QuotePM speaks at the function organized by Rickshaw Sangh in Varanasi
QuotePM launches financial inclusion initiative in Varanasi, calls it a landmark event that would transform lives of people
QuoteThere is a need to increase the pace and scale of outcomes of the initiatives to remove poverty: PM
QuoteEvery person wants his or her child to lead a life better than what they led. Every person wants his or her child lead a life of dignity: PM
QuoteUnion Government is putting emphasis on skill development to help make the poor self-reliant: PM
QuoteEducation is the best way to fight poverty: PM Narendra Modi
QuotePM Modi urges beneficiaries to ensure that their children receive proper education

विशाल संख्या में आए भाईयो और बहनों,

यहां जो कार्यक्रम हो रहा है, ये कार्यक्रम सिर्फ कुछ गरीब परिवारों का जीवन बदलेगा, ऐसा नहीं है। ये कार्यक्रम एक ऐसी शुभ शुरूआत है, जो काशी के भाग्‍य को बदलेगा। यहां के गरीब के जीवन में अगर हम थोड़ा सा आवश्‍यक बदलाव ला ले, समय के आधारित जीवन में technology का प्रवेश करें, तो गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति की पहले जितना परिश्रम करके कमाता था, उससे भी थोड़ा कम परिश्रम करके, वो ज्‍यादा कमा सकता है। आज यहां उस प्रकार की सुविधाएं दी जा रही हैं, जिसमें बैंक का सहयोग है, American Foundation का सहयोग है, भारत सरकार बहुत बड़ी मात्रा में इन चीजों को promote कर रही है और गरीब को सबसे पहला प्रयास है कि वो आत्‍मनिर्भर कैसे बने।

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हम करीब-करीब पिछले 40-50 साल से गरीबी हटाओ, इस बात को सुनते आए हैं। हमारे देश में चुनावों में भी गरीबों का कल्‍याण करने वाले भाषण लगातार सुनने को मिलते हैं। हमारे यहां राजनीति करते समय कुछ भी करते हो लेकिन सुबह-शाम गरीबों की माला जपते रहना, ये एक परंपरा बन गई है। इस परंपरा से जरा बाहर आने की जरूरत है और बाहर आने का मतलब है कि क्‍या हम प्रत्‍यक्ष रूप से गरीबों को साथ ले करके, गरीबी से मुक्‍ति का अभियान चला सकते हैं क्‍या? अब तक जितने प्रयोग हुए हैं, उन प्रयोगों से जितनी मात्रा में परिणाम चाहिए था, वो देश को मिला नहीं है। गरीब की जिन्‍दगी में भी जिस तेजी से बदलाव आना चाहिए, वो बदलाव हम ला नहीं पाए हैं। मैं किसी सरकार को दोष देना नहीं चाहता हूं, किसी दल को दोष देना नहीं चाहता हूं, लेकिन कुछ अच्‍छा करने की दिशा में एक नए सिरे से गरीबों के कल्‍याण के लिए मूलभूत बातों पर focus करना। वो कौन सी चीजें करें ताकि गरीब जो सचमुच में मेहनत करने को तैयार है, गरीबी की जिन्‍दगी से बाहर निकलने को तैयार है। आप किसी भी गरीब को पूछ लीजिए, उसे पूछिए कि भाई क्‍या आप अपने संतानों को ऐसी ही गरीबी वाली जिन्‍दगी जीएं, ऐसा चाहते हो कि अच्‍छी जिन्‍दगी जीएं चाहते हो। गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति भी ये कहेगा कि मैं मेरे संतानों को विरासत मैं ऐसी गरीबी देना नहीं चाहता। मैं उसे एक ऐसी जिन्‍दगी देना चाहता हूं कि जिसके कारण वो अपने कदमों पर खड़ा रहे, सम्‍मान से जीना शुरू करें और अपनी जिन्‍दगी गौरवपूर्व बताएं, ऐसा हर गरीब मां-बाप की इच्‍छा होती हैं। उसको वो पूरा कैसे करें। आज कभी हालत ऐसी होती है कि वो मजदूरी करता है, लेकिन अगर थोड़ा-सा skill development कर दिया जाए, उसको थोड़ा हुनर सिखा दिया जाए तो पहले अगर वो सौ रुपया कमाता है, थोड़ा हुनर सिखा दिया तो वो 250-300 रुपए कमाना शुरू कर देता है और एक बार हुनर सीखता है तो खुद भी दिमाग लगाकर के उसमें अच्‍छाई करने का प्रयास करता है और इसलिए भारत सरकार ने एक बहुत बड़ा अभियान चलाया है skill development का, कौशल्‍यवर्धन का। गरीब से गरीब का बच्‍चा चाहे स्‍कूल के दरवाजे तक पहुंचा हो या न पहुंचा हो, या पांचवीं, सातवीं, दसवीं, बारहवीं पढ़कर के छोड़ दी हो, रोजी-रोटी तलाशता हो। अगर उसे कोई चीज सिखा ली जाए तो वो देश की अर्थनीति को भी बल देता है, आर्थिक गतिविधि को भी बल देता है और स्‍वयं अपने जीवन में कुछ कर-गुजरने की इच्‍छा रखता है और इसलिए छोटी-छोटी चीजें ये कैसे develop करे उस दिशा में हमारा प्रयास है।

आज मैं यहां ये सब ई-रिक्‍शा वाले भाइयों से मिला। मैंने उनको पूछा क्‍या करोगे, चला पाओगे क्‍या? तो उन्‍होंने कहा साहब पहले से मेरा confidence level ज्‍यादा है। मैंने कहा क्‍यों? वो मेरा skill development हो गया। उसे skill शब्‍द भी आता था। बोले मेरा skill development हो गया। बोले मेरी training हुई और मेरा पहले से ज्‍यादा विश्‍वास है। पहले मैं pedal वाले रिक्‍शा चलाता था। मैंने कहा speed कितनी रखोगे? बोले साहब मैं कानून का पालन करूंगा और मैं कभी ऐसा न करूं ताकि मेरे परिवार को भी कोई संकट आए और मेरे passenger के परिवार को भी संकट आए, ऐसा मैं कभी होने नहीं दूंगा और काशी की गलियां तो छोटी है तो वैसे भी मुझे संभाल के चलना है। उसकी ये training हुई है। काशी में दुनिया भर के लोग आते हैं। काशी का tourism कैसा हो, काशी कैसा है, काशी के लोग कैसे है? उसका पहला परिचय यात्री को किसके साथ होता है, रिक्‍शा वाले के साथ होता है। वो उसके साथ किस प्रकार से व्‍यवहार करता है, वो उसके प्रति किस प्रकार का भाव रखता है, उसी से उसकी मन में छवि बनती है। अरे भाई, ये तो शहर बहुत अच्‍छा है। यहां के रिक्‍शा वाले भी इतने प्‍यार से हमारी चिन्‍ता करते हैं, वहीं से शुरू होता है और इसलिए यहां जो टूरिस्‍टों के लिए एक स्‍पेशल रिक्‍शा का जो सुशोभन किया गया है, कुछ व्‍यवस्‍थाएं विकसित की गई हैं। मैं उनसे पूछ रहा था, मैंने कहा आप Guide के नाते मुझे सब चीजें बता सकते हों, बोले हां बता सकता हूं। मैं हर चीज बता सकता हूं रिक्‍शा चलाते-चलाते और बोले मुझे विश्‍वास है कि मेरे रिक्‍शा में जो बैठेगा, उसको ये संतोष होगा कि काशी उसको देखने को सहज मिल जाएगा। चीजें छोटी-छोटी होती हैं, लेकिन वे बहुत बड़ा बदलाव लाती है।

आज चाहे pedal रिक्‍शा को आधुनिक कैसे किया जाए, pedal रिक्‍शा से ई-रिक्‍शा की ओर shifting कैसे किया जाए, यात्रियों की सुविधाओं को कैसे स्‍थान दिया जाए, बदलते हुए युग में environment friendly technology का कैसे उपयोग किया जाए? इन सारी बातों का इसके अंदर जोड़ हैं और सबसे बड़ी बात है उनके परिवार की। आज इसमें जो लोग select किए गए हैं, वो वो लोग है, जिनकी खुद की कभी रिक्‍शा नहीं थी। वो बेचारे किराए पर रिक्‍शा लेकर के दिनभर मजदूरी करते थे। 50 रुपया, 60 रुपया उस रिक्‍शा मालिक को उनको देना पड़ता था। बचा-खुचा घर जाकर के ले जाता था। बच्‍चों के लिए डबलरोटी साथ ले जाता था, उसी से रात का गुजारा हो जाता था। इस प्रयोग का सबसे बड़ा लाभ उन गरीब रिक्‍शा वालों को है कि अब उनको वो जो ऊंचे ब्‍याज से पैसे देने पड़ते थे, उससे अब मुक्‍ति हो गई। अब वो जो पैसे होंगे वो बैंक के बहुत ही कम rate से पैसा जमा करेगा और कोई साल के अंदर और कोई दो साल में इस रिक्‍शा का मालिक हो जाएगा। जब उसे पता है, इसका मतलब ये हुआ कि उसकी ये बचत होने वाली है। ये पैसे उसके किसी ओर की जेब में नहीं जाने वाले, खुद की जेब में जाने वाले है ताकि वो एक साल-दो साल के बाद इसका मालिक बन जाने वाला है और मुझे विश्‍वास है कि इस प्रकार की व्‍यवस्‍था के कारण आने वाले दिनों में जितने परिवार है, उनको फिर गरीबी की हालत में रहने की नौबत नहीं आएगी, वो आगे बढ़ेंगे।

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मैंने उनसे पूछा कि बच्‍चों को पढ़ाओगे क्‍या? बोले साहब अब तक तो कभी-कभी मन में रहता था कि कितना पढ़ाऊं, कहां से पैसा लाऊं, लेकिन ये जो आपने व्‍यवस्‍था की है, अब मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, मैं बच्‍चों को पढ़ाऊंगा। मेरी बात तो ये पांच-छह लोगों के साथ हुई है लेकिन यहां जिन लोगों को आज रिक्‍शा मिल रही है, उन सबसे मेरा आग्रह है कितनी ही तकलीफ क्‍यों न हो, मेरे प्रति नाराजगी व्‍यक्‍त करनी है, तो जरूर करना, आपको हक है। लेकिन बच्‍चों को पढ़ाई से कभी खारिज मत करना, बच्‍चों की पढ़ाई को प्राथमिकता देना। गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का सबसे बड़ा औजार और सस्‍ते से सस्‍ता औजार कोई है, तो अपनी संतानों को शिक्षा देना। अगर हम अपने बच्‍चों को शिक्षा देंगे, तो दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो हमें गरीब रहने के लिए मजबूर कर दे। देखते ही देखते स्थिति बदलना शुरू हो जाएगा। और इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि ये जो नई सुविधाएं जिन-जिन परिवारों को मिल रही हैं, वे अपने बच्‍चों को पढ़ाने के विषय में कोई compromise न करें, अपने बच्‍चों को जरूर पढ़ाएं।

आज मुझे एक परिवार से मिलना हुआ। वो बहन चौराहे पर दरी बिछाकर के सब्‍जी बगैरा बेचती रहती थी, आज उसको एक ठेला मिल गया है। मैंने उसको पूछा क्‍या फर्क पड़ेगा। बोले जी पहले तो मैं जहां बैठती थी कोई आया तो माल ले के जाता था, अब मैं अलग-अलग इलाकों में जाऊंगी, अपना समय पत्रक बना दूंगी कि इस इलाके में सुबह 9 बजे जाना है, इस इलाके में सुबह 10 बजे जाना है इस इलाके में 11 बजे जाना है, तो लोगों को भी पता रहेगा कि मैं कितने बजे वहां माल अपना लेकर जाऊंगी, तो वो जरूर उस समय पर मेरा माल ले लेंगे। अब देखिए अनपढ़ महिला! लेकिन उसे मालूम है कि मैं ऐसा टाईम-टेबल बनाऊंगी कि इस इलाके में 9 बजे जाती हूं तो रोज, हर रोज 9 बजे वहां पहुंच जाऊंगी, इस इलाके में दोपहर को 12 बजे पहुंचती हूं, मतलब 12 बजे पहुंच जाऊंगी। यानी उसको business का perfect management मालूम है। ठेला चलाते-चलाते भी अपनी जिंदगी बदली जा सकती है, इसका विश्‍वास उसके अंदर आया है। ये छोटी-छोटी चीजें हैं, जिसके द्वारा हम एक बहुत बड़ा बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं।

अभी प्रधानमंत्री जन-धन खाते खोलने का जो अभियान चलाया, हमारे देश में सालों से कहा जाता था कि गरीबों के लिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया है, लेकिन बैंकों के राष्ट्रीयकरण के 40-50 साल के बाद भी, बैंक के दरवाजे पर कभी कोई गरीब दिखाई नहीं दिया था और इस देश में कभी उसकी चर्चा भी नहीं थी। इस देश में ऐसा क्‍यों ? ये सवाल इस देश के किसी बुद्धिमान व्‍यक्ति ने किसी राजनेता को नहीं पूछा, किसी सरकार को नहीं पूछा। 50 साल में नहीं पूछा। Taken for granted था। हमने आकर के बीड़ा उठाया कि बैंकों के दरवाजे पर मेरा गरीब होगा, बैंकों के अंदर मेरा गरीब होगा। ये बैंक गरीबों के लिए होगी, बड़ा अभियान उठाया। मैंने 15 अगस्‍त को घोषणा की थी, 26 जनवरी तक पूरा करने का संकल्‍प लिया था और सभी बैंकों ने जी-जान से मेरे साथ जुड़ गए, कंधे से कंधा जुड़ गए और आज देश में करीब 18 करोड़ से ज्‍यादा बैंकों के खाते गरीबों के खुल गए।

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हिन्‍दुस्‍तान में कुल परिवारों में जितने थे करीब-करीब सारे आ गए और हमने तो कहा था कि हम गरीबों का account कोई भी प्रकार का पैसा लेकर कर के नहीं खोलेंगे। बिना पैसे, बैंक खर्चा करेगी फॉर्म का खर्चा होगा, जो होगा करेंगे, गरीबों का एक बार मुफ्त में खाता खोल देंगे। आदत लगेगी उसको धीरे-धीरे और खाते खोल दिए लेकिन देखिए, गरीबों की अमीरी देखिए, सरकार ने तो कहा था एक रुपया नहीं दोगे लेकिन गरीबों ने करीब-करीब 30 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा रकम जमा कर दी है। इसका मतलब ये हुआ कि गरीब को पैसे बचाने की अब इच्‍छा होने लगी है। अगर गरीब को पैसे बचाने की इच्‍छा होगी तो उसके आर्थिक जीवन में बदलाव आना स्‍वाभाविक शुरू हो जाएगा। धीरे-धीरे बैंक के खाते उपयोग करने की आदत भी अब धीरे-धीरे बन रही है। मैं हैरान हूं जिन्‍होंने खाते नहीं खोले कभी, वो आज मेरा हिसाब मांग रहे हैं कि खाते खोल तो दिए हैं, लेकिन उसका उपयोग करने वालों की संख्‍या बढ़ नहीं रही है। जिन्‍होंने खाते तक खोलने की परवाह नहीं की थी, उनको अभी खाते operate हो रहे कि नहीं हो रहे, इसकी चिन्‍ता होने लगी है। अच्‍छा होता, ये काम अगर आपने 40-50 साल पहले कर दिया होता तो आज operate करने का सवाल मुझे नहीं पूछना पड़ता देश के सभी गरीब के खाते हो जाते। लेकिन आपने जो काम 50 साल नहीं किया है वो 50 महीने में मैं पूरा करके रहूंगा, ये मैं बताने आया हूं।

गरीब का भला कैसे हो, अभी काशी के अंदर रक्षाबंधन को सुरक्षाबंधन बनाने का बड़ा अभियान चलाया और मैं काशी की माताओं-बहनों का विशेष रूप से, सार्वजनिक रूप से आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि इस रक्षाबंधन के पर्व पर मुझे इतनी राखियां मिली हैं बनारस से, इतने आशीर्वाद मिले हैं, माताओं-बहनों के, मैं सिर झुकाकर उन सभी माताओं-बहनों को नमन करता हूं। आपने जो मेरे प्रति सद्भाव व्‍यक्‍त किया है, मेरी रक्षा की चिन्‍ता की है और सुरक्षा का बंधन की जो बात कही है, मैं उसके लिए काशी की सभी माताओं-बहनों का ह्दय से बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। मैं इन सभी महानुभावों का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि योजना में हमारे साथ, ये partner बने हैं और एक Model के रूप में ये काम आने वाले दिनों में विकसित होगा। अब आप धीरे-धीरे देखिए काशी के अंदर एक नया....और इसके कारण गति आने वाली है, इन चीजों के कारण गति आने वाली है, इन चीजों के कारण शहर की एक नई पहचान बनने वाली है। इन चीजों के कारण सामान्‍य मानव के जीवन में सुविधा का अवसर शुरू होने वाला है।

ऐसी इस योजना के निमित्‍त मैं आज उन सभी बधुंओं को जिन्‍हें आज ये साधन मिल रहे हैं, मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और काशी की आर्थिक प्रगति में गरीब से गरीब व्‍यक्ति की ताकत काम में आए, उस दिशा के प्रयत्‍नों में हमें सफलता मिले, यही भोलेनाथ हम पर आशीर्वाद बरसाएं, इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Prime Minister Narendra Modi PM Andrej Plenković attend joint press meet in Zagreb
June 18, 2025

Your Excellency प्रधानमंत्रीजी ,
दोनों देशों के delegates,
Media के पूरे साथी,
नमस्कार!
दोभार दान!

ज़ाग्रेब की इस ऐतिहासिक और मनमोहक धरती पर जिस उत्साह, आत्मीयता और स्नेह से मेरा स्वागत हुआ है, उसके लिए मैं प्रधानमंत्री और क्रोएशिया सरकार का हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहूंगा ।

किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की यह पहली यात्रा है। और इसका सौभाग्य मुझे मिला है।

Friends,

भारत और क्रोएशिया लोकतंत्र, rule of law, Pluralism, और Equality जैसे साझा मूल्यों से जुड़े हैं। यह सुखद संयोग है कि पिछले वर्ष भारत के लोगों ने मुझे, और क्रोएशिया के लोगों ने प्रधानमंत्री आंद्रेजी को, लगातार तीसरी बार सेवा करने का अवसर दिया है। इस जनविश्वास के साथ, हमने अपने तीसरे कार्यकाल में, अपने द्विपक्षीय संबंधों को तीन गुना गति देने का निर्णय लिया है।

रक्षा क्षेत्र में long-term सहयोग के लिए एक ‘रक्षा सहयोग प्लान’ बनाया जाएगा, जिसमें ट्रेनिंग और मिलिट्री exchange के साथ-साथ रक्षा उद्योग पर भी फोकस किया जाएगा। ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जहां हमारी अर्थव्यवस्थाएँ एक दूसरे के पूरक हो सकती है। हमारे इन क्षेत्रों को चिन्हित किया गया।

हमने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने और विश्वसनीय supply chain तैयार करने के लिए कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया है। हम फार्मा, agriculture, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, क्लीन टेक्नोलॉजी, डिजिटल टेक्नोलॉजी, रिन्यूएबल energy, सेमीकंडक्टर ऐसे कई महत्वपूर्ण विषयों में सहयोग को बढ़ावा देंगे।

शिपबिल्डिंग और साइबर सिक्योरिटी में सहयोग बढ़ाया जायेगा। भारत की सागरमाला परियोजना के तहत हो रहे port modernisation, कोस्टल-ज़ोन के विकास और मल्टीमोडल कनेक्टिविटी में क्रोएशिया की कंपनियों के लिए भी व्यापक अवसर हैं। हमने अपने academic institutions और centers के बीच joint research और collaboration पर बल दिया है। भारत अपने स्पेस अनुभव को क्रोएशिया के साथ साझा करेगा।

Friends,

हमारे सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंध, आपसी स्नेह और सद्भाव का मूल हैं। ‘इवान फिलिप वेज़दिन’ ने 18वीं शताब्दी में, पहली बार यूरोप में संस्कृत व्याकरण प्रकाशित किया। 50 वर्षों से ज़ाग्रेब यूनिवर्सिटी में इंडोलोजी विभाग सक्रिय है।

आज हमने अपने सांस्कृतिक और people to people संबंधों को और बल देने का निश्चय किया है। ज़ाग्रेब यूनिवर्सिटी में हिन्दी chair के MoU की अवधि 2030 तक बढ़ाई गई है। आने वाले पांच वर्षों के लिए cultural exchange प्रोग्राम तैयार किया गया है।

लोगों के आवागमन को सरल बनाने के लिए मोबिलिटी एग्रीमेंट को जल्द पूर्ण किया जाएगा। क्रोएशियाई कंपनियाँ भारत की आईटी मैनपावर का लाभ उठा सकेंगी। हमने दोनों देशों के बीच टूरिज्म को बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया।

यहाँ पर योग की लोकप्रियता को मैंने स्पष्ट रूप से अनुभव किया है। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है, और मुझे विश्वास है कि हमेशा की तरह क्रोएशिया के लोग इसे धूम-धाम से मनाएंगे।

Friends,

हम सहमत हैं कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। लोकतंत्र में विश्वास रखने वाली शक्तियों का विरोधी है। 22 अप्रैल को भारत में हुए आतंकी हमले पर संवेदनाओं के लिए, हम प्रधानमंत्रीजी और क्रोएशिया सरकार के हार्दिक आभारी हैं। ऐसे कठिन समय में, हमारे मित्र देशों का साथ हमारे लिए बहुत मूल्यवान था।

हम दोनों सहमत हैं कि आज के वैश्विक वातावरण में भारत और यूरोप की साझेदारी बहुत महत्व रखती है। EU के साथ हमारी स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप को मजबूत करने में क्रोएशिया का समर्थन और सहयोग बहुत ही महत्वपूर्ण है।

हम दोनों इस बात का समर्थन करते हैं कि यूरोप हो या एशिया, समस्याओं का समाधान रणभूमि से नहीं निकलता । डायलॉग और डिप्लोमेसी ही एकमात्र रास्ता है। किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान आवश्यक है।

Friends,

आज यहाँ ‘बाँसकि द्वोरी’ में होना मेरे लिए एक विशेष पल है। जहाँ ‘साकसिनस्की’ ने क्रोएशियन भाषा में अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था, मुझे हिन्दी में अपनी बात रखने में एक गर्व और सुकून का अनुभव हो रहा है। उन्होंने सही कहा था, "भाषा एक पुल है”, और आज हम उसे मज़बूती दे रहे हैं।

एक बार फिर, क्रोएशिया में हमारी आवभगत के लिए मैं प्रधानमंत्रीजी का हार्दिक धन्यवाद करता हूँ। और, प्रधानमंत्रीजी, मैं यह भी आशा करता हूँ कि आप हमें भारत में जल्द से जल्द स्वागत करने का अवसर प्रदान करेंगे।

आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद।