उपस्थित सभी महानुभाव,

आप सबको क्रिसमस के पावन पर्व की बुहत-बहुत शुभकामनाएं। ये आज सौभाग्य है कि 25 दिसंबर, पंडित मदन मोहन मालवीय जी की जन्म जयंती पर, मुझे उस पावन धरती पर आने का सौभाग्य मिला है जिसके कण-कण पर पंडित जी के सपने बसे हुए हैं। जिनकी अंगुली पकड़ कर के हमें बड़े होने का सौभाग्य मिला, जिनके मार्गदर्शन में हमें काम करने का सौभाग्य मिला ऐसे अटल बिहारी वाजपेयी जी का भी आज जन्मदिन है और आज जहां पर पंडित जी का सपना साकार हुआ, उस धरती के नरेश उनकी पुण्यतिथि का भी अवसर है। उन सभी महापुरुषों को नमन करते हुए, आज एक प्रकार से ये कार्यक्रम अपने आप में एक पंचामृत है। एक ही समारोह में अनेक कार्यक्रमों का आज कोई-न-कोई रूप में आपके सामने प्रस्तुतिकरण हो रहा है। कहीं शिलान्यास हो रहा है तो कहीं युक्ति का Promotion हो रहा है तो Teachers’ Training की व्यवस्था हो रही है तो काशी जिसकी पहचान में एक बहुत महत्वपूर्ण बात है कि यहां कि सांस्कृतिक विरासत उन सभी का एक साथ आज आपके बीच में उद्घाटन करने का अवसर मुझे मिला है। मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

मैं विशेष रूप से इस बात की चर्चा करना चाहता हूं कि जब-जब मानवजाति ने ज्ञान युग में प्रवेश किया है तब-तब भारत ने विश्व गुरू की भूमिका निभाई है और 21वीं सदी ज्ञान की सदी है मतलब की 21वीं सदी भारत की बहुत बड़ी जिम्मेवारियों की भी सदी है और अगर ज्ञान युग ही हमारी विरासत है तो भारत ने उस एक क्षेत्र में विश्व के उपयोगी कुछ न कुछ योगदान देने की समय की मांग है। मनुष्य का पूर्णत्व Technology में समाहित नहीं हो सकता है और पूर्णत्व के बिना मनुष्य मानव कल्याण की धरोहर नहीं बन सकता है और इसलिए पूर्णत्व के लक्ष्य को प्राप्त करना उसी अगर मकसद को लेकर के चलते हैं तो विज्ञान हो, Technology हो नए-नए Innovations हो, Inventions हो लेकिन उस बीच में भी एक मानव मन एक परिपूर्ण मानव मन ये भी विश्व की बहुत बड़ी आवश्यकता है।

हमारी शिक्षा व्यवस्था Robot पैदा करने के लिए नहीं है। Robot तो शायद 5-50 वैज्ञानिक मिलकर शायद लेबोरेटरी में पैदा कर देंगे, लेकिन नरकर्णी करे तो नारायण हो जाए। ये जिस भूमि का संदेश है वहां तो व्यक्तित्व का संपूर्णतम विकास यही परिलक्षित होता है और इसलिए इस धरती से जो आवाज उठी थी, इस धरती से जो संस्कार की गंगा बही थी उसमें संस्कृति की शिक्षा तो थी लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण था शिक्षा की संस्कृति और आज कहीं ऐसा तो नहीं है सदियों से संजोयी हुई हमारी शैक्षिक परंपरा है, जो एक संस्कृतिक विरासत के रूप में विकसित हुई है। वो शिक्षा की संस्कृति तो लुप्त नहीं हो रही है? वो भी तो कहीं प्रदूषित नहीं हो रही है? और तब जाकर के आवश्यकता है कि कालवाह्य चीजों को छोड़कर के उज्जवलतम भविष्य की ओर नजर रखते हुए पुरानी धरोहर के अधिष्ठान को संजोते हुए हम किस प्रकार की व्यवस्था को विकसित करें जो आने वाली सदियों तक मानव कल्याण के काम आएं।

हम दुनिया के किसी भी महापुरुष का अगर जीवन चरित्र पढ़ेंगे, तो दो बातें बहुत स्वाभाविक रूप से उभर कर के आती हैं। अगर कोई पूछे कि आपके जीवन की सफलता के कारण तो बहुत एक लोगों से एक बात है कि एक मेरी मां का योगदान, हर कोई कहता है और दूसरा मेरे शिक्षक का योगदान। कोई ऐसा महापुरुष नहीं होगा जिसने ये न कहा हो कि मेरे शिक्षक का बुहत बड़ा contribution है, मेरी जिंदगी को बनाने में, अगर ये हमें सच्चाई को हम स्वीकार करते हैं तो हम ये बहुमूल्य जो हमारी धरोहर है इसको हम और अधिक तेजस्वी कैसे बनाएं और अधिक प्राणवान कैसे बनाएं और उसी में से विचार आया कि, वो देश जिसके पास इतना बड़ा युवा सामर्थ्य है, युवा शक्ति है।

आज पूरे विश्व को उत्तम से उत्तम शिक्षकों की बहुत बड़ी खोट है, कमी है। आप कितने ही धनी परिवार से मिलिए, कितने ही सुखी परिवार से मिलिए, उनको पूछिए किसी एक चीज की आपको आवश्यकता लगती है तो क्या लगती है। अरबों-खरबों रुपयों का मालिक होगा, घर में हर प्रकार का सुख-वैभव होगा तो वो ये कहेगा कि मुझे अच्छा टीचर चाहिए मेरे बच्चों के लिए। आप अपने ड्राइवर से भी पूछिए कि आपकी क्या इच्छा है तो ड्राइवर भी कहता है कि मेरे बच्चे भी अच्छी शिक्षी ही मेरी कामना है। अच्छी शिक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर के दायरे में नहीं आती। Infrastructure तो एक व्यवस्था है। अच्छी शिक्षा अच्छे शिक्षकों से जुड़ी हुई होती है और इसलिए अच्छे शिक्षकों का निर्माण कैसे हो और हम एक नए तरीके से कैसे सोचें?

आज 12 वीं के बीएड, एमएड वगैरह होता है वो आते हैं, ज्यादातर बहुत पहले से ही जिसने तय किया कि मुझे शिक्षक बनना है ऐसे बहुत कम लोग होते हैं। ज्यादातर कुछ न कुछ बनने का try करते-करके करके हुए आखिर कर यहां चल पड़ते हैं। मैं यहां के लोगों की बात नहीं कर रहा हूं। हम एक माहौल बना सकते हैं कि 10वीं,12वीं की विद्यार्थी अवस्था में विद्यार्थियों के मन में एक सपना हो मैं एक उत्तम शिक्षक बनना चाहता हूं। ये कैसे बोया जाए, ये environment कैसे create किया जाए? और 12वीं के बाद पहले Graduation के बाद law faculty में जाते थे और वकालत धीरे-धीरे बदलाव आया और 12वीं के बाद ही पांच Law Faculty में जाते हैं और lawyer बनकर आते हैं। क्या 10वीं और 12वीं के बाद ही Teacher का एक पूर्ण समय का Course शुरू हो सकता है और उसमें Subject specific मिले और जब एक विद्यार्थी जिसे पता है कि मुझे Teacher बनना है तो Classroom में वो सिर्फ Exam देने के लिए पढ़ता नहीं है वो अपने शिक्षक की हर बारीकी को देखता है और हर चीज में सोचता है कि मैं शिक्षक बनूंगा तो कैसे करूंगा, मैं शिक्षक बनूंगा ये उसके मन में रहता है और ये एक पूरा Culture बदलने की आवश्यकता है।

उसके साथ-साथ भले ही वो विज्ञान का शिक्षक हो, गणित का शिक्षक हो उसको हमारी परंपराओं का ज्ञान होना चाहिए। उसे Child Psychology का पता होना चाहिए, उसको विद्यार्थियों को Counselling कैसे करना चाहिए ये सीखना चाहिए, उसे विद्यार्थियों को मित्रवत व्यवहार कैसे करना है ये सीखाना चाहिए और ये चीजें Training से हो सकती हैं, ऐसा नहीं है कि ये नहीं हो सकता है। सब कुछ Training से हो सकता है और हम इस प्रकार के उत्तम शिक्षकों को तैयार करें मुझे विश्वास है कि दुनिया को जितने शिक्षकों की आवश्यकता है, हम पूरे विश्व को, भारत के पास इतना बड़ा युवा धन है लाखों की तादाद में हम शिक्षक Export कर सकते हैं। Already मांग तो है ही है हमें योग्यता के साथ लोगों को तैयार करने की आवश्यकता है और एक व्यापारी जाता है बाहर तो Dollar या Pound ले आता है लेकिन एक शिक्षक जाता है तो पूरी-पूरी पीढ़ी को अपने साथ ले आता है। हम कल्पना कर सकते हैं कितना बड़ा काम हम वैश्विक स्तर पर कर सकते हैं और उसी एक सपने को साकार करने के लिए पंड़ित मदन मोहन मालवीय जी के नाम से इस मिशन को प्रारंभ किया गया है। और आज उसका शुभारंभ करने का मुझे अवसर मिला है।

आज पूरे विश्व में भारत के Handicraft तरफ लोगों का ध्यान है, आकर्षण है लेकिन हमारी इस पुरानी पद्धतियों से बनी हुई चीजें Quantum भी कम होता है, Wastage भी बहुत होता है, समय भी बहुत जाता है और इसके कारण एक दिन में वो पांच खिलौने बनाता है तो पेट नहीं भरता है लेकिन अगर Technology के उपयोग से 25 खिलौने बनाता है तो उसका पेट भी भरता है, बाजार में जाता है और इसलिए आधुनिक विज्ञान और Technology को हमारे परंपरागत जो खिलौने हैं उसका कैसे जोड़ा जाए उसका एक छोटा-सा प्रदर्शन मैंने अभी उनके प्रयोग देखे, मैं देख रहा था एक बहुत ही सामान्य प्रकार की टेक्नोलोजी को विकसित किया गया है लेकिन वो उनके लिए बहुत बड़ी उपयोगिता है वरना वो लंबे समय अरसे से वो ही करते रहते थे। उसके कारण उनके Production में Quality, Production में Quantity और उसके कारण वैश्विक बाजार में अपनी जगह बनाने की संभावनाएं और हमारे Handicrafts की विश्व बाजार की संभावनाएं बढ़ी हैं। आज हम उनको Online Marketing की सुविधाएं उपलब्ध कराएं। युक्ति, जो अभियान है उसके माध्यम से हमारे जो कलाकार हैं, काश्तकारों को ,हमारे विश्वकर्मा हैं ये इन सभी विश्वकर्माओं के हाथ में हुनर देने का उनका प्रयास। उनके पास जो skill है उसको Technology के लिए Up-gradation करने का प्रयास। उस Technology में नई Research हो उनको Provide हो, उस दिशा में प्रयास बढ़ रहे हैं।

हमारे देश में सांस्कृतिक कार्यक्रम तो बहुत होते रहते हैं। कई जगहों पर होते हैं। बनारस में एक विशेष रूप से भी आरंभ किया है। हमारे टूरिज्म को बढ़ावा देने में इसकी बहुत बड़ी ताकत है। आप देखते होंगे कि दुनिया ने, हम ये तो गर्व करते थे कि हमारे ऋषियों ने, मुनियों ने हमें योग दिया holistic health के लिए preventive health के लिए योग की हमें विरासत मिली और धीरे-धीरे दुनिया को भी लगने लगा योग है क्या चीज और दुनिया में लोग पहुंच गए। नाक पकड़कर के डॉलर भी कमाने लग गए। लेकिन ये शास्त्र आज के संकटों के युग में जी रहे मानव को एक संतुलित जीवन जीने की ताकत कैसे मिले। योग बहुत बड़ा योगदान कर सकता है। मैं सितंबर में UN में गया था और UN में पहली बार मुझे भाषण करने का दायित्व था। मैंने उस दिन कहा कि हम एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाएं और मैंने प्रस्तावित किया था 21 जून। सामान्य रूप से इस प्रकार के जब प्रस्ताव आते हैं तो उसको पारित होने में डेढ़ साल, दो साल, ढ़ाई साल लग जाते हैं। अब तक ऐसे जितने प्रस्ताव आए हैं उसमें ज्यादा से ज्यादा 150-160 देशों नें सहभागिता दिखाई है। जब योग का प्रस्ताव रखा मुझे आज बड़े आनंद और गर्व के साथ कहना है और बनारस के प्रतिनिधि के नाते बनारस के नागरिकों को ये हिसाब देते हुए, मुझे गर्व होता है कि 177 Countries Co- sponsor बनी जो एक World Record है। इस प्रकार के प्रस्ताव में 177 Countries का Co- sponsor बनना एक World Record है और जिस काम में डेढ़-दो साल लगते हैं वो काम करीब-करीब 100 दिन में पूरा हो गया। UN ने इसे 21 जून को घोषित कर दिया ये भी अपने आप में एक World Record है।

हमारी सांस्कृतिक विरासत की एक ताकत है। हम दुनिया के सामने आत्मविश्वास के साथ कैसे ले जाएं। हमारा गीत-संगीत, नृत्य, नाट्य, कला, साहित्य कितनी बड़ी विरासत है। सूरज उगने से पहले कौन-सा संगीत, सूरज उगने के बाद कौन-सा संगीत यहां तक कि बारीक रेखाएं बनाने वाला काम हमारे पूर्वजों ने किया है और दुनिया में संगीत तो बहुत प्रकार के हैं लेकिन ज्यादातर संगीत तन को डोलाते हैं बहुत कम संगीत मन को डोलाते हैं। हम उस संगीत के धनी हैं जो मन को डोलाता है और मन को डोलाने वाले संगीत को विश्व के अंदर कैसे रखें यही प्रयासों से वो आगे बढ़ने वाला है लेकिन मेरे मन में विचार है क्या बनारस के कुछ स्कूल, स्कूल हो, कॉलेज हो आगे आ सकते हैं क्या और बनारस के जीवन पर ही एक विषय पर ही एक स्कूल की Mastery हो बनारस की विरासत पर, कोई एक स्कूल हो जिसकी तुलसी पर Mastery हो, कोई स्कूल हो जिसकी कबीर पर हो, ऐसी जो भी यहां की विरासत है उन सब पर और हर दिन शाम के समय एक घंटा उसी स्कूल में नाट्य मंच पर Daily उसका कार्यक्रम हो और जो Tourist आएं जिसको कबीर के पास जाना है उसके स्कूल में चला जाएगा, बैठेगा घंटे-भर, जिसको तुलसी के पास जाना है वो उस स्कूल में जाए बैठेगा घंटे भर , धीरे-धीरे स्कूल टिकट भी रख सकता है अगर popular हो जाएगी तो स्कूल की income भी बढ़ सकती है लेकिन काशी में आया हुआ Tourist वो आएगा हमारे पूर्वजों के प्रयासों के कारण, बाबा भोलेनाथ के कारण, मां गंगा के कारण, लेकिन रुकेगा हमारे प्रयासों के कारण। आने वाला है उसके लिए कोई मेहनत करने की जरूरत नहीं क्योंकि वो जन्म से ही तय करके बैठा है कि जाने है एक बार बाबा के दरबार में जाना है लेकिन वो एक रात यहां तब रुकेगा उसके लिए हम ऐसी व्यवस्था करें तब ऐसी व्यवस्था विकसित करें और एक बार रात रुक गया तो यहां के 5-50 नौजवानों को रोजगार मिलना ही मिलना है। वो 200-500-1000 रुपए खर्च करके जाएगा जो हमारे बनारस की इकॉनोमी को चलाएगा और हर दिन ऐसे हजारों लोग आते हैं और रुकते हैं तो पूरी Economy यहां कितनी बढ़ सकती है लेकिन इसके लिए ये छोटी-छोटी चीजें काम आ सकती हैं।

हमारे हर स्कूल में कैसा हो, हमारे जो सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, परंपरागत जो हमारे ज्ञान-विज्ञान हैं उसको तो प्रस्तुत करे लेकिन साथ-साथ समय की मांग इस प्रकार की स्पर्धाएं हो सकती हैं, मान लीजिए ऐसे नाट्य लेखक हो जो स्वच्छता पर ही बड़े Touchy नाटक लिखें अगर स्वच्छता के कारण गरीब को कितना फायदा होता है आज गंदगी के कारण Average एक गरीब को सात हजार रुपए दवाई का खर्चा आता है अगर हम स्वच्छता कर लें तो गरीब का सात हजार रुपए बच जाता है। तीन लोगों का परिवार है तो 21 हजार रुपए बच जाता है। ये स्वच्छता का कार्यक्रम एक बहुत बड़ा अर्थ कारण भी उसके साथ जुड़ा हुआ है और स्वच्छता ही है जो टूरिज्म की लिए बहुत बड़ी आवश्यकता होती है। क्या हमारे सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाट्य मंचन में ऐसे मंचन, ऐसे काव्य मंचन, ऐसे गीत, कवि सम्मेलन हो तो स्वच्छता पर क्यों न हो, उसी प्रकार से बेटी बचाओ भारत जैसा देश जहां नारी के गौरव की बड़ी गाथाएं हम सुनते हैं। इसी धरती की बेटी रानी लक्ष्मीबाई को हम याद करते हैं लेकिन उसी देश में बटी को मां के गर्भ में मार देते हैं। इससे बड़ा कोई पाप हो नहीं सकता है। क्या हमारे नाट्य मंचन पर हमारे कलाकारों के माध्यम से लगातार बार-बार हमारी कविताओं में, हमारे नाट्य मंचों पर, हमारे संवाद में, हमारे लेखन में बेटी बचाओ जैसे अभियान हम घर-घर पहुंच सकते हैं।

भारत जैसा देश जहां चींटी को भी अन्न खिलाना ये हमारी परंपरा रही है, गाय को भी खिलाना, ये हमारी परंपरा रही है। उस देश में कुपोषण, हमारे बालकों को……उस देश में गर्भवती माता कुपोषित हो इससे बड़ी पीड़ा की बात क्या हो सकती है। क्या हमारे नाट्य मंचन के द्वारा, क्या हमारी सांस्कृतिक धरोहर के द्वारा से हम इन चीजों को प्रलोभन के उद्देश्य में ला सकते हैं क्या? मैं कला, साहित्य जगत के लोगों से आग्रह करूंगा कि नए रूप में देश में झकझोरने के लिए कुछ करें।

जब आजादी का आंदोलन चला था तब ये ही साहित्यकार और कलाकार थे जिनकी कलम ने देश को खड़ा कर दिया था। स्वतंत्र भारत में सुशासन का मंत्र लेकर चल रहे तब ये ही हमारे कला और साहित्य के लोगों की कलम के माध्यम से एक राष्ट्र में नवजागरण का माहौल बना सकते हैं।

मैं उन सबको निमंत्रित करता हूं कि सांस्कृतिक सप्ताह यहां मनाया जा रहा है उसके साथ इसका भी यहां चिंतन हो, मनन हो और देश के लिए इस प्रकार की स्पर्धाएं हो और देश के लिए इस प्रकार का काम हो।

मुझे विश्वास है कि इस प्रयास से सपने पूरे हो सकते हैं साथियों, देश दुनिया में नाम रोशन कर सकता है। मैं अनुभव से कह सकता हूं, 6 महीने के मेरे अनुभव से कह सकता हूं पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है हम तैयार नहीं है, हम तैयार नहीं है हमें अपने आप को तैयार करना है, विश्व तैयार बैठा है।

मैं फिर एक बार पंडित मदन मोहन मालवीय जी की धरती को प्रणाम करता हूं, उस महापुरुष को प्रणाम करता हूं। आपको बहुत-बुहत शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद

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Text of PM’s address at the laying of foundation stone, inauguration and dedication of various projects in in Thane, Maharashtra
October 05, 2024
Inaugurates Aarey JVLR to BKC section of Mumbai Metro Line 3 Phase – 1
Lays foundation stones for Thane Integral Ring Metro Rail Project and Elevated Eastern Freeway Extension
Lays foundation stone for Navi Mumbai Airport Influence Notified Area (NAINA) project
Lays foundation stone for Thane Municipal Corporation
Maharashtra plays a crucial role in India's progress, to accelerate the state's development, several transformative projects are being launched from Thane: PM
Every decision, resolution and initiative of our Government is dedicated to the goal of Viksit Bharat: PM

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

महाराष्ट्र के गवर्नर सी पी राधाकृष्णन जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान एकनाथ शिंदे जी, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस जी, अजित पवार जी, राज्य सरकार के अन्य मंत्रीगण, सांसद, विधायक अन्य वरिष्ठ महानुभाव और महाराष्ट्र के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों!

महाराष्ट्राच्या देवीशक्तीचे, साडेतीन शक्तीपीठ, तुलजापूरची आई भवानी, कोल्हापूरची महालक्ष्मी देवी, माहुरगडची आई रेणुका, आणि वणीची, सप्तश्रृंगी देवी, यान्ना कोटी कोटी वंदन करतो। मैं ठाणे की धरती पर श्री कोपिनेश्वर के चरणों में प्रणाम करता हूं। मैं छत्रपति शिवाजी महाराज और बाबा साहेब अंबेडकर को भी नमन करता हूँ।

भाइयों बहनों,

आज एक मोठी आनंदाची बातमी घेऊन मी महाराष्ट्रात आलो आहे। केंद्र सरकार ने आमच्या मराठी भाषेला अभिजात भाषेच दर्जा दिला आहे। ये केवल मराठी और महाराष्ट्र का ही सम्मान ऐसा नहीं है। ये उस परंपरा का सम्मान है, जिसने देश को ज्ञान, दर्शन, अध्यात्म और साहित्य की समृद्ध संस्कृति दी है। मैं इसके लिए देश और दुनिया में मराठी बोलने वाले सभी लोगों को बधाई देता हूँ।

साथियों,

नवरात्रि में मुझे एक के बाद एक अनेक विकास कार्यों के लोकार्पण और शिलान्यास का सौभाग्य भी मिल रहा है। ठाणे पहुँचने से पहले मैं वाशिम में था। वहाँ देश के साढ़े 9 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि जारी करने, और कई विकास परियोजनाओं के लोकार्पण का अवसर मुझे मिला। अब, ठाणे में महाराष्ट्र के आधुनिक विकास के कई बड़े कीर्तिमान गढ़े जा रहे हैं। मुंबई-MMR और महाराष्ट्र के विकास की ये सुपरफ़ास्ट स्पीड, आज का दिन महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की झलक दे रहा है। आज महायुति सरकार ने मुंबई-MMR में 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। आज 12 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की ठाणे इंटिग्रल रिंग मेट्रो का भी शिलान्यास हुआ है। नवी मुंबई एयरपोर्ट इंफ्लुएंस एरिया, यानी नैना प्रोजेक्ट, छेड़ानगर से आनंदनगर तक एलीवेटेड ईस्टर्न फ्री-वे, ठाणे म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन का नया मुख्यालय, ऐसे कई बड़े विकास कार्यों का भी आज शिलान्यास हुआ है। ये विकास कार्य, मुंबई और ठाणे को आधुनिक पहचान देंगे।

साथियों,

आज ही, आरे से BKC, मुंबई की एक्वा लाइन मेट्रो का शुभारंभ भी हो रहा है। इस लाइन का मुंबई के लोग काफी समय से इंतजार कर रहे थे। मैं आज जापान सरकार का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूँ। जापान ने Japanese International Cooperation Agency के जरिए इस प्रोजेक्ट में बहुत सहयोग दिया है। इसलिए, ये मेट्रो एक तरह से भारत-जापान मित्रता का भी प्रतीक है।

भाइयों बहनों,

ठाणे से बाला साहब ठाकरे को विशेष लगाव था। ये स्वर्गीय आनंद दिघे जी का भी शहर है। इस शहर ने देश को आनंदीबाई जोशी जैसी देश की पहली महिला डॉक्टर दी थी। आज हम इन विकास कार्यों के जरिए इन महान विभूतियों के संकल्पों को भी पूरा कर रहे हैं। मैं इन सभी विकास कार्यों के लिए ठाणे-मुंबई के सभी लोगों को, महाराष्ट्र के सभी लोगों को बधाई देता हूँ।

साथियों,

आज हर देशवासी का एक ही लक्ष्य है- विकसित भारत! इसलिए हमारी सरकार का हर निर्णय, हर संकल्प, हर सपना विकसित भारत के लिए समर्पित है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें मुंबई-ठाणे जैसे शहरों को फ्यूचर रेडी बनाना है। लेकिन इसके लिए हमें डबल मेहनत करनी पड़ रही है। क्योंकि, हमें विकास भी करना है, और काँग्रेस सरकारों के गड्ढों को भी भरना है। आप याद करिए, काँग्रेस और उसके सहयोगी, मुंबई ठाणे जैसे शहरों को किस तरफ लेकर जा रहे थे? शहर की आबादी बढ़ रही थी, ट्रैफिक बढ़ रहा था। लेकिन, समाधान कोई नहीं था! मुंबई शहर, देश की आर्थिक राजधानी, उसके थमने, ठप्प होने की आशंकाएँ जताई जाने लगी थीं। हमारी सरकार ने इस स्थिति को बदलने का प्रयास किया है। आज मुंबई महानगर में लगभग 300 किलोमीटर का मेट्रो नेटवर्क तैयार हो रहा है। आज मरीन ड्राइव से बांद्रा तक का सफर, कोस्टल रोड से 12 मिनट में पूरा हो रहा है। अटल सेतु ने दक्षिण मुंबई और नवी मुंबई के बीच, उस दूरी को भी कम कर दिया है। ऑरेंज गेट से मरीन ड्राइव भूमिगत टनल प्रोजेक्ट में तेजी आई है। ऐसे कितने ही प्रोजेक्ट हैं जो मैं गिनता जाऊं तो लंबा समय निकल जाएगा। वर्सोवा से बांद्रा सी ब्रिज प्रोजेक्ट, ईस्टर्न फ्री-वे, ठाणे-बोरीवली टनल, ठाणे सर्कुलर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट, ऐसे प्रोजेक्ट्स से इन शहरों की तस्वीर बदल रही है। इसका बहुत बड़ा फायदा मुंबई के लोगों को होगा। इनसे मुंबई और आसपास के शहरों में मुश्किलें कम होंगी। यहां रोजगार के नए मौके बनेंगे, यहां उद्योग-धंधे बढ़ेंगे।

साथियों,

आज एक तरफ महायुति सरकार है, जो महाराष्ट्र के विकास को ही अपना लक्ष्य मानती है। दूसरी ओर, काँग्रेस और महाअघाड़ी वाले लोग हैं। उन्हें जब भी मौका मिलता है, वो विकास के काम को ठप्प कर देते हैं। महाअघाड़ी वालों को विकास के कामों को सिर्फ लटकाना-अटकाना और भटकाना ही आता है। मुंबई मेट्रो खुद इसकी सबसे बड़ी गवाह है! मुंबई में मेट्रोलाइन थ्री की शुरुआत देवेन्द्र फडणवीस जी के मुख्यमंत्री रहते हुई थी। इसका 60 प्रतिशत काम उनके कार्यकाल में ही हो गया था। लेकिन, फिर महाअघाड़ी की सरकार आ गई। महाअघाड़ी वालों ने अपने अहंकार में मेट्रो का काम लटका दिया। ढाई साल तक काम अटके रहने से प्रोजेक्ट की कीमत 14 हजार करोड़ रुपए बढ़ गई! ये 14 हजार करोड़ रुपया, ये किसका पैसा था? क्या ये पैसा महाराष्ट्र का नहीं था? क्या ये पैसा महाराष्ट्र के नागरिकों का नहीं था? ये महाराष्ट्र के टैक्सपेयर्स की मेहनत का पैसा था?

भाइयों बहनों,

एक ओर काम पूरा करने वाली महायुति सरकार, दूसरी ओर विकास को रोकने वाले महाअघाड़ी के लोग। महाअघाड़ी ने अपने ट्रैक रिकॉर्ड से साबित किया है कि वो महा विकास विरोधी लोग हैं! इन्होंने अटल सेतु का विरोध किया था। इन्होंने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन को ठप्प करने की पूरी साज़िश की। जब तक ये सत्ता में रहे, इन्होंने बुलेट ट्रेन के काम को आगे नहीं बढ़ने दिया। इन्होंने तो महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त इलाकों में पानी से जुड़े प्रोजेक्ट्स तक को नहीं बख्शा! जो काम महाराष्ट्र के लोगों की प्यास बुझाने के लिए शुरू हुये थे, महाअघाड़ी सरकार ने उन्हें भी रोककर रखा था। ये आपका हर काम रोक देते थे। अब आपको इन्हें रोक देना है। महाराष्ट्र में विकास के इन दुश्मनों को सत्ता के बाहर ही रोक देना है, सैकड़ों मील दूर रखना है।

साथियों,

कांग्रेस, भारत की सबसे बेईमान औऱ भ्रष्ट पार्टी है। चाहे कोई भी दौर हो, कोई भी राज्य हो, कॉंग्रेस का चरित्र नहीं बदलता! आप पिछले एक हफ्ते का हाल देख लीजिए। काँग्रेस के एक सीएम का जमीन घोटाले में नाम सामने आया है। उनके एक मंत्री महिलाओं को गालियां दे रहे हैं, उन्हें अपमानित कर रहे हैं। हरियाणा में कांग्रेस नेता ड्रग्स के साथ पकड़े गए हैं। काँग्रेस चुनाव में बड़े-बड़े वादे करती है। लेकिन, सरकार बनने पर ये जनता के शोषण के नए-नए तरीके खोजते हैं। आए दिन नए-नए टैक्स लगाकर अपने घोटालों के लिए पैसा जुटाना, यही इनका एजेंडा होता है। हिमाचल में तो काँग्रेस सरकार ने हद ही कर दी है। हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने एक नया टैक्स लगाया है। आप कल्पना भी नहीं कर सकते। और इन्होंने क्या नया टैक्स लगाया है? उन्होंने नया टैक्स लगाया है - टॉयलेट टैक्स! एक तरफ मोदी कह रहा है टॉयलेट बनाओ, और ये कह रहे हैं हम टॉयलेट में टैक्स लगाएंगे। यानी कांग्रेस लूट और फरेब का एक पूरा पैकेज है। वो आपकी जमीन लूटेंगे। वो युवाओं को ड्रग्स के दलदल में धकेलेंगे। वो आप पर टैक्स का बोझ लादेंगे। और महिलाओं को गालियां देंगे। लूट, झूठ और कुशासन का ये पूरा पैकेज, ये कांग्रेस की पहचान है। औऱ याद रखिए, मैंने तो अभी सिर्फ पिछले कुछ दिनों की तस्वीर आपके सामने रखी है, और वो भी पूरी-पूरी नहीं, क्योंकि समय का अभाव रहता है। कांग्रेस वर्षों से यही करती आई है।

भाइयों और बहनों,

महाराष्ट्र में इन्होंने अभी से अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। आप देखिए, महायुति सरकार ने महाराष्ट्र की महिलाओं के लिए ‘लाड़की बहन योजना’ शुरू की। इसमें बहनों को डेढ़ हजार रुपया महीना और 3 LPG सिलिंडर मुफ्त मिल रहे हैं। महा-अघाड़ी वाले इसे हजम नहीं कर पा रहे हैं। वो इंतज़ार में हैं कि उन्हें मौका मिले , महायुति की सरकार को अगर मौका मिला, जो मिलने वाला नहीं है, सबसे पहला काम – ये शिंदे जी पर गुस्सा उतारेंगे, और शिंदे जी ने जितनी योजनाएं बनाई हैं सब पर ताला लगा देंगे। महा अघाड़ी वाले चाहते हैं कि पैसा बहनों के हाथ में न जाए, लेकिन उनके दलालों की जेब में जाए। इसलिए, हमारी माताओं बहनों को काँग्रेस और महा-अघाड़ी वालों से जरा ज्यादा ही सावधान रहने की जरूरत है।

साथियों,

काँग्रेस जब सत्ता में थी, तो अक्सर ये सवाल पूछा जाता था कि काँग्रेस को देश के विकास से क्या तकलीफ है? लेकिन, जब से ये लोग सत्ता से बाहर गए हैं, इस सवाल का जवाब इन्होंने खुद दे दिया है। आज काँग्रेस के असली रंग खुलकर सामने आ गए हैं। काँग्रेस को अब अर्बन नक्सल का गैंग चला रहा है। पूरी दुनिया में जो लोग भारत को आगे बढ़ने से रोकना चाहते हैं, काँग्रेस अब खुलकर उनके साथ खड़ी है। इसलिए, अपनी घोर असफलताओं के बावजूद काँग्रेस सरकार बनाने का सपना देख रही है! कांग्रेस जानती है कि उसका वोटबैंक तो एक रहेगा लेकिन बाकी लोग आसानी से बंट जाएंगे, टुकड़े हो जाएंगे।। इसलिए कांग्रेस और उसके साथियों का एक ही मिशन है - समाज को बांटो, लोगों को बांटों और सत्ता पर कब्जा करो। इसलिए, हमें अतीत से सबक लेना है। हमें हमारी एकता को ही देश की ढाल बनाना है। हमें याद रखना है, अगर हम बंटेंगे, तो बांटने वाले महफिल सजाएंगे। हमें कांग्रेस और महा-अघाड़ी वालों के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देना है।

साथियों,

जहां-जहां काँग्रेस के कदम पड़ते जाते हैं, वहाँ बंटाधार ही होता है। इन्होंने देश को गरीबी के गर्त में धकेला! इन्होंने महाराष्ट्र को तबाह किया, महाराष्ट्र के किसानों को तबाह किया। इन्होंने जिस किसी राज्य में सरकार बनाई, उसे भी तबाह किया। यही नहीं, इनकी संगत में आकर दूसरी पार्टियां भी बर्बाद हो जाती हैं। जो लोग पहले राष्ट्रवाद की बात करते थे, वो अब तुष्टीकरण की राजनीति करने लग गए हैं। आपको भी पता है हमारी सरकार वक़्फ़ बोर्ड के अवैध कब्ज़ों पर बिल लेकर आई है। लेकिन, तुष्टीकरण की राजनीति में काँग्रेस के नए-नए चेले वक़्फ़ बोर्ड के हमारे बिल का विरोध करने का पाप कर रहे हैं। ये कहते हैं, वक़्फ़ के अवैध कब्ज़ों को हटने नहीं देंगे। यहाँ तक कि, काँग्रेस के लोग वीर सावरकर जी के लिए अपशब्द बोलते हैं, उनका अपमान करते हैं। काँग्रेस के चेले तब भी उनके पीछे खड़े रहते हैं। आज कांग्रेस ऐलान कर रही है कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 फिर वापस लागू करेंगे, और कांग्रेस के चेलों की बोलती बंद है। नया वोटबैंक बनाने के लिए विचारधारा का ऐसा पतन, काँग्रेस की ऐसी जी-हुज़ूरी, काँग्रेस का भूत जिसके भी भीतर घुस जाए, उसका यही हाल होता है।

साथियों,

आज देश को, महाराष्ट्र को एक ईमानदार और स्थिर नीतियों वाली सरकार की जरूरत है। ये काम केवल बीजेपी और महायुति सरकार ही कर सकती है, आगे बढ़ा सकती है। ये बीजेपी ही है, जिसने देश में आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर भी खड़ा किया और सामाजिक इनफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूत बनाया है। हमने हाइवेज़, एक्सप्रेसवेज, रोडवेज़ और एयरपोर्ट्स के विकास का भी रिकॉर्ड बनाया है, और 25 करोड़ गरीबों को गरीबी से बाहर भी निकाला है। अभी हमें देश को और बहुत आगे लेकर जाना है। मुझे विश्वास है, महाराष्ट्र का एक-एक नागरिक इस संकल्प के साथ खड़ा है, NDA के साथ खड़ा है। हम साथ मिलकर महाराष्ट्र के सपनों को पूरा करेंगे। इसी विश्वास के साथ, मैं फिर एक बार आप सबको, सभी विकास की परियोजनाओं के लिए, विकास के ढेर सारे कामों के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। मेरे साथ बोलिये –

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

बहुत-बहुत धन्यवाद!