Quoteप्रधानमंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष की अनुसंधान पहल के शुभारंभ के अवसर पर सभा को संबोधित किया 
Quoteदुनिया आज भारत और हमारे द्वारा किये जा रहे निर्णयों को बारीकी से देख रही है: प्रधानमंत्री
Quoteहमारे देशवासियों को हम से बहुत उम्मीदें हैं। हमने जो वादे किये हैं, हमें उन्हें पूरा करना होगा: श्री मोदी

सभी वरिष्ठ महानुभाव

मैं ह्रदय से ताई जी का अभिनन्‍दन करता हूँ कि आपने SRI की शुरूआत की हैं, वैसे अब पहले जैसा वक्‍त नहीं रहा है कि जब सांसद को किसी विषय पर बोलना हो तो ढेर सारी चीजें ढूंढनी पड़े, इकट्ठी करनी पड़े वो स्थिति नहीं रही है technology ने इतना बड़ा role play किया है और अगर आप भी Google गुरू के विद्यार्थी हो जाएं तो मिनटों के अंदर आपको जिन विषयों की जानकारी चाहिए, मिल जाती है। लेकिन जब जानकारियों का भरमार हो, तब कठिनाई पैदा होती है कि सूचना चुनें कौन-सी, किसे उठाएंगे हर चीज उपयोगी लगती है लेकिन कब करें, कैसे करें, priority कैसे करेंगे और इसिलए सिर्फ जानकारियों के द्वारा हम संसद में गरिमामय योगदान दे पाएंगे इसकी गारंटी नहीं है। जब तक कि हमें उसके reference मालूम न हों, कोई विषय अचानक नहीं आते हैं लम्‍बे अर्सें से ये विषय चलते रहते हैं। राष्‍ट्र की अपनी एक सोच बन जाती है उन विषयों पर दलों की अपनी सोच बनती है। और वो परम्‍पराओं का एक बहुत बड़ा इतिहास होता है। इन सब में से तब जा करके हम अमृत पा सकते हैं जबकि इसी विषय के लिए dedicated लोगों के साथ बैठें, विचार-विमर्श करें। और तब जाकर के विचार की धार निकलती है। अब जब तक विचार की धार नहीं निकलती है, तब तक हम प्रभावी योगदान नहीं दे पाते हैं। पहले का भी समय होगा कि जब सांसद के लिए सदन में वो क्‍या करते थे, शायद उनके क्षेत्र को भी दूसरे चुनाव में जाते थे तब पता चलता था। एक बार चुनाव जीत गया आ गये फिर तो । आज से 25-30 साल पहले तो किसी को लगता ही नहीं था, हां ठीक है कि वो जीत कर के गए हैं और कर रहे हैं कुछ देश के लिए। आज तो ऐसा नहीं है, वो सदन में आता है लेकिन सोचता है Friday को कैसे इलाके में वापस पहुंचु। उसके मन पर एक बहुत बड़ा pressure अपने क्षेत्र का रहता है। जो शायद 25-30 साल, 40 साल पहले नहीं था। और उस pressure को उसको handle करना होता है क्योंकि कभी-कभार वहां की समस्‍याओं का समाधान करें या न करें लेकिन वहां होना बहुत जरूरी होता है। वहां उनकी उपिस्‍थिति होना बहुत जरूरी होता है।

दूसरी तरफ सदन में भी अपनी बात रखते समय, समय की सीमा रहती है। राजनीतिक विषयों पर बोलना हो तो यहां बैठे हुए किसी को कोई दिक्‍कत नहीं होती। उनके DNA में होता है और बहुत बढिया ढंग से हर कोई प्रस्‍तुत कर सकता है। लेकिन जब विषयों पर प्रस्‍तुतिकरण करना होता है कुछ लोग आपने देखा होगा कि जिनका development सदन की कानूनी गतिवधि से ज्‍यादा रहता है। उनका इतनी mastery होती है कुछ भी होता है तुरन्‍त उनको पता चलता है कि सदन के नियम के विरुद्ध हो रहा है। और वे बहुत quick होते हैं। हमारे दादा बैठे हैं उनको तुरन्‍त ध्‍यान में आता है कि ये नियम के बाहर हो रहा है, ये नियम के अंतर्गत ऐसा होना चाहिए। कुछ लोगों कि ऐसी विधा विकसित होती है और वो सदन को बराबर दिशा में चलाए रखने में बहुत बड़ा role play करते हैं। और मैं मानता हूं मैं इसे बुरा नहीं मानता हूं, अच्‍छा और आवश्‍यक मानता हूं। उसी प्रकार से ज्‍यादातर कितना ही बड़ा issue क्‍यों न हो लेकिन ज्‍यादातर हम हमारे दल की सोच या हमारे क्षेत्र की स्थिति उसी के संदर्भ में ही उसका आंकलन करके बात को रख पाते हैं। क्योंकि रोजमर्रा का हमारा अनुभव वही है। वो भी आवश्‍यक है पर भारत जैसे देश का आज जो स्‍थान बना है, विश्‍व जिस रूप से भारत की तरफ देखता है तब हमारी गतिविधियां हमारे निर्णय, हमारी दिशा उसको पूरा विश्‍व भी बड़ी बारीकी से देखता है। हम कैसे निर्णय कर रहे हैं कि जो वैश्विक परिवेश में इसका क्‍या impact होने वाला है। आज हम कोई भी काम अलग-थलग रह करके अकेले रह करके नहीं कर सकते हैं। वैश्विक परिवेश में ही होना है और तब जा करके हमारे लिए बहुत आवश्‍यक होगा और दुनिया इतनी dynamic है अचानक एक दिन सोने का भाव गिर जाए, अचानक एक दिन Greece के अंदर तकलीफ पैदा हो जाए तो हम ये तो नहीं कह सकते कि यार वहां हुआ होगा ठीक है ऐसा नहीं रहा है, तो हमारे यहां चिन्‍तन में, हमारे निर्णयों में भी इसका impact आता है और इसलिए ये बहुत आवश्‍यक हो गया है कि हम एक बहुत बड़े दायरे में भी अपने क्षेत्र की जो आवश्‍यकता है दोनों को जोड़ करके संसद को एक महत्‍वपूर्ण माध्‍यम बना करके अपनी चीजों को कैसे हम कार्यान्वित करा पायें। हम जो कानून बनाएं, जो नियम बनाएं, जो दिशा-निर्देश तय करवाएं उसमें ये दो margin की आवश्‍यकता रहती है और तब मैं जानता हूं कि कितना कठिन काम होता जा रहा है संसद के अंदर सांसद की बात का कितना महत्‍व बढ़ता जा रहा है इसका अंदाजा आ रहा है।

मैं समझता हूं कि SRI का ये जो प्रयास है, ये प्रयास, ये बात हम मानकर चलें कि अगर हमें नींद नहीं आती है तो five star hotel का कमरा book कर करके जाने से नींद आएगी तो उसकी कोई गारंटी नहीं है। हमारे अपने साथ जुड़ा हुआ विषय है उसको हमने ही तैयार करना पड़ेगा। उसी प्रकार से ताई जी कितनी ही व्‍यवस्‍था क्‍यों न करें, कितने विद्वान लोगों को यहां क्‍यों न ले आए, कितने ही घंटे क्‍यों न बीतें, लेकिन जब तक हम उस मिजाज में अपने-आपको सज्ज करने के लिए अपने-आपको तैयार नहीं होंगे तो ये तो व्‍यवस्‍थाएं तो होंगी हम उससे लाभान्वित नहीं होंगे। और अगर खुले मन से हम चले जाएं अपने सारे विचार जो हैं जब उस कार्यक्रम के अंदर हिस्‍सा लें पल भर के लिए भूल जाएं कि मैं इस विषय को zero से शुरू करता हूं। तो आप देखना कि हम चीजों को नए तरीके से देखना शुरू करेंगे। लेकिन हमारे पहले से बने-बनाए विचारों का सम्‍पुट होगा। फिर कितनी ही बारिश आए साहब हम भीगेंगे नहीं कभी। raincoat पहन करके कैसे भीग पाओगे भाई। और इसलिए खुले मन से विचारों को सुनना, विचारों को जानना और उसे समझने का प्रयास करना यही विचार की धार को पनपाता है। सिर्फ information का doze मिलता रहे इससे विचारों की धार नहीं निकलती। ये भी एक अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है।

दूसरी बात है जिस प्रकार से विषय की बारीकी की आवश्‍यकता है मैं समझता हूं कि SRI के माध्‍यम से उन विषयों का...जिन बातों कि चर्चा होती है उसका पिछले 50-60 साल का इतिहास क्या रहा है, हमारी संसद का या देश का? आखिरकार किस background में ये चीज आई है, दूसरा, आज ये निर्णय का वैश्विक परिवेश में क्या संदर्भ है? और तीसरा ये आवश्यक है तो क्यों है? आवश्यक नहीं है तो क्यों है? दोनों पहलू उतने ही सटीक तरीके से अगर आते हैं, तब जो सदस्य हैं, उन सदस्यों का confidence level बहुत बढ़ जायेगा। उसको लगेगा हाँ जी.. मुझे ये ये ये लाभ होने वाला है। इसके कारण मेरा ये फायदा होने वाला है। और मैं मेरे देश को ये contribute करूँगा। बोलने के लिए अच्छा material, ये संसद के काम के लिए enough नहीं है। एक अच्छे वक्ता बन सकते हैं, धारदार बोल सकते हैं, बढ़िया भाषण की तालियाँ भी बज सकतीं हैं, लेकिन contribution नहीं होता है।

मुझे, मेरी उत्सुकता से ही इन चीजों में थोड़ी रुचि थी। मेरे जीवन में मुझे कभी इस क्षेत्र में आना पड़ेगा ऐसा कभी सोचा न था और न ही ऐसी मेरी कोई योजना थी। संगठन के नाते राजनीति में काम करता था। लेकिन जब आजादी के 50 साल मनाये जा रहे थे, तो यहाँ तीन दिवसीय एक विशेष सत्र बुलाया गया था, तो मैं उस समय specially दिल्ली आया था। और हमारे पार्टी के सांसदों से pass निकलवा करके, मैं संसद में जा कर बैठता था। सुनने के लिए जाता था। तो करीब-करीब मैं पूरा समय बैठा था। और मन बड़ी एक जिज्ञासा थी कि देश जो लोग चलाते हैं, इनके एक–एक शब्द की कितनी ताकत होती है, कितनी पीड़ा भी होती है, कितनी अपेक्षाएं होती हैं, कितना आक्रोश होता है, ये सारी चीजें मैं उस समय अनुभव करता था। एक जिज्ञासु के रूप में आता था, एक विद्यार्थी के रूप में आता था।

आज मैं भी कल्पना कर सकता हूँ कि देश हमसे भी उसी प्रकार कि अपेक्षा करता है। उन अपेक्षाओं को पूर्ण करने के लिए SRI के माध्यम से, वैसे श्री(SRI) अपने आप में ज्ञान का स्त्रोत है, तो वो उपलब्ध होता रहेगा।

मैं ताई जी को बहुत बधाई देता हूँ। और जैसा कहा... आप में से बहुत कम लोगों ने Oxford Debate के विषय में जाना होगा, Oxford Debate...उस चर्चा का वैसे बड़ा महत्व है वहां Oxford Debate की चर्चा का एक महत्व है, इस बार हमारे शशि जी वहां थे और Oxford Debate में जो बोला है, इन दिनों YouTube पर बड़ा viral हुआ है। उसमे भारत के नागरिक का जो भाव है, उसकी अभिव्यक्ति बहुत है। उसके कारण लोगों का भाव उसमे जुड़ा हुआ है। यही दिखता है कि सही जगह पर हम क्या छोड़ कर आते हैं, वो एक दम उसकी ताकत बन जाती है। मौके का भी महत्व होता है। वरना वही बात कही और जा कर कहें तो, बैठता नहीं है... उस समय हम किस प्रकार चीज को कैसे लाते हैं और वहां जो लोग हैं उस समय उसको receive करने के लिए उनका दिमाग कैसा होगा, तब जा कर वो चीज turning point बन जाती है। जिस समय लोकमान्य तिलक जी ने कहा होगा “स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है” मैं नहीं मानता हूँ कि copywriter ने ऐसा sentence बना कर दिया होगा और न ही उन्होंने सोचा होगा कि मैं क्या कह रहा हूँ...भीतर से आवाज निकली होगी, जो आज भी गूंजती रहती है।

और इसलिए ये ज्ञान का सागर भी, जब हम अकेले में हों तब, अगर हमें मंथन करने के लिए मजबूर नहीं करता है, भीतर एक विचारों का तूफ़ान नहीं चलता रहता, और निरंतर नहीं चलता रहता..अमृत बिंदू के निकलने की संभावनाएं बहुत कम होती हैं। और इसलिए ये जो ज्ञान का सागर उपलब्ध होने वाला है, उसमे से उन मोतियों को पकड़ना और मोतियों को पकड़ कर के उसको माला के रूप में पिरो कर के ले आना और फिर भारत माँ के चरणों में उन शब्दों कि माला को जोड़ना, आप देखिये कैसे भारत माता एक दम से दैदीप्यमान हो जाती हैं, इस भाव को लेकर हम चलते हैं, तो ये व्यवस्था अपने आप में उपकारक होगी।

फिर एक बार मैं ताई जी को हृदय से अभिनन्दन करता हूं और मुझे विश्वास है कि न सिर्फ नए लोग एक और मेरा सुझाव है पुराने जो सांसद रहे है उनका भी कभी लाभ लेना चाहिये, दल कोई भी हो। उनका भी लाभ लेना चाहिये कि उस समय क्या था कैसे था, अब आयु बड़ी हो गयी होगी लेकिन उनके पास बहुत सारी ऐसी चीज़ें होंगी, हो सकता है कि इसमें वो क्योंकि background information बहुत बड़ा काम करती है तो उनको जोड़ना चाहिये और कभी कभार सदन के बाहर इस SRI के माध्यम से, आपके जो regular student बने हैं उनकी बात है ये उनका भी कभी वक्तव्य स्पर्धा का कार्यक्रम हो सकता है विषय पर बोलने कि स्पर्धा का काम हो सकता है और सीमित समय में, 60 मिनट में बोलना कठिन नहीं होता है लेकिन 6 मिनट बोलना काफी कठिन होता है विनोबा जी हमेशा कहते थे कि उपवास रखना मुश्किल नहीं है लेकिन संयमित भोजन करना बड़ा मुश्किल होता है वैसे ही 60 मिनट बोलना कठिन काम नहीं है लेकिन 6 मिनट बोलना मुश्किल होता है ये अगर उसका हिस्सा बने तो हो सकता है उसका बहुत बड़ा उपकार होगा। दूसरा उन को सचमुच में trained करना trained करना मतलब बहुत सी चीज़ें आती है, information देना, चर्चा करना, विषय को समझाना ये एक पहलू है लेकिन हमे उसको इस प्रकार से तैयार करना है तो हो सकता है कि एक प्रकार से उनकी बातों को एक बार दुबारा उनको देखने कि आदत डाली जाये कभी कभार हमे लगता है, हम भाषण दे कर के बैठते हैं तो लगता है कि वाह क्या बढ़िया बोला है लेकिन जब हम ही हमारा भाषण पढ़ते हैं एक हफ्ते के बाद तो ध्यान में आता है कि यार एक ही चीज़ को मैं कितनी बार गुनगुनाता रहता हूँ, ये फालतू मैं क्यों बोल रहा था, ये बेकार में टाइम खराब कर रहा था हम ही देखेंगे तो हम ही अपना भाषण 20 – 30% खुद ही काट देंगे कि यार मैं क्या बेकार में बोल रहा था बहुत कम लोगों को आदत होती है कि वो अपने आपको परीक्षित करते हैं। मैं समझता हूँ कि अगर ये आदतें लगती है तो बहुत सी चीज़ें हमारी एक दम तप करके बाहर निकलती है।

बहुत बहुत धन्यवाद।

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त्रिनिदाद & टोबैगो में भारतीय समुदाय की यात्रा, साहस का प्रतीक है: पीएम मोदी
July 04, 2025
Quoteत्रिनिडाड और टोबैगो में भारतीय समुदाय की यात्रा साहस से भरी है: प्रधानमंत्री
Quoteमुझे यकीन है कि आप सभी ने 500 वर्षों के बाद अयोध्या में राम लला की वापसी का बहुत खुशी के साथ स्वागत किया होगा: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteभारतीय प्रवासी हमारा गौरव हैं: प्रधानमंत्री
Quoteप्रवासी भारतीय दिवस पर, मैंने पूरी दुनिया में गिरमिटिया समुदाय को सम्मानित करने और उनसे जुड़ने के लिए कई पहलों की घोषणा की: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteअंतरिक्ष में भारत की सफलता वैश्विक भावना है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर जी

मंत्रिमंडल के सदस्य,

आज उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्ति,

भारतीय प्रवासी समुदाय के सदस्य,

देवियों और सज्जनों,

नमस्कार!

सीता राम!

जय श्री राम!

क्या आप कुछ याद कर सकते हैं…क्या संयोग है!

आज शाम आप सभी के बीच होना मेरे लिए बहुत गर्व और खुशी की बात है। मैं प्रधानमंत्री कमला जी को उनके शानदार आतिथ्य और सज्जनतापूर्ण शब्दों के लिए धन्यवाद देता हूँ।

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मैं कुछ समय पहले ही ‘गुनगुनाते पक्षियों’ (हमिंग बर्ड्स) की इस खूबसूरत भूमि पर आया हूँ। यहाँ मेरा पहला जुड़ाव भारतीय समुदाय के साथ है। यह पूरी तरह से स्वाभाविक लगता है। आखिरकार, हम एक परिवार का हिस्सा हैं। मैं आपकी गर्मजोशी और स्नेह के लिए आपको धन्यवाद देता हूँ।

मित्रों,

मैं जानता हूँ कि त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय समुदाय की कहानी साहस की गाथा है। आपके पूर्वजों ने जिन परिस्थितियों का सामना किया, वे सबसे मजबूत मनोभावों को भी तोड़ सकती थीं। लेकिन उन्होंने उम्मीद के साथ कठिनाइयों का सामना किया। उन्होंने समस्याओं का डटकर सामना किया।

उन्होंने गंगा और यमुना को पीछे छोड़ दिया, लेकिन अपने दिल में रामायण को ले गए। उन्होंने अपनी भूमि छोड़ दी, लेकिन आत्मा नहीं। वे सिर्फ प्रवासी नहीं थे। वे एक कालातीत सभ्यता के संदेशवाहक थे। उनके योगदान ने इस देश को सांस्कृतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक रूप से लाभान्वित किया है। बस इस खूबसूरत देश पर आप सभी अपने द्वारा छोड़े गये प्रभाव को देखें।

कमला प्रसाद-बिसेसर जी - इस देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में। महामहिम क्रिस्टीन कार्ला कंगालू जी - महिला राष्ट्रपति के रूप में। स्वर्गीय श्री बासदेव पांडे, एक किसान के बेटे, जो प्रधानमंत्री और एक सम्मानित वैश्विक राजनेता बने। प्रख्यात गणितज्ञ रुद्रनाथ कपिलदेव, संगीत आइकन सुंदर पोपो, क्रिकेट के प्रतिभाशाली खिलाड़ी डैरेन गंगा और सेवादास साधु, जिनकी भक्ति ने समुद्र में मंदिर का निर्माण किया। सफल लोगों की सूची लंबी है।

आप, गिरमिटिया के संतान, अब संघर्ष से परिभाषित नहीं होते। आप अपनी सफलता, अपनी सेवा और अपने मूल्यों से परिभाषित होते हैं। ईमानदारी से कहूँ तो "डबल्स" और "दाल पूरी" में कुछ जादुई होना चाहिए - क्योंकि आपने इस महान राष्ट्र की सफलता को दोगुना कर दिया है!

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मित्रों,

जब मैं पिछली बार 25 साल पहले आया था, तो हम सभी ने लारा के कवर ड्राइव और पुल शॉट की प्रशंसा की थी। आज, सुनील नरेन और निकोलस पूरन हैं, जो हमारे युवाओं के दिलों में वही उत्साह जगाते हैं। तब से लेकर अब तक, हमारी मित्रता और प्रगाढ़ हुई है।

बनारस, पटना, कोलकाता, दिल्ली भारत के शहर हो सकते हैं। लेकिन वे यहाँ की सड़कों के नाम भी हैं। नवरात्र, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी यहाँ हर्ष, उल्लास और गर्व के साथ मनाई जाती है। चौताल और बैठक गाना यहाँ आज भी फल-फूल रहे हैं।

मैं कई जाने-पहचाने चेहरों की गर्मजोशी देख सकता हूँ। और मैं युवा पीढ़ी की चमकीली आँखों में जिज्ञासा देख सकता हूँ - जो साथ मिलकर जानने और बढ़ने के प्रति उत्सुक हैं। सच में, हमारे रिश्ते भूगोल और पीढ़ियों से कहीं आगे तक विस्तृत हैं।

मित्रों,

मैं प्रभु श्री राम में आपकी गहरी आस्था को जानता हूँ।

एक सौ अस्सी साल बीतल हो, मन न भुलल हो, भजन राम के, हर दिल में गूंजल हो।

संग्रे ग्रांडे और डाउ गांव की राम-लीलाएं वास्तव में अद्वितीय मानी जाती हैं। श्री रामचरितमानस में कहा गया है,

राम धामदा पुरी सुहावनि।

लोक समस्त बिदित अति पावनि।।

अर्थात प्रभु श्री राम की पवित्र नगरी इतनी सुंदर है कि इसकी महिमा पूरे विश्व में फैली हुई है। मुझे यकीन है कि आप सभी ने 500 वर्षों के बाद अयोध्या में रामलला की वापसी का बहुत खुशी के साथ स्वागत किया होगा।

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हमें याद है, आपने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पवित्र जल और शिलाएं भेजी थीं। मैं भी कुछ ऐसी ही भक्ति भावना लेकर यहां आया हूं। अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिकृति और सरयू नदी से कुछ जल लाना मेरे लिए सम्मान की बात है।

जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि ।

उत्तर दिसि बह सरजू पावनि ।।

जा मज्जन ते बिनहिं प्रयासा ।

मम समीप नर पावहिं बासा ।।

प्रभु श्री राम कहते हैं कि अयोध्या का वैभव पवित्र सरयू से उत्पन्न होता है। जो कोई भी इसके जल में डुबकी लगाता है, उसे स्वयं श्री राम से शाश्वत मिलन प्राप्त होता है।

सरयू जी और पवित्र संगम का ये जल, आस्था का अमृत है। ये वो प्रवाहमान धारा है, जो हमारे मूल्यों को...हमारे संस्कारों को हमेशा जीवंत रखती है।

आप सभी जानते हैं कि इस साल की शुरुआत में दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम, महाकुंभ का आयोजन हुआ था। मुझे महाकुंभ का जल भी अपने साथ लाने का सम्मान मिला है। मैं कमला जी से अनुरोध करता हूं कि वे सरयू नदी और महाकुंभ का पवित्र जल यहां गंगा धारा में अर्पित करें। ये पवित्र जल त्रिनिदाद और टोबैगो के लोगों को आशीर्वाद दें।

मित्रों,

हम अपने प्रवासी समुदाय की शक्ति और समर्थन को बहुत महत्व देते हैं। दुनिया भर में फैले 35 मिलियन से अधिक लोगों के साथ, भारतीय प्रवासी समुदाय हमारे गौरव हैं। जैसा कि मैंने अक्सर कहा है, आप में से प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्रदूत है - भारत के मूल्यों, संस्कृति और विरासत का राजदूत।

इस वर्ष, जब हमने भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस की मेजबानी की, तो महामहिम राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू जी हमारी मुख्य अतिथि थीं। कुछ साल पहले, प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर जी ने अपनी उपस्थिति से हमें सम्मानित किया था।

प्रवासी भारतीय दिवस पर, मैंने दुनिया भर में गिरमिटिया समुदाय को सम्मानित करने और उनसे जुड़ने के लिए कई पहलों की घोषणा की। हम अतीत का मानचित्रण कर रहे हैं और उज्ज्वल भविष्य के लिए लोगों को करीब ला रहे हैं। हम गिरमिटिया समुदाय का एक व्यापक डेटाबेस बनाने पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। भारत में उन गांवों और शहरों का दस्तावेज तैयार करना, जहां से उनके पूर्वज चले गए थे, उन स्थानों की पहचान करना, जहां वे बस गये हैं, गिरमिटिया पूर्वजों की विरासत का अध्ययन और संरक्षण करना तथा विश्व गिरमिटिया सम्मेलनों को नियमित रूप से आयोजित करने के लिए काम करना। इससे त्रिनिदाद और टोबैगो में हमारे भाइयों और बहनों के साथ गहरे और ऐतिहासिक संबंधों को भी समर्थन मिलेगा।

आज, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि अब त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय प्रवासियों की छठी पीढ़ी को ओसीआई कार्ड दिए जाएंगे। आप सिर्फ रक्त या उपनाम से नहीं जुड़े हैं। आप अपनेपन से जुड़े हुए हैं। भारत आपकी ओर देखता है, भारत आपका स्वागत करता है और भारत आपको गले लगाता है।

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दोस्तों,

प्रधानमंत्री कमला जी के पूर्वज बिहार के बक्सर में रहा करते थे। कमला जी वहां जाकर भी आई हैं.... लोग इन्हें बिहार की बेटी मानते हैं।

भारत में लोग प्रधानमंत्री कमला जी को बिहार की बेटी मानते हैं।

यहां उपस्थित अनेक लोगों के पूर्वज बिहार से ही आए थे। बिहार की विरासत... भारत के साथ ही दुनिया का भी गौरव है। लोकतंत्र हो, राजनीति हो, कूटनीति हो, उच्च शिक्षा (हायर एजुकेशन) हो...बिहार ने सदियों पहले दुनिया को ऐसे अनेक विषयों में नई दिशा दिखाई थी। मुझे विश्वास है, 21वीं सदी की दुनिया के लिए भी बिहार की धरती से, नई प्रेरणाएं, नए अवसर निकलेंगे।

कमला जी की तरह यहां कई लोग हैं, जिनकी जड़ें बिहार में हैं। बिहार की विरासत हम सभी के लिए गर्व की बात है।

दोस्तों,

मुझे विश्वास है कि जब भारत आगे बढ़ता है, तो आपमें से हर किसी को गर्व महसूस होता है। नए भारत के लिए आसमान भी सीमा नहीं है। जब भारत का चंद्रयान चंद्रमा पर उतरा, तो आप सभी खुशी से झूम उठे होंगे। जिस स्थान पर यह उतरा, हमने उसका नाम शिव शक्ति बिंदु रखा है।

हाल ही में आपने ये खबर भी सुनी होगी। आज जब हम बात कर रहे हैं, तब भी एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर मौजूद है। अब हम मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन - गगनयान पर काम कर रहे हैं। वह समय दूर नहीं है, जब कोई भारतीय चंद्रमा पर कदम रखेगा और भारत के पास अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन होगा।

हम अब तारों को सिर्फ गिनते नहीं हैं...आदित्य मिशन के रूप में...उनके पास तक जाने का प्रयास करते हैं। हमारे लिए अब चंदा मामा दूर के नहीं हैं। हम अपनी मेहनत से असंभव को भी संभव बना रहे हैं।

अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियाँ सिर्फ हमारी नहीं हैं। हम इसके लाभ बाकी दुनिया के साथ साझा कर रहे हैं।'

मित्रों,

भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। जल्द ही, हम दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जायेंगे। भारत के विकास और प्रगति का लाभ सबसे जरूरतमंद लोगों तक पहुंच रहा है।

भारत ने दिखाया है कि गरीबों को सशक्त करके... ताकत देकर ... गरीबी को हराया जा सकता है। पहली बार करोड़ों लोगों में विश्वास जागा है, कि भारत गरीबी से मुक्त हो सकता है।

विश्व बैंक ने उल्लेख किया है कि भारत ने पिछले दशक में 250 मिलियन से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी से ऊपर उठाया है। भारत का विकास हमारे नवोन्मेषी और ऊर्जावान युवाओं द्वारा संचालित किया जा रहा है।

आज, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब है। इनमें से लगभग आधे स्टार्टअप में निदेशक के रूप में महिलाएं हैं। लगभग 120 स्टार्टअप को यूनिकॉर्न का दर्जा मिला है। एआई, सेमीकंडक्टर और क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए राष्ट्रीय मिशन, विकास के नए इंजन बन रहे हैं। एक तरह से, नवाचार एक जन अभियान बन रहा है।

भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) ने डिजिटल भुगतान में क्रांति ला दी है। दुनिया के वास्तविक समय के लगभग 50% डिजिटल लेनदेन भारत में होते हैं। मैं त्रिनिदाद और टोबैगो को बधाई देता हूँ कि वह इस क्षेत्र में यूपीआई अपनाने वाला पहला देश है। अब पैसे भेजना ‘सुप्रभात’ संदेश भेजने जितना आसान हो जाएगा! और मैं वादा करता हूँ, यह वेस्टइंडीज की गेंदबाजी से भी तेज़ होगा।

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दोस्तों,

हमारा मिशन विनिर्माण भारत को निर्माण हब बनाने के लिए काम कर रहा है। हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल निर्माता बन गए हैं। हम दुनिया को रेलवे इंजन निर्यात कर रहे हैं।

पिछले एक दशक में ही हमारे रक्षा निर्यात में 20 गुनी वृद्धि हुई है। हम सिर्फ़ भारत में बना ही नहीं रहे हैं। हम दुनिया के लिए निर्माण कर रहे हैं। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि यह दुनिया के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी हो।

मित्रों,

आज का भारत, अवसरों की भूमि है। चाहे वह व्यवसाय हो, पर्यटन हो, शिक्षा हो या स्वास्थ्य सेवा हो, भारत के पास देने के लिए बहुत कुछ है।

आपके पूर्वजों ने यहाँ पहुँचने के लिए समुद्र पार करके 100 दिनों से ज़्यादा लंबी और कठिन यात्रा की, - सात समंदर पार! आज, वही यात्रा बस कुछ घंटों में पूरी हो जाती है। मैं आप सभी को सोशल मीडिया पर वर्चुअल रूप में नहीं, बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी भारत आने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ!

अपने पूर्वजों के गाँवों की यात्रा करें। जिस मिट्टी पर वे चले थे, वहाँ चलें। अपने बच्चों को साथ लाएँ, अपने पड़ोसियों को साथ लाएँ। चाय और अच्छी कहानी पसंद करने वाले किसी भी व्यक्ति को साथ लाएँ। हम आप सभी का स्वागत करेंगे - खुले दिल, गर्मजोशी और जलेबी के साथ!

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इन शब्दों के साथ, मैं आप सभी को एक बार फिर से उस प्यार और स्नेह के लिए धन्यवाद देता हूँ, जो आपने मेरे लिए दिखाया है।

मैं विशेष रूप से प्रधानमंत्री कमला जी को मुझे सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए धन्यवाद देता हूँ।

बहुत बहुत धन्यवाद।

नमस्कार!

सीता राम!

जय श्री राम!