Text of PM’s address at the Civic Reception in Seychelles

Published By : Admin | March 11, 2015 | 16:15 IST

सभी विशिष्‍ट महानुभाव और विशालसंख्‍या में आए हुए प्‍यारे भाईयों और बहनों,

Seychelles की मेरी पहली मुलाकात है, लेकिन लग रहा है आप लोगों से बहुत पहले से जुड़ा हुआ हूं।

8 PM Modi in Seychelles At Civic Reception SPEECH (1)

कल मैं रात देर से आया उसके बावजूद भी पूरे रास्‍ते भर मैं Seychelles के लोगों के प्‍यार को अनुभव कर रहा था। जिस प्रकार का स्‍वागत सम्‍मान किया, इसके लिए मैं यहां की सरकार का, यहां के नागरिकों का और आप सबका हृदय से बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

Seychelles और भारत - विज्ञान यह कहता है कि हजारों साल पहले हम एक ही धरती थे, लेकिन जब प्रलय होता है तो सब बिखर जाता है। यह धरती और भारत की धरती, इसके बीच हजारों साल पहले हजारों मील का फासला हो गया। प्रकृति ने धरती को अलग किया, लेकिन हमारे दिलों को जुदा नहीं किया।

और कभी-कभी लगता है कि भारत और हमारे Seychelles के बीच में एक बहुत बड़ा समंदर है। लेकिन यह समंदर हमें बिछड़ने के लिए नहीं है, यह समंदर है जो हमें जोड़ता है। समंदर के तट पर खड़े होकर के हम ऊंगली करके कह सकते हैं उधर मेरा मुंबई है, उधर मेरा चेन्‍नई है, उधर मेरा कोच्चि है। यह नजदीकी, ये अपनापन.. और इस अर्थ में, समझता हूं कि हम लोगों का एक विशेष नाता है।

आज भारत इस बात का गर्व करता है कि आप भारतवासी जहां भी गए, जिस अवस्‍था में गए, जिस कठिनाइयों के बीच जिंदगी को जीये, शताब्‍दीभर - कुछ कम समय नहीं होता है - कहते हैं शुरू में 1717 में कुछ लोग यहां आए थे, और तब से सिलसिला चला। सौ सवा सौ वर्ष, बहुत बड़ी मात्रा में आना जाना हुआ। लेकिन इस पूरे कालखंड में आपके व्‍यवहार से आपकी वाणी से यहां के लोगों ने आपको अपना बना लिया और आपने इस देश को अपना बना लिया है। यही तो हमारी मूल सांस्‍कृति धरोहर है - वसुदेव कुटुम्‍बकम - पूरा विश्‍व एक परिवार है। और जो इन संस्‍कारों से पले-बढ़े हैं, जिनके लिए पृथ्‍वी यह माता है, उनके लिए अपनेपन के लिए भौगोलिक सीमाएं नहीं होती है।

8 PM Modi in Seychelles At Civic Reception SPEECH (4)

देश की सीमाएं उनकी भावनाओं को बांटकर के नहीं रखती है। भावनाएं आपार सागर की तरह फैली होती है, और आपके व्‍यवहार से वो देश गर्व अनुभव करता है कि आपने सारी दुनिया में... आज भी कहीं पर भी जाओ दुनिया में कांतिलाल जीवन शाह का नाम दोगे। अब तो हमारे बीच रहे नहीं, लेकिन उन्होंने काम के द्वारा दुनिया में Seychelles का भी नाम रोशन किया, एक मूल भारतीय के नाते भी नाम रोशन किया। विश्व ने उनको सम्मानित किया। अनेक Award मिले उनको। और वो सिर्फ आर्थिक कारोबार के कारण नहीं है। उन्होंने ज्यादातर चिंता की थी प्रकृति की रक्षा के लिए। आज जिस Climate change को लेकर के दुनिया चिंतित है, कांतिलाल शाह अपनी जवानी के समय से उन मुद्दों को लेकर के Seychelles के अंदर लोगों को जागरुक करने का काम कर रहे थे, लोगों को जगा रहे थे। सामूहिक की संपदा के लिए लोगों को जगा रहे थे, संवेदनाएं पैदा कर रहे थे। एक भारतीय के नाते इस प्रकार का उनका जीवन, इस प्रकार का उनका काम, हर हिंदुस्तानी को गर्व देता है, अभिमान देता है। और ऐसे तो यहां अनगिनत लोग हैं जिन्होंने अपनी बुद्धि, शक्ति, क्षमता, कल्पना शक्ति, समार्थ्य, धन - इन सबके द्वारा Seychelles के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान दिया है।

इतनी बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय यहां रहता है। और हम गुजरात के लोग तो एक पुरानी घटना से बड़े परिचित हैं कि जब ईरान से पारसी आए और राजा ने भरा हुआ दूध का कटोरा भेजा और पारसी समुदाय ने उसमें चीनी मिलाई और वापिस भेजा। कटोरा भरा हुआ था लेकिन जब चीनी मिलाकर के भेजा तो दूध बाहर नहीं गया अंदर ही रहा। पूरा भरा रहा लेकिन दूध मीठा हो गया। और तब ये symbolic संदेश था कि पारसी ने संदेश दिया कि भले ही हम ईरान से आए हैं लेकिन हम हिंदुस्तान की धरती पर ऐसे घुल-मिल जाएंगे जिसके कारण आपकी sweetness में बढ़ोतरी होगी। मैं समझता हूं उसी परंपरा... भारतीय समुदाय के लोग यहां आ के Seychelles में उसी तरह घुल-मिल गए हैं कि जिसने Seychelles की sweetness को बढ़ाया है उसकी रोशनी को उजागर किया है, उसको सामर्थ्य दिया है। और इस प्रकार से अपने व्यवहार से, अपने आचरण से, जब कोई मेरा भारतीय भाई दुनिया के किसी भी कोने में जाकर के उस समाज की भलाई के लिए जीता है, उस समाज की भलाई के लिए काम करता है, उस धरती के लिए अपना जीवन लगा देता है, तब भारत के नाते हम लोगों को बड़ा गर्व होता है। मैं आज आपके बीच मेरे गर्व की अभिव्‍यक्ति आपके सामने कर रहा हूं। आनंद की अभिव्यक्ति कर रहा हूं, आपका अभिनंदन कर रहा हूं। और मुझे विश्‍वास है कि आने वाली हमारी पीढि़या भी इन संस्‍कारों को इन परंपराओं को बनाए रखेगी, और विश्‍व में भारत का गौरव भारत की पहचान बनाने में हमारी अहम भूमिका रहेगी।

भाईयों-बहनों, कुछ महीने पहले भारत में चुनाव हुए और बहुत वर्षों के बाद, करीब-करीब 30 वर्ष के बाद भारत में पूर्ण बहुमत से चुनकर के लोगों ने एक सरकार बनाई। और मुझे बताया गया कि भारत में जब चुनावी नतीजे आ रहे थे, result आ रहे थे, तब आप भी यहां उत्‍सव मना रहे थे। यह उत्‍सव इस बात से भी जुड़ा हुआ था कि आप भी - Seychelles की प्रगति तो चाहते ही चाहते हैं, उसके लिए प्रयास भी करते हैं - लेकिन आपके दिल में यह भी है कि भारत भी प्रगति करे, भारत भी नई ऊंचाईयों को पाएं।

और हम तो वो लोग हैं जो वसुदेव कुटुम्‍ब कहते हैं तो हमारी तो कल्‍पना है पूरा विश्‍व आगे बढ़े, पूरा विश्‍व शांति से जीए, पूरा विश्‍व प्रगति करे। यही तो हमारे सपने हैं, यही तो हमारे संस्‍कार हैं, यही हमारा संकल्‍प है कि हम जय जगत वाले लोग हैं, विश्‍व कल्‍याण वाले लोग हैं। और उस काम को करने के लिए भारत को भी अपनी जिम्‍मेवारी निभाने के लिए सक्षम होना पड़ेगा। अगर भारत गरीब रहा, भारत पिछड़ा रहा, भारत दुर्लभ रहा तो दुनिया की आशा-आकांक्षा वो पूरी करने में भारत कोई भूमिका नहीं निभा सकता। तो विश्‍व कल्‍याण की भी अगर भूमिका निभानी है तो भारत का मजबूत होना जरूरी है, भारत का सामर्थ्‍यवान होना जरूरी है, भारत का सुख-शांति से हरा-भरा देश बनना जरूरी है। और इसलिए पिछले नौ-दस महीने में कोशिश की गई है कि देश विकास की नई ऊंचाईयों को पार करे। भारत का सर्वांगीण विकास हो और भारत विश्‍व से ज्‍यादा से ज्‍यादा जुड़े।

आज दुनिया के छोटे-छोटे देश जो टापुओं पर बसे हैं, आईलैंड्स पर बसे हैं, उन सबकी एक सबसे बड़ी चिंता है। दुनिया को कौन nuclear बम बनाता है कौन नहीं बनाता है - यह आईलैंड में रहने वाले लोगों की चिंता का विषय नहीं है, लेकिन उनकी चिंता का विषय है कि “यह Global Warming होता रहेगा तो हम रहेंगे कि नहीं रहेंगे? कहीं यह हमारा टापू पानी के अंदर चला तो नहीं जाएगा? सदियों से जिसको संजोया है, दो-दो, तीन-तीन पीढ़ी जिसमें खप गई है, कहीं यह तो डूब नहीं जाएगा?”

और दुनिया को बचाने का काम सिर्फ आईलैंड पर बैठे हुए लोग अपनी रक्षा के लिए कुछ करें और इसलिए सब हो जाएगा, ऐसा नहीं है। पूरे विश्‍व ने मिलजुल करके climate change की उतनी ही चिंता करनी पड़ेगी, जितनी आज विश्व Terrorism की चर्चा करता है। जितना संकट आतंकवाद से नजर आता है गहरा लगता है उतना ही, इन छोटे-छोटने Island पर रहने वाले लोगों के लिए, Climate change के कारण संकट महसूस होता है।

भारत ने... सदियों से हमारे तो संस्कार रहे हैं, हमें तो वो संस्कार मिले हैं कि बालक सुबह बिस्‍तर से उठकर के पैर जमीन पर रखता है तो उसे सिखाया जाता है कि तुम ये पैर पृथ्वी माता के ऊपर रख रहे हो। पहले पृथ्वी माता की माफी मांगो। यानि हमें इस मां को पीड़ा देने का कोई हक नहीं है, ये हमारी संस्कृति और संस्कार में है। प्रकृति से प्यार करो, प्रकृति से संवाद करो, प्रकृति से सीखो - यही तो हमें सिखाया गया है। पूरे ब्रहमांड को एक परिवार के रूप में माना गया है, और इसलिए विश्व को इस संकट से बचाने का काम भी - हम जिस परंपरा से बने-पले हैं, जिस संस्कारों से हम आगे बढ़े हैं, जिस संस्कृति को हमने विरासत में पाया है - अगर हम उसे जीना सीख लें, लोगों को जीने का रास्ता दिखा दें और जगत उसे जीने की आदत बना ले, तो हो सकता है इतने बड़े संकट से बाहर निकलने के लिए पूरी मानव जात सरलता से एक रास्ते पर चल सकती है और आगे बढ़ सकती है

। हम वो लोग हैं जो नदी को मां मानते हैं, वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं। यही तो बातें हैं, जो Climate की रक्षा के साथ जुड़े हुए हैं। लेकिन इन परंपराओं के साथ-साथ, आधुनिक चीजों पर भी बल देना पड़ता है। हमें विकास की उस राह को अपनाना होगा जो सदियों के बाद भी मानव जात के कल्याण में रुकावट पैदा न कर सके। हम सबको परमात्मा ने हमारे लिए जो दिया है, उसका तो उपभोग करने का अधिकार है। लेकिन हम लोगों को हमारी संतानों के लिए जो दिया गया है, उसका उपभोग करने का अधिकार नहीं है। ऐसा कोई मां-बाप होते हैं क्या? दुनिया में ऐसे कोई मां-बाप होते हैं क्या जो अपने बच्चों का भी खा जाएं? कोई मां-बाप ऐसा नहीं होते। और इसलिए आज से 100 साल बाद आपके बच्चों के बच्चे होंगे, बच्चों के बच्चे होंगे, बच्चों के बच्चे होंगे। उनको पानी मिलेगा क्या नहीं मिलेगा? उनको शुद्ध हवा मिलेगी कि नहीं मिलेगी? उनको रहने के लिए अच्छी पृथ्वी मिलेगी कि नहीं मिलेगी? हमें उनको वो विरासत में देकर के जाना है तो हमें आज अपनी जिंदगी को बदलना पड़ेगा। और इसलिए उस दिशा में हम काम करें।

भारत ने एक बहुत बड़ा बीड़ी उठाया है। और वो बीड़ी है Solar energy और Wind energy का। हम चाहते हैं कि दुनिया को इस संकट से बचाने के लिए भारत की जो भूमिका है, उस भूमिका को अदा करना चाहिए और उस भूमिका को अदा करने के लिए 100 Giga Watt Solar energy का संकल्प हमने लिया है 2022 में - जब भारत की आजादी के 75 साल होंगे। जब भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मनाएगा, हम दुनिया को एक सौगात देना चाहते हैं ताकि विश्व को Global Warming में से बचाने में भारत भी अपनी अहम भूमिका निभाए। हम 60 Gigawatt Wind energy की ओर जा रहे हैं। ये Target बहुत बड़े हैं, छोटे नहीं हैं। लेकिन इन संकल्पों को हम इसलिए लेकर के चले हैं क्‍योंकि हमारी प्रेरणा... हमारी प्रेरणा सिर्फ हिंदुस्‍तान के किसी घर में दीया जले, वो नहीं है। हमारी प्रेरणा इन छोटे-छोटे टापुओं पर जो लोग जीते हैं, रह रहे हैं, छोटे-छोटे देशों के रूप में उनके जीवन की रक्षा करना यह हमारी प्रेरणा है, यह हमारा संकल्‍प है। और इसलिए सोलर पावर होगा तो हिंदुस्‍तान में लेकिन सीधा-सीधा फायदा मिलेगा Seychelles की भावी पीढ़ी को, यह सपने लेकर के हम काम कर रहे हैं।

आज भारत के पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है। भारत आज विश्‍व का सबसे युवा देश है। 65% जनसंख्‍या हिंदुस्‍तान की 35 age group से नीचे है। जिस देश में करोड़ों लोग नौजवान हो, वो दुनिया का भी भाग्‍य बदल सकते हैं अगर उन्‍हें अवसर मिल जाए। इस नई सरकार की कोशिश यह है कि हम नौजवानों को अधिकतम अवसर कैसे दें, ज्‍यादा से ज्‍यादा अवसर उनकों विकास के लिए कैसे मिले। उस दिशा में हमारा प्रयास है। और इसलिए Make In India यह हमने अभियान चलाया है। मैं दुनिया को निमंत्रण दे रहा हूं आइए, आप जो कुछ भी बना रहे हैं, मेरे देश में आकर के बनाइये।

और मैं विश्‍वास दिलाता हूं आप जो बनाते हैं उससे कम खर्चे में बनेगा, जल्‍दी बनेगा, अच्‍छा बनेगा। आज आपकी product पांच देशों में जाती हैं, हिंदुस्‍तान में बनाइये, 50 देशों में पहुंचना शुरू हो जाएगी। आज आपकी Balance Sheet में पाँच, दस, जीरो होंगे। देखते ही देखते आपकी Balance Sheet में और पाँच, दस जीरों जुड़ जाएंगे, यह ताकत है। और मैं देख रहा हूं कि दुनिया में आकर्षण पैदा हुआ है।

भारत की रेलवे की बड़ी चर्चा है। इतनी बड़ी विशाल रेल। यानी हिंदुस्‍तान में अगर 24 घंटे में हिंदुस्तान में रेलवे में कितने Passenger Travel करते हैं, इसका अगर मैं हिसाब लगाऊं, तो शायद hundred Seychelles, at a time, हिंदुस्‍तान में रेलवे के डिब्‍बे में हो। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि रेलवे में कितने विकास की संभावना है। रेलवे को हम आधुनिक बनाना चाहते हैं। रेलवे को हम दूर-सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचाना चाहते हैं। और यह रेलवे के लोगों के हम पीछे क्‍यों लगे हैं? सिर्फ भारत के लोगों को Transportation की सुविधा मिले इतना मकसद नहीं है। रेलवे वो व्‍यवस्‍था है जो Global Warming के संकट को बचाने के जो अनेक साधन है, उसमें वो भी एक साधन है। Mass Transportation से emission कम होता है। और जब emission कम होता है तो Global Warming में कमी आती है। और Global Warming में कमी आती है तो Climate Change की चिंता टलती है और Climate Change की चिंता टलती है मतलब Seychelles को जीने की गारंटी पैदा होती है।

रेलवे वहां बनेगी, रेलवे वहां बढ़ेगी, लेकिन लाभ इन छोटे-छोटे टापुओं पर बसने वाले दुनिया के इन छोटे-छोटे देशों के नागरिकों को होने वाला है। क्‍योंकि भारत इतना बड़ा देश है। हम चाहते हैं भारत की रेल तेज गति से चले। हम चाहते हैं भारत की रेल आगे विस्‍तृत हो, हम चाहते हैं भारत की रेल आधुनिक बने और इसलिए हमने 100 percent Foreign Direct Investment के लिए रास्ते खोल दिए हैं। मैंने दुनिया को कहा कि आपके पास Technology है, आईए। आपके पास धन है, आईए। आप अपने व्यापार का विस्तार करना चाहते हैं, आईए। भारत की रेल भी दुनिया के अनेक देशों की Economy को बढ़ा सके, इतनी ताकतवर है। और इसलिए मैं Make in India में इस काम को लगा रहा हूं।

सेशेल्स जैसे छोटे-छोटे देश, क्या उनकी रक्षा नहीं होनी चाहिए क्या? छोटे-छोटे देशों से piracy के कारण जो समस्या होती हैं। उनके सारे समुद्री व्यापार संकट में पड़ जाते हैं। क्या इस सामुहिक रक्षा का चिता होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? क्या भारत का दायित्व नहीं है कि Indian Ocean में सुरक्षा की गारंटी में भारत भी अपना हाथ बढ़ाए, पूरी ताकत से बढ़ाए? ताकि सेशेल्स जैसे नागरिकों को विश्व व्यापार में आगे बढ़ना है ताकि पाइरेसी जैसे संकटों से इस समुद्री तट को बचाया जा सके? अगर वो बचाना है तो भारत को Defence Sector में आगे बढ़ना पड़ेगा और बढ़ने के लिए हमने भारत में Make in India में Defence Sector में Manufacturing को बल दिया है। Indigenous व्यवस्थाएं हम विकसित करना चाहते हैं।

आज यहां मैंने एक राडार का लोकार्पण किया है। इस राडार के लोकार्पण के कारण सेशेल्स की सामुद्रिक सुरक्षा के लिए एक नई ताकत मिलती है, नई दृष्टि मिलती, नई आंख मिलती है। वो देख सकते हैं 150 किलोमीटर की रेंज में कहीं कुछ हलचल, गड़बड़ तो नहीं हो रही है। ये काम भारत कैसे कर पाया? क्योंकि भारत में indigenous manufacturing की संभावना पैदा हुई है। हम आगे चलकर के Defence के Sector में और चीजों को बढ़ाना चाहते हैं ताकि उसका लाभ मिले। लाभ किसको मिलेगा? आप जैसे हमारे मित्र देशों को मिलेगा, पड़ोसी देशों को मिलेगा, इस Indian Ocean की Security को मिलेगा। और इसलिए हमारे हर कदम, भारत की धरती पर होने वाले हर कदम वैश्विक कल्याण की हमारी जो संकल्पना है, उसके अनुरूप और अनुकूल बनाने की हमारी कोशिश है और उसका लाभ आपको मिलने वाला है।

हम Skill development पर बल दे रहे हैं। आज पूरे विश्व को, विश्व के बहुत बड़े-बड़े देश, बड़ी-बड़ी Economy वो एक संकट से जूझ रही है और जिसका उपाय उनके पैसों में संभव नहीं है। जिसका उपाय उनकी Technology से संभव नहीं है। और वो है Man power. हर किसी को Work force चाहिए। दुनिया की Fastest Economy को भी Talented Workforce की जरूरत है। आने वाले 20 साल में पूरी दुनिया को सबसे ज्यादा Workforce देने की ताकत है तो हिंदुस्तान की है। क्योंकि वो देश है, उसके हाथ में हुनर हो, Skill हो, दुनिया को जिस प्रकार के मानव बल की आवश्यकता है, उस प्रकार का मानव बल तैयार हो - उस दिशा में हमारा प्रयत्न है। Skill development को हमने एक Mission रूप में लिया है। और हम Skill development के द्वारा ऐसे नौजवान तैयार करना चाहते हैं जो स्वंय अच्छे entrepreneur बन सकें। जो entrepreneur नहीं बन सकते हैं वो स्वंय Skilled manpower के रूप में Job प्राप्त कर सकें। कुछ Job seekers हैं, उनको अच्छी Job मिल सके। कुछ Job creator बन सकें। एक प्रकार से विश्व की आवश्यकताओं की पूर्ति में जो चीजों काम आ सकें, उन-उन चीजों को बल देकर के और भारत की विकास यात्रा को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

आज हमने कई महत्वपूर्ण निर्णय़ लिए हैं। राष्ट्रपतिजी Michel के साथ आज मेरी विस्तार से बातें हुई हैं। और भारत और Seychelles मिलकर के हम कितनी ताकत से आगे बढ़ सकते हैं। हमने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है। आप सबको बहुत खुशी होगी सुनकर के। सुनाऊं? भारत सरकार ने निर्णय किया है कि Seychelles के जो नागरिक हिंदुस्तान आने चाहते हैं, उनको तीन महीने का वीजा मुफ्त में दिया जाएगा। उतना ही नहीं, अब आपको यहां जाकर के दफ्तर में कतार लगाकर के खड़े नहीं रहना पड़ेगा। Embassy के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। अब Visa On Arrival होगा। आप Airport पर आए ठप्पा लग गया, आ जाओ।

हम चाहते हैं भारत और सेश्लस के बीच में Tourism बढ़ना चाहिए। और यहां जो गुजराती लोग हैं, उनको तो मालूम है। गुजराती लोग तो ढूढते रहते हैं कि Sunday को कहां जाऊं? इस Weekend पर कहां जाऊं? हम चाहते हैं कि Air Frequency बढ़े, Direct flights बढ़े। हिंदुस्तान के भिन्न-भिन्न कोने से Seychelles को सीधे हवाई जहाज जाएं। वहां से यहां आएं। उससे Tourism को बढ़ावा मिलेगा और Tourism को बढ़ावा मिलेगा तो उसके कारण Seychelles से जो लोग हिंदुस्तान जाएंगे वो भारत को अच्छी तरह जानेंगे। और भारत से जो लोग यहाँ आएंगे वो Seychelles की Economy को ताकतवर बनाएंगे।

8 PM Modi in Seychelles At Civic Reception SPEECH

और मैं मानता हूं Tourism दुनिया में तेज गति से बढ़ रहा व्यवसाय है, तेज गति से। लेकिन Tourism मानव जाति को जोड़ने का एक बहुत बड़ा माध्यम है। विश्व को जानना-समझना, अपना बनाने का एक बहुत बड़ा अवसर है। और उस अवसर को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।

भाईयों-बहनों आज समय की सीमा है। कुछ ही घंटों के लिए मैं आया हूं, पहली बार आया हूं। लेकिन लगता ऐसा है कि अच्छा होता, मैं ज्यादा समय के लिए आया होता। अब आप लोगों ने इतना प्यार दिया है तो फिर तो आना ही पड़ेगा। ज्यादा समय लेकर के आना पड़ेगा, आप सबके बीच रहना होगा, इस सुंदर देश को देखना होगा। तो मैं फिर एक बार आपके प्यार के लिए आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। और मेरी तरफ से समग्र देशवासियों की तरफ से आपको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। और स्वागत सम्मान के लिए आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

आवजो। नमस्ते।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, यूपी सरकार के मंत्रिगण, यूपी भाजपा के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी जी, उद्योग जगत के सभी साथी, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में आए सभी ट्रेडर्स, इन्वेस्टर्स, entrepreneurs और नौजवान साथियों का मैं हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। मुझे खुशी है कि यहां 2200 से अधिक exhibitor’s अपने product और services का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बार ट्रेड शो का कंट्री पार्टनर रूस है। यानी इस ट्रेड शो में हम एक टाइम टेस्टिड पार्टनरशिप को और भी मजबूत कर रहे हैं। मैं मुख्यमंत्री योगी जी को, सरकार के अन्य सभी साथियों को, स्टेक होल्डर्स को, इस आयोजन के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

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साथियों,

आज हम सभी के मार्गदर्शक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती है। दीनदयाल जी ने हमें अंत्योदय की राह दिखाई थी। अंत्योदय यानी जो सबसे आखिर में है, उसका उदय। गरीब से गरीब तक विकास पहुंचे और हर भेदभाव समाप्त हो, यही अंत्योदय है और अंत्योदय में ही सामाजिक न्याय की मजबूती रही हुई है। और आज विकास का यही मॉडल भारत दुनिया को दे रहा है।

साथियों,

मैं आपको एक उदाहरण दूंगा। आज विश्व में हमारे फिनटेक सेक्टर की बहुत चर्चा है। इस फिनटेक सेक्टर की सबसे खास बात है कि इसने समावेशी विकास को inclusive development को बहुत ताकत दी है, बढ़ावा दिया है। भारत ने ऐसे ओपन प्लेटफॉर्म बनाए, जो सबको साथ लेकर चलते हैं। यूपीआई, आधार, डिजी लॉकर, ओएनडीसी, ये हर किसी को मौका दे रहे हैं। यानी प्लेटफॉर्म फॉर ऑल, प्रोग्रेस फॉर ऑल। आज भारत में इसका असर हर जगह दिखाई देता है। मॉल में शोपिंग करने वाला भी यूपीआई इस्तेमाल करता है, और सड़क पर चाय बेचने वाला भी यूपीई का इस्तेमाल करता है। फार्मल क्रेडिट जो कभी सिर्फ बड़ी कंपनियों को मिलता था, वही अब पीएम स्वनिधि से रेहड़ी, ठेले वालों तक पहुंचता है।

साथियों,

ऐसे ही गर्वमेंट ई-मार्केट प्लेस, यानी GeM है। एक समय था अब सरकार को कोई सामान बेचना हो और बड़े प्लेयर्स के बसकी बात, उन्हीं के कब्जे में था एक प्रकार से। लेकिन आज GeM portal से करीब 25 लाख सेलर्स और service providers उससे जुड़े हुए हैं और सरकार को सप्लाई का काम कर रहे हैं। ये छोटे-छोटे ट्रेडर्स हैं, उद्यमी हैं, दुकानदार हैं, जो भारत सरकार की जरूरत के हिसाब से, वो सीधे अपना सामान भारत सरकार को बेच रहे हैं और भारत सरकार खरीद रही है। आप हैरान रह जाएंगे कि अब तक GeM के माध्यम से भारत सरकार ने 15 लाख करोड़ रुपये का सामान या सर्विस खरीद चुके हैं। इस पोर्टल पर करीब करीब 7 लाख करोड़ रुपये का सामान हमारे MSMEs लघु उद्योगों से खरीदा गया है। पहले की सरकारों में ये सोचना भी असंभव था, लेकिन आज देश के दूर-सुदूर कोने में जो छोटा सा दुकानदार है वो भी GeM portal पर अपना सामान बेच रहा है। और यही तो सच्चे अर्थ में अंत्योदय है, यही विकास का आधार है।

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साथियों,

आज भारत 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है। दुनिया में हो रही डिसरप्शन्स और Uncertainty के बावजूद., भारत की ग्रोथ आकर्षक है। डिसरप्शन्स हमें भटकाते नहीं, लेकिन हम उस परिस्थिति में से नई directions खोजते हैं, नई direction का मौका ढूंढते हैं। इसलिए, इन डिसरप्शन्स के बीच आज भारत आने वाले दशकों की नींव मजबूत कर रहा है। और इसमें भी हमारा संकल्प है, हमारा मंत्र है, आत्मनिर्भर भारत। दूसरों पर निर्भर होने से ज्यादा विवशता कोई और हो ही नहीं सकती। बदलती हुई दुनिया में, जो देश जितना ज्यादा दूसरों पर निर्भर रहेगा, उसकी ग्रोथ उतनी ही कॉमप्रोमाइज्ड रहने वाली है। और इसलिए भारत जैसे देश को किसी पर निर्भर रहना अब मंजूर नहीं है, इसलिए भारत को आत्मनिर्भर बनाना ही होगा। हर वो प्रॉडक्ट जो हम भारत में बना सकते हैं, वो हमें भारत में ही बनाना है। आज यहां मेरे सामने इतनी बड़ी संख्या में उद्यमी हैं, ट्रेडर्स हैं, आंत्रप्रन्योर्स हैं। आप इस आत्मनिर्भर भारत अभियान के बहुत बड़े स्टेकहोल्डर्स हैं। मेरा आज आपसे आग्रह है, अपना बिजनेस मॉडल ऐसा बनाइए, जो आत्मनिर्भर भारत को मजबूती देता हो।

साथियों,

आप सभी जानते हैं आज सरकार मेक इन इंडिया पर, मैन्युफेक्चरिंग पर कितना बल दे रही है। हम चिप से शिप तक भारत में बनाना चाहते हैं। और इसलिए आपकी Ease of Doing Business के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। सरकार ने 40 हजार से ज्यादा कंप्लायंस खत्म किए हैं। व्यापार कारोबार में होने वाली जिन छोटी-छोटी गलतियों पर आपके खिलाफ केस होता था, ऐसे सैकड़ों नियम, उनको सरकार ने डी-क्रिमिनलाइज कर चुकी है। सरकार आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है,

लेकिन साथियों,

मेरी कुछ अपेक्षाएं भी हैं, जो मैं ज़रूर आपके साथ शेयर करुंगा। आप जो भी मैन्यूफैक्चर कर रहे हैं, वो बेस्ट क्वालिटी का होना चाहिए, उत्तम से उत्तम होना चाहिए। आज देशवासियों के मन में ये बात है कि स्वदेशी उत्पादों की क्वाल्टी में लगातार सुधार होता रहे, यूजर फ्रेंडली हो, लंबे समय तक काम आने वाले हों। इसलिए क्वालिटी से कोई भी कंप्रोमाइज़ नहीं होना चाहिए। आज देश का हर नागरिक स्वदेशी से जुड़ रहा है, वो स्वदेशी खरीदना चाहता है, गर्व से कहो, ये स्वदेशी है, इस भावना को आज हम चारों तरफ अनुभव कर रहे हैं। हमारे ट्रेडर्स को भी इस मंत्र को अपनाना है। जो भारत में उपलब्ध है, उसे ही प्राथमिकता देनी है।

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साथियों,

एक अहम विषय रिसर्च का है। हमें रिसर्च में इन्वेस्टमेंट बढ़ाना है, कई गुणा बढ़ाना है। इनोवेशन के बिना दुनिया ठहर जाती है, व्यापार भी ठहर जाता है, जिंदगी भी ठहर जाती है। और सरकार ने इसके लिए ज़रूरी कदम उठाए हैं, अब रिसर्च में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के लिए सबको आगे आना ही होगा। ये समय की मांग है। हमें स्वदेशी रिसर्च का, स्वदेशी डिजायन और डेवलपमेंट का पूरा इकोसिस्टम बनाना है।

साथियों,

इंवेस्टमेंट के लिए हमारा उत्तर प्रदेश भी, अद्भुत संभावनाओं से भरा हुआ है। बीते कुछ वर्षों में यूपी में कनेक्टिविटी की जो क्रांति हुई है, उसने लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को बहुत कम कर दिया है। यूपी देश में सबसे ज्यादा एक्सप्रेस-वे वाला प्रदेश बन चुका है। यूपी देश के सबसे अधिक इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स वाला प्रदेश है, ये देश के दो बड़े डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स का हब है। हैरिटेज टूरिज्म में भी यूपी नंबर वन है। नमामि गंगे जैसे अभियानों ने यूपी को क्रूज़ टूरिज्म के लिए उसके मैप पर लाकर के अपना स्थान बना दिया है। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रॉडक्ट ने यूपी के अनेकों जिलों के प्रोडक्ट को इंटरनेशनल मार्केट में पहुंचा दिया है। और मुझे तो विदेशी मेहमानों से मिलना होता है, तो आजकल मुझे कोई क्या देना है, बहुत ज्यादा सोचना नहीं पडता है। ये वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट का कैटलॉग हमारी टीम देख लेती है, बस उसी में से दुनियाभर के देश के लोगों को मैं दे देता हूं।

साथियों,

मैन्यूफैक्चरिंग में भी यूपी नए रिकॉर्ड बना रहा है। अब जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल मैन्युफेक्चरिंग का सेक्टर है। बीते दशक में भारत इसमें दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा producer बना है। और इसमें यूपी का रोल बहुत बड़ा है। आज पूरे भारत में जितने मोबाइलफोन बनते हैं, उसमें से लगभग 55 परसेंट मोबाइल यहां उत्तर प्रदेश में बनते हैं। यूपी अब सेमीकंडक्टर सेक्टर में भी भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूती देगा। यहां से कुछ किलोमीटर दूर ही एक बड़ी सेमीकंडक्टर फैसिलिटी पर काम शुरु होने वाला है।

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साथियों,

एक और उदाहरण, डिफेंस सेक्टर का है। हमारी सेनाएं स्वदेशी चाहती हैं, दूसरों पर निर्भरता को कम करना चाहती हैं। इसलिए, भारत में ही हम एक वाइब्रेंट डिफेंस सेक्टर डवलप कर रहे हैं। पुर्जे-पुर्जे पर मेड इन इंडिया की छाप हो, हम ऐसा इकोसिस्टम बना रहे हैं। और यूपी इसमें भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। बहुत जल्द रूस के सहयोग से बनी फैक्ट्री से ए.के. 203 रायफल का उत्पादन शुरू होने जा रहा है। यूपी में एक डिफेंस कॉरिडोर का भी निर्माण हो रहा है। जिसमें ब्रह्मोस मिसाइल समेत अनेक अस्त्र-शस्त्र का निर्माण शुरु भी चुका है। मैं आप सभी का आह्वान करूंगा, यूपी में इंवेस्ट करिए, यूपी में मैन्युफेक्चर करिए। यहां लाखों MSMEs का मजबूत नेटवर्क है। और ये लगातार बढ़ रहा है। आप इनके सामर्थ्य का उपयोग कीजिए। और एक कंप्लीट प्रोडक्ट यहीं पर बनाइए। इसके लिए हर मदद के साथ यूपी सरकार, भारत सरकार आपके साथ है।

साथियों,

आज भारत रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म के कमिटमेंट के साथ, अपनी इंडस्ट्री, अपने ट्रेडर्स, अपने नागरिकों के साथ खड़ा है। अभी तीन दिन पहले ही, नेक्स्ट जनरेशन GST रिफॉर्म्स लागू किए गए हैं। GST में हुए बदलाव भारत की Growth Story को नए पंख देने वाले Structural Reforms हैं। इन रिफॉर्म्स से GST रजिस्ट्रेशन आसान होगा, टैक्स disputes कम होंगे, और MSMEs को रिफंड भी तेजी से मिलेंगे। इससे हर सेक्टर को लाभ होगा। आप सभी ने GST से पहले, GST के बाद, और अब तीसरा स्टेज है, नेक्स्ट जेनरेशन GST रिफॉर्म्स, यानी तीनों परिस्थितियों को अनुभव किया है। कितना बड़ा अंतर आया है, ये मैं कुछ उदाहरणों से आप सभी के बीच रखना चाहूंगा। 2014 से पहले यानी आपने मुझे काम दिया उसके पहले की बात कर रहा हूं। 2014 से पहले इतने सारे टैक्स थे, यानी एक प्रकार से टैक्स का जंजाल था और उसके कारण बिज़नस की कॉस्ट और परिवार का बजट, दोनों ही कभी भी संतुलित नहीं हो पाते थे, उसे कंट्रोल करना मुश्किल था। एक हज़ार रुपए की शर्ट पर, ये 2014 के पहले की बात कर रहा हूं, आपके पास पुराना बिल पड़ा हो तो निकाल दीजिए, 2014 से पहले एक हज़ार रुपए की शर्ट पर 170 रुपए टैक्स लगता था, 170 Rupees. साल 2017 में जब हम GST लाए तो आने के बाद पहले जीएसटी में 117 से कम होकर के 50 हो गया। यानी हजार की शर्ट पर पहले 117 था, 2017 में जब हम जीएसटी लाए तो 50 हो गया। और अब 22 सितंबर को लागू हुए रेट्स के बाद एक हज़ार रुपए की उसी शर्ट पर सिर्फ पैंतीस रुपए टैक्स के रूप में देने होंगे।

साथियों,

2014 में टूथपेस्ट, शैंपू, हेयर-ऑयल, शेविंग क्रीम, इन सभी पर अगर कोई सौ रुपए खर्च करता था, तो इन पर 31 रुपए टैक्स देना पड़ता था, 100 रुपये पर 31। यानी सौ रुपए का बिल 131 रुपए का बनता था। ये 2014 के पहले की बात कर रहा हूं मैं। 2017 में GST आया तो, सौ रुपए का यही सामान 118 रुपए का हो गया, 131 से कम होकर के 118। यानी हर सौ रुपए के बिल पर 13 रुपए सीधे बच गए। अब GST की अगली पीढ़ी में, यानी इस बार जो जीएसटी का रिफार्म हुआ है, ये सामान 100 रुपये पर 5 रुपया, 105 रुपए का हो गया है। 131 से 105 पर आ गया। यानी 2014 से पहले की तुलना में सीधे छब्बीस रुपए की बचत, 100 रुपये पर 26 रुपये की बचत देश के सामान्य नागरिक को हुई है। इस उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि एक सामान्य परिवार की हर महीने कितनी बचत हो रही है। अगर कोई परिवार, अपने परिवार मे जो भी कोई आवश्यकता होती है, साल भर का हिसाब लगा ले और मान लीजिए 2014 में अगर एक साल में वो एक लाख रुपये की चीजें खरीदता था, अगर 1 लाख रुपये के आसपास उसने 2014 के पहले कुछ किया खरीद किया होगा, तो उसे उस समय करीब करीब 25,000 रुपया टैक्स देना पड़ता था। अगर साल भर में 1 लाख रुपये की चीजें उसने खरीदी तो 25,000 रुपये टैक्स था 2014 के पहले, मेरे आने से पहले। यह बयान बहादुर लोग आजकल बयान करते हैं ना, जरा उनको सुनाइए। लेकिन अब नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी के बाद उसी परिवार को सालाना सिर्फ 25000 से कम होकर के करीब करीब 5-6 हजार रुपया तक टैक्स आ गया है। 25000 से 5000, क्योंकि जरूरत के ज्यादातर सामान पर अब सिर्फ पांच परसेंट GST हो गया है।

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साथियों,

हमारे यहां गांव की अर्थव्यवस्था में ट्रैक्टर की बड़ी भूमिका है। 2014 से पहले एक ट्रैक्टर खरीदने पर सत्तर हज़ार रुपए से अधिक टैक्स देना पड़ता था। यह 2014 से पहले सत्तर हज़ार, अब उसी ट्रैक्टर पर सिर्फ तीस हज़ार रुपए का टैक्स लग रहा है। यानी किसान को सीधे एक ट्रैक्टर पर चालीस हज़ार रुपए से अधिक की बचत हो रही है। ऐसे ही थ्री व्हीलर, गरीब के लिए रोजगार का बहुत बड़ा माध्यम है। साल 2014 से पहले एक थ्री व्हीलर पर करीब पचपन हज़ार रुपए का टैक्स लगता था, एक थ्री व्हीलर पर 55000 रुपए टैक्स लगता था। अब उसी थ्री-व्हीलर पर GST करीब पैंतीस हज़ार रह गया है, यानी सीधे बीस हज़ार रुपए की बचत हुई है। ऐसे ही, GST कम होने की वजह से स्कूटर 2014 की तुलना में करीब आठ हज़ार रुपए, और मोटर-साइकिल करीब नौ हज़ार रुपए सस्ती हुई है। यानी गरीब, नियो मिडिल क्लास, मिडिल क्लास, सबकी बचत हुई है।

लेकिन साथियों,

इसके बावजूद, कुछ राजनीतिक दल, देश के लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। 2014 के पहले वो जो सरकार चला रहे थे, उसकी नाकामियां छिपाने के लिए कांग्रेस ओर उसके साथी दल, जनता से झूठ बोल रहे हैं। सच्चाई ये है कि कांग्रेस सरकारों के समय टैक्स की लूट मची हुई थी और लूटे हुए धन में से भी लूट होती थी। देश के आम नागरिक को टैक्स की मार से निचोड़ा जा रहा था। ये हमारी सरकार है जिसने टैक्स को बड़े पैमाने पर कम किया है, महंगाई कम की है। हमने देश के लोगों की आमदनी बढ़ाई है और बचत भी बढ़ाई है। जब 2014 में उनकी सरकार थी, 2 लाख रुपये तक इनकम टैक्स माफ था, 2 लाख सिर्फ। आज 12 लाख रुपये की इनकम को टैक्स फ्री करना और नए जीएसटी रिफॉर्म से ही इस साल देश के लोगों को ढाई लाख करोड़ रुपए बचने जा रहे हैं। देशवासियों के जेब में ढाई लाख करोड़ रुपए बचेगा। और इसलिए तो देश आज गर्व के साथ जीएसटी उत्सव मना रहा है। जीएसटी बचत उत्सव मना रहा है। और मैं आपको बताना चाहता हूं हम यही नहीं रुकने वाले। 2017 में हम जीएसटी लाए, आर्थिक मजबूती का काम किया। और 2025 में फिर से लाए, फिर आर्थिक मजबूती करेंगे और जैसे जैसे आर्थिक मजबूती होगी टैक्स का बोझ कम होता जाएगा। देशवासियों के आशीर्वाद से GST रिफॉर्म्स का सिलसिला निरंतर चलता रहेगा।

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साथियों,

आज भारत के पास reforms की strong will-power है, हमारे पास डेमोक्रेटिक और political stability है, policy predictability भी है। सबसे बड़ी बात, भारत के पास बहुत बड़ी युवा और स्किल्ड वर्कफोर्स है, डायनमिक युवा कंज्यूमर बेस है। ये सारी बातें, दुनिया में किसी की रीजन में भी, यानी एक ही जगह, सब बातें दुनिया के किसी देश में एक साथ नहीं है। भारत में हर चीज यहां मौजूद है। दुनिया का कोई भी इन्वेस्टर, कोई भी कंपनी अगर अपनी ग्रोथ को नए पंख लगाना चाहती है, तो उसके लिए, भारत में इंवेस्टमेंट सबसे attractive डील है। इसलिए भारत में इंवेस्ट करना, यूपी में इंनवेस्ट करना, आपके लिए विन-विन सिचुएशन है। हम सभी के प्रयास मिलकर विकसित भारत बनाएंगे, विकसित यूपी बनाएंगे। एक बार फिर आप सभी को इंटरनेशनल ट्रेड शो के लिए मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बहुत बहुत धन्यवाद।