Good infrastructure has the potential to transform the nation: PM

Published By : Admin | November 5, 2015 | 17:34 IST
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PM Modi lays foundation Stone of NHAI Projects in Sonepat, Haryana
If Infrastructure improves, quality of life also enhances: PM Modi
Good infrastructure has the potential to transform nations: PM
These roads won't only carry the vehicles, these roads would lead Haryana towards development: PM
There are so many districts not connected with a national highway. Bharat Mala project will change that: PM
We have made attempts to transform the railways- increase speed, extension, expansion, better stations. Lot of initiatives are happening: PM
We are dedicated to provide 24/7 power supply to the 18,000 villages that still don not have electrification: PM Modi

कभी-कभी लोगों के मन में विचार आता है कि पैसे होते हैं तो रास्‍ते बनते हैं लेकिन हकीकत ये है अगर रास्‍ते बनते हैं तो फिर पैसे अपने-आप बनना शुरू हो जाते हैं। आज के युग में विकास की सबसे पहली प्राथमिक आवश्‍यकता होती है Infrastructure चाहे वो बिजली की बात हो, पानी की हो, सड़क की हो, और जहां-जहां Infrastructure पहुंचता है वहां-वहां विकास की रफ्तार तेज होती है। Quality of life में भी बहुत बड़ा बदलाव, जब इस प्रकार की सुविधाएं तैयार होती हैं तब होता है। लेकिन ज्‍यादातर हमारे देश में सरकारें दुविधा में रहती हैं, उनको लगता है कि किसी मतदाता को कोई लाभ मिलेगा तो, तो चुनाव में लाभ मिलेगा लेकिन अगर सड़क बनती है तो लोगों को लगता है उसमें क्‍या है भई ये तो सरकार का काम है, मेरा क्‍या हुआ। और ये दुविधा कई वर्षों से हमारे देश में चल रही है। और शायद ये दुविधा ही हमारे देश में विकास की सबसे बड़ी रुकावट है। जो समाज में दलित है, पीडि़त है, शोषित है, वंचित है, उनकी चिंता करना, विकास के फल उन तक पहुंचें, विकास की यात्रा में उनकी समान भागीदारी हो, ये तो सुनिश्चित करना राज्‍य की प्राथमिकता होती ही है, होनी भी चाहिए। लेकिन साथ-साथ अगर सर्वांगीण विकास करना है, लंबे अर्से तक लोगों को आत्‍मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ना है, ये बहुत आवश्‍यक होता है कि Infrastructure को बल दिया जाए।

हरियाणा छोटा प्रदेश है लेकिन करीब-करीब 32 हजार करोड़ रुपये की योजनाएं सिर्फ roads के लिए आएं, ये छोटी बात नहीं है। ये 32 हजार करोड़ रुपये लगते हैं तो इलाके के नौजवानों को रोजगार भी मिलता है, मजदूरी करने वालों को भी काम मिलता है, लेकिन जब व्‍यवस्‍था खड़ी होती है तो विकास की गति भी बहुत तेज होती है।

आप में से अगर किसी को अध्‍ययन करना है तो कोरिया एक उत्‍तम नमूना है कि कोरिया कहां-से-कहां पहुंचा और वहां की शुरूआत, वहां के शासकों ने इस बात से की कि कोरिया के बीच से गुजरता हुआ एक बहुत बड़ा आधुनिक Highway बनाया जाए। बड़ा विवाद हुआ था उस देश में। विवाद इस बात का हुआ कि देश गरीब है, एक रोड के लिए इतने पैसे लगा रहे हो, स्‍कूल नहीं है, अस्‍पताल नहीं है, गरीबी है, और अब रोड के लिए इतने अरबों-खरबों लगा रहे हो। बड़ा विवाद हुआ था लेकिन उस समय के शासकों ने इन सारे आरोप-प्रत्‍यारोपों के बीच भी पूरे कोरिया के बीच से एक उत्‍तम रास्‍ता बनाने का तय कर लिया और बनाया। और उस एक रास्‍ते ने पूरे कोरिया के जीवन को बदल दिया। आज दुनिया के समृद्ध देशों में कोरिया का नाम आ गया है।

Infrastructure की ये ताकत होती है और इसलिए मार्ग के क्षेत्र में, हमारे नितिन गडकरी जी के नेतृत्‍व में शायद पिछले 60 साल में इतने व्‍यापक रूप से मार्ग निर्माण के काम पर कल्‍पना तक नहीं की गई होगी। एक तरफ भारतमाला योजना है, दूसरी तरफ सेतुभारतम योजना है। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भारत को उत्‍तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम जोड़ने के लिए एक Golden चतुष्‍क का निर्माण करने का बीड़ा उठाया और उस काम में इतनी तेजी आई कि उनके कार्यकाल में जितना काम पूरा हुआ, उस काम को आज भी हिन्‍दुस्‍तान के विकास में एक अहम भूमिका अदा हो रही है, इस रूप में माना गया से है।

ये जो रास्‍ते बनने वाले हैं, वो रास्‍ते सिर्फ हमारे Vehicles को ले जाने वाले रास्‍ते नहीं हैं। ये मार्ग का निर्माण हरियाणा को गति देने वाला निर्माण है, ये मार्ग का निर्माण हरियाणा को विकास की नई ऊंचाईयों पर तेज गति से पहुंचाने का अभियान है।

सागरमाला योजना के तहत हिन्‍दुस्‍तान के समुद्र तट, उस समुद्र तट के साथ वो Infrastructure जोड़ा जाए ताकि हिन्‍दुस्‍तान का हर कोना सामुद्रिक व्‍यापार के लिए जहां जाना हो, उसको अच्‍छे से अच्‍छा तेज गति से connectivity मिले ताकि देश में व्‍यापार को बढ़ावा मिल सकता है। अगर अच्‍छा Infrastructure है और हिमाचल के apple हैं, उनको समुद्री मार्ग से दुनिया में कहीं पहुंचाना है, तेज गति से अगर पहुंचा दिया तो वो किसान भी सुखी होता है, और जहां पहुंचता है वहां भी अच्‍छा माल पहुंचता है। यानी एक प्रकार से इन सुविधाओं से गांव गरीब किसान भी जो मेहनत करके पैदा करता है, अच्‍छे बाजार में सही समय पर पहुंच करके अपने आर्थिक विकास की यात्रा को गति दे सकते हैं। और इसलिए हमारे बंदरों के साथ, सामुद्रिक बंदरों के साथ, सागरमाला के तहत road connectivity देने का अभियान है।

सेतुभारतम, आपने देखा होगा हमारे देश में दो तरफ सड़क बनी है, बीच में से रेल जा रही है, ऊपर पुलियां नहीं बन रही हैं, रोड खराब हो रहा है। वर्षों तक ये चलता था, कभी रेल permission नहीं दे रही है, कभी रोड वाले काम नहीं करते हैं। नितिन जी ने आ करके बीड़ा उठाया, रेल और रोड के बीच में सामंजस्‍य बन गया, और एक formula बनाएं कि अगर इतने parameter पूरे होते हैं तो permission आपो-आप मिल जाएगी, अब नीचे भले रेल जाती है, ऊपर bridge बनाने का काम चालू करो।

इतनी तेज गति से काम बढ़ रहा है, आपको हैरानी होगी। हमारे देश में कहीं रेल गुजर रही है और गांव विकसित हुआ। गांव को एक छोर इस तरफ है रेलवे के, दूसरा उस तरफ है। पानी की पाईप लाईन डालनी है तो railway department दो-दो, चार-चार साल तक permission नहीं देता। और उसके कारण एक ही गांव, बीच में से रेल जा रही, उधर पानी नहीं पहुंच रहा है। हमने कुछ नियम ऐसे बनाए हैं कि Infrastructure में इस प्रकार की जो कठिनाईयां हैं वो समय-सीमा में निश्चित parameter के तहत तत्‍काल लागू की जाएं और इसके कारण इतने काम जो अटके पड़े थे उनको गति मिली।

मैं इन दिनों हर महीने में एक बार राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ बैठता हूं, video conference करता हूं और जितने project अटके पड़े हें, वो क्यों अटके हैं, किसके कारण अटके हैं, उसकी जरा पूछताछ करता हूं। आपको हैरानी होगी, पिछले 5-6 महीनों से मेरा ये अभियान चल रहा है। अब तक करीब चाल लाख करोड़ रुपए के अटके हुए project काम करना शुरू कर दिए हैं। सेतू भारतम के द्वारा इस देश में करीब पौने 400 ऐसे bridge बनाने की जरूरत है जो विकास के लिए bottle neck बने हुए हैं, रुकावट बने हुए हैं। अगर ये 400 सेतु बन जाते हैं तो पूरे देश में एक गति को नया आयाम मिलेगा।

सेतुभारतम के तहत अरबों-खरबों रुपया लगाकर के, एक focus के रूप में कि bridge बनाने के काम को बल देना है, कभी चौड़ा करना है, कहीं नया Parallel bridge बनाना है, कहीं नए bridge बनाने हैं। एक साथ सर्वे करके उसका काम करने का अभियान उठाया है, एक भारतमाला योजना बनाई है। आपको हैरानी होगी 60 साल के बाद इस देश में 123 district ऐसे हैं, यानी करीब-करीब 20 percent, 20 percent district ऐसे हैं, जो आज भी National Highway के साथ connectivity नहीं है और इसलिए भारतमाला project के तहत एक अभियान उठाया है कि जल्द से जल्द हिन्दुस्तान के 123 district जो National Highway से link नहीं हैं, उनको जोड़ने के लिए भारतमाला project चलाया है और आने वाले वर्षों में focus target योजना के साथ इस काम को करने की दिशा में हम आगे बढ़े जा रहे हैं।

दिल्ली के चारों तरफ पूरब और पश्चिम नई सड़क, दिल्ली को तो अनेक समस्याओं से तो मुक्त करेंगे ही करेंगे लेकिन इसके बाद हरियाणा के व्यक्ति को अगर राजस्थान जाना, या हरियाणा के व्यक्ति को उत्तर प्रदेश के किसी छोर पर जाना है, उसकी सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा, तेज गति से वो बाहर से बाहर अपना आगे बढ़ जाएगा और ये road की रचना ऐसी है कि भविष्य में वहां पर urban development तो होना ही होना है। जब road आता है तो विकास अपने आप होता ही होता है, कई कालोनियां बनना शुरू हो जाती है लेकिन ये road की रचना ऐसी है कि साथ में अगर नए शहर विकसित भी हो जाएंगे, नई locality विकसित भी हो जाएगी तो भी दोनों के बीच में कोई contradiction नहीं होगा, तकलीफ नहीं होगी। ऐसा सुरक्षित मार्ग बनाने के पीछे ये इतने अरबों-खरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।

मैं हरियाणा सरकार को, श्रीमान नितिन जी को और उनके department की पूरी team को हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं कि इस काम को वो बहुत तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं और भारत को गति देने में एक बहुत बड़ी अहम भूमिका, railway हमने railway में आमूल-चूल परिवर्तन करने कि दिशा में प्रयास शुरू किया है, railway स्टेशनों में बदलाव लाने का प्रयास शुरू किया है, रेल की गति बढ़े, रेल expansion हो, रेल के नए area extension हो, रेल में जहां diesel से चल रहा है, वहां electricity कैसे आए, एक साथ अनेकों प्रकार के initiative लेकर के, भारत के रेल युग को एक आधुनिक रेल युग में परिवर्तन करने का प्रयास बहुत तेज गति से हमने उठाया है। बिजली, 2022 जब भारत आजादी के 75 साल मनाएं, हमारा सपना है कि तब हिंदुस्तान के हर गांव में सातों दिन, 24 घंटे, पूरे सालभर बिजली मिलनी चाहिए। ये काम सरल नहीं है, मैं जानता हूं, बिजली के उत्पादन में कितनी ताकत लगेगी, मैं जानता हूं, बिजली पहुंचाने में कितनी ताकत लेगगी, मैं जानता हूं लेकिन किसी ने तो कठिन काम भी हाथ में लेने पड़ते हैं और हमने बीड़ा उठाया है कि 2022 जब भारत आजादी के 75 साल मनाता होगा, हिंदुस्तान के अंदर जहां-जहां बिजली पहुंचानी होगी, वहां पहुंचेगी और 24 घंटे बिजली उपलब्ध होगी, इस दिशा में हम काम रहे हैं।

युग बदला है, बदले हुए युग में अब highway से ही काम सिर्फ नहीं है। Highways भी चाहिए, information wave भी चाहिए, Digital India का जो हमारा सपना है, उस Digital India के सपने का पूरा करने के लिए 21वीं सदी का जो महत्वपूर्ण Infrastructure है, वो है Highways के साथ-साथ eye ways आज सारी दुनिया आपके mobile phone में है और इसलिए उसके infrastructure को भी बल देना पड़ेगा। आधुनिक भारत की पहली शर्त बन गया है, eye ways होना और इसलिए Digital India के माध्यम से Optical Fiber Network का काम पूरा हिंदुस्तान में तेज गति से चल रहा है। मैं जब इन चीजों का review करता हूं तो मेरे ध्यान में आया, लाखों गांव ऐसे हैं कि जहां पर आज के युग में Digital connectivity नहीं है, वो भी एक कठिन काम है, हमने उसका बीड़ा उठाया है, काम तेजी से चल रहा है। जब मैं बिजली के लिए पूछ रहा था, मैं हैरान था 21वीं सदी के 15 साल बीत चुके हैं, आजादी के 70 साल होने जा रहे हैं लेकिन इस देश में 18 हजार गांव ऐसे हैं, जहां बिजली का खंभा तक नहीं लगा है, एक तार भी नहीं पहुंचा है। हमने बीड़ा उठाया है, मैंने लाल किले से इसकी घोषणा की थी कि एक हजार दिन में 18 हजार गांव जहां बिजली पहुंची नहीं है, वो दुर्गम से दुर्गम इलाके होंगे, पहाड़ की चोटी पर हो या रेगिस्तान में हो, हम वहां पर बिजली पहुंचाएंगे, इसका एक अभियान चलाया है।

भाइयों-बहनों आधुनिक भारत को बनाने के लिए Infrastructure की जितनी आवश्यकता है, उस पर हम तेज गति से काम पर लगे हैं, हरिय़ाणा उसमें बहुत प्रगति कर सकता है, सबसे ज्यादा फायदा हरियाणा ले सकता है और मनोहर जी इस बात को बल देकर के आगे बढ़ा रहे हैं। मैं फिर एक बार हरियाणा को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। मेरे साथ बोलिए भारत माता की, भारत माता की।

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We have given priority to the health of the poor and middle class: PM Modi
March 25, 2023
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Pays tributes to Sir M M Visvesvaraya
“With 'Sabka Prayas', India is on the path of becoming a developed nation”
“Karnataka has a glorious tradition of religious and social institutions that serve the poor”
“Our government works for the welfare of the poor. It has given an option of medical education in all Indian languages including Kannada”
“We have given priority to the health of the poor and middle class”
“We are giving top priority to women in health-related policies”

कर्नाटका के मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई जी, सदगुरू श्री मधुसूदन साई जी, मंच पर उपस्थित महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

कर्नाटका दा एल्ला सहोदरा सहोदरियारिगे नन्ना नमस्कारागलु !

आप सभी इतने उमंग और उत्साह के साथ अनेक सपने लेकर के, नए संकल्प लेकर के सेवा की इस महान प्रवृत्ति में जुड़े हैं। आपके दर्शन करना ये भी मेरे लिए सौभाग्य है। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। चिक्क-बल्लापुरा, आधुनिक भारत के आर्किटेक्ट्स में से एक, सर एम. विश्वेश्वरैया की जन्मस्थली है। अभी मुझे सर विश्वेश्वरैया की समाधि पर पुष्पांजलि का और उनके म्यूजियम पर जाने का सौभाग्य मिला। इस पुण्य भूमि को मैं सर झुकाकर के नमन करता हूं। इस पुण्यभूमि से प्रेरणा लेकर ही उन्होंने किसानों, सामान्य जनों के लिए नए इनोवेशन किए, इंजीनियरिंग के बेहतरीन प्रोजेक्ट्स बनाए।

साथियों,

इस धरती ने सत्य साईं ग्राम के रुप में भी सेवा का एक अद्भुत मॉडल देश को दिया है। शिक्षा और स्वास्थ्य के माध्यम से जिस प्रकार मानव सेवा का मिशन यहां चल रहा है वो वाकई अद्भुत है। आज जो ये मेडिकल कॉलेज शुरु हो रहा है, इससे ये मिशन और सशक्त हुआ है। श्री मधुसूदन साई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, हर वर्ष अनेक नए प्रतिभावान डॉक्टर देश की कोटी-कोटी जनता की सेवा में राष्ट्र को समर्पित करेगा। मैं संस्थान को और चिक्क-बल्लापुरा यहां के सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

भाइयों और बहनों,

आजादी के अमृत महोत्सव में देश ने विकसित होने का संकल्प लिया है। कई बार लोग पूछते हैं कि भारत इतने कम समय में क्योंकि मैंने कहा 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे तो लोग पूछते हैं कि इतने कम समय में भारत विकसित कैसे बनेगा ? इतनी चुनौतियां हैं, इतना काम है, इतने काम कम समय में पूरा कैसे होगा? इस सवाल का एक ही जवाब है, सशक्त जवाब है, संकल्प से भरा जवाब है, सिद्धियां प्राप्त होने की ताकत वाला जवाब है और वो जवाब है - सबका प्रयास। हर देशवासी के साझा प्रयासों से ये संभव होकर के ही रहेगा। इसलिए भाजपा सरकार निरंतर सबकी भागीदारी पर बल दे रही है। विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में हमारे सामाजिक संगठनों की, धार्मिक संगठनों की भूमिका भी बहुत बड़ी है। कर्नाटका में तो संतों, आश्रमों, मठों की महान परंपरा रही है। ये धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं, आस्था और आध्यात्म के साथ-साथ गरीबों, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों को सशक्त करती रही हैं। आपके संस्थान द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्य भी, सबका प्रयास की भावना को ही सशक्त करते हैं।

साथियों,

मैं देख रहा था, श्री सत्य साई यूनिवर्सिटी का ध्येय वाक्य है- "योगः कर्मसु कौशलम्’। अर्थात, कर्मों में कुशलता ही योग है। बीते 9 वर्षों में भारत में भी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बहुत ईमानदारी से, बहुत कुशलता से कार्य करने का प्रयास किया गया है। देश में मेडिकल एजुकेशन से जुड़े अनेक रिफॉर्म किए गए हैं। इससे सरकार के साथ-साथ जो दूसरे संगठन हैं, उनके लिए भी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज खोलना अब आसान हो गया है। सरकार हो, प्राइवेट सेक्टर हो, सामाजिक सेक्टर हो, सांस्कृतिक गतिविधि हो सभी के प्रयासों का परिणाम आज दिख रहा है। साल 2014 में हमारे देश में 380 से भी कम मेडिकल कॉलेज थे Less than 380। आज देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर के 650 से भी अधिक हो गई है। इनमें से 40 मेडिकल कॉलेज Aspirational Districts में बने हैं, जो जिले विकास के हर पहलू में पीछे थे, वहां पर मेडिकल कॉलेज बने हैं।

साथियों,

पिछले 9 वर्षों में देश में मेडिकल सीटों की संख्या लगभग दोगुनी हो चुकी हैं। आजादी के 75 वर्षों में जितने डॉक्टर देश में बने, उतने डॉक्टर अगले 10 साल में बनने जा रहे हैं। ये जो काम देश में हो रहा है, उसका लाभ कर्नाटका को भी मिल रहा है। कर्नाटका में आज लगभग 70 मेडिकल कॉलेज हैं। डबल इंजन सरकार के प्रयासों से जो मेडिकल कॉलेज बीते वर्षों में बने हैं, उनमें से एक यहां चिक्क-बल्लापुरा में भी बना है। इस वर्ष के केंद्र सरकार के बजट में तो हमने डेढ़ सौ नर्सिंग संस्थान बनाने की भी घोषणा की है। इससे नर्सिंग के क्षेत्र में भी युवाओं के लिए बहुत अवसर बनने वाले हैं।

साथियों,

आज जब मैं आपके बीच आया हूं, तो भारत के मेडिकल प्रोफेशन के सामने रही एक चुनौती का भी जिक्र जरूर करना चाहूंगा। इस चुनौती की वजह से गांव के, गरीब के, पिछड़े समाज के युवाओं के लिए डॉक्टर बनना बहुत मुश्किल था। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, वोट बैंक के लिए कुछ दलों ने भाषाओं का खेल खेला। लेकिन सही मायने में भाषा को बल देने के लिए जितना होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ। कन्नड़ा तो इतनी समृद्ध भाषा है, देश का गौरव बढ़ाने वाली भाषा है। कन्नड़ा में भी मेडिकल की, इंजीनीयरिंग की, टेक्नॉलॉजी की पढ़ाई हो, इसके पहले की सरकारों ने कदम नहीं उठाए। ये राजनीतिक दल नहीं चाहते थे कि गांव, गरीब, दलित, पिछड़े परिवारों के बेटे-बेटी भी डॉक्टर-इंजीनियर बन सके। गरीबों के हित में काम करने वाली हमारी सरकार ने कन्नड़ा सहित सभी भारतीय भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई का विकल्प दिया है।

भाइयों और बहनों,

लंबे समय तक देश में ऐसी राजनीति चली है, जहां गरीबों को सिर्फ वोटबैंक समझा गया। जबकि भाजपा सरकार ने गरीब की सेवा को अपना सर्वोच्च कर्तव्य माना है। हमने गरीब और मिडिल क्लास के आरोग्य को प्राथमिकता दी है। हमने देश में सस्ती दवाओं की दुकानें, जनऔषधि केंद्र खोले हैं। आज देशभर में लगभग 10 हज़ार जनऔषधि केंद्र हैं, जिसमें से एक हजार से ज्यादा हमारे यहां कर्नाटका में ही हैं। इन केंद्रों की वजह से कर्नाटका के गरीबों के हजारों करोड़ रुपए दवाओं पर खर्च होने से बचे हैं।

साथियों,

मैं आपको वो पुराने दिन भी याद करने को कहूंगा जब गरीब, इलाज के लिए अस्पताल जाने की हिम्मत नहीं कर पाता था। भाजपा सरकार ने गरीब की इस चिंता को समझा, उसका समाधान किया। आज आयुष्मान भारत योजना ने गरीब परिवार के लिए अच्छे अस्पतालों के दरवाज़े खोल दिए हैं। भाजपा सरकार ने गरीब को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करने की गारंटी दी है। कर्नाटका के भी लाखों लोगों को इस योजना का लाभ हुआ है।

साथियों,

पहले हार्ट सर्जरी हो, नी रिप्लेसमेंट हो, डायलिसिस हो, ये सब भी बहुत महंगा होता था। गरीबों की सरकार ने, भाजपा की सरकार ने, इनको भी सस्ता कर दिया है। मुफ्त डायलिसिस की सुविधा ने भी गरीबों के हजारों करोड़ रुपए खर्च होने से बचाए हैं।

साथियों,

हम स्वास्थ्य से जुड़ी नीतियों में माताओं-बहनों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। जब मां का स्वास्थ्य, मां का पोषण बेहतर होता है तो पूरी पीढ़ी का स्वास्थ्य सुधरता है। इसलिए चाहे शौचालय बनाने की योजना हो, मुफ्त गैस कनेक्शन की योजना हो, हर घर तक नल से जल पहुंचाने की योजना हो, मुफ्त सैनिटरी पैड्स देने की योजना हो, या पौष्टिक खाने के लिए सीधे बैंक में पैसे भेजना हो, ये सब माताओं-बहनों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। विशेषकर ब्रेस्ट कैंसर को लेकर भी भाजपा सरकार सतर्क है। अब गांवों में जो हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं, वहां पर ऐसी बीमारियों की स्क्रीनिंग का प्रयास हो रहा है। मकसद यही है कि शुरुआती दौर में ही बीमारियों की पहचान की जा सके। इससे माताओं-बहनों के जीवन पर बड़े संकट को हम रोकने में सफल हो रहे हैं। मैं बोम्मई जी और उनकी टीम को बधाई दूंगा कि कर्नाटका में भी 9 हज़ार से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बने हैं। हमारी सरकार बेटियों को ऐसा जीवन देने में जुटी है, जिससे वो खुद भी स्वस्थ रहे और आगे जाकर के संतान भी स्वस्थ रहे।

भाइयों और बहनों,

आज मैं कर्नाटका सरकार की, एक और वजह से प्रशंसा करूंगा। बीते वर्षों में भाजपा सरकार ने ANM औऱ आशा बहनों को और सशक्त किया है। उन्हें आधुनिक टेक्नॉलॉजी वाले गैजेट्स दिए गए हैं, उनका काम आसान बनाया गया है। कर्नाटका में आज लगभग 50 हजार आशा और ANM कार्यकर्ता हैं, लगभग एक लाख रजिस्टर्ड नर्सें और दूसरे हेल्थ वर्कर हैं। डबल इंजन सरकार इन सभी साथियों को हर संभव सुविधाएं देने के लिए, जीवन आसान बनाने के लिए प्रयासरत है।

साथियों,

आरोग्य के साथ-साथ माताओं-बहनों-बेटियों के आर्थिक सशक्तिकरण पर भी डबल इंजन सरकार का पूरा ध्यान है। ये धरती तो milk और silk की धरती है। ये हमारी सरकार है जिसने पशुपालकों के लिए भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा सुनिश्चित की है। पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रहे, इसके लिए सबसे बड़ा मुफ्त टीकाकरण अभियान भी हमारी सरकार ने शुरु किया। इस अभियान पर 12 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। डबल इंजन सरकार का ये भी प्रयास है कि डेयरी को-ऑपरेटिव्स में महिलाओं की भागीदारी और अधिक बढ़े। गांवों में महिलाओं के जो सेल्फ हेल्प ग्रुप्स हैं, उनको भी सशक्त किया जा रहा है।

साथियों,

जब देश स्वस्थ रहेगा, जब विकास में सबका प्रयास लगेगा, तो विकसित भारत का लक्ष्य हम और तेजी से प्राप्त करेंगे। मैं एक बार फिर से श्री मधुसूदन साई इंस्टीट्यूट से जुड़े सभी साथियों को मानवसेवा के इस उत्तम प्रयास के लिए हद्य से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

भगवान साई बाबा से मेरा बहुत निकट संबंध रहा और हमारे श्रीनिवास जी से भी काफी नाता रहा पुराना, करीब 40 साल हो गए इस नाते को और इसलिए ना मैं यहां अतिथि हूं, ना मैं मेहमान हूं, मैं तो आप ही के यहां की इस धरती का ही संतान हूं। और जब भी आपके बीच आता हूं तो रिन्यू हो जाता है नाता, पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं और, और अधिक मजबूती से जुड़ने का मन कर जाता है।

मुझे यहां आमंत्रित करने के लिए मैं आपका पुन: बहुत-बहुत आभारी हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।