Quoteप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में रामचरितमानस के डिजिटल संस्करण को जारी किया
Quoteप्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को एकजुट करने और भारत में जागरूकता और सूचनाओं के प्रसार में ऑल इंडिया रेडियो की भूमिका की सराहना की
Quoteरामचरितमानस एक महान महाकाव्य है जिसमें भारत का सार निहित है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteरामचरितमानस के डिजिटल संस्करण से दुनिया भर में लोगों को मदद मिलेगी: प्रधानमंत्री मोदी

ये कार्यक्रम जहां हो रहा है, उस स्‍थान का नाम है पंचवटी और जब वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, तब इस निवास स्‍थान में पंचवटी का निर्माण हुआ और नाम पंचवटी रखा गया था और शायद मैं मानता हूं आज का अवसर पंचवटी में होना अपने आप उसके कारण उसका एक कीर्तिमान बढ़ जाता है, क्‍योंकि रामचरितमानस की बात हो और पंचवटी न हो, तो फिर वो रामचरितमानस अधूरा लगता है और इसलिए ये अपने आप में एक सुफल संयोग है।

आज के इस अवसर को मैं अलग-अलग रूप में अनुभव करता हूं। कभी-कभी सरकार में लोग नौकरी करते-करते जीवन ऐसा बन जाता है, एक मशीनी गतिविधि बन जाती है और वही सुबह जाना, शाम को आना, वही फाइलें, वही बॉस, वहीं assistant, एक जिंदगी के बड़े महत्‍वपूर्ण 30-35 साल उसी में गुजर जाते है और ज्‍यादातर का मन बन जाता है कि चलो अब इस पाइपलाइन में घुसे है 30-35 साल के बाद उधर निकलेंगे। जिस रूप में निकलेंगे, निकलेंगे.. लेकिन यह अवसर देख करके ध्‍यान में आता है कि एक सरकार का मुलाजिम, जिसमें एक तड़प हो, कुछ करने की अदम्‍य इच्‍छा हो, वो कितनी बड़ी विरासत छोड़ करके जाता है और इसलिए सबसे पहले मैं आकाशवाणी के उस एक सामान्‍य अधिकारी जिनके परिवारजन.. ये औरों के लिए भी प्रेरक बन सकता है। हमारी जिंदगी व्‍यर्थ नहीं जा रही है। हम जो फाइलों पर साइन करते है वो बेकार नहीं होती, कभी न कभी इतिहास को वो नया मोड़ देते है। ये आज की घटना उस बात का जीता-जागता सबूत है।

दूसरी बात, करीब-करीब 20-22 साल तक लगातार इसका रिकार्डिंग हुआ है। 22 साल तक उस team को बनाए रखना, उस rhythm को बनाए रखना और उसे उतना ही प्राणवान बनाए रखना, वरना तो यार बहुत हो गया अब कितने ऐपिसोड हो गए, अब तो लोगों को आदत हो गई, चलो निकाल दो। नहीं। इससे जुड़े हुए कलाकार शायद आज हिन्‍दुस्‍तान के बड़े कलाकारों की संख्‍या में उनका नाम नहीं होगा, लेकिन संगीत के साधक के रूप में। 22 साल करीब-करीब ये साधना कम नहीं होती जी, 14 लोगों ने team बन करके काम किया, 7 लोग हमारे बीच नहीं रहे, सबको आज सम्‍मानित करने का आज अवसर मिला और ये सिर्फ संगीत नहीं है। ये संगीत की भी साधना है, संस्‍कृति की भी साधना है और संस्‍कार की भी साधना है। और ये काम, देखिए हमारे देश में कई उतार-चढ़ाव है, वैचारिक धरातल पर भी उतार-चढ़ाव आए हैं। आज अगर कोई ओम बोल दे तो हफ्तेभर विवाद चलता है कि ओम कैसे बोला जा सकता है। देश :::: सांम्‍प्रदायिक है। ऐसे देश में रामचरितमानस को किसी ने question नहीं किया, वो आज भी चल रहा है। हो सकता है आज के बाद किसी का ध्‍यान जाए और तूफान खड़ा कर दे, तो मैं नहीं जानता हूं। लेकिन कभी-कभार हम देखते है कि बहुत सालों से सुनते आए है, क्‍या बात है कि हस्‍ती मिटती नहीं है हमारी। जवाब खोजने के लिए मेहनत करने की जरूरत नहीं है। यही बात है कि जिसके कारण हस्‍ती मिटती नहीं है हमारी, यही तो रामचरितमानस है, यही तो परम्‍परा है, यही संस्‍कार है।

हजारों साल से दुनिया में हमारी जो सबसे बड़ी विशेषता है जिसके लिए विश्‍व के किसी भी समाज को हमारे प्रति ईर्ष्‍या हो सकती है, वो है हमारी परिवार व्‍यवस्‍था और हम बचे हैं बने है उसका एक कारण.. जब तक हमारी परिवार व्‍यवस्‍था प्राणवान रही है, हम ताकतवर रहे है और उस परिवार व्‍यवस्‍था को प्राणवान बनाने में बहुत बड़ी भूमिका अगर किसी ने निभाई है तो रामचरितमानस और राम जी का परिवार जीवन है। मर्यादा पुरूषोत्‍तम राम.. मर्यादाओं में किसने कैसे जीना परिवार में। किसकी कैसे मर्यादा को पालन करना, कैसा व्‍यवहार करना, आचरण का उत्‍तम संस्‍कार का हमें दर्शन होता है। रामचरितमानस की क्‍या ताकत देखिए हजारों साल हो गए, पीढि़यां बीत गई लेकिन वहीं भाव, वही परम्‍परा, वही संस्‍कार, वही संदेश आज भी जीवित है। आज एक बात हम कहें, लिखित कहें लेकिन संदेश पहुंचते-पहुंचते सात दिन में उसका अर्थ अलग ही हो जाता है। ऐसा कौन सा सामर्थ्‍य होगा कि जिसमें आज भी अनेक व्‍याख्‍याएं होने के बाद भी मूल तत्‍व को कहीं पर भी खरोच नहीं आई है। ऐसी कृति मानव को इस धरती के साथ जोड़ने का इतना बड़ा काम है।

आज भी अगर हम मॉरिशस में जाए दुनिया के कई देशों में, जो लोग गुलामी के कालखंड में मजदूर के रूप में उनको उठा करके ले जाया गया, कुछ नहीं था, निर्धन थे। लेकिन तुलसीकृत रामायण साथ ले जाना नहीं भूले, हनुमान चालीसा ले जाना नहीं भूले और डेढ़ सौ साल अलग जीवन, भाषा भूल गए, पहनावा बदल गया, नाम में बदलाव आया, लेकिन एक अमानत उनके पास बची जिससे आज भी भारत के साथ उनका नाता जुड़ा रहा है और कैसे जुड़ता है मुझे बहुत साल पहले की घटना याद है। वेंस्‍टइंडिज की एक क्रिकेट टीम भारत में खेलने के लिए आई थी। बहुत साल पहले की बात कर रहा हूं और उसके मैनेजर का मेरे यहा फोन आया। अब आज से 30-35, 40 साल पहले मुझे कोई पहचानता नहीं था, न कोई नाम न कोई जान। उनका टेलीफोन आया मुझे आश्‍चर्य हुआ, कि बोले वेंस्‍टइंडिज के क्रिकेटर के मैनेजर आप से बात करना चाहते है, मिलना चाहते है। तो किसी ने नाम दिया होगा, कही परिचय निकला होगा। मैंने कहा वेंस्‍टइंडिज टीम से मेरा तो वैसे भी क्रिकेट के खेल से.. मैं कोई खिलाड़ी तो हूं नहीं, तो पता चला तो बोले रामरिखीनाम है इनका और वो अपनी पत्‍नी के साथ आए है। मूल भारतीय है, तो मैं उनको मिलने गया तो वहां एचआरडी मिनिस्‍ट्री में काम करते थे और टीम मैनेजर के रूप में आए थे। तो मैंने कहा ये ऋषि शब्‍द कहा से आया तो बोले ऋषि में से आया हुआ होगा, फिर उनकी पत्‍नी का नाम पूछा तो बोले सीता। वो भारत पहली बार आए थे। लेकिन उनको अपना और मैं जब गया तो specially वो भारतीय परिवेश पहन करके बैठे थे। यानी एक प्रकार से एक ग्रंथ डेढ़ सौ साल के बाद भी अपनेपन से जोड़ करके रखता है] इसका ये उत्‍तम अनुभव.. और इस अर्थ में रामचरितमानस आज digital form में ये सबके सामने जा रहा है।

आकाशवाणी की ताकत बहुत बड़ी है, कितनी ही चीजें क्‍यों न बदल जाए, लेकिन कुछ मूलभूत चीजें होती है, जो अपनी.. बुलंदी कभी खोती नहीं है। हिन्‍दुस्‍तान के जीवन में आकाशवाणी की ये बहुत बड़ी ताकत है। लोगों को भले एहसास न होता, हो मुझे तो एहसास है। हम लोग भली-भांति समझते है आकाशवाणी की ताकत क्‍या है। ये मेरा एक ऐसा अनुभव है जो मैं कभी भूल नहीं सकता। मैं हिमाचल में भारतीय जनता पार्टी के संगठन का काम करता था। अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे। और मैं हिमाचल में काम करता था, तो एक दिन मैं अपने दौरे पर जा रहा था तो ऐसे ही पहाड़ों में एक ढाबे पर रूक करके चाय पीने की सोचा, तो गाड़ी को रोकी। जब मैं नीचे उतरा तो जो ढाबे वाला था, चाय वाला उसने मुझे लड्डू खिलाया। मैंने कहा भई मुझे चाय पीनी है। अरे बोले साहब लड्डू खाओ पहले, मौज करो। मैंने कहा क्‍या बात है। बोले अरे आज अटल जी ने बम फोड़ दिया, मैंने कहा अटल जी ने बम फोड़ दिया। अरे बोले अभी-अभी रोडियो पर सुना है कि भारत ने बम फोड़ा है। न्‍यू‍क्लियर टेस्‍ट हुआ था। मुझे वो पहली खबर आकाशवाणी के माध्‍यम से एक चाय वाले, ढाबे वाले ने दी।

यानी हम जिन चीजों का कभी-कभी महत्‍व नहीं समझते, वो कितना बड़ा होता है ओर सिर्फ खबर नहीं, सिर्फ खबर नहीं। हिमायल की पहाडि़यों में दूर-सुदूर अकेला चाय के ढाबे वाला, इस समाचार से अपने आपको इतना गौरवान्वित महसूस कर रहा है कि गरीब होने के बावजूद भी अपनी दुकान की मिठाई मुफ्त में बांट रहा है। संदेश की ताकत क्या है, देखिए और समय ज्‍यादा नहीं हुआ होगा, ये 5 बजे declare हुआ होगा शाम को और मैं करीब 6 सवा 6 बजे वहां से गुजर रहा हूं। कहने का तात्‍पर्य ये कि हमारे ये communication अपने आप में इतने बड़े देश में बहुत अनिवार्य है, बहुत आवश्‍यक है और आज के competition के युग में आकाशवाणी को स्‍पर्धा में फंसने की जरूरत नहीं है जी। उसने तो अपनी मूलभूत धाराओं को पकड़ करके जन-जन के दिलों तक जुड़े रहना ओर देश को जोड़ के रखना और भविष्‍य के साथ उनको उत्‍साहित करते रहना ये उसका काम है। और उस काम को हम कैसे निभाएं।

युग बदलता जाए वैसे बदलाव आवश्‍यक होता है कायाकल्प जरूरी होते है ओर जब कायाकल्प की बात करता हूं तब आत्‍मा वही रहता है, समयाकूल बदलाव आता है। ये डिजिटल रूप उसका एक सही कदम है। हम लोग, अब मुझे बताया गया आकाशवाणी के पास 9 लाख घंटों का recording material उपलब्‍ध है, 9 लाख घंटे। शायद दुनिया में किसी एक ईकाई के पास इतना खजाना नहीं होगा जी और उस समय आकाशवाणी का जो रूप-रंग था बाद में जो हमारे यहां जो चला माहौल, अलग बात है, मैं जरूर मानता हूं कि आ‍काशवाणी के पास भारत की मूल आवाज, भारत का मूल चिंतन, भारत की मूल undiluted ये उसमें उपलब्ध होगा। ये 9 लाख घंटों का जब digital version तैयार होगा फिर उसमें भाषाओं का उपयोग किया जा सकता है कि नहीं कितनी बड़ी सेवा होगी, कितना बड़ा खजाना ओर एक प्रकार से digital history का ये सबसे बड़ा resource material बन सकता है। जो शायद आने वाले दिनों में जो पीएचडी करना चाहते होगे उनके लिए एक बहुत अवसर बनेगा। और भारत का दूरदर्शन का काम तो ऐसा है कि हिन्‍दुस्तान की सभी यूनिवर्सिटी में एकाध-एकाध विद्यार्थी ने सिर्फ आकाशवाणी के योगदान पर पीएचडी करनी चाहिए, रिसर्च करनी चाहिए। हम लोगों के स्‍वभाव नहीं है। एक एकाध प्रेमचंद की कथा पर तो रिसर्च कर लेते है, लेकिन इतना बड़ा खजाना। आगे चल करके Human Resource Department के लोग, Culture Department के लोग सोचें कि हमारे नौजवान इस खजाने का research करके क्‍या दे सकते है दुनिया को। हम आगे के लिए क्‍या सोचे। विश्‍व के लोग भी अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस ने सिद्ध कर दिया है कि दुनिया भारत को जानने-समझने के लिए आतुर है, तैयार है। वे अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस ने ये message दिया है कि भारत के पास कुछ है जो हमें जानना है, पाना है ये मूढ़ बना है तब हमारा कर्तव्‍य बनता है कि हम इसको कैसे पहुंचाए और ये अगर हम कर सकते है तो हम कितनी बढ़ी सेवा कर सकते है।

इनदिनों आकाशवाणी एक अच्‍छा काम भी किया है.. आकाशवाणी नहीं, रेडियों के कारण धीरे-धीरे जो आज एफएम चैनल वगैरह सब जो दुनिया चलती है। लोग कहते है भ्रष्‍टाचार के लिए क्‍या किया? हमारे यहां FM चैनल सारी पहले सरकारी खजाने में 80 सौ करोड़ रुपया देती थी। अभी आक्‍शन चल रहा है, आक्‍शन से देंगे ट्रांसपैरेंसी, परिणाम क्‍या आया मालूम है अब तक करीब-करीब साढ़े 11 सौ करोड़ की बोली बोल चुके है, अभी तो बोली चल रही है और उसके जो rules and regulations है उसके हिसाब से सरकार के खजाने में जो 80 सौ करोड़ आते थे एक स्थिति आएंगी 27 सौ-28 सौ करोड़ रुपए आएगे। व्‍यवस्‍थाओं को transparent करने से व्‍यवस्‍थाओं को आधुनिक टेक्‍नोलोजी से जोड़ करके भ्रष्‍टाचार से मुक्ति कैसे पाई जा सकती है। कोई नया आर्थिक बोझ डाले बिना भी देश के विकास में धन कैसे उपलब्‍ध किया जो सकता है इसका एक बेहतरीन नमूना.. ये आकाशवाणी और रेडियो के संबंध में जो भारत सरकार ने अरुण जी के नेतृत्‍व में किया है, उसका ये परिणाम है।

तो हर दिशा में हम इस काम को आगे बढ़ा रहे है और मुझे आशा है कि ये digital version के कारण विश्‍व के लोग जो जानना चाहते है, समझना चाहते है उनके लिए उपकारक होगा। भोपाल केंद्र के लोगों ने गौरवपूर्ण काम किया है; आने वाले दिनों में भोपाल में एक विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन हो रहा है। आकाशवाणी सोचे विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन में जो delegate आने वाले है भोपाल में ही हो रहा है तो ये उनको गिफ्ट के रूप में दिया जाए, ताकि एक souvenir..एक सच्चा souvenir ये बनेगा, जो विश्‍वभर से गरीब, काफी बड़ी तादात में लोग आ रहे है तो एक बहुत बड़ा अवसर बनेगा।

मैं फिर एक बार विभाग को, प्रसार भारती को, आकाशवाणी को ये बहुमूल्य चीजें संभाले रखने के लिए बधाई देता हूं। और देशवासियों को ये नजराना देते हुए मैं गर्व महसूस करता हूं। मैं आभारी हूं डॉ. कर्ण सिंह जी का और मैंने देखा है कि हमारे कर्ण सिंह जी इन चीजों से ऐसे जुड़े हुए है, इसका इतना महामूल्‍य मानते है वो, कि उनको कोई राजकीय विचारधारा कभी बाधा नहीं बनती है और हमेशा ऐसी चीजों को वो आर्शीवाद देते रहें, प्रोत्‍साहन देते रहें। आज विशेषरूप आए इसलिए मैं उनका आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

Explore More
हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी
Indian Economy Poised To Remain Fastest-Growing One In FY26: SBI Report

Media Coverage

Indian Economy Poised To Remain Fastest-Growing One In FY26: SBI Report
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
हमारी सरकार, women-led development के विजन को विकास की धुरी बना रही है: भोपाल, मध्य प्रदेश में पीएम मोदी
May 31, 2025
Quoteप्रधानमंत्री ने भोपाल में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया
Quoteलोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर का नाम हमें श्रद्धा से भर देता है, उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं: प्रधानमंत्री
Quoteदेवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की एक महान संरक्षिका थीं: प्रधानमंत्री
Quoteमाता अहिल्याबाई राष्ट्र निर्माण में हमारी नारी शक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं: प्रधानमंत्री
Quoteहमारी सरकार महिला-नेतृत्व वाले विकास की परिकल्पना को विकास की धुरी बना रही है: प्रधानमंत्री
Quoteनमो ड्रोन दीदी अभियान ग्रामीण महिलाओं को प्रोत्साहित कर रहा है, उनकी आय बढ़ा रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteआज हमारे सभी प्रमुख अंतरिक्ष अभियानों में बड़ी संख्या में महिला वैज्ञानिक काम कर रही हैं: प्रधानमंत्री
Quoteऑपरेशन सिंदूर भी हमारी नारी शक्ति की ताकत का प्रतीक बन गया है: प्रधानमंत्री

मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगुभाई पटेल, हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन यादव जी, टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए केंद्रीय मंत्री, इंदौर से तोखन साहू जी, दतिया से राम मोहन नायडू जी, सतना से मुरलीधर मोहोल जी, यहां मंच पर उपस्थित राज्य के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा जी, राजेंद्र शुक्ला जी, लोकसभा में मेरे साथी वी डी शर्मा जी, अन्य मंत्रिगण, जनप्रतिनिधिगण और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

सबसे पहले मैं मां भारती को भारत की मातृशक्ति को प्रणाम करता हूं। आज यहां इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें-बेटियां हमें आशीर्वाद देने आई हैं। मैं आप सभी बहनों के दर्शन पाकर धन्य हो गया हूं।

भाइयों और बहनों,

आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की तीन सौवीं जन्म जयंती है।140 करोड़ भारतीयों के लिए ये अवसर प्रेरणा का है, राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे भागीरथ प्रयासों में अपना योगदान देने का है। देवी अहिल्याबाई कहती थीं, कि शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है। आज का कार्यक्रम, उनकी इस सोच को आगे बढ़ाता है। आज इंदौर मेट्रो की शुरुआत हुई है। दतिया और सतना भी अब हवाई सेवा से जुड़ गए हैं। ये सभी प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश में सुविधाएं बढ़ाएंगे, विकास को गति देंगे और रोजगार के अनेक नए अवसर बनाएंगे। मैं आज इस पवित्र दिवस पर विकास के इन सारे कामों के लिए आप सबको, पूरे मध्य प्रदेश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

|

साथियों,

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर, ये नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। देवी अहिल्याबाई प्रतीक हैं, कि जब इच्छाशक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है, तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों ना हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है। ढाई-तीन सौ साल पहले, जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना, कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करें, ये कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था।

साथियों,

लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभु सेवा और जन सेवा, इसे कभी अलग नहीं माना। कहते हैं, वे हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व कांटों से भरा ताज, कोई कल्पना कर सकता है, कांटों से भरा ताज पहनने जैसा वो काम, लेकिन लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी। उन्होंने गरीब से गरीब को समर्थ बनाने के लिए काम किया। देवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति पर, हमारे मंदिरों, हमारे तीर्थ स्थलों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उन्हें संरक्षित करने का बीड़ा उठाया, उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित पूरे देश में हमारे अनेकों मंदिरों का, हमारे तीर्थों का पुनर्निर्माण किया। औऱ ये मेरा सौभाग्य है कि जिस काशी में लोकमाता अहिल्याबाई ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया है। आज अगर आप काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएंगे, तो वहां आपको देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी वहाँ पर मिलेगी।

|

साथियों,

माता अहिल्याबाई ने गवर्नेंस का एक ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई। रोजगार के लिए, उद्यम बढ़ाने के लिए उन्होंने अनेक योजनाओं को शुरू किया। उन्होंने कृषि और वन-उपज आधारित कुटीर उद्योग और हस्तकला को प्रोत्साहित किया। खेती को बढ़ावा देने के लिए, छोटी-छोटी नहरों की जाल बिछाई, उसे विकसित किया, उस जमाने में आप सोचिए 300 साल पहले। जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कितने ही तालाब बनवाए और आज तो हम लोग भी लगातार कह रहे हैं, catch the rain, बारिश के एक एक बूंद पानी को बचाओ। देवी अहिल्या जी ने ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमें ये काम बताया था। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्होंने कपास और मसालों की खेती को प्रोत्साहित किया। आज ढाई सौ-तीन सौ साल के बाद भी हमें बार बार किसानों को कहना पड़ता है, कि crop diversification बहुत जरूरी है। हम सिर्फ धान की खेती करके या गन्ने की खेती करके अटक नहीं सकते, देश की जरूरतों को, सारी चीजों को हमें diversify करके उत्पादित करना चाहिए। उन्होंने आदिवासी समाज के लिए, घुमन्तु टोलियों के लिए, खाली पड़ी जमीन पर खेती की योजना बनाई। ये मेरा सौभाग्य है, कि मुझे एक आदिवासी बेटी, आज जो भारत के राष्ट्रपति पद पर विराजमान है, उनके मार्गदर्शन में मेरे आदिवासी भाई-बहनों की सेवा करने का मौका मिला है। देवी अहिल्या ने विश्व प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए और बहुत कम लोगों को पता होगा, कि देवी अहिल्या जी हूनर की पारखी थी और वो जूनागढ़ से गुजरात में, जूनागढ़ से कुछ परिवारों को माहेश्वर लाईं और उनको साथ जोड़कर के, आज से ढाई सौ-तीन सौ साल पहले ये माहेश्वरी साड़ी का काम आगे बढ़ाया, जो आज भी अनेक परिवारों को वो गहना बन गया है, और जिससे हमारे बुनकरों को बहुत फायदा हुआ।

साथियों,

देवी अहिल्याबाई को कई बड़े सामाजिक सुधारों के लिए भी हमेशा याद रखा जाएगा। आज अगर बेटियों की शादी की उम्र की चर्चा करें, तो हमारे देश में कुछ लोगों को सेक्यूलरिज्म खतरे में दिखता है, उनको लगता है ये हमारे धर्म के खिलाफ है। ये देवी अहिल्या जी देखिए, मातृशक्ति के गौरव के लिए उस जमाने में बेटियों की शादी की उम्र के विषय में सोचती थीं। उनकी खुद की शादी छोटी उम्र में हुई थी, लेकिन उनको सब पता था, बेटियों के विकास के लिए कौन सा रास्ता होना चाहिए। ये देवी अहिल्या जी थीं, उन्होंने महिलाओं का भी संपत्ति में अधिकार हो, जिन स्त्रियों के पति की असमय मृत्यु हो गई हो, वो फिर विवाह कर सकें, उस कालखंड में ये बातें करना भी बहुत मुश्किल होता था। लेकिन देवी अहिल्याबाई ने इन समाज सुधारों को भरपूर समर्थन दिया। उन्होंने मालवा की सेना में महिलाओं की एक विशेष टुकड़ी भी बनाई थी। ये पश्चिम की दुनिया के लोगों को पता नहीं है। हमें कोसते रहते हैं, हमारी माताओं बहनों के अधिकारों के नाम पर हमें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमारे देश में सेना में महिलाओं का होना, साथियों महिला सुरक्षा के लिए उन्होंने गांवों में नारी सुरक्षा टोलियां, ये भी बनाने का काम किया था। यानी माता अहिल्याबाई, राष्ट्र निर्माण में हमारी नारीशक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं। मैं, समाज में इतना बड़ा परिवर्तन लाने वाली देवी अहिल्या जी को आज श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उनके चरणों में प्रणाम करता हूं और मैं उनसे प्रार्थना करता हूं, कि आप जहां भी हों, हम सभी पर अपना आशीर्वाद बरसाए।

साथियों,

देवी अहिल्या का एक प्रेरक कथन है, जो हम कभी भूल नहीं सकते। और उस कथन का अगर मोटे-मोटे शब्दों में मैं कहूं, उसका भाव यही था, कि जो कुछ भी हमें मिला है, वो जनता द्वारा दिया ऋण है, जिसे हमें चुकाना है। आज हमारी सरकार लोकमाता अहिल्याबाई के इन्हीं मूल्यों पर चलते हुए काम कर रही है। नागरिक देवो भव:- ये आज गवर्नेंस का मंत्र है। हमारी सरकार, वीमेन लेड डवलपमेंट के विजन को विकास की धुरी बना रही है। सरकार की हर बड़ी योजना के केंद्र में माताएं-बहनें-बेटियां हैं। आप भी जानती हैं, गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनाए जा चुके हैं और इनमें से अधिकतर घर हमारी माताओं-बहनों के नाम पर हैं, मालिकाना हक मेरी माताओं-बहनों को दिया है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं, जिनके नाम पर पहली बार कोई संपत्ति दर्ज हुई है। यानी देश की करोड़ों बहनें पहली बार घर की मालकिन बनी हैं।

|

साथियों,

आज सरकार, हर घर तक नल से जल पहुंचा रही है, ताकि हमारी माताओं-बहनों को असुविधा न हो, बेटियां अपनी पढ़ाई में ध्यान दे सकें। करोड़ों बहनों के पास पहले, बिजली, एलपीजी गैस और टॉयलेट जैसी सुविधाएं भी नहीं थीं। ये सुविधाएं भी हमारी सरकार ने पहुंचाईं। और ये सिर्फ सुविधाएं नहीं हैं, ये माताओं-बहनों के सम्मान का हमारी तरफ से एक नम्र प्रयास है। इससे गांव की, गरीब परिवारों की माताओं-बहनों के जीवन से अनेक मुश्किलें कम हुईं हैं।

साथियों,

पहले माताएं-बहनें अपनी बीमारियां छुपाने पर मजबूर थीं। गर्भावस्था के दौरान अस्पताल जाने से बचती थीं। उनको लगता था, कि इससे परिवार पर बोझ पड़ेगा और इसलिए दर्द सहती थीं, लेकिन परिवार में किसी को बताती नहीं थीं। आयुष्मान भारत योजना ने उनकी इस चिंता को भी खत्म किया है। अब वो भी अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करा सकती हैं।

साथियों,

महिलाओं के लिए पढ़ाई और दवाई के साथ ही जो बहुत जरूरी चीज है, वो कमाई भी है। जब महिला की अपनी आय होती है, तो घर में उसका स्वाभिमान और बढ़ जाता है, घर के निर्णयों में उसकी सहभागिता और बढ़ जाती है। बीते 11 वर्षों में हमारी सरकार ने देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए निरंतर काम किया है। आप कल्पना कर सकते है, 2014 से पहले, आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया उसके पहले, 30 करोड़ से ज्यादा बहनें ऐसी थीं, जिनका कोई बैंक खाता तक नहीं था। हमारी सरकार ने इन सभी के बैंक में जनधन खाते खुलवाए, इन्हीं खातों में अब सरकार अलग-अलग योजनाओं का पैसा सीधा उनके खाते में भेज रही है। अब वे गांव हो या शहर अपना कुछ ना कुछ काम कर रही हैं, आर्थिक उपार्जन कर रही हैं, स्वरोजगार कर रही हैं। उन्हें मुद्रा योजना से बिना गारंटी का लोन मिल रहा है। मुद्रा योजना की 75 प्रतिशत से ज्यादा लाभार्थी, ये हमारी माताएं-बहनें-बेटियां हैं।

|

साथियों,

आज देश में 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से जुड़ी हैं, जो कोई न कोई आर्थिक गतिविधि करती हैं। ये बहनें अपनी कमाई के नए साधन बनाएं, इसके लिए सरकार लाखों रुपयों की मदद कर रही है। हमने ऐसी 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने का संकल्प लिया है। मुझे संतोष है कि अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा बहनें, लखपति दीदी बन भी चुकी हैं। अब गांव-गांव में बैंक सखियां लोगों को बैंकिंग से जोड़ रही हैं। सरकार ने बीमा सखियां बनाने का अभियान भी शुरु किया है। हमारी बहनें-बेटियां अब देश को बीमा की सुरक्षा देने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

साथियों,

एक समय था, जब नई टेक्नोलॉजी आती थी, तो उससे महिलाओं को दूर रखा जाता था। हमारा देश आज उस दौर को भी पीछे छोड़ रहा है। आज सरकार का प्रयास है कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी में भी हमारी बहनें, हमारी बेटियां आगे बढ़कर के नेतृत्व दें। अब जैसे आज खेती में ड्रोन क्रांति आ रही है। इसको हमारी गांव की बहनें ही नेतृत्व दे रही हैं। नमो ड्रोन दीदी अभियान से गांव की बहनों का हौसला बढ़ रहा है, उनकी कमाई बढ़ रही है और गांव में उनकी एक नई पहचान बन रही है।

साथियों,

आज बहुत बड़ी संख्या में हमारी बेटियां वैज्ञानिक बन रही हैं, डॉक्टर-इंजीनियर और पायलट बन रही हैं। हमारे यहां साइंस और मैथ्स पढ़ने वाली बेटियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आज जितने भी हमारे बड़े स्पेस मिशन हैं, उनमें बड़ी संख्या में वैज्ञानिक के नाते हमारी माताएं-बहनें-बेटियां काम कर रही हैं। चंद्रयान थ्री मिशन, पूरा देश गौरव कर रहा है। चंद्रयान थ्री मिशन में तो 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थीं। ऐसे ही जमाना स्टार्ट अप्स का है, स्टार्ट अप्स के क्षेत्र में भी हमारी बेटियां अदभुत काम कर रही हैं। देश में लगभग पैंतालीस परसेंट स्टार्ट अप्स की, उसमे कम से कम एक डायरेक्टर कोई न कोई हमारी बहन है, कोई न कोई हमारी बेटी है, महिला है। और ये संख्या लगातार बढ़ रही है।

साथियों,

हमारा प्रयास है, कि नीति निर्माण में बेटियों की भागीदारी लगातार बढ़े। बीते एक दशक में इसके लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। हमारी सरकार में पहली बार पूर्ण कालिक महिला रक्षामंत्री बनीं। पहली बार देश की वित्तमंत्री, एक महिला बनीं। पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बार 75 सांसद महिलाएं हैं। लेकिन हमारा प्रयास है कि ये भागीदारी और बढ़े। नारीशक्ति वंदन अधिनियम के पीछे भी यही भावना है। सालों तक इस कानून को रोका गया, लेकिन हमारी सरकार ने इसे पारित करके दिखाया। अब संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण पक्का हो गया है। कहने का अर्थ ये है कि भाजपा सरकार, बहनों-बेटियों को हर स्तर पर, हर क्षेत्र में सशक्त कर रही है।

|

साथियों,

भारत संस्कृति और संस्कारों का देश है। और सिंदूर, ये हमारी परंपरा में नारीशक्ति का प्रतीक है। राम भक्ति में रंगे हनुमान जी भी सिंदूर को ही धारण किए हुए हैं। शक्ति पूजा में हम सिंदूर का अर्पण करते हैं। और यही सिंदूर अब भारत के शौर्य का प्रतीक बना है।

साथियों,

पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतीयों का खून ही नहीं बहाया, उन्होंने हमारी संस्कृति पर भी प्रहार किया है। उन्होंने हमारे समाज को बांटने की कोशिश की है। और सबसे बड़ी बात, आतंकवादियों ने भारत की नारीशक्ति को चुनौती दी है। ये चुनौती, आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई है काल। ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवादियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन है। जहां पाकिस्तान की सेना ने सोचा तक नहीं था, वहां आतंकी ठिकानों को हमारी सेनाओं ने मिट्टी में मिला दिया। सैंकड़ों किलोमीटर अंदर घुसकर के मिट्टी में मिला दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने डंके की चोट पर कह दिया है, कि आतंकवादियों के जरिए छद्म युद्ध, proxy war नहीं चलेगा। अब घर में घुसकर भी मारेंगे और जो आतंकियों की मदद करेगा, उसको भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अब भारत का एक-एक नागरिक कह रहा है, 140 करोड़ देशवासियों की बुलंद आवाज कह रही है- अगर, अगर तुम गोली चलाओगे, तो मानकर चलों गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर हमारी नारीशक्ति के सामर्थ्य का भी प्रतीक बना है। हम सभी जानते हैं, कि BSF का इस ऑपरेशन में कितना बड़ा रोल रहा है। जम्मू से लेकर पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमा तक बड़ी संख्या में BSF की हमारी बेटियां मोर्चे पर रही थीं, मोर्चा संभाल रही थीं। उन्होंने सीमापार से होने वाली फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स से लेकर दुश्मन की पोस्टों को ध्वस्त करने तक, BSF की वीर बेटियों ने अद्भुत शौर्य दिखाया है।

|

साथियों,

आज दुनिया, राष्ट्ररक्षा में भारत की बेटियों का सामर्थ्य देख रही है। इसके लिए भी बीते दशक में सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। स्कूल से लेकर युद्ध के मैदान तक, आज देश अपनी बेटियों के शौर्य पर अभूतपूर्व भरोसा कर रहा है। हमारी सेना ने पहली बार सैनिक स्कूलों के दरवाज़े बेटियों के लिए खोले हैं। 2014 से पहले एनसीसी में सिर्फ 25 प्रतिशत कैडेट्स ही बेटियां होती थीं, आज उनकी संख्या 50 प्रतिशत की तरफ आगे बढ़ रही है। कल के दिन देश में एक औऱ नया इतिहास बना है। आज अखबार में देखा होगा आपने, नेशनल डिफेंस एकेडमी यानी NDA से महिला कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हुआ है। आज सेना, नौसेना और वायुसेना में बेटियां अग्रिम मोर्चे पर तैनात हो रही हैं। आज फाइटर प्लेन से लेकर INS विक्रांत युद्धपोत तक, वीमेन ऑफीसर्स अपनी जांबाजी दिखा रही हैं।

साथियों,

हमारी नौसेना की वीर बेटियों के साहस का ताज़ा उदाहरण भी देश के सामने है। आपको मैं नाविका सागर परिक्रमा के बारे में बताना चाहता हूं। नेवी की दो वीर बेटियों ने करीब ढाई सौ दिनों की समुद्री यात्रा पूरी की है, धरती का चक्कर लगाया है। हज़ारों किलोमीटर की ये यात्रा, उन्होंने ऐसी नाव से की जो मोटर से नहीं बल्कि हवा से चलती है। सोचिए, ढाई सौ दिन समंदर में, इतने दिनों तक समंदर में रहना, कई कई हफ्ते तक जमीन के दर्शन तक नहीं होना और ऊपर से समंदर का तूफान कितना तेज होता है, हमें पता है, खराब मौसम, भयानक तूफान, उन्होंने हर मुसीबत को हराया है। ये दिखाता है, कि चुनौती कितनी भी बड़ी हो, भारत की बेटियां उस पर विजय पा सकती हैं।

साथियों,

नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन हों या फिर सीमापार का आतंक हो, आज हमारी बेटियां भारत की सुरक्षा की ढाल बन रही हैं। मैं आज देवी अहिल्या की इस पवित्र भूमि से, देश की नारीशक्ति को फिर से सैल्यूट करता हूं

|

साथियों,

देवी अहिल्या ने अपने शासनकाल में विकास के कार्यों के साथ साथ विरासत को भी सहेजा। आज का भारत भी विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चल रहा है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को देश कैसे गति दे रहे है, आज का कार्यक्रम इसका उदाहरण है। आज मध्य प्रदेश को पहली मेट्रो सुविधा मिली है। इंदौर पहले ही स्वच्छता के लिए दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। अब इंदौर की पहचान उसकी मेट्रो से भी होने जा रही है। यहां भोपाल में भी मेट्रो का काम तेज़ी से चल रहा है। मध्य प्रदेश में, रेलवे के क्षेत्र में व्यापक काम हो रहा है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने रतलाम-नागदा रूट को चार लाइनों में बदलने के लिए स्वीकृति दे दी है। इससे इस क्षेत्र में और ज्यादा ट्रेनें चल पाएंगी, भीड़भाड़ कम होगी। केंद्र सरकार ने इंदौर–मनमाड रेल परियोजना को भी मंजूरी दे दी है।

साथियों,

आज मध्य प्रदेश के दतिया और सतना भी हवाई यात्रा के नेटवर्क से जुड़ गए हैं। इन दोनों हवाई अड्डों से बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में एयर कनेक्टिविटी बेहतर होगी। अब माँ पीतांबरा, मां शारदा देवी और पवित्र चित्रकूट धाम के दर्शन करना और सुलभ हो जाएगा।

|

साथियों,

आज भारत, इतिहास के उस मोड़ पर है, जहां हमें अपनी सुरक्षा, अपने सामर्थ्य और अपनी संस्कृति, हर स्तर पर काम करना है। हमें अपना परिश्रम बढ़ाना है। इसमें हमारी मातृशक्ति, हमारी माताओं-बहनों-बेटियों की भूमिका बहुत बड़ी है। हमारे सामने लोकमाता देवी अहिल्याबाई जी की प्रेरणा है। रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, रानी कमलापति, अवंतीबाई लोधी, कित्तूर की रानी चेनम्मा, रानी गाइडिन्ल्यू, वेलु नाचियार, सावित्री बाई फुले, ऐसे हर नाम हमें गौरव से भर देते हैं। लोकमाता अहिल्याबाई की ये तीन सौवीं जन्मजयंती, हमें निरंतर प्रेरित करती रहे, आने वाली सदियों के लिए हम एक सशक्त भारत की नींव मजबूत करें, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से एक बार बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। अपना तिरंगा ऊपर उठाकर के मेरे साथ बालिए –

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!