QuotePM speaks at launch of Speaker's Research Initiative
QuoteThe world is today looking at India, our decisions: PM
QuotePeople of the Nation expect a lot from us. We must deliver our promises: Shri Modi

सभी वरिष्ठ महानुभाव

मैं ह्रदय से ताई जी का अभिनन्‍दन करता हूँ कि आपने SRI की शुरूआत की हैं, वैसे अब पहले जैसा वक्‍त नहीं रहा है कि जब सांसद को किसी विषय पर बोलना हो तो ढेर सारी चीजें ढूंढनी पड़े, इकट्ठी करनी पड़े वो स्थिति नहीं रही है technology ने इतना बड़ा role play किया है और अगर आप भी Google गुरू के विद्यार्थी हो जाएं तो मिनटों के अंदर आपको जिन विषयों की जानकारी चाहिए, मिल जाती है। लेकिन जब जानकारियों का भरमार हो, तब कठिनाई पैदा होती है कि सूचना चुनें कौन-सी, किसे उठाएंगे हर चीज उपयोगी लगती है लेकिन कब करें, कैसे करें, priority कैसे करेंगे और इसिलए सिर्फ जानकारियों के द्वारा हम संसद में गरिमामय योगदान दे पाएंगे इसकी गारंटी नहीं है। जब तक कि हमें उसके reference मालूम न हों, कोई विषय अचानक नहीं आते हैं लम्‍बे अर्सें से ये विषय चलते रहते हैं। राष्‍ट्र की अपनी एक सोच बन जाती है उन विषयों पर दलों की अपनी सोच बनती है। और वो परम्‍पराओं का एक बहुत बड़ा इतिहास होता है। इन सब में से तब जा करके हम अमृत पा सकते हैं जबकि इसी विषय के लिए dedicated लोगों के साथ बैठें, विचार-विमर्श करें। और तब जाकर के विचार की धार निकलती है। अब जब तक विचार की धार नहीं निकलती है, तब तक हम प्रभावी योगदान नहीं दे पाते हैं। पहले का भी समय होगा कि जब सांसद के लिए सदन में वो क्‍या करते थे, शायद उनके क्षेत्र को भी दूसरे चुनाव में जाते थे तब पता चलता था। एक बार चुनाव जीत गया आ गये फिर तो । आज से 25-30 साल पहले तो किसी को लगता ही नहीं था, हां ठीक है कि वो जीत कर के गए हैं और कर रहे हैं कुछ देश के लिए। आज तो ऐसा नहीं है, वो सदन में आता है लेकिन सोचता है Friday को कैसे इलाके में वापस पहुंचु। उसके मन पर एक बहुत बड़ा pressure अपने क्षेत्र का रहता है। जो शायद 25-30 साल, 40 साल पहले नहीं था। और उस pressure को उसको handle करना होता है क्योंकि कभी-कभार वहां की समस्‍याओं का समाधान करें या न करें लेकिन वहां होना बहुत जरूरी होता है। वहां उनकी उपिस्‍थिति होना बहुत जरूरी होता है।

दूसरी तरफ सदन में भी अपनी बात रखते समय, समय की सीमा रहती है। राजनीतिक विषयों पर बोलना हो तो यहां बैठे हुए किसी को कोई दिक्‍कत नहीं होती। उनके DNA में होता है और बहुत बढिया ढंग से हर कोई प्रस्‍तुत कर सकता है। लेकिन जब विषयों पर प्रस्‍तुतिकरण करना होता है कुछ लोग आपने देखा होगा कि जिनका development सदन की कानूनी गतिवधि से ज्‍यादा रहता है। उनका इतनी mastery होती है कुछ भी होता है तुरन्‍त उनको पता चलता है कि सदन के नियम के विरुद्ध हो रहा है। और वे बहुत quick होते हैं। हमारे दादा बैठे हैं उनको तुरन्‍त ध्‍यान में आता है कि ये नियम के बाहर हो रहा है, ये नियम के अंतर्गत ऐसा होना चाहिए। कुछ लोगों कि ऐसी विधा विकसित होती है और वो सदन को बराबर दिशा में चलाए रखने में बहुत बड़ा role play करते हैं। और मैं मानता हूं मैं इसे बुरा नहीं मानता हूं, अच्‍छा और आवश्‍यक मानता हूं। उसी प्रकार से ज्‍यादातर कितना ही बड़ा issue क्‍यों न हो लेकिन ज्‍यादातर हम हमारे दल की सोच या हमारे क्षेत्र की स्थिति उसी के संदर्भ में ही उसका आंकलन करके बात को रख पाते हैं। क्योंकि रोजमर्रा का हमारा अनुभव वही है। वो भी आवश्‍यक है पर भारत जैसे देश का आज जो स्‍थान बना है, विश्‍व जिस रूप से भारत की तरफ देखता है तब हमारी गतिविधियां हमारे निर्णय, हमारी दिशा उसको पूरा विश्‍व भी बड़ी बारीकी से देखता है। हम कैसे निर्णय कर रहे हैं कि जो वैश्विक परिवेश में इसका क्‍या impact होने वाला है। आज हम कोई भी काम अलग-थलग रह करके अकेले रह करके नहीं कर सकते हैं। वैश्विक परिवेश में ही होना है और तब जा करके हमारे लिए बहुत आवश्‍यक होगा और दुनिया इतनी dynamic है अचानक एक दिन सोने का भाव गिर जाए, अचानक एक दिन Greece के अंदर तकलीफ पैदा हो जाए तो हम ये तो नहीं कह सकते कि यार वहां हुआ होगा ठीक है ऐसा नहीं रहा है, तो हमारे यहां चिन्‍तन में, हमारे निर्णयों में भी इसका impact आता है और इसलिए ये बहुत आवश्‍यक हो गया है कि हम एक बहुत बड़े दायरे में भी अपने क्षेत्र की जो आवश्‍यकता है दोनों को जोड़ करके संसद को एक महत्‍वपूर्ण माध्‍यम बना करके अपनी चीजों को कैसे हम कार्यान्वित करा पायें। हम जो कानून बनाएं, जो नियम बनाएं, जो दिशा-निर्देश तय करवाएं उसमें ये दो margin की आवश्‍यकता रहती है और तब मैं जानता हूं कि कितना कठिन काम होता जा रहा है संसद के अंदर सांसद की बात का कितना महत्‍व बढ़ता जा रहा है इसका अंदाजा आ रहा है।

मैं समझता हूं कि SRI का ये जो प्रयास है, ये प्रयास, ये बात हम मानकर चलें कि अगर हमें नींद नहीं आती है तो five star hotel का कमरा book कर करके जाने से नींद आएगी तो उसकी कोई गारंटी नहीं है। हमारे अपने साथ जुड़ा हुआ विषय है उसको हमने ही तैयार करना पड़ेगा। उसी प्रकार से ताई जी कितनी ही व्‍यवस्‍था क्‍यों न करें, कितने विद्वान लोगों को यहां क्‍यों न ले आए, कितने ही घंटे क्‍यों न बीतें, लेकिन जब तक हम उस मिजाज में अपने-आपको सज्ज करने के लिए अपने-आपको तैयार नहीं होंगे तो ये तो व्‍यवस्‍थाएं तो होंगी हम उससे लाभान्वित नहीं होंगे। और अगर खुले मन से हम चले जाएं अपने सारे विचार जो हैं जब उस कार्यक्रम के अंदर हिस्‍सा लें पल भर के लिए भूल जाएं कि मैं इस विषय को zero से शुरू करता हूं। तो आप देखना कि हम चीजों को नए तरीके से देखना शुरू करेंगे। लेकिन हमारे पहले से बने-बनाए विचारों का सम्‍पुट होगा। फिर कितनी ही बारिश आए साहब हम भीगेंगे नहीं कभी। raincoat पहन करके कैसे भीग पाओगे भाई। और इसलिए खुले मन से विचारों को सुनना, विचारों को जानना और उसे समझने का प्रयास करना यही विचार की धार को पनपाता है। सिर्फ information का doze मिलता रहे इससे विचारों की धार नहीं निकलती। ये भी एक अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है।

दूसरी बात है जिस प्रकार से विषय की बारीकी की आवश्‍यकता है मैं समझता हूं कि SRI के माध्‍यम से उन विषयों का...जिन बातों कि चर्चा होती है उसका पिछले 50-60 साल का इतिहास क्या रहा है, हमारी संसद का या देश का? आखिरकार किस background में ये चीज आई है, दूसरा, आज ये निर्णय का वैश्विक परिवेश में क्या संदर्भ है? और तीसरा ये आवश्यक है तो क्यों है? आवश्यक नहीं है तो क्यों है? दोनों पहलू उतने ही सटीक तरीके से अगर आते हैं, तब जो सदस्य हैं, उन सदस्यों का confidence level बहुत बढ़ जायेगा। उसको लगेगा हाँ जी.. मुझे ये ये ये लाभ होने वाला है। इसके कारण मेरा ये फायदा होने वाला है। और मैं मेरे देश को ये contribute करूँगा। बोलने के लिए अच्छा material, ये संसद के काम के लिए enough नहीं है। एक अच्छे वक्ता बन सकते हैं, धारदार बोल सकते हैं, बढ़िया भाषण की तालियाँ भी बज सकतीं हैं, लेकिन contribution नहीं होता है।

मुझे, मेरी उत्सुकता से ही इन चीजों में थोड़ी रुचि थी। मेरे जीवन में मुझे कभी इस क्षेत्र में आना पड़ेगा ऐसा कभी सोचा न था और न ही ऐसी मेरी कोई योजना थी। संगठन के नाते राजनीति में काम करता था। लेकिन जब आजादी के 50 साल मनाये जा रहे थे, तो यहाँ तीन दिवसीय एक विशेष सत्र बुलाया गया था, तो मैं उस समय specially दिल्ली आया था। और हमारे पार्टी के सांसदों से pass निकलवा करके, मैं संसद में जा कर बैठता था। सुनने के लिए जाता था। तो करीब-करीब मैं पूरा समय बैठा था। और मन बड़ी एक जिज्ञासा थी कि देश जो लोग चलाते हैं, इनके एक–एक शब्द की कितनी ताकत होती है, कितनी पीड़ा भी होती है, कितनी अपेक्षाएं होती हैं, कितना आक्रोश होता है, ये सारी चीजें मैं उस समय अनुभव करता था। एक जिज्ञासु के रूप में आता था, एक विद्यार्थी के रूप में आता था।

आज मैं भी कल्पना कर सकता हूँ कि देश हमसे भी उसी प्रकार कि अपेक्षा करता है। उन अपेक्षाओं को पूर्ण करने के लिए SRI के माध्यम से, वैसे श्री(SRI) अपने आप में ज्ञान का स्त्रोत है, तो वो उपलब्ध होता रहेगा।

मैं ताई जी को बहुत बधाई देता हूँ। और जैसा कहा... आप में से बहुत कम लोगों ने Oxford Debate के विषय में जाना होगा, Oxford Debate...उस चर्चा का वैसे बड़ा महत्व है वहां Oxford Debate की चर्चा का एक महत्व है, इस बार हमारे शशि जी वहां थे और Oxford Debate में जो बोला है, इन दिनों YouTube पर बड़ा viral हुआ है। उसमे भारत के नागरिक का जो भाव है, उसकी अभिव्यक्ति बहुत है। उसके कारण लोगों का भाव उसमे जुड़ा हुआ है। यही दिखता है कि सही जगह पर हम क्या छोड़ कर आते हैं, वो एक दम उसकी ताकत बन जाती है। मौके का भी महत्व होता है। वरना वही बात कही और जा कर कहें तो, बैठता नहीं है... उस समय हम किस प्रकार चीज को कैसे लाते हैं और वहां जो लोग हैं उस समय उसको receive करने के लिए उनका दिमाग कैसा होगा, तब जा कर वो चीज turning point बन जाती है। जिस समय लोकमान्य तिलक जी ने कहा होगा “स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है” मैं नहीं मानता हूँ कि copywriter ने ऐसा sentence बना कर दिया होगा और न ही उन्होंने सोचा होगा कि मैं क्या कह रहा हूँ...भीतर से आवाज निकली होगी, जो आज भी गूंजती रहती है।

और इसलिए ये ज्ञान का सागर भी, जब हम अकेले में हों तब, अगर हमें मंथन करने के लिए मजबूर नहीं करता है, भीतर एक विचारों का तूफ़ान नहीं चलता रहता, और निरंतर नहीं चलता रहता..अमृत बिंदू के निकलने की संभावनाएं बहुत कम होती हैं। और इसलिए ये जो ज्ञान का सागर उपलब्ध होने वाला है, उसमे से उन मोतियों को पकड़ना और मोतियों को पकड़ कर के उसको माला के रूप में पिरो कर के ले आना और फिर भारत माँ के चरणों में उन शब्दों कि माला को जोड़ना, आप देखिये कैसे भारत माता एक दम से दैदीप्यमान हो जाती हैं, इस भाव को लेकर हम चलते हैं, तो ये व्यवस्था अपने आप में उपकारक होगी।

फिर एक बार मैं ताई जी को हृदय से अभिनन्दन करता हूं और मुझे विश्वास है कि न सिर्फ नए लोग एक और मेरा सुझाव है पुराने जो सांसद रहे है उनका भी कभी लाभ लेना चाहिये, दल कोई भी हो। उनका भी लाभ लेना चाहिये कि उस समय क्या था कैसे था, अब आयु बड़ी हो गयी होगी लेकिन उनके पास बहुत सारी ऐसी चीज़ें होंगी, हो सकता है कि इसमें वो क्योंकि background information बहुत बड़ा काम करती है तो उनको जोड़ना चाहिये और कभी कभार सदन के बाहर इस SRI के माध्यम से, आपके जो regular student बने हैं उनकी बात है ये उनका भी कभी वक्तव्य स्पर्धा का कार्यक्रम हो सकता है विषय पर बोलने कि स्पर्धा का काम हो सकता है और सीमित समय में, 60 मिनट में बोलना कठिन नहीं होता है लेकिन 6 मिनट बोलना काफी कठिन होता है विनोबा जी हमेशा कहते थे कि उपवास रखना मुश्किल नहीं है लेकिन संयमित भोजन करना बड़ा मुश्किल होता है वैसे ही 60 मिनट बोलना कठिन काम नहीं है लेकिन 6 मिनट बोलना मुश्किल होता है ये अगर उसका हिस्सा बने तो हो सकता है उसका बहुत बड़ा उपकार होगा। दूसरा उन को सचमुच में trained करना trained करना मतलब बहुत सी चीज़ें आती है, information देना, चर्चा करना, विषय को समझाना ये एक पहलू है लेकिन हमे उसको इस प्रकार से तैयार करना है तो हो सकता है कि एक प्रकार से उनकी बातों को एक बार दुबारा उनको देखने कि आदत डाली जाये कभी कभार हमे लगता है, हम भाषण दे कर के बैठते हैं तो लगता है कि वाह क्या बढ़िया बोला है लेकिन जब हम ही हमारा भाषण पढ़ते हैं एक हफ्ते के बाद तो ध्यान में आता है कि यार एक ही चीज़ को मैं कितनी बार गुनगुनाता रहता हूँ, ये फालतू मैं क्यों बोल रहा था, ये बेकार में टाइम खराब कर रहा था हम ही देखेंगे तो हम ही अपना भाषण 20 – 30% खुद ही काट देंगे कि यार मैं क्या बेकार में बोल रहा था बहुत कम लोगों को आदत होती है कि वो अपने आपको परीक्षित करते हैं। मैं समझता हूँ कि अगर ये आदतें लगती है तो बहुत सी चीज़ें हमारी एक दम तप करके बाहर निकलती है।

बहुत बहुत धन्यवाद।

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रोजगार मेळाव्यात 51,000 हून अधिक नियुक्ती पत्रांचे वितरण करताना पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी केलेल्या भाषणाचा मजकूर
July 12, 2025
Quoteआज 51 हजारापेक्षा जास्त तरुणांना नियुक्तीपत्रे देण्यात आली. अशा रोजगार मेळाव्यांच्या माध्यमातून लाखो तरुणांना यापूर्वीच कायमस्वरूपी सरकारी नोकऱ्या मिळाल्या आहेत. आता हे तरुण देशाच्या जडणघडणीत महत्त्वाची भूमिका बजावत आहेत - पंतप्रधान
Quoteभारताकडे लोकसंख्यात्मक आणि लोकशाही म्हणजेच दुसऱ्या शब्दांत सर्वात मोठी युवा लोकसंख्या आणि सर्वात मोठी लोकशाही अशा दोन अद्वितीय शक्ती असल्याची दखल आज जगाने घेतली आहे - पंतप्रधान
Quoteआज देशात तयार होत असलेल्या स्टार्टअप्स, नवोन्मेष आणि संशोधनाच्या परिसंस्थेमुळे देशातील युवा वर्गाची क्षमता वाढू लागली आहे - पंतप्रधान
Quoteनुकत्याच मंजूर झालेल्या नवीन योजना, रोजगार-संलग्न प्रोत्साहन योजनांच्या माध्यमातून खासगी क्षेत्रात रोजगाराच्या नवीन संधी निर्माण करण्यावरही सरकारचा भर - पंतप्रधान
Quoteआज उत्पादन क्षेत्र हे भारताच्या सर्वात मोठ्या सामर्थ्यांपैकी एक असून उत्पादन क्षेत्रात मोठ्या संख्येने नवीन नोकऱ्या निर्माण होत आहेत - पंतप्रधान
Quoteउत्पादन क्षेत्राला चालना देण्यासाठी या वर्षीच्या अर्थसंकल्पात 'मिशन मॅन्युफॅक्चरिंग'ची घोषणा करण्यात आली - पंतप्रधान

केंद्र सरकारी आस्थापनांमध्ये तरुणाईला कायमस्वरूपी नोकऱ्या देण्याचा आमचा उपक्रम सातत्याने सुरू आहे. आणि आमची ओळखसुद्धा अशीच आहे – ना कागद ना  खर्च! (शिफारस किंवा लाचेशिवाय निव्वळ गुणवत्ता आणि पात्रतेच्या आधारे नोकऱ्या देणे). आज 51 हजारांहून अधिक तरुण-तरुणींना नियुक्तीपत्रे दिली गेली आहेत. अशा रोजगार मेळाव्यांच्या माध्यमातून आतापर्यंत लाखो तरुण-तरुणींना केंद्र सरकारमध्ये कायमस्वरूपी नोकऱ्या मिळाल्या आहेत. ही तरुणाई आता राष्ट्रनिर्मितीत मोठी भूमिका बजावत आहे. आजही आपल्यापैकी अनेकांनी भारतीय रेल्वेमध्ये आपले कार्यभार स्वीकारले आहेत. काही मित्र आता देशाच्या सुरक्षेचे रक्षक बनणार आहेत. टपाल विभागात नियुक्त झालेले मित्र गावागावात सरकारच्या सुविधा (योजना) पोहोचवतील. काहीजण ‘हेल्थ फॉर ऑल’ (सर्वांसाठी आरोग्य) या अभियानाचे शिलेदार असतील. अनेक युवक-युवती आर्थिक समावेशनाच्या इंजिनाला अधिक वेग देतील आणि बरेचसे युवक-युवती भारताच्या औद्योगिक विकासाला नवीन चालना देतील. आपले विभाग वेगवेगळे असले, पदे वेगवेगळी असली, तरी ध्येय एकच आहे. आणि ते ध्येय आपल्याला वारंवार लक्षात ठेवायचे आहे –‘राष्ट्रसेवा’! सूत्र एकच – ‘नागरिक प्रथम, Citizen First!’ आपल्याला देशवासियांच्या सेवेसाठी एक मोठे व्यासपीठ लाभले आहे. जीवनाच्या या महत्त्वाच्या टप्प्यावर मिळालेल्या या मोठ्या यशाबद्दल मी आपणा सर्व तरुणाईचे मनःपूर्वक अभिनंदन करतो. या नव्या प्रवासासाठी माझ्याकडून आपल्याला खूप खूप शुभेच्छा!

मित्रहो,

आज संपूर्ण जग हे मान्य करत आहे की भारताकडे दोन अमर्याद शक्ती आहेत — एक म्हणजे लोकसंख्येचा लाभ (Demography) आणि दुसरी म्हणजे लोकशाही (Democracy). म्हणजेच, जगातील सर्वांत मोठी युवा लोकसंख्या आणि जगातील सर्वांत मोठी लोकशाही! तरुणाईचे हे सामर्थ्य हेच भारताच्या उज्ज्वल भविष्याचे सर्वात मोठे भांडवल आहे आणि सुरक्षित भविष्यासाठीचे हमीपत्र सुद्धा आहे आणि आमचे सरकार या भांडवलाला संपन्नतेचे सूत्र बनवण्यासाठी रात्रंदिवस प्रयत्नशील आहे. आपल्याला माहीत आहे, काही दिवसांपूर्वीच मी पाच देशांच्या दौऱ्यावरून परतलो आहे. त्या प्रत्येक देशात भारताच्या युवाशक्तीचा बोलबाला ऐकायला मिळाला. या दौऱ्यादरम्यान जे करार झाले, त्याचा फायदा भारतातील आणि परदेशातील दोन्ही ठिकाणी असणाऱ्या भारतीय तरुणाईला होणारच आहे. संरक्षण, औषधनिर्मिती, डिजिटल तंत्रज्ञान, उर्जा, दुर्मिळ भू खनिजे (रेअर अर्थ मिनरल्स) अशा अनेक क्षेत्रांमध्ये झालेले हे करार भारताला आगामी काळात मोठं बळ देतील. यामुळे भारतातील उत्पादन आणि सेवा क्षेत्राला नवसंजीवनी मिळणार आहे.

मित्रहो,

बदलत्या काळानुसार 21व्या शतकात नोकऱ्यांचे स्वरूपही बदलत आहे, आणि नवनवीन क्षेत्रेही पुढे येत आहेत.

म्हणूनच मागील दशकात भारताने आपली तरुणाई  या बदलांसाठी सज्ज असेल, यावर विशेष भर दिला आहे.आता या दिशेने अनेक महत्त्वाचे निर्णय घेण्यात आले आहेत. आधुनिक गरजा लक्षात घेऊन आधुनिक धोरणेही तयार करण्यात आली आहेत. नवंउद्योग(स्टार्टअप), नवोन्मेष आणि संशोधन यांची जी परिसंस्था  आज देशात तयार होत आहे, ती आपल्या तरुणाईचे सामर्थ्य वाढवत आहे….आज जेव्हा मी पाहतो की आमची तरुणाई स्वतःचा नवंउद्योग सुरू करण्याची इच्छा बाळगतात, तेव्हा माझा आत्मविश्वासही अधिकच वाढतो आणि आत्ताच आपल्या डॉ. जितेंद्र सिंहजी यांनी स्टार्टअप्सविषयी काही महत्त्वाची आकडेवारीही तुमच्यासमोर मांडली. मला आनंद होतोय की माझ्या देशाची तरुणाई मोठ्या निर्धारासह, वेगाने, आत्मविश्वासाने आणि ठामपणे पुढे जात आहे…. काहीतरी नवीन करायचे स्वप्न बघत आहे.

मित्रहो,

भारत सरकारचा भर खाजगी क्षेत्रात रोजगाराच्या नवीन संधी निर्माण करण्यावरही आहे.अलीकडेच सरकारने एक नवीन योजना मंजूर केली आहे — रोजगार-संलग्न प्रोत्साहन योजना (Employment Linked Incentive Scheme). या योजनेअंतर्गत, खासगी क्षेत्रात प्रथमच नोकरी मिळवणाऱ्या युवक-युवतीला सरकार 15,000 रुपये देणार आहे. म्हणजेच, पहिल्या नोकरीतील पहिल्या पगारात सरकारचा सहभाग असणार आहे. या योजनेसाठी सरकारने सुमारे एक लाख कोटी रुपयांची तरतूद केली आहे. या योजनेमुळे सुमारे साडे तीन कोटी नवे रोजगार निर्माण व्हायला  चालना मिळणार आहे.

मित्रहो,

आज भारताची एक फार मोठी ताकद म्हणजे आपले उत्पादन क्षेत्र आहे.या क्षेत्रात मोठ्या प्रमाणावर नवीन नोकऱ्या तयार होत आहेत. या क्षेत्राला वेग देण्यासाठी यावर्षीच्या अर्थसंकल्पात ‘मिशन मॅन्युफॅक्चरिंग’ या उत्पादन  प्रोत्साहनपर मोहिमेची घोषणा करण्यात आली आहे. मागील काही वर्षांत आपण ‘मेक इन इंडिया’ मोहिमेला भक्कम पाठबळ दिले आहे. निव्वळ उत्पादनावर आधारित प्रोत्साहनपर (PLI -Production Linked Incentive) योजनेमुळेच देशात 11 लाखांहून अधिक रोजगार निर्माण झाले आहेत.मागील काही वर्षांमध्ये मोबाईल फोन आणि इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्राचा अभूतपूर्व विस्तार झाला आहे.आज देशात सुमारे 11 लाख कोटी रुपयांची इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन क्षमता आहे….तब्बल 11 लाख कोटी रुपये! यामध्ये गेल्या 11 वर्षांत पाच पटीहून अधिक वाढ झाली आहे. पूर्वी भारतात मोबाईल फोन उत्पादनाचे केवळ 2 ते 4 कारखाने होते — फक्त 2 किंवा 4!पण आता मोबाईल फोन उत्पादनाशी संबंधित सुमारे 300 कारखाने भारतात कार्यरत आहेत. आणि या क्षेत्रात लाखो युवक कार्यरत आहेत. असेच एक आणखी महत्त्वाचे क्षेत्र म्हणजे – संरक्षण उत्पादन क्षेत्र.‘ऑपरेशन सिंदूर’नंतर या क्षेत्राची मोठ्या अभिमानाने चर्चा होत आहे – आणि ती अगदी योग्यही आहे. संरक्षण उत्पादन क्षेत्रातही भारत नवे विक्रम प्रस्थापित करत आहे. आपले संरक्षण उत्पादन आता सव्वा लाख कोटी रुपयांच्या पुढे गेले आहे.भारताने लोकोमोटिव्ह क्षेत्रात (इंजिन निर्मिती/रेल्वे इंजिन उत्पादन) देखील एक मोठी कामगिरी बजावली आहे.भारत आज जगातील सर्वात मोठा लोकोमोटिव्ह उत्पादक देश बनला आहे — संपूर्ण जगात सर्वाधिक! लोकोमोटिव्ह असो, रेल्वे डबे असोत, मेट्रो डबे असोत — भारत आज हे सर्व मोठ्या प्रमाणावर अनेक देशांमध्ये निर्यातही करत आहे. आपले वाहन उद्योग क्षेत्रसुद्धा आज अभूतपूर्व वेगाने वाढत आहे. गेल्या 5 वर्षात या क्षेत्रात सुमारे 4 हजार कोटी डॉलर्सची परदेशी थेट गुंतवणूक झाली आहे. म्हणजेच नवीन कंपन्या सुरू झाल्या आहेत, नवीन कारखाने सुरू झाले आहेत, रोजगाराच्या नव्या संधी निर्माण झाल्या आहेत, या सोबतच गाड्यांची मागणी देखील वाढली आहे, भारतात गाड्यांची विक्रमी विक्री झाली आहे. विविध क्षेत्रात देशाची होणारी प्रगती, उत्पादनात नव्याने स्थापित होणारे विक्रम, या घटना अशाच आपोआप घडत नाहीत, हे तेव्हाच शक्य आहे जेव्हा नवयुवकांना जास्तीत जास्त प्रमाणात नोकऱ्या मिळू लागतात. या विक्रमांमध्ये नवयुवकांनी गाळलेला घाम, त्यांची बुद्धी, त्यांची मेहनत असे खूप मोठे योगदान दिले आहे. देशातील युवकांनी रोजगार तर मिळवला आहेच, पण त्याचबरोबर ही अनोखी कामगिरी करून दाखवली आहे. देशाच्या उत्पादन क्षेत्राची गती निरंतर वाढत राहावी यासाठी आता शासकीय कर्मचाऱ्याच्या रुपात तुम्हाला शक्य असलेले सर्व प्रयत्न तुम्ही करणे आवश्यक आहे. जेव्हा कधी तुमच्यावर एखादी जबाबदारी टाकली जाईल तेव्हा त्या जबाबदारीला प्रोत्साहन म्हणून स्वीकारत काम करा, लोकांनाही प्रोत्साहन द्या, कामातील अडथळे दूर करा, तुम्ही जितकी जास्त कार्य सुलभता निर्माण कराल तितक्या जास्त प्रमाणात देशातील इतर लोकांना सुविधा प्राप्त होतील.

मित्रहो,

आज आपला देश जगात, आणि कोणताही हिंदुस्तानी नागरिक ही गोष्ट मोठ्या अभिमानाने सांगू शकतो की आज आपला देश जगातील तिसरी सर्वात मोठी अर्थव्यवस्था बनण्याकडे जलद गतीने वाटचाल करत आहे. ही माझ्या देशातील नवयुवकांनी गाळलेल्या घामाची कमाल आहे. गेल्या अकरा वर्षात देशाने प्रत्येक क्षेत्रात प्रगती केली आहे. नुकताच आंतरराष्ट्रीय कामगार संघटना - आयएलओ चा एक शानदार अहवाल प्रकाशित झाला आहे. गेल्या दहा वर्षात भारतातील 90 कोटीहून अधिक नागरिकांना कल्याणकारी योजनांचे लाभ मिळवण्यासाठी पात्र ठरवण्यात आले आहे. या प्रकारे सामाजिक सुरक्षिततेची व्याप्ती मोजली जाते. या योजनांचा फायदा केवळ लोककल्याणापर्यंत सिमित नाही. यामुळे खूप मोठ्या प्रमाणावर नव्या रोजगारांची निर्मिती होत आहे. एक छोटे उदाहरण देतो - प्रधानमंत्री आवास योजना. या प्रधानमंत्री आवास योजनेअंतर्गत चार कोटी नवीन पक्की घरे बांधण्यात आली आहेत आणि तीन कोटी नवीन घरे बांधण्याचे काम प्रगतीपथावर आहे. इतकी घरे बांधली जात आहेत तर यामध्ये मिस्त्री, गवंडी, मजूर, बांधकाम साहित्य ते वाहतूक क्षेत्रापर्यंत, छोट्या छोट्या दुकानदारांचे काम, सामान वाहून देणाऱ्या ट्रकचे चालक-मालक … तुम्ही कल्पना करू शकता की रोजगाराच्या किती वेगवेगळ्या संधी तयार झाल्या आहेत. या सर्वांमध्ये आनंदाची बाब ही आहे की, यापैकी बऱ्याच जणांना आपापल्या गावांमध्ये नोकऱ्या मिळाल्या आहेत, यासाठी कोणालाही आपले गाव सोडून जावे लागले नाही. याचप्रमाणे देशात 12 कोटी नवीन स्वच्छता गृहे बांधण्यात आली आहेत. यामुळे बांधकामाबरोबरच प्लंबर असो किंवा लाकडाचे काम करणारे सुतार असो, हे जे आपल्या विश्वकर्मा समाजाचे लोक आहेत त्यांच्यासाठी तर रोजगाराच्या खूप साऱ्या संधी निर्माण झाल्या आहेत. अशीच कामे आहेत ज्यामुळे रोजगाराचा देखील विस्तार होत आहे आणि त्यांचा प्रभावही पडत आहे. याच प्रकारे आज दहा कोटीहून अधिक नव्या, मी ही जी गोष्ट सांगत आहे, नव्या लोकांबद्दल बोलत आहे, देशात उज्वला योजनेअंतर्गत नवीन एलपीजी कनेक्शन देण्यात आले आहेत. यासाठी गॅस सिलेंडर पुनर्भरण संयंत्र खूप मोठ्या प्रमाणावर सुरू करण्यात आले आहेत. गॅस सिलेंडर तयार करणाऱ्यांनाही काम मिळाले आहे, यातूनही रोजगार निर्मिती झाली आहे, गॅस एजन्सीवाल्यांना देखील काम मिळाले आहे. तुम्ही एका एका कामाचा विचार करा, कित्येक वेगवेगळ्या प्रकारच्या रोजगाराच्या संधी निर्माण झाल्या आहेत. या सर्व ठिकाणी अनेक लाख लोकांना रोजगाराच्या नव्या संधी मिळालेल्या आहेत.

मित्रहो,

मी आणखी एका योजनेचा उल्लेख करू इच्छितो. ही योजना म्हणजे, ‘पाचों उंगलिया घी में’ किंवा ‘दोनो हाथ-हाथ में लड्डू’ अशी आहे. तर ही योजना म्हणजे - प्रधानमंत्री सूर्य घर मोफत वीज योजना. सरकार तुमच्या घराच्या छतावर म्हणजेच रुफ टॉपवर सौर ऊर्जा संयंत्र बसवण्यासाठी प्रत्येक कुटुंबाला सर्वसाधारणपणे सुमारे 75 हजार रुपयांहून अधिक निधी देत आहे. या निधीतून लाभार्थी आपल्या घराच्या छतावर सौर ऊर्जा संयंत्र बसवून घेतात. आणि एका प्रकारे त्यांच्या घराचे छत विज उत्पादक कारखाना बनते, यातून ते स्वतः विजेची निर्मिती करतात आणि त्याच विजेचा वापर देखील करतात, त्यांच्या गरजेपेक्षा जास्त प्रमाणात तयार झालेली वीज ते विकू देखील शकतात. यामुळे विजेचे बिल शून्य रुपये होत आहे, त्या कुटुंबाचे पैसे देखील वाचतात. ही सौर ऊर्जा संयंत्रे बसवण्यासाठी अभियंत्यांची गरज लागते, कुशल कारागिरांची गरज लागते. सौर ऊर्जा पॅनल बनवण्यासाठी कारखान्यांची गरज लागते, कच्च्या मालाच्या कारखान्यांची गरज लागते, हा कच्चा माल वाहून नेण्यासाठी वाहतूक यंत्रणेची गरज लागते. या संयंत्रांचे व्यवस्थापन किंवा दुरुस्ती करण्यासाठी देखील एक संपूर्ण नवे उद्योग क्षेत्र तयार होत आहे. तुम्ही कल्पना करू शकता की अशी प्रत्येक योजना लाखो लोकांचे कल्याण करत आहे आणि सोबतच अनेक लाख नव्या रोजगारांची निर्मिती या योजनांमधून होत आहे.

मित्रहो,

नमो ड्रोन दीदी अभियानाने देखील भगिनी आणि लेकींची मिळकत वाढवली आहे आणि ग्रामीण क्षेत्रात रोजगाराच्या नव्या संधी देखील तयार केल्या आहेत. या योजनेअंतर्गत लाखो ग्रामीण भगिनींना ड्रोन पायलट बनण्याचे प्रशिक्षण दिले जात आहे. उपलब्ध अहवालाद्वारे हे स्पष्ट होते की, आपल्या या ड्रोन दीदी, आपल्या गावांमधील माता भगिनी, शेतीच्या एका हंगामात, शेतीच्या कामात ड्रोनची जी मदत होते, त्याचे कंत्राट घेऊन एका हंगामातच लाखो रुपयांची कमाई करू लागल्या आहेत. इतकेच नव्हे तर यामुळे देशात ड्रोन उत्पादनाशी संबंधित एका नव्या क्षेत्राला बळ मिळत आहे. कृषी क्षेत्र असो वा संरक्षण, आज ड्रोन उत्पादन क्षेत्र देशातील युवकांसाठी नव्या संधी निर्माण करत आहे.

मित्रहो,

देशात 3 कोटी लखपती दीदी बनवण्याची मोहीम सुरू आहे. त्यापैकी दीड कोटी लखपती दीदी आधीच झाल्या देखील आहेत. तुम्हाला माहिती आहे की, लखपती दीदी होणे म्हणजे तिचे उत्पन्न वर्षातून किमान 1 लाखांपेक्षा जास्त असले पाहिजे, शिवाय ते एकदा नाही तर त्यात सातत्य हवे, तीच खरी लखपती दीदी आहे. दीड कोटी लखपती दीदी. अशात तुम्ही खेडेगावाकडे गेलात तर तुम्हाला काही गोष्टी ऐकायला मिळतील, बँक सखी, विमा सखी, कृषी सखी, पशु सखी, अशा अनेक योजनांमध्ये आपल्या गावातील माता-भगिनींनाही रोजगार मिळाला आहे. त्याचप्रमाणे, पंतप्रधान स्वनिधी योजनेअंतर्गत, पहिल्यांदाच, टपरीवाले आणि फेरीवाल्यांना मदत देण्यात आली. या अंतर्गत, लाखो मित्रांना काम मिळाले आहे आणि डिजिटल पेमेंटमुळे, आजकाल प्रत्येक फेरीवाला रोख रक्कम न घेता, तो यूपीआय वापरतो. तर तो असे का करतो ? कारण बँक त्याला त्वरित पुढील व्यवहारासाठी रक्कम देते. बँकेचा त्याच्यावर विश्वास निर्माण होतो. त्याला कुठल्याही कागदपत्रांची गरज लागत नाही. म्हणजेच, एक पथविक्रेता आज विश्वासाने आणि अभिमानाने पुढे जातो आहे.

पंतप्रधान विश्वकर्मा योजना बघा. या अंतर्गत, आपल्या वडिलोपार्जित अर्थात पारंपरिक कामाचे आधुनिकीकरण केले जात आहे, त्यात नाविन्य आणले जात असून, नवीन तंत्रज्ञान आणले जात आहे, नवीन साधनांचा वापर करून कारागीर आणि सेवा प्रदात्यांना प्रशिक्षण दिले जात आहे. त्यांना कर्ज आणि आधुनिक साधने दिली जात आहेत. अशा असंख्य योजनांबद्दल मी आपल्याला सांगू शकतो. अशा अनेक योजना आहेत ज्यांचा गरिबांना लाभ झाला असून, तरुणांनाही रोजगार मिळाला आहे. अशा अनेक योजनांच्या माध्यमातून 10 वर्षांत सुमारे 25 कोटी लोक गरिबीतून बाहेर पडले आहेत. जर रोजगार उपलब्ध नसता, कुटुंबात उत्पन्नाचा स्रोत नसता, तर तीन-चार पिढ्यांपासून गरिबीत जगणाऱ्या आपल्या गरीब- बंधू भगिनीला आयुष्यातील प्रत्येक दिवस मृत्यू सामान वाटला असता. पण आज तो इतका सक्षम झाला आहे की, आपल्या 25  कोटी गरीब बंधू भगिनीनी गरिबीवर मात केली आहे. गरिबीला पराभूत करणाऱ्या या सर्व 25  कोटी बंधू-भगिनींच्या धाडसाचे मी कौतुक करतो. त्यांनी सरकारी योजनांचा लाभ घेतला आणि धैर्याने पुढे गेले, ते रडत बसले नाहीत. ते गरिबीवर वरचढ ठरले, तिला पराभूत केले. आता तुम्हीच कल्पना करा की, त्या 25 कोटी लोकांमध्ये आता किती आत्मविश्वास असेल. जेंव्हा एखादी व्यक्ती संकटातून बाहेर पडते तेंव्हा तिच्यात किती नवी ताकद निर्माण होते. देशात उदयास आलेली ही नवीन शक्ती, भारताच्या विकासयात्रेस नवसंजीवनी देणारी ठरेल. आणि हे फक्त सरकारच म्हणत नाही, आज जागतिक बँकेसारख्या मोठ्या जागतिक संस्था भारताच्या या कार्याचे उघडपणे कौतुक करत आहेत. जग भारताकडे एक आदर्श म्हणून पाहत आहे. भारताला जगातील सर्वात कमी विषमतेच्या देशांमध्ये समाविष्ट करण्यात आले आहे. म्हणजेच, असमानता वेगाने कमी होत आहे, आणि आपण समानतेच्या दिशेने वाटचाल करत आहोत. जगालाही आता हे लक्षात येत आहे.

मित्रहो,

विकासाचा हा महान यज्ञ, गरीब कल्याण आणि रोजगार निर्मितीचे ध्येय, आजपासून ते पुढे नेण्याची तुमचीही जबाबदारी आहे. सरकारने अडथळा नाही तर विकासाचे प्रवर्तक बनले पाहिजे. प्रत्येक व्यक्तीला पुढे जाण्याची संधी आहे. हात धरून आधार देण्याचे काम आपले आहे. आणि तुम्ही तर युवा आहात मित्रांनो! माझा तुमच्यावर पूर्ण विश्वास आहे. तुमच्याकडून माझी अपेक्षा आहे की, तुम्हाला जिथेही जबाबदारी मिळेल तिथे तुम्ही देशाच्या नागरिकासाठी सर्वप्रथम उभे राहा. त्याच्या मदतीला धावा, त्यांना संकटातून बाहेर काढा, आणि पाहता पाहता देश पुढे जाईल. तुम्हाला भारताच्या अमृत काळाचा भाग व्हायचे आहे. येणारी 20-25 वर्षे तुमच्या कारकिर्दीसाठी महत्त्वाची आहेत, त्याचवेळी, ही 20-25 वर्षे देशासाठी खूप महत्त्वाची आहेत. हीच 25 वर्षे 'विकसित भारत' तयार करण्यासाठी अत्यंत महत्त्वाची आहेत. म्हणून, तुम्हाला तुमचे काम, जबाबदारी, ध्येये विकसित भारताच्या संकल्पाने आत्मसात करावी लागतील. 'नागरिक देवो भव' हा मंत्र आपल्या नसांमध्ये धावला पाहिजे, आपल्या हृदयात आणि मनात राहिला पाहिजे, आपल्या वर्तनात दिसला पाहिजे. मला खात्री आहे की, मित्रांनो, गेल्या 10 वर्षात देशाला पुढे नेण्यात ही युवा शक्ती माझ्यासोबत उभी राहिली आहे. माझा प्रत्येक शब्द ऐकून त्यांनी देशाच्या भल्यासाठी जिथून शक्य आहे तिथून काही ना काही करण्याचा प्रयत्न केला. तुम्हाला संधी मिळाली आहे, तुमच्याकडून खूप अपेक्षा आहेत. अर्थात तुमच्यावर खूप जबाबदारी आहे, आणि मला खात्री आहे की तुम्ही ते कराल. मी पुन्हा एकदा तुमचे अभिनंदन करतो. तुमच्या कुटुंबियांनाही खूप खूप शुभेच्छा देतो, तुमचे कुटुंबही उज्वल भविष्याचे पात्र आहे. तुम्हीही आयुष्यात खूप प्रगती करा. iGOT प्लॅटफॉर्मवर जाऊन स्वतःला सतत अपडेट करत राहा. एकदा तुम्हाला संधी मिळाली की, स्वस्थ बसू नका, मोठी स्वप्ने पहा, पुढे जाण्याचा विचार करा. काम करत राहा, नवे शिका, नवे निकाल द्या आणि प्रगती करा. तुमच्या प्रगतीतच देशाचा गौरव आहे, तुमच्या प्रगतीतच माझे समाधान आहे. आणि म्हणूनच, आज जेव्हा तुम्ही जीवनाच्या एका नव्या टप्प्याची सुरुवात करत आहात, तेव्हा मी तुम्हाला शुभेच्छा देण्यासाठी आलो आहे, तुमच्याशी संवाद साधण्यासाठी आलो आहे, तुमची असंख्य स्वप्ने पूर्ण व्हावीत, तुम्ही आता माझे जवळचे सहकारी होत आहात, मी तुमचे मनःपूर्वक स्वागत करतो. तुम्हा सर्वांना खूप खूप धन्यवाद. खूप खूप शुभेच्छा!