Text of PM's remarks on National Panchayati Raj Day

Published By : Admin | April 24, 2015 | 13:46 IST

मंत्रिपरिषद के मेरे साथी, देश के अलग-अलग भागों से आए हुए पंचायत राज व्‍यवस्‍था के सभी प्रेरक महानुभाव,

जिन राज्‍यों को आज मुझे सम्‍मानित करने का सौभाग्‍य मिला है उन सभी राज्‍यों को मैं हृदय से बधाई देता हूं। आज जिला परिषदों को भी और ग्राम पंचायतों का भी सम्‍मान होने वाला है। उन सबको भी मैं हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। पंचायत राज दिवस पर मैं देशभर में पंचायत राज व्‍यवस्‍था से जुड़े हुए सक्रिय सभी महानुभावों को आज शुभकामनाएं देता हूं।

महात्‍मा गांधी हमेशा कहते थे कि भारत गांवों में बसता है। उन गांवों के विकास की तरफ हम कैसे आगे बढ़े दूर-सुदूर छोटे-छोटे गांवों के भी अब सपने बहुत बड़े हैं। और मुझे विश्‍वास है कि आप सब के नेतृत्‍व में गांव की चहुं दिशा में प्रगति होगी। मैं नहीं मानता हूं कि अब.. जैसे अभी हमारे चौधरी साहब बता रहे थे कि पहले से तीन गुना बजट होने वाला है आपका और तुरंत तालियां बज गई। कभी-कभी मुझे लगता है कि हम जो पंचायत में चुन करके आए हैं, कभी सोचा है कि हम 5 साल के कार्यकाल में हम हमारे गांव को क्‍या दें करके जाना चाहते है? कभी ये सोचा है कि हमारे 5 साल के बाद हमारा गांव हमें कैसे याद करेगा? जब तक हमारे मन में गांव के लिए कुछ कर गुजरना है - ये spirit पैदा नहीं होता है तो सिर्फ बजट के कारण स्थितियां बदलती नहीं हैं।

पिछले 60 साल में जितने रुपए आए होगे उसका सारा total लगा दिया जाए, और फिर देखा जाए कि भई गांव में क्‍या हुआ तो लगेगा कि इतने सारे रुपए गए तो परिणाम क्‍यों नहीं आया? और इसलिए कभी न कभी पंचायत level पर सोचना चाहिए। कुछ राज्‍य ऐसे हैं हमारे देश में जहां पर पंचायतें अपना five year plan बनाती हैं, पंचवर्षीय योजना बनाती हैं। 5 साल में इतने काम हम करेंगे और वो गांव के पंचायत के उसमें वो board पर लिख करके रखते हैं और उसके कारण एक निश्चित दिशा में काम होता है और गांव कुछ समस्‍याओं से बाहर आ जाता है। हम भी आदत डालें कि भई हम 5 साल में हमारे गांव में ये करके जाएंगे। अगर ये हम करते है तो आप देखिए कि बदलाव आना शुरू होगा।

बजट और leadership दोनों का combination कैसे परिणाम लाता है? हम जानते है कि गांव में CC road बनाना ये जैसे एक बहुत बड़ा काम है और बहुत महत्‍वपूर्ण काम है इस प्रकार की मानसिकता बनी हुई है। इसके पीछे कारण क्‍या है वो आप भी जानते है, मैं भी जानता हूं। लेकिन कुछ सरपंच ऐसे होते हैं जो CC road तो बना देते है, CC road तो बना देते है, लेकिन पहले से प्‍लान करके दोनों किनारों पर बढि़यां पेड़ लगा देते है। वृक्षारोपण करते है और जैसे ही गांव में entry करता तो ऐसा हरा-भरा गांव लगता है। तो बजट से तो CC road बनता है लेकिन उनकी leadership quality है कि गांव को जोड़ करके रोड़ बनते ही पौधे लगा देते हैं और वो वृक्ष बन जाते हैं और एकदम से गांव में कोई आता है तो बिल्‍कुल नजरिया ही बदल जाता है। कुछ दूसरे प्रकार के होते हैं सरपंच जो क्‍या करते हैं और गांव में से कोई धनी व्‍यक्ति कहीं कमाने गया तो उसको कहते है कि ऐसा करो भाई तुम गांव को gate लगा दो। तो बड़ा पत्‍थर का 2, 5, 10 लाख का gate लगवा देते हैं। उसको लगता है कि मैंने gate बनवा दिया तो बस गांव का काम हो गया। लेकिन दूसरे को लगता है कि मैं पेड़ लगाऊंगा। आप भी सोचिएं बैठे-बैठे कि सचमुच में जन-भागीदारी से जिसने पेड़ लगाएं हैं, CC road, enter होते ही आधे कि.मी., एक कि.मी. हरे-भरे वृक्षों की घटा के बीच से गांव जाता है तो वो दृश्‍य कैसा होता होगा? ये है leadership की quality कि हम किन चीजों को प्रधानता देते है। इस पर इस काम का प्रभाव होता है.. जिसमें आपको बजट का खर्च नहीं करना है, आपको बजट की चिंता नहीं करनी है। जो मिलने वाला है.. जैसे बताया गया कम से कम 15 लाख और ज्‍यादा से ज्‍यादा 1 करोड़ से भी ज्‍यादा।

लेकिन इसके अतिरिक्‍त बहुत पैसा गांव में आता है। आंगनवाड़ी चलती है, प्राथमिक स्‍कूल चलता है, PHC centre चलता है, बहुत सी चीजें चलती है, जिसका खर्चा तो सरकारी राह से अपनी व्‍यवस्‍था से आता है। इसमें आपको कोई लेना-देना नहीं होता है। क्‍या कभी एक सरपंच के नाते, गांव की पंचायत के नाते हमने इन चीजों पर ध्‍यान केन्द्रित किया है क्‍या? कि भई, मेरे गांव में एक भी बच्‍चा ऐसा नहीं होगा कि जो टीकाकरण में वंचित रह जाए। हम पंचायत के लोग जी-जान से जुटेंगे, गांव को जगाएंगे कि भई टीकाकरण है, सभी बच्‍चों का हुआ है कि नहीं हुआ, चलो देखो! अब इसमें कोई पैसे लगते है है क्‍या? बजट नहीं लगता है, leadership लगती है। एक समाज के प्रति कुछ कार्य करने के दायित्व का भाव लगता है।

हमारे गांव में स्‍कूल तो है, teacher है, सरकार बजट खर्च कर रही है, हमने कभी देखा क्‍या - कि भई हमारे teacher आते है कि नहीं? बच्‍चे स्‍कूल जाते है कि नहीं? समय पर स्‍कूल चलता है कि नहीं चलता? बच्‍चे खेलकूद में हिस्‍सा लेते है कि नहीं लेते? बच्‍चे library का उपयोग करते है कि नहीं करते? Computer दिया है तो चलता है कि नहीं चलता? ये हम एक पंचायत के नाते.. हमारे गांव के बच्‍चे पढ़-लिख करके आगे बढ़ें, आपको बजट खर्च नहीं करना है, न ही बजट की चिंता करनी है सिर्फ आपको गांव की चिंता करनी है, आने वाली पीढ़ी की चिंता करनी है।

हमारे यहां आशा worker हैं, आशा worker को कभी पूछा है कि आपका काम कैसा चल रहा है, कोई कठिनाई है क्या? हर गांव में भी सरकार है लेकिन वो बिखरा पड़ा हुआ है। क्‍या हम एक प्रयास कर सकते है क्‍या कि सप्‍ताह में एक दिन, एक घंटे के लिए, जितने भी सरकारी व्‍यक्ति हैं गांव में, उनको बिठाएंगे एक साथ और बैठ करके अपना गांव, अपना विकास.. उसके लिए क्‍या कर सकते हैं। बैठ करके चर्चा करेंगे तो शिक्षक कहेंगा कि मुझे ये करना है लेकिन हो नहीं रहा है, तो आंगनवाड़ी worker कहेगी कि हां-हां चलो मैं मदद कर देती हूं, आशा worker कहेंगी कि अच्‍छा कोई बात नहीं, मैं कल आपके लिए 2 घंटे लगा दूंगी.. अगर गांव में हम leadership ले करके team बना लें, सरकार के इतने लोग हमारे यहां होते है लेकिन हमें भी पता नहीं होता। सरकार के इतने लोग हमारे यहां रहते हैं लेकिन हमें भी पता नहीं होता है। Even बस का driver, conductor भी रहता होगा और बस चलाता होगा, वो भी तो एक सरकार का मुलाजिम है। Constable होता होगा, वो भी एक मुलाजिम है। पटवारी है, वो भी एक मुलाजिम है।

क्या कभी हमने ये सोचा है, सप्ताह में एक घंटा कम से कम हम सरकार के रूप में एक साथ बैठेंगे? सामूहिक रूप से अपने पंचायत के विकास की चर्चा करेंगे। आप देखिए, देखते ही देखते बदलाव शुरू हो जाएगा, Team बनना शुरू हो जाएगा। और मैं वो बातें नहीं बता रहूं जिसमें बजट एक समस्या है। लेकिन वरना हमारे देश में एक ऐसा माहौल बना दिया गया है कि क्यों नहीं होता है, बजट नहीं है.. हकीकत वो नहीं है। बजट है लेकिन जो काम परिणाम नहीं देते हैं उसकी चिंता हमें ज्यादा करने की आवश्यकता है। हमारे गांव में कोई drop out होता है बच्चा, क्या हमें पीड़ा होती है क्या, हमारा खुद का बच्चा अगर स्कूल छोड़ दे तो हमें दुख होता है। अगर हम पंचायत के प्रधान हैं तो गांव का भी कोई बच्चा स्कूल छोड़ दे, हमें उतनी ही पीड़ा होनी चाहिए, पूरी पंचायत को दर्द होना चाहिए। अगर ये हम करते हैं, अगर ये हम करते हैं, मैं नहीं मानता हूं कि हमारे गांव में कोई अशिक्षित रहेगा। और कोई सरंपच ये तय करके कि मेरे कार्यकाल में पांच साल में एक भी बच्चा drop out नहीं होगा। अगर इतना भी कर ले तो मैं कहता हूं, उस सरपंच ने एक पीढ़ी की सेवा कर-करके जा रहा है। ऐसा मैं मानता हूं।

नरेगा का काम हर गांव में चलता है। क्या हम उसमें पानी के लिए प्राथमिकता दें? जितनी ताकत लगानी है, लगाएं लेकिन पानी का प्रबंधन करने के लिए ही नरेगा का उपयोग करें, तो क्या कभी पानी का संकट आएगा क्या? हम व्यवस्थाओं को विकसित कर सकते हैं। आवश्यकता ये है कि मिलकर के नेतृत्व दें। हमारे गांव में कुछ लोग तो होंगे जो सरकार में कभी न कभी मुलाजिम रहे हों। Teacher रहे हों, पटवारी रहे हों और retired हो गए हों। यानी सरकार का पेंशन लेते हों। सरकारी मुलाजिम होने के नाते, निवृत्त होने के बाद पेंशन लेते हों। किसी गांव में तीन होंगे, पांच होंगे, दस होंगे, पंद्रह होंगे। क्या महीने में एक बार इन retired लोगों की मिटिंग कर सकते हैं? उनका अनुभव क्योंकि वो खाली हैं, समय हैं उनके पास, अगर मान लीजिए गांव में 5 retired teacher हैं। उनको कहें कि देखिए भई अपने गांव में चार बच्चे ऐसे हैं, बहुत बेचारे पीछे रह गए, थोड़ा सा समय दीजिए, थोड़ा सा इन बेचारों को पढाइए ना। अगर वो retired हुआ होगा न तो भी उसके DNA में teaching पड़ा हुआ होगा। उसको कहोगे हां-हां चलिए मैं समझ लेता हूं। इन चार गरीब बच्चों को मैं पढ़ा दूंगा, मैं उनकी चिंता करूंगा। हम थोड़ा motivate करें लोगों को, हम नेतृत्व करें आप देखिए गांव हमारा ऐसा नहीं हो सकता क्‍या? अपना गांव.. और मैंने देखा जी, देश में मैंने कई गांव ऐसे देखे हैं कि जहां उस सरपंच की सक्रियता के कारण गांव में परिवर्तन आया है।

मैं जब मुख्यमंत्री था, एक घटना ने मुझे बहुत.. यानी मेरे मन को बहुत आंदोलित किया था। खेड़ा district में, जहां सरदार पटेल साहब का जन्म हुआ था। एक गांव के अंदर पंचायत प्रधान के नीचे women reservation था। Women reservation था तो गांव वालों ने तय किया कि प्रधान अगर women है तो सभी member women क्यों न बनाई जाए? और गांव ने तय किया कि कोई पुरुष चुनाव नहीं लड़ेगा। सब के सब पंचायत के member भी महिलाएं बनेंगी। Reservation तो one-third था लेकिन सबने तय किया गांव वालों ने। एक दिन उन्होंने मेरे से समय मांगा पंचायत की सभी महिला सदस्यों ने और पंचायत के प्रधान ने। मेरे लिए बड़ा surprise था कि ये गांव बड़ा कमाल है भाई, सारे पुरुषों ने अपने आप withdraw को कर लिया और महिलाओं के हाथ में कारोबार दे दिया। तो मेरा भी मन कर लिया कि चलो मिलूं तो वो सब मुझे कोई 17 member का वो पंचायत थी। तो वो मिलने आईं। और ये बात कोई 2005 या 2006 की है। तो उसमें सबसे ज्यादा जो पढ़ी-लिखी महिला थी प्रधान थी, वो पांचवी कक्षा तक पढ़ी हुई थी। यानी इतना पिछड़ा हुआ गांव था कोई ज्यादा पढ़े-लिखे हुए लोग नहीं थे। तो ऐसे ही मेरा मन कर गया, मैंने पूछा उनको, मैंने कहा अब पंचायत सभी महिलाओं के हाथ में है, आपको गांव का कारोबार चलाना है तो क्या करना है, आपकी योजना क्या है करनी की? उन्होंने जो जवाब दिया, मैं नहीं मानता हूं हिंदुस्तान की सरकार में कभी इस रूप में सोचा गया होगा। कम से कम मैं मुख्यमंत्री था, मैंने इस रूप में नहीं सोचा था। उस जवाब ने मुझे सोचने के लिए मजबूर कर दिया था। ठेठ गांव की सामान्य महिलाएं थी।

मैंने उनसे पूछा कि अब पांच साल आपको कारोबार चलाना है तो क्या आपके मन में है? उस प्रधान ने जो कि पढ़ी-लिखी नहीं थी, उसने मुझे जवाब दिया। उसने मुझे कहा, “हम चाहते हैं कि हमारे गांव में कोई गरीब न रहे।“ अब देखिए क्या कल्पना है ये, क्या कभी हमारे देश में पंचायत ने, नगरपालिका ने, महानगरपालिका ने, मिल-बैठकर के तय किया कि हम हमारे गांव में उस प्रकार की योजनाएं चलाएंगे कि गरीब गांव में कोई न रहे। एक बार इतने बड़े level पर काम शुरू हो जाए, कितना बड़ा फर्क पड़ता है! क्या हम कभी पंचायत के प्रधान के नाते विचार कर सकते हैं कि भई कम से कम 5 परिवार, ज्यादा मैं नहीं कह रहा हूं, 5 परिवार पंचायत की रचना में कुछ काम ऐसा निकालेंगे, उनको फलों का पेड़ बोने के लिए दे देंगे, कुछ करेंगे लेकिन 5 को तो गरीबी से बाहर लाएंगे।

अगर हिंदुस्तान में एक गांव साल में 5 लोगों को गरीबी से बाहर लाता है, पूरे हिंदुस्तान में कितना बड़ा फर्क पड़ता है जी? क्या कुछ नहीं कर सकते, आप कभी अंदाज लगाइए। और ये सारी बातें मैं बताता हूं कि बजट के constraint वाले काम नहीं हैं - हमारी संकल्प शक्ति, हमारी कल्पकता, इसके ऊपर जुड़े हुए हैं। अगर इस पर हम बल दें तो हम सच्‍चे अर्थ में इस व्यवस्था को अपने गांव के विकास के लिए परिवर्तित कर सकते हैं।

हम तब तक गांव का विकास नहीं कर पाएंगे जब तक हम गांव के प्रति गौरव और सम्मान का भाव पैदा नहीं करते हैं। उस गांव में पैदा हुए, मतलब सम्मान होना चाहिए। आप देखिए जिस गांव में महात्मा गांधी का जन्म हुआ होगा, उस गांव का व्यक्ति कभी कहीं मिलेगा तो कहेगा, मैं उस गांव से हूं जहां महात्मा गांधी पैदा हुए थे। कहेगा कि नहीं कहेगा? हर किसी को रहता है, कि कोई ऐसी बात होती है, गांव का गर्व होता है उसको। क्या हमने कभी हमारे गांव में,के प्रति एक लगाव पैदा हो, गांव के प्रति गर्व पैदा हो, ऐसी कोई चीज करते हैं क्या? नहीं करते हैं। क्या गांव का जन्मदिन मनाया जा सकता है क्या? हो सकता है कि record पर नहीं होगा तो गांव तय करे कि किस दिन को जन्मदिन मनाया जाएगा। उस दिन गांव इकट्ठा हो और गांव के बाहर जो लोग रहने गए हो, शहरों में रोजी-रोटी कमाने के लिए, किसी ने बड़ी प्रगति की हो, कोई पढ़-लिख करके डॉक्टर बना हो, उस दिन सबको बुलाया जाए। एक दिन सब लोग, नए-पुराने सब साथ रहें। कुछ बालकों के कार्यक्रम हो जाएं, कुछ बड़ों के कार्यक्रम हो जाएं, senior citizen के कुछ कार्यक्रम हो जाएं, गांव में सबसे बड़ी उम्र वाले व्यक्ति का सम्मान हो जाए। और एक अपनेपन का भाव! जो गांव से बाहर गए होंगे, उनको भी लगेगा उस दिन कि चलो भई अब तो हम रोजी-रोटी कमा रहे हैं, बड़े शहर में रहे रहे हैं चलिए अगले साल इतना हमारी तरफ से गांव के लिए दान दे देंगे, हमारे गांव में ये विकास कर दो। आप देखिए जन-भागीदारी का ऐसा माहौल बनेगा, गांव का रूप-रंग बदल जाएगा।

कभी आपने सोचा है, हमारी आने वाली पीढ़ी को तैयार करना है तो.. मैं कई बार गांव को पूछता हूं, भई आपके गांव में सबसे वृद्ध-oldest, oldest tree कौन सा है, कौन सा वृक्ष है जो सबसे बूढ़ा होगा? गांव को पता नहीं है, क्यों? ध्यान ही नहीं है! क्या हम पंचायत के लोग तय कर सकते हैं कि चलो भई ये सबसे बड़ी आयु का वृक्ष कौन सा दिखता है, ये सबसे बड़ा है, स्कूल के बच्चों को ले जाइए कि देखो भई अपने गांव की सबसे बड़ी आयु का वृक्ष ये है, ये है सबसे बड़ा वो, 200 साल उम्र होगी उसकी, 100 साल होगी उसकी, 80 साल होगी उसकी, जो भी होगा। चलो भई उसका भी सम्मान करे, उसका भी गौरव करें। यही तो है जो गांव के विकास का सबसे बड़ा साक्ष्य है। He is a witness! हम किस प्रकार से अपने गांव के गौरव को जोड़ें, गांव के साथ अपने आप कैसे लगाव लोगों का पैदा करें? आप देखिए अपने आप बदलाव आना शुरू हो जाएगा। और इसलिए मैं आग्रह करता हूं कि आप नेतृत्व दीजिए, अनेक नई कल्पकताओं के साथ नेतृत्व दीजिए।

हमारे देश ने बहुत बड़ा निर्णय किया है। कभी-कभी पश्चिम के देशों से बातें होती हैं और जब कहते हैं कि भारत में महिलाओं के लिए पंचायती व्यवस्था में reservation है तो कईयों आश्चर्य होता है। हिंदुस्तान में political process में decision making process में महिलाओं को इतना बड़ा अधिकार दिया गया है कि विश्व के बहुत बड़े-बड़े देशों के लिए surprise होता है। लेकिन कभी-कभी हमारे यहां क्या होता है।.. एक पहले तो मैं सरकार से जुड़ा हुआ नहीं था, संगठन के काम में लगा रहता था तो देशभर में मेरा भ्रमण होता था। तो लोगों से मिलता था। मिलता था तो थोड़ा परिचय भी करता था, एक बार परिचय देकर मैंने कहा, आप कौन हैं? तो उसने कहा मैं so and so SP हूं। तो मैंने कहा SP हैं! और political meeting में कैसे आ गए? क्योंकि मैं... SP यानी Superintendent of Police.. ये ही मेरे दिमाग में था। क्योंकि SP यानी पुलिस – पुलिसवाला हो के ये meeting में कैसे आ गए? तो मैंने कहा SP... तो बोले नहीं-नहीं मैं सरकारी नहीं हूं तो मैंने बोला क्या हैं? तो बोले “मैं सरपंच पति हूं।“

अब कानून ने तो empower कर दिया लेकिन जो SP कारोबार चला रहे हैं भई... है ना? हकीकत है ना? अब कानून ने महिलाओं को अधिकार दिया है तो उनको मौका भी देना चाहिए। और मैं कहता हूं जी, वो बहुत अच्‍छा काम करेंगी आप विश्‍वास कीजिए, बहुत अच्‍छा काम करेंगी। सच्‍चे अर्थों में गांव में परिवर्तन होंगे। अभी आपने छत्‍तीसगढ़ का भाषण सुना। बिना हाथ में कागज़ लिए गांव में क्या काम किया है, उन्‍होंने बताया कि नहीं बताया? और पता है उनको कि सरपंच के नाते अपने गांव में कितने काम हैं, किन-किन कामों पर ध्‍यान देना चाहिए, सब चीज का पता है। ये सामर्थ्‍य है हमारी माताओं-बहनों में। इसलिए ये SP वाला जो culture है वो बंद होना चाहिए। उनको अवसर देना चाहिए, उनको काम करने के लिए प्रोत्‍साहित करना चाहिए। और हम अवसर देंगे तो वे परिणाम भी दिखाएंगे।

तो मैं आज पंचायती राज दिवस पर आप सबको हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। जो award winner हैं, उनसे आप बात करेंगे तो पता चलेगा कि उन्‍होंने अपने-अपने यहां बहुत नए-नए प्रयोग किए होंगे, जो आपको भी काम आ सकते हैं। लेकिन अगर गांव तय करे तो दुनिया देखने के लिए आए, ऐसा गांव बन सकता है जी। ये ताकत होती है गांव की, एक परिवार होता है, अपनापन होता है, सुख-दु:ख के साथी होते हैं।

उस भाव को फिर से हम जगाएं और गांवों को बहुत आगे बढ़ाएं, इसी एक अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्‍यवाद।

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ప్రియమైన దేశ ప్రజలారా.. నమస్కారం

గత కొన్ని రోజులుగా మనమందరం దేశ సామర్థ్యం, సహనాన్ని రెండింటిని చూశాం

మొదటగా..భారత దేశ పరాక్రమ సేనకు, సరిహద్దు బలగాలకు, నిఘా సంస్థలకు, శాస్త్రవేత్తలకు, ప్రతి ఒక్క భారతీయుడి తరఫున సెల్యూట్ చేస్తున్నాను.

మన వీర సైనికులు ఆపరేషన్ సిందూర్‌లో కచ్చితత్వంతో అసమాన శౌర్యాన్ని చూపిస్తూ లక్ష్యాలను ఛేదించారు

వారి వీరత్వం, పరాక్రమానికి, వారి సాహసానికి సెల్యూట్ చేస్తున్నాను

 

మన దేశ ప్రతి తల్లి, ప్రతి చెల్లి, ప్రతి కూతురుకు ఈ పరాక్రమాన్ని అంకితం చేస్తాం

 

మిత్రులారా...ఏప్రిల్ 22న పెహల్గామ్ లో ఉగ్రవాదులు క్రూరత్వాన్ని చూపించారు

ఈ ఘటన దేశాన్ని, ప్రపంచాన్ని వణికించింది.

సెలవులు గడపడానికి వెళ్లిన అమాయాక పౌరులను వారి మతం అడిగి...వారి కుటుంబం ముందే, వారి పిల్లల ముందే దయలేకుండా హతమార్చారు. ఇది ఉగ్రవాదానికి బీభత్సానికి, క్రూరత్వానికి ప్రతీక.

 

దేశంలోని సౌభ్రాత్రుత్వాన్ని విడగొట్టడానికి ఘోరమైన ప్రయత్నం. వ్యక్తిగతంగా నాకు ఇది ఎంతో బాధను కలిగించింది. ఈ ఉగ్రవాద దాడి తర్వాత దేశమంతా, ప్రతి పౌరుడు, ప్రతి సమాజం, ప్రతి వర్గం, ప్రతి రాజకీయ పార్టీ ముక్తకంఠంతో ఉగ్రవాదానికి వ్యతిరేకంగా కఠినమైన చర్యలు తీసుకోవాలని ఏకమయ్యారు. ఉగ్రవాదాన్ని తుదముట్టేంచేందుకు భారతీయ సైన్యానికి పూర్తి స్వేచ్ఛను ఇచ్చాం.

 

మన చెల్లెల్లు, కూతుళ్ల నుదిటి సింధూరాన్ని చేరిపేస్తే..దాని సమాధానం ఎలా ఉంటుందో ప్రతి ఉగ్రవాది, ఉగ్రవాద సంస్థ తెలుసుకుంది.

మిత్రులారా..ఆపరేషన్ సిందూర్ ఇదొక పేరు కాదు.

ఇది దేశంలోని కోటానుకోట్ల ప్రజల మనోభావాలతో ముడిపడి ఉంది

ఆపరేషన్ సిందూర్ న్యాయం కోసం ఒక అఖండ ప్రతిజ్ఞ.

మే 6 రాత్రి, మే7 తెల్లవారుజామున ఈ ప్రతిజ్ఞ ఫలితాలను ప్రపంచం మొత్తం చూసింది.

భారత సైన్యం పాకిస్థాన్ లోని ఉగ్రవాద స్థావరాలపై...వారి శిక్షణ కేంద్రాలపై కచ్చితమైన దాడి చేసింది. ఉగ్రవాదులు కలలో కూడా అనుకొని ఉండకపోవచ్చు...భారత్ ఇంత పెద్ద నిర్ణయం తీసుకుంటుందని..కానీ ఎప్పుడైతే దేశం ఏకమవుతుందో..నేషన్ ఫస్ట్ అనే భావన ఉంటుందో.. దేశ హితమే ముఖ్యమని అనుకుంటున్నామో అప్పుడే ఇలాంటి కఠినమైన నిర్ణయాలు తీసుకుంటాం. ఆ ఫలితాలను సాధించి చూపిస్తాం

 

పాకిస్తాన్ లోని ఉగ్రవాద స్థావరాలపై భారత్ మిసైల్ దాడులు చేసినప్పుడు, డ్రోన్ల దాడులు చేసినప్పుడు, ఉగ్రవాద సంస్థల భవనాలే కాకుండా వారి ధైర్యం కూడా ధ్వంసం అయ్యాయి. బవహల్ పూర్, మురిద్కేలో ఉన్న ఉగ్రవాద స్థావరాలు...ఒక రకంగా ప్రపంచ ఉగ్రవాదానికి విశ్వవిద్యాలయాలుగా ఉన్నాయి.

ప్రపంచంలో ఎక్కడైనా ఉగ్రవాద దాడి జరిగినా, 9/11, లండన్ బాంబ్ బ్లాస్టింగ్ లేదా, భారత్ లో జరిగిన పెద్ద ఉగ్రవాద దాడులు, వాటి మూలాలు ఈ ఉగ్రవాద విశ్వవిద్యాలయాలతో ముడిపడి ఉన్నాయి.

ఉగ్రవాదులు మన అక్కాచెల్లెల్ల సిందూరాన్ని తుడిచేశారు. అందుకే భారత్ ఉగ్రవాద ముఖ్య కేంద్రాలను సర్వనాశనం చేసింది. భారత్ దాడిలో వంద మందికిపైగా అతి భయంకరమైన ఉగ్రవాదులు హతం అయ్యారు.

గత రెండున్నర దశాబ్దాలుగా పాకిస్తాన్ లో ఉగ్రవాదానికి సూత్రధారులు బహిరంగంగా తిరుగుతున్నారు. భారత్‌కు వ్యతిరేకంగా కుట్రలు పన్నుతున్నారు. భారత్ ఒక్కదాడితో వారందరినీ అంతమొందించింది. మిత్రులారా.. భారత దేశ ఈ చర్యతో పాకిస్తాన్ ఎంతో నిరాశ, నిస్పృహకు, గాభరపాటుకు లోనయ్యింది. ఈ గాభరపాటులోనే పాకిస్తాన్ మరొక దుస్సాహసానికి పాల్పడింది. ఉగ్రవాదానికి వ్యతిరేకంగా భారత్ చేస్తున్న పోరులో భారత్ కు మద్దతుగా నిలవాల్సింది పోయి పాకిస్తాన్ భారత్ పై దాడిని ప్రారంభించింది. పాకిస్థాన్ మన పాఠశాలలు, కళాశాలలు, గురుద్వారాలు, సామాన్య పౌరుల నివాసాలే లక్ష్యంగా దాడులు చేసింది. పాక్ మన సైనిక స్థావరాలను లక్ష్యంగా చేసుకుంది. కానీ..దీంతో పాకిస్తాన్ నిజస్వరూపం బయటపడింది. అలాగే పాకిస్తాన్ కుట్రలు కూడా బయటపడ్డాయి..

ప్రపంచం మొత్తం పాకిస్తాన్ డ్రోన్లు, మిస్సైళ్లను భారత్ ఎలా ముక్కలుముక్కలు చేసిందో చూశాయి. భారత దేశ సమర్ధమైన ఎయిర్ డిఫెన్స్ సిస్టమ్, ఆ డ్రోన్లు, మిస్సైళ్లను ఆకాశంలోనే నాశనం చేశాయి. పాకిస్తాన్ సరిహద్దు వద్ద యుద్దానికి సిద్దమైంది..ఐతే భారత వాయుసేన పాకిస్తాన్ భూభాగంలోకి చొచ్చుకెళ్లి కీలక స్థావరాలపై దాడి చేసింది.

భారత డ్రోన్లు, మిస్సైళ్లు కచ్చితమైన లక్ష్యాలపై దాడి చేశాయి.

పాకిస్థాన్ వాయు సేన ఎయిర్ బేస్‌ను నష్టం కలిగించాం. ఈ ఎయిర్ బేస్ పై పాకిస్థాన్‌కు గర్వం ఉండేది. భారత్ మొదటి మూడు రోజుల్లోనే పాకిస్థాన్‌లో చేసిన నష్టం, వాళ్ల ఊహకు కూడా అందలేదు. అందుకే భారత ప్రతి దాడి తర్వాత పాకిస్థాన్ తనను తాను రక్షించుకునేందుకు అనేక మార్గాలను వెతకడం ప్రారంభించింది.

ఉద్రిక్తతలను తగ్గించాలని ప్రపంచ దేశాలకు పాకిస్తాన్ వినతులు చేసింది. ఇంత ఘోరంగా దెబ్బతినడంతో తప్పనిసరి పరిస్థితుల్లో మే 10 మధ్యాహ్నానికి పాక్ సైన్యం మన డీజీఎంవోను సంప్రదించారు. అప్పటికే..ఉగ్రవాద సంస్థల మౌలిక సదుపాయాలను పెద్దఎత్తున నాశనం చేశాం. అనేక ఉగ్రవాదులను హతం చేశాం. పాకిస్థాన్‌లో ఎన్నో దశాబ్దాలుగా ఉన్న ఉగ్ర స్థావరాలను శ్మశానంలా మార్చేశాం. అందుకే పాకిస్థాన్ నుంచి ఇలాంటి వినతులను వచ్చాయి. పాకిస్థాన్ తరఫు నుంచి ఇలా అన్నారు...తమ నుంచి భవిష్యత్‌లో ఉగ్రవాద చర్యలు, సైనిక దుస్సాహసం జరగదని హామీ ఇచ్చారు. దానిపై ఆలోచిస్తుందని...దీన్ని మరోసారి నేను చెప్తున్నాను. మనం పాకిస్తాన్ ఉగ్రవాద సైనిక స్థావరాలపై ప్రతిదాడి చేశాం, ప్రతిదాడిని ప్రస్తుతానికి ఆపేశాం. రాబోయే రోజుల్లో పాకిస్థాన్ తీసుకునే ప్రతి అడుగును ఎంతో క్షుణ్ణంగా పరిశీలిస్తాం. వారి వైఖరి ఎలా ఉంటుందో చూస్తాం. మిత్రులారా భారత్, త్రివిధ దళాలు మన ఎయిర్ ఫోర్స్, మన సైన్యం, మన నౌకా దళం, బీఎస్ఎఫ్, భారత అర్థ సైనిక బలాలు ప్రతిక్షణం అలర్ట్‌గా ఉన్నాయి. సర్జికల్ స్ట్రైక్స్, ఎయిర్ స్ట్రైక్ తర్వాత ఆపరేషన్ సిందూర్ వంటివి ఉగ్రవాదుల వ్యతిరేకంగా భారత విధానంగా చూడాలి. ఆపరేషన్ సిందూర్ ఉగ్రవాద వ్యతిరేక పోరాటంలో కొత్త అధ్యాయాన్ని సృష్టించింది. దాడుల స్థాయిని పెంచి న్యూ నార్మల్‌ని నిర్దేశించాం. అందులో మొదటగా భారత్ మీద ఉగ్రదాడులు జరిగితే దానికి ధీటైన జవాబు ఇస్తాం.

ఆపరేషన్ సిందూర్ నేపథ్యంలో ప్రపంచం పాకిస్తాన్ అసహ్యకరమైన సత్యాన్ని మరోసారి చూసింది. చనిపోయిన ఉగ్రవాదుల అంత్యక్రియల సమయంలో పాక్ సైన్యంలో ఉన్నతాధికారులు పాల్గొన్నారు. స్టేట్ స్పాన్సర్డ్ టెర్రరిజానికి ఇంతకన్నా పెద్ద సాక్ష్యం ఇంకేం కావాలి. భారత్, తన పౌరుల రక్షణ కోసం నిరంతరంగా నిర్ణయాక చర్యలు తీసుకుంటుంది.

మిత్రులారా...యుద్ధ క్షేత్రంలో మనం ప్రతిసారి పాకిస్థాన్ ను ఓడించాం. ఈ సారి కూడా ఆపరేషన్ సిందూర్ కొత్త శిఖరాలకు చేర్చింది.

మన సైన్యం ఎడారి, కొండల్లో తన సామర్ధ్యాన్ని నిరూపించుకుంది. అలాగే..కొత్త తరం యుద్ధ తంత్రంలో కూడా మనం శ్రేష్ఠత సామర్ధ్యాన్ని నిరూపించుకుంది. ఈ ఆపరేషన్ లో మేడ్ ఇన్ ఇండియా ఆయుధాల సామర్ధ్యం కూడా నిరూపితమైంది. ఈ రోజు ప్రపంచమంతా చూస్తోంది. 21వ శతాబ్ద యుద్ధంలో భారత్ లో తయారైన రక్షణ ఉత్పత్తుల వినియోగానికి సమయం వచ్చింది.

మిత్రులారా..ఏరకమైన ఉగ్రవాదానికైనా వ్యతిరేకంగా మనం అందరం ఏకంగా ఉండటం అదే మన బలం.

కచ్చితంగా ఇప్పుడు ఇది యుద్ధ యుగం కాదు. కానీ ఉగ్రవాద యుగం కూడా కాదు. టెర్రరిజానికి వ్యతిరేకంగా జీరో టోలరెన్స్ విధానం....ఒక సురక్షిత ప్రపంచానికి గ్యారంటీ..

మిత్రులారా పాకిస్థాన్ ప్రభుత్వం ఎలాగైతే ఉగ్రవాదానికి మద్దతుగా ఉందో..అదే ఉగ్రవాదం భవిష్యత్తులో పాకిస్తాన్‌నే అంతం చేస్తుంది. పాకిస్థాన్ తనను తాను కాపాడుకోవాలంటే..తన భూభాగంలో ఉన్న టెర్రర్ ఇన్ఫ్రా స్ట్రక్చర్‌ను అంతం చేయాల్సిందే..

దీనికి మించి శాంతికి మరేదారి లేదు. భారత దేశ అభిప్రాయం చాలా స్పష్టంగా ఉంది. టెర్రర్ అండ్ టాక్...ఉగ్రవాదం ఒకే పడవ మీద ప్రయాణం చేయలేవు. ఉగ్రవాదం వ్యాపారం ఒకే దగ్గర ఇమిడి ఉండవు. నీరు రక్తం కూడా ఒకే దగ్గర ఉండవు. నేను ఈ రోజు ప్రపంచానికి చెప్తున్నానను..ఇది మా ప్రకటిత విధానం. పాకిస్థాన్‌తో చర్చలు జరిగితే అది కేవలం ఉగ్రవాదంపైనే...పాకిస్థాన్ తో చర్చలు జరిపితే పాక్ ఆక్రమిత కశ్మీర్ పైనే జరుగుతుంది. ప్రియమన దేశ ప్రజలారా ..ఈ రోజు బుద్ద పూర్ణిమ...భగవాన్ బుద్దుడు మనకు శాంతి మార్గాన్ని చూపించారు. శాంతి మార్గమే శక్తిగా ఉంటుంది. మానవాళి శాంతి, సమృద్ధి వైపు ముందుకు వెళుతోంది ప్రతి భారతీయుడు శాంతితో జీవించాలి. వికసిత్ భారత్ కలను పూర్తి చేయాలి. దీని కోసం భారత్, శాంతియుంతంగా ఉండాలి అవసరమైతే శక్తిని కూడా వాడాలి. గత కొన్ని రోజులుగా భారత్ ఇదే చేస్తోంది. నేను మరోసారి భారత సైన్యానికి, భద్రతా దళాలకు సెల్యూట్ చేస్తున్నాను. భారతీయులందరి ధైర్యం, ఐక్యతకు నేను నమస్కరిస్తున్నాను.

ధన్యవాదాలు....

భారత్ మాతా కీ జై

​​​​​​​భారత్ మాతా కీ జై

​​​​​​​భారత్ మాతా కీ జై​​​​​​​....