Share
 
Comments

उपस्थित सभी महानुभाव,

आप सबको क्रिसमस के पावन पर्व की बुहत-बहुत शुभकामनाएं। ये आज सौभाग्य है कि 25 दिसंबर, पंडित मदन मोहन मालवीय जी की जन्म जयंती पर, मुझे उस पावन धरती पर आने का सौभाग्य मिला है जिसके कण-कण पर पंडित जी के सपने बसे हुए हैं। जिनकी अंगुली पकड़ कर के हमें बड़े होने का सौभाग्य मिला, जिनके मार्गदर्शन में हमें काम करने का सौभाग्य मिला ऐसे अटल बिहारी वाजपेयी जी का भी आज जन्मदिन है और आज जहां पर पंडित जी का सपना साकार हुआ, उस धरती के नरेश उनकी पुण्यतिथि का भी अवसर है। उन सभी महापुरुषों को नमन करते हुए, आज एक प्रकार से ये कार्यक्रम अपने आप में एक पंचामृत है। एक ही समारोह में अनेक कार्यक्रमों का आज कोई-न-कोई रूप में आपके सामने प्रस्तुतिकरण हो रहा है। कहीं शिलान्यास हो रहा है तो कहीं युक्ति का Promotion हो रहा है तो Teachers’ Training की व्यवस्था हो रही है तो काशी जिसकी पहचान में एक बहुत महत्वपूर्ण बात है कि यहां कि सांस्कृतिक विरासत उन सभी का एक साथ आज आपके बीच में उद्घाटन करने का अवसर मुझे मिला है। मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

मैं विशेष रूप से इस बात की चर्चा करना चाहता हूं कि जब-जब मानवजाति ने ज्ञान युग में प्रवेश किया है तब-तब भारत ने विश्व गुरू की भूमिका निभाई है और 21वीं सदी ज्ञान की सदी है मतलब की 21वीं सदी भारत की बहुत बड़ी जिम्मेवारियों की भी सदी है और अगर ज्ञान युग ही हमारी विरासत है तो भारत ने उस एक क्षेत्र में विश्व के उपयोगी कुछ न कुछ योगदान देने की समय की मांग है। मनुष्य का पूर्णत्व Technology में समाहित नहीं हो सकता है और पूर्णत्व के बिना मनुष्य मानव कल्याण की धरोहर नहीं बन सकता है और इसलिए पूर्णत्व के लक्ष्य को प्राप्त करना उसी अगर मकसद को लेकर के चलते हैं तो विज्ञान हो, Technology हो नए-नए Innovations हो, Inventions हो लेकिन उस बीच में भी एक मानव मन एक परिपूर्ण मानव मन ये भी विश्व की बहुत बड़ी आवश्यकता है।

हमारी शिक्षा व्यवस्था Robot पैदा करने के लिए नहीं है। Robot तो शायद 5-50 वैज्ञानिक मिलकर शायद लेबोरेटरी में पैदा कर देंगे, लेकिन नरकर्णी करे तो नारायण हो जाए। ये जिस भूमि का संदेश है वहां तो व्यक्तित्व का संपूर्णतम विकास यही परिलक्षित होता है और इसलिए इस धरती से जो आवाज उठी थी, इस धरती से जो संस्कार की गंगा बही थी उसमें संस्कृति की शिक्षा तो थी लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण था शिक्षा की संस्कृति और आज कहीं ऐसा तो नहीं है सदियों से संजोयी हुई हमारी शैक्षिक परंपरा है, जो एक संस्कृतिक विरासत के रूप में विकसित हुई है। वो शिक्षा की संस्कृति तो लुप्त नहीं हो रही है? वो भी तो कहीं प्रदूषित नहीं हो रही है? और तब जाकर के आवश्यकता है कि कालवाह्य चीजों को छोड़कर के उज्जवलतम भविष्य की ओर नजर रखते हुए पुरानी धरोहर के अधिष्ठान को संजोते हुए हम किस प्रकार की व्यवस्था को विकसित करें जो आने वाली सदियों तक मानव कल्याण के काम आएं।

हम दुनिया के किसी भी महापुरुष का अगर जीवन चरित्र पढ़ेंगे, तो दो बातें बहुत स्वाभाविक रूप से उभर कर के आती हैं। अगर कोई पूछे कि आपके जीवन की सफलता के कारण तो बहुत एक लोगों से एक बात है कि एक मेरी मां का योगदान, हर कोई कहता है और दूसरा मेरे शिक्षक का योगदान। कोई ऐसा महापुरुष नहीं होगा जिसने ये न कहा हो कि मेरे शिक्षक का बुहत बड़ा contribution है, मेरी जिंदगी को बनाने में, अगर ये हमें सच्चाई को हम स्वीकार करते हैं तो हम ये बहुमूल्य जो हमारी धरोहर है इसको हम और अधिक तेजस्वी कैसे बनाएं और अधिक प्राणवान कैसे बनाएं और उसी में से विचार आया कि, वो देश जिसके पास इतना बड़ा युवा सामर्थ्य है, युवा शक्ति है।

आज पूरे विश्व को उत्तम से उत्तम शिक्षकों की बहुत बड़ी खोट है, कमी है। आप कितने ही धनी परिवार से मिलिए, कितने ही सुखी परिवार से मिलिए, उनको पूछिए किसी एक चीज की आपको आवश्यकता लगती है तो क्या लगती है। अरबों-खरबों रुपयों का मालिक होगा, घर में हर प्रकार का सुख-वैभव होगा तो वो ये कहेगा कि मुझे अच्छा टीचर चाहिए मेरे बच्चों के लिए। आप अपने ड्राइवर से भी पूछिए कि आपकी क्या इच्छा है तो ड्राइवर भी कहता है कि मेरे बच्चे भी अच्छी शिक्षी ही मेरी कामना है। अच्छी शिक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर के दायरे में नहीं आती। Infrastructure तो एक व्यवस्था है। अच्छी शिक्षा अच्छे शिक्षकों से जुड़ी हुई होती है और इसलिए अच्छे शिक्षकों का निर्माण कैसे हो और हम एक नए तरीके से कैसे सोचें?

आज 12 वीं के बीएड, एमएड वगैरह होता है वो आते हैं, ज्यादातर बहुत पहले से ही जिसने तय किया कि मुझे शिक्षक बनना है ऐसे बहुत कम लोग होते हैं। ज्यादातर कुछ न कुछ बनने का try करते-करके करके हुए आखिर कर यहां चल पड़ते हैं। मैं यहां के लोगों की बात नहीं कर रहा हूं। हम एक माहौल बना सकते हैं कि 10वीं,12वीं की विद्यार्थी अवस्था में विद्यार्थियों के मन में एक सपना हो मैं एक उत्तम शिक्षक बनना चाहता हूं। ये कैसे बोया जाए, ये environment कैसे create किया जाए? और 12वीं के बाद पहले Graduation के बाद law faculty में जाते थे और वकालत धीरे-धीरे बदलाव आया और 12वीं के बाद ही पांच Law Faculty में जाते हैं और lawyer बनकर आते हैं। क्या 10वीं और 12वीं के बाद ही Teacher का एक पूर्ण समय का Course शुरू हो सकता है और उसमें Subject specific मिले और जब एक विद्यार्थी जिसे पता है कि मुझे Teacher बनना है तो Classroom में वो सिर्फ Exam देने के लिए पढ़ता नहीं है वो अपने शिक्षक की हर बारीकी को देखता है और हर चीज में सोचता है कि मैं शिक्षक बनूंगा तो कैसे करूंगा, मैं शिक्षक बनूंगा ये उसके मन में रहता है और ये एक पूरा Culture बदलने की आवश्यकता है।

उसके साथ-साथ भले ही वो विज्ञान का शिक्षक हो, गणित का शिक्षक हो उसको हमारी परंपराओं का ज्ञान होना चाहिए। उसे Child Psychology का पता होना चाहिए, उसको विद्यार्थियों को Counselling कैसे करना चाहिए ये सीखना चाहिए, उसे विद्यार्थियों को मित्रवत व्यवहार कैसे करना है ये सीखाना चाहिए और ये चीजें Training से हो सकती हैं, ऐसा नहीं है कि ये नहीं हो सकता है। सब कुछ Training से हो सकता है और हम इस प्रकार के उत्तम शिक्षकों को तैयार करें मुझे विश्वास है कि दुनिया को जितने शिक्षकों की आवश्यकता है, हम पूरे विश्व को, भारत के पास इतना बड़ा युवा धन है लाखों की तादाद में हम शिक्षक Export कर सकते हैं। Already मांग तो है ही है हमें योग्यता के साथ लोगों को तैयार करने की आवश्यकता है और एक व्यापारी जाता है बाहर तो Dollar या Pound ले आता है लेकिन एक शिक्षक जाता है तो पूरी-पूरी पीढ़ी को अपने साथ ले आता है। हम कल्पना कर सकते हैं कितना बड़ा काम हम वैश्विक स्तर पर कर सकते हैं और उसी एक सपने को साकार करने के लिए पंड़ित मदन मोहन मालवीय जी के नाम से इस मिशन को प्रारंभ किया गया है। और आज उसका शुभारंभ करने का मुझे अवसर मिला है।

आज पूरे विश्व में भारत के Handicraft तरफ लोगों का ध्यान है, आकर्षण है लेकिन हमारी इस पुरानी पद्धतियों से बनी हुई चीजें Quantum भी कम होता है, Wastage भी बहुत होता है, समय भी बहुत जाता है और इसके कारण एक दिन में वो पांच खिलौने बनाता है तो पेट नहीं भरता है लेकिन अगर Technology के उपयोग से 25 खिलौने बनाता है तो उसका पेट भी भरता है, बाजार में जाता है और इसलिए आधुनिक विज्ञान और Technology को हमारे परंपरागत जो खिलौने हैं उसका कैसे जोड़ा जाए उसका एक छोटा-सा प्रदर्शन मैंने अभी उनके प्रयोग देखे, मैं देख रहा था एक बहुत ही सामान्य प्रकार की टेक्नोलोजी को विकसित किया गया है लेकिन वो उनके लिए बहुत बड़ी उपयोगिता है वरना वो लंबे समय अरसे से वो ही करते रहते थे। उसके कारण उनके Production में Quality, Production में Quantity और उसके कारण वैश्विक बाजार में अपनी जगह बनाने की संभावनाएं और हमारे Handicrafts की विश्व बाजार की संभावनाएं बढ़ी हैं। आज हम उनको Online Marketing की सुविधाएं उपलब्ध कराएं। युक्ति, जो अभियान है उसके माध्यम से हमारे जो कलाकार हैं, काश्तकारों को ,हमारे विश्वकर्मा हैं ये इन सभी विश्वकर्माओं के हाथ में हुनर देने का उनका प्रयास। उनके पास जो skill है उसको Technology के लिए Up-gradation करने का प्रयास। उस Technology में नई Research हो उनको Provide हो, उस दिशा में प्रयास बढ़ रहे हैं।

हमारे देश में सांस्कृतिक कार्यक्रम तो बहुत होते रहते हैं। कई जगहों पर होते हैं। बनारस में एक विशेष रूप से भी आरंभ किया है। हमारे टूरिज्म को बढ़ावा देने में इसकी बहुत बड़ी ताकत है। आप देखते होंगे कि दुनिया ने, हम ये तो गर्व करते थे कि हमारे ऋषियों ने, मुनियों ने हमें योग दिया holistic health के लिए preventive health के लिए योग की हमें विरासत मिली और धीरे-धीरे दुनिया को भी लगने लगा योग है क्या चीज और दुनिया में लोग पहुंच गए। नाक पकड़कर के डॉलर भी कमाने लग गए। लेकिन ये शास्त्र आज के संकटों के युग में जी रहे मानव को एक संतुलित जीवन जीने की ताकत कैसे मिले। योग बहुत बड़ा योगदान कर सकता है। मैं सितंबर में UN में गया था और UN में पहली बार मुझे भाषण करने का दायित्व था। मैंने उस दिन कहा कि हम एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाएं और मैंने प्रस्तावित किया था 21 जून। सामान्य रूप से इस प्रकार के जब प्रस्ताव आते हैं तो उसको पारित होने में डेढ़ साल, दो साल, ढ़ाई साल लग जाते हैं। अब तक ऐसे जितने प्रस्ताव आए हैं उसमें ज्यादा से ज्यादा 150-160 देशों नें सहभागिता दिखाई है। जब योग का प्रस्ताव रखा मुझे आज बड़े आनंद और गर्व के साथ कहना है और बनारस के प्रतिनिधि के नाते बनारस के नागरिकों को ये हिसाब देते हुए, मुझे गर्व होता है कि 177 Countries Co- sponsor बनी जो एक World Record है। इस प्रकार के प्रस्ताव में 177 Countries का Co- sponsor बनना एक World Record है और जिस काम में डेढ़-दो साल लगते हैं वो काम करीब-करीब 100 दिन में पूरा हो गया। UN ने इसे 21 जून को घोषित कर दिया ये भी अपने आप में एक World Record है।

हमारी सांस्कृतिक विरासत की एक ताकत है। हम दुनिया के सामने आत्मविश्वास के साथ कैसे ले जाएं। हमारा गीत-संगीत, नृत्य, नाट्य, कला, साहित्य कितनी बड़ी विरासत है। सूरज उगने से पहले कौन-सा संगीत, सूरज उगने के बाद कौन-सा संगीत यहां तक कि बारीक रेखाएं बनाने वाला काम हमारे पूर्वजों ने किया है और दुनिया में संगीत तो बहुत प्रकार के हैं लेकिन ज्यादातर संगीत तन को डोलाते हैं बहुत कम संगीत मन को डोलाते हैं। हम उस संगीत के धनी हैं जो मन को डोलाता है और मन को डोलाने वाले संगीत को विश्व के अंदर कैसे रखें यही प्रयासों से वो आगे बढ़ने वाला है लेकिन मेरे मन में विचार है क्या बनारस के कुछ स्कूल, स्कूल हो, कॉलेज हो आगे आ सकते हैं क्या और बनारस के जीवन पर ही एक विषय पर ही एक स्कूल की Mastery हो बनारस की विरासत पर, कोई एक स्कूल हो जिसकी तुलसी पर Mastery हो, कोई स्कूल हो जिसकी कबीर पर हो, ऐसी जो भी यहां की विरासत है उन सब पर और हर दिन शाम के समय एक घंटा उसी स्कूल में नाट्य मंच पर Daily उसका कार्यक्रम हो और जो Tourist आएं जिसको कबीर के पास जाना है उसके स्कूल में चला जाएगा, बैठेगा घंटे-भर, जिसको तुलसी के पास जाना है वो उस स्कूल में जाए बैठेगा घंटे भर , धीरे-धीरे स्कूल टिकट भी रख सकता है अगर popular हो जाएगी तो स्कूल की income भी बढ़ सकती है लेकिन काशी में आया हुआ Tourist वो आएगा हमारे पूर्वजों के प्रयासों के कारण, बाबा भोलेनाथ के कारण, मां गंगा के कारण, लेकिन रुकेगा हमारे प्रयासों के कारण। आने वाला है उसके लिए कोई मेहनत करने की जरूरत नहीं क्योंकि वो जन्म से ही तय करके बैठा है कि जाने है एक बार बाबा के दरबार में जाना है लेकिन वो एक रात यहां तब रुकेगा उसके लिए हम ऐसी व्यवस्था करें तब ऐसी व्यवस्था विकसित करें और एक बार रात रुक गया तो यहां के 5-50 नौजवानों को रोजगार मिलना ही मिलना है। वो 200-500-1000 रुपए खर्च करके जाएगा जो हमारे बनारस की इकॉनोमी को चलाएगा और हर दिन ऐसे हजारों लोग आते हैं और रुकते हैं तो पूरी Economy यहां कितनी बढ़ सकती है लेकिन इसके लिए ये छोटी-छोटी चीजें काम आ सकती हैं।

हमारे हर स्कूल में कैसा हो, हमारे जो सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, परंपरागत जो हमारे ज्ञान-विज्ञान हैं उसको तो प्रस्तुत करे लेकिन साथ-साथ समय की मांग इस प्रकार की स्पर्धाएं हो सकती हैं, मान लीजिए ऐसे नाट्य लेखक हो जो स्वच्छता पर ही बड़े Touchy नाटक लिखें अगर स्वच्छता के कारण गरीब को कितना फायदा होता है आज गंदगी के कारण Average एक गरीब को सात हजार रुपए दवाई का खर्चा आता है अगर हम स्वच्छता कर लें तो गरीब का सात हजार रुपए बच जाता है। तीन लोगों का परिवार है तो 21 हजार रुपए बच जाता है। ये स्वच्छता का कार्यक्रम एक बहुत बड़ा अर्थ कारण भी उसके साथ जुड़ा हुआ है और स्वच्छता ही है जो टूरिज्म की लिए बहुत बड़ी आवश्यकता होती है। क्या हमारे सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाट्य मंचन में ऐसे मंचन, ऐसे काव्य मंचन, ऐसे गीत, कवि सम्मेलन हो तो स्वच्छता पर क्यों न हो, उसी प्रकार से बेटी बचाओ भारत जैसा देश जहां नारी के गौरव की बड़ी गाथाएं हम सुनते हैं। इसी धरती की बेटी रानी लक्ष्मीबाई को हम याद करते हैं लेकिन उसी देश में बटी को मां के गर्भ में मार देते हैं। इससे बड़ा कोई पाप हो नहीं सकता है। क्या हमारे नाट्य मंचन पर हमारे कलाकारों के माध्यम से लगातार बार-बार हमारी कविताओं में, हमारे नाट्य मंचों पर, हमारे संवाद में, हमारे लेखन में बेटी बचाओ जैसे अभियान हम घर-घर पहुंच सकते हैं।

भारत जैसा देश जहां चींटी को भी अन्न खिलाना ये हमारी परंपरा रही है, गाय को भी खिलाना, ये हमारी परंपरा रही है। उस देश में कुपोषण, हमारे बालकों को……उस देश में गर्भवती माता कुपोषित हो इससे बड़ी पीड़ा की बात क्या हो सकती है। क्या हमारे नाट्य मंचन के द्वारा, क्या हमारी सांस्कृतिक धरोहर के द्वारा से हम इन चीजों को प्रलोभन के उद्देश्य में ला सकते हैं क्या? मैं कला, साहित्य जगत के लोगों से आग्रह करूंगा कि नए रूप में देश में झकझोरने के लिए कुछ करें।

जब आजादी का आंदोलन चला था तब ये ही साहित्यकार और कलाकार थे जिनकी कलम ने देश को खड़ा कर दिया था। स्वतंत्र भारत में सुशासन का मंत्र लेकर चल रहे तब ये ही हमारे कला और साहित्य के लोगों की कलम के माध्यम से एक राष्ट्र में नवजागरण का माहौल बना सकते हैं।

मैं उन सबको निमंत्रित करता हूं कि सांस्कृतिक सप्ताह यहां मनाया जा रहा है उसके साथ इसका भी यहां चिंतन हो, मनन हो और देश के लिए इस प्रकार की स्पर्धाएं हो और देश के लिए इस प्रकार का काम हो।

मुझे विश्वास है कि इस प्रयास से सपने पूरे हो सकते हैं साथियों, देश दुनिया में नाम रोशन कर सकता है। मैं अनुभव से कह सकता हूं, 6 महीने के मेरे अनुभव से कह सकता हूं पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है हम तैयार नहीं है, हम तैयार नहीं है हमें अपने आप को तैयार करना है, विश्व तैयार बैठा है।

मैं फिर एक बार पंडित मदन मोहन मालवीय जी की धरती को प्रणाम करता हूं, उस महापुरुष को प्रणाम करता हूं। आपको बहुत-बुहत शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद

Explore More
৭৭শুবা নিংতম্বা নুমিৎ থৌরমদা লাল কিলাদগী প্রধান মন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদীনা ৱা ঙাংখিবগী মপুংফাবা ৱারোল

Popular Speeches

৭৭শুবা নিংতম্বা নুমিৎ থৌরমদা লাল কিলাদগী প্রধান মন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদীনা ৱা ঙাংখিবগী মপুংফাবা ৱারোল
Head-on | Why the India-Middle East-Europe corridor is a geopolitical game-changer

Media Coverage

Head-on | Why the India-Middle East-Europe corridor is a geopolitical game-changer
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Devotion of the recruits to service will enable the country to accomplish its goals: PM Modi
September 26, 2023
Share
 
Comments
Distributes about 51,000 appointment letters to newly inducted recruits
“Devotion of the recruits to service will enable the country to accomplish its goals”
“Narishakti Vandan Adhiniyam is a new beginning for the nation in the new Parliament”
“Technology has stopped corruption, improved credibility, reduced complexity and increased comfort”
“Policies of government are based upon a new mindset, constant monitoring, mission mode implementation and mass participation, that has paved the way to accomplish monumental goals”

नमस्‍कार,

आज के इस रोजगार मेले में जिन अभ्यर्थियों को सरकारी सेवा के नियुक्ति पत्र मिले हैं, उन सभी को बहुत बहुत बधाई। आप सभी ने कड़े परिश्रम के बाद ये सफलता हासिल की है। आप का चयन लाखों अभ्यर्थियों के बीच से किया गया है, इसलिए इस सफलता का आपके जीवन में बहुत बड़ा महत्व है।

आज चारों तरफ देश में गणेश उत्‍सव की धूम चल रही है। इस पावन काल में आप सभी के नए जीवन का श्री गणेश हो रहा है। भगवान गणेश सिद्धि के देवता हैं। मेरी कामना है कि आपकी सेवाओं का संकल्प, राष्ट्र के लक्ष्यों को सिद्धि तक ले जाए

साथियों,

आज हमारा देश ऐतिहासिक उपलब्धियों और फैसलों का साक्षी बन रहा है। कुछ दिन पहले ही नारी शक्ति वंदन अधिनियम के रूप में देश की आधी आबादी को बहुत बड़ी ताकत मिली है। 30 वर्षों से महिला आरक्षण का जो विषय लंबित था, वो अब रिकॉर्ड वोटों के साथ दोनों सदनों से पास हुआ है।

आप कल्पना कीजिए कि ये कितनी बड़ी उपलब्धि है। ये मांग तब से हो रही थी, जब आप लोगों में से ज्यादातर लोगों का जन्म भी नहीं हुआ होगा। ये निर्णय देश की नई संसद के पहले सत्र में हुआ है। एक तरह से नई संसद में, देश के नए भविष्य की शुरुआत हुई है।

साथियों,

आज इस रोजगार मेले में भी हमारी बेटियों को बड़ी संख्या में नियुक्ति पत्र मिले हैं। आज भारत की बेटियां Space से Sports तक अनेक नए कीर्तिमान बना रही हैं। मुझे नारी शक्ति की इस सफलता पर बहुत-बहुत गौरव होता है। सरकार की नीति भी यही है कि नारी शक्ति के लिए नए-नए द्वार खोले जाएं। हमारी बेटियां अब देश के सशस्त्र बलों में कमीशन लेकर राष्ट्र सेवा के रास्ते पर आगे बढ़ रही हैं। हम सभी का अनुभव है कि नारी शक्ति ने हमेशा नई ऊर्जा के साथ हर क्षेत्र में बदलाव किया है। हमारी आधी आबादी के लिए सरकार का सुशासन, इसके लिए आपको नए Ideas पर काम करना चाहिए।

साथियों,

आज 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं बहुत ऊंची हैं, हमारे समाज की, सरकार से अपेक्षाएं बहुत ज्यादा हैं। आप खुद देख रहे हैं कि ये नया भारत आज क्या कमाल कर रहा है है। ये वो भारत है जिसने कुछ दिनों पहले चंद्रमा पर अपना तिरंगा लहराया है। इस नए भारत के सपने बहुत ऊंचे हैं। देश ने 2047 तक विकसित भारत बनने का संकल्प लिया है।

अगले कुछ वर्षों में हम तीसरी सबसे बड़ी Economy बनने वाले हैं। आज जब देश में इतना कुछ हो रहा है तो उसमें हर सरकारी कर्मचारी की भूमिका बहुत ज्यादा बढ़ने वाली है। आपको हमेशा Citizen First की भावना से काम करना है। आप तो एक ऐसी Generation का हिस्सा हैं, जो Technology के साथ बड़ी हुई है। जो Gadgets आपके Parents मुश्किल से ऑपरेट कर पाते हैं, आप ने खिलौनों की तरह उनका इस्तेमाल किया है।

Technology से इस सहजता को अब आप को अपने कार्यक्षेत्र में इस्तेमाल करना है। हमें सोचना होगा कि हम Governance में भी Technology की मदद से कैसे नया सुधार कर सकते हैं? आपको देखना होगा कि अपने अपने क्षेत्रों में आप कैसे Technology के जरिए Efficiency को और Improve कर सकते हैं?

साथियों,

Technological Transformation से Governance कैसे आसान होती है, आप ने बीते 9 सालों में देखा है। पहले रेल की टिकट लेने के लिए Booking Counters पर लाइन लगती थी। Technology ने ये मुश्किल आसान कर दी। आधार कार्ड, Digital Locker और E-KYC ने Documentation की Complexity खत्म कर दी। गैस Cylinder की Booking से लेकर Electricity Bills के Payment तक सब अब App पर होने लगा है। DBT के जरिए सरकारी योजनाओं का पैसा सीधे लोगों के अकाउंट में पहुंच रहा है। Digi Yatra से हमारा आना-जाना आसान हुआ है। यानी Technology से Corruption घटा है, Credibility बढ़ी है, Complexity घटी है, Comfort बढ़ा है।

आपको इस दिशा में और ज्यादा से ज्यादा काम करना है। गरीबों की हर जरूरत, सरकार का हर काम, Technology के जरिए कैसे और आसान होगा, आपको इस काम के लिए नए-नए तरीके ढूंढने हैं, Innovative तरीके ढूंढने हैं, और उसे आगे भी बढाना होगा।

साथियों,

पिछले 9 वर्षों में हमारी Policies ने बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल करने का रास्ता तैयार किया है। हमारी नीतियां नए Mindset, Constant Monitoring, Mission Mode Implementation और Mass Participation पर आधारित हैं। 9 वर्षों में सरकार ने Mission mode पर नीतियों को लागू किया है। चाहे स्वच्छ भारत हो, या जल जीवन मिशन, इन सभी योजनाओं में 100 Percent Saturation के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है। सरकार के हर स्तर पर Schemes की Monitoring हो रही है।

खुद मैं भी प्रगति Platform के द्वारा Projects की Progress पर नजर रखता हूं। इन प्रयासों के बीच, केंद्र सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी आप सभी नव-नियुक्त सरकारी कर्मचारियों पर है। जब आप जैसे लाखों युवा सरकारी सेवाओं से जुड़ते हैं तो नीतियों को लागू करने की Speed और Scale भी बढ़ जाती है। इससे सरकार के बाहर भी रोजगार के अवसर तैयार होते हैं। साथ-साथ कामकाज की नई व्यवस्था भी बनती है।

साथियों,

वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में मुश्किलों के बीच आज भारत की GDP तेजी से बढ़ रही है, हमारे Production और Export दोनों में बड़ी वृद्धि हुई है। देश आज अपने आधुनिक Infrastructure पर जितना निवेश कर रहा है, वो पहले कभी नहीं किया गया। आज देश में नए-नए Sectors का विस्तार हो रहा है। आज Renewable Energy, Organic Farming, Defence और पर्यटन समेत कई सेक्टरों में अभूतपूर्व तेजी दिख रही है।

Mobile Phone से Aircraft Carrier तक, Corona Vaccine से Fighter Jets तक भारत के आत्मनिर्भर अभियान की ताकत सबके सामने है। ऐसा माना जा रहा है कि 2025 तक अकेले भारत की Space Economy ही 60 हजार करोड़ से बड़ी हो जाएगी। यानी आज देश के युवाओं के लिए लगातार नए नए अवसर बन रहे हैं, रोजगार की नई संभावनाएं बन रही हैं।

साथियों,

आजादी के अमृतकाल में अगले 25 साल जितने अहम हैं, उतना ही आपका अगले 25 साल का करियर अहम है। आपको टीम वर्क को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी है। आपने देखा है, इसी महीने इस देश में G20 बैठकों का सफल आयोजन पूरा हुआ है। दिल्ली समेत देश के 60 शहरों में 200 से ज्यादा बैठकें आयोजित की गईं।

इस दौरान विदेशी मेहमानों ने हमारे देश की विविधता के रंग देखे। G20 हमारी परंपरा, संकल्प और आतिथ्य भावना का आयोजन बना। G20 समिट की सफलता भी Public और Private Sector के अलग-अलग विभागों की सफलता है। सभी ने इस आयोजन के लिए एक टीम के रूप में काम किया। मुझे खुशी है कि आज आप भी सरकारी कर्मचारियों की Team India का हिस्सा बनने जा रहे हैं

साथियों,

आप सभी को देश की विकास यात्रा में सरकार के साथ सीधे जुड़कर काम करने का अवसर मिला है। मेरा आपसे आग्रह है कि इस यात्रा में आप सीखते रहने की अपनी आदत को बनाए रखिए। Online Learning Portal - ‘iGoT Karmayogi’ के द्वारा आप अपनी पसंद के courses से जुड़ सकते हैं।

मैं चाहता हूं कि आप सभी इस सुविधा का लाभ उठाएं। एक बार फिर मैं आप सबको बधाई देता हूं। भारत के संकल्प को सिद्धि तक लाने के लिए आप सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं। आपके परिवारजनों को भी अनेक-अनेक शुभकामनाएं, बहुत-बहुत बधाई है। आप स्वयं भी प्रगति करें और आप इन 25 साल जो आपके भी हैं और देश के भी हैं। ऐसा rare combination बहुत कम मिलता है, आपको मिला है।

आइये साथियों, संकल्प ले करके चल पड़ें। देश के लिए जी कर दिखाएं, देश के लिए कुछ करके दिखाएं। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत बहुत धन्यवाद।