എല്ലാ മേഖലയിലും മണിപ്പൂർ വികസനത്തിന്റെ പാതയിൽ അതിവേഗം മുന്നേറുകയാണ്: പ്രധാനമന്ത്രി മോദി
ഇന്ത്യയിലെ ഗ്രാമങ്ങളുടെ വൈദ്യുതീകരണത്തെ കുറിച്ച് ചർച്ച നടക്കുമ്പോൾ, മണിപ്പൂരിലെ ലേസംഗ് ഗ്രാമത്തിൻറെ പേര് എന്നും എടുത്തുപറയും: പ്രധാനമന്ത്രി മോദി
ഇന്ത്യയുടെ സ്വാതന്ത്ര്യത്തിന്റെ കവാടം എന്നാണ് നേതാജി വടക്ക് കിഴക്കൻ മേഖലയെ വിശേഷിപ്പിച്ചിരുന്നത്, ഇപ്പോൾ ഇത് പുതിയ ഇന്ത്യയുടെ വികസനത്തിന്റെ കവാടമായി മാറി: പ്രധാനമന്ത്രി

मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों,

ये बड़ा संजोग है कि पिछले साल जनवरी के प्रारंभ में, मैं सांइस कांग्रेस के लिए आपके बीच आया था और कल भी मैं पंजाब में सांइस कांग्रेस का उद्घाटन करके आज यहां आ रहा हूं। आप सभी के बीच आना हमेशा एक बहुत सुखद अनुभव होता है। ये देश का वो हिस्‍सा है जहां विविधता और एकता हर कोने में, हर क्षेत्र में आप महसूस करते हैं। यहां की महिलाओं ने आजादी के आंदोलन को धार भी दी, दिशा भी दी थी। मैं आज मणिपुर की बहनों स्‍वतंत्रता आंदोलन में अपने प्राणों को न्‍यौच्‍छावर करने वाले मणिपुर के हर सेनानी को सर झुकाकर के नमन करता हूं।

साथियों, यहां के मोइरांग में अविभाजित भारत की पहली अंतरिम सरकार, उसका गठन हुआ था। पूर्वोत्‍तर के हमारे साथियों ने तब आजाद हिंद फौज को भरपूर सहयोग दिया। एक कहावत उस समय बहुत ही प्रचलित थी नोन पोक थोंग हंगानी यानि स्‍वतंत्रता का रास्‍ता पूर्व के द्वार से ही खुलेगा। आजाद हिंद फौज ने ये द्वार एक बार खोल दिया फिर दुश्‍मन इसको कभी भी बंद नहीं कर पाया।

साथियों, जिस मणिपुर को, जिस north-east को नेता जी ने भारत की आजादी का गेटवे बनाया था उसको अब न्‍यू इंडिया की विकास गाथा का वार बनाने में हम जुटे हुए हैं। जहां से देश को आजादी की रोशनी दिखी थी, वहीं से नए भारत की सशक्‍त तस्‍वीर आप सभी की आंखों में स्‍पष्‍ट दिखाई दे रही है।

साथियों, इसी सोच के तहत अभी कुछ देर पहले यहां करीब 15 सौ करोड़ रुपये से ज्‍यादा की दर्जन भर परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्‍यास हुआ है और इसके लिए मैं मणिपुर के हर भाइयों और बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। ये परियोजनाएं आपके जीवन को आसान करने वाली हैं। इनसे आपके बच्‍चों की पढ़ाई, युवाओं को कमाई, बुजुर्गों को दवाई और किसानों को सिंचाई की सुविधाएं मजबूत होगी।

साथियों, आप सभी साक्षी रहें हैं कि मणिपुर और नार्थ-ईस्‍ट के साथ बीते दशकों में पहले की सरकारों ने क्‍या किया था। उनके रवैये ने दिल्‍ली को आपसे और दूर कर दिया था। पहली बार अटल जी की सरकार के समय देश के इस अहम क्षेत्र को विकास के रास्‍ते पर ले जाने की पहल हुई थी। आज उनकी उसी पहल को केंद्र सरकार मजबूती से आगे बढ़ा रही है। हम दिल्‍ली को आपके दरवाजे तक ले आए हैं। अब पहले की तरह केंद्र के मंत्री और अफसर सिर्फ फीता काटकर उसी दिन दिल्‍ली लौट नहीं जाते हैं। अब वो आते यहां रुकते हैं। आपके बीच रहकर आपको सुनते हैं, आपके सुझाव सुनते हैं, आपकी कठिनाईयां समझते हैं।

मैं खुद बीते साढ़े चार साल में करीब 30 बार नार्थ-ईस्‍ट आ चुका हूं। आपसे मिलता हूं, बाते करता हूं तो एक अलग ही सुख मिलता है, अनुभव मिलता है। मुझे अफसर से रिपोर्ट नहीं मांगनी पड़ती। सीधे आप लोगों से मिलती है। ये फर्क है पहले की सरकार में और आज बनी हुई सरकार में। ऐसे निरंतर प्रयासों की वजह से अलगाव को हमने लगाव में बदल दिया है।

आज इन्‍हीं कोशिशों की वजह से पूरा नार्थ-ईस्‍ट परिवर्तन के एक बडे दौर से गुजर रहा है। 30-30, 40-40 साल से अटके हुए प्रोजेक्‍टस पूरे किए जा रहे हैं। आपके जीवन को आसान बनाने की कोशिश की जा रही है। अगर मैं मणिपुर से ही एक उदाहरण दूं तो यहां के गांव का नाम भारत की विकास यात्रा में अहम पढ़ाव बना है। उसे अहम पहचान मिली है।

साथियों, देश के जिन 18 हजार गांव को रिकॉर्ड समय में अंधेरे से मुक्ति मिली उनमें सबसे आखिरी गांव कांगपोकपी इस जिले का लेइशांग है। जब भी भारत के हर गांव तक बिजली पहुंचाने के अभियान की बात आएगी तो लेइशांग और मणिपुर का नाम भी जरूर लिया जाएगा।

भाइयों और बहनों,

आज मणिपुर को सवा सौ करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बने इंटीग्रेटेड चेक पोस्‍ट का भी उपहार मिला है। ये सिर्फ एक चेक पोस्‍ट नहीं है, दर्जनों सुविधाओं का केंद्र भी है। भारत म्‍यांमार सीमा पर स्थित ये चेकपोस्‍ट यात्री और व्‍यापार की सुविधा देगा। इसके साथ ही कस्‍टमर क्‍लींरेंस, विदेशी मुद्रा एक्‍सचेंज, इमीग्रेशन क्‍लीरेंस, एटीएम, रेस्‍ट रूम जैसी सेवाएं भी यहां मिलेगी। यहां पर देश के सम्‍मान और प्रथम आजाद भूभाग के प्रतीक के रूप में राष्‍ट्रीय ध्‍वज उसका स्‍मारक भी बनाया जा रहा है।

साथियों, आज जितने भी प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण यहां किया गया है, वो विकास के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता तो दिखती ही है, पहले की सरकारों के काम-काज के तौर-तरीकों को भी वो आपके सामने उजागर कर देती है।  

भाइयों और बहनों,

दोलाईथाबी बराज की फाइल 1987 में चली थी। आप याद रखिए इन चीजों को 1987 में फाइल चलती है, निर्माण का काम 1992 में 19 करोड़ की लागत से शुरू हुआ। उसके बाद मामला अटक गया। 2004 में इसको स्‍पेशल इक्नॉमिक पैकेज का हिस्‍सा बनाया गया लेकिन दस साल तक फिर लटक गया।

2014 में जब हम आए तो देश भर के करीब सौ ऐसे प्रोजेक्‍ट की समीक्षा की गई। तब जाकर इस प्रोजेक्‍ट पर काम शुरू हुआ और 19 करोड़ का ये प्रोजेक्‍ट 500 करोड़ रुपये के खर्च करने के बाद अब बनकर के तैयार है। अगर उस समय हुआ होता तो 19-20 करोड़ में हो जाता लेकिन उन्‍होंने criminal negligence उसी का परिणाम है कि 19-20 करोड़ का प्रोजेक्‍ट 500 करोड़ पर पहुंच गया। ये पैसा हिन्‍दुस्‍तान के नागरिक का है, ये पैसा आपका है। उन्‍होंने बरबाद होने दिया है।

साथियों, अगर ये प्रोजेक्‍ट पहले पूरा हो जाता यहां के हजारों किसानों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना नहीं पड़ता। इसी तरह यहां के युवाओं को रोजगार देने वाला थंघल सुरुंग इको-टूरिज्म कॉम्प्लेक्स भी साल 2011 में शुरू हुआ था। उसके काम को हमारी राज्‍य सरकार ने गति दी और आज ये आपकी सेवा के लिए तैयार है। तपुल के इंटीग्रेटेड टूरिस्‍ट डेस्टिनेशन प्रोजेक्‍ट की स्थिति भी कमोबेश ऐसी ही थी। साल 2009 में इस पर काम शुरू हुआ था, हमारी सरकार ने इस पर काम तेज किया और आज मणिपुर के टूरिज्‍म को नया विस्‍तार देने वाली ये सुविधा आपको समर्पित है। 

साथियों, किसान हो या फिर नौजवान, हर वर्ग को पिछली सरकारों की अटकानें, फटकानें, लटकानें के कल्‍चर से भारी नुकसान हुआ है। हमारी सरकार सिस्‍टम में सुस्‍ती और लापरवाही के पुराने आदतों को बदलने का ईमानदार प्रयास कर रही है। आप सोच रहें होंगे कि मोदी ने ऐसा क्‍या कर दिया जो यहां पर योजनाओं में इतनी तेजी आई है, आप जरूर सोचते होंगे...आप लोग तेजी से होते काम को देख रहे हैं। लेकिन मैं आज आपको भी और देशवासियों को भी बताना चाहता हूं कि आखिर इसके पीछे कहानी क्‍या है? ये कैसे हो रहा है? पहले नहीं होता था अब कैसे हो रहा है? लोग वही, अफसर वही, दफ्तर वही, फाइल वही, लोगों की जरूरत भी है होता क्‍यों नहीं भई? हमनें क्‍या रास्‍ता खोजा।

साथियों, 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद बहुत बड़ी चुनौती मेरे सामने आई थी। ये दशकों से अधूरे अटके, लटके, भटके इन प्रोजेक्‍ट को पूरा करना है। पहले के सरकार की जो अप्रोच रही, उसकी वजह कितनी धीमी गति से काम होता था। उनको तो यही था कहीं पत्‍थर लगा दो चुनाव जीत जाओ..., कहीं फीता काट दो चुनाव जीत जाओ..., कहीं प्रेस नोट दे दो चुनाव जीत जाओ... यही खेल चलता रहा है।

आप सुनकर के हैरान हो जाओगे...होता था कि सौ करोड़ का प्रोजेक्‍ट 200, 250 करोड़ रूपए खर्च करके पूरा होता था । आखिर पैसे की ये बरबादी, संसाधनों की ये बरबादी उसको मैं कैसे सह सकता था। मैं देख नहीं सकता था, मुझे परेशानी होती थी, देश का पाई-पाई बरबाद हो रहा है, ये मुझे बैचेन बना देता था। मैं ये भी तो देख रहा था कि अगर वो प्रोजेक्‍ट समय पर पूरा हो गया, अगर ये काम हुआ होता तो वहां के लोगों को कितना लाभ होता और इसलिए मैंने प्रधानमंत्री कार्यालय में एक व्‍यवस्‍था डेवेलप की, एक सिस्‍टम डेवेलप किया, टेक्‍नॉजी का उसमें भरपूर उपयोग किया और इसका मैंने नाम रखा प्रगति ।

प्रगति की बैठक में मैं केंद्र सरकार के अधिकारियों, राज्‍य सरकार के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्‍फ्रेंस से जुड़ता हूं। एक-एक परियोजना पर खुद सवाल-जवाब करता हूं। कहां क्‍या दिक्‍कत है ये समझने की कोशिश करता हूं फिर उसे हम सब मिलकर के आपस में बैठकर के वीडियो कैमरा के सामने ही उस कठिनाईयों को दूर करने का प्रयास करते हैं। मैं अफसरों को प्रोत्‍साहित भी करता हूं, उन्‍हें समझाता भी हूं, उनको पूरा सहयोग रहेगा इसका विश्‍वास भी दिलाता हूं।

साथियों, ऐसे ही लगातार बैठकों का दौर चलता है, दर्जनों बैठकों में अब तक 12 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर हमनें चर्चा की और 12 लाख करोड़ रुपये की ये योजनाएं जो गड्डे में पड़ी थी, फाइलों में दबी पड़ी थी, उस पत्‍थर भी खो गए थे, उसको निकाल-निकाल करके आज उनको लागू करके चालू करने की दिशा में काम कर रहा है। इस वजह से देश में सैंकड़ों प्रोजेक्‍टस जो दशकों से अटके हुए थे उनमें तेजी आई है। ये नई कार्य-संस्‍कृति है जो हमने सरकार में विकसित करने का प्रयास किया है। silos को खत्‍म करने का अभियान चलाया है। हर डिर्पाटमेंट, हर अफसर मिलजुल करके टीम बन करके काम करे, केंद्र और राज्‍य मिलकर के काम करे, राज्‍य की मुसीबतें केंद्र समझे, केंद्र की आवश्‍यकता राज्‍य समझे ऐसा एक उत्‍तम प्रकार का federalism का culture हमनें विकसित किया है।  

साथियों, हम जो संकल्‍प लेते हैं उसे सिद्ध करने का जी-जान से परिश्रम करके, मेहनत करके, उसे सिद्ध करके रहते हैं। हमें अहसास है कि योजनाओं में देरी से सबसे ज्‍यादा नुकसान देश की भावी पीढ़ी को होता है। जिनके सपनें हैं उनको होता है। जो कुछ कर गुजरना चाहता है उसको होता है। जो मुसीबत की जिंदगी जी रहा है ऐसे गरीब को और मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं। सामान्‍य मानवी का नुकसान होता है। मैं कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं।

मणिपुर की खाद्य सुरक्षा के लिए महत्‍वपूर्ण Sawombung के एफसीआई गोदान का लोकार्पण आज किया गया। दिसंबर 2016 में इस पर काम शुरू हुआ और हमनें इस काम को पूरा करके दिखाया और आज लोकार्पण कर दिया है। समय पर पूरा होने से हम ज्‍यादा खर्च से भी बचे और मणिपुर की जरूरत का अनाज स्‍टोर करने के लिए 10 हजार मैट्रिक टन अतिरिक्‍त व्‍यवस्‍था का निर्माण भी हो गया। मणिपुर में स्टोरेज कैपेसिटी को दोगुना करने के लिए अनेक प्रोजेक्‍ट पर काम चल रहा है। वो भी जल्‍द ही पूरे होने वाले हैं।

इसी तरह उखरुल और उसके आस-पास के हजारों परिवार की पानी की जरूरत को देखते हुए Buffer Water Reservoir पर काम नवंबर 2015 में शुरू हुआ। ये तैयार भी हो गया है और आज इसका लोकार्पण भी किया गया। ये प्रोजेक्‍ट 2035 तक की जरूरतों को पूरा करने वाला है।

चुराचांदपुर, जोन-थ्री प्रोजेक्ट पर भी 2014 में काम शुरू हुआ और चार वर्ष बाद आज उसका भी लोकार्पण हो गया। इससे 2030-31 तक यहां की करीब 1 लाख आबादी की पानी की जरूरतें पूरी होंगी। लम्बुई में स्‍कूल के बच्‍चों और उसके आस-पास के हजारों परिवारों की प्‍यास बुझाने वाली ये योजना पर 2015 में काम शुरू हुआ और तीन वर्ष बाद आज इसका भी लोकार्पण किया गया।      

भाइयों और बहनों, सरकार के संस्‍कार में क्‍या अंतर होता है उसकी ये छोटी सी झलक एक बानगी भर मैंने आपके सामने प्रस्‍तुत की है। नार्थ-ईस्‍ट में ऐसे अनेक प्रोजेक्‍टस हैं जिनको हमारी सरकार तय समय सीमा से भी पहले पूरा कर रही है। हमारी सरकार पुरानी व्‍यवस्‍थाओं को बदलने के लिए पूरी क्षमता से काम कर रही है। आने वाले कुछ समय में यहां पर खबाम लामखाई से हन्नाचांग हेंगांग के बीच रोड प्रोजेक्‍ट, इंफाल में इंफेक्सियस डिजीज सेंटर, नए कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर, और मिनी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का भी काम शुरू होगा।

साथियों, चाहे केंद्र की सरकार हो या फिर मणिपुर में बीरेन सिंह जी की सरकार,  हमारा विजन है सबका साथ...सबका विकास, विकास से कोई भी जन, कोई भी क्षेत्र न छूटे इस पर जोर दिया जा रहा है। Go to hills or Go to Village जैसे प्रोग्राम के तहत यहां की राज्‍य सरकार दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच रही है। जनभागीदारों को सरकारी योजनाओं का हिस्‍सा बनाने का प्रयास सराहनीय हैं। यही कारण है कि आज मणिपुर बंद और ब्लॉकेड के दौर से बाहर निकल कर आशाओं और आंकाक्षाओं को पूरा करने में जुटा है। ये देश इसका साक्षी है, ये दिखाता है।

साथियों, विकास के लिए शांति और बेहतर कानून की व्‍यवस्‍था की जरूरत तो होती ही है, Connectivity भी उतनी ही आवश्‍यक है और इसलिए हम Transformation by Transportation इस विजन पर काम कर रहे हैं। बीते साढ़े चार वर्षों में पूरे नार्थ-ईस्‍ट में करीब ढाई हजार किलोमीटर के नेशनल हाईवे जोड़े जा चुके हैं। मणिपुर में भी साल 2014 के बाद 3 सौ किलोमीटर से अधिक के नेशनल हाईवे जोड़े गए हैं।

राज्‍य सरकार के साथ मिलकर करीब 2 हजार करोड़ रुपयों के पुलों का निर्माण किया जा रहा है। वहीं नार्थ-ईस्‍ट के सभी राज्‍यों की राजधानियों को रेलवे से जोड़ने का काम किया जा रहा है। करीब 50 हजार करोड़ रुपयों से 15 नई रेल लाइनों पर काम चल रहा है। मणिपुर में भी जिरीबाम से टुपुल-इम्फाल के बीच नई रेल लाइन बिछ रही है। देश के इंजीनियरिंग कौशल की मिसाल जिरीबाम-इंफाल रेल ब्रिज भी नार्थ-ईस्‍ट ईस्ट के विकास का बहुत बड़ा आधार बनने वाला है।

साथियों, हाईवे और रेलवे के साथ ही यहां की एयर कनेक्टिविटी को सुधारा जा रहा है। इम्‍फाल को जिरिबाम, तामेंगलांग और मोरेह जैसे सुदूर इलाकों से हेलीकॉप्‍टर सर्विस से जोड़ा जा रहा है। उड़ान योजना के तहत पांच हैलीपैड बनाए जा रहे हैं जो इम्‍फाल एयरपोर्ट से जुड़ेगें। इम्‍फा़ल इंटरनेशनल एयरपोर्ट का विस्‍तार किया जा रहा है और आने वाले दिनों में यहां पर एयर कार्गो टर्मिनल भी शुरू होगा। मणिपुर में हाईवे, रेलवे, एयरवे के साथ ही आईवे बनाए जा रहे हैं, इनफॉरमेंशन वे, जल्‍द ही मणिपुर की सभी पंचायत और जिले Digital broadband I-way से जुड़ जाएंगे, जिससे सामाजिक योजनाओं को लाभ सीधा लोगों को पहुंचेगा। इसके लिए भी करोड़ो रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

भाइयों और बहनों,

कनेक्टिविटी के साथ-साथ यहां की बिजली व्‍यवस्‍था को भी सशक्‍त किया जा रहा है। आज ही 400 केवी की सिल्चर इम्फाल लाइऩ को भी राष्‍ट्र को समर्पित किया है। 7 सौ करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनी ये लाइन पावर कट की समस्‍या को दूर करेगी।

साथियों, मणिपुर हर पैमाने पर आज विकास के रास्‍ते पर चल रहा है। स्‍वच्‍छ भारत अभियान में भी मणिपुर ने खुद को खुले में शौच से मुक्‍त कर दिया है। चंदेल जिला जो देश के सौ से अधिक एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्‍टस में है वहां भी तमाम पैरामीटरस में बहुत अधिक सुधार देखा गया है।    

भाइयों और बहनों, मणिपुर के युवा साथियों को हायर एजुकेशन और प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए देश के दूसरे हिस्‍सों में न जाना पड़े इसके लिए भी अनेक योजनाओं पर काम चल रहा है। आज शिक्षा, स्किल और स्‍पोर्ट से जुड़े प्रोजेक्‍ट का शिलान्‍यास किया गया है। धनमंजूरी विश्वविद्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्‍टस हों, राष्‍ट्र के इंजीनियरिंग कॉलेज से जुड़े प्रोजेक्‍टस हों, ये सभी युवा साथियों को सुविधा देने वाले हैं।

साथियों, महिला सशक्‍तिकरण में भी मणिपुर आगे रहा है। मणिपुर की बहनों के आर्थिक सामर्थ्‍य को और मजबूत करने के लिए जल्‍द ही हमारी सरकार तीन नए ऐमा मार्किट का भी कार्य शुरू करेगी। इसके अलावा सरकार द्वारा करीब पांच लाख बहनों के जनधन खाते बैंकों में खुलवाए गए हैं। मुद्रा योजना के तहत जो सवा लाख लोन यहां के युवाओं को मिले हैं, उनमें से आधी संख्‍या महिलाओं उद्मियों की है। वहीं यहां के करीब एक लाख बहनों को उज्‍ज्‍वला योजना के माध्‍यम से मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्‍शन भी दिया गया है।  

साथियों, यूथ आइकन और देश में महिला शक्ति की एक बड़ी मिसाल मेरी कॉम की जन्‍मभूमि और कर्मभूमि स्‍पोर्ट की संभावनाओं से भरी हुई है। नार्थ-ईस्‍ट का भारत को स्‍पोर्टिंग सुपर पावर बनाने में बहुत बड़ा रोल रहने वाला है। बीते 3-4 वर्षों में जितने भी इंटरनेशनल टूर्नामेंट हुए हैं, उसमें देश ने नॉर्थ ईस्ट के खिलाडि़यों के दम पर उत्‍साहजनक प्रदर्शन किया है। अब नॉर्थ ईस्ट के सामर्थ्‍य को मणिपुर का राष्‍ट्रीय खेल विश्‍वविद्यालय विस्‍तार दे रहा है। आज भी जिन योजनाओं का शिलान्‍यास हुआ है उनमें हॉकी स्‍टेडियम में फ्लड लाइट और फूटबॉल स्‍टेडियम में एस्ट्रोटर्फ लगाने की योजना है।

हमारा प्रयास है कि देश के छोटे से छोटे इलाके में र्स्‍पोट्स की बेहतरीन सुविधाएं दी जाएं। इसके साथ ही हम ट्रेनिंग और चयन में पारदर्शी व्‍यवस्‍था का भी निर्माण कर रहे हैं। इसी का परिणाम कॉमनवेल्‍थ गेमस में, एशियाई खेलों में, पैरा एशियाई खेलों में, यूथ ऑलंपिक में और दूसरी वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में हम देख रहे हैं, देश गौरव कर रहा है।    

भाइयों और बहनों, करप्‍शन चाहे र्स्‍पोट्स में हो या फिर सरकार की दूसरी योजनाओं में देश इन्‍हें कभी बरदाश नहीं कर सकता। यही कारण है कि हमारी सरकार उन लोगों को भी कानून के कठघरे तक ले आई है जिनके बारे में पहले कोई सोच भी नहीं सकता था। आप भी देख रहे हैं जिन्‍होंने देश से धोखा किया है, जिन्‍होंने भ्रष्‍टाचार को ही शिष्‍टाचार बना दिया था ऐसे लोगों को आज अदालत का सामना कर पड़ रहा है। देश के ईमानदार करदाताओं के पैसे से अपनों का भला करने वालों को उनकी सही जगह पर पहुंचाकर ही हम दम लेंगे, आपको ये विश्‍वास दिलाने मैं यहां आया हूं।

विकास से युक्‍त, भ्रष्‍टाचार मुक्‍त नए भारत के संकल्‍प के लिए आपका आशीर्वाद हमेशा हमें मिलता रहे, मिलता रहा है, मिलता रहेगा। एक बार फिर मैं आप सबको आज की परियोजनाओं के शिलान्‍यास और लोकार्पण की बधाई देता हूं । “पुम ना माकपु अमुक्का हन्ना खुरुमजारी

भारत माता की जय...., भारत माता की जय...., भारत माता की जय....                                             

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM’s address at the 2nd WHO Global Summit on Traditional Medicine in New Delhi
December 19, 2025
It is India’s privilege and a matter of pride that the WHO Global Centre for Traditional Medicine has been established in Jamnagar: PM
Yoga has guided humanity across the world towards a life of health, balance, and harmony: PM
Through India’s initiative and the support of over 175 nations, the UN proclaimed 21 June as International Yoga Day; over the years, yoga has spread worldwide, touching lives across the globe: PM
The inauguration of the WHO South-East Asia Regional Office in Delhi marks another milestone. This global hub will advance research, strengthen regulation & foster capacity building: PM
Ayurveda teaches that balance is the very essence of health, only when the body sustains this equilibrium can one be considered truly healthy: PM
Restoring balance is no longer just a global cause-it is a global urgency, demanding accelerated action and resolute commitment: PM
The growing ease of resources and facilities without physical exertion is giving rise to unexpected challenges for human health: PM
Traditional healthcare must look beyond immediate needs, it is our collective responsibility to prepare for the future as well: PM

WHO के डायरेक्टर जनरल हमारे तुलसी भाई, डॉक्टर टेड्रोस़, केंद्रीय स्वास्थ्य में मेरे साथी मंत्री जे.पी. नड्डा जी, आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव जी, इस आयोजन से जुड़े अन्य देशों के सभी मंत्रीगण, विभिन्न देशों के राजदूत, सभी सम्मानित प्रतिनिधि, Traditional Medicine क्षेत्र में काम करने वाले सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

आज दूसरी WHO Global Summit on Traditional Medicine का समापन दिन है। पिछले तीन दिनों में यहां पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े दुनिया भर के एक्सपर्ट्स ने गंभीर और सार्थक चर्चा की है। मुझे खुशी है कि भारत इसके लिए एक मजबूत प्लेटफार्म का काम कर रहा है। और इसमें WHO की भी सक्रिय भूमिका रही है। मैं इस सफल आयोजन के लिए WHO का, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का और यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

ये हमारा सौभाग्य है और भारत के लिए गौरव की बात है कि WHO Global Centre for Traditional Medicine भारत के जामनगर में स्थापित हुआ है। 2022 में Traditional Medicine की पहली समिट में विश्व ने बड़े भरोसे के साथ हमें ये दायित्व सौंपा था। हम सभी के लिए खुशी की बात है कि इस ग्लोबल सेंटर का यश और प्रभाव locally से लेकर के globally expand कर रहा है। इस समिट की सफलता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस समिट में Traditional knowledge और modern practices का कॉन्फ्लूएंस हो रहा है। यहां कई नए initiatives भी शुरू हुए हैं, जो medical science और holistic health के future को transform कर सकते हैं। समिट में विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रतिनिधियों के बीच विस्तार से संवाद भी हुआ है। इस संवाद ने ज्वाइंट रिसर्च को बढ़ावा देने, नियमों को सरल बनाने और ट्रेनिंग और नॉलेज शेयरिंग के लिए नए रास्ते खोले हैं। ये सहयोग आगे चलकर Traditional Medicine को अधिक सुरक्षित, अधिक भरोसेमंद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

साथियों,

इस समिट में कई अहम विषयों पर सहमति बनना हमारी मजबूत साझेदारी का प्रतिबिंब है। रिसर्च को मजबूत करना, Traditional Medicine के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाना, ऐसे रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना जिन पर पूरी दुनिया भरोसा कर सके। ऐसे मुद्दे Traditional Medicine को बहुत सशक्त करेंगे। यहां आयोजित Expo में डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी, AI आधारित टूल्स, रिसर्च इनोवेशन, और आधुनिक वेलनेस इंफ्रास्ट्रक्चर, इन सबके जरिए हमें ट्रेडिशन और टेक्नोलॉजी का एक नया collaboration भी देखने को मिला है। जब ये साथ आती हैं, तो ग्लोबल हेल्थ को अधिक प्रभावी बनाने की क्षमता और बढ़ जाती है। इसलिए, इस समिट की सफलता ग्लोबल दृष्टि से बहुत ही अहम है।

साथियों,

पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का एक अहम हिस्सा योग भी है। योग ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का रास्ता दिखाया है। भारत के प्रयासों और 175 से ज्यादा देशों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को योग दिवस घोषित किया गया था। बीते वर्षों में हमने योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचते देखा है। मैं योग के प्रचार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले हर व्यक्ति की सराहना करता हूं। आज ऐसे कुछ चुनींदा महानुभावों को पीएम पुरस्कार दिया गया है। प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने एक गहन चयन प्रक्रिया के माध्यम से इन पुरस्कार विजेताओं का चयन किया है। ये सभी विजेता योग के प्रति समर्पण, अनुशासन और आजीवन प्रतिबद्धता के प्रतीक हैं। उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा है। मैं सभी सम्मानित विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

मुझे ये जानकर भी अच्छा लगा कि इस समिट के आउटकम को स्थायी रूप देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया हैं। Traditional Medicine Global Library के रूप में एक ऐसा ग्लोबल प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है, जो ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़े वैज्ञानिक डेटा और पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स को एक जगह सुरक्षित करेगा। इससे उपयोगी जानकारी हर देश तक समान रूप से पहुंचने का रास्ता आसान होगा। इस Library की घोषणा भारत की G20 Presidency के दौरान पहली WHO Global Summit में की गई थी। आज ये संकल्प साकार हो गया है।

साथियों,

यहां अलग-अलग देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने ग्लोबल पार्टनरशिप का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। एक साझेदार के रूप में आपने Standards, safety, investment जैसे मुद्दों पर चर्चा की है। इस संवाद से जो Delhi Declaration इसका रास्ता बना है, वो आने वाले वर्षों के लिए एक साझा रोडमैप की तरह काम करेगा। मैं इस joint effort के लिए विभिन्न देशों के माननीय मंत्रियों की सराहना करता हूं, उनके सहयोग के लिए मैं आभार जताता हूं।

साथियों,

आज दिल्ली में WHO के South-East Asia Regional Office का उद्घाटन भी किया गया है। ये भारत की तरफ से एक विनम्र उपहार है। ये एक ऐसा ग्लोबल हब है, जहां से रिसर्च, रेगुलेशन और कैपेसिटी बिल्डिंग को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

भारत दुनिया भर में partnerships of healing पर भी जोर दे रहा है। मैं आपके साथ दो महत्वपूर्ण सहयोग साझा करना चाहता हूं। पहला, हम बिमस्टेक देशों, यानी दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में हमारे पड़ोसी देशों के लिए एक Centre of Excellence स्थापित कर रहे हैं। दूसरा, हमने जापान के साथ एक collaboration शुरू किया है। ये विज्ञान, पारंपरिक पद्धितियों और स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ने का प्रयास है।

साथियों,

इस बार इस समिट की थीम है- ‘Restoring Balance: The Science and Practice of Health and Well-being’, Restoring Balance, ये holistic health का फाउंडेशनल थॉट रहा है। आप सब एक्स्पर्ट्स अच्छी तरह जानते हैं, आयुर्वेद में बैलेन्स, अर्थात् संतुलन को स्वास्थ्य का पर्याय कहा गया है। जिसके शरीर में ये बैलेन्स बना रहता है, वही स्वस्थ है, वही हेल्दी है। आजकल हम देख रहे हैं, डायबिटीज़, हार्ट अटैक, डिप्रेशन से लेकर कैंसर तक अधिकांश बीमारियों के background में lifestyle और imbalances एक प्रमुख कारण नजर आ रहा है। Work-life imbalance, Diet imbalance, Sleep imbalance, Gut Microbiome Imbalance, Calorie imbalance, Emotional Imbalance, आज कितने ही global health challenges, इन्हीं imbalances से पैदा हो रहे हैं। स्टडीज़ भी यही प्रूव कर रही हैं, डेटा भी यही बता रहा है कि आप सब हेल्थ एक्स्पर्ट्स कहीं बेहतर इन बातों को समझते हैं। लेकिन, मैं इस बात पर जरूर ज़ोर दूँगा कि ‘Restoring Balance, आज ये केवल एक ग्लोबल कॉज़ ही नहीं है, बल्कि, ये एक ग्लोबल अर्जेंसी भी है। इसे एड्रैस करने के लिए हमें और तेज गति से कदम उठाने होंगे।

साथियों,

21वीं सदी के इस कालखंड में जीवन के संतुलन को बनाए रखने की चुनौती और भी बड़ी होने वाली है। टेक्नोलॉजी के नए युग की दस्तक AI और Robotics के रूप में ह्यूमन हिस्ट्री का सबसे बड़ा बदलाव आने वाले वर्षों में जिंदगी जीने के हमारे तरीके, अभूतपूर्व तरीके से बदलने वाले हैं। इसलिए हमें ये भी ध्यान रखना होगा, जीवनशैली में अचानक से आ रहे इतने बड़े बदलाव शारीरिक श्रम के बिना संसाधनों और सुविधाओं की सहूलियत, इससे human bodies के लिए अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा होने जा रही हैं। इसलिए, traditional healthcare में हमें केवल वर्तमान की जरूरतों पर ही फोकस नहीं करना है। हमारी साझा responsibility आने वाले future को लेकर के भी है।

साथियों,

जब पारंपरिक चिकित्सा की बात होती है, तो एक सवाल स्वाभाविक रूप से सामने आता है। ये सवाल सुरक्षा और प्रमाण से जुड़ा है। भारत आज इस दिशा में भी लगातार काम कर रहा है। यहां इस समिट में आप सभी ने अश्वगंधा का उदाहरण देखा है। सदियों से इसका उपयोग हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में होता रहा है। COVID-19 के दौरान इसकी ग्लोबल डिमांड तेजी से बढ़ी और कई देशों में इसका उपयोग होने लगा। भारत अपनी रिसर्च और evidence-based validation के माध्यम से अश्वगंधा को प्रमाणिक रूप से आगे बढ़ा रहा है। इस समिट के दौरान भी अश्वगंधा पर एक विशेष ग्लोबल डिस्कशन का आयोजन किया गया। इसमें international experts ने इसकी सुरक्षा, गुणवत्ता और उपयोग पर गहराई से चर्चा की। भारत ऐसी time-tested herbs को global public health का हिस्सा बनाने के लिए पूरी तरह कमिटेड होकर काम कर रहा है।

साथियों,

ट्रेडिशनल मेडिसिन को लेकर एक धारणा थी कि इसकी भूमिका केवल वेलनेस या जीवन-शैली तक सीमित है। लेकिन आज ये धारणा तेजी से बदल रही है। क्रिटिकल सिचुएशन में भी ट्रेडिशनल मेडिसिन प्रभावी भूमिका निभा सकती है। इसी सोच के साथ भारत इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आयुष मंत्रालय और WHO-Traditional Medicine Center ने नई पहल की है। दोनों ने, भारत में integrative cancer care को मजबूत करने के लिए एक joint effort किया है। इसके तहत पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक कैंसर उपचार के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। इस पहल से evidence-based guidelines तैयार करने में भी मदद मिलेगी। भारत में कई अहम संस्थान स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही गंभीर विषयों पर क्लिनिकल स्टडीज़ कर रहे हैं। इनमें अनीमिया, आर्थराइटिस और डायबिटीज़ जैसे विषय भी शामिल हैं। भारत में कई सारे स्टार्ट-अप्स भी इस क्षेत्र में आगे आए हैं। प्राचीन परंपरा के साथ युवाशक्ति जुड़ रही है। इन सभी प्रयासों से ट्रेडिशनल मेडिसिन एक नई ऊंचाई की तरफ बढ़ती दिख रही है।

साथियों,

आज पारंपरिक चिकित्सा एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। दुनिया की बड़ी आबादी लंबे समय से इसका सहयोग लेती आई है। लेकिन फिर भी पारंपरिक चिकित्सा को वो स्थान नहीं मिल पाया था, जितना उसमें सामर्थ्य है। इसलिए, हमें विज्ञान के माध्यम से भरोसा जीतना होगा। हमें इसकी पहुंच को और व्यापक बनाना होगा। ये जिम्मेदारी किसी एक देश की नहीं है, ये हम सबका साझा दायित्व है। पिछले तीन दिनों में इस समिट में जो सहभागिता, जो संवाद और जो प्रतिबद्धता देखने को मिली है, उससे ये विश्वास गहरा हुआ है कि दुनिया इस दिशा में एक साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आइए, हम संकल्प लें कि पारंपरिक चिकित्सा को विश्वास, सम्मान और जिम्मेदारी के साथ मिलकर के आगे बढ़ाएंगे। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।