उपस्थित सभी महानुभाव और मेरे परिवार के सभी सदस्य, बंधु गण, मैंने ये कहा कि मेरे परिवार के! दो कारण से - एक तो मैं बनारस का हो गया हूं और दूसरा बचपन से एक ही याद रही है, वो है, रेल। इसलिए रेल से जुड़ा हर व्यक्ति मेरे परिवार का सदस्य है और इस अर्थ में मैं परिवार जनों के बीच आज आया हूं। मुझे खुशी है कि आज यहां दो महत्वपूर्ण प्रकल्प, एक तो 4,500 horse power capacity का डीज़ल इजिंन राष्ट्र को समर्पित हो रहा है और ये हमारी capability है। भारत को आगे बढ़ना है, तो इस बात पर बल देना होगा कि हम, हमारे आत्मबल पर, हमारी शक्ति के आधार पर हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करने का काम करें।

एक समय था, ये देश पेट भरने के लिए अन्न बाहर से लाता था। जब विदेशों से अन्न आता था, तब हमारा पेट भरता था। लेकिन इस देश में एक ऐसे महापुरूष हुए जिसने बेड़ा उठाया, देश के किसानों को ललकारा, आवाह्न किया, उनको प्रेरणा दी, जय जवान जय किसान का मंत्र दिया और देश के किसानों ने अन्न के भंडार भर दिए। आज हिंदुस्तान अन्न विदेशों में दे सके, ये ताकत आ गई है। वो काम किया था, इसी धरती के लाल, लाल बहादुर शास्त्री ने। अगर हमारे किसान देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं, अन्न के भंडार भर सकते हैं, तो देश की उस ताकत को पहचान करके हमने देश की उस युवा शक्ति का आवाह्न किया है - Make in India! हमारी जितनी आवश्यकताएं हैं, उसका निर्माण देश में क्यों नहीं होना चाहिए? क्या कमी है! जिस देश के पास होनहार नौजवान हों, 65 प्रतिशत 35 साल से कम उम्र के नौजवान हों, वो देश क्या नहीं कर सकता है?

इसलिए भाइयों, बहनों, लाल बहादुर शास्त्री का मंत्र था- जय जवान जय किसान और उन्होंने देश के अन्न के भंडार भर दिए। हम Make in India का मंत्र ले करके आए हैं इंडिजिनस! भारत की विधा से, भारत के संसाधनों से भारत अपनी चीज़ों को बनाए। आज, डिफेंस के क्षेत्र में हर चीज़ हम बाहर से लाते हैं। अश्रु गैस भी बाहर से आता है, बताईए! रोने के लिए भी बाहर से हमको साधन लाने पड़ते हैं। ये बदलना है मुझे और उसमें एक महत्वपूर्ण पहल आज आपके यहां से.. indigenous .. मुझे बताया गया, ये जो इंजिंन बना है, इसमें 96% कंपोनेंट यहीं पर बने हैं, आप ही लोगों ने बनाए हैं। मैंने कहा है कि वो 4% भी नहीं आना चाहिए। बताइए कैसे करोगे? उन्होंने कहा- हम बीड़ा उठाते हैं, हम करेंगे। डिफेंस..सब चीज़ें हम बाहर से ला रहे हैं, मोबाइल फोन बाहर से ला रहे हैं, बताईए! हमारे देश में हमें एक वायुमंडल बनाना है और इस पर हम कोशिश कर रहे हैं।

रेलवे! आप ने मुझे, जब से प्रधानमंत्री बना हूं, बार बार मेरे मुंह से रेलवे के बारे में सुना होगा। घूम फिर करके कहीं भी भाषण करता हूं तो रेलवे तो आ ही जाता है। एक तो बचपन से आदत है और दूसरा, मेरा स्पष्ट मानना है कि भारत में रेलवे देश को आगे ले जाने की इतनी बड़ी ताकत रखती है, लेकिन हमने उसकी उपेक्षा की है। मेरे लिए रेलवे एक बहुत बड़ी प्राथमिकता है। आप कल्पना कर सकते हो, इतना बड़ा infrastucture! इतनी बड़ी संख्या में manpower! इतना पुराना experience! और विश्व में सर्वाधिक लोगों को ले जाने लाने वाला ये इतना बड़ा organization हमारे पास हो। इसको अगर आधुनिक बनाया जाए, इसको अगर technology upgradation किया जाए, management perfection किया जाए। service oriented बनाया जाए तो क्या हिंदुस्तान की शक्ल सूरत बदलने में रेलवे काम नहीं आ सकती? भाइयों, बहनों मैं ये सपना देख करके काम कर रहा हूं। इसलिए रेलवे तो आगे बढ़ना ही है, लेकिन रेलवे के माध्यम से मुझे देश को आगे बढ़ाना है। और, अब तक क्या हुआ है, रेल मतलब- दो-पांच किलोमीटर नई पटरी डाल दो, एक आद दो नई ट्रेन चालू कर दो, इसी के आस-पास चला है। हम उसमें आमूल-चूल परिवर्तन चाहते हैं।

उसी प्रकार से human resource development. हम जानते हैं कि रेलवे में अभी भी बहुत लोगों को रोज़गार मिलने की संभावनाएं हैं। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी है कि वे हिम्मत नहीं करते। अगर आर्थिक रूप से उनको मजबूत बनाया जाए तो हज़ारो नौजवान रेलवे अभी भी absorb कर सकता है, इतनी बड़ी ताकत है। इसलिए योग्य manpower के लिए हम चार युनिवर्सिटी बनाना चाहते हैं, हिंदुस्तान के चार कोनों में। उस युनिवर्सिटी में जो आएंगे उन नौजवानों की शिक्षा दीक्षा होगी और उनको रेलवे के अंदर नौकरी मिलेगी। हमारे कई रेलवे के कर्मचारी हैं। उनकी संतानों को अगर वहां पर पढ़ने का अवसर मिलेगा तो अपने आप रेलवे में नौकरी करने के लिए उसकी सुविधा बढ़ जाएगी। उसको भटकना नहीं पड़ेगा। कुछ लोग अफवाहें फैलाते हैं। आप में से कई लोग होंगे जो 20 साल की उम्र के बाद, 22 साल की उम्र के बाद, पढ़ाई करने के बाद रेलवे से जुड़े होंगे। मैं जन्म से जुड़ा हुआ हूं। इसलिए आप लोगों से ज्यादा रेलवे के प्रति मेरा प्यार है, क्योंकि मेरा तो जीवन ही उसके कारण बना है। जो लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि रेलवे का privatization हो रहा है, वो सरासर गलत है। मुझ से ज्यादा इस रेलवे को कोई प्यार नहीं कर सकता और इसलिए ये जो गप्प चलाए जा रहे हैं, भाईयों, बहनों न ये हमारी इच्छा है, न इरादा है, न सोच है। हम इस दिशा में कभी जा नहीं सकते, आप चिंता मत कीजिए। हम क्या चाहते हैं - आज देश के गरीबों के लिए जो पैसा काम आना चाहिए, स्कूल बनाने के लिए, अस्पताल बनाने के लिए, रोड बनाने के लिए, गांव के अंदर गरीब आदमी की सुविधा के लिए, उन सरकारी खजाने के पैसे हर साल रेलवे में डालने पड़ते हैं। क्यों? रेलवे को जि़ंदा रखने के लिए। हम कितने साल तक हिंदुस्तान के गरीबों की तिजोरी से पैसे रेल में डालते रहेंगे? और अगर कहीं और से पैसा मिलता है, तो समझदारी इसमें है कि गरीबों के पैसे रेल में डालने के बजाए, जो धन्ना सेठ हैं, उनके पैसे रेल में डालने चाहिए। इसलिए कम ब्याज से आज दुनिया में पैसे मिलते हैं। हम उन पैसों को रेलवे के विकास के लिए लगाना चाहते हैं, जिसके कारण, आप जो रेलवे में काम कर रहे हैं, उनका भी भला होगा और हिंदुस्तान का भी भला होगा। रेलवे का privatization नहीं होने वाला है।

अब मुझे बताईए, ये युनियन वालों को मैं पूछना चाहता हूं कि रूपया रेलवे में आए, डालर आए, पाउंड आए, अरे आपको क्या फर्क पड़ता है भई! आपका तो पैसा आ रहा है। दूसरी बात, रेलवे के स्टेशन जितने हैं, हमारे.. अब मुझे बताइए, मुझे रेलवे युनिवर्सिटी बनानी है..अगर रेलवे युनिवर्सिटी में मुझे जापान से मदद मिलती है, चाइना से मदद मिलती है, टेक्नॉलोजी की मदद मिलती है, expertise की मदद मिलती है, तो लेनी चाहिए कि नहीं लेनी चाहिए? ज़रा बताईए, सच्चा बोलिए, दिल से बोलिए- लेनी चाहिए कि नहीं लेनी चाहिए? यही काम ये सरकार करना चाहती है भाईयों! और इतना ही नहीं इतना ही नहीं. आज हम देखें हमारे रेलवे स्टेशन कैसे हैं? रेलवे स्टेशन पर रेलवे में 12-12 घंटे प्लेटफार्म पर काम करने वाले रेलवे के कर्मचारी को बैठने के लिए जगह नहीं होती है। ये सच्चाई है कि नहीं है? उसको बेचारे को बैठ करके खाना खाना हो, उसके लिए जगह नहीं है। क्या हमारे रेलवे स्टेशन सुविधा वाले होने चाहिए कि नहीं होने चाहिए? रेलवे पर आने वाले लोगों को सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? मैंने सर्वे किया कि बनारस स्टेशन पे जितने पैसेंजर आते हैं, उनको बैठने के लिए सीट है क्या? और मैं हैरान हो गया कि बहुत कम सीट हैं। ज्यादातर बेचारे बूढ़े पैसेंजर भी घंटों तक रेलवे के इंतज़ार में खड़े रहते हैं। क्या उनको बैठने की सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? मैंने क्या किया, मेरे MPLAD का जो फंड था, मैंने रेलवे वालों को कहा, सबसे ज्यादा, जितनी बैंच लगा सकते हो, प्लेटफार्म पर लगाओ ताकि यहां गरीब से गरीब व्यक्ति को रेलवे के इंतज़ार में बैठा है तो उसको बैठने की जगह मिले। और मैंने सभी एमपी को कहा है, हिंदुस्तान भर में सभी रेलवे स्टेशन पर वो अपने MPLAD फंड में से पैसे लगा करके वहां पर वहां पर बैंचें डलवाएं ताकि रेलवे स्टेशन पर आने वाले पैसेंजर की सुविधा बढ़े। मुझे बताईए, ये सुविधा बढ़ेगी तो आशीर्वाद आपको मिलेगा कि नहीं मिलेगा? सीधी सीधी बात है, सब आपके फायदे के लिए हो रहा है भई। आप मुझे बताईए आज रेलवे स्टेशन जो हैं बड़े बड़े, heart of the city हैं! दो दो चार किलोमीटर लंबे स्टेशन हैं। नीचे तो आपकी मालिकी मुझे मंज़ूर है लेकिन रेलवे में आसमान में कोई इमारत बना देता है और रेलवे के खजाने में हजार करोड़, दो हजार करोड़ आज जाते हैं तो रेलवे मजबूत बनेगी कि नहीं बनेगी? वो प्लेटफार्म के ऊपर, हवा में, आकाश में अपनी इमारत बनाता है, रेलवे के फायदे में जाएगी कि नहीं जाएगी? मालिकी रेलवे की रहेगी कि नहीं रहेगी? रेलवे के कर्मचारियों का भला होगा कि नहीं होगा? हम जो विकास की दिशा ले करके चल रहे हैं, ये चल रहे हैं, privatization की हमारी दिशा नहीं है। हमें दुनिया भर का धन लाना है, रेलवे में लगाना है। रेलवे को बढ़ाना है, रेलवे को आगे ले जाना है और रेल के माध्यम से देश को आगे ले जाना है। हमारे देश में रेलवे को केवल यातायात का साधन माना गया था, हम रेलवे को देश के आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी के रूप में देखना चाहते हैं।

इसलिए मेरे भाईयों, बहनों मैं देश भर के रेल कर्मचारियों को आज आग्रह करता हूं- आइए! हिंदुस्तान में सबसे उत्तम सेवा कहां की तो रेलवे की ये सपने को हम साकार करें। इन दिनों जो स्वच्छता का अभियान हमने चलाया है, कभी-कभार ट्विटर पर खबरें सुनने को मिलती हैं कि साहब मै पहले भी रेलवे में जाता था अब भी जाता हूं लेकिन अब जरा डिब्बे साफ-सुथरे नजर आते हैं, सफाई दिखती है देखिए लोगों को कितना संतोष मिलता है, आशीर्वाद मिलता है और ये कोई उपकार नहीं है, हमारी जिम्मेवारी का हिस्सा है। It is a part of our duty. धीरे-धीरे उस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। हमारा पूरा रेलवे व्यवस्था तंत्र साफ-सुथरा क्यों न हो उसका सबसे ज्यादा लाभ गरीब लोगों को कैसे मिले, मैं तो देख रहा हूं. रेलवे Infrastructure का उपयोग देश के विकास में इतना हो सकता है जिसकी किसे ने कल्पना नहीं की थी। हमारे देश में पोस्ट ऑफिस का नेटवर्क और रेलवे का नेटवर्क इन दोनों का अगर बुद्धिपूर्वक उपयोग किया जाए तो हमारे देश के ग्रामीण विकास की वह धरोहर बन सकते हैं।

मैं उदाहरण देता हूं- रेलवे के पास बिजली होती है, कहीं पर भी जाइए रेलवे के पास बिजली का कनेक्शन है। हिंदुस्तान की हर जगह पर। रेलवे के पास Infrastructure है। छोटे-छोटे गांव पर भी, छोटे-छोटे स्टेशन बने हुए हैं, भले ही वहां पर एक ट्रेन आती हो तो भी कोई न कोई वहां बैठा है, कोई न कोई व्यवस्था है। बाकी 24 घंटे वो खाली पड़ा रहता है उसी प्रकार से पोस्ट ऑफिस गांव-गांव तक उसका नेटवर्क है लेकिन वो पुराने जमाने की चल रही है उसमें बदलाव लाना है ये मैंने तय किया है और बदलाव लाने वाला हूं। अब मुझे बताइए गांव के अंदर जो रेलवे के स्टेशन हैं वहां पर दिन में मुश्किल से एक ट्रेन आती है मेरे हिसाब से हजारों की तादाद में ऐसी जगहें हैं, जहां बिजली हो, जहां Infrastructure हो वहीं पर अगर एक-दो कमरे और बना दिए जाएं और उन कमरों में Skill Development की Classes शुरू की जाएं क्योंकि Skill Development करना है तो Machine tools चाहिए और Machine tools के लिए बिजली चाहिए लेकिन बिजली गांव में नहीं है लेकिन रेलवे स्टेशन पर है, गांव के बच्चे Daily रेलवे स्टेशन पर आएंगे और रेलवे स्टेशन पर जो दो कमरें बने हुए होंगे उनमें जो Tools लगे हुए होंगे। Turner, Fitter के Course चलेंगे। एक साथ हिंदुस्तान में Extra पैसे खर्च किए बिना रेलवे की मदद से देश में हजारों की तादाद में Skill Development Centres खड़े हो सकते हैं कि नहीं।

मेरे भाईयों-बहनों थोड़ा दिमाग का उपयोग करने की जरुरत है, आप देखिए चीजें बदलने वाली हैं। मैं रेलवे के मित्रों से कहना चाहता हूं ऐसे स्टेशनों को Identify कीजिए जहां पर बिजली की सुविधा है वहां पर सरकार अपने खर्चे सेदो-तीन कमरे और बना दे और वहां पर उस इलाके के जो 500-1000 बच्चे हो उनके लिए Skill Development के Institutions चलें। ट्रेन ट्रेन का और Institutions, Institutions का काम करें रेलवे को Income हो जाए और गांव के बच्चों का Skill Development हो जाए। एक साथ हम अनेक व्यवस्थाएं विकसित कर सकते हैं और उस दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

आज एक तो सोलर प्लांट भी इसके साथ जुड़ रहा है। आधुनिक Loco shed का Expansion हो रहा है, करीब 300 करोड़ रुपए जब पूरा होगा। 300 करोड़ रुपए की लागत से यहां Expansion होने के कारण इस क्षेत्र के अनेक नौजवानों को रोजगार की नई संभावनाएं बढ़ने वाली हैं।

मैं फिर एक बार रेल विभाग को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। श्रीमान सुरेश प्रभु जी के नेतृत्व में बहुत तेज गति से रेल का विकास होगा। आजादी के बाद जितना विकास हुआ है उससे ज्यादा विकास मुझे आने वाले दिनों में करना है। रेलवे के बैठे सभी मेरे साथियों आप सभी मेरे परिवारजन हैं और इसलिए मेरा आप पर हक बनता है, रेलवे वालों पर मेरा सबसे ज्यादा हक बनता है कि हम सब मिलकर के रेल को सेवा का एक बहुत बड़ा माध्यम बनाएं, सुविधा का माध्यम बनाएं और राष्ट्र की आर्थिक गति को तेज करने का एक माध्यम बना दें। उस विश्वास के साथ आगे बढ़ें, इसी एक अपेक्षा के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद.

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भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे वरिष्ठ सहयोगी और लखनऊ के सांसद, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी, यूपी भाजपा के अध्यक्ष और केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान पंकज चौधरी जी, प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक जी, उपस्थित अन्य मंत्रीगण, जनप्रतिनिधिगण, देवियों और सज्जनों,

आज लखनऊ की ये भूमि, एक नई प्रेरणा की साक्षी बन रही है। इसकी विस्तार से चर्चा करने से पहले, मैं देश और दुनिया को क्रिसमस की शुभकामनाएं देता हूं। भारत में भी करोड़ों इसाई परिवार आज उत्सव मना रहे हैं, क्रिसमस का ये उत्सव, सभी के जीवन में खुशियां लाए, ये हम सभी की कामना है।

साथियों,

25 दिसंबर का ये दिन, देश की दो महान विभूतियों के जन्म का अद्भुत सुयोग लेकर भी आता है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी, भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय जी, इन दोनों महापुरुषों ने भारत की अस्मिता, एकता और गौरव की रक्षा की, और राष्ट्र निर्माण में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

साथियों,

आज 25 दिसंबर को ही महाराजा बिजली पासी जी की भी जन्म-जयंती है। लखनऊ का प्रसिद्ध बिजली पासी किला यहां से अधिक दूर नहीं है। महाराजा बिजली पासी ने, वीरता, सुशासन और समावेश की जो विरासत छोड़ी, उसको हमारे पासी समाज ने गौरव के साथ आगे बढ़ाया है। ये भी संयोग ही है कि, अटल जी ने ही वर्ष 2000 में महाराजा बिजली पासी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था।

साथियों,

आज इस पावन दिन, मैं महामना मालवीय जी, अटल जी और महाराजा बिजली पासी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उनका वंदन करता हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले मुझे, यहां राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला है। ये राष्ट्र प्रेरणा स्थल, उस सोच का प्रतीक है, जिसने भारत को आत्मसम्मान, एकता और सेवा का मार्ग दिखाया है। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी और अटल बिहारी वाजपेयी जी, इनकी विशाल प्रतिमाएं जितनी ऊंची हैं, इनसे मिलने वाली प्रेरणाएं उससे भी अधिक बुलंद हैं। अटल जी ने लिखा था, नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा, गलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। ये राष्ट्र प्रेरणा स्थल, हमें संदेश देता है कि हमारा हर कदम, हर पग, हर प्रयास, राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित हो। सबका प्रयास ही, विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करेगा। मैं, लखनऊ को, उत्तर प्रदेश को, पूरे देश को, इस आधुनिक प्रेरणा-स्थली की बधाई देता हूं। और जैसा अभी बताया गया और वीडियों में भी दिखाया गया, कि जिस जमीन पर ये प्रेरणा स्थल बना है, उसकी 30 एकड़ से ज्यादा जमीन पर कई दशकों से कूड़े-कचरे का पहाड़ जमा हुआ था। पिछले तीन वर्ष में इसे पूरी तरह खत्म किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी श्रमिकों, कारीगरों, योजनाकारों, योगी जी और उनकी पूरी टीम को भी मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश को दिशा देने में निर्णायक भूमिका निभाई है। ये डॉक्टर मुखर्जी ही थे, जिन्होंने भारत में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान के विधान को खारिज कर दिया था। आजादी के बाद भी, जम्मू-कश्मीर में ये व्यवस्था, भारत की अखंडता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। भाजपा को गर्व है कि, हमारी सरकार को आर्टिकल 370 की दीवार गिराने का अवसर मिला। आज भारत का संविधान जम्मू कश्मीर में भी पूरी तरह लागू है।

साथियों,

स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग मंत्री के रूप में, डॉक्टर मुखर्जी ने भारत में आर्थिक आत्मनिर्भरता की नींव रखी थी। उन्होंने देश को पहली औद्योगिक नीति दी थी। यानी भारत में औद्योगीकरण की बुनियाद रखी थी। आज आत्मनिर्भरता के उसी मंत्र को हम नई बुलंदी दे रहे हैं। मेड इन इंडिया सामान आज दुनियाभर में पहुंच रहा है। यहां यूपी में ही देखिए, एक तरफ, एक जनपद एक उत्पाद का इतना बड़ा अभियान चल रहा है, छोटे-छोटे उद्योगों, छोटी इकाइयों का सामर्थ्य बढ़ रहा है। दूसरी तरफ, यूपी में बहुत बड़ा डिफेंस कॉरिडोर बन रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने जिस ब्रह्मोस मिसाइल का जलवा देखा, वो अब लखनऊ में बन रही है। वो दिन दूर नहीं जब यूपी का डिफेंस कॉरिडोर, दुनियाभर में डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग के लिए जाना जाएगा।

साथियों,

दशकों पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अंत्योदय का एक सपना देखा था। वे मानते थे कि भारत की प्रगति का पैमाना, अंतिम पंक्ति में खड़े 'अंतिम व्यक्ति' के चेहरे की मुस्कान से मापा जाएगा। दीनदयाल जी ने 'एकात्म मानववाद' का दर्शन भी दिया, जहाँ शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा, सबका विकास हो। दीन दयाल जी के सपने को मोदी ने अपना संकल्प बनाया है। हमने अंत्योदय को सैचुरेशन यानी संतुष्टिकरण का नया विस्तार दिया है। सैचुरेशन यानी हर ज़रूरतमंद, हर लाभार्थी को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में लाने का प्रयास। जब सैचुरेशन की भावना होती है, तो भेदभाव नहीं होता, और यही तो सुशासन है, यही सच्चा सामाजिक न्याय है, यही सच्चा सेकुलरिज्म है। आज जब देश के करोड़ों नागरिकों को, बिना भेदभाव, पहली बार पक्का घर, शौचालय, नल से जल, बिजली और गैस कनेक्शन मिल रहा है, करोड़ों लोगों को पहली बार मुफ्त अनाज और मुफ्त इलाज मिल रहा है। पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास हो रहा है, तो पंडित दीन दयाल जी के विजन के साथ न्याय हो रहा है।

साथियों,

बीते दशक में करोड़ों भारतीयों ने गरीबी को परास्त किया है, गरीबी को हराया है। ये इसलिए संभव हुआ, क्योंकि भाजपा सरकार ने, जो पीछे छूट गया था, उसे प्राथमिकता दी, जो अंतिम पंक्ति में था, उसे प्राथमिकता दी।

साथियों,

2014 से पहले करीब 25 करोड़ देशवासी ऐसे थे, जो सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में थे, 25 करोड़। आज करीब 95 करोड़ भारतवासी, इस सुरक्षा कवच के दायरे में हैं। उत्तर प्रदेश में भी बड़ी संख्या में लोगों को इसका लाभ मिला है। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं। जैसे बैंक खाते सिर्फ कुछ ही लोगों के होते थे, वैसे ही, बीमा भी कुछ ही संपन्न लोगों तक सीमित था। हमारी सरकार ने अंतिम व्यक्ति तक बीमा सुरक्षा पहुंचाने का बीड़ा उठाया। इसके लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना बनाई, इससे मामूली प्रीमियम पर दो लाख रुपए का बीमा सुनिश्चित हुआ। आज इस स्कीम से 25 करोड़ से ज्यादा गरीब जुड़े हैं। इसी तरह, दुर्घटना बीमा के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना चल रही है। इससे भी करीब 55 करोड़ गरीब जुड़े हैं। ये वो गरीब देशवासी हैं, जो पहले बीमा के बारे में सोच भी नहीं पाते थे।

साथियों,

आपको जानकार के हैरानी होगी, इन योजनाओं से करीब-करीब 25 हजार करोड़ रुपए का क्लेम, इन छोटे-छोटे परिवार के छोटे-छोटे जिंदगी के गुजारे करने वाले, मेरे सामान्य गरीब परिवारों तक 25 हजार करोड़ रूपयों का लाभ पहुंचा है। यानी संकट के समय ये पैसा गरीब परिवारों के काम आया है।

साथियों,

आज अटल जी की जयंती का ये दिन सुशासन के उत्सव का भी दिन है। लंबे समय तक, देश में गरीबी हटाओ जैसे नारों को ही गवर्नेंस मान लिया गया था। लेकिन अटल जी ने, सही मायने में सुशासन को ज़मीन पर उतारा। आज डिजिटल पहचान की इतनी चर्चा होती है, इसकी नींव बनाने का काम अटल जी की सरकार ने ही किया था। उस समय जिस विशेष कार्ड के लिए काम शुरु हुआ था, जो आज आधार के रूप में, विश्व विख्यात हो चुका है। भारत में टेलिकॉम क्रांति को गति देने का श्रेय भी अटल जी को ही जाता है। उनकी सरकार ने जो टेलिकॉम नीति बनाई, उससे घर-घर तक फोन और इंटरनेट पहुंचाना आसान हुआ, और आज भारत, दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल और इंटरनेट यूज़र वाले देशों में से एक है।

साथियों,

आज अटल जी जहां होंगे, इस बात से प्रसन्न होंगे कि, बीते 11 वर्षों में भारत, दुनिया का दूसरा बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन गया है। और जिस यूपी से वो सांसद रहे, वो यूपी आज भारत का नंबर वन मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग राज्य है।

साथियों,

कनेक्टिविटी को लेकर अटल जी के विजन ने, 21वीं सदी के भारत को शुरुआती मजबूती दी। अटल जी की सरकार के समय ही, गांव-गांव तक सड़कें पहुंचाने का अभियान शुरु किया गया था। उसी समय स्वर्णिम चतुर्भुज, यानी हाईवे के विस्तार पर काम शुरु हुआ था।

साथियों,

साल 2000 के बाद से प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत अब तक करीब 8 लाख किलोमीटर सड़कें गांवों में बनी हैं। और इनमें से करीब 4 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें पिछले 10-11 साल में बनी हैं।

और साथियों,

आज आप देखिए, आज हमारे देश में अभूतपूर्व गति से एक्सप्रेस-वे बनाने का काम कितनी तेजी से चल रहा है। हमारा यूपी भी एक्सप्रेस-वे स्टेट के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। वो अटल जी ही थे, जिन्होंने दिल्ली में मेट्रो की शुरुआत की थी। आज देश के 20 से ज्यादा शहरों में मेट्रो नेटवर्क, लाखों लोगों का जीवन आसान बना रहा है। भाजपा-NDA सरकार ने सुशासन की जो विरासत बनाई है, उसे आज भाजपा की केंद्र और राज्य की सरकारें, नए आयाम, नया विस्तार दे रही है।

साथियों,

डॉक्टर मुखर्जी, पंडित दीन दयाल जी, अटल जी, इन तीन महापुरुषों की प्रेरणा, उनके विजनरी कार्य, ये विशाल प्रतिमाएं, विकसित भारत का बहुत बड़ा आधार है। आज इनकी प्रतिमाएं, हमें नई ऊर्जा से भर रही हैं। लेकिन हमें ये नहीं भूलना है कि, आज़ादी के बाद, भारत में हुए हर अच्छे काम को कैसे एक ही परिवार से जोड़ने की प्रवृत्ति पनपी। किताबें हों, सरकारी योजनाएं हों, सरकारी संस्थान हों, गली, सड़क, चौराहे हों, एक ही परिवार का गौरवगान, एक ही परिवार के नाम, उनकी ही मूर्तियां, यही सब चला। भाजपा ने देश को एक परिवार की बंधक बनी इस पुरानी प्रवृत्ति से भी बाहर निकाला है। हमारी सरकार, मां भारती की सेवा करने वाली हर अमर संतान, हर किसी के योगदान को सम्मान दे रही है। मैं कुछ उदाहरण आपको देता हूं, आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा, दिल्ली के कर्तव्य पथ पर है। अंडमान में जिस द्वीप पर नेताजी ने तिरंगा फहराया, आज उसका नाम नेताजी के नाम पर है।

साथियों,

कोई नहीं भूल सकता कि कैसे बाबा साहेब आंबेडकर की विरासत को मिटाने का प्रयास हुआ, दिल्ली में कांग्रेस के शाही परिवार ने ये पाप किया, और यहां यूपी में सपा वालों ने भी यही दुस्साहस किया, लेकिन भाजपा ने बाबा साहेब की विरासत को मिटने नहीं दिया। आज दिल्ली से लेकर लंदन तक, बाबा साहेब आंबेडकर के पंचतीर्थ उनकी विरासत का जयघोष कर रहे हैं।

साथियों,

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैकड़ों रियासतों में बंटे हमारे देश को एक किया था, लेकिन आज़ादी के बाद, उनके काम और उनके कद, दोनों को छोटा करने का प्रयास किया गया। ये भाजपा है जिसने सरदार साहेब को वो मान-सम्मान दिया, जिसके वो हकदार थे। भाजपा ने ही सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई, एकता नगर के रूप में एक प्रेरणा स्थली का निर्माण किया। अब हर साल वहां 31 अक्टूबर को देश राष्ट्रीय एकता दिवस का मुख्य आयोजन करता है।

साथियों,

हमारे यहां दशकों तक आदिवासियों के योगदान को भी उचित स्थान नहीं दिया गया। हमारी सरकार ने ही भगवान बिरसा मुंडा का भव्य स्मारक बनाया, अभी कुछ सप्ताह पहले ही छत्तीसगढ़ में शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी म्यूजियम का लोकार्पण हुआ है।

साथियों,

देशभर में ऐसे अनेक उदाहरण हैं, यहीं उत्तर प्रदेश में ही देखें तो, महाराजा सुहेलदेव का स्मारक, तब बना जब भाजपा सरकार बनी। यहाँ निषादराज और प्रभु श्रीराम की मिलन स्थली को अब जाकर के मान-सम्मान मिला। राजा महेंद्र प्रताप सिंह से लेकर चौरी-चौरा के शहीदों तक, मां भारती के सपूतों के योगदान को भाजपा सरकार ने ही पूरी श्रद्धा और विन्रमता से याद किया है।

साथियों,

परिवारवाद की राजनीति की एक विशिष्ट पहचान होती है, ये असुरक्षा से भरी हुई होती है। इसलिए, परिवारवादियों के लिए, दूसरों की लकीर छोटी करना मजबूरी हो जाता है, ताकि उनके परिवार का कद बड़ा दिखे और उनकी दुकान चलती रहे। इसी सोच ने भारत में राजनीतिक छुआछूत का चलन शुरु किया। आप सोचिए, आज़ाद भारत में अनेक प्रधानमंत्री हुए, लेकिन राजधानी दिल्ली में जो म्यूजियम था, उसमें अनेक पूर्व प्रधानमंत्रियों को नजर अंदाज किया गया। इस स्थिति को भी भाजपा ने, एनडीए ने ही बदला है। आज आप दिल्ली जाते हैं, तो भव्य प्रधानमंत्री संग्रहालय आपका स्वागत करता है वहां आज़ाद भारत के हर प्रधानमंत्री, चाहे कार्यकाल कितना भी छोटा रहा हो, सबको उचित सम्मान और स्थान दिया गया है।

साथियों,

कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने राजनीतिक रूप से भाजपा को हमेशा अछूत बनाए रखा। लेकिन भाजपा के संस्कार हमें सबका सम्मान करना सिखाते हैं। बीते 11 वर्षों में भाजपा सरकार के दौरान, एनडीए सरकार के दौरान, नरसिम्हा राव जी और प्रणब बाबू को भारत रत्न दिया गया है। ये हमारी सरकार है जिसने मुलायम सिंह यादव जी और तरुण गोगोई जी जैसे अनेक नेताओं को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया है। कांग्रेस से, यहां समाजवादी पार्टी से कोई भी ऐसी उम्मीद तक नहीं कर सकता। इन लोगों के राज में तो भाजपा के नेताओं को सिर्फ अपमान ही मिलता था।

साथियों,

भाजपा की डबल इंजन सरकार का बहुत अधिक फायदा उत्तर प्रदेश को हो रहा है। उत्तर प्रदेश, 21वीं सदी के भारत में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। और मेरा सौभाग्य है कि मैं यूपी से सांसद हूं। आज मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं, कि उत्तर प्रदेश के मेहनतकश लोग एक नया भविष्य लिख रहे हैं। कभी यूपी की चर्चा खराब कानून व्यवस्था को लेकर होती थी, आज यूपी की चर्चा विकास के लिए होती है। आज यूपी देश के पर्यटन मानचित्र पर तेज़ी से उभर रहा है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर, काशी विश्वनाथ धाम, ये दुनिया में यूपी की नई पहचान के प्रतीक बन रहे हैं। और राष्ट्र प्रेरणा स्थल जैसे आधुनिक निर्माण, उत्तर प्रदेश की नई छवि को और अधिक रोशन बनाते हैं।

साथियों,

हमारा उत्तर प्रदेश, सुशासन, समृद्धि, सच्चे सामाजिक न्याय के मॉडल के रूप में और बुलंदी हासिल करे, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से राष्ट्र प्रेरणा स्थल की बधाई। मैं कहूंगा डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, आप कहेंगे अमर रहे, अमर रहे। मैं कहूं पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी, आप कहें अमर रहे, अमर रहे। मैं कहूं अटल बिहारी वाजपेयी जी, आप कहें अमर रहे, अमर रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - अमर रहे, अमर रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - अमर रहे, अमर रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - अमर रहे, अमर रहे।

पंडित दीनदयाल जी - अमर रहे, अमर रहे।

पंडित दीनदयाल जी - अमर रहे, अमर रहे।

पंडित दीनदयाल जी - अमर रहे, अमर रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी - अमर रहे, अमर रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी - अमर रहे, अमर रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी - अमर रहे, अमर रहे।

भारत माता की जय!

वन्दे मातरम्।

वन्दे मातरम्।

बहुत-बहुत धन्यवाद।