PM’s address on the release of the digital version of Ramcharitmanas

Published By : Admin | August 31, 2015 | 17:18 IST
QuotePM Narendra Modi launches digitised version of the Ramcharitmanas in New Delhi
QuotePrime Minister Modi appreciates All India Radio's role in uniting the people and spreading awareness and information in India
QuoteRamcharitmanas is a great epic. It contains the essence of India: PM Narendra Modi
QuoteThe digital version of Ramcharitmanas will help people across the world: PM Modi

ये कार्यक्रम जहां हो रहा है, उस स्‍थान का नाम है पंचवटी और जब वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, तब इस निवास स्‍थान में पंचवटी का निर्माण हुआ और नाम पंचवटी रखा गया था और शायद मैं मानता हूं आज का अवसर पंचवटी में होना अपने आप उसके कारण उसका एक कीर्तिमान बढ़ जाता है, क्‍योंकि रामचरितमानस की बात हो और पंचवटी न हो, तो फिर वो रामचरितमानस अधूरा लगता है और इसलिए ये अपने आप में एक सुफल संयोग है।

आज के इस अवसर को मैं अलग-अलग रूप में अनुभव करता हूं। कभी-कभी सरकार में लोग नौकरी करते-करते जीवन ऐसा बन जाता है, एक मशीनी गतिविधि बन जाती है और वही सुबह जाना, शाम को आना, वही फाइलें, वही बॉस, वहीं assistant, एक जिंदगी के बड़े महत्‍वपूर्ण 30-35 साल उसी में गुजर जाते है और ज्‍यादातर का मन बन जाता है कि चलो अब इस पाइपलाइन में घुसे है 30-35 साल के बाद उधर निकलेंगे। जिस रूप में निकलेंगे, निकलेंगे.. लेकिन यह अवसर देख करके ध्‍यान में आता है कि एक सरकार का मुलाजिम, जिसमें एक तड़प हो, कुछ करने की अदम्‍य इच्‍छा हो, वो कितनी बड़ी विरासत छोड़ करके जाता है और इसलिए सबसे पहले मैं आकाशवाणी के उस एक सामान्‍य अधिकारी जिनके परिवारजन.. ये औरों के लिए भी प्रेरक बन सकता है। हमारी जिंदगी व्‍यर्थ नहीं जा रही है। हम जो फाइलों पर साइन करते है वो बेकार नहीं होती, कभी न कभी इतिहास को वो नया मोड़ देते है। ये आज की घटना उस बात का जीता-जागता सबूत है।

दूसरी बात, करीब-करीब 20-22 साल तक लगातार इसका रिकार्डिंग हुआ है। 22 साल तक उस team को बनाए रखना, उस rhythm को बनाए रखना और उसे उतना ही प्राणवान बनाए रखना, वरना तो यार बहुत हो गया अब कितने ऐपिसोड हो गए, अब तो लोगों को आदत हो गई, चलो निकाल दो। नहीं। इससे जुड़े हुए कलाकार शायद आज हिन्‍दुस्‍तान के बड़े कलाकारों की संख्‍या में उनका नाम नहीं होगा, लेकिन संगीत के साधक के रूप में। 22 साल करीब-करीब ये साधना कम नहीं होती जी, 14 लोगों ने team बन करके काम किया, 7 लोग हमारे बीच नहीं रहे, सबको आज सम्‍मानित करने का आज अवसर मिला और ये सिर्फ संगीत नहीं है। ये संगीत की भी साधना है, संस्‍कृति की भी साधना है और संस्‍कार की भी साधना है। और ये काम, देखिए हमारे देश में कई उतार-चढ़ाव है, वैचारिक धरातल पर भी उतार-चढ़ाव आए हैं। आज अगर कोई ओम बोल दे तो हफ्तेभर विवाद चलता है कि ओम कैसे बोला जा सकता है। देश :::: सांम्‍प्रदायिक है। ऐसे देश में रामचरितमानस को किसी ने question नहीं किया, वो आज भी चल रहा है। हो सकता है आज के बाद किसी का ध्‍यान जाए और तूफान खड़ा कर दे, तो मैं नहीं जानता हूं। लेकिन कभी-कभार हम देखते है कि बहुत सालों से सुनते आए है, क्‍या बात है कि हस्‍ती मिटती नहीं है हमारी। जवाब खोजने के लिए मेहनत करने की जरूरत नहीं है। यही बात है कि जिसके कारण हस्‍ती मिटती नहीं है हमारी, यही तो रामचरितमानस है, यही तो परम्‍परा है, यही संस्‍कार है।

हजारों साल से दुनिया में हमारी जो सबसे बड़ी विशेषता है जिसके लिए विश्‍व के किसी भी समाज को हमारे प्रति ईर्ष्‍या हो सकती है, वो है हमारी परिवार व्‍यवस्‍था और हम बचे हैं बने है उसका एक कारण.. जब तक हमारी परिवार व्‍यवस्‍था प्राणवान रही है, हम ताकतवर रहे है और उस परिवार व्‍यवस्‍था को प्राणवान बनाने में बहुत बड़ी भूमिका अगर किसी ने निभाई है तो रामचरितमानस और राम जी का परिवार जीवन है। मर्यादा पुरूषोत्‍तम राम.. मर्यादाओं में किसने कैसे जीना परिवार में। किसकी कैसे मर्यादा को पालन करना, कैसा व्‍यवहार करना, आचरण का उत्‍तम संस्‍कार का हमें दर्शन होता है। रामचरितमानस की क्‍या ताकत देखिए हजारों साल हो गए, पीढि़यां बीत गई लेकिन वहीं भाव, वही परम्‍परा, वही संस्‍कार, वही संदेश आज भी जीवित है। आज एक बात हम कहें, लिखित कहें लेकिन संदेश पहुंचते-पहुंचते सात दिन में उसका अर्थ अलग ही हो जाता है। ऐसा कौन सा सामर्थ्‍य होगा कि जिसमें आज भी अनेक व्‍याख्‍याएं होने के बाद भी मूल तत्‍व को कहीं पर भी खरोच नहीं आई है। ऐसी कृति मानव को इस धरती के साथ जोड़ने का इतना बड़ा काम है।

आज भी अगर हम मॉरिशस में जाए दुनिया के कई देशों में, जो लोग गुलामी के कालखंड में मजदूर के रूप में उनको उठा करके ले जाया गया, कुछ नहीं था, निर्धन थे। लेकिन तुलसीकृत रामायण साथ ले जाना नहीं भूले, हनुमान चालीसा ले जाना नहीं भूले और डेढ़ सौ साल अलग जीवन, भाषा भूल गए, पहनावा बदल गया, नाम में बदलाव आया, लेकिन एक अमानत उनके पास बची जिससे आज भी भारत के साथ उनका नाता जुड़ा रहा है और कैसे जुड़ता है मुझे बहुत साल पहले की घटना याद है। वेंस्‍टइंडिज की एक क्रिकेट टीम भारत में खेलने के लिए आई थी। बहुत साल पहले की बात कर रहा हूं और उसके मैनेजर का मेरे यहा फोन आया। अब आज से 30-35, 40 साल पहले मुझे कोई पहचानता नहीं था, न कोई नाम न कोई जान। उनका टेलीफोन आया मुझे आश्‍चर्य हुआ, कि बोले वेंस्‍टइंडिज के क्रिकेटर के मैनेजर आप से बात करना चाहते है, मिलना चाहते है। तो किसी ने नाम दिया होगा, कही परिचय निकला होगा। मैंने कहा वेंस्‍टइंडिज टीम से मेरा तो वैसे भी क्रिकेट के खेल से.. मैं कोई खिलाड़ी तो हूं नहीं, तो पता चला तो बोले रामरिखीनाम है इनका और वो अपनी पत्‍नी के साथ आए है। मूल भारतीय है, तो मैं उनको मिलने गया तो वहां एचआरडी मिनिस्‍ट्री में काम करते थे और टीम मैनेजर के रूप में आए थे। तो मैंने कहा ये ऋषि शब्‍द कहा से आया तो बोले ऋषि में से आया हुआ होगा, फिर उनकी पत्‍नी का नाम पूछा तो बोले सीता। वो भारत पहली बार आए थे। लेकिन उनको अपना और मैं जब गया तो specially वो भारतीय परिवेश पहन करके बैठे थे। यानी एक प्रकार से एक ग्रंथ डेढ़ सौ साल के बाद भी अपनेपन से जोड़ करके रखता है] इसका ये उत्‍तम अनुभव.. और इस अर्थ में रामचरितमानस आज digital form में ये सबके सामने जा रहा है।

आकाशवाणी की ताकत बहुत बड़ी है, कितनी ही चीजें क्‍यों न बदल जाए, लेकिन कुछ मूलभूत चीजें होती है, जो अपनी.. बुलंदी कभी खोती नहीं है। हिन्‍दुस्‍तान के जीवन में आकाशवाणी की ये बहुत बड़ी ताकत है। लोगों को भले एहसास न होता, हो मुझे तो एहसास है। हम लोग भली-भांति समझते है आकाशवाणी की ताकत क्‍या है। ये मेरा एक ऐसा अनुभव है जो मैं कभी भूल नहीं सकता। मैं हिमाचल में भारतीय जनता पार्टी के संगठन का काम करता था। अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे। और मैं हिमाचल में काम करता था, तो एक दिन मैं अपने दौरे पर जा रहा था तो ऐसे ही पहाड़ों में एक ढाबे पर रूक करके चाय पीने की सोचा, तो गाड़ी को रोकी। जब मैं नीचे उतरा तो जो ढाबे वाला था, चाय वाला उसने मुझे लड्डू खिलाया। मैंने कहा भई मुझे चाय पीनी है। अरे बोले साहब लड्डू खाओ पहले, मौज करो। मैंने कहा क्‍या बात है। बोले अरे आज अटल जी ने बम फोड़ दिया, मैंने कहा अटल जी ने बम फोड़ दिया। अरे बोले अभी-अभी रोडियो पर सुना है कि भारत ने बम फोड़ा है। न्‍यू‍क्लियर टेस्‍ट हुआ था। मुझे वो पहली खबर आकाशवाणी के माध्‍यम से एक चाय वाले, ढाबे वाले ने दी।

यानी हम जिन चीजों का कभी-कभी महत्‍व नहीं समझते, वो कितना बड़ा होता है ओर सिर्फ खबर नहीं, सिर्फ खबर नहीं। हिमायल की पहाडि़यों में दूर-सुदूर अकेला चाय के ढाबे वाला, इस समाचार से अपने आपको इतना गौरवान्वित महसूस कर रहा है कि गरीब होने के बावजूद भी अपनी दुकान की मिठाई मुफ्त में बांट रहा है। संदेश की ताकत क्या है, देखिए और समय ज्‍यादा नहीं हुआ होगा, ये 5 बजे declare हुआ होगा शाम को और मैं करीब 6 सवा 6 बजे वहां से गुजर रहा हूं। कहने का तात्‍पर्य ये कि हमारे ये communication अपने आप में इतने बड़े देश में बहुत अनिवार्य है, बहुत आवश्‍यक है और आज के competition के युग में आकाशवाणी को स्‍पर्धा में फंसने की जरूरत नहीं है जी। उसने तो अपनी मूलभूत धाराओं को पकड़ करके जन-जन के दिलों तक जुड़े रहना ओर देश को जोड़ के रखना और भविष्‍य के साथ उनको उत्‍साहित करते रहना ये उसका काम है। और उस काम को हम कैसे निभाएं।

युग बदलता जाए वैसे बदलाव आवश्‍यक होता है कायाकल्प जरूरी होते है ओर जब कायाकल्प की बात करता हूं तब आत्‍मा वही रहता है, समयाकूल बदलाव आता है। ये डिजिटल रूप उसका एक सही कदम है। हम लोग, अब मुझे बताया गया आकाशवाणी के पास 9 लाख घंटों का recording material उपलब्‍ध है, 9 लाख घंटे। शायद दुनिया में किसी एक ईकाई के पास इतना खजाना नहीं होगा जी और उस समय आकाशवाणी का जो रूप-रंग था बाद में जो हमारे यहां जो चला माहौल, अलग बात है, मैं जरूर मानता हूं कि आ‍काशवाणी के पास भारत की मूल आवाज, भारत का मूल चिंतन, भारत की मूल undiluted ये उसमें उपलब्ध होगा। ये 9 लाख घंटों का जब digital version तैयार होगा फिर उसमें भाषाओं का उपयोग किया जा सकता है कि नहीं कितनी बड़ी सेवा होगी, कितना बड़ा खजाना ओर एक प्रकार से digital history का ये सबसे बड़ा resource material बन सकता है। जो शायद आने वाले दिनों में जो पीएचडी करना चाहते होगे उनके लिए एक बहुत अवसर बनेगा। और भारत का दूरदर्शन का काम तो ऐसा है कि हिन्‍दुस्तान की सभी यूनिवर्सिटी में एकाध-एकाध विद्यार्थी ने सिर्फ आकाशवाणी के योगदान पर पीएचडी करनी चाहिए, रिसर्च करनी चाहिए। हम लोगों के स्‍वभाव नहीं है। एक एकाध प्रेमचंद की कथा पर तो रिसर्च कर लेते है, लेकिन इतना बड़ा खजाना। आगे चल करके Human Resource Department के लोग, Culture Department के लोग सोचें कि हमारे नौजवान इस खजाने का research करके क्‍या दे सकते है दुनिया को। हम आगे के लिए क्‍या सोचे। विश्‍व के लोग भी अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस ने सिद्ध कर दिया है कि दुनिया भारत को जानने-समझने के लिए आतुर है, तैयार है। वे अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस ने ये message दिया है कि भारत के पास कुछ है जो हमें जानना है, पाना है ये मूढ़ बना है तब हमारा कर्तव्‍य बनता है कि हम इसको कैसे पहुंचाए और ये अगर हम कर सकते है तो हम कितनी बढ़ी सेवा कर सकते है।

इनदिनों आकाशवाणी एक अच्‍छा काम भी किया है.. आकाशवाणी नहीं, रेडियों के कारण धीरे-धीरे जो आज एफएम चैनल वगैरह सब जो दुनिया चलती है। लोग कहते है भ्रष्‍टाचार के लिए क्‍या किया? हमारे यहां FM चैनल सारी पहले सरकारी खजाने में 80 सौ करोड़ रुपया देती थी। अभी आक्‍शन चल रहा है, आक्‍शन से देंगे ट्रांसपैरेंसी, परिणाम क्‍या आया मालूम है अब तक करीब-करीब साढ़े 11 सौ करोड़ की बोली बोल चुके है, अभी तो बोली चल रही है और उसके जो rules and regulations है उसके हिसाब से सरकार के खजाने में जो 80 सौ करोड़ आते थे एक स्थिति आएंगी 27 सौ-28 सौ करोड़ रुपए आएगे। व्‍यवस्‍थाओं को transparent करने से व्‍यवस्‍थाओं को आधुनिक टेक्‍नोलोजी से जोड़ करके भ्रष्‍टाचार से मुक्ति कैसे पाई जा सकती है। कोई नया आर्थिक बोझ डाले बिना भी देश के विकास में धन कैसे उपलब्‍ध किया जो सकता है इसका एक बेहतरीन नमूना.. ये आकाशवाणी और रेडियो के संबंध में जो भारत सरकार ने अरुण जी के नेतृत्‍व में किया है, उसका ये परिणाम है।

तो हर दिशा में हम इस काम को आगे बढ़ा रहे है और मुझे आशा है कि ये digital version के कारण विश्‍व के लोग जो जानना चाहते है, समझना चाहते है उनके लिए उपकारक होगा। भोपाल केंद्र के लोगों ने गौरवपूर्ण काम किया है; आने वाले दिनों में भोपाल में एक विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन हो रहा है। आकाशवाणी सोचे विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन में जो delegate आने वाले है भोपाल में ही हो रहा है तो ये उनको गिफ्ट के रूप में दिया जाए, ताकि एक souvenir..एक सच्चा souvenir ये बनेगा, जो विश्‍वभर से गरीब, काफी बड़ी तादात में लोग आ रहे है तो एक बहुत बड़ा अवसर बनेगा।

मैं फिर एक बार विभाग को, प्रसार भारती को, आकाशवाणी को ये बहुमूल्य चीजें संभाले रखने के लिए बधाई देता हूं। और देशवासियों को ये नजराना देते हुए मैं गर्व महसूस करता हूं। मैं आभारी हूं डॉ. कर्ण सिंह जी का और मैंने देखा है कि हमारे कर्ण सिंह जी इन चीजों से ऐसे जुड़े हुए है, इसका इतना महामूल्‍य मानते है वो, कि उनको कोई राजकीय विचारधारा कभी बाधा नहीं बनती है और हमेशा ऐसी चीजों को वो आर्शीवाद देते रहें, प्रोत्‍साहन देते रहें। आज विशेषरूप आए इसलिए मैं उनका आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

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नमस्कार!

बेंगळूरु नगरदा आत्मीया नागरिका बंधु-भगिनियरे, निमगेल्ला नन्ना नमस्कारगळु!

कर्नाटका के गवर्नर श्री थावर चंद गहलोत जी, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया जी, केंद्र में मेरे सहयोगी मनोहर लाल खट्टर जी, एच डी कुमारस्वामी जी, अश्विनी वैष्णव जी, वी सोमन्ना जी, सुश्री शोभा जी, उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार जी, कर्नाटका सरकार में मंत्री बी सुरेश जी, नेता विपक्ष आर अशोक जी, सांसद तेजस्वी सूर्या जी, डॉक्टर मंजूनाथ जी, MLA विजयेंद्र येडियुरप्पा जी, और कर्नाटका के मेरे भाइयों और बहनों,

कर्नाटका की धरती पर कदम रखते ही अपनापन सा महसूस होता है, यहां की संस्कृति, यहां के लोगों का प्यार और कन्नड़ा भाषा की मिठास, दिल को छू जाती है। सबसे पहले मैं, बेंगलुरु शहर की अधिष्ठात्री देवी, अण्णम्मा ताई के चरणों में प्रणाम करता हूं। सदियों पहले नाड-प्रभु केम्पेगौड़ा जी ने बेंगलुरु शहर की नींव रखी थी। उन्होंने एक ऐसे शहर की संकल्पना की थी, जो अपनी परम्पराओं से भी जुड़ा हो और साथ ही, प्रगति की नई ऊंचाइयों को भी छुए। बेंगलुरु ने अपनी उस स्पिरिट को हमेशा जिया, हमेशा उसे सहेजकर रखा। और आज, बेंगलुरु उस सपने को साकार कर रहा है।

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साथियों,

बेंगलुरु को हम एक ऐसे शहर के रूप में उभरता देख रहे हैं, जो न्यू इंडिया के राइज़ का सिम्बल बन चुका है। एक ऐसा शहर, जिसकी आत्मा में तत्व-ज्ञान है और जिसके actions में टेक-ज्ञान है। एक ऐसा शहर, जिसने ग्लोबल IT मैप पर भारत का परचम लहराया है। बेंगलुरु की इस सक्सेस स्टोरी के पीछे अगर कोई है, तो वो यहाँ के लोगों की, आप सबकी मेहनत और आपका सबका टैलेंट है।

Friends,

21वीं सदी में अर्बन प्लानिंग और अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर, हमारे शहरों की बहुत बड़ी आवश्यकता है। बेंगलुरु जैसे शहरों को हमें भविष्य के लिए भी तैयार करना है। बीते समय में बेंगलुरू के लिए भारत सरकार की तरफ से हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू की गई हैं। आज इस अभियान को नई गति मिल रही है। आज बेंगलुरु मेट्रो यलो लाइन का शुभारंभ हुआ है। मेट्रो फेज-3 की आधारशिला भी रखी गई है। साथ ही, देश के अलग-अलग हिस्सों के लिए 3 नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी भी दिखाई गई है। बेंगलुरु से बेळगावी के बीच वंदे भारत की सेवा शुरू हुई है। इससे बेळगावी के व्यापार और टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, नागपुर से पुणे और श्रीमाता वैष्णो देवी कटरा से अमृतसर के बीच भी वंदे भारत एक्सप्रेस शुरू हुई हैं। इससे लाखों श्रद्धालुओं को लाभ होगा, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। मैं इन सभी प्रोजेक्ट्स के लिए, वंदेभारत ट्रेनों के लिए बेंगलुरु, कर्नाटका और देश के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

आज ऑपरेशन सिंदूर के बाद मैं पहली बार बेंगलुरु आया हूँ। ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेनाओं की सफलता, सीमा पार कई किलोमीटर भीतर आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने की ताकत और आतंकवादियों के बचाव में उतरे पाकिस्तान को कुछ ही घंटों में घुटनों पर लाने की हमारी क्षमता पूरी दुनिया ने नए भारत के इस स्वरूप के दर्शन किए हैं। ऑपरेशन सिंदूर की इस सफलता के पीछे बहुत बड़ी वजह हमारी टेक्नोलॉजी और डिफेंस में मेक इन इंडिया की ताकत है। और इसमें बेंगलुरु और कर्नाटका के युवाओं का भी बहुत बड़ा योगदान है। मैं इसके लिए भी आज आप सभी का अभिनंदन करता हूँ।

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साथियों,

आज बेंगलुरु की पहचान दुनिया के बड़े सिटीज़ के साथ होती है। हमें ग्लोबली compete भी करना है, इतना ही नहीं, lead भी करना है। हम तभी आगे निकलेंगे, जब हमारे शहर स्मार्ट होंगे, फास्ट होंगे, efficient होंगे! इसलिए आज मॉर्डन इंफ्रा के लिए प्रोजेक्ट्स पूरे कराने पर हमारा इतना जोर है। आज RV रोड से बोम्मासंद्रा तक यलो लाइन शुरू हुई है। ये बेंगलुरु के कई अहम areas को आपस में कनेक्ट करेगी। बसवन-गुडी से इलेक्ट्रॉनिक सिटी तक, ये सफर में भी अब कम समय लगेगा। इससे लाखों लोगों के जीवन में ease of living बढ़ेगी, ease of working बढ़ेगी।

साथियों,

आज यलो लाइन के लोकार्पण के साथ ही हमने फेज-3 यानी ऑरेंज लाइन का भी शिलान्यास किया है। जब ये लाइन शुरू होगी, तो येलो लाइन के साथ मिलकर डेली 25 लाख पैसेंजर्स को facilitate करेगी, 25 लाख पैसेंजर्स। ये बेंगलुरू के ट्रांसपोर्ट सिस्टम को एक नई ताकत देगी, एक नई ऊंचाई देगी।

साथियों,

बेंगलुरु मेट्रो ने देश को पब्लिक इनफ्रास्ट्रक्चर development का एक नया मॉडल भी दिया है। बेंगलुरु मेट्रो कई अहम स्टेशनों के लिए Infosys Foundation, Biocon और Delta Electronics जैसी कंपनियों ने पार्ट फंडिंग की है। CSR के इस्तेमाल का ये मॉडल एक बड़ी प्रेरणा है। मैं इस अभिनव प्रयास के लिए कॉर्पोरेट सेक्टर को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest growing major economy है। पिछले 11 years में हमारी economy 10वें नंबर से टॉप 5 में पहुँच गई है। हम बहुत तेजी से टॉप-3 इकॉनॉमी बनने की ओर आगे बढ़ रहे हैं। ये स्पीड हमें कैसे मिली है? ये स्पीड हमें Reform-Perform-Transform की स्पिरिट से मिली है। ये स्पीड हमें साफ नीयत और ईमानदार प्रयासों से मिली है। आप याद करिए, 2014 में मेट्रो सिर्फ 5 शहरों तक सीमित थी, 5 cities। अब Twenty-Four शहरों में One thousand किलोमीटर से ज़्यादा मेट्रो नेटवर्क है। भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क वाला देश बन गया है। 2014 से पहले लगभग Twenty thousand किलोमीटर रेलरूट का electrification हुआ था, यानी देश आजाद होने से 2014 तक, हमने पिछले 11 years में ही Forty thousand किलोमीटर से अधिक रेलरूट पर इलेक्ट्रिफिकेशन किया है

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साथियों,

जल, थल, नभ, कुछ भी अछूता नहीं रखा है। Friends, जमीन ही नहीं, देश की उपलब्धियों का परचम आसमान में भी लहरा रहा है। 2014 तक भारत में सिर्फ 74 एयरपोर्ट्स थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 160 से ज्यादा हो गई है। नभ की सिद्धि, थल की सिद्धि और जल की भी वॉटर-वेज का आंकड़ा भी उतना ही शानदार है। 2014 में सिर्फ़ 3 नेशनल वाटर-वेज operational थे, अब यह संख्या बढ़कर 30 हो चुकी है।

साथियों,

हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर में भी देश ने एक बड़ी जंप लगाई है। 2014 तक हमारे देश में सिर्फ़ 7 AIIMS और 387 मेडिकल कॉलेज थे। अब 22 एम्स और 704 मेडिकल कॉलेज लोगों की सेवा में जुटे हैं। बीते 11 साल में देश में मेडिकल की एक लाख से ज्यादा नई सीटें जुड़ी हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, इससे हमारे मिडिल क्लास के बच्चों को कितना फायदा है! इन 11 वर्षों में, I.I.Ts की संख्या भी 16 से बढ़कर 23, ट्रिपल IT’s की संख्या 09 से बढ़कर 25, और IIMs की संख्या 13 से बढ़कर 21 हो चुकी है। यानि आज स्टूडेंट्स के लिए हायर एजुकेशन में ज्यादा से ज्यादा मौके बन रहे हैं।

साथियों,

आज देश जिस गति से आगे बढ़ रहा है, उसी गति से गरीब और वंचित का जीवन भी बदल रहा है। हमने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4 करोड़ से अधिक पक्के घर दिए हैं। अब हमारी सरकार 3 करोड़ घर और बनाने जा रही है। हमने सिर्फ Eleven years में 12 करोड़ से अधिक टॉयलेट्स बनाए हैं। इससे देश की करोड़ों माता–बहनों को गरिमा, स्वच्छता और सुरक्षा का अधिकार मिला है।

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साथियों,

देश आज जिस गति से विकास कर रहा है, इसके पीछे हमारी economic growth एक बड़ा फ़ैक्टर है। आप देखिए, 2014 से पहले भारत का टोटल एक्सपोर्ट 468 बिलियन डॉलर तक पहुंचा था। आज ये 824 बिलियन डॉलर हो गया है। पहले हम मोबाइल इम्पोर्ट करते थे, वहीं अब हम मोबाइल हैंडसेट के टॉप फाइव एक्सपोर्टर बन गए हैं। और बेंगलुरू की भी इसमें बहुत बड़ी भूमिका भी है। 2014 से पहले हमारा इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट लगभग 06 बिलियन डॉलर्स था। अब ये भी लगभग 38 बिलियन डॉलर्स तक पहुंच गया है।

साथियों,

Eleven years पहले तक भारत का ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट लगभग 16 बिलियन डॉलर्स था। आज ये दोगुने से अधिक हो चुका है, डबल हो चुका है। और भारत, ओटोमोबाइल का चौथा सबसे बड़ा एक्सपोर्टर बन गया है। ये उपलब्धियाँ आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प को मज़बूती देती हैं। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे और देश को विकसित बनाएंगे।

साथियों,

विकसित भारत, न्यू इंडिया की ये यात्रा, डिजिटल इंडिया के साथ कदम से कदम मिलाकर पूरी होगी। आज हम देख रहे हैं, India AI Mission जैसी योजनाओं से भारत ग्लोबल AI लीडरशिप की दिशा में आगे बढ़ रहा है। सेमीकंडक्टर मिशन भी अब स्पीड पकड़ रहा है। भारत को जल्द ही मेड इन इंडिया चिप मिलने जा रही है। आज भारत low-cost high-tech स्पेस मिशन का ग्लोबल उदाहरण बन गया है। यानी, futuristic technology से जुड़ी जो भी संभावनाएं हैं, भारत उन सबमें आगे बढ़ रहा है। और, भारत के इस advancement की सबसे खास बात है- Empowerment of poor! आप देखिए, आज देश में डिजिटाइजेशन का दायरा गांव-गांव तक पहुंच चुका है। UPI के जरिए दुनिया का 50 परसेंट से ज्यादा रियल टाइम ट्रांजैक्शन भारत में हो रहा है। दुनिया का 50 परसेंट। टेक्नोलॉजी की मदद से हम सरकार और नागरिकों के बीच की दूरी कम कर रहे हैं। आज देश में 2200 से ज्यादा सरकारी सेवाएं मोबाइल पर उपलब्ध हैं। उमंग ऐप से आम नागरिक घर बैठे सरकारी काम निपटा रहा है। Digilocker से सरकारी प्रमाण-पत्रों का झंझट खत्म हुआ है। अब हम AI-powered threat detection जैसी technologies में भी निवेश कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि देश में Digital Revolution का फायदा समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे। और इस प्रयास में बेंगलुरु पूरी सक्रियता से काम कर रहा है।

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साथियों,

वर्तमान उपलब्धियों के बीच अब हमारी अगली बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए- टेक आत्मनिर्भर भारत! इंडियन टेक कंपनियों ने पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है। हमने पूरे वर्ल्ड के लिए सॉफ्टवेयर्स और प्रॉडक्ट्स बनाए हैं। अब समय है, हम भारत की जरूरतों को और ज्यादा priority दें। हमें नए Products develop करने में और तेजी से आगे बढ़ना है। आज हर Domain में Software और Apps का इस्तेमाल हो रहा है, इसमें भारत नई ऊंचाई पर पहुंचे, ये बहुत जरूरी है। जो emerging fields हैं, हमें उनमें भी लीड लेने के लिए काम करना होगा। हमें

मेक इन इंडिया में, manufacturing सेक्टर में भी बेंगलुरु और कर्नाटका की प्रेजेंस को और मजबूत करना है। और मेरा आग्रह है, हमारे प्रॉडक्ट्स zero defect, zero effect के स्टैंडर्ड पर टॉप क्वालिटी के होने चाहिए। यानी बिना डिफेक्ट वाले प्रॉडक्ट हों और उन्हें बनाने का नेगेटिव इफेक्ट पर्यावरण पर भी ना पड़े। मेरी अपेक्षा है, कर्नाटका का टैलेंट आत्मनिर्भर भारत के इस विज़न को लीड करे।

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साथियों,

केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, हम सभी जनता की सेवा के लिए हैं। हमें देशवासियों की बेहतरी के लिए साथ मिलकर कदम उठाने हैं। इस दिशा में एक जो सबसे जरूरी ज़िम्मेदारी है, वो है- नए reforms! बीते एक दशक में हमने लगातार reforms को आगे बढ़ाया है। उदाहरण के तौर पर, भारत सरकार ने कानूनों को decriminalize करने के लिए जन-विश्वास बिल पास किया है। और अब इसका जन-विश्वास 2.0 भी पारित करने जा रहे हैं। राज्य सरकारें भी ऐसे कानूनों की पहचान कर सकती हैं, जिनमें अनावश्यक आपराधिक प्रावधान हैं, उन्हें खत्म किया जा सकता है। हम मिशन कर्मयोगी चला रहे हैं, ताकि सरकारी कर्मचारियों को competency-based training दी जा सके। राज्य भी अपने अधिकारियों के लिए इस learning framework को अपना सकते हैं। हमने Aspirational Districts Programme और Aspirational Block Programme पर बहुत जोर दिया है। राज्य भी इसी तरह अपने यहां ऐसे क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं, जिन्हें विशेष ध्यान की आवश्यकता है। हमें राज्य सरकार के स्तर पर भी नए reforms को लगातार push करना चाहिए। मुझे विश्वास है, हमारे ये साझे प्रयास कर्नाटका को विकास की नई ऊंचाई पर लेकर जाएंगे। हम साथ मिलकर विकसित भारत के संकल्प को पूरा करेंगे। इसी भाव के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को इन development projects की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद!