उपस्थित सभी महानुभाव,

आप सबको क्रिसमस के पावन पर्व की बुहत-बहुत शुभकामनाएं। ये आज सौभाग्य है कि 25 दिसंबर, पंडित मदन मोहन मालवीय जी की जन्म जयंती पर, मुझे उस पावन धरती पर आने का सौभाग्य मिला है जिसके कण-कण पर पंडित जी के सपने बसे हुए हैं। जिनकी अंगुली पकड़ कर के हमें बड़े होने का सौभाग्य मिला, जिनके मार्गदर्शन में हमें काम करने का सौभाग्य मिला ऐसे अटल बिहारी वाजपेयी जी का भी आज जन्मदिन है और आज जहां पर पंडित जी का सपना साकार हुआ, उस धरती के नरेश उनकी पुण्यतिथि का भी अवसर है। उन सभी महापुरुषों को नमन करते हुए, आज एक प्रकार से ये कार्यक्रम अपने आप में एक पंचामृत है। एक ही समारोह में अनेक कार्यक्रमों का आज कोई-न-कोई रूप में आपके सामने प्रस्तुतिकरण हो रहा है। कहीं शिलान्यास हो रहा है तो कहीं युक्ति का Promotion हो रहा है तो Teachers’ Training की व्यवस्था हो रही है तो काशी जिसकी पहचान में एक बहुत महत्वपूर्ण बात है कि यहां कि सांस्कृतिक विरासत उन सभी का एक साथ आज आपके बीच में उद्घाटन करने का अवसर मुझे मिला है। मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

मैं विशेष रूप से इस बात की चर्चा करना चाहता हूं कि जब-जब मानवजाति ने ज्ञान युग में प्रवेश किया है तब-तब भारत ने विश्व गुरू की भूमिका निभाई है और 21वीं सदी ज्ञान की सदी है मतलब की 21वीं सदी भारत की बहुत बड़ी जिम्मेवारियों की भी सदी है और अगर ज्ञान युग ही हमारी विरासत है तो भारत ने उस एक क्षेत्र में विश्व के उपयोगी कुछ न कुछ योगदान देने की समय की मांग है। मनुष्य का पूर्णत्व Technology में समाहित नहीं हो सकता है और पूर्णत्व के बिना मनुष्य मानव कल्याण की धरोहर नहीं बन सकता है और इसलिए पूर्णत्व के लक्ष्य को प्राप्त करना उसी अगर मकसद को लेकर के चलते हैं तो विज्ञान हो, Technology हो नए-नए Innovations हो, Inventions हो लेकिन उस बीच में भी एक मानव मन एक परिपूर्ण मानव मन ये भी विश्व की बहुत बड़ी आवश्यकता है।

हमारी शिक्षा व्यवस्था Robot पैदा करने के लिए नहीं है। Robot तो शायद 5-50 वैज्ञानिक मिलकर शायद लेबोरेटरी में पैदा कर देंगे, लेकिन नरकर्णी करे तो नारायण हो जाए। ये जिस भूमि का संदेश है वहां तो व्यक्तित्व का संपूर्णतम विकास यही परिलक्षित होता है और इसलिए इस धरती से जो आवाज उठी थी, इस धरती से जो संस्कार की गंगा बही थी उसमें संस्कृति की शिक्षा तो थी लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण था शिक्षा की संस्कृति और आज कहीं ऐसा तो नहीं है सदियों से संजोयी हुई हमारी शैक्षिक परंपरा है, जो एक संस्कृतिक विरासत के रूप में विकसित हुई है। वो शिक्षा की संस्कृति तो लुप्त नहीं हो रही है? वो भी तो कहीं प्रदूषित नहीं हो रही है? और तब जाकर के आवश्यकता है कि कालवाह्य चीजों को छोड़कर के उज्जवलतम भविष्य की ओर नजर रखते हुए पुरानी धरोहर के अधिष्ठान को संजोते हुए हम किस प्रकार की व्यवस्था को विकसित करें जो आने वाली सदियों तक मानव कल्याण के काम आएं।

हम दुनिया के किसी भी महापुरुष का अगर जीवन चरित्र पढ़ेंगे, तो दो बातें बहुत स्वाभाविक रूप से उभर कर के आती हैं। अगर कोई पूछे कि आपके जीवन की सफलता के कारण तो बहुत एक लोगों से एक बात है कि एक मेरी मां का योगदान, हर कोई कहता है और दूसरा मेरे शिक्षक का योगदान। कोई ऐसा महापुरुष नहीं होगा जिसने ये न कहा हो कि मेरे शिक्षक का बुहत बड़ा contribution है, मेरी जिंदगी को बनाने में, अगर ये हमें सच्चाई को हम स्वीकार करते हैं तो हम ये बहुमूल्य जो हमारी धरोहर है इसको हम और अधिक तेजस्वी कैसे बनाएं और अधिक प्राणवान कैसे बनाएं और उसी में से विचार आया कि, वो देश जिसके पास इतना बड़ा युवा सामर्थ्य है, युवा शक्ति है।

आज पूरे विश्व को उत्तम से उत्तम शिक्षकों की बहुत बड़ी खोट है, कमी है। आप कितने ही धनी परिवार से मिलिए, कितने ही सुखी परिवार से मिलिए, उनको पूछिए किसी एक चीज की आपको आवश्यकता लगती है तो क्या लगती है। अरबों-खरबों रुपयों का मालिक होगा, घर में हर प्रकार का सुख-वैभव होगा तो वो ये कहेगा कि मुझे अच्छा टीचर चाहिए मेरे बच्चों के लिए। आप अपने ड्राइवर से भी पूछिए कि आपकी क्या इच्छा है तो ड्राइवर भी कहता है कि मेरे बच्चे भी अच्छी शिक्षी ही मेरी कामना है। अच्छी शिक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर के दायरे में नहीं आती। Infrastructure तो एक व्यवस्था है। अच्छी शिक्षा अच्छे शिक्षकों से जुड़ी हुई होती है और इसलिए अच्छे शिक्षकों का निर्माण कैसे हो और हम एक नए तरीके से कैसे सोचें?

आज 12 वीं के बीएड, एमएड वगैरह होता है वो आते हैं, ज्यादातर बहुत पहले से ही जिसने तय किया कि मुझे शिक्षक बनना है ऐसे बहुत कम लोग होते हैं। ज्यादातर कुछ न कुछ बनने का try करते-करके करके हुए आखिर कर यहां चल पड़ते हैं। मैं यहां के लोगों की बात नहीं कर रहा हूं। हम एक माहौल बना सकते हैं कि 10वीं,12वीं की विद्यार्थी अवस्था में विद्यार्थियों के मन में एक सपना हो मैं एक उत्तम शिक्षक बनना चाहता हूं। ये कैसे बोया जाए, ये environment कैसे create किया जाए? और 12वीं के बाद पहले Graduation के बाद law faculty में जाते थे और वकालत धीरे-धीरे बदलाव आया और 12वीं के बाद ही पांच Law Faculty में जाते हैं और lawyer बनकर आते हैं। क्या 10वीं और 12वीं के बाद ही Teacher का एक पूर्ण समय का Course शुरू हो सकता है और उसमें Subject specific मिले और जब एक विद्यार्थी जिसे पता है कि मुझे Teacher बनना है तो Classroom में वो सिर्फ Exam देने के लिए पढ़ता नहीं है वो अपने शिक्षक की हर बारीकी को देखता है और हर चीज में सोचता है कि मैं शिक्षक बनूंगा तो कैसे करूंगा, मैं शिक्षक बनूंगा ये उसके मन में रहता है और ये एक पूरा Culture बदलने की आवश्यकता है।

उसके साथ-साथ भले ही वो विज्ञान का शिक्षक हो, गणित का शिक्षक हो उसको हमारी परंपराओं का ज्ञान होना चाहिए। उसे Child Psychology का पता होना चाहिए, उसको विद्यार्थियों को Counselling कैसे करना चाहिए ये सीखना चाहिए, उसे विद्यार्थियों को मित्रवत व्यवहार कैसे करना है ये सीखाना चाहिए और ये चीजें Training से हो सकती हैं, ऐसा नहीं है कि ये नहीं हो सकता है। सब कुछ Training से हो सकता है और हम इस प्रकार के उत्तम शिक्षकों को तैयार करें मुझे विश्वास है कि दुनिया को जितने शिक्षकों की आवश्यकता है, हम पूरे विश्व को, भारत के पास इतना बड़ा युवा धन है लाखों की तादाद में हम शिक्षक Export कर सकते हैं। Already मांग तो है ही है हमें योग्यता के साथ लोगों को तैयार करने की आवश्यकता है और एक व्यापारी जाता है बाहर तो Dollar या Pound ले आता है लेकिन एक शिक्षक जाता है तो पूरी-पूरी पीढ़ी को अपने साथ ले आता है। हम कल्पना कर सकते हैं कितना बड़ा काम हम वैश्विक स्तर पर कर सकते हैं और उसी एक सपने को साकार करने के लिए पंड़ित मदन मोहन मालवीय जी के नाम से इस मिशन को प्रारंभ किया गया है। और आज उसका शुभारंभ करने का मुझे अवसर मिला है।

आज पूरे विश्व में भारत के Handicraft तरफ लोगों का ध्यान है, आकर्षण है लेकिन हमारी इस पुरानी पद्धतियों से बनी हुई चीजें Quantum भी कम होता है, Wastage भी बहुत होता है, समय भी बहुत जाता है और इसके कारण एक दिन में वो पांच खिलौने बनाता है तो पेट नहीं भरता है लेकिन अगर Technology के उपयोग से 25 खिलौने बनाता है तो उसका पेट भी भरता है, बाजार में जाता है और इसलिए आधुनिक विज्ञान और Technology को हमारे परंपरागत जो खिलौने हैं उसका कैसे जोड़ा जाए उसका एक छोटा-सा प्रदर्शन मैंने अभी उनके प्रयोग देखे, मैं देख रहा था एक बहुत ही सामान्य प्रकार की टेक्नोलोजी को विकसित किया गया है लेकिन वो उनके लिए बहुत बड़ी उपयोगिता है वरना वो लंबे समय अरसे से वो ही करते रहते थे। उसके कारण उनके Production में Quality, Production में Quantity और उसके कारण वैश्विक बाजार में अपनी जगह बनाने की संभावनाएं और हमारे Handicrafts की विश्व बाजार की संभावनाएं बढ़ी हैं। आज हम उनको Online Marketing की सुविधाएं उपलब्ध कराएं। युक्ति, जो अभियान है उसके माध्यम से हमारे जो कलाकार हैं, काश्तकारों को ,हमारे विश्वकर्मा हैं ये इन सभी विश्वकर्माओं के हाथ में हुनर देने का उनका प्रयास। उनके पास जो skill है उसको Technology के लिए Up-gradation करने का प्रयास। उस Technology में नई Research हो उनको Provide हो, उस दिशा में प्रयास बढ़ रहे हैं।

हमारे देश में सांस्कृतिक कार्यक्रम तो बहुत होते रहते हैं। कई जगहों पर होते हैं। बनारस में एक विशेष रूप से भी आरंभ किया है। हमारे टूरिज्म को बढ़ावा देने में इसकी बहुत बड़ी ताकत है। आप देखते होंगे कि दुनिया ने, हम ये तो गर्व करते थे कि हमारे ऋषियों ने, मुनियों ने हमें योग दिया holistic health के लिए preventive health के लिए योग की हमें विरासत मिली और धीरे-धीरे दुनिया को भी लगने लगा योग है क्या चीज और दुनिया में लोग पहुंच गए। नाक पकड़कर के डॉलर भी कमाने लग गए। लेकिन ये शास्त्र आज के संकटों के युग में जी रहे मानव को एक संतुलित जीवन जीने की ताकत कैसे मिले। योग बहुत बड़ा योगदान कर सकता है। मैं सितंबर में UN में गया था और UN में पहली बार मुझे भाषण करने का दायित्व था। मैंने उस दिन कहा कि हम एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाएं और मैंने प्रस्तावित किया था 21 जून। सामान्य रूप से इस प्रकार के जब प्रस्ताव आते हैं तो उसको पारित होने में डेढ़ साल, दो साल, ढ़ाई साल लग जाते हैं। अब तक ऐसे जितने प्रस्ताव आए हैं उसमें ज्यादा से ज्यादा 150-160 देशों नें सहभागिता दिखाई है। जब योग का प्रस्ताव रखा मुझे आज बड़े आनंद और गर्व के साथ कहना है और बनारस के प्रतिनिधि के नाते बनारस के नागरिकों को ये हिसाब देते हुए, मुझे गर्व होता है कि 177 Countries Co- sponsor बनी जो एक World Record है। इस प्रकार के प्रस्ताव में 177 Countries का Co- sponsor बनना एक World Record है और जिस काम में डेढ़-दो साल लगते हैं वो काम करीब-करीब 100 दिन में पूरा हो गया। UN ने इसे 21 जून को घोषित कर दिया ये भी अपने आप में एक World Record है।

हमारी सांस्कृतिक विरासत की एक ताकत है। हम दुनिया के सामने आत्मविश्वास के साथ कैसे ले जाएं। हमारा गीत-संगीत, नृत्य, नाट्य, कला, साहित्य कितनी बड़ी विरासत है। सूरज उगने से पहले कौन-सा संगीत, सूरज उगने के बाद कौन-सा संगीत यहां तक कि बारीक रेखाएं बनाने वाला काम हमारे पूर्वजों ने किया है और दुनिया में संगीत तो बहुत प्रकार के हैं लेकिन ज्यादातर संगीत तन को डोलाते हैं बहुत कम संगीत मन को डोलाते हैं। हम उस संगीत के धनी हैं जो मन को डोलाता है और मन को डोलाने वाले संगीत को विश्व के अंदर कैसे रखें यही प्रयासों से वो आगे बढ़ने वाला है लेकिन मेरे मन में विचार है क्या बनारस के कुछ स्कूल, स्कूल हो, कॉलेज हो आगे आ सकते हैं क्या और बनारस के जीवन पर ही एक विषय पर ही एक स्कूल की Mastery हो बनारस की विरासत पर, कोई एक स्कूल हो जिसकी तुलसी पर Mastery हो, कोई स्कूल हो जिसकी कबीर पर हो, ऐसी जो भी यहां की विरासत है उन सब पर और हर दिन शाम के समय एक घंटा उसी स्कूल में नाट्य मंच पर Daily उसका कार्यक्रम हो और जो Tourist आएं जिसको कबीर के पास जाना है उसके स्कूल में चला जाएगा, बैठेगा घंटे-भर, जिसको तुलसी के पास जाना है वो उस स्कूल में जाए बैठेगा घंटे भर , धीरे-धीरे स्कूल टिकट भी रख सकता है अगर popular हो जाएगी तो स्कूल की income भी बढ़ सकती है लेकिन काशी में आया हुआ Tourist वो आएगा हमारे पूर्वजों के प्रयासों के कारण, बाबा भोलेनाथ के कारण, मां गंगा के कारण, लेकिन रुकेगा हमारे प्रयासों के कारण। आने वाला है उसके लिए कोई मेहनत करने की जरूरत नहीं क्योंकि वो जन्म से ही तय करके बैठा है कि जाने है एक बार बाबा के दरबार में जाना है लेकिन वो एक रात यहां तब रुकेगा उसके लिए हम ऐसी व्यवस्था करें तब ऐसी व्यवस्था विकसित करें और एक बार रात रुक गया तो यहां के 5-50 नौजवानों को रोजगार मिलना ही मिलना है। वो 200-500-1000 रुपए खर्च करके जाएगा जो हमारे बनारस की इकॉनोमी को चलाएगा और हर दिन ऐसे हजारों लोग आते हैं और रुकते हैं तो पूरी Economy यहां कितनी बढ़ सकती है लेकिन इसके लिए ये छोटी-छोटी चीजें काम आ सकती हैं।

हमारे हर स्कूल में कैसा हो, हमारे जो सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, परंपरागत जो हमारे ज्ञान-विज्ञान हैं उसको तो प्रस्तुत करे लेकिन साथ-साथ समय की मांग इस प्रकार की स्पर्धाएं हो सकती हैं, मान लीजिए ऐसे नाट्य लेखक हो जो स्वच्छता पर ही बड़े Touchy नाटक लिखें अगर स्वच्छता के कारण गरीब को कितना फायदा होता है आज गंदगी के कारण Average एक गरीब को सात हजार रुपए दवाई का खर्चा आता है अगर हम स्वच्छता कर लें तो गरीब का सात हजार रुपए बच जाता है। तीन लोगों का परिवार है तो 21 हजार रुपए बच जाता है। ये स्वच्छता का कार्यक्रम एक बहुत बड़ा अर्थ कारण भी उसके साथ जुड़ा हुआ है और स्वच्छता ही है जो टूरिज्म की लिए बहुत बड़ी आवश्यकता होती है। क्या हमारे सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाट्य मंचन में ऐसे मंचन, ऐसे काव्य मंचन, ऐसे गीत, कवि सम्मेलन हो तो स्वच्छता पर क्यों न हो, उसी प्रकार से बेटी बचाओ भारत जैसा देश जहां नारी के गौरव की बड़ी गाथाएं हम सुनते हैं। इसी धरती की बेटी रानी लक्ष्मीबाई को हम याद करते हैं लेकिन उसी देश में बटी को मां के गर्भ में मार देते हैं। इससे बड़ा कोई पाप हो नहीं सकता है। क्या हमारे नाट्य मंचन पर हमारे कलाकारों के माध्यम से लगातार बार-बार हमारी कविताओं में, हमारे नाट्य मंचों पर, हमारे संवाद में, हमारे लेखन में बेटी बचाओ जैसे अभियान हम घर-घर पहुंच सकते हैं।

भारत जैसा देश जहां चींटी को भी अन्न खिलाना ये हमारी परंपरा रही है, गाय को भी खिलाना, ये हमारी परंपरा रही है। उस देश में कुपोषण, हमारे बालकों को……उस देश में गर्भवती माता कुपोषित हो इससे बड़ी पीड़ा की बात क्या हो सकती है। क्या हमारे नाट्य मंचन के द्वारा, क्या हमारी सांस्कृतिक धरोहर के द्वारा से हम इन चीजों को प्रलोभन के उद्देश्य में ला सकते हैं क्या? मैं कला, साहित्य जगत के लोगों से आग्रह करूंगा कि नए रूप में देश में झकझोरने के लिए कुछ करें।

जब आजादी का आंदोलन चला था तब ये ही साहित्यकार और कलाकार थे जिनकी कलम ने देश को खड़ा कर दिया था। स्वतंत्र भारत में सुशासन का मंत्र लेकर चल रहे तब ये ही हमारे कला और साहित्य के लोगों की कलम के माध्यम से एक राष्ट्र में नवजागरण का माहौल बना सकते हैं।

मैं उन सबको निमंत्रित करता हूं कि सांस्कृतिक सप्ताह यहां मनाया जा रहा है उसके साथ इसका भी यहां चिंतन हो, मनन हो और देश के लिए इस प्रकार की स्पर्धाएं हो और देश के लिए इस प्रकार का काम हो।

मुझे विश्वास है कि इस प्रयास से सपने पूरे हो सकते हैं साथियों, देश दुनिया में नाम रोशन कर सकता है। मैं अनुभव से कह सकता हूं, 6 महीने के मेरे अनुभव से कह सकता हूं पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है हम तैयार नहीं है, हम तैयार नहीं है हमें अपने आप को तैयार करना है, विश्व तैयार बैठा है।

मैं फिर एक बार पंडित मदन मोहन मालवीय जी की धरती को प्रणाम करता हूं, उस महापुरुष को प्रणाम करता हूं। आपको बहुत-बुहत शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद

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भारत माता की... भारत माता की... भारत माता की...

हो भाई, बहिन सब हम्में दानवीर कर्ण के ई चंपानगरी बाबा बूढ़ानाथ आरू मंदार पर्वत, बाबा बासुकीनाथ के ई पवित्र भूमि के प्रणाम करै छिये। अपने सबके आशीर्वाद चाही!!!

साथियों,

देश में दो ही ऐसी जगह है, जहां गंगा उत्तरवाहिनी होती है। एक बनारस और दूसरा भागलपुर। गंगा मइया के आदेश पर मैं बनारस के लोगों की सेवा कर रहा हूं। और आज यहां, मैं भागलपुर में NDA के अपने साथियों के लिए... गंगा मइया का आशीर्वाद लेने आया हूं... आप सबका आशीर्वाद लेने आया हूं। बनारस में हमें बाबा काशी विश्वनाथ की कृपा मिलती है, यहां अजगैबीनाथ बाबा के चरणों में हमें प्रणाम करने का सौभाग्य मिलता है। और इसीलिए भागलपुर आना मेरे लिए बहुत विशेष हो जाता है। साथियों, भागलपुर संघर्ष, संस्कार और सम्मान की धरती है। इसी धरती ने देश को वो सपूत दिए, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। तिलका मांझी ने बंदूक से नहीं, अपने साहस से अंग्रेजों के अहंकार को तोड़ा था। कादंबिनी गांगुली ने अपनी निष्ठा और समर्पण से बेटियों के लिए नया रास्ता खोला था। मैं इस धरती की इन महान विभूतियों को नमन करता हूं। विक्रमशीला की इस भूमि ने हर युग में देश और समाज को दिशा दिखाई है। एक बार फिर भागलपुर की धरती से पूरे बिहार को संदेश जा रहा है, फिर एक बार...NDA सरकार! फिर एक बार... फिर एक बार... फिर एक बार... बिहार में फिर से...सुशासन सरकार !

साथियों,

पहले चरण के मतदान की.. और मतदाताओं का जो उत्साह है.. और अब तक जो मुझे जानकारियां मिली हैं... मतदान की शानदार तस्वीर सामने आ रही हैं। हमारी माताएं-बहनें...बहुत उत्साह के साथ मतदान कर रही हैं। बिहार की बेटियां...जंगलराज से बिहार को दूर रखने के लिए आज दीवार बनकर खड़ी है। मतदान मिथक पर तरह से किले की तरह लाइन बना दी है। भारी मात्रा में मतदान कर रही है। सुशासन की सरकार में....बिहार में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है...माताओं और बहनों को सम्मान मिला है... और इसलिए वे भारी संख्या में वोट देने के आज सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है। बिहार में कांग्रेस-RJD के लोगों ने अनेक दशकों तक सरकारें चलाईं.. लेकिन उनको कभी जीविका दीदी बनाने की याद नहीं आई... उनको लखपति दीदी बनाने के बारे में कभी सोचा ही नहीं... उन्हें पशुपालक बहनों के खाते में सीधा पैसा डालने का ख्याल ही नहीं आया... उनको कभी ये याद नहीं आया कि... बहनों का बैंक खाता खुलवाना है... उन्होंने ये भी नहीं सोचा.. कि आवास योजनाओं के घर बहनों के नाम पर कराना है...

साथियों,

ये काम NDA की डबल इंजन सरकार कर रही है। मोदी ने बहनों के जन-धन खाते खुलवाए... आज नीतीश जी की सरकार...सीधे दस-दस हज़ार रुपए, नए-नए रोजगार शुरू करने के लिए बहनों के खाते में जमा कर रही है। अभी तक एक करोड़ चालीस लाख बहनों के खाते में ये पैसा पहुंच चुका है। आप कल्पना कीजिए... अगर बिहार का सबसे भ्रष्ट परिवार...और देश का सबसे भ्रष्ट परिवार... जो दोनों आभी जमानत पर बाहर है, ये दोनों अगर सत्ता में होते... तो ये पैसे बहनों के खाते में नहीं, ये कांग्रेस-आरजेडी के नेताओं की तिजोरी में पहुंच जाते।

साथियों,

अभी तो सत्ता से इनका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है.. तब भी एक दूसरे को नीचा दिखाने में जुटे हुए हैं। ये नाम के साथी हैं...काम तो एक-दूसरे को नीचे घसीटने का ही कर रहे हैं। आप मुझे बताइए साथियों... शहर में RJD वालों के इतने पोस्टर लगे हैं... आपने उनमें कांग्रेस के नामदार की एक भी तस्वीर देखी है क्या? दिखाई दिया है क्या.. अगर कहीं होगी भी....तो दूरबीन से देखे बिना दिखेगी नहीं। अब दूसरी तरफ आप लोग... कांग्रेस के नामदारों की रैलियां देखिए... उनमें कांग्रेस के नामदार...आरजेडी के नेता का नाम तक नहीं लेते। ऐसी छूआछूत..ऐसी छूआछूत कि एक दूसरे की छाया से उनको डर लगता है। आरजेडी के नेता जो घोषणा करते हैं...उस पर कांग्रेस के नेता चुप हो जाते हैं।

साथियों,

असल में बीते कुछ महीने से कांग्रेस के नेता दावा कर रहे थे कि...उनकी पार्टी बड़ी है और आरजेडी तो छोटी पिछलग्गु है। लेकिन आरजेडी वालों ने कांग्रेस के इस अहंकार को चुनौती दे दी। उनके नामदार के अहंकार को चुनौती दे दी, और उन्होंने तय कर लिया मैं तो मरूं तुझे मार कर के रहूंगा। ये एक दूसरे को मारने में लगे हैं। और कांग्रेस की कनपटी पर कट्टा रखकर...सीएम पद की उम्मीदवारी चोरी कर ली। अब कांग्रेस के लोग आरजेडी से बदला लेने में जुटे हैं। ये जो कांग्रेस के नामदार हैं...वो काफी समय से गायब है। लोग बताते हैं कि ये तो बिहार आना भी नहीं चाहते थे... इनको जबरदस्ती यहां लाया गया है... लेकिन अब ये उल्टा आरजेडी को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं। सत्ता के स्वार्थ के लिए जो अपने साथियों के साथ ऐसा दगा कर सकते हैं... वे बिहार के लोगों के हितैषी कभी नहीं हो सकते।

साथियों,

मोदी आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए काम कर रहा है... स्वदेशी को बढ़ावा दे रहा है...वोकल फॉर लोकल पर बल दे रहा है। ये जो आपलोग चीजें बनाते हैं ना.. मोदी कहता है ये पूरे हिंदुस्तान में बिकनी चाहिए... आप जो चीजें बनाते हैं... वो चीजें दुनिया में बिकनी चाहिए। अगर आपकी चीजें देश और दुनिया में बिकेगी.. तो यहां के लोगों को फायदा होगा कि नहीं होगा? आप जरा जवाब दीजिए फायदा होगा कि नहीं होगा? यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा कि नहीं मिलेगा? यहां के लोगों की कमाई बढ़ेगी कि नहीं बढ़ेगी? तो हम सब ने यहां की बनी हुई चीजों की खरीद करनी चाहिए कि नहीं करनी चाहिए? यहां बनी हुई चीजें बेचनी चाहिए कि नहीं बेचनी चाहिए? हम दिन रात गांव-गांव, गली-गली जाकर ये कह रहे हैं। हमारे अभियान से... यहां के रेशम उत्पादक... हमारे बुनकर भाई-बहन... हमारे कारीगर भाई-बहन, हमारे विश्वकर्मा साथियों को बहुत बड़ा फायदा मिलेगा। भागलपुर का रेशम, मंजूशा आर्ट...मधुबनी की कला, दरभंगा का मखाना, मुजफ्फरपुर की लीची, ये सब हमारे गौरव हैं। हम एक जिला, एक उत्पाद अभियान के तहत, बिहार के हर जिले के उत्पादों को दुनिया तक पहुंचाने में जुटे हैं। लेकिन साथियों, क्या आपने कभी आरजेडी को आत्मनिर्भरता की बात करते सुना है क्या? क्या कांग्रेस के नेताओं को स्वदेशी की चर्चा करते सुना है क्या? जो यहां बनता है वो बिकना चाहिए उनके मुंह से निकलता है क्या? क्या दुश्मनी है गरीबों से? क्या दुश्मनी है छोटे-छोटे कारीगरों से? क्या दुश्मनी है जो गरीब लोग चीजें बनाते हैं उससे? आत्मनिर्भरता और स्वदेशी ये कांग्रेस और उनके साथियों ने उनकी डिक्शनरी में ये शब्द ही नहीं रख है। जंगलराज की जिस पाठशाला में ये RJD वाले पढ़े हैं ना... वहां अ से अपहरण...और अ से अत्याचार ही पढ़ाया जाता है। RJD के लोगों को फ से फिरौती और र से रंगदारी ही समझ आता है। उनकी पाठशाला में प से परिवारवाद सिखाया जाता है। घ से घोटाले की सीख दी जाती है। RJD का ककहरा है- कट्टा, क्रूरता, कटुता, कुसंस्कार, करप्शन और कुशासन।

साथियों,

कांग्रेस और RJD ने बिहार के समाज को भी बांटने का पाप किया है। RJD ने बिहार को...जातीय दंगों में झोंक दिया... तो कांग्रेस ने...मज़हबी दंगे करवाए, भड़काए। भागलपुर दंगों का दाग...कांग्रेस अपने दामन से कभी नहीं छुड़ा पाएगी। जैसे सीखों की हत्या का दाग कांग्रेस के दामन से मिट नहीं सकता वैसे ही भागलपुर के हत्याकांड का दाग कांग्रेस के दामन से कभी हट नहीं सकता। ये दंगे कांग्रेस के कुशासन का सबसे बड़ा प्रतीक हैं।

साथियों,

विनाश की राजनीति करने वालों को...आरजेडी-कांग्रेस वालों को बिहार का विकास पसंद ही नहीं है। आप से बेहतर ये कौन जानता है... कि इन्हीं दलों की कुनीतियों के कारण बिहार के नौजवानों को पलायन का अभिशाप सहना पड़ा... लेकिन NDA ने ठाना हुआ है बिहार का नौजवान... बिहार में काम करेगा...बिहार का नाम करेगा। ये NDA का संकल्प है। हमारा प्रयास है कि बिहार...टेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल और टूरिज्म का हब बने। हमारा बिहार सिल्क के लिए जाना जाता है... हमारा प्रयास है कि बिहार अब सेमीकंडक्टर के लिए पहचाना जाए। इस बार संकल्प पत्र हमने जो आपके सामने रखा है... उसमें भी एक करोड़ रोजगार देने की घोषणा की गई है। ये सिर्फ घोषणा नहीं हैं... इसके लिए हमने एक पक्का रोडमैप भी तैयार किया है।

साथियों,

रोजगार के लिए एक अहम ज़रूरत...बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर की होती है। NDA की डबल इंजन सरकार...इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में बिहार का कायाकल्प कर रही है। इसका प्रमाण हमारा...विक्रमशिला पुल है। फोर लेन वाला ये ब्रिज ट्रैफिक जाम से राहत देगा और शहर की आवाजाही आसान कर देगा। इसी तरह, कोसी पर 7 किलोमीटर लंबा चार लेन का पुल बन रहा है। इससे दूरी भी घटेगी...समय और किराए-भाड़े की भी बचत होगी। आज बिहार का ऐसा कोई कोना नहीं है जहां निर्माण कार्य ना हो रहा हो... आज चारों तरफ हाईवे, एक्सप्रेसवे, हाई-स्पीड कॉरिडोर.बनाए जा रहे हैं। साथियों, हमारी सरकार ने बक्सर-भागलपुर हाईस्पीड कॉरिडोर को भी स्वीकृति दे दी है। इससे भागलपुर और आसपास के सभी जिलों को बहुत फायदा होगा। यहां हज़ारों करोड़ रुपए का नया निवेश आएगा।

साथियों,

आज बिहार में बिजली की बहुत अच्छी व्यवस्था हो रही है। बिहार के सामान्य परिवारों का बिजली बिल कम हुआ है... क्योंकि आज बिहार राज्य में ही काफी बिजली पैदा कर रहा है.. NDA की डबल इंजन सरकार, बिहार में बिजली के अनेक नए कारखाने भी लगा रही है। यहां पीरपैंती में एक बड़ा बिजली कारखाना बन रहा है। बक्सर और नवीनगर में भी बड़े-बड़े कारखाने लग रहे हैं। आज बिहार में ऐसे काम हो रहे हैं...इसलिए निवेशक यहां आने के लिए, यहां नई फैक्ट्रियां, नई कंपनियां खोलने के लिए आतुर हैं। लेकिन साथियों आपको बहुत सतर्क रहना है... अगर निवेशकों को किसी भी तरह की अस्थिरता की आशंका हो गई... RJD-कांग्रेस और लालझंडा गैंग इनका ये जंगलराज की अगर आहट भी मिल गई... तो निवेशक...उल्टे पांव वापस भाग जाएगा। बिहार के नौजवानों के लिए बन रहे अवसरों पर ब्रेक लग जाएगा। आपको...11 नवंबर को वोटिंग वाले दिन... इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए... एनडीए के पक्ष में भारी मतदान करना है।

साथियों,

बिहार के नौजवानों के लिए अवसरों से भरा एक और सेक्टर है...जिस पर हमारा बहुत अधिक फोकस है। ये सेक्टर है पर्यटन का, तीर्थ यात्राओं का...हैरिटेज टूरिज्म का है। यहां तो गंगा जी का किनारा भी है... यहां विक्रमशिला का गौरव भी है... अंग प्रदेश की इस धरती को इतिहास, आस्था और संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहां की हर पहाड़ी, हर पहाड़ी हर घाट, हर मंदिर अपनी एक कहानी कहता है।

साथियों,

एनडीए सरकार ने बांका के मंदार पर्वत पर रोपवे सेवा शुरू की है। अब उज्जैन और काशी की तरह ही, अजगैबीनाथ कॉरिडोर भी बनाया जा रहा है। मां गंगा की अमृत धारा...विकसित बिहार की धारा बन रही है। यहां जो डॉल्फिन मछली है...वो बहुत बड़ा आकर्षण है... साथियों, गंगा जी से हमारे नाविकों को, हमारे युवाओं को अधिक से अधिक कमाई के अवसर मिलें...ये टूरिज्म और ट्रांसपोर्ट बढ़ने से ही संभव होगा। गंगा जी पर जो नदी-जलमार्ग बना है...इससे भागलपुर को बहुत फायदा होगा।

साथियों,

एक तरफ NDA सरकार, बिहार की धरोहर को दुनिया तक पहुंचाने में जुटी है... वहीं दूसरी तरफ...कांग्रेस वाले, RJD वाले.. हमारी आस्था का अपमान कर रहे हैं। आपने कांग्रेस के शाही परिवार के नामदार की बातें सुनी होंगी... उन्होंने छठ महापर्व को ड्रामा बताया है, नौटंकी बताया। अरे हमारी माताएं-बहनें छठ मैइया की तपस्या करती है, पानी तक नहीं लेती है। आप मुझे बताइए साथियों... छठ महापर्व का अपमान... बिहार का अपमान है कि नहीं नहीं है? माताओ-बहनों की तपस्या का अपमान है कि नहीं है? ये सूर्यपुत्र, अंगराज कर्ण की भूमि है। आपको अपनी शक्ति का परिचय करना है। बिहार के उज्ज्वल भविष्य का फैसला करना है। आपके बच्चों के भविष्य के लिए एनडीए की मजबूत सरकार बनाने के लिए आपके एक वोट की बहुत बड़ी ताकत है। और उस वोट की ताकत से एनडीए की मजबूत सरकार तो बनानी है, लेकिन छठ महापर्व का अपमान करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा भी करनी है।

साथियों,

जो लोग तुष्टिकरण के लिए हमारी आस्था का अपमान करते हैं... वो पर्यटन और तीर्थयात्रा पर बल दे ही नहीं सकते। ये RJD और कांग्रेस वाले...तुष्टिकरण के लिए घुसपैठियों को बचाने में लगे हैं। एक समय था...इन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए माओवादी आतंक को बढ़ावा दिया... अपहरण-फिरौती वालों के सिर पर हाथ रखा... उसका परिणाम बिहार की कई पीढ़ियों ने भुगता है। अब ये घुसपैठियों को बचाने में जुटे हैं। ये घुसपैठिए...देश की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। आपको अपने एक वोट से...RJD-कांग्रेस वालों की हर साजिश का परमानेंट इलाज करना है।

साथियों,

आपको NDA के साथियों को विजयी बनाना है। जब बिहार की हर सीट पर एनडीए का उम्मीदवार जीतेगा... तो हर बूथ पर हर कार्यकर्ता का सम्मान बढ़ेगा... आपका वोट, मोदी को मिलेगा आपका वोट नीतीश जी को मिलेगा। आपको मेरा एक और काम करना है...आप जब आने वाले तीन-चार दिन लोगों के पास जाएंगे.. तो कहना है कि मोदी जी आए थे.. मोदी जी ने आपको प्रणाम भेजा है। मेरा प्रणाम पहुंचा देंगे। कई लोग छठ महापर्व मनाने क लिए गांव आए हुए हैं। उनको भी मिलिए और कहिए कि मोदी जी ने कहा है कि अगर आपका वोट यहा है, तो वोट डालकर के जाइए, वोट डाले बिना जाना नहीं है। थोड़े दिन और रुक जाइए.. मैं मेरे सभी उम्मीदवारों से आग्रह करता हूं जरा आगे आ जाएं.. इस चुनाव में जो उम्मीदवार हैं वो आगे आ जाएं... मैं हरेक के पास नमस्ते करने के लिए जाना चाहता हूं। आप सब भारत माता की जय बोलकर के इस सब को विजय की गारंटी दे दीजिए...इस सबको आशीर्वाद दीजिए... भारत माता की... भारत माता की... भारत माता की... बहुत बहुत धन्यवाद।