QuotePM speaks at the function organized by Rickshaw Sangh in Varanasi
QuotePM launches financial inclusion initiative in Varanasi, calls it a landmark event that would transform lives of people
QuoteThere is a need to increase the pace and scale of outcomes of the initiatives to remove poverty: PM
QuoteEvery person wants his or her child to lead a life better than what they led. Every person wants his or her child lead a life of dignity: PM
QuoteUnion Government is putting emphasis on skill development to help make the poor self-reliant: PM
QuoteEducation is the best way to fight poverty: PM Narendra Modi
QuotePM Modi urges beneficiaries to ensure that their children receive proper education

विशाल संख्या में आए भाईयो और बहनों,

यहां जो कार्यक्रम हो रहा है, ये कार्यक्रम सिर्फ कुछ गरीब परिवारों का जीवन बदलेगा, ऐसा नहीं है। ये कार्यक्रम एक ऐसी शुभ शुरूआत है, जो काशी के भाग्‍य को बदलेगा। यहां के गरीब के जीवन में अगर हम थोड़ा सा आवश्‍यक बदलाव ला ले, समय के आधारित जीवन में technology का प्रवेश करें, तो गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति की पहले जितना परिश्रम करके कमाता था, उससे भी थोड़ा कम परिश्रम करके, वो ज्‍यादा कमा सकता है। आज यहां उस प्रकार की सुविधाएं दी जा रही हैं, जिसमें बैंक का सहयोग है, American Foundation का सहयोग है, भारत सरकार बहुत बड़ी मात्रा में इन चीजों को promote कर रही है और गरीब को सबसे पहला प्रयास है कि वो आत्‍मनिर्भर कैसे बने।

|

हम करीब-करीब पिछले 40-50 साल से गरीबी हटाओ, इस बात को सुनते आए हैं। हमारे देश में चुनावों में भी गरीबों का कल्‍याण करने वाले भाषण लगातार सुनने को मिलते हैं। हमारे यहां राजनीति करते समय कुछ भी करते हो लेकिन सुबह-शाम गरीबों की माला जपते रहना, ये एक परंपरा बन गई है। इस परंपरा से जरा बाहर आने की जरूरत है और बाहर आने का मतलब है कि क्‍या हम प्रत्‍यक्ष रूप से गरीबों को साथ ले करके, गरीबी से मुक्‍ति का अभियान चला सकते हैं क्‍या? अब तक जितने प्रयोग हुए हैं, उन प्रयोगों से जितनी मात्रा में परिणाम चाहिए था, वो देश को मिला नहीं है। गरीब की जिन्‍दगी में भी जिस तेजी से बदलाव आना चाहिए, वो बदलाव हम ला नहीं पाए हैं। मैं किसी सरकार को दोष देना नहीं चाहता हूं, किसी दल को दोष देना नहीं चाहता हूं, लेकिन कुछ अच्‍छा करने की दिशा में एक नए सिरे से गरीबों के कल्‍याण के लिए मूलभूत बातों पर focus करना। वो कौन सी चीजें करें ताकि गरीब जो सचमुच में मेहनत करने को तैयार है, गरीबी की जिन्‍दगी से बाहर निकलने को तैयार है। आप किसी भी गरीब को पूछ लीजिए, उसे पूछिए कि भाई क्‍या आप अपने संतानों को ऐसी ही गरीबी वाली जिन्‍दगी जीएं, ऐसा चाहते हो कि अच्‍छी जिन्‍दगी जीएं चाहते हो। गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति भी ये कहेगा कि मैं मेरे संतानों को विरासत मैं ऐसी गरीबी देना नहीं चाहता। मैं उसे एक ऐसी जिन्‍दगी देना चाहता हूं कि जिसके कारण वो अपने कदमों पर खड़ा रहे, सम्‍मान से जीना शुरू करें और अपनी जिन्‍दगी गौरवपूर्व बताएं, ऐसा हर गरीब मां-बाप की इच्‍छा होती हैं। उसको वो पूरा कैसे करें। आज कभी हालत ऐसी होती है कि वो मजदूरी करता है, लेकिन अगर थोड़ा-सा skill development कर दिया जाए, उसको थोड़ा हुनर सिखा दिया जाए तो पहले अगर वो सौ रुपया कमाता है, थोड़ा हुनर सिखा दिया तो वो 250-300 रुपए कमाना शुरू कर देता है और एक बार हुनर सीखता है तो खुद भी दिमाग लगाकर के उसमें अच्‍छाई करने का प्रयास करता है और इसलिए भारत सरकार ने एक बहुत बड़ा अभियान चलाया है skill development का, कौशल्‍यवर्धन का। गरीब से गरीब का बच्‍चा चाहे स्‍कूल के दरवाजे तक पहुंचा हो या न पहुंचा हो, या पांचवीं, सातवीं, दसवीं, बारहवीं पढ़कर के छोड़ दी हो, रोजी-रोटी तलाशता हो। अगर उसे कोई चीज सिखा ली जाए तो वो देश की अर्थनीति को भी बल देता है, आर्थिक गतिविधि को भी बल देता है और स्‍वयं अपने जीवन में कुछ कर-गुजरने की इच्‍छा रखता है और इसलिए छोटी-छोटी चीजें ये कैसे develop करे उस दिशा में हमारा प्रयास है।

आज मैं यहां ये सब ई-रिक्‍शा वाले भाइयों से मिला। मैंने उनको पूछा क्‍या करोगे, चला पाओगे क्‍या? तो उन्‍होंने कहा साहब पहले से मेरा confidence level ज्‍यादा है। मैंने कहा क्‍यों? वो मेरा skill development हो गया। उसे skill शब्‍द भी आता था। बोले मेरा skill development हो गया। बोले मेरी training हुई और मेरा पहले से ज्‍यादा विश्‍वास है। पहले मैं pedal वाले रिक्‍शा चलाता था। मैंने कहा speed कितनी रखोगे? बोले साहब मैं कानून का पालन करूंगा और मैं कभी ऐसा न करूं ताकि मेरे परिवार को भी कोई संकट आए और मेरे passenger के परिवार को भी संकट आए, ऐसा मैं कभी होने नहीं दूंगा और काशी की गलियां तो छोटी है तो वैसे भी मुझे संभाल के चलना है। उसकी ये training हुई है। काशी में दुनिया भर के लोग आते हैं। काशी का tourism कैसा हो, काशी कैसा है, काशी के लोग कैसे है? उसका पहला परिचय यात्री को किसके साथ होता है, रिक्‍शा वाले के साथ होता है। वो उसके साथ किस प्रकार से व्‍यवहार करता है, वो उसके प्रति किस प्रकार का भाव रखता है, उसी से उसकी मन में छवि बनती है। अरे भाई, ये तो शहर बहुत अच्‍छा है। यहां के रिक्‍शा वाले भी इतने प्‍यार से हमारी चिन्‍ता करते हैं, वहीं से शुरू होता है और इसलिए यहां जो टूरिस्‍टों के लिए एक स्‍पेशल रिक्‍शा का जो सुशोभन किया गया है, कुछ व्‍यवस्‍थाएं विकसित की गई हैं। मैं उनसे पूछ रहा था, मैंने कहा आप Guide के नाते मुझे सब चीजें बता सकते हों, बोले हां बता सकता हूं। मैं हर चीज बता सकता हूं रिक्‍शा चलाते-चलाते और बोले मुझे विश्‍वास है कि मेरे रिक्‍शा में जो बैठेगा, उसको ये संतोष होगा कि काशी उसको देखने को सहज मिल जाएगा। चीजें छोटी-छोटी होती हैं, लेकिन वे बहुत बड़ा बदलाव लाती है।

आज चाहे pedal रिक्‍शा को आधुनिक कैसे किया जाए, pedal रिक्‍शा से ई-रिक्‍शा की ओर shifting कैसे किया जाए, यात्रियों की सुविधाओं को कैसे स्‍थान दिया जाए, बदलते हुए युग में environment friendly technology का कैसे उपयोग किया जाए? इन सारी बातों का इसके अंदर जोड़ हैं और सबसे बड़ी बात है उनके परिवार की। आज इसमें जो लोग select किए गए हैं, वो वो लोग है, जिनकी खुद की कभी रिक्‍शा नहीं थी। वो बेचारे किराए पर रिक्‍शा लेकर के दिनभर मजदूरी करते थे। 50 रुपया, 60 रुपया उस रिक्‍शा मालिक को उनको देना पड़ता था। बचा-खुचा घर जाकर के ले जाता था। बच्‍चों के लिए डबलरोटी साथ ले जाता था, उसी से रात का गुजारा हो जाता था। इस प्रयोग का सबसे बड़ा लाभ उन गरीब रिक्‍शा वालों को है कि अब उनको वो जो ऊंचे ब्‍याज से पैसे देने पड़ते थे, उससे अब मुक्‍ति हो गई। अब वो जो पैसे होंगे वो बैंक के बहुत ही कम rate से पैसा जमा करेगा और कोई साल के अंदर और कोई दो साल में इस रिक्‍शा का मालिक हो जाएगा। जब उसे पता है, इसका मतलब ये हुआ कि उसकी ये बचत होने वाली है। ये पैसे उसके किसी ओर की जेब में नहीं जाने वाले, खुद की जेब में जाने वाले है ताकि वो एक साल-दो साल के बाद इसका मालिक बन जाने वाला है और मुझे विश्‍वास है कि इस प्रकार की व्‍यवस्‍था के कारण आने वाले दिनों में जितने परिवार है, उनको फिर गरीबी की हालत में रहने की नौबत नहीं आएगी, वो आगे बढ़ेंगे।

|

मैंने उनसे पूछा कि बच्‍चों को पढ़ाओगे क्‍या? बोले साहब अब तक तो कभी-कभी मन में रहता था कि कितना पढ़ाऊं, कहां से पैसा लाऊं, लेकिन ये जो आपने व्‍यवस्‍था की है, अब मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, मैं बच्‍चों को पढ़ाऊंगा। मेरी बात तो ये पांच-छह लोगों के साथ हुई है लेकिन यहां जिन लोगों को आज रिक्‍शा मिल रही है, उन सबसे मेरा आग्रह है कितनी ही तकलीफ क्‍यों न हो, मेरे प्रति नाराजगी व्‍यक्‍त करनी है, तो जरूर करना, आपको हक है। लेकिन बच्‍चों को पढ़ाई से कभी खारिज मत करना, बच्‍चों की पढ़ाई को प्राथमिकता देना। गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का सबसे बड़ा औजार और सस्‍ते से सस्‍ता औजार कोई है, तो अपनी संतानों को शिक्षा देना। अगर हम अपने बच्‍चों को शिक्षा देंगे, तो दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो हमें गरीब रहने के लिए मजबूर कर दे। देखते ही देखते स्थिति बदलना शुरू हो जाएगा। और इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि ये जो नई सुविधाएं जिन-जिन परिवारों को मिल रही हैं, वे अपने बच्‍चों को पढ़ाने के विषय में कोई compromise न करें, अपने बच्‍चों को जरूर पढ़ाएं।

आज मुझे एक परिवार से मिलना हुआ। वो बहन चौराहे पर दरी बिछाकर के सब्‍जी बगैरा बेचती रहती थी, आज उसको एक ठेला मिल गया है। मैंने उसको पूछा क्‍या फर्क पड़ेगा। बोले जी पहले तो मैं जहां बैठती थी कोई आया तो माल ले के जाता था, अब मैं अलग-अलग इलाकों में जाऊंगी, अपना समय पत्रक बना दूंगी कि इस इलाके में सुबह 9 बजे जाना है, इस इलाके में सुबह 10 बजे जाना है इस इलाके में 11 बजे जाना है, तो लोगों को भी पता रहेगा कि मैं कितने बजे वहां माल अपना लेकर जाऊंगी, तो वो जरूर उस समय पर मेरा माल ले लेंगे। अब देखिए अनपढ़ महिला! लेकिन उसे मालूम है कि मैं ऐसा टाईम-टेबल बनाऊंगी कि इस इलाके में 9 बजे जाती हूं तो रोज, हर रोज 9 बजे वहां पहुंच जाऊंगी, इस इलाके में दोपहर को 12 बजे पहुंचती हूं, मतलब 12 बजे पहुंच जाऊंगी। यानी उसको business का perfect management मालूम है। ठेला चलाते-चलाते भी अपनी जिंदगी बदली जा सकती है, इसका विश्‍वास उसके अंदर आया है। ये छोटी-छोटी चीजें हैं, जिसके द्वारा हम एक बहुत बड़ा बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं।

अभी प्रधानमंत्री जन-धन खाते खोलने का जो अभियान चलाया, हमारे देश में सालों से कहा जाता था कि गरीबों के लिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया है, लेकिन बैंकों के राष्ट्रीयकरण के 40-50 साल के बाद भी, बैंक के दरवाजे पर कभी कोई गरीब दिखाई नहीं दिया था और इस देश में कभी उसकी चर्चा भी नहीं थी। इस देश में ऐसा क्‍यों ? ये सवाल इस देश के किसी बुद्धिमान व्‍यक्ति ने किसी राजनेता को नहीं पूछा, किसी सरकार को नहीं पूछा। 50 साल में नहीं पूछा। Taken for granted था। हमने आकर के बीड़ा उठाया कि बैंकों के दरवाजे पर मेरा गरीब होगा, बैंकों के अंदर मेरा गरीब होगा। ये बैंक गरीबों के लिए होगी, बड़ा अभियान उठाया। मैंने 15 अगस्‍त को घोषणा की थी, 26 जनवरी तक पूरा करने का संकल्‍प लिया था और सभी बैंकों ने जी-जान से मेरे साथ जुड़ गए, कंधे से कंधा जुड़ गए और आज देश में करीब 18 करोड़ से ज्‍यादा बैंकों के खाते गरीबों के खुल गए।

|

हिन्‍दुस्‍तान में कुल परिवारों में जितने थे करीब-करीब सारे आ गए और हमने तो कहा था कि हम गरीबों का account कोई भी प्रकार का पैसा लेकर कर के नहीं खोलेंगे। बिना पैसे, बैंक खर्चा करेगी फॉर्म का खर्चा होगा, जो होगा करेंगे, गरीबों का एक बार मुफ्त में खाता खोल देंगे। आदत लगेगी उसको धीरे-धीरे और खाते खोल दिए लेकिन देखिए, गरीबों की अमीरी देखिए, सरकार ने तो कहा था एक रुपया नहीं दोगे लेकिन गरीबों ने करीब-करीब 30 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा रकम जमा कर दी है। इसका मतलब ये हुआ कि गरीब को पैसे बचाने की अब इच्‍छा होने लगी है। अगर गरीब को पैसे बचाने की इच्‍छा होगी तो उसके आर्थिक जीवन में बदलाव आना स्‍वाभाविक शुरू हो जाएगा। धीरे-धीरे बैंक के खाते उपयोग करने की आदत भी अब धीरे-धीरे बन रही है। मैं हैरान हूं जिन्‍होंने खाते नहीं खोले कभी, वो आज मेरा हिसाब मांग रहे हैं कि खाते खोल तो दिए हैं, लेकिन उसका उपयोग करने वालों की संख्‍या बढ़ नहीं रही है। जिन्‍होंने खाते तक खोलने की परवाह नहीं की थी, उनको अभी खाते operate हो रहे कि नहीं हो रहे, इसकी चिन्‍ता होने लगी है। अच्‍छा होता, ये काम अगर आपने 40-50 साल पहले कर दिया होता तो आज operate करने का सवाल मुझे नहीं पूछना पड़ता देश के सभी गरीब के खाते हो जाते। लेकिन आपने जो काम 50 साल नहीं किया है वो 50 महीने में मैं पूरा करके रहूंगा, ये मैं बताने आया हूं।

गरीब का भला कैसे हो, अभी काशी के अंदर रक्षाबंधन को सुरक्षाबंधन बनाने का बड़ा अभियान चलाया और मैं काशी की माताओं-बहनों का विशेष रूप से, सार्वजनिक रूप से आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि इस रक्षाबंधन के पर्व पर मुझे इतनी राखियां मिली हैं बनारस से, इतने आशीर्वाद मिले हैं, माताओं-बहनों के, मैं सिर झुकाकर उन सभी माताओं-बहनों को नमन करता हूं। आपने जो मेरे प्रति सद्भाव व्‍यक्‍त किया है, मेरी रक्षा की चिन्‍ता की है और सुरक्षा का बंधन की जो बात कही है, मैं उसके लिए काशी की सभी माताओं-बहनों का ह्दय से बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। मैं इन सभी महानुभावों का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि योजना में हमारे साथ, ये partner बने हैं और एक Model के रूप में ये काम आने वाले दिनों में विकसित होगा। अब आप धीरे-धीरे देखिए काशी के अंदर एक नया....और इसके कारण गति आने वाली है, इन चीजों के कारण गति आने वाली है, इन चीजों के कारण शहर की एक नई पहचान बनने वाली है। इन चीजों के कारण सामान्‍य मानव के जीवन में सुविधा का अवसर शुरू होने वाला है।

ऐसी इस योजना के निमित्‍त मैं आज उन सभी बधुंओं को जिन्‍हें आज ये साधन मिल रहे हैं, मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और काशी की आर्थिक प्रगति में गरीब से गरीब व्‍यक्ति की ताकत काम में आए, उस दिशा के प्रयत्‍नों में हमें सफलता मिले, यही भोलेनाथ हम पर आशीर्वाद बरसाएं, इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

Explore More
ہر ہندوستانی کا خون ابل رہا ہے: من کی بات میں پی ایم مودی

Popular Speeches

ہر ہندوستانی کا خون ابل رہا ہے: من کی بات میں پی ایم مودی
 ‘We’ve shown how to defeat terror’

Media Coverage

‘We’ve shown how to defeat terror’
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
The inauguration of mega infrastructure projects today marks a turning point in Jammu and Kashmir's development journey: PM Modi in Katra
June 06, 2025
QuotePM inaugurates Chenab bridge - world’s highest railway arch bridge and Anji bridge - India’s first cable-stayed rail bridge
QuoteThe inauguration of mega infrastructure projects today marks a turning point in Jammu and Kashmir's development journey: PM
QuoteWe have always invoked Maa Bharati with deep reverence, saying 'from Kashmir to Kanyakumari,’ Today, this has become a reality even in our railway network: PM
QuoteThe USBRL project is a symbol of a new, empowered Jammu & Kashmir and a resounding proclamation of India's growing strength: PM
QuoteThe Chenab and Anji Bridges will serve as gateways to prosperity for Jammu and Kashmir: PM
QuoteJammu and Kashmir is the crown jewel of India: PM
QuoteIndia won't bow to terrorism,the youth of Jammu and Kashmir have now made up their mind to give a befitting reply to terrorism: PM
QuoteWhenever Pakistan hears the name Operation Sindoor, it will be reminded of its shameful defeat: PM

ॐ.. माता वैष्णो देवी दे चरने च मत्था टेकना जय माता दी!

जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा जी, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी अश्विनी वैष्णव जी, जितेंद्र सिंह, वी सोमन्ना जी, डिप्टी सीएम सुरेंद्र कुमार जी, जम्मू कश्मीर विधानसभा में नेता विपक्ष सुनील जी, संसद में मेरे साथी जुगल किशोर जी, अन्य जनप्रतिनिधिगण और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों। वीर जोरावर सिंह जी की यह भूमि है, मैं इस धरती को प्रणाम करता हूं।

साथियों,

आज का ये कार्यक्रम भारत की एकता और भारत की इच्छाशक्ति का विराट उत्सव है। माता वैष्णो देवी के आशीर्वाद से आज वादी-ए-कश्मीर भारत के रेल नेटवर्क से जुड़ गई है। मां भारती का वर्णन करते हुए हम श्रद्धाभाव से कहते आए हैं- कश्मीर से कन्याकुमारी। ये अब रेलवे नेटवर्क के लिए भी हकीकत बन गया है। उधमपुर, श्रीनगर, बारामुला, ये रेल लाइन प्रोजेक्ट, ये सिर्फ नाम नहीं है। ये जम्मू कश्मीर के नए सामर्थ्य की पहचान है। भारत के नए सामर्थ्य का जयघोष है। थोड़ी देर पहले मुझे चिनाब ब्रिज और अंजी ब्रिज का लोकार्पण करने का अवसर मिला है। आज ही दो नई वंदे भारत ट्रेनें जम्मू कश्मीर को मिली हैं। यहां जम्मू में नए मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास हुआ है। 46 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्टस जम्मू और कश्मीर के विकास को नई गति देंगे। मैं आप सभी लोगों को विकास के नए दौर के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

जम्मू कश्मीर की अनेक पीढ़ियां रेल कनेक्टिविटी का सपना देखते देखते गुजर गई। मैं कल सीएम उमर अब्दुल्ला जी का एक बयान देख रहा था और अभी भाषण में भी बताया, वो भी बोले थे कि जब वो सातवीं-आठवीं में पढ़ते थे, तब से इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का इंतजार कर रहे थे। आज जम्मू कश्मीर के लाखों लोगों का सपना पूरा हुआ है। और ये भी हकीकत है, जितने अच्छे काम हैं ना, वो मेरे लिए ही बाकी रहे हैं।

साथियों,

ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि इस प्रोजेक्ट ने हमारे कार्यकाल में गति पकड़ी और हमने इसे पूरा करके दिखाया। बीच में कोविड के कालखंड के कारण भी अनेक मुसीबतें आई, लेकिन हम डटे रहे।

|

साथियों,

रास्ते में आने जाने की मुश्किलें, मौसम की परेशानी, लगातार पहाड़ों से गिरते पत्थर, ये प्रोजेक्ट पूरा करना मुश्किल था, चुनौतीपूर्ण था। लेकिन हमारी सरकार ने चुनौती को ही चुनौती देने का रास्ता चुना है। आज जम्मू कश्मीर में बन रहे अनेकों ऑल वेदर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट इसका उदाहरण हैं। कुछ महीने पहले ही सोनमर्ग टनल शुरू हुई है। अभी कुछ देर पहले ही मैं चिनाब और अंजी ब्रिज से होकर आपके बीच आया हूं। इन पुलों पर चलते हुए मैंने भारत के बुलंद इरादों को, हमारे इंजीनियर्स, हमारे श्रमिकों के हुनर और हौसलों को जीया है। चिनाब ब्रिज, दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है। लोग फ्रांस में, पैरिस में एफिल टावर देखने के लिए जाते हैं। औऱ ये ब्रिज एफिल टावर से भी बहुत ऊंचा है। अब लोग चिनाब ब्रिज के ज़रिए कश्मीर देखने तो जाएंगे ही, ये ब्रिज भी अपने आप में एक आकर्षक टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनेगा। सब लोग सेल्फी प्वाइंट पर जाकर के सेल्फी निकालेंगे। हमारा अंजी ब्रिज भी इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है। ये भारत का पहला केबल सपोर्टेड रेलवे ब्रिज है। ये दोनों ब्रिज सिर्फ ईंट, सीमेंट, स्टील और लोहे के ढांचे नहीं हैं, ये पीर पंजाल की दुर्गम पहाड़ियों पर खड़ी, भारत की शक्ति का जीवंत प्रतीक है। ये भारत के उज्ज्वल भविष्य की सिंहगर्जना है। ये दिखाता है, विकसित भारत का सपना जितना बड़ा है, उतना ही बुलंद हमारा हौसला है, हमारा सामर्थ्य है। और सबसे बड़ी बात नेक इरादा है, अपार पुरुषार्थ है।

साथियों,

चिनाब ब्रिज हो या फिर अंजी ब्रिज, ये जम्मू की और कश्मीर की, दोनों क्षेत्रों की समृद्धि का ज़रिया बनेंगे। इससे टूरिज्म तो बढ़ेगा ही, इकॉनॉमी के दूसरे सेक्टर्स को भी लाभ होगा। जम्मू और कश्मीर की रेल कनेक्टिविटी, दोनों क्षेत्रों के कारोबारियों के लिए नए अवसर बनाएगी। इससे यहां की इंडस्ट्री को गति मिलेगी, अब कश्मीर के सेब कम लागत में देश के बड़े बाजारों तक पहुंच पाएंगे और समय पर पहुंच पाएंगे। सूखे मेवे हों या पश्मीना शॉल, यहां का हस्तशिल्प अब आसानी से देश के किसी भी हिस्से तक पहुंच पाएगा। इससे जम्मू कश्मीर के लोगों को देश के दूसरे हिस्सों में आना-जाना भी बहुत आसान होगा।

साथियों,

मैं यहां संगलदान के एक स्टूडेंट का अखबार में कमेंट पढ़ रहा था। उस स्टूडेंट ने कहा कि उसके गांव के उन्हीं लोगों ने अब तक ट्रेन देखी थी, जो गांव से बाहर गए थे। गांव के ज्यादातर लोगों ने ट्रेन का सिर्फ वीडियो ही देखा था। उन्हें अब तक यकीन ही नहीं हो रहा, कि असली ट्रेन उनकी आंखों के सामने से गुजरेगी। मैंने ये भी पढ़ा कि बहुत से लोग ट्रेनों के आने-जाने का टाइम याद कर रहे हैं। एक और बिटिया ने बड़ी अच्छी बात कही, उस बिटिया ने कहा- अब मौसम नहीं तय करेगा कि रास्ते खुलेंगे या बंद रहेंगे, अब ये नई ट्रेन सेवा, हर मौसम में लोगों की मदद करती रहेगी।

साथियों,

जम्मू-कश्मीर, मां भारती का मुकुट है। ये मुकुट एक से बढ़कर एक खूबसूरत रत्नों से जड़ा हुआ है। ये अलग-अलग रत्न जम्मू-कश्मीर का सामर्थ्य हैं। यहां की पुरातन संस्कृति, यहां के संस्कार, यहां की आध्यात्मिक चेतना, प्रकृति का सौंदर्य, यहां की जड़ी-बूटियों का संसार, फलों और फूलों का विस्तार, यहां के युवाओं में, आप लोगों में जो टैलेंट है, वो मुकुट मणि की तरह चमकता है।

|

साथियों,

आप भलीभाँति जानते हैं, मैं दशकों से जम्मू औऱ कश्मीर आता जाता रहा हूं, interior इलाकों में मुझे जाने का, रहने का अवसर मिला है। मैंने इस सामर्थ्य को लगातार देखा है, महसूस किया है और इसलिए मैं पूरे समर्पण भाव के साथ जम्मू-कश्मीर के विकास में जुटा हूं।

साथियों,

जम्मू-कश्मीर, भारत की शिक्षा और संस्कृति का गौरव रहा है। आज भारत, दुनिया के बड़े नॉलेज हब्स में से एक, हमारा जम्मू कश्मीर बन रहा है, तो इसमें जम्मू कश्मीर की भागीदारी भी भविष्य में भी बढ़ने वाली है। यहां IIT, IIM, AIIMS और NIT जैसे संस्थान हैं। जम्मू और श्रीनगर में सेंट्रल यूनिवर्सिटीज हैं। जम्मू और कश्मीर में रिसर्च इकोसिस्टम का भी विस्तार हो रहा है।

साथियों,

यहां पढ़ाई के साथ-साथ दवाई के लिए भी अभूतपूर्व काम हो रहे हैं। बीते कुछ सालों में ही, दो स्टेट लेवल के कैंसर संस्थान बने हैं। पिछले पाँच वर्षों में यहां सात नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। आप भी जानते हैं, जब मेडिकल कॉलेज खुलता है तो उससे मरीजों के साथ ही उस क्षेत्र के युवाओँ को भी सबसे ज्यादा फायदा मिलता है। जम्मू-कश्मीर में अब MBBS सीटों की संख्या 500 से बढ़कर 1300 तक पहुंच गई है। मुझे खुशी है कि अब रियासी जिले को भी नया मेडिकल कॉलेज मिलने जा रहा है। श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस, ये आधुनिक अस्पताल तो है, ये दान-पुण्य करने की हमारी जो संस्कृति है, उसका भी उदाहरण है। इस मेडिकल कॉलेज को बनाने में जो राशि लगी है, उसके लिए भारत के कोने-कोने से, माता वैष्णों देवी के चरणों में आने वाले लोगों ने दान दिया हुआ है। मैं श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को, उनके अध्यक्ष मनोज जी को इस पवित्र कार्य के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। इस अस्पताल की क्षमता भी 300 बेड से बढ़ाकर 500 बेड की जा रही है। कटरा में माता वैष्णो देवी के दर्शन करने आने वाले लोगों को भी इससे बहुत सहूलियत रहने वाली है।

साथियों,

केंद्र में भाजपा-एनडीए की सरकार को अब 11 साल हो रहे हैं। ये 11 साल, गरीब कल्याण के नाम समर्पित रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना से 4 करोड़ गरीबों का पक्के घर का सपना पूरा हुआ है। उज्ज्वला योजना से 10 करोड़ रसोइयों, उसमें धुएं का अंत हुआ है, हमारी बहनों को, बेटियों को, उनकी सेहत की रक्षा हुई है। आयुष्मान भारत योजना से 50 करोड़ गरीबों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिला है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से हर थाली में भरपेट अनाज सुनिश्चित हुआ है। जनधन योजना से पहली बार 50 करोड़ से ज्यादा गरीबों के लिए बैंक का दरवाज़ा खुला है। सौभाग्य योजना से अंधेरे में जी रहे ढाई करोड़ परिवारों में बिजली की रोशनी पहुंची है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने 12 करोड़ शौचालयों ने खुले में शौच की मजबूरी से मुक्ति दिलाई है। जल जीवन मिशन से 12 करोड़ नए घरों में नल से जल पहुंचने लगा है, महिलाओं का जीवन आसान हुआ है। पीएम किसान सम्मान निधि से 10 करोड़ छोटे किसानों को सीधी आर्थिक सहायता मिली है।

|

साथियों,

सरकार के ऐसे अनेक प्रयासों से पिछले 11 साल में 25 करोड़ से ज्यादा गरीबों ने, गरीबी को हमारे ही गरीब भाई-बहनों ने, गरीबी के खिलाफ जंग लड़ी और 25 करोड़ गरीब, गरीबी को परास्त करकर के, वियजी होकर के, गरीबी से बाहर निकले हैं। अब वो नए मध्यम वर्ग का हिस्सा बने हैं। जो लोग अपने आप को समाज व्यवस्था के एक्सपर्ट मानते हैं, बड़े एक्सपर्ट मानते हैं, जो लोग अगले पिछले की राजनीति में डूबे रहते हैं, जो लोग दलितों के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकते रहे हैं, जरा जिन योजनाओं का मैंने सिर्फ उल्लेख किया है, उसकी तरफ नजर कर लीजिए। कौन लोग हैं जिनको ये सुविधाएं मिली हैं, वो कौन लोग हैं जो आजादी के 7-7 दशक तक इन प्राथमिक सुविधाओं से वंचित रहे थे। ये मेरे दलित भाई-बहन हैं, ये मेरे आदिवासी भाई-बहन हैं, ये मेरे पिछड़े भाई-बहन हैं, ये पहाड़ों पर गुजारा करने वाले, ये जंगलों में बसने वाले, झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी पूरी करने वाले, ये वो परिवार हैं, जिनके लिए मोदी ने अपने 11 साल खपा दिए हैं। केंद्र सरकार का प्रयास है कि गरीबों को, नए मध्यम वर्ग को ज्यादा से ज्यादा ताकत दे। वन रैंक वन पेंशन हो, 12 लाख रुपए तक की सैलरी को टैक्स फ्री करना हो, घर खरीदने के लिए आर्थिक सहायता देना हो, सस्ती हवाई यात्रा के लिए मदद देनी हो, हर तरह से सरकार, गरीब और मध्यम वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।

साथियों,

गरीबों को गरीबी से मुक्ति पाने के लिए उनकी मदद करना, लेकिन ईमानदारी से जीने वाले, देश के लिए समय-समय पर टैक्स देने वाले, मध्यम वर्ग की ताकत बढ़ाना, इसके लिए भी आजादी में पहली बार इतना काम हुआ है, जो हमने करके दिखाया है।

साथियों,

हम अपने यहां नौजवानों के लिए लगातार रोजगार के नए अवसर बढ़ा रहे हैं। और इसका एक अहम जरिया है- टूरिज्म। टूरिज्म से रोजगार मिलता है, टूरिज्म लोगों को जोड़ता है। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे पड़ोस का देश, मानवता का विरोधी, मेलजोल का विरोधी, टूरिज्म का विरोधी, इतना ही नहीं वो ऐसा देश है, गरीब की रोज़ी-रोटी का भी विरोधी है। 22 अप्रैल को पहलगाम में जो कुछ हुआ, वो इसी का उदाहरण है। पाकिस्तान ने पहलगाम में इन्सानियत और कश्मीरियत, दोनों पर वार किया। उसका इरादा भारत में दंगे कराने का था। उसका इरादा कश्मीर के मेहनतकश लोगों की कमाई को रोकना था। इसलिए पाकिस्तान ने टूरिस्ट्स पर हमला किया। वो टूरिज्म, जो बीते 4-5 साल में लगातार बढ़ रहा था, हर साल यहां रिकॉर्ड संख्या में टूरिस्ट आ रहे थे। जिस टूरिज्म से, जम्मू कश्मीर के गरीबों के घर चलते हैं, उसको पाकिस्तान ने निशाना बनाया। कोई घोड़े चलाने वाला, कोई पोर्टर, कोई गाइड, कोई गेस्ट हाउस वाला, कोई दुकान-ढाबा चलाने वाला, पाकिस्तान की साजिश इन सबको तबाह करने की थी। आतंकियों को चुनौती देने वाला नौजवान आदिल, वो भी तो वहां मेहनत-मजदूरी करने गया था, लेकिन अपने परिवार की देख रेख कर सके, इसलिए मेहनत कर रहा था। आतंकियों ने उस आदिल को भी मार दिया।

साथियों,

पाकिस्तान की इस साजिश के खिलाफ जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर के लोग उठ खड़े हुए हैं, जम्मू कश्मीर की आवाम ने इस बार जो ताकत दिखाई है, ये सिर्फ पाकिस्तान नहीं, दुनियाभर की आतंकवादी मानसिकता को, जम्मू कश्मीर के लोगों ने कड़ा संदेश दिया है। जम्मू-कश्मीर का नौजवान अब आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने का मन बना चुका है। ये वो आतंकवाद है, जिसने घाटी में स्कूल जलाए, और सिर्फ स्कूल यानी इमारत नहीं जलाई थी, दो-दो पीढ़ी का भविष्य जला दिया था। अस्पताल तबाह किए। जिसने कई पीढ़ियों को बर्बाद किया। यहां जनता अपनी पसंद के नुमाइंदे चुन सके, यहां चुनाव हो सकें, ये भी आतंकवाद के चलते बड़ी चुनौती बन गया था।

|

साथियों,

बरसों तक आतंक सहने के बाद जैसे जम्मू-कश्मीर ने इतनी बर्बादी देखी थी कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने सपने देखना ही छोड़ दिया था, आतंकवाद को ही अपना भाग्य मान लिया था। जम्मू-कश्मीर को इस स्थिति से निकालना जरूरी था, और हमने ये करके दिखाया है। आज जम्मू-कश्मीर का नौजवान नए सपने भी देख रहा है और उन्हें पूरे भी कर रहा है। अब कश्मीर का नौजवान बाज़ारों को, शॉपिंग मॉल्स को, सिनेमा हॉल को गुलज़ार देखकर के खुश है। यहां के लोग जम्मू कश्मीर को फिर से फिल्मों की शूटिंग का प्रमुख केंद्र बनते देखना चाहते हैं, इस क्षेत्र को स्पोर्ट्स का हब बनते देखना चाहते हैं। यही भाव हमने अभी माता खीर भवानी के मेले में भी देखा है। जिस तरह हजारों लोग माता के दर पर पहुंचे, वो नए जम्मू कश्मीर की तस्वीर दिखाता है। अब 3 तारीख से अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने वाली है। ईद की उमंग भी हम चारों तरफ देख रहे हैं। विकास का जो वातावरण जम्मू-कश्मीर में बना था, वो पहलगाम के हमले से डिगने वाला नहीं है। जम्मू-कश्मीर के आप सभी लोगों को, और आप सबसे नरेंद्र मोदी का वायदा है, मैं यहां विकास को रुकने नहीं दूंगा, यहां के नौजवानों को सपने पूरा करने से कोई भी बाधा अगर रूकावट बनती है, तो उस बाधा को पहले मोदी का सामना करना पड़ेगा।

साथियों,

आज 6 जून है, याद कीजिए एक महीने पहले, ठीक एक महीने पहले, 6 मई की वो रात, पाकिस्तान के आतंकियों पर कयामत बरसी थी। अब पाकिस्तान कभी भी ऑपरेशन सिंदूर का नाम सुनेगा, तो उसे अपनी शर्मनाक शिकस्त याद आएगी। पाकिस्तानी फौज और आतंकियों ने कभी सोचा भी नहीं था कि भारत, पाकिस्तान में सैंकड़ों किलोमीटर अंदर जाकर के आतंकवादियों पर इस तरह वार करेगा। बरसों की मेहनत से उन्होंने आतंक की जो इमारतें बनाईं थीं, वो कुछ मिनटों में ही खंडहर में बदल गईं हैं। और ये देख पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया था, और उसने अपना गुस्सा जम्मू के, पूंछ के, दूसरे जिलों के लोगों पर भी निकाला। पूरी दुनिया ने देखा कि पाकिस्तान ने कैसे यहां घर उजाड़े, बच्चों पर गोले फेंके, स्कूल-अस्पताल तबाह किए, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों पर शेलिंग की। आपने जिस तरह पाकिस्तान के हमलों का मुकाबला किया, वो हर देशवासी ने देखा है। इसलिए अपने परिवारजनों, उनके साथ हर देशवासी पूरी शक्ति से खड़ा है।

साथियों,

जिन लोगों की क्रॉस बॉर्डर फायरिंग में मृत्यु हुई है, उनके परिवार के सदस्य को कुछ दिन पहले ही नियुक्ति पत्र सौंपे गए हैं। शेलिंग से प्रभावित 2 हजार से ज्यादा परिवारों की तकलीफ भी हमारी अपनी तकलीफ है। इन परिवारों को शेलिंग के बाद अपने घर की मरम्मत के लिए आर्थिक मदद दी गई थी। अब केंद्र सरकार ने ये तय किया है, कि इस मदद को और बढ़ाया जाए। आज के इस कार्यक्रम में, मैं इसकी भी जानकारी आपको देना चाहता हूं।

साथियों,

जिन घरों में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, उन्हें अब 2 लाख रुपए और जो घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें 1 लाख रुपए की सहायता अलग से दी जाएगी, अतिरिक्त दी जाएगी। यानी अब उन्हें पहली बार की मदद के बाद ये एक्सट्रा धनराशि मिलेगी।

|

साथियों,

हमारी सरकार बॉर्डर किनारे बसे लोगों को देश का प्रथम प्रहरी मानती है। बीते दशक में सरकार ने बॉर्डर के जिलों में विकास और सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व काम किया है, इस दौरान करीब दस हज़ार नए बंकर्स बनाए गए हैं। इन बंकरों ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद बने हालात में लोगों का जीवन बचाने में बड़ी मदद की है। मुझे ये बताते हुए खुशी है, कि जम्मू औऱ कश्मीर डिविजन के लिए दो बॉर्डर बटालियन बनाई गई है। दो वूमन बटालियन बनाने का भी काम पूरा कर लिया गया है।

साथियों,

हमारा जो इंटरनेशनल बॉर्डर है, उसके पास जो बहुत दुर्गम इलाके हैं, वहां भी सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च करके नया इंफ्रा बनाया जा रहा है। कठुआ से जम्मू हाईवे को सिक्स लेन का एक्सप्रेसवे बनाया जा रहा है, अखनूर से पूंछ हाईवे का भी चौड़ीकरण किया जा रहा है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत भी बॉर्डर के गांवों में विकास के काम को और गति दी जा रही है। जम्मू-कश्मीर के 400 ऐसे गांव जहां ऑल वेदर कनेक्टिविटी नहीं थी, उन्हें 1800 किलोमीटर की नई सड़कें बिछाकर जोड़ा जा रहा है। इस पर भी सरकार 4200 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने जा रही है।

|

साथियों,

आज मैं जम्मू-कश्मीर के आप लोगों से, खासकर यहां के नौजवानों से एक विशेष आग्रह भी करने आया हूं और जम्मू कश्मीर की धरती से मैं देश को भी आग्रह करना चाहता हूं। आपने देखा है कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर ने आत्मनिर्भर भारत की ताकत दिखाई है। आज दुनिया भारत के डिफेंस इकोसिस्टम की चर्चा कर रही है। और इसके पीछे एक ही कारण है, हमारी सेनाओं का ‘Make in India’ पर भरोसा। सेनाओं ने जो कर दिखाया, अब वही हर भारतवासी को दोहराना है। इस साल के बजट में हमने मिशन मैन्युफैक्चरिंग की घोषणा की है। इस मिशन के तहत सरकार मैन्युफैक्चरिंग को नई उड़ान देने का काम कर रही है। मैं जम्मू-कश्मीर के युवाओं से कहूंगा, आइए, इस मिशन का हिस्सा बनिए। देश को आपकी आधुनिक सोच चाहिए, देश को आपके इनोवेशन की जरूरत है। आपके आइडिया, आपकी स्किल, भारत की सुरक्षा को, भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाई देंगे। पिछले दस वर्षों में भारत एक बड़ा डिफेंस एक्सपोर्टर बना है। अब हमारा लक्ष्य है, दुनिया के टॉप डिफेंस एक्सपोर्टर्स में भारत का नाम भी शामिल हो। इस लक्ष्य की ओर हम जितना तेजी से बढ़ेंगे, उतनी ही तेजी से भारत में रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हमें एक और संकल्प लेना है, जो सामान भारत में बना हो, जिसमें हमारे देशवासियों का पसीना लगा हो, हम सबसे पहले उसे ही खरीदें और यही राष्ट्रभक्ति है, यही राष्ट्र की सेवा है। सीमा पर हमें हमारी सेनाओं का मान बढ़ाना है और बाजार में हमें मेड इन इंडिया का गौरव बढ़ाना है।

|

साथियों,

एक सुनहरा और उज्ज्वल भविष्य जम्मू-कश्मीर का इंतजार कर रहा है। केंद्र सरकार और यहां की सरकार मिलकर, विकास के कार्यों में जुटी हैं, एक दूसरे का सहयोग कर रही हैं। शांति और खुशहाली के जिस रास्ते पर हम आगे बढ़ रहे हैं, हमें उसे लगातार मजबूत करना है। मां वैष्णो के आशीर्वाद से विकसित भारत, विकसित जम्मू-कश्मीर का ये संकल्प सिद्धि तक पहुंचे, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से ये ढेर सारे विकास के प्रोजेक्ट्स के लिए और एक से बढ़कर इतने शानदार प्रोजेक्ट्स के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से मेरे साथ बोलिये -

भारत माता की जय! आवाज हिन्दुस्तान के हर कोने में गूँजनी चाहिए।

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद!