Published By : Admin |
February 16, 2019 | 10:45 IST
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2022 ರ ಹೊತ್ತಿಗೆ ವಸತಿ ಇಲ್ಲದವರಿಗೆ ಮನೆ ನಿರ್ಮಿಸಲು ಸರಕಾರ ಬದ್ಧವಾಗಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ
ಪುಲ್ವಾಮಾ ದಾಳಿಯ ಅಪರಾಧಿಗಳು ಭಾರಿ ಬೆಲೆ ಪಾವತಿಸಲಿದ್ದಾರೆ : ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ
ಯವತ್ಮಾಳ್ ನಲ್ಲಿ ಆರಂಭವಾದ ಯೋಜನೆಗಳು ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಗಳನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಲು ಸಹಾಯ ಮಾಡುತ್ತದೆ ಮತ್ತು ಬಡವರ ಸಬಲೀಕರಣಗೊಳಿಸುತ್ತದೆ: ಪ್ರಧಾನಿ
ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿ ಶ್ರೀ ನರೇಂದ್ರ ಮೋದಿಯವರು ಇಂದು ಮಹಾರಾಷ್ಟ್ರದ ಯವತ್ಮಾಳ್ ಗೆ ಭೇಟಿ ನೀಡಿದರು. ಅವರು ರಾಜ್ಯದಲ್ಲಿ ಅನೇಕ ಯೋಜನೆಗಳನ್ನು ಅನಾವರಣಗೊಳಿಸಿದರು. ಕೇಂದ್ರ ಸಚಿವ ಶ್ರೀ ನಿತಿನ್ ಗಡ್ಕರಿ ಮತ್ತು ಮಹಾರಾಷ್ಟ್ರದ ಮುಖ್ಯಮಂತ್ರಿ ಶ್ರೀ ದೇವೇಂದ್ರ ಫಡ್ನವಿಸ್ ಅವರೂ ಉಪಸ್ಥಿತರಿದ್ದರು.
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ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿಯವರು ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿ ಆವಾಸ್ ಯೋಜನೆಯ (PMAY) ಆಯ್ದ ಫಲಾನುಭವಿಗಳಿಗೆ ಮನೆಯ ಕೀಲಿಗಳನ್ನು ಹಸ್ತಾಂತರಿಸಿದರು. “PMAY ಯೋಜನೆಯಡಿಯಲ್ಲಿ ಯವತ್ಮಾಳ್ ನಲ್ಲಿ ಸುಮಾರು 14500 ಮನೆಗಳನ್ನು ನಿರ್ಮಿಸಲಾಗಿದೆ” ಎಂದು ಹೇಳಿದರು. “2022ರಷ್ಟರಲ್ಲಿ ಸರ್ವರಿಗೂ ವಸತಿ ಎನ್ನುವ ಗುರಿಯನ್ನು ನಾವು ಸಾಧಿಸುತ್ತೇವೆ. ಈ ಕಾಂಕ್ರೀಟ್ ಮನೆಗಳು ಇಲ್ಲಿ ವಾಸಿಸುವ ಜನರಿಗೆ ಧೃಡವಾದ ಕನಸುಗಳಿಗೆ ಕಾರಣವಾಗುತ್ತವೆ”
ಅವರು ಮಹಾರಾಷ್ಟ್ರ ರಾಜ್ಯದ ಗ್ರಾಮೀಣ ಜೀವನಾಧಾರ ಅಭಿಯಾನದಡಿಯಲ್ಲಿ ಮಹಿಳಾ ಎಸ್.ಜಿ.ಜಿ.ಗಳಿಗೆ ಪ್ರಮಾಣಪತ್ರಗಳು / ಚೆಕ್ ಗಳನ್ನು ವಿತರಿಸಿದರು.
ಯವತ್ಮಾಳದ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮವು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಯ ಪಂಚಧರಗಳಾದ ಮಕ್ಕಳಿಗೆ ಶಿಕ್ಷಣ, ಯುವಜನರಿಗೆ ಜೀವನೋಪಾಯ, ಹಿರಿಯ ನಾಗರಿಕರಿಗೆ ಔಷಧ, ರೈತರಿಗೆ ನೀರಾವರಿ ಮತ್ತು ಸಾರ್ವಜನಿಕ ಕುಂದುಕೊರತೆಗಳ ವಿಚಾರಣೆ ಇವುಗಳು ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬರಿಗೂ ಸಿಗುವಂತೆ ಮಾಡುವ ಪ್ರಯತ್ನದ ಮುಂದುವರಿದ ಭಾಗ ಎಂದು ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿಗಳು ಹೇಳಿದರು.
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ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿಯವರು ಒಂದು ಗುಂಡಿಯನ್ನು ಒತ್ತುವ ಮೂಲಕ 500 ಕೋಟಿ ರೂಪಾಯಿ ಮೌಲ್ಯದ ರಸ್ತೆಗಳ ಯೋಜನೆಯ ಶಂಕುಸ್ಥಾಪನೆಯನ್ನು ಮಾಡಿದರು. ಹಮ್ಸಫರ್ ಅಜ್ನಿ (ನಾಗ್ ಪುರ್) – ಪುಣೆ ರೈಲ್ವೆಯ ವಿಡಿಯೋ ಲಿಂಕ್ ಮೂಲಕ ಉದ್ಘಾಟಿಸಿದರು. ಅವರು ಸಂಪರ್ಕವು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಯ ಸಫಲತೆಗೆ ಮತ್ತು ರಸ್ತೆ ಮತ್ತು ರೈಲ್ವೆ ಯೋಜನೆಗಳು ಯವತ್ಮಾಳ ಮತ್ತು ಸುತ್ತಮುತ್ತಲಿನ ಪ್ರದೇಶಗಳ ಒಟ್ಟಾರೆ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಗೆ ಸಹಾಯ ಮಾಡುತ್ತದೆ ಎಂದು ಒತ್ತಿ ಹೇಳಿದರು.
ಸಾರ್ವಜನಿಕ ಸಭೆಯೊಂದರಲ್ಲಿ ಮಾತನಾಡಿದ ಅವರು, “ನಾವು ಪುಲ್ವಾಮಾ ದಾಳಿಯಿಂದಾಗಿ ತೀವ್ರ ದುಃಖದಲ್ಲಿರುವೆವು ಮತ್ತು ಸಂಕಟಕ್ಕೆ ಒಳಗಾಗಿರುವೆವು. ಮಹಾರಾಷ್ಟ್ರದ ಇಬ್ಬರು ಕೆಚ್ಚೆದೆಯ ಪುತ್ರರು ತಮ್ಮ ಜೀವವನ್ನು ದೇಶಕ್ಕಾಗಿ ತ್ಯಾಗ ಮಾಡಿದ್ದಾರೆ. ಅವರ ತ್ಯಾಗವು ವ್ಯರ್ಥವಾಗಿ ಹೋಗುವುದಿಲ್ಲ. ಮುಂದಿನ ಕಾರ್ಯವನ್ನು ನಿರ್ಧರಿಸಲು ಸಮಯ, ಸ್ಥಳ ಮತ್ತು ವಿಧಾನವನ್ನು ಆಯ್ಕೆ ಮಾಡಲು ನಾವು ಭದ್ರತಾ ಪಡೆಗಳಿಗೆ ಸಂಪೂರ್ಣ ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ನೀಡಿರುವೆವು. ನಮ್ಮ ಕನಸು ಸಾಕಾರಗೊಂಡಿದ್ದರೆ ಅಥವಾ ದೇಶವನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಗೊಳಿಸಲು ಸಾಧ್ಯವಾಗುತ್ತಿರುವುದಾದರೆ ಅದಕ್ಕೆ ನಮ್ಮ ಧೀರ ಯೋಧರ ತ್ಯಾಗವೇ ಕಾರಣ”
ಸಿಕ್ಕಲ್ ಜೀವಕೋಶದ ರೋಗದ ಬಗ್ಗೆ ಸಂಶೋಧನೆ ನಡೆಸಲು, ಚಂದ್ರಪುರದಲ್ಲಿ ಸಂಶೋಧನಾ ಕೇಂದ್ರವನ್ನು ನಿರ್ಮಿಸಲಾಗುತ್ತಿದೆ ಎಂದು ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿಯವರು ಹೇಳಿದರು.
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ಈ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ಸಹಸ್ರಕುಂಡ್ ವಸತಿ ಶಾಲೆಯು ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿಯವರಿಂದ ಉದ್ಘಾಟಿಸಲ್ಪಟ್ಟಿತು. ಈ ಶಾಲೆಯ ಕ್ಯಾಂಪಸ್ 15 ಎಕರೆ ಪ್ರದೇಶವಾಗಿದ್ದು ಎಲ್ಲಾ ಆಧುನಿಕ ಸೌಲಭ್ಯಗಳನ್ನು ಹೊಂದಿದೆ. ಬುಡಕಟ್ಟು ಮಕ್ಕಳ ಆಶಯವನ್ನು ಈ ಶಾಲೆಯು ಪೂರ್ಣಗೊಳಿಸುತ್ತದೆ ಎಂದು ಅವರು ಭರವಸೆ ವ್ಯಕ್ತಪಡಿಸಿದರು. ಇದು ಬುಡಕಟ್ಟು ಪ್ರದೇಶಗಳಾದ್ಯಂತ 1000 ಏಕಲವ್ಯ ಮಾದರಿ ಮಾದರಿ ವಸತಿ ಶಾಲೆಗಳನ್ನು ಸ್ಥಾಪಿಸುವ ಅವರ ಉದ್ದೇಶದ ಒಂದು ಭಾಗವಾಗಿದೆ.
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ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿಯವರು ಹೇಳಿದರು “ನಾವು ವಿಶೇಷವಾಗಿ ಜನಧನದಿಂದ ವನಧನ ವರೆಗೆ ಬುಡಕಟ್ಟಿನವರ ಪ್ರಗತಿಗಾಗಿ ವಿಶೇಷವಾಗಿ ಬದ್ಧರಾಗಿರುತ್ತೇವೆ. ಜನಧನವು ಬಡವರ ಆರ್ಥಿಕತೆಗೆ ಸಹಾಯ ಮಾಡಿದರೆ ವನಧನವು ಸಣ್ಣ ಅರಣ್ಯ ಉತ್ಪನ್ನಗಳ ಮೂಲಕ ಬಡವರಿಗೆ ಹೆಚ್ಚುವರಿ ಆದಾಯ ತರುವಲ್ಲಿ ಸಹಾಯ ಮಾಡುತ್ತವೆ. ಸಣ್ಣ ಅರಣ್ಯ ಉತ್ಪನ್ನಗಳಿಗೆ ಬುಡಕಟ್ಟು ಜನರಿಗೆ ಉತ್ತಮ ಆದಾಯ ತರುವಲ್ಲಿ ನೆರವು ನೀಡಲು ನಾವು ವನ್ ಧನ್ ಕೇಂದ್ರಗಳನ್ನು ಸ್ಥಾಪಿಸುತ್ತಿದ್ದೇವೆ ನಾವು ಬಿದಿರನ್ನೂ ಸಹ ಮರ ಎಂದು ಡಿನೋಟಿಫೈ ಮಾಡಿರುವೆವು ಇದರಿಂದ ಬುಡಕಟ್ಟು ಜನರು ಬಿದಿರು ಮತ್ತು ಅದರ ಉತ್ಪನ್ನಗಳಿಂದ ಆದಾಯ ಪಡೆಯಬಹುದು .
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ನಮ್ಮ ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ಸಂಗ್ರಾಮದಲ್ಲಿ ಬುಡಕಟ್ಟು ಜನಾಂಗದ ನಾಯಕರು ಮಾಡಿದ ತ್ಯಾಗವನ್ನು ನೆನಪಿಸಿಕೊಳ್ಳುತ್ತಾ ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿಗಳು ನಾವು ಅವರ ನೆನಪುಗಳನ್ನು ದೇಶದಾದ್ಯಂತ ವಸ್ತುಸಂಗ್ರಹಾಲಯಗಳಲ್ಲಿ ಮತ್ತು ಸ್ಮಾರಕಗಳಲ್ಲಿ ಸಂರಕ್ಷಿಸುತ್ತಿದ್ದೇವೆ ಎಂದು ಹೇಳಿದರು.
कुछ महीने पहले इस क्षेत्र के आदिवासी युवाओं ने एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की थी।
दिल्ली में मुझे इन युवा साथियों से मिलने का अवसर भी मिला था।
उनके परिश्रम, उनके सपनों के बारे में जानकर मुझे यवतमाल-चंद्रपुर की ऊर्जा का सुखद अनुभव हुआ था: PM
मुझे याद है कि पिछली बार जब मैं यहां आया था, तो शेतकरी समाज से लंबा संवाद किया था।
आज ये जानकारी देना चाहता हूं कि हाल के बजट में शेतकरी समाज के साथ-साथ, जो हमारे घुमंतु समाज के लोग हैं, हमारे श्रमिक हैं, इन सभी के लिए बड़ी योजनाओं का ऐलान किया गया है: PM
2017 me 100 bhara tha aaj tak ghar nahi mila ...rent se rahta hu ki aaj nahi kal milenga...mere pass na plot hai na khud ka kuch to koanse logo ko mil raha awas yojana ka fayda..fadwanis sir...hamare gadkri sahab....our bawankule sahab pls dhyan do
Bjp ka bahot Samarthan kiya magar lekin jab mai nagpur me awas yojana me gaya bol rahe wathoda me hai. 600 ka faram lo our 1 bhk 350 sq fit 22 lakh our 2 bhk 35 laha wo bhi 500 sq fit...sharam bech ke khao...gadkari ke p.a ko call kiya bolta hai meeting me hu...badme bat karta modi se jada bizzey hai
India is going to open doors of new possibilities of space for the world: PM Modi
June 28, 2025
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I extend my heartiest congratulations and best wishes to you for hoisting the flag of India in space: PM
Science and Spirituality, both are our Nation’s strength: PM
The success of Chandrayaan mission and your historic journey renew interest in science among the children and youth of the country: PM
We have to take Mission Gaganyaan forward, we have to build our own space station and also land Indian astronauts on the Moon: PM
Your historic journey is the first chapter of success of India's Gaganyaan mission and will give speed and new vigour to our journey of Viksit Bharat: PM
India is going to open doors of new possibilities of space for the world: PM
प्रधानमंत्री: शुभांशु नमस्कार!
शुभांशुशुक्ला: नमस्कार!
प्रधानमंत्री: आप आज मातृभूमि से, भारत भूमि से, सबसे दूर हैं, लेकिन भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है। इस समय बात हम दोनों कर रहे हैं, लेकिन मेरे साथ 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाएं भी हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग शामिल है। अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं ज्यादा समय नहीं ले रहा हूं, तो सबसे पहले तो यह बताइए वहां सब कुशल मंगल है? आपकी तबीयत ठीक है?
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शुभांशुशुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी wishes का और 140 करोड़ मेरे देशवासियों के wishes का, मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं, सुरक्षित हूं। आप सबके आशीर्वाद और प्यार की वजह से… बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत नया एक्सपीरियंस है यह और कहीं ना कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं, जो दर्शाती है कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग हमारे देश में और हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। यह जो मेरी यात्रा है, यह पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 किलोमीटर तक की जो छोटे सी यात्रा है, यह सिर्फ मेरी नहीं है। मुझे लगता है कहीं ना कहीं यह हमारे देश के भी यात्रा है because जब मैं छोटा था, मैं कभी सोच नहीं पाया कि मैं एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का भी मौका देता है। तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व feel कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!
प्रधानमंत्री: शुभ, आप दूर अंतरिक्ष में हैं, जहां ग्रेविटी ना के बराबर है, पर हर भारतीय देख रहा है कि आप कितने डाउन टू अर्थ हैं। आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?
शुभांशुशुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! यह कुछ चीजें मैं अपने देश की खाने की लेकर आया था, जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस और मैं चाहता था कि यह बाकी भी जो मेरे साथी हैं, बाकी देशों से जो आए हैं, वह भी इसका स्वाद लें और चखें, जो भारत का जो rich culinary हमारा जो हेरिटेज है, उसका एक्सपीरियंस लें, तो हम सभी ने बैठकर इसका स्वाद लिया साथ में और सबको बहुत पसंद आया। कुछ लोग कहे कि कब वह नीचे आएंगे और हमारे देश आएं और इनका स्वाद ले सकें हमारे साथ…
प्रधानमंत्री: शुभ, परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है। आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे?
शुभांशुशुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! इस समय तो मेरे पास यह इनफॉरमेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन थोड़ी देर पहले मैं खिड़की से, विंडो से बाहर देख रहा था, तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे और हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं। 16 सूर्य उदय और 16 सनराइज और सनसेट हम देखते हैं ऑर्बिट से और बहुत ही अचंभित कर देने वाला यह पूरा प्रोसेस है। इस परिक्रमा में, इस तेज गति में जिस हम इस समय करीब 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं आपसे बात करते वक्त और यह गति पता नहीं चलती क्योंकि हम तो अंदर हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह गति जरूर दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री: वाह!
शुभांशुशुक्ला: इस समय हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है।
प्रधानमंत्री: अच्छा शुभ अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहले विचार क्या आया आपको?
शुभांशुशुक्ला: प्रधानमंत्री जी, सच में बोलूं तो जब पहली बार हम लोग ऑर्बिट में पहुंचे, अंतरिक्ष में पहुंचे, तो पहला जो व्यू था, वह पृथ्वी का था और पृथ्वी को बाहर से देख के जो पहला ख्याल, वो पहला जो thought मन में आया, वह ये था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है, मतलब बाहर से कोई सीमा रेखा नहीं दिखाई देती, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता। और दूसरी चीज जो बहुत noticeable थी, जब पहली बार भारत को देखा, तो जब हम मैप पर पढ़ते हैं भारत को, हम देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है, हमारा आकार कैसा है, वह मैप पर देखते हैं, लेकिन वह सही नहीं होता है क्योंकि वह एक हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D यानी पेपर पर हम उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य दिखता है, बहुत बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा और जो oneness की फीलिंग है, पृथ्वी की oneness की फीलिंग है, जो हमारा भी मोटो है कि अनेकता में एकता, वह बिल्कुल उसका महत्व ऐसा समझ में आता है बाहर से देखने में कि लगता है कि कोई बॉर्डर एक्जिस्ट ही नहीं करता, कोई राज्य ही नहीं एक्जिस्ट करता, कंट्रीज़ नहीं एक्जिस्ट करती, फाइनली हम सब ह्यूमैनिटी का पार्ट हैं और अर्थ हमारा एक घर है और हम सबके सब उसके सिटीजंस हैं।
प्रधानमंत्री: शुभांशु स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है। लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप रियल सिचुएशन में हैं, सच में अंतरिक्ष में हैं, वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे अडॉप्ट कर रहे हैं?
शुभांशुशुक्ला: यहां पर तो सब कुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग की हमने पिछले पूरे 1 साल में, सारे systems के बारे में मुझे पता था, सारे प्रोसेस के बारे में मुझे पता था, एक्सपेरिमेंट्स के बारे में मुझे पता था। लेकिन यहां आते ही suddenly सब चेंज हो गया, because हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे डिसाइड होती है, पर यहां आने के बाद चूंकि ग्रेविटी माइक्रोग्रेविटी है absent है, तो छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। अभी आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है, नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा और माइक को भी ऐसे जैसे यह छोटी-छोटी चीजें हैं, यानी ऐसे छोड़ भी दूं, तो भी यह ऐसे float करता रहा है। पानी पीना, पैदल चलना, सोना बहुत बड़ा चैलेंज है, आप छत पर सो सकते हैं, आप दीवारों पर सो सकते हैं, आप जमीन पर सो सकते हैं। तो पता सब कुछ होता है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग अच्छी है, लेकिन वातावरण चेंज होता है, तो थोड़ा सा used to होने में एक-दो दिन लगते हैं but फिर ठीक हो जाता है, फिर normal हो जाता है।
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प्रधानमंत्री: शुभ भारत की ताकत साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों हैं। आप अंतरिक्ष यात्रा पर हैं, लेकिन भारत की यात्रा भी चल रही होगी। भीतर में भारत दौड़ता होगा। क्या उस माहौल में मेडिटेशन और माइंडफूलनेस का लाभ भी मिलता है क्या?
शुभांशुशुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बिल्कुल सहमत हूं। मैं कहीं ना कहीं यह मानता हूं कि भारत already दौड़ रहा है और यह मिशन तो केवल एक पहली सीढ़ी है उस एक बड़ी दौड़ का और हम जरूर आगे पहुंच रहे हैं और अंतरिक्ष में हमारे खुद के स्टेशन भी होंगे और बहुत सारे लोग पहुंचेंगे और माइंडफूलनेस का भी बहुत फर्क पड़ता है। बहुत सारी सिचुएशंस ऐसी होती हैं नॉर्मल ट्रेनिंग के दौरान भी या फिर लॉन्च के दौरान भी, जो बहुत स्ट्रेसफुल होती हैं और माइंडफूलनेस से आप अपने आप को उन सिचुएशंस में शांत रख पाते हैं और अपने आप को calm रखते हैं, अपने आप को शांत रखते हैं, तो आप अच्छे डिसीजंस ले पाते हैं। कहते हैं कि दौड़ते हो भोजन कोई भी नहीं कर सकता, तो जितना आप शांत रहेंगे उतना ही आप अच्छे से आप डिसीजन ले पाएंगे। तो I think माइंडफूलनेस का बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है इन चीजों में, तो दोनों चीजें अगर साथ में एक प्रैक्टिस की जाएं, तो ऐसे एक चैलेंजिंग एनवायरमेंट में या चैलेंजिंग वातावरण में मुझे लगता है यह बहुत ही यूज़फुल होंगी और बहुत जल्दी लोगों को adapt करने में मदद करेंगी।
प्रधानमंत्री: आप अंतरिक्ष में कई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट है, जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा?
शुभांशुशुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने 7 यूनिक एक्सपेरिमेंट्स डिजाइन किए हैं, जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर लेकर आया हूं और पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं करने वाला हूं, जो कि आज ही के दिन में शेड्यूल्ड है, वह है Stem Cells के ऊपर, so अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि ग्रेविटी क्योंकि एब्सेंट होती है, तो लोड खत्म हो जाता है, तो मसल लॉस होता है, तो जो मेरा एक्सपेरिमेंट है, वह यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या फिर डिले कर सकते हैं। इसका डायरेक्ट इंप्लीकेशन धरती पर भी है कि जिन लोगों का मसल लॉस होता है, ओल्ड एज की वजह से, उनके ऊपर यह सप्लीमेंट्स यूज़ किए जा सकते हैं। तो मुझे लगता है कि यह डेफिनेटली वहां यूज़ हो सकता है। साथ ही साथ जो दूसरा एक्सपेरिमेंट है, वह Microalgae की ग्रोथ के ऊपर। यह Microalgae बहुत छोटे होते हैं, लेकिन बहुत Nutritious होते हैं, तो अगर हम इनकी ग्रोथ देख सकते हैं यहां पर और ऐसा प्रोसेस ईजाद करें कि यह ज्यादा तादाद में हम इन्हें उगा सके और न्यूट्रिशन हम प्रोवाइड कर सकें, तो कहीं ना कहीं यह फूड सिक्योरिटी के लिए भी बहुत काम आएगा धरती के ऊपर। सबसे बड़ा एडवांटेज जो है स्पेस का, वह यह है कि यह जो प्रोसेस है यहां पर, यह बहुत जल्दी होते हैं। तो हमें महीनों तक या सालों तक वेट करने की जरूरत नहीं होती, तो जो यहां के जो रिजल्ट्स होते हैं वो हम और…
प्रधानमंत्री: शुभांशु चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रूचि पैदा हुई, अंतरिक्ष को explore करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ये ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो यह सोचते हैं, मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे?
शुभांशुशुक्ला: प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा, तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए, हमें आप सबकी जरूरत है, तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए, मैं ये कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है, वो ये होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए, Never Stop Trying. अगर आपने ये मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पर हों, कहीं पर भी हों, लेकिन आप कभी गिव अप नहीं करेंगे, तो सक्सेस चाहे आज आए या कल आए, पर आएगी जरूर।
प्रधानमंत्री: मुझे पक्का विश्वास है कि आपकी ये बातें देश के युवाओं को बहुत ही अच्छी लगेंगी और आप तो मुझे भली-भांति जानते हैं, जब भी किसी से बात होती हैं, तो मैं होमवर्क जरूर देता हूं। हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है, और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशंस में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। मुझे विश्वास है, आप वहां अपने अनुभवों को जरूर रिकॉर्ड कर रहे होंगे।
शुभांशुशुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, बिल्कुल ये पूरे मिशन की ट्रेनिंग लेने के दौरान और एक्सपीरियंस करने के दौरान, जो मुझे lessons मिले हैं, जो मेरी मुझे सीख मिली है, वो सब एक स्पंज की तरह में absorb कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि यह सारी चीजें बहुत वैल्युएबल प्रूव होंगी, बहुत इंपॉर्टेंट होगी हमारे लिए जब मैं वापस आऊंगा और हम इन्हें इफेक्टिवली अपने मिशंस में, इनके lessons अप्लाई कर सकेंगे और जल्दी से जल्दी उन्हें पूरा कर सकेंगे। Because मेरे साथी जो मेरे साथ आए थे, कहीं ना कहीं उन्होंने भी मुझसे पूछा कि हम कब गगनयान पर जा सकते हैं, जो सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने बोला कि जल्द ही। तो मुझे लगता है कि यह सपना बहुत जल्दी पूरा होगा और मेरी तो सीख मुझे यहां मिल रही है, वह मैं वापस आकर, उसको अपने मिशन में पूरी तरह से 100 परसेंट अप्लाई करके उनको जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे।
प्रधानमंत्री: शुभांशु, मुझे पक्का विश्वास है कि आपका ये संदेश एक प्रेरणा देगा और जब हम आपके जाने से पहले मिले थे, आपके परिवारजन के भी दर्शन करने का अवसर मिला था और मैं देख रहा हूं कि आपके परिवारजन भी सभी उतने ही भावुक हैं, उत्साह से भरे हुए हैं। शुभांशु आज मुझे आपसे बात करके बहुत आनंद आया, मैं जानता हूं आपकी जिम्मे बहुत काम है और 28000 किलोमीटर की स्पीड से काम करने हैं आपको, तो मैं ज्यादा समय आपका नहीं लूंगा। आज मैं विश्वास से कह सकता हूं कि ये भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, ये हमारी विकसित भारत की यात्रा को तेज गति और नई मजबूती देगी। भारत दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा। मैं चाहता हूं, कुछ और भी सुनने की इच्छा है, आपके मन में क्योंकि मैं सवाल नहीं पूछना चाहता, आपके मन में जो भाव है, अगर वो आप प्रकट करेंगे, देशवासी सुनेंगे, देश की युवा पीढ़ी सुनेगी, तो मैं भी खुद बहुत आतुर हूं, कुछ और बातें आपसे सुनने के लिए।
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शुभांशुशुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी! यहां यह पूरी जर्नी जो है, यह अंतरिक्ष तक आने की और यहां ट्रेनिंग की और यहां तक पहुंचने की, इसमें बहुत कुछ सीखा है प्रधानमंत्री जी मैंने लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे पर्सनल accomplishment तो एक है ही, लेकिन कहीं ना कहीं मुझे ये लगता है कि यह हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा कलेक्टिव अचीवमेंट है। और मैं हर एक बच्चे को जो यह देख रहा है, हर एक युवा को जो यह देख रहा है, एक मैसेज देना चाहता हूं और वो यह है कि अगर आप कोशिश करते हैं और आप अपना भविष्य बनाते हैं अच्छे से, तो आपका भविष्य अच्छा बनेगा और हमारे देश का भविष्य अच्छा बनेगा और केवल एक बात अपने मन में रखिए, that sky has never the limits ना आपके लिए, ना मेरे लिए और ना भारत के लिए और यह बात हमेशा अगर अपने मन में रखी, तो आप आगे बढ़ेंगे, आप अपना भविष्य उजागर करेंगे और आप हमारे देश का भविष्य उजागर करेंगे और बस मेरा यही मैसेज है प्रधानमंत्री जी और मैं बहुत-बहुत ही भावुक और बहुत ही खुश हूं कि मुझे मौका मिला आज आपसे बात करने का और आप के थ्रू 140 करोड़ देशवासियों से बात करने का, जो यह देख पा रहे हैं, यह जो तिरंगा आप मेरे पीछे देख रहे हैं, यह यहां नहीं था, कल के पहले जब मैं यहां पर आया हूं, तब हमने यह यहां पर पहली बार लगाया है। तो यह बहुत भावुक करता है मुझे और बहुत अच्छा लगता है देखकर कि भारत आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है।
प्रधानमंत्री: शुभांशु, मैं आपको और आपके सभी साथियों को आपके मिशन की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। शुभांशु, हम सबको आपकी वापसी का इंतजार है। अपना ध्यान रखिए, मां भारती का सम्मान बढ़ाते रहिए। अनेक-अनेक शुभकामनाएं, 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं और आपको इस कठोर परिश्रम करके, इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। भारत माता की जय!
शुभांशुशुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, धन्यवाद और सारे 140 करोड़ देशवासियों को धन्यवाद और स्पेस से सबके लिए भारत माता की जय!