Text of PM's remarks on National Panchayati Raj Day

Published By : Admin | April 24, 2015 | 13:46 IST

मंत्रिपरिषद के मेरे साथी, देश के अलग-अलग भागों से आए हुए पंचायत राज व्‍यवस्‍था के सभी प्रेरक महानुभाव,

जिन राज्‍यों को आज मुझे सम्‍मानित करने का सौभाग्‍य मिला है उन सभी राज्‍यों को मैं हृदय से बधाई देता हूं। आज जिला परिषदों को भी और ग्राम पंचायतों का भी सम्‍मान होने वाला है। उन सबको भी मैं हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। पंचायत राज दिवस पर मैं देशभर में पंचायत राज व्‍यवस्‍था से जुड़े हुए सक्रिय सभी महानुभावों को आज शुभकामनाएं देता हूं।

महात्‍मा गांधी हमेशा कहते थे कि भारत गांवों में बसता है। उन गांवों के विकास की तरफ हम कैसे आगे बढ़े दूर-सुदूर छोटे-छोटे गांवों के भी अब सपने बहुत बड़े हैं। और मुझे विश्‍वास है कि आप सब के नेतृत्‍व में गांव की चहुं दिशा में प्रगति होगी। मैं नहीं मानता हूं कि अब.. जैसे अभी हमारे चौधरी साहब बता रहे थे कि पहले से तीन गुना बजट होने वाला है आपका और तुरंत तालियां बज गई। कभी-कभी मुझे लगता है कि हम जो पंचायत में चुन करके आए हैं, कभी सोचा है कि हम 5 साल के कार्यकाल में हम हमारे गांव को क्‍या दें करके जाना चाहते है? कभी ये सोचा है कि हमारे 5 साल के बाद हमारा गांव हमें कैसे याद करेगा? जब तक हमारे मन में गांव के लिए कुछ कर गुजरना है - ये spirit पैदा नहीं होता है तो सिर्फ बजट के कारण स्थितियां बदलती नहीं हैं।

पिछले 60 साल में जितने रुपए आए होगे उसका सारा total लगा दिया जाए, और फिर देखा जाए कि भई गांव में क्‍या हुआ तो लगेगा कि इतने सारे रुपए गए तो परिणाम क्‍यों नहीं आया? और इसलिए कभी न कभी पंचायत level पर सोचना चाहिए। कुछ राज्‍य ऐसे हैं हमारे देश में जहां पर पंचायतें अपना five year plan बनाती हैं, पंचवर्षीय योजना बनाती हैं। 5 साल में इतने काम हम करेंगे और वो गांव के पंचायत के उसमें वो board पर लिख करके रखते हैं और उसके कारण एक निश्चित दिशा में काम होता है और गांव कुछ समस्‍याओं से बाहर आ जाता है। हम भी आदत डालें कि भई हम 5 साल में हमारे गांव में ये करके जाएंगे। अगर ये हम करते है तो आप देखिए कि बदलाव आना शुरू होगा।

बजट और leadership दोनों का combination कैसे परिणाम लाता है? हम जानते है कि गांव में CC road बनाना ये जैसे एक बहुत बड़ा काम है और बहुत महत्‍वपूर्ण काम है इस प्रकार की मानसिकता बनी हुई है। इसके पीछे कारण क्‍या है वो आप भी जानते है, मैं भी जानता हूं। लेकिन कुछ सरपंच ऐसे होते हैं जो CC road तो बना देते है, CC road तो बना देते है, लेकिन पहले से प्‍लान करके दोनों किनारों पर बढि़यां पेड़ लगा देते है। वृक्षारोपण करते है और जैसे ही गांव में entry करता तो ऐसा हरा-भरा गांव लगता है। तो बजट से तो CC road बनता है लेकिन उनकी leadership quality है कि गांव को जोड़ करके रोड़ बनते ही पौधे लगा देते हैं और वो वृक्ष बन जाते हैं और एकदम से गांव में कोई आता है तो बिल्‍कुल नजरिया ही बदल जाता है। कुछ दूसरे प्रकार के होते हैं सरपंच जो क्‍या करते हैं और गांव में से कोई धनी व्‍यक्ति कहीं कमाने गया तो उसको कहते है कि ऐसा करो भाई तुम गांव को gate लगा दो। तो बड़ा पत्‍थर का 2, 5, 10 लाख का gate लगवा देते हैं। उसको लगता है कि मैंने gate बनवा दिया तो बस गांव का काम हो गया। लेकिन दूसरे को लगता है कि मैं पेड़ लगाऊंगा। आप भी सोचिएं बैठे-बैठे कि सचमुच में जन-भागीदारी से जिसने पेड़ लगाएं हैं, CC road, enter होते ही आधे कि.मी., एक कि.मी. हरे-भरे वृक्षों की घटा के बीच से गांव जाता है तो वो दृश्‍य कैसा होता होगा? ये है leadership की quality कि हम किन चीजों को प्रधानता देते है। इस पर इस काम का प्रभाव होता है.. जिसमें आपको बजट का खर्च नहीं करना है, आपको बजट की चिंता नहीं करनी है। जो मिलने वाला है.. जैसे बताया गया कम से कम 15 लाख और ज्‍यादा से ज्‍यादा 1 करोड़ से भी ज्‍यादा।

लेकिन इसके अतिरिक्‍त बहुत पैसा गांव में आता है। आंगनवाड़ी चलती है, प्राथमिक स्‍कूल चलता है, PHC centre चलता है, बहुत सी चीजें चलती है, जिसका खर्चा तो सरकारी राह से अपनी व्‍यवस्‍था से आता है। इसमें आपको कोई लेना-देना नहीं होता है। क्‍या कभी एक सरपंच के नाते, गांव की पंचायत के नाते हमने इन चीजों पर ध्‍यान केन्द्रित किया है क्‍या? कि भई, मेरे गांव में एक भी बच्‍चा ऐसा नहीं होगा कि जो टीकाकरण में वंचित रह जाए। हम पंचायत के लोग जी-जान से जुटेंगे, गांव को जगाएंगे कि भई टीकाकरण है, सभी बच्‍चों का हुआ है कि नहीं हुआ, चलो देखो! अब इसमें कोई पैसे लगते है है क्‍या? बजट नहीं लगता है, leadership लगती है। एक समाज के प्रति कुछ कार्य करने के दायित्व का भाव लगता है।

हमारे गांव में स्‍कूल तो है, teacher है, सरकार बजट खर्च कर रही है, हमने कभी देखा क्‍या - कि भई हमारे teacher आते है कि नहीं? बच्‍चे स्‍कूल जाते है कि नहीं? समय पर स्‍कूल चलता है कि नहीं चलता? बच्‍चे खेलकूद में हिस्‍सा लेते है कि नहीं लेते? बच्‍चे library का उपयोग करते है कि नहीं करते? Computer दिया है तो चलता है कि नहीं चलता? ये हम एक पंचायत के नाते.. हमारे गांव के बच्‍चे पढ़-लिख करके आगे बढ़ें, आपको बजट खर्च नहीं करना है, न ही बजट की चिंता करनी है सिर्फ आपको गांव की चिंता करनी है, आने वाली पीढ़ी की चिंता करनी है।

हमारे यहां आशा worker हैं, आशा worker को कभी पूछा है कि आपका काम कैसा चल रहा है, कोई कठिनाई है क्या? हर गांव में भी सरकार है लेकिन वो बिखरा पड़ा हुआ है। क्‍या हम एक प्रयास कर सकते है क्‍या कि सप्‍ताह में एक दिन, एक घंटे के लिए, जितने भी सरकारी व्‍यक्ति हैं गांव में, उनको बिठाएंगे एक साथ और बैठ करके अपना गांव, अपना विकास.. उसके लिए क्‍या कर सकते हैं। बैठ करके चर्चा करेंगे तो शिक्षक कहेंगा कि मुझे ये करना है लेकिन हो नहीं रहा है, तो आंगनवाड़ी worker कहेगी कि हां-हां चलो मैं मदद कर देती हूं, आशा worker कहेंगी कि अच्‍छा कोई बात नहीं, मैं कल आपके लिए 2 घंटे लगा दूंगी.. अगर गांव में हम leadership ले करके team बना लें, सरकार के इतने लोग हमारे यहां होते है लेकिन हमें भी पता नहीं होता। सरकार के इतने लोग हमारे यहां रहते हैं लेकिन हमें भी पता नहीं होता है। Even बस का driver, conductor भी रहता होगा और बस चलाता होगा, वो भी तो एक सरकार का मुलाजिम है। Constable होता होगा, वो भी एक मुलाजिम है। पटवारी है, वो भी एक मुलाजिम है।

क्या कभी हमने ये सोचा है, सप्ताह में एक घंटा कम से कम हम सरकार के रूप में एक साथ बैठेंगे? सामूहिक रूप से अपने पंचायत के विकास की चर्चा करेंगे। आप देखिए, देखते ही देखते बदलाव शुरू हो जाएगा, Team बनना शुरू हो जाएगा। और मैं वो बातें नहीं बता रहूं जिसमें बजट एक समस्या है। लेकिन वरना हमारे देश में एक ऐसा माहौल बना दिया गया है कि क्यों नहीं होता है, बजट नहीं है.. हकीकत वो नहीं है। बजट है लेकिन जो काम परिणाम नहीं देते हैं उसकी चिंता हमें ज्यादा करने की आवश्यकता है। हमारे गांव में कोई drop out होता है बच्चा, क्या हमें पीड़ा होती है क्या, हमारा खुद का बच्चा अगर स्कूल छोड़ दे तो हमें दुख होता है। अगर हम पंचायत के प्रधान हैं तो गांव का भी कोई बच्चा स्कूल छोड़ दे, हमें उतनी ही पीड़ा होनी चाहिए, पूरी पंचायत को दर्द होना चाहिए। अगर ये हम करते हैं, अगर ये हम करते हैं, मैं नहीं मानता हूं कि हमारे गांव में कोई अशिक्षित रहेगा। और कोई सरंपच ये तय करके कि मेरे कार्यकाल में पांच साल में एक भी बच्चा drop out नहीं होगा। अगर इतना भी कर ले तो मैं कहता हूं, उस सरपंच ने एक पीढ़ी की सेवा कर-करके जा रहा है। ऐसा मैं मानता हूं।

नरेगा का काम हर गांव में चलता है। क्या हम उसमें पानी के लिए प्राथमिकता दें? जितनी ताकत लगानी है, लगाएं लेकिन पानी का प्रबंधन करने के लिए ही नरेगा का उपयोग करें, तो क्या कभी पानी का संकट आएगा क्या? हम व्यवस्थाओं को विकसित कर सकते हैं। आवश्यकता ये है कि मिलकर के नेतृत्व दें। हमारे गांव में कुछ लोग तो होंगे जो सरकार में कभी न कभी मुलाजिम रहे हों। Teacher रहे हों, पटवारी रहे हों और retired हो गए हों। यानी सरकार का पेंशन लेते हों। सरकारी मुलाजिम होने के नाते, निवृत्त होने के बाद पेंशन लेते हों। किसी गांव में तीन होंगे, पांच होंगे, दस होंगे, पंद्रह होंगे। क्या महीने में एक बार इन retired लोगों की मिटिंग कर सकते हैं? उनका अनुभव क्योंकि वो खाली हैं, समय हैं उनके पास, अगर मान लीजिए गांव में 5 retired teacher हैं। उनको कहें कि देखिए भई अपने गांव में चार बच्चे ऐसे हैं, बहुत बेचारे पीछे रह गए, थोड़ा सा समय दीजिए, थोड़ा सा इन बेचारों को पढाइए ना। अगर वो retired हुआ होगा न तो भी उसके DNA में teaching पड़ा हुआ होगा। उसको कहोगे हां-हां चलिए मैं समझ लेता हूं। इन चार गरीब बच्चों को मैं पढ़ा दूंगा, मैं उनकी चिंता करूंगा। हम थोड़ा motivate करें लोगों को, हम नेतृत्व करें आप देखिए गांव हमारा ऐसा नहीं हो सकता क्‍या? अपना गांव.. और मैंने देखा जी, देश में मैंने कई गांव ऐसे देखे हैं कि जहां उस सरपंच की सक्रियता के कारण गांव में परिवर्तन आया है।

मैं जब मुख्यमंत्री था, एक घटना ने मुझे बहुत.. यानी मेरे मन को बहुत आंदोलित किया था। खेड़ा district में, जहां सरदार पटेल साहब का जन्म हुआ था। एक गांव के अंदर पंचायत प्रधान के नीचे women reservation था। Women reservation था तो गांव वालों ने तय किया कि प्रधान अगर women है तो सभी member women क्यों न बनाई जाए? और गांव ने तय किया कि कोई पुरुष चुनाव नहीं लड़ेगा। सब के सब पंचायत के member भी महिलाएं बनेंगी। Reservation तो one-third था लेकिन सबने तय किया गांव वालों ने। एक दिन उन्होंने मेरे से समय मांगा पंचायत की सभी महिला सदस्यों ने और पंचायत के प्रधान ने। मेरे लिए बड़ा surprise था कि ये गांव बड़ा कमाल है भाई, सारे पुरुषों ने अपने आप withdraw को कर लिया और महिलाओं के हाथ में कारोबार दे दिया। तो मेरा भी मन कर लिया कि चलो मिलूं तो वो सब मुझे कोई 17 member का वो पंचायत थी। तो वो मिलने आईं। और ये बात कोई 2005 या 2006 की है। तो उसमें सबसे ज्यादा जो पढ़ी-लिखी महिला थी प्रधान थी, वो पांचवी कक्षा तक पढ़ी हुई थी। यानी इतना पिछड़ा हुआ गांव था कोई ज्यादा पढ़े-लिखे हुए लोग नहीं थे। तो ऐसे ही मेरा मन कर गया, मैंने पूछा उनको, मैंने कहा अब पंचायत सभी महिलाओं के हाथ में है, आपको गांव का कारोबार चलाना है तो क्या करना है, आपकी योजना क्या है करनी की? उन्होंने जो जवाब दिया, मैं नहीं मानता हूं हिंदुस्तान की सरकार में कभी इस रूप में सोचा गया होगा। कम से कम मैं मुख्यमंत्री था, मैंने इस रूप में नहीं सोचा था। उस जवाब ने मुझे सोचने के लिए मजबूर कर दिया था। ठेठ गांव की सामान्य महिलाएं थी।

मैंने उनसे पूछा कि अब पांच साल आपको कारोबार चलाना है तो क्या आपके मन में है? उस प्रधान ने जो कि पढ़ी-लिखी नहीं थी, उसने मुझे जवाब दिया। उसने मुझे कहा, “हम चाहते हैं कि हमारे गांव में कोई गरीब न रहे।“ अब देखिए क्या कल्पना है ये, क्या कभी हमारे देश में पंचायत ने, नगरपालिका ने, महानगरपालिका ने, मिल-बैठकर के तय किया कि हम हमारे गांव में उस प्रकार की योजनाएं चलाएंगे कि गरीब गांव में कोई न रहे। एक बार इतने बड़े level पर काम शुरू हो जाए, कितना बड़ा फर्क पड़ता है! क्या हम कभी पंचायत के प्रधान के नाते विचार कर सकते हैं कि भई कम से कम 5 परिवार, ज्यादा मैं नहीं कह रहा हूं, 5 परिवार पंचायत की रचना में कुछ काम ऐसा निकालेंगे, उनको फलों का पेड़ बोने के लिए दे देंगे, कुछ करेंगे लेकिन 5 को तो गरीबी से बाहर लाएंगे।

अगर हिंदुस्तान में एक गांव साल में 5 लोगों को गरीबी से बाहर लाता है, पूरे हिंदुस्तान में कितना बड़ा फर्क पड़ता है जी? क्या कुछ नहीं कर सकते, आप कभी अंदाज लगाइए। और ये सारी बातें मैं बताता हूं कि बजट के constraint वाले काम नहीं हैं - हमारी संकल्प शक्ति, हमारी कल्पकता, इसके ऊपर जुड़े हुए हैं। अगर इस पर हम बल दें तो हम सच्‍चे अर्थ में इस व्यवस्था को अपने गांव के विकास के लिए परिवर्तित कर सकते हैं।

हम तब तक गांव का विकास नहीं कर पाएंगे जब तक हम गांव के प्रति गौरव और सम्मान का भाव पैदा नहीं करते हैं। उस गांव में पैदा हुए, मतलब सम्मान होना चाहिए। आप देखिए जिस गांव में महात्मा गांधी का जन्म हुआ होगा, उस गांव का व्यक्ति कभी कहीं मिलेगा तो कहेगा, मैं उस गांव से हूं जहां महात्मा गांधी पैदा हुए थे। कहेगा कि नहीं कहेगा? हर किसी को रहता है, कि कोई ऐसी बात होती है, गांव का गर्व होता है उसको। क्या हमने कभी हमारे गांव में,के प्रति एक लगाव पैदा हो, गांव के प्रति गर्व पैदा हो, ऐसी कोई चीज करते हैं क्या? नहीं करते हैं। क्या गांव का जन्मदिन मनाया जा सकता है क्या? हो सकता है कि record पर नहीं होगा तो गांव तय करे कि किस दिन को जन्मदिन मनाया जाएगा। उस दिन गांव इकट्ठा हो और गांव के बाहर जो लोग रहने गए हो, शहरों में रोजी-रोटी कमाने के लिए, किसी ने बड़ी प्रगति की हो, कोई पढ़-लिख करके डॉक्टर बना हो, उस दिन सबको बुलाया जाए। एक दिन सब लोग, नए-पुराने सब साथ रहें। कुछ बालकों के कार्यक्रम हो जाएं, कुछ बड़ों के कार्यक्रम हो जाएं, senior citizen के कुछ कार्यक्रम हो जाएं, गांव में सबसे बड़ी उम्र वाले व्यक्ति का सम्मान हो जाए। और एक अपनेपन का भाव! जो गांव से बाहर गए होंगे, उनको भी लगेगा उस दिन कि चलो भई अब तो हम रोजी-रोटी कमा रहे हैं, बड़े शहर में रहे रहे हैं चलिए अगले साल इतना हमारी तरफ से गांव के लिए दान दे देंगे, हमारे गांव में ये विकास कर दो। आप देखिए जन-भागीदारी का ऐसा माहौल बनेगा, गांव का रूप-रंग बदल जाएगा।

कभी आपने सोचा है, हमारी आने वाली पीढ़ी को तैयार करना है तो.. मैं कई बार गांव को पूछता हूं, भई आपके गांव में सबसे वृद्ध-oldest, oldest tree कौन सा है, कौन सा वृक्ष है जो सबसे बूढ़ा होगा? गांव को पता नहीं है, क्यों? ध्यान ही नहीं है! क्या हम पंचायत के लोग तय कर सकते हैं कि चलो भई ये सबसे बड़ी आयु का वृक्ष कौन सा दिखता है, ये सबसे बड़ा है, स्कूल के बच्चों को ले जाइए कि देखो भई अपने गांव की सबसे बड़ी आयु का वृक्ष ये है, ये है सबसे बड़ा वो, 200 साल उम्र होगी उसकी, 100 साल होगी उसकी, 80 साल होगी उसकी, जो भी होगा। चलो भई उसका भी सम्मान करे, उसका भी गौरव करें। यही तो है जो गांव के विकास का सबसे बड़ा साक्ष्य है। He is a witness! हम किस प्रकार से अपने गांव के गौरव को जोड़ें, गांव के साथ अपने आप कैसे लगाव लोगों का पैदा करें? आप देखिए अपने आप बदलाव आना शुरू हो जाएगा। और इसलिए मैं आग्रह करता हूं कि आप नेतृत्व दीजिए, अनेक नई कल्पकताओं के साथ नेतृत्व दीजिए।

हमारे देश ने बहुत बड़ा निर्णय किया है। कभी-कभी पश्चिम के देशों से बातें होती हैं और जब कहते हैं कि भारत में महिलाओं के लिए पंचायती व्यवस्था में reservation है तो कईयों आश्चर्य होता है। हिंदुस्तान में political process में decision making process में महिलाओं को इतना बड़ा अधिकार दिया गया है कि विश्व के बहुत बड़े-बड़े देशों के लिए surprise होता है। लेकिन कभी-कभी हमारे यहां क्या होता है।.. एक पहले तो मैं सरकार से जुड़ा हुआ नहीं था, संगठन के काम में लगा रहता था तो देशभर में मेरा भ्रमण होता था। तो लोगों से मिलता था। मिलता था तो थोड़ा परिचय भी करता था, एक बार परिचय देकर मैंने कहा, आप कौन हैं? तो उसने कहा मैं so and so SP हूं। तो मैंने कहा SP हैं! और political meeting में कैसे आ गए? क्योंकि मैं... SP यानी Superintendent of Police.. ये ही मेरे दिमाग में था। क्योंकि SP यानी पुलिस – पुलिसवाला हो के ये meeting में कैसे आ गए? तो मैंने कहा SP... तो बोले नहीं-नहीं मैं सरकारी नहीं हूं तो मैंने बोला क्या हैं? तो बोले “मैं सरपंच पति हूं।“

अब कानून ने तो empower कर दिया लेकिन जो SP कारोबार चला रहे हैं भई... है ना? हकीकत है ना? अब कानून ने महिलाओं को अधिकार दिया है तो उनको मौका भी देना चाहिए। और मैं कहता हूं जी, वो बहुत अच्‍छा काम करेंगी आप विश्‍वास कीजिए, बहुत अच्‍छा काम करेंगी। सच्‍चे अर्थों में गांव में परिवर्तन होंगे। अभी आपने छत्‍तीसगढ़ का भाषण सुना। बिना हाथ में कागज़ लिए गांव में क्या काम किया है, उन्‍होंने बताया कि नहीं बताया? और पता है उनको कि सरपंच के नाते अपने गांव में कितने काम हैं, किन-किन कामों पर ध्‍यान देना चाहिए, सब चीज का पता है। ये सामर्थ्‍य है हमारी माताओं-बहनों में। इसलिए ये SP वाला जो culture है वो बंद होना चाहिए। उनको अवसर देना चाहिए, उनको काम करने के लिए प्रोत्‍साहित करना चाहिए। और हम अवसर देंगे तो वे परिणाम भी दिखाएंगे।

तो मैं आज पंचायती राज दिवस पर आप सबको हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। जो award winner हैं, उनसे आप बात करेंगे तो पता चलेगा कि उन्‍होंने अपने-अपने यहां बहुत नए-नए प्रयोग किए होंगे, जो आपको भी काम आ सकते हैं। लेकिन अगर गांव तय करे तो दुनिया देखने के लिए आए, ऐसा गांव बन सकता है जी। ये ताकत होती है गांव की, एक परिवार होता है, अपनापन होता है, सुख-दु:ख के साथी होते हैं।

उस भाव को फिर से हम जगाएं और गांवों को बहुत आगे बढ़ाएं, इसी एक अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्‍यवाद।

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ભારત માતા કી જય!

ભારત માતા કી જય!

ભારત માતા કી જય!

દુનિયાએ હમણાં જ આ જયઘોષની શક્તિ જોઈ છે. ભારત માતા કી જય, આ ફક્ત એક જયઘોષ નથી, તે દેશના દરેક સૈનિકની શપથ છે. જે ભારત માતાના સન્માન અને ગરિમા માટે પોતાનો જીવ જોખમમાં મૂકે છે. આ દેશના દરેક નાગરિકનો અવાજ છે. જે દેશ માટે જીવવા માંગે છે અને તેના માટે કંઈક પ્રાપ્ત કરવા માંગે છે. ભારત માતા કી જય, ક્ષેત્રમાં અને મિશનમાં પણ ગુંજતો રહે છે. જ્યારે ભારતીય સૈનિકો જય મા ભારતીના નારા લગાવે છે, ત્યારે દુશ્મનનું હૃદય ધ્રૂજી જાય છે. જ્યારે આપણા ડ્રોન દુશ્મનના કિલ્લાની દિવાલોનો નાશ કરે છે, જ્યારે આપણા મિસાઇલો તીક્ષ્ણ અવાજ સાથે લક્ષ્ય સુધી પહોંચે છે, ત્યારે દુશ્મન સાંભળે છે - ભારત માતા કી જય! જ્યારે આપણે રાતના અંધારામાં પણ સૂર્ય ઉગાવીએ છીએ, ત્યારે દુશ્મન જોઈ શકે છે - ભારત માતા કી જય! જ્યારે આપણા દળો પરમાણુ બ્લેકમેલના ખતરાને નિષ્ફળ બનાવે છે, ત્યારે આકાશથી જમીન સુધી ફક્ત એક જ વાત ગુંજતી રહે છે - ભારત માતા કી જય!

મિત્રો,

ખરેખર, તમે બધાએ લાખો ભારતીયોને ગૌરવ અપાવ્યું છે; તમે દરેક ભારતીયને ગર્વની લાગણી અપાવી છે. તમે ઇતિહાસ રચ્યો છે. અને હું આજે વહેલી સવારે તમારી વચ્ચે તમને મળવા આવ્યો છું. જ્યારે વીરોના પગ ધરતીને સ્પર્શે છે, ત્યારે ધરતી ધન્ય બની જાય છે, જ્યારે વીરોને જોવાની તક મળે છે, ત્યારે જીવન ધન્ય બની જાય છે. અને એટલે જ હું આજે વહેલી સવારે તમને મળવા આવ્યો છું. ઘણા દાયકાઓ પછી પણ, જ્યારે ભારતની આ વીરતાની ચર્ચા થશે, ત્યારે તમે અને તમારા સાથીઓ તેનો સૌથી અગ્રણી પ્રકરણ હશો. તમે બધા દેશની વર્તમાન અને ભાવિ પેઢીઓ માટે એક નવી પ્રેરણા બન્યા છો. આજે, વીરોની આ ભૂમિ પરથી, હું વાયુસેના, નૌકાદળ અને સેનાના બધા બહાદુર સૈનિકો અને બીએસએફના આપણા નાયકોને સલામ કરું છું. તમારી બહાદુરીને કારણે, આજે ઓપરેશન સિંદૂરનો પડઘો દરેક ખૂણામાં સંભળાઈ રહ્યો છે. આ સમગ્ર ઓપરેશન દરમિયાન દરેક ભારતીય તમારી સાથે ઉભો રહ્યો, દરેક ભારતીયની પ્રાર્થનાઓ તમારી સાથે હતી. આજે દેશનો દરેક નાગરિક તેના સૈનિકો અને તેમના પરિવારોનો આભારી અને ઋણી છે.

મિત્રો,

ઓપરેશન સિંદૂર એ કોઈ સામાન્ય લશ્કરી કાર્યવાહી નથી. આ ભારતની નીતિ, ઇરાદા અને નિર્ણય લેવાની ક્ષમતાનો સંગમ છે. ભારત બુદ્ધની ભૂમિ છે અને ગુરુ ગોવિંદસિંહજીની પણ ભૂમિ છે. ગુરુ ગોવિંદસિંહજીએ કહ્યું હતું - "સવા લાખ સે એક લડાઉ, ચીડિયા સે મૈં બાજ ઉડાઉ, તબ ગોવિંદસિંહ નામ કહાઉ" દુષ્ટતાનો નાશ કરવા અને ન્યાયીપણાની સ્થાપના કરવા માટે શસ્ત્રો ઉપાડવાની આપણી પરંપરા છે. એટલા માટે જ્યારે આપણી બહેનો અને દીકરીઓના સિંદૂર ભૂંસાઈ ગયા, ત્યારે આપણે આતંકવાદીઓના ઘરમાં ઘૂસીને તેમના દાંત કચડી નાખ્યા. તેઓ કાયરની જેમ છુપાઈને આવ્યા હતા, પણ તેઓ ભૂલી ગયા કે તેમણે જેને પડકાર ફેંક્યો હતો તે ભારતીય સેના હતી. તમે સામેથી હુમલો કર્યો અને તેમને મારી નાખ્યા, તમે આતંકના બધા મોટા ઠેકાણાઓનો નાશ કર્યો, 9 આતંકવાદી ઠેકાણાઓનો નાશ થયો, 100થી વધુ આતંકવાદીઓ માર્યા ગયા, આતંકના આકાઓ હવે સમજી ગયા છે કે, ભારત તરફ નજર ઉંચકવાનું એક જ પરિણામ હશે - વિનાશ! ભારતમાં નિર્દોષ લોકોના લોહી વહેવડાવવાનું એક જ પરિણામ આવશે - વિનાશ અને મહાન વિનાશ! ભારતીય સેના, ભારતીય વાયુસેના અને ભારતીય નૌકાદળે પાકિસ્તાની સેનાને હરાવી દીધી છે. જેના પર આ આતંકવાદીઓ આધાર રાખતા હતા. તમે પાકિસ્તાની સેનાને પણ કહ્યું છે કે પાકિસ્તાનમાં એવી કોઈ જગ્યા નથી જ્યાં આતંકવાદીઓ બેસીને શાંતિથી શ્વાસ લઈ શકે. અમે તેમના ઘરોમાં ઘૂસીને તેમને મારી નાખીશું અને તેમને ભાગવાનો મોકો પણ નહીં આપીએ. અને આપણા ડ્રોન, આપણા મિસાઇલો, પાકિસ્તાન તેમના વિશે વિચારીને ઘણા દિવસો સુધી ઊંઘી શકશે નહીં. તેમણે કૌશલ દિખલાયા ચાલો મેં, ઉડ ગયા ભયાનક ભાલો મેં, નિર્ભિક ગયા વહ ઢાલો મેં, સરપટ દૌડા કરવાલો મેં. આ પંક્તિઓ મહારાણા પ્રતાપના પ્રખ્યાત ઘોડા ચેતક પર લખેલી છે, પરંતુ આ પંક્તિઓ આજના આધુનિક ભારતીય શસ્ત્રોમાં પણ બંધ બેસે છે.

મારા બહાદુર સાથીઓ,

ઓપરેશન સિંદૂર દ્વારા, તમે રાષ્ટ્રનું મનોબળ વધાર્યું છે, રાષ્ટ્રને એકતાના દોરમાં બાંધ્યું છે, અને તમે ભારતની સરહદોનું રક્ષણ કર્યું છે, ભારતના આત્મસન્માનને નવી ઊંચાઈઓ પર લઈ ગયા છો.

મિત્રો,

તમે કંઈક એવું કર્યું જે અભૂતપૂર્વ, અકલ્પનીય, અદ્ભુત છે. આપણી વાયુસેનાએ પાકિસ્તાનમાં ઘૂસીને આતંકવાદી ઠેકાણાઓને નિશાન બનાવ્યા છે. સરહદ પારના લક્ષ્યોને ભેદવું, ફક્ત 20-25 મિનિટમાં પિન-પોઇન્ટ લક્ષ્યોને ભેદવા એ આધુનિક ટેકનોલોજીથી સજ્જ એક વ્યાવસાયિક દળ જ કરી શકે છે. તમારી ગતિ અને ચોકસાઈ એટલી હદે હતી કે દુશ્મન સ્તબ્ધ થઈ ગયો. તેને ખ્યાલ પણ ન રહ્યો કે ક્યારે તેની છાતી વીંધાઈ ગઈ.

મિત્રો,

અમારો ઉદ્દેશ્ય પાકિસ્તાનની અંદર આવેલા આતંકવાદી મુખ્યાલય પર હુમલો કરીને આતંકવાદીઓને ઠાર કરવાનો હતો. પરંતુ હું કલ્પના કરી શકું છું કે પાકિસ્તાને પોતાના પેસેન્જર વિમાનોને આગળ રાખીને જે કાવતરું રચ્યું હતું, તે ક્ષણ કેટલી મુશ્કેલ હશે, જ્યારે નાગરિક વિમાન દેખાતું હતું, અને મને ગર્વ છે કે તમે ખૂબ જ કાળજીપૂર્વક, ખૂબ જ સાવધાનીપૂર્વક, નાગરિક વિમાનને કોઈ નુકસાન પહોંચાડ્યા વિના, તેનો નાશ કરીને તમારો જવાબ બતાવ્યો. હું ગર્વથી કહી શકું છું કે તમે બધાએ તમારા લક્ષ્યો સંપૂર્ણપણે પ્રાપ્ત કર્યા છે. પાકિસ્તાનમાં આતંકવાદીઓના ઠેકાણા અને તેમના એરબેઝનો નાશ થયો એટલું જ નહીં, પરંતુ તેમના દુષ્ટ ઇરાદા અને તેમની હિંમત બંનેનો નાશ થયો.

મિત્રો,

ઓપરેશન સિંદૂરથી હતાશ થયેલા દુશ્મને આ એરબેઝ તેમજ આપણા ઘણા એરબેઝ પર હુમલો કરવાનો ઘણી વખત પ્રયાસ કર્યો. તેણે વારંવાર અમને નિશાન બનાવ્યા, પરંતુ પાકિસ્તાનના દુષ્ટ ઇરાદા દર વખતે નિષ્ફળ ગયા. પાકિસ્તાનના ડ્રોન, તેના યુએવી, પાકિસ્તાનના વિમાન અને તેના મિસાઇલો, બધાને આપણા મજબૂત હવાઈ સંરક્ષણ દ્વારા નષ્ટ કરવામાં આવ્યા. હું દેશના તમામ એરબેઝના નેતૃત્વની, ભારતીય વાયુસેનાના દરેક વાયુ યોદ્ધાની હૃદયપૂર્વક પ્રશંસા કરું છું, તમે ખરેખર ખૂબ જ સારું કામ કર્યું છે.

મિત્રો,

આતંકવાદ સામે ભારતની લક્ષ્મણ રેખા હવે એકદમ સ્પષ્ટ છે. હવે જો ફરીથી કોઈ આતંકવાદી હુમલો થશે તો ભારત જવાબ આપશે, તે ચોક્કસ જવાબ આપશે. આપણે સર્જિકલ સ્ટ્રાઈક દરમિયાન, હવાઈ હુમલા દરમિયાન આ જોયું છે, અને હવે ઓપરેશન સિંદૂર ભારતનું ન્યૂ નોર્મલ છે. અને જેમ મેં ગઈકાલે પણ કહ્યું હતું તેમ, ભારતે હવે ત્રણ સિદ્ધાંતો પર નિર્ણય લીધો છે, પ્રથમ - જો ભારત પર આતંકવાદી હુમલો થશે, તો અમે અમારી રીતે, અમારી શરતો પર અને અમારા પોતાના સમયે જવાબ આપીશું. બીજું - ભારત કોઈપણ પરમાણુ બ્લેકમેલ સહન કરશે નહીં. ત્રીજું, આપણે આતંકવાદને સમર્થન આપતી સરકાર અને આતંકવાદના આકાઓને અલગ અલગ સંસ્થાઓ તરીકે નહીં જોઈએ. દુનિયા પણ ભારતના આ નવા સ્વરૂપને, આ નવી વ્યવસ્થાને સમજીને આગળ વધી રહી છે.

મિત્રો,

ઓપરેશન સિંદૂરની દરેક ક્ષણ ભારતીય સશસ્ત્ર દળોની તાકાતનો પુરાવો આપે છે. આ સમયગાળા દરમિયાન, આપણા દળો વચ્ચેનું સંકલન, મારે કહેવું જ જોઇએ, ઉત્તમ હતું. આર્મી હોય, નેવી હોય કે એરફોર્સ, બધા વચ્ચે સંકલન જબરદસ્ત હતું. નૌકાદળે સમુદ્ર પર પોતાનું વર્ચસ્વ સ્થાપિત કર્યું. સેનાએ સરહદ મજબૂત બનાવી. અને ભારતીય વાયુસેનાએ હુમલો અને બચાવ બંને કર્યા. બીએસએફ અને અન્ય દળોએ પણ અદ્ભુત ક્ષમતાઓનું પ્રદર્શન કર્યું છે. સંકલિત હવાઈ અને જમીન લડાઇ પ્રણાલીઓએ અદ્ભુત કામ કર્યું છે. અને આ જ છે, એકતા, આ હવે ભારતીય દળોની તાકાતની એક મજબૂત ઓળખ બની ગઈ છે.

મિત્રો,

ઓપરેશન સિંદૂરમાં, માનવબળ અને મશીનો વચ્ચેનું સંકલન પણ અદ્ભુત રહ્યું છે. ભારતની પરંપરાગત હવાઈ સંરક્ષણ પ્રણાલીઓ હોય, જેણે ઘણી લડાઈઓ જોઈ છે, કે પછી આકાશ જેવા આપણા મેડ ઇન ઈન્ડિયા પ્લેટફોર્મ હોય, તેમને S-400 જેવી આધુનિક અને શક્તિશાળી સંરક્ષણ પ્રણાલીઓ દ્વારા અભૂતપૂર્વ તાકાત આપવામાં આવી છે. એક મજબૂત સુરક્ષા કવચ ભારતની ઓળખ બની ગઈ છે. પાકિસ્તાનના તમામ પ્રયાસો છતાં, આપણા એરબેઝ કે આપણા અન્ય સંરક્ષણ માળખાને કોઈ અસર થઈ નથી. અને આનો શ્રેય તમારા બધાને જાય છે, અને મને તમારા બધા પર ગર્વ છે, આ શ્રેય સરહદ પર તૈનાત દરેક સૈનિકને જાય છે, આ કામગીરી સાથે સંકળાયેલા દરેક વ્યક્તિને જાય છે.

મિત્રો,

આજે આપણી પાસે નવી અને અદ્યતન ટેકનોલોજીની એટલી ક્ષમતા છે કે પાકિસ્તાન તેની સાથે સ્પર્ધા કરી શકે તેમ નથી. છેલ્લા દાયકામાં, વાયુસેના સહિત આપણા બધા દળો પાસે વિશ્વની શ્રેષ્ઠ ટેકનોલોજીની પહોંચ છે. પરંતુ આપણે બધા જાણીએ છીએ કે નવી ટેકનોલોજી સાથે, પડકારો પણ મોટા થાય છે. જટિલ અને અત્યાધુનિક સિસ્ટમો જાળવવી, તેમને કાર્યક્ષમતાથી ચલાવવી, એ એક મહાન કૌશલ્ય છે. તમે ટેકનોલોજીને યુક્તિઓ સાથે જોડીને બતાવ્યું છે. તમે સાબિત કર્યું છે કે તમે આ રમતમાં, દુનિયામાં શ્રેષ્ઠ છો. ભારતીય વાયુસેના હવે માત્ર શસ્ત્રોથી જ નહીં પરંતુ ડેટા અને ડ્રોનથી પણ દુશ્મનને હરાવવામાં માહિર બની ગઈ છે.

મિત્રો,

પાકિસ્તાનની અપીલ પછી, ભારતે ફક્ત તેની લશ્કરી કાર્યવાહી મુલતવી રાખી છે. જો, પાકિસ્તાન ફરીથી આતંકવાદી પ્રવૃત્તિ અથવા લશ્કરી સાહસનો આશરો લેશે, તો અમે યોગ્ય જવાબ આપીશું. તેઓ આ પ્રશ્નનો જવાબ પોતાની રીતે, પોતાની શરતો પર આપશે. અને આ નિર્ણયનો પાયો, તેની પાછળ છુપાયેલો આત્મવિશ્વાસ, તમારા બધાના ધૈર્ય, હિંમત, બહાદુરી અને સતર્કતા પર આધારિત છે. તમારે આ હિંમત, આ જુસ્સો, આ ઉત્સાહ આમ જ જાળવી રાખવો પડશે. આપણે સતત સજાગ રહેવું પડશે, તૈયાર રહેવું પડશે. આપણે દુશ્મનને યાદ અપાવતા રહેવું પડશે કે આ એક નવું ભારત છે. આ ભારત શાંતિ ઇચ્છે છે, પરંતુ જો માનવતા પર હુમલો થાય છે, તો આ ભારત યુદ્ધના મોરચે દુશ્મનનો નાશ કેવી રીતે કરવો તે પણ સારી રીતે જાણે છે. આ સંકલ્પ સાથે, ચાલો ફરી એકવાર કહીએ-

ભારત માતા કી જય. ભારત માતા કી જય.

ભારત માતા કી જય.

વંદે માતરમ. વંદે માતરમ.

વંદે માતરમ. વંદે માતરમ.

વંદે માતરમ. વંદે માતરમ.

વંદે માતરમ. વંદે માતરમ.

વંદે માતરમ.

ખૂબ ખૂબ આભાર.