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PM Modi speaks at the 10th Annual Convention of the Central Information Commission
RTI is not only about the right to know but also the right to question. This will increase faith in democracy: PM
Govt's 'Digital India' is complimentary to RTI, putting information online brings transparency, which in turn, builds trust: PM
More openness in government will help citizens. In this day and age there is no need for secrecy: PM
Aim of RTI must be to bring about a positive change in governance: PM
The voice of people is supreme in a democracy: PM Narendra Modi

उपस्थित सभी महानुभव,

आज हम सूचना के अधिकार के संबंध में आज 10 वर्ष पूर्ण कर रहे हैं। इस व्‍यवस्‍था में विश्‍वास पैदा करने के लिए इस व्‍यवस्‍था को आगे बढ़ाने में जिन-जिन लोगों ने योगदान दिया है, उन सबको मैं धन्‍यवाद करता हूं और बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

यह बात सही है कि सूचना के अधिकार से सबसे पहली बात सामान्‍य से सामान्‍य व्‍यक्ति को जानने का अधिकार हो, लेकिन वहां सीमित न हो। उसे सत्‍ता को question करने का भी अधिकार हो। और यही लोकतंत्र की बुनियाद है। और हम उस दिशा में जितनी तेज गति से काम करेंगे, उतना लोकतंत्र के प्रति लोगों का विश्‍वास और बढ़ेगा। लोगों की जागरूकता, एक प्रकार से शासन को भी ताकत देती है और न सिर्फ शासन को राष्‍ट्र की भी एक बहुत बड़ी अमानत बनती, है जागरूक समाज का होना। ऐसी कुछ व्‍यवस्‍था होती है, जो इन व्‍यवस्‍थाओं को पनपाती है, पुरस्‍कृत करती है, प्रोत्‍साहित करती है और परिणाम तक पहुंचाती है।

जो जानकारी मिलती है उस हिसाब से कहते हैं कि 1766 में सबसे पहले स्‍वीडन में इसका प्रारंभ हुआ। लिखित रूप में प्रारंभ हुआ। informally तो शायद कई व्‍यवस्‍थाओं में यह चलता होगा। लेकिन यही व्‍यवस्‍था अमेरिका में आते-आते 1966 हो गया। दो सौ साल लगे। कुछ देशों ने कानून पारित किए। लेकिन पारित करने के लागू करने के बीच दो साल का फासला रखा, ताकि लोगों को educate कर पाएं। शासन व्‍यवस्‍था को aware कर सके। और एक mature way में व्‍यवस्‍था विकसित हो। हमारे देश का अनुभव अलग है। हम लोगों ने निर्णय किया और काम करते-करते उसको सुधारते गए, ठीक करते गए और empower करते गए। और यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहेगी तभी जा करके institution और अधिक strengthen होती है और आने वाले दिनों में इसके लिए निरंतर प्रयास होता है।

एक बात निश्‍चित है कि जो Digital India का सपना है वो एक प्रकार से आरटीआई की जो भावना है उसके साथ पूरक है। क्‍योंकि जब चीजें online होने लगती है, तो अपने आप transparency आती है। और शासन और जनता के बीच trust होना चाहिए और trust through transparency होता है। अगर transparency है तो trust आता ही है। और इसलिए Digital India का जो सपना है, वो चीजों को जितना online करते जाएंगे, जितना open करते जाएंगे, सवालिया निशान कम होते जाएंगे। अब अभी पिछले दिनों coal का auction हुआ।

अब हमें मालूम है कि पहले कोयले को ले करके कितना बड़ा तूफान मच गया। कितने बड़े सवाल खड़े हुए। सुप्रीम कोर्ट तक को उसमें involve होना पड़ा। RTI से जुड़े हुए लोग भी इसमें काफी मेहनत करते रहे। अभी इस सरकार के सामने विषय आया, तो हमने सारी चीजें online की, online की इतना ही नहीं, एक बड़े screen पर, एक public place पर जहां कोई भी आसकता है देख सकता है, सारी process देख रहा था। हर शाम को कहां पहुंच इसका पता करता था। मीडिया के लोग भी आ करके बैठते थे। अब इस व्‍यवस्‍था में मैं नहीं मानता हूं कि फिर कभी किसी को RTI की जरूरत पड़ेगी, क्‍योंकि मैं मानता हूं कि जो RTI से मिलने वाला था वो पहले उसके सामने था। अभी हमने FM Radio का Auction किया, वो भी उसी प्रकार से online किया। spectrum का auction किया वो भी उसी प्रकार से किया। और जब auction चल रहा था, online सब लोग आते थे। हफ्ते, दस दिन तक चलता था। मीडिया के लोग भी बैठते थे। और भी लोग बैठते थे। कोई भी व्‍यक्ति उसको कर सकता था।

क्‍यों न हम transparency proactively क्‍यों न करे। किसी को जानने के लिए प्रयास करना पड़े कि किसी को जानकारी सहज रूप से मिले। शासन लोकतंत्र में उसका प्रयास हो रहना चाहिए कि सहज रूप से उसको जानकारी मिलनी चाहिए। हमारे यहां कुछ चीजें तो ऐसी पुरानी घर कर गई थी। धीरे-धीरे उसको बदलने में समय लगता है। अब जैसे आपको कहीं apply करना है और अपने certificate का Xerox देते हैं तो वो मंजूर नहीं होता है। किसी gestated officer या किसी political leader से जब तक ठप्‍पा नहीं मरवाते हो उसको मान्‍यता नहीं मिलती है। अब यह सालों से चल रहा था। हमने आ करके निर्णय किया कि भई नागरिक पर हम भरोसा करे। वो एक बार कहता तो सच मान ले और जब final उसका होगा, तब original certificate ले करके आ जाएगा, देख लेना। और आज वो व्‍यवस्‍था लागू हो गई। कहने का तात्‍पर्य यह है कि हम नागरिक पर भरोसा करके व्‍यवस्‍थाओं को चलाए। नागरिकों पर शक करके हम चीजों को चलाएंगे, तो फिर हम भी अपने आप को कहीं न कहीं छुपाने की कोशिश करते रहेंगे। एक openness, governance में जितना openness आएगा, उतना परिणाम सामान्‍य नागरिक को भी ताकतवर बनाता है।

सरकार का और भी स्‍वभाव बना हुआ है। साइलो में भी काम करना और इतना ही नहीं एक ही कमरे में चार अफसर बैठे हो, बड़ी कोशिश करता है कि बगल वाला फाइल देखें नहीं। अब यह जो secrecy की मानसिकता किसी जमाने में रही होगी, उस समय के कुछ कारण होंगे, लेकिन आज मैं यह नहीं मानता हूं कि इस प्रकार की अवस्‍था रहेगी। अगर खुलापन है, खुली बात है, भई यह चार काम करने है, चर्चा करके करने है। तो मैं समझता हूं कि उसके कारण एक सरलता भी आती है और speed भी आती है। एक-आध चीज की कमी रहती है, तो अपना साथी बताता है कि अरे भई तुम देखो यह पहलू जरा देख लो। तो एकदम से काम में.. कोई जरूर नहीं कि वो फाइल पर लिख करके कहता है, ऐसे बातों में कहता है कि देखो भई यह पहलू देखना पड़ेगा। तो अपने आप सुधार हो जाता है। तो सुधार करने के लिए हमारे मूलभूत स्‍वभाव में भी शासन थे। यह बहुत अपेक्षा रहती है कि उसमें यह बदलाव लाना चाहिए और हम उस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। मुझे विश्‍वास है कि यह प्रयास परिणामकारी होगा।

आज मैं समझता हूं कि RTI की एक सीमा है। वो सीमा यह है कि जिसको जानकारी चाहिए, जानकारी तो मिलती है। कुछ बातें मीडिया को काम आ जाती है। कुछ बातें किसी को न्‍याय तक सीमित रह जाती है। process का पता चलता है। लेकिन अभी भी product का पता नहीं चलता। मैं इस रूप में कह रहा हूं कि मान लीजिए एक Bridge का contract दिया गया, तो RTI वाला पूछेगा तो उसको पता चलेगा फाइल कैसे शुरू हुई, tendering कैसे हुआ, noting क्‍या था, साइट कैसे select हुआ, यह सब चीजें मिलेगी। लेकिन वो Bridge कैसे बना, ठीक बना कि नहीं बना। उसमें कमियां है कि ठीक हुआ, समय पर हुआ कि नहीं हुआ। इन चीजों की तरफ अब ध्‍यान देने का समय आया है। तो हम process पर जितना ध्‍यान देते हैं RTI के द्वारा एक समय वो भी चाहिए कि जब product पर भी उतना ही transparency लाए, तब जा करके बदलाव आता है। वरना वो जानकारियां सिर्फ एक संतोष के लिए होती है। आखिरकर RTI का उपयोग Governance में बदलाव लाने के लिए सबसे पहले होना चाहिए।

और इसलिए जब विजय जी मुझे मिले थे, तो मैंने बातों-बातों में उनको कहा था कि जो लोग हमें सवाल पूछते हैं क्‍या हमने उसका Analysis किया है कि भई रेलवे के संबंध में कितने सवाल आते हैं? Home के संबंध में कितने सवाल आते हैं। फलाने विषय में कितने सवाल आते हैं। Analysis वो department है जहां हजारों की तादाद में सवाल आते हैं। यह department जहां सौ से ज्‍यादा नहीं आते हैं। फिर हमने उसका analysis करना चाहिए यह जो सवाल आते हैं, उसके मूल में कोई policy paralyses तो नहीं है। हम identify कर सकते हैं। अगर हम इस RTI को सिर्फ जवाब देने तक सीमित रखे तो शासन व्‍यवस्‍था को लाभ नहीं होता है। उस नागरिक ने सवाल पूछा है मतलब शासन व्‍यवस्‍था में कहीं न कहीं कोई बात है, जो पूछने की जरूरत पड़ी है। अगर व्‍यवस्‍था इतनी sensitive होती है। और जो सवाल आए उनका हम analysis करते हैं, तो हमें पता चलेगा कि policy matter के कारण यह समस्‍या बार-बार उठ रही है, लोग सवाल पूछ रहे हैं। तो Government को High level पर सोचना चाहिए कि policy matter में क्‍या फर्क लाना चाहिए। एक RTI क्‍या छोटा सा सवाल भी आपको policy बदलने के लिए मजबूर कर सकता है और कभी-कभार वो इतना सटीक बात पूछता है कि ध्‍यान में आता है कि यह तरफ हमारा ध्‍यान नहीं गया। इसलिए Good Governance के लिए RTI कैसे उपयोग में आए, सिर्फ जवाब देने से RTI Good Governance नहीं ला सकता है। वो सिर्फ विवादों के लिए काम आ सकता है। परिस्थिति पलटने के लिए नहीं काम आ सकता है।

दूसरा मैंने सुझाव दिया कि एक तो part यह होता है कि भई policy के कारण, दूसरा होता है person के कारण, कि भई जो व्‍यक्ति वहां बैठा है उसके nature में ही है। इसलिए ऐसी स्थिति पैदा होती है वो जवाब नहीं देता है, ढीलापन रखता है, ऐसे ही चलता है। तो फिर person पर सोचने का सवाल आएगा भई। एक ही person से संबंधित इतने सारे issue क्‍यों खड़े होते हैं, तो कहीं न कहीं कोई कमी होगी, उसको ठीक कैसे किया जाए? उस पर सोचना चाहिए। कहीं पर ऐसा होगा कि जिसे पता चलेगा कि भई लोगों ने सवाल पूछे है लेकिन finance के resource crunch के कारण वो नहीं हो पा रहा है। या कोई काम ऐसा होगा कि जिसके कारण लोकल कोई न कोई व्‍यवस्‍था होगी, जो रूकावटें डाल रही है। जब हम इन सवालों का perfect analysis करें और उसमें से सरकार की कमियां ढूंढे नागरिकों के सवालों में से ही सरकार की कमियां उजागर हो सकती है, व्‍यवस्‍था की कमियां उजागर हो सकती है, process की कमियां उजागर हो सकती है। और उसको ठीक करने के लिए उसमें से हमें एक रास्‍ता भी मिल सकता है। और इसलिए मैं चाहूंगा कि आप जब इस पर डिबेट करने वाले हैं हम RTI को एक Good Governance की ओर जाने का एक साधन के रूप में कैसे इस्‍तेमाल करें? और यह हो सकता है।

मैं इन दिनों एक कार्यक्रम करता हूं भारत सरकार में आने के बाद – प्रगति। एक साथ सभी chief secretaries और सभी secretaries भारत सरकार के और मैं 12-15 issue लेता हूं। और उससे ध्‍यान में आता है। सवाल तो मैं वो लेता हूं किसी नागरिक की चिट्ठी के आधार पर पकड़ता हूं। किसी ने मुझे लिखा कि भई फौजियों को pension में problem है। तो मैंने उस विषय को उठाया। सबको बुलाया, बिठाया, सब वीडियो पर होते हैं मीटिंग नहीं करते हैं। मैं तो एक छोटे कमरे में बैठता हूं। लेकिन उसका कारण बनता है, परिस्थिति आती है तुरंत ध्‍यान में आता है कि भई इस विषय को हैंडल करना पड़ेगा। किसी ने मुझे लिखा भी था post office में 15 दिन बीत गए, 20 दिन बीत गए टपाल नहीं आई थी। मैंने प्रगति में ले लिया, तुरंत पता चला क्‍या कारण था उनका। कहां पर यह slow process चल रहा था।

कहने का तात्‍पर्य यह है कि हम नागरिकों की आवाज को अगर हम महत्‍व दें। जब मैं गुजरात में था तो मैंने एक प‍द्धति बनाई थी। जो MLA सवाल पूछते हैं, मेरा अनुभव है कि MLA यानी जनप्रतिनिधि किसी भी दल का क्‍यों न हो, लेकिन उसकी हर बात को तव्‍वजू देनी चाहिए, महत्‍व देना चाहिए। किसी भी दल का क्‍यों न हो। क्‍योंकि वो अपने क्षेत्र के संबंध में कोई बात बताता है मतलब वो जनहित के लिए ही बताता है, मान करके चलना चाहिए। लेकिन जब House के अंदर जवाब देते हैं, तो by and large मीडिया centric process चलता है। एक प्रकार से House में, कल मीडिया में क्‍या छपेगा, टीवी पर क्‍या दिखेगा, वही dominate करने लग गया है। और इसलिए House में तो हर कोई अपना score settle करने वाला जवाब देता है। अब क्‍या करे मजबूरी हो गई है राजनीति की कि भई दूसरे दिन मीडिया में खबर खराब न आए। तो वो अपना.... और वो कर भी लेता और जीत भी जाता है। वो बात अलग है। लेकिन मैंने एक process शुरू किया था। Assembly सत्र पूरा होने के बाद जितने भी question आते थे। हर department को कहता था हर question का Analysis करो और मुझे action taken रिपोर्ट दो। भले किसी का भी सवाल हो, House में आपने जो भी जवाब दिया ठीक है। अगर उसने कहा है कि भई वहां road नहीं बना है मुझे result चाहिए। और उसके कारण शासन में electives के प्रति एक sensitivity पैदा हुई थी। मैं मानता हूं ऐसी sensitivity RTI के सवालों के साथ हमको जोड़ती है। अगर यह पूरे देश में शासकीय व्‍यवस्‍था में प्रगति में बहुत कुछ कर सकते हैं। और उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं।

एक यह भी बात है कि जब हम RTI की बात करते हैं तो यह मत है कि यह सारा communication जो है, information access करने की जो प्रक्रिया है। वो एक तो transparent होनी चाहिए, Timely होनी चाहिए and Trouble fee होनी चाहिए। यह हम जितना.. क्‍योंकि समय बीतने के बाद अगर हम जानकारी देते हैं तो न वो शासन को सुधारती है और न शासन को accountable बनाती है। फिर स्थिति कि अब क्‍या करे भई, वहां तो भवन बन गया अब वो भवन कैसे तोड़ सकते हैं। क्‍या करे भई वहां तो लोग रहने के लिए आए गए। उनको कैसे निकाल सकते हैं। अगर Timely information देते तो हो सकता है कि गलत निर्णय रूक जाता, तुरंत हम ध्‍यान में आते। और इसलिए transparency भी हो, Timely भी हो, Trouble free भी हो। यह हम बल देंगे, तो हम इस कानून बनाए लेकिन उस कानून का ज्‍यादा अच्‍छे से उपयोग कर सकते। ज्‍यादा अच्‍छा परिणाम ला सकते हैं।

आज मैंने देखा है कि गांव के अंदर.. यह ठीक है हर बात में कुछ मात्रा में कोई न कोई शंका को अशंका का कारण रहता होगा लेकिन larger interest में यह बहुत उपकारक है, बहुत उपयोगी है। मैंने राज्‍य का शासन चलाया इसलिए मुझे मालूम है कि गरीब व्‍यक्ति RTI का कैसे उपयोग करता है। अगर गांव के अंदर किसी ने गलत encroachment कर दिया है और वो बड़ा दबदबा वाला इंसान है तो शासन कुछ कर नहीं पाता है। और एक गरीब आदमी RTI को एक सवाल पूछ देता है, आ जाता है, तो शासन को मजबूर हो करके encroachment हटाना पड़ता है। और जनता की या शासन की जो जमीन है वो खुली करवानी पड़ती है। ऐसे कई उदाहरण मैंने देखे हैं। गांव का भी एक छोटा व्‍यक्ति.. ।

हम जब गुजरात में थे तो एक प्रयोग किया था। और वो गुजरात मॉडल के रूप में जाना जाता था tribal के लिए। हम tribal को सीधे पैसा दे देते थे। और tribal को कहते थे तुम अपनी requirement के अनुसार एक कमिटी योजना बनाए और वो अपना काम हो, क्‍योंकि सरकार योजना बनाती गांधी नगर में बैठके। वो चाहती कि कुंआ खोदेंगे। गांवा वाला कहता है कि मुझे कुंआ नहीं चाहिए, मुझे स्‍कूल चाहिए और हम कुंए के लिए पैसा देते हैं, उसे स्‍कूल चाहिए उसके बजाय हमने गांव वालों को दिया। लेकिन गांव में ग्राम सभा के अंदर उनको सारा ब्‍यौरा देना पड़ता था और बोर्ड पर लिखकर रखना पड़ता था कि हमने इस काम के लिए इतना पैसा लगाया। गांव का सामान्‍य व्‍यक्ति भी पूछ लेता था पंच के प्रधान को कि भई तुम कह रहे हो दो सौ रुपया यहां लगाया, वो चीज तो दिखती नहीं, बताओ। और Transparency आती थी। हम जितना openness लाते हैं, उतनी Transparency की गारंटी बनती है। और इसलिए RTI एक माध्‍यम है Transparency की ओर जाने का, लेकिन At the same time RTI से सीख करके हमने शासन व्‍यवस्‍था में Transparency लाने की आवश्‍यकता है। और मुझे विश्‍वास है कि अगर गलत इरादे से कोई काम नहीं है तो कभी कोइे तकलीफ नहीं होती है, कोई दिक्‍कत नहीं होती है। सही काम सही परिणाम भी देते हैं। और जैसा मैंने कहा सिर्फ process नहीं। हमें आने वाले दिनों में product की quality पर भी ध्‍यान देना पड़ेगा। उसको भी हम किस प्रकार से सोंचे। ताकि हर चीज का हिसाब-किताब देना पड़े। क्‍योंकि जनता के पैसा से चलती है सरकार। सारे निर्माण कार्य होते हैं जनता के पैसों से होते हैं। और जनता सर्वपरि होती है लोकतंत्र में। उसके हितों की चिंता और उस व्‍यवस्‍था को मजबूत करने की दिशा में हम प्रयास करते रहेंगे। तो मैं समझता हूं कि बहुत ही उपकारक होगा।

आज पूरा दिनभर आप लोग बैठने वाले हैं। मुझे विश्‍वास है कि इस बंधन में राज्‍य के भी सभी अधिकारी यहां पर आए हुए हैं। तो उस मंथन में से जो भी अच्‍छे सुझाव आएंगे वो सरकार के ध्‍यान में आएंगे। उसमें से कितना अच्‍छा कर सकते हैं प्रयास जरूर रहेगा, लेकिन हम चाहेंगे कि जनता जितनी ताकतवर बनती है, नागरिक जितना ताकतवर बनता है वो ताकत सचमुच में देश की ही ताकत होती है। उसी को हम बल दें। इसी एक अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्‍यवाद।

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India of the 21st century is moving forward with a very clear roadmap for climate change and environmental protection: PM Modi
June 05, 2023
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“On one hand, we have banned single-use plastic while on the other hand, plastic waste processing has been made mandatory”
“India of the 21st century is moving forward with a very clear roadmap for climate change and environmental protection”
“In the last 9 years, the number of wetlands and Ramsar sites in India has increased almost 3 times as compared to earlier”
“Every country in the world should think above vested interests for protection of world climate”
“There is nature as well as progress in the thousands of years old culture of India,”
“The basic principle of Mission LiFE is changing your nature to change the world”
“This consciousness towards climate change is not limited to India only, the global support for the initiative is increasing all over the world”
“Every step taken towards Mission LiFE will become a strong shield for the environment in the times to come

नमस्कार।

विश्व पर्यावरण दिवस पर आप सभी को, देश और दुनिया को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। इस वर्ष के पर्यावरण दिवस की थीम- सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्ति का अभियान है। और मुझे खुशी है कि जो बात विश्व आज कर रहा है, उस पर भारत पिछले 4-5 साल से लगातार काम कर रहा है। 2018 में ही भारत ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्ति के लिए दो स्तर पर काम शुरु कर दिया था। हमने एक तरफ, सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगाया और दूसरी तरफ Plastic Waste Processing को अनिवार्य किया गया। इस वजह से भारत में करीब 30 लाख टन प्लास्टिक पैकेजिंग की रीसाइकिल कंपलसरी हुई है। ये भारत में पैदा होने वाले कुल सालाना प्लास्टिक वेस्ट का 75 परसेंट है। और आज इसके दायरे में लगभग 10 हज़ार प्रोड्यूसर्स, इंपोर्टर और Brand Owners आ चुके हैं।

साथियों,

आज 21वीं सदी का भारत, क्लाइमेट चेंज और पर्यावरण की रक्षा के लिए बहुत स्पष्ट रोडमैप लेकर चल रहा है। भारत ने Present Requirements और Future Vision का एक Balance बनाया है। हमने एक तरफ गरीब से गरीब को ज़रूरी मदद दी, उसकी आवश्यकताओं को पूर्ण करने का भरसक प्रयास किया, तो दूसरी तरफ भविष्य की ऊर्जा ज़रूरतों को देखते हुए बड़े कदम भी उठाए हैं।

बीते 9 वर्षों के दौरान भारत ने ग्रीन और क्लीन एनर्जी पर अभूतपूर्व फोकस किया है। सोलर पावर हो, LED बल्बों की ज्यादा से ज्यादा घरों में पहुँच बने, जिसने देश के लोगों के, हमारे गरीब और मध्यम वर्ग के पैसे भी बचाए हैं और पर्यावरण की भी रक्षा की है। बिजली का बिल निरंतर कम हुआ है। भारत की लीडरशिप को दुनिया ने इस वैश्विक महामारी के दौरान भी देखा है। इसी Global Pandemic के दौरान भारत ने मिशन ग्रीन हाइड्रोजन शुरु किया है। इसी Global Pandemic के दौरान भारत ने मिट्टी और पानी को केमिकल फर्टिलाइज़र से बचाने के लिए प्राकृतिक खेती नैचुरल फार्मिंग की तरफ बड़े कदम उठाए।

भाइयों और बहनों,

ग्रीन फ्यूचर, ग्रीन इकॉनॉमी के अभियान को जारी रखते हुए, आज दो और योजनाओं की शुरुआत हुई है। बीते 9 सालों में भारत में वेटलैंड्स की, रामसर साइट्स की संख्या में पहले की तुलना में लगभग 3 गुणा बढ़ोतरी हुई है। आज अमृत धरोहर योजना की शुरुआत हुई है। इस योजना के माध्यम से इन रामसर साइट्स का संरक्षण जनभागीदारी से सुनिश्चित होगा। भविष्य में ये रामसर साइट्स इको-टूरिज्म का सेंटर बनेंगी और हज़ारों लोगों के लिए Green Jobs का माध्यम बनेंगी। दूसरी योजना देश की लंबी कोस्टलाइन और वहां रहने वाली आबादी से जुड़ी है। 'मिष्ठी योजना' के माध्यम से देश का मैंग्रूव इकोसिस्टम रिवाइव भी होगा, सुरक्षित भी रहेगा। इससे देश के 9 राज्यों में मैंग्रूव कवर को restore किया जाएगा। इससे समंदर का स्तर बढ़ने और साइक्लोन जैसी आपदाओं से तटीय इलाकों में जीवन और आजीविका के संकट को कम करने में मदद मिलेगी।

साथियों,

World Climate के Protection के लिए ये बहुत जरूरी है कि दुनिया का हर देश निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर सोचे। लंबे समय तक दुनिया के बड़े और आधुनिक देशों में विकास का जो मॉडल बना, वो बहुत विरोधाभासी है। इस विकास मॉडल में पर्यावरण को लेकर बस ये सोच थी कि पहले हम अपने देश का विकास कर लें, फिर बाद में पर्यावरण की भी चिंता करेंगे। इससे ऐसे देशों ने विकास के लक्ष्य तो हासिल कर लिए, लेकिन पूरे विश्व के पर्यावरण को उनके विकसित होने की कीमत चुकानी पड़ी। आज भी दुनिया के विकासशील और गरीब देश, कुछ विकसित देशों की गलत नीतियों का नुकसान उठा रहे हैं। दशकों-दशक तक कुछ विकसित देशों के इस रवैये को न कोई टोकने वाला था, न कोई रोकने वाला था, कोई देश नहीं था। मुझे खुशी है कि आज भारत ने ऐसे हर देश के सामने Climate Justice का सवाल उठाया है।

साथियों,

भारत की हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति के दर्शन में ही प्रकृति भी है और प्रगति भी है। इसी प्रेरणा से आज भारत, इकॉनॉमी पर जितना जोर लगाता है, उतना ही ध्यान इकॉलॉजी पर भी देता है। भारत आज अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व इंवेस्ट कर रहा है, तो Environment पर भी उतना ही फोकस है। अगर एक तरफ भारत ने 4G और 5G कनेक्टिविटी का विस्तार किया, तो दूसरी तरफ अपने forest cover को भी बढ़ाया है। एक तरफ भारत ने गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनाए तो वहीं भारत में WildLife और WildLife Sanctuaries की संख्या में भी रिकॉर्ड वृद्धि की। भारत आज एक तरफ जल जीवन मिशन चला रहा है, तो दूसरी तरफ हमने Water Security के लिए 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर तैयार किए है। आज एक तरफ भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है तो वो रीन्यूएबल एनर्जी में टॉप-5 देशों में भी शामिल हुआ है। आज एक तरफ भारत एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट बढ़ा रहा है, तो वहीं पेट्रोल में 20 परसेंट इथेनॉल ब्लेंडिंग के लिए भी अभियान चला रहा है। आज एक तरफ भारत Coalition for Disaster Resilient Infrastructure- CDRI जैसे संगठनों का आधार बना है तो वहीं भारत ने International Big Cat Alliance की भी घोषणा की है। ये Big Cats के संरक्षण की दिशा में बहुत बड़ा कदम है।

साथियों,

मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बहुत सुखद है कि मिशन LiFE यानि Lifestyle for environment आज पूरे विश्व में एक Public Movement, एक जनआंदोलन बनता जा रहा है। मैंने जब पिछले वर्ष गुजरात के केवड़िया- एकता नगर में मिशन लाइफ को लॉन्च किया था, तो लोगों में एक कौतुहल था। आज ये मिशन, क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए लाइफस्टाइल में परिवर्तन को लेकर एक नई चेतना का संचार कर रहा है। महीना भर पहले ही मिशन LiFE को लेकर एक कैंपेन भी शुरु किया गया। मुझे बताया गया है कि 30 दिन से भी कम समय में इसमें करीब-करीब 2 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। Giving Life to My City, इस भावना के साथ, कहीं रैलियां निकलीं, कहीं क्विज़ कंपीटीशन हुए। लाखों स्कूली बच्चे, उनके शिक्षक, इको-क्लब के माध्यम से इस अभियान से जुड़े। लाखों साथियों ने Reduce, Reuse, Recycle का मंत्र अपने रोज़मर्रा के जीवन में अपनाया है। बदले स्वभाव तो विश्व में बदलाव, यही मिशन लाइफ का मूल सिद्धांत है। मिशन लाइफ, हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए, पूरी मानवता के उज्ज्वल भविष्य के लिए उतना ही जरूरी है।

साथियों,

ये चेतना सिर्फ देश तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में भारत की इस पहल को लेकर समर्थन बढ़ रहा है। पिछले वर्ष पर्यावरण दिवस पर मैंने विश्व समुदाय से एक और आग्रह किया था। आग्रह ये था कि व्यक्तियों और कम्यूनिटी में climate friendly behavioral change लाने के लिए इनोवेटिव समाधान शेयर करें। ऐसे समाधान, जो measurable हों, scalable हों। ये बहुत खुशी की बात है कि दुनिया भर के लगभग 70 देशों के हज़ारों साथियों ने अपने विचार साझा किए। इनमें स्टूडेंट्स हैं, रिसर्चर हैं, अलग-अलग डोमेन से जुड़े एक्सपर्ट हैं, प्रोफेशनल्स हैं, NGOs हैं और सामान्य नागरिक भी हैं। इनमें से कुछ विशिष्ठ साथियों के आइडियाज़ को थोड़ी देर पहले पुरस्कृत भी किया गया है। मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

मिशन LiFE की तरफ उठा हर कदम और वही आने वाले समय में पूरे विश्व में पर्यावरण का मजबूत कवच बनेगा। LiFE के लिए थॉट लीडरशिप का संग्रह भी आज जारी किया गया है। मुझे विश्वास है कि ऐसे प्रयासों से ग्रीन ग्रोथ का हमारा प्रण और सशक्त होगा। एक बार फिर सभी को पर्यावरण दिवस की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ, हृदय से बहुत-बहुत मंगलकामना।

धन्यवाद!