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Entire world is now discussing global warming and ways to mitigate it: PM Modi
Two landmark initiatives emerged in #COP21. India & France played key roles in those: PM
International Solar Alliance will impact generations in a big way: PM Modi
US, India, France took initiative of innovation; let is innovate and protect our environment: PM
India expressed keenness on solar alliance. France was very helpful, did everything possible to bring all nations together: PM
Solar alliance to ensure that the world gets more energy: PM Modi

मंच पर वि‍राजमान फ्रांस के राष्‍ट्रपति‍ श्रीमान ओलांद फ्रांस से आए हुए Senior Ministers हरि‍याणा के Governor श्री, मुख्‍यमंत्री श्री, श्रीमान पीयुष गोयल जी फ्रांस का Delegation और वि‍शाल संख्‍या में आए हुए प्‍यारे भाइयों और बहनों!

पि‍छले एक वर्ष से सारी दुनि‍याँ में इस बात की चर्चा थी कि‍ Global Warming के सामने दुनि‍याँ कौन से कदम उठाए कि‍न बातों का संकल्‍प करे? और उसकी पूर्ति‍ के लिए कौन से रास्‍ते अपनाएं? पेरि‍स में होने वाली COP 21 के संबंध में पूरी दुनि‍याँ में एक उत्‍सुकता थी, संबधि‍त सारे लोग अपने-अपने तरीके से उस पर प्रभाव पैदा करने का प्रयास कर रहे थे, और करीब-करीब दो सप्‍ताह तक दुनि‍याँ के सभी देशों ने मि‍ल करके, इन वि‍षयों के जो जानकार लोग हैं वो वि‍श्‍व के सारे वहॉं इकट्ठे आए चर्चाएं की और इस बड़े संकट के सामने मानव जाति‍ की रक्षा कैसे करें, उसके लि‍ए संकल्‍पबद्ध हो करके आगे बढ़े।

COP 21 के नि‍र्णयों के संबंध में तो वि‍श्‍व में भली- भॉंति‍ बातें पहुँची हैं लेकि‍न पेरि‍स की धरती पर एक तरफ जब COP 21 की चर्चाएं चल रहीं थीं तब दो महत्‍त्‍वपूर्ण initiatives लि‍ए गए। इन दोनों महत्‍त्‍वपूर्ण initiatives में भारत और फ्रांस ने बहुत ही महत्‍त्‍वपूर्ण भमि‍का नि‍भाई है एक initiative एक तरफ तो Global Warming की चिन्‍ता है, मानवजाति‍ को पर्यावरण के संकटों से रक्षित करना है और दूसरी तरफ मानवजाति‍ के आवश्‍यकताओं की पूर्ति‍ भी करनी है। जो Developing Countries हैं उन्‍हें अभी वि‍कास की नई ऊँचाइयों को पार करना बाकी है और ऊर्जा के बि‍ना वि‍कास संभव नहीं होता है। एक प्रकार से ऊर्जा वि‍कास यात्रा का अहमपूर्ण अंग बन गयी है। लेकि‍न अगर fossil fuel से ऊर्जा पैदा करते हैं तो Global Warming की चिन्‍ता सताती है और अगर ऊर्जा पैदा नहीं करते हैं तो, न सि‍र्फ अंधेरा छा जाता है जि‍न्‍दगी अंधेरे में डूब जाती है। और ऐसी दुवि‍धा में से दुनियाँ को बचाने का क्‍या रास्‍ता हो सकता है? और तब जा करके अमेरि‍का, फ्रांस भारत तीनों ने मि‍लकरके एक initiative लि‍या है और वो initiative है innovation का। नई खोज हो, नए संसाधन नि‍र्माण हों, हमारे वैज्ञानि‍क, हमारे Technicians हमारे Engineers वो नई चीजें ले करके आएं जोकि‍ पर्यावरण पर प्रभाव पैदा न करती हों। Global Warming से दुनि‍याँ को बचाने का रास्‍ता दि‍खती हों और ऐसे साधनों को वि‍कसि‍त करें जो affordable हो sustainable हो और गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति‍ की पहुँच में हो। तो innovation के लि‍ए एक बहुत बड़ा अभि‍यान चलाने की दि‍शा में अमेरि‍का, फ्रांस और भारत दुनि‍याँ के ऐसी सभी व्‍यवस्‍थाओं को साथ ले करके आगे बढ़ने का बड़ा महत्‍तवपूर्ण निर्णय कि‍या उसको launch कि‍या गया। President Obama, President Hollande और मैं और UN General Secretary और Mr. Bill Gates , हम लोग उस समारोह में मौजूद थे और एक नया initiative प्रारंभ कि‍या। दूसरा एक महत्‍त्‍वपर्ण निर्णय हुआ है जि‍सका आने वाले दसकों तक मानव जीवन पर बड़ा ही प्रभाव रहने वाला है।

दुनि‍याँ में कई प्रकार के संगठन चल रहे हैं। OPEC countries का संगठन है G-20 है G-4 है, SAARC है, European Union है, ASEAN Countries हैं, कई प्रकार के संगठन दुनि‍याँ में बने हुए हैं। भारत ने एक वि‍चार रखा वि‍श्‍व के सामने कि‍ अगर Petroleum पैदावार करने वाले देश इकट्ठे हो सकते हैं, African countries एक हो सकते हैं, European Countries एक हो सकते हैं, क्‍यों न दुनि‍याँ में ऐसे देशों का संगठन खड़ा कि‍या जाए जि‍न देशों ने 300 दि‍वस से ज्‍यादा वर्ष में सूर्य का प्रकाश प्राप्‍त होता है।

ये सूर्य, ये बहुत बड़ी शक्‍ति‍ का स्रोत है सारे जीवन को चलाने में, सृष्‍टि‍ को चलाने में सूर्य की अहम् भूमि‍का है। क्‍यों न हम उसको एक ताकत के रूप में स्‍वीकार करके वि‍श्‍व कल्‍याण का रास्‍ता खोजें। 300 से अधि‍क दि‍वस, सूर्य का लाभ मि‍लता है ऐसे दुनि‍या में करीब-करीब 122 देश हैं। और इसलि‍ए वि‍चार आया क्‍यों न हम 122 देशों का जो कि‍ सूर्य शक्‍ति‍ से प्रभावि‍त हैं उनका एक संगठन गढ़ें। भारत ने इच्‍छा प्रकट की फ्रांस के राष्‍ट्रपति‍ जी ने मेरी पूरी मदद की, हम कंधे से कंधा मि‍लाकरके चले, दुनि‍याँ के देशों का संपर्क कि‍या और नवंबर महीने में पेरि‍स में जब conference चल रही थी, 30 नवंबर को दुनि‍याँ के सभी राष्‍ट्रों के मुखि‍या उस समारोह में मौजूद थे और एक International Solar Alliance इस नाम की संस्‍था का जन्‍म हुआ।

उसमें इस बात का भी निर्णय हुआ कि‍ इसका Global Secretariat ‍हि‍न्‍दुस्‍तान में रहेगा। ये International Solar Alliance इसका Headquarter गुड़गॉंव में बन रहा है। ये हरि‍याणा ‘कुरूक्षेत्र’ की धरती है, गीता का संदेश जहॉं से दि‍या, उस धरती से वि‍श्‍व कल्‍याण का एक नया संदेश इस Solar Alliance के रूप में हम पहुँचा रहे हैं।

बहुत कम लोगों को अंदाज होगा कि‍ आज ये जो घटना घट रही है उसका मानवजाति‍ पर कि‍तना बड़ा प्रभाव पैदा होने वाला है, इस बात को वही लोग समझ सकते हैं जो छोटे-छोटे Island पर बसते हैं, छोटे-छोटे Island Countries हैं और जि‍नके ऊपर ये भय सता रहा है कि‍ समुंदर के अगर पानी की ऊँचाई बढ़ती है तो पता नहीं कब उनका देश डूब जाएगा, पता नहीं वो इस सृष्‍टि‍ से समाप्‍त हो जाएंगे, दि‍न रात इन छोटे-छोटे देशों को चि‍न्‍ता हो रही है। जो देश समुद्र के कि‍नारे पर बसे हैं, उन देशों को चि‍न्‍ता हो रही है कि‍ अगर Global Warming के कारण समुद्र की सतह बढ़ रही है तो पता नहीं हमारे मुम्‍बई का क्‍या होगा, चेन्‍नई का क्‍या होगा? और दुनि‍याँ के ऐसे कई देश होंगे जि‍नके ऐसे बड़े-बड़े स्‍थान जो समु्द्र के कि‍नारे पर हैं उनके भाग्‍य का क्‍या होगा? सारा वि‍श्‍व चि‍न्‍ति‍त है। और मैं पि‍छले एक साल में, ये Island Countries हैं जो छोटे-छोटे उनके बहुत से नेताओं से मि‍ला हूँ, उनकी पीड़ा को मैंने भली-भॉंति‍ समझा है। क्‍या भारत इस कर्तव्‍य को नहीं नि‍भा सकता?

हमारे देश में जीवनदान एक बहुत बड़ा पुण्‍य माना जाता है। आज मैं कह सकता हूँ कि‍ International Solar Alliance उस जीवनदान का पुण्‍य काम करने वाला है, जो आने वाले दशकों के बाद दुनि‍याँ पर उसका प्रभाव पैदा करने वाला है। सारा वि‍श्‍व कहता है कि‍ Temperature कम होना चाहि‍ए, लेकि‍न Temperature कम करने का रास्‍ता भी सूर्य का Temperature ही है। एक ऊर्जा से दूसरी ऊर्जा का संकट मि‍टाया जा सकता है। और इसलि‍ए वि‍श्‍व को ऊर्जा के आवश्‍यकता की पूर्ति‍ भी हो, innovation का काम भी हो और सोलर को ले करके जीवन के क्षेत्र कैसे प्रभावि‍त हों उस दि‍शा में काम करने के लि‍ए बना है।

ये बात सही है कि‍ International Solar Alliance इसका Headquarters हि‍न्‍दुस्‍तान में हो रहा है, गुडगॉंव में हो रहा है, लेकि‍न ये Institution हि‍न्‍दुस्‍तान की Institution नहीं है ये Global Institution है, ये Independent Institution है। जैसे अमेरि‍का में United Nations है, लेकि‍न वो पूरा वि‍श्‍व का है। जैसे WHO है, पूरे वि‍श्‍व का है। वैसे ही ये International Solar Alliance का Headquarter ये पूरे वि‍श्‍व की धरोहर है और ये Independent चलेगा। अलग-अलग देश के लोग इसका नेतृत्‍व करेंगे, अलग-अलग देश के लोग इसकी जि‍म्‍मेदारी संभालेंगे, उसकी एक पद्धति‍ वि‍कसि‍त होगी लेकि‍न आज उसका Secretariat बन रहा है, उस Secretariat के माध्‍यम से इस बात को हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

भारत ने ऊर्जा के क्षेत्र में परंपरागत प्राकृति‍क संसाधनों उपयोग करने का बीड़ा उठाया है। भारत ने जब ये कहा कि‍ हम 175Giga Watt, Renewable Energy की तरफ जाना चाहते हैं, तब दुनि‍याँ के लि‍ए बड़ा अचरज था। भारत में Giga Watt शब्‍द भी नया है, जब हम Mega Watt से आगे सोच भी नहीं पाते थे। हम आज Giga Watt पर सोच रहे हैं और 175 Giga Watt Solar Energy, Wind Energy, Nuclear Energy, Biomass से होने वाली Energy इन सारे स्रोतों को Hydro Energy ये हम उपलब्‍ध कराना चाहते हैं और मुझे खुशी है कि‍ आज भारत 5000 MW से ज्‍यादा solar energy उसने install कर दी। ये इतने कम समय में जो काम हुआ है वो उस commitment का परिणाम है कि क्या भारत मानव जाति के कल्याण के लिए मानव जाति की रक्षा के लिए, प्रकृति की रक्षा के लिए, ये पूरी जो सृष्टि है उस पूरी सृष्टि की रक्षा के लिए, भारत कोई अपना योगदान दे सकता है क्या? उस योगदान को देने के लिए ये बीड़ा उठाया है।

मैं फ्रांस के राष्ट्रपति का हृदय से आभारी हूँ कि इस चिंता के समय में global warming पर्यावरण के मुद्दे इसके समाधान के जो रास्ते है उनकी सोच भारत की सोच से बहुत मिलती जुलती है क्यों कि फ्रांस की values और भारत के values काफी समान है और इसलिए पिछले वर्ष April के महीने में हम दोनों मिले थे तो हमने तय किया था कि हम COP 21 के समय एक किताब निकालेंगे और विश्व के अंदर परंपरागत रूप से इन issues को कैसे देखा गया इस पर research करेंगे। और हम दोनों ने मिल कर के उस किताब की प्रस्तावना लिखी है और विश्व के सामने उन्ही के मूलभूत चिंतन क्या थे ये प्रस्तुत किया।

ये चीजें इसलिए हम कर रहे हैं कि मानव जाति को इस संकट से बचने के जो रस्ते खोजे जा रहे हैं, वो एक सामूहिक रूप से प्रयत्न हो, innovative रूप से प्रयत्न हो और परिणाम वो निकले जो मानव जाति की आवश्यकता है उसकी पूर्ति भी करे लेकिन प्रकृति को कोई नुकसान न हो। हम वो लोग हैं जिनके पूर्वजो ने, इस धरती से हमें प्यार करना सिखाया है। हमें कभी भी प्रकृति का शोषण करने के लिए नहीं सिखाया गया, हमें पौधे में भी परमात्मा होता है यह बचपन से सिखया गया। ये हमारी परंपरा है। अगर ये परंपरा है तो हमें विश्व को उसका लाभ पहुंचे उस दिशा में हमें कुछ कर दिखाना चाहिए और उसी के तहत आज international solar alliance का हम लोगों ने एक Secretariat का आरम्भ कर रहे हैं। और भविष्य में भव्य भवन के रूप में उसका निर्माण हो, एक स्वंत्रत इमारत तैयार हो, उसके लिए शिलन्यास भी कर रहे है और इस काम के लिए आप पधारे इसका मैं बहुत बहुत आभारी हूँ।

मेरे लिए ख़ुशी की बात है कि solar alliance का निर्माण हो रहा हो आज हमें Delhi से यहाँ आना था हम by road भी आ सकते थे, helicopter से भी आ सकते थे, लकिन हम दोनों ने मिलकर तय किया कि अच्छा होगा की हम Metro से चले जाएँ और आज आप के बीच हमें Metro से आने का अवसर मिला।

मैं राष्ट्रपति जी का आभारी हूँ कि उन्होंने आज Metro में आने के लिए सहमति जताई और हम Metro का सफ़र करते करते आपके बीच पहुंचे क्योंकि वो भी एक सन्देश है क्योंकि global warming के सामने लड़ाई लड़ने के जो तरीके हैं उसमें ये भी एक तरीका है। मैं विश्वास करता हूँ कि ये प्रयास बहुत ही सुखद रहेगा। कल भारत प्रजासत्ता पर्व मनाने जा रहा है, इस प्रजसत्ता पर्व की पूर्व संध्या पर मैं देशवासियों को बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूँ और अधिकार और कर्तव्य इन दोनों को संतुलित करते हुए हम देश को आगे बढ़ाएंगे यही मेरी शुभकामना है।

बहुत बहुत धन्यवाद्।

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India of the 21st century is moving forward with a very clear roadmap for climate change and environmental protection: PM Modi
June 05, 2023
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“On one hand, we have banned single-use plastic while on the other hand, plastic waste processing has been made mandatory”
“India of the 21st century is moving forward with a very clear roadmap for climate change and environmental protection”
“In the last 9 years, the number of wetlands and Ramsar sites in India has increased almost 3 times as compared to earlier”
“Every country in the world should think above vested interests for protection of world climate”
“There is nature as well as progress in the thousands of years old culture of India,”
“The basic principle of Mission LiFE is changing your nature to change the world”
“This consciousness towards climate change is not limited to India only, the global support for the initiative is increasing all over the world”
“Every step taken towards Mission LiFE will become a strong shield for the environment in the times to come

नमस्कार।

विश्व पर्यावरण दिवस पर आप सभी को, देश और दुनिया को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। इस वर्ष के पर्यावरण दिवस की थीम- सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्ति का अभियान है। और मुझे खुशी है कि जो बात विश्व आज कर रहा है, उस पर भारत पिछले 4-5 साल से लगातार काम कर रहा है। 2018 में ही भारत ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्ति के लिए दो स्तर पर काम शुरु कर दिया था। हमने एक तरफ, सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगाया और दूसरी तरफ Plastic Waste Processing को अनिवार्य किया गया। इस वजह से भारत में करीब 30 लाख टन प्लास्टिक पैकेजिंग की रीसाइकिल कंपलसरी हुई है। ये भारत में पैदा होने वाले कुल सालाना प्लास्टिक वेस्ट का 75 परसेंट है। और आज इसके दायरे में लगभग 10 हज़ार प्रोड्यूसर्स, इंपोर्टर और Brand Owners आ चुके हैं।

साथियों,

आज 21वीं सदी का भारत, क्लाइमेट चेंज और पर्यावरण की रक्षा के लिए बहुत स्पष्ट रोडमैप लेकर चल रहा है। भारत ने Present Requirements और Future Vision का एक Balance बनाया है। हमने एक तरफ गरीब से गरीब को ज़रूरी मदद दी, उसकी आवश्यकताओं को पूर्ण करने का भरसक प्रयास किया, तो दूसरी तरफ भविष्य की ऊर्जा ज़रूरतों को देखते हुए बड़े कदम भी उठाए हैं।

बीते 9 वर्षों के दौरान भारत ने ग्रीन और क्लीन एनर्जी पर अभूतपूर्व फोकस किया है। सोलर पावर हो, LED बल्बों की ज्यादा से ज्यादा घरों में पहुँच बने, जिसने देश के लोगों के, हमारे गरीब और मध्यम वर्ग के पैसे भी बचाए हैं और पर्यावरण की भी रक्षा की है। बिजली का बिल निरंतर कम हुआ है। भारत की लीडरशिप को दुनिया ने इस वैश्विक महामारी के दौरान भी देखा है। इसी Global Pandemic के दौरान भारत ने मिशन ग्रीन हाइड्रोजन शुरु किया है। इसी Global Pandemic के दौरान भारत ने मिट्टी और पानी को केमिकल फर्टिलाइज़र से बचाने के लिए प्राकृतिक खेती नैचुरल फार्मिंग की तरफ बड़े कदम उठाए।

भाइयों और बहनों,

ग्रीन फ्यूचर, ग्रीन इकॉनॉमी के अभियान को जारी रखते हुए, आज दो और योजनाओं की शुरुआत हुई है। बीते 9 सालों में भारत में वेटलैंड्स की, रामसर साइट्स की संख्या में पहले की तुलना में लगभग 3 गुणा बढ़ोतरी हुई है। आज अमृत धरोहर योजना की शुरुआत हुई है। इस योजना के माध्यम से इन रामसर साइट्स का संरक्षण जनभागीदारी से सुनिश्चित होगा। भविष्य में ये रामसर साइट्स इको-टूरिज्म का सेंटर बनेंगी और हज़ारों लोगों के लिए Green Jobs का माध्यम बनेंगी। दूसरी योजना देश की लंबी कोस्टलाइन और वहां रहने वाली आबादी से जुड़ी है। 'मिष्ठी योजना' के माध्यम से देश का मैंग्रूव इकोसिस्टम रिवाइव भी होगा, सुरक्षित भी रहेगा। इससे देश के 9 राज्यों में मैंग्रूव कवर को restore किया जाएगा। इससे समंदर का स्तर बढ़ने और साइक्लोन जैसी आपदाओं से तटीय इलाकों में जीवन और आजीविका के संकट को कम करने में मदद मिलेगी।

साथियों,

World Climate के Protection के लिए ये बहुत जरूरी है कि दुनिया का हर देश निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर सोचे। लंबे समय तक दुनिया के बड़े और आधुनिक देशों में विकास का जो मॉडल बना, वो बहुत विरोधाभासी है। इस विकास मॉडल में पर्यावरण को लेकर बस ये सोच थी कि पहले हम अपने देश का विकास कर लें, फिर बाद में पर्यावरण की भी चिंता करेंगे। इससे ऐसे देशों ने विकास के लक्ष्य तो हासिल कर लिए, लेकिन पूरे विश्व के पर्यावरण को उनके विकसित होने की कीमत चुकानी पड़ी। आज भी दुनिया के विकासशील और गरीब देश, कुछ विकसित देशों की गलत नीतियों का नुकसान उठा रहे हैं। दशकों-दशक तक कुछ विकसित देशों के इस रवैये को न कोई टोकने वाला था, न कोई रोकने वाला था, कोई देश नहीं था। मुझे खुशी है कि आज भारत ने ऐसे हर देश के सामने Climate Justice का सवाल उठाया है।

साथियों,

भारत की हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति के दर्शन में ही प्रकृति भी है और प्रगति भी है। इसी प्रेरणा से आज भारत, इकॉनॉमी पर जितना जोर लगाता है, उतना ही ध्यान इकॉलॉजी पर भी देता है। भारत आज अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व इंवेस्ट कर रहा है, तो Environment पर भी उतना ही फोकस है। अगर एक तरफ भारत ने 4G और 5G कनेक्टिविटी का विस्तार किया, तो दूसरी तरफ अपने forest cover को भी बढ़ाया है। एक तरफ भारत ने गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनाए तो वहीं भारत में WildLife और WildLife Sanctuaries की संख्या में भी रिकॉर्ड वृद्धि की। भारत आज एक तरफ जल जीवन मिशन चला रहा है, तो दूसरी तरफ हमने Water Security के लिए 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर तैयार किए है। आज एक तरफ भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है तो वो रीन्यूएबल एनर्जी में टॉप-5 देशों में भी शामिल हुआ है। आज एक तरफ भारत एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट बढ़ा रहा है, तो वहीं पेट्रोल में 20 परसेंट इथेनॉल ब्लेंडिंग के लिए भी अभियान चला रहा है। आज एक तरफ भारत Coalition for Disaster Resilient Infrastructure- CDRI जैसे संगठनों का आधार बना है तो वहीं भारत ने International Big Cat Alliance की भी घोषणा की है। ये Big Cats के संरक्षण की दिशा में बहुत बड़ा कदम है।

साथियों,

मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बहुत सुखद है कि मिशन LiFE यानि Lifestyle for environment आज पूरे विश्व में एक Public Movement, एक जनआंदोलन बनता जा रहा है। मैंने जब पिछले वर्ष गुजरात के केवड़िया- एकता नगर में मिशन लाइफ को लॉन्च किया था, तो लोगों में एक कौतुहल था। आज ये मिशन, क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए लाइफस्टाइल में परिवर्तन को लेकर एक नई चेतना का संचार कर रहा है। महीना भर पहले ही मिशन LiFE को लेकर एक कैंपेन भी शुरु किया गया। मुझे बताया गया है कि 30 दिन से भी कम समय में इसमें करीब-करीब 2 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। Giving Life to My City, इस भावना के साथ, कहीं रैलियां निकलीं, कहीं क्विज़ कंपीटीशन हुए। लाखों स्कूली बच्चे, उनके शिक्षक, इको-क्लब के माध्यम से इस अभियान से जुड़े। लाखों साथियों ने Reduce, Reuse, Recycle का मंत्र अपने रोज़मर्रा के जीवन में अपनाया है। बदले स्वभाव तो विश्व में बदलाव, यही मिशन लाइफ का मूल सिद्धांत है। मिशन लाइफ, हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए, पूरी मानवता के उज्ज्वल भविष्य के लिए उतना ही जरूरी है।

साथियों,

ये चेतना सिर्फ देश तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में भारत की इस पहल को लेकर समर्थन बढ़ रहा है। पिछले वर्ष पर्यावरण दिवस पर मैंने विश्व समुदाय से एक और आग्रह किया था। आग्रह ये था कि व्यक्तियों और कम्यूनिटी में climate friendly behavioral change लाने के लिए इनोवेटिव समाधान शेयर करें। ऐसे समाधान, जो measurable हों, scalable हों। ये बहुत खुशी की बात है कि दुनिया भर के लगभग 70 देशों के हज़ारों साथियों ने अपने विचार साझा किए। इनमें स्टूडेंट्स हैं, रिसर्चर हैं, अलग-अलग डोमेन से जुड़े एक्सपर्ट हैं, प्रोफेशनल्स हैं, NGOs हैं और सामान्य नागरिक भी हैं। इनमें से कुछ विशिष्ठ साथियों के आइडियाज़ को थोड़ी देर पहले पुरस्कृत भी किया गया है। मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

मिशन LiFE की तरफ उठा हर कदम और वही आने वाले समय में पूरे विश्व में पर्यावरण का मजबूत कवच बनेगा। LiFE के लिए थॉट लीडरशिप का संग्रह भी आज जारी किया गया है। मुझे विश्वास है कि ऐसे प्रयासों से ग्रीन ग्रोथ का हमारा प्रण और सशक्त होगा। एक बार फिर सभी को पर्यावरण दिवस की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ, हृदय से बहुत-बहुत मंगलकामना।

धन्यवाद!