QuoteNDA's 6 sutras for development of Bihar-for people: Education, Employment, Medical facilities; for state: Power, Water, Roads: PM
QuoteIf hitting out at Modi develops Bihar, then I'm ready to take all allegations: PM Modi
QuoteFor NDA biggest of the grounds seem minute while for 'Mahaswarthbandhan' even a small pandal becomes huge: PM Modi
QuotePeople of Bihar do not spare the one's who betrays the state. Nitish Kumar would be wiped off in the elections: PM
QuoteLies spread by Nitish & Lalu are unveiling the truth of reservation: PM Modi
QuotePeople of Bihar would press the button of development. They would vote for the NDA: PM
QuoteThe term 'Darbhanga Module' was used after blasts in Mumbai & Pune, innocent policewoman had to face consequences: PM

मंच पर विराजमान यहाँ के सभी वरिष्ठ नेतागण। चुनाव में कुशेश्वर स्थान से लोजपा के उम्मीदवार धनंजय कुमार, लोजपा के उम्मीदवार विनोद साहनी, बेनीपुर से भाजपा के उम्मीदवार गोपाल जी ठाकुर, अलीनगर से भाजपा के उम्मीदवार लाल जी यादव, दरभंगा ग्रामीण से हम पार्टी के उम्मीदवार नौशाद आलम जी, दरभंगा नगर से भाजपा के उम्मीदवार संजय जी, हयागढ़ से लोजपा के उम्मीदवार आर। के। चौधरी जी, बहादूरपुर से भाजपा के उम्मीदवार हरीश साहनी, और केवटी से भाजपा के उम्मीदवार अशोक यादव, झाले से भाजपा के उम्मीदवार द्विवेश कुमार मिश्रा, विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे भाईयों एवं बहनों।

दरभंगा के ई पावन मिथिला भूमि के नमन करै छी। बाबा कुशेश्वर के ई पावन धरती पर आई के गौरवान्वित महसूस काय रहल छी। दरभंगा की जो पहचान है – पग-पग पोखर पान मखान, सरस बोल मुस्की मुस्कान; विद्या, वैभव, शांति प्रतीक, ललित नगर मिथिला ठीक। आप सबके दिल से अभिनंदन करै छी।

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आज मैं सबसे पहले अपने प्रिय मित्र कीर्ति आज़ाद के खिलाफ़ शिकायत करना चाहता हूँ। मेरी शिकायत ये है कि जब कीर्ति स्वयं चुनाव लड़ रहे थे, मैं लोकसभा का चुनाव लड़ रहा था, तब तो आधी भीड़ भी नहीं थी और आज क्या कमाल कर दिया आप लोगों ने। जहाँ भी मेरी नज़र पहुँचती है, लोग ही लोग नज़र आते हैं। दरभंगा का मैदान भी छोटा पड़ गया है, ये चुनाव ऐसा है कि एनडीए वालों के लिए मैदान छोटा पड़ता है और महास्वार्थबंधन वालों के लिए पंडाल भी बड़ा हो जाता है।

भाईयों-बहनों, इस चुनाव अभियान का ये मेरा आखिरी कार्यक्रम है। पिछली बार मैं जब दरभंगा आया था, समय-सीमा के कारण 12-15 मिनट ही बोल पाया था, मेरे मन में भी कसक थी कि जिस मिथिला की भूमि को अटल जी इतना प्यार करते थे, वहां इतनी कम देर लेकिन आज मैं आपसे जी भर कर मिलने आया हूँ। मुझे बिहार के हर कोने में जाने और एक से बढ़कर एक रैलियों को संबोधित करने का अवसर मिला। इसे क्या कहें, चुनाव सभा, जन सभा, रैली, रैला कहें, मुझे तो लगता है कि ये मेला है, परिवर्तन का मेला है।

दिल्ली में बैठकर पॉलिटिकल पंडित हिसाब लगाते हैं कि 2% इधर जाएगा तो ये होगा, 2% उधर जाएगा तो ये होगा। पंडित जी, अपने पुराने हिसाब-किताब बंद कर दो, बिहार नया इतिहास लिखने जा रहा है। ये पुराने समीकरण और नई गिनतियाँ अब नहीं चलेंगी। बिहार की जनता ने बिहार की तो सेवा की है, इस चुनाव के माध्यम से देश की बहुत बड़ी सेवा की है। जातिवाद और संप्रदायवाद का ज़हर हमारे लोकतंत्र में खरोच पैदा कर रहा है लेकिन इस चुनाव में बिहार का नौजवान नेतृत्व कर विकास के मुद्दे पर लड़ रहा है। इस चुनाव के बाद हिन्दुस्तान की सभी पॉलिटिकल पार्टियों को विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा और इसका क्रेडिट बिहार के लोगों को जाता है। इस चुनाव में बिहार का माहौल देश के भविष्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

मैं आज सार्वजनिक रूप से प्रधान देवक के रूप में बिहार के नागरिकों का सर झुका कर अभिनंदन करता हूँ। मैं जहाँ-जहाँ गया, एनडीए के लोग जहाँ-जहाँ गए, बिहार की जनता ने पलकें बिछाकर हम सभी का स्वागत किया, इसलिए मैं आप सभी को सर झुका कर धन्यवाद करता हूँ। दूसरी बात कि पहले के मतदान के सारे रिकॉर्ड बिहार के चार चरणों ने तोड़ दिए, भारी मतदान किया, माओवादियों के बम-बंदूक की धमकी के बावजूद अभूतपूर्व मतदान किया। इससे लोकतंत्र में जो विश्वास बढ़ा है, इसके लिए मैं बिहार की जनता को नमन करता हूँ। तीसरी बात, पहले बिहार में जब भी चुनाव होता था तो ये ख़बर आती थी कि इतने पोलिंग बूथ लूटे गए, इतनी गोलीबारी हुई, इतनी हत्याएं हुईं लेकिन इस बार के शांतिपूर्ण चुनाव के लिए बिहार के मतदाताओं का ह्रदय से अभिनंदन करता हूँ।

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भाईयों-बहनों, इस चुनाव में हम विकास का मुद्दा लेकर पहले दिन से चले, लोकसभा के चुनाव में भी हमारा मुद्दा विकास था लेकिन हम आशा करते थे कि जिन्होंने यहाँ 60 साल राज किया, मैडम सोनिया जी ने 35 साल राज किया, 15 साल तक लालू जी और 10 साल तक नीतीश जी ने राज किया; ये हमारे साथ विकास के मुद्दों पर चर्चा करते, बिहार की बर्बादी के कारण और बिहार से नौजवानों के पलायन का जवाब देते लेकिन अभी भी वे 1990 के कालखंड में जी रहे हैं। उन्हें पता नहीं है कि ये 21वीं सदी चल रही है और 1990 में पैदा हुआ बच्चा आज बिहार का भाग्य बदलने को लालायित है।

दो महीने से चुनाव का अभियान चल रहा है लेकिन लालू जी हो या नीतीश जी या मैडम सोनिया जी, ये लोग बिहार के विकास पर कुछ भी नहीं बोलते। बिहार के भविष्य की किसी योजना के बारे में बात नहीं करते। 25 साल इन्होंने सरकार चलाई, ये कोई कम समय नहीं होता। एक बालक में भी 25 साल के बाद अपने माँ-बाप का पेट भरने की ताक़त आ जाती है। आप मुझे बताईये, 25 साल की इनकी सरकार में किसी का भी कोई भला हुआ? मेरी सरकार को अभी 25 महीने नहीं हुए हैं और ये लोग मेरा हिसाब मांग रहे हैं। ख़ुद का 25 साल का हिसाब देने का तैयार नहीं हैं; और हमसे हिसाब मांग रहे हैं।

चुनाव लोकतंत्र का पर्व होता है और यह पर्व लोकतंत्र को ताक़तवर बनाता है। सभी राजनीतिक दलों को अपनी बात और अपनी नीतियां बतानी होती हैं और जो सरकार में हैं उन्हें अपना हिसाब देना होता है। 2019 में जब मैं लोकसभा चुनाव के लिए आपसे वोट मांगने आऊंगा, तो मेरा फ़र्ज बनता है कि मैं आपको अपने 5 सालों का हिसाब दूँ और आपका हक़ बनता है कि आप मुझसे हिसाब मांगें। लेकिन इन लोगों को देखो, इन्हें मोदी पर कीचड़ उछालने के सिवा और कोई काम ही नहीं है। रोज नए-नए आरोप और गालियां गढ़ी जाती है, क्या इससे बिहार का भला होगा क्या? लालू जी, नीतीश जी, अगर मोदी पर आरोप लगाने से या कीचड़ उछालने से बिहार का भला होता है तो मैं मौजूद हूँ, आपको जो कहना है कहिये। बिहार का भला हो तो मैं ये झेलने के लिए तैयार हूँ।

मेरा जीवन बिहार के काम आए, इससे बड़ा भाग्य मेरा क्या हो सकता है। लालू जी, नीतीश जी, कान खोलकर सुन लीजिये, अहंकार ने आपके आँखों पर ऐसी पट्टी बांध दी है कि आप देख नहीं पाओगे, आप जितना कीचड़ उछालोगे, कमाल उतना ही ज्यादा खिलने वाला है। पहले चरण से लेकर चौथे चरण तक लगातार मतदान करने वालों की संख्या बढ़ी है और एक बात जो बाहर नहीं आई है, मुझे भी आश्चर्य लगा कि हर चरण के बाद 12-15 पोलिंग बूथ ऐसे थे जहाँ मतदान के बाद लालू जी और नीतीश जी के कार्यकर्ताओं के बीच झगड़े हुए, कहीं हाथापाई हुई, धमकियाँ हुई; मतदान पूरा होने के बाद अगर ये तुरंत लड़ना शुरू कर देते हैं तो आगे क्या होगा, आप समझ सकते हैं।

पिछले दो महीनों से चुनाव अभियान चल रहा है लेकिन क्या आपने लालू जी, नीतीश जी और राहुल जी को एक साथ मंच पर देखा, पत्रकार परिषद् में देखा, कार्यकर्ता की मीटिंग में देखा? आप उनसे सवाल पूछिये, उनके दरबारी तो पूछेंगे नहीं। जो तीन लोग चुनावी अभियान में एकसाथ नहीं आए, वो बाद में क्या साथ आएंगे और साथ में चलेंगे। जिन्हें ख़ुद पर विश्वास नहीं है, वो आपका भला नहीं कर सकते।

मुझे अपने विश्वस्त सूत्रों से पता चला, उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने उनसे पूछा कि क्या हमारा मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है, क्या आपका बेटा नहीं बन सकता है, लालू जी के मुंह में पानी आ गया, उनको ख़ुशी होने लगी कि हाँ, संभावना दिखती है; दूसरे ने पूछा कि अगर चुनाव हार जाते हैं तो विपक्ष का नेता कौन बनेगा; इस पर लालू जी ने जवाब दिया कि मैंने तो नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनने पर समर्थन देने का वाद किया है न कि विपक्ष के नेता बनने का वादा। लालू जी ने कहा कि चुनाव हारने पर तो विपक्ष का नेता हमारा बेटा बनेगा। मैं सार्वजनिक रूप से मैं लालू जी से पूछना चाहता हूँ कि आप बिहार की जनता को बताओ कि विपक्ष का नेता कौन होगा, लालू जी का बेटा होगा या नीतीश बाबू होंगे, क्योंकि आपका चुनाव हारना तय है। ये मेरी मांग है आपसे।

मैं आपको एक पुरानी घटना याद कराना चाहता हूँ। जब मुंबई में बम धमाके हुए तो हमारे देश में आतंकी दुनिया के लिए एक शब्द चल पड़ा था - दरभंगा मॉड्युल, और कारण ये थे कि कुछ लोग यहाँ बैठ कर हिन्दुस्तान में आतंकवाद फ़ैलाने का षड़यंत्र रच रहे हैं। यहाँ पर एक जाबांज पुलिस अधिकारी महिला थी, दलित कन्या थी, उसने हिन्दुस्तान के निर्दोष नागरिकों की रक्षा के लिए आतंकवादी गतिविधि करने वाले लोगों की कार ढूंढने की कोशिश की। इस महास्वार्थबंधन के निकट के नेता के घर तक आतंकवाद के तार जाने लगे थे, तब सरकार में बैठे लोगों ने आतंकवाद से जुड़े नेताओं पर कदम नहीं उठाया लेकिन उस पुलिस अफसर को यहाँ से जाने और बिहार छोड़ने के लिए मज़बूर कर दिया। आप देश की रक्षा के साथ समझौता करने वाले और आतंकवादियों पर कृपा करने वाले लोगों को पटना में सरकार में बिठाएंगे क्या?

बिहार का भाग्य बदलने के लिए भाजपा, एनडीए का आप समर्थन करें, इसके लिए मैं आपके पास वोट मांगने आया हूँ। भाईयों-बहनों, मेरे पास एक जानकारी है, सही है या गलत पता नहीं क्योंकि समय के अभाव के कारण मैं वेरीफाई नहीं कर पाया, 1990 में लालू जी की सरकार ने बिहार के लोक सेवा आयोग से मैथिलि भाषा को निकाल दिया था, लालू जी ने मैथिलि भाषा का अपमान किया लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली में एनडीए की सरकार बनने के तुरंत बाद 2002 में संविधान की 8वीं सूची में इसे स्थान दिया गया। हम अपमानित करना नहीं बल्कि सम्मानित करना जानते हैं।  

हमने 1 लाख 25 हज़ार करोड़ का पैकेज और 40 हज़ार करोड़ पुराना वाला जो कागज़ पर पड़ा था जिसकी न कोई फाइल थी, न बजट था लेकिन बिहार के प्रति मेरा यह प्यार है, बिहार के लिए हमें कुछ करना है, हमने निर्णय लिया इसे देने का। हमने सब मिलाकर 1 लाख 65 हज़ार करोड़ का पैकेज दिया जो बिहार का भाग्य बदलने और यहाँ के लोगों का जीवन बदलने की ताकत रखता है। विकास के बिना बिहार की समस्याओं का समाधान नहीं होगा। बिहार एक ज़माने में हिन्दुस्तान का सिरमौर हुआ करता था लेकिन 25 साल में जंगलराज और जंतर-मंतर ने बिहार को बर्बाद कर दिया। इन दोनों की जुगलबंदी वो भी बर्बाद कर देगी जो कुछ बिहार में अब बचा हुआ है।

कोई स्कूटर अगर छोटे से गड्ढ़े में फंस जाए तो 3-4 लोग निकालें तो निकल जाता है लेकिन अगर स्कूटर कुएं में गिरा हो तो उसको निकालने के लिए ट्रेक्टर की ज़रुरत होती है। 25 साल की इनकी सरकार ने बिहार को ऐसे गड्ढ़े में डाल दिया है जिसे निकालने के लिए दो-दो इंजन की जरुरत है। पटना और दिल्ली के दो इंजन लगेंगे तब यह बिहार गड्ढ़े में से बाहर आएगा। एक इंजन बिहार में जो नई सरकार बनेगी वो और दूसरा इंजन दिल्ली में मेरी सरकार जो आपने बनाई है।

भाईयों-बहनों, हम चुनाव के मैदान में विकास के मुद्दे को लेकर आए थे। लालू जी और नीतीश जी के पास विकास का ‘व’ बोलने की कोई जगह नहीं है और इसलिए उन्होंने चुनाव को जातिवाद के रंग में रंगने का नाटक किया। आरक्षण को लेकर महीने भर चीखते-चिल्लाते रहे, दिल्ली में उनके दरबारी भी इसी बात को बढ़ाते रहे। इन्होंने एक काल्पनिक भय पैदा किया और आरक्षण के नाम पर हौवा खड़ा किया। उनकी हर बात में बस आरक्षण था। जब एक दिन मुझे लगा कि इनका गुब्बारा बहुत बड़ा हो गया है तो मैंने एक छोटी सी सुई लगा दी और उनका पूरा गुब्बारा नीचे आ गया। उनकी सारी पोल खुल गई है।

यही लालू जी और नीतीश जी ने आरक्षण पर पुनर्विचार करने की मांग की थी। उन्हें चिंता अपनी कुर्सी की थी और जब मैंने उनका वीडियो निकाल दिया तो पिछले एक हफ़्ते से आरक्षण का नाम लेना भूल गए। बिजली की तो वो कोई बात ही नहीं करते क्योंकि उन्हें डर है कि अगर बोल दिया तो लोग उनसे हिसाब मांगेंगे क्योंकि 2010 में नीतीश जी ने कहा था कि अगर घर-घर बिजली नहीं पहुंचाऊंगा तो 2015 में अगले चुनाव में वोट मांगने नहीं आऊंगा। बिजली नहीं तो वोट नहीं, ऐसे उन्होंने कहा था कि नहीं? उन्होंने अपना वादा तोड़ा है, आपसे धोखा किया है। जो जनता से धोखा कर सकते हैं, जनता उन्हें कभी स्वीकार नहीं करती।

बिहार की जनता जब देती है तो छप्पर फाड़ कर देती है; कांग्रेस को 35 साल तक दिया और जब लेती है तो चुन-चुन कर साफ़ कर देती है। जब लालू जी को दिया तो जी भर दिया लेकिन जब लालू जी पर गुस्सा आया तो फ़िर किसी को बचने नहीं दिया। अब बारी आई अहंकार की, बिहार अहंकार को बर्दाश्त नहीं कर सकता और अब अहंकार की विदाई की बारी है। नीतीश बाबू ने कहा था कि अगर किसी का भ्रष्टाचार पकड़ा गया तो उसकी मिल्कियत जब्त कर ली जाएगी और उसके घर में स्कूल खोला जाएगा। नीतीश जी रोज इस बात का ढोल पीटते थे। लोगों को क्यों मूर्ख बना रहे हैं? जेडीयू के मंत्री कैमरा के सामने घूस लेते पकड़े गए। ये अभी से ऐसा काम कर रहे हैं तो चुनाव के बाद क्या करेंगे। बिहार बेचने का एडवांस लिया जा रहा है। अब नीतीश बाबू बताएं कि उनका घर कब्ज़े में किया क्या, उनके घर में स्कूल खोला?

भाईयों-बहनों, बिहार में आप लोगों के लिए मेरा तीन सूत्रीय कार्यक्रम है – पढ़ाई, कमाई और दवाई। बिहार के गरीब से गरीब बच्चे को अच्छी एवं सस्ती शिक्षा मिलनी चाहिए। हर मां अपने बच्चों को पढ़ाना चाहती है, लेकिन बिहार में पढ़ाई की इतनी हालत खराब है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए माँ-बाप को अपनी ज़मीन गिरवी रखनी पड़ती है। ये हमें शोभा देता है क्या? इसलिए मेरा संकल्प है, बिहार के बच्चों को सस्ती एवं अच्छी पढ़ाई। मेरा दूसरा सपना है, कमाई; नौजवान के लिए रोजगार। बिहार में नौजवान को अपना राज्य और अपने माँ-बाप को छोड़ना पड़ता है। बिहार के नौजवान को यहीं पर रोजगार का अवसर मिलना चाहिए और ये पलायन बंद होना चाहिए। इसलिए मेरा दूसरा संकल्प है, बिहार के नौजवानों के लिए कमाई। मेरा तीसरा सपना है, दवाई; बुजुर्गों के लिए सस्ती दवाई, दवाखाना और डॉक्टर होना चाहिए।

बिहार राज्य के लिए तीन कार्यक्रम है - बिजली, पानी एवं सड़क। बिजली आएगी तो कारखाने लगेंगे, और इससे रोजगार मिलेगा। बिजली के लिए अकेले दरभंगा को मैंने पौने 400 करोड़ आवंटित कर दिये हैं। बिहार को जो सौभाग्य मिला है, वो किसी और राज्य को नहीं मिला है; बिहार की दो ताक़त है - बिहार का पानी और बिहार की जवानी। ये दोनों पूरे हिन्दुस्तान का भाग्य बदल सकती हैं। किसान को अगर पानी मिल जाए तो वो मिट्टी में से सोना पैदा कर सकता है। हमारा दूसरा संकल्प है - खेतों में पानी, उद्योगों को पानी और पीने का पानी पहुँचाना। तीसरा मेरा संकल्प है – सड़क; बिहार में सडकों का जाल हो। गाँव ज़िले से, ज़िला राज्य से, राज्य दिल्ली से जुड़ जाए, ऐसा नेटवर्क बनाना है ताकि बिहार का सीधा मार्ग विकास की ओर चल पड़े, इन कामों को लेकर मैं आगे बढ़ना चाहता हूँ।

विकास ही एक मंत्र है, विकास के लिए मैं आपका आशीर्वाद लेने आया हूँ। मैं आपसे वोट विकास के लिए मांगता हूँ। पहले चरण से लेकर चौथे चरण तक लगातार मतदान करने वालों की संख्या बढ़ी है और अब पांचवे चरण में आप सारे रिकॉर्ड तोड़ दोगे न? आप सब दस-दस परिवारों से वोट कराओ, भाजपा, एनडीए को वोट कराओ।  मेरे साथ बोलिये –

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!        

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, केन्द्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी, यहां उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और श्री बृजेश पाठक जी, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री, सांसद, विधायक और विशाल संख्या में पधारे हुए कानपुर के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

ये एक बच्‍ची शायद यहां कोई पेंटिंग बनाकर के, जरा एसपीजी के लोग उसे ले लें। उधर भी कोई एक चित्र बनाकर के लाया है, उस कोने में, आप अपना अता-पता उस पर लिख देना, मैं चिट्ठी भेजूंगा। एक उधर कोने में कोई नौजवान है, उसका अता-पता लिख दीजिए, ताकि मैं आपको चिट्ठी लिखूंगा। ये इधर एक बालक, कब से हाथ उठा रहा है, तेरे कंधे पर दर्द होगा आज, थक जाओगे। आज कानपुर का उत्साह बड़ा जोरो पर है भई। उधर कोई जरा फोटोग्राफर उधर देखो, एसपीजी के लोग जरा उस बच्चे को मदद करो।

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

कानपुर में विकास का ये कार्यक्रम 24 अप्रैल को होने वाला था, लेकिन पहलगाम हमले के कारण मुझे अपना कानपुर दौरा रद्द करना पड़ा। पहलगाम के कायराना आतंकी हमले में हमारे कानपुर के बेटे शुभम द्विवेदी ने भी इस बर्बरता का वो शिकार हुए। बेटी ऐशान्या की वो पीड़ा, वो कष्ट और भीतर का आक्रोश हम सब महसूस कर सकते हैं। हमारी बहनों-बेटियों का वही आक्रोश ऑपरेशन सिन्‍दूर के रूप में पूरी दुनिया ने देखा है। हमने पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकाने घर में घुसकर, सैकड़ों मील अंदर जाकर तबाह कर दिए। और हमारी सेना ने ऐसा पराक्रम किया, ऐसा पराक्रम किया कि पाकिस्तानी सेना को गिड़गिड़ाकर युद्ध रोकने की मांग करने पर मजबूर होना पड़ा। स्वतंत्रता संग्राम की इस धरती से सेना के शौर्य को बार-बार सैल्यूट करता हूं। मैं फिर कहना चाहता हूं, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जो दुश्मन गिड़गिड़ा रहा था, वो किसी धोखे में न रहे, ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है। भारत ने आतंक के खिलाफ अपनी लड़ाई में तीन सूत्र स्पष्ट रूप से तय किए हैं। पहला- भारत हर आतंकी हमले का करारा जवाब देगा। उसका समय, जवाब देने का तरीका और जवाब देने की शर्तें हमारी सेनाएं खुद तय करेंगी। दूसरा- भारत अब एटम बम की गीदड़ भभकी से नहीं डरेगा और न ही उसके आधार पर कोई फैसला लेगा। तीसरा- आतंक के आका और आतंकी की सरपरस्त सरकार को भारत एक ही नजर से देखेगा। पाकिस्तान का Straight और Non Straight Actor ये अब खेल चलने वाला नहीं है। अगर मैं सीधे-सीधे कानपुरिया में कहूं तो दुश्मन कहीं भी हो, हांक दिया जाएगा।

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साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने भारत के स्वदेशी हथियारों और मेक इन इंडिया की ताकत भी देखी है। हमारे भारतीय हथियारों ने, ब्रह्मोस मिसाइल ने दुश्मन के घर में घुसकर तबाही मचाई है। जहां टारगेट तय किया, वहां धमाके किए। यह ताकत हमें आत्मनिर्भर भारत के संकल्प से मिली है। एक समय था, जब भारत अपनी सैन्य जरूरतों के लिए, अपनी रक्षा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था। हमने उन हालातों को बदलने की शुरुआत की। भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर हो, यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए तो जरूरी है ही, यह देश के आत्‍म सम्‍मान के लिए भी उतना ही जरूरी है। इसलिए हमने देश को उस निर्भरता से आजादी दिलाने के लिए आत्मनिर्भर अभियान चलाया है और यह पूरे यूपी के लिए गर्व की बात है, वो डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर में बड़ी भूमिका निभा रहा है। जैसे कानपुर में पुरानी Ordnance Factory है, वैसे ही 7 Ordnance Factories को हमने बड़ी आधुनिक कंपनियों में बदल दिया है। आज यूपी में देश का बड़ा डिफेंस कॉरिडोर बन रहा है। इस कॉरिडोर का कानपुर नोड, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का बड़ा केंद्र है।

साथियों,

एक समय जहां से पारंपरिक उद्योग पलायन कर रहे थे, वहां अब डिफेंस सेक्टर की बड़ी कंपनियां आ रही हैं। यहां पास में ही अमेठी में AK203 राइफल का निर्माण शुरू हो चुका है। ऑपरेशन सिंदूर में जिस ब्रह्मोस मिसाइल ने दुश्मनों को सोने नहीं दिया, उस ब्रह्मोस मिसाइल का भी नया पता है उत्तर प्रदेश। भविष्य में कानपुर और यूपी भारत को डिफेंस का बड़ा एक्स्पोर्टर बनाने में सबसे आगे रहेंगे। यहाँ नई फैक्ट्रियां लगेंगी। यहाँ बड़े पैमाने पर निवेश आएगा। यहां के हजारों युवाओं को रोजगार के अच्छे अवसर मिलेंगे।

साथियों,

यूपी और कानपुर को विकास की नई ऊंचाई पर लेकर जाना, ये डबल इंजन सरकार की पहली प्राथमिकता है। ये तभी होगा, जब यहाँ पर उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, जब कानपुर का पुराना गौरव फिर से लौटेगा, लेकिन भाइयों और बहनों, पिछली सरकारों ने आधुनिक उद्योगों की इन जरूरतों को नज़रअंदाज करके रखा था। कानपुर से उद्योगों का पलायन होता गया। परिवारवादी सरकारें आँख बंद करके बैठे रहीं। नतीजा ये हुआ कि केवल कानपुर ही नहीं पूरा यूपी पीछे हो गया।

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भाइयों बहनों,

राज्य की औद्योगिक प्रगति के लिए दो सबसे जरूरी शर्तें हैं, पहली- ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, यानी बिजली सप्लाई और दूसरी- इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी। आज यहाँ 660 मेगावाट के पनकी पावर प्लांट, 660 मेगावाट के नेवेली पावर प्लांट, 1320 मेगावाट के जवाहरपुर पावर प्लांट, 660 मेगावाट के ओबरासी पावर प्लांट, 660 मेगावाट के खुर्जा पावर प्लांट, का लोकार्पण हुआ है। ये यूपी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत बड़ा कदम है। इन पावर प्लांट्स के बाद यूपी में बिजली की उपलब्धता और बढ़ेगी, इससे यहां के उद्योगों को भी गति मिलेगी। आज 47 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत के कई और विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया गया है। यहां बुजुर्गों को मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान वय वंदना कार्ड भी दिये गए हैं। अन्य योजनाओं के लाभार्थियों को भी मदद दी गई है। ये योजनाएँ, ये विकास कार्य, कानपुर और यूपी की प्रगति के लिए हमारे कमिटमेंट को दिखाते हैं।

साथियों,

आज केंद्र और प्रदेश की सरकार आधुनिक और विकसित यूपी के निर्माण के लिए काम कर रहे हैं। इसी का परिणाम है, जो इंफ्रास्ट्रक्चर, जो सुविधाएं, जो संसाधन बड़ी-बड़ी मेट्रो सिटीज़ में होती है, वो सब अब अपने कानपुर में भी दिखने लगी हैं। कुछ साल पहले हमारी सरकार ने कानपुर को पहली मेट्रो की सौगात दी थी। अब आज कानपुर मेट्रो की ऑरेंज लाइन, कानपुर सेंट्रल तक पहुंच गयी है। पहले elevated और अब अंडरग्राउंड, हर तरह का मेट्रो नेटवर्क कानपुर के महत्वपूर्ण इलाकों को जोड़ रहा है। कानपुर मेट्रो का ये विस्तार, ये कोई साधारण प्रोजेक्ट नहीं है। कानपुर मेट्रो इस बात का सबूत है, अगर सही इरादों, मजबूत इच्छाशक्ति और नेक नियत वाली सरकार हो, तो देश के विकास के लिए, प्रदेश के विकास के लिए कैसे ईमानदारी से प्रयास होते हैं। आप याद करिए कानपुर के बारे में पहले लोग कैसी-कैसी बातें करते थे? चुन्नीगंज, बड़ा चौराहा, नयागंज, कानपुर सेंट्रल, इतनी भीड़-भाड़ वाले इलाके, जगह-जगह सँकरी सड़कों की समस्या, आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर और प्लानिंग की कमी, लोग कहते थे, यहाँ कहाँ मेट्रो जैसे काम हो पाएंगे? यहाँ कहाँ कोई बड़ा बदलाव हो पाएगा? एक तरह से कानपुर और यूपी के दूसरे प्रमुख शहर विकास की दौड़ से बाहर थे। इससे ट्रैफिक की समस्या गहराती रही, शहर की रफ्तार कम होती चली गई, यूपी में सबसे ज्यादा संभावनाओं से भरे शहर विकास की दौड़ में पिछड़ते गए। लेकिन, आज वही कानपुर, वही यूपी, विकास के नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। आप देखिए, मेट्रो सेवाओं से ही कानपुर के लोगों को कितना फायदा होने जा रहा है। कानपुर व्यापार का इतना बड़ा केंद्र है। मेट्रो के कारण अब हमारे व्यापारियों और ग्राहकों दोनों के लिए नवीन मार्केट और बड़ा चौराहा पहुंचना आसान हो जाएगा। कानपुर आने-जाने वाले लोग, IIT के स्टूडेंट्स, सामान्य मानवी, इन सबके लिए सेंट्रल रेलवे स्टेशन तक पहुंचने में कितना समय बचेगा। हम जानते हैं, शहर की गति ही शहर की प्रगति बनती है। ये सुविधाएं, ये कनेक्टिविटी, ट्रांसपोर्ट की आधुनिक फैसिलिटी आज यूपी के आधुनिक विकास की नई तस्वीर बन रही है।

साथियों,

आज हमारा यूपी आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी के मामले में बहुत आगे निकल रहा है। जिस यूपी की पहचान टूटी-फूटी सड़कों और गड्ढों से होती थी, वो अब एक्स्प्रेसवेज के नेटवर्क के लिए जाना जाता है। जिस यूपी में लोग शाम के बाद बाहर जाने से बचते थे, वहाँ अब हाइवेज पर 24 सौ घंटे लोग ट्रैवल करते हैं। यूपी कैसे बदला है, ये कानपुर वालों से बेहतर भला कौन जानता है? कुछ ही दिनों में कानपुर लखनऊ एक्सप्रेस वे से लखनऊ का सफर सिर्फ 40-45 मिनट का होने वाला है। यह बेटी कब से खड़ी है, चित्र लेकर के थक गई होगी, जरा एसपीजी के लोग इस बेटी से वो चित्र ले लीजिए। Thank you बेटा, बहुत बढ़िया शानदार चित्र बनाकर लाई हो आप, देखिए इस बच्‍ची के कब से, थक जाएगी बेटा, वो तुम्हारा नाम पता लिख दिया है बेटा? वो मेरे ऑफिस के लोग आएंगे, अभी ले लेंगे, मुझे पहुंच जाएगा बेटा, बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।

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साथियों,

लखनऊ से ही पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से सीधे कनेक्टिविटी भी मिलेगी। कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेस वे को गंगा एक्सप्रेस वे से भी जोड़ा जाएगा। इससे पूर्व और पश्चिम, दोनों तरफ जाने के लिए दूरी भी और समय भी बचेगा।

साथियों,

कानपुर के लोगों को अब तक फर्रुखाबाद अनवरगंज सेक्शन में, सिंगल-लाइन से दिक्कत होती रही है। एक दो नहीं 18 रेलवे क्रॉसिंग से आपको संघर्ष करना पड़ता था, कभी ये फाटक बंद, कभी वो फाटक बंद, आप लोग कब से इस परेशानी से मुक्ति की मांग कर रहे थे। अब यहां भी एक हजार करोड़ रुपए खर्च करके एलिवेटेड रेल कॉरिडोर बनने जा रहा है। इससे यहां ट्रैफिक सुधरेगा, स्पीड बढ़ेगी और प्रदूषण भी कम होगा और सबसे बड़ी बात, कानपुर के आप लोगों का समय बचेगा।

साथियों,

कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन को भी अपग्रेड करके विश्वस्तरीय लुक दिया जा रहा है। थोड़े ही समय में कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन भी एयरपोर्ट की तरह आधुनिक वर्ल्ड क्लास आपको नजर आएगा। हमारी सरकार यूपी के 150 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों को अमृत भारत रेलवे स्टेशन के रूप में विकसित कर रही है। यूपी, पहले ही देश में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल एयरपोर्ट वाला राज्य बन चुका है। यानी, हाइवेज, रेलवेज़ और एयरवेज, यूपी अब हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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साथियों,

हम यूपी को औद्योगिक संभावनाओं का राज्य बना रहे हैं। इस साल के बजट में हमने मेक इन इंडिया के लिए मिशन manufacturing की घोषणा की है। इसके तहत लोकल उद्योगों को, उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। कानपुर जैसे शहरों को इसका बहुत बड़ा लाभ मिलेगा। आप जानते ही हैं, कानपुर के औद्योगिक सामर्थ्य में सबसे बड़ा योगदान यहाँ की MSMEs, लघु उद्योगों का होता था। आज हम यहां के लघु उद्योगों की अपेक्षाओं को पूरा करते हुए काम कर रहे हैं।

साथियों,

कुछ समय पहले तक हमारी MSMEs को इस तरह परिभाषित किया जाता था, कि उन्हें विस्तार करने में भी डर लगता था। हमने उन पुरानी परिभाषाओं को बदला। हमने लघु उद्योगों के टर्नओवर और स्केल की सीमा को बढ़ाया। इस बजट में सरकार ने एक बार फिर MSMEs के दायरे को और बढ़ाते हुए उन्हें और भी छूट दी है। पहले के समय में MSMEs के सामने बड़ी दिक्कत क्रेडिट की भी होती थी। पिछले 10 वर्षों में हमने क्रेडिट की समस्या को खत्म करने के लिए एक के बाद एक कई बड़े फैसले लिए हैं। आज युवा अपना उद्योग शुरू करना चाहते हैं, तो उन्हें मुद्रा योजना के जरिए तुरंत पूंजी मिल जाती है। छोटे और मध्यम उद्योगों को आर्थिक मजबूती देने के लिए हमने क्रेडिट गारंटी स्कीम चलाई है। इस साल के बजट में MSME लोन पर गारंटी को बढ़ाकर 20 करोड़ कर दिया गया है। MSMEs के लिए 5 लाख तक की लिमिट वाले क्रेडिट कार्ड भी दिए जा रहे हैं। हम यहां पर नए उद्योगों, खासकर, MSMEs के लिए अनुकूल माहौल बना रहे हैं। इसके लिए प्रक्रियाओं को सरल किया जा रहा है। कानपुर के पारंपरिक चमड़ा और होजरी उद्योगों को 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रॉडक्ट' जैसी योजनाओं के माध्यम से सशक्त किया जा रहा है। हमारे इन प्रयासों का लाभ कानपुर के साथ-साथ यूपी के सभी जिलों को भी मिलेगा।

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साथियों,

आज उत्तर प्रदेश में निवेश का एक अभूतपूर्व और सुरक्षित माहौल बना है। गरीब कल्याण की योजनाओं को पारदर्शिता से जमीन पर उतारा जा रहा है। मध्यम वर्ग के सपनों को पूरा करने के लिए भी सरकार उनके साथ खड़ी है। इस बजट में हमने 12 लाख रुपए तक की आय को पूरी तरह टैक्स फ्री कर दिया है। इससे करोड़ों मध्यम वर्गीय परिवारों में नया विश्वास जगा है, उन्हें नई ताकत मिली है। हम सेवा और विकास के इस संकल्प के साथ इसी तरह तेजी से आगे बढ़ेंगे। हम देश को, यूपी को नई ऊंचाई पर लेकर जाने के लिए मेहनत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। मैं कानपुर के उज्ज्वल भविष्‍य के लिए सभी मेरे कानपुर के भाई-बहनों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद