सभी वरिष्ठ महानुभाव
मैं ह्रदय से ताई जी का अभिनन्दन करता हूँ कि आपने SRI की शुरूआत की हैं, वैसे अब पहले जैसा वक्त नहीं रहा है कि जब सांसद को किसी विषय पर बोलना हो तो ढेर सारी चीजें ढूंढनी पड़े, इकट्ठी करनी पड़े वो स्थिति नहीं रही है technology ने इतना बड़ा role play किया है और अगर आप भी Google गुरू के विद्यार्थी हो जाएं तो मिनटों के अंदर आपको जिन विषयों की जानकारी चाहिए, मिल जाती है। लेकिन जब जानकारियों का भरमार हो, तब कठिनाई पैदा होती है कि सूचना चुनें कौन-सी, किसे उठाएंगे हर चीज उपयोगी लगती है लेकिन कब करें, कैसे करें, priority कैसे करेंगे और इसिलए सिर्फ जानकारियों के द्वारा हम संसद में गरिमामय योगदान दे पाएंगे इसकी गारंटी नहीं है। जब तक कि हमें उसके reference मालूम न हों, कोई विषय अचानक नहीं आते हैं लम्बे अर्सें से ये विषय चलते रहते हैं। राष्ट्र की अपनी एक सोच बन जाती है उन विषयों पर दलों की अपनी सोच बनती है। और वो परम्पराओं का एक बहुत बड़ा इतिहास होता है। इन सब में से तब जा करके हम अमृत पा सकते हैं जबकि इसी विषय के लिए dedicated लोगों के साथ बैठें, विचार-विमर्श करें। और तब जाकर के विचार की धार निकलती है। अब जब तक विचार की धार नहीं निकलती है, तब तक हम प्रभावी योगदान नहीं दे पाते हैं। पहले का भी समय होगा कि जब सांसद के लिए सदन में वो क्या करते थे, शायद उनके क्षेत्र को भी दूसरे चुनाव में जाते थे तब पता चलता था। एक बार चुनाव जीत गया आ गये फिर तो । आज से 25-30 साल पहले तो किसी को लगता ही नहीं था, हां ठीक है कि वो जीत कर के गए हैं और कर रहे हैं कुछ देश के लिए। आज तो ऐसा नहीं है, वो सदन में आता है लेकिन सोचता है Friday को कैसे इलाके में वापस पहुंचु। उसके मन पर एक बहुत बड़ा pressure अपने क्षेत्र का रहता है। जो शायद 25-30 साल, 40 साल पहले नहीं था। और उस pressure को उसको handle करना होता है क्योंकि कभी-कभार वहां की समस्याओं का समाधान करें या न करें लेकिन वहां होना बहुत जरूरी होता है। वहां उनकी उपिस्थिति होना बहुत जरूरी होता है।
दूसरी तरफ सदन में भी अपनी बात रखते समय, समय की सीमा रहती है। राजनीतिक विषयों पर बोलना हो तो यहां बैठे हुए किसी को कोई दिक्कत नहीं होती। उनके DNA में होता है और बहुत बढिया ढंग से हर कोई प्रस्तुत कर सकता है। लेकिन जब विषयों पर प्रस्तुतिकरण करना होता है कुछ लोग आपने देखा होगा कि जिनका development सदन की कानूनी गतिवधि से ज्यादा रहता है। उनका इतनी mastery होती है कुछ भी होता है तुरन्त उनको पता चलता है कि सदन के नियम के विरुद्ध हो रहा है। और वे बहुत quick होते हैं। हमारे दादा बैठे हैं उनको तुरन्त ध्यान में आता है कि ये नियम के बाहर हो रहा है, ये नियम के अंतर्गत ऐसा होना चाहिए। कुछ लोगों कि ऐसी विधा विकसित होती है और वो सदन को बराबर दिशा में चलाए रखने में बहुत बड़ा role play करते हैं। और मैं मानता हूं मैं इसे बुरा नहीं मानता हूं, अच्छा और आवश्यक मानता हूं। उसी प्रकार से ज्यादातर कितना ही बड़ा issue क्यों न हो लेकिन ज्यादातर हम हमारे दल की सोच या हमारे क्षेत्र की स्थिति उसी के संदर्भ में ही उसका आंकलन करके बात को रख पाते हैं। क्योंकि रोजमर्रा का हमारा अनुभव वही है। वो भी आवश्यक है पर भारत जैसे देश का आज जो स्थान बना है, विश्व जिस रूप से भारत की तरफ देखता है तब हमारी गतिविधियां हमारे निर्णय, हमारी दिशा उसको पूरा विश्व भी बड़ी बारीकी से देखता है। हम कैसे निर्णय कर रहे हैं कि जो वैश्विक परिवेश में इसका क्या impact होने वाला है। आज हम कोई भी काम अलग-थलग रह करके अकेले रह करके नहीं कर सकते हैं। वैश्विक परिवेश में ही होना है और तब जा करके हमारे लिए बहुत आवश्यक होगा और दुनिया इतनी dynamic है अचानक एक दिन सोने का भाव गिर जाए, अचानक एक दिन Greece के अंदर तकलीफ पैदा हो जाए तो हम ये तो नहीं कह सकते कि यार वहां हुआ होगा ठीक है ऐसा नहीं रहा है, तो हमारे यहां चिन्तन में, हमारे निर्णयों में भी इसका impact आता है और इसलिए ये बहुत आवश्यक हो गया है कि हम एक बहुत बड़े दायरे में भी अपने क्षेत्र की जो आवश्यकता है दोनों को जोड़ करके संसद को एक महत्वपूर्ण माध्यम बना करके अपनी चीजों को कैसे हम कार्यान्वित करा पायें। हम जो कानून बनाएं, जो नियम बनाएं, जो दिशा-निर्देश तय करवाएं उसमें ये दो margin की आवश्यकता रहती है और तब मैं जानता हूं कि कितना कठिन काम होता जा रहा है संसद के अंदर सांसद की बात का कितना महत्व बढ़ता जा रहा है इसका अंदाजा आ रहा है।
मैं समझता हूं कि SRI का ये जो प्रयास है, ये प्रयास, ये बात हम मानकर चलें कि अगर हमें नींद नहीं आती है तो five star hotel का कमरा book कर करके जाने से नींद आएगी तो उसकी कोई गारंटी नहीं है। हमारे अपने साथ जुड़ा हुआ विषय है उसको हमने ही तैयार करना पड़ेगा। उसी प्रकार से ताई जी कितनी ही व्यवस्था क्यों न करें, कितने विद्वान लोगों को यहां क्यों न ले आए, कितने ही घंटे क्यों न बीतें, लेकिन जब तक हम उस मिजाज में अपने-आपको सज्ज करने के लिए अपने-आपको तैयार नहीं होंगे तो ये तो व्यवस्थाएं तो होंगी हम उससे लाभान्वित नहीं होंगे। और अगर खुले मन से हम चले जाएं अपने सारे विचार जो हैं जब उस कार्यक्रम के अंदर हिस्सा लें पल भर के लिए भूल जाएं कि मैं इस विषय को zero से शुरू करता हूं। तो आप देखना कि हम चीजों को नए तरीके से देखना शुरू करेंगे। लेकिन हमारे पहले से बने-बनाए विचारों का सम्पुट होगा। फिर कितनी ही बारिश आए साहब हम भीगेंगे नहीं कभी। raincoat पहन करके कैसे भीग पाओगे भाई। और इसलिए खुले मन से विचारों को सुनना, विचारों को जानना और उसे समझने का प्रयास करना यही विचार की धार को पनपाता है। सिर्फ information का doze मिलता रहे इससे विचारों की धार नहीं निकलती। ये भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण है।
दूसरी बात है जिस प्रकार से विषय की बारीकी की आवश्यकता है मैं समझता हूं कि SRI के माध्यम से उन विषयों का...जिन बातों कि चर्चा होती है उसका पिछले 50-60 साल का इतिहास क्या रहा है, हमारी संसद का या देश का? आखिरकार किस background में ये चीज आई है, दूसरा, आज ये निर्णय का वैश्विक परिवेश में क्या संदर्भ है? और तीसरा ये आवश्यक है तो क्यों है? आवश्यक नहीं है तो क्यों है? दोनों पहलू उतने ही सटीक तरीके से अगर आते हैं, तब जो सदस्य हैं, उन सदस्यों का confidence level बहुत बढ़ जायेगा। उसको लगेगा हाँ जी.. मुझे ये ये ये लाभ होने वाला है। इसके कारण मेरा ये फायदा होने वाला है। और मैं मेरे देश को ये contribute करूँगा। बोलने के लिए अच्छा material, ये संसद के काम के लिए enough नहीं है। एक अच्छे वक्ता बन सकते हैं, धारदार बोल सकते हैं, बढ़िया भाषण की तालियाँ भी बज सकतीं हैं, लेकिन contribution नहीं होता है।
मुझे, मेरी उत्सुकता से ही इन चीजों में थोड़ी रुचि थी। मेरे जीवन में मुझे कभी इस क्षेत्र में आना पड़ेगा ऐसा कभी सोचा न था और न ही ऐसी मेरी कोई योजना थी। संगठन के नाते राजनीति में काम करता था। लेकिन जब आजादी के 50 साल मनाये जा रहे थे, तो यहाँ तीन दिवसीय एक विशेष सत्र बुलाया गया था, तो मैं उस समय specially दिल्ली आया था। और हमारे पार्टी के सांसदों से pass निकलवा करके, मैं संसद में जा कर बैठता था। सुनने के लिए जाता था। तो करीब-करीब मैं पूरा समय बैठा था। और मन बड़ी एक जिज्ञासा थी कि देश जो लोग चलाते हैं, इनके एक–एक शब्द की कितनी ताकत होती है, कितनी पीड़ा भी होती है, कितनी अपेक्षाएं होती हैं, कितना आक्रोश होता है, ये सारी चीजें मैं उस समय अनुभव करता था। एक जिज्ञासु के रूप में आता था, एक विद्यार्थी के रूप में आता था।
आज मैं भी कल्पना कर सकता हूँ कि देश हमसे भी उसी प्रकार कि अपेक्षा करता है। उन अपेक्षाओं को पूर्ण करने के लिए SRI के माध्यम से, वैसे श्री(SRI) अपने आप में ज्ञान का स्त्रोत है, तो वो उपलब्ध होता रहेगा।
मैं ताई जी को बहुत बधाई देता हूँ। और जैसा कहा... आप में से बहुत कम लोगों ने Oxford Debate के विषय में जाना होगा, Oxford Debate...उस चर्चा का वैसे बड़ा महत्व है वहां Oxford Debate की चर्चा का एक महत्व है, इस बार हमारे शशि जी वहां थे और Oxford Debate में जो बोला है, इन दिनों YouTube पर बड़ा viral हुआ है। उसमे भारत के नागरिक का जो भाव है, उसकी अभिव्यक्ति बहुत है। उसके कारण लोगों का भाव उसमे जुड़ा हुआ है। यही दिखता है कि सही जगह पर हम क्या छोड़ कर आते हैं, वो एक दम उसकी ताकत बन जाती है। मौके का भी महत्व होता है। वरना वही बात कही और जा कर कहें तो, बैठता नहीं है... उस समय हम किस प्रकार चीज को कैसे लाते हैं और वहां जो लोग हैं उस समय उसको receive करने के लिए उनका दिमाग कैसा होगा, तब जा कर वो चीज turning point बन जाती है। जिस समय लोकमान्य तिलक जी ने कहा होगा “स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है” मैं नहीं मानता हूँ कि copywriter ने ऐसा sentence बना कर दिया होगा और न ही उन्होंने सोचा होगा कि मैं क्या कह रहा हूँ...भीतर से आवाज निकली होगी, जो आज भी गूंजती रहती है।
और इसलिए ये ज्ञान का सागर भी, जब हम अकेले में हों तब, अगर हमें मंथन करने के लिए मजबूर नहीं करता है, भीतर एक विचारों का तूफ़ान नहीं चलता रहता, और निरंतर नहीं चलता रहता..अमृत बिंदू के निकलने की संभावनाएं बहुत कम होती हैं। और इसलिए ये जो ज्ञान का सागर उपलब्ध होने वाला है, उसमे से उन मोतियों को पकड़ना और मोतियों को पकड़ कर के उसको माला के रूप में पिरो कर के ले आना और फिर भारत माँ के चरणों में उन शब्दों कि माला को जोड़ना, आप देखिये कैसे भारत माता एक दम से दैदीप्यमान हो जाती हैं, इस भाव को लेकर हम चलते हैं, तो ये व्यवस्था अपने आप में उपकारक होगी।
फिर एक बार मैं ताई जी को हृदय से अभिनन्दन करता हूं और मुझे विश्वास है कि न सिर्फ नए लोग एक और मेरा सुझाव है पुराने जो सांसद रहे है उनका भी कभी लाभ लेना चाहिये, दल कोई भी हो। उनका भी लाभ लेना चाहिये कि उस समय क्या था कैसे था, अब आयु बड़ी हो गयी होगी लेकिन उनके पास बहुत सारी ऐसी चीज़ें होंगी, हो सकता है कि इसमें वो क्योंकि background information बहुत बड़ा काम करती है तो उनको जोड़ना चाहिये और कभी कभार सदन के बाहर इस SRI के माध्यम से, आपके जो regular student बने हैं उनकी बात है ये उनका भी कभी वक्तव्य स्पर्धा का कार्यक्रम हो सकता है विषय पर बोलने कि स्पर्धा का काम हो सकता है और सीमित समय में, 60 मिनट में बोलना कठिन नहीं होता है लेकिन 6 मिनट बोलना काफी कठिन होता है विनोबा जी हमेशा कहते थे कि उपवास रखना मुश्किल नहीं है लेकिन संयमित भोजन करना बड़ा मुश्किल होता है वैसे ही 60 मिनट बोलना कठिन काम नहीं है लेकिन 6 मिनट बोलना मुश्किल होता है ये अगर उसका हिस्सा बने तो हो सकता है उसका बहुत बड़ा उपकार होगा। दूसरा उन को सचमुच में trained करना trained करना मतलब बहुत सी चीज़ें आती है, information देना, चर्चा करना, विषय को समझाना ये एक पहलू है लेकिन हमे उसको इस प्रकार से तैयार करना है तो हो सकता है कि एक प्रकार से उनकी बातों को एक बार दुबारा उनको देखने कि आदत डाली जाये कभी कभार हमे लगता है, हम भाषण दे कर के बैठते हैं तो लगता है कि वाह क्या बढ़िया बोला है लेकिन जब हम ही हमारा भाषण पढ़ते हैं एक हफ्ते के बाद तो ध्यान में आता है कि यार एक ही चीज़ को मैं कितनी बार गुनगुनाता रहता हूँ, ये फालतू मैं क्यों बोल रहा था, ये बेकार में टाइम खराब कर रहा था हम ही देखेंगे तो हम ही अपना भाषण 20 – 30% खुद ही काट देंगे कि यार मैं क्या बेकार में बोल रहा था बहुत कम लोगों को आदत होती है कि वो अपने आपको परीक्षित करते हैं। मैं समझता हूँ कि अगर ये आदतें लगती है तो बहुत सी चीज़ें हमारी एक दम तप करके बाहर निकलती है।
बहुत बहुत धन्यवाद।

केंद्र में मेरे सहयोगी राममोहन नायडू जी, मुरलीधर मोहोल जी, IATA बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन पीटर एल्बर्स जी, IATA के डायरेक्टर जनरल विली वॉल्श जी, इंडिगो के मैनेजिंग डायरेक्टर राहुल भाटिया जी, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों!
IATA की 81st Annual General Meeting, और World Air Transport Summit में, मैं आप सब अतिथियों का भारत में स्वागत करता हूं, आपका अभिनंदन करता हूँ। ये कार्यक्रम 4 दशक बाद भारत में हो रहा है। इन 4 दशकों में, भारत में बहुत कुछ बदल चुका है। आज का भारत पहले से कहीं ज़्यादा आत्मविश्वास से भरा हुआ है। Global Aviation Eco-system में हम न केवल एक विशाल Market हैं, बल्कि Policy Leadership, Innovation और Inclusive Development के प्रतीक भी हैं। आज भारत Global Space-Aviation convergence का एक उभरता हुआ लीडर है। पिछले एक दशक में भारत की सिविल एविएशन सेक्टर में ऐतिहासिक उड़ान से आप सब भली-भांति परिचित हैं।
साथियों,
ये समिट, ये Dialogue, Aviation के साथ ही ग्लोबल कॉपरेशन, Climate Commitments, और equitable growth के shared agenda को आगे बढ़ाने का एक माध्यम भी है। इस समिट में आप जो चर्चा कर रहे हैं, उससे global aviation को नई दिशा मिलेगी। मुझे विश्वास है, हम इस सेक्टर की infinite possibilities को tap कर पाएंगे, उन्हें और बेहतर ढंग से Utilize कर पाएंगे।
Friends,
आज हम सैकड़ों किलोमीटर की दूरी, इंटर-कॉन्टिनेन्टल जर्नी, केवल कुछ घंटों में तय कर लेते हैं। लेकिन, 21st सेंचुरी की दुनिया के सपने, हमारी infinite imaginations रुकी नहीं हैं। आज इनोवेशन और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन की स्पीड पहले से भी कहीं तेज है। और हमारी स्पीड जितनी तेज हुई है, हमने उतनी ही distant destinations को अपनी destiny बनाया है। आज हम एक ऐसे मुकाम पर खड़े हैं, जहां हमारे ट्रैवल प्लान केवल धरती के शहरों तक सीमित नहीं हैं। इंसान आज स्पेस फ्लाइट्स और इंटर-प्लैनेटरी यात्राओं को भी commercialize करने, उसे सिविल एविएशन के लिए खोलने के सपने देख रहा है। ये बात सही है कि इसमें अभी समय है। लेकिन, ये बताता है कि आने वाले समय में एविएशन सेक्टर कितने बड़े transformation और innovations का केंद्र बनने वाला है। भारत इन सभी संभावनाओं के लिए तैयार है। मैं इसका आधार भारत में तीन मजबूत पिलर्स के कारण बता रहा हूं। पहला- भारत के पास मार्केट है, ये मार्केट मात्र consumers का समूह नहीं है, ये भारत की aspirational society का प्रतिबिंब है। दूसरा- टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के लिए हमारे पास डेमोग्राफी और टैलेंट है, हमारे युवा नए दौर के innovators हैं, जो artificial intelligence, robotics और clean energy जैसे क्षेत्रों में breakthrough ला रहे हैं। तीसरा- हमारे यहां इंडस्ट्री के लिए open और सपोर्टिव पॉलिसी इकोसिस्टम है। इन तीनों सामर्थ्य के दम पर, हमें मिलकर भारत के एविएशन सेक्टर को नई ऊंचाई पर लेकर जाना है।
Friends,
बीते वर्षों में, भारत ने civil aviation के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व परिवर्तन देखा है। आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा Domestic Aviation Market है। हमारी उड़ान योजना की सक्सेस, इंडियन सिविल एविएशन का एक गोल्डन चैप्टर है। इस योजना के तहत 15 Million से ज़्यादा यात्रियों को सस्ती air travel की सुविधा मिली है, कई नागरिक पहली बार हवाई सफर कर पाए हैं। हमारी एयरलाइंस भी लगातार Double-Digit Growth हासिल कर रही हैं। भारत और विदेशी एयरलाइंस को मिलाकर हर साल करीब 24 करोड़ यात्री, 240 मिलियन पैसेंजर्स हमारे यहाँ उड़ान भरते हैं। यानी, दुनिया के ज़्यादातर देशों की total population से भी कहीं ज्यादा। और 2030 तक ये संख्या 50 करोड़, Five Hundred मिलियन पैसेंजर्स तक पहुंचने की संभावना है। आज भारत में 3.5 मिलियन मीट्रिक टन सामान एयर-कार्गो से ट्रांसपोर्ट होता है, इस decade के अंत तक ये भी बढ़कर 10 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंचने वाला है।
साथियों,
ये केवल आंकड़े नहीं हैं, ये नए भारत के potential की एक झलक है, और भारत अपने इस potential को maximize करने के लिए futuristic roadmap पर काम कर रहा है। हम World-Class एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में इन्वेस्ट कर रहे हैं। जैसा नायडू जी ने बताया, 2014 तक भारत में 74 ऑपरेशनल एयरपोर्ट्स थे। आज इनकी संख्या बढ़कर 162 हो चुकी है। indian carriers ने 2000 से ज़्यादा नए Aircraft के लिए orders दिए हैं। और ये तो अभी शुरुआत है। भारत का एविएशन सेक्टर एक ऐसे Take Off Point पर खड़ा है, जहां से उसे लंबी और सबसे ऊंची उड़ान भरनी है। और ये उड़ान केवल भौगोलिक सीमाओं को पार नहीं करेगी, बल्कि ये दुनिया को Sustainability, Green Mobility, और Equitable Access की दिशा में भी ले जाएगी।
Friends,
आज हमारे एयरपोर्ट्स की Handling Capacity हर साल Five Hundred Million यात्रियों तक पहुंच चुकी है। भारत आज दुनिया के उन गिने-चुने देशों में है, जो टेक्नोलॉजी के जरिए User Experience के नए Standards सेट कर रहा है। हम Safety, Efficiency और Sustainability पर भी उतना ही फोकस कर रहे हैं। हम Sustainable Aviation Fuels की ओर बढ़ रहे हैं, Green Technologies में निवेश कर रहे हैं, Carbon Footprint घटा रहे हैं, हम Progress और Planet की सुरक्षा, दोनों सुनिश्चित कर रहे हैं।
साथियों,
यहां हमारे जो विदेशी अतिथि हैं, मेरा उनसे आग्रह है कि आप Digi Yatra App के बारे में जरूर जानिएगा, Digi Yatra App, Digital Aviation का एक उदाहरण है। ये Facial Verification Technology के माध्यम से एयरपोर्ट एंट्री से लेकर boarding गेट तक, Seamless यात्रा का कंप्लीट सॉल्यूशन है। कहीं कोई पेपर डॉक्यूमेंट्स, ID दिखाने की ज़रूरत नहीं। मैं समझता हूं भारत के ये इनोवेशंस इतनी बड़ी population को बेहतर services देने के एक एक्सपिरियंस से, ये कई देशों के काम आ सकता है। यह secure और smart solutions का एक ऐसा मॉडल है, जो Global South के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।
साथियों,
भारत के तेजी से expand कर रहे एविएशन सेक्टर के पीछे एक और बड़ा कारण है- Consistent Reforms! भारत, ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग हब बने, इसके लिए हम हर तरह से कदम उठा रहे हैं। इस साल के बजट में हमने मिशन मैन्युफैक्चरिंग घोषित किया है। इसी वर्ष, हमने भारत की पार्लियामेंट में, जैसा नायडू जी ने अभी बताया, Protection Of Interest In Aircraft Objects Bill पारित किया है। इससे केपटाउन कन्वेंशन को भारत में कानूनी ताकत मिली है। अब एयरक्राफ्ट लीजिंग करने वाली ग्लोबल कंपनियों के लिए भारत में नया मौका खुल रहा है। आप सभी को Gift City में मिल रही छूट के बारे में भी जानकारी है। Gift City के incentives ने भारत को Aircraft Leasing का एक Attractive Destination बना दिया है।
साथियों,
नया भारतीय वायुयान अधिनियम हमारे aviation कानूनों को Global Best Practices के अनुरूप बना रहा है। यानी, भारत में एविएशन सेक्टर के कानून सहज हैं, नियमों में सहूलियत है, और टैक्स स्ट्रक्चर सरल है। इसलिए, दुनिया की बड़ी एविएशन कंपनियों के लिए भी भारत में निवेश के लिए ये एक बेहतरीन अवसर है।
Friends,
एविएशन सेक्टर में ग्रोथ का मतलब है, नई उड़ान, नए रोज़गार और नई संभावनाएं। Aviation Sector में pilots, crew, engineers, ground staff सभी के लिए नए मौके बने हैं। एक और नया sunrise sector उभर रहा है, MRO, यानी Maintenance, Repair और Over-haul. हमारी नई MRO Policies से भारत को Aircraft Maintenance का Global Hub बनाने की दिशा में तेज़ी आई है। 2014 में, भारत में 96 MRO Facilities थीं, आज इनकी संख्या 154 हो चुकी है। 100% FDI Under Automatic Route, GST में कटौती, tax rationalization, ऐसे कदमों ने MRO Sector को नई ऊर्जा दी है। अब हमारा लक्ष्य है, 2030 तक भारत को Four Billion Dollar का MRO हब बनाना।
साथियों,
हम चाहते हैं कि दुनिया भारत को सिर्फ एक एविएशन मार्केट नहीं, बल्कि एक Value-Chain Leader के रूप में भी देखे। Design से लेकर Delivery तक, भारत Global Aviation Supply Chain का integral हिस्सा बन रहा है। हमारी दिशा सही है, हमारी गति सही है, इसलिए हमें विश्वास है कि हम तेजी से आगे बढ़ते रहेंगे। मेरा आग्रह है, Make In India के साथ सभी एविएशन कंपनियां, Design In India भी करें।
साथियों,
भारत के एविएशन सेक्टर का एक और मजबूत पक्ष है, उसका inclusive मॉडल। आज भारत में 15% से अधिक पायलट महिलाएं हैं, ये global average से three times ज़्यादा है। दुनिया भर में केबिन क्रू में महिलाओं की औसत भागीदारी लगभग 70% है, हमारे यहां 86% है। भारत के MRO सेक्टर में महिला इंजीनियरों की संख्या भी ग्लोबल एवरेज से आगे बढ़ रही है।
साथियों,
आज एविएशन सेक्टर का एक और key component ड्रोन टेक्नोलॉजी है। भारत ड्रोन टेक्नोलॉजी को technological advancement के लिए इस्तेमाल कर रहा है, साथ ही हमने इसे financial और social inclusion का एक टूल बनाया है। ड्रोन के जरिए हम महिलाओं के Self-Help Groups को empower कर रहे हैं। इससे खेती में, डिलीवरी में, सर्विसेज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।
साथियों,
एविएशन में सुरक्षा को हमने हमेशा टॉप प्रायरटी पर रखा है। आई-काओ के Global Standards से भारत ने अपने नियमों को अलाइन किया है। हाल ही में, आई-काओ की Safety Audit ने हमारे प्रयासों को सराहा है। Asia-Pacific Ministerial Conference में Delhi Declaration adopt होना, भारत के commitment का प्रमाण है। भारत हमेशा Open Skies और Global Connectivity के समर्थन में खड़ा रहा है। हम शिकागो कन्वेंशन के सिद्धांतों का समर्थन करते हैं। आइए, हम मिलकर एक ऐसा फ्यूचर बनाएं, जहां हवाई यात्रा सभी के लिए accessible, affordable और secure हो। मुझे विश्वास है कि आप सभी एविएशन सेक्टर को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के नए समाधान निकालेंगे। मैं आपको अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद।