प्यारे देशवासियो, बीते कुछ वर्षों में हमने स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी कई बड़ी चुनौतियों पर विजय पाई है | इसका पूरा श्रेय हमारे Medical Experts, Scientists और देशवासियोँ की इच्छाशक्ति को जाता है | हमने भारत से Smallpox, Polio और ‘Guinea Worm’ जैसी बीमारियों को समाप्त करके दिखाया है |
आज, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को, मैं, एक और चुनौती के बारे में बताना चाहता हूं, जो अब, समाप्त होने की कगार पर है | ये चुनौती, ये बीमारी है – ‘कालाजार’ | इस बीमारी का परजीवी, Sand Fly यानि बालू मक्खी के काटने से फैलता है | जब किसी को ‘कालाजार’ होता है तो उसे महीनों तक बुखार रहता है, खून की कमी हो जाती है, शरीर कमजोर पड़ जाता है और वजन भी घट जाता है | यह बीमारी, बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी को भी हो सकती है | लेकिन सबके प्रयास से, ‘कालाजार’ नाम की ये बीमारी, अब, तेजी से समाप्त होती जा रही है | कुछ समय पहले तक, कालाजार का प्रकोप, 4 राज्यों के 50 से अधिक जिलों में फैला हुआ था | लेकिन अब ये बीमारी, बिहार और झारखंड के 4 जिलों तक ही सिमटकर रह गई है | मुझे विश्वास है, बिहार-झारखंड के लोगों का सामर्थ्य, उनकी जागरूकता, इन चार जिलों से भी ‘कालाजार’ को समाप्त करने में सरकार के प्रयासों को मदद करेगी | ‘कालाजार’ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों से भी मेरा आग्रह है कि वो दो बातों का जरूर ध्यान रखें | एक है - Sand Fly या बालू मक्खी पर नियंत्रण, और दूसरा, जल्द से जल्द इस रोग की पहचान और पूरा इलाज | ‘कालाजार’ का इलाज आसान है, इसके लिए काम आने वाली दवाएं भी बहुत कारगर होती हैं | बस, आपको सतर्क रहना है | बुखार हो तो लापरवाही ना बरतें, और, बालू मक्खी को खत्म करने वाली दवाइयों का छिड़काव भी करते रहें | जरा सोचिए, हमारा देश जब ‘कालाजार’ से भी मुक्त हो जाएगा, तो ये हम सभी के लिए कितनी खुशी की बात होगी | सबका प्रयास की इसी भावना से, हम, भारत को 2025 तक टी.बी. मुक्त करने के लिए भी काम कर रहे हैं | आपने देखा होगा, बीते दिनों, जब, टी.बी. मुक्त भारत अभियान शुरू हुआ, तो हजारों लोग, टी.बी. मरीजों की मदद के लिए आगे आए | ये लोग निक्षय मित्र बनकर, टी.बी. के मरीजों की देखभाल कर रहे हैं, उनकी आर्थिक मदद कर रहे हैं | जनसेवा और जनभागीदारी की यही शक्ति, हर मुश्किल लक्ष्य को प्राप्त करके ही दिखाती है |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारी परंपरा और संस्कृति का माँ गंगा से अटूट नाता है | गंगा जल हमारी जीवनधारा का अभिन्न हिस्सा रहा है और हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है :-
नमामि गंगे तव पाद पंकजं,
सुर असुरै: वन्दित दिव्य रूपम् |
भुक्तिम् च मुक्तिम् च ददासि नित्यम्,
भाव अनुसारेण सदा नराणाम् ||
अर्थात् हे माँ गंगा! आप, अपने भक्तों को, उनके भाव के अनुरूप - सांसारिक सुख, आनंद और मोक्ष प्रदान करती हैं | सभी आपके पवित्र चरणों का वंदन करते हैं | मैं भी आपके पवित्र चरणों में अपना प्रणाम अर्पित करता हूं | ऐसे में सदियों से कल-कल बहती माँ गंगा को स्वच्छ रखना हम सबकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है | इसी उद्देश्य के साथ, आठ साल पहले, हमने, ‘नमामि गंगे अभियान’ की शुरुआत की थी | हम सभी के लिए यह गौरव की बात है, कि, भारत की इस पहल को, आज, दुनियाभर की सराहना मिल रही है | United Nations ने ‘नमामि गंगे’ मिशन को Ecosystem को Restore करने वाले दुनिया के Top Ten Initiatives में शामिल किया है | ये और भी खुशी की बात है कि पूरे विश्व के 160 ऐसे Initiatives में ‘नमामि गंगे’ को यह सम्मान मिला है |
साथियो, ‘नमामि गंगे’ अभियान की सबसे बड़ी ऊर्जा, लोगों की निरंतर सहभागिता है | ‘नमामि गंगे’ अभियान में, गंगा प्रहरियों और गंगा दूतों की भी बड़ी भूमिका है | वे पेड़ लगाने, घाटों की सफाई, गंगा आरती, नुक्कड़ नाटक, पेंटिंग और कविताओं के जरिए जागरूकता फैलाने में जुटे हैं | इस अभियान से Biodiversity में भी काफी सुधार देखा जा रहा है | हिल्सा मछली, गंगा डॉल्फिन और कछुवों की विभिन्न प्रजातियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है | गंगा का Ecosystem clean होने से, आजीविका के अन्य अवसर भी बढ़ रहे हैं | यहाँ मैं, ‘जलज आजीविका मॉडल’ की चर्चा करना चाहूंगा, जो कि Biodiversity को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है | इस Tourism-based Boat Safaris को 26 Locations पर Launch किया गया है| जाहिर है, ‘नमामि गंगे’ मिशन का विस्तार, उसका दायरा, नदी की सफाई से कहीं ज्यादा बढ़ा है | ये, जहाँ, हमारी इच्छाशक्ति और अथक प्रयासों का एक प्रत्यक्ष प्रमाण है, वहीं, ये, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विश्व को भी एक नया रास्ता दिखाने वाला है |
मेरे प्यारे देशवासियो, जब हमारी संकल्प शक्ति मजबूत हो, तो, बड़ी से बड़ी चुनौती भी आसान हो जाती है | इसकी मिसाल पेश की है - सिक्किम के थेगू गाँव के ‘संगे शेरपा जी’ ने | ये पिछले 14 साल से 12,000 फीट से भी ज्यादा की ऊचाई पर पर्यावरण संरक्षण के काम में जुटे हुए हैं | संगे जी ने सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व का Tsomgo (सोमगो) lake को स्वच्छ रखने का बीड़ा उठा लिया है | अपने अथक प्रयासों से उन्होंने इस ग्लेशियर लेक का रंग रूप ही बदल डाला है | साल 2008 में संगे शेरपा जी ने जब स्वच्छता का यह अभियान शुरू किया था, तब उन्हें, कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा | लेकिन देखते ही देखते उनके इस नेक कार्यों में युवाओं और ग्रामीणों के साथ ही पंचायत का भी भरपूर सहयोग मिलने लगा | आज आप अगर Tsomgo (सोमगो) lake को देखने जाएंगे तो वहां चारों ओर आपको बड़े–बड़े Garbage Bins मिलेंगे | अब यहां जमा हुए कूड़े-कचरे को Recycling के लिए भेजा जाता है | यहां आने वाले पर्यटकों को कपड़े से बने Garbage Bags भी दिए जाते हैं ताकि कूड़ा-कचरा इधर-उधर न फैंके | अब बेहद साफ़-सुथरी हो चुकी इस झील को देखने हर साल करीब 5 लाख पर्यटक यहां पहुंचते हैं | Tsomgo (सोमगो) lake के संरक्षण के इस अनूठे प्रयास के लिए संगे शेरपा जी को कई संस्थाओं ने सम्मानित भी किया है | ऐसी ही कोशिशों की बदौलत आज सिक्किम की गिनती भारत के सबसे स्वच्छ राज्यों में होती है | मैं, संगे शेरपा जी और उनके साथियों के साथ-साथ देशभर में पर्यावरण संरक्षण के नेक प्रयास में जुटे लोगों की भी ह्रदय से प्रशंसा करता हूं |
साथियो, मुझे खुशी है कि ‘स्वच्छ भारत मिशन’ आज हर भारतीय के मन में रच-बस चुका है | साल 2014 में इस जन आंदोलन के शुरू होने के साथ ही, इसे, नयी ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए, लोगों ने, कई अनूठे प्रयास किये हैं और ये प्रयास सिर्फ समाज के भीतर ही नहीं बल्कि सरकार के भीतर भी हो रहे हैं | लगातार इन प्रयासों का परिणाम यह है - कूड़ा कचरा हटने के कारण, बिन जरुरी सामान हटने के कारण, दफ्तरों में काफी जगह खुल जाती है, नया space मिल जाता है | पहले, जगह के आभाव में दूर-दूर किराये पर दफ्तर रखने पड़ते थे | इन दिनों ये साफ-सफाई के कारण इतनी जगह मिल रही है, कि, अब, एक ही स्थान पर सारे दफ्तर बैठ रहें हैं | पिछले दिनों सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भी मुंबई में, अहमदाबाद में, कोलकता में, शिलांग में, कई शहरों में अपने दफ्तरों में भरपूर प्रयास किया और उसके कारण आज उनको दो-दो, तीन-तीन मंजिलें, पूरी तरह से नये सिरे से काम में आ सके, ऐसी उपलब्ध हो गई | ये अपने आप में स्वच्छता के कारण हमारे संसाधनों का optimum utilizations का उत्तम अनुभव आ रहा है | समाज में भी, गाँव-गाँव, शहर-शहर में भी, उसी प्रकार से दफ्तरों में भी, ये अभियान, देश के लिए भी हर प्रकार से उपयोगी सिद्ध हो रहा है |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश में अपनी कला-संस्कृति को लेकर एक नई जागरूकता आ रही है, एक नई चेतना जागृत हो रही है | ‘मन की बात’ में, हम, अक्सर ऐसे उदाहरणों की चर्चा भी करते हैं | जैसे कला, साहित्य और संस्कृति समाज की सामूहिक पूंजी होते हैं, वैसे ही इन्हें, आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी पूरे समाज की होती है | ऐसा ही एक सफल प्रयास लक्षद्वीप में हो रहा है | यहां कल्पेनी द्वीप पर एक क्लब है – कूमेल ब्रदर्स चैलेंजर्स क्लब | ये क्लब युवाओं को स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक कलाओं के संरक्षण के लिए प्रेरित करता है | यहाँ युवाओं को लोकल आर्ट कोलकली, परीचाकली, किलिप्पाट्ट और पारंपरिक गानों की ट्रेनिंग दी जाती है | यानि पुरानी विरासत, नई पीढ़ी के हाथों में सुरक्षित हो रही है, आगे बढ़ रही है और साथियो, मुझे ख़ुशी है इस प्रकार के प्रयास देश में ही नहीं विदेश में भी हो रहे हैं | हाल ही में दुबई से खबर आई कि वहाँ के कलारी club ने Guinness Book of World Records में नाम दर्ज किया है | कोई भी सोच सकता है कि दुबई के club ने Record बनाया तो इसमें भारत से क्या संबंध? दरअसल, ये record, भारत की प्राचीन मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू से जुड़ा है | ये record एक साथ सबसे अधिक लोगों के द्वारा कलारी के प्रदर्शन का है | कलारी club दुबई ने, दुबई पुलिस के साथ मिलकर ये plan किया और UAE के National Day में प्रदर्शित किया | इस आयोजन में 4 साल के बच्चों से लेकर 60 वर्ष तक के लोगों ने कलारी की अपनी क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया | अलग-अलग पीढ़ियाँ कैसे एक प्राचीन परम्परा को आगे बढ़ा रही है, पूरे मनोयोग से बढ़ा रही है, ये उसका अद्भुत उदाहरण है |
साथियो, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को मैं कर्नाटका के गडक जिले में रहने वाले ‘क्वेमश्री’ जी के बारे में भी बताना चाहता हूँ | ‘क्वेमश्री’ दक्षिण में कर्नाटका की कला-संस्कृति को पुनर्जीवित करने के mission में पिछले 25 वर्षों से अनवरत लगे हुए हैं | आप कल्पना कर सकते हैं कि उनकी तपस्या कितनी बड़ी है | पहले तो वो Hotel Management के profession से जुड़े थे | लेकिन, अपनी संस्कृति और परम्परा को लेकर उनका लगाव इतना गहरा था कि उन्होंने इसे अपना Mission बना लिया | उन्होंने ‘कला चेतना’ के नाम से एक मंच बनाया | ये मंच, आज कर्नाटका के, और देश-विदेश के कलाकारों के, कई कार्यक्रम आयोजित करता है | इसमें local art और culture को promote करने के लिए कई innovative काम भी होते हैं |
साथियो, अपनी कला-संस्कृति के प्रति देशवासियों का ये उत्साह ‘अपनी विरासत पर गर्व’ की भावना का ही प्रकटीकरण है | हमारे देश में तो हर कोने में ऐसे कितने ही रंग बिखरे हैं | हमें भी उन्हें सजाने- सवाँरने और संरक्षित करने के लिए निरंतर काम करना चाहिए |
मेरे प्यारे देशवासियो, देश के अनेक क्षेत्र में बांस से अनेक सुन्दर और उपयोगी चीजें बनाई जाती हैं | विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में बांस के कुशल कारीगर, कुशल कलाकार हैं | जब से देश ने बैम्बू से जुड़े अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को बदला है, इसका एक बड़ा बाज़ार तैयार हो गया है | महाराष्ट्र के पालघर जैसे क्षेत्रों में भी आदिवासी समाज के लोग बैम्बू से कई खुबसूरत Products बनाते हैं | बैम्बू से बनने वाले Boxes, कुर्सी, चायदानी, टोकरियाँ, और ट्रे जैसी चीजें खूब लोकप्रिय हो रही हैं | यही नहीं, ये लोग बैम्बू घास से खुबसूरत कपड़े और सजावट की चीजें भी बनाते हैं | इससे आदिवासी महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है, और उनके हुनर को पहचान भी मिल रही है |
साथियो, कर्नाटक के एक दंपति सुपारी के रेशे से बने कई unique products international market तक पहुँचा रहे हैं | कर्नाटक में शिवमोगा के ये दम्पति हैं – श्रीमान सुरेश और उनकी पत्नी श्रीमती मैथिली | ये लोग सुपारी के रेशे से tray, plate और handbag से लेकर कई decorative चीजें बना रहे हैं | इसी रेशे से बनी चप्पलें भी आज खूब पसंद की जा रही हैं | उनके products आज लंदन और यूरोप के दूसरे बाज़ारों तक में बिक रहे हैं | यही तो हमारे प्राकृतिक संसाधनों और पारंपरिक हुनर की खूबी है, जो, सबको पसंद आ रही है | भारत के इस पारंपरिक ज्ञान में दुनिया, sustainable future के रास्ते देख रही है | हमें, खुद भी इस दिशा में ज्यादा से ज्यादा जागरूक होने की जरुरत है | हम खुद भी ऐसे स्वदेशी और local product इस्तेमाल करें और दूसरों को भी ये उपहार में दें | इससे हमारी पहचान भी मजबूत होगी, स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी, और, बड़ी संख्या में, लोगों का भविष्य भी उज्जवल होगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, अब हम धीरे-धीरे ‘मन की बात’ के 100वें episode के अभूतपूर्व पड़ाव की ओर बढ़ रहे हैं | मुझे कई देशवासियों के पत्र मिले हैं, जिनमें उन्होंने 100वें episode के बारे में बड़ी जिज्ञासा प्रकट की है | 100वें episode में हम क्या बात करें, उसे कैसे खास बनायें, इसके लिए आप मुझे अपने सुझाव भेजेंगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा | अगली बार हम वर्ष 2023 में मिलेंगे | मैं आप सभी को वर्ष 2023 की शुभकामनायें देता हूँ | ये वर्ष भी देश के लिए खास रहे, देश नई ऊँचाइयों को छूता रहे, हमें मिलकर संकल्प भी लेना है, साकार भी करना है | इस समय बहुत से लोग छुट्टियों के mood में भी हैं | आप पर्वों को, इन अवसरों का खूब आनंद लीजिये, लेकिन, थोड़ा सतर्क भी रहिए | आप भी देख रहे हैं, कि, दुनिया के कई देशों में कोरोना बढ़ रहा है, इसलिए हमें, मास्क और हाथ धुलने जैसी सावधानियों का और ज्यादा ध्यान रखना है | हम सावधान रहेंगे, तो सुरक्षित भी रहेंगे और हमारे उल्लास में कोई रूकावट भी नहीं पड़ेगी | इसी के साथ, आप सभी को एक बार फिर ढ़ेरों शुभकामनायें | बहुत-बहुत धन्यवाद, नमस्कार |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार |
‘मन की बात’ में एक बार फिर आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है | यह कार्यक्रम 95वाँ एपिसोड है | हम बहुत तेजी से ‘मन की बात’ के शतक की तरफ़ बढ़ रहे हैं | ये कार्यक्रम मेरे लिए 130 करोड़ देशवासियों से जुड़ने का एक और माध्यम है | हर एपिसोड से पहले, गाँव-शहरों से आये ढ़ेर सारे पत्रों को पढ़ना, बच्चों से लेकर बुजुर्गों के audio message को सुनना, ये मेरे लिए एक आध्यात्मिक अनुभव की तरह होता है |
साथियो, आज के कार्यक्रम की शुरुआत मैं एक अनूठे उपहार की चर्चा के साथ करना चाहता हूँ | तेलंगाना के राजन्ना सिर्सिल्ला जिले में एक बुनकर भाई हैं - येल्धी हरिप्रसाद गारू | उन्होंने मुझे अपने हाथों से G-20 का यह logo बुन करके भेजा है | ये शानदार उपहार देखकर तो मैं हैरान ही रह गया | हरिप्रसाद जी को अपनी कला में इतनी महारथ हासिल है कि वो सबका ध्यान आकर्षित कर लेते हैं | हरिप्रसाद जी ने हाथ से बुने G-20 के इस Logo के साथ ही मुझे एक चिट्ठी भी भेजी है | इसमें उन्होंने लिखा है कि अगले साल G-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करना भारत के लिए बड़े ही गौरव की बात है | देश की इसी उपलब्धि की खुशी में उन्होंने G-20 का यह Logo अपने हाथों से तैयार किया है | बुनाई की यह बेहतरीन प्रतिभा उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली है और आज वे पूरे Passion के साथ इसमें जुटे हुए हैं |
साथियो, कुछ दिन पहले ही मुझे G-20 Logo और भारत की Presidency की website को launch करने का सौभाग्य मिला था | इस Logo का चुनाव एक Public contest के जरिए हुआ था | जब मुझे हरिप्रसाद गारू द्वारा भेजा गया ये उपहार मिला, तो मेरे मन में एक और विचार उठा | तेलंगाना के किसी जिले में बैठा व्यक्ति भी G-20 जैसी summit से खुद को कितना connect महसूस कर सकता है, ये देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा | आज हरिप्रसाद गारू जैसे अनेकों लोगों ने मुझे चिट्ठी भेजकर ये लिखा है कि देश को इतने बड़े summit की मेजबानी मिलने से उनका सीना चौड़ा हो गया है | मैं आपसे पुणे के रहने वाले सुब्बा राव चिल्लारा जी और कोलकाता के तुषार जगमोहन उनके संदेशे का भी जिक्र करूँगा | इन्होंने G-20 को लेकर भारत के Pro-active efforts की बहुत सराहना की है |
साथियो, G-20 की World Population में दो-तिहाई, World Trade में तीन-चौथाई, और World GDP में 85% भागीदारी है | आप कल्पना कर सकते हैं - भारत अब से 3 दिन बाद यानी 1 दिसंबर से इतने बड़े समूह की, इतने सामर्थ्यवान समूह की, अध्यक्षता करने जा रहा है | भारत के लिए, हर भारतवासी के लिए, ये कितना बड़ा अवसर आया है | ये, इसलिए भी और विशेष हो जाता है क्योंकि ये जिम्मेदारी भारत को आजादी के अमृतकाल में मिली है |
साथियो, G-20 की अध्यक्षता, हमारे लिए एक बड़ी opportunity बनकर आई है | हमें इस मौके का पूरा उपयोग करते हुए Global Good, विश्व कल्याण पर focus करना है | चाहे Peace हो या Unity, पर्यावरण को लेकर संवेदनशीलता की बात हो, या फिर Sustainable Development की, भारत के पास, इनसे जुड़ी चुनौतियों का समाधान है | हमने One Earth, One Family, One Future की जो theme दी है, उससे वसुधैव कुटुम्बकम के लिए हमारी प्रतिबद्धता जाहिर होती है | हम हमेशा कहते हैं -
ॐ सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु ।
सर्वेषां शान्तिर्भवतु ।
सर्वेषां पुर्णंभवतु ।
सर्वेषां मङ्गलंभवतु ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अर्थात सबका कल्याण हो, सबको शांति मिले, सबको पूर्णता मिले और सबका मंगल हो | आने वाले दिनों में, देश के अलग-अलग हिस्सों में, G-20 से जुड़े अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे | इस दौरान, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लोगों को आपके राज्यों में आने का मौका मिलेगा | मुझे भरोसा है, कि आप, अपने यहाँ की संस्कृति के विविध और विशिष्ट रंगों को दुनिया के सामने लाएंगे और आपको ये भी याद रखना है कि G-20 में आने वाले लोग, भले ही अभी एक Delegate के रूप में आयें, लेकिन भविष्य के tourist भी हैं | मेरा आप सभी से एक और आग्रह है, विशेषतौर से मेरे युवा साथियों से, हरिप्रसाद गारू की तरह ही, आप भी, किसी-ना-किसी रूप में G-20 से जरुर जुड़ें | कपड़े पर G-20 का भारतीय Logo, बहुत cool तरीके से, stylish तरीके से, बनाया जा सकता है, छापा जा सकता है | मैं स्कूलों, कॉलेजों, यूनिवर्सिटीज से भी आग्रह करूंगा कि वो अपने यहाँ G-20 से जुड़ी चर्चा, परिचर्चा, competition कराने के अवसर बनाएं | आप G20.in website पर जायेंगे तो आपको अपनी रूचि के अनुसार वहाँ बहुत सारी चीजें मिल जाएंगी |
मेरे प्यारे देशवासियो, 18 नवंबर को पूरे देश ने Space Sector में एक नया इतिहास बनते देखा | इस दिन भारत ने अपने पहले ऐसे Rocket को अंतरिक्ष में भेजा, जिसे भारत के Private Sector ने Design और तैयार किया था | इस Rocket का नाम है – ‘विक्रम–एस’| श्रीहरिकोटा से स्वदेशी Space Start-up के इस पहले रॉकेट ने जैसे ही ऐतिहासिक उड़ान भरी, हर भारतीय का सिर गर्व से ऊँचा हो गया |
साथियो, ‘विक्रम-एस’ Rocket कई सारी खूबियों से लैस है | दूसरे Rockets की तुलना में यह हल्का भी है, और सस्ता भी है | इसकी Development cost अंतरिक्ष अभियान से जुड़े दूसरे देशों की लागत से भी काफ़ी कम है | कम कीमत में विश्वस्तरीय standard, space technology में अब तो ये भारत की पहचान बन चुकी है | इस Rocket को बनाने में एक और आधुनिक technology का इस्तेमाल हुआ है | आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस Rocket के कुछ जरुरी हिस्से 3D Printing के जरिए बनाए गए हैं | सही में, ‘विक्रम-एस’ के Launch Mission को जो ‘प्रारम्भ’ नाम दिया गया है, वो बिल्कुल fit बैठता है | ये भारत में private space sector के लिए एक नए युग के उदय का प्रतीक है | ये देश में आत्मविश्वास से भरे एक नए युग का आरंभ है | आप कल्पना कर सकते हैं जो बच्चे कभी हाथ से कागज का हवाई जहाज बनाकर उड़ाया करते थे, उन्हें अब भारत में ही हवाई जहाज बनाने का मौका मिल रहा है | आप कल्पना कर सकते हैं कि जो बच्चे कभी चाँद-तारों को देखकर आसमान में आकृतियाँ बनाया करते थे, उन्हें अब भारत में ही रॉकेट बनाने का मौका मिल रहा है | space को private sector के लिए खोले जाने के बाद, युवाओं के ये सपने भी साकार हो रहे हैं | Rocket बना रहे ये युवा मानो कह रहे हैं - Sky is not the limit |
साथियों, भारत space के sector में अपनी सफलता, अपने पड़ोसी देशों से भी साझा कर रहा है | कल ही भारत ने एक satellite launch की, जिसे भारत और भूटान ने मिलकर develop किया है | ये satellite बहुत ही अच्छे resolution की तस्वीरें भेजेगी जिससे भूटान को अपने प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में मदद मिलेगी | इस satellite की launching, भारत-भूटान के मजबूत सबंधों का प्रतिबिंब है |
साथियो, आपने गौर किया होगा पिछले कुछ ‘मन की बात’ में हमने Space, Tech, Innovation पर खूब बात की है | इसकी दो खास वजह है, एक तो यह हमारे युवा इस क्षेत्र में बहुत ही शानदार काम कर रहें हैं | They are thinking Big and Achieving Big | अब वे छोटी-छोटी उपलब्धियों से संतुष्ट होने वाले नहीं हैं | दूसरी यह कि Innovation और value creation के इस रोमांचक सफर में वे अपने बाकी युवा साथियों और Start-ups को भी Encourage कर रहें हैं |
साथियो, जब हम Technology से जुड़े Innovations की बात कर रहें हैं, तो Drones को कैसे भूल सकते हैं? Drone के क्षेत्र में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है | कुछ दिनों पहले हमने देखा कि कैसे हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में Drones के जरिए सेब Transport किये गए | किन्नौर, हिमाचल का दूर-सुदूर जिला है और वहां इस मौसम में भारी बर्फ रहा करती है | इतनी बर्फ़बारी में, किन्नौर का हफ़्तों तक, राज्य के बाकी हिस्से से संपर्क बहुत मुश्किल हो जाता है | ऐसे में वहां से सेब का Transportation भी उतना ही कठिन होता है | अब Drone Technology से हिमाचल के स्वादिष्ट किन्नौरी सेब लोगों तक और जल्दी पहुँचने लगेंगे | इससे हमारे किसान भाई-बहनों का खर्च कम होगा - सेब समय पर मंडी पहुँच पायेगा, सेब की बर्बादी कम होगी |
साथियो, आज हमारे देशवासी अपने Innovations से उन चीजों को भी संभव बना रहे हैं, जिसकी पहले कल्पना तक नहीं की जा सकती थी | इसे देखकर किसे ख़ुशी नहीं होगी? हाल के वर्षों में हमारे देश ने उपलब्धियों का एक लम्बा सफ़र तय किया है | मुझे पूरा विशवास है कि हम भारतीय और विशेषकर हमारी युवा-पीढ़ी अब रुकने वाली नहीं है |
प्रिय देशवासियो, मैं आप लोगों के लिए एक छोटी सी clip play करने जा रहा हूँ.....
आप सभी ने इस गीत को कभी-न-कभी जरुर सुना होगा | आखिर यह बापू का पसंदीदा गीत जो है, लेकिन, अगर मैं ये कहूं कि इसे सुरों में पिरोने वाले गायक Greece के हैं, तो आप हैरान जरुर हो जाएंगे! और ये बात आपको गर्व से भी भर देगी | इस गीत को गाने वाले Greece के गायक हैं - ‘Konstantinos Kalaitzis’ | उन्होंने इसे गांधीजी के 150वें जन्म-जयंती समारोह के दौरान गया था | लेकिन आज मैं उनकी चर्चा किसी और वजह से कर रहा हूँ | उनके मन में India और Indian Music को लेकर गजब का Passion है | भारत से उन्हें इतना लगाव है, पिछले 42 (बयालीस) वर्षों में वे लगभग हर वर्ष भारत आए हैं | उन्होंने भारतीय संगीत के Origin, अलग-अलग Indian Musical systems, विविध प्रकार के राग, ताल और रास के साथ ही विभिन्न घरानों के बारे में भी study की है | उन्होंने, भारतीय संगीत की कई महान विभूतियों के योगदान का अध्ययन किया है, भारत के Classical dances के अलग-अलग पहलुओं को भी उन्होंने करीब से समझा है | भारत से जुड़े अपने इन तमाम अनुभवों को अब उन्होंने एक पुस्तक में बहुत ही खूबसूरती से पिरोया है | Indian Music नाम की उनकी book में लगभग 760 तस्वीरें हैं | इनमें से अधिकांश तस्वीरें उन्होंने खुद ही खींची है | दूसरे देशों में भारतीय संस्कृति को लेकर ऐसा उत्साह और आकर्षण वाकई आनंद से भर देने वाला है |
साथियो, कुछ सप्ताह पहले एक और खबर आई थी जो हमें गर्व से भरने वाली है | आपको जानकर अच्छा लगेगा कि बीते 8 वर्षों में भारत से Musical instruments का Export साढ़े तीन गुना बढ़ गया है | Electrical Musical Instruments की बात करें तो इनका Export 60 गुना बढ़ा है | इससे पता चलता है कि भारतीय संस्कृति और संगीत का craze दुनियाभर में बढ़ रहा है | Indian Musical Instruments के सबसे बड़े खरीदार USA, Germany, France, Japan और UK जैसे विकसित देश हैं | हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है कि हमारे देश में Music, Dance और Art की इतनी समृद्ध विरासत है |
साथियो, महान मनीषी कवि भर्तृहरि को हम सब उनके द्वारा रचित ‘नीति शतक’ के लिए जानते हैं | एक श्लोक में वे कहते हैं कि कला, संगीत और साहित्य से हमारा लगाव ही मानवता की असली पहचान है | वास्तव में, हमारी संस्कृति इसे Humanity से भी ऊपर Divinity तक ले जाती है | वेदों में सामवेद को तो हमारे विविध संगीतों का स्त्रोत कहा गया है | माँ सरस्वती की वीणा हो, भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी हो, या फिर भोलेनाथ का डमरू, हमारे देवी-देवता भी संगीत से अलग नहीं है | हम भारतीय, हर चीज़ में संगीत तलाश ही लेते हैं | चाहे वह नदी की कलकल हो, बारिश की बूंदें हों, पक्षियों का कलरव हो या फिर हवा का गूँजता स्वर, हमारी सभ्यता में संगीत हर तरफ समाया हुआ है | यह संगीत न सिर्फ शरीर को सुकून देता है, बल्कि, मन को भी आनंदित करता है | संगीत हमारे समाज को भी जोड़ता है | यदि भांगड़ा और लावणी में जोश और आनन्द का भाव है, तो रविन्द्र संगीत, हमारी आत्मा को आह्लादित कर देता है | देशभर के आदिवासियों की अलग-अलग तरह की संगीत परम्पराएं हैं | ये हमें आपस में मिलजुल कर और प्रकृति के साथ रहने की प्रेरणा देती है |
साथियो, संगीत की हमारी विधाओं ने, न केवल हमारी संस्कृति को समृद्ध किया है, बल्कि दुनियाभर के संगीत पर अपनी अमिट छाप भी छोड़ी है | भारतीय संगीत की ख्याति विश्व के कोने-कोने में फ़ैल चुकी है | मैं आप लोगों को एक और audio clip सुनाता हूँ |
आप सोच रहे होंगे कि घर के पास में किसी मंदिर में भजन कीर्तन चल रहा है | लेकिन ये आवाज भी आप तक भारत से हजारों मील दूर बसे South American देश Guyana से आई है | 19वीं और 20वीं सदी में बड़ी संख्या में हमारे यहाँ से लोग Guyana गए थे | वे यहाँ से भारत की कई परम्पराएं भी अपने साथ ले गए थे | उदाहरण के तौर पर, जैसे हम भारत में होली मनाते हैं, Guyana में भी होली का रंग सिर चढ़कर बोलता है | जहाँ होली के रंग होते हैं, वहाँ फगवा, यानि, फगुआ का संगीत भी होता है | Guyana के फगवा में वहाँ भगवान राम और भगवान कृष्ण से जुड़े विवाह के गीत गाने की एक विशेष परंपरा है | इन गीतों को चौताल कहा जाता है | इन्हें उसी प्रकार की धुन और High Pitch पर गया जाता है, जैसा हमारे यहाँ होता है | इतना ही नहीं, Guyana में चौताल Competition भी होता है | इसी तरह बहुत सारे भारतीय, विशेषरूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग Fiji भी गए थे | वे पारंपरिक भजन–कीर्तन गाते थे, जिसमें मुख्य रूप से रामचरितमानस के दोहे होते थे | उन्होंने Fiji में भी भजन-कीर्तन से जुड़ी कई मंडलियाँ बना डालीं | Fiji में रामायण मंडली के नाम से आज भी दो हज़ार से ज्यादा भजन-कीर्तन मंडलियाँ हैं | इन्हें आज हर गाँव-मोहल्ले में देखा जा सकता है | मैंने तो यहाँ केवल कुछ ही उदारहण दिए हैं | अगर आप पूरी दुनिया में देखेंगे तो ये भारतीय संगीत को चाहने वालों की ये list काफी लम्बी है |
मेरे प्यारे देशवासियों, हम सब, हमेशा इस बात पर गर्व करते हैं, कि हमारा देश दुनिया में सबसे प्राचीन परम्पराओं का घर है | इसलिए, ये हमारी जिम्मेदारी भी है कि, हम, अपनी परम्पराओं और पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करें, उसका संवर्धन भी करें और हो सके उतना आगे भी बढ़ाएँ | ऐसा ही एक सराहनीय प्रयास हमारे पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड के कुछ साथी कर रहे हैं | मुझे ये प्रयास काफी अच्छा लगा, तो मैंने सोचा इसे ‘मन की बात’ के श्रोताओं के साथ भी share करूँ |
साथियो, नागालैंड में नागा समाज की जीवनशैली, उनकी कला- संस्कृति और संगीत, ये हर किसी को आकर्षित करती है | ये हमारे देश की गौरवशाली विरासत का अहम हिस्सा है | नागालैंड के लोगों का जीवन और उनके skills sustainable life style के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं | इन परम्पराओं और skills को बचाकर अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए वहाँ के लोगों ने एक संस्था बनाई है, जिसका नाम है – ‘लिडि-क्रो-यू’ नागा संस्कृति के जो खूबसूरत आयाम धीरे धीरे खोने लगे थे, ‘लिडि-क्रो-यू’ संस्था ने उन्हें फिर से पुनर्जीवित करने का काम किया है | उदाहरण के तौर पर, नागा लोक-संगीत अपने आप में एक बहुत समृद्ध विधा है | इस संस्था ने नागा संगीत की Albums launch करने का काम शुरू किया है | अब तक ऐसी तीन albums launch की जा चुकी हैं | ये लोग लोक-संगीत, लोक-नृत्य से जुडी workshops भी आयोजित करते हैं | युवाओं को इन सब चीजों के लिए training भी दी जाती है | यही नहीं, नागालैंड की पारंपरिक शैली में कपड़े बनाने, सिलाई-बुनाई जैसे जो काम, उनकी भी training युवाओं को दी जाती है | पूर्वोत्तर में bamboo से भी कितने ही तरह के Products बनाए जाते हैं | नई पीढ़ी के युवाओं को bamboo products बनाने का भी सिखाया जाता है | इससे इन युवाओं का अपनी संस्कृति से जुड़ाव तो होता ही है, साथ ही उनके लिए रोजगार के नए-नए अवसर भी पैदा होते हैं | नागा लोक-संस्कृति के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोग जानें, इसके लिए भी लिडि-क्रो-यू के लोग प्रयास करते हैं |
साथियो, आपके क्षेत्र में भी ऐसी सांस्कृतिक विधाएँ और परम्पराएँ होंगी | आप भी अपने-अपने क्षेत्र में इस तरह के प्रयास कर सकते हैं | अगर आपकी जानकारी में कहीं ऐसा कोई अनूठा प्रयास हो रहा है, तो आप उसकी जानकारी मेरे साथ भी जरूर साझा करिए |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे यहाँ कहा गया है -
विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्
अर्थात, कोई अगर विद्या का दान कर रहा है, तो वो समाज हित में सबसे बड़ा काम कर रहा है | शिक्षा के क्षेत्र में जलाया गया एक छोटा सा दीपक भी पूरे समाज को रोशन कर सकता है | मुझे यह देखकर बहुत खुशी होती है कि आज देश-भर में ऐसे कई प्रयास किए जा रहे है | यूपी की राजधानी लखनऊ से 70-80 किलोमीटर दूर हरदोई का एक गांव है बांसा | मुझे इस गांव के जतिन ललित सिंह जी के बारे में जानकारी मिली है, जो शिक्षा की अलख जगाने में जुटे हैं | जतिन जी ने दो साल पहले यहां ‘Community Library and Resource Centre’ शुरू किया था | उनके इस centre में हिंदी और अंग्रेजी साहित्य, कंप्यूटर, लॉ और कई सरकारी परीक्षाओं की तैयारियों से जुड़ी 3000 से अधिक किताबें मौजूद हैं | इस Library में बच्चों की पसंद का भी पूरा ख्याल रखा गया है | यहां मौजूद comics की किताबें हों या फिर Educational Toys, बच्चों को खूब भा रहे हैं | छोटे बच्चे खेल-खेल में यहां नई-नई चीजें सीखने आते हैं | पढ़ाई Offline हो या फिर Online, करीब 40 Volunteers इस Centre पर Students को Guide करने में जुटे रहते हैं | हर रोज गांव के तकरीबन 80 विद्यार्थी इस Library में पढ़ने आते हैं |
साथियो, झारखंड के संजय कश्यप जी भी गरीब बच्चों के सपनों को नई उड़ाने दे रहे हैं | अपने विद्यार्थी जीवन में संजय जी को अच्छी पुस्तकों की कमी का सामना करना पड़ा था | ऐसे में उन्होंने ठान लिया कि किताबों की कमी से वे अपने क्षेत्र के बच्चों का भविष्य अंधकारमय नहीं होने देंगे | अपने इसी मिशन की वजह से आज वो झारखंड के कई जिलों में बच्चों के लिए ‘Library Man’ बन गए हैं | संजय जी ने जब अपनी नौकरी की शुरुआत की थी, उन्होंने पहला पुस्तकालय अपने पैतृक स्थान पर बनवाया था | नौकरी के दौरान उनका जहां भी Transfer होता था, वहां वे ग़रीब और आदिवासी बच्चों की पढ़ाई के लिए Library खोलने के mission में जुट जाते हैं | ऐसा करते हुए उन्होंने झारखंड के कई जिलों में बच्चों के लिए Library खोल दी है | Library खोलने का उनका यह mission आज एक सामाजिक आंदोलन का रूप ले रहा है | संजय जी हो या जतिन जी ऐसे अनेक प्रयासों के लिए मैं उनकी विशेष सराहना करता हूं |
मेरे प्यारे देशवासियो, Medical science की दुनिया ने research और innovation के साथ ही अत्याधुनिक technology और उपकरणों के सहारे काफी प्रगति की है, लेकिन कुछ बीमारियाँ, आज भी हमारे लिए, बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है | ऐसी ही एक बीमारी है – Muscular Dystrophy ! यह मुख्य रूप से एक ऐसी अनुवांशिक बीमारी है जो किसी भी उम्र में हो सकती है इसमें शरीर की मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती हैं | रोगी के लिए रोजमर्रा के अपने छोटे-छोटे कामकाज करना भी मुश्किल हो जाता है ऐसे मरीजों के उपचार और देखभाल के लिए बड़े सेवा-भाव की जरूरत होती है | हमारे यहां हिमाचल प्रदेश में सोलन में एक ऐसा centre है, जो Muscular Dystrophy के मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण बना है | इस centre का नाम है – ‘मानव मंदिर’, इसे Indian Association Of Muscular Dystrophy द्वारा संचालित किया जा रहा है | मानव मंदिर अपने नाम के अनुरूप ही मानव सेवा की अद्भुत मिसाल है | यहां मरीजों के लिए OPD और admission की सेवाएं तीन-चार साल पहले शुरू हुई थी | मानव मंदिर में करीब 50 मरीजों के लिए beds की सुविधा भी है | Physiotherapy, Electrotherapy, और Hydrotherapy के साथ-साथ योग-प्राणायाम की मदद से भी यहां रोग का उपचार किया जाता है |
साथियो, हर तरह की hi-tech सुविधाओं के जरिए इस केंद्र में रोगियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का भी प्रयास होता है | Muscular Dystrophy से जुड़ी एक चुनौती इसके बारे में जागरूकता का अभाव भी है | इसीलिए, यह केंद्र हिमाचल प्रदेश ही नहीं, देशभर में मरीजों के लिए जागरूकता शिविर भी आयोजित करता है | सबसे ज्यादा हौसला देने वाली बात यह है कि इस संस्था का प्रबंधन मुख्य रूप से इस बीमारी से पीड़ित लोग ही कर रहे हैं, जैसे सामाजिक कार्यकर्ता, उर्मिला बाल्दी जी, Indian Association Of Muscular Dystrophy की अध्यक्ष बहन संजना गोयल जी, और इस Association के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले श्रीमान् विपुल गोयल जी, इस संस्थान के लिए बहुत अहम् भूमिका निभा रहे हैं | मानव मंदिर को Hospital और Research centre के तौर पर विकसित करने की कोशिशें भी जारी हैं | इससे यहां मरीजों को और बेहतर इलाज मिल सकेगा | मैं इस दिशा में प्रयासरत सभी लोगों की हृदय से सराहना करता हूँ, साथ ही Muscular Dystrophy का सामना कर रहे सभी लोगों की बेहतरी की कामना करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज ‘मन की बात’ में हमने देशवासियों के जिन रचनात्मक और सामाजिक कार्यों की चर्चा की, वो, देश की ऊर्जा और उत्साह के उदाहरण हैं | आज हर देशवासी किसी-न-किसी क्षेत्र में, हर स्तर पर, देश के लिए कुछ अलग से काम करने का प्रयास कर रहा है | आज की चर्चा में ही हमने देखा, G-20 जैसे अन्तर्राष्ट्रीय प्रयोजन में हमारे एक बुनकर साथी ने अपनी जिम्मेदारी समझी, उसे निभाने के लिए आगे आए | इसी तरह, कोई पर्यावरण के लिए प्रयास कर रहा है, कोई पानी के लिए काम कर रहा है, कितने ही लोग शिक्षा, चिकित्सा और Science Technology से लेकर संस्कृति-परंपराओं तक, असाधारण काम कर रहे हैं | ऐसा इसलिए, क्योंकि आज हमारा हर नागरिक अपने कर्तव्य को समझ रहा है जब ऐसी कर्तव्य भावना किसी राष्ट्र के नागरिकों में आ जाती है, तो उसका स्वर्णिम भविष्य अपने आप तय हो जाता है, और, देश के ही स्वर्णिम भविष्य में हम सबका भी स्वर्णिम भविष्य है |
मैं, एक बार फिर देशवासियों को उनके प्रयासों के लिए नमन करता हूं | अगले महीने हम फिर मिलेंगे और ऐसे ही कई और उत्साहवर्धक विषयों पर जरुर बात करेंगे | अपने सुझाव और विचार जरुर भेजते रहियेगा | आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद !
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | आज, देश के कई हिस्सों में सूर्य उपासना का महापर्व ‘छठ’ मनाया जा रहा है | ‘छठ’ पर्व का हिस्सा बनने के लिए लाखों श्रद्धालु अपने गाँव, अपने घर, अपने परिवार के बीच पहुँचे हैं | मेरी प्रार्थना है कि छठ मइया सबकी समृद्धि, सबके कल्याण का आशीर्वाद दें |
साथियो, सूर्य उपासना की परंपरा इस बात का प्रमाण है कि हमारी संस्कृति, हमारी आस्था का, प्रकृति से कितना गहरा जुड़ाव है | इस पूजा के जरिये हमारे जीवन में सूर्य के प्रकाश का महत्व समझाया गया है | साथ ही ये सन्देश भी दिया गया है कि उतार-चढ़ाव, जीवन का अभिन्न हिस्सा है | इसलिए, हमें हर परिस्थिति में एक समान भाव रखना चाहिए | छठ मइया की पूजा में भांति-भांति के फलों और ठेकुआ का प्रसाद चढ़ाया जाता है | इसका व्रत भी किसी कठिन साधना से कम नहीं होता | छठ पूजा की एक और ख़ास बात होती है कि इसमें पूजा के लिए जिन वस्तुओं का इस्तेमाल होता है उसे समाज के विभिन्न लोग मिलकर तैयार करते हैं | इसमें बांस की बनी टोकरी या सुपली का उपयोग होता है | मिट्टी के दीयों का अपना महत्व होता है | इसके जरिये चने की पैदावार करने वाले किसान और बताशे बनाने वाले छोटे उद्यमियों का समाज में महत्व स्थापित किया गया है | इनके सहयोग के बिना छठ की पूजा संपन्न ही नहीं हो सकती | छठ का पर्व हमारे जीवन में स्वच्छता के महत्व पर भी जोर देता है | इस पर्व के आने पर सामुदायिक स्तर पर सड़क, नदी, घाट, पानी के विभिन्न स्त्रोत, सबकी सफाई की जाती है | छठ का पर्व ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का भी उदाहरण है | आज बिहार और पूर्वांचल के लोग देश के जिस भी कोने में हैं, वहाँ, धूमधाम से छठ का आयोजन हो रहा है | दिल्ली, मुंबई समेत महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों और गुजरात के कई हिस्सों में छठ का बड़े पैमाने पर आयोजन होने लगा है | मुझे तो याद है, पहले गुजरात में उतनी छठ पूजा नहीं होती थी | लेकिन समय के साथ आज करीब-करीब पूरे गुजरात में छठ पूजा के रंग नज़र आने लगे हैं | ये देखकर मुझे भी बहुत ख़ुशी होती है | आजकल हम देखते हैं, विदेशों से भी छठ पूजा की कितनी भव्य तस्वीरें आती हैं | यानी भारत की समृद्ध विरासत, हमारी आस्था, दुनिया के कोने-कोने में अपनी पहचान बढ़ा रही है | इस महापर्व में शामिल होने वाले हर आस्थावान को मेरी तरफ़ से बहुत-बहुत शुभकामनाएँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, अभी हमने पवित्र छठ पूजा की बात की, भगवान सूर्य की उपासना की बात की | तो क्यों न सूर्य उपासना के साथ-साथ आज हम उनके वरदान की भी चर्चा करें | सूर्य देव का ये वरदान है – ‘सौर ऊर्जा’ | Solar Energy आज एक ऐसा विषय है, जिसमें पूरी दुनिया अपना भविष्य देख रही है और भारत के लिए तो सूर्य देव सदियों से उपासना ही नहीं, जीवन पद्धति के भी केंद्र में रह रहे हैं | भारत, आज अपने पारंपरिक अनुभवों को आधुनिक विज्ञान से जोड़ रहा है, तभी, आज हम, सौर ऊर्जा से बिजली बनाने वाले सबसे बड़े देशों में शामिल हो गए हैं | सौर ऊर्जा से कैसे हमारे देश के गरीब और मध्यम वर्ग के जीवन में बदलाव आ रहा है, वो भी अध्ययन का विषय है |
तमिलनाडु में, काँचीपुरम में एक किसान हैं, थिरु के. एझिलन | इन्होंने ‘पी.एम कुसुम योजना’ का लाभ लिया और अपने खेत में दस horsepower का solar pump set लगवाया | अब उन्हें अपने खेत के लिए बिजली पर कुछ खर्च नहीं करना होता है | खेत में सिंचाई के लिए अब वो सरकार की बिजली सप्लाई पर निर्भर भी नहीं हैं | वैसे ही राजस्थान के भरतपुर में ‘पी.एम. कुसुम योजना’ के एक और लाभार्थी किसान हैं - कमलजी मीणा | कमलजी ने खेत में solar pump लगाया, जिससे उनकी लागत कम हो गई है | लागत कम हुई तो आमदनी भी बढ़ गई | कमलजी सोलार बिजली से दूसरे कई छोटे उद्योगों को भी जोड़ रहे हैं | उनके इलाके में लकड़ी का काम है, गाय के गोबर से बनने वाले उत्पाद हैं, इनमें भी सोलर बिजली का इस्तेमाल हो रहा है, वो, 10-12 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं, यानी, कुसुम योजना से कमलजी ने जो शुरुआत की, उसकी महक कितने ही लोगों तक पहुँचने लगी है |
साथियो, क्या आप कभी कल्पना कर सकते हैं कि आप महीने भर बिजली का उपयोग करें और आपका बिजली बिल आने के बजाय, आपको बिजली के पैसे मिलें ? सौर ऊर्जा ने ये भी कर दिखाया है | आपने कुछ दिन पहले, देश के पहले सूर्य ग्राम - गुजरात के मोढेरा की खूब चर्चा सुनी होगी | मोढेरा सूर्य ग्राम के ज्यादातर घर, सोलर पावर से बिजली पैदा करने लगे हैं | अब वहां के कई घरों में महीने के आखिर में बिजली का बिल नहीं आ रहा, बल्कि, बिजली से कमाई का cheque आ रहा है | ये होता देख, अब देश के बहुत से गावों के लोग मुझे चिट्ठियां लिखकर कह रहे हैं कि उनके गांव को भी सूर्य ग्राम में बदला जाए, यानी वो दिन दूर नहीं जब भारत में सूर्यग्रामों का निर्माण बहुत बड़ा जनांदोलन बनेगा और इसकी शुरुआत मोढेरा गांव के लोग कर ही चुके हैं |
आइये, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को भी मोढेरा के लोगों से मिलवाते हैं | हमारे साथ इस समय phone line पर जुड़े हैं श्रीमान् विपिन भाई पटेल |
प्रधानमंत्री जी :- विपिन भाई नमस्ते ! देखिये, अब तो मोढेरा पूरे देश के लिए एक model के रूप में चर्चा में आ गया है | लेकिन जब आपको अपने रिश्तेदार, परिचित सब बातें पूछते होंगे तो आप उनको क्या-क्या बताते हैं, क्या फायदा हुआ ?
विपिन जी :- सर, लोग हमारे को पूछते है तो हम कहते हैं कि हमें जो बिल आता था, लाइट बिल वो अभी जीरो आ रहा है और कभी 70 रूपए आता है पर लेकिन हमारे पूरे गाँव में जो आर्थिक परिस्थिति है वो सुधर रही है |
प्रधानमंत्री जी :- यानी एक प्रकार से पहले जो बिजली बिल की चिंता थी वो खत्म हो गई |
विपिन जी :- हाँ सर, वो तो बात सही है सर | अभी तो कोई tension नहीं है पूरे गाँव में | सब लोगों को लग रहा है कि सर ने जो किया तो वो तो बहुत अच्छा किया | वो खुश है सर | आनंदित हो रहे है सब |
प्रधानमंत्री जी :- अब अपने घर में ही खुद ही बिजली का कारखाना के मालिक बन गए | खुद का अपना घर के छत पर बिजली बन रही है,
विपिन जी :- हाँ सर, सही है सर |
प्रधानमंत्री जी :- तो क्या ये बदलाव जो आया है उसकी गाँव के लोगों पे क्या असर है ?
विपिन जी :- सर वो पूरे गाँव के लोग, वो खेती कर रहे हैं, तो फिर हमारे को बिजली की जो झंझट थी तो उसमें मुक्ति हो गई है | बिजली का बिल तो भरना नहीं है, निश्चिन्त हो गए हैं सर |
प्रधानमंत्री जी :- मतलब, बिजली का बिल भी गया और सुविधा बढ़ गई |
विपिन जी :- झंझट ही गया सर और सर जब आप यहाँ आये थे और वो 3D Show जो यहाँ उदघाटन किया तो इसके बाद तो मोढेरा गाँव में चार चाँद लग गए हैं सर | और वो जो secretary आये थे सर...
प्रधानमंत्री जी :- जी जी...
विपिन जी :- तो वो गाँव famous हो गया सर |
प्रधानमंत्री जी :- जी हाँ, UN के Secretary General उनकी खुद की इच्छा थी | उन्होंने मुझे बड़ा आग्रह किया कि भई इतना बड़ा काम किया है तो मैं वहां जाके देखना चाहता हूँ | चलिए विपिन भाई आपको और आपके गाँव के सब लोगों को मेरे तरफ़ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं और दुनिया आप में से प्रेरणा ले और ये solar energy का अभियान घर-घर चले
विपिन जी :- ठीक है सर | वो हम सब लोगों को बताएँगे सर कि भई सोलर लगवाओ, आपके पैसे से भी लगवाओ, तो बहुत फायदा है |
प्रधानमंत्री जी :- हाँ लोगों को समझाइये | चलिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं | धन्यवाद भैया |
विपिन जी :- Thank you sir, Thank you sir, मेरा जीवन धन्य हो गया आपसे बात करके |
विपिन भाई का बहुत-बहुत धन्यवाद |
आइये अब मोढेरा गाँव में वर्षा बहन से भी बात करेंगे |
वर्षाबेन :- हेलो नमस्ते सर !
प्रधानमंत्री जी :- नमस्ते-नमस्ते वर्षाबेन | कैसी हैं आप ?
वर्षाबेन :- हम बहुत अच्छे हैं सर | आप कैसे हैं ?
प्रधानमंत्री जी :- मैं बहुत ठीक हूँ |
वर्षाबेन :- हम धन्य हो गए सर आपसे बात करके |
प्रधानमंत्री जी :- अच्छा वर्षाबेन |
वर्षाबेन :- हाँ |
प्रधानमंत्री जी :- आप मोढेरा में, आप तो एक तो फौजी परिवार से है|
वर्षाबेन :- मैं फौजी परिवार से हूँ मैं | Army Ex-man की wife बोल रही हूँ सर |
प्रधानमंत्री जी :- तो पहले हिंदुस्तान में कहां-कहां जाने का मौका मिला आपको ?
वर्षाबेन :- मुझे राजस्थान में मिला, गाँधी नगर में मिला, कचरा कांझोर जम्मू है वहां पर मिला मौका, साथ में रहने का | बहुत सुविधा वहां पर मिल रही थी सर |
प्रधानमंत्री जी :- हाँ | ये फौज में होने के कारण आप हिंदी भी बढ़िया बोल रही हो |
वर्षाबेन :- हाँ-हाँ | सीखा है सर हाँ |
प्रधानमंत्री जी :- मुझे बताइये मोढेरा में जो इतना बड़ा परिवर्तन आया ये Solar Rooftop Plant आपने लगवा दिया | जो शुरू में लोग कह रहे होंगें, तब तो आपको मन में आया होगा, ये क्या मतलब है ? क्या कर रहे हैं ? क्या होगा ? ऐसे थोड़ी बिजली आती है ? ये सब बातें हैं कि आपके मन में आई होगी | अब क्या अनुभव आ रहा है ? इसका फायदा क्या हुआ है ?
वर्षाबेन :- बहुत सर फायदा तो फायदा ही फायदा हुआ है सर | सर हमारे गाँव में तो रोज दीवाली मनाई जाती है आपकी वजह से | 24 घंटे हमें बिजली मिल रही है, बिल तो आता ही नहीं है बिलकुल | हमारे घर में हमने electric सब चीज़ें घर में ला रखी हैं सर, सब चीज़ें use कर रहे हैं – आपकी वजह से सर | बिल आता ही नहीं है, तो हम free mind से, सब use कर सकते हैं न !
प्रधानमंत्री जी :- ये बात सही है, आपने बिजली का अधिकतम उपयोग करने के लिए भी मन बना लिया है |
वर्षाबेन :- बना लिया सर, बना लिया | अभी हमें कोई दिक्कत ही नहीं है. हम free mind से, सब ये जो washing machine है, AC है सब चला सकते हैं सर |
प्रधानमंत्री जी :- और गाँव के बाकी लोग भी खुश हैं इसके कारण ?
वर्षाबेन :- बहुत-बहुत खुश हैं सर |
प्रधानमंत्री जी :– अच्छा ये आपके पतिदेव तो वहाँ सूर्य मंदिर में काम करते हैं ? तो वहां जो वो light show हुआ इतना बड़ा event हुआ और अभी दुनियाभर के मेहमान आ रहे हैं |
वर्षा बेन :– दुनियाभर के foreigners आ सकते हैं पर आपने World में प्रसिद्ध कर दिया है हमारे गाँव को |
प्रधानमंत्री जी :– तो आपके पति को अब काम बढ़ गया होगा इतने मेहमान वहाँ मंदिर में देखने के लिए आ रहे हैं |
वर्षा बेन :- अरे ! कोई बात नहीं जितना भी काम बढ़े, सर कोई बात नहीं, इसकी हमें कोई दिक्कत नहीं है हमारे पति को, बस आप विकास करते जाओ हमारे गाँव का |
प्रधानमंत्री जी :– अब गाँव का विकास तो हम सबको मिलकर के करना है |
वर्षा बेन :- हाँ, हाँ | सर हम आपके साथ हैं |
प्रधानमंत्री जी :– और मैं तो मोढेरा के लोगों का अभिनन्दन करूँगा क्योंकि गाँव ने इस योजना को स्वीकार किया और उनको विश्वास हो गया कि हाँ हम अपने घर में बिजली बना सकते हैं |
वर्षा बेन -: 24 घंटे सर ! हमारे घर में बिजली आती है और हम बहुत खुश हैं |
प्रधानमंत्री जी :– चलिए ! मेरी आपको बहुत शुभकामनाएँ हैं | जो पैसे बचें हैं, इसका बच्चों की भलाई के लिए उपयोग कीजिये | उन पैसों का उपयोग अच्छा हो ताकि आपका जीवन को फायदा हो | मेरी आपको बहुत शुभकामनाएँ है | और सब मोढेरा वालों को मेरा नमस्कार !
साथियो, वर्षाबेन और बिपिन भाई ने जो बताया है, वो पूरे देश के लिए, गांवों-शहरों के लिए एक प्रेरणा है | मोढेरा का ये अनुभव पूरे देश में दोहराया जा सकता है | सूर्य की शक्ति, अब पैसे भी बचाएगी और आय भी बढ़ाएगी | जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से एक साथी हैं – मंजूर अहमद लर्हवाल | कश्मीर में सर्दियों के कारण बिजली का खर्च काफी होता है | इसी कारण, मंजूर जी का बिजली का बिल भी 4 हजार रूपए से ज्यादा आता था, लेकिन, जब से मंजूर जी ने अपने घर पर Solar Rooftop Plant लगवाया है, उनका खर्च आधे से भी कम हो गया है | ऐसे ही, ओडीशा की एक बेटी कुन्नी देउरी, सौर ऊर्जा को अपने साथ-साथ दूसरी महिलाओं के रोजगार का माध्यम बना रही हैं | कुन्नी, ओडीशा के केन्दुझर जिले के करदापाल गांव में रहती है | वो आदिवासी महिलाओं को solar से चलने वाली रीलिंग मशीन पर silk की कताई की training देती हैं | Solar Machine के कारण इन आदिवासी महिलाओं पर बिजली के बिल का बोझ नहीं पड़ता, और उनकी आमदनी हो रही है | यही तो सूर्य देव की सौर ऊर्जा का वरदान ही तो है | वरदान और प्रसाद तो जितना विस्तार हो, उतना ही अच्छा होता है | इसलिए, मेरी आप सबसे प्रार्थना है, आप भी, इसमें जुड़ें और दूसरों को भी जोड़ें |
मेरे प्यारे देशवासियो, अभी मैं आपसे सूरज की बातें कर रहा था | अब मेरा ध्यान space की तरफ जा रहा है | वो इसलिए, क्योंकि हमारा देश, Solar Sector के साथ ही space sector में भी कमाल कर रहा है | पूरी दुनिया, आज, भारत की उपलब्धियाँ देखकर हैरान है | इसलिए मैंने सोचा, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को ये बताकर मैं उनकी भी खुशी बढाऊँ |
साथियो, अब से कुछ दिन पहले आपने देखा होगा भारत ने एक साथ 36 satellites को अंतरिक्ष में स्थापित किया है | दीवाली से ठीक एक दिन पहले मिली ये सफलता एक प्रकार से ये हमारे युवाओं की तरफ से देश को एक special Diwali gift है | इस launching से कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कोहिमा तक, पूरे देश में, digital connectivity को और मजबूती मिलेगी | इसकी मदद से बेहद दूर-दराज के इलाके भी देश के बाकी हिस्सों से और आसानी से जुड़ जाएंगे | देश जब आत्मनिर्भर होता है, तो, कैसे, सफलता की नई ऊँचाई पर पहुँचता जाता है - ये इसका भी एक उदाहरण है | आपसे बात करते हुए मुझे वो पुराना समय भी याद आ रहा है, जब भारत को Cryogenic Rocket Technology देने से मना कर दिया गया था | लेकिन भारत के वैज्ञानिकों ने ना सिर्फ स्वदेशी technology विकसित की बल्कि आज इसकी मदद से एक साथ दर्जनों satellites अंतरिक्ष में भेज रहा है I इस launching के साथ भारत Global commercial market में एक मजबूत player बनकर उभरा है, इससे, अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के लिए अवसरों के नए द्वार भी खुले हैं |
साथियो, विकसित भारत का संकल्प लेकर चल रहा हमारा देश,सबका प्रयास से ही, अपने लक्ष्यों को, प्राप्त कर सकता है I भारत में पहले space sector, सरकारी व्यवस्थाओं के दायरे में ही सिमटा हुआ था I जब ये space sector भारत के युवाओं के लिए, भारत के private sector के लिए, खोल दिया गया तब से इसमें क्रांतिकारी परिवर्तन आने लगे हैं I भारतीय Industry और Start-ups इस क्षेत्र में नए-नए Innovations और नई-नई Technologies लाने में जुटे हैं| विशेषकर, IN-SPACe के सहयोग से इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने जा रहा है I
IN-SPACe के जरिए गैर–सरकारी कंपनियों को भी अपने Payloads और Satellite launch करने की सुविधा मिल रही है | मैं अधिक से अधिक Start-ups और Innovator से आग्रह करूँगा कि वे space sector में भारत में बन रहे इन बड़े अवसरों का पूरा लाभ उठाएँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, जब students की बात आए, युवा शक्ति की बात आए, नेतृत्व शक्ति की बात आए, तो, हमारे मन में घिसी-पिटी, पुरानी, बहुत सारी धारणाएं घर कर गयी है I कई बार हम देखते हैं कि जब Student power की बात होती है, तो इसको छात्रसंघ चुनावों से जोड़कर उसका दायरा सीमित कर दिया जाता है | लेकिन Student power का दायरा बहुत बड़ा है, बहुत विशाल है | Student power, भारत को powerful बनाने का आधार है | आखिर, आज जो युवा हैं, वही तो भारत को 2047 तक लेकर जाएंगे | जब भारत शताब्दी मनायेगा, युवाओं की ये शक्ति, उनकी मेहनत, उनका पसीना, उनकी प्रतिभा, भारत को उस ऊँचाई पर लेकर जाएगी, जिसका संकल्प, देश, आज ले रहा है | हमारे आज के युवा, जिस तरह देश के लिए काम कर रहे हैं, Nation building में जुट गए हैं, वो देखकर मैं बहुत भरोसे से भरा हुआ हूँ | जिस तरह हमारे युवा हैकॉथॉंन्स में problem solve करते हैं, रात-रात भर जागकर घंटों काम करते हैं, वो बहुत ही प्रेरणा देने वाला है | बीते वर्षों में हुई एक हैकॉथॉंन्स ने देश के लाखों युवाओं ने मिलकर, बहुत सारे challenges को निपटाया है, देश को नए solution दिए हैं |
साथियो, आपको याद होगा, मैंने लाल किले से ‘जय अनुसंधान’ का आह्वान किया था | मैनें इस दशक को भारत का Techade बनाने की बात भी कही थी | मुझे ये देखकर बहुत अच्छा लगा, इसकी कमान हमारी IITs के students ने भी संभाल ली है I इसी महीने 14-15 अक्टूबर को सभी 23 IITs अपने Innovations और Research project को प्रदर्शित करने के लिए पहली बार एक मंच पर आए | इस मेले में देशभर से चुनकर आए students और researchers उन्होंने 75 से अधिक बेहतरीन projects को प्रदर्शित किया | Healthcare, Agriculture, Robotics, Semiconductors, 5G Communications, ऐसी ढ़ेर सारी themes पर ये project बनाए गए थे I वैसे तो ये सारे ही Project एक से बढ़कर एक थे, लेकिन, मैं कुछ projects के बारे में आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ | जैसे, IIT भुवनेश्वर की एक टीम ने नवजात शिशुओं के लिए Portable ventilator विकसित किया है | यह बैटरी से चलता है और इसका उपयोग दूरदराज के क्षेत्रों में आसानी से किया जा सकता है |ये उन बच्चों का जीवन बचाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है जिनका जन्म तय समय से पहले हो जाता है | Electric mobility हो, ड्रोन Technology हो, 5G हो, हमारे बहुत सारे छात्र, इनसे जुड़ी नई technology विकसित करने में जुटे हैं | कई सारी IITs मिलकर एक बहुभाषक project पर भी काम कर रही हैं जो स्थानीय भाषाओँ को सीखने के तरीक़े को आसान बनाता है | ये Project नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को, उन लक्ष्यों को प्राप्ति में भी, बहुत मदद करेगा | आपको ये जानकर भी अच्छा लगेगा कि IIT Madras और IIT Kanpur ने भारत के स्वदेशी 5G Test bed को तैयार करने में अग्रणी भूमिका निभाई है | निश्चित रूप से यह एक शानदार शुरुआत है I मुझे आशा है कि आने वाले समय में इस तरह के कई और प्रयास देखने को मिलेंगे I मुझे यह भी उम्मीद है कि IITs से प्रेरणा लेकर दूसरे institutions भी अनुसंधान एवं विकास से जुड़ी अपनी activities में तेजी लाएंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता, हमारे समाज के कण–कण में समाहित है और इसे हम अपने चारों ओर महसूस कर सकते हैं | देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो पर्यावरण की रक्षा के लिए अपना जीवन खपा देते हैं |
कर्नाटका के बेंगलुरु में रहने वाले सुरेश कुमार जी से भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं, उनमें, प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए गजब का जुनून है | 20 साल पहले उन्होंने शहर के सहकारनगर के एक जंगल को फिर से हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया था I ये काम मुश्किलों से भरा था, लेकिन, 20 साल पहले लगाए गए वो पौधे आज 40-40 फीट ऊँचे विशालकाय पेड़ बन चुके हैं I अब इनकी सुन्दरता हर किसी का मन मोह लेती है | इससे वहां रहने वाले लोगों को भी बड़े गर्व की अनुभूति होती है | सुरेश कुमार जी और एक अद्भुत काम भी करते हैं | उन्होंने कन्नड़ा भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सहकारनगर में एक Bus shelter भी बनाया है | वो सैकड़ों लोगों को कन्नड़ा में लिखी Brass plates भी भेंट कर चुके हैं | Ecology और Culture दोनों साथ-साथ आगे बढें और फलें-फूलें, सोचिए...यह कितनी बड़ी बात है |
साथियो, आज Eco-friendly Living और Eco-friendly Products को लेकर लोगों में पहले से कहीं अधिक जागरूकता दिख रही है | मुझे तमिलनाडु के एक ऐसे ही दिलचस्प प्रयास के बारे में भी जानने का मौका मिला | ये शानदार प्रयास कोयंबटूर के अनाईकट्टी में आदिवासी महिलाओं की एक टीम का है | इन महिलाओं ने निर्यात के लिए दस हजार Eco-friendly टेराकोटा Tea Cups का निर्माण किया | कमाल की बात तो ये है की टेराकोटा Tea Cups बनाने की पूरी जिम्मेदारी इन महिलाओं ने खुद ही उठाई | Clay Mixing से लेकर Final Packaging तक सारे काम स्वयं किए | इसके लिए इन्होंने प्रशिक्षण भी लिया था | इस अद्भुत प्रयास की जितनी भी प्रशंसा की जाए - कम है |
साथियो, त्रिपुराके कुछ गाँवों ने भी बड़ी अच्छी सीख दी है | आप लोगों ने Bio-Village तो जरुर सुना होगा, लेकिन, त्रिपुरा के कुछ गाँव, Bio-Village 2 की सीढ़ी चढ़ गए हैं | Bio-Village 2 में इस बात पर ज़ोर होता है कि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कैसे कम से कम किया जाए | इसमें विभिन्न उपायों से लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने पर पूरा ध्यान दिया जाता है | Solar Energy, Biogas, Bee Keeping और Bio Fertilizers, इन सब पर पूरा focus रहता है | कुल मिलाकर अगर देखें, तो, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अभियान को Bio-Village 2 बहुत मजबूती देने वाला है | मैं देश के अलग–अलग हिस्सों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर बढ़ रहे उत्साह को देखकर बहुत ही खुश हूँ | कुछ दिन पहले ही, भारत में, पर्यावरण की रक्षा के लिए समर्पित Mission Life को भी launch किया गया है | Mission Life का सीधा सिद्धांत है – ऐसी जीवनशैली, ऐसी Lifestyle को बढ़ावा, जो पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचाए | मेरा आग्रह है कि आप भी Mission Life को जानिए, उसे अपनाने का प्रयास कीजिये |
साथियो, कल, 31 अक्टूबर को, राष्ट्रीय एकता दिवस है, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म-जयन्ती का पुण्य अवसर है | इस दिन देश के कोने-कोने में Run for Unity का आयोजन किया जाता है | ये दौड़, देश में एकता के सूत्र को मजबूत करती है, हमारे युवाओं को प्रेरित करती है | अब से कुछ दिन पहले, ऐसी ही भावना, हमारे राष्ट्रीय खेलों के दौरान भी देखी है | ‘जुड़ेगा इंडिया तो जीतेगा इंडिया’ इस Theme के साथ राष्ट्रीय खेलों ने जहाँ एकता का मजबूत सन्देश दिया, वहीं भारत की खेल संस्कृति को भी बढ़ावा देने का काम किया है | आपको यह जानकर खुशी होगी कि भारत में राष्ट्रीय खेलों का अब तक का सबसे बड़ा आयोजन था | इसमें 36 खेलों को शामिल किया गया, जिसमें, 7 नई और दो स्वदेशी स्पर्धा योगासन और मल्लखम्ब भी शामिल रही | Gold Medal जीतने में सबसे आगे जो तीन टीमें रहीं, वे हैं - सर्विसेस की टीम, महाराष्ट्र और हरियाणा की टीम | इन खेलों में छह National Records और करीब-करीब 60 National Games Records भी बने | मैं पदक जीतने वाले, नए Record बनाने वाले, इस खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले, सभी खिलाड़ियों को, बहुत-बहुत बधाई देता हूँ | मैं इन खिलाड़ियों के सुनहरे भविष्य की कामना भी करता हूँ |
साथियो, मैं उन सभी लोगों की भी ह्रदय से प्रशंसा करना चाहता हूँ, जिन्होंने गुजरात में हुए राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन में अपना योगदान दिया | आपने देखा है कि गुजरात में तो राष्ट्रीय खेल नवरात्रि के दौरान हुए | इन खेलों के आयोजन से पहले एक बार तो मेरे मन में भी आया कि इस समय तो पूरा गुजरात इन उत्सवों में जुटा होता है, तो लोग इन खेलों का आनंद कैसे ले पाएँगे ? इतनी बड़ी व्यवस्था और दूसरी तरफ नवरात्रि के गरबा वगैरह का इंतजाम | ये सारे काम गुजरात एकसाथ कैसे कर लेगा ? लेकिन गुजरात के लोगों ने अपने आतिथ्य-सत्कार से सभी मेहमानों को खुश कर दिया | अहमदाबाद में National Games के दौरान जिस तरह कला, खेल और संस्कृति का संगम हुआ, वह उल्लास से भर देने वाला था | खिलाड़ी भी दिन में जहाँ खेल में हिस्सा लेते थे, वहीं शाम को वे गरबा और डांडिया के रंग में डूब जाते थे | उन्होंने गुजराती खाना और नवरात्रि की तस्वीरें भी Social Media पर खूब Share कीं | यह देखना हम सभी के लिए बहुत ही आनंददायक था | आखिरकार, इस तरह के खेलों से, भारत की विविध संस्कृतियों के बारे में भी पता चलता है | ये ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को भी उतना ही मजबूत करते हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, नवम्बर महीने में 15 तारीख को हमारा देश जन-जातीय गौरव दिवस मनाएगा | आपको याद होगा, देश ने पिछले साल भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयन्ती के दिन आदिवासी विरासत और गौरव को Celebrate करने के लिए ये शुरुआत की थी | भगवान बिरसा मुंडा ने अपने छोटे से जीवन काल में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लाखों लोगों को एकजुट कर दिया था | उन्होंने भारत की आजादी और आदिवासी संस्कृति की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था | ऐसा कितना कुछ है, जो हम धरती आबा बिरसा मुंडा से सीख सकते हैं | साथियो, जब धरती आबा बिरसा मुंडा की बात आती है, छोटे से उनके जीवन काल की तरफ़ नज़र करते हैं, आज भी हम उसमें से बहुत कुछ सीख सकते हैं और धरती आबा ने तो कहा था- यह धरती हमारी है, हम इसके रक्षक हैं | उनके इस वाक्य में मातृभूमि के लिए कर्तव्य भावना भी है और पर्यावरण के लिए हमारे कर्तव्यों का अहसास भी है | उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया था कि हमें हमारी आदिवासी संस्कृति को भूलना नहीं है, उससे रत्ती-भर भी दूर नहीं जाना है | आज भी हम देश के आदिवासी समाजों से प्रकृति और पर्यावरण को लेकर बहुत कुछ सीख सकते हैं |
साथियो, पिछले साल भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर, मुझे रांची के भगवान बिरसा मुंडा म्यूजियम (Museum)के उद्घाटन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था | मैं युवाओं से आग्रह करना चाहूँगा कि उन्हें जब भी समय मिले, वे इसे देखने जरुर जाएँ | मैं आपको ये भी बताना चाहता हूँ कि एक नवम्बर यानी परसों, मैं गुजरात-राजस्थान के बॉर्डर पर मौजूदा मानगढ़ में रहूँगा | भारत के स्वतंत्रता संग्राम और हमारी समृद्ध आदिवासी विरासत में मानगढ़ का बहुत ही विशिष्ट स्थान रहा है | यहाँ पर नवम्बर 1913 में एक भयानक नरसंहार हुआ था, जिसमें अंग्रेजों ने स्थानीय आदिवासियों की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी थी | बताया जाता है कि इस नरसंहार में एक हजार से अधिक आदिवासियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी | इस जनजातीय आन्दोलन का नेतृत्व गोविन्द गुरु जी ने किया था, जिनका जीवन हर किसी को प्रेरित करने वाला है | आज मैं उन सभी आदिवासी शहीदों और गोविन्द गुरु जी के अदम्य साहस और शौर्य को नमन करता हूँ | हम इस अमृतकाल में भगवान बिरसा मुंडा, गोविन्द गुरु और अन्य स्वातंत्र सेनानियों के आदर्शों का जितनी निष्ठा से पालन करेंगे, हमारा देश उतनी ही ऊँचाइयों को छू लेगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, आने वाली 8 नवम्बर को गुरुपुरब है | गुरु नानक जी का प्रकाश पर्व जितना हमारी आस्था के लिए महत्वपूर्ण है, उतना ही हमें इससे सीखने को भी मिलता है | गुरु नानकदेव जी ने अपने पूरे जीवन, मानवता के लिए प्रकाश फैलाया | पिछले कुछ वर्षों में देश ने गुरुओं के प्रकाश को जन-जन तक पहुँचाने के लिए अनेकों प्रयास किए हैं | हमें गुरु नानकदेव जी का 550वाँ प्रकाश पर्व, देश और विदेश में व्यापक स्तर पर मनाने का सौभाग्य मिला था | दशकों के इंतजार के बाद करतारपुर साहिब कॉरिडोर का निर्माण होना भी उतना ही सुखद है | कुछ दिन पहले ही मुझे हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे के शिलान्यास का भी सौभाग्य मिला है | हमें हमारे गुरुओं के विचारों से लगातार सीखना है, उनके लिए समर्पित रहना है | इसी दिन कार्तिक पूर्णिमा का भी है | इस दिन हम तीर्थों में, नदियों में, स्नान करते हैं - सेवा और दान करते हैं | मैं आप सभी को इन पर्वों की हार्दिक बधाई देता हूँ | आने वाले दिनों में कई राज्य, अपने राज्य दिवस भी मनाएंगे | आंध्र प्रदेश अपना स्थापना दिवस मनाएगा, केरला पिरावि मनाया जाएगा | कर्नाटका राज्योत्सव मनाया जाएगा | इसी तरह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और हरियाणा भी अपने राज्य दिवस मनाएंगे | मैं इन सभी राज्यों के लोगों को शुभकामनाएँ देता हूँ | हमारे सभी राज्यों में, एक दूसरे से सीखने की, सहयोग करने की, और मिलकर काम करने की spirit जितनी मजबूत होगी, देश उतना ही आगे जाएगा | मुझे विश्वास है, हम इसी भावना से आगे बढ़ेंगे | आप सब अपना ख्याल रखिए, स्वस्थ रहिए | ‘मन की बात’ की अगली मुलाक़ात तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिये | नमस्कार, धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | पिछले दिनों जिस बात ने हम सब का ध्यान आकर्षित किया - वह है चीता | चीतों पर बात करने के लिए ढ़ेर सारे messages आए हैं, वह चाहे उत्तर प्रदेश के अरुण कुमार गुप्ता जी हों या फिर तेलंगाना के एन. रामचंद्रन रघुराम जी; गुजरात के राजन जी हों या फिर दिल्ली के सुब्रत जी | देश के कोने-कोने से लोगों ने भारत में चीतों के लौटने पर खुशियाँ जताई हैं | 130 करोड़ भारतवासी खुश हैं, गर्व से भरे हैं - यह है भारत का प्रकृति प्रेम | इस बारे में लोगों का एक common सवाल यही है कि मोदी जी हमें चीतों को देखने का अवसर कब मिलेगा ?
साथियो, एक task force बनी है | यह task force चीतों की monitoring करेगी और ये देखेगी कि यहाँ के माहौल में वो कितने घुल-मिल पाए हैं | इसी आधार पर कुछ महीने बाद कोई निर्णय लिया जाएगा, और तब आप, चीतों को देख पायेंगे | लेकिन तब तक मैं आप सबको कुछ-कुछ काम सौंप रहा हूँ, इसके लिए MyGovके platform पर, एक competition आयोजित किया जाएगा, जिसमें लोगों से मैं कुछ चीजें share करने का आग्रह करता हूँ | चीतों को लेकर जो हम अभियान चला रहे हैं, आखिर, उस अभियान का नाम क्या होना चाहिए! क्या हम इन सभी चीतों के नामकरण के बारे में भी सोच सकते हैं, कि, इनमें से हर एक को, किस, नाम से बुलाया जाए! वैसे ये नामकरण अगर traditional हो तो काफी अच्छा रहेगा, क्योंकि, अपने समाज और संस्कृति, परंपरा और विरासत से जुड़ी हुई कोई भी चीज, हमें, सहज ही, अपनी ओर आकर्षित करती है | यही नहीं, आप ये भी बतायें, आखिर इंसानों को, animals के साथ कैसे behave करना चाहिए! हमारी fundamental duties में भी तो respect for animals पर जोर दिया गया है | मेरी आप सभी से अपील है कि आप इस competition में जरुर भाग लीजिए - क्या पता इनाम स्वरुप चीते देखने का पहला अवसर आपको ही मिल जाए!
मेरे प्यारे देशवासियो, आज 25 सितंबर को देश के प्रखर मानवतावादी, चिन्तक और महान सपूत दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्मदिन मनाया जाता है | किसी भी देश के युवा जैसे-जैसे अपनी पहचान और गौरव पर गर्व करते हैं, उन्हें, अपने मौलिक विचार और दर्शन उतने ही आकर्षित करते हैं | दीनदयाल जी के विचारों की सबसे बड़ी खूबी यही रही है कि उन्होंने अपने जीवन में विश्व की बड़ी-बड़ी उथल-पुथल को देखा था | वो विचारधाराओं के संघर्षों के साक्षी बने थे | इसीलिए, उन्होंने ‘एकात्म मानवदर्शन’ और ‘अंत्योदय’ का एक विचार देश के सामने रखा जो पूरी तरह भारतीय था | दीनदयाल जी का ‘एकात्म मानवदर्शन’ एक ऐसा विचार है, जो विचारधारा के नाम पर द्वन्द्व और दुराग्रह से मुक्ति दिलाता है | उन्होंने मानव मात्र को एक समान मानने वाले भारतीय दर्शन को फिर से दुनिया के सामने रखा | हमारे शास्त्रों में कहा गया है – ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु’, अर्थात्, हम जीव मात्र को अपने समान मानें, अपने जैसा व्यवहार करें | आधुनिक, सामाजिक और राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में भी भारतीय दर्शन कैसे दुनिया का मार्गदर्शन कर सकता है, ये, दीनदयाल जी ने हमें सिखाया | एक तरह से, आजादी के बाद देश में जो हीनभावना थी, उससे आजादी दिलाकर उन्होंने हमारी अपनी बौद्धिक चेतना को जागृत किया | वो कहते भी थे – ‘हमारी आज़ादी तभी सार्थक हो सकती है जब वो हमारी संस्कृति और पहचान की अभिव्यक्ति करे’ | इसी विचार के आधार पर उन्होंने देश के विकास का vision निर्मित किया था | दीनदयाल उपाध्याय जी कहते थे कि देश की प्रगति का पैमाना, अंतिम पायदान पर मौजूद व्यक्ति होता है | आज़ादी के अमृतकाल में हम दीनदयाल जी को जितना जानेंगे, उनसे जितना सीखेंगे, देश को उतना ही आगे लेकर जाने की हम सबको प्रेरणा मिलेगी |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज से तीन दिन बाद, यानी 28 सितम्बर को अमृत महोत्सव का एक विशेष दिन आ रहा है | इस दिन हम भारत माँ के वीर सपूत भगत सिंह जी की जयंती मनाएंगे | भगत सिंह जी की जयंती के ठीक पहले उन्हें श्रद्धांजलि स्वरुप एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है | यह तय किया है कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम अब शहीद भगत सिंह जी के नाम पर रखा जाएगा | इसकी लम्बे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी | मैं चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और देश के सभी लोगों को इस निर्णय की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ |
साथियो, हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लें, उनके आदर्शों पर चलते हुए उनके सपनों का भारत बनाएं, यही, उनके प्रति हमारी श्रद्धांजलि होती है | शहीदों के स्मारक, उनके नाम पर स्थानों और संस्थानों के नाम हमें कर्तव्य के लिए प्रेरणा देते हैं | अभी कुछ दिन पहले ही देश ने कर्तव्यपथ पर नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की मूर्ति की स्थापना के ज़रिये भी ऐसा ही एक प्रयास किया है और अब शहीद भगत सिंह के नाम से चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम इस दिशा में एक और कदम है | मैं चाहूँगा, अमृत महोत्सव में हम जिस तरह स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े विशेष अवसरों पर celebrate कर रहे हैं उसी तरह 28 सितम्बर को भी हर युवा कुछ नया प्रयास अवश्य करे|
वैसे मेरे प्यारे देशवासियो, आप सभी के पास 28 सितम्बर को celebrate करने की एक और वजह भी है | जानते हैं क्या है! मैं सिर्फ दो शब्द कहूँगा लेकिन मुझे पता है, आपका जोश चार गुना ज्यादा बढ़ जाएगा | ये दो शब्द हैं -
Surgical Strike | बढ़ गया ना जोश! हमारे देश में अमृत महोत्सव का जो अभियान चल रहा है उन्हें हम पूरे मनोयोग से celebrate करें, अपनी खुशियों को सबके साथ साझा करें |
मेरे प्यारे देशवासियो, कहते हैं - जीवन के संघर्षों से तपे हुए व्यक्ति के सामने कोई भी बाधा टिक नहीं पाती | अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में हम कुछ ऐसे साथियों को भी देखते हैं, जो किसी ना किसी शारीरिक चुनौती से मुकाबला कर रहे हैं | बहुत से ऐसे भी लोग हैं जो या तो सुन नहीं पाते, या, बोलकर अपनी बात नहीं रख पाते | ऐसे साथियों के लिए सबसे बड़ा सम्बल होती है, Sign Language. लेकिन भारत में बरसों से एक बड़ी दिक्कत ये थी कि Sign Language के लिए कोई स्पष्ट हाव-भाव तय नहीं थे, standards नहीं थे | इन मुश्किलों को दूर करने के लिए ही वर्ष 2015 में Indian Sign Language Research and Training Center की स्थापना हुई थी | मुझे ख़ुशी है कि ये संस्थान अब तक दस हज़ार words और Expressions की Dictionary तैयार कर चुका है | दो दिन पहले यानि 23 सितम्बर को Sign Language Day पर, कई स्कूली पाठ्यक्रमों को भी Sign Language में Launch किया गया है | Sign Language के तय Standard को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी काफी बल दिया गया है | Sign Language की जो Dictionary बनी है, उसके video बनाकर भी उनका निरंतर प्रसार किया जा रहा है | YouTube पर कई लोगों ने, कई संस्थानों ने, Indian Sign Language में अपने चैनल शुरू कर दिए हैं, यानि, 7-8 साल पहले Sign Language को लेकर जो अभियान देश में प्रारंभ हुआ था, अब उसका लाभ लाखों मेरे दिव्यांग भाई-बहनों को होने लगा है | हरियाणा की रहने वाली पूजा जी तो Indian Sign Language से बहुत खुश हैं | पहले वो अपने बेटे से ही संवाद नहीं कर पाती थीं, लेकिन,2018 में Sign Language की training लेने के बाद, माँ-बेटे दोनों का जीवन आसान हो गया है | पूजा जी के बेटे ने भी Sign Language सीखी और अपने स्कूल में उसने storytelling में Prize जीतकर भी दिखा दिया | इसी तरह, टिंकाजी की छह साल की एक बिटिया है, जो सुन नहीं पाती है | टिंकाजी ने अपनी बेटी को Sign Language का course कराया था लेकिन उन्हें खुद Sign Language नहीं आती थी, इस वजह से वो अपनी बच्ची से Communicate नहीं कर पाती थी | अब टिंकाजी ने भी sign language की training ली है और दोनों माँ-बेटी अब आपस में खूब बातें किया करती हैं | इन प्रयासों का बहुत बड़ा लाभ केरला की मंजू जी को भी हुआ है | मंजू जी, जन्म से ही सुन नहीं पाती है, इतना ही नहीं उनके parents के जीवन में भी यही स्थिति रही है | ऐसे में sign language ही पूरे परिवार के लिए संवाद का जरिया बनी है | अब तो मंजू जी खुद ही Sign Language की teacher बनने का भी फैसला ले लिया है |
साथियो, मैं इसके बारे में ‘मन की बात’ में इसलिए भी चर्चा कर रहा हूँ ताकि Indian Sign Language को लेकर Awareness बढ़े | इससे हम, अपने दिव्यांग साथियों की अधिक से अधिक मदद कर सकेंगे | भाइयो और बहनों, कुछ दिन पहले मुझे ब्रेल में लिखी हेमकोश की एक copy भी मिली है | हेमकोश असमिया भाषा की सबसे पुरानी Dictionaries में से एक है | यह 19वीं शताब्दी में तैयार की गई थी | इसका सम्पादन प्रख्यात भाषाविद् हेमचन्द्र बरुआ जी ने किया था | हेमकोश का ब्रेल Edition करीब 10 हज़ार पन्नों का है और यह 15 Volumes से भी अधिक में प्रकाशित होने जा रहा है | इसमें 1 लाख से भी अधिक शब्दों का अनुवाद होना है | मैं इस संवेदनशील प्रयास की बहुत सराहना करता हूँ | इस तरह के हर प्रयास दिव्यांग साथियों का कौशल और सामर्थ्य बढ़ाने में बहुत मदद करते हैं | आज भारत Para Sports में भी सफलता के परचम लहरा रहा है | हम सभी कई Tournaments में इसके साक्षी रहे हैं | आज कई लोग ऐसे हैं, जो दिव्यांगों के बीच Fitness Culture को जमीनी स्तर पर बढ़ावा देने में जुटे हैं | इससे दिव्यांगों के आत्मविश्वास को बहुत बल मिलता है |
मेरे प्यारे देशवासियो, मैं कुछ दिन पहले सूरत की एक बिटिया अन्वी से मिला | अन्वी और अन्वी के योग से मेरी वो मुलाकात इतनी यादगार रही है कि उसके बारे में, मैं ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं को जरुर बताना चाहता हूँ | साथियो, अन्वी, जन्म से ही Down Syndrome से पीड़ित हैं और वो बचपन से ही Heart की गंभीर बीमारी से भी जूझती रही है | जब वो केवल तीन महीने की थी, तभी उसे Open Heart Surgery से भी गुजरना पड़ा | इन सब मुश्किलों के बावजूद, न तो अन्वीने, और न ही उसके माता-पिता ने कभी हार मानी | अन्वी के माता-पिता ने Down Syndrome के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा की और फिर तय किया कि अन्वी के दूसरों पर निर्भरता को कम कैसे करेंगे | उन्होंने अन्वी को पानी का गिलास कैसे उठाना, जूते के फीते कैसे बांधना, कपड़ों के बटन कैसे लगाना, ऐसी छोटी छोटी छोटी चीज़े सिखाना शुरू किया | कौन सी चीज की जगह कहाँ है, कौन सी अच्छी आदतें होती हैं, ये सब कुछ बहुत धैर्य के साथ उन्होंने अन्वी को सिखाने की कोशिश की | बिटिया अन्वी ने जिस तरह सीखने की इच्छाशक्ति दिखाई, अपनी प्रतिभा दिखाई, उससे, उसके माता-पिता को भी बहुत हौसला मिला | उन्होंने अन्वी को योग सीखने के लिए प्रेरित किया | मुसीबत इतनी गंभीर थी, कि अन्वी अपने दो पैर पर भी खड़ी नहीं हो पाती थी, ऐसी परिस्थिति में उनके माता-पिताजी ने अन्वी को योग सीखने के लिए प्रेरित किया | पहली बार जब वो योग सिखाने वाली Coach के पास गई तो वे भी बड़ी दुविधा में थे कि क्या ये मासूम बच्ची योग कर पायेगी! लेकिन Coach को भी शायद इसका अंदाजा नहीं था कि अन्वी किस मिट्टी की बनी है | वो अपनी माँ के साथ योग का अभ्यास करने लगी और अब तो वो योग में expert हो चुकी है | अन्वी आज देशभर के Competitions में हिस्सा लेती है और Medal जीतती है | योग ने अन्वी को नया जीवन दे दिया | अन्वी ने योग को आत्मसात कर जीवन को आत्मसात किया | अन्वी के माता-पिता ने मुझे बताया कि योग से अन्वी के जीवन में अद्भुत बदलाव देखने को मिला है, अब उसका Self-Confidence गजब का हो गया है | योग से अन्वी की Physical Health में भी सुधार हुआ है और दवाओं की जरुरत भी कम होती चली जा रही है | मैं चाहूँगा कि देश-विदेश में मौजूद, ‘मन की बात’ के श्रोता अन्वी को योग से हुए लाभ का वैज्ञानिक अध्ययन कर सकें, मुझे लगता है कि अन्वी एक बढ़िया Case study है, जो योग के सामर्थ को जांचना-परखना चाहते हैं, ऐसे वैज्ञानिकों ने आगे आकर के अन्वी की इस सफलता पर अध्ययन करके, योग के सामर्थ से दुनिया को परिचित कराना चाहिए | ऐसी कोई भी Research, दुनिया भर में Down Syndrome से पीड़ित बच्चों की बहुत मदद कर सकती है | दुनिया अब इस बात को स्वीकार कर चुकी है कि Physical और Mental Wellness के लिए योग बहुत ज्यादा कारगर है | विशेषकर Diabetes और Blood pressure से जुड़ी मुश्किलों में योग से बहुत मदद मिलती है | योग की ऐसी ही शक्ति को देखते हुए 21 जून को संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाना तय किया हुआ है | अब United Nation – संयुक्त राष्ट्र ने भारत के एक और प्रयास को Recognize किया है, उसे सम्मानित किया है | ये प्रयास है, वर्ष 2017 में शुरू किया गया – “India Hypertension Control Initiative” इसके तहत Blood Pressure की मुश्किलों से जूझ रहे लाखों लोगों का इलाज सरकारी सेवा केन्द्रों में किया जा रहा है | जिस तरह इस initiative ने अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओ का ध्यान अपनी ओर खींचा है, वो अभूतपूर्व है | ये हम सबके लिए उत्साह बढ़ाने वाली बात है कि जिन लोगों का उपचार हुआ है, उनमें से क़रीब आधे का Blood Pressure Control में है | मैं इस initiative के लिए काम करने वाले उन सभी लोगों को बहुत- बहुत बधाई देता हूँ, जिन्होंने अपने अथक परिश्रम से इसे सफल बनाया |
साथियो, मानव जीवन की विकास यात्रा, निरंतर, पानी से जुड़ी हुई है - चाहे वो समुंद्र हो, नदी हो या तालाब हो | भारत का भी सौभाग्य है कि करीब साढ़े सात हजार किलोमीटर (7500 किलोमीटर) से अधिक लम्बी Coastline के कारण हमारा समुंद्र से नाता अटूट रहा है | यह तटीय सीमा कई राज्यों और द्वीपों से होकर गुजरती है | भारत के अलग-अलग समुदायों और विविधताओं से भरी संस्कृति को यहाँ फलते-फूलते देखा जा सकता है | इतना ही नहीं, इन तटीय इलाकों का खानपान लोगों को खूब आकर्षित करता है | लेकिन इन मजेदार बातों के साथ ही एक दुखद पहलू भी है | हमारे ये तटीय क्षेत्र पर्यावरण से जुडी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं | Climate Change, Marine Eco-Systems के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है तो दूसरी ओर हमारे beaches पर फ़ैली गंदगी परेशान करने वाली है | हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम इन चुनौतियों के लिए गंभीर और निरंतर प्रयास करें | यहाँ मैं देश के तटीय क्षेत्रों में Coastal Cleaning की एक कोशिश ‘स्वच्छ सागर - सुरक्षित सागर’ इसके बारे में बात करना चाहूंगा | 5 जुलाई को शुरू हुआ यह अभियान बीते 17 सितम्बर को विश्वकर्मा जयंती के दिन संपन्न हुआ | इसी दिन Coastal Clean Up Day भी था | आज़ादी के अमृत महोत्सव में शुरू हुई यह मुहिम 75 दिनों तक चली | इसमें जनभागीदारी देखते ही बन रही थी | इस प्रयास के दौरान पूरे ढ़ाई महीने तक सफ़ाई के अनेक कार्यक्रम देखने को मिले | गोवा में एक लम्बी Human Chain बनाई गई | काकीनाड़ा में गणपति विसर्जन के दौरान लोगों को plastic से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया | NSS के लगभग 5000 युवा साथियों ने तो 30 टन से अधिक plastic एकत्र किया | ओडिशा में तीन दिन के अन्दर 20 हजार से अधिक स्कूली छात्रों ने प्रण लिया कि वे अपने साथ ही परिवार और आसपास के लोगों को भी ‘स्वच्छ सागर और सुरक्षित सागर’ के लिए प्रेरित करेंगे | मैं उन सभी लोगों को बधाई देना चाहूंगा, जिन्होंने, इस अभियान में हिस्सा लिया |
Elected Officials, खासकर शहरों के मेयर और गाँवों के सरपंचों से जब मैं संवाद करता हूँ, तो ये आग्रह जरुर करता हूँ कि स्वच्छता जैसे प्रयासों में Local Communities और Local Organisations को शामिल करें, Innovative तरीके अपनाएं |
बेंगलुरु में एक टीम है - Youth For Parivarthan (यूथ फॉर परिवर्तन). पिछले आठ सालों से यह टीम स्वच्छता और दूसरी सामुदायिक गतिविधियों को लेकर काम कर रही है | उनका motto बिलकुल clear है – ‘Stop Complaining, Start Acting’. इस टीम ने अब तक शहरभर की 370 से ज्यादा जगहों का सौंदर्यीकरण किया है | हर स्थान पर Youth For Parivarthan के अभियान ने 100 से डेढ़ सौ (150) नागरिक को जोड़ा है | प्रत्येक रविवार को यह कार्यक्रम सुबह शुरू होता है और दोपहर तक चलता है | इस कार्य में कचरा तो हटाया ही जाता है, दीवारों पर painting और Artistic Sketches बनाने का काम भी होता है | कई जगहों पर तो आप प्रसिद्ध व्यक्तियों के Sketches और उनके Inspirational Quotes भी देख सकते हैं | बेंगलुरु के Youth For Parivarthan के प्रयासों के बाद, मैं, आपको मेरठ के ‘कबाड़ से जुगाड़’ अभियान के बारे में भी बताना चाहता हूँ | यह अभियान पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ शहर के सौंदर्यीकरण से भी जुड़ा है | इस मुहिम की ख़ास बात यह भी है कि इसमें लोहे का scrap, plastic waste, पुराने टायर और drum जैसी बेकार हो चुकी चीजों का प्रयोग किया जाता है | कम खर्चे में सार्वजनिक स्थलों का सौंदर्यीकरण कैसे हो - यह अभियान इसकी भी एक मिसाल है | इस अभियान से जुड़े सभी लोगों की मैं हृदय से सराहना करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, इस समय देश में चारों ओर उत्सव की रौनक है | कल नवरात्रि का पहला दिन है | इसमें हम देवी के पहले स्वरूप ‘माँ शैलपुत्री’ की उपासना करेंगे | यहाँ से नौ दिनों का नियम-संयम और उपवास, फिर विजयदशमी का पर्व भी होगा, यानि, एक तरह से देखें तो हम पाएंगे कि हमारे पर्वों में आस्था और आध्यात्मिकता के साथ-साथ कितना गहरा सन्देश भी छिपा है | अनुशासन और संयम से सिद्धि की प्राप्ति, और उसके बाद विजय का पर्व, यही तो जीवन में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने का मार्ग होता है | दशहरे के बाद धनतेरस और दिवाली का भी पर्व आने वाला है |
साथियो, बीते वर्षों से हमारे त्योहारों के साथ देश का एक नया संकल्प भी जुड़ गया है | आप सब जानते हैं, ये संकल्प है – ‘Vocal for Local’ का | अब हम त्योहारों की खुशी में अपने local कारीगरों को, शिल्पकारों को और व्यापारियों को भी शामिल करते हैं | आने वाले 2 अक्टूबर को बापू की जयन्ती के मौके पर हमें इस अभियान को और तेज करने का संकल्प लेना है | खादी, handloom, handicraft ये सारे product के साथ-साथ local सामान जरुर खरीदें | आखिर इस त्योहार का सही आनंद भी तब है, जब हर कोई इस त्योहार का हिस्सा बने, इसलिए, स्थानीय product के काम से जुड़े लोगों को हमें support भी करना है | एक अच्छा तरीका ये है कि त्योहार के समय हम जो भी gift करें, उसमें इस प्रकार के product को शामिल करें |
इस समय यह अभियान इसलिए भी ख़ास है, क्योंकि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान हम आत्मनिर्भर भारत का भी लक्ष्य लेकर चल रहे हैं | जो सही मायने में आजादी के दीवानों को एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी | इसलिए मेरा आपसे निवेदन है इस बार खादी, handloom या handicraft इस product को खरीदने के आप सारे record तोड़ दें | हमने देखा है त्योहारों पर packing और packaging के लिए polythene bags का भी बहुत इस्तेमाल होता रहा है | स्वच्छता के पर्वों पर polythene का नुकसानकारक कचरा, ये भी हमारे पर्वों की भावना के खिलाफ है | इसलिए, हम स्थानीय स्तर पर बने हुए non-plastic bags का ही इस्तेमाल करें | हमारे यहाँ जूट के, सूत के, केले के, ऐसे कितने ही पारंपरिक bag का चलन एक बार फिर से बढ़ रहा है | ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम त्योहारों के अवसर पर इनको बढ़ावा दें, और स्वच्छता के साथ अपने और पर्यावरण के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखें |
मेरे प्यारे देशवासियो,हमारे शास्त्रों में कहा गया है –
‘परहित सरिस धरम नहीं भाई’
यानि दूसरों का हित करने के समान, दूसरों की सेवा करने, उपकार करने के समान कोई और धर्म नहीं है | पिछले दिनों देश में, समाज सेवा की इसी भावना की एक और झलक देखने को मिली | आपने भी देखा होगा कि लोग आगे आकर किसी ना किसी टी.बी. से पीड़ित मरीज को गोद ले रहे हैं, उसके पौष्टिक आहार का बीड़ा उठा रहे हैं | दरअसल, ये टीबी मुक्त भारत अभियान का एक हिस्सा है, जिसका आधार जनभागीदारी है, कर्तव्य भावना है | सही पोषण से ही, सही समय पर मिली दवाइयों से, टीबी का इलाज संभव है | मुझे विश्वास है कि जनभागीदारी की इस शक्ति से वर्ष 2025 तक भारत जरुर टीबी से मुक्त हो जाएगा |
साथियो, केंद्र शासित प्रदेश दादरा-नगर हवेली और दमन-दीव से भी मुझे एक ऐसा उदाहरण जानने को मिला है, जो मन को छू लेता है | यहाँ के आदिवासी क्षेत्र में रहने वाली जिनु रावतीया जी ने लिखा है कि वहां चल रहे ग्राम दत्तक कार्यक्रम के तहत Medical college के students ने 50 गांवों को गोद लिया है | इसमें जिनु जी का गाँव भी शामिल है | Medical के ये छात्र, बीमारी से बचने के लिए गाँव के लोगों को जागरूक करते हैं, बीमारी में मदद भी करते हैं, और, सरकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी देते हैं | परोपकार की ये भावना गांवों में रहने वालों के जीवन में नई खुशियाँ लेकर आई है | मैं इसके लिए medical college के सभी विद्यार्थियों का अभिनन्दन करता हूँ |
साथियो, ‘मन की बात’ में नए-नए विषयों की चर्चा होती रहती है | कई बार इस कार्यक्रम के जरिए हमें कुछ पुराने विषयों की गहराई में भी उतरने का मौक़ा मिलता है | पिछले महीने ‘मन की बात’ में मैंने मोटे अनाज, और वर्ष 2023 को ‘International Millet Year’ के तौर पर मनाने से जुड़ी चर्चा की थी | इस विषय को लेकर लोगों में बहुत उत्सुकता है | मुझे ऐसे ढ़ेरों पत्र मिले हैं, जिसमें लोग बता रहे हैं उन्होंने कैसे millets को अपने दैनिक भोजन का हिस्सा बनाया हुआ है | कुछ लोगों ने millet से बनने वाली पारंपरिक व्यंजनो के बारे में भी बताया है | ये एक बड़े बदलाव के संकेत हैं | लोगों के इस उत्साह को देखकर मुझे लगता है कि हमें मिलकर एक e-book तैयार करनी चाहिए, जिसमें लोग millet से बनने वाले dishes और अपने अनुभवों को साझा कर सकें, इससे, International Millet Year शुरू होने से पहले हमारे पास millets को लेकर एक public encyclopaedia भी तैयार होगा और फिर इसे MyGov portal पर publish कर सकते हैं |
साथियो, ‘मन की बात’ में इस बार इतना ही, लेकिन चलते-चलते, मैं, आपको National Games के बारे में भी बताना चाहता हूँ | 29 सितम्बर से गुजरात में National Games का आयोजन हो रहा है | ये बड़ा ही ख़ास मौका है, क्योंकि National Games का आयोजन, कई साल बाद हो रहा है | कोविड महामारी की वजह से पिछली बार के आयोजनों को रद्द करना पड़ा था | इस खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले हर खिलाड़ी को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं | इस दिन खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने के लिए मैं उनके बीच में ही रहूँगा | आप सब भी National Games को जरुर follow करें और अपने खिलाड़ियों का हौसला बढाएं | अब मैं आज के लिए विदा लेता हूँ | अगले महीने ‘मन की बात’ में नए विषयों के साथ आपसे फिर मुलाक़ात होगी | धन्यवाद | नमस्कार |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | अगस्त के इस महीने में, आप सभी के पत्रों, संदेशों और cards ने, मेरे कार्यालय को तिरंगामय कर दिया है | मुझे ऐसा शायद ही कोई पत्र मिला हो, जिस पर तिरंगा न हो, या तिरंगे और आज़ादी से जुड़ी बात न हो | बच्चों ने, युवा साथियों ने तो अमृत महोत्सव पर खूब सुंदर-सुंदर चित्र, और कलाकारी भी बनाकर भेजी है | आज़ादी के इस महीने में हमारे पूरे देश में, हर शहर, हर गाँव में, अमृत महोत्सव की अमृतधारा बह रही है | अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस के इस विशेष अवसर पर हमने देश की सामूहिक शक्ति के दर्शन किए हैं | एक चेतना की अनुभूति हुई है | इतना बड़ा देश, इतनी विविधताएं, लेकिन जब बात तिरंगा फहराने की आई, तो हर कोई, एक ही भावना में बहता दिखाई दिया | तिरंगे के गौरव के प्रथम प्रहरी बनकर, लोग, खुद आगे आए | हमने स्वच्छता अभियान और वैक्सीनेशन अभियान में भी देश की spirit को देखा था | अमृत महोत्सव में हमें फिर देशभक्ति का वैसा ही जज़्बा देखने को मिल रहा है | हमारे सैनिकों ने ऊँची-ऊँची पहाड़ की चोटियों पर, देश की सीमाओं पर, और बीच समंदर में तिरंगा फहराया | लोगों ने तिरंगा अभियान के लिए अलग-अलग innovative ideas भी निकाले | जैसे युवा साथी, कृशनील अनिल जी ने, अनिल जी एक Puzzle artist हैं और उन्होंने record समय में खूबसूरत तिरंगा mosaic art तैयार की है | कर्नाटका के कोलार में, लोगों ने 630 फीट लम्बा और 205 फीट चौड़ा तिरंगा पकड़कर अनूठा दृश्य प्रस्तुत किया | असम में सरकारी कर्मियों ने दिघालीपुखुरी वार मेमोरियल में तिरंगा फहराने के लिए अपने हाथों से 20 फीट का तिरंगा बनाया | इसी तरह, इंदौर में लोगों ने human chain के जरिए भारत का नक्शा बनाया | चंडीगढ़ में, युवाओं ने, विशाल human तिरंगा बनाया | ये दोनों ही प्रयास Guinness Record में भी दर्ज किये गए हैं | इस सबके बीच, हिमाचल प्रदेश की गंगोट पंचायत से एक बड़ा प्रेरणादायी उदाहरण भी देखने को मिला | यहाँ पंचायत में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मुख्य अतिथि के रूप में शामिल किया गया |
साथियो, अमृत महोत्सव के ये रंग, केवल भारत में ही नहीं, बल्कि, दुनिया के दूसरे देशों में भी देखने को मिले | बोत्स्वाना में वहाँ के रहने वाले स्थानीय singers ने भारत की आज़ादी के 75 साल मनाने के लिए देशभक्ति के 75 गीत गाए | इसमें और भी खास बात ये है, कि ये 75 गीत हिन्दी, पंजाबी, गुजराती, बांग्ला, असमिया, तमिल, तेलुगू, कन्नड़ा और संस्कृत जैसी भाषाओँ में गाये गए | इसी तरह, नामीबिया में भारत-नामीबिया के सांस्कृतिक-पारंपरिक संबंधों पर विशेष स्टैम्प जारी किया है |
साथियो, मैं और एक ख़ुशी की बात बताना चाहता हूँ | अभी कुछ दिन पहले, मुझे, भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के कार्यक्रम में जाने का अवसर मिला | वहाँ उन्होंने ‘स्वराज’ दूरदर्शन के serial का screening रखा था | मुझे, उसके premiere पर जाने का मौका मिला | ये आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले अनसुने नायक-नायिकाओं के प्रयासों से देश की युवा-पीढ़ी को परिचित कराने की एक बेहतरीन पहल है | दूरदर्शन पर, हर रविवार रात 9 बजे, इसका प्रसारण होता है | और मुझे बताया गया कि 75 सप्ताह तक चलने वाला है | मेरा आग्रह है कि आप समय निकालकर इसे खुद भी देखेँ और अपने घर के बच्चों को भी जरुर दिखाएं और स्कूल-कॉलेज के लोग तो इसको रिकॉर्डिंग करके जब सोमवार को स्कूल-कॉलेज खुलते हैं तो विशेष कार्यक्रम की रचना भी कर सकते हैं, ताकि आजादी के जन्म के इन महानायकों के प्रति, हमारे देश में, एक नई जागरूकता पैदा होगी |आजादी का अमृत महोत्सव अगले साल यानी अगस्त 2023 तक चलेगा | देश के लिए, स्वतंत्रता सेनानियों के लिए, जो लेखन-आयोजन आदि हम कर रहे थे, हमें उन्हें और आगे बढ़ाना है |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे पूर्वजों का ज्ञान, हमारे पूर्वजों की दीर्घ-दृष्टि और हमारे पूर्वजों का एकात्मचिंतन, आज भी कितना महत्वपूर्ण है; जब उसकी गहराई में जाते हैं तो हम आश्चर्य से भर जाते हैं |हज़ारों साल पुराना हमारा ऋग्वेद| ऋग्वेद में कहा गया है:-
ओमान-मापो मानुषी: अमृक्तम् धात तोकाय तनयाय शं यो: |
यूयं हिष्ठा भिषजो मातृतमा विश्वस्य स्थातु: जगतो जनित्री: ||
अर्थात् - हे जल, आप मानवता के परम मित्र हैं | आप, जीवनदायिनी हैं, आप से ही अन्न उत्पन्न होता है, और आप से ही हमारी संतानों का हित होता है | आप, हमें सुरक्षा प्रदान करने वाले हैं और सभी बुराइयों से दूर रखते हैं | आप, सबसे उत्तम औषधि हैं, और आप ही, इस ब्रह्मांड के पालनहार हैं |
सोचिए, हमारी संस्कृति में हजारों वर्ष पहले जल और जल संरक्षण का महत्व समझाया गया है | जब ये ज्ञान, हम, आज के सन्दर्भ में देखते हैं, तो रोमांचित हो उठते हैं, लेकिन, जब इसी ज्ञान को देश, अपने सामर्थ्य के रूप में स्वीकारता है तो उनकी ताकत अनेक गुना बढ़ जाती है | आपको याद होगा, ‘मन की बात’ में ही चार महीने पहले मैंने अमृत सरोवर की बात की थी | उसके बाद अलग-अलग जिलों में स्थानीय प्रशासन जुटा, स्वयं सेवी संस्थाएं जुटीं और स्थानीय लोग जुटे - देखते ही देखते, अमृत सरोवर का निर्माण एक जन-आंदोलन बन गया है | जब देश के लिए कुछ करने की भावना हो, अपने कर्तव्यों का एहसास हो, आने वाली पीढ़ीयों की चिंता हो, तो सामर्थ्य भी जुड़ता है, और संकल्प, नेक बन जाता है | मुझे तेलंगाना के वारंगल के एक शानदार प्रयास की जानकारी मिली है | यहाँ एक नई ग्राम पंचायत का गठन हुआ है जिसका नाम है ‘मंग्त्या-वाल्या थांडा’ | यह गाँव Forest Area के करीब है | यहाँ के गाँव के पास ही एक ऐसा स्थान था जहाँ मानसून के दौरान काफी पानी इकट्ठा हो जाता था | गाँव वालों की पहल पर अब इस स्थान को अमृत सरोवर अभियान के तहत विकसित किया जा रहा है | इस बार मानसून के दौरान हुई बारिश में ये सरोवर पानी से लबालब भर गया है |
मैं मध्य प्रदेश के मंडला में मोचा ग्राम पंचायत में बने अमृत सरोवर के बारे में भी आपको बताना चाहता हूँ | ये अमृत सरोवर कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के पास बना है और इससे इस इलाके की सुन्दरता को और बढ़ा दिया है | उत्तर प्रदेश के ललितपुर में, नवनिर्मित शहीद भगत सिंह अमृत सरोवर भी लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है | यहाँ की निवारी ग्राम पंचायत में बना ये सरोवर 4 एकड़ में फैला हुआ है | सरोवर के किनारे हुआ वृक्षारोपण इसकी शोभा को बढ़ा रहा है | सरोवर के पास लगे 35 फीट ऊँचे तिरंगे को देखने के लिए भी दूर-दूर से लोग आ रहे हैं | अमृत सरोवर का ये अभियान कर्नाटका में भी जोरों पर चल रहा है | यहाँ के बागलकोट जिले के ‘बिल्केरूर’ गाँव में लोगों ने बहुत सुंदर अमृत सरोवर बनाया है | दरअसल इस क्षेत्र में, पहाड़ से निकले पानी की वजह से लोगों को बहुत मुश्किल होती थी, किसानों और उनकी फसलों को भी नुकसान पहुँचता था | अमृत सरोवर बनाने के लिए गाँव के लोग, सारा पानी channelize करके एक तरफ ले आए | इससे इलाके में बाढ़ की समस्या भी दूर हो गई | अमृत सरोवर अभियान हमारी आज की अनेक समस्याओं का समाधान तो करता ही है, हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उतना ही आवश्यक है | इस अभियान के तहत, कई जगहों पर, पुराने जलाशयों का भी कायाकल्प किया जा रहा है | अमृत सरोवर का उपयोग, पशुओं की प्यास बुझाने के साथ ही, खेती-किसानी के लिए भी, हो रहा है | इन तालाबों की वजह से आस-पास के क्षेत्रों का Ground Water Table बढ़ा है | वहीँ इनके चारों ओर हरियाली भी बढ़ रही है | इतना ही नहीं, कई जगह लोग अमृत सरोवर में मछली पालन की तैयारियों में भी जुटे हैं | मेरा, आप सभी से और खास कर मेरे युवा साथियों से आग्रह है कि आप अमृत सरोवर अभियान में बढ़-चढ़कर के हिस्सा लें और जल संचय और जलसंरक्षण के इन प्रयासों को पूरी की पूरी ताकत दें, उसको आगे बढ़ायें |
मेरे प्यारे देशवासियो, असम के बोंगाई गाँव में एक दिलचस्प परियोजना चलाई जा रही है – Project सम्पूर्णा | इस project का मकसद है कुपोषण के खिलाफ लड़ाई और इस लड़ाई का तरीका भी बहुत unique है | इसके तहत, किसी आंगनबाड़ी केंद्र के एक स्वस्थ बच्चे की माँ, एक कुपोषित बच्चे की माँ से हर सप्ताह मिलती है और पोषण से संबंधित सारी जानकारियों पर चर्चा करती है | यानी, एक माँ, दूसरी माँ की मित्र बन, उसकी मदद करती है, उसे सीख देती है | इस project की मदद से, इस क्षेत्र में, एक साल में, 90 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों में कुपोषण दूर हुआ है | आप कल्पना कर सकते हैं, क्या कुपोषण दूर करने में गीत-संगीत और भजन का भी इस्तेमाल हो सकता है? मध्य प्रदेश के दतिया जिले में “मेरा बच्चा अभियान”! इस “मेरा बच्चा अभियान” में इसका सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया | इसके तहत, जिले में भजन-कीर्तन आयोजित हुए, जिसमें पोषण गुरु कहलाने वाले शिक्षकों को बुलाया गया | एक मटका कार्यक्रम भी हुआ, इसमें महिलाएँ, आंगनबाड़ी केंद्र के लिए मुट्ठी भर अनाज लेकर आती हैं और इसी अनाज से शनिवार को ‘बालभोज’ का आयोजन होता है | इससे आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ने के साथ ही कुपोषण भी कम हुआ है | कुपोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक unique अभियान झारखंड में भी चल रहा है | झारखंड के गिरिडीह में सांप-सीढ़ी का एक game तैयार किया गया है | खेल-खेल में बच्चे, अच्छी और ख़राब आदतों के बारे में सीखते हैं |
साथियो, कुपोषण से जुड़े इतने सारे अभिनव प्रयोगों के बारे में, मैं आपको इसीलिये बता रहा हूँ, क्योंकि हम सब को भी, आने वाले महीने में, इस अभियान से जुड़ना है | सितम्बर का महीना त्योहारों के साथ-साथ पोषण से जुड़े बड़े अभियान को भी समर्पित है | हम हर साल 1 से 30 सितम्बर के बीच पोषण माह मनाते हैं | कुपोषण के खिलाफ पूरे देश में अनेक Creative और Diverse Efforts किए जा रहे हैं | Technology का बेहतर इस्तेमाल और जन-भागीदारी भी, पोषण अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा बना है | देश में लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को mobile devices देने से लेकर आंगनबाड़ी सेवाओं की पहुँच को Monitor करने के लिए Poshan Tracker भी launch किया गया है | सभी Aspirational Districts और North East के राज्यों में 14 से 18 साल की बेटियों को भी, पोषण अभियान के दायरे में लाया गया है | कुपोषण की समस्या का निराकरण इन कदमों तक ही सीमित नहीं है - इस लड़ाई में, दूसरी कई और पहल की भी अहम भूमिका है | उदाहरण के तौर पर, जल जीवन मिशन को ही लें, तो भारत को कुपोषणमुक्त कराने में इस मिशन का भी बहुत बड़ा असर होने वाला है | कुपोषण की चुनौतियों से निपटने में, सामाजिक जागरूकता से जुड़े प्रयास, महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | मैं आप सभी से आग्रह करूँगा, कि आप, आने वाले पोषण माह में, कुपोषण या Malnutrition को, दूर करने के प्रयासों में, हिस्सा जरुर लें |
मेरे प्यारे देशवासियो, चेन्नई से श्रीदेवी वर्दराजन जी ने मुझे एक Reminder भेजा है | उन्होंने MyGov पर अपनी बात कुछ इस प्रकार से लिखी है – नए साल के आने में अब 5 महीने से भी कम समय बचा है, और हम सब जानते हैं कि आने वाला नया साल International Year of Millets के तौर पर मनाया जाएगा | उन्होंने मुझे देश का एक millet Map भी भेजा है | साथ ही पूछा है कि क्या आप ‘मन की बात’ में, आने वाले एपिसोड में इस पर चर्चा कर सकते हैं? मुझे, अपने देशवासियों में इस तरह के जज्बे को देखकर बहुत ही आनन्द की अनुभूति होती है | आपको याद होगा कि United Nations ने एक प्रस्ताव पारित कर वर्ष 2023 (दो हजार तेईस) को International Year of Millets घोषित किया है | आपको ये जानकर भी बहुत ख़ुशी होगी कि भारत के इस प्रस्ताव को 70 से ज्यादा देशों का समर्थन मिला था | आज, दुनिया भर में, इसी मोटे अनाज का, Millets का, Craze बढ़ता जा रहा है | साथियो, जब मैं मोटे अनाज की बात करता हूँ तो मेरे एक प्रयास को भी आज आपको share करना चाहता हूँ | पिछले कुछ समय से भारत में कोई भी जब विदेशी मेहमान आते हैं, राष्ट्राध्यक्ष भारत आते हैं तो मेरी कोशिश रहती है कि भोजन में भारत के Millets यानी हमारे मोटे अनाज से बनी हुई Dishes बनवाऊं और अनुभव यह आया है, इन महानुभावों को, यह Dishes, बहुत पसंद आती है, और हमारे मोटे अनाज के संबंध में, Millets के संबंध में, काफ़ी कुछ जानकारियाँ एकत्र करने का वो प्रयास भी करते हैं | Millets, मोटे अनाज, प्राचीन काल से ही हमारे Agriculture, Culture और Civilisation का हिस्सा रहे हैं | हमारे वेदों में Millets का उल्लेख मिलता है, और इसी तरह, पुराणनुरू और तोल्काप्पियम में भी, इसके बारे में, बताया गया है | आप, देश के किसी भी हिस्से में जाएं, आपको, वहां लोगों के खान-पान में, अलग-अलग तरह के Millets जरुर देखने को मिलेंगे | हमारी संस्कृति की ही तरह, Millets में भी, बहुत विविधताएँ पाई जाती हैं | ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी, कुट्टू, ये सब Millets ही तो हैं | भारत, विश्व में, Millets का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, इसलिए इस पहल को सफ़ल बनाने की बड़ी ज़िम्मेदारी भी हम भारत-वासियों के कंधे पर ही है | हम सबको मिलकर इसे जन-आंदोलन बनाना है, और देश के लोगों में Millets के प्रति जागरूकता भी बढ़ानी है | और साथियो, आप तो भली भांति जानते हैं, Millets, किसानों के लिए भी फायदेमंद हैं और वो भी खास करके छोटे किसानों को | दरअसल, बहुत ही कम समय में फसल तैयार हो जाती है, और इसमें, ज्यादा पानी की आवश्यकता भी नहीं होती है | हमारे छोटे किसानों के लिए तो Millets विशेष रूप से लाभकारी है | Millets के भूसे को बेहतरीन चारा भी माना जाता है | आजकल, युवा-पीढ़ी, Healthy Living और Eating को लेकर बहुत Focussed है | इस हिसाब से भी देखेँ तो, Millets में, भरपूर Protein, Fibre और Minerals मौजूद होते हैं | कई लोग तो इसे, Super food भी बोलते हैं | Millets से एक नहीं, अनेक लाभ हैं | Obesity को कम करने के साथ ही Diabetes, Hypertension और Heart related diseases के खतरे को भी कम करते हैं | इसके साथ ही ये पेट और लीवर की बीमारियों से बचाव में भी मददगार हैं | थोड़ी देर पहले ही हमने कुपोषण के बारे में बात की है | कुपोषण से लड़ने में भी Millets काफी लाभदायक हैं, क्योंकि, ये, protein के साथ-साथ energy से भी भरे होते हैं | देश में आज Millets को बढ़ावा देने के लिए काफी कुछ किया जा रहा है | इससे जुड़ी Research और Innovation पर Focus करने के साथ ही FPOs को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि, उत्पादन बढ़ाया जा सके | मेरा, अपने किसान भाई-बहनों से, यही आग्रह है कि, Millets, यानी मोटे अनाज को, अधिक-से-अधिक अपनाएं और इसका फायदा उठाएं | मुझे ये देखकर काफी अच्छा लगता है कि आज कई ऐसे Start-Ups उभर रहे हैं, जो Millets पर काम कर रहे हैं | इनमें से कुछ Millet Cookies बना रहे हैं, तो कुछ, Millet Pan Cakes और डोसा भी बना रहे हैं | वहीँ कुछ ऐसे हैं, जो, Millet Energy Bars, और Millet Breakfast तैयार कर रहे हैं | मैं इस क्षेत्र में काम करने वाले सभी लोगों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ | त्योहारों के इस मौसम में हम लोग अधिकतर पकवानों में भी Millets का उपयोग करते हैं | आप अपने घरों में बने ऐसे पकवानों की तस्वीरे Social Media पर जरुर share करें, ताकि लोगों के बीच Millets को लेकर जागरूकता बढ़ाने में मदद मिले |
मेरे प्यारे देशवासियो, अभी कुछ दिन पहले, मैंने, अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले में जोरसिंग गाँव की एक खबर देखी | ये खबर एक ऐसे बदलाव के बारे में थी, जिसका इंतजार, इस गाँव के लोगों को, कई वर्षों से था | दरअसल, जोरसिंग गाँव में इसी महीने, स्वतन्त्रता दिवस के दिन से 4G internet की सेवाएँ शुरू हो गई हैं | जैसे, पहले कभी गाँव में बिजली पहुँचने पर लोग खुश होते थे, अब, नए भारत में वैसी ही खुशी, 4G पहुँचने पर होती है | अरुणाचल और नार्थ ईस्ट के दूर-सुदूर इलाकों में 4G के तौर पर एक नया सूर्योदय हुआ है, Internet Connectivity एक नया सवेरा लेकर आई है | जो सुविधाएं कभी सिर्फ बड़े शहरों में होती थी, वो Digital India ने गाँव–गाँव में पहुंचा दी हैं | इस वजह से देश में नए Digital Entrepreneur पैदा हो रहे हैं | राजस्थान के अजमेर जिले के सेठा सिंह रावत जी ‘दर्जी ऑनलाइन’ ‘E-store’ चलाते हैं | आप सोचेंगे ये क्या काम हुआ, दर्जी ऑनलाइन!! दरअसल, सेठा सिंह रावत कोविड के पहले tailoring का काम करते थे | कोविड आया, तो रावत जी ने इस चुनौती को मुश्किल नहीं, बल्कि अवसर के रूप में लिया | उन्होंने, ‘Common Service Centre’ यानी CSC E-Store join किया, और, online कामकाज शुरू किया | उन्होंने देखा कि ग्राहक, बड़ी संख्या में, mask का order दे रहे हैं | उन्होंने कुछ महिलाओं को काम पर रखा और mask बनवाने लगे | इसके बाद उन्होंने ‘दर्जी ऑनलाइन’ नाम से अपना online store शुरू कर दिया जिसमें और भी कई तरह से कपड़े वो बनाकर बेचने लगे | आज Digital India की ताकत से सेठा सिंह जी का काम इतना बढ़ चुका है, कि अब उन्हें पूरे देश से order मिलते हैं | सैकड़ों महिलाओं को उन्होंने अपने यहाँ रोजगार दे रखा है | Digital India ने यूपी के उन्नाव में रहने वाले ओम प्रकाश सिंह जी को भी Digital Entrepreneur बना दिया है | उन्होंने अपने गांव में एक हजार से ज्यादा Broadband connection स्थापित किए हैं | ओम प्रकाश जी ने अपने Common Service Centre के आसपास, निशुल्क Wifi zone का भी निर्माण किया है, जिससे, जरूरतमंद लोगों की बहुत मदद हो रही है | ओम प्रकाश जी का काम अब इतना बढ़ गया है कि उन्होंने 20 से ज्यादा लोगों को नौकरी पर रख लिया है | ये लोग, गांवो के स्कूल, अस्पताल, तहसील ऑफिस और आंगनवाडी केंद्रों तक Broadband Connection पहुंचा रहे हैं और इससे रोजगार भी प्राप्त कर रहे हैं | Common Service Centre की तरह ही Government E- market place यानी GEM portal पर भी ऐसी कितनी success stories देखने को मिल रही हैं |
साथियो, मुझे गावों से ऐसे कितने ही सन्देश मिलते हैं, जो internet की वजह से आए बदलावों को मुझसे साझा करते हैं | internet ने हमारे युवा साथियों की पढ़ाई और सीखने के तरीकों को ही बदल दिया है | जैसे कि यूपी की गुड़िया सिंह जब उन्नाव के अमोइया गांव में अपनी ससुराल आई, तो उन्हें अपनी पढाई की चिंता हुई | लेकिन, भारतनेट ने उनकी इस चिंता का समाधान कर दिया | गुड़िया ने internet के जरिए अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाया, और अपना Graduation भी पूरा किया | गांव–गांव में ऐसे कितने ही जीवन, Digital India अभियान से नयी शक्ति पा रहे हैं | आप मुझे, गावों के Digital Entrepreneurs के बारे में, ज्यादा-से-ज्यादा लिखकर भेजें, और उनकी success stories को social media पर भी जरूर साझा करें |
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ समय पहले, मुझे, हिमाचल प्रदेश से ‘मन की बात’ के एक श्रोता रमेश जी का पत्र मिला | रमेश जी ने अपने पत्र में पहाड़ों की कई खूबियों का ज़िक्र किया है | उन्होंने लिखा, कि, पहाड़ों पर बस्तियाँ भले ही दूर-दूर बसती हों, लेकिन, लोगों के दिल, एक-दूसरे के, बहुत नजदीक होते हैं | वाकई, पहाड़ों पर रहने वाले लोगों के जीवन से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं | पहाड़ों की जीवनशैली और संस्कृति से हमें पहला पाठ तो यही मिलता है कि हम परिस्थितियों के दबाव में ना आएं तो आसानी से उन पर विजय भी प्राप्त कर सकते हैं, और दूसरा, हम कैसे स्थानीय संसाधनों से आत्मनिर्भर बन सकते हैं | जिस पहली सीख का जिक्र मैंने किया, उसका एक सुन्दर चित्र इन दिनों स्पीती क्षेत्र में देखने को मिल रहा है | स्पीती एक जनजातीय क्षेत्र है | यहाँ, इन दिनों, मटर तोड़ने का काम चलता है | पहाड़ी खेतों पर ये एक मेहनत भरा और मुश्किल काम होता है | लेकिन यहाँ, गाँव की महिलाएं इकट्ठा होकर, एक साथ मिलकर, एक-दूसरे के खेतों से मटर तोड़ती हैं | इस काम के साथ-साथ महिलाएं स्थानीय गीत ‘छपरा माझी छपरा’ ये भी गाती हैं | यानी यहाँ आपसी सहयोग भी लोक-परंपरा का एक हिस्सा है | स्पीती में स्थानीय संसाधनों के सदुपयोग का भी बेहतरीन उदाहरण मिलता है | स्पीती में किसान जो गाय पालते हैं, उनके गोबर को सुखाकर बोरियों में भर लेते हैं | जब सर्दियाँ आती हैं, तो इन बोरियों को गाय के रहने की जगह में, जिसे यहाँ खूड़ कहते हैं, उसमें बिछा दिया जाता है | बर्फबारी के बीच, ये बोरियाँ, गायों को, ठंड से सुरक्षा देती हैं | सर्दियाँ जाने के बाद, यही गोबर, खेतों में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है | यानी, पशुओं के waste से ही उनकी सुरक्षा भी, और खेतों के लिए खाद भी | खेती की लागत भी कम, और खेत में उपज भी ज्यादा | इसीलिए तो ये क्षेत्र, इन दिनों, प्राकृतिक खेती के लिए भी एक प्रेरणा बन रहा है |
साथियो, इसी तरह के कई सराहनीय प्रयास, हमारे, एक और पहाड़ी राज्य, उत्तराखंड में भी देखने को मिल रहे हैं | उत्तराखंड में कई प्रकार के औषधि और वनस्पतियाँ पाई जाती हैं | जो हमारे सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं | उन्हीं में से एक फल है – बेडू | इसे, हिमालयन फिग के नाम से भी जाना जाता है | इस फल में, खनिज और विटामिन भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं | लोग, फल के रूप में तो इसका सेवन करते ही हैं, साथ ही कई बीमारियों के इलाज में भी इसका उपयोग होता है | इस फल की इन्हीं खूबियों को देखते हुए अब बेडू के जूस, इससे बने जैम, चटनी, अचार और इन्हें सुखाकर तैयार किए गए ड्राई फ्रूट को बाजार में उतारा गया है | पिथौरागढ़ प्रशासन की पहल और स्थानीय लोगों के सहयोग से, बेडू को बाजार तक अलग-अलग रूपों में पहुँचाने में सफलता मिली है | बेडू को पहाड़ी अंजीर के नाम से branding करके online market में भी उतारा गया है | इससे किसानों को आय का नया स्त्रोत तो मिला ही है, साथ ही बेडू के औषधीय गुणों का फायदा दूर-दूर तक पहुँचने लगा है |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में आज शुरुआत में हमने आजादी के अमृत महोत्सव के बारे में बात की है | स्वतंत्रता दिवस के महान पर्व के साथ-साथ आने वाले दिनों में और भी कई पर्व आने वाले हैं | अभी कुछ दिन बाद ही भगवान गणेश की आराधना का पर्व गणेश चतुर्थी है | गणेश चतुर्थी, यानी गणपति बप्पा के आशीर्वाद का पर्व | गणेश चतुर्थी के पहले ओणम का पर्व भी शुरू हो रहा है | विशेष रूप से केरला में ओणम शांति और समृद्धि की भावना के साथ मनाया जाएगा | 30 अगस्त को हरतालिका तीज भी है | ओडिशा में 1 सितंबर को नुआखाई का पर्व भी मनाया जाएगा | नुआखाई का मतलब ही होता है, नया खाना, यानी, ये भी, दूसरे कई पर्वों की तरह ही, हमारी, कृषि परंपरा से जुड़ा त्योहार है | इसी बीच, जैन समाज का संवत्सरी पर्व भी होगा | हमारे ये सभी पर्व, हमारी सांस्कृतिक समृद्धि और जीवंतता के पर्याय हैं | मैं, आप सभी को, इन त्योहारों और विशेष अवसरों के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ | इन पर्वों के साथ-साथ, कल 29 अगस्त को, मेजर ध्यानचंद जी की जन्मजयंती पर राष्ट्रीय खेल दिवस भी मनाया जाएगा | हमारे युवा खिलाड़ी वैश्विक मंचों पर हमारे तिरंगे की शान बढ़ाते रहें, यही हमारी ध्यानचंद जी के प्रति श्रद्दांजलि होगी | देश के लिए हम सभी मिलकर ऐसे ही काम करते रहें, देश का मान बढ़ाते रहें, इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ | अगले माह, एक बार फिर आपसे ‘मन की बात’ होगी | बहुत-बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | ‘मन की बात’ का ये 91वाँ episode है | हम लोगों ने पहले इतनी सारी बातें की हैं, अलग-अलग विषयों पर अपनी बात साझा की है, लेकिन, इस बार ‘मन की बात’ बहुत खास है | इसका कारण है, इस बार का स्वतंत्रता दिवस, जब भारत अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करेगा | हम सभी बहुत अद्भुत और ऐतिहासिक पल के गवाह बनने जा रहे हैं | ईश्वर ने ये हमें बहुत बड़ा सौभाग्य दिया है | आप भी सोचिए, अगर हम गुलामी के दौर में पैदा हुए होते, तो, इस दिन की कल्पना हमारे लिए कैसी होती ? गुलामी से मुक्ति की वो तड़प, पराधीनता की बेड़ियों से आज़ादी की वो बेचैनी - कितनी बड़ी रही होगी | वो दिन, जब हम, हर दिन, लाखों-लाख देशवासियों को आज़ादी के लिए लड़ते, जूझते, बलिदान देते देख रहे होते | जब हम, हर सुबह इस सपने के साथ जग रहे होते, कि मेरा हिंदुस्तान कब आज़ाद होगा और हो सकता है हमारे जीवन में वो भी दिन आता जब वंदेमातरम और भारत माँ की जय बोलते हुए, हम आने वाली पीढ़ियों के लिए, अपना जीवन समर्पित कर देते, जवानी खपा देते |
साथियो, 31 जुलाई यानी आज ही के दिन, हम सभी देशवासी, शहीद उधम सिंह जी की शहादत को नमन करते हैं | मैं ऐसे अन्य सभी महान क्रांतिकारियों को अपनी विनम्र श्रद्दांजलि अर्पित करता हूँ जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया |
साथियो, मुझे ये देखकर बहुत ख़ुशी होती है, कि, आज़ादी का अमृत महोत्सव एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है | सभी क्षेत्रों और समाज के हर वर्ग के लोग इससे जुड़े अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं | ऐसा ही एक कार्यक्रम इस महीने की शुरुआत में मेघालय में हुआ | मेघालय के बहादुर योद्धा, यू. टिरोत सिंह जी की पुण्यतिथि पर लोगों ने उन्हें याद किया | टिरोत सिंह जी ने खासी हिल्स (Khasi Hills) पर नियंत्रण करने और वहाँ की संस्कृति पर प्रहार करने की अंग्रेजों की साजिश का जमकर विरोध किया था | इस कार्यक्रम में बहुत सारे कलाकारों ने सुंदर प्रस्तुतियाँ दी | इतिहास को ज़िंदा कर दिया | इसमें एक carnival का आयोजन भी किया गया, जिसमें, मेघालय की महान संस्कृति को बड़े ही खूबसूरत तरीके से दर्शाया गया | अब से कुछ हफ्ते पहले, कर्नाटका में, अमृता भारती कन्नडार्थी नाम का एक अनूठा अभियान भी चलाया गया | इसमें राज्य की 75 जगहों पर आज़ादी के अमृत महोत्सव से जुड़े बड़े भव्य कार्यक्रम आयोजित किये गए | इनमें कर्नाटका के महान स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के साथ ही स्थानीय साहित्यिक उपलब्धियों को भी सामने लाने की कोशिश की गई |
साथियो, इसी जुलाई में एक बहुत ही रोचक प्रयास हुआ है जिसका नाम है - आज़ादी की रेलगाड़ी और रेलवे स्टेशन | इस प्रयास का लक्ष्य है कि लोग आज़ादी की लड़ाई में भारतीय रेल की भूमिका को जानें | देश में अनेक ऐसे रेलवे स्टेशन हैं, जो, स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास से जुड़े हैं | आप भी, इन रेलवे स्टेशनों के बारे में जानकार हैरान होंगे | झारखंड के गोमो जंक्शन को, अब आधिकारिक रूप से, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन गोमो के नाम से जाना जाता है | जानते है क्यों? दरअसल इसी स्टेशन पर, कालका मेल में सवार होकर नेताजी सुभाष, ब्रिटिश अफसरों को चकमा देने में सफल रहे थे | आप सभी ने लखनऊ के पास काकोरी रेलवे स्टेशन का नाम भी जरुर सुना होगा | इस स्टेशन के साथ राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्लाह खान जैसे जांबांजों का नाम जुड़ा है | यहाँ ट्रेन से जा रहे अंग्रेजों के खजाने को लूटकर वीर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को अपनी ताक़त का परिचय करा दिया था | आप जब कभी तमिलनाडु के लोगों से बात करेंगे, तो आपको, थुथुकुडी जिले के वान्ची मणियाच्ची जंक्शन के बारे में जानने को मिलेगा | ये स्टेशन तमिल स्वतंत्रता सेनानी वान्चीनाथन जी के नाम पर है | ये वही स्थान है जहाँ 25 साल के युवा वान्ची ने ब्रिटिश कलेक्टर को उसके किये की सजा दी थी |
साथियो, ये लिस्ट काफी लम्बी है | देशभर के 24 राज्यों में फैले ऐसे 75 रेलवे स्टेशनों की पहचान की गई है | इन 75 स्टेशनों को बहुत ही खूबसूरती से सजाया जा रहा है | इनमें कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन हो रहा है | आपको भी समय निकालकर अपने पास के ऐसे ऐतिहासिक स्टेशन पर जरुर जाना चाहिए | आपको, स्वतंत्रता आंदोलन के ऐसे इतिहास के बारे में विस्तार से पता चलेगा जिनसे आप अनजान रहे हैं | मैं आसपास के स्कूल के विद्यार्थियों से आग्रह करूँगा, टीचर्स से आग्रह करूँगा कि अपने स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों को ले करके जरुर स्टेशन पर जाएँ और पूरा घटनाक्रम उन बच्चों को सुनाएँ, समझाएँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत, 13 से 15 अगस्त तक, एक Special Movement – ‘हर घर तिरंगा- हर घर तिरंगा’ का आयोजन किया जा रहा है | इस movement का हिस्सा बनकर 13 से 15 अगस्त तक, आप, अपने घर पर तिरंगा जरुर फहराएं, या उसे, अपने घर पर लगायें | तिरंगा हमें जोड़ता है, हमें देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करता है | मेरा एक सुझाव ये भी है, कि 2 अगस्त से 15 अगस्त तक, हम सभी, अपनी Social Media Profile Pictures में तिरंगा लगा सकते हैं | वैसे क्या आप जानते हैं, 2 अगस्त का हमारे तिरंगे से एक विशेष संबंध भी है | इसी दिन पिंगली वेंकैया जी की जन्म-जयंती होती है जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय ध्वज को design किया था | मैं उन्हें, आदरपूर्वक श्रद्दांजलि अर्पित करता हूँ | अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में बात करते हुए मैं, महान क्रांतिकारी Madam Cama को भी याद करूँगा | तिरंगे को आकार देने में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है |
साथियो, आज़ादी के अमृत महोत्सव में हो रहे इन सारे आयोजनों का सबसे बड़ा सन्देश यही है कि हम सभी देशवासी अपने कर्तव्य का पूरी निष्ठा से पालन करें | तभी हम उन अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों का सपना पूरा कर पायेंगे | उनके सपनों का भारत बना पाएंगे | इसीलिए हमारे अगले 25 साल का ये अमृतकाल हर देशवासी के लिए कर्तव्यकाल की तरह है | देश को आज़ाद कराने, हमारे वीर सेनानी, हमें, ये जिम्मेदारी देकर गए हैं, और हमें, इसे पूरी तरह निभाना है |
मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना के खिलाफ हम देशवासियों की लड़ाई अब भी जारी है | पूरी दुनिया आज भी जूझ रही है | Holistic Healthcare में लोगों की बढ़ती रुचि ने इसमें सभी की बहुत मदद की है | हम सभी जानते हैं कि इसमें भारतीय पारम्परिक पद्धतियाँ कितनी उपयोगी हैं | कोरोना के खिलाफ लड़ाई में, आयुष ने तो, वैश्विक स्तर पर, अहम भूमिका निभाई है | दुनियाभर में आयुर्वेद और भारतीय औषधियों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है | ये एक बड़ी वजह है कि Ayush Exports में record तेजी आई है और ये भी बहुत सुखद है कि इस क्षेत्र में कई नए Start-Ups भी सामने आ रहे हैं | हाल ही में, एक Global Ayush Investment और Innovation Summit हुई थी | आप जानकर हैरान होंगे, कि इसमें, करीब दस हज़ार करोड़ रूपए के Investment Proposals मिले हैं | एक और बड़ी अहम बात ये हुई है, कि कोरोना काल में, औषधीय पौधों पर research में भी बहुत वृद्धि हुई है | इस बारे में बहुत सी Research Studies Publish हो रही हैं | निश्चित रूप से एक अच्छी शुरुआत है |
साथियो, देश में विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों को लेकर एक और बेहतरीन प्रयास हुआ है | अभी-अभी जुलाई महीने में Indian Virtual Herbarium को launch किया गया | यह इस बात का भी उदाहरण है, कि कैसे हम, Digital World का इस्तेमाल अपनी जड़ों से जुड़ने में कर सकते हैं | Indian Virtual Herbarium, Preserved Plants या plant parts की Digital Images का एक रोचक संग्रह है, जो कि, Web पर, Freely Available है | इस Virtual Herbarium पर अभी लाख से अधिक Specimens और उनसे जुड़ी Scientific Information उपलब्ध है | Virtual Herbarium में, भारत की , Botanical Diversity की समृद्ध तस्वीर भी दिखाई देती है | मुझे विश्वास है Indian Virtual Herbarium, भारतीय वनस्पतियों पर research के लिए एक important resource बनेगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में हम हर बार देशवासियों की ऐसी सफलताओं की चर्चा करते हैं जो हमारे चेहरे पर मीठी मुस्कान बिखेर देती हैं | अगर कोई success story, मीठी मुस्कान भी बिखेरे, और स्वाद में भी मिठास भरे, तब तो आप इसे जरुर सोने पर सुहागा कहेंगे | हमारे किसान इन दिनों शहद के उत्पादन में ऐसा ही कमाल कर रहे हैं | शहद की मिठास हमारे किसानों का जीवन भी बदल रही है, उनकी आय भी बढ़ा रही है | हरियाणा में, यमुनानगर में, एक मधुमक्खी पालक साथी रहते हैं - सुभाष कंबोज जी | सुभाष जी ने वैज्ञानिक तरीक़े से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया | इसके बाद उन्होंने केवल छःह बॉक्स के साथ अपना काम शुरू किया था | आज वो करीब दो हज़ार बॉक्सेस में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं | उनका शहद कई राज्यों में supply होता है | जम्मू के पल्ली गाँव में विनोद कुमार जी भी डेढ़ हज़ार से ज्यादा कॉलोनियों में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं | उन्होंने पिछले साल, रानी मक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया है | इस काम से, वो, सालाना 15 से 20 लाख रूपए कमा रहे हैं | कर्नाटक के एक और किसान हैं - मधुकेश्वर हेगड़े जी | मधुकेश्वर जी ने बताया कि उन्होंने, भारत सरकार से 50 मधुमक्खी कॉलोनियों के लिए subsidy ली थी | आज उनके पास 800 से ज्यादा कॉलोनियां हैं, और वो कई टन शहद बेचते हैं | उन्होंने अपने काम में innovation किया, और वो जामुन शहद, तुलसी शहद, आंवला शहद जैसे वानस्पतिक शहद भी बना रहे हैं | मधुकेश्वर जी, मधु उत्पादन में आपके innovation और सफलता, आपके नाम को भी सार्थक करती है |
साथियो, आप सब जानते हैं कि, शहद को, हमारे पारंपरिक स्वास्थ्य विज्ञान में कितना महत्व दिया गया है | आयुर्वेद ग्रंथों में तो शहद को अमृत बताया गया है | शहद, न केवल हमें स्वाद देता है, बल्कि आरोग्य भी देता है | शहद उत्पादन में आज इतनी अधिक संभावनाएं हैं कि professional पढ़ाई करने वाले युवा भी, इसे, अपना स्वरोजगार बना रहे हैं | ऐसे ही एक युवा हैं – यू.पी. में गोरखपुर के निमित सिंह | निमित जी ने बी.टेक किया है | उनके पिता भी डॉक्टर हैं, लेकिन, पढाई के बाद नौकरी की जगह निमित जी ने स्वरोजगार का फैसला लिया | उन्होंने शहद उत्पादन का काम शुरू किया | Quality Check के लिए लखनऊ में अपनी एक लैब भी बनवाई | निमित जी अब शहद और Bee Wax से अच्छी कमाई कर रहे हैं, और अलग-अलग राज्यों में जाकर किसानों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं | ऐसे युवाओं की मेहनत से ही आज देश इतना बड़ा शहद उत्पादक बन रहा है | आपको जानकार ख़ुशी होगी कि देश से शहद का निर्यात भी बढ़ गया है | देश ने National Beekeeping and Honey Mission जैसे अभियान चलाए, किसानों ने पूरा परिश्रम किया, और हमारे शहद की मिठास, दुनिया तक पहुँचने लगी | अभी इस क्षेत्र में और भी बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं | मैं चाहूँगा कि हमारे युवा इन अवसरों से जुड़कर उनका लाभ लें और नई संभावनाओं को साकार करें |
मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे हिमाचल प्रदेश से ‘मन की बात’ के एक श्रोता, श्रीमान आशीष बहल जी का एक पत्र मिला है I उन्होंने अपने पत्र में चंबा के ‘मिंजर मेले’ का जिक्र किया है I दरअसल, मिंजर मक्के के फूलों को कहते हैं I जब मक्के में मिंजर आते हैं, तो मिंजर मेला भी मनाया जाता है और इस मेले में, देशभर के पर्यटक दूर-दूर से हिस्सा लेने के लिए आते हैं | संयोग से मिंजर मेला इस समय चल भी रहा है I आप अगर हिमाचल घूमने गए हुए हैं तो इस मेले को देखने चंबा जा सकते हैं I चंबा तो इतना ख़ूबसूरत है, कि यहाँ के लोक-गीतों में बार-बार कहा जाता है –
“चंबे इक दिन ओणा कने महीना रैणा” |
यानि, जो लोग एक दिन के लिए चंबा आते हैं, वे इसकी खूबसूरती देखकर महीने भर यहां रह जाते हैं I
साथियो, हमारे देश में मेलों का भी बड़ा सांस्कृतिक महत्व रहा है I मेले, जन-मन दोनों को जोड़ते हैं I हिमाचल में वर्षा के बाद जब खरीफ की फसलें पकती हैं, तब, सितम्बर में, शिमला, मंडी, कुल्लू और सोलन में सैरी या सैर भी मनाया जाता है I सितंबर में ही जागरा भी आने वाला है | जागरा के मेलों में महासू देवता का आह्वाहन करके बीसू गीत गाए जाते हैं | महासू देवता का ये जागर हिमाचल में शिमला, किन्नौर और सिरमौर के साथ-साथ उत्तराखंड में भी होता है |
साथियो, हमारे देश में अलग- अलग राज्यों में आदिवासी समाज के भी कई पारंपरिक मेले होते हैं | इनमें से कुछ मेले आदिवासी संस्कृति से जुड़े हैं, तो कुछ का आयोजन, आदिवासी इतिहास और विरासत से जुड़ा है, जैसे कि, आपको, अगर मौका मिले तो तेलंगाना के मेडारम का चार दिवसीय समक्का-सरलम्मा जातरा मेला देखने जरुर जाईये | इस मेले को तेलंगाना का महाकुम्भ कहा जाता है | सरलम्मा जातरा मेला, दो आदिवासी महिला नायिकाओं - समक्का और सरलम्मा के सम्मान में मनाया जाता है | ये तेलंगाना ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के कोया आदिवासी समुदाय के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है | आँध्रप्रदेश में मारीदम्मा का मेला भी आदिवासी समाज की मान्यताओं से जुड़ा बड़ा मेला है | मारीदम्मा मेला जयेष्ठ अमावस्या से आषाढ़ अमावस्या तक चलता है और यहाँ का आदिवासी समाज इसे शक्ति उपासना के साथ जोड़ता है | यहीं, पूर्वी गोदावरी के पेद्धापुरम में, मरिदम्मा मंदिर भी है | इसी तरह राजस्थान में गरासिया जनजाति के लोग वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को ‘सियावा का मेला’ या ‘मनखां रो मेला’ का आयोजन करते हैं |
छत्तीसगढ़ में बस्तर के नारायणपुर का ‘मावली मेला’ भी बहुत खास होता है | पास ही, मध्य प्रदेश का ‘भगोरिया मेला’ भी खूब प्रसिद्ध है | कहते हैं कि, भगोरिया मेले की शुरूआत, राजा भोज के समय में हुई है | तब भील राजा, कासूमरा और बालून ने अपनी-अपनी राजधानी में पहली बार ये आयोजन किए थे | तब से आज तक, ये मेले, उतने ही उत्साह से मनाये जा रहे हैं | इसी तरह, गुजरात में तरणेतर और माधोपुर जैसे कई मेले बहुत मशहूर हैं | ‘मेले’, अपने आप में, हमारे समाज, जीवन की ऊर्जा का बहुत बड़ा स्त्रोत होते हैं | आपके आस-पास भी ऐसे ही कई मेले होते होंगे | आधुनिक समय में समाज की ये पुरानी कड़ियाँ ‘एक भारत–श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करने के लिए बहुत ज़रूरी हैं | हमारे युवाओं को इनसे जरुर जुड़ना चाहिए और आप जब भी ऐसे मेलों में जाएं, वहां की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी शेयर करें | आप चाहें तो किसी खास हैशटैग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं | इससे उन मेलों के बारे में दूसरे लोग भी जानेंगे | आप Culture Ministry की website पर भी तस्वीरें upload कर सकते हैं | अगले कुछ दिन में Culture Ministry एक competition भी शुरू करने जा रही है, जहाँ, मेलों की सबसे अच्छी तस्वीरें भेजने वालों को इनाम भी दिया जाएगा तो फिर देर नहीं कीजिए, मेलों में घूमियें, उनकी तस्वीरें साझा करिए, और हो सकता है आपको इसका ईनाम भी मिल जाए |
मेरे प्यारे देशवासियो, आपको ध्यान होगा, ‘मन की बात’ के एक Episode में मैंने कहा था कि भारत के पास Toys Exports में Powerhouse बनने की पूरी क्षमता है | मैंने Sports और Games में भारत की समृद्ध विरासत की खासतौर पर चर्चा की थी | भारत के स्थानीय खिलौने - परंपरा और प्रकृति, दोनों के अनुरूप होते हैं, Eco-friendly होते हैं | मैं आज आपके साथ भारतीय खिलौनों की सफलता को share करना चाहता हूँ | हमारे Youngsters, Start-ups और Entrepreneurs के बूते हमारी Toy Industry ने जो कर दिखाया है, जो सफलताएँ हासिल की हैं, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी | आज, जब भारतीय खिलौनों की बात होती है, तो हर तरफ, Vocal for Local की ही गूंज सुनाई दे रही है | आपको ये जानकर भी अच्छा लगेगा, कि भारत में अब, विदेश से आने वाले खिलौनों की संख्या, लगातार कम हो रही है | पहले जहाँ 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के खिलौने बाहर से आते थे, वहीँ अब इनका आयात 70 प्रतिशत तक घट गया है और खुशी की बात ये, कि इसी दौरान, भारत ने, दो हज़ार छःह सौ करोड़ रुपए से अधिक के खिलौनों को विदेशों में निर्यात किया है, जबकि पहले, 300-400 करोड़ रुपए के खिलौने ही भारत से बाहर जाते थे और आप तो जानते ही हैं कि ये सब, कोरोना काल में हुआ है | भारत के Toy सेक्टर ने खुद को Transform करके दिखा दिया है | Indian Manufacturers, अब, Indian Mythology, History और Culture पर आधारित खिलौने बना रहे हैं | देश में जगह-जगह खिलौनों के जो Clusters हैं, खिलौने बनाने वाले जो छोटे-छोटे उद्यमी हैं, उन्हें, इसका बहुत लाभ हो रहा है | इन छोटे उद्यमियों के बनाए खिलौने, अब, दुनियाभर में जा रहे हैं | भारत के खिलौना निर्माता, विश्व के प्रमुख Global Toy Brands के साथ मिलकर भी काम कर रहे हैं | मुझे ये भी बड़ा अच्छा लगा, कि, हमारा Start-Up Sector भी खिलौनों की दुनिया पर पूरा ध्यान दे रहा है | वे इस क्षेत्र में कई मजेदार चीजें भी कर रहे हैं | बेंगलुरु में, Shumme (शूमी) Toys नाम का Start-Up Eco-friendly खिलौनों पर focus कर रहा है | गुजरात में Arkidzoo (आर्किड्जू) Company AR-based Flash Cards और AR-based Storybooks बना रही हैं | पुणे की Company, Funvention (फन्वेंशन) Learning, खिलौने और Activity Puzzles (पजल्स) के जरिये Science, Technology और Maths में बच्चों की दिलचस्पी बढ़ाने में जुटी है | मैं खिलौनों की दुनिया में शानदार काम कर रहे ऐसे सभी Manufacturers को, Start-Ups को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ | आईये, हम सब मिलकर, भारतीय खिलौनों को, दुनियाभर में, और अधिक लोकप्रिय बनायें | इसके साथ ही, मैं, अभिभावकों से भी आग्रह करना चाहूँगा कि वे अधिक से अधिक भारतीय खिलौने, Puzzles और Games खरीदें |
साथियो, Classroom हो या खेल का मैदान, आज हमारे युवा, हर क्षेत्र में, देश को गौरवान्वित कर रहे हैं | इसी महीने, PV Sindhu ने Singapore Open का अपना पहला ख़िताब जीता है | Neeraj Chopra ने भी अपने बेहतरीन प्रदर्शन को जारी रखते हुए World Athletics Championship में देश के लिए Silver Medal जीता है | Ireland Para Badminton International में भी हमारे खिलाड़ियों ने 11 पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है | Rome में हुए World Cadet Wrestling Championship में भी भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया | हमारे एथलीट सूरज ने तो Greco-Roman Event में कमाल ही कर दिया | उन्होंने 32 साल के लंबे अंतराल के बाद इस Event में Wrestling का Gold Medal जीता है | खिलाड़ियों के लिए तो ये पूरा महीना ही action से भरपूर रहा है | Chennai में 44वें Chess Olympiad की मेजबानी करना भी भारत के लिए बड़े ही सम्मान की बात है | 28 जुलाई को ही इस Tournament का शुभारंभ हुआ है और मुझे इसकी Opening Ceremony में शामिल होने का सौभाग्य मिला | उसी दिन UK में Commonwealth Games की भी शुरुआत हुई | युवा जोश से भरा भारतीय दल वहाँ देश को Represent कर रहा है | मैं सभी खिलाड़ियों और Athletes को देशवासियों की ओर से शुभकामनाएँ देता हूँ | मुझे इस बात की भी खुशी है कि भारत FIFA Under 17 Women’s World Cup उसकी भी मेजबानी करने जा रहा है | यह Tournament अक्तूबर के आस-पास होगा, जो खेलों के प्रति देश की बेटियों का उत्साह बढ़ाएगा |
साथियो, कुछ दिन पहले ही देशभर में 10वीं और 12वीं कक्षा के परिणाम भी घोषित हुए हैं | मैं उन सभी Students को बधाई देता हूँ जिन्होंने अपने कठिन परिश्रम और लगन से सफलता अर्जित की है | महामारी के चलते, पिछले दो साल, बेहद चुनौतीपूर्ण रहे हैं | इन परिस्थितियों में भी हमारे युवाओं ने जिस साहस और संयम का परिचय दिया, वह अत्यंत सराहनीय है | मैं, सभी के सुनहरे भविष्य की कामना करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज हमने आजादी के 75 साल पर, देश की यात्रा के साथ, अपनी चर्चा शुरू की थी | अगली बार, जब हम मिलेंगे, तब, हमारे अगले 25 साल की यात्रा भी शुरू हो चुकी होगी | अपने घर और अपनों के घर पर, हमारा प्यारा तिरंगा फहरे, इसके लिए हम सबको जुटना है | आपने इस बार, स्वतंत्रता दिवस को कैसे मनाया, क्या कुछ खास किया, ये भी, मुझसे, जरुर साझा करिएगा | अगली बार, हम, अपने इस अमृतपर्व के अलग-अलग रंगों पर फिर से बात करेंगे, तब तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए | बहुत-बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | ‘मन की बात’ के लिए मुझे आप सभी के बहुत सारे पत्र मिले हैं, social media और NaMoApp पर भी बहुत से सन्देश मिले हैं, मैं इसके लिए आपका बहुत आभारी हूँ | इस कार्यक्रम में हम सभी की कोशिश रहती है कि एक दूसरे के प्रेरणादायी प्रयासों की चर्चा करें, जन-आंदोलन से परिवर्तन की गाथा, पूरे देश को बताएँ | इसी कड़ी में, मैं आज आपसे, देश के एक ऐसे जन-आंदोलन की चर्चा करना चाहता हूँ जिसका देश के हर नागरिक के जीवन में बहुत महत्व है | लेकिन, उससे पहले मैं आज की पीढ़ी के नौजवानों से, 24-25 साल के युवाओं से, एक सवाल पूछना चाहता हूँ और सवाल बहुत गंभीर है, और मेरे सवाल पर जरुर सोचिये | क्या आपको पता है कि आपके माता-पिता जब आपकी उम्र के थे तो एक बार उनसे जीवन का भी अधिकार छीन लिया गया था! आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है? ये तो असंभव है | लेकिन मेरे नौजवान साथियो, हमारे देश में एक बार ऐसा हुआ था | ये बरसों पहले उन्नीस सौ पिचहत्तर की बात है | जून का वही समय था जब emergency लगाई गई थी, आपातकाल लागू किया गया था | उसमें, देश के नागरिकों से सारे अधिकार छीन लिए गए थे | उसमें से एक अधिकार, संविधान के Article 21 के तहत सभी भारतीयों को मिला ‘Right to Life and Personal Liberty’ भी था | उस समय भारत के लोकतंत्र को कुचल देने का प्रयास किया गया था | देश की अदालतें, हर संवैधानिक संस्था, प्रेस, सब पर नियंत्रण लगा दिया गया था | Censorship की ये हालत थी कि बिना स्वीकृति कुछ भी छापा नहीं जा सकता था | मुझे याद है, तब मशहूर गायक किशोर कुमार जी ने सरकार की वाह-वाही करने से इनकार किया तो उन पर बैन लगा दिया गया | रेडियो पर से उनकी entry ही हटा दी गई | लेकिन बहुत कोशिशों, हजारों गिरफ्तारियों, और लाखों लोगों पर अत्याचार के बाद भी, भारत के लोगों का, लोकतंत्र से विश्वास डिगा नहीं, रत्ती भर नहीं डिगा | भारत के हम लोगों में, सदियों से, जो लोकतंत्र के संस्कार चले आ रहे हैं, जो लोकतांत्रिक भावना हमारी रग-रग में है आखिरकार जीत उसी की हुई | भारत के लोगों ने लोकतांत्रिक तरीके से ही emergency को हटाकर, वापस, लोकतंत्र की स्थापना की | तानाशाही की मानसिकता को, तानाशाही वृति-प्रवृत्ति को लोकतांत्रिक तरीके से पराजित करने का ऐसा उदाहरण पूरी दुनिया में मिलना मुश्किल है | Emergency के दौरान देशवासियों के संघर्ष का, गवाह रहने का, साझेदार रहने का, सौभाग्य, मुझे भी मिला था - लोकतंत्र के एक सैनिक के रूप में | आज, जब देश अपनी आज़ादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहा है, अमृत महोत्सव मना रहा है, तो आपातकाल के उस भयावह दौर को भी हमें कभी भी भूलना नहीं चाहिए | आने वाली पीढ़ियों को भी भूलना नहीं चाहिए | अमृत महोत्सव सैकड़ों वर्षों की गुलामी से मुक्ति की विजय गाथा ही नहीं, बल्कि, आज़ादी के बाद के 75 वर्षों की यात्रा भी समेटे हुए है | इतिहास के हर अहम पड़ाव से सीखते हुए ही, हम, आगे बढ़ते हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, हम में से शायद ही कोई ऐसा हो, जिसने, अपने जीवन में आकाश से जुड़ी कल्पनाएँ न की हों | बचपन में हर किसी को आकाश के चाँद-तारे उनकी कहानियाँ आकर्षित करती हैं | युवाओं के लिए आकाश छूना, सपनों को साकार करने का पर्याय होता है | आज हमारा भारत जब इतने सारे क्षेत्रों में सफलता का आकाश छू रहा है, तो आकाश, या अन्तरिक्ष, इससे अछूता कैसे रह सकता है! बीते कुछ समय में हमारे देश में Space Sector से जुड़े कई बड़े काम हुए हैं | देश की इन्हीं उपलब्धियों में से एक है In-Space नाम की Agency का निर्माण | एक ऐसी Agency, जो Space Sector में, भारत के Private Sector के लिए नए अवसरों को Promote कर रही है | इस शुरुआत ने हमारे देश के युवाओं को विशेष रूप से आकर्षित किया है | मुझे बहुत से नौजवानों के इससे जुड़े संदेश भी मिले हैं | कुछ दिन पहले जब मैं In-Space के headquarter के लोकार्पण के लिए गया था, तो मैंने कई युवा Start-Ups के Ideas और उत्साह को देखा | मैंने उनसे काफी देर तक बातचीत भी की | आप भी जब इनके बारे में जानेंगे तो हैरान हुए बिना नहीं रह पाएँगे, जैसे कि, Space Start-Ups की संख्या और Speed को ही ले लीजिये | आज से कुछ साल पहले तक हमारे देश में, Space Sector में, Start-Ups के बारे में, कोई सोचता तक नहीं था | आज इनकी संख्या सौ से भी ज्यादा है | ये सभी Start-Ups ऐसे-ऐसे idea पर काम कर रहे हैं, जिनके बारे में पहले या तो सोचा ही नहीं जाता था, या फिर Private Sector के लिए असंभव माना जाता था | उदाहरण के लिए, चेन्नई और हैदराबाद के दो Start-Ups हैं – अग्निकुल और स्काईरूट ! ये Start-Ups ऐसे Launch Vehicle विकसित कर रही हैं जो अन्तरिक्ष में छोटे payloads लेकर जायेंगे | इससे Space Launching की कीमत बहुत कम होने का अनुमान है | ऐसे ही हैदराबाद का एक और Start-Ups Dhruva Space, Satellite Deployer और Satellites के लिए High Technology solar Panels पर काम कर रहा है | मैं एक और Space Start-Ups दिगंतरा के तनवीर अहमद से भी मिला था, जो Space के कचरे को मैप करने का प्रयास कर रहे हैं | मैंने उन्हें एक Challenge भी दिया है, कि वो ऐसी Technology पर काम करें जिससे Space के कचरे का समाधान निकाला जा सके | दिगंतरा और Dhruva Space दोनों ही 30 जून को इसरो के Launch Vehicle से अपना पहला Launch करने जा रहे हैं | इसी तरह, बेंगलुरु के एक Space Start-Ups Astrome की founder नेहा भी एक कमाल के idea पर काम कर रही हैं | ये Start-Ups ऐसे Flat Antenna बना रहा है जो न केवल छोटे होंगे, बल्कि उनकी Cost भी काफी कम होगी | इस Technology की Demand पूरी दुनिया में हो सकती है |
साथियो, In-Space के कार्यक्रम में, मैं, मेहसाणा की School Student बेटी तन्वी पटेल से भी मिला था | वो एक बहुत ही छोटी Satellite पर काम कर रही है, जो अगले कुछ महीनों में Space में Launch होने जा रही है | तन्वी ने मुझे गुजराती में बड़ी सरलता से अपने काम के बारे में बताया था | तन्वी की तरह ही देश के करीब साढ़े सात सौ School Students, अमृत महोत्सव में ऐसे ही 75 Satellites पर काम कर रहे हैं, और भी खुशी की बात है, कि, इनमें से ज्यादातर Students देश के छोटे शहरों से हैं |
साथियो, ये वही युवा हैं, जिनके मन में आज से कुछ साल पहले Space Sector की छवि किसी Secret Mission जैसी होती थी, लेकिन, देश ने Space Reforms किए, और वही युवा अब अपनी Satellite Launch कर रहे हैं | जब देश का युवा आकाश छूने को तैयार है, तो फिर हमारा देश कैसे पीछे रह सकता है?
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में, अब एक ऐसे विषय की बात, जिसे सुनकर आपका मन प्रफुल्लित भी होगा और आपको प्रेरणा भी मिलेगी I बीते दिनों, हमारे ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता नीरज चोपड़ा फिर से सुर्ख़ियों में छाए रहे | ओलंपिक के बाद भी, वो, एक के बाद एक, सफलता के नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहें हैं I Finland में नीरज ने Paavo Nurmi Games में सिल्वर जीता | यही नहीं | उन्होंने अपने ही Javelin Throw के Record को भी तोड़ दिया | Kuortane Games में नीरज ने एक बार फिर गोल्ड जीतकर देश का गौरव बढ़ाया | ये गोल्ड उन्होंने ऐसे हालातों में जीता जब वहाँ का मौसम भी बहुत ख़राब था | यही हौसला आज के युवा की पहचान है | Start-Ups से लेकर Sports World तक भारत के युवा नए-नए रिकॉर्ड बना रहे हैं I अभी हाल में ही आयोजित हुए Khelo India Youth Games में भी हमारे खिलाड़ियों ने कई Record बनाए | आपको जानकर अच्छा लगेगा कि इन खेलों में कुल 12 Record टूटे हैं - इतना ही नहीं, 11 Records महिला खिलाड़ियों के नाम दर्ज हुए हैं | मणिपुर की M. Martina Devi ने Weightlifting में आठ Records बनाए हैं I
इसी तरह संजना, सोनाक्षी और भावना ने भी अलग-अलग रिकार्ड्स बनाये हैं | अपनी मेहनत से इन खिलाडियों ने बता दिया है कि आने वाले समय में अन्तर्राष्ट्रीय खेलों में भारत की साख कितनी बढ़ने वाली है | मैं इन सभी खिलाडियों को बधाई भी देता हूँ और भविष्य के लिए शुभकामनाएँ भी देता हूँ |
साथियो, खेलो इंडिया यूथ गेम्स की एक और खास बात रही है I इस बार भी कई ऐसी प्रतिभाएं उभरकर सामने आई हैं, जो बहुत साधारण परिवारों से हैं I इन खिलाड़ियों ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया और सफलता के इस मुकाम तक पहुंचे हैं I इनकी सफलता में, इनके परिवार, और माता- पिता की भी, बड़ी भूमिका है I
70 किलोमीटर साइकिलिंग में गोल्ड जीतने वाले श्रीनगर के आदिल अल्ताफ के पिता टेलरिंग का काम करते हैं, लेकिन, उन्होंने अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी I आज, आदिल ने अपने पिता और पूरे जम्मू-कश्मीर का सिर गर्व से ऊँचा किया है I वेट लिफ्टिंग में गोल्ड जीतने वाले चेन्नई के ‘एल. धनुष’ के पिता भी एक साधारण कारपेंटर हैं I सांगली की बेटी काजोल सरगार उनके पिता चाय बेचने का काम करते हैं I काजोल अपने पिता के काम में हाथ भी बंटाती थीं, और, वेट लिफ्टिंग की प्रैक्टिस भी करती थीं | उनकी और उनके परिवार की ये मेहनत रंग लाई और काजोल ने वेट लिफ्टिंग में खूब वाह- वाही बटोरी है I ठीक इसी प्रकार का करिश्मा रोहतक की तनु ने भी किया है I तनु के पिता राजबीर सिंह रोहतक में एक स्कूल के बस ड्राईवर हैं I तनु ने कुश्ती में स्वर्ण पदक जीतकर अपना और अपने परिवार का, अपने पापा का, सपना, सच करके दिखाया है I
साथियो, खेल जगत में, अब, भारतीय खिलाड़ियों का दबदबा तो बढ़ ही रहा है, साथ ही, भारतीय खेलों की भी नई पहचान बन रही है I जैसे कि, इस बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स में ओलंपिक में शामिल होने वाली स्पर्धाओं के अलावा पाँच स्वदेशी खेल भी शामिल हुए थे I ये पाँच खेल हैं – गतका, थांग ता, योगासन, कलरीपायट्टू और मल्लखम्ब I
साथियो, भारत में एक ऐसे खेल का अन्तर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट होने जा रहा है जिस खेल का जन्म सदियों पहले हमारे ही देश में हुआ था, भारत में हुआ था I ये आयोजन है 28 जुलाई से शुरू हो रहे शतरंज ओलंपियाड का | इस बार, शतरंज ओलंपियाड में 180 से भी ज्यादा देश हिस्सा ले रहे हैं I खेल और फिटनेस की हमारी आज की चर्चा एक और नाम के बिना पूरी नहीं हो सकती है - ये नाम है तेलंगाना की Mountaineer पूर्णा मालावथ का I पूर्णा ने ‘सेवेन समिट्स चैलेंज’ को पूरा कर कामयाबी का एक और परचम लहराया है I सेवेन समिट्स चैलेंज यानि दुनिया की सात सबसे कठिन और ऊँची पहाड़ियों पर चढ़ने की चुनौती I पूर्णा ने अपने बुलंद हौसलों के साथ, नॉर्थ अमेरिका की सबसे ऊँची चोटी, ‘माउंट देनाली’ की चढ़ाई पूरी कर देश को गौरवान्वित किया है I पूर्णा, भारत की वही बेटी है जिन्होंने महज 13 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर जीत हासिल करने का अद्भुत कारनामा कर दिखाया था I
साथियो, जब बात खेलों की हो रही है, तो मैं आज, भारत की सर्वाधिक प्रतिभाशाली क्रिकेटरों में, उनमें से एक, मिताली राज की भी चर्चा करना चाहूँगा I उन्होंने, इसी महीने क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की है, जिसने कई खेल प्रेमियों को भावुक कर दिया है I मिताली, महज एक असाधारण खिलाड़ी नहीं रही हैं, बल्कि, अनेक खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी रही हैं I मैं, मिताली को उनके भविष्य के लिए ढ़ेर सारी शुभकामनाएं देता हूँ I
मेरे प्यारे देशवासियो, हम ‘मन की बात’ में waste to wealth से जुड़े सफल प्रयासों की चर्चा करते रहे हैं | ऐसा ही एक उदाहरण है, मिज़ोरम की राजधानी आइजवाल का | आइजवाल में एक खूबसूरत नदी है ‘चिटे लुई’, जो बरसों की उपेक्षा के चलते, गंदगी और कचरे के ढेर में बदल गई | पिछले कुछ वर्षों में इस नदी को बचाने के लिए प्रयास शुरू हुए हैं | इसके लिए स्थानीय एजेंसियां, स्वयंसेवी संस्थाएं और स्थानीय लोग, मिलकर, save चिटे लुई action plan भी चला रहे हैं | नदी की सफाई के इस अभियान ने waste से wealth creation का अवसर भी बना दिया है | दरअसल, इस नदी में और इसके किनारों पर बहुत बड़ी मात्रा में प्लास्टिक और पॉलिथीन का कचरा भरा हुआ था | नदी को बचाने के लिए काम कर रही संस्था ने, इसी पॉलिथिन से, सड़क बनाने का फैसला लिया, यानि, जो कचरा नदी से निकला, उससे मिज़ोरम के एक गाँव में, राज्य की, पहली प्लास्टिक रोड बनाई गई, यानि, स्वच्छता भी और विकास भी |
साथियो, ऐसा ही एक प्रयास पुडुचेरी के युवाओं ने भी अपनी स्वयंसेवी संस्थाओं के जरिए शुरू किया है | पुडुचेरी समंदर के किनारे बसा है | वहाँ के beaches और समुद्री खूबसूरती देखने बड़ी संख्या में लोग आते हैं | लेकिन, पुडुचेरी के समंदर तट पर भी plastic से होने वाली गंदगी बढ़ रही थी, इसलिये, अपने समंदर, beaches और ecology को बचाने के लिए यहाँ लोगों ने ‘Recycling for Life’ अभियान शुरू किया है | आज, पुडुचेरी के कराईकल में हजारों किलो कचरा हर दिन collect किया जाता है, और उसे segregate किया जाता है | इसमें जो organic कचरा होता है, उससे खाद बनाई जाती है, बाकी दूसरी चीजों को अलग करके, recycle कर लिया जाता है | इस तरह के प्रयास प्रेरणादायी तो है ही, single use plastic के खिलाफ भारत के अभियान को भी गति देते हैं |
साथियो, इस समय जब मैं आपसे बात कर रहा हूँ, तो हिमाचल प्रदेश में एक अनोखी cycling rally भी चल रही है | मैं इस बारे में भी आपको बताना चाहता हूँ | स्वच्छता का सन्देश लेकर साइकिल सवारों का एक समूह शिमला से मंडी तक निकला है | पहाड़ी रास्तों पर करीब पौने दो सौ किलोमीटर की ये दूरी, ये लोग, साइकिल चलाते हुए ही पूरी करेंगे | इस समूह में बच्चे भी और बुज़ुर्ग भी हैं | हमारा पर्यावरण स्वच्छ रहे, हमारे पहाड़-नदियाँ, समंदर, स्वच्छ रहें, तो, स्वास्थ्य भी, उतना ही बेहतर होता जाता है | आप मुझे, इस तरह के प्रयासों के बारे में जरुर लिखते रहिए |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश में मानसून का लगातार विस्तार हो रहा है | अनेक राज्यों में बारिश बढ़ रही है | ये समय ‘जल’ और ‘जल संरक्षण’ की दिशा में विशेष प्रयास करने का भी है | हमारे देश में तो सदियों से ये ज़िम्मेदारी समाज ही मिलकर उठाता रहा है | आपको याद होगा, ‘मन की बात’ में हमने एक बार step wells यानि बावड़ियों की विरासत पर चर्चा की थी | बावड़ी उन बड़े कुओं को कहते हैं जिन तक सीढ़ियों से उतरकर पहुँचते हैं | राजस्थान के उदयपुर में ऐसी ही सैकड़ों साल पुरानी एक बावड़ी है – ‘सुल्तान की बावड़ी’ | इसे राव सुल्तान सिंह ने बनवाया था, लेकिन, उपेक्षा के कारण धीरे–धीरे ये जगह वीरान होती गयी और कूड़े–कचरे के ढेर में तब्दील हो गयी है | एक दिन कुछ युवा ऐसे ही घूमते हुए इस बावड़ी तक पहुंचे और इसकी स्थिति देखकर बहुत दुखी हुए | इन युवाओं ने उसी क्षण सुल्तान की बावड़ी की तस्वीर और तकदीर बदलने का संकल्प लिया | उन्होंने अपने इस mission को नाम दिया - ‘सुल्तान से सुर-तान’ | आप सोच रहे होंगे, कि, ये सुर-तान क्या है| दरअसल, अपने प्रयासों से इन युवाओं ने ना सिर्फ बावड़ी का कायाकल्प किया, बल्कि इसे, संगीत के सुर और तान से भी जोड़ दिया है | सुल्तान की बावड़ी की सफाई के बाद, उसे सजाने के बाद, वहां, सुर और संगीत का कार्यक्रम होता है | इस बदलाव की इतनी चर्चा है, कि, विदेश से भी कई लोग इसे देखने आने लगे हैं | इस सफल प्रयास की सबसे ख़ास बात ये है कि अभियान शुरू करने वाले युवा chartered accountants हैं | संयोग से, अब से कुछ दिन बाद, एक जुलाई को chartered accountants day है | मैं, देश के सभी CAs को अग्रिम बधाई देता हूँ | हम, अपने जल-स्त्रोतों को, संगीत और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों से जोड़कर उनके प्रति इसी तरह जागरूकता का भाव पैदा कर सकते हैं | जल संरक्षण तो वास्तव में जीवन संरक्षण है | आपने देखा होगा, आजकल, कितने ही ‘नदी महोत्सव’ होने लगे हैं | आपके शहरों में भी इस तरह के जो भी जल-स्त्रोत हैं वहां कुछ-न-कुछ आयोजन अवश्य करें |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे उपनिषदों का एक जीवन मन्त्र है – ‘चरैवेति-चरैवेति-चरैवेति’ - आपने भी इस मन्त्र को जरुर सुना होगा | इसका अर्थ है – चलते रहो, चलते रहो | ये मंत्र हमारे देश में इतना लोकप्रिय इसलिए है क्योंकि सतत चलते रहना, गतिशील बने रहना, ये, हमारे स्वभाव का हिस्सा है | एक राष्ट्र के रूप में, हम, हजारों सालों की विकास यात्रा करते हुआ यहाँ तक पहुँचे हैं | एक समाज के रूप में, हम हमेशा, नए विचारों, नए बदलावों को स्वीकार करके आगे बढ़ते आए हैं | इसके पीछे हमारे सांस्कृतिक गतिशीलता और यात्राओं का बहुत बड़ा योगदान है | इसीलिये तो, हमारे ऋषियों मुनियों ने तीर्थयात्रा जैसी धार्मिक जिम्मेदारियाँ हमें सौंपी थीं | अलग-अलग तीर्थ यात्राओं पर तो हम सब जाते ही हैं | आपने देखा है कि इस बार चारधाम यात्रा में किस तरह बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए | हमारे देश में समय-समय पर अलग-अलग देव-यात्राएं भी निकलती हैं | देव यात्राएं, यानी, जिसमें केवल श्रद्धालु ही नहीं बल्कि हमारे भगवान भी यात्रा पर निकलते हैं | अभी कुछ ही दिनों में 1 जुलाई से भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध यात्रा शुरू होने जा रही है | ओड़िसा में, पुरी की यात्रा से तो हर देशवासी परिचित है | लोगों का प्रयास रहता है कि इस अवसर पर पुरी जाने का सौभाग्य मिले | दूसरे राज्यों में भी जगन्नाथ यात्रा खूब धूमधाम से निकाली जाती हैं | भगवान जगन्नाथ यात्रा आषाढ़ महीने की द्वितीया से शुरू होती है | हमारे ग्रंथों में ‘आषाढस्य द्वितीयदिवसे...रथयात्रा’, इस तरह संस्कृत श्लोकों में वर्णन मिलता है | गुजरात के अहमदाबाद में भी हर वर्ष आषाढ़ द्वितीया से रथयात्रा चलती है | मैं गुजरात में था, तो मुझे भी हर वर्ष इस यात्रा में सेवा का सौभाग्य मिलता था | आषाढ़ द्वितीया, जिसे आषाढ़ी बिज भी कहते हैं, इस दिन से ही कच्छ का नववर्ष भी शुरू होता है | मैं, मेरे सभी कच्छी भाईयो-बहनों को नववर्ष की शुभकामनाएँ भी देता हूँ | मेरे लिए इसलिए भी ये दिन बहुत खास है - मुझे याद है, आषाढ़ द्वितीया से एक दिन पहले, यानी, आषाढ़ की पहली तिथि को हमने गुजरात में एक संस्कृत उत्सव की शुरुआत की थी, जिसमें संस्कृत भाषा में गीत-संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं | इस आयोजन का नाम है – ‘आषाढस्य प्रथम दिवसे’ | उत्सव को ये खास नाम देने के पीछे भी एक वजह है | दरअसल, संस्कृत के महान कवि कालिदास ने आषाढ़ महीने से ही वर्षा के आगमन पर मेघदूतम् लिखा था | मेघदूतम् में एक श्लोक है – आषाढस्य प्रथम दिवसे मेघम् आश्लिष्ट सानुम्, यानि, आषाढ़ के पहले दिन पर्वत शिखरों से लिपटे हुए बादल, यही श्लोक, इस आयोजन का आधार बना |
साथियो, अहमदाबाद हो या पुरी, भगवान् जगन्नाथ अपनी इस यात्रा के जरिए हमें कई गहरे मानवीय सन्देश भी देते हैं | भगवान जगन्नाथ जगत के स्वामी तो हैं ही, लेकिन, उनकी यात्रा में गरीबों, वंचितों की विशेष भागीदारी होती है | भगवान् भी समाज के हर वर्ग और व्यक्ति के साथ चलते हैं | ऐसे ही हमारे देश में जितनी भी यात्राएं होती हैं, सबमें गरीब-अमीर, ऊंच-नीच ऐसे कोई भेदभाव नजर नहीं आते | सारे भेदभाव से ऊपर उठकर, यात्रा ही, सर्वोपरि होती है | जैसे कि महाराष्ट्र में पंढरपुर की यात्रा के बारे में आपने जरुर सुना होगा | पंढरपुर की यात्रा में, कोई भी, न बड़ा होता है, न छोटा होता है | हर कोई वारकरी होता है, भगवान् विट्ठल का सेवक होता है | अभी 4 दिन बाद ही 30 जून से अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने जा रही है | पूरे देश से श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू-कश्मीर पहुँचते हैं | जम्मू कश्मीर के स्थानीय लोग उतनी ही श्रद्धा से इस यात्रा की ज़िम्मेदारी उठाते हैं, और, तीर्थयात्रियों का सहयोग करते हैं |
साथियो, दक्षिण में ऐसा ही महत्व सबरीमाला यात्रा का भी है | सबरीमाला की पहाड़ियों पर भगवान अयप्पा के दर्शन करने के लिए ये यात्रा तब से चल रही है, जब ये रास्ता, पूरी तरह, जंगलों से घिरा रहता था | आज भी लोग जब इन यात्राओं में जाते हैं, तो उसे धार्मिक अनुष्ठानों से लेकर, रुकने-ठहरने की व्यवस्था तक, गरीबों के लिए कितने अवसर पैदा होते हैं, यानी, ये यात्राएं प्रत्यक्ष रूप से हमें गरीबों की सेवा का अवसर देती हैं और गरीब के लिए उतनी ही हितकारी होती हैं | इसीलिये तो, देश भी, अब, आध्यात्मिक यात्राओं में, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने के लिए इतने सारे प्रयास कर रहा है | आप भी ऐसी किसी यात्रा पर जाएंगे तो आपको आध्यात्म के साथ-साथ एक भारत-श्रेष्ठ भारत के भी दर्शन होंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमेशा की तरह इस बार भी ‘मन की बात’ के जरिए आप सभी से जुड़ने का ये अनुभव बहुत ही सुखद रहा | हमने देशवासियों की सफलताओं और उपलब्धियों की चर्चा की | इस सबके बीच, हमें, कोरोना के खिलाफ सावधानी को भी ध्यान रखना है | हाँलाकि, संतोष की बात है कि आज देश के पास वैक्सीन का व्यापक सुरक्षा कवच मौजूद है | हम 200 करोड़ वैक्सीन डोज़ के करीब पहुँच गए हैं | देश में तेजी से precaution dose भी लगाई जा रही है | अगर आपकी second dose के बाद precaution dose का समय हो गया है, तो आप, ये तीसरी dose जरुर लें | अपने परिवार के लोगों को, ख़ासकर बुजुर्गों को भी precaution dose लगवाएँ | हमें हाथों की सफाई और मास्क जैसी जरुरी सावधानी भी बरतनी ही है | हमें बारिश के मौसम में आस-पास गन्दगी से होने वाली बीमारियों से भी आगाह रहना है | आप सब सजग रहिए, स्वस्थ रहिए और ऐसी ही ऊर्जा से आगे बढ़ते रहिए | अगले महीने हम एक बार फिर मिलेंगे, तब तक के लिए, बहुत-बहुत धन्यवाद ,नमस्कार |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | आज फिर एक बार ‘मन की बात’ के माध्यम से आप सभी कोटि-कोटि मेरे परिवारजनों से मिलने का अवसर मिला है | ‘मन की बात’ में आप सबका स्वागत है | कुछ दिन पहले देश ने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जो, हम सभी को प्रेरणा देती है | भारत के सामर्थ्य के प्रति एक नया विश्वास जगाती है | आप लोग क्रिकेट के मैदान पर Team India के किसी batsman की century सुन कर खुश होते होंगे, लेकिन, भारत ने एक और मैदान में century लगाई है और वो बहुत विशेष है | इस महीने 5 तारीख को देश में Unicorn की संख्या 100 के आँकड़े तक पहुँच गई है और आपको तो पता ही है, एक Unicorn, यानी, कम-से-कम साढ़े सात हज़ार करोड़ रूपए का Start-Up | इन Unicorns का कुल valuation 330 billion dollar, यानी, 25 लाख करोड़ रुपयों से भी ज्यादा है | निश्चित रूप से, ये बात, हर भारतीय के लिए गर्व करने वाली बात है | आपको यह जानकर भी हैरानी होगी, कि, हमारे कुल Unicorn में से 44 forty four, पिछले साल बने थे | इतना ही नहीं, इस वर्ष के 3-4 महीने में ही 14 और नए Unicorn बन गए | इसका मतलब यह हुआ कि global pandemic के इस दौर में भी हमारे Start-Ups, wealth और value, create करते रहे हैं | Indian Unicorns का Average Annual Growth Rate, USA, UK और अन्य कई देशों से भी ज्यादा है | Analysts का तो ये भी कहना है कि आने वाले वर्षों में इस संख्या में तेज उछाल देखने को मिलेगी | एक अच्छी बात ये भी है, कि, हमारे Unicorns diversifying हैं | ये e-commerce, Fin-Tech, Ed-Tech, Bio-Tech जैसे कई क्षेत्रों में काम कर रहे हैं | एक और बात जिसे मैं ज्यादा अहम मानता हूँ वो ये है कि Start-Ups की दुनिया New India की spirit को reflect कर रही है | आज, भारत का Start-Up ecosystem सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है, छोटे-छोटे शहरों और कस्बों से भी entrepreneurs सामने आ रहे हैं | इससे पता चलता है कि भारत में जिसके पास innovative idea है, वो, wealth create कर सकता है |
साथियो, देश की इस सफलता के पीछे, देश की युवा-शक्ति, देश के talent और सरकार, सभी मिलकर के प्रयास कर रहे हैं, हर किसी का योगदान है, लेकिन, इसमें एक और बात महत्वपूर्ण है, वो है, Start-Up World में, right mentoring, यानी, सही मार्गदर्शन | एक अच्छा mentor Start-Up को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकता है | वह founders को right decision के लिए हर तरह से guide कर सकता है | मुझे, इस बात का गर्व है कि भारत में ऐसे बहुत से mentors हैं जिन्होंने Start-Ups को आगे बढ़ाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है |
श्रीधर वेम्बू जी को हाल ही में पद्म सम्मान मिला है | वह खुद एक सफल entrepreneur हैं, लेकिन अब उन्होंने, दूसरे entrepreneur को groom करने का भी बीड़ा उठाया है | श्रीधर जी ने अपना काम ग्रामीण इलाके से शुरू किया है | वे, ग्रामीण युवाओं को गाँव में ही रहकर इस क्षेत्र में कुछ करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं | हमारे यहाँ मदन पडाकी जैसे लोग भी हैं जिन्होंने rural entrepreneurs को बढ़ावा देने के लिए 2014 में One-Bridge नाम का platform बनाया था | आज, One-Bridge दक्षिण और पूर्वी-भारत के 75 से अधिक जिलों में मौजूद है | इससे जुड़े 9000 से अधिक rural entrepreneurs ग्रामीण उपभोक्ताओं को अपनी सेवाएँ उपलब्ध करा रहे हैं | मीरा शेनॉय जी भी ऐसी ही एक मिसाल है | वो Rural, Tribal और disabled youth के लिए Market Linked Skills Training के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं | मैंने यहाँ तो कुछ ही नाम लिए हैं, लेकिन, आज हमारे बीच mentors की कमी नहीं है | हमारे लिए यह बहुत प्रसन्नता की बात है कि Start-Up के लिए आज देश में एक पूरा support system तैयार हो रहा है | मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में हमें भारत के Start-Up World के प्रगति की नई उड़ान देखने को मिलेगी |
साथियो, कुछ दिनों पहले मुझे एक ऐसी interesting और attractive चीज़ मिली, जिसमें देशवासियों की creativity और उनके artistic talent का रंग भरा है | एक उपहार है, जिसे, तमिलनाडु के Thanjavur के एक Self-Help Group ने मुझे भेजा है | इस उपहार में भारतीयता की सुगंध है और मातृ-शक्ति के आशीर्वाद - मुझ पर उनके स्नेह की भी झलक है | यह एक special Thanjavur Doll है, जिसे GI Tag भी मिला हुआ है | मैं Thanjavur Self-Help Group को विशेष धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने मुझे स्थानीय संस्कृति में रचे-बसे इस उपहार को भेजा | वैसे साथियो, ये Thanjavur Doll जितनी खूबसूरत होती है, उतनी ही खूबसूरती से, ये, महिला सशक्तिकरण की नई गाथा भी लिख रही है | Thanjavur में महिलाओं के Self-Help Groups के store और kiosk भी खुल रहे हैं | इसकी वजह से कितने ही गरीब परिवारों की जिंदगी बदल गई है | ऐसे kiosk और stores की सहायता से महिलाएँ अब अपने product, ग्राहकों को सीधे बेच पा रही हैं | इस पहल को ‘थारगईगल कइविनई पोरुत्तकल विरप्पनई अंगाड़ी’ नाम दिया गया है | ख़ास बात ये है कि इस पहल से 22 Self-Help Group जुड़े हुए हैं | आपको ये भी जानकार अच्छा लगेगा कि महिला Self-Help Groups, महिला स्वयं सहायता समूह के ये store Thanjavur में बहुत ही prime location पर खुले हैं | इनकी देखरेख की पूरी जिम्मेदारी भी महिलाएँ ही उठा रही हैं | ये महिला Self Help Group Thanjaur Doll और Bronze Lamp जैसे GI Product के अलावा खिलौने, mat और Artificial Jewellery भी बनाते हैं | ऐसे स्टोर की वजह से, GI Product के साथ-साथ Handicraft के Products की बिक्री में काफी तेजी देखने को मिली है | इस मुहिम की वजह से न केवल कारीगरों को बढ़ावा मिला है, बल्कि, महिलाओं की आमदनी बढ़ने से उनका सशक्तिकरण भी हो रहा है | मेरा ‘मन की बात’ के श्रोताओं से भी एक आग्रह है | आप, अपने क्षेत्र में ये पता लगायें, कि, कौन से महिला Self Help Group काम कर रहे हैं | उनके Products के बारे में भी आप जानकारी जुटाएँ और ज्यादा-से-ज्यादा इन उत्पादों को उपयोग में लाएँ | ऐसा करके, आप, Self Help Group की आय बढ़ाने में तो मदद करेंगे ही, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को भी गति देंगे |
साथियो, हमारे देश में कई सारी भाषा, लिपियाँ और बोलियों का समृद्ध खजाना है | अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग पहनावा, खानपान और संस्कृति, ये हमारी पहचान है | ये Diversity, ये विविधता, एक राष्ट्र के रूप में, हमें, अधिक सशक्त करती है, और एकजुट रखती है | इसी से जुड़ा एक बेहद प्रेरक उदाहरण है एक बेटी कल्पना का, जिसे, मैं आप सभी के साथ साझा करना चाहता हूँ | उनका नाम कल्पना है, लेकिन उनका प्रयास, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की सच्ची भावना से भरा हुआ है | दरअसल, कल्पना ने हाल ही में कर्नाटका में अपनी 10वीं की परीक्षा पास की है, लेकिन, उनकी सफलता की बेहद खास बात ये है कि, कल्पना को कुछ समय पहले तक कन्नड़ा भाषा ही नहीं आती थी | उन्होंने, ना सिर्फ तीन महीने में कन्नड़ा भाषा सीखी, बल्कि, 92वे नम्बर भी लाकर के दिखाए | आपको यह जानकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन ये सच है | उनके बारे में और भी कई बातें ऐसी हैं जो आपको हैरान भी करेगी और प्रेरणा भी देगी | कल्पना, मूल रूप से उत्तराखंड के जोशीमठ की रहने वाली हैं | वे पहले TB से पीड़ित रही थीं और जब वे तीसरी कक्षा में थीं तभी उनकी आँखों की रोशनी भी चली गई थी, लेकिन, कहते हैं न, ‘जहाँ चाह-वहाँ राह’ | कल्पना बाद में मैसूरू की रहने वाली प्रोफेसर तारामूर्ति के संपर्क में आई, जिन्होंने न सिर्फ उन्हें प्रोत्साहित किया, बल्कि हर तरह से उनकी मदद भी की | आज, वो अपनी मेहनत से हम सबके लिए एक उदाहरण बन गई हैं | मैं, कल्पना को उनके हौंसले के लिए बधाई देता हूँ | इसी तरह, हमारे देश में कई ऐसे लोग भी हैं जो देश की भाषाई विविधता को मजबूत करने का काम कर रहे हैं | ऐसे ही एक साथी हैं, पश्चिम बंगाल में पुरुलिया के श्रीपति टूडू जी | टूडू जी, पुरुलिया की सिद्धो-कानो-बिरसा यूनिवर्सिटी में संथाली भाषा के प्रोफेसर हैं | उन्होंने, संथाली समाज के लिए, उनकी अपनी ‘ओल चिकी’ लिपि में, देश के संविधान की कॉपी तैयार की है | श्रीपति टूडू जी कहते हैं कि हमारा संविधान हमारे देश के हर एक नागरिक को उनके अधिकार और कर्तव्य का बोध कराता है | इसलिए, प्रत्येक नागरिक को इससे परिचित होना जरुरी है | इसलिए, उन्होंने संथाली समाज के लिए उनकी अपनी लिपि में संविधान की कॉपी तैयार करके भेंट-सौगात के रूप में दी है | मैं, श्रीपति जी की इस सोच और उनके प्रयासों की सराहना करता हूँ | ये ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना का जीवन्त उदाहरण है | इस भावना को आगे बढ़ाने वाले ऐसे बहुत से प्रयासों के बारे में, आपको, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की web site पर भी जानकारी मिलेगी | यहाँ आपको खान-पान, कला, संस्कृति, पर्यटन समेत ऐसे कई विषयों पर activities के बारे में पता चलेगा | आप, इन activities में हिस्सा भी ले सकते हैं, इससे आपको, अपने देश के बारे में जानकारी भी मिलेगी, और आप, देश की विविधता को महसूस भी करेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, इस समय हमारे देश में उत्तराखण्ड के ‘चार-धाम’ की पवित्र यात्रा चल रही है | ‘चार-धाम’ और खासकर केदारनाथ में हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु वहां पहुँच रहे हैं | लोग, अपनी ‘चार-धाम यात्रा’ के सुखद अनुभव share कर रहे हैं, लेकिन, मैंने, ये भी देखा कि, श्रद्धालु केदारनाथ में कुछ यात्रियों द्वारा फैलाई जा रही गन्दगी की वजह से बहुत दुखी भी हैं | Social media पर भी कई लोगों ने अपनी बात रखी है | हम, पवित्र यात्रा में जायें और वहां गन्दगी का ढ़ेर हो, ये ठीक नहीं | लेकिन साथियो, इन शिकायतों के बीच कई अच्छी तस्वीरें भी देखने को मिल रही हैं | जहां श्रद्धा है, वहाँ, सृजन और सकारात्मकता भी है | कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो बाबा केदार के धाम में दर्शन-पूजन के साथ-साथ स्वच्छता की साधना भी कर रहे हैं | कोई अपने ठहरने के स्थान के पास सफाई कर रहा है, तो कोई यात्रा मार्ग से कूड़ा-कचरा साफ कर रहा है | स्वच्छ भारत की अभियान टीम के साथ मिलकर कई संस्थाएँ और स्वयंसेवी संगठन भी वहां काम कर रहे हैं | साथियो, हमारे यहाँ जैसे तीर्थ-यात्रा का महत्व होता है, वैसे ही, तीर्थ-सेवा का भी महत्व बताया गया है, और मैं तो ये भी कहूँगा, तीर्थ-सेवा के बिना, तीर्थ-यात्रा भी अधूरी है | देवभूमि उत्तराखंड में से कितने ही लोग हैं जो स्वच्छता और सेवा की साधना में लगे हुए हैं I रूद्र प्रयाग के रहने वाले श्रीमान मनोज बैंजवाल जी से भी आपको बहुत प्रेरणा मिलेगी I मनोज जी ने पिछले पच्चीस वर्षों से पर्यावरण की देख-रेख का बीड़ा उठा रखा है I वो, स्वच्छता की मुहिम चलाने के साथ ही, पवित्र स्थलों को, प्लास्टिक मुक्त करने में भी जुटे रहते हैं I वहीँ गुप्तकाशी में रहने वाले - सुरेंद्र बगवाड़ी जी ने भी स्वच्छता को अपना जीवन मंत्र बना लिया है I वो, गुप्तकाशी में नियमित रूप से सफाई कार्यक्रम चलाते हैं, और, मुझे पता चला है कि इस अभियान का नाम भी उन्होंने ‘मन की बात’ रख लिया है I ऐसे ही, देवर गाँव की चम्पादेवी पिछले तीन साल से अपने गाँव की महिलाओं को कूड़ा प्रबंधन, यानी – waste management सिखा रही हैं I चंपा जी ने सैकड़ों पेड़ भी लगाये हैं और उन्होंने अपने परिश्रम से एक हरा भरा वन तैयार कर दिया है I साथियो, ऐसे ही लोगों के प्रयासों से देव भूमि और तीर्थों की वो दैवीय अनुभूति बनी हुई हैं, जिसे अनुभव करने के लिए हम वहाँ जाते हैं, इस देवत्व और आध्यात्मिकता को बनाए रखने की जिम्मेदारी हमारी भी तो है I अभी, हमारे देश में ‘चारधाम यात्रा’ के साथ-साथ आने वाले समय में ‘अमरनाथ यात्रा’, ‘पंढरपुर यात्रा’ और ‘जगन्नाथ यात्रा’ जैसे कई यात्राएं होंगी | सावन मास में तो शायद हर गांव में कोई-न-कोई मेला लगता है |
साथियो, हम जहाँ कही भी जाएँ, इन तीर्थ क्षेत्रों की गरिमा बनी रहे I सुचिता, साफ़-सफाई, एक पवित्र वातावरण हमें इसे कभी नहीं भूलना है, उसे ज़रूर बनाए रखें और इसीलिए ज़रूरी है, कि हम स्वच्छता के संकल्प को याद रखें | कुछ दिन बाद ही, 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाता है | पर्यावरण को लेकर हमें अपने आस-पास के सकारात्मक अभियान चलाने चाहिए और ये निरंतर करने वाला काम है | आप, इस बार सब को साथ जोड़ कर- स्वच्छता और वृक्षारोपण के लिए कुछ प्रयास ज़रूर करें | आप, खुद भी पेड़ लगाइये और दूसरों को भी प्रेरित करिए I
मेरे प्यारे देशवासियो, अगले महीने 21 जून को, हम 8वाँ ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ मनाने वाले हैं | इस बार ‘योग दिवस’ की theme है – Yoga for humanity मैं आप सभी से ‘योग दिवस’ को बहुत ही उत्साह के साथ मनाने का आग्रह करूँगाI I हाँ! कोरोना से जुड़ी सावधानियां भी बरतें, वैसे, अब तो पूरी दुनिया में कोरोना को लेकर हालात पहले से कुछ बेहतर लग रहे हैं, अधिक-से-अधिक vaccination coverage की वजह से अब लोग पहले से कहीं ज्यादा बाहर भी निकल रहे हैं, इसलिए, पूरी दुनिया में ‘योग दिवस’ को लेकर काफी तैयारियाँ भी देखने को मिल रही हैं I कोरोना महामारी ने हम सभी को यह एहसास भी कराया है, कि हमारे जीवन में, स्वास्थ्य का, कितना अधिक महत्व है, और योग, इसमें कितना बड़ा माध्यम है, लोग यह महसूस कर रहे हैं कि योग से physical, Spiritual और intellectual well being को भी कितना बढ़ावा मिलता है | विश्व के top Business person से लेकर film और sports personalities तक, students से लेकर सामान्य मानवी तक, सभी, योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना रहे हैं I मुझे पूरा विश्वास है, कि दुनिया भर में योग की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर आप सभी को बहुत अच्छा लगता होगा | साथियो, इस बार देश-विदेश में ‘योग दिवस’ पर होने वाले कुछ बेहद innovative उदाहरणों के बारे में मुझे जानकारी मिली है | इन्हीं में से एक है guardian Ring - एक बड़ा ही unique programme होगा | इसमें Movement of Sun को celebrate किया जाएगा, यानी, सूरज जैसे-जैसे यात्रा करेगा, धरती के अलग-अलग हिस्सों से, हम, योग के जरिये उसका स्वागत करेंगे | अलग-अलग देशों में Indian missions वहाँ के local time के मुताबिक सूर्योदय के समय योग कार्यक्रम आयोजित करेंगे | एक देश के बाद दूसरे देश से कार्यक्रम शुरू होगा | पूरब से पश्चिम तक निरंतर यात्रा चलती रहेगी, फिर ऐसे ही, ये, आगे बढ़ता रहेगा | इन कार्यक्रमों की streaming भी इसी तरह एक के बाद एक जुड़ती जायेगी, यानी, ये, एक तरह का Relay Yoga Streaming Event होगा | आप भी इसे जरूर देखिएगा |
साथियो, हमारे देश में इस बार ‘अमृत महोत्सव’ को ध्यान में रखते हुए देश के 75 प्रमुख स्थानों पर भी ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ का आयोजन होगा | इस अवसर पर कई संगठन और देशवासी ने अपने-अपने स्तर पर अपने-अपने क्षेत्र की खास जगहों पर कुछ न कुछ Innovative करने की तैयारी कर रहे हैं | मैं, आपसे भी ये आग्रह करूँगा, इस बार योग दिवस मनाने के लिए, आप, अपने शहर, कस्बे या गाँव के किसी ऐसी जगह चुनें, जो सबसे खास हो | ये जगह कोई प्राचीन मंदिर और पर्यटन केंद्र हो सकता है, या फिर, किसी प्रसिद्ध नदी, झील या तालाब का किनारा भी हो सकता है | इससे योग के साथ-साथ आपके क्षेत्र की पहचान भी बढ़ेगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा | इस समय ‘योग दिवस’ को लेकर 100 Day Countdown भी जारी है, या यूँ कहें कि निजी और सामाजिक प्रयासों से जुड़े कार्यक्रम, तीन महीने पहले ही शुरू हो चुके हैं | जैसा कि दिल्ली में 100वें दिन और 75वें दिन के countdown Programmes हुए हैं | वहीं, असम के शिवसागर में 50वें और हैदराबाद में 25वें Countdown Event आयोजित किये गए | मैं चाहूँगा कि आप भी अपने यहाँ अभी से ‘योग दिवस’ की तैयारियाँ शुरू कर दीजिये | ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलिए, हर किसी को ‘योग दिवस’ के कार्यक्रम में जुड़ने के लिए आग्रह कीजिये, प्रेरित कीजिये | मुझे पूरा भरोसा है कि आप सभी ‘योग दिवस’ में बढ़-चढ़कर के हिस्सा लेंगे, साथ ही योग को अपने दैनिक जीवन में भी अपनाएंगे |
साथियो, कुछ दिन पहले मैं जापान गया था | अपने कई कार्यक्रमों के बीच मुझे कुछ शानदार शख्सियतों से मिलने का मौका मिला | मैं, ‘मन की बात’ में, आपसे, उनके बारे में चर्चा करना चाहता हूँ | वे लोग हैं तो जापान के, लेकिन भारत के प्रति इनमें गज़ब का लगाव और प्रेम है | इनमें से एक हैं हिरोशि कोइके जी, जो एक जाने-माने Art Director हैं | आपको ये जानकार बहुत ही ख़ुशी होगी कि इन्होंने Mahabharat Project को Direct किया है | इस Project की शुरुआत Cambodia में हुई थी और पिछले 9 सालों से ये निरंतर जारी है ! हिरोशि कोइके जी हर काम बहुत ही अलग तरीके से करते हैं | वे, हर साल, एशिया के किसी देश की यात्रा करते हैं और वहां Local Artist और Musicians के साथ महाभारत के कुछ हिस्सों को Produce करते हैं | इस Project के माध्यम से उन्होंने India, Cambodia और Indonesia सहित नौ देशों में Production किये हैं और Stage Performance भी दी है | हिरोशि कोइके जी उन कलाकारों को एक साथ लाते हैं, जिनका Classical और Traditional Asian Performing Art में Diverse Background रहा है | इस वजह से उनके काम में विविध रंग देखने को मिलते हैं | Indonesia, Thailand, Malaysia और Japan के Performers जावा नृत्य, बाली नृत्य, थाई नृत्य के जरिए इसे और आकर्षक बना देते हैं | खास बात ये है कि इसमें प्रत्येक performer अपनी ही मातृ-भाषा में बोलता है और Choreography बहुत ही खूबसूरती से इस विविधता को प्रदर्शित करती है और Music की Diversity इस Production को और जीवंत बना देती है | उनका उद्देश्य इस बात को सामने लाना है कि हमारे समाज में Diversity और Co-existence का क्या महत्व है और शांति का रूप वास्तव में कैसा होना चाहिए | इनके अलावा, मैं, जापान में जिन अन्य दो लोगों से मिला, वे हैं, आत्सुशि मात्सुओ जी और केन्जी योशी जी | ये दोनों ही TEM Production Company से जुड़े हैं | इस company का संबंध रामायण की उस Japanese Animation Film से है, जो 1993 में Release हुई थी | यह Project जापान के बहुत ही मशहूर Film Director युगो साको जी से जुड़ा हुआ था | करीब 40 साल पहले, 1983 में, उन्हें, पहली बार रामायण के बारे में पता चला था | ‘रामायण’ उनके हृदय को छू गयी, जिसके बाद उन्होनें इस पर गहराई से research शुरू कर दी | इतना ही नहीं, उन्होंने, जापानी भाषा में रामायण के 10 versions पढ़ डाले, और वे इतने पर ही नहीं रुके, वे इसे, animation पर भी उतारना चाहते थे | इसमें Indian Animators ने भी उनकी काफी मदद की, उन्हें फिल्म में दिखाए गए भारतीय रीति-रिवाजों और परम्पराओं के बारे में guide किया गया | उन्हें बताया गया कि भारत में लोग धोती कैसे पहनते हैं, साड़ी कैसे पहनते हैं, बाल कैसे बनाते हैं | बच्चे परिवार के अंदर एक-दूसरे का मान-सम्मान कैसे करते हैं, आशीर्वाद की परंपरा क्या होती है | प्रात: उठ करके अपने घर के जो senior हैं उनको प्रणाम करना, उनके आशीर्वाद लेना - ये सारी बातें अब 30 सालों के बाद ये animation film फिर से 4K में re-master की जा रही है | इस project के जल्द ही पूरा होने की संभावना है | हमसे हज़ारों किलोमीटर दूर जापान में बैठे लोग जो न हमारी भाषा जानते हैं, जो न हमारी परम्पराओं के बारे में उतना जानते हैं, उनका हमारी संस्कृति के लिए समर्पण, ये श्रद्धा, ये आदर, बहुत ही प्रशंसनीय है - कौन हिन्दुस्तानी इस पर गर्व नही करेगा?
मेरे प्यारे देशवासियो, स्व से ऊपर उठकर समाज की सेवा का मंत्र, self for society का मंत्र, हमारे संस्कारों का हिस्सा है | हमारे देश में अनगिनत लोग इस मंत्र को अपना जीवन ध्येय बनाये हुए हैं | मुझे, आन्ध्र प्रदेश में, मर्कापुरम में रहने वाले एक साथी, राम भूपाल रेड्डी जी के बारे में जानकारी मिली | आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि रामभूपाल रेड्डी जी ने retirement के बाद मिलने वाली अपनी सारी कमाई बेटियों की शिक्षा के लिए दान कर दी है | उन्होंने, करीब – करीब 100 बेटियों के लिए ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ के तहत खाते खुलवाए, और उसमें अपने 25 लाख से ज्यादा रूपए जमा करवा दिये | ऐसे ही सेवा का एक और उदाहरण यू.पी. में आगरा के कचौरा गाँव का | काफी साल से इस गाँव में मीठे पानी की किल्लत थी | इस बीच, गाँव के एक किसान कुंवर सिंह को गाँव से 6-7 किलोमीटर दूर अपने खेत में मीठा पानी मिल गया | ये उनके लिए बहुत ख़ुशी की बात थी | उन्होंने सोचा क्यों न इस पानी से बाकी सभी गाँववासियों की भी सेवा की जाए | लेकिन, खेत से गाँव तक पानी ले जाने के लिए 30-32 लाख रूपए चाहिए थे | कुछ समय बाद कुंवर सिंह के छोटे भाई श्याम सिंह सेना से retire होकर गाँव आए, तो उन्हें ये बात पता चली | उन्होंने retirement पर मिली अपनी सारी धनराशि इस काम के लिए सौंप दी और खेत से गाँव तक pipeline बिछाकर गाँव वालों के लिए मीठा पानी पहुंचाया | अगर लगन हो, अपने कर्तव्यों के प्रति गंभीरता हो, तो एक व्यक्ति भी, कैसे पूरे समाज का भविष्य बदल सकता है, ये प्रयास इसकी बड़ी प्रेरणा है | हम कर्त्तव्य पथ पर चलते हुए ही समाज को सशक्त कर सकते हैं, देश को सशक्त कर सकते हैं | आजादी के इस ‘अमृत महोत्सव’ में यही हमारा संकल्प होना चाहिए और यही हमारी साधना भी होनी चाहिए और जिसका एक ही मार्ग है - कर्तव्य, कर्तव्य और कर्तव्य |
मेरे प्यारे देशवासियों, आज ‘मन की बात’ में हमने समाज से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की | आप सब, अलग अलग विषयों से जुड़े महत्वपूर्ण सुझाव मुझे भेजते हैं, और उन्हीं के आधार पर हमारी चर्चा आगे बढती है | ‘मन की बात’ के अगले संस्करण के लिए अपने सुझाव भेजना भी मत भूलिएगा | इस समय आज़ादी के अमृत महोत्सव से जुड़े जो कार्यक्रम चल रहे हैं, जिन आयोजन में आप शामिल हो रहे हैं, उनके बारे में भी मुझे जरूर बताइए | Namo app और MyGov पर मुझे आपके सुझावों का इंतज़ार रहेगा | अगली बार हम एक बार फिर मिलेंगे, फिर से देशवासियों से जुड़े ऐसे ही विषयों पर बातें करेंगे | आप, अपना ख्याल रखिए और अपने आसपास सभी जीव-जंतुओं का भी ख्याल रखिए | गर्मियों के इस मौसम में, आप, पशु-पक्षियों के लिए खाना-पानी देने का अपना मानवीय दायित्व भी निभाते रहें - ये जरुर याद रखिएगा, तब तक के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार |
नए विषयों के साथ, नए प्रेरक उदाहरणों के साथ, नए-नए संदेशों को समेटते हुए, एक बार फिर मैं आपसे ‘मन की बात’ करने आया हूँ | जानते हैं इस बार मुझे सबसे ज्यादा चिट्ठियाँ और संदेश किस विषय को लेकर मिली है? ये विषय ऐसा है जो इतिहास, वर्तमान और भविष्य तीनों से जुड़ा हुआ है | मैं बात कर रहा हूँ देश को मिले नए प्रधानमंत्री संग्रहालय की | इस 14 अप्रैल को बाबा साहेब अम्बेडकर की जन्म जयन्ती पर प्रधानमंत्री संग्रहालय का लोकार्पण हुआ है | इसे, देश के नागरिकों के लिए खोल दिया गया है | एक श्रोता हैं श्रीमान सार्थक जी, सार्थक जी गुरुग्राम में रहते हैं और पहला मौका मिलते ही वो प्रधानमंत्री संग्रहालय देख आए हैं | सार्थक जी ने Namo App पर जो संदेश मुझे लिखा है, वो बहुत interesting है | उन्होंने लिखा है कि वो बरसों से न्यूज़ चैनल देखते हैं, अखबार पढ़ते हैं, सोशल मीडिया से भी connected हैं, इसलिए उन्हें लगता था कि उनकी general knowledge काफी अच्छी होगी, लेकिन, जब वे पी.एम. संग्रहालय गए तो उन्हें बहुत हैरानी हुई, उन्हें महसूस हुआ कि वे अपने देश और देश का नेतृत्व करने वालों के बारे में काफी कुछ जानते ही नहीं हैं | उन्होंने, पी.एम. संग्रहालय की कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में लिखा है, जो उनकी जिज्ञासा को और बढ़ाने वाली थी, जैसे, उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री जी का वो चरखा देखकर बहुत खुशी हुई, जो, उन्हें ससुराल से उपहार में मिला था | उन्होंने शस्त्री जी की पासबुक भी देखी और यह भी देखा कि उनके पास कितनी कम बचत थी | सार्थक जी ने लिखा है कि उन्हें ये भी नहीं पता था कि मोरारजी भाई देसाई स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने से पहले गुजरात में Deputy Collector थे | प्रशासनिक सेवा में उनका एक लंबा career रहा था | सार्थक जी चौधरी चरण सिंह जी के विषय में वो लिखते हैं कि उन्हें पता ही नहीं था कि जमींदारी उन्मूलन के क्षेत्र में चौधरी चरण सिंह जी का बहुत बड़ा योगदान था | इनता ही नहीं वे आगे लिखते हैं जब Land reform के विषय में वहाँ मैंने देखा कि श्रीमान पी.वी. नरसिम्हा राव जी Land Reform के काम में बहुत गहरी रूचि लेते थे | सार्थक जी को भी इस Museum में आकर ही पता चला कि चंद्रशेखर जी ने 4 हज़ार किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर ऐतिहासिक भारत यात्रा की थी | उन्होंने जब संग्रहालय में उन चीज़ों को देखा जो अटल जी उपयोग करते थे, उनके भाषणों को सुना, तो वो, गर्व से भर उठे थे | सार्थक जी ने ये भी बताया कि इस संग्रहालय में महात्मा गाँधी, सरदार पटेल, डॉ० अम्बेडकर, जय प्रकाश नारायण और हमारे प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में भी बहुत ही रोचक जानकारियाँ हैं |
साथियो, देश के प्रधानमंत्रियों के योगदान को याद करने के लिए आज़ादी के अमृत महोत्सव से अच्छा समय और क्या हो सकता है | देश के लिए यह गौरव की बात है कि आज़ादी का अमृत महोत्सव एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है| इतिहास को लेकर लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ रही है और ऐसे में पी.एम. म्यूजियम युवाओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन रहा है जो देश की अनमोल विरासत से उन्हें जोड़ रहा है |
वैसे साथियो, जब म्यूजियम के बारे में आपसे इतनी बातें हो रही हैं तो मेरा मन किया कि मैं भी आपसे कुछ सवाल करूं | देखते हैं आपकी जनरल नॉलेज (General knowledge) क्या कहती है - आपको कितनी जानकारी है|| मेरे नौजवान साथियो आप तैयार हैं, कागज़ कलम हाथ में ले लिया? अभी मैं आपसे जो पूछने जा रहा हूँ, आप उनके उत्तर NaMo App या social media पर #MuseumQuiz के साथ share कर सकते हैं और जरुर करें | मेरा आपसे आग्रह है कि आप इन सभी सवालों का जवाब ज़रूर दें | इससे देश-भर के लोगों में म्यूजियम को लेकर दिलचस्पी और बढ़ेगी | क्या आप जानते हैं कि देश के किस शहर में एक प्रसिद्ध रेल म्यूजियम है, जहाँ पिछले 45 वषों से लोगो को भारतीय रेल की विरासत देखने का मौका मिल रहा है | मैं आपको एक और clue देता हूं | आप यहाँ Fairy Queen (फ़ेयरी क्वीन), Saloon of Prince of Wales (सलून ऑफ़ प्रिन्स ऑफ़ वेल्स) से लेकर Fireless Steam Locomotive (फ़ायरलेस स्टीम लोकोमोटिव) ये भी देख सकते हैं | क्या आप जानते हैं कि मुंबई में वो कौन सा म्यूजियम है, जहाँ हमें बहुत ही रोचक तरीके से Currency का Evolution देखने को मिलता है ? यहाँ ईसा पूर्व छठी शताब्दी के सिक्के मौजूद हैं तो दूसरी तरफ e-Money भी मौजूद है | तीसरा सवाल ‘विरासत-ए-खालसा’ इस म्यूजियम से जुड़ा है | क्या आप जानते हैं, ये म्यूजियम, पंजाब के किस शहर में मौजूद है? पतंगबाजी में तो आप सबको बहुत आनंद आता ही होगा, अगला सवाल इसी से जुड़ा है | देश का एकमात्र Kite Museum कहाँ है? आइए मैं आपको एक clue देता हूं यहाँ जो सबसे बड़ी पतंग रखी है, उसका आकार 22 गुणा 16 फीट है | कुछ ध्यान आया – नहीं तो यहीं - एक और चीज़ बताता हूँ - यह जिस शहर में है, उसका बापू से विशेष नाता रहा है | बचपन में डाक टिकटों के संग्रह का शौक किसे नहीं होता! लेकिन, क्या आपको पता है कि भारत में डाक टिकट से जुड़ा नेशनल म्यूजियम कहाँ है? मैं आपसे एक और सवाल करता हूँ | गुलशन महल नाम की इमारत में कौन सा म्यूजियम है? आपके लिए clue ये है कि इस म्यूजियम में आप फिल्म के डायरेक्टर भी बन सकते हैं, कैमरा, एडिटिंग की बारीकियों को भी देख सकते हैं | अच्छा! क्या आप ऐसे किसी म्यूजियम के बारे में जानते हैं जो भारत की textile से जुड़ी विरासत को celebrate करता है | इस म्यूजियम में miniature paintings (मिनियेचर पेंटिंग्स), Jaina manuscripts (जैन मैनुस्क्रिप्ट्स), sculptures (स्कल्पचर) - बहुत कुछ है | ये अपने unique display के लिए भी जाना जाता है |
साथियो, technology के इस दौर में आपके लिए इनके उत्तर खोजना बहुत आसान है | ये प्रश्न मैंने इसलिए पूछे ताकि हमारी नई पीढ़ी में जिज्ञासा बढ़े, वो इनके बारे में और पढ़ें, इन्हें देखने जाएँ| अब तो, म्यूजियम्स के महत्व की वजह से, कई लोग, खुद आगे आकर, म्यूजियम्स के लिए काफ़ी दान भी कर रहे हैं| बहुत से लोग अपने पुराने collection को, ऐतिहासिक चीज़ों को भी, म्यूजियम्स को दान कर रहे हैं | आप जब ऐसा करते हैं तो एक तरह से आप एक सांस्कृतिक पूँजी को पूरे समाज के साथ साझा करते हैं | भारत में भी लोग अब इसके लिए आगे आ रहे हैं | मैं, ऐसे सभी निजी प्रयासों की भी सराहना करता हूँ | आज, बदलते हुए समय में और Covid Protocols की वजह से संग्रहालयों में नए तौर-तरीके अपनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है | Museums में Digitisation पर भी Focus बढ़ा है | आप सब जानते हैं कि 18 मई को पूरी दुनिया में International Museum day मनाया जाएगा | इसे देखते हुए अपने युवा साथियों के लिए मेरे पास एक idea है | क्यों न आने वाली छुट्टियों में, आप, अपने दोस्तों की मंडली के साथ, किसी स्थानीय Museum को देखने जाएं | आप अपना अनुभव #MuseumMemories के साथ ज़रूर साझा करें | आपके ऐसा करने से दूसरों के मन में भी संग्रहालयों के लेकर जिज्ञासा जगेगी |
मेरे प्यारे देशवासियो, आप अपने जीवन में बहुत से संकल्प लेते होंगे, उन्हें पूरा करने के लिए परिश्रम भी करते होंगे | साथियो, लेकिन हाल ही में, मुझे ऐसे संकल्प के बारे में पता चला, जो वाकई बहुत अलग था, बहुत अनोखा था | इसलिए मैंने सोचा कि इसे ‘मन की बात’ के श्रोताओं को ज़रूर share करूं |
साथियो, क्या आप सोच सकते हैं कि कोई अपने घर से ये संकल्प लेकर निकले कि वो आज दिन भर, पूरा शहर घूमेगा और एक भी पैसे का लेन-देन cash में नहीं करेगा, नकद में नहीं करेगा - है ना ये दिलचस्प संकल्प | दिल्ली की दो बेटियाँ, सागरिका और प्रेक्षा ने ऐसे ही Cashless Day Out का experiment किया | सागरिका और प्रेक्षा दिल्ली में जहाँ भी गईं, उन्हें digital payment की सुविधा उपलब्ध हो गयी | UPI QR code की वजह से उन्हें cash निकालने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी | यहाँ तक कि street food और रेहड़ी-पटरी की दुकानों पर भी ज्यादातर जगह उन्हें online transaction की सुविधा मिली |
साथियो, कोई सोच सकता है कि दिल्ली है, मेट्रो सिटी है, वहां ये सब होना आसान है | लेकिन अब ऐसा नहीं है कि UPI का ये प्रसार केवल दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक ही सीमित है | एक message मुझे गाजियाबाद से आनंदिता त्रिपाठी का भी मिला है | आनंदिता पिछले सप्ताह अपने पति के साथ North East घूमने गई थीं | उन्होंने असम से लेकर मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के तवांग तक की अपनी यात्रा का अनुभव मुझे बताया | आपको भी ये जानकर सुखद हैरानी होगी कि कई दिन की इस यात्रा में दूर-दराज इलाकों में भी उन्हें cash निकालने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी | जिन जगहों पर कुछ साल पहले तक internet की अच्छी सुविधा भी नहीं थी, वहां भी अब UPI से payment की सुविधा मौजूद है | सागरिका, प्रेक्षा और आनंदिता के अनुभवों को देखते हुए मैं आपसे भी आग्रह करूँगा कि Cashless Day Out का experiment करके देखें, जरुर करें|
साथियो, पिछले कुछ सालों में BHIM UPI तेजी से हमारी economy और आदतों का हिस्सा बन गया है | अब तो छोटे-छोटे शहरों में और ज्यादातर गांवों में भी लोग UPI से ही लेन-देन कर रहे हैं | Digital Economy से देश में एक culture भी पैदा हो रहा है | गली-नुक्कड़ की छोटी-छोटी दुकानों में Digital Payment होने से उन्हें ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को service देना आसान हो गया है | उन्हें अब खुले पैसों की भी दिक्कत नहीं होती | आप भी UPI की सुविधा को रोज़मर्रा के जीवन में महसूस करते होंगे | कहीं भी गए, cash ले जाने का, बैंक जाने का, ATM खोजने का, झंझट ही ख़त्म | मोबाइल से ही सारे payment हो जाते हैं, लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि आपके इन छोटे-छोटे online payment से देश में कितनी बड़ी digital economy तैयार हुई है | इस समय हमारे देश में करीब 20 हज़ार करोड़ रुपए के transactions हर दिन हो रहे हैं | पिछले मार्च के महीने में तो UPI transaction करीब 10 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया | इससे देश में सुविधा भी बढ़ रही है और ईमानदारी का माहौल भी बन रहा है | अब तो देश में Fin-tech से जुड़े कई नये Start-ups भी आगे बढ़ रहे हैं | मैं चाहूँगा कि अगर आपके पास भी digital payment और start-up ecosystem की इस ताकत से जुड़े अनुभव हैं तो उन्हें साझा करिए | आपके अनुभव दूसरे कई और देशवासियों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, Technology की ताकत कैसे सामान्य लोगों का जीवन बदल रही है, ये हमें हमारे आस-पास लगातार नजर आ रहा है | Technology ने एक और बड़ा काम किया है | ये काम है दिव्यांग साथियों की असाधारण क्षमताओं का लाभ देश और दुनिया को दिलाना | हमारे दिव्यांग भाई-बहन क्या कर सकते हैं, ये हमने Tokyo Paralympics में देखा है | खेलों की तरह ही, arts, academics और दूसरे कई क्षेत्रों में दिव्यांग साथी कमाल कर रहे हैं, लेकिन, जब इन साथियों को technology की ताकत मिल जाती है, तो ये और भी बड़े मुकाम हासिल करके दिखाते हैं | इसीलिए, देश आजकल लगातार संसाधनों और infrastructure को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है | देश में ऐसे कई Start-ups और संगठन भी हैं जो इस दिशा में प्रेरणादायी काम कर रहे हैं | ऐसी ही एक संस्था है – Voice of specially-abled people, ये संस्था assistive technology के क्षेत्र में नए अवसरों को promote कर रही है | जो दिव्यांग कलाकार हैं, उनके काम को, दुनिया तक, पहुंचाने के लिए भी एक innovative शुरुआत की गई है | Voice of specially abled people के इन कलाकारों की paintings की Digital art gallery तैयार की है | दिव्यांग साथी किस तरह असाधारण प्रतिभाओं के धनी होते हैं और उनके पास कितनी असाधारण क्षमताएं होती हैं - ये Art gallery इसका एक उदाहरण है | दिव्यांग साथियों के जीवन में कैसी चुनौतियाँ होती हैं, उनसे निकलकर, वो, कहाँ तक पहुँच सकते हैं ! ऐसे कई विषयों को इन paintings में आप महसूस कर सकते हैं | आप भी अगर किसी दिव्यांग साथी को जानते हैं, उनके talent को जानते हैं, तो Digital technology की मदद से उसे दुनिया के सामने ला सकते हैं | जो दिव्यांग साथी हैं, वो भी इस तरह के प्रयासों से जरुर जुड़ें |
मेरे प्यारे देशवासियो, देश के ज़्यादातर हिस्सों में गर्मी बहुत तेजी से बढ़ रही है | बढ़ती हुई ये गर्मी, पानी बचाने की हमारी ज़िम्मेदारी को भी उतना ही बढ़ा देती है | हो सकता है कि आप अभी जहां हों, वहां पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो | लेकिन, आपको उन करोड़ों लोगों को भी हमेशा याद रखना है, जो जल संकट वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जिनके लिए पानी की एक-एक बूंद अमृत के समान होती है |
साथियो, इस समय आजादी के 75वें साल में, आजादी के अमृत महोत्सव में, देश जिन संकल्पों को लेकर आगे बढ़ रहा है, उनमें जल संरक्षण भी एक है | अमृत महोत्सव के दौरान देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाये जायेंगे | आप कल्पना कर सकते हैं कि कितना बड़ा अभियान है | वो दिन दूर नहीं जब आपके अपने शहर में 75 अमृत सरोवर होंगे | मैं, आप सभी से, और खासकर, युवाओं से चाहूँगा कि वो इस अभियान के बारे में जानें और इसकी जिम्मेदारी भी उठायें | अगर आपके क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा कोई इतिहास है, किसी सेनानी की स्मृति है, तो उसे भी अमृत सरोवर से जोड़ सकते हैं | वैसे मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि अमृत सरोवर का संकल्प लेने के बाद कई स्थलों पर इस पर तेजी से काम शुरू हो चुका है | मुझे यूपी के रामपुर की ग्राम पंचायत पटवाई के बारे में जानकारी मिली है | वहां पर ग्राम सभा की भूमि पर एक तालाब था, लेकिन वो, गंदगी और कूड़े के ढेर से भरा हुआ था | पिछले कुछ हफ्तों में बहुत मेहनत करके, स्थानीय लोगों की मदद से, स्थानीय स्कूली बच्चों की मदद से, उस गंदे तालाब का कायाकल्प हो गया है | अब, उस सरोवर के किनारे retaining wall, चारदीवारी, food court, फव्वारे और lightening भी न जाने क्या-क्या व्यवस्थायें की गयी है | मैं रामपुर की पटवाई ग्राम पंचायत को, गांव को लोगों को, वहां के बच्चों को इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं |
साथियो, पानी की उपलब्धता और पानी की क़िल्लत, ये किसी भी देश की प्रगति और गति को निर्धारित करते हैं | आपने भी गौर किया होगा कि ‘मन की बात’ में, मैं, स्वच्छता जैसे विषयों के साथ ही बार-बार जल संरक्षण की बात जरुर करता हूँ | हमारे तो ग्रंथों में स्पष्ट रूप से कहा गया है –
पानियम् परमम् लोके, जीवानाम् जीवनम् समृतम् ||
अर्थात, संसार में, जल ही, हर एक जीव के, जीवन का आधार है और जल ही सबसे बड़ा संसाधन भी है, इसीलिए तो हमारे पूर्वजों ने जल संरक्षण के लिए इतना ज़ोर दिया | वेदों से लेकर पुराणों तक, हर जगह पानी बचाने को, तालाब, सरोवर आदि बनवाने को, मनुष्य का सामाजिक और आध्यात्मिक कर्तव्य बताया गया है | वाल्मीकि रामायण में जल स्त्रोतों को जोड़ने पर, जल संरक्षण पर, विशेष जोर दिया गया है | इसी तरह, इतिहास के Students जानते होंगे, सिन्धु-सरस्वती और हडप्पा सभ्यता के दौरान भी भारत में पानी को लेकर कितनी विकसित Engineering होती थी | प्राचीन काल में कई शहर में जल-स्त्रोतों का आपस में Interconnected System होता था और ये वो समय था, जब, जनसंख्या उतनी नहीं थी, प्राकृतिक संसाधनों की क़िल्लत भी नहीं थी, एक प्रकार से विपुलता थी, फिर भी, जल संरक्षण को लेकर, तब, जागरूकता बहुत ज्यादा थी | लेकिन, आज स्थिति इसके उलट है | मेरा आप सभी से आग्रह है, आप अपने इलाके के ऐसे पुराने तालाबों, कुँओं और सरोवरों के बारे में जानें | अमृत सरोवर अभियान की वजह से जल संरक्षण के साथ-साथ आपके इलाके की पहचान भी बनेगी | इससे शहरों में, मोहल्लों में, स्थानीय पर्यटन के स्थल भी विकसित होंगे, लोगों को घूमने-फिरने की भी एक जगह मिलेगी |
साथियो, जल से जुड़ा हर प्रयास हमारे कल से जुड़ा है | इसमें पूरे समाज की ज़िम्मेदारी होती है | इसके लिए सदियों से अलग-अलग समाज, अलग-अलग प्रयास लगातार करते आये हैं | जैसे कि, “कच्छ के रण” की एक जनजाति ‘मालधारी’ जल संरक्षण के लिए “वृदास” नाम का तरीका इस्तेमाल करती है | इसके तहत छोटे कुएं बनाए जाते हैं और उसके बचाव के लिए आस-पास पेड़-पौधे लगाए जाते हैं | इसी तरह मध्य प्रदेश की भील जनजाति ने अपनी एक ऐतिहासिक परम्परा “हलमा” को जल संरक्षण के लिए इस्तेमाल किया | इस परम्परा के अंतर्गत इस जन-जाति के लोग पानी से जुड़ी समस्याओं का उपाय ढूँढने के लिए एक जगह पर एकत्रित होते हैं | हलमा परम्परा से मिले सुझावों की वजह से इस क्षेत्र में पानी का संकट कम हुआ है और भू-जल स्तर भी बढ़ रहा है |
साथियो, ऐसी ही कर्तव्य का भाव अगर सबके मन में आ जाए, तो जल संकट से जुड़ी बड़ी से बड़ी चुनौतियों का समाधान हो सकता है | आइये, आजादी के अमृत महोत्सव में हम जल-संरक्षण और जीवन-संरक्षण का संकल्प लें | हम बूंद-बूंद जल बचाएंगे और हर एक जीवन बचाएंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, आपने देखा होगा कि कुछ दिन पहले मैंने अपने युवा दोस्तों से, students से ‘परीक्षा पर चर्चा’ की थी | इस चर्चा के दौरान कुछ students ने कहा कि उन्हें Exam में गणित से डर लगता है | इसी तरह की बात कई विद्यार्थियों ने मुझे अपने संदेश में भी भेजी थी | उस समय ही मैंने ये तय किया था कि गणित-mathematics पर मैं इस बार के ‘मन की बात’ में जरुर चर्चा करुंगा | साथियो, गणित तो ऐसा विषय है जिसे लेकर हम भारतीयों को सबसे ज्यादा सहज होना चाहिए | आखिर, गणित को लेकर पूरी दुनिया के लिए सबसे ज्यादा शोध और योगदान भारत के लोगों ने ही तो दिया है | शून्य, यानी, जीरो की खोज और उसके महत्व के बारे में आपने खूब सुना भी होगा | अक्सर आप ये भी सुनते होंगे कि अगर zero की खोज न होती, तो शायद हम, दुनिया की इतनी वैज्ञानिक प्रगति भी न देख पाते | Calculus से लेकर Computers तक – ये सारे वैज्ञानिक आविष्कार Zero पर ही तो आधारित हैं | भारत के गणितज्ञों और विद्वानों ने यहाँ तक लिखा है कि –
यत किंचित वस्तु तत सर्वं, गणितेन बिना नहि !
अर्थात, इस पूरे ब्रह्मांड में जो कुछ भी है, वो सब कुछ गणित पर ही आधारित है | आप विज्ञान की पढ़ाई को याद करिए, तो इसका मतलब आपको समझ आ जाएगा | विज्ञान का हर principle एक Mathematical Formula में ही तो व्यक्त किया जाता है | न्यूटन के laws हों, Einstein का famous equation, ब्रह्मांड से जुड़ा सारा विज्ञान एक गणित ही तो है | अब तो वैज्ञानिक भी Theory of Everything की भी चर्चा करते हैं, यानी, एक ऐसा Single formula जिससे ब्रह्मांड की हर चीज को अभिव्यक्त किया जा सके | गणित के सहारे वैज्ञानिक समझ के इतने विस्तार की कल्पना हमारे ऋषियों ने हमेशा से की है | हमने अगर शून्य का अविष्कार किया, तो साथ ही अनंत, यानि, infinite को भी express किया है | सामान्य बोल-चाल में जब हम संख्याओं और numbers की बात करते हैं, तो million, billion और trillion तक बोलते और सोचते हैं, लेकिन, वेदों में और भारतीय गणित में ये गणना बहुत आगे तक जाती है | हमारे यहाँ एक बहुत पुराना श्लोक प्रचलित है –
एकं दशं शतं चैव, सहस्रम् अयुतं तथा |
लक्षं च नियुतं चैव, कोटि: अर्बुदम् एव च ||
वृन्दं खर्वो निखर्व: च, शंख: पद्म: च सागर: |
अन्त्यं मध्यं परार्ध: च, दश वृद्ध्या यथा क्रमम् ||
इस श्लोक में संख्याओं का order बताया गया है | जैसे कि –
एक, दस, सौ, हज़ार और अयुत !
लाख, नियुत और कोटि यानी करोड़ |
इसी तरह ये संख्या जाती है – शंख, पद्म और सागर तक | एक सागर का अर्थ होता है कि 10 की power 57 | यही नहीं इसके आगे भी, ओघ और महोघ जैसी संख्याएँ होती हैं | एक महोघ होता है – 10 की power 62 के बराबर, यानी, एक के आगे 62 शून्य, sixty two zero | हम इतनी बड़ी संख्या की कल्पना भी दिमाग में करते हैं तो मुश्किल होती है, लेकिन, भारतीय गणित में इनका प्रयोग हजारों सालों से होता आ रहा है | अभी कुछ दिन पहले मुझसे Intel कंपनी के CEO मिले थे | उन्होंने मुझे एक painting दी थी उसमें भी वामन अवतार के जरिये गणना या माप की ऐसी ही एक भारतीय पद्धति का चित्रण किया गया था | Intel का नाम आया तो Computer आपके दिमाग में अपने आप आ गया होगा | Computer की भाषा में आपने binary system के बारे में भी सुना होगा, लेकिन, क्या आपको पता है, कि हमारे देश में आचार्य पिंगला जैसे ऋषि हुए थे, जिन्होंने, binary की कल्पना की थी | इसी तरह, आर्यभट्ट से लेकर रामानुजन जैसे गणितज्ञों तक गणित के कितने ही सिद्धांतों पर हमारे यहाँ काम हुआ है |
साथियो, हम भारतीयों के लिए गणित कभी मुश्किल विषय नहीं रहा, इसका एक बड़ा कारण हमारी वैदिक गणित भी है | आधुनिक काल में वैदिक गणित का श्रेय जाता है – श्री भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज को | उन्होंने Calculation के प्राचीन तरीकों को revive किया और उसे वैदिक गणित नाम दिया | वैदिक गणित की सबसे खास बात ये थी कि इसके जरिए आप कठिन से कठिन गणनाएँ पलक झपकते ही मन में ही कर सकते हैं | आज-कल तो social media पर वैदिक गणित सीखने और सिखाने वाले ऐसे कई युवाओं के videos भी आपने देखे होंगे |
साथियो, आज ‘मन की बात’ में वैदिक गणित सिखाने वाले एक ऐसे ही साथी हमारे साथ भी जुड़ रहे हैं | ये साथी हैं कोलकाता के गौरव टेकरीवाल जी | और वो पिछले दो-ढाई दशक से वैदिक mathematics इस movement को बड़े समर्पित भाव से आगे बढ़ा रहे हैं | आईये, उनसे ही कुछ बातें करते हैं |
मोदी जी – गौरव जी नमस्ते !
गौरव – नमस्ते सर !
मोदी जी – मैंने सुना है कि आप Vedic Maths के लिए काफी रूचि रखते हैं, बहुत कुछ करते हैं | तो पहले तो मैं आपके विषय में कुछ जानना चाहूँगा और बाद में इस विषय में आपकी रूचि कैसे हैं जरा मुझे बताइये ?
गौरव – सर जब मैं बीस साल पहले जब Business School के लिए apply कर रहा था तो उसकी competitive exam होती थी जिसका नाम है CAT | उसमें बहुत सारे गणित के सवाल आते थे | जिसको कम समय में करना पड़ता था | तो मेरी माँ ने मुझे एक Book लाकर दिया जिसका नाम था वैदिक गणित | स्वामी श्री भारतीकृष्णा तीर्थ जी महाराज ने वो book लिखी थी | और उसमे उन्होंने 16 सूत्र दिए थे | जिसमे गणित बहुत ही सरल और बहुत ही तेज हो जाता था | जब मैंने वो पढ़ा तो मुझे बहुत प्रेरणा मिली और फिर मेरी रूचि जागृत हुई Mathematics में | मुझे समझ में आया कि ये subject जो भारत की देन है, जो हमारी धरोहर है उसको विश्व के कोने-कोने में पहुँचाया जा सकता है | तब से मैंने इसको एक mission बनाया कि वैदिक गणित को विश्व के कोने-कोने में पहुंचाया जाये | क्योंकि गणित की डर हर जन को सताती है | और वैदिक गणित से सरल और क्या हो सकता है |
मोदी जी – गौरव जी कितने सालों से आप इसमें काम कर रहे हैं ?
गौरव – मुझे आज हो गए करीबन 20 साल सर ! मैं उसमें ही लगा हुआ हूँ |
मोदी जी – और Awareness के लिए क्या करते हैं, क्या-क्या प्रयोग करते हैं, कैसे जाते हैं लोगों के पास ?
गौरव – हम लोग schools में जाते हैं, हम लोग online शिक्षा देते हैं | हमारी संस्था का नाम है Vedic Maths Forum India | उस संस्था के तहत हम लोग internet के माध्यम से 24 घंटे Vedic Maths पढ़ाते हैं सर !
मोदी जी – गौरव जी आप तो जानते है मैं लगातार बच्चों के साथ बातचीत करना पसंद भी करता हूँ और मैं अवसर ढूंढता रहता हूँ | और exam warrior से तो मैं बिल्कुल एक प्रकार से मैंने उसको Institutionalized कर दिया है और मेरा भी अनुभव है कि ज्यादातर जब बच्चों से बात करता हूँ तो गणित का नाम सुनते ही वो भाग जाते हैं और तो मेरी कोशिश यही है कि ये बिना कारण जो एक हव्वा पैदा हुआ है उसको निकाला जाये, ये डर निकाला जाये और छोटी-छोटी technique जो परम्परा से है, जो कि भारत, गणित के विषय में कोई नया नहीं है | शायद दुनिया में पुरातन परम्पराओं में भारत के पास गणित की परम्परा रही है, तो exam warrior को डर निकालना है तो आप क्या कहेंगे उनको ?
गौरव – सर ये तो सबसे ज्यादा उपयोगी है बच्चों के लिए, क्योंकि, exam का जो डर होता है जो हव्वा हो गया है हर घर में | Exam के लिए बच्चे tuition लेते हैं, Parents परेशान रहते हैं | Teacher भी परेशान होते हैं | तो वैदिक गणित से ये सब छूमंतर हो जाता है | इस साधारण गणित की अपेक्षा में वैदिक गणित पंद्रह सौ percent तेज है और इससे बच्चों में बहुत confidence आता है और दिमाग भी तेजी से चलता है | जैसे, हम लोग वैदिक गणित के साथ योग भी introduce किये हैं | जिससे कि बच्चे अगर चाहे तो आँख बंद करके भी calculation कर सकते हैं वैदिक गणित पद्दति के द्वारा |
मोदी जी – वैसे ध्यान की जो परंपरा है उसमें भी इस प्रकार से गणित करना वो भी ध्यान का एक primary course भी होता है |
गौरव – Right Sir !
मोदी जी – चलिए गौरव जी, बहुत अच्छा लगा मुझे और आपने mission mode में इस काम को उठाया है और विशेषकर की आपकी माता जी ने एक अच्छे गुरु के रूप में आपको ये रास्ते पर ले गई | और आज आप लाखों बच्चों को उस रास्ते पर ले जा रहे हैं | मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं |
गौरव – शुक्रिया सर ! मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ सर ! कि वैदिक गणित को आपने महत्व दिया और मुझे चुना सर ! तो we are very thankful.
मोदी जी - बहुत-बहुत धन्यवाद | नमस्कार |
गौरव – नमस्ते सर |
साथियो, गौरव जी ने बड़े अच्छे तरीके से बताया कि वैदिक गणित कैसे गणित को मुश्किल से मज़ेदार बना सकता है | यही नहीं, वैदिक गणित से आप बड़ी-बड़ी scientific problems भी solve कर सकते हैं | मैं चाहूँगा, सभी माता-पिता अपने बच्चों को वैदिक गणित जरुर सिखाएँ | इससे, उनका Confidence तो बढ़ेगा ही, उनके brain की analytical power भी बढ़ेगी और हाँ, गणित को लेकर कुछ बच्चों में जो भी थोड़ा बहुत डर होता है, वो डर भी पूरी तरह समाप्त हो जाएगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में आज Museum से लेकर math तक कई ज्ञानवर्धक विषयों पर चर्चा हुई | ये सब विषय आप लोगों के सुझावों से ही ‘मन की बात’ का हिस्सा बन जाते हैं | मुझे आप इसी तरह, आगे भी अपने सुझाव Namo App और MyGov के जरिए भेजते रहिए | आने वाले दिनों में देश में ईद का त्योहार भी आने वाला है | 3 मई को अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम की जयंती भी मनाई जाएगी | कुछ दिन बाद ही वैशाख बुध पूर्णिमा का पर्व भी आएगा | ये सभी त्योहार संयम, पवित्रता, दान और सौहार्द के पर्व हैं | आप सभी को इन पर्वों की अग्रिम शुभकामनायें | इन पर्वों को खूब उल्लास और सौहार्द के साथ मनाइए | इन सबके बीच, आपको कोरोना से भी सतर्क रहना है | मास्क लगाना, नियमित अंतराल पर हाथ धुलते रहना, बचाव के लिए जो भी जरुरी उपाय हैं, आप उनका पालन करते रहें | अगली बार ‘मन की बात’ में हम फिर मिलेंगे और आपके भेजे गए कुछ और नये विषयों पर चर्चा करेंगे - तब तक के लिए विदा लेते हैं | बहुत बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | बीते सप्ताह हमने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की, जिसने हम सबको गर्व से भर दिया | आपने सुना होगा कि भारत ने पिछले सप्ताह 400 बिलियन डॉलर, यानी, 30 लाख करोड़ रुपये के export का target हासिल किया है | पहली बार सुनने में लगता है कि ये अर्थव्यवस्था से जुड़ी बात है, लेकिन ये, अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा, भारत के सामर्थ्य, भारत के potential से जुड़ी बात है | एक समय में भारत से export का आँकड़ा कभी 100 बिलियन, कभी डेढ़-सौ बिलियन, कभी 200 सौ बिलियन तक हुआ करता था, अब आज, भारत 400 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया है | इसका एक मतलब ये कि दुनिया भर में भारत में बनी चीज़ों की demand बढ़ रही है, दूसरा मतलब ये कि भारत की supply chain दिनों-दिन और मजबूत हो रही है और इसका एक बहुत बड़ा सन्देश भी है | देश, विराट कदम तब उठाता है जब सपनों से बड़े संकल्प होते हैं | जब संकल्पों के लिये दिन-रात ईमानदारी से प्रयास होता है, तो वो संकल्प, सिद्ध भी होते हैं, और आप देखिये, किसी व्यक्ति के जीवन में भी तो ऐसा ही होता है | जब किसी के संकल्प, उसके प्रयास, उसके सपनों से भी बड़े हो जाते हैं तो सफलता उसके पास खुद चलकर के आती है |
साथियो, देश के कोने-कोने से नए-नए product जब विदेश जा रहे हैं | असम के हैलाकांडी के लेदर प्रोडक्ट (leather product) हों या उस्मानाबाद के handloom product, बीजापुर की फल-सब्जियाँ हों या चंदौली का black rice, सबका export बढ़ रहा है | अब, आपको लद्धाख की विश्व प्रसिद्द एप्रिकोट(apricot) दुबई में भी मिलेगी और सउदी अरब में, तमिलनाडु से भेजे गए केले मिलेंगे | अब सबसे बड़ी बात ये कि नए-नए products, नए-नए देशों को भेजे जा रहे हैं | जैसे हिमाचल, उत्तराखण्ड में पैदा हुए मिलेट्स(millets)मोटे अनाज की पहली खेप डेनमार्क को निर्यात की गयी | आंध्र प्रदेश के कृष्णा और चित्तूर जिले के बंगनपल्ली और सुवर्णरेखा आम, दक्षिण कोरिया को निर्यात किये गए | त्रिपुरा से ताजा कटहल, हवाई रास्ते से, लंदन निर्यात किये गए और तो और पहली बार नागालैंड की राजा मिर्च को लंदन भेजा गया | इसी तरह भालिया गेहूं की पहली खेप, गुजरात से Kenya और Sri Lanka निर्यात की गयी | यानी, अब आप दूसरे देशों में जाएंगे, तो Made in India products पहले की तुलना में कहीं ज्यादा नज़र आएँगे |
साथियो, यह list बहुत लम्बी है और जितनी लम्बी ये list है, उतनी ही बड़ी Make in India की ताकत है, उतना ही विराट भारत का सामर्थ्य है, और सामर्थ्य का आधार है – हमारे किसान, हमारे कारीगर, हमारे बुनकर, हमारे इंजीनियर, हमारे लघु उद्यमी, हमारा MSME Sector, ढ़ेर सारे अलग-अलग profession के लोग, ये सब इसकी सच्ची ताकत हैं | इनकी मेहनत से ही 400 बिलियन डॉलर के export का लक्ष्य प्राप्त हो सका है और मुझे खुशी है कि भारत के लोगों का ये सामर्थ्य अब दुनिया के कोने-कोने में, नए बाजारों में पहुँच रहा है | जब एक-एक भारतवासी local के लिए vocal होता है, तब, local को global होते देर नहीं लगती है | आइये, local को global बनाएँ और हमारे उत्पादों की प्रतिष्ठा को और बढायें |
साथियो, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को यह जानकर के अच्छा लगेगा कि घरेलू स्तर पर भी हमारे लघु उद्यमियों की सफलता हमें गर्व से भरने वाली है | आज हमारे लघु उद्यमी सरकारी खरीद में Government e-Market place यानी GeM के माध्यम से बड़ी भागीदारी निभा रहे हैं | Technology के माध्यम से बहुत ही transparent व्यवस्था विकसित की गयी है | पिछले एक साल में GeM portal के जरिए, सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की चीजें खरीदी हैं | देश के कोने-कोने से करीब-करीब सवा-लाख लघु उद्यमियों, छोटे दुकानदारों ने अपना सामान सरकार को सीधे बेचा है | एक ज़माना था जब बड़ी कम्पनियां ही सरकार को सामान बेच पाती थीं | लेकिन अब देश बदल रहा है, पुरानी व्यवस्थाएँ भी बदल रही हैं | अब छोटे से छोटा दुकानदार भी GeM Portal पर सरकार को अपना सामान बेच सकता है – यही तो नया भारत है | ये न केवल बड़े सपने देखता है, बल्कि उस लक्ष्य तक पहुँचने का साहस भी दिखाता है, जहां पहले कोई नहीं पहुँचा है | इसी साहस के दम पर हम सभी भारतीय मिलकर आत्मनिर्भर भारत का सपना भी जरुर पूरा करेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, हाल ही में हुए पदम् सम्मान समारोह में आपने बाबा शिवानंद जी को जरुर देखा होगा | 126 साल के बुजुर्ग की फुर्ती देखकर मेरी तरह हर कोई हैरान हो गया होगा और मैंने देखा, पलक झपकते ही, वो नंदी मुद्रा में प्रणाम करने लगे | मैंने भी बाबा शिवानंद जी को झुककर बार-बार प्रणाम किया | 126 वर्ष की आयु और बाबा शिवानंद की Fitness, दोनों, आज देश में चर्चा का विषय है | मैंने Social Media पर कई लोगों का comment देखा, कि बाबा शिवानंद, अपनी उम्र से चार गुना कम आयु से भी ज्यादा fit हैं | वाकई, बाबा शिवानंद का जीवन हम सभी को प्रेरित करने वाला है | मैं उनकी दीर्घ आयु की कामना करता हूँ | उनमें योग के प्रति एक Passion है और वे बहुत Healthy Lifestyle जीते हैं |
जीवेम शरदः शतम् |
हमारी संस्कृति में सबको सौ-वर्ष के स्वस्थ जीवन की शुभकामनाएँ दी जाती हैं | हम 7 अप्रैल को ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ मनाएंगे | आज पूरे विश्व में health को लेकर भारतीय चिंतन चाहे वो योग हो या आयुर्वेद इसके प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है | अभी आपने देखा होगा कि पिछले ही सप्ताह कतर में एक योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया | इसमें 114 देशों के नागरिकों ने हिस्सा लेकर एक नया World Record बना दिया | इसी तरह से Ayush Industry का बाजार भी लगातार बड़ा हो रहा है | 6 साल पहले आयुर्वेद से जुड़ी दवाइयों का बाजार 22 हजार करोड़ रुपए के आसपास का था | आज Ayush Manufacturing Industry, एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपए के आसपास पहुँच रही है, यानि इस क्षेत्र में संभावनाएँ लगातार बढ़ रही हैं | Start-Up World में भी, आयुष, आकर्षण का विषय बनता जा रहा है |
साथियो, Health Sector के दूसरे Start-Ups पर तो मैं पहले भी कई बार बात कर चुका हूँ, लेकिन इस बार Ayush Start-Ups पर आपसे विशेष तौर पर बात करूँगा | एक Start-Up है Kapiva ! (कपिवा) | इसके नाम में ही इसका मतलब छिपा है | इसमें Ka का मतलब है- कफ, Pi का मतलब है- पित्त और Va का मतलब है- वात | यह Start-Up हमारी परम्पराओं के मुताबिक Healthy Eating Habits पर आधारित है | एक और Start-Up, निरोग-स्ट्रीट भी, Ayurveda Healthcare Ecosystem में एक अनूठा Concept है | इसका Technology-driven Platform, दुनिया-भर के Ayurveda Doctors को सीधे लोगों से जोड़ता है | 50 हजार से अधिक Practitioners इससे जुड़े हुए हैं | इसी तरह, Atreya (आत्रेय) Innovations, एक Healthcare Technology Start-Ups है, जो, Holistic Wellness के क्षेत्र में काम कर रहा है | Ixoreal (इक्जोरियल) ने न केवल अश्वगंधा के उपयोग को लेकर जागरूकता फैलाई है, बल्कि Top-Quality Production Processes पर भी बड़ी मात्रा में निवेश किया है | Cureveda (क्योरवेदा) ने जड़ी-बूटियों के आधुनिक शोध और पारंपरिक ज्ञान के संगम से Holistic Life के लिए Dietary Supplements का निर्माण किया है |
साथियो, अभी तो मैंने कुछ ही नाम गिनाए हैं, ये लिस्ट बहुत लंबी है | ये भारत के युवा उद्यमियों और भारत में बन रही नई संभावनाओं का प्रतीक है | मेरा Health Sector के Start-Ups और विशेषकर Ayush Start-Ups से एक आग्रह भी है | आप Online जो भी Portal बनाते हैं, जो भी Content create करते हैं, वो संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त सभी भाषाओँ में भी बनाने का प्रयास करें | दुनिया में बहुत सारे ऐसे देश हैं जहाँ अंग्रेजी न इतनी बोली जाती है और ना ही इतनी समझी जाती है | ऐसे देशों को भी ध्यान में रखकर अपनी जानकारी का प्रचार-प्रसार करें | मुझे विश्वास है, भारत के Ayush Start-Ups बेहतर Quality के Products के साथ, जल्द ही, दुनिया भर में छा जायेंगे |
साथियो, स्वास्थ्य का सीधा संबंध स्वच्छता से भी जुड़ा है | ‘मन की बात’ में, हम हमेशा स्वच्छता के आग्रहियों के प्रयासों को जरूर बताते हैं | ऐसे ही एक स्वच्छाग्रही हैं चंद्रकिशोर पाटिल जी | ये महाराष्ट्र में नासिक में रहते हैं | चंद्रकिशोर जी का स्वच्छता को लेकर संकल्प बहुत गहरा है | वो गोदावरी नदी के पास खड़े रहते हैं, और लोगों को लगातार नदी में कूड़ा-कचरा न फेंकने के लिए प्रेरित करते हैं | उन्हें कोई ऐसा करता दिखता है, तो तुरंत उसे मना करते हैं | इस काम में चंद्रकिशोर जी अपना काफी समय खर्च करते हैं | शाम तक उनके पास ऐसी चीजों का ढेर लग जाता है, जो लोग नदी में फेंकने के लिए लाए होते हैं | चंद्रकिशोर जी का ये प्रयास, जागरूकता भी बढ़ाता है, और, प्रेरणा भी देता है | इसी तरह, एक और स्वच्छाग्रही हैं – उड़ीसा में पुरी के राहुल महाराणा | राहुल हर रविवार को सुबह-सुबह पुरी में तीर्थ स्थलों के पास जाते हैं, और वहाँ plastic कचरा साफ करते हैं | वो अब तक सैकड़ों किलो plastic कचरा और गंदगी साफ कर चुके हैं | पुरी के राहुल हों या नासिक के चंद्रकिशोर, ये हम सबको बहुत कुछ सिखाते हैं | नागरिक के तौर पर हम अपने कर्तव्यों को निभाएं, चाहे स्वच्छता हो, पोषण हो, या फिर टीकाकरण, इन सारे प्रयासों से भी स्वस्थ रहने में मदद मिलती है |
मेरे प्यारे देशवासियो, आइये बात करते है केरला के मुपट्टम श्री नारायणन जी की | उन्होंने एक project के शुरुआत की है जिसका नाम है – ‘Pots for water of life’. आप जब इस project के बारे में जानोगे तो सोचेंगे कि क्या कमाल का काम है |
साथियो, मुपट्टम श्री नारायणन जी, गर्मी के दौरान पशु-पक्षियों, को पानी की दिक्कत ना हो, इसके लिए मिट्टी के बर्तन बांटने का अभियान चला रहे हैं | गर्मियों में वो पशु-पक्षियों की इस परेशानी को देखकर खुद भी परेशान हो उठते थे | फिर उन्होंने सोचा कि क्यों ना वो खुद ही मिट्टी के बर्तन बांटने शुरू कर दें ताकि दूसरों के पास उन बर्तनों में सिर्फ पानी भरने का ही काम रहे | आप हैरान रह जाएंगे कि नारायणन जी द्वारा बांटे गए बर्तनों का आंकड़ा एक लाख को पार करने जा रहा है | अपने अभियान में एक लाखवां बर्तन वो गांधी जी द्वारा स्थापित साबरमती आश्रम में दान करेंगे | आज जब गर्मी के मौसम ने दस्तक दे दी है, तो नारायणन जी का यह काम हम सब को ज़रूर प्रेरित करेगा और हम भी इस गर्मी में हमारे पशु-पक्षी मित्रों के लिए पानी की व्यवस्था करेंगे |
साथियो, मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं से भी आग्रह करूंगा कि हम अपने संकल्पों को फिर से दोहराएं | पानी की एक-एक बूंद बचाने के लिए हम जो भी कुछ कर सकते हैं, वो हमें जरूर करना चाहिए | इसके अलावा पानी की Recycling पर भी हमें उतना ही जोर देते रहना है | घर में इस्तेमाल किया हुआ जो पानी गमलों में काम आ सकता है, Gardening में काम आ सकता है, वो जरुर दोबारा इस्तेमाल किया जाना चाहिए | थोड़े से प्रयास से आप अपने घर में ऐसी व्यवस्थाएं बना सकते हैं | रहीमदास जी सदियों पहले, कुछ मकसद से ही कहकर गए हैं कि ‘रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून’ | और पानी बचाने के इस काम में मुझे बच्चों से बहुत उम्मीद है | स्वच्छता को जैसे हमारे बच्चों ने आंदोलन बनाया, वैसे ही वो ‘Water Warrior’ बनकर, पानी बचाने में मदद कर सकते हैं |
साथियो, हमारे देश में जल संरक्षण, जल स्रोतों की सुरक्षा, सदियों से समाज के स्वभाव का हिस्सा रहा है | मुझे खुशी है कि देश में बहुत से लोगों ने Water Conservation को life mission ही बना दिया है | जैसे चेन्नई के एक साथी हैं अरुण कृष्णमूर्ति जी ! अरुण जी अपने इलाके में तालाबों और झीलों को साफ करने का अभियान चला रहे हैं | उन्होंने 150 से ज्यादा तालाबों-झीलों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी उठाई और उसे सफलता के साथ पूरा किया | इसी तरह, महाराष्ट्र के एक साथी रोहन काले हैं | रोहन पेशे से एक HR Professional हैं | वो महाराष्ट्र के सैकड़ों Stepwells यानी सीढ़ी वाले पुराने कुओं के संरक्षण की मुहिम चला रहे हैं | इनमें से कई कुएं तो सैकड़ों साल पुराने होते हैं, और हमारी विरासत का हिस्सा होते हैं | सिकंदराबाद में बंसीलाल -पेट कुआँ एक ऐसा ही Stepwell है | बरसों की उपेक्षा के कारण ये stepwell मिट्टी और कचरे से ढक गया था | लेकिन अब वहाँ इस stepwell को पुनर्जीवित करने का अभियान जनभागीदारी से शुरू हुआ है |
साथियो, मैं तो उस राज्य से आता हूँ, जहाँ पानी की हमेशा बहुत कमी रही है | गुजरात में इन Stepwells को वाव कहते हैं | गुजरात जैसे राज्य में वाव की बड़ी भूमिका रही है | इन कुओं या बावड़ियों के संरक्षण के लिए ‘जल मंदिर योजना’ ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई | पूरे गुजरात में अनेकों बावड़ियों को पुनर्जीवित किया गया | इससे इन इलाकों में वाटर लेवेल(water level) को बढ़ाने में भी काफी मदद मिली | ऐसे ही अभियान आप भी स्थानीय स्तर पर चला सकते हैं | Check Dam बनाने हों, Rain Water Harvesting हो, इसमें Individual प्रयास भी अहम हैं और Collective Efforts भी जरूरी हैं | जैसे आजादी के अमृत महोत्सव में हमारे देश के हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर बनाए जा सकते हैं | कुछ पुराने सरोवरों को सुधारा जा सकता है, कुछ नए सरोवर बनाए जा सकते हैं | मुझे विशवास है, आप इस दिशा में कुछ ना कुछ प्रयास जरूर करेंगे |
मरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ उसकी एक खूबसूरती ये भी है कि मुझे आपके सन्देश बहुत सी भाषाओं, बहुत सी बोलियों में मिलते हैं | कई लोग MYGOV पर Audio massage भी भेजते हैं | भारत की संस्कृति, हमारी भाषाओं, हमारी बोलियाँ, हमारे रहन-सहन, खान-पान का विस्तार, ये सारी विविधताएँ हमारी बहुत बड़ी ताकत है | पूरब से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक भारत को यही विविधता, एक करके रखती हैं , एक भारत-श्रेष्ठ भारत बनाती हैं | इसमें भी हमारे ऐतिहासिक स्थलों और पौराणिक कथाओं, दोनों का बहुत योगदान होता है | आप सोच रहे होंगे कि ये बात मैं अभी आपसे क्यों कर रहा हूँ | इसकी वजह है “माधवपुर मेला” | माधवपुर मेला कहाँ लगता है, क्यों लगता है, कैसे ये भारत की विविधता से जुड़ा है, ये जानना मन की बात के श्रोताओं को बहुत Interesting लगेगा |
साथियो, “माधवपुर मेला” गुजरात के पोरबंदर में समुद्र के पास माधवपुर गाँव में लगता है | लेकिन इसका हिन्दुस्तान के पूर्वी छोर से भी नाता जुड़ता है | आप सोच रहे होंगें कि ऐसा कैसे संभव है ? तो इसका भी उत्तर एक पौराणिक कथा से ही मिलता है | कहा जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व भगवान् श्री कृष्ण का विवाह, नार्थ ईस्ट की राजकुमारी रुक्मणि से हुआ था | ये विवाह पोरबंदर के माधवपुर में संपन्न हुआ था और उसी विवाह के प्रतीक के रूप में आज भी वहां माधवपुर मेला लगता है | East और West का ये गहरा नाता, हमारी धरोहर है | समय के साथ अब लोगों के प्रयास से, माधवपुर मेले में नई- नई चीजें भी जुड़ रही हैं | हमारे यहाँ कन्या पक्ष को घराती कहा जाता है और इस मेले में अब नार्थ ईस्ट से बहुत से घराती भी आने लगे हैं| एक सप्ताह तक चलने वाले माधवपुर मेले में नार्थ ईस्ट के सभी राज्यों के आर्टिस्ट(artist) पहुंचते हैं, हेंडीक्राफ्ट(handicraft) से जुड़े कलाकार पहुंचतें हैं और इस मेले की रौनक को चार चाँद लग जाते हैं | एक सप्ताह तक भारत के पूरब और पश्चिम की संस्कृतियों का ये मेल, ये माधवपुर मेला, एक भारत - श्रेष्ठ भारत की बहुत सुन्दर मिसाल बना रहा है| मेरा आपसे आग्रह है, आप भी इस मेले के बारे में पढ़ें और जानें |
मेरे प्यारे देशवासियो, देश में आज़ादी का अमृत महोत्सव, अब जन भागीदारी की नई मिसाल बन रहा है | कुछ दिन पहले 23 मार्च को शहीद दिवस पर देश के अलग - अलग कोने में अनेक समारोह हुए | देश ने अपनी आज़ादी के नायक- नायिकाओं को याद किया श्रद्धा पूर्वक याद किया | इसी दिन मुझे कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में बिप्लॉबी भारत गैलरी के लोकार्पण का भी अवसर मिला | भारत के वीर क्रांतिकारियों को श्रद्धांजली देने के लिए यह अपने आप में बहुत ही अनूठी गैलरी(gallery) है | यदि अवसर मिले, तो आप इसे देखने ज़रूर जाइयेगा | साथियो, अप्रैल के महीने में हम दो महान विभूतियों की जयंती भी मनाएंगे | इन दोनों ने ही भारतीय समाज पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है | ये महान विभूतियाँ हैं- महात्मा फुले और बाबा साहब अम्बेडकर | महात्मा फुले की जयंती 11 अप्रैल को, और बाबा साहब की जयंती हम 14 अप्रैल को मनाएंगे | इन दोनों ही महापुरुषों ने भेदभाव और असमानता के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी | महात्मा फुले ने उस दौर में बेटियों के लिए स्कूल खोले, कन्या शिशु हत्या के खिलाफ आवाज़ उठाई | उन्होंने जल – संकट से मुक्ति दिलाने के लिए भी बड़े अभियान चलाये |
साथियो, महात्मा फुले की इस चर्चा में सावित्रीबाई फुले जी का भी उल्लेख उतना ही ज़रूरी है | सावित्रीबाई फुले ने कई सामाजिक संस्थाओं के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई | एक शिक्षिका और एक समाज सुधारक के रूप में उन्होंने समाज को जागरूक भी किया और उसका हौंसला भी बढाया | दोनों ने साथ मिलकर सत्यशोधक समाज की स्थापना की | जन-जन के सशक्तिकरण के प्रयास किए | हमें बाबा साहब अम्बेडकर के कार्यों में भी महात्मा फुले के प्रभाव साफ़ दिखाई देते हैं | वो कहते भी थे कि किसी भी समाज के विकास का आकलन उस समाज में महिलाओं की स्थिति को देख कर किया जा सकता है | महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले, बाबा साहब अम्बेडकर के जीवन से प्रेरणा लेते हुए, मैं सभी माता –पिता और अभिभावकों से अनुरोध करता हूँ कि वे बेटियों को ज़रूर पढ़ायें | बेटियों का स्कूल में दाखिला बढ़ाने के लिए कुछ दिन पहले ही कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव भी शुरू किया गया है, जिन बेटियों की पढाई किसी वजह से छूट गई है, उन्हें दोबारा स्कूल लाने पर फोकस(focus) किया जा रहा है |
साथियो, ये हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है कि हमें बाबासाहेब से जुड़े पंच तीर्थ के लिए कार्य करने का भी अवसर मिला है | उनका जन्म-स्थान महू हो, मुंबई में चैत्यभूमि हो, लंदन का उनका घर हो, नागपुर की दीक्षा भूमि हो, या दिल्ली में बाबासाहेब का महा-परिनिर्वाण स्थल, मुझे सभी जगहों पर, सभी तीर्थों पर जाने का सौभाग्य मिला है | मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं से आग्रह करूँगा कि वे महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले और बाबासाहेब अम्बेडकर से जुड़ी जगहों के दर्शन करने जरुर जाएँ | आपको वहाँ बहुत कुछ सीखने को मिलेगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में इस बार भी हमने अनेक विषयों पर बात की | अगले महीने बहुत से पर्व-त्योहार आ रहे हैं | कुछ ही दिन बात ही नवरात्र है | नवरात्र में हम व्रत-उपवास, शक्ति की साधना करते हैं, शक्ति की पूजा करते हैं, यानी हमारी परम्पराएं हमें उल्लास भी सिखाती हैं और संयम भी | संयम और तप भी हमारे लिए पर्व ही है, इसलिए नवरात्र हमेशा से हम सभी के लिए बहुत विशेष रही है | नवरात्र के पहले ही दिन गुड़ी पड़वा का पर्व भी है | अप्रैल में ही Easter भी आता है और रमजान के पवित्र दिन भी शुरू हो रहे हैं | हम सबको साथ लेकर अपने पर्व मनाएँ, भारत की विविधता को सशक्त करें, सबकी यही कामना है | इस बार ‘मन की बात’ में इतना ही | अगले महीने आपसे नए विषयों के साथ फिर मुलाकात होगी | बहुत-बहुत धन्यवाद !
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | ‘मन की बात’ में फिर एक बार आप सबका स्वागत है | आज ‘मन की बात’ की शुरुआत हम, भारत की सफलता के ज़िक्र के साथ करेंगे | इस महीने की शुरुआत में भारत, इटली से अपनी एक बहुमूल्य धरोहर को लाने में सफल हुआ है | ये धरोहर है, अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की हजार साल से भी ज्यादा पुरानी प्रतिमा | ये मूर्ति कुछ वर्ष पहले बिहार में गया जी के देवी स्थान कुंडलपुर मंदिर से चोरी हो गई थी | लेकिन अनेक प्रयासों के बाद अब भारत को ये प्रतिमा वापस मिल गई है | ऐसे ही कुछ वर्ष पहले तमिलनाडु के वेल्लूर से भगवान आंजनेय्यर, हनुमान जी की प्रतिमा चोरी हो गई थी | हनुमान जी की ये मूर्ति भी 600-700 साल पुरानी थी | इस महीने की शुरुआत में, ऑस्ट्रेलिया में हमें ये प्राप्त हुई, हमारे मिशन को मिल चुकी है |
साथियो, हजारों वर्षों के हमारे इतिहास में, देश के कोने-कोने में एक-से-बढ़कर एक मूर्तियां हमेशा बनती रहीं, इसमें श्रद्धा भी थी, सामर्थ्य भी था, कौशल्य भी था और विवधताओं से भरा हुआ था और हमारे हर मूर्तियों के इतिहास में तत्कालीन समय का प्रभाव भी नज़र आता है | ये भारत की मूर्तिकला का नायाब उदहारण तो थीं हीं, इनसे हमारी आस्था भी जुड़ी हुई थी | लेकिन, अतीत में बहुत सारी मूर्तियां चोरी होकर भारत से बाहर जाती रहीं | कभी इस देश में, तो कभी उस देश में ये मूर्तियां बेचीं जाती रहीं और उनके लिए वो तो सिर्फ कलाकृति थी | न उनको उसके इतिहास से लेना देना था, श्रद्धा से लेना देना था | इन मूर्तियों को वापस लाना, भारत माँ के प्रति हमारा दायित्व है | इन मूर्तियों में भारत की आत्मा का, आस्था का अंश है | इनका एक सांस्कृतिक-ऐतिहासिक महत्व भी है | इस दायित्व को समझते हुए भारत ने अपने प्रयास बढ़ाए | और इसका कारण ये भी हुआ कि चोरी करने की जो प्रवृति थी, उसमें भी एक भय पैदा हुआ | जिन देशों में ये मूर्तियां चोरी करके ले जाई गईं थीं, अब उन्हें भी लगने लगा कि भारत के साथ रिश्तों में soft power का जो diplomatic channel होता है उसमें इसका भी बहुत बड़ा महत्व हो सकता है | क्योंकि इसके साथ भारत की भावनाएँ जुड़ी हुई हैं, भारत की श्रद्धा जुड़ी हुई है, और, एक प्रकार से people to people relation में भी ये बहुत ताकत पैदा करता है | अभी आपने कुछ दिन पहले देखा होगा, काशी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा भी वापस लाई गई थी | ये भारत के प्रति बदल रहे वैश्विक नजरिये का ही उदाहरण है | साल 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं भारत आयी थीं | लेकिन, पिछले सात साल में 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को, भारत, सफलता के साथ वापस ला चुका है | अमेरिका, ब्रिटेन, हॉलैंड, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, सिंगापुर, ऐसे कितने ही देशों ने भारत की इस भावना को समझा है और मूर्तियां वापस लाने में हमारी मदद की है | मैं पिछले साल सितम्बर में जब अमेरिका गया था, तो वहां मुझे काफी पुरानी-पुरानी कई सारी प्रतिमाएँ और सांस्कृतिक महत्व की अनेक चीजें प्राप्त हुई | देश की जब कोई बहुमूल्य धरोहर वापस मिलती है, तो स्वाभाविक है इतिहास में श्रद्धा रखने वाले, archaeology में श्रद्धा रखने वाले, आस्था और संस्कृति के साथ जुड़े हुए लोग, और एक हिन्दुस्तानी के नाते, हम सबको, संतोष मिलना बहुत स्वाभाविक है |
साथियो, भारतीय संस्कृति और अपनी धरोहर की बात करते हुए मैं आज आपको ‘मन की बात’ में दो लोगों से मिलवाना चाहता हूं | इन दिनों फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर तंजानिया की दो भाई-बहन किलि पॉल और उनकी बहन नीमा ये बहुत चर्चा में हैं, और मुझे पक्का भरोसा है, आपने भी, उनके बारे में जरुर सुना होगा | उनके अंदर भारतीय संगीत को लेकर एक जुनून है, एक दीवानगी है और इसी वजह से वे काफी लोकप्रिय भी हैं | Lip Sync के उनके तरीके से पता चलता है कि इसके लिए वे कितनी ज्यादा मेहनत करते हैं | हाल ही में, गणतन्त्र दिवस के अवसर पर हमारा राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ गाते हुए उनका वीडियो खूब वायरल हुआ था | कुछ दिन पहले उन्होंने लता दीदी का एक गाना गाकर उनको भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि भी दी थी | मैं इस अद्भुत Creativity के लिए इन दोनों भाई-बहन किलि और नीमा उनकी बहुत सराहना करता हूं | कुछ दिन पहले तंजानिया में भारतीय दूतावास में इन्हें सम्मानित भी किया गया है | भारतीय संगीत का जादू ही कुछ ऐसा है, जो सबको मोह लेता है | मुझे याद है, कुछ वर्ष पहले दुनिया के डेढ़ सौ से ज्यादा देशों के गायकों-संगीतकारों ने अपने-अपने देश में, अपनी-अपनी वेशभूषा में पूज्य बापू का प्रिय, महात्मा गाँधी का प्रिय भजन, ‘वैष्णव जन’ गाने का सफल प्रयोग किया था |
आज जब भारत अपनी आज़ादी के 75वाँ वर्ष का महत्वपूर्ण पर्व मना रहा है, तो देशभक्ति के गीतों को लेकर भी ऐसे प्रयोग किए जा सकते हैं | जहाँ विदेशी नागरिकों को, वहाँ के प्रसिद्ध गायकों को, भारतीय देशभक्ति के गीत गाने के लिये आमंत्रित करें | इतना ही नहीं अगर तंजानिया में किलि और नीमा भारत के गीतों को इस प्रकार से Lip Sync कर सकते हैं तो क्या मेरे देश में, हमारे देश की कई भाषाओं में, कई प्रकार के गीत हैं क्या हम कोई गुजराती बच्चे तमिल गीत पर करें, कोई केरल के बच्चे असमिया गीत पर करें, कोई कन्नड़ बच्चे जम्मू-कश्मीर के गीतों पर करें | एक ऐसा माहौल बना सकते हैं हम, जिसमें ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ हम अनुभव कर सकेंगे | इतना ही नहीं हम आजादी के अमृत महोत्सव को एक नए तरीके से जरुर मना सकते हैं | मैं देश के नौजवानों से आह्वाहन करता हूँ, आइए, कि भारतीय भाषाओँ के जो popular गीत हैं उनको आप अपने तरीके से video बनाइए, बहुत popular हो जाएंगे आप | और देश की विविधताओं का नयी पीढ़ी को परिचय होगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, अभी कुछ दिन पहले ही, हमने, मातृभाषा दिवस मनाया | जो विद्वान लोग हैं, वो मातृभाषा शब्द कहाँ से आया, इसकी उत्त्पति कैसे हुई, इसे लेकर बहुत academic input दे सकते हैं | मैं तो मातृभाषा के लिए यही कहूँगा कि जैसे हमारे जीवन को हमारी माँ गढ़ती है, वैसे ही, मातृभाषा भी, हमारे जीवन को गढ़ती है | माँ और मातृभाषा, दोनों मिलकर जीवन की foundation को मजबूत बनाते हैं, चिरंजीव बनाते हैं | जैसे, हम अपनी माँ को नहीं छोड़ सकते, वैसे ही, अपनी मातृभाषा को भी नहीं छोड़ सकते | मुझे बरसों पहले की एक बात याद है, जब, मुझे अमेरिका जाना हुआ, तो, अलग-अलग परिवारों में जाने का मौका मिलता था, कि एक बार मेरा एक तेलुगू परिवार में जाना हुआ और मुझे एक बहुत खुशी का दृश्य वहां देखने को मिला | उन्होंने मुझे बताया कि हम लोगों ने परिवार में नियम बनाया है कि कितना ही काम क्यों न हो, लेकिन अगर हम शहर के बाहर नहीं हैं तो परिवार के सभी सदस्य dinner, table पर बैठकर साथ में लेंगे और दूसरा dinner की table पर compulsory हर कोई तेलुगू भाषा में ही बोलेगा | जो बच्चे वहाँ पैदा हुए थे, उनके लिए भी ये नियम था | अपनी मातृभाषा के प्रति ये प्रेम देखकर इस परिवार से मैं बहुत प्रभावित हुआ था |
साथियो, आजादी के 75 साल बाद भी कुछ लोग ऐसे मानसिक द्वन्द में जी रहे हैं जिसके कारण उन्हें अपनी भाषा, अपने पहनावे, अपने खान-पान को लेकर एक संकोच होता है, जबकि, विश्व में कहीं और ऐसा नहीं है | हमारी मातृभाषा है, हमें उसे गर्व के साथ बोलना चाहिए | और, हमारा भारत तो भाषाओं के मामले में इतना समृद्ध है कि उसकी तुलना ही नहीं हो सकती | हमारी भाषाओं की सबसे बड़ी खूबसूरती ये है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक सैकड़ों भाषाएं, हजारों बोलियाँ एक दूसरे से अलग लेकिन एक दूसरे में रची-बसी हुई हैं - भाषा अनेक - भाव एक | सदियों से हमारी भाषाएँ एक दूसरे से सीखते हुए खुद को परिष्कृत करती रही है, एक दूसरे का विकास कर रही हैं | भारत में विश्व की सबसे पुरानी भाषा तमिल है और इस बात का हर भारतीय को गर्व होना चाहिए कि दुनिया की इतनी बड़ी विरासत हमारे पास है | उसी प्रकार से जितने पुराने धर्मशास्त्र हैं, उसकी अभिव्यक्ति भी हमारी संस्कृत भाषा में है | भारत के लोग, करीब, 121, यानी हमें गर्व होगा 121 प्रकार की मातृ भाषाओं से जुड़े हुए हैं और इनमे 14 भाषाएँ तो ऐसी हैं जो एक करोड़ से भी ज्यादा लोग रोजमर्रा की जिंदगी में बोलते हैं | यानी, जितनी कई यूरोपियन देशों की कुल जनसंख्या नहीं है, उससे ज्यादा लोग हमारे यहाँ अलग-अलग 14 भाषाओं से जुड़े हुए हैं | साल 2019 में, हिन्दी, दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे क्रमांक पर थी | इस बात का भी हर भारतीय को गर्व होना चाहिए | भाषा, केवल अभिव्यक्ति का ही माध्यम नहीं है, बल्कि, भाषा, समाज की संस्कृति और विरासत को भी सहेजने का काम करती है | अपनी भाषा की विरासत को सहेजने का ऐसा ही काम सूरीनाम में सुरजन परोही जी कर रहे हैं | इस महीने की 2 तारीख को वो 84 वर्ष के हुए हैं | उनके पूर्वज भी बरसों पहले, हज़ारों श्रमिकों के साथ, रोजी-रोटी के लिए सूरीनाम गए थे | सुरजन परोही जी हिन्दी में बहुत अच्छी कविता लिखते हैं, वहां के राष्ट्रीय कवियों में उनका नाम लिया जाता है | यानी, आज भी उनके दिल में हिन्दुस्तान धड़कता है, उनके कार्यों में हिन्दुस्तानी मिट्टी की महक है | सूरीनाम के लोगों ने सुरजन परोही जी के नाम पर एक संग्रहालय भी बनाया है | मेरे लिए ये बहुत सुखद है कि साल 2015 में मुझे उन्हें सम्मानित करने का अवसर मिला था |
साथियो, आज के दिन, यानी, 27 फरवरी को मराठी भाषा गौरव दिवस भी है |
“सर्व मराठी बंधु भगिनिना मराठी भाषा दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा|”
ये दिन मराठी कविराज, विष्णु बामन शिरवाडकर जी, श्रीमान कुसुमाग्रज जी को समर्पित है | आज ही कुसुमाग्रज जी की जन्म जयंती भी है | कुसुमाग्रज जी ने मराठी में कवितायेँ लिखी, अनेकों नाटक लिखे, मराठी साहित्य को नई ऊँचाई दी |
साथियो, हमारे यहाँ भाषा की अपनी खूबियाँ हैं, मातृभाषा का अपना विज्ञान है | इस विज्ञान को समझते हुए ही, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में, स्थानीय भाषा में, पढ़ाई पर जोर दिया गया है | हमारे Professional courses भी स्थानीय भाषा में पढ़ाए जाएँ, इसका प्रयास हो रहा है | आज़ादी के अमृत काल में इस प्रयासों को हम सब ने मिलकर के बहुत गति देनी चाहिये, ये स्वाभिमान का काम है | मैं चाहूँगा, आप जो भी मातृभाषा बोलते हैं, उसकी खूबियों के बारे में अवश्य जानेँ और कुछ-ना-कुछ लिखें |
साथियो, कुछ दिनों पहले मेरी मुलाकात, मेरे मित्र, और Kenya के पूर्व प्रधानमंत्री राइला ओडिंगा जी से हुई थी | ये मुलाकात, दिलचस्प तो थी ही लेकिन बहुत भावुक थी | हम बहुत अच्छे मित्र रहे तो खुलकर के काफी बातें भी कर लेते हैं | जब हम दोनों बातें कर रहे थे, तो ओडिंगा जी ने अपनी बिटिया के बारे में बताया | उनकी बेटी Rosemary को Brain Tumour हो गया था और इस वजह से उन्हें अपनी बिटिया की Surgery करानी पड़ी थी | लेकिन, उसका एक दुष्परिणाम ये हुआ कि Rosemary की आंखों की रोशनी करीब-करीब चली गई, दिखाई देना ही बंद हो गया | अब आप कल्पना कर सकते हैं उस बेटी का क्या हाल हुआ होगा और एक पिता की स्थिति का भी हम अंदाज लगा सकते हैं, उनकी भावनाओं को समझ सकते हैं | उन्होंने दुनियाभर के अस्पतालों में, कोई भी दुनिया का बड़ा देश ऐसा नहीं होगा, कि जहाँ उन्होंने, बेटी के इलाज के लिए, भरपूर कोशिश न की हो | दुनिया के बड़े-बड़े देश छान मारे, लेकिन, कोई सफलता नहीं मिली और एक प्रकार से सारी आशायें छोड़ दी पूरे घर में एक निराशा का वातावरण बन गया | इतने में, किसी ने उनको, भारत में, आयुर्वेद के इलाज़ के लिए आने के लिए सुझाव दिया और वो बहुत कुछ कर चुके थे, थक भी चुके थे, फिर भी उनको लगा कि चलो भई एक बार try करें क्या होता है ? वे भारत आये, केरला के एक आयुर्वेदिक अस्पताल में अपनी बेटी का इलाज करवाना शुरू किया | काफी समय बेटी यहाँ रही | आयुर्वेद के इस इलाज का असर ये हुआ कि Rosemary की आंखों की रोशनी काफी हद तक वापस लौट आई | आप कल्पना कर सकते हैं, कि, जैसे एक नया जीवन मिल गया और रोशनी तो Rosemary के जीवन में आई | लेकिन पूरे परिवार में एक नई रोशनी नई जिंदगी आ गई और ओडिंगा जी इतने भावुक हो करके ये बात मुझे बता रहे थे, कि उनकी इच्छा है, कि, भारत के आयुर्वेद का ज्ञान है विज्ञान है वो Kenya में ले जाए | जिस प्रकार के Plants इसमें काम आते हैं उन plant की खेती करेंगे और इसका लाभ अधिक लोगों को मिले इसके लिए वो पूरा प्रयास करेंगे |
मेरे लिए ये बहुत खशी की बात है कि हमारी धरती और परंपरा से किसी के जीवन से इतना बड़ा कष्ट दूर हुआ | ये सुन करके आपको भी खुशी होगी | कौन भारतवासी होगा जिसको इसका गर्व ना हो ? हम सभी जानते हैं कि ओडिंगा जी ही नहीं बल्कि दुनिया के लाखों लोग आयुर्वेद से ऐसे ही लाभ उठा रहे हैं |
ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स भी आयुर्वेद के बहुत बड़े प्रशंसकों में से एक हैं | जब भी मेरी उनसे मुलाकात होती है, वो आयुर्वेद का जिक्र जरूर करते हैं | उन्हें भारत के कई आयुर्वेदिक संस्थाओं की जानकारी भी है |
साथियो, पिछले सात वर्षों में देश में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार पर बहुत ध्यान दिया गया है | आयुष मंत्रालय के गठन से चिकित्सा और स्वास्थ्य से जुड़े हमारे पारंपरिक तरीकों को लोकप्रिय बनाने के संकल्प को और मजबूती मिली है | मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि पिछले कुछ समय में आयुर्वेद के क्षेत्र में भी कई नए Start-up सामने आए हैं | इसी महीने की शुरुआत में Ayush Start-up Challenge शुरू हुआ था | इस Challenge का लक्ष्य, इस क्षेत्र में काम करने वाले Start-ups को identify करके उन्हें Support करना है | इस क्षेत्र में काम कर रहे युवाओं से मेरा आग्रह है, कि वे इस Challenge में जरुर हिस्सा लें |
साथियो, एक बार जब लोग मिलकर के कुछ करने की ठान लें, तो वो अद्भुत चीजें कर जाते हैं | समाज में कई ऐसे बड़े बदलाव हुए हैं, जिनमें जन-भागीदारी सामूहिक प्रयास इसकी बहुत बड़ी भूमिका रही है | “मिशन जल थल” नाम का ऐसा ही एक जन-आंदोलन कश्मीर के श्रीनगर में चल रहा है | यह श्रीनगर की झीलों और तालाबों की साफ-सफाई और उनकी पुरानी रौनक लौटाने का एक अनोखा प्रयास है | “मिशन जल थल” का Focus “कुशल सार” और “गिल सार” पर है | जनभागीदारी के साथ-साथ इसमें Technology की भी बहुत मदद ली जा रही है | कहां-कहां अतिक्रमण हुआ है, कहां अवैध निर्माण हुआ है, इसका पता लगाने के लिए इस क्षेत्र का बाकायदा Survey कराया गया | इसके साथ ही Plastic Waste को हटाने और कचरे की सफाई का अभियान भी चलाया गया | मिशन के दूसरे चरण में पुराने Water Channels और झील को भरने वाले 19 झरनों को Restore करने का भी भरपूर प्रयास किया गया | इस Restoration Project के महत्व के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता फैले, इसके लिए स्थानीय लोगों और युवाओं को Water Ambassadors भी बनाया गया | अब यहां के स्थानीय लोग “गिल सार लेक” में प्रवासी पक्षियों और मछलियों की संख्या बढ़ती रहे इसके लिए भी प्रयास कर रहे हैं और उसको देखकर खुश भी होते हैं | मैं इस शानदार प्रयास के लिए श्रीनगर के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ |
साथियो, आठ साल पहले देश ने जो ‘स्वच्छ भारत मिशन’ शुरू किया, समय के साथ उसका विस्तार भी बढ़ता गया, नए-नए innovation भी जुड़ते गए | भारत में आप कहीं पर भी जाएंगे तो पाएंगे कि हर तरफ स्वछता के लिए कोई न कोई प्रयास जरुर हो रहा है | असम के कोकराझार में ऐसे ही एक प्रयास के बारे में मुझे पता चला है | यहाँ Morning Walkers के एक समूह ने ‘स्वच्छ और हरित कोकराझार’ मिशन के तहत बहुत प्रशंसनीय पहल की है | इन सबने नए Flyover क्षेत्र में तीन किलोमीटर लम्बी सड़क की सफाई कर स्वच्छता का प्रेरक सन्देश दिया | इसी प्रकार विशाखापट्नम में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत polythene के बजाए कपड़े के थैलों को बढ़ावा दिया जा रहा है | यहाँ के लोग पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए Single Use Plastic उत्पादों के खिलाफ अभियान भी चला रहे हैं | इसके साथ ही साथ ये लोग घर पर ही कचरे को अलग करने के लिए जागरूकता भी फैला रहे हैं | मुंबई के Somaiya College के Students ने स्वछता के अपने अभियान में सुन्दरता को भी शामिल कर लिया है | इन्होंने कल्याण रेलवे स्टेशन की दीवारों को सुन्दर पेंटिंग्स से सजाया है | राजस्थान के सवाई माधोपुर का भी प्रेरक उदाहरण मेरी जानकारी में आया है | यहाँ के युवाओं ने रणथंभौर में ‘Mission Beat Plastic’ नाम का अभियान चला रखा है | जिसमें रणथंभौर के जंगलों से Plastic और Polythene को हटाया गया है
| सबका प्रयास की यही भावना, देश में जनभागीदारी को मजबूत करती है और जब जनभागीदारी हो तो बड़े से बड़े लक्ष्य अवश्य पूरे होते हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, आज से कुछ दिन बाद ही, 8 मार्च को पूरी दुनिया में ‘International Women’s Day’, ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ मनाया जाएगा | महिलाओं के साहस, कौशल, और प्रतिभा से जुड़े कितने ही उदाहरण हम ‘मन की बात’ में लगातार साझा करते रहे हैं | आज चाहे Skill India हो, Self Help Group हो, या छोटे बड़े उद्योग हो, महिलाओं ने हर जगह मोर्चा संभाला हुआ है | आप किसी भी क्षेत्र में देखिए, महिलायें पुराने मिथकों को तोड़ रही हैं | आज, हमारे देश में parliament से लेकर पंचायत तक अलग-अलग कार्यक्षेत्र में, महिलायें, नई ऊँचाई प्राप्त कर रही हैं | सेना में भी बेटियाँ अब नई और बड़ी भूमिकाओं में ज़िम्मेदारी निभा रही हैं, और, देश की रक्षा कर रही हैं | पिछले महीने गणतंत्र दिवस पर हमने देखा कि आधुनिक fighter planes को भी बेटियाँ उड़ा रही हैं | देश ने सैनिक स्कूलों में भी बेटियों के admission पर रोक हटाई, और पूरे देश में बेटियाँ सैनिक स्कूलों में दाखिला ले रही हैं | इसी तरह, अपने start-up जगत को देखें, पिछले सालों में, देश में, हजारों नए start-up शुरू हुए | इनमें से करीब आधे start-up में महिलायें निदेशक की भूमिका में हैं | पिछले कुछ समय में महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश बढ़ाने जैसे निर्णय लिए गए हैं | बेटे और बेटियों को समान अधिकार देते हुए विवाह की उम्र समान करने के लिए देश प्रयास कर रहा है | इससे हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है | आप एक और बड़ा बदलाव भी होते देख रहे होंगे ! ये बदलाव है – हमारे सामाजिक अभियानों की सफलता | ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की सफलता को ही लीजिए, आज देश में लिंग अनुपात सुधरा है | स्कूल जाने वाली बेटियों की संख्या में भी सुधार हुआ है | इसमें हमारी भी ज़िम्मेदारी है कि हमारी बेटियाँ बीच में स्कूल न छोड़ दें | इसी तरह, ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत देश में महिलाओं को खुले में शौच से मुक्ति मिली है | ट्रिपल तलाक जैसे सामाजिक बुराई का अंत भी हो रहा है | जब से ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून आया है देश में तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई है | ये इतने सारे बदलाव इतने कम समय में कैसे हो रहे हैं ? ये परिवर्तन इसलिए आ रहा है क्योंकि हमारे देश में परिवर्तन और प्रगतिशील प्रयासों का नेतृत्व अब खुद महिलायें कर रहीं हैं |
मेरे प्यारे देशवासियों, कल 28 फरवरी को ‘National Science Day’ है | ये दिन Raman Effect की खोज के लिए भी जाना जाता है | मैं सी.वी. रमन जी के साथ उन सभी वैज्ञानिकों को आदरपूर्वक श्रद्दांजलि देता हूँ, जिन्होंने हमारी Scientific Journey को समृद्ध बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है | साथियो, हमारे जीवन में सुगमता और सरलता में technology ने काफी जगह बना ली है | कौन-सी technology अच्छी है, किस technology का बेहतर इस्तेमाल क्या है, इन सभी विषयों से हम भली-भांति परिचित होते ही हैं | लेकिन, ये भी सही है कि अपने परिवार के बच्चों को उस technology का आधार क्या है, उसके पीछे की science क्या है, इस तरफ हमारा ध्यान जाता ही नहीं है | इस Science Day पर मेरा सभी परिवारों से आग्रह है कि वो अपने बच्चों में Scientific Temperament विकसित करने के लिए जरुर छोटे-छोटे प्रयासों से शुरू कर सकते हैं
| अब जैसे दिखता नहीं है चश्मा लगाने के बाद साफ़ दिखने लगता है तो बच्चों को आसानी से समझाया सकता है कि इसके पीछे विज्ञान क्या है | सिर्फ चश्मे देखें, आनंद करें, इतना नहीं | अभी आराम से आप एक छोटे से कागज़ पर उसे बता सकते हैं | अब वो Mobile Phone उपयोग करता है, Calculator कैसे काम करता है, Remote Control कैसे काम करता है, Sensor क्या होते हैं ? ये Scientific बातें इसके साथ-साथ घर में चर्चा में होती है क्या ? हो सकती है बड़े आराम से हम इन चीज़ों को घर की रोजमर्रा की ज़िन्दगी के पीछे क्या Science की वो कौन सी बात है जो ये कर रही है, इसको, समझा सकते हैं | उसी प्रकार से क्या कभी हमने बच्चों को लेकर के भी आसमान में एक साथ देखा है क्या ? रात में तारों के बारे में भी जरुर बातें हुई हों | विभिन्न तरह के constellations दिखाई देते हैं, उनके बारे में बताएं | ऐसा करके आप बच्चों में physics और astronomy के प्रति नया रुझान पैदा कर सकते हैं | आज कल तो बहुत सारी Apps भी हैं जिससे आप तारों और ग्रहों को locate कर सकते है, या, जो तारा आसमान में दिख रहा है उसको पहचान सकते हैं, उसके बारे में जान भी सकते हैं | मैं, अपने Start-ups को भी कहूँगा कि आप अपने कौशल और Scientific Character का इस्तेमाल राष्ट्र निर्माण से जुड़े कार्यों में भी करें | ये देश के प्रति हमारी Collective Scientific Responsibility भी है | जैसे आजकल मैं देख रहा हूँ कि हमारे Start-ups virtual reality की दुनिया में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं | Virtual Classes के इस दौर में ऐसे ही एक Virtual lab बच्चों को ध्यान में रखते हुए बनाई जा सकती है | हम virtual reality के द्वारा बच्चों को घर में बैठे chemistry की lab का अनुभव भी करा सकते हैं | अपने शिक्षकों और अभिभावकों से मेरा आग्रह है कि आप सभी विद्यार्थियों एवं बच्चों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें और उनके साथ मिलजुल कर सवालों का सही जवाब तलाशें | आज, मैं, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका की भी सराहना करना चाहूँगा | उनके कड़े परिश्रम की वजह से ही Made In India वैक्सीन का निर्माण संभव हो पाया, जिससे पूरी दुनिया को बहुत बड़ी मदद मिली है | Science का मानवता के लिए यही तो उपहार है |
मेरे प्यारे देशवासियो, इस बार भी हमने अनेक विषयों पर चर्चा की | आने वाले मार्च के महीने में अनेक पर्व–त्योहार आ रहे हैं - शिवरात्रि है और अब कुछ दिन बाद आप सब होली की तैयारी में जुट जाएंगे | होली हमें एक सूत्र में पिरोने वाला त्योहार है | इसमें अपने–पराए, द्वेष–विद्वेष, छोटे–बड़े सारे भेद मिट जाते हैं | इसलिए कहते है, होली के रंगों से भी ज्यादा गाढ़ा रंग, होली के प्रेम और सौहार्द का होता है | होली में गुजिया के साथ-साथ रिश्तों की भी अनूठी मिठास होती है | इन रिश्तों को हमें और मजबूत करना है और रिश्ते सिर्फ अपने परिवार के लोगों से ही नहीं बल्कि उन लोगों से भी जो आपके एक वृहद् परिवार का हिस्सा है | इसका सबसे महत्वपूर्ण तरीका भी आपको याद रखना है | ये तरीका है – ‘Vocal for Local’ के साथ त्योहार मनाने का | आप त्योहारों पर स्थानीय उत्पादों की खरीदी करें, जिससे आपके आसपास रहने वाले लोगों के जीवन में भी रंग भरे, रंग रहे, उमंग रहे | हमारा देश जितनी सफलता से कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, और, आगे बढ़ रहा है, उससे त्योहारों में जोश भी कई गुना हो गया है | इसी जोश के साथ हमें अपने त्योहार मनाने हैं, और साथ ही, अपनी सावधानी भी बनाए रखनी है | मैं आप सभी को आने वाले पर्वों की ढेर सारी शुभकामनाएँ देता हूँ | मुझे हमेशा आपकी बातों का, आपके पत्रों का, आपके संदेशों का इंतज़ार रहेगा | बहुत बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार ! आज ‘मन की बात’ के एक और एपिसोड के जरिए हम एक साथ जुड़ रहे हैं | ये 2022 की पहली ‘मन की बात’ है | आज हम फिर ऐसी चर्चाओं को आगे बढ़ाएंगे, जो हमारे देश और देशवासियों की सकारात्मक प्रेरणाओं और सामूहिक प्रयासों से जुड़ी होती है | आज हमारे पूज्य बापू महात्मा गाँधी जी की पुण्यतिथि भी है | 30 जनवरी का ये दिन हमें बापू की शिक्षाओं की याद दिलाता है | अभी कुछ दिन पहले ही हमने गणतन्त्र दिवस भी मनाया | दिल्ली में राजपथ पर हमने देश के शौर्य और सामर्थ्य की जो झाँकी देखी, उसने सबको गर्व और उत्साह से भर दिया है | एक परिवर्तन जो आपने देखा होगा अब गणतंत्र दिवस समारोह 23 जनवरी, यानि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती से शुरू होगा और 30 जनवरी तक यानि गाँधी जी की पुण्यतिथि तक चलेगा | इंडिया गेट पर नेताजी की digital प्रतिमा भी स्थापित की गई है | इस बात का जिस प्रकार से देश ने स्वागत किया, देश के हर कोने से आनंद की जो लहर उठी, हर देशवासी ने जिस प्रकार की भावनाएँ प्रकट की उसे हम कभी भूल नहीं सकते हैं |
साथियो, आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश इन प्रयासों के जरिए अपने राष्ट्रीय प्रतीकों को पुनः प्रतिष्ठित कर रहा है | हमने देखा कि इंडिया गेट के समीप ‘अमर जवान ज्योति’ और पास में ही ‘National War Memorial’ पर प्रज्जवलित ज्योति को एक किया गया | इस भावुक अवसर पर कितने ही देशवासियों और शहीद परिवारों की आँखों में आँसू थे | ‘National War Memorial’ में आज़ादी के बाद से शहीद हुए देश के सभी जाबांजों के नाम अंकित किए गए हैं | मुझे सेना के कुछ पूर्व जवानों ने पत्र लिखकर कहा है कि – “शहीदों की स्मृति के सामने प्रज्जवलित हो रही ‘अमर जवान ज्योति’ शहीदों की अमरता का प्रतीक है” | सच में, ‘अमर जवान ज्योति’ की ही तरह हमारे शहीद, उनकी प्रेरणा और उनके योगदान भी अमर हैं | मैं आप सभी से कहूँगा, जब भी अवसर मिले ‘National War Memorial’ जरुर जाएँ | अपने परिवार और बच्चों को भी जरुर ले जाएँ | यहाँ आपको एक अलग ऊर्जा और प्रेरणा का अनुभव होगा |
साथियो, अमृत महोत्सव के इन आयोजनों के बीच देश में कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिए गए | एक है, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार | ये पुरस्कार उन बच्चों को मिले, जिन्होंने छोटी-सी उम्र में साहसिक और प्रेरणादायी काम किए हैं | हम सबको अपने घरों में इन बच्चों के बारे में जरुर बताना चाहिए | इनसे हमारे बच्चों को भी प्रेरणा मिलेगी और उनके भीतर देश का नाम रोशन करने का उत्साह जगेगा | देश में अभी पद्म सम्मान की भी घोषणा हुई है | पद्म पुरस्कार पाने वाले में कई ऐसे नाम भी हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं | ये हमारे देश के unsung heroes हैं, जिन्होंने साधारण परिस्थितियों में असाधारण काम किए हैं | जैसे कि, उत्तराखंड की बसंती देवी जी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है | बसंती देवी ने अपना पूरा जीवन संघर्षों के बीच जीया | कम उम्र में ही उनके पति का निधन हो गया था और वो एक आश्रम में रहने लगी | यहाँ रहकर उन्होंने नदी को बचाने के लिए संघर्ष किया और पर्यावरण के लिए असाधारण योगदान दिया | उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भी काफी काम किया है | इसी तरह मणिपुर की 77 साल की लौरेम्बम बीनो देवी दशकों से मणिपुर की Liba textile art का संरक्षण कर रही हैं | उन्हें भी पद्मश्री से सम्मानित किया गया है | मध्य प्रदेश के अर्जुन सिंह को बैगा आदिवासी नृत्य की कला को पहचान दिलाने लिए पद्म सम्मान मिला है | पद्म सम्मान पाने वाले एक और व्यक्ति हैं, श्रीमान् अमाई महालिंगा नाइक | ये एक किसान है और कर्नाटका के रहने वाले हैं | उन्हें कुछ लोग Tunnel Man भी कहते हैं | इन्होंने खेती में ऐसे-ऐसे innovation किए हैं, जिन्हें देखकर कोई भी हैरान रह जाए | इनके प्रयासों का बहुत बड़ा लाभ छोटे किसानों को हो रहा है | ऐसे और भी कई unsung heroes हैं जिन्हें देश ने उनके योगदान के लिए सम्मानित किया है | आप जरुर इनके बारे में जानने की कोशिश करिए | इनसे हमें जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, अमृत महोत्सव पर आप सब साथी मुझे ढ़ेरों पत्र और message भेजते हैं, कई सुझाव भी देते हैं | इसी श्रृंखला में कुछ ऐसा हुआ है जो मेरे लिए अविस्मरणीय है | मुझे एक करोड़ से ज्यादा बच्चों ने अपने ‘मन की बात’ पोस्ट कार्ड के जरिए लिखकर भेजी है | ये एक करोड़ पोस्ट कार्ड, देश के अलग-अलग हिस्सों से आये हैं, विदेश से भी आये हैं | समय निकालकर इनमें से काफी पोस्ट कार्ड को मैंने पढ़ने का प्रयास किया है | इन पोस्टकार्ड्स में इस बात के दर्शन होते हैं कि देश के भविष्य के लिए हमारी नई पीढ़ी की सोच कितनी व्यापक और कितनी बड़ी है | मैंने ‘मन की बात’ के श्रोताओं के लिए कुछ पोस्टकार्ड छांटे हैं जिन्हें मैं आपसे share करना चाहता हूँ | जैसे यह एक असम के गुवाहाटी से रिद्धिमा स्वर्गियारी का पोस्ट कार्ड है | रिद्धिमा क्लास 7th की student हैं और उन्होंने लिखा है कि वो आज़ादी के 100वें साल में एक ऐसा भारत देखना चाहती हैं जो दुनिया का सबसे स्वच्छ देश हो, आतंकवाद से पूरी तरह से मुक्त हो, शत-प्रतिशत साक्षर देशों में शामिल हो, Zero accident country हो, और Sustainable तकनीक से food security में सक्षम हो | रिद्धिमा, हमारी बेटियाँ जो सोचती हैं, जो सपने देश के लिए देखती हैं वो तो पूरे होते ही है | जब सबके प्रयास जुड़ेंगे, आपकी युवा-पीढ़ी इसे लक्ष्य बनाकर काम करेगी, तो आप भारत को जैसा बनाना चाहती है, वैसे जरुर होगा | एक पोस्ट कार्ड मुझे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की नव्या वर्मा का भी मिला है | नव्या ने लिखा है कि उनका सपना 2047 में ऐसे भारत का है जहाँ सभी को सम्मानपूर्ण जीवन मिले, जहाँ किसान समृद्ध हो और भ्रष्टाचार न हो | नव्या, देश के लिए आपका सपना बहुत सराहनीय है | इस दिशा में देश तेजी से आगे भी बढ़ रहा है | आपने भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात की | भ्रष्टाचार तो दीमक की तरह देश को खोखला करता है | उससे मुक्ति के लिए 2047 का इंतजार क्यों ? ये काम हम सभी देशवासियों को, आज की युवा-पीढ़ी को मिलकर करना है, जल्द से जल्द करना है और इसके लिए बहुत जरुरी है कि हम कि हम अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दें | जहाँ कर्तव्य निभाने का एहसास होता है | कर्तव्य सर्वोपरि होता है | वहाँ भ्रष्टाचार फटक भी नहीं सकता |
साथियो, एक और postcard मेरे सामने है चेन्नई से मोहम्मद इब्राहिम का | इब्राहिम 2047 में भारत को रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी ताकत के रूप में देखना चाहते हैं | वो चाहते हैं कि चंद्रमा पर भारत का अपना Research Base हो, और मंगल पर भारत, मानव आबादी को, बसाने का काम शुरू करे | साथ ही, इब्राहिम पृथ्वी को भी प्रदूषण से मुक्त करने में भारत की बड़ी भूमिका देखते हैं | इब्राहिम, जिस देश के पास आप जैसे नौजवान हो, उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है |
साथियो, मेरे सामने एक और पत्र है | मध्य प्रदेश के रायसेन में सरस्वती विद्या मंदिर में class 10th की छात्रा भावना का | सबसे पहले तो मैं भावना को कहूँगा कि आपने जिस तरह अपने postcard को तिरंगे से सजाया है, वो मुझे बहुत अच्छा लगा | भावना ने क्रांतिकारी शिरीष कुमार के बारे में लिखा है |
साथियो, मुझे गोवा से लॉरेन्शियो परेरा का postcard भी मिला है | ये class बारह (12th) की student है | इनके पत्र का भी विषय है – आजादी के Unsung Heroes. मैं इसका हिंदी भावार्थ आपको बता रहा हूं | इन्होंने लिखा है – “भीकाजी कामा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल रही सबसे बहादुर महिलाओं में से एक थी | उन्होंने बेटियों को सशक्त करने के लिए देश-विदेश में बहुत से अभियान चलाए | अनेक प्रदर्शनियां लगाई | निश्चित तौर पर भीकाजी कामा स्वाधीनता आंदोलन की सबसे जांबांज महिलाओं में से एक थी | 1907 में उन्होंने Germany में तिरंगा फहराया था | इस तिरंगे को design करने में जिस व्यक्ति ने उनका साथ दिया था, वो थे – श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा | श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा जी का निधन 1930 में Geneva में हुआ था | उनकी अंतिम इच्छा थी कि भारत की आजादी के बाद उनकी अस्थियां भारत लायी जाए | वैसे तो 1947 में आजादी के दूसरे ही दिन उनकी अस्थियां भारत वापिस लानी चाहिए थीं, लेकिन, ये काम नहीं हुआ | शायद परमात्मा की इच्छा होगी ये काम मैं करूं और इस काम का सौभाग्य भी मुझे ही मिला | जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो वर्ष 2003 में उनकी अस्थियां भारत लाई गईं थीं | श्यामजी कृष्ण वर्मा जी की स्मृति में उनके जन्म स्थान, कच्छ के मांडवी में एक स्मारक का निर्माण भी हुआ है |
साथियो, भारत की आजादी के अमृत महोत्सव का उत्साह केवल हमारे देश में ही नहीं है | मुझे भारत के मित्र देश क्रोएशिया से भी 75 postcard मिले हैं | क्रोएशिया के ज़ाग्रेब में School of Applied Arts and Design के students उन्होंने ये 75 cards भारत के लोगों के लिए भेजे हैं और अमृत महोत्सव की बधाई दी है | मैं आप सभी देशवासियों की तरफ से क्रोएशिया और वहाँ के लोगों को धन्यवाद देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, भारत शिक्षा और ज्ञान की तपो-भूमि रहा है | हमने शिक्षा को किताबी ज्ञान तक तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे जीवन के एक समग्र अनुभव के तौर पर देखा है | हमारे देश की महान विभूतियों का भी शिक्षा से गहरा नाता रहा है | पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने जहां बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की, वहीं महात्मा गांधी ने, गुजरात विद्यापीठ के निर्माण में अहम भूमिका निभाई | गुजरात के आणंद में एक बहुत प्यारी जगह है – वल्लभ विद्यानगर | सरदार पटेल के आग्रह पर उनके दो सहयोगियों, भाई काका और भीखा भाई ने वहां युवाओं के लिए शिक्षा केंद्रों की स्थापना की | इसी तरह पश्चिम बंगाल में गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने शान्ति निकेतन की स्थापना की | महाराजा गायकवाड़ भी शिक्षा के प्रबल समर्थकों में से एक थे | उन्होंने कई शिक्षण संस्थानों का निर्माण करवाया और डॉ. अम्बेकर और श्री ऑरोबिन्दो समेत अनके विभूतियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया | ऐसे ही महानुभावों की सूची में एक नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह जी का भी है | राजा महेंद्र प्रताप सिंह जी ने एक Technical School की स्थापना के लिए अपना घर ही सौंप दिया था | उन्होंने अलीगढ़ और मथुरा में शिक्षा केंद्रों के निर्माण के लिए खूब आर्थिक मदद की | कुछ समय पहले मुझे अलीगढ़ में उनके नाम पर एक University की आधारशिला रखने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ | मुझे खुशी है कि शिक्षा के प्रकाश को जन-जन तक पहुंचाने की वही जीवंत भावना भारत में आज भी कायम है | क्या आप जानते हैं कि इस भावना की सबसे सुन्दर बात क्या है ? वो ये है कि शिक्षा को लेकर ये जागरूकता समाज में हर स्तर पर दिख रही है | तमिलनाडु के त्रिप्पुर जिले के उदुमलपेट ब्लॉक में रहने वाली तायम्मल जी का उदाहरण तो बहुत ही प्रेरणादायी है | तायम्मल जी के पास अपनी कोई जमीन नहीं है | बरसों से इनका परिवार नारियल पानी बेचकर अपना गुजर-बसर कर रहा है | आर्थिक स्थिति भले अच्छी ना हो लेकिन तायम्मल जी ने अपने बेटे-बेटी को पढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी | उनके बच्चे चिन्नवीरमपट्टी पंचायत Union Middle School में पढ़ते थे | ऐसे ही एक दिन school में अभिभावकों के साथ meeting में ये बात उठी कि कक्षाओं और school की स्थिति को सुधारा जाए, School Infrastructure को ठीक किया जाए | तायम्मल जी भी उस meeting में थे | उन्होंने सब कुछ सुना | इसी बैठक में फिर चर्चा इन कामों के लिए पैसे की कमी पर आकर टिक गई | इसके बाद, तायम्मल जी ने जो किया, उसकी कल्पना कोई नहीं कर सकता था | जिन तायम्मल जी ने नारियल पानी बेच-बेचकर कुछ पूंजी जमा की थी, उन्होंने एक लाख रुपये school के लिए दान कर दिए | वाकई, ऐसा करने के लिए बहुत बड़ा दिल चाहिए, सेवा-भाव चाहिए | तायम्मल जी का कहना है अभी जो school है उसमें 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है | अब जब school का infrastructure सुधर जाएगा तो यहां Higher Secondary तक की पढ़ाई होने लगेगी | हमारे देश में शिक्षा को लेकर यह वही भावना है, जिसकी मैं चर्चा कर रहा था | मुझे IIT BHU के एक Alumnus के इसी तरह के दान के बारे में भी पता चला है | BHU के पूर्व छात्र जय चौधरी जी ने, IIT BHU Foundation को एक मिलियन डॉलर यानि करीब-करीब साढ़े सात करोड़ रुपए Donate किये |
साथियो, हमारे देश में अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े बहुत सारे लोग हैं, जो दूसरों की मदद कर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे हैं | मुझे बेहद खुशी है कि इस तरह के प्रयास उच्च शिक्षा के क्षेत्र में खासकर हमारी अलग-अलग IITs में निरंतर देखने को मिल रहे हैं | केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में भी इस प्रकार के प्रेरक उदाहरणों की कमी नहीं है | इस तरह के प्रयासों को और बढ़ाने के लिए पिछले साल सितम्बर से, देश में, विद्यांजलि अभियान की भी शुरुआत हुई है | इसका उद्देश्य अलग-अलग संगठनों, CSR और निजी क्षेत्र की भागीदारी से देशभर के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है | विद्यांजलि सामुदायिक भागीदारी और Ownership की भावना को आगे बढ़ा रही है | अपने school, college से निरंतर जुड़े रहना, अपनी क्षमता के अनुसार कुछ न कुछ योगदान देना यह एक ऐसी बात है जिसका संतोष और आनंद अनुभव लेकर ही पता चलता है |
मेरे प्यारे देशवासियो, प्रकृति से प्रेम और हर जीव के लिए करुणा, ये हमारी संस्कृति भी है और सहज स्वभाव भी है | हमारे इन्ही संस्कारों की झलक अभी हाल ही में तब दिखी, जब मध्यप्रदेश के Pench Tiger Reserve में एक बाघिन ने दुनिया को अलविदा कर दिया | इस बाघिन को लोग कॉलर वाली बाघिन कहते थे | वन विभाग ने इसे T-15 नाम दिया था | इस बाघिन की मृत्यु ने लोगों को इतना भावुक कर दिया जैसे उनका कोई अपना दुनिया छोड़ गया हो | लोगों ने बाकायदा उसका अंतिम संस्कार किया, उसे पूरे सम्मान और स्नेह के साथ विदाई दी | आपने भी ये तस्वीरें Social Media में जरूर देखी होंगी | पूरी दुनिया में प्रकृति और जीवों के लिए हम भारतीयों के इस प्यार की खूब सराहना हुई | कॉलर वाली बाघिन ने जीवनकाल में 29 शावकों को जन्म दिया और 25 को पाल-पोसकर बड़ा भी बनाया | हमने T-15 के इस जीवन को भी Celebrate किया और जब उसने दुनिया छोड़ी तो उसे भावुक विदाई भी दी | यही तो भारत के लोगों की खूबी है | हम हर चेतन जीव से प्रेम का संबंध बना लेते हैं | ऐसा ही एक दृश्य हमें इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में भी देखने को मिला | इस परेड में President’s Bodyguards के चार्जर घोड़े विराट ने अपनी आख़िरी परेड में हिस्सा लिया | घोड़ा विराट, 2003 में राष्ट्रपति भवन आया था और हर बार गणतंत्र दिवस पर Commandant charger के तौर पर परेड को Lead करता था | जब किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष का राष्ट्रपति भवन में स्वागत होता था, तब भी, वो, अपनी ये भूमिका निभाता था | इस वर्ष, Army Day पर घोड़े विराट को सेना प्रमुख द्वारा COAS Commendation Card भी दिया गया | विराट की विराट सेवाओं को देखते हुए, उसकी सेवा-निवृत्ति के बाद उतने ही भव्य तरीक़े से उसे विदाई दी गई |
मेरे प्यारे देशवासियो, जब एक निष्ठ प्रयास होता है, नेक नियत से काम होता है तो उसके परिणाम भी मिलते हैं | इसका एक बेहतरीन उदाहरण सामने आया है, असम से | असम का नाम लेते ही वहाँ के चाय-बागान और बहुत सारे national park का ख्याल आता है | साथ ही, एक सींग वाले गैंडे यानी one horn Rhino की तस्वीर भी हमारे मन में उभरती है | आप सभी जानते हैं कि एक सींग वाला गैंडा हमेशा से असमिया संस्कृति का हिस्सा रहा है | भारत रत्न भूपेन हज़ारिका जी का ये गीत हर एक कान में गूँजता होगा
#SONG# (“काज़ीरोंगार हिरो सेउज पोरिबेश, हॉस्ती बयाघरोरए बास, एक खोरगोरे गौर पृथ्वीये साई पॉखीर हुवोदि प्रॉकाश”)
साथियो, इस गीत का जो अर्थ है वो बहुत सुसंगत है | इस गीत में कहा गया है, काजीरंगा का हरा-भरा परिवेश, हाथी और बाघ का निवास, एक सींग वाले गैंडे को पृथ्वी देखे, पक्षियों का मधुर कलरव सुने | असम की विश्वप्रसिद्ध हथकरघा पर बुनी गई मूंगा और एरी की पोशाकों में भी गैंडो की आकृति दिखाई देती है | असम की संस्कृति में जिस गैंडे की इतनी बड़ी महिमा है, उसे भी संकटों का सामना करना पड़ता था | वर्ष 2013 में 37 और 2014 में 32 गैंडों को तस्करों ने मार डाला था | इस चुनौती से निपटने के लिए पिछले सात वर्षों में असम सरकार के विशेष प्रयासों से गैंडों के शिकार के खिलाफ एक बहुत बड़ा अभियान चलाया गया | पिछले 22 सितम्बर को World Rhino Day के मौके पर तस्करों से जब्त किये गए 2400 से ज्यादा सींगों को जला दिया गया था | यह तस्करों के लिए एक सख्त सन्देश था | ऐसे ही प्रयासों का नतीजा है कि अब असम में गैंडों के शिकार में लगातार कमी आ रही है | जहाँ 2013 में 37 गैंडे मारे गए थे, वहीँ 2020 में 2 और 2021 में सिर्फ 1 गैंडे के शिकार का मामला सामने आया है | मैं गैंडों को बचाने के लिए असम के लोगों के संकल्प की सरहाना करता हूँ |
साथियो, भारतीय संस्कृति के विविध रंगों और आध्यात्मिक शक्ति ने हमेशा से दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर खींचा है | अगर मैं आपसे कहूँ कि भारतीय संस्कृति, अमेरिका, कनाडा, दुबई, सिंगापुर, पश्चिमी यूरोप और जापान में बहुत ही लोकप्रिय है तो यह बात आपको बहुत सामान्य लगेगी, आपको कोई हैरानी नहीं होगी | लेकिन, अगर ये कहूँ कि भारतीय संस्कृति का Latin America और South America में भी बड़ा आकर्षण है, तो, आप एक बार जरुर सोच में पड़ जायेंगे | Mexico में खादी को बढ़ावा देने की बात हो या फिर Brazil में भारतीय परम्पराओं को लोकप्रिय बनाने का प्रयास, ‘मन की बात’ में हम इन विषयों पर पहले चर्चा कर चुके हैं | आज मैं आपको Argentina में फहरा रहे भारतीय संस्कृति के परचम के बारे में बताऊंगा | Argentina में हमारी संस्कृति को बहुत पसंद किया जाता है | 2018 में, मैंने, Argentina की अपनी यात्रा के दौरान योग के कार्यक्रम में – ‘Yoga For Peace’ में हिस्सा लिया था | यहाँ Argentina में एक संस्था है – हस्तिनापुर फाउंडेशन | आपको सुनकर के आश्चर्य होता है न, कहाँ Argentina, और वहाँ भी, हस्तिनापुर फाउंडेशन | यह फाउंडेशन, Argentina में भारतीय वैदिक परम्पराओं के प्रसार में जुटा है | इसकी स्थापना 40 साल पहले एक Madam, प्रोफ़ेसर ऐडा एलब्रेक्ट ने की थी | आज प्रोफ़ेसर ऐडा एलब्रेक्ट 90 वर्ष की होने जा रही हैं | भारत के साथ उनका जुड़ाव कैसे हुआ ये भी बहुत दिलचस्प है | जब वो 18 साल की थी तब पहली बार भारतीय संस्कृति की शक्ति से उनका परिचय हुआ | उन्होंने भारत में काफी समय भी बिताया | भगवद् गीता और उपनिषदों के बारे में गहराई से जाना | आज हस्तिनापुर फाउंडेशन के 40 हज़ार से अधिक सदस्य हैं और Argentina एवं अन्य लैटिन अमेरिकी देशों में इसकी करीब 30 शाखाएं हैं | हस्तिनापुर फाउंडेशन ने स्पेनिश भाषा में 100 से अधिक वैदिक और दार्शनिक ग्रन्थ भी प्रकाशित किये हैं | इनका आश्रम भी बहुत मनमोहक है | आश्रम में 12 मंदिरों का निर्माण कराया गया है, जिनमें अनके देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं | इन सबके केंद्र में एक ऐसा मंदिर भी है जो अद्वैतवादी ध्यान के लिए बनाया गया है |
साथियो, ऐसे ही सैकड़ों उदाहरण यह बताते हैं, हमारी संस्कृति, हमारे लिए ही नहीं, बल्कि, पूरी दुनिया के लिए एक अनमोल धरोहर है | दुनिया भर के लोग उसे जानना चाहते हैं, समझना चाहते हैं, जीना चाहते हैं | हमें भी पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत को खुद अपने जीवन का हिस्सा बनाते हुए सब लोगों तक पहुँचाने का प्रयास करना चाहिए |
मेरे प्यारे देशवासियो, मैं अब आपसे और खासकर अपने युवाओं से एक प्रश्न करना चाहता हूँ | अब सोचिए, आप, एक बार में कितने push-ups कर सकते हैं | मैं जो आपको बताने वाला हूँ, वो निश्चित रूप से आपको आश्चर्य से भर देगा | मणिपुर में 24 साल के युवा थौनाओजम निरंजॉय सिंह ने एक मिनट में 109 push–ups का रिकॉर्ड बनाया है | निरंजॉय सिंह के लिए रिकॉर्ड तोड़ना कोई बात नयी नहीं है, इससे पहले भी, उन्होंने, एक मिनट में एक हाथ से सबसे ज्यादा Knuckle push-ups का रिकॉर्ड बनाया था | मुझे पूरा विश्वास है कि निरंजॉय सिंह से आप प्रेरित होंगे और physical fitness को अपने जीवन का हिस्सा बनायेंगे |
साथियो, आज मैं आपके साथ Ladakh की एक ऐसी जानकारी साझा करना चाहता हूँ जिसके बारे में जानकर आपको जरुर गर्व होगा | Ladakh को जल्द ही एक शानदार Open Synthetic Track और Astro Turf Football Stadium की सौगात मिलने वाली है | यह stadium 10,000 फीट से अधिक की ऊँचाई पर बन रहा है और इसका निर्माण जल्द पूरा होने वाला है | Ladakh का यह सबसे बड़ा open stadium होगा जहाँ 30,000 दर्शक एक साथ बैठ सकेंगे | Ladakh के इस आधुनिक Football Stadium में 8 Lane वाला एक Synthetic Track भी होगा | इसके अलावा यहाँ एक हज़ार bed वाले, एक hostel की सुविधा भी होगी | आपको यह जानकर भी अच्छा लगेगा कि इस stadium को football की सबसे बड़ी संस्था FIFA ने भी Certify किया है | जब भी Sports का ऐसा कोई बड़ा infrastructure तैयार होता है तो यह देश के युवाओं के लिए बेहतरीन अवसर लेकर आता है | साथ-साथ जहाँ ये व्यवस्था होती है, वहाँ भी, देश-भर के लोगों का आना-जाना होता है, Tourism को बढावा मिलता है और रोज़गार के अनेक अवसर पैदा होते हैं | Stadium का भी लाभ Ladakh के हमारे अनेकों युवाओं को होगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में इस बार भी हमने अनेक विषयों पर बात की | एक विषय और है, जो इस समय सबके मन में है और वो है कोरोना का | कोरोना की नई wave से भारत बहुत सफलता के साथ लड़ रहा है ये भी गर्व की बात है कि अब तक करीब-करीब साढ़े चार करोड़ बच्चों ने कोरोना Vaccine की dose ले ली है | इसका मतलब ये हुआ, कि 15 से 18 साल की आयु-वर्ग के लगभग 60% youth ने तीन से चार हफ्ते में ही टीके लगवा लिए हैं | इससे न केवल हमारे युवाओं की रक्षा होगी बल्कि उन्हें पढाई जारी रखने में भी मदद मिलेगी | एक और अच्छी बात ये भी है कि 20 दिन के भीतर ही एक करोड़ लोगों ने precaution dose भी ले ली है | अपने देश की vaccine पर देशवासियोँ का ये भरोसा हमारी बहुत बड़ी ताकत है | अब तो Corona संक्रमण के case भी कम होने शुरू हुए हैं - ये बहुत सकारात्मक संकेत है | लोग सुरक्षित रहें, देश की आर्थिक गतिविधियों की रफ़्तार बनी रहे - हर देशवासी की यही कामना है | और आप तो जानते ही हैं, ‘मन की बात’ में, कुछ बातें, मैं, कहे बिना रह ही नहीं सकता हूँ, जैसे, ‘स्वच्छता अभियान’ को हमें भूलना नहीं है, Single use plastic के खिलाफ अभियान को हमें और तेज़ी लानी जरुरी है, Vocal for Local का मंत्र ये हमारी जिम्मेवारी है, हमें आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए जी-जान से जुटे रहना है | हम सबके प्रयास से ही, देश, विकास की नई ऊँचाइयों पर पहुँचेगा | इसी कामना के साथ, मैं, आपसे विदा लेता हूँ | बहुत बहुत धन्यवाद|
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार ! इस समय आप 2021 की विदाई और 2022 के स्वागत की तैयारी में जुटे ही होंगे | नए साल पर हर व्यक्ति, हर संस्था, आने वाले साल में कुछ और बेहतर करने, बेहतर बनने के संकल्प लेते हैं | पिछले सात सालों से हमारी ये ‘मन की बात’ भी व्यक्ति की, समाज की, देश की अच्छाइयों को उजागर कर, और अच्छा करने, और अच्छा बनने की, प्रेरणा देती आयी है | इन सात वर्षों में, ‘मन की बात’ करते हुए मैं सरकार की उपलब्धियों पर भी चर्चा कर सकता था | आपको भी अच्छा लगता, आपने भी सराहा होता, लेकिन, ये मेरा दशकों का अनुभव है कि मीडिया की चमक-दमक से दूर, अख़बारों की सुर्ख़ियों से दूर, कोटि-कोटि लोग हैं, जो बहुत कुछ अच्छा कर रहे हैं | वो देश के आने वाले कल के लिए, अपना आज खपा रहे हैं | वो देश की आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने प्रयासों पर, आज, जी-जान से जुटे रहते हैं | ऐसे लोगों की बात, बहुत सुकून देती है, गहरी प्रेरणा देती है | मेरे लिए ‘मन की बात’ हमेशा से ऐसे ही लोगों के प्रयासों से भरा हुआ, खिला हुआ, सजा हुआ, एक सुन्दर उपवन रहा है, और ‘मन की बात’ में तो हर महीने मेरी मशक्कत ही इस बात पर होती है, इस उपवन की कौन सी पंखुड़ी आपके बीच लेकर के आऊं | मुझे ख़ुशी है कि हमारी बहुरत्ना वसुंधरा के पुण्य कार्यों का अविरल प्रवाह, निरंतर बहता रहता है | और आज जब देश ‘अमृत महोत्सव’ मना रहा है, तो ये जो जनशक्ति है, जन-जन की शक्ति है, उसका उल्लेख, उसके प्रयास, उसका परिश्रम, भारत के और मानवता के उज्जवल भविष्य के लिए, एक तरह से गारंटी देता है |
साथियो, ये जनशक्ति की ही ताकत है, सबका प्रयास है कि भारत 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी से लड़ सका | हम हर मुश्किल समय में एक दूसरे के साथ, एक परिवार की तरह खड़े रहे | अपने मोहल्ले या शहर में किसी की मदद करना हो, जिससे जो बना, उससे ज्यादा करने की कोशिश की | आज विश्व में Vaccination के जो आंकड़े हैं, उनकी तुलना भारत से करें, तो लगता है कि देश ने कितना अभूतपूर्व काम किया है, कितना बड़ा लक्ष्य हासिल किया है | Vaccine की 140 करोड़ dose के पड़ाव को पार करना, प्रत्येक भारतवासी की अपनी उपलब्धि है | ये प्रत्येक भारतीय का, व्यवस्था पर, भरोसा दिखाता है, विज्ञान पर भरोसा दिखाता है, वैज्ञानिकों पर भरोसा दिखाता है, और, समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभा रहे, हम भारतीयों की, इच्छाशक्ति का प्रमाण भी है | लेकिन साथियो, हमें ये भी ध्यान रखना है कि कोरोना का एक नया variant, दस्तक दे चुका है | पिछले दो वर्षों का हमारा अनुभव है कि इस वैश्विक महामारी को परास्त करने के लिए एक नागरिक के तौर पर हमारा खुद का प्रयास बहुत महत्वपूर्ण है | ये जो नया Omicron variant आया है, उसका अध्ययन हमारे वैज्ञानिक लगातार कर रहे हैं | हर रोज नया data उन्हें मिल रहा है, उनके सुझावों पर काम हो रहा है | ऐसे में स्वयं की सजगता, स्वयं का अनुशासन, कोरोना के इस variant के खिलाफ देश की बहुत बड़ी शक्ति है | हमारी सामूहिक शक्ति ही कोरोना को परास्त करेगी, इसी दायित्वबोध के साथ हमें 2022 में प्रवेश करना है |
मेरे प्यारे देशवासियो, महाभारत के युद्ध के समय, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा था – ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ यानि गर्व के साथ आकाश को छूना | ये भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य भी है | माँ भारती की सेवा में लगे अनेक जीवन आकाश की इन बुलंदियों को रोज़ गर्व से छूते हैं, हमें बहुत कुछ सिखाते हैं | ऐसा ही एक जीवन रहा ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का | वरुण सिंह, उस हेलीकॉप्टर को उड़ा रहे थे, जो इस महीने तमिलनाडु में हादसे का शिकार हो गया | उस हादसे में, हमने, देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत कई वीरों को खो दिया | वरुण सिंह भी मौत से कई दिन तक जांबाजी से लड़े, लेकिन फिर वो भी हमें छोड़कर चले गए | वरुण जब अस्पताल में थे, उस समय मैंने social media पर कुछ ऐसा देखा, जो मेरे ह्रदय को छू गया | इस साल अगस्त में ही उन्हें शौर्य चक्र दिया गया था | इस सम्मान के बाद उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल को एक चिट्ठी लिखी थी | इस चिट्ठी को पढ़कर मेरे मन में पहला विचार यही आया कि सफलता के शीर्ष पर पहुँच कर भी वे जड़ों को सींचना नहीं भूले | दूसरा – कि जब उनके पास celebrate करने का समय था, तो उन्होंने आने वाली पीढ़ियों की चिंता की | वो चाहते थे कि जिस स्कूल में वो पढ़े, वहाँ के विद्यार्थियों की जिंदगी भी एक celebration बने | अपने पत्र में वरुण सिंह जी ने अपने पराक्रम का बखान नहीं किया बल्कि अपनी असफलताओं की बात की | कैसे उन्होंने अपनी कमियों को काबिलियत में बदला, इसकी बात की | इस पत्र में एक जगह उन्होंने लिखा है – “It is ok to be mediocre. Not everyone will excel at school and not everyone will be able to score in the 90s. If you do, it is an amazing achievement and must be applauded. However, if you don’t, do not think that you are meant to be mediocre. You may be mediocre in school but it is by no means a measure of things to come in life. Find your calling; it could be art, music, graphic design, literature, etc. Whatever you work towards, be dedicated, do your best. Never go to bed thinking, I could have put-in more efforts.
साथियो, औसत से असाधारण बनने का उन्होंने जो मंत्र दिया है, वो भी उतना ही महत्वपूर्ण है | इसी पत्र में वरुण सिंह ने लिखा है –
“Never lose hope. Never think that you cannot be good at what you want to be. It will not come easy, it will take sacrifice of time and comfort. I was mediocre, and today, I have reached difficult milestones in my career. Do not think that 12th board marks decide what you are capable of achieving in life. Believe in yourself and work towards it.”
वरुण ने लिखा था कि अगर वो एक भी student को प्रेरणा दे सके, तो ये भी बहुत होगा | लेकिन, आज मैं कहना चाहूँगा – उन्होंने पूरे देश को प्रेरित किया है | उनका letter भले ही केवल students से बात करता हो, लेकिन उन्होंने हमारे पूरे समाज को सन्देश दिया है |
साथियो, हर साल मैं ऐसे ही विषयों पर विद्यार्थियों के साथ परीक्षा पर चर्चा करता हूँ | इस साल भी exams से पहले मैं students के साथ चर्चा करने की planning कर रहा हूँ | इस कार्यक्रम के लिए दो दिन बाद 28 दिसंबर से MyGov.in पर registration भी शुरू होने जा रहा है | ये registration 28 दिसंबर से 20 जनवरी तक चलेगा | इसके लिए क्लास 9 से 12 तक के students, teachers, और parents के लिए online competition भी आयोजित होगा | मैं चाहूँगा कि आप सब इसमें जरुर हिस्सा लें | आपसे मुलाक़ात करने का मौका मिलेगा | हम सब मिलकर परीक्षा, career, सफलता और विद्यार्थी जीवन से जुड़े अनेक पहलुओं पर मंथन करेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में, अब मैं आपको कुछ सुनाने जा रहा हूँ, जो सरहद के पार, कहीं बहुत दूर से आई है | ये आपको आनंदित भी करेंगी और हैरान भी कर देगी:
Vocal #(Vande Matram)
वन्दे मातरम् । वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां मातरम् । वन्दे मातरम्
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम् ।। १ ।।
वन्दे मातरम् । वन्दे मातरम् ।
मुझे पूरा विश्वास है कि ये सुनकर आपको बहुत अच्छा लगा होगा, गर्व की अनुभूति हुई होगी | वन्दे मातरम् में जो भाव निहित है, वो हमें गर्व और जोश से भर देता है |
साथियो, आप ये जरूर सोच रहे होंगे कि आखिर ये खूबसूरत video कहाँ का है, किस देश से आया है ? इसका जवाब आपकी हैरानी और बढ़ा देगा | वन्दे मातरम् प्रस्तुत करने वाले ये students Greece के हैं | वहां वे इलिया के हाई स्कूल में पढ़ाई करते हैं | इन्होंने जिस खूबसूरती और भाव के साथ ‘वंदे मातरम्’ गाया है वो अद्भुत और सराहनीय है | ऐसे ही प्रयास, दो देशों के लोगों को और करीब लाते हैं | मैं Greece के इन छात्र- छात्राओं और उनके Teachers का अभिनन्दन करता हूँ | आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान किये गए उनके प्रयास की सराहना करता हूँ |
साथियो, मैं लखनऊ के रहने वाले निलेश जी की एक post की भी चर्चा करना चाहूँगा | निलेश जी ने लखनऊ में हुए एक अनूठे Drone Show की बहुत प्रशंसा की है | ये Drone Show लखनऊ के Residency क्षेत्र में आयोजित किया गया था | 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम की गवाही, Residency की दीवारों पर आज भी नजर आती है | Residency में हुए Drone Show में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अलग-अलग पहलुओं को जीवंत बनाया गया | चाहे ‘चौरी चौरा आन्दोलन’ हो, ‘काकोरी ट्रेन’ की घटना हो या फिर नेताजी सुभाष का अदम्य साहस और पराक्रम, इस Drone Show ने सबका दिल जीत लिया | आप भी इसी तरह अपने शहरों के, गांवों के, आजादी के आन्दोलन से जुड़े अनूठे पहलुओं को लोगों के सामने ला सकते हैं | इसमें Technology की भी खूब मदद ले सकते हैं | आजादी का अमृत महोत्सव, हमें आजादी की जंग की स्मृतियों को जीने का अवसर देता है, उसको अनुभव करने का अवसर देता है | ये देश के लिए नए संकल्प लेने का, कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति दिखाने का, प्रेरक उत्सव है, प्रेरक अवसर है | आइए, स्वतंत्रता संग्राम की महान विभूतियों से प्रेरित होते रहें, देश के लिए अपने प्रयास और मजबूत करते रहें |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारा भारत कई अनेक असाधारण प्रतिभाओं से संपन्न है, जिनका कृतित्व दूसरों को भी कुछ करने के लिए प्रेरित करता है | ऐसे ही एक व्यक्ति हैं तेलंगाना के डॉक्टर कुरेला विट्ठलाचार्य जी | उनकी उम्र 84 साल है | विट्ठलाचार्य जी इसकी मिसाल है कि जब बात अपने सपने पूरे करने की हो, तो उम्र कोई मायने नहीं रखती | साथियो, विट्ठलाचार्य जी की बचपन से एक इच्छा थी कि वो एक बड़ी सी Library खोलें | देश तब गुलाम था, कुछ परिस्थितियां ऐसी थीं कि बचपन का वो सपना, तब सपना ही रह गया | समय के साथ विट्ठलाचार्य जी, Lecturer बने, तेलुगु भाषा का गहन अध्ययन किया और उसी में कई सारी रचनाओं का सृजन भी किया | 6-7 साल पहले वो एक बार फिर अपना सपना पूरा करने में जुटे | उन्होंने खुद की किताबों से Library की शुरुआत की | अपने जीवनभर की कमाई इसमें लगा दी | धीरे-धीरे लोग इससे जुड़ते चले गए और योगदान करते गए | यदाद्रि-भुवनागिरी जिले के रमन्नापेट मंडल की इस Library में करीब 2 लाख पुस्तकें हैं | विट्ठलाचार्य जी कहते हैं कि पढ़ाई को लेकर उन्हें जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ा, वो किसी और को न करना पड़े | उन्हें आज ये देखकर बहुत अच्छा लगता है कि बड़ी संख्या में Students को इसका लाभ मिल रहा है | उनके प्रयासों से प्रेरित होकर, कई दूसरे गांवों के लोग भी Library बनाने में जुटे हैं |
साथियो, किताबें सिर्फ ज्ञान ही नहीं देतीं बल्कि व्यक्तित्व भी संवारती हैं, जीवन को भी गढ़ती हैं | किताबें पढ़ने का शौक एक अद्भुत संतोष देता है | आजकल मैं देखता हूं कि लोग ये बहुत गर्व से बताते हैं कि इस साल मैंने इतनी किताबें पढ़ीं | अब आगे मुझे ये किताबें और पढ़नी हैं | ये एक अच्छा Trend है, जिसे और बढ़ाना चाहिए | मैं भी ‘मन की बात’ के श्रोताओ से कहूंगा कि आप इस वर्ष की अपनी उन पाँच किताबों के बारे में बताएं, जो आपकी पसंदीदा रही हैं | इस तरह से आप 2022 में दूसरे पाठकों को अच्छी किताबें चुनने में भी मदद कर सकेंगे | ऐसे समय में जब हमारा Screen Time बढ़ रहा है, Book Reading अधिक से अधिक Popular बने, इसके लिए भी हमें मिलकर प्रयास करना होगा |
मेरे प्यारे देशवासियो, हाल ही में मेरा ध्यान एक दिलचस्प प्रयास की ओर गया है | ये कोशिश हमारे प्राचीन ग्रंथों और सांस्कृतिक मूल्यों को भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में लोकप्रिय बनाने की है | पुणे में Bhandarkar Oriental Research Institute नाम का एक Centre है | इस संस्थान ने दूसरे देशों के लोगों को महाभारत के महत्व से परिचित कराने के लिए Online Course शुरू किया है | आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि ये Course भले अभी शुरू किया गया है लेकिन इसमें जो Content पढ़ाया जाता है उसे तैयार करने की शुरुआत 100 साल से भी पहले हुई थी | जब Institute ने इससे जुड़ा Course शुरू किया तो उसे जबरदस्त Response मिला | मैं इस शानदार पहल की चर्चा इसलिए कर रहा हूं ताकि लोगों को पता चले कि हमारी परंपरा के विभिन्न पहलुओं को किस प्रकार Modern तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है | सात समंदर पार बैठे लोगों तक इसका लाभ कैसे पहुंचे, इसके लिए भी Innovative तरीके अपनाए जा रहे हैं |
साथियो, आज दुनियाभर में भारतीय संस्कृति के बारे में जानने को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है | अलग-अलग देशों के लोग ना सिर्फ हमारी संस्कृति के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं बल्कि उसे बढ़ाने में भी मदद कर रहे हैं | ऐसे ही एक व्यक्ति हैं, सर्बियन स्कॉलर डॉ. मोमिर निकिच (Serbian Scholar Dr. Momir Nikich) | इन्होंने एक Bilingual Sanskrit-Serbian डिक्शनरी तैयार की है | इस डिक्शनरी में शामिल किए गए संस्कृत के 70 हजार से अधिक शब्दों का सर्बियन भाषा में अनुवाद किया गया है | आपको ये जानकार और भी अच्छा लगेगा कि डॉ० निकिच ने 70 वर्ष की उम्र में संस्कृत भाषा सीखी है | वे बताते हैं कि इसकी प्रेरणा उन्हें महात्मा गांधी के लेखों को पढ़कर मिली | इसी प्रकार का उदाहरण मंगोलिया के 93 (तिरानवे) साल के प्रोफ़ेसर जे. गेंदेधरम का भी है | पिछले 4 दशकों में उन्होंने भारत के करीब 40 प्राचीन ग्रंथों, महाकाव्यों और रचनाओं का मंगोलियन भाषा में अनुवाद किया है | अपने देश में भी इस तरह के जज्बे के साथ बहुत लोग काम कर रहे हैं | मुझे गोवा के सागर मुले जी के प्रयासों के बारे में भी जानने को मिला है, जो सैकड़ों वर्ष पुरानी ‘कावी’ चित्रकला को लुप्त होने से बचाने में जुटे हैं | ‘कावी’ चित्रकला भारत के प्राचीन इतिहास को अपने आप में समेटे है | दरअसल, ‘काव’ का अर्थ होता है लाल मिट्टी | प्राचीन काल में इस कला में लाल मिट्टी का प्रयोग किया जाता था | गोवा में पुर्तगाली शासन के दौरान वहाँ से पलायन करने वाले लोगों ने दूसरे राज्यों के लोगों का भी इस अद्भुत चित्रकला से परिचय कराया | समय के साथ ये चित्रकला लुप्त होती जा रही थी | लेकिन सागर मुले जी ने इस कला में नई जान फूँक दी है | उनके इस प्रयास को भरपूर सराहना भी मिल रही है | साथियो, एक छोटी सी कोशिश, एक छोटा कदम भी, हमारे समृद्ध कलाओं के संरक्षण में बहुत बड़ा योगदान दे सकता है | अगर हमारे देश के लोग ठान लें, तो देशभर में हमारी प्राचीन कलाओं को सजाने, संवारने और बचाने का जज्बा एक जन-आंदोलन का रूप ले सकता है | मैंने यहाँ कुछ ही प्रयासों के बारे में बात की है | देशभर में इस तरह के अनेक प्रयास हो रहे हैं | आप उनकी जानकारी Namo App के ज़रिये मुझ तक जरुर पहुँचाएँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, अरुणाचल प्रदेश के लोगों ने साल भर से एक अनूठा अभियान चला रखा है और उसे नाम दिया है “अरुणाचल प्रदेश एयरगन सरेंडर अभियान” | इस अभियान में, लोग, स्वेच्छा से अपनी एयरगन सरेंडर कर रहे हैं – जानते हैं क्यों ? ताकि अरुणाचल प्रदेश में पक्षियों का अंधाधुंध शिकार रुक सके | साथियो, अरुणाचल प्रदेश पक्षियों की 500 से भी अधिक प्रजातियों का घर है | इनमें कुछ ऐसी देसी प्रजातियाँ भी शामिल हैं, जो दुनिया में कहीं और नहीं पाई जाती हैं | लेकिन धीरे-धीरे अब जंगलों में पक्षियों की संख्या में कमी आने लगी है | इसे सुधारने के लिए ही अब ये एयरगन सरेंडर अभियान चल रहा है | पिछले कुछ महीनों में पहाड़ से मैदानी इलाकों तक, एक Community से लेकर दूसरी Community तक, राज्य में हर तरफ लोगों ने इसे खुले दिल से अपनाया है | अरुणाचल के लोग अपनी मर्जी से अब तक 1600 से ज्यादा एयरगन सरेंडर कर चुके हैं | मैं अरुणाचल के लोगों की, इसके लिए प्रशंसा करता हूँ, उनका अभिनन्दन करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, आप सभी की ओर से 2022 से जुड़े बहुत सारे सन्देश और सुझाव आए हैं | एक विषय हर बार की तरह अधिकांश लोगो के संदेशो में हैं | ये है स्वच्छता और स्वच्छ भारत का | स्वच्छता का ये संकल्प अनुशासन से, सजगता से, और समर्पण से ही पूरा होगा | हम एनसीसी कैडेट्स (NCC Cadets) द्वारा शुरू किए गये पुनीत सागर अभियान में भी इसकी झलक देख सकते हैं | इस अभियान में 30 हज़ार से अधिक एनसीसी कैडेट्स शामिल हुए | NCC के इन cadets ने beaches पर सफाई की, वहाँ से प्लास्टिक कचरा हटाकर उसे recycling के लिए इकट्ठा किया | हमारे beaches, हमारे पहाड़ ये हमारे घूमने लायक तभी होते हैं जब वहाँ साफ सफाई हो | बहुत से लोग किसी जगह जाने का सपना ज़िन्दगी भर देखते हैं, लेकिन जब वहाँ जाते हैं तो जाने-अनजाने कचरा भी फैला आते हैं | ये हर देशवासी की ज़िम्मेदारी है कि जो जगह हमें इतनी खुशी देती हैं, हम उन्हें अस्वच्छ न करें |
साथियो, मुझे saafwater (साफवाटर) नाम से एक start-up के बारे में पता चला है जिसे कुछ युवाओं ने शुरु किया है | ये Artificial Intelligence और internet of things की मदद से लोगों को उनके इलाके में पानी की शुद्धता और quality से जुड़ी जानकारी देगा | ये स्वच्छता का ही तो एक अगला चरण है | लोगों के स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य के लिए इस start-up की अहमियत को देखते हुए इसे एक Global Award भी मिला है |
साथियो, ‘एक कदम स्वच्छता की ओर’ इस प्रयास में संस्थाएँ हो या सरकार, सभी की महत्वपूर्ण भूमिका है | आप सब जानते हैं कि पहले सरकारी दफ्तरों में पुरानी फाइलों और कागजों का कितना ढ़ेर रहता था | जब से सरकार ने पुराने तौर-तरीकों को बदलना शुरु किया है, ये फाइल्स और कागज के ढ़ेर Digitize होकर computer के folder में समाते जा रहे हैं | जितना पुराना और pending material है, उसे हटाने के लिए मंत्रालयों और विभागों में विशेष अभियान भी चलाए जा रहे हैं | इस अभियान से कुछ बड़ी ही interesting चीज़े हुई हैं | Department of Post में जब ये सफाई अभियान चला तो वहाँ का junkyard पूरी तरह खाली हो गया | अब इस junkyard को courtyard और cafeteria में बदल दिया गया है | एक और junkyard two wheelers के लिए parking space बना दिया गया है | इसी तरह पर्यावरण मंत्रालय ने अपने खाली हुए junkyard को wellness centre में बदल दिया | शहरी कार्य मंत्रालय ने तो एक स्वच्छ ATM भी लगाया है | इसका उद्धेश्य है कि लोग कचरा दें और बदले में cash लेकर जाएँ | Civil Aviation Ministry के विभागों ने पेड़ों से गिरने वाली सूखी पत्तियों और जैविक कचरे से जैविक compost खाद बनाना शुरु किया है | ये विभाग waste paper से stationery भी बनाने का काम कर रहा है | हमारे सरकारी विभाग भी स्वच्छता जैसे विषय पर इतने innovative हो सकते हैं | कुछ साल पहले तक किसी को इसका भरोसा भी नहीं होता था, लेकिन, आज ये व्यवस्था का हिस्सा बनता जा रहा है | यही तो देश की नई सोच है जिसका नेतृत्व सारे देशवासी मिलकर कर रहे हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में इस बार भी हमने ढ़ेर सारे विषयों पर बात की | हर बार की तरह, एक महीने बाद, हम फिर मिलेंगे, लेकिन, 2022 में | हर नई शुरुआत अपने सामर्थ्य को पहचानने का भी एक अवसर लाती है | जिन लक्ष्यों की पहले हम कल्पना भी नहीं करते थे | आज देश उनके लिए प्रयास कर रहा है | हमारे यहाँ कहा गया है –
क्षणश: कणशश्चैव, विद्याम् अर्थं च साधयेत् |
क्षणे नष्टे कुतो विद्या, कणे नष्टे कुतो धनम् ||
यानि, जब हमें विद्या अर्जित करनी हो, कुछ नया सीखना हो, करना हो, तो हमें हर एक क्षण का इस्तेमाल करना चाहिए | और जब हमें, धन अर्जन करना हो, यानि उन्नति-प्रगति करनी हो तो हर एक कण का, यानि हर संसाधन का, समुचित इस्तेमाल करना चाहिए | क्योंकि, क्षण के नष्ट होने से, विद्या और ज्ञान चला जाता है, और कण के नष्ट होने से, धन और प्रगति के रास्ते बंद हो जाते हैं | ये बात हम सब देशवासियों के लिए प्रेरणा है | हमें कितना कुछ सीखना है, नए-नए innovations करने हैं, नए-नए लक्ष्य हासिल करने हैं, इसलिए, हमें एक क्षण गंवाए बिना लगना होगा | हमें देश को विकास की नयी ऊँचाई पर लेकर जाना है, इसलिए हमें अपने हर संसाधन का पूरा इस्तेमाल करना होगा | ये एक तरह से, आत्मनिर्भर भारत का भी मंत्र है, क्योंकि, हम जब अपने संसाधनों का सही इस्तेमाल करेंगे, उन्हें व्यर्थ नहीं होने देंगे, तभी तो हम local की ताकत पहचानेंगे, तभी तो देश आत्मनिर्भर होगा | इसलिए, आईये हम अपना संकल्प दोहरायें कि बड़ा सोचेंगें, बड़े सपने देखेंगे, और उन्हें पूरा करने के लिए जी-जान लगा देंगे | और, हमारे सपने केवल हम तक ही सीमित नहीं होंगे | हमारे सपने ऐसे होंगे जिनसे हमारे समाज और देश का विकास जुड़ा हो, हमारी प्रगति से देश की प्रगति के रास्ते खुलें और इसके लिए, हमें आज ही लगना होगा, बिना एक क्षण गँवाए, बिना एक कण गँवाये | मुझे पूरा भरोसा है कि इसी संकल्प के साथ आने वाले साल में देश आगे बढ़ेगा, और 2022, एक नए भारत के निर्माण का स्वर्णिम पृष्ठ बनेगा | इसी विश्वास के साथ, आप सभी को 2022 की ढेर सारी शुभकामनाएं | बहुत बहुत धन्यवाद |
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | आज हम एक बार फिर ‘मन की बात’ के लिए एक साथ जुड़ रहे हैं | दो दिन बाद दिसम्बर का महीना भी शुरू हो रहा है और दिसम्बर आते ही psychologically हमें ऐसा ही लगता है कि चलिए भई साल पूरा हो गया | ये साल का आखिरी महीना है और नए साल के लिए ताने-बाने बुनना शुरू कर देते हैं | इसी महीने Navy Day और Armed Forces Flag Day भी देश मनाता है | हम सबको मालूम है 16 दिसम्बर को 1971 के युद्ध का स्वर्णिम जयन्ती वर्ष भी देश मना रहा है | मैं इन सभी अवसरों पर देश के सुरक्षा बलों का स्मरण करता हूँ, हमारे वीरों का स्मरण करता हूँ | और विशेष रूप से ऐसे वीरों को जन्म देने वाली वीर माताओं का स्मरण करता हूँ | हमेशा की तरह इस बार भी मुझे NamoApp पर, MyGov पर आप सबके ढ़ेर सारे सुझाव भी मिले हैं | आप लोगों ने मुझे अपने परिवार का एक हिस्सा मानते हुए अपने जीवन के सुख-दुख भी साझा किये हैं | इसमें बहुत सारे नौजवान भी हैं, छात्र-छात्राएँ हैं | मुझे वाकई बहुत अच्छा लगता है कि ‘मन की बात’ का हमारा ये परिवार निरंतर बड़ा तो हो ही रहा है, मन से भी जुड़ रहा है और मकसद से भी जुड़ रहा है और हमारे गहरे होते रिश्ते, हमारे भीतर, निरंतर सकारत्मकता का एक प्रवाह, प्रवाहित कर रहे हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे सीतापुर के ओजस्वी ने लिखा है कि अमृत महोत्सव से जुड़ी चर्चाएँ उन्हें खूब पसंद आ रही हैं | वो अपने दोस्तों के साथ ‘मन की बात’ सुनते हैं और स्वाधीनता संग्राम के बारे में काफी कुछ जानने का, सीखने का, लगातार प्रयास कर रहे हैं | साथियो, अमृत महोत्सव, सीखने के साथ ही हमें देश के लिए कुछ करने की भी प्रेरणा देता है और अब तो देश-भर में आम लोग हों या सरकारें, पंचायत से लेकर parliament तक, अमृत महोत्सव की गूँज है और लगातार इस महोत्सव से जुड़े कार्यक्रमों का सिलसिला चल रहा है | ऐसा ही एक रोचक प्रोग्राम पिछले दिनों दिल्ली में हुआ | “आजादी की कहानी-बच्चों की जुबानी’ कार्यक्रम में बच्चों ने स्वाधीनता संग्राम से जुड़ी गाथाओं को पूरे मनोभाव से प्रस्तुत किया | खास बात ये भी रही कि इसमें भारत के साथ ही नेपाल, मौरिशस, तंजानिया, न्यूजीलैंड और फीजी के students भी शामिल हुए | हमारे देश का महारत्न ONGC. ONGC भी कुछ अलग तरीके से अमृत महोत्सव मना रहा है | ONGC इन दिनों, Oil Fields में अपने students के लिए study tour का आयोजन कर रहा है | इन tours में युवाओं को ONGC के Oil Field Operations की जानकारी दी जा रही है - उद्धेश्य ये कि हमारे उभरते इंजीनियर राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में पूरे जोश और जुनून के साथ हाथ बंटा सकें |
साथियो, आजादी में अपने जनजातीय समुदाय के योगदान को देखते हुए देश ने जनजातीय गौरव सप्ताह भी मनाया है | देश के अलग-अलग हिस्सों में इससे जुड़े कार्यक्रम भी हुए | अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में जारवा और ओंगे, ऐसे जनजातीय समुदायों के लोगों ने अपनी संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन किया | एक कमाल का काम हिमाचल प्रदेश में ऊना के Miniature Writer राम कुमार जोशी जी ने भी किया है, उन्होनें, Postage Stamps पर ही यानी इतने छोटे postage stamp पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के अनोखे sketch बनाए हैं | हिन्दी में लिखे ‘राम’ शब्द पर उन्होनें sketch तैयार किए, जिसमें संक्षेप में दोनों महापुरुषों की जीवनी को भी उकेरा गया है | मध्य प्रदेश के कटनी से भी कुछ साथियों ने एक यादगार दास्तानगोई कार्यक्रम की जानकारी दी है | इसमें रानी दुर्गावती के अदम्य साहस और बलिदान की यादें ताजा की गई हैं | ऐसा ही एक कार्यक्रम काशी में हुआ | गोस्वामी तुलसीदास, संत कबीर, संत रविदास, भारतेन्दु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद जैसी महान विभूतियों के सम्मान में तीन दिनों के महोत्सव का आयोजन किया गया | अलग-अलग कालखंड में, इन सभी की, देश की जन-जागृति में, बहुत बड़ी भूमिका रही है | आपको ध्यान होगा, ‘मन की बात’ के पिछले episodes के दौरान मैंने तीन प्रतियोगिताओं का उल्लेख किया था, competition की बात कही थी - एक देशभक्ति के गीत लिखना, देश भक्ति से जुड़ी, आजादी के आंदोलन से जुड़ी घटनाओं की रंगोली बनाना और हमारे बच्चों के मन में भव्य भारत के सपने जगाने वाली लोरी लिखी जाए | मुझे आशा है कि इन प्रतियोगिताओं के लिए भी आप जरुर Entry भी भेज चुके होंगे, योजना भी बना चुके होंगे और अपने साथियों से चर्चा भी कर चुके होंगे | मुझे आशा है बढ़-चढ़कर के हिन्दुस्तान के हर कोने में इस कार्यक्रम को आप जरुर आगे बढ़ायेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, इस चर्चा से अब मैं आपको सीधे वृन्दावन लेकर चलता हूँ | वृन्दावन के बारे में कहा जाता है कि ये भगवान के प्रेम का प्रत्यक्ष स्वरूप है | हमारे संतों ने भी कहा है –
यह आसा धरि चित्त में, यह आसा धरि चित्त में,
कहत जथा मति मोर |
वृंदावन सुख रंग कौ, वृंदावन सुख रंग कौ,
काहु न पायौ और |
यानि, वृंदावन की महिमा, हम सब, अपने-अपने सामर्थ्य के हिसाब से कहते जरूर हैं, लेकिन वृंदावन का जो सुख है, यहाँ का जो रस है, उसका अंत, कोई नहीं पा सकता, वो तो असीम है | तभी तो वृंदावन दुनिया भर के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता रहा है | इसकी छाप आपको दुनिया के कोने-कोने में मिल जाएगी |
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में एक शहर है, पर्थ | क्रिकेट प्रेमी लोग इस जगत से भली-भांति परिचित होंगे, क्योंकि पर्थ में अक्सर क्रिकेट मैच होते रहते हैं | पर्थ में एक ‘Sacred India Gallery’ इस नाम से एक art gallery भी है | यह gallery Swan Valley के एक खूबसूरत क्षेत्र में बनाई गई है, और, ये ऑस्ट्रेलिया की एक निवासी जगत तारिणी दासी जी के प्रयासों का नतीजा है | जगत तारिणी जी वैसे तो हैं ऑस्ट्रेलिया की, जन्म भी वहीं हुआ, लालन-पालन भी वहीँ हुआ, लेकिन 13 साल से भी अधिक समय, वृन्दावन में आकर के उन्होंने बिताया | उनका कहना है, कि वे ऑस्ट्रेलिया लौट तो गई, अपने देश वापिस तो गयी, लेकिन, वो कभी भी वृन्दावन को भूल नहीं पाईं | इसलिए उन्होने वृंदावन और उसका आध्यात्मिक भाव से जुडने के लिए ऑस्ट्रेलिया में ही वृन्दावन खड़ा कर दिया | अपनी कला को ही एक माध्यम बना करके एक अद्भुत वृन्दावन उन्होंने बना लिया | यहाँ आने वाले लोगों को कई तरह की कलाकृतियों को देखने का अवसर मिलता है | उन्हें भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध तीर्थस्थलों - वृंदावन, नवाद्वीप और जगन्नाथपुरी की परंपरा और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है | यहाँ पर भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी कई कलाकृतियाँ भी प्रदर्शित की गई हैं | एक कलाकृति ऐसी भी है, जिसमें भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा रखा है, जिसके नीचे वृंदावन के लोग आश्रय लिए हुए हैं | जगत तारिणी जी का यह अद्भुत प्रयास, वाकई, हमें कृष्ण भक्ति की शक्ति का दर्शन कराता है | मैं, उन्हें, इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, अभी मैं ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में बने वृन्दावन के विषय में बात कर रहा था | ये भी एक दिलचस्प इतिहास है कि ऑस्ट्रेलिया क