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उपस्थित सभी महानुभाव,

आप सबको क्रिसमस के पावन पर्व की बुहत-बहुत शुभकामनाएं। ये आज सौभाग्य है कि 25 दिसंबर, पंडित मदन मोहन मालवीय जी की जन्म जयंती पर, मुझे उस पावन धरती पर आने का सौभाग्य मिला है जिसके कण-कण पर पंडित जी के सपने बसे हुए हैं। जिनकी अंगुली पकड़ कर के हमें बड़े होने का सौभाग्य मिला, जिनके मार्गदर्शन में हमें काम करने का सौभाग्य मिला ऐसे अटल बिहारी वाजपेयी जी का भी आज जन्मदिन है और आज जहां पर पंडित जी का सपना साकार हुआ, उस धरती के नरेश उनकी पुण्यतिथि का भी अवसर है। उन सभी महापुरुषों को नमन करते हुए, आज एक प्रकार से ये कार्यक्रम अपने आप में एक पंचामृत है। एक ही समारोह में अनेक कार्यक्रमों का आज कोई-न-कोई रूप में आपके सामने प्रस्तुतिकरण हो रहा है। कहीं शिलान्यास हो रहा है तो कहीं युक्ति का Promotion हो रहा है तो Teachers’ Training की व्यवस्था हो रही है तो काशी जिसकी पहचान में एक बहुत महत्वपूर्ण बात है कि यहां कि सांस्कृतिक विरासत उन सभी का एक साथ आज आपके बीच में उद्घाटन करने का अवसर मुझे मिला है। मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

मैं विशेष रूप से इस बात की चर्चा करना चाहता हूं कि जब-जब मानवजाति ने ज्ञान युग में प्रवेश किया है तब-तब भारत ने विश्व गुरू की भूमिका निभाई है और 21वीं सदी ज्ञान की सदी है मतलब की 21वीं सदी भारत की बहुत बड़ी जिम्मेवारियों की भी सदी है और अगर ज्ञान युग ही हमारी विरासत है तो भारत ने उस एक क्षेत्र में विश्व के उपयोगी कुछ न कुछ योगदान देने की समय की मांग है। मनुष्य का पूर्णत्व Technology में समाहित नहीं हो सकता है और पूर्णत्व के बिना मनुष्य मानव कल्याण की धरोहर नहीं बन सकता है और इसलिए पूर्णत्व के लक्ष्य को प्राप्त करना उसी अगर मकसद को लेकर के चलते हैं तो विज्ञान हो, Technology हो नए-नए Innovations हो, Inventions हो लेकिन उस बीच में भी एक मानव मन एक परिपूर्ण मानव मन ये भी विश्व की बहुत बड़ी आवश्यकता है।

हमारी शिक्षा व्यवस्था Robot पैदा करने के लिए नहीं है। Robot तो शायद 5-50 वैज्ञानिक मिलकर शायद लेबोरेटरी में पैदा कर देंगे, लेकिन नरकर्णी करे तो नारायण हो जाए। ये जिस भूमि का संदेश है वहां तो व्यक्तित्व का संपूर्णतम विकास यही परिलक्षित होता है और इसलिए इस धरती से जो आवाज उठी थी, इस धरती से जो संस्कार की गंगा बही थी उसमें संस्कृति की शिक्षा तो थी लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण था शिक्षा की संस्कृति और आज कहीं ऐसा तो नहीं है सदियों से संजोयी हुई हमारी शैक्षिक परंपरा है, जो एक संस्कृतिक विरासत के रूप में विकसित हुई है। वो शिक्षा की संस्कृति तो लुप्त नहीं हो रही है? वो भी तो कहीं प्रदूषित नहीं हो रही है? और तब जाकर के आवश्यकता है कि कालवाह्य चीजों को छोड़कर के उज्जवलतम भविष्य की ओर नजर रखते हुए पुरानी धरोहर के अधिष्ठान को संजोते हुए हम किस प्रकार की व्यवस्था को विकसित करें जो आने वाली सदियों तक मानव कल्याण के काम आएं।

हम दुनिया के किसी भी महापुरुष का अगर जीवन चरित्र पढ़ेंगे, तो दो बातें बहुत स्वाभाविक रूप से उभर कर के आती हैं। अगर कोई पूछे कि आपके जीवन की सफलता के कारण तो बहुत एक लोगों से एक बात है कि एक मेरी मां का योगदान, हर कोई कहता है और दूसरा मेरे शिक्षक का योगदान। कोई ऐसा महापुरुष नहीं होगा जिसने ये न कहा हो कि मेरे शिक्षक का बुहत बड़ा contribution है, मेरी जिंदगी को बनाने में, अगर ये हमें सच्चाई को हम स्वीकार करते हैं तो हम ये बहुमूल्य जो हमारी धरोहर है इसको हम और अधिक तेजस्वी कैसे बनाएं और अधिक प्राणवान कैसे बनाएं और उसी में से विचार आया कि, वो देश जिसके पास इतना बड़ा युवा सामर्थ्य है, युवा शक्ति है।

आज पूरे विश्व को उत्तम से उत्तम शिक्षकों की बहुत बड़ी खोट है, कमी है। आप कितने ही धनी परिवार से मिलिए, कितने ही सुखी परिवार से मिलिए, उनको पूछिए किसी एक चीज की आपको आवश्यकता लगती है तो क्या लगती है। अरबों-खरबों रुपयों का मालिक होगा, घर में हर प्रकार का सुख-वैभव होगा तो वो ये कहेगा कि मुझे अच्छा टीचर चाहिए मेरे बच्चों के लिए। आप अपने ड्राइवर से भी पूछिए कि आपकी क्या इच्छा है तो ड्राइवर भी कहता है कि मेरे बच्चे भी अच्छी शिक्षी ही मेरी कामना है। अच्छी शिक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर के दायरे में नहीं आती। Infrastructure तो एक व्यवस्था है। अच्छी शिक्षा अच्छे शिक्षकों से जुड़ी हुई होती है और इसलिए अच्छे शिक्षकों का निर्माण कैसे हो और हम एक नए तरीके से कैसे सोचें?

आज 12 वीं के बीएड, एमएड वगैरह होता है वो आते हैं, ज्यादातर बहुत पहले से ही जिसने तय किया कि मुझे शिक्षक बनना है ऐसे बहुत कम लोग होते हैं। ज्यादातर कुछ न कुछ बनने का try करते-करके करके हुए आखिर कर यहां चल पड़ते हैं। मैं यहां के लोगों की बात नहीं कर रहा हूं। हम एक माहौल बना सकते हैं कि 10वीं,12वीं की विद्यार्थी अवस्था में विद्यार्थियों के मन में एक सपना हो मैं एक उत्तम शिक्षक बनना चाहता हूं। ये कैसे बोया जाए, ये environment कैसे create किया जाए? और 12वीं के बाद पहले Graduation के बाद law faculty में जाते थे और वकालत धीरे-धीरे बदलाव आया और 12वीं के बाद ही पांच Law Faculty में जाते हैं और lawyer बनकर आते हैं। क्या 10वीं और 12वीं के बाद ही Teacher का एक पूर्ण समय का Course शुरू हो सकता है और उसमें Subject specific मिले और जब एक विद्यार्थी जिसे पता है कि मुझे Teacher बनना है तो Classroom में वो सिर्फ Exam देने के लिए पढ़ता नहीं है वो अपने शिक्षक की हर बारीकी को देखता है और हर चीज में सोचता है कि मैं शिक्षक बनूंगा तो कैसे करूंगा, मैं शिक्षक बनूंगा ये उसके मन में रहता है और ये एक पूरा Culture बदलने की आवश्यकता है।

उसके साथ-साथ भले ही वो विज्ञान का शिक्षक हो, गणित का शिक्षक हो उसको हमारी परंपराओं का ज्ञान होना चाहिए। उसे Child Psychology का पता होना चाहिए, उसको विद्यार्थियों को Counselling कैसे करना चाहिए ये सीखना चाहिए, उसे विद्यार्थियों को मित्रवत व्यवहार कैसे करना है ये सीखाना चाहिए और ये चीजें Training से हो सकती हैं, ऐसा नहीं है कि ये नहीं हो सकता है। सब कुछ Training से हो सकता है और हम इस प्रकार के उत्तम शिक्षकों को तैयार करें मुझे विश्वास है कि दुनिया को जितने शिक्षकों की आवश्यकता है, हम पूरे विश्व को, भारत के पास इतना बड़ा युवा धन है लाखों की तादाद में हम शिक्षक Export कर सकते हैं। Already मांग तो है ही है हमें योग्यता के साथ लोगों को तैयार करने की आवश्यकता है और एक व्यापारी जाता है बाहर तो Dollar या Pound ले आता है लेकिन एक शिक्षक जाता है तो पूरी-पूरी पीढ़ी को अपने साथ ले आता है। हम कल्पना कर सकते हैं कितना बड़ा काम हम वैश्विक स्तर पर कर सकते हैं और उसी एक सपने को साकार करने के लिए पंड़ित मदन मोहन मालवीय जी के नाम से इस मिशन को प्रारंभ किया गया है। और आज उसका शुभारंभ करने का मुझे अवसर मिला है।

आज पूरे विश्व में भारत के Handicraft तरफ लोगों का ध्यान है, आकर्षण है लेकिन हमारी इस पुरानी पद्धतियों से बनी हुई चीजें Quantum भी कम होता है, Wastage भी बहुत होता है, समय भी बहुत जाता है और इसके कारण एक दिन में वो पांच खिलौने बनाता है तो पेट नहीं भरता है लेकिन अगर Technology के उपयोग से 25 खिलौने बनाता है तो उसका पेट भी भरता है, बाजार में जाता है और इसलिए आधुनिक विज्ञान और Technology को हमारे परंपरागत जो खिलौने हैं उसका कैसे जोड़ा जाए उसका एक छोटा-सा प्रदर्शन मैंने अभी उनके प्रयोग देखे, मैं देख रहा था एक बहुत ही सामान्य प्रकार की टेक्नोलोजी को विकसित किया गया है लेकिन वो उनके लिए बहुत बड़ी उपयोगिता है वरना वो लंबे समय अरसे से वो ही करते रहते थे। उसके कारण उनके Production में Quality, Production में Quantity और उसके कारण वैश्विक बाजार में अपनी जगह बनाने की संभावनाएं और हमारे Handicrafts की विश्व बाजार की संभावनाएं बढ़ी हैं। आज हम उनको Online Marketing की सुविधाएं उपलब्ध कराएं। युक्ति, जो अभियान है उसके माध्यम से हमारे जो कलाकार हैं, काश्तकारों को ,हमारे विश्वकर्मा हैं ये इन सभी विश्वकर्माओं के हाथ में हुनर देने का उनका प्रयास। उनके पास जो skill है उसको Technology के लिए Up-gradation करने का प्रयास। उस Technology में नई Research हो उनको Provide हो, उस दिशा में प्रयास बढ़ रहे हैं।

हमारे देश में सांस्कृतिक कार्यक्रम तो बहुत होते रहते हैं। कई जगहों पर होते हैं। बनारस में एक विशेष रूप से भी आरंभ किया है। हमारे टूरिज्म को बढ़ावा देने में इसकी बहुत बड़ी ताकत है। आप देखते होंगे कि दुनिया ने, हम ये तो गर्व करते थे कि हमारे ऋषियों ने, मुनियों ने हमें योग दिया holistic health के लिए preventive health के लिए योग की हमें विरासत मिली और धीरे-धीरे दुनिया को भी लगने लगा योग है क्या चीज और दुनिया में लोग पहुंच गए। नाक पकड़कर के डॉलर भी कमाने लग गए। लेकिन ये शास्त्र आज के संकटों के युग में जी रहे मानव को एक संतुलित जीवन जीने की ताकत कैसे मिले। योग बहुत बड़ा योगदान कर सकता है। मैं सितंबर में UN में गया था और UN में पहली बार मुझे भाषण करने का दायित्व था। मैंने उस दिन कहा कि हम एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाएं और मैंने प्रस्तावित किया था 21 जून। सामान्य रूप से इस प्रकार के जब प्रस्ताव आते हैं तो उसको पारित होने में डेढ़ साल, दो साल, ढ़ाई साल लग जाते हैं। अब तक ऐसे जितने प्रस्ताव आए हैं उसमें ज्यादा से ज्यादा 150-160 देशों नें सहभागिता दिखाई है। जब योग का प्रस्ताव रखा मुझे आज बड़े आनंद और गर्व के साथ कहना है और बनारस के प्रतिनिधि के नाते बनारस के नागरिकों को ये हिसाब देते हुए, मुझे गर्व होता है कि 177 Countries Co- sponsor बनी जो एक World Record है। इस प्रकार के प्रस्ताव में 177 Countries का Co- sponsor बनना एक World Record है और जिस काम में डेढ़-दो साल लगते हैं वो काम करीब-करीब 100 दिन में पूरा हो गया। UN ने इसे 21 जून को घोषित कर दिया ये भी अपने आप में एक World Record है।

हमारी सांस्कृतिक विरासत की एक ताकत है। हम दुनिया के सामने आत्मविश्वास के साथ कैसे ले जाएं। हमारा गीत-संगीत, नृत्य, नाट्य, कला, साहित्य कितनी बड़ी विरासत है। सूरज उगने से पहले कौन-सा संगीत, सूरज उगने के बाद कौन-सा संगीत यहां तक कि बारीक रेखाएं बनाने वाला काम हमारे पूर्वजों ने किया है और दुनिया में संगीत तो बहुत प्रकार के हैं लेकिन ज्यादातर संगीत तन को डोलाते हैं बहुत कम संगीत मन को डोलाते हैं। हम उस संगीत के धनी हैं जो मन को डोलाता है और मन को डोलाने वाले संगीत को विश्व के अंदर कैसे रखें यही प्रयासों से वो आगे बढ़ने वाला है लेकिन मेरे मन में विचार है क्या बनारस के कुछ स्कूल, स्कूल हो, कॉलेज हो आगे आ सकते हैं क्या और बनारस के जीवन पर ही एक विषय पर ही एक स्कूल की Mastery हो बनारस की विरासत पर, कोई एक स्कूल हो जिसकी तुलसी पर Mastery हो, कोई स्कूल हो जिसकी कबीर पर हो, ऐसी जो भी यहां की विरासत है उन सब पर और हर दिन शाम के समय एक घंटा उसी स्कूल में नाट्य मंच पर Daily उसका कार्यक्रम हो और जो Tourist आएं जिसको कबीर के पास जाना है उसके स्कूल में चला जाएगा, बैठेगा घंटे-भर, जिसको तुलसी के पास जाना है वो उस स्कूल में जाए बैठेगा घंटे भर , धीरे-धीरे स्कूल टिकट भी रख सकता है अगर popular हो जाएगी तो स्कूल की income भी बढ़ सकती है लेकिन काशी में आया हुआ Tourist वो आएगा हमारे पूर्वजों के प्रयासों के कारण, बाबा भोलेनाथ के कारण, मां गंगा के कारण, लेकिन रुकेगा हमारे प्रयासों के कारण। आने वाला है उसके लिए कोई मेहनत करने की जरूरत नहीं क्योंकि वो जन्म से ही तय करके बैठा है कि जाने है एक बार बाबा के दरबार में जाना है लेकिन वो एक रात यहां तब रुकेगा उसके लिए हम ऐसी व्यवस्था करें तब ऐसी व्यवस्था विकसित करें और एक बार रात रुक गया तो यहां के 5-50 नौजवानों को रोजगार मिलना ही मिलना है। वो 200-500-1000 रुपए खर्च करके जाएगा जो हमारे बनारस की इकॉनोमी को चलाएगा और हर दिन ऐसे हजारों लोग आते हैं और रुकते हैं तो पूरी Economy यहां कितनी बढ़ सकती है लेकिन इसके लिए ये छोटी-छोटी चीजें काम आ सकती हैं।

हमारे हर स्कूल में कैसा हो, हमारे जो सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, परंपरागत जो हमारे ज्ञान-विज्ञान हैं उसको तो प्रस्तुत करे लेकिन साथ-साथ समय की मांग इस प्रकार की स्पर्धाएं हो सकती हैं, मान लीजिए ऐसे नाट्य लेखक हो जो स्वच्छता पर ही बड़े Touchy नाटक लिखें अगर स्वच्छता के कारण गरीब को कितना फायदा होता है आज गंदगी के कारण Average एक गरीब को सात हजार रुपए दवाई का खर्चा आता है अगर हम स्वच्छता कर लें तो गरीब का सात हजार रुपए बच जाता है। तीन लोगों का परिवार है तो 21 हजार रुपए बच जाता है। ये स्वच्छता का कार्यक्रम एक बहुत बड़ा अर्थ कारण भी उसके साथ जुड़ा हुआ है और स्वच्छता ही है जो टूरिज्म की लिए बहुत बड़ी आवश्यकता होती है। क्या हमारे सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाट्य मंचन में ऐसे मंचन, ऐसे काव्य मंचन, ऐसे गीत, कवि सम्मेलन हो तो स्वच्छता पर क्यों न हो, उसी प्रकार से बेटी बचाओ भारत जैसा देश जहां नारी के गौरव की बड़ी गाथाएं हम सुनते हैं। इसी धरती की बेटी रानी लक्ष्मीबाई को हम याद करते हैं लेकिन उसी देश में बटी को मां के गर्भ में मार देते हैं। इससे बड़ा कोई पाप हो नहीं सकता है। क्या हमारे नाट्य मंचन पर हमारे कलाकारों के माध्यम से लगातार बार-बार हमारी कविताओं में, हमारे नाट्य मंचों पर, हमारे संवाद में, हमारे लेखन में बेटी बचाओ जैसे अभियान हम घर-घर पहुंच सकते हैं।

भारत जैसा देश जहां चींटी को भी अन्न खिलाना ये हमारी परंपरा रही है, गाय को भी खिलाना, ये हमारी परंपरा रही है। उस देश में कुपोषण, हमारे बालकों को……उस देश में गर्भवती माता कुपोषित हो इससे बड़ी पीड़ा की बात क्या हो सकती है। क्या हमारे नाट्य मंचन के द्वारा, क्या हमारी सांस्कृतिक धरोहर के द्वारा से हम इन चीजों को प्रलोभन के उद्देश्य में ला सकते हैं क्या? मैं कला, साहित्य जगत के लोगों से आग्रह करूंगा कि नए रूप में देश में झकझोरने के लिए कुछ करें।

जब आजादी का आंदोलन चला था तब ये ही साहित्यकार और कलाकार थे जिनकी कलम ने देश को खड़ा कर दिया था। स्वतंत्र भारत में सुशासन का मंत्र लेकर चल रहे तब ये ही हमारे कला और साहित्य के लोगों की कलम के माध्यम से एक राष्ट्र में नवजागरण का माहौल बना सकते हैं।

मैं उन सबको निमंत्रित करता हूं कि सांस्कृतिक सप्ताह यहां मनाया जा रहा है उसके साथ इसका भी यहां चिंतन हो, मनन हो और देश के लिए इस प्रकार की स्पर्धाएं हो और देश के लिए इस प्रकार का काम हो।

मुझे विश्वास है कि इस प्रयास से सपने पूरे हो सकते हैं साथियों, देश दुनिया में नाम रोशन कर सकता है। मैं अनुभव से कह सकता हूं, 6 महीने के मेरे अनुभव से कह सकता हूं पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है हम तैयार नहीं है, हम तैयार नहीं है हमें अपने आप को तैयार करना है, विश्व तैयार बैठा है।

मैं फिर एक बार पंडित मदन मोहन मालवीय जी की धरती को प्रणाम करता हूं, उस महापुरुष को प्रणाम करता हूं। आपको बहुत-बुहत शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद

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मध्य प्रदेश को टॉप के राज्यों में लाने की गारंटी सिर्फ हमारी सरकार दे सकती है: पीएम मोदी
October 02, 2023
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दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे राष्ट्र को समर्पित किया
पीएमएवाई - ग्रामीण के तहत निर्मित 2.2 लाख से अधिक घरों के गृह प्रवेश की शुरुआत की और पीएमएवाई - शहरी के तहत निर्मित घरों का लोकार्पण किया
जल जीवन मिशन परियोजनाओं की आधारशिला रखी
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत 9 स्वास्थ्य केंद्रों का शिलान्यास किया
आईआईटी इंदौर के शैक्षणिक भवन का लोकार्पण किया और परिसर में छात्रावास तथा अन्य भवनों की आधारशिला रखी
इंदौर में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क की आधारशिला रखी
"ग्वालियर की धरती अपने आप में एक प्रेरणा है"
"डबल इंजन का मतलब है, मध्य प्रदेश का डबल विकास"
"सरकार का लक्ष्य मध्य प्रदेश को भारत के शीर्ष 3 राज्यों में ले जाना है"
"महिला सशक्तिकरण, वोट बैंक का मुद्दा नहीं; बल्कि राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और राष्ट्रीय कल्याण का मिशन है"
"मोदी गारंटी का मतलब है, सभी गारंटी को पूरा करने की गारंटी"
"आधुनिक अवसंरचना और मजबूत कानून-व्यवस्था से किसानों और उद्योगों, दोनों को लाभ होता है"
"हमारी सरकार हर वर्ग और हर क्षेत्र का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है"
"जिनको कोई नहीं पूछता, उनको मोदी पूछता है, मोदी पूजता है"

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

मुख्यमंत्री श्रीमान शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी-गण श्रीमान नरेंद्र सिंह जी तोमर, वीरेंद्र कुमार जी, ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, अन्य सभी महानुभाव, और यहां इतनी बड़ी तादाद में पधारे हुए मेरे सभी परिवारजनों, ग्वालियर की इस ऐतिहासिक धरती को मेरा शत्-शत् नमन।

ये धरती साहस, स्वाभिमान, सैन्य गौरव, संगीत, स्वाद और सरसों का प्रतीक है। ग्वालियर ने देश के लिए एक से एक क्रांतिवीर दिए हैं। ग्वालियर-चंबल ने राष्ट्र रक्षा के लिए, हमारी सेना के लिए अपनी वीर संतानें दी हैं। ग्वालियर ने भाजपा की नीति और नेतृत्व को भी आकार दिया है।

राजमाता विजयराजे सिंधिया जी, कुशाभाऊ ठाकरे जी और अटल बिहारी वाजपेयी जी को ग्वालियर की मिट्टी ने गढ़ा है। ये धरती अपने आप में एक प्रेरणा है। इस मिट्टी से जो भी देशभक्त निकला, उसने खुद को राष्ट्र के लिए खपा दिया, उसने अपना जीवन राष्ट्र के नाम कर दिया।

मेरे परिवारजनों,

हम जैसे करोड़ों भारतीयों को देश की आजादी के लिए लड़ने का सौभाग्य नहीं मिला। लेकिन भारत को विकसित बनाने, भारत को समृद्ध बनाने का दायित्व हम सबके कंधों पर है। आज भी इस मिशन को आगे बढ़ाने फिर एक बार मैं आपके बीच ग्वालियर आया हूं। अभी यहां लगभग 19 हज़ार करोड़ रुपए के विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है।

और मैं देख रहा था कि एक के बाद एक लोकार्पण के या शिलान्यास के curtain खुल रहे थे। इतनी बार curtain खुले कि आप तालियां बजाते थक गए। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि एक साल में कोई सरकार जितने लोकार्पण और शिलान्यास का काम नहीं कर सकती, आज एक दिन में हमारी सरकार कर सकती है और लोग ताली बजाते थक जाते हैं, इतने काम करने का सामर्थ्य रखते हैं।

मेरे परिवारजनों,

दशहरे, धनतेरस और दीपावली से पहले मध्य प्रदेश के करीब सवा 2 लाख परिवार आज अपने नए घर में गृह प्रवेश कर रहे हैं। आज कनेक्टिविटी के भी कई प्रोजेक्ट्स का यहां शुभारंभ हुआ है। उज्जैन में विक्रम उद्योगपुरी और इंदौर में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क, मध्य प्रदेश के औद्योगीकरण का विस्तार करेंगे। यहां के युवाओं के लिए हजारों नए रोजगार उसके लिए निर्माण होने वाले हैं, नए अवसर बनने वाले हैं। आज IIT इंदौर में भी बहुत काम नए शुरू हुए हैं।

आज ग्वालियर के साथ-साथ विदिशा, बैतूल, कटनी, बुरहानपुर, नरसिंहपुर, दमोह और शाजापुर को नए स्वास्थ्य केंद्र भी मिले हैं। ये केंद्र आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत बने हैं। इनमें गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधा है। मैं इन सभी के लिए आप सबको मध्य प्रदेश के मेरे परिवारजनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ये जो इतने सारे काम हैं, ये डबल इंजन सरकार के साझा प्रयासों का परिणाम हैं। जब दिल्ली और भोपाल, दोनों जगह समान सोच वाली, जनता-जनार्दन को समर्पित सरकार होती है, तब ऐसे काम और तेज गति से होते हैं। इसलिए आज मध्य प्रदेश का भरोसा, डबल इंजन सरकार पर है। डबल इंजन यानी एमपी का डबल विकास !

मेरे परिवारजनों,

बीते वर्षों में हमारी सरकार मध्य प्रदेश को बीमारू राज्य से देश के टॉप-10 राज्यों में ले आई है। यहां से अब हमारा लक्ष्य मध्‍य प्रदेश को देश के टॉप-3 राज्यों में ले जाने का है। एमपी, टॉप-3 में जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? एमपी का स्‍थान टॉप-3 में होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? बड़े गर्व के साथ तीन तक पहुंचना है कि नहीं पहुंचना है? ये काम कौन कर सकता है? ये गारंटी कौन दे सकता है? आपका जवाब गलत है, ये गारंटी एक जिम्मेदार नागरिक के नाते आपका एक वोट मध्‍य प्रदेश को नंबर तीन पर ले जा सकता है जी। डबल इंजन को दिया आपका हर वोट, एमपी को टॉप-3 में पहुंचाएगा।

मेरे परिवारजनों,

एमपी का विकास वो लोग नहीं कर सकते जिनके पास ना तो कोई नई सोच है, ना विकास का रोडमैप है। इन लोगों का सिर्फ एक ही काम है- देश की प्रगति से नफरत, भारत की योजनाओं से नफरत। अपनी नफरत में ये देश की उपलब्धियों को भी भूल जाते हैं। आज आप देखिए, पूरी दुनिया भारत का गौरव-गान कर रही है। दुनिया में भारत का डंका बज रहा है नहीं बज रहा है? आज दुनिया को भारत में अपना भविष्य दिखता है। लेकिन जो राजनीति में उलझे हुए हैं, कुर्सी के सिवा जिनको कुछ नजर नहीं आता है, उन्‍हें आज दुनिया में हिन्‍दुस्‍तान का डंका बजना भी अच्छा नहीं लगता है।

भारत, सोचिए दोस्‍तों, 9 वर्षों में 10वें नंबर से 5वें नंबर की आर्थिक ताकत बन गया है। लेकिन ये विकास विरोधी लोग ये सिद्ध करने में जुटे हैं कि ऐसा हुआ ही नहीं है। मोदी ने गारंटी दी है कि अगले कार्यकाल में भारत दुनिया की टॉप तीन इकोनॉमी में एक नाम हमारे हिन्‍दुस्‍तान का होगा। इससे भी सत्ता के भूखे कुछ लोगों के पेट में दर्द हो रहा है।

मेरे परिवारजनों,

विकास विरोधी इन लोगों को देश ने 6 दशक दिए थे। 60 साल कोई कम समय नहीं होता है। अगर 9 साल में इतना काम हो सकता है तो 60 साल में कितना हो सकता था। उनके पास भी मौका था। वो नहीं कर पाए, ये उनकी नाकामी है। वो तब भी गरीबों की भावनाओं से खेलते थे, आज भी वही खेल खेल रहे हैं। वो तब भी जात-पात के नाम पर समाज को बांटते थे, आज भी वही पाप कर रहे हैं। वो तब भी आतंक भ्रष्टाचार में डूबे रहते थे, और आज तो वो एक से बढ़कर एक घोर भ्रष्टाचारी हो गए हैं। वो तब भी सिर्फ और सिर्फ एक परिवार का गौरव गान करते थे, आज भी वो ही करने में वो अपना भविष्‍य देखते हैं। इसलिए उनको देश का गौरव गान पसंद नहीं आता।

मेरे परिवारजनों,

मोदी ने गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी परिवारों को पक्के घर की गारंटी दी है। अभी तक इसके तहत देश में 4 करोड़ परिवारों को अपने पक्‍के घर मिले चुके हैं। यहां एमपी में भी अभी तक लाखों घर गरीब परिवारों को दिए जा चुके हैं और आज भी इतनी बड़ी मात्रा में घरों का लोकार्पण किया गया है। जब इन लोगों की सरकार दिल्ली में थी, तब गरीबों के घर के नाम पर भी सिर्फ लूट होती थी। ये लोग जो घर बनवाते थे, वो रहने लायक भी नहीं होते थे। देशभर में ऐसे लाखों लाभार्थी थे, जिन्होंने उन घरों में कभी पैर तक नहीं रखा। लेकिन आज जो घर बन रहे हैं, उनमें खुशी-खुशी गृह प्रवेश हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये घर हर लाभार्थी बहन-भाई खुद अपने हिसाब से बना रहे हैं। अपने सपनों के अनुरूप, अपनी ज़रूरत के हिसाब से अपना घर बना रहा है।

हमारी सरकार जैसे-जैसे काम होता जाता है, टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से मॉनिटर होता है, और सीधे उसके खाते में पैसे भेज देती है, कोई चोरी नहीं होती है, कोई कटकी कंपनी नहीं, कोई भ्रष्‍टाचार नहीं। और उसका घर बनना आगे बढ़ जाता है। पहले घर के नाम पर सिर्फ चार-दीवारें खड़ी होती थीं। आज जो घर मिल रहे हैं, इनमें टॉयलेट, बिजली, नल से जल, उज्ज्वला की गैस, सब कुछ एक साथ मिलता है। आज यहां ग्वालियर और श्योपुर जिले के लिए अहम जल परियोजनाओं का भी काम शुरू हुआ है। ये भी इन घरों में पानी की सप्लाई में मदद करेगी।

साथियों,

इन घरों की लक्ष्मी यानी मेरी माताएं-बहनें, घर की मालिक हों, ये भी मोदी ने सुनिश्चित किया है। आपको पता है ना कि पीएम आवास योजना के घरों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम भी होती है? पीएम आवास योजना के घरों से करोड़ों बहनें लखपति हुई हैं। जिनके नाम कोई संपत्ति नहीं थी, उनके नाम पर लाखों के ये घर रजिस्टर हुए हैं। आज भी जो घर मिले हैं, उनमें से ज्यादातर घरों की रजिस्ट्री बहनों के नाम पर है।

और भाइयों और बहनों,

मोदी ने अपनी गारंटी पूरी की है। मैं एक गारंटी आप बहनों से भी चाहता हूं। मैं जरा बहनों से पूछना चाहता हूं, मैंने तो मेरी गारंटी पूरी की, आप एक गारंटी देंगी? आप मुझे गारंटी देंगी, पक्‍का देंगी? तो मुझे गारंटी चाहिए, घऱ मिलने के बाद अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ाना है, कोई ना कोई कौशल सिखाना है, करोगे? आपकी ये गारंटी मुझे काम करने की ताकत देती है।

मेरे परिवारजनों,

नारी सशक्तिकरण, भारत के लिए वोट बैंक का नहीं, बल्कि राष्ट्र कल्‍याण का, राष्ट्र निर्माण का एक समर्पित मिशन है। हमने देखा है कि पहले अनेक सरकारें आई-गईं। हमारी बहनों को लोकसभा और संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण के झूठे वादे करके बार-बार वोट मांगे गए। लेकिन संसद में साजिश करके कानून बनाने से रोका गया, बार-बार रोका गया। लेकिन मोदी ने बहनों को गारंटी दी थी। और मोदी की गारंटी यानी हर गारंटी के पूरा होने की गारंटी।

आज नारी शक्ति वंदन अधिनियम, एक सच्चाई बन चुका है। मैं इस सभा में और आगे के लिए भी मैं कहूंगा, ये विकास की गाथा में हमारी मातृशक्ति की भागीदारी और ज्‍यादा बढ़े और प्रगति का रास्‍ता खुले उसी दिशा में हमें आगे जाना है।

भाइयों-बहनों,

आज विकास की जितनी परियोजनाएं हमने लागू की हैं, वो सारी हमें इस कानून के पास होने से ताकत मिलने वाली है।

मेरे परिवारजनों,

ग्वालियर-चंबल आज अवसरों की भूमि बन रहा है। लेकिन हमेशा स्थिति ऐसी नहीं थी। जो कई-कई दशकों तक सरकार में रहे, उसके नेता आज यहां बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, उनका ट्रैक रिकॉर्ड क्या है? जो हमारे युवा साथी हैं, जो फर्स्ट टाइम वोटर्स हैं, उन्होंने तो अपने पूरे जीवन में सिर्फ भाजपा सरकार ही देखी है। उन्होंने तो एक प्रगतिशील मध्य प्रदेश देखा है। विरोधी दलों के जो ये बड़बोले नेता हैं, इनको कई दशकों तक मध्य प्रदेश में शासन का मौका मिला था।

उनके शासन-काल में ग्वालियर-चंबल में अन्याय और अत्याचार ही फला-फूला। उनके शासन में सामाजिक न्याय हाशिए पर था। तब कमज़ोर की, दलित और पिछड़े की सुनवाई नहीं होती थी। लोग कानून अपने हाथ में लेते थे। सामान्य जन का सड़क पर आना-जाना मुश्किल हो गया था। बहुत परिश्रम करके हमारी सरकार इस क्षेत्र को आज की स्थिति तक पहुंचा पाई है। अब यहां से हमें पीछे नहीं देखना है।

मध्य प्रदेश के लिए अगले 5 साल बहुत अहम हैं। आज देखिए, ग्वालियर में नया एयरपोर्ट टर्मिनल बन रहा है, एलीवेटेड रोड बन रही है। यहां हज़ार बेड का नया अस्पताल बना है। नया बस अड्डा, आधुनिक रेलवे स्टेशन, नए स्कूल-कॉलेज, एक के बाद एक पूरे ग्वालियर की तस्वीर बदल रही है। ऐसे ही हमें पूरे मध्य प्रदेश की तस्वीर बदलनी है और इसलिए यहां डबल इंजन की सरकार जरूरी है।

साथियों,

आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से जीवन सुगम तो होता ही है, ये समृद्धि का भी रास्ता है। आज ही झाबुआ, मंदसौर और रतलाम को जोड़ने वाले 8 लेन के एक्सप्रेस-वे का भी लोकार्पण हुआ है। पिछली शताब्दी का मध्य प्रदेश 2 लेन की अच्छी सड़कों के लिए भी तरसता था, अब आज MP में 8 लेन के एक्सप्रेसवे बन रहे हैं। इंदौर, देवास और हरदा को जोड़ने वाली 4 लेन सड़क पर भी आज काम शुरू हुआ है। रेलवे के ग्वालियर से सुमावली सेक्शन को ब्रॉड-गेज में बदलने का काम भी पूरा कर लिया गया है। अभी इस पर पहली ट्रेन को हरी झंडी भी दिखाई गई है। कनेक्टिविटी के इन सभी कार्यों से इस क्षेत्र को बहुत लाभ होने वाला है।

साथियों,

आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और अच्छी कानून व्यवस्था से किसान हो या फिर उद्योग-व्यापार-कारोबार, सब फलते-फूलते हैं। जहां विकास विरोधियों की सरकार आती है, वहां ये दोनों सिस्टम चरमरा जाते हैं। आप राजस्थान में देखिए, सरेआम गले काटे जाते हैं और वहां की सरकार देखती रहती है। ये विकास विरोधी लोग जहां जाते हैं, वहां तुष्टिकरण भी आता है। इससे गुंडे, अपराधी, दंगाई और भ्रष्टाचारी बेलगाम हो जाते हैं। महिलाओं पर, दलित-पिछड़े-आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ते हैं। बीते सालों में इन विकास विरोधियों के राज्यों में क्राइम और करप्शन सबसे अधिक बढ़ा है। मध्य प्रदेश को इसलिए इन लोगों से बहुत सावधान रहना है।

मेरे परिवारजनों,

हमारी सरकार हर वर्ग, हर क्षेत्र तक विकास पहुंचाने के लिए समर्पित है। जिनको किसी ने नहीं पूछा, उनको मोदी पूछता है, मोदी पूजता है। मैं आपसे जानना चाहता हूं...क्या 2014 से पहले किसी ने दिव्यांग शब्द सुना था? जो शारीरिक रूप से किसी चुनौती से घिरे रहते थे, उन्हें पहले की सरकारों के द्वारा ऐसे ही बेसहारा छोड़ दिया गया था।

ये हमारी सरकार है जिसने दिव्यांगजनों की चिंता की, उनके लिए आधुनिक उपकरण मुहैया कराए, उनके लिए कॉमन साइन लैंग्वेज विकसित करवाई। आज ही यहां ग्वालियर में दिव्यांग साथियों के लिए नए स्पोर्ट्स सेंटर का उद्घाटन हुआ है। इससे देश में एक बड़े स्पोर्ट्स हब के रूप में ग्वालियर की पहचान और सशक्त होगी। और साथियों मेरी बात पर विश्वास करना, दुनिया के अंदर खेल की चर्चा होगी, दिव्यांगजनों के खेल की चर्चा होगी, ग्‍वालियर का नाम रोशन होने वाला है; लिख लीजिए।

और इसलिए मैं कहता हूं, जिनको किसी ने नहीं पूछा, उनको मोदी पूछता है, उनको मोदी पूजता है। इतने सालों तक देश के छोटे किसानों को किसी ने नहीं पूछा। इन छोटे किसानों को मोदी ने पूछा, उनकी चिंता की। पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से देश के हर छोटे किसानों के खाते में अब तक 28 हजार रुपए हमारी सरकार ने भेजे हैं। हमारे देश में ढाई करोड़ छोटे किसान ऐसे हैं जो मोटा अनाज उगाते हैं। मोटा अनाज उगाने वाले छोटे किसानों की भी पहले किसी ने चिंता नहीं की। ये हमारी सरकार है जिसने मोटे अनाज को श्री-अन्न की पहचान दी है, उसे दुनिया भर के बाजारों में ले जा रही है।

साथियों,

हमारी सरकार की इसी भावना का एक और बड़ा प्रमाण, पीएम विश्वकर्मा योजना है। हमारे कुम्हार भाई-बहन, लोहार भाई-बहन, सुतार भाई-बहन, सुनार भाई-बहन, मालाकार भाई-बहन, दर्जी भाई-बहन, धोबी भाई-बहन, जूते बनाने वाले भाई-बहन, बाल काटने वाले भाई-बहन, ऐसे काम करने वाले लोगों के लिए अनेक साथी हमारे जीवन के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। इनके बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है। इनकी सुध आज़ादी के इतने दशकों बाद हमारी सरकार ने ली है।

ये साथी समाज में पीछे रह गए थे, अब इनको आगे लाने का बहुत बड़ा अभियान मोदी ने चलाया है। इन साथियों को ट्रेनिंग देने के लिए हजारों रुपए सरकार देगी। आधुनिक उपकरणों के लिए 15 हज़ार रुपए भाजपा सरकार देगी। लाखों रुपए का सस्ता ऋण भी इन साथियों को दिया जा रहा है। विश्वकर्मा साथियों को ऋण की गारंटी मोदी ने ली है, केंद्र सरकार ने ली है।

मेरे परिवारजनों,

देश के विकास विरोधी राजनीतिक दल, मध्य प्रदेश को पीछे ले जाने की इच्छा रखते हैं। जबकि हमारी डबल इंजन की सरकार, भविष्य की सोच रखती है। इसलिए विकास का भरोसा सिर्फ और सिर्फ डबल इंजन की सरकार पर कर सकते हैं। मध्य प्रदेश को विकास के पैमाने पर देश में टॉप के राज्यों में लाने की गारंटी सिर्फ हमारी सरकार दे सकती है।

मैं अभी, शिवराज जी बता रहे थे कि स्वच्छता में मध्यप्रदेश देश मे नंबर एक है। आज गांधी जयंती है, गांधी जी स्‍वच्‍छता की बात करते थे। कल पूरे देश में स्वच्छता का कार्यक्रम हुआ। एक भी कांग्रेसी को आपने स्‍वच्‍छता करते देखा क्‍या? स्वच्छता करने के लिए अपील करते देखा क्‍या? क्‍या मध्‍य प्रदेश का स्वच्छता में नाम नंबर एक हुआ है ये भी कांग्रेस वालों को पसंद नहीं है, वो मध्‍य प्रदेश का क्‍या भला करेंगे भइया? ऐसे लोगों पर भरोसा कर सकते हैं क्‍या?

और इसलिए मैं आप सबसे आग्रह करता हूं भाइयों-बहनों कि विकास की इस रफ्तार को आगे बढ़ाना है, बहुत तेजी से बढ़ाना है और आज आप इतनी बड़ी तादाद में आशीर्वाद देने आए मैं ग्वालियर-चंबल के साथियों को इतनी बड़ी संख्या में यहां आशीर्वाद देने के लिए पधारने पर हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।