Text of PM's address at the Indian Community Reception at Dubai

Published By : Admin | August 17, 2015 | 23:28 IST
Today I am witnessing 'mini-India' in Dubai: PM
People from all over the world have come here to Dubai. Magnetic power of this place has drawn the world here: PM
There are around 700 flights between India and the UAE but it took 34 years for a PM to visit this Nation: PM
PM Narendra Modi urges audience to give a standing ovation to the Crown Prince of Abu Dhabi
India has been a victim of terrorism for 40 years. Innocent people have lost their lives: PM
Good Taliban, Bad Taliban...Good Terror, Bad Terror...this won't work. A decision has to be taken are you with terrorism or with humanity: PM
Our effort has been to take India to new heights of progress and maintain a strong friendship with our neighbouring countries: PM

दुबई की धरती पर मैं आज मेरे सामने लघु भारत के दर्शन कर रहा हूं। हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने से आए हुए मेरे प्यारे देशवासियों को मैं नमन करता हूं। आप वे लोग हैं, जिन्होंने परिश्रम की पराकाष्ठा करके..कोई दस साल से, कोई पंद्रह साल से, कोई बीस साल से, कोई तीस साल से, रोजी रोटी कमा रहे हैं, लेकिन साथ-साथ भारत के गौरव को भी बढ़ाने में कभी पीछे नहीं रहे। आपके व्यवहार के कारण आपके आचरण के कारण हमेशा भारत गौरव अनुभव करता रहा है। भारत में अगर अधिक बारिश भी हो जाए तो दुबई में बैठा हुआ मेरा हिंदुस्तानी छाता खोल देता है। भारत में कहीं अगर कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए, दुबई में बैठा हुआ मेरा देशवासी चैन से सो नहीं सकता।

जब अटल बिहारी देश के प्रधानमंत्री थे, भारत ने न्यूक्लियर टेस्ट किया था, दुनिया चौंक गई थी, कुछ लोग गुस्से में आए थे और रातों-रात भारत पर sanction लगा दिए गए थे। भारत को आर्थिक मुसीबतों में धकेल दिया गया था.. और तब वाजपेयी जी ने विश्व भर में फैले हुए भारत वासियों को आह्वान किया था, देश की मदद करने के लिए। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि वाजपेयी जी के उस आह्वान पर, हिन्‍दुस्‍तान की तिजोरी भरने में Gulf Countries में जो मजदूरी का काम करते थे, उन मेरे भारतवासियों का सबसे बड़ा योगदान था। इस अर्थ में यहां बसा हुआ हर भारतवासी, एक प्रकार से हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने से जुड़ा हुआ है। पिछली बार जब देश लोकसभा के चुनाव के लिए व्यस्त था, चुनाव नतीजे आ रहे थे, हिन्‍दुस्‍तान ही नहीं, पूरा दुबई नाच रहा था। ये प्यार भारत माता के कल्याण के लिए..मां भारती फिर से एक बार सामर्थ्यवान बने, सशक्त बने, सम्‍पन्‍न बने, समृद्ध बने, ये सपना संजोकर के दिन-रात एक करने वाले आप लोग मेरे सामने बैठे हैं।

भाइयों-बहनों, आज..यहां तो हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने से आए हुए मेरे भाई-बहन बैठे हैं और दुबई, वो सिर्फ लघु भारत ही रहा है ऐसा नहीं है, अब तो दुबई एक लघु विश्व भी बन गया है। दुनिया के सभी देशों के लोग, कम अधिक मात्रा में दुबई में रह रहे हैं। ठंडे से ठंडे प्रदेश के लोग भी इस 40-45 डिग्री तापमान में रहना पसंद करते हैं। क्या ताकत दिखाई होगी इस देश ने, क्या magnetic power पैदा किया होगा विकास के माध्यम से कि पूरा विश्व यहां आकर्षित हो जाता है।

हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने से आए हुए सभी देशवासियों ने अभी दो दिन पूर्व 15 अगस्त, भारत की आज़ादी का पर्व मनाया है। मैं भी आप सब को आज़ादी के पावन पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

यहां केरल से आया हुआ भी समुदाय बहुत बड़ी मात्रा में है। मैं केरल का उल्लेख विशेष रूप से इसलिए कर रहा हूं क्योंकि आज केरल का नववर्ष है। सहोदरकअ एंटे रूदयम निरन्या नववलसरा आशम सफलअ। नमस्कारम्।



हर हफ्ते हिन्‍दुस्‍तान से 700 से भी ज्यादा फ्लाइट यहां आती हैं। दुनिया में किसी एक देश के साथ इतनी बड़ी मात्रा में हवाई आवागमन अगर कहीं है, तो इस इलाके से है। हर हफ्ते 700 से भी अधिक फ्लाइट आती हैं, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री को यहां आने में 34 साल लग गए। कभी-कभी मुझे लगता है कि बहुत सारे ऐसे अच्छे अच्छे काम हैं, जो पूर्व के लोग मेरे लिए बाकी छोड़ करके चले गए हैं और इसलिए बहुत सारे बाकी रहे अच्छे काम करने का मुझे भाग्य मिला है। उन अच्छे कामों में से महत्वपूर्ण अच्छा काम मेरा अबुधाबी आना, मेरा दुबई आना है। जिस प्रकार से..ये मेरी पहली मुलाकात है। इसके पहले कभी मैं धरती के इस भू-भाग पर नहीं आया। ..और 34 साल में प्रधानमंत्री के रूप में कोई आएं, तो किसी को भी, किसी को भी नाराज़गी व्यक्त करने का हक बनता है। हक बनता है कि नहीं बनता है? बनता है कि नहीं बनता है? लेकिन अबुधाबी में His Highness Crown Prince ने, दुबई में His Highness अल मख्तूम जी ने नाराज़गी नहीं दिखाई, इतने प्यार की वर्षा की, इतने प्यार की वर्षा की, मैं उनके इस प्यार को कभी भूल नहीं पाउंगा। जो स्वागत किया, जो सम्मान किया.. His Highness Crown Prince अपने सभी पांचों भाइयों के साथ एयरपोर्ट पर लेने के लिए आए। मेरे प्यारे देशवासियों, ये प्यार, ये सम्मान किसी व्यक्ति को नहीं है। ये सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है। ये भारत की बदली हुई तस्वीर का सम्मान है। भारत जिस प्रकार से दुनिया में अपनी जगह बना रहा है, उस बदले हुए हालात का सम्मान है। मैं His Highness Crown Prince का, अमीरात का, दुबई के Rulers का हृदयपूर्वक बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

एक तरफ संप्रदाय के नाम पर आतंकवाद के खेल खेले जाते हैं। निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। पूर्णतया: चिंता का माहौल हो, ऐसे समय अबुधाबी के His Highness Crown Prince भारतीय समुदाय के लिए मंदिर बनाने के लिए जगह देने का निर्णय करते हैं। जो लोग अबुधाबी से परिचित हैं, उन्हें पता है कि निर्णय कितना बड़ा है, ये सौगात कितनी बड़ी है। आप मुझे बताइए, सभी देशवासियों को उनका विशेष रूप से अभिनंदन करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि तालियों की गूंज से Crown Prince का अभिनंदन कीजिए। Crown Prince को Standing Ovation दीजिए। उनका अभिनंदन कीजिए। मैं हृदय से उनका अभिनंदन करता हूं।

भाइयों-बहनों, दो दिन की मेरी यात्रा में जिस प्रकार का विश्वास का माहौल बना, आखिरकार अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का आधार..आपकी भाषा क्या है, आप कितने articulate हैं, आप diplomatic relation में कितने बढि़या ढंग से मेलजोल करते हैं..उससे भी ज्यादा महत्व होता है, एक दूसरे पर भरोसे का। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में ये भरोसा, ये विश्वास, एक बहुत बड़ी पूंजी होता है ..और आज मैं चंद घंटों की मेरी मुलाकात के बाद कह सकता हूं कि भारत, अबुधाबी, दुबई, अमीरात.. जो विश्वास का सेतू बना है, वो अभूतपूर्व है और आने वाली पीढि़यों तक काम आए, ऐसा foundation तैयार हुआ है।

आज मुझे खुशी हुई कि जब आज भारत और अमीरात के बीच जो Joint Statement आया है, आपको भी खुशी होगी जान करके.. Crown Prince ने हिन्‍दुस्‍तान में साढ़े चार लाख करोड़ रूपए का निवेश करने का संकल्प दोहराया है। साढ़े चार लाख करोड़ रूपया! कितना? कितना? कितना? भाइयों-बहनों, अगर आप पर किसी का भरोसा न हो, तो कोई 10 रूपया भी आप पर लगाने के लिए तैयार होगा क्या? ये भारत की साख बनी है। आज भारत का बदला हुआ रूप विश्‍व के सामने अपनी स्वीकृति बनाता आगे चल रहा है।

आज अमीरात और भारत की तरफ से आतंकवाद के खिलाफ, दो टूक शब्दों में, बिना लाग लपेट और किसी की परवाह किए बिना साफ-साफ शब्‍दों में संकेत दे दिए गए हैं। आतंकवाद के खिलाफ एकता का स्वर आज इस धरती से उठा है। मैं इसे बहुत अहम मानता हूं और इतना ही नहीं..समझने वाले समझ जाएंगे, अक्लमंद को इशारा काफी। आतंकवाद में लिप्त लोगों को सजा होनी चाहिए, ये स्पष्ट शब्दों में संकेत यहां से निकला है। मैं आज यहां के शासकों का इसलिए भी आभारी हूं कि उन्होंने..United Nations जब अपने 70 साल मनाने जा रहा है, तो यहां से कहा गया है और भारत की इस बात का खुला समर्थन किया गया है कि भारत को United Nations की Security Council की Permanent Membership मिलनी चाहिए। मैं आभारी हूं उनका।

इससे भी आगे एक बहुत-बहुत महत्वपूर्ण बात पर..आज भारत की लंबे अर्से से एक position है। उसका आज His Highness Crown Prince ने खुले आम समर्थन घोषित किया। भाइयों-बहनों, कई वर्षों से United Nations में एक Resolution लटका पड़ा है। आपको भी बड़ी हैरानी होगी..और दो-पांच साल से नहीं, कई वर्षों से लटका पड़ा है। क्या.. ? United Nations, जो कि प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध से पीडि़त मानव समुदाय को मरहम लगाने के लिए..आगे मानव जाति को ऐसे संकट झेलने की नौबत न आए, इसके लिए precaution लेने के लिए, व्यवस्थाएं विकसित करने के लिए 70 साल पहले United Nations का जन्म हुआ। लेकिन वह United Nations आतंकवाद की अभी तक परिभाषा नहीं कर पाया। आतंकवादी किसको कहें, आतंकवाद किसको कहें, आतंकवाद को समर्थन करने वाले कौन माना जाए, किस देश को आतंकवाद का समर्थक माना जाएं, किस देश को समर्थक न माना जाए। इसलिए Comprehensive Convention on International Terrorism..इसका निर्णय करने का प्रस्ताव लंबे अर्से से United Nations में लंबित पड़ा हुआ है। भारत ने position ली हैं सालों से किए एक प्रस्ताव पर चर्चा हो जाए, निर्णय होना चाहिए और ये टाला जा रहा है। आज मुझे खुशी इस बात की है कि His Highness Crown Prince ने भारत की स्थिति का समर्थन का किया है, भारत की position का समर्थन किया है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के संबंध में आपने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। न सिर्फ.. साढ़े चार लाख करोड़ का पूंजी निवेश की बात नहीं है ये। ये एक निश्चित दिशा में कंधे से कंधा मिलाकर चलने का एक प्रकार का संकेत, इस Joint Statement में है। मैं इसे बहुत महत्वपूर्ण मानता हूं।

भाइयों-बहनों आप तो सालों से बाहर हैं। आज भारत का नाम सुनते ही आपके सामने खड़े हुए व्यक्ति की आंखों में चमक आती है कि नहीं आती है? आपका माथा गर्व से ऊंचा होता है कि नहीं होता है, आपका सीना गर्व से तन जाता है कि नहीं तन जाता है? एक गर्व महसूस करते हैं कि नहीं करते हैं? भाइयों बहनों आज दुनिया का हिन्‍दुस्‍तान की तरफ देखने का नज़रिया पूरी तरह बदल गया है और उसका एक कारण..क्या कारण है?.. क्या कारण है, ये बदलाव आया है? मोदी के कारण नहीं, ये जो बदलाव आया है, सवा सौ करोड़ देशवासियों की संकल्प शक्ति के कारण आया है। सवा सौ करोड़ देशवासियों ने 2014 मई महीने में 30 साल के बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनी। आज दुनिया का कोई भी महापुरूष, दुनिया का कोई भी राजनेता मोदी से जब हाथ मिलाता है न, तब उसे मोदी नहीं दिखता है। उसे सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानी दिखाई देते हैं। दुनिया की तेज़ गति से बढ़ रही economy दिखाई दे रही है।

भाइयों-बहनों, पिछले दिनों, IMF हो, World Bank हो, Moody हो, विश्व की जितनी भी आर्थिक पैमाने पर Rating Institutions हैं, सब किसी ने एक स्वर से कहा है कि आज दुनिया में बड़े देशों में सबसे तेज गति से अगर आर्थिक सुधार हो रहा है, तेज गति से growth हो रहा है तो उस देश का नाम है.. (दर्शक दीर्घा से भारत-भारत के नारे). मुझे बताइए सीना तन जाएगा कि नहीं तन जाएगा? माथा ऊंचा हो जाएगा कि नहीं होगा कि नहीं होगा। एक साल के भीतर-भीतर ये बदलाव आया है। भाइयों बहनों, हमने मेक इन इंडिया.. कुछ महीने पहले इस अभियान का प्रारंभ किया। दुनिया को मैं कह रहा हूं- मेक इन इंडिया। आइए, हिन्‍दुस्‍तान एक ऐसा देश है जो संभावनाओं से भरा हुआ है, Opportunities ही Opportunities हैं। ये एक ऐसा भाग्‍यशाली देश है, जिसके पास 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 साल से कम उम्र की है। भारत एक नौजवान देश है। आज यहां जवानी लबालब भरी पड़ी है और विश्व वहां आए, हमारे युवकों की शक्ति जुटाए, उत्पादन करे, दुनिया के बाज़ार में जाकर बेचे। और आज..ये कुछ ही महीनों का मामला है.. Foreign Direct Investment..FDI में 48 प्रतिशत वृद्धि हुई है, 48%। भाइयों-बहनों विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए Ease of doing Business का माध्‍यम हो। देश की युवा शक्‍ति में Skill Development का अभियान हो। आधुनिक भारत के निर्माण के लिए डिजिटल इंडिया का सपना साकार करने के लिए दिन-रात पुरुषार्थ चलता हो। तो विश्‍व का आना बहुत स्‍वाभाविक है मेरे भाइयों और बहनों, बहुत स्‍वाभाविक है।

भाइयों-बहनों, आज दुनिया जिस आतंकवाद के नाम सुनते ही कांप उठती हैं, एक नफरत पैदा होती है। मैं दुनिया को कहता हूं हम हिन्‍दुस्‍तान के लोग 40-40 साल से ये आतंकवाद के शिकार हुए हैं। हमारे निर्दोष लोग आतंकवादियों की गोलियों से भून दिए गए हैं, मौत के घाट उतार दिए गए हैं और जब कभी मैं विश्‍व के लोगों के साथ आज से 25-30 साल पहले कभी मुझे बात करने का अवसर मिलता था, तो वे आतंकवाद समझने की उनकी क्षमता ही नहीं थी। कभी मैं आतंकवाद की बात करता था तो वे मुझे कहते थे ये तो आपका Policing का problem है Law and Order का problem है। अब उनको समझ आ गया है कि आतंकवाद का कितना भयंकर रूप होता है। आतंकवाद की कोई सीमाएं नहीं होती है, वो पता नहीं कब किस सीमा पर जाकर आ धमकेगा। आज अभी मैं यहां पहुंच रहा था, मैंने सुना बैंकॉक के अंदर आज एक बम धमाका हुआ, निर्दोष लोगों को मार दिया गया। भारत तो लगातार इन हरकतों को झेलता रहा है और विश्‍व समुदाय जब तक आतंकवाद की मानसिकता वाले देशों को, आतंकवाद को, उसको समर्थन करने वालों को एक ओर, और मानवता में विश्‍वास करने वाले दूसरी ओर, और मानवतावाद में विश्‍वास करने वाले दुनिया के देश एक होकर के आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का वक्‍त आ चुका है।

Good Taliban-Bad Taliban, Good Terrorism- Bad Terrorism ये अब चलने वाला नहीं है। हर किसी को तय करना पड़ेगा कि फैसला करो कि आप आतंकवाद के साथ हो या मानवता के साथ हो, निर्णय करो। भारत को तो आज भी आए दिन इन नापाक हरकतों का शिकार होना पड़ता है। हम समस्‍याओं का समाधान खोजने की दिशा में लगातार कोशिश कर रहे हैं। यहां बहुत कम लोगों को पता होगा कि भारत की आजादी के पहले से नागालैंड में अतिवाद, insurgency इस समस्‍या से नागालैंड जूझता रहा और उसके कारण भारत का पूरा ये पूर्वी हिस्‍सा, नॉर्थ-ईस्‍ट, आए दिन हिंसा का शिकार होता था और धीरे-धीरे वो बीमारी इतनी फैलती गई कि अन्‍य राज्‍यों में भी अलग-अलग नाम से, अलग-अलग अतिवादी, आतंकवादी गुट बनते चले गए। आजादी के भी पहले से चल रहा था।

आज मैं बहुत संतोष के साथ मेरे देशवासियों, आपको कहना चाहता हूं कि अभी एक महीने पहले नागालैंड के इन गुटों के साथ, जो कभी हिंसा में विश्‍वास करते थे, जो शस्‍त्रों को लेकर के गतिविधि चलाते थे। उनसे जो बातचीत चल रही थी, वो सफलतापूर्वक आगे बढ़ी, निर्णय हुआ, मुख्‍य धारा में आने का निर्णय हुआ। 60-70 साल के बाद ये संभव हुआ। मैं नागालैंड की ये घटना का जिक्र इसलिए करना चाहता हूं कि हिंसा के राह पर चले हुए भारत के नौजवानों को और विश्‍व के नौजवानों को मैं एक उदाहरण के रूप में कहना चाहता हूं, समस्‍या कितनी भी गंभीर क्‍यों न हो, आखिर तो बातचीत से ही रास्‍ता निकलता है। कोई 10 साल लड़ाई लड़ने के बाद बात करें, कोई 20 साल लड़ाई लड़ने के बाद करें, कोई 40 साल लड़ाई लड़ने के बाद बात करें, लेकिन आखिर में तो बात ही होती है और टेबल पर ही फैसले होते हैं और इसलिए विश्‍व भर से इस गलत रास्‍ते पर चल पड़ लोग बम-बंदूक के भरोसे, अपने सपनों को साकार करने के रास्‍ते पर चले हुए लोग। ये रास्‍ता कभी आपका भला नहीं करेगा। ये रास्‍ता कभी किसी और का भला नहीं करेगा। ये रास्‍ता कभी मानवता का भला नहीं करेगा। ये रास्‍ता इतिहास को बेदाग नहीं रहने देगा। ये पूरे इतिहास को कलंकित कर देगा, ये पूरे इतिहास को दागदार बना देगा और इसलिए हिंसा का मार्ग छोड़कर के मुख्‍यधारा में जाना, ये आज समय की मांग है।

मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों, बांग्‍लादेश 1947 में भारत का विभाजन हुआ, 1947 में। तब से पूर्व पाकिस्‍तान, पश्‍चिम पाकिस्‍तान थे उस समय। पूर्वी पाकिस्‍तान जो आज बांग्‍लादेश बना, भारत और उनके बीच सीमा का विवाद चल रहा था। तनाव का कारण बना हुआ था। आशंकाओं का कारण बना हुआ था। घुसपैठ के लिए एक सुविधाजनक स्‍थिति बनी हुई थी। आप सब के आशीर्वाद से हिन्‍दुस्‍तान ने बीड़ा उठाया, सबने मिलकर के बीड़ा उठाया। इस समस्‍या का समाधान करना है, बातचीत से करना है। मैं पिछले सितंबर में बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जी से मिला था और मैंने उनको वादा किया था कि मुझ पर भरोसा कीजिए और मुझे थोड़ा समय दीजिए। उन्‍होंने कहा कि मेरे पास भरोसा रखने के सिवाए है भी क्‍या! लेकिन आज, आज मैं मेरे प्‍यारे देशवासियों आपके सामने सर झुकाकर के कहना चाहता हूं कि आजादी से लटका हुआ ये सवाल 1 अगस्‍त को समाप्‍त कर दिया गया है। सीमा निर्धारित हो गई। जिनको बांग्‍लादेश जाना था, बांग्‍लादेश चले गए, जिनको भारत आना था भारत आ गए। हम लोग तो 15 अगस्‍त, 1947 को आजाद हो गए थे। भारत के नागरिक के नाते गौरवगान करने लगे थे। लेकिन ये हमारे भाई-बहन अभी 1 अगस्‍त, 2015 को भारत की भूमि पर आजादी का स्‍वाद लेने का उन्‍हें सौभाग्‍यमान मिला है। भारत की संसद में सर्वसम्‍मति से सभी राजनैतिक दलों ने साथ दिया और सर्वसम्‍मति से फैसला हुआ, बातचीत के माध्‍यम से फैसला हुआ।

ये छोटी-मोटी उपलब्‍धि नहीं है मेरे भाइयों-बहनों। और मैं, औरों को भी हमेशा कहता हूं, अड़ोस-पड़ोस के देशों को भी कहता रहता हूं। जैसे हिंसा के रास्‍ते पर गए हुए लोगों को भी कभी न कभार बातचीत के रास्‍ते पर आना पड़ता है। वैसे अड़ोस-पड़ोस में भी समस्‍याओं का समाधान बातचीत से ही निकलता है।

अंतर्राष्‍ट्रीय संबंधों में आज भारत एक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। मानवता के अधिष्‍ठान पर कर रहा है। जब नेपाल में भूकंप आया चंद घंटों में, ऐसा नहीं है कि भई ज़रा पूछो तो क्‍या हुआ है? जरा जानकारी लो क्‍या हुआ है? ऐसा करो अफसरों का delegation भेजो, देखो ज़रा क्‍या मुसीबत आई है? ऐसा करो भई कोई अपने रिश्‍तेदार वहां हो तो पूछो भई हुआ क्‍या है? ऐसा इंतजार नहीं किया? आज दिल्‍ली में ऐसी सरकार है, जो हर पल नज़र आती है, हर जगह पर नज़र आती है और चंद घंटों में, चंद घंटों में, भारत से जो भी हो सकता था, ये मानवता का काम था। नेपाल के चरणों में जाकर के हमारे लोग बैठ गए और उनकी सेवा में लग गए और आज भी सेवा चालू है। नेपाल हमारा पड़ोसी है। वो दुखी हो और हम सुखी हों, ये कभी संभव नहीं होता है। उसके सुख में भी हमारा सुख समा हुआ है।

श्रीलंका, आपको हैरानी होगी। जब मैं नेपाल गया, प्रधानमंत्री बनने के बाद। नेपाल जाना है, तो 70 मिनट नहीं लगते। दिल्‍ली से नेपाल जाना हो, तो 70 मिनट नहीं लगते। लेकिन भारत के प्रधानमंत्री को नेपाल पहुंचने में 17 साल लग गए। फिर से हम गए, संबंधों को फिर से जोड़ा। अपनापन। आज नेपाल भारत पर भरोसा कर रहा है। भारत नेपाल का सुख-दु:ख का साथी बन रहा है। श्रीलंका, राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे, उसके बाद कोई प्रधानमंत्री की stand alone visit नहीं हुई थी। कितने साल बीत गए। हमारा पड़ोसी है, आए दिन हमारे तमिलनाडु, केरल के मछुआरे और उनके मछुआरे आपस में भिड़ जाते हैं। लेकिन उधर कोई जाता नहीं था। हम गए, इतना ही नहीं। जाफना जहां 20-20 साल तक बम और बंदूक का ही कारोबार चलता था, उस जाफना में जाकर के उन दुखियारों के आंसू पोंछने का काम करने का सौभाग्‍य मुझे मिला। एक प्रधानमंत्री के रूप में जाफना जाने का सौभाग्‍य मुझे मिला।

हमारे पड़ोस में मालदीव, आइलैंड पर बसा हुआ देश, tourism की दृष्‍टि से काफी आगे बढ़ा है। अचानक एक दिन उनके यहां पानी के सारे संयंत्र खराब हो गए। पूरे देश के पास पीने का पानी नहीं था। आप कल्‍पना कर सकते हो, कोई देश के पास पीने का पानी न हो। कितना बड़ा गहरा संकट आया। मालदीव से हमें message आया कि ऐसी मुसीबत आई है। एक पल का इंतज़ार नहीं किया, भाइयों और बहनों। हवाई जहाज से पीने का पानी पहुंचाया मालदीव में। दूसरे दिन स्‍टीमर से पानी पहुंचाना शुरू कर दिया और जब तक उनकी वो मशीन चालू नहीं हुई, पानी की व्‍यवस्‍था दुबारा पुनर्जीवित नहीं हुई, हमने मालदीव को प्‍यासा नहीं रहने दिया।

अफगानिस्‍तान हमारा पड़ोसी है। अफगानिस्‍तान संकटों से गुजर रहा है। लंबे अरसे से आए दिन वो घाव झेलता चला जा रहा है। हर पल अफगानिस्‍तान को मरहम लगाने का काम हिन्‍दुस्‍तान करता आया है। अफगानिस्‍तान फिर से एक बार खड़ा हो जाए, क्‍योंकि हम सब बचपन से काबुलीवाला से तो बहुत परिचित हैं। जब काबुली वाले की बात करते हैं, तो हमें कितना अपनापन महसूस होता है। भाइयों-बहनों हमारी कोशिश रही है भारत को विकास की नई ऊचाइयों पर ले जाना। भारत में निरंतर विकास को आगे बढ़ाना और अपने अड़ोस-पड़ोस के देशों से दोस्‍ती बनाकर करके साथ और सहयोग लेकर करके आगे चल पड़ना।

SAARC देशों का समूह उसमें एक नया प्राण पूरने का प्रयास किया है, सफलतापूर्वक प्रयास किया है। वरना पहले SAARC देशों के मंच का उपयोग तू-तू मैं मैं के लिए होता था, कभी भारत को घेरने के लिए होता था। आज SAARC देशों के लोग, जितने साथ चल सकते हैं, उनको ले करके इन SAARC की इकाई का विकास की ऊंचाइयों पर ले जाने का सपना हमने देखा था। हमने घोषित किया है कि 2016 में हम आकाश में एक SAARC Satellite छोड़ेंगे जिसकी सेवाएं SAARC देशों में मुफ्त में देंगे, जो शिक्षा के काम आए , जो आरोग्‍य के लिए काम आये, जो किसानों को काम आये, जो मछुआरों के काम आये, सामान्‍य जन को काम आये। अभी हम बीच में सोच रहे थे कि SAARC देश Connectivity के लिए गंभीरता से सोचे और हम जानते हैं, आज विकास में Connectivity का महत्‍व बहुत है। आप समुद्री मार्ग से जुडि़ए या रेल मार्ग से जुडि़ए, या रोड मार्ग से जुडि़ए, जुड़ना जरूरी है। यूरोप के देशों को ये लाभ मिला हुआ है। एक देश से दूसरे देश चले जाओ पता तक नहीं चलता कि देश कब बदल गया। क्‍या ये SAARC देशों के बीच नहीं हो सकता है? हमने मिल करके सामूहिक निर्णय करने का प्रयास किया नेपाल में। लेकिन आप जानते हैं, कुछ लोगों को जरा तकलीफ होती है, लेकिन कुछ लोगों की तकलीफ के लिए क्‍या रुकना चाहिए? हमारे काम को क्‍या हमें रोक देना चाहिए? हमें अटक जाना चाहिए क्‍या? ठीक है आपकी मर्जी, आप वहां रह जाइये, हम तो चल पड़े भाई और हमने क्‍या किया। एक बहुत बड़ा अहम फैसला लिया है भाइयों और बहनों, इसका प्रभाव आने वाले दिनों में क्‍या होने वाला है, वो तो वक्‍त बताएगा। नेपाल, भूटान, भारत, बांग्‍लादेश, इन चार देशों ने एक नया इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर बना करके Connectivity का एक पूरा काम तय कर लिया, Agreement हो गया, ये आगे चल करके नॉर्थ-ईस्‍ट से जुड़ेगा। वहां से ये म्‍यांमार मार्ग से जुड़ेगा। वो इंडोनेशिया, थाइलैंड, पूरब, हिन्‍दुस्‍तान, पूरब की बीच की तरफ भारत को Connectivity की ताकत देगा एक नया भारत का बदला हुआ, संबंधों का नया विश्‍व खड़ा हो जाएगा।

भाइयों-बहनों, एक निश्चत समय के साथ भारत अपनी भूमिका भी अदा करें, भारत बड़े होने के अहंकार से नहीं, हर किसी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहता । विकास की नई ऊंचाईयों को पार करना चाहता। भारत में नौजवानों को रोजगार मिले, हमारे कृषि में Second Green Revolution हो, हमारा पूर्वी हिन्‍दुस्‍तान, चाहे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश हो, चाहे बिहार हो, चाहे पश्चिम बंगाल हो, चाहे असम हो, चाहे नॉर्थ-ईस्‍ट हो, चाहे ओडि़शा हो, ये हमारा जो इलाका है, ये मानना पड़ेगा कि वहां विकास की ज्‍यादा जरूरत है। अगर वहां पर विकास हो गया और हिन्‍दुस्‍तान का पश्चिमी छोर और पूरब का छोर बराबर हो गये, तो भारत बहुत तेज गति से दौड़ने लग जाएगा और इसलिए भारत के इस पूर्वी छोर पर आर्थिक विकास का एक नया अभियान हमने चलाया है। Infrastructure खड़ा करने का एक नया अभियान चलाया है। Fertiliser के नये कारखाने शुरू कर रहे हैं। गैस की पाइप लाइन लगानी है। बिजली पहुंचानी है। आप मुझे बताइए आजादी के इतने सालों के बाद बिजली होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? बिजली मिलनी चाहिए या नहीं मिलनी चाहिए? क्‍या आज के युग में बिजली के बिना गुजारा संभव है? भाइयों-बहनों हमने सपना संजोया है। पांच साल के भीतर-भीतर हम देश के कोने-कोने में 24 घंटे बिजली मैंने देने के लिए फैसला किया। ये हम करके रहेंगे।

दुबई में रहने वाले मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, हमने एक महत्‍वपूर्ण योजना घोषित की है । हमारे देश में लोगों को पहले Bank Accounts नहीं थे, हमने हर हिन्‍दुस्‍तानी का Bank Account खोल दिया, एक काम किया। भारत में हमारे देश के नागरिकों को इंश्‍योरंस नहीं है, बीमा नहीं है। उसके परिवार में कोई आपत्ति आ जाए, पीछे वालों को देखने की कोई व्‍यवस्‍था नहीं। हमने तीन योजनाएं लगाई हैं, एक प्रधानमंत्री बीमा सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति योजना और इंश्‍योरेंस के लिए कितना पैसा देना है? एक स्‍कीम ऐसी है कि जिसमें एक महीने में सिर्फ एक रुपया देना है, 12 महीने में 12 रुपया। हमारे देश का गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी दे सकता है या नहीं दे सकता है? मुझे बताइए दे सकता है या नहीं दे सकता है? गरीब से गरीब व्‍यक्ति एक रुपया महीने में दे सकता है या नहीं दे सकता है? महीने का 12 रुपया,.. साल भर का 12 रुपया, साल भर का 12 रुपया देगा, दो लाख रुपयों का सुरक्षा का बीमा मिलेगा। दूसरी योजना है जिसमें उसे और भी मददें मिलेंगी, वो है एक दिन का नब्‍बे पैसा, एक रुपया भी नहीं, एक दिन का एक रुपया भी नहीं, आज तो चाय भी एक रुपये में मिलती नहीं है। मैं जब चाय बेचता था तो एक रुपया भी नहीं मिलता था। लेकिन आज एक रुपये में चाय नहीं मिलती है। एक दिन का नब्‍बे पैसा, साल भर के 330 रुपये, और उसे भी ये सुरक्षा कवच मिलेगा। Natural मृत्‍यु होगा Natural अकस्‍मात नहीं हुआ है, सहज, तो भी उसके परिवार को दो लाख रुपया मिलेगा। हमने लोगों से आग्रह किया है कि रक्षाबन्‍धन के पर्व पर हमारे देश की परम्‍परा है, हम अपनी बहनों को Best सौगात देते हैं। कोई न कोई Gift देते हैं। मैं मेरे, Gulf Countries में रहने वाले मेरे प्‍यारे भाइयों बहनों का आग्रह करता हूं, इस बार रखी के त्‍यौहार पर आप अपनी बहन को ये जीवन सुरक्षा योजना दे दीजिए। अगर आप 600 रुपया बैंक में Fixed Deposit करा दोगे, तो हर साल उसको 12 रुपये से ज्‍यादा Interest मिलेगा, कटता जाएगा और आपकी बहन को दो लाख रुपये का सुरक्षा का कवच मिल जाएगा, और दोनों योजना लें लेगे, उतने पैसे जमा करा दिये, तो चार लाख रुपया उसके चरणों में आपकी तरफ से पहुंच जाएगा। भाइयो-बहनों, हमनें समाज-जीवन को एक सुरक्षित बनाना है, हमारी नई पीढ़ी को शिक्षित बनाना है, देश को आधुनिक बनाना है, और आज जब विश्‍व का भारत की तरफ आकर्षण बढ़ा है, उस परि‍स्थिति का हमने लाभ उठाना है और देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाना है।

मेरे प्‍यारे भाइयो, बहनों, आपने जो मुझे सम्‍मान दिया, प्‍यार दिया, पूरा हिन्‍दुस्‍तान आपको देख रहा होगा। ये बदले हुए माहौल का असर हर भारतवासी के दिल पर भी होता है। और मुझे लगता है कि विश्‍व भर में जो हमारा भारतीय समुदाय पहुंचा है, उस भारतीय समुदाय को भी आज एक नई ऊर्जा, नई शक्ति मिली है। आज जब मैं अबुधाबी आया, दुबई आया, तो कुछ बातें मेरे ध्‍यान में आई हैं, उसके विषय में भी आज आपको मैं कह करके जाना चाहता हूं, Embassy के संबंध में, Counsel के संबंध में, आपकी शिकायतें रहती हैं, नहीं रहती हैं? नहीं रहती हैं तो अच्‍छी बात है। लेकिन अगर रहती हैं तो भारत सरकार ने ‘MADAD’ नाम का एक Online Platform बनाया है, इस ‘MADAD’ नाम के Online Platform का उपयोग दुनिया भर में फैले हुए हमारे भारतीय भाई, बहन उसका उपयोग कर सकते हैं, ताकि आपकी बात आगे पहुंच सकती है। मोबाइल फोन के द्वारा भी आप उनका सम्‍पर्क कर सकते हैं। एक, दूसरा काम किया है, E-migrate portal शुरू किया गया है। जिसके द्वारा इस प्रकार सके हमारे प्रवासी भारतीयों को कोई शिकायत हो, कोई कठिनाई हो, तो उनको Emigration Office के चक्‍कर काटने नहीं पड़ेंगे ये E-migrate portal पर अपनी बात रख करके वो मदद ले सकता है, इसकी एक व्‍यवस्‍था की गई है, क्‍यों यहां दूर-दूर से आपका वहां जाना, बहुत तकलीफ होती है। मुझे ये भी बताया गया कि कही- कहीं पर E-migrate Portal का उपयेाग करने में नागरिकों को दिक्‍कत होती है इसके लिए मैंने हमारे Embassy को आदेश किया है कि वे ये जो Technical Problem है इसका 30 दिन के भीतर-भीतर Solution दें। आज 17 अगस्‍त है, 17 सितम्‍बर तक Solution दें, ऐसा मैंने उनसे कहा है और मुझे विश्‍वास है कि हमारे Embassy के भाई, ये जो Technical Problem कहीं-कहीं आता है, उसका रास्‍ता निकालेंगे।

एक और काम मैंने कहा है, यहां भारतीय समुदाय ज्‍यादातर workers हैं। उनके पास इतने पैसे नहीं कि एक जगह से दूसरी जगह पर वो भागते रहें और इसलिए हमने कहा है, कि हम समय-समय पर जहां हमारे भारतीय भाई समुदाय रहते हैं, वहां जा करके, Counselor Camp लगाएं। महीने में एक बार, दो महीने में एक बार, और वहीं जा करके उनसे बैठें, बातचीत करें, और उनकी समस्‍या के समाधान के लिए योग्‍य व्‍यवस्‍था करें। मैं यहां ये बातें इसलिए कह रहा हूं कि ये भू-भाग ऐसा है, के जहां मेरे गरीब तबके के भाई-बहन रहते हैं, मजदूरी करने के लिए यहां आए हुए हैं। अमेरिका के लिए कुछ कर पाऊं, या न कर पाऊं लेकिन अगर आपके लिए नहीं कुछ करता तो मैं बेचैन हो जाता हूं। और इसलिए हमने एक और काम किया है, इन दिनों विदेशों में कभी-कभी जाते हैं तो हमारे भारतीय भाई कभी-कभी संकट में जैसे अचानक बीमारी आ गई, कुछ हो गया, कभी कोई कानूनी पचड़े में फंस गए, बेचारे जेल चले गए। तो दुनिया के बाहर कौन उनको देखने वाला है? परिवार तो है नहीं, और इन हमारे कभी-कभी मुसीबत में कोई परिवार आ जाए तो उनकी मदद करने के लिए Indian Community Welfare Fund (ICWF) स्‍थापित किया गया है। सब दूतावासों को ये Welfare Fund दिया गया है, और इसलिए ऐसी मुसीबत में कोई फंस गया हो तो उनको कानून की मर्यादा में रह करके जो मदद हो सकती है, कोई अगर जेल में बंद हुआ है, तो कम से कम उसको खाना-पीना मिल जाए मानवता की दृष्‍टि से कोई व्‍यवस्‍था हो जाए, इन सारे कामों के लिए एक Fund की हमने व्‍यवस्‍था की है। हमने ये भी निर्णय किया है, इस Fund के द्वारा दूतावास, Counsel में Counselor सुविधाएं और अच्‍छी कैसे बनें, जो नागरिकों की भलाई के लिए हों, उनके लिए भी इसका उपयोग किया जाएगा। जिनको कानूनी सलाह की जरूरत पड़ेगी और अगर वो खुद इसको करने के लिए स्थिति नहीं है, कभी-कभार तो एक हजार-दो हजार का दंड बेचारा नहीं भर पाता, उसके कारण जेलों में सड़ता रहता है। ऐसे लोगों को मदद करके, भारतीय नागरिक होने के नाते उनको मदद करना इसके लिए Welfare Fund का उपयोग हो, ताकि वो संकटों से बाहर आ सकें, ये भी हमने व्‍यवस्‍था करने के लिए कहा है। मैं जानता हूं यहां पर स्‍कूलों में Admission में कितनी दिक्‍कत होती है, आपके बच्‍चों को स्‍कूलों में पढ़ाई की कितनी दिक्‍कत होती है? मैंने यहां के संबंधित लोगों से ये बात कही है और मैंने कहा है कि अधिक स्‍कूल कैसे बनें, उसकी चिन्‍ता मैंने की है, देखते हैं, मुझे विश्‍वास है कि आने वाले दिनों में उसका भी लाभ आप लोगों को मिलेगा।

मुझे विश्‍वास है मेरे भाइयो, बहनों, कि जो आपकी छोटी-मोटी बातें मेरे ध्‍यान में आई थीं, इसको पूरा करने का मैंने प्रयास किया है। मैं फिर एक बार आप सबको दृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और दुनिया में कहीं पर भी मेरा भारतवासी है, तो हम पासपोर्ट का रंग नहीं देखते हैं। हमारा खून का रंग काफी है, वो धरती का नाता काफी है, और इसलिए आइए मेरे साथियो हम सब मिल करके जहां भी हों, मां भारती का माथा ऊंचा करने के लिए, गौरव से जीवन जीने के लिए एक माहौल बनाने में सक्रिय शरीक हों और आपका योगदान आपकी शक्ति सामर्थ्‍यवान आपके परिवार को भी भला करने में काम आए, देश का भी भला करने के लिए काम आए।

इसी शुभ कामनाओं के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

मेरे साथ दोनों मुट्ठी बंद करके बोलिए, भारत माता की जय। दोनों मुट्ठी पूरी बंद करके पूरी ताकत से बोलिए, भारत के कोने-कोने में, आपके अपने गांव में आवाज पहुंचनी चाहिए भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।