Text of PM’s address at the Civic Reception in Seychelles

Published By : Admin | March 11, 2015 | 16:15 IST
ಶೇರ್
 
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सभी विशिष्‍ट महानुभाव और विशालसंख्‍या में आए हुए प्‍यारे भाईयों और बहनों,

Seychelles की मेरी पहली मुलाकात है, लेकिन लग रहा है आप लोगों से बहुत पहले से जुड़ा हुआ हूं।

8 PM Modi in Seychelles At Civic Reception SPEECH (1)

कल मैं रात देर से आया उसके बावजूद भी पूरे रास्‍ते भर मैं Seychelles के लोगों के प्‍यार को अनुभव कर रहा था। जिस प्रकार का स्‍वागत सम्‍मान किया, इसके लिए मैं यहां की सरकार का, यहां के नागरिकों का और आप सबका हृदय से बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

Seychelles और भारत - विज्ञान यह कहता है कि हजारों साल पहले हम एक ही धरती थे, लेकिन जब प्रलय होता है तो सब बिखर जाता है। यह धरती और भारत की धरती, इसके बीच हजारों साल पहले हजारों मील का फासला हो गया। प्रकृति ने धरती को अलग किया, लेकिन हमारे दिलों को जुदा नहीं किया।

और कभी-कभी लगता है कि भारत और हमारे Seychelles के बीच में एक बहुत बड़ा समंदर है। लेकिन यह समंदर हमें बिछड़ने के लिए नहीं है, यह समंदर है जो हमें जोड़ता है। समंदर के तट पर खड़े होकर के हम ऊंगली करके कह सकते हैं उधर मेरा मुंबई है, उधर मेरा चेन्‍नई है, उधर मेरा कोच्चि है। यह नजदीकी, ये अपनापन.. और इस अर्थ में, समझता हूं कि हम लोगों का एक विशेष नाता है।

आज भारत इस बात का गर्व करता है कि आप भारतवासी जहां भी गए, जिस अवस्‍था में गए, जिस कठिनाइयों के बीच जिंदगी को जीये, शताब्‍दीभर - कुछ कम समय नहीं होता है - कहते हैं शुरू में 1717 में कुछ लोग यहां आए थे, और तब से सिलसिला चला। सौ सवा सौ वर्ष, बहुत बड़ी मात्रा में आना जाना हुआ। लेकिन इस पूरे कालखंड में आपके व्‍यवहार से आपकी वाणी से यहां के लोगों ने आपको अपना बना लिया और आपने इस देश को अपना बना लिया है। यही तो हमारी मूल सांस्‍कृति धरोहर है - वसुदेव कुटुम्‍बकम - पूरा विश्‍व एक परिवार है। और जो इन संस्‍कारों से पले-बढ़े हैं, जिनके लिए पृथ्‍वी यह माता है, उनके लिए अपनेपन के लिए भौगोलिक सीमाएं नहीं होती है।

8 PM Modi in Seychelles At Civic Reception SPEECH (4)

देश की सीमाएं उनकी भावनाओं को बांटकर के नहीं रखती है। भावनाएं आपार सागर की तरह फैली होती है, और आपके व्‍यवहार से वो देश गर्व अनुभव करता है कि आपने सारी दुनिया में... आज भी कहीं पर भी जाओ दुनिया में कांतिलाल जीवन शाह का नाम दोगे। अब तो हमारे बीच रहे नहीं, लेकिन उन्होंने काम के द्वारा दुनिया में Seychelles का भी नाम रोशन किया, एक मूल भारतीय के नाते भी नाम रोशन किया। विश्व ने उनको सम्मानित किया। अनेक Award मिले उनको। और वो सिर्फ आर्थिक कारोबार के कारण नहीं है। उन्होंने ज्यादातर चिंता की थी प्रकृति की रक्षा के लिए। आज जिस Climate change को लेकर के दुनिया चिंतित है, कांतिलाल शाह अपनी जवानी के समय से उन मुद्दों को लेकर के Seychelles के अंदर लोगों को जागरुक करने का काम कर रहे थे, लोगों को जगा रहे थे। सामूहिक की संपदा के लिए लोगों को जगा रहे थे, संवेदनाएं पैदा कर रहे थे। एक भारतीय के नाते इस प्रकार का उनका जीवन, इस प्रकार का उनका काम, हर हिंदुस्तानी को गर्व देता है, अभिमान देता है। और ऐसे तो यहां अनगिनत लोग हैं जिन्होंने अपनी बुद्धि, शक्ति, क्षमता, कल्पना शक्ति, समार्थ्य, धन - इन सबके द्वारा Seychelles के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान दिया है।

इतनी बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय यहां रहता है। और हम गुजरात के लोग तो एक पुरानी घटना से बड़े परिचित हैं कि जब ईरान से पारसी आए और राजा ने भरा हुआ दूध का कटोरा भेजा और पारसी समुदाय ने उसमें चीनी मिलाई और वापिस भेजा। कटोरा भरा हुआ था लेकिन जब चीनी मिलाकर के भेजा तो दूध बाहर नहीं गया अंदर ही रहा। पूरा भरा रहा लेकिन दूध मीठा हो गया। और तब ये symbolic संदेश था कि पारसी ने संदेश दिया कि भले ही हम ईरान से आए हैं लेकिन हम हिंदुस्तान की धरती पर ऐसे घुल-मिल जाएंगे जिसके कारण आपकी sweetness में बढ़ोतरी होगी। मैं समझता हूं उसी परंपरा... भारतीय समुदाय के लोग यहां आ के Seychelles में उसी तरह घुल-मिल गए हैं कि जिसने Seychelles की sweetness को बढ़ाया है उसकी रोशनी को उजागर किया है, उसको सामर्थ्य दिया है। और इस प्रकार से अपने व्यवहार से, अपने आचरण से, जब कोई मेरा भारतीय भाई दुनिया के किसी भी कोने में जाकर के उस समाज की भलाई के लिए जीता है, उस समाज की भलाई के लिए काम करता है, उस धरती के लिए अपना जीवन लगा देता है, तब भारत के नाते हम लोगों को बड़ा गर्व होता है। मैं आज आपके बीच मेरे गर्व की अभिव्‍यक्ति आपके सामने कर रहा हूं। आनंद की अभिव्यक्ति कर रहा हूं, आपका अभिनंदन कर रहा हूं। और मुझे विश्‍वास है कि आने वाली हमारी पीढि़या भी इन संस्‍कारों को इन परंपराओं को बनाए रखेगी, और विश्‍व में भारत का गौरव भारत की पहचान बनाने में हमारी अहम भूमिका रहेगी।

भाईयों-बहनों, कुछ महीने पहले भारत में चुनाव हुए और बहुत वर्षों के बाद, करीब-करीब 30 वर्ष के बाद भारत में पूर्ण बहुमत से चुनकर के लोगों ने एक सरकार बनाई। और मुझे बताया गया कि भारत में जब चुनावी नतीजे आ रहे थे, result आ रहे थे, तब आप भी यहां उत्‍सव मना रहे थे। यह उत्‍सव इस बात से भी जुड़ा हुआ था कि आप भी - Seychelles की प्रगति तो चाहते ही चाहते हैं, उसके लिए प्रयास भी करते हैं - लेकिन आपके दिल में यह भी है कि भारत भी प्रगति करे, भारत भी नई ऊंचाईयों को पाएं।

और हम तो वो लोग हैं जो वसुदेव कुटुम्‍ब कहते हैं तो हमारी तो कल्‍पना है पूरा विश्‍व आगे बढ़े, पूरा विश्‍व शांति से जीए, पूरा विश्‍व प्रगति करे। यही तो हमारे सपने हैं, यही तो हमारे संस्‍कार हैं, यही हमारा संकल्‍प है कि हम जय जगत वाले लोग हैं, विश्‍व कल्‍याण वाले लोग हैं। और उस काम को करने के लिए भारत को भी अपनी जिम्‍मेवारी निभाने के लिए सक्षम होना पड़ेगा। अगर भारत गरीब रहा, भारत पिछड़ा रहा, भारत दुर्लभ रहा तो दुनिया की आशा-आकांक्षा वो पूरी करने में भारत कोई भूमिका नहीं निभा सकता। तो विश्‍व कल्‍याण की भी अगर भूमिका निभानी है तो भारत का मजबूत होना जरूरी है, भारत का सामर्थ्‍यवान होना जरूरी है, भारत का सुख-शांति से हरा-भरा देश बनना जरूरी है। और इसलिए पिछले नौ-दस महीने में कोशिश की गई है कि देश विकास की नई ऊंचाईयों को पार करे। भारत का सर्वांगीण विकास हो और भारत विश्‍व से ज्‍यादा से ज्‍यादा जुड़े।

आज दुनिया के छोटे-छोटे देश जो टापुओं पर बसे हैं, आईलैंड्स पर बसे हैं, उन सबकी एक सबसे बड़ी चिंता है। दुनिया को कौन nuclear बम बनाता है कौन नहीं बनाता है - यह आईलैंड में रहने वाले लोगों की चिंता का विषय नहीं है, लेकिन उनकी चिंता का विषय है कि “यह Global Warming होता रहेगा तो हम रहेंगे कि नहीं रहेंगे? कहीं यह हमारा टापू पानी के अंदर चला तो नहीं जाएगा? सदियों से जिसको संजोया है, दो-दो, तीन-तीन पीढ़ी जिसमें खप गई है, कहीं यह तो डूब नहीं जाएगा?”

और दुनिया को बचाने का काम सिर्फ आईलैंड पर बैठे हुए लोग अपनी रक्षा के लिए कुछ करें और इसलिए सब हो जाएगा, ऐसा नहीं है। पूरे विश्‍व ने मिलजुल करके climate change की उतनी ही चिंता करनी पड़ेगी, जितनी आज विश्व Terrorism की चर्चा करता है। जितना संकट आतंकवाद से नजर आता है गहरा लगता है उतना ही, इन छोटे-छोटने Island पर रहने वाले लोगों के लिए, Climate change के कारण संकट महसूस होता है।

भारत ने... सदियों से हमारे तो संस्कार रहे हैं, हमें तो वो संस्कार मिले हैं कि बालक सुबह बिस्‍तर से उठकर के पैर जमीन पर रखता है तो उसे सिखाया जाता है कि तुम ये पैर पृथ्वी माता के ऊपर रख रहे हो। पहले पृथ्वी माता की माफी मांगो। यानि हमें इस मां को पीड़ा देने का कोई हक नहीं है, ये हमारी संस्कृति और संस्कार में है। प्रकृति से प्यार करो, प्रकृति से संवाद करो, प्रकृति से सीखो - यही तो हमें सिखाया गया है। पूरे ब्रहमांड को एक परिवार के रूप में माना गया है, और इसलिए विश्व को इस संकट से बचाने का काम भी - हम जिस परंपरा से बने-पले हैं, जिस संस्कारों से हम आगे बढ़े हैं, जिस संस्कृति को हमने विरासत में पाया है - अगर हम उसे जीना सीख लें, लोगों को जीने का रास्ता दिखा दें और जगत उसे जीने की आदत बना ले, तो हो सकता है इतने बड़े संकट से बाहर निकलने के लिए पूरी मानव जात सरलता से एक रास्ते पर चल सकती है और आगे बढ़ सकती है

। हम वो लोग हैं जो नदी को मां मानते हैं, वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं। यही तो बातें हैं, जो Climate की रक्षा के साथ जुड़े हुए हैं। लेकिन इन परंपराओं के साथ-साथ, आधुनिक चीजों पर भी बल देना पड़ता है। हमें विकास की उस राह को अपनाना होगा जो सदियों के बाद भी मानव जात के कल्याण में रुकावट पैदा न कर सके। हम सबको परमात्मा ने हमारे लिए जो दिया है, उसका तो उपभोग करने का अधिकार है। लेकिन हम लोगों को हमारी संतानों के लिए जो दिया गया है, उसका उपभोग करने का अधिकार नहीं है। ऐसा कोई मां-बाप होते हैं क्या? दुनिया में ऐसे कोई मां-बाप होते हैं क्या जो अपने बच्चों का भी खा जाएं? कोई मां-बाप ऐसा नहीं होते। और इसलिए आज से 100 साल बाद आपके बच्चों के बच्चे होंगे, बच्चों के बच्चे होंगे, बच्चों के बच्चे होंगे। उनको पानी मिलेगा क्या नहीं मिलेगा? उनको शुद्ध हवा मिलेगी कि नहीं मिलेगी? उनको रहने के लिए अच्छी पृथ्वी मिलेगी कि नहीं मिलेगी? हमें उनको वो विरासत में देकर के जाना है तो हमें आज अपनी जिंदगी को बदलना पड़ेगा। और इसलिए उस दिशा में हम काम करें।

भारत ने एक बहुत बड़ा बीड़ी उठाया है। और वो बीड़ी है Solar energy और Wind energy का। हम चाहते हैं कि दुनिया को इस संकट से बचाने के लिए भारत की जो भूमिका है, उस भूमिका को अदा करना चाहिए और उस भूमिका को अदा करने के लिए 100 Giga Watt Solar energy का संकल्प हमने लिया है 2022 में - जब भारत की आजादी के 75 साल होंगे। जब भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मनाएगा, हम दुनिया को एक सौगात देना चाहते हैं ताकि विश्व को Global Warming में से बचाने में भारत भी अपनी अहम भूमिका निभाए। हम 60 Gigawatt Wind energy की ओर जा रहे हैं। ये Target बहुत बड़े हैं, छोटे नहीं हैं। लेकिन इन संकल्पों को हम इसलिए लेकर के चले हैं क्‍योंकि हमारी प्रेरणा... हमारी प्रेरणा सिर्फ हिंदुस्‍तान के किसी घर में दीया जले, वो नहीं है। हमारी प्रेरणा इन छोटे-छोटे टापुओं पर जो लोग जीते हैं, रह रहे हैं, छोटे-छोटे देशों के रूप में उनके जीवन की रक्षा करना यह हमारी प्रेरणा है, यह हमारा संकल्‍प है। और इसलिए सोलर पावर होगा तो हिंदुस्‍तान में लेकिन सीधा-सीधा फायदा मिलेगा Seychelles की भावी पीढ़ी को, यह सपने लेकर के हम काम कर रहे हैं।

आज भारत के पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है। भारत आज विश्‍व का सबसे युवा देश है। 65% जनसंख्‍या हिंदुस्‍तान की 35 age group से नीचे है। जिस देश में करोड़ों लोग नौजवान हो, वो दुनिया का भी भाग्‍य बदल सकते हैं अगर उन्‍हें अवसर मिल जाए। इस नई सरकार की कोशिश यह है कि हम नौजवानों को अधिकतम अवसर कैसे दें, ज्‍यादा से ज्‍यादा अवसर उनकों विकास के लिए कैसे मिले। उस दिशा में हमारा प्रयास है। और इसलिए Make In India यह हमने अभियान चलाया है। मैं दुनिया को निमंत्रण दे रहा हूं आइए, आप जो कुछ भी बना रहे हैं, मेरे देश में आकर के बनाइये।

और मैं विश्‍वास दिलाता हूं आप जो बनाते हैं उससे कम खर्चे में बनेगा, जल्‍दी बनेगा, अच्‍छा बनेगा। आज आपकी product पांच देशों में जाती हैं, हिंदुस्‍तान में बनाइये, 50 देशों में पहुंचना शुरू हो जाएगी। आज आपकी Balance Sheet में पाँच, दस, जीरो होंगे। देखते ही देखते आपकी Balance Sheet में और पाँच, दस जीरों जुड़ जाएंगे, यह ताकत है। और मैं देख रहा हूं कि दुनिया में आकर्षण पैदा हुआ है।

भारत की रेलवे की बड़ी चर्चा है। इतनी बड़ी विशाल रेल। यानी हिंदुस्‍तान में अगर 24 घंटे में हिंदुस्तान में रेलवे में कितने Passenger Travel करते हैं, इसका अगर मैं हिसाब लगाऊं, तो शायद hundred Seychelles, at a time, हिंदुस्‍तान में रेलवे के डिब्‍बे में हो। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि रेलवे में कितने विकास की संभावना है। रेलवे को हम आधुनिक बनाना चाहते हैं। रेलवे को हम दूर-सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचाना चाहते हैं। और यह रेलवे के लोगों के हम पीछे क्‍यों लगे हैं? सिर्फ भारत के लोगों को Transportation की सुविधा मिले इतना मकसद नहीं है। रेलवे वो व्‍यवस्‍था है जो Global Warming के संकट को बचाने के जो अनेक साधन है, उसमें वो भी एक साधन है। Mass Transportation से emission कम होता है। और जब emission कम होता है तो Global Warming में कमी आती है। और Global Warming में कमी आती है तो Climate Change की चिंता टलती है और Climate Change की चिंता टलती है मतलब Seychelles को जीने की गारंटी पैदा होती है।

रेलवे वहां बनेगी, रेलवे वहां बढ़ेगी, लेकिन लाभ इन छोटे-छोटे टापुओं पर बसने वाले दुनिया के इन छोटे-छोटे देशों के नागरिकों को होने वाला है। क्‍योंकि भारत इतना बड़ा देश है। हम चाहते हैं भारत की रेल तेज गति से चले। हम चाहते हैं भारत की रेल आगे विस्‍तृत हो, हम चाहते हैं भारत की रेल आधुनिक बने और इसलिए हमने 100 percent Foreign Direct Investment के लिए रास्ते खोल दिए हैं। मैंने दुनिया को कहा कि आपके पास Technology है, आईए। आपके पास धन है, आईए। आप अपने व्यापार का विस्तार करना चाहते हैं, आईए। भारत की रेल भी दुनिया के अनेक देशों की Economy को बढ़ा सके, इतनी ताकतवर है। और इसलिए मैं Make in India में इस काम को लगा रहा हूं।

सेशेल्स जैसे छोटे-छोटे देश, क्या उनकी रक्षा नहीं होनी चाहिए क्या? छोटे-छोटे देशों से piracy के कारण जो समस्या होती हैं। उनके सारे समुद्री व्यापार संकट में पड़ जाते हैं। क्या इस सामुहिक रक्षा का चिता होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? क्या भारत का दायित्व नहीं है कि Indian Ocean में सुरक्षा की गारंटी में भारत भी अपना हाथ बढ़ाए, पूरी ताकत से बढ़ाए? ताकि सेशेल्स जैसे नागरिकों को विश्व व्यापार में आगे बढ़ना है ताकि पाइरेसी जैसे संकटों से इस समुद्री तट को बचाया जा सके? अगर वो बचाना है तो भारत को Defence Sector में आगे बढ़ना पड़ेगा और बढ़ने के लिए हमने भारत में Make in India में Defence Sector में Manufacturing को बल दिया है। Indigenous व्यवस्थाएं हम विकसित करना चाहते हैं।

आज यहां मैंने एक राडार का लोकार्पण किया है। इस राडार के लोकार्पण के कारण सेशेल्स की सामुद्रिक सुरक्षा के लिए एक नई ताकत मिलती है, नई दृष्टि मिलती, नई आंख मिलती है। वो देख सकते हैं 150 किलोमीटर की रेंज में कहीं कुछ हलचल, गड़बड़ तो नहीं हो रही है। ये काम भारत कैसे कर पाया? क्योंकि भारत में indigenous manufacturing की संभावना पैदा हुई है। हम आगे चलकर के Defence के Sector में और चीजों को बढ़ाना चाहते हैं ताकि उसका लाभ मिले। लाभ किसको मिलेगा? आप जैसे हमारे मित्र देशों को मिलेगा, पड़ोसी देशों को मिलेगा, इस Indian Ocean की Security को मिलेगा। और इसलिए हमारे हर कदम, भारत की धरती पर होने वाले हर कदम वैश्विक कल्याण की हमारी जो संकल्पना है, उसके अनुरूप और अनुकूल बनाने की हमारी कोशिश है और उसका लाभ आपको मिलने वाला है।

हम Skill development पर बल दे रहे हैं। आज पूरे विश्व को, विश्व के बहुत बड़े-बड़े देश, बड़ी-बड़ी Economy वो एक संकट से जूझ रही है और जिसका उपाय उनके पैसों में संभव नहीं है। जिसका उपाय उनकी Technology से संभव नहीं है। और वो है Man power. हर किसी को Work force चाहिए। दुनिया की Fastest Economy को भी Talented Workforce की जरूरत है। आने वाले 20 साल में पूरी दुनिया को सबसे ज्यादा Workforce देने की ताकत है तो हिंदुस्तान की है। क्योंकि वो देश है, उसके हाथ में हुनर हो, Skill हो, दुनिया को जिस प्रकार के मानव बल की आवश्यकता है, उस प्रकार का मानव बल तैयार हो - उस दिशा में हमारा प्रयत्न है। Skill development को हमने एक Mission रूप में लिया है। और हम Skill development के द्वारा ऐसे नौजवान तैयार करना चाहते हैं जो स्वंय अच्छे entrepreneur बन सकें। जो entrepreneur नहीं बन सकते हैं वो स्वंय Skilled manpower के रूप में Job प्राप्त कर सकें। कुछ Job seekers हैं, उनको अच्छी Job मिल सके। कुछ Job creator बन सकें। एक प्रकार से विश्व की आवश्यकताओं की पूर्ति में जो चीजों काम आ सकें, उन-उन चीजों को बल देकर के और भारत की विकास यात्रा को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

आज हमने कई महत्वपूर्ण निर्णय़ लिए हैं। राष्ट्रपतिजी Michel के साथ आज मेरी विस्तार से बातें हुई हैं। और भारत और Seychelles मिलकर के हम कितनी ताकत से आगे बढ़ सकते हैं। हमने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है। आप सबको बहुत खुशी होगी सुनकर के। सुनाऊं? भारत सरकार ने निर्णय किया है कि Seychelles के जो नागरिक हिंदुस्तान आने चाहते हैं, उनको तीन महीने का वीजा मुफ्त में दिया जाएगा। उतना ही नहीं, अब आपको यहां जाकर के दफ्तर में कतार लगाकर के खड़े नहीं रहना पड़ेगा। Embassy के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। अब Visa On Arrival होगा। आप Airport पर आए ठप्पा लग गया, आ जाओ।

हम चाहते हैं भारत और सेश्लस के बीच में Tourism बढ़ना चाहिए। और यहां जो गुजराती लोग हैं, उनको तो मालूम है। गुजराती लोग तो ढूढते रहते हैं कि Sunday को कहां जाऊं? इस Weekend पर कहां जाऊं? हम चाहते हैं कि Air Frequency बढ़े, Direct flights बढ़े। हिंदुस्तान के भिन्न-भिन्न कोने से Seychelles को सीधे हवाई जहाज जाएं। वहां से यहां आएं। उससे Tourism को बढ़ावा मिलेगा और Tourism को बढ़ावा मिलेगा तो उसके कारण Seychelles से जो लोग हिंदुस्तान जाएंगे वो भारत को अच्छी तरह जानेंगे। और भारत से जो लोग यहाँ आएंगे वो Seychelles की Economy को ताकतवर बनाएंगे।

8 PM Modi in Seychelles At Civic Reception SPEECH

और मैं मानता हूं Tourism दुनिया में तेज गति से बढ़ रहा व्यवसाय है, तेज गति से। लेकिन Tourism मानव जाति को जोड़ने का एक बहुत बड़ा माध्यम है। विश्व को जानना-समझना, अपना बनाने का एक बहुत बड़ा अवसर है। और उस अवसर को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।

भाईयों-बहनों आज समय की सीमा है। कुछ ही घंटों के लिए मैं आया हूं, पहली बार आया हूं। लेकिन लगता ऐसा है कि अच्छा होता, मैं ज्यादा समय के लिए आया होता। अब आप लोगों ने इतना प्यार दिया है तो फिर तो आना ही पड़ेगा। ज्यादा समय लेकर के आना पड़ेगा, आप सबके बीच रहना होगा, इस सुंदर देश को देखना होगा। तो मैं फिर एक बार आपके प्यार के लिए आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। और मेरी तरफ से समग्र देशवासियों की तरफ से आपको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। और स्वागत सम्मान के लिए आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

आवजो। नमस्ते।

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ವಿಶ್ವ ಪರಿಸರ ದಿನ 2023ರ ಪ್ರಯುಕ್ತ ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿಗಳ ವಿಡಿಯೋ ಸಂದೇಶದ ಇಂಗ್ಲಿಷ್‌ ಭಾಷಣದ ವಿವರ
June 05, 2023
ಶೇರ್
 
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“ಒಂದು ಕಡೆ ನಾವು ಏಕ ಬಳಕೆ ಪ್ಲಾಸ್ಟಿಕ್ ನಿಷೇಧಿಸಿದ್ದೇವೆ, ಮತ್ತೊಂದೆಡೆ ನಾವು ಪ್ಲಾಸ್ಟಿಕ್‌ ತ್ಯಾಜ್ಯ ಸಂಸ್ಕರಣೆ ಕಡ್ಡಾಯಗೊಳಿಸಿದ್ದೇವೆ’’
“21ನೇ ಶತಮಾನದ ಭಾರತ ಹವಾಮಾನ ಬದಲಾವಣೆ ಮತ್ತು ಪರಿಸರ ಸಂರಕ್ಷಣೆ ಕುರಿತು ಸ್ಪಷ್ಟ ನೀಲನಕ್ಷೆಯೊಂದಿಗೆ ಮುನ್ನಡೆಯುತ್ತಿದೆ’’
“ಕಳೆದ 9 ವರ್ಷಗಳಲ್ಲಿ ಹಿಂದಿನ ವರ್ಷಗಳಿಗೆ ಹೋಲಿಸಿದರೆ ಜೌಗು ಪ್ರದೇಶಗಳು ಮತ್ತು ರಾಮ್ಸರ್‌ ಸ್ಥಳಗಳ ಸಂಖ್ಯೆ ಬಹುತೇಕ ಮೂರು ಪಟ್ಟು ಹೆಚ್ಚಳವಾಗಿದೆ’’
“ಜಾಗತಿಕ ಹವಾಮಾನ ಸಂರಕ್ಷಣೆಗೆ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ದೇಶವೂ ಪಟ್ಟಭದ್ರ ಹಿತಾಸಕ್ತಿಗಳನ್ನು ಬದಿಗೊತ್ತಿ ಆಲೋಚಿಸಬೇಕು’’
“ಸಾವಿರಾರು ವರ್ಷಗಳಷ್ಟು ಹಳೆಯದಾದ ಭಾರತದ ಸಂಸ್ಕೃತಿಯಲ್ಲಿ ಪ್ರಕೃತಿಯ ಜೊತೆ ಪ್ರಗತಿಯೂ ಸಾಗಿದೆ’’
“ಮಿಷನ್ ಲೈಫ್‌ ಮೂಲ ತತ್ವ ಎಂದರೆ, ಜಗತ್ತನ್ನು ಬದಲಾಯಿಸಲು ನಾವು ನಮ್ಮ ಸ್ವಭಾವವನ್ನು ಬದಲಿಸಿಕೊಳ್ಳುವುದು’’
“ಹವಾಮಾನ ಬದಲಾವಣೆಯ ಪ್ರಜ್ಞೆಯು ಭಾರತಕ್ಕೆ ಮಾತ್ರ ಸೀಮಿತವಾಗಿಲ್ಲ, ಈ ಉಪಕ್ರಮಕ್ಕೆ ವಿಶ್ವದಾದ್ಯಂತ ಜಾಗತಿಕ ಬೆಂಬಲ ವ್ಯಕ್ತವಾಗುತ್ತಿದೆ’’
“ಮಿಷನ್ ಲೈಫ್ ನಿಟ್ಟಿನಲ್ಲಿ ಕೈಗೊಳ್ಳುವ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಹೆಜ್ಜೆಯೂ ಮುಂದಿನ ದಿನಗಳಲ್ಲಿ ಪರಿಸರಕ್ಕೆ ಬಲಿಷ್ಠ ಕವಚವಾಗಲಿದೆ’’

ನಮಸ್ಕಾರ!

ವಿಶ್ವ ಪರಿಸರ ದಿನಾಚರಣೆಯಂದು ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರಿಗೂ, ದೇಶ ಹಾಗೂ ಜಗತ್ತಿನಾದ್ಯಂತ ಜನರಿಗೆ ನನ್ನ ಹೃತ್ಪೂರ್ವಕ ಶುಭಾಶಯಗಳನ್ನು ತಿಳಿಸುತ್ತಿದ್ದೇನೆ. "ಏಕ ಬಳಕೆ ಪ್ಲಾಸ್ಟಿಕ್‌" ಬಳಕೆ ತೊಡೆದು ಹಾಕುವುದು ಈ ವರ್ಷದ ಪರಿಸರ ದಿನದ ಧ್ಯೇಯವಾಗಿದೆ. ಈ ಜಾಗತಿಕ ಉಪಕ್ರಮಕ್ಕೂ ಮೊದಲೇ ಭಾರತದವು ಕಳೆದ 4-5 ವರ್ಷಗಳಿಂದ ಈ ವಿಚಾರದಲ್ಲಿ ನಿರಂತರವಾಗಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡುತ್ತಿದೆ ಎಂದು ಹೇಳಲು ನನಗೆ ಸಂತೋಷವಾಗುತ್ತದೆ. ಹಿಂದೆ ಅಂದರೆ 2018ರ ಆರಂಭದಲ್ಲೇ ಭಾರತವು ಏಕ-ಬಳಕೆಯ ಪ್ಲಾಸ್ಟಿಕ್ ನಿರ್ಮೂಲನೆಗಾಗಿ ಎರಡು ಹಂತದ ಪ್ರಯತ್ನ ಆರಂಭಿಸಿತು. ಒಂದೆಡೆ ಏಕ ಬಳಕೆ ಪ್ಲಾಸ್ಟಿಕ್‌ ಮೇಲೆ ನಿಷೇಧ ಹೇರಿದ್ದರೆ ಮತ್ತೊಂದೆಡೆ ಪ್ಲಾಸ್ಟಿಕ್‌ ತ್ಯಾಜ್ಯದ ವೈಜ್ಞಾನಿಕ ಸಂಸ್ಕರಣೆಯನ್ನು ಕಡ್ಡಾಯಗೊಳಿಸಲಾಗಿತು. ಇದರ ಪರಿಣಾಮವಾಗಿ ದೇಶದಲ್ಲಿ ಸುಮಾರು 30 ಲಕ್ಷ ಟನ್‌ನಷ್ಟು ಪ್ಲಾಸ್ಟಿಕ್‌ ಪ್ಯಾಕೇಜಿಂಗ್‌ ಉತ್ಪನ್ನಗಳನ್ನು ಕಡ್ಡಾಯವಾಗಿ ಮರುಬಳಕೆ ಮಾಡಲಾಗುತ್ತಿದೆ. ಇದು ದೇಶದಲ್ಲಿ ವಾರ್ಷಿಕವಾಗಿ ಉತ್ಪತ್ತಿಯಾಗುವ ಶೇ. 75ರಷ್ಟು ಪ್ಲಾಸ್ಟಿಕ್‌ ತ್ಯಾಜ್ಯದಷ್ಟಾಗಿದೆ. ಈ ಪ್ಲಾಸ್ಟಿಕ್‌ ತ್ಯಾಜ್ಯ ಮರುಬಳಕೆ ಪ್ರಕ್ರಿಯೆಯಲ್ಲಿ 10000ಕ್ಕೂ ಹೆಚ್ಚು ಉತ್ಪಾದಕರು, ಆಮದುದಾರರು, ಪ್ರತಿಷ್ಠಿತ ಬ್ರ್ಯಾಂಡ್‌ನ ಮಾಲೀಕರು ಸಕ್ರಿಯವಾಗಿ ತೊಡಗಿಸಿಕೊಂಡಿದ್ದಾರೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

21ನೇ ಶತಮಾನದಲ್ಲಿ, ಭಾರತವು ಹವಾಮಾನ ಬದಲಾವಣೆ ಮತ್ತು ಪರಿಸರ ಸಂರಕ್ಷಣೆ ನಿಟ್ಟಿನಲ್ಲಿ ಸ್ಪಷ್ಟ ಮಾರ್ಗಸೂಚಿಯೊಂದಿಗೆ ಮುನ್ನಡೆಯುತ್ತಿದೆ. ಆ ಮೂಲಕ ಪ್ರಸ್ತುತ ಅಗತ್ಯಗಳು ಹಾಗೂ ಭವಿಷ್ಯದ ದೃಷ್ಟಿಕೋನದ ನಡುವೆ ಸಮತೋಲನ ಸಾಧಿಸಿದೆ. ಒಂದೆಡೆ ನಾವು ಕಡು ಬಡವರಾದವರಿಗೆ ನೆರವು ನೀಡಿ ಅವರ ಅಗತ್ಯಗಳಿಗೆ ಸ್ಪಂದಿಸಲು ಒತ್ತು ನೀಡಿದ್ದರೆ, ಮತ್ತೊಂದೆಡೆ, ಭವಿಷ್ಯದ ಇಂಧನದ (ವಿದ್ಯುತ್‌) ಅಗತ್ಯಗಳನ್ನು ಪರಿಣಾಮಕಾರಿಯಾಗಿ ಹೊಂದಿಸಿಕೊಳ್ಳುವಲ್ಲಿಯೂ ಮಹತ್ವದ ಕ್ರಮಗಳನ್ನು ತೆಗೆದುಕೊಂಡಿದ್ದೇವೆ.

ಕಳೆದ ಒಂಬತ್ತು ವರ್ಷಗಳಲ್ಲಿ, ಭಾರತವು ಹಸಿರು ಮತ್ತು ಶುದ್ಧ ಇಂಧನ ಕ್ಷೇತ್ರದ ಅದ್ವಿತೀಯ ಆದ್ಯತೆ ನೀಡಲಾಗಿದೆ. ಆ ಮೂಲಕ ಸೌರಶಕ್ತಿ ಕ್ಷೇತ್ರಕ್ಕೆ ವಿಶೇಷ ಒತ್ತು ನೀಡಲಾಗಿದ್ದು,  ಹಳೆಯ ಬಲ್ಬ್‌ಗಳಿಗೆ ಬದಲಾಗಿ ಎಲ್ಇಡಿ ಗಳು ದೊಡ್ಡ ಪ್ರಮಾಣಗಳಲ್ಲಿ ಮನೆಗಳಲ್ಲಿ ಬಳಕೆಯಾಗುತ್ತಿದೆ. ಇದರಿಂದ ನಮ್ಮ ಜನರಿಗೆ ಆರ್ಥಿಕ ಮಿತವ್ಯಯವಾಗಲಿದೆ. ವಿಶೇಷವಾಗಿ ಬಡ ಮತ್ತು ಮಧ್ಯಮ ವರ್ಗದವರಿಗೆ ಹಣ ಉಳಿತಾಯವಾಗುವ ಜತೆಗೆ ಪರಿಸರ ಸಂರಕ್ಷಣೆ ಕಾರ್ಯವೂ ನಡೆಯುತ್ತದೆ. ಪರಿಣಾಮಕವಾಗಿ, ವಿದ್ಯುತ್‌ ಬಳಕೆ ಶುಲ್ಕ ಮೊತ್ತ ನಿರಂತರವಾಗಿ ತಗ್ಗುತ್ತಿದೆ. ಜಗತ್ತನ್ನೇ ಕಾಡಿದ ಸಾಂಕ್ರಾಮಿಕ ರೋಗದ ಹಾವಳಿ ಸಮಯದಲ್ಲೂ ಈ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಭಾರತದ ನಾಯಕತ್ವವನ್ನು ಜಾಗತಿಕ ಮಟ್ಟದಲ್ಲಿ ಗುರುತಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಜಾಗತಿಕ ಸಾಂಕ್ರಾಮಿಕ ರೋಗ ಹಾವಳಿ ನಡುವೆಯೇ, ಭಾರತವು ʼಹಸಿರು ಜಲಜನಕ ಮಿಷನ್‌ʼ (ಮಿಷನ್ ಗ್ರೀನ್ ಹೈಡ್ರೋಜನ್) ಯೋಜನೆಯನ್ನೂ ಆರಂಭಿಸಿದೆ. ಜತೆಗೆ, ರಾಸಾಯನಿಕ ಗೊಬ್ಬರಗಳಿಂದ ಮಣ್ಣು ಮತ್ತು ನೀರನ್ನು ರಕ್ಷಿಸಲು ಹಾಗೂ ನೈಸರ್ಗಿಕ ಕೃಷಿ ಮತ್ತು ಸಾವಯವ ಕೃಷಿಯತ್ತ ಮುನ್ನಡೆಯಲು ದೇಶವು ಹಲವು ಮಹತ್ವದ ಕ್ರಮಗಳನ್ನು ತೆಗೆದುಕೊಂಡಿದೆ.

ಸಹೋದರ ಸಹೋದರಿಯರೇ,

ಹಸಿರು ಭವಿಷ್ಯ ಮತ್ತು ಹಸಿರು ಆರ್ಥಿಕತೆಯ ಅಭಿಯಾನವನ್ನು ಮುಂದುವರಿಸುತ್ತಲೇ, ಇಂದು ಮತ್ತೆರಡು ಉಪ್ರಕಮಗಳ ಆರಂಭವನ್ನು ದಾಖಲಿಸಲಾಗುತ್ತಿದೆ. ಕಳೆದ ಒಂಬತ್ತು ವರ್ಷಗಳಲ್ಲಿ, ಭಾರತದಲ್ಲಿನ ಜೌಗು ಪ್ರದೇಶದ ಪ್ರಮಾಣವು ಹಿಂದಿನ ಸಂದರ್ಭಕ್ಕೆ ಹೋಲಿಸಿದರೆ ಸುಮಾರು ಮೂರು ಪಟ್ಟು ವೃದ್ಧಿಸಿದೆ. ಇದೀಗ ‘ಅಮೃತ ಧರೋಹರ್ ಯೋಜನೆ’ಯನ್ನು ಆರಂಭಿಸಲಾಗಿದೆ. ಈ ಯೋಜನೆಯಡಿ ಸಮುದಾಯದ ಸಹಭಾಗಿತ್ವದ ಮೂಲಕ ಈ ಜೌಗು ಪ್ರದೇಶಗಳ (ರಾಮ್‌ಸರ್ ಸೈಟ್‌ಗಳು) ಸಂರಕ್ಷಣೆಗೆ ಪ್ರಯತ್ನ ನಡೆಯಲಿದೆ. ಈ ತಾಣಗಳು ಪರಿಸರ ಪ್ರವಾಸೋದ್ಯಮದ ಕೇಂದ್ರಗಳಾಗುತ್ತವೆ. ಹಾಗೆಯೇ ಭವಿಷ್ಯದಲ್ಲಿ ಸಾವಿರಾರು ಜನರಿಗೆ ಪರಿಸರಸ್ನೇಹಿ ಉದ್ಯೋಗಗಳ ಮೂಲವಾಗಿ ಕಾರ್ಯನಿರ್ವಹಿಸಲಿವೆ. ಇನ್ನು ಎರಡನೇ ಉಪಕ್ರಮದ ಬಗ್ಗೆ ಹೇಳುವುದಾದರೆ, ದೇಶದ ವಿಸ್ತಾರವಾದ ಕರಾವಳಿ ಮತ್ತು ಅಲ್ಲಿ ನೆಲಸಿರುವ ಜನರಿಗೆ ಸಂಬಂಧಪಟ್ಟಿದ್ದಾಗಿದೆ. "ಮಿಷ್ಟಿ ಯೋಜನೆ" ಮೂಲಕ ದೇಶದ ಅಲ್ಲಿನ ಪರಿಸರ ವ್ಯವಸ್ಥೆಯನ್ನು ಪುನರುಜ್ಜೀವನಗೊಳಿಸುವುದು ಹಾಗೂ ಸಂರಕ್ಷಿಸುವ ಗುರಿ ಹೊಂದಲಾಗಿದೆ. ಇದು ದೇಶದ ಒಂಬತ್ತು ರಾಜ್ಯಗಳಲ್ಲಿ 'ಮ್ಯಾಂಗ್ರೋವ್ʼ ಹೊದಿಕೆಯ ಮರುಸ್ಥಾಪನೆಗೆ ನೆರವಾಗಲಿದೆ. ಇದು ಸಮುದ್ರ ಮಟ್ಟವನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸಲು ಮತ್ತು ಚಂಡಮಾರುತಗಳಂತಹ ವಿಪತ್ತುಗಳು ಕರಾವಳಿ ಪ್ರದೇಶಗಳ ಬೀರುವ ಪ್ರಭಾವವನ್ನು ತಗ್ಗಿಸಲು ಮಹತ್ವದ ಕೊಡುಗೆ ನೀಡಲಿವೆ. ಆ ಮೂಲಕ ಕರಾವಳಿ ಪ್ರದೇಶದ ಜನರ ಜೀವ ಸಂರಕ್ಷಣೆ ಜತೆಗೆ ಜೀವನ ಸುರಕ್ಷತೆಗೂ ಸಹಕಾರಿಯಾಗಲಿದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,
ಜಗತ್ತಿನ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ದೇಶವು ತನ್ನ ಸ್ವ ಹಿತಾಸಕ್ತಿಯನ್ನೂ ಮೀರುವುದು ಹಾಗೂ ಜಾಗತಿಕ ಹವಾಮಾನದ ರಕ್ಷಣೆ ಬಗ್ಗೆ ಚಿಂತಿಸುವುದು ಬಹಳ ಮುಖ್ಯ. ಜಗತ್ತಿನ ಪ್ರಮುಖ ಮತ್ತು ಆಧುನಿಕ ದೇಶಗಳಲ್ಲಿ ದೀರ್ಘಕಾಲದವರೆಗೆ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಮಾದರಿಯು ಹೆಚ್ಚು ವಿವಾದಕ್ಕೆ ಎಡೆ ಮಾಡಿಕೊಟ್ಟಿದೆ. ಏಕೆಂದರೆ ಈ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಮಾದರಿಯಲ್ಲಿ, ಮೊದಲಿಗೆ ತಮ್ಮ ದೇಶಗಳ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಗೆ ಆದ್ಯತೆ ನೀಡಿ ನಂತರದ ಒತ್ತನ್ನು ಪರಿಸರ ವಿಷಯಕ್ಕೆ ನೀಡಲಾಗುತ್ತದೆ. ಇದರಿಂದ ಈ ದೇಶಗಳು ತಮ್ಮ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಗುರಿಗಳನ್ನು ಸಾಧಿಸಬಹುದು. ಆದರೆ ಆ ದೇಶಗಳ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಮಾದರಿಯ ಹೊರೆಯನ್ನು ಜಗತ್ತಿನ ಇತರೆ ರಾಷ್ಟ್ರಗಳು  ಭರಿಸಬೇಕಾಗಿದೆ.  ಇಂದಿಗೂ ಸಹ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಹೊಂದುತ್ತಿರುವ ಮತ್ತು ಹಿಂದುಳಿದ ದೇಶಗಳು ಕೆಲವು ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಹೊಂದಿದ ರಾಷ್ಟ್ರಗಳ ತಪ್ಪು ಮಾದರಿ, ನೀತಿಗಳ ಅಡ್ಡ ಪರಿಣಾಮಗಳನ್ನು ಎದುರಿಸುವಂತಾಗಿವೆ. ದಶಕಗಳಿಂದ ಯಾರೊಬ್ಬರು, ಯಾವುದೇ ದೇಶವು ಸಹ ಆಯ್ದ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಹೊಂದಿದ ದೇಶಗಳ ಈ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಮಾದರಿಯನ್ನು ಪ್ರಶ್ನಿಸಲಿಲ್ಲ ಅಥವಾ ತಡೆಯಲಿಲ್ಲ. ಆದರೆ ಇಂದು ಭಾರತವು ಅಂತಹ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ರಾಷ್ಟ್ರದ ಮುಂದೆ ಹವಾಮಾನ ನ್ಯಾಯದ ಪ್ರಶ್ನೆಯನ್ನು ಎತ್ತಿರುವುದಕ್ಕೆ ನನಗೆ ಸಂತೋಷವಾಗಿದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,
ಭಾರತದ ಪುರಾತನ ಸಂಸ್ಕೃತಿಯು ಪ್ರಕೃತಿ ಮತ್ತು ಪ್ರಗತಿ ಎರಡನ್ನೂ ಒಳಗೊಂಡಿತ್ತು. ಇದೇ ಸಿದ್ಧಾಂತದಿಂದ ಪ್ರೇರಿತವಾದ ಭಾರತವು ಇಂದು ಆರ್ಥಿಕತೆಗೆ ನೀಡುವಷ್ಟೇ ಆದ್ಯತೆಯನ್ನು ಪರಿಸರ ವಿಜ್ಞಾನದ ಮೇಲೂ ಕೇಂದ್ರೀಕರಿಸುತ್ತದೆ. ಭಾರತವು ತನ್ನ ಮೂಲಸೌಕರ್ಯ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ದೊಡ್ಡ ಪ್ರಮಾಣದಲ್ಲಿ ಬಂಡವಾಳ ಹೂಡಿಕೆ ಮಾಡುತ್ತಿದ್ದರೂ ಪರಿಸರ ಸಂರಕ್ಷಣೆಗೂ ಅಷ್ಟೇ ಆದ್ಯತೆ ನೀಡುತ್ತಾ ಮುಂದುವರಿಯುತ್ತಿದೆ. ಒಂದೆಡೆ, ಭಾರತವು 4G ಮತ್ತು 5G ಸಂಪರ್ಕ ಜಾಲ ವಿಸ್ತರಿಸುತ್ತಿದ್ದು, ಮತ್ತೊಂದೆಡೆ, ಅದು ತನ್ನ ಅರಣ್ಯ ಹೊದಿಕೆಯನ್ನೂ ಹೆಚ್ಚಿಸಿಕೊಂಡಿದೆ. ಒಂದೆಡೆ, ದೇಶದಲ್ಲಿ ಬಡವರಿಗೆ ನಾಲ್ಕು ಕೋಟಿ ಮನೆಗಳನ್ನು ನಿರ್ಮಿಸಿದರೆ, ಮತ್ತೊಂದೆಡೆ, ದೇಶದ ವನ್ಯಜೀವಿಗಗಳು ಮತ್ತು ವನ್ಯಜೀವಿ ಅಭಯಾರಣ್ಯ ಪ್ರದೇಶದಲ್ಲೂ ಗಣನೀಯ ಬೆಳವಣಿಗೆ ದಾಖಲಿಸಿದೆ. ಒಂದೆಡೆ, ಭಾರತವು ಜಲ ಜೀವನ್ ಮಿಷನ್ ಯೋಜನೆ ಜಾರಿಗೊಳಿಸುತ್ತಿದ್ದರೆ, ಮತ್ತೊಂದೆಡೆ, ಇದು ಜಲ ಸಂರಕ್ಷಣೆಗೆ 50,000 ಅಮೃತ ಸರೋವರಗಳನ್ನು (ಜಲಮೂಲಗಳು) ಸೃಷ್ಟಿಸಲಾಗುತ್ತಿದೆ. ಒಂದೆಡೆ, ಭಾರತವು ವಿಶ್ವದ ಐದನೇ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಆರ್ಥಿಕತೆಯಾಗಿ ಮಾರ್ಪಟ್ಟಿದ್ದರೆ, ಮತ್ತೊಂದೆಡೆ, ನವೀಕರಿಸಬಹುದಾದ ಇಂಧನ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಪ್ರಗತಿ ಸಾಧಿಸಿದ ಜಗತ್ತಿನ ಮೊದಲ ಐದು ರಾಷ್ಟ್ರಗಳ ಪಟ್ಟಿಯಲ್ಲಿ ಸ್ಥಾನ ಪಡೆದಿದೆ. ಒಂದೆಡೆ, ಭಾರತವು ಕೃಷಿ ರಫ್ತು ಪ್ರಮಾಣವನ್ನು ಹಿಗ್ಗಿಸಿಕೊಳ್ಳುತ್ತಿದ್ದರೆ, ಮತ್ತೊಂದೆಡೆ, ಭಾರತವು ಪೆಟ್ರೋಲ್‌ನಲ್ಲಿ ಶೇ. 20 ಎಥೆನಾಲ್ ಮಿಶ್ರಣ ಅಭಿಯಾವನ್ನೂ ಉತ್ತೇಜಿಸುತ್ತಿದೆ. ಒಂದೆಡೆ, ಭಾರತವು ವಿಪತ್ತು ತಡೆ ಮೂಲಸೌಕರ್ಯ ಸಮನ್ವಯ (ಕೊಹಿಲಿಷನ್‌ ಫಾರ್‌ ಡಿಸಾಸ್ಟರ್‌ ರೆಸಿಲಿಯೆಂಟ್‌ ಇನ್‌ಫ್ರಾಸ್ಟ್ರಕ್ಚರ್‌- ಸಿಡಿಆರ್‌ಐ) ನಂತಹ ಸಂಸ್ಥೆಗಳನ್ನು ಸ್ಥಾಪಿಸಿದರೆ, ಮತ್ತೊಂದೆಡೆ, ಅದು ಇಂಟರ್‌ನ್ಯಾಷನಲ್‌ ಬಿಗ್‌ ಕ್ಯಾಟ್‌ ಅಲಯನ್ಸ್‌ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮವನ್ನು ಘೋಷಿಸಿದ್ದು, ದೊಡ್ಡ ಬೆಕ್ಕುಗಳ (ಚಿರತೆ) ಸಂರಕ್ಷಣೆ ನಿಟ್ಟಿನಲ್ಲಿ ಇದು ಮಹತ್ವದ ಹೆಜ್ಜೆ ಎನಿಸಿದೆ

ಸ್ನೇಹಿತರೆ,

ಪರಿಸರಕ್ಕಾಗಿ ಜೀವನಶೈಲಿಯನ್ನು ಪ್ರತಿನಿಧಿಸುವ 'ಮಿಷನ್ ಲೈಫ್ʼ ಜಾಗತಿಕ ಸಾರ್ವಜನಿಕ ಆಂದೋಲನವು ಜನರ ಆಂದೋಲನವಾಗುತ್ತಿರುವುದು ನನಗೆ ವೈಯಕ್ತಿಕವಾಗಿ ಬಹಳ ಸಂತೋಷ ತಂದಿದೆ.  ಕಳೆದ ವರ್ಷ ಗುಜರಾತ್‌ನ ಕೆವಾಡಿಯಾ- ಏಕತಾ ನಗರದಲ್ಲಿ ಮಹತ್ವಾಕಾಂಕ್ಷಿ 'ಮಿಷನ್ ಲೈಫ್ʼ ಅಭಿಯಾನವನ್ನು ನಾನು ಆರಂಭಿಸಿದಾಗ ಜನರಲ್ಲಿ ಕುತೂಹಲವಿತ್ತು. ಆದರೆ ಇಂದು, ಈ ಅಭಿಯಾನವು ಹವಾಮಾನ ಬದಲಾವಣೆಯನ್ನು ನಿಭಾಯಿಸಲು ಪೂರಕವಾದ ಜೀವನಶೈಲಿ ಬದಲಾವಣೆ ಬಗ್ಗೆ ಜಾಗೃತಿ ಮೂಡಿಸುತ್ತಿದೆ. ಕೇವಲ ಒಂದು ತಿಂಗಳ ಹಿಂದೆ, 'ಮಿಷನ್ ಲೈಫ್ʼ ಅಭಿಯಾನಕ್ಕೆ ಪ್ರಚಾರಾಂದೋಲನ ಆರಂಭಿಸಲಾಯಿತು. 30 ದಿನಕ್ಕಿಂತ ಕಡಿಮೆ ಅವಧಿಯಲ್ಲಿ ಸುಮಾರು ಎರಡು ಕೋಟಿ ಜನ ಸ್ಪಂದಿಸಿದ್ದಾರೆ ಎಂಬ ಮಾಹಿತಿ ಇದೆ. ‘ಗಿವಿಂಗ್ ಲೈಫ್ ಟು ಮೈ ಸಿಟಿ’ ಎಂಬ ಧ್ಯೇಯದೊಂದಿಗೆ ಸಾಕಷ್ಟು ರ್ಯಾಲಿ, ರಸಪ್ರಶ್ನೆ ಸ್ಪರ್ಧೆಗಳನ್ನು ಹಮ್ಮಿಕೊಳ್ಳಲಾಗಿದೆ. ಪರಿಸರ ಕ್ಲಬ್‌ಗಳ ಮೂಲಕ ಲಕ್ಷಾಂತರ ಶಾಲಾ ಮಕ್ಕಳು ಮತ್ತು ಅವರ ಶಿಕ್ಷಕರು ಈ ಅಭಿಯಾನದ ಭಾಗವಾಗಿದ್ದಾರೆ. ಲಕ್ಷಾಂತರ ಸಹೋದ್ಯೋಗಿಗಳು ತಮ್ಮ ದೈನಂದಿನ ಜೀವನದಲ್ಲಿ "ರೆಡ್ಯೂಸ್‌, ರೀಯೂಸ್‌, ರೀಸೈಕಲ್‌" (ಬಳಕೆ ತಗ್ಗಿಸಿ, ಮರುಬಳಕೆ ಮಾಡಿ, ಪುನರ್‌ ಬಳಕೆ) ಮಂತ್ರವನ್ನು ಅಳವಡಿಸಿಕೊಂಡಿದ್ದಾರೆ.  ಜನರ ದೈನಂದಿನ ಅಭ್ಯಾಸ, ಕಾರ್ಯವೈಖರಿಯನ್ನು ಬದಲಾಯಿಸಿಕೊಂಡು ಸಹಕರಿಸುವುದು "ಮಿಷನ್ ಲೈಫ್‌ʼನ ಮೂಲ ತತ್ವವಾಗಿದ್ದು, ಆ ಮೂಲಕ ಜಗತ್ತಿನಲ್ಲಿ ಪರಿವರ್ತನೆಯನ್ನು ತರುವ ಗುರಿ ಹೊಂದಲಾಗಿದೆ. 'ಮಿಷನ್ ಲೈಫ್ʼ ಮುಂದಿನ ಪೀಳಿಗೆಗೆ ಮತ್ತು ಮಾನವೀಯತೆಯ ಉಜ್ವಲ ಭವಿಷ್ಯಕ್ಕೆ ಮಹತ್ವದ್ದೆನಿಸಿದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಈ ಜಾಗೃತಿ ಅಭಿಯಾನವು ನಮ್ಮ ದೇಶಕ್ಕಷ್ಟೇ ಸೀಮಿತವಾಗಿಲ್ಲ. ಭಾರತದ ಈ ಮಹತ್ವದ ಉಪಕ್ರಮಕ್ಕೆ ಜಗತ್ತಿನಾದ್ಯಂತ ಬೆಂಬಲ ವ್ಯಕ್ತವಾಗುತ್ತಿದೆ. ಕಳೆದ ವರ್ಷದ ವಿಶ್ವ ಪರಿಸರ ದಿನಾಚರಣೆಯಂದು ನಾನು ಜಾಗತಿಕ ಸಮುದಾಯಕ್ಕೆ ಮತ್ತೊಂದು ಮನವಿ ಮಾಡಿದ್ದೆ. ಜನರಲ್ಲಿ ವೈಯಕ್ತಿಕವಾಗಿ ಹಾಗೂ ಜನ ಸಮುದಾಯಗಳ ನಡುವೆ ಹವಾಮಾನ ಸ್ನೇಹಿ ವರ್ತನೆಯನ್ನು ರೂಢಿಸಿಕೊಳ್ಳಲು ಪೂರಕವಾದ ಹೊಸ ಪರಿಹಾರ, ಉಪಕ್ರಮಗಳನ್ನು ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳುವಂತೆ ಕೋರಲಾಗಿತ್ತು. ಜಗತ್ತಿನ ಸುಮಾರು 70 ದೇಶಗಳು ತಮ್ಮ ಆಲೋಚನೆಗಳನ್ನು ಹಂಚಿಕೊಂಡಿರುವುದು ಅತ್ಯಂತ ಸಮಾಧಾನಕರ ಸಂಗತಿಯಾಗಿದೆ.  ಅವರಲ್ಲಿ ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳು, ಸಂಶೋಧಕರು ಸೇರಿದಂತೆ ನಾನಾ ಕ್ಷೇತ್ರಗಳ ತಜ್ಞರು, ವೃತ್ತಿಪರರು, ಎನ್‌ಜಿಒಗಳು ಮತ್ತು ಸಾಮಾನ್ಯ ನಾಗರಿಕರು ಇದ್ದಾರೆ. ಹೀಗೆ ಕ್ರಿಯಾಶೀಲವಾಗಿ ಪಾಲ್ಗೊಂಡು ಮಹತ್ವದ ಚಿಂತನೆಯನ್ನು ಹಂಚಿಕೊಂಡ ಕೆಲವರನ್ನು ಇಂದು ಅಭಿನಂದಿಸಲಾಗುತ್ತಿದೆ. ಪ್ರಶಸ್ತಿಗೆ ಭಾಜನರಾದ ಎಲ್ಲರಿಗೂ ನನ್ನ ಹೃತ್ಪೂರ್ವಕ ಅಭಿನಂದನೆಗಳನ್ನು ಸಲ್ಲಿಸುತ್ತೇನೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ʼಮಿಷನ್ ಲೈಫ್ʼ ಅಭಿಯಾನದ ಕಡೆಗೆ ನಾವು ಇಡುವ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಹೆಜ್ಜೆಯೂ ಮುಂದಿನ ದಿನಗಳಲ್ಲಿ ಜಗತ್ತಿನಾದ್ಯಂತ ಪರಿಸರ ಸಂರಕ್ಷಣೆಗೆ ಬಲವಾದ ರಕ್ಷೆಯನ್ನು ಒದಗಿಸುವ ವಿಶ್ವಾಸವಿದೆ.  "ಲೈಫ್‌"ಗಾಗಿ ಸಂಗ್ರಹವಾದ ಚಿಂತನೆಯ ವಿವರಗಳು ಇಂದು ಬಿಡುಗಡೆಯಾಗಿದೆ. ಈ ರೀತಿಯ ಪ್ರಯತ್ನಗಳು ಹಸಿರು ವೃದ್ಧಿ ಬಗೆಗಿನ ನಮ್ಮ ಬದ್ಧತೆಯನ್ನು ಇನ್ನಷ್ಟು ಶಕ್ತಿಯುತ ಮತ್ತು ಸುಸ್ಥಿರವಾಗಿಸುವ ವಿಶ್ವಾಸವಿದೆ. ಮತ್ತೊಮ್ಮೆ, ವಿಶ್ವ ಪರಿಸರ ದಿನಾಚರಣೆಯಂದು ಎಲ್ಲರಿಗೂ ನನ್ನ ಹೃತ್ಪೂರ್ವಕ ಶುಭಾಶಯಗಳನ್ನು ತಿಳಿಸುತ್ತೇನೆ.
ಧನ್ಯವಾದಗಳು!