ସେୟାର
 
Comments

उपस्थित सभी महानुभाव,

आप सबको क्रिसमस के पावन पर्व की बुहत-बहुत शुभकामनाएं। ये आज सौभाग्य है कि 25 दिसंबर, पंडित मदन मोहन मालवीय जी की जन्म जयंती पर, मुझे उस पावन धरती पर आने का सौभाग्य मिला है जिसके कण-कण पर पंडित जी के सपने बसे हुए हैं। जिनकी अंगुली पकड़ कर के हमें बड़े होने का सौभाग्य मिला, जिनके मार्गदर्शन में हमें काम करने का सौभाग्य मिला ऐसे अटल बिहारी वाजपेयी जी का भी आज जन्मदिन है और आज जहां पर पंडित जी का सपना साकार हुआ, उस धरती के नरेश उनकी पुण्यतिथि का भी अवसर है। उन सभी महापुरुषों को नमन करते हुए, आज एक प्रकार से ये कार्यक्रम अपने आप में एक पंचामृत है। एक ही समारोह में अनेक कार्यक्रमों का आज कोई-न-कोई रूप में आपके सामने प्रस्तुतिकरण हो रहा है। कहीं शिलान्यास हो रहा है तो कहीं युक्ति का Promotion हो रहा है तो Teachers’ Training की व्यवस्था हो रही है तो काशी जिसकी पहचान में एक बहुत महत्वपूर्ण बात है कि यहां कि सांस्कृतिक विरासत उन सभी का एक साथ आज आपके बीच में उद्घाटन करने का अवसर मुझे मिला है। मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

मैं विशेष रूप से इस बात की चर्चा करना चाहता हूं कि जब-जब मानवजाति ने ज्ञान युग में प्रवेश किया है तब-तब भारत ने विश्व गुरू की भूमिका निभाई है और 21वीं सदी ज्ञान की सदी है मतलब की 21वीं सदी भारत की बहुत बड़ी जिम्मेवारियों की भी सदी है और अगर ज्ञान युग ही हमारी विरासत है तो भारत ने उस एक क्षेत्र में विश्व के उपयोगी कुछ न कुछ योगदान देने की समय की मांग है। मनुष्य का पूर्णत्व Technology में समाहित नहीं हो सकता है और पूर्णत्व के बिना मनुष्य मानव कल्याण की धरोहर नहीं बन सकता है और इसलिए पूर्णत्व के लक्ष्य को प्राप्त करना उसी अगर मकसद को लेकर के चलते हैं तो विज्ञान हो, Technology हो नए-नए Innovations हो, Inventions हो लेकिन उस बीच में भी एक मानव मन एक परिपूर्ण मानव मन ये भी विश्व की बहुत बड़ी आवश्यकता है।

हमारी शिक्षा व्यवस्था Robot पैदा करने के लिए नहीं है। Robot तो शायद 5-50 वैज्ञानिक मिलकर शायद लेबोरेटरी में पैदा कर देंगे, लेकिन नरकर्णी करे तो नारायण हो जाए। ये जिस भूमि का संदेश है वहां तो व्यक्तित्व का संपूर्णतम विकास यही परिलक्षित होता है और इसलिए इस धरती से जो आवाज उठी थी, इस धरती से जो संस्कार की गंगा बही थी उसमें संस्कृति की शिक्षा तो थी लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण था शिक्षा की संस्कृति और आज कहीं ऐसा तो नहीं है सदियों से संजोयी हुई हमारी शैक्षिक परंपरा है, जो एक संस्कृतिक विरासत के रूप में विकसित हुई है। वो शिक्षा की संस्कृति तो लुप्त नहीं हो रही है? वो भी तो कहीं प्रदूषित नहीं हो रही है? और तब जाकर के आवश्यकता है कि कालवाह्य चीजों को छोड़कर के उज्जवलतम भविष्य की ओर नजर रखते हुए पुरानी धरोहर के अधिष्ठान को संजोते हुए हम किस प्रकार की व्यवस्था को विकसित करें जो आने वाली सदियों तक मानव कल्याण के काम आएं।

हम दुनिया के किसी भी महापुरुष का अगर जीवन चरित्र पढ़ेंगे, तो दो बातें बहुत स्वाभाविक रूप से उभर कर के आती हैं। अगर कोई पूछे कि आपके जीवन की सफलता के कारण तो बहुत एक लोगों से एक बात है कि एक मेरी मां का योगदान, हर कोई कहता है और दूसरा मेरे शिक्षक का योगदान। कोई ऐसा महापुरुष नहीं होगा जिसने ये न कहा हो कि मेरे शिक्षक का बुहत बड़ा contribution है, मेरी जिंदगी को बनाने में, अगर ये हमें सच्चाई को हम स्वीकार करते हैं तो हम ये बहुमूल्य जो हमारी धरोहर है इसको हम और अधिक तेजस्वी कैसे बनाएं और अधिक प्राणवान कैसे बनाएं और उसी में से विचार आया कि, वो देश जिसके पास इतना बड़ा युवा सामर्थ्य है, युवा शक्ति है।

आज पूरे विश्व को उत्तम से उत्तम शिक्षकों की बहुत बड़ी खोट है, कमी है। आप कितने ही धनी परिवार से मिलिए, कितने ही सुखी परिवार से मिलिए, उनको पूछिए किसी एक चीज की आपको आवश्यकता लगती है तो क्या लगती है। अरबों-खरबों रुपयों का मालिक होगा, घर में हर प्रकार का सुख-वैभव होगा तो वो ये कहेगा कि मुझे अच्छा टीचर चाहिए मेरे बच्चों के लिए। आप अपने ड्राइवर से भी पूछिए कि आपकी क्या इच्छा है तो ड्राइवर भी कहता है कि मेरे बच्चे भी अच्छी शिक्षी ही मेरी कामना है। अच्छी शिक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर के दायरे में नहीं आती। Infrastructure तो एक व्यवस्था है। अच्छी शिक्षा अच्छे शिक्षकों से जुड़ी हुई होती है और इसलिए अच्छे शिक्षकों का निर्माण कैसे हो और हम एक नए तरीके से कैसे सोचें?

आज 12 वीं के बीएड, एमएड वगैरह होता है वो आते हैं, ज्यादातर बहुत पहले से ही जिसने तय किया कि मुझे शिक्षक बनना है ऐसे बहुत कम लोग होते हैं। ज्यादातर कुछ न कुछ बनने का try करते-करके करके हुए आखिर कर यहां चल पड़ते हैं। मैं यहां के लोगों की बात नहीं कर रहा हूं। हम एक माहौल बना सकते हैं कि 10वीं,12वीं की विद्यार्थी अवस्था में विद्यार्थियों के मन में एक सपना हो मैं एक उत्तम शिक्षक बनना चाहता हूं। ये कैसे बोया जाए, ये environment कैसे create किया जाए? और 12वीं के बाद पहले Graduation के बाद law faculty में जाते थे और वकालत धीरे-धीरे बदलाव आया और 12वीं के बाद ही पांच Law Faculty में जाते हैं और lawyer बनकर आते हैं। क्या 10वीं और 12वीं के बाद ही Teacher का एक पूर्ण समय का Course शुरू हो सकता है और उसमें Subject specific मिले और जब एक विद्यार्थी जिसे पता है कि मुझे Teacher बनना है तो Classroom में वो सिर्फ Exam देने के लिए पढ़ता नहीं है वो अपने शिक्षक की हर बारीकी को देखता है और हर चीज में सोचता है कि मैं शिक्षक बनूंगा तो कैसे करूंगा, मैं शिक्षक बनूंगा ये उसके मन में रहता है और ये एक पूरा Culture बदलने की आवश्यकता है।

उसके साथ-साथ भले ही वो विज्ञान का शिक्षक हो, गणित का शिक्षक हो उसको हमारी परंपराओं का ज्ञान होना चाहिए। उसे Child Psychology का पता होना चाहिए, उसको विद्यार्थियों को Counselling कैसे करना चाहिए ये सीखना चाहिए, उसे विद्यार्थियों को मित्रवत व्यवहार कैसे करना है ये सीखाना चाहिए और ये चीजें Training से हो सकती हैं, ऐसा नहीं है कि ये नहीं हो सकता है। सब कुछ Training से हो सकता है और हम इस प्रकार के उत्तम शिक्षकों को तैयार करें मुझे विश्वास है कि दुनिया को जितने शिक्षकों की आवश्यकता है, हम पूरे विश्व को, भारत के पास इतना बड़ा युवा धन है लाखों की तादाद में हम शिक्षक Export कर सकते हैं। Already मांग तो है ही है हमें योग्यता के साथ लोगों को तैयार करने की आवश्यकता है और एक व्यापारी जाता है बाहर तो Dollar या Pound ले आता है लेकिन एक शिक्षक जाता है तो पूरी-पूरी पीढ़ी को अपने साथ ले आता है। हम कल्पना कर सकते हैं कितना बड़ा काम हम वैश्विक स्तर पर कर सकते हैं और उसी एक सपने को साकार करने के लिए पंड़ित मदन मोहन मालवीय जी के नाम से इस मिशन को प्रारंभ किया गया है। और आज उसका शुभारंभ करने का मुझे अवसर मिला है।

आज पूरे विश्व में भारत के Handicraft तरफ लोगों का ध्यान है, आकर्षण है लेकिन हमारी इस पुरानी पद्धतियों से बनी हुई चीजें Quantum भी कम होता है, Wastage भी बहुत होता है, समय भी बहुत जाता है और इसके कारण एक दिन में वो पांच खिलौने बनाता है तो पेट नहीं भरता है लेकिन अगर Technology के उपयोग से 25 खिलौने बनाता है तो उसका पेट भी भरता है, बाजार में जाता है और इसलिए आधुनिक विज्ञान और Technology को हमारे परंपरागत जो खिलौने हैं उसका कैसे जोड़ा जाए उसका एक छोटा-सा प्रदर्शन मैंने अभी उनके प्रयोग देखे, मैं देख रहा था एक बहुत ही सामान्य प्रकार की टेक्नोलोजी को विकसित किया गया है लेकिन वो उनके लिए बहुत बड़ी उपयोगिता है वरना वो लंबे समय अरसे से वो ही करते रहते थे। उसके कारण उनके Production में Quality, Production में Quantity और उसके कारण वैश्विक बाजार में अपनी जगह बनाने की संभावनाएं और हमारे Handicrafts की विश्व बाजार की संभावनाएं बढ़ी हैं। आज हम उनको Online Marketing की सुविधाएं उपलब्ध कराएं। युक्ति, जो अभियान है उसके माध्यम से हमारे जो कलाकार हैं, काश्तकारों को ,हमारे विश्वकर्मा हैं ये इन सभी विश्वकर्माओं के हाथ में हुनर देने का उनका प्रयास। उनके पास जो skill है उसको Technology के लिए Up-gradation करने का प्रयास। उस Technology में नई Research हो उनको Provide हो, उस दिशा में प्रयास बढ़ रहे हैं।

हमारे देश में सांस्कृतिक कार्यक्रम तो बहुत होते रहते हैं। कई जगहों पर होते हैं। बनारस में एक विशेष रूप से भी आरंभ किया है। हमारे टूरिज्म को बढ़ावा देने में इसकी बहुत बड़ी ताकत है। आप देखते होंगे कि दुनिया ने, हम ये तो गर्व करते थे कि हमारे ऋषियों ने, मुनियों ने हमें योग दिया holistic health के लिए preventive health के लिए योग की हमें विरासत मिली और धीरे-धीरे दुनिया को भी लगने लगा योग है क्या चीज और दुनिया में लोग पहुंच गए। नाक पकड़कर के डॉलर भी कमाने लग गए। लेकिन ये शास्त्र आज के संकटों के युग में जी रहे मानव को एक संतुलित जीवन जीने की ताकत कैसे मिले। योग बहुत बड़ा योगदान कर सकता है। मैं सितंबर में UN में गया था और UN में पहली बार मुझे भाषण करने का दायित्व था। मैंने उस दिन कहा कि हम एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाएं और मैंने प्रस्तावित किया था 21 जून। सामान्य रूप से इस प्रकार के जब प्रस्ताव आते हैं तो उसको पारित होने में डेढ़ साल, दो साल, ढ़ाई साल लग जाते हैं। अब तक ऐसे जितने प्रस्ताव आए हैं उसमें ज्यादा से ज्यादा 150-160 देशों नें सहभागिता दिखाई है। जब योग का प्रस्ताव रखा मुझे आज बड़े आनंद और गर्व के साथ कहना है और बनारस के प्रतिनिधि के नाते बनारस के नागरिकों को ये हिसाब देते हुए, मुझे गर्व होता है कि 177 Countries Co- sponsor बनी जो एक World Record है। इस प्रकार के प्रस्ताव में 177 Countries का Co- sponsor बनना एक World Record है और जिस काम में डेढ़-दो साल लगते हैं वो काम करीब-करीब 100 दिन में पूरा हो गया। UN ने इसे 21 जून को घोषित कर दिया ये भी अपने आप में एक World Record है।

हमारी सांस्कृतिक विरासत की एक ताकत है। हम दुनिया के सामने आत्मविश्वास के साथ कैसे ले जाएं। हमारा गीत-संगीत, नृत्य, नाट्य, कला, साहित्य कितनी बड़ी विरासत है। सूरज उगने से पहले कौन-सा संगीत, सूरज उगने के बाद कौन-सा संगीत यहां तक कि बारीक रेखाएं बनाने वाला काम हमारे पूर्वजों ने किया है और दुनिया में संगीत तो बहुत प्रकार के हैं लेकिन ज्यादातर संगीत तन को डोलाते हैं बहुत कम संगीत मन को डोलाते हैं। हम उस संगीत के धनी हैं जो मन को डोलाता है और मन को डोलाने वाले संगीत को विश्व के अंदर कैसे रखें यही प्रयासों से वो आगे बढ़ने वाला है लेकिन मेरे मन में विचार है क्या बनारस के कुछ स्कूल, स्कूल हो, कॉलेज हो आगे आ सकते हैं क्या और बनारस के जीवन पर ही एक विषय पर ही एक स्कूल की Mastery हो बनारस की विरासत पर, कोई एक स्कूल हो जिसकी तुलसी पर Mastery हो, कोई स्कूल हो जिसकी कबीर पर हो, ऐसी जो भी यहां की विरासत है उन सब पर और हर दिन शाम के समय एक घंटा उसी स्कूल में नाट्य मंच पर Daily उसका कार्यक्रम हो और जो Tourist आएं जिसको कबीर के पास जाना है उसके स्कूल में चला जाएगा, बैठेगा घंटे-भर, जिसको तुलसी के पास जाना है वो उस स्कूल में जाए बैठेगा घंटे भर , धीरे-धीरे स्कूल टिकट भी रख सकता है अगर popular हो जाएगी तो स्कूल की income भी बढ़ सकती है लेकिन काशी में आया हुआ Tourist वो आएगा हमारे पूर्वजों के प्रयासों के कारण, बाबा भोलेनाथ के कारण, मां गंगा के कारण, लेकिन रुकेगा हमारे प्रयासों के कारण। आने वाला है उसके लिए कोई मेहनत करने की जरूरत नहीं क्योंकि वो जन्म से ही तय करके बैठा है कि जाने है एक बार बाबा के दरबार में जाना है लेकिन वो एक रात यहां तब रुकेगा उसके लिए हम ऐसी व्यवस्था करें तब ऐसी व्यवस्था विकसित करें और एक बार रात रुक गया तो यहां के 5-50 नौजवानों को रोजगार मिलना ही मिलना है। वो 200-500-1000 रुपए खर्च करके जाएगा जो हमारे बनारस की इकॉनोमी को चलाएगा और हर दिन ऐसे हजारों लोग आते हैं और रुकते हैं तो पूरी Economy यहां कितनी बढ़ सकती है लेकिन इसके लिए ये छोटी-छोटी चीजें काम आ सकती हैं।

हमारे हर स्कूल में कैसा हो, हमारे जो सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, परंपरागत जो हमारे ज्ञान-विज्ञान हैं उसको तो प्रस्तुत करे लेकिन साथ-साथ समय की मांग इस प्रकार की स्पर्धाएं हो सकती हैं, मान लीजिए ऐसे नाट्य लेखक हो जो स्वच्छता पर ही बड़े Touchy नाटक लिखें अगर स्वच्छता के कारण गरीब को कितना फायदा होता है आज गंदगी के कारण Average एक गरीब को सात हजार रुपए दवाई का खर्चा आता है अगर हम स्वच्छता कर लें तो गरीब का सात हजार रुपए बच जाता है। तीन लोगों का परिवार है तो 21 हजार रुपए बच जाता है। ये स्वच्छता का कार्यक्रम एक बहुत बड़ा अर्थ कारण भी उसके साथ जुड़ा हुआ है और स्वच्छता ही है जो टूरिज्म की लिए बहुत बड़ी आवश्यकता होती है। क्या हमारे सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाट्य मंचन में ऐसे मंचन, ऐसे काव्य मंचन, ऐसे गीत, कवि सम्मेलन हो तो स्वच्छता पर क्यों न हो, उसी प्रकार से बेटी बचाओ भारत जैसा देश जहां नारी के गौरव की बड़ी गाथाएं हम सुनते हैं। इसी धरती की बेटी रानी लक्ष्मीबाई को हम याद करते हैं लेकिन उसी देश में बटी को मां के गर्भ में मार देते हैं। इससे बड़ा कोई पाप हो नहीं सकता है। क्या हमारे नाट्य मंचन पर हमारे कलाकारों के माध्यम से लगातार बार-बार हमारी कविताओं में, हमारे नाट्य मंचों पर, हमारे संवाद में, हमारे लेखन में बेटी बचाओ जैसे अभियान हम घर-घर पहुंच सकते हैं।

भारत जैसा देश जहां चींटी को भी अन्न खिलाना ये हमारी परंपरा रही है, गाय को भी खिलाना, ये हमारी परंपरा रही है। उस देश में कुपोषण, हमारे बालकों को……उस देश में गर्भवती माता कुपोषित हो इससे बड़ी पीड़ा की बात क्या हो सकती है। क्या हमारे नाट्य मंचन के द्वारा, क्या हमारी सांस्कृतिक धरोहर के द्वारा से हम इन चीजों को प्रलोभन के उद्देश्य में ला सकते हैं क्या? मैं कला, साहित्य जगत के लोगों से आग्रह करूंगा कि नए रूप में देश में झकझोरने के लिए कुछ करें।

जब आजादी का आंदोलन चला था तब ये ही साहित्यकार और कलाकार थे जिनकी कलम ने देश को खड़ा कर दिया था। स्वतंत्र भारत में सुशासन का मंत्र लेकर चल रहे तब ये ही हमारे कला और साहित्य के लोगों की कलम के माध्यम से एक राष्ट्र में नवजागरण का माहौल बना सकते हैं।

मैं उन सबको निमंत्रित करता हूं कि सांस्कृतिक सप्ताह यहां मनाया जा रहा है उसके साथ इसका भी यहां चिंतन हो, मनन हो और देश के लिए इस प्रकार की स्पर्धाएं हो और देश के लिए इस प्रकार का काम हो।

मुझे विश्वास है कि इस प्रयास से सपने पूरे हो सकते हैं साथियों, देश दुनिया में नाम रोशन कर सकता है। मैं अनुभव से कह सकता हूं, 6 महीने के मेरे अनुभव से कह सकता हूं पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है हम तैयार नहीं है, हम तैयार नहीं है हमें अपने आप को तैयार करना है, विश्व तैयार बैठा है।

मैं फिर एक बार पंडित मदन मोहन मालवीय जी की धरती को प्रणाम करता हूं, उस महापुरुष को प्रणाम करता हूं। आपको बहुत-बुहत शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद

Explore More
୭୭ତମ ସ୍ବାଧୀନତା ଦିବସ ଅବସରରେ ଲାଲକିଲ୍ଲା ପ୍ରାଚୀରରୁ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ ନରେନ୍ଦ୍ର ମୋଦୀଙ୍କ ଅଭିଭାଷଣର ମୂଳ ପାଠ

ଲୋକପ୍ରିୟ ଅଭିଭାଷଣ

୭୭ତମ ସ୍ବାଧୀନତା ଦିବସ ଅବସରରେ ଲାଲକିଲ୍ଲା ପ୍ରାଚୀରରୁ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ ନରେନ୍ଦ୍ର ମୋଦୀଙ୍କ ଅଭିଭାଷଣର ମୂଳ ପାଠ
Explained: The role of India’s free trade agreements in boosting MSME exports

Media Coverage

Explained: The role of India’s free trade agreements in boosting MSME exports
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM Modi’s addresses a public meeting at Mahabubnagar, Telangana
October 01, 2023
ସେୟାର
 
Comments
Telangana is a land of art, skill and culture. The products of Telangana are being liked in the world: PM Modi in Mahabubnagar
Recently, we launched the PM Vishwakarma Scheme... A lot of Vishwakarma friends earn with their skills. They have been neglected for decades, says PM Modi
We are respecting our farmers. We are giving them the correct price for their hard work. Money is going directly into farmers' bank accounts. There is no place for any middleman: PM Modi
Family based parties are busy in the welfare of their own families, but BJP is worried about the families of common citizens of the country: PM Modi in Telangana

भारत माता की, भारत माता की।


पालमूरु प्रजलन्दरिकी ना नमस्कारालु मरियु शुभाभिनन्दनालु।

यहां आने से पहले मुझे आज सुबह स्वच्छता अभियान के कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला। मैं देशवासियों से स्वच्छता के कार्यक्रम से जुड़ने का आह्वान करता हूं कि वे भी एक घंटा निकालकर इस अभियान में शामिल हों। लेकिन जिस प्रकार से भारत के लोगों ने अपने निरंतर सहयोग से स्वच्छता को एक जन आंदोलन बनाया है। और आज सुबह में भी मैं देख रहा था। देश के कोने-कोने में स्वच्छता का अभियान चल पड़ा है। मुझे विश्वास है कि आज शुरू हुए इस अभियान में भी ऐसी ही जबरदस्त भागीदारी होगी।


ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
आज मुझे, तेलंगाना के लोगों के कल्याण के लिए कई परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला। 13 हजार 500 करोड़ से ज्यादा की ये परियोजनाएं तेलंगाना को विकास की नई बुलंदियों पर पहुंचाएंगी। इनसे तेलंगाना के युवाओं के लिए बड़ी संख्या में रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे। वो प्यारी सी गुड़िया को मेरा बहुत-बहुत आशीर्वाद...।


ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
हाल के वर्षों में, तेलंगाना के लोगों ने लोकसभा, विधानसभा और निकाय चुनावों में भाजपा को मजबूत किया है। आज यहां जो जन सैलाब दिख रहा है, उससे मैं आश्वस्त हूं कि तेलंगाना के लोगों ने बदलाव का अपना इरादा पक्का कर लिया है। तेलंगाना बदलाव चाहता है, क्योंकि अब राज्य में भ्रष्टाचार नहीं पारदर्शी, ईमानदार सरकार चाहिए। तेलंगाना बदलाव चाहता है, क्योंकि अब उसे झूठे वादे नहीं जमीन पर काम चाहिए। तेलंगाना बदलाव चाहता है, क्योंकि अब उसे भाजपा सरकार चाहिए।


ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
तेलंगाना की ये धरती रानी रुद्रमा देवी जैसी वीरांगनाओं की धरती है। कुछ दिन पहले ही, देश ने नारीशक्ति वंदन अधिनियम पास किया है। अब, सिर्फ संसद में ही नहीं बल्कि भारत की हर विधानसभा में महिलाओं की आवाज पहले से ज्यादा मजबूत होगी। तेलंगाना की माताओं-बहनों के वोट ने मोदी को मजबूत किया, और मोदी ने बदले में तेलंगाना समेत देशभर की महिलाओं को सशक्त किया है। मैं तेलंगाना की नारी शक्ति को इस विधेयक के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।


ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
तेलंगाना की बहनें जानती हैं कि उनका एक भाई दिल्ली में है, जो निरंतर उनका जीवन बेहतर करने के प्रयास में जी-जान से जुटा है। बहनों के लिए लाखों शौचालय बनवाना हो, मुद्रा योजना के तहत बिना गारंटी के ऋण देना हो, पीएम आवास योजना के गरीबों को घर देना है, मुफ्त गैस कनेक्शन देना हो, हमने महिलाओं का जीवन आसान बनाने का बहुत काम किया है।


ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
भाजपा, तेलंगाना के लोगों का जीवन बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। किसी भी देश की विकास यात्रा हाइवे के विस्तार के साथ ही रफ्तार पकड़ती है। 2014 तक, ये आंकड़ा याद रखना, 2014 तक तेलंगाना में 2500 किलोमीटर नेशनल हाईवे का निर्माण किया गया था। लेकिन हमने इतने ही लंबे हाइवे सिर्फ 9 वर्षों में पूरे करके दिखाए हैं। हमारा प्रयास है कि हर छोटे शहर, गांव-कस्बे के लोगों की बड़े शहरों तक पहुंच आसान हो। इससे व्यापारी, कारोबारी, नौकरीपेशा, छात्रों, प्रोफेशनल्स और किसानों को बहुत फायदा होगा।


ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
हम अपने अन्नदाता को सम्मान दे रहे हैं, उनकी मेहनत का सही मूल्य दे रहे हैं। 2014 में, तेलंगाना के किसानों से MSP पर धान की खरीद पर 3400 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। ये आंकड़ा याद रखना, 2014 पुरानी कांग्रेस के जमाने की सरकार की बात कर रहा हूं, 3400 करोड़ रुपये। लेकिन हमने, एक साल में, 27 हजार करोड़ रुपये किसानों के लिए खर्च किए हैं। ये राशि 8 गुना ज्यादा है। ये पैसे भी सीधे किसानों के खाते में जा रहे हैं, इसमें किसी बिचौलिए के लिए कोई जगह नहीं है। लेकिन मुझे अफसोस है कि यहां की सरकार ने किसान योजनाओं को अपनी काली कमाई का जरिया बना लिया है। तेलंगाना में सिंचाई परियोजनाओं के नाम पर सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार हुआ है। आपने कहीं भी सुना है कि किसी सिंचाई परियोजना का उद्घाटन हो गया, लेकिन उसमें किसानों के लिए पानी नहीं मिल रहा। ऐसा तेलंगाना में हो रहा है, तेलंगाना के किसान ये रोज देख रहे हैं।


ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
तेलंगाना के किसानों से कर्ज माफी का वादा किया गया था। लेकिन खोखले वादों की वजह से, कई किसानों को अपनी जान देनी पड़ी, क्योंकि राज्य सरकार ने उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। तेलंगाना में हमारी सरकार नहीं है, फिर भी हमने तेलंगाना के किसानों की मदद करने का भरपूर प्रयास किया। हमने वर्षों से बंद पड़े रामागुंडम फर्टिलाइजर प्लांट को फिर से शुरू किया। ताकि किसानों को इसका फायदा मिल सके। पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत तेलंगाना के किसानों को करीब 10 हजार करोड़ रुपये सीधे उनके खाते में दिए गए हैं।


ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
अब से कुछ देर पहले मैंने तेलंगाना के हल्दी किसानों से जुड़ी बहुत बड़ी घोषणा की है। भारत विश्व में हल्दी का सबसे बड़ा producer, consumer और exporter है! 2014 की तुलना में आज भारत, करीब-करीब दोगुनी मात्रा में हल्दी का विदशों में एक्सपोर्ट करता है। भारत में अलग-अलग spices (स्पाइसेस) को बढ़ावा देने के लिए spices board पहले से काम करते आ रहे हैं। लेकिन हल्दी जैसे golden spice के लिए कोई बोर्ड नहीं था। अब भाजपा सरकार ने तय किया है कि देश में एक अलग National Turmeric Board बनाया जाएगा। इसका बहुत बड़ा लाभ तेलंगाना के किसानों को होगा। इससे हल्दी के उत्पादन में, वैल्यू चेन में, हल्दी के एक्सपोर्ट में किसानों को बहुत बड़ी मदद मिलेगी।


ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
तेलंगाना कला, संस्कृति और कौशल से समृद्ध जगह है। यहां बनने वाले उत्पादों को दुनियाभर में पसंद किया जा रहा है। कुछ दिन पहले मैंने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति को बीदरी कला से तैयार गिफ्ट भेंट किया था। इससे देश-विदेश में इस कला की चर्चा तेज हो गई है। इस तरह के कई और स्किल हैं, जिसे सपोर्ट की जरूरत है। हाल ही में, हमने पीएम विश्वकर्मा योजना लॉन्च किया। बहुत सारे विश्वकर्मा साथी ST-SC-OBC बैंकग्राउंड से आते हैं। हाथ के हुनर से कमाई करने वाले ऐसे कारीगरों की दशकों से उपेक्षा की जा रही थी। ऐसे साथियों को सपोर्ट देने के लिए ही पीएम विश्वकर्मा योजना लाई गई है। इससे हमारे विश्वकर्मा भाई-बहनों को आधुनिक औजार मिलेंगे, उनके बनाए उत्पादों को नया बाजार मिलेगा। आपके प्यार के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। इतना प्यार, इतना उत्साह, ये अद्भुत है। आपने तो कांग्रेस और बीआरएस, दोनों की नींद हराम कर दी है।


ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
मैं आपको भारत सरकार के एक बहुत ही अहम निर्णय के बारे में भी बताना चाहता हूं। भारत सरकार, तेलंगाना में मुलुगु जिले में एक Central Tribal University की स्थापना करने का निर्णय कर लिया है। इस विश्वविद्यालय का नाम आदिवासी देवियों सम्मक्का-सारक्का के नाम पर रखा जाएगा। और इस पर करीब 900 करोड़ रुपये खर्च होंगे। ये सेंट्रल यूनिवर्सिटी बहुत पहले बन गई होती, अगर यहां की भ्रष्ट सरकार ने इसमें दिलचस्पी दिखाई होती। मुझे अफसोस है कि यहां की राज्य सरकार Central Tribal University के लिए जमीन देने के काम को पांच साल तक टालती रही। ये दिखाता है कि तेलंगाना सरकार को आदिवासी हितों की, आदिवासी गौरव की कोई परवाह नहीं है।


ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
तेलंगाना सरकार, कार की है, लेकिन उस कार का स्टीयरिंग किसी और के पास है। आप भी जानते हैं कि तेलंगाना सरकार को कौन चला रहा है। तेलंगाना की प्रगति को 2 Family Run Parties ने रोक रखा है। इन दोनों ही Family Run Parties की पहचान, करप्शन और कमीशन से है। इस दोनों पार्टियों का एक ही फॉर्मूला है- “party of the family, by the family and for the family.” ये लोग प्रजातंत्र को परिवार तंत्र बना रहे हैं। ये एक पॉलिटिकल पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर चलाते हैं। इस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में प्रेसिंडेट भी परिवार का, CEO भी परिवार का, डायरेक्टर भी परिवार का, ट्रेजरर भी परिवार का, जनरल मैनेजर भी परिवार का, चीफ मैनेजर भी परिवार का, मैनेजर भी परिवार का होता है। हां सपोर्ट स्टाफ के लिए कुछ बाहरी लोगों को दिखावे के लिए जरूर रख लिया जाता है। यानि हर बड़े पद पर या तो परिवार के लोग खुद बैठते हैं या फिर अपने करीबी को ही बिठाते हैं। पार्टी का कोई भी फैसला इनकी मर्जी के बिना नहीं हो सकता। परिवारवादी पार्टियां अपने परिवार का ही भला करने में जुटी हैं, लेकिन भाजपा को देश के सामान्य नागरिक के परिवार की चिंता है। हमारा फोकस आपके परिवार को बेहतर जीवन और बेहतर अवसर देने पर है।


ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
भाजपा पर तेलंगाना के लोगों का समर्थन और विश्वास लगातार बढ़ता ही जा रहा है। यहां के युवाओं-महिलाओं-किसानों को सिर्फ मोदी की गारंटी पर भरोसा है। क्योंकि मोदी जो गारंटी देता है, वो पूरी करके रहता है। तेलंगाना के लोग भी यही चाहते हैं कि उनसे किए गए सभी वादे पूरे हों। हमें मिलकर तेलंगाना को प्रगति के नए रास्ते पर लेकर जाना है। आप सबने इतनी बड़ी संख्या में आकर आशीर्वाद दिए और स्वंय वरुण देवता भी हमें आशीर्वाद देने आ गए हैं। आज जिस प्रकार से यहां की पार्टी ने मुझे आपके बीच आने का अवसर दिया। मुझे बहुत पुराने मेरे साथियों के कई वर्षों के बाद दर्शन करने का मौका मिला। आज मेरा जीवन धन्य हो गया, आपके दर्शन करके, आप साथियों के दर्शन करके, तेलंगाना की जनता जनार्दन के दर्शन करके, और इसके लिए मैं आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। दोनों हाथ ऊपर करके मेरे साथ बोलिए-


भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय! वंदे ! वंदे ! वंदे ! वंदे ! वंदे ! वंदे ! वंदे ! भारत माता की जय ! भारत माता की जय ! भारत माता की जय ! बहुत-बहुत धन्यवाद।