मेरे प्याारे भाइयों और बहनों,
आज राष्ट्रम को ये आधुनिक Steel की इकाई समर्पित करते हुए, मैं गर्व महसूस कर रहा हूं। कोई इसको (IISCO) कहे, कोई उसको कहे, लेकिन आज का अवसर तो हम सबको गर्व देने वाला है। अभी मैं आदरणीय मुख्यSमंत्री जी को सुन रहा था। उन्होंगने बहुत ही अच्छीो बात बताई, और उन्होंरने कहा कि केंद्र और राज्यन हम मिल करके जितना काम करेंगे, देश उतना तेजी से आगे बढ़ेगा। भारत के संविधान में Federal structure तो दिया है लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद कई वर्षों तक केंद्र और राज्ये के संबंधों में हमेशा तनाव रहा है। केंद्र में बैठे हुए लोग मानते थे हम कुछ खास हैं और राज्योंऔ को वो कुछ गिनते ही नहीं थे। मैं भी बहुत लंबे अरसे तक राज्यम का मुख्य मंत्री रहा हूं। और इसलिए मुझे भली-भांति पता है कि केंद्र का राज्योंस के साथ यह व्यमवहार देश का भला नहीं करेगा। और इसलिए हमने आते ही एक बहुत बड़ा परिवर्तन लाया, Cooperative Federalism की बात कही। Cooperative competitive federalism की बात कही। नीति आयोग का निर्माण किया। और अब दिल्लीऔ अकेला देश नहीं चलाएगा, अब देश एक खंभे पर नहीं सभी राज्योंि का एक-एक खंभा मिला करके, 30 खंभों पर देश आगे बढ़ेगा। ये हमने सोचा है।
टीम इंडिया, मैं Day One से कह रहा हूं टीम इंडिया के बिना हिंदुस्ताचन प्रगति नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री और मुख्यैमंत्री ये मिल करके एक टीम है। ये टीम हिंदुस्तांन को आगे बढ़ाएगी, दल कोई भी हो लेकिन दल से बड़ा देश होता है। आज टीम इंडिया के कारण प्रगति कैसे होती है, आज एक बीमार इकाई ताकत के साथ खड़ी हो गई, हजारों लोगों के लिए नौकरी के अवसर मिल गये। हिंदुस्ता न को Steel के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में ये बर्नपुर की धरती, ये बंगाल की धरती काम आई। अगर यहां के मुख्यसमंत्री ने यहां की सरकार ने, रोड़े अटकाये होते तो ये काम संभव नहीं होता। मिल करके काम करते हैं तो परिणाम मिलता है। ये टीम इंडिया का सफलता का उदाहरण है कि आज हम देश को ये इकाई समर्पित कर रहे हैं।
दो दिन पहले आपने देखा होगा 41 साल से, Fourteen One Year से एक मामला लटका हुआ था। “बंग-बंधु” Mujibur Rahman के जमाने से यह काम लटका हुआ था। लेकिन अभी दो दिन पहले भारत और बांग्लाखदेश के बीच जो सीमा का विवाद रहता था, तनाव चलता रहता था, उसका समाधान हुआ। कैसे हुआ? टीम इंडिया के कारण हुआ। ममता जी ने, बंगाल की सरकार ने, असम ने, त्रिपुरा ने, मेघालय, मिजोरम ने, दिल्लीक सरकार के साथ कंधे से कंधा मिला करके फैसला किया। सभी राजनीतिक दलों ने फैसला लिया। और पहली बार यह देश गर्व कर सकता है कि राज्यीसभा हो या लोकसभा - दोनों सदनों में एक भी मत विरोध में नहीं पड़ा, सब के सब मत एक साथ पड़े और टीम इंडिया का यह दर्शन हम पूरी दुनिया को दिखा पाए। सारे विश्व के लिए भारत की संसद का यह निर्णय, टीम इंडिया का यह निर्णय, केंद्र और राज्यस के साथ मिलकर के चलने का प्रयास का परिणाम यह आज समस्या्एं दुनिया के किसी देश के साथ भी सुलझाई जा सकती है। अगर टीम इंडिया का भाव हो, अगर विदेशों से समस्या एं सुलझाई जा सकती है, तो घर में तो बहुत आसानी से सुलझाई जा सकती है। और इसलिए हमारी पूरी कोशिश है।
अब देखिए अभी 14th Finance Commission हमने शब्दइश: स्वीलकार किया और उसका परिणाम क्या आया? एक जमाना था जब दिल्लीn सरकार की तिजौरी में देश की 60-65% संपत्ति रहती थी। और 35-40% में सभी राज्योंस के खजाने में पैसे रहते थे। हमने आने के बाद जो फैसले किए उसका परिणाम यह आया है कि आज हिंदुस्ता न का Total जो खजाना है उस खजाने का 62% राज्योंक के खजानों में है और सिर्फ 38% दिल्ली के खजाने में है। यह बदलाव हम लाएं हैं, क्योंाकि विकास करना है तो राज्योंर की मदद के बिना हो नहीं सकता है। विकास करना है तो राज्योंप और दिल्लीो मिलकर के करेंगे तभी संभव होता है और इसका यह उदाहरण है। ऐसे बहुत उदाहरण बन सकते हैं, जिसको लेकर के हमारा चलने का प्रयास है।
और मैं मानता हूं... हिंदुस्तारन का जो नक्शाय देखें तो मैं पहले ही दिन से मानता हूं कि भारत के विकास में सामाजिक स्त.र पर असंतुलन है, आर्थिक स्त र पर असंतुलन है, शैक्षणिक स्तिर पर अंसतुलन है लेकिन साथ-साथ भौगोलिक स्तथर पर भी असंतुलन है। हिंदुस्तासन का पश्चिमी किनारा देखिए - केरल हो, कर्नाटक हो, गोवा हो, महाराष्ट्र हो, राजस्थाेन हो, दिल्ली हो, हरियाणा हो, पंजाब हो - आपको पश्चिमी छोर पर आर्थिक गतिविधि तेज नज़र आती है। लेकिन हिंदुस्ताकन का पूर्वी क्षेत्र उपेक्षित रहा है। हिंदुस्ता न के पूर्वी क्षेत्र चाहे पूर्वी उत्तलर प्रदेश हो, चाहे बिहार, चाहे बंगाल हो, चाहे ओडि़शा हो, चाहे असम हो, चाहे नॉर्थ ईस्टव हो - बहुत ही शक्तिशाली राज्ये है। यहां के लोग सामर्थ्यतवान हैं। प्राकृतिक संपदाओं के भंडार भरे पड़े हैं। लेकिन फिर भी विकास के दौर में पीछे रहे गए है। अगर भारत मां को हमें भव्यस रूप से देखना है तो भारत मां का एक अंग अगर बीमार होगा तो भारत माता कभी मजबूत नहीं हो सकती है। और इसलिए हमारा सपना है हिंदुस्ताान के पूर्वी हिस्सेब को सबसे अधिक ताकतवर बनाना, हिंदुस्तापन के पश्चिमी छोर की बराबरी में लाकर के खड़ा कर देना और अगर बंगाल मजबूत नहीं बनता, कोलकाता मजबूत नहीं बनता तो हिंदुस्ता न का पूर्वी हिस्साअ भी मजबूत नहीं हो सकता है और इसलिए मां भारती को मजबूत बनाने के लिए भारत के इस भू-भाग को भी ताकत देने की आवश्यलकता है।
Second Green Revolution हम सपना तो देख रहे हैं लेकिन Second Green Revolution कहां होगा। मैं साफ देख रहा हूं Second Green Revolution के लिए सबसे अधिक उर्वरा भूमि कहीं है सबसे अधिक ताकत कहीं है तो वो पूर्वी हिंदुस्ताuन में है। चाहे पूर्वी उत्त र-प्रदेश हो, चाहे बिहार हो, ओडि़शा हो, बंगाल हो, असम हो, नॉर्थ इर्स्ट हो विपुल मात्रा में पानी है, जमीन भी बहुत मात्रा में है। अगर किसानों का कल्याओण करना है, देश का भला करना है, तो हिंदुस्ताबन की Second Green Revolution इसी धरती पर केंद्रित करके किया जा सकता है और आने वाले 5-10 साल में सारा गांव का आर्थिक जीवन बदला जा सकता है। और हम इस vision के साथ देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।
आप जानते हैं, 2014 के यह दिवस चुनाव के दिवस थे। चारों तरफ राजनीतिक दल एक दूसरे पर हमला कर रहे थे। हम भी बंगाल में आए थे, हम भी हमला कर रहे थे। और लोग हम पर हमला कर रहे थे लेकिन विचार क्या आते थे? 2014 के फरवरी, मार्च, अप्रैल के अखबार देख लीजिए एक ही बात आती थी। कोयले का घोटाला एक लाख 76 हजार का घोटाला, spectrum का घोटाला, पनडुब्बी7 का घोटाला, पानी में घोटाला, जमीन में घोटाला, आसमान में घोटाला, घोटालों ही घोटालों की खबरें हम पूरी देर सुनते आते थे। भाईयों-बहनों आज एक साल हो गया दिल्लीc में नई सरकार को। अखबार में खबर आती है तो क्या आती है? कोयले के घोटाले की खबर नहीं आती है। खबर आती है तो कोयले की नीलामी की खबर आती है और एक लाख 74 हजार करोड़ के घोटाले को निगल करके आज तीन लाख करोड़ रुपया सरकारी खजाने में जमा होने का खबर नजर आता है।
भाईयों बहनों, अगर विश्वा स के साथ काम किया जाए। यह कोयले की खदानें कहां हैं? हिंदुस्ताान के पूर्वी इलाके में है। जिसके पास इतनी प्राकृतिक संपदा हो, यह राज्य गरीब नहीं रहना चाहिए। और इसलिए हमने नीतिगत परिवर्तन किए। हमने कहा कोयले की खदानों का Auction होगा। पहले क्यान होता था? किसी नेता के घर से चिट्ठी आती थी कि यह कोयले की खदान उसको दे दो, और किसी को पूछे बिना दे देते थे। सरकारी खजाने में एक नया पैसा नहीं आता था। यह सारा हमने बंद कर दिया, पुराना खत्मे कर दिया, Auction किया और यह भी तय किया कि Auction में जो पैसा आएगा, कोयले के Auction में जो पैसा आएगा वो पैसा दिल्लीक की तिजोरी में नहीं, उस राज्य के खजाने में जाएगा ताकि वो सरकार राज्यी का भला कर पाए। इसका लाभ पश्चिम बंगाल को भी मिल रहा है, झारखंड को मिल रहा है, छत्तीरसगढ़ को मिल रहा है। जहां-जहां पर कोयले की खदानें हैं उन राज्योंग को मिल रहा है। पहली बार गरीबों के लिए काम करने वाली सरकार ने एक बड़ा महत्वेपूर्ण निर्णय किया। हमारे देश में खनिज संपदा हो, कोयला हो, ज्यातदातर जहां आदिवासी लोग रहते हैं, उस इलाके में हैं, जंगलों में हैं। कोयला तो जाता था, खजिन संपदा जाती थी, लेकिन उन जिले गरीबों का, आदिवसियों का भला नहीं होता था। हमने तय किया है उन जिलों में एक foundation बनाया जाएगा। इस रॉयल्टी का कुछ हिस्साक उस foundation में डाला जाएगा और वो पैसे उस जिले की नागरिकों की भलाई के लिए होगा। चाहे उनको शिक्षा देनी होगी, अरोग्य देना होगा, घर देना होगा, पानी पहुंचाना होगा। यह पैसे उनके लिए खर्च आएंगे।
अभी मुझे छत्तीासगढ़ के मुख्यमंत्री मिले थे, उन्होंंने बड़ी मजेदार बात बताई। उन्होंनने कहा साहब यह खदानों की रॉयल्टीस से आने वाले पैसों से यह जो foundation बनेगा इसमें अरबों, खरबों रुपये आने वाले हैं और उसके कारण हमारे यह जो tribal district है, उसको अब हमें सरकारी तिजोरी से शायद पैसा ही नहीं देना पड़ेगा। और शायद और राज्यों की तुलना में वो तेजी गति से बढ़ने वाले राज्य बन जाएंगे। अगर नीतिगत परिवर्तन करते हैं, दीर्घ दृष्टि से नीतियों का निर्माण करते हैं तो राष्ट्र के विकास को कैसे बदला जा सकता है, इसका हमने उदाहरण देखा है।
भाईयों और बहनों, यह कैसा देश है कि हम iron ore विदेशों में export करते रहे है, विकास करते रहे, कच्चास माल देते रहे और steel विदेशों से मंगवाते रहे? भाईयों बहनों ऐसे तो देश नहीं चल सकता कि हम गेहूं बाहर भेजे और चपाती बाहर से अंदर लाए। ऐसा नहीं हो सकता। अगर iron ore हमारा है तो स्टी ल भी हम बनाएंगे, नौजवानों को रोजगार देंगे और यह देश यह सपना देखकर के चलता है कि 2020 में आज हम दुनिया में जिस जगह हैं उससे दो कदम आगे चल सकते हैं या नहीं चल सकते। उस दिशा में हम काम करना चाहते हैं। आज China से स्टीयल हमकों लाना पड़ रहा है। हम स्टीाल iron ore होने के बावजूद भी उत्पाददन नहीं करते। हमारी जो खनिज संपदा है आखिरकार जो लोग अर्थशास्त्रा के पंडित हैं वो भलिभांति जानते हैं पैसा आएगा कहां से? वो भली-भांति जानते हैं पैसा आएगा कहां से आएगा? देश को विकास करना है तो धन कहां से आएगा, धन कहां से पैदा होगा, तीन प्रमुख जगहें हैं, तीन प्रमुख जगह हैं जहां से पैसा ज्यादा से ज्यासदा आने की संभावना है:
• एक हमारी उर्वरा भूमि से, हम जितना ज्या्दा मूल्येवान उत्पाददन करें,
• दूसरा हमारी खनिज संपदा उसमें Value Addition करके मूल्यू वृद्धि करके, उसमें से हम नये product बनायें, हमारे खजाने में पैसा आता है और
• तीसरा सवा सौ करोड़ देशवासियों की ताकत, उनका हुनर, हमारे नौजवानों की Skill , हमारे नौजवानों की बुद्धि, हमारी ज्ञान शक्ति, हमारी कौशल्य शक्ति, वो रूपयों को पैदा कर सकती है
और इसलिए हमने इन तीन ही धाराओं को ले करके, एक तरफ देश के नौजवानों को हुनर सिखाना, दूसरी तरफ खनिज संपदा में मूल्यन वृद्धि करना, और तीसरी तरफ, soil health Card जैसे प्रयोगों द्वारा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के द्वारा, किसानों को पानी पहुंचा करके जमीन की परख करके उतम से उत्पा दन कैसे हो, उसके रास्तेा दिखा करके कम जमीन में ज्या दा उत्पाेदन परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारे, ऐसा उत्पामदन उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।
और मुझे विश्वा्स है एक साल के भीतर-भीतर हमने पाया है। आज सारी दुनिया कहने लगी है, आज हिंदुस्ताहन दुनिया में, मेरे प्या रे भाइयों और बहनों गर्व कीजिए, पूरा विश्वो कह रहा था एक साल पहले कि हिंदुस्ता न डूब जाएगा, हिंदुस्तापन कुछ नहीं कर सकता है, हिंदुस्ता न लुढ़क गया है, दुनिया की आर्थिक रचना में, अब हिंदुस्तानन अपनी जगह नहीं बना सकता, ये सारी दुनिया ने मान लिया था। एक साल के भीतर-भीतर पूरा विश्वह एक स्वर से कह रहा है। IMF हो, World Bank हो, Moody’s हो हर कोई दुनिया की जितनी rating agency है सारी rating agency ये कह रही हैं - भारत आज दुनिया का सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला देश बन गया है। दुनिया का सबसे तेज गति से आर्थिक विकास करने वाला देश बन गया है।
भाईयों और बहनों, मजबूत नींव रखी गई है एक साल के भीतर-भीतर और मजबूत नींव को देख करके दुनिया कहने लगी है कि विश्वत की अर्थ रचना में भारत तेज गति से अपनी जगह बना रहा है। भाईयों और बहनों, खास करके नौजवानों को रोजगार देना है, गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है, नौजवानों की ताकत से लड़नी है, सरकार और जनता साथ मिल करके चलें तो हम कैसा परिवर्तन ला सकते हैं, इसका ये उत्तंम उदाहरण है। .
मैं चाहता हूं, बंगाल भी विकास की नई ऊंचाईयों पर पहुंचे, और जो बंगाल का भव्यी इतिहास था, पूरे हिंदुस्ताकन की आर्थिक डोर बंगाल के हाथ में हुआ करता था। देश को आर्थिक देने का काम कभी बंगाल किया करता था। वो ताकत फिर से मिलेगी। बंगाल बहुत आगे बढ़ेगा, पूर्वी हिंदुस्ताथन को आगे बढ़ाएगा। इतना ही नहीं पूर्व के देशों के साथ हमारे संबंधों को मजबूत बनाने में बंगाल की आर्थिक ताकत बहुत काम आने वाली है। इसलिए राष्ट्रीय कारणों से, अंतर्राष्ट्रीय कारणों से, पूरी दुनिया की तरफ आगे बढ़ने के लिए जब हमारी Act East Policy है तब बंगाल की एक अहम भूनिका है। और मुझे विश्वास है कि टीम इंडिया की यह ताकत, केन्द्र और राज्य की मिलकर के आगे बढ़ने की यह ताकत हमारे सारे सपनों का पूरा करने में काम आएगी।
इसी एक विश्वास के साथ मैं फिर एक बार आप सभी का हृदय से धन्यवाद करता हूँ। और मैं सभी मेरे मजदूर भाईयों और बहनों को विश्सास दिलाता हूँ कि आपका पसीना बेकार नही जाएगा। आपका पसीना बेकार नही जाएगा। आपका पसीना ही है जो पूरे विश्वा में हिंदुस्ता न की आबो-हवा को बदलेगा। यह मेरा विश्वा स है।
मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यैवाद।
कार्यक्रम संयोजक- इस गौरवशाली अवसर पर चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के स्वामित्व के लाभार्थी प्रॉपर्टी कार्ड धारकों के साथ परम आदरणीय प्रधानमंत्री जी के संवाद कार्यक्रम की शुरुआत के लिए मैं सर्वप्रथम मध्य प्रदेश के सिहोर ज़िले के लाभार्थी प्रॉपर्टी कार्ड धारक मनोहर मेवाड़ा जी को आमंत्रित करता हूँ।
मनोहर मेवाड़ा – नमस्कार सर।
प्रधानमंत्री- नमस्कार मनोहर जी, नमस्कार ।
मनोहर मेवाड़ा – नमस्कार सर। मेरा नाम मनोहर मेवाड़ा है।
प्रधानमंत्री - आप कैसे हैं,
मनोहर मेवाड़ा – बहुत अच्छे हैं सर।
प्रधानमंत्री – अच्छा परिवार में कौन कौन है।
मनोहर मेवाड़ा – मेरे परिवार मैं मैं हूं, मेरी पत्नी है और दो बेटे हैं। मेरे एक बेटे का शादी हो गई है, उसकी बहु भी है और मेरा पोता भी है।
प्रधानमंत्री - मनोहर जी, मुझे बताया गया है कि आपने प्रॉपर्टी के पेपर पर लोन लिया है। इस लोन से कितनी मदद मिली आपको? इससे आपके जीवन में क्या बदलाव आया है? देश भर के लोग सुन रहे हैं आपको, तो मनोहर जी आपका अनुभव बताइये।
मनोहर मेवाड़ा- मेरे को स्वामित्व योजना का पट्टा मिला सर मेरे को। मैं भी खुश हूं, मेरा परिवार भी खुश है, मैं आपको प्रणाम करता हूं, धन्यवाद देता हूं, धन्यवाद देता हूं मैं आपको।
प्रधानमंत्री – आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं जानना चाहूंगा मनोहर जी, जरा डिटेल में बताइये क्या-क्या हुआ?
मनोहर मेवाड़ा- डिटेल में सर मतलब मेरे को पट्टा मिला था, पट्टे पर लोन लिया था सर मैंने, सर लोन लिया था डेयरी फार्म के लिए, मैंने दस लाख का लोन लिया है।
प्रधानमंत्री –दस लाख।
मनोहर मेवाड़ा - हां दस लाख का लोन लिया है सर मैंने।
प्रधानमंत्री – फिर क्या किया उसका?
मनोहर मेवाड़ा - साहब मैंने डेयरी फार्म खोला हुआ है। मैं डेयरी फार्म में मतलब मैं भी करता हूं, मेरे बच्चे भी करते हैं और उसकी वजह से मैं खेतीबाडी का भी काम करता हूं और डेयरी फार्म को भी देखता हूं।
प्रधानमंत्री - कितने पशु हैं आपके पास?
मनोहर मेवाड़ा - पांच गाय है साहब और एक भैस है उसमें छह मवेशी है मेरे पास में। उसका ही बिजनेस चलता है मेरा। उसमें काफी प्रॉफिट होता है मेरे को।
प्रधानमंत्री - अच्छा पहले लोन मिलने का कोई कारण नहीं था अभी मकान का आपके पास पर्चा होने के कारण आपको लोन मिला।
मनोहर मेवाड़ा - साहब पहले मैं क्या है, मेरे को मेरे पास कागज नहीं थे मकान के, तो मेरे को लोन लेने में सहूलियत नहीं थी। आज मेरे पास में मतलब मकान के कागज है तो मेरे को आज लोन लेने में फायदा होता है, क्योंकि किसी बैंक पर जाता हूं, तो मेरे को लोन मिल जाता है।
प्रधानमंत्री - अच्छा ऐसा तो नहीं होगा ना कि अब लोन भी खर्चा हो जाए और कर्जदार बन जाए बच्चे, ऐसा तो नहीं होगा ना।
मनोहर मेवाड़ा- नहीं बच्चे ऐसे नहीं है साहब अपने मतलब क्योंकि मैं जो चल रही है वही मेरे बच्चे चलते हैं।
प्रधानमंत्री - नहीं तो आप अच्छी कमाई हो रही है।
मनोहर मेवाड़ा - साहब अच्छी कमाई हो रही है मतलब।
प्रधानमंत्री - लोन वापस कर रहे हैं,
मनोहर मेवाड़ा - जी
प्रधानमंत्री - लोन भी वापस करते होंगे।
मनोहर मेवाड़ा - नहीं साहब मतलब 16000 का आसपास की मेरी किस्त आती है, तो मैं मतलब क्या है कि 30 हजार की मेरी आमदनी है महीना की तो उसमें मैं किस्त भी चढ़ा देता हूं और बाकी का मेरा घर का खर्चा भी चला लेता हूं उसमें।
प्रधानमंत्री- चलिए मनोहर जी बहुत अच्छा लगा, आपके केंद्र सरकार की योजना से आपके जीवन की मुश्किलें कम हुईं, यह मेरे लिए बहुत ही सुखद है और यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि स्वामित्व योजना के माध्यम से आप जैसे लाखों परिवारों की आमदनी भी बढ़ रही है।
मनोहर मेवाड़ा - जी सर।
प्रधानमंत्री - हमारी सरकार की प्राथमिकता है कि देश के हर नागरिक का सर गर्व से ऊंचा रहे, उसके जीवन में सुगमता आए, स्वामित्व योजना इसी सोच का विस्तार है। मनोहर जी आपको बहुत-बहुत बधाई और गांव में भी बताइए सबको कि सब अपना कार्ड बनवा दे और उससे आगे लोन भी लें, कोई न कोई कारोबार करें, यह जरूर बताइए सबको, चलिए बहुत-बहुत धन्यवाद आपका मनोहर जी।
मनोहर मेवाड़ा - मेरी तरफ से भी साहब मेरे परिवार की तरफ से भी आपको बहुत- बहुत धन्यवाद, नमस्कार सर।
प्रधानमंत्री – थैंक यू।
कार्यक्रम संयोजक- अब राजस्थान के श्री गंगानगर जिले की स्वामित्व की लाभार्थी प्रॉपर्टी कार्ड धारक श्रीमती रचना जी संवाद के लिए जुड़ रही हैं।
रचना - माननीय प्रधानमंत्री जी मेरी नमस्कार।
प्रधानमंत्री- नमस्कार रचना जी नमस्कार। रचना जी बताइए आप क्या काम करती हैं, परिवार में कौन कौन है, इस स्वामित्व योजना से कैसे संपर्क आया।
रचना - सर मेरे परिवार में मेरे पति हैं नरेश कुमार बिश्नोई और मेरे एक बेटा है सर और एक बेटी है।
प्रधानमंत्री - और इस योजना के संबंध में बताइए।
रचना- सर मेरे पास 20 सालों से रह रही हूं मैं मकान है मेरा छोटा सा उसका कोई दस्तावेज नहीं था और अब भी मेरे को स्वामित्व योजना में यह कार्ड मिला तो सर मैंने 7 लाख 45 हजार का लोन उठाया है और मैंने दुकान भी करी है, दुकान में सामान भी डाला और मेरे बच्चों का उच्च शिक्षा का सपना पूरा किया है मैंने।
प्रधानमंत्री- तो आपको पहले कार्ड आपके पास कोई प्रॉपर्टी की कोई जानकारी नहीं थी कुछ नहीं था आपके पास।
रचना- नहीं सर मेरे पास कुछ नहीं था।
प्रधानमंत्री- तो फिर परेशानी भी आती होगी लोग भी परेशान।
रचना - बहुत ज्यादा परेशान थी सर, यह मेरे को स्वामित्व योजना का कार्ड मिला सर, मैं और मेरा परिवार बहुत खुश हैं।
प्रधानमंत्री- अच्छा कभी आपने सोचा था कि 20 साल जब हो गए आपके पास कुछ था ही नहीं तो आपने तो आशा छोड़ दी होगी, आपने कभी सोचा था ऐसा कभी होगा।
रचना - सर मैंने कभी नहीं सोचा था ये कभी होगा क्या, 20 सालों से रह रही हूं सर उसी मकान में।
प्रधानमंत्री - अच्छा आपको स्वामित्व योजना से और क्या क्या लाभ हुआ आप बता सकती हैं।
रचना - जी सर बताऊंगी, इससे मेरे को एक तो एसबीएम योजना मिली है और सर मैंने मुद्रा लोन भी उठाया है 8 लाख रुपये और मैं राजीवका में जुड़ी हुई हूं और मेरे परिवार का आयुष्मान कार्ड भी बना हुआ है सर।
प्रधानमंत्री- कारोबार चल रहा है ठीक से।
रचना- बिल्कुल सही चल रहा है सर, मनरेगा में काम भी करती हूं।
प्रधानमंत्री- तो आप 15 लाख रुपये का लोन भी लिया है, दुकान भी चलाती हो, मनरेगा भी करती हो, पति देव भी कुछ करते होंगे।
रचना- सर करते हैं ड्राइवरी ही करते हैं वो।
प्रधानमंत्री - अच्छा मुझे बताया गया कि आपकी बेटी विदेश पढ़ना जाना चाहती है आप इसका श्रेय स्वामित्व योजना को देंगी क्या?
रचना - सर इसको विदेश भेजना चाहती हूं मैं, यह जाना चाहती है।
प्रधानमंत्री - जरा बताइए जरा मुझे बताइए
रचना - अभी AILET कर रही है साथ में है मेरे बच्ची मेरी।
प्रधानमंत्री - और कहां भेजना चाहते हैं।
रचना - ऑस्ट्रेलिया।
प्रधानमंत्री - ऑस्ट्रेलिया, तो स्वामित्व योजना का कारण यह संभव होगा आपको।
रचना - जी सर।
प्रधानमंत्री- चलिए रचना जी मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि आपका और आपकी बेटी का यह सपना बहुत जल्द पूरा हो। ये बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि स्वामित्व योजना सिर्फ आवश्यकता ही पूरा नहीं कर रही है बल्कि इससे हमारे नागरिकों के आकांक्षाओं के पंख को भी ताकत मिल रही है। सच्चे अर्थ में किसी भी योजना की सार्थकता यही है कि लोग उससे जुड़े और सशक्त हो। रचना जी आप कुछ कहना चाहती थी बीच में।
रचना - सर मैं कहना चाहती हूं आप जैसे नेता हो सर तो एक गरीब कल्याण जो योजना चला रखी सर आपका आपको मेरे और मेरे परिवार की तरफ से तहे दिल से धन्यवाद करती हूं सर।
प्रधानमंत्री - बहुत-बहुत धन्यवाद, गांव के सब जितने भी लोग दिख रहे हैं मुझे, उनको भी मेरा नमस्कार कह दीजिएगा। चलिए आइए देखिये अब कौन हमसे जुड़ रहा है।
कार्यक्रम संयोजक- अब महाराष्ट्र के नागपुर जिले के स्वामित्व के लाभार्थी प्रॉपर्टी कार्ड धारक श्री रोशन सांभा जी पाटिल संवाद के लिए जुड़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री - रोशन जी नमस्कार।
रोशन - नमस्ते सर।
प्रधानमंत्री - रोशन जी बोला।
रोशन - हां सर, सर संतो और महापुरुषों के महाराष्ट्र से और पावन दीक्षा भूमि नागपुर से मैं रोशन पाटिल आपको नमस्ते करता हूं सर।
प्रधानमंत्री - नमस्कार।
रोशन - नमस्कार सर।
प्रधानमंत्री- आपके बेटे का नाम क्या है?
रोशन पाटील - सर, मेरे बेटे का नाम शरविल है, आज उसका जन्मदिन भी है|
प्रधानमंत्री- आज उनका जन्मदिन है...
रोशन पाटिल - हाँ सर, उसका जन्मदिन है…
प्रधानमंत्री- मेरा आशीर्वाद दीजिए|
रोशन पाटिल- आपका आशीर्वाद उसके साथ है|
प्रधानमंत्री- अच्छा रोशन जी आप क्या करते हैं और परिवार में कितने लोग हैं।
रोशन- सर मैं एक किसान हूं सर खेती भी करता हूं और साथ-साथ में एक प्राइवेट जॉब भी करता हूं सर। मेरे परिवार में टोटल छह लोग है मेरी पत्नी है, मेरे मम्मी पापा है, मेरे दो भाई है, और अभी मेरा छोटा बेटा है सर।
प्रधानमंत्री- तो यह स्वामित्व योजना का कार्ड मालमट्टा पत्रक यह सारी गतिविधि का आपको संबंध कैसे आया कैसे मिला और इससे क्या आगे फायदा हुआ।
रोशन- सर मुझे स्वामित्व कार्ड जब से मिला तब मैं उस पर लोन ले पाया। पहले सर लोन नहीं मिलता था मेरे घर में मतलब बड़ा घर है पुराना बड़ा घर है गांव में तो प्रॉपर्टी कार्ड होने से मुझे लोन मिल पाया सर। मैंने बैंक से 9 लाख रुपयों का लोन लिया और उस पैसों से कुछ पैसों से घर बनवाया है सर और कुछ पैसों से खेती में सिंचाई का साधन किया, उससे सर मेरा फसल बढ़ गया और आमदनी भी बढ़ गई, दो तीन पहले एक ही फसल होती थी अभी तो सर तीन फसल होती है और मेरा आमदनी भी बढ़ गया और अच्छा खासा मतलब प्रॉफिट भी हो जाता है सर खेती से।
प्रधानमंत्री - अच्छा लोन लेने में जब आपके पास इतने मजबूत दस्तावेज थे, कागजात थे, तो बैंक से लोन लेने में कोई दिक्कत आती है फिर यह लाओ, वो लाओ, ढिकना लाओ, फलाना लाओ, ऐसा होता है क्या?
रोशन - जी सर पहले दिक्कत तो बहुत आती थी सर डॉक्यूमेंट मतलब यह लाओ वो लाओ बैंक वाले तो बहुत एक एक कागज के लिए दौड़ाते थे। लेकिन जब से स्वामित्व कार्ड मिला है सर तब से कोई डॉक्यूमेंट की जरूरत ही नहीं है, स्वामी कार्ड अकेला ही काफी है सबके लिए।
प्रधानमंत्री – तुमको भरोसा होता है।
रोशन - इसके लिए मैं आपका बहुत बड़ा आभारी हूं सर।
प्रधानमंत्री - बैंक वालो को पूरा भरोसा होता है।
रोशन - जी सर, बैंक वालों को बहुत इस पर भरोसा है और उस पर आसानी से लोन भी मिल जाता है।
प्रधानमंत्री - लेकिन अब आपने तो मकान बना दिया तो लोन वापस कैसे करेंगे।
रोशन - जी सर मैं खेती में सब्जी उगाता हूं उससे भी प्रॉफिट होता है। बाकी दो तीन तीन फसल होती है उससे भी प्रॉफिट होता है, सिंचाई का साधन होने की वजह से और भी फसल निकलती है सर अच्छे से, इसलिए ज्यादा मुनाफा हो रहा है तो आसानी से वापस कर सकता हूं सर लोन।
प्रधानमंत्री - अच्छा रोशन जी आपको केंद्र सरकार की और कौन- कौन सी योजनाओं का फायदा मिला है।
रोशन - जी सर, मुझे केंद्र केंद्र सरकार की उज्ज्वला गैस योजना का फायदा मिल रहा है, पीएम सम्मान निधि योजना का फायदा मिल रहा है, पीएम पिक विमा योजना का फायदा मिल रहा है, ऐसे आदि योजनाओ का फायदा मिल रहा है सर मुझे।
प्रधानमंत्री - चलिए रोशन जी यह खुशी की बात है कि स्वामित्व योजना से लोगों की इतनी सारे प्रकार की मदद हो रही है। जब स्वामित्व योजना लाए, हाँ कुछ कह रहे थे रोशन।
रोशन- जी सर स्वामित्व योजना की वजह से लोगों का बहुत बड़ा फायदा हो रहा है सर। हमारे गांव में किसी किसी ने तो दुकान पर दुकान डालने के लिए लोन लिया है। पहले तो मतलब कुछ नहीं कर सकते थे सर, खेती के भरोसे लोन भी नहीं मिलता था, घर के भरोसे भी लोन नहीं मिलता था, लेकिन स्वामित्व कार्ड आने की वजह से सबको आसानी से लोन मिल रहा है, इसकी वजह से लोग अपना अपना छोटा मोटा बिजनेस कर रहे हैं और खेती भी कर रहे हैं इसलिए उनकी इनकम डबल हो गई है सर और आसानी से अपना घर घर बाल बच्चे सब पाल रहे हैं और आसानी से खुशहाली से जीवन जी रहे हैं सर अभी।
प्रधानमंत्री - चलिए रोशन जी आपने अपने गांव के भी और लोग लाभ ले रहे हैं इसका वर्णन किया और मैं भी चाहूंगा गांव के सब लोग इन व्यवस्थाओं का फायदा उठाएं और आपने तो घर भी बनाया, खेती में भी सुधार किया और आपकी इनकम भी डबल हो गई और जब घर बन जाता है पक्की छत होती है तो रुतबा भी जरा गांव में बढ़ जाता है तो आपका भी।
रोशन - हाँ सर इसका सारा श्रेय आपको जाता है सर, आपको बहुत बड़ा धन्यवाद देना चाहता हूं सर मैं।
प्रधानमंत्री - चलिए आपको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाए हैं, जी सर, नागपुर वालों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाए सबको।
रोशन - थैंक यू सर थैंक यू धन्यवाद सर।
प्रधानमंत्री - अब कौन है।
कार्यक्रम संयोजक- अब उड़ीसा के रायगढ़ा जिले की एक अन्य लाभार्थी स्वामित्व प्रॉपर्टी कार्ड धारक श्रीमती गजेंद्र संगीता जी के साथ परम आदरणीय प्रधानमंत्री जी संवाद करेंगे।
संगीता - माननीय प्रधानमंत्री जी को मेरा प्रणाम।
प्रधानमंत्री - संगीता जी नमस्कार।
संगीता – नमस्कार।
प्रधानमंत्री - संगीता जी बताइए आप क्या काम करती हैं।
संगीता - जी मेरा सिलाई का काम है, मैं टेलरिंग करती हूं।
प्रधानमंत्री - हाँ और परिवार में कितने लोगों का दायित्व है क्या है।
संगीता - मेरे परिवार में चार लोग रहते हैं दो बच्चे और मेरे पति। एक बच्ची पढ़ाई कर रही है एमकॉम फाइनल ईयर है, दूसरा बेटा आंध्र प्रदेश में नौकरी कर रहा है कडपा में, और मेरे पति भी प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री – अच्छा, संगीता जी ये घर के प्रॉपर्टी राइट्स मिलना ये कागज मिलना ऐसा तो नहीं चलो भई सरकारी कागज आते एक और कागज आ गया क्या आपकी जिंदगी में इसका बहुत बड़ा बदलाव आया क्या?
संगीता - जी सर बहुत बड़ा बदलाव आया है। पहले कोई कागज नहीं था पक्का कागज नहीं था सर जो पक्का कागज मिला था हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ा कि हम गांव में रह रहे हैं और इससे हमको बहुत अच्छा भी लगा रहा है।
प्रधानमंत्री - क्या किया आपने अब कागजात मिल गए तो।
संगीता - जी कागज तो अभी अभी हमे मिला है। प्रधानमंत्री आवास योजना में अप्लाई किया है पर नहीं हुआ। मैं छोटा मोटा काम भी कर लेती हूं घर में।
प्रधानमंत्री - अभी आपने कोई लोन वगैरह लिया क्या बैंक से।
संगीता - जी सर अभी तक तो नहीं लिया अब लेने की सोच रहे हैं।
प्रधानमंत्री - लेकिन क्या आपने बैंक से संपर्क किया है, क्या आप लोन लेना चाहती हैं?
संगीता - जी सर, अभी लोन लेने की सोच रहे हैं।
प्रधानमंत्री - तो क्या करेंगे लोन का?
संगीता - लोन लेके आगे मेरा व्यवसाय थोड़ा बढ़ाना चाहती हूं, वो जो टेलरिंग का व्यवसाय है ना सर, उसको थोड़ा बढ़ाना चाहती हूं।
प्रधानमंत्री - तो अपना कारोबार में ध्यान ज्यादा जाएगा।
संगीता - जी मेरे बच्चों की भी पढ़ाई में कुछ काम आ सकता है कुछ पैसे बचेगा तो।
प्रधानमंत्री - चलिए संगीता जी आप अपने काम का अपने घर का विस्तार करें, इसके लिए अभी से आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं। स्वामित्व योजना के माध्यम से आपकी बड़ी चिंता खत्म हो गई है। आपको अपने घर का कागज मिल गया है और आप तो सेल्फ हेल्प ग्रुप की सदस्य भी हैं। क्या कह रही थी संगीता जी, संगीता जी आप कुछ कह रही थीं।
संगीता - जी 60 साल हो गया था। हमारा कोई पक्का कागज नहीं था सर, अभी मिला अभी स्वामित्व योजना से, आपकी बहुत-बहुत आभारी हूं सर।
प्रधानमंत्री - चलिए आप सबके आशीर्वाद ही मेरी बड़ी ताकत है। देखिए आप तो सेल्फ हेल्प ग्रुप में भी काम करती हैं और महिला एसएचजी को भी हमारी सरकार लगातार मदद कर रही है। देखिएगा स्वामित्व योजना पूरे गांव का कायाकल्प करने वाली है। चलिए हमें और लोग भी इंतजार कर रहे हैं अब कौन बाकी है भाई किस तरफ जाना है।
कार्यक्रम संयोजक- जम्मू कश्मीर। अब जम्मू और कश्मीर के सांबा जिले के एक अन्य स्वामित्व लाभार्थी और प्रॉपर्टी कार्ड धारक श्री वीरेंद्र कुमार जी के साथ परम आदरणीय प्रधानमंत्री जी संवाद करेंगे।
प्रधानमंत्री - वीरेंद्र जी नमस्ते।
वीरेंद्र - जी नमस्कार।
प्रधानमंत्री - वीरेंद्र जी जरा बताइए अपने बारे में बताइए।
वीरेंद्र - प्रधानमंत्री जी मैं एक किसान हूं और जो मुझे प्रॉपर्टी कार्ड मिला मैं और मेरा परिवार बहुत खुश है। हम कई पीढ़ियों से इस जमीन पर रह रहे थे अब इसके कागजात मिलने से दिल को गर्व सा महसूस हो रहा है। प्रधानमंत्री जी इसलिए मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं।
प्रधानमंत्री - अच्छा पहले कोई कार्ड कागजात नहीं थे और गांव वालों के और लोगों के पास भी नहीं होंगे।
वीरेंद्र - सर हमारे गांव के किसी भी लोगों के पास कोई भी कागजात नहीं थे। कई पीढ़ियों से 100 साल से भी ज्यादा इस गांव में रह रहे थे कोई भी कागजात दस्तावेज नहीं थे। अब स्वामित्व योजना के तहत जो कागजात मिले हैं, इससे गांव में सभी लोग खुश हैं।
प्रधानमंत्री - अच्छा प्रॉपर्टी कार्ड मिला है, इससे आप आपके जीवन में क्या फर्क पड़ा?
वीरेंद्र - जो मेरे को प्रोपर्टी कार्ड मिला है इससे मेरे एक जमीन का विवाद था, यह प्रोपर्टी कार्ड आने से वजह से वो मेरे एक जमीन का विवाद भी वो खत्म हो चुका है, अब इस प्रोपर्टी कार्ड की वजह से मैं बैंक से लोन अपनी जमीन गिरवी रखकर ले सकता हूं और अपने घर की मरम्मत और परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल सकती है।
प्रधानमंत्री - अच्छा आपके गांव में स्वामित्व योजना की वजह से औरों ने भी कोई लाभ लिया है क्या वहां भी कोई बदलाव आया है क्या।
वीरेंद्र- हां सर बिल्कुल बदलाव आया प्रधानमंत्री जी। हमारे गांव में स्वामित्व योजना के तहत जो भी प्रोपर्टी कार्ड मिले हैं, अब हर गांव के लोगों को अपना मालिकाना हक जो है वह बिल्कुल साफ-साफ तय हो गया है। जैसे कि जमीन और संपत्ति से जुड़े जितने भी झगड़े थे वो काफी हद तक तय हो गए हैं, इसलिए गाँववासियों के लोग जो हैं, वह अपनी जमीन संपत्ति बैंक में गिर भी रखकर लोन भी ले सकते हैं और कई प्रकार की अन्य प्रकार की योजनाएं भी अपना रहे हैं, इसलिए गांववासी की तरफ से मैं आपका तहे दिल से धन्यवाद करता हूं।
प्रधानमंत्री – वीरेंद्र जी आप सबसे बात करके अच्छा लगा खुशी है। जी सर, और मेरे लिए बहुत खुशी की बात है कि स्वामित्व योजना से मिले कार्ड को सिर्फ घर का कागज मानकर नहीं बैठ गए हैं, इसे आप अपनी प्रगति का रास्ता भी बना रहे हैं। मैं आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। ठंड का मौसम है, स्वास्थ्य संभालिए सब जम्मू कश्मीर के लोग, बहुत-बहुत बधाई आपको।
वीरेंद्र - सर धन्यवाद आपका।
कार्यक्रम संयोजक- अब मैं परम आदरणीय प्रधानमंत्री जी से उनके संबोधन के लिए विनम्र अनुरोध करना चाहूंगा।
नमस्कार!
आज का दिन, देश के गांवों के लिए, देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही ऐतिहासिक है। इस कार्यक्रम से कई राज्यों के माननीय राज्यपाल जुड़े हैं। ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र और गुजरात के मुख्यमंत्री जी भी हमारे साथ जुड़े हैं। जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर, लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर वो भी हमारे साथ हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी, देश के अलग अलग कोने में, अलग- अलग कार्यकर्मों में मौजूद हैं। राज्य सरकारों के मंत्रीगण भी हैं, सांसद हैं और विधायकगण भी हैं, अन्य सभी जनप्रतिनिधि भी मौजूद हैं।
हज़ारों ग्राम पंचायतों से जुड़े सभी साथी, स्वामित्व योजना के लाखों लाभार्थीगण, यह अपने आप में इतना व्यापक और विराट कार्यक्रम है और आप इसमें बड़े उत्साह के साथ आप सब जुड़े हैं, मैं आप सभी का बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।
साथियों,
पांच साल पहले स्वामित्व योजना शुरु की गई थी, ताकि गांव में रहने वालों को उनके घर का कानूनी प्रमाण दिया जा सके। कहीं इनको घरौनी कहते हैं, कहीं अधिकार अभिलेख कहते हैं, कहीं प्रॉपर्टी कार्ड कहते हैं, कहीं मालमट्टा पत्रक कहते हैं, कहीं आवासीय भूमि पट्टा कहते हैं।अलग-अलग राज्यों में नाम अलग-अलग हैं, लेकिन ये स्वामित्व के प्रमाण पत्र ही हैं। बीते 5 साल में, लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को ये स्वामित्व कार्ड दिए गए हैं। अब आज इस कार्यक्रम में 65 लाख से ज्यादा परिवारों को ये स्वामित्व कार्ड मिले हैं। यानि स्वामित्व योजना के तहत गांव के करीब सवा 2 करोड़ लोगों को अपने घर का पक्का कानूनी डॉक्यूमेंट मिला है। मैं इन सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं। और आज के इस कार्यक्रम के कारण ये जिनके पास अब यह जमीन से जुड़े अपने सरकारी पत्र आ गए हैं तो वह कैसे इसका लाभ ले सकते हैं, अभी मेरी बातचीत हुई उसमें से जरूर आपको आइडियाज मिलेंगे।
साथियों,
21वीं सदी की दुनिया में, क्लाइमेट चेंज, पानी की कमी, स्वास्थ्य का संकट, महामारी ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं। लेकिन विश्व के सामने एक और बहुत बड़ी चुनौती रही है। ये चुनौती है- प्रॉपर्टी राइट्स की, संपत्ति के अधिकृत कागज की। कई साल पहले संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया के अनेक अनेक देशों में भूसंपत्ति को लेकर एक स्टडी की थी। इस स्टडी में सामने आया कि दुनिया के अनेक देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के पक्के कानूनी दस्तावेज़ है ही नहीं। संयुक्त राष्ट्र ने साफ कहा कि अगर गरीबी कम करनी है, तो इसके लिए लोगों के पास, प्रॉपर्टी राइट्स होना बहुत ज़रूरी है। दुनिया के एक बड़े अर्थशास्त्री ने economist ने उन्होंने तो प्रॉपर्टी राइट्स की चुनौती पर एक किताब पूरी लिखी है। और इस किताब में वो कहते हैं कि गांवों में लोगों के पास जो थोड़ी-बहुत संपत्ति होती है, वो dead capital होती है। यानि ये प्रॉपर्टी, एक प्रकार से मृत संपत्ति होती है। क्योंकि गांव वाले, गरीब लोग, उस संपत्ति के बदले में कोई लेनदेन नहीं कर सकते। ये परिवार की इनकम बढ़ाने में मदद नहीं कर सकती।
साथियों,
दुनिया के सामने मौजूद इस बड़ी चुनौती से भारत भी अछूता नहीं था। हमारा भी हाल वैसा ही था। आप भी जानते हैं कि भारत के गांवों में लोगों के पास लाखों-लाख करोड़ रुपए की संपत्ति होने के बावजूद भी उसकी उतनी कीमत नहीं थी। वजह ये क्योंकि लोगों के पास अक्सर घरों के कानूनी दस्तावेज़ होते नहीं थे, इसलिए घर की मिल्कियत को लेकर भी विवाद होते रहते थे। कई जगहों पर तो दबंग लोग घरों पर ही कब्जा कर लेते थे। बिना कानूनी दस्तावेज़ के बैंक भी ऐसी संपत्ति से चार कदम दूर ही रहते थे। दशकों दशक से ऐसा ही चल रहा था। अच्छा होता पहले की सरकारों ने इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाए होते, लेकिन उन्होंने इस दिशा में खास कुछ किया नहीं। इसलिए 2014 में जब हमारी सरकार बनी, तो हमने प्रॉपर्टी के कागज की इस चुनौती से निपटने की ठानी, कोई भी संवेदनशील सरकार, अपने गांव के लोगों को इस तरह परेशानी में नहीं छोड़ सकती थी। और हम तो सबका विकास चाहते हैं, सबका विश्वास भी चाहते हैं अभी हमारे मंत्री जी राजीव रंजन जी ने बड़े अच्छे ढंग से बताया। इसलिए हमने स्वामित्व योजना शुरू की। हमने तय किया कि ड्रोन की मदद से देश के गांव-गांव में घरों की जमीनों की मैपिंग कराई जाएगी, गांव के लोगों को उनकी आवासीय संपत्ति के कागज दिए जाएंगे। आज हम इस योजना का लाभ मिलते जब देख रहे हैं। तो मन को एक संतोष मिलता है कि चलो गांव का गरीबों का हम काम कर पाएं। मैं अभी स्वामित्व योजना के लाभार्थियों से बात कर रहा था। इस योजना ने कैसे उनका जीवन बदल दिया है, कैसे अब उनकी संपत्ति पर उन्हें बैंकों से मदद मिलने लगी है। संपत्ति तो थी आप रहते भी थे कागज नहीं था उस समस्या का समाधान सरकार को करना चाहिए था और इसलिए हमने काम उठाया और कर रहे हैं और उनकी उनकी बातों में मैं देख रहा था उनके चेहरे पर जो संतोष था जो खुशी थी, जो आत्मविश्वास था, कुछ नए करने के जो सपने थे, कितना आनंददायक ये संवाद लगा मुझे, इसको मैं बहुत-बड़ा आशीर्वाद मानता हूं।
भाइयों और बहनों,
हमारे देश में 6 लाख से अधिक गांव हैं। इनमें से करीब-करीब आधे गांवों में ड्रोन से सर्वे हो चुका है। कानूनी दस्तावेज़ मिलने के बाद लाखों लोगों ने अपने घर, अपनी संपत्ति के आधार पर बैंकों से लोन लिया है। इस पैसे से इन्होंने गांव में अपना छोटा-मोटा व्यापार शुरू किया है। इनमें से बहुत सारे छोटे और मझोले किसान परिवार हैं। इनके लिए ये प्रॉपर्टी कार्ड, आर्थिक सुरक्षा की बड़ी गारंटी बन चुके हैं। अवैध कब्ज़ों से, कोर्ट में लंबे विवादों से, हमारे दलित, पिछड़े और आदिवासी परिवार ही सबसे अधिक परेशान थे, उससे वही प्रभावित थे। अब कानूनी प्रमाण मिलने से, उनको इस संकट से मुक्ति मिल रही है। एक आकलन है कि सभी गांवों में प्रॉपर्टी कार्ड बनने के बाद 100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की आर्थिक गतिविधि का रास्ता खुल जाएगा। आप कल्पना कर सकते हैं कितनी बड़ी पूंजी, देश की अर्थव्यवस्था में जुड़ने जा रही है।
साथियों,
आज हमारी सरकार पूरी ईमानदारी से ग्राम स्वराज को जमीन पर उतारने का प्रयास कर रही है। स्वामित्व योजना से गांव के विकास की प्लानिंग और उस पर अमल अब काफी बेहतर हो रहे हैं। आज हमारे पास स्पष्ट नक्शे होंगे, आबादी के इलाकों का हमें पता होगा, तो विकास के काम की प्लानिंग भी स्टीक होगी और गलत प्लानिंग के कारण जो बर्बादी होती थी, जो रुकावटें आती थीं, उससे भी मुक्ति मिलेगी। कौन सी जमीन पंचायत की है, कौन सी जमीन चारागाह है, ऐसे कई विवाद रहते हैं। अब प्रॉपर्टी राइट्स मिलने से ग्राम पंचायतों की मुश्किलें भी दूर होंगी, वो भी आर्थिक रूप से सशक्त हो पाएंगी। गांव में आग लगने की घटनाएं होती हैं, बाढ़ आती है, भू-स्खलन होते हैं, ऐसी अनेक आपदाएं आती हैं। प्रॉपर्टी कार्ड मिलने से डिजास्टर मैनेजमेंट बेहतर हो पाएगा, आपदा की स्थिति में उचित क्लेम मिलना आसान होगा।
साथियों,
हम ये भी जानते हैं कि जो किसानों की ज़मीन होती है, उसको लेकर भी कितने विवाद होते हैं। जमीन के डॉक्यूमेंट पाने में मुश्किलें आती हैं। बार-बार पटवारी के पास जाना पड़ता है, तहसील के चक्कर काटने पड़ते हैं। इससे भ्रष्टाचार के रास्ते भी खुलते हैं। ये परेशानियां कम हों, इसके लिए लैंड रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। स्वामित्व और भू-आधार- ये दो व्यवस्थाएं गांवों के विकास का आधार बनने वाली हैं। भू-आधार के ज़रिए जमीन को भी एक खास पहचान दी गई है। करीब 23 करोड़ भू-आधार नंबर जारी किए जा चुके हैं। इससे आज आसानी से पता चल जाता है कि कौन सा प्लॉट किसका है। बीते 7-8 साल में ही करीब 98 परसेंट लैंड रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण किया गया है। अधिकतर ज़मीनों के नक्शे अब डिजिटली उपलब्ध हैं।
साथियों,
महात्मा गांधी कहते थे- भारत गांव में बसता है, भारत की आत्मा गांव में है। पूज्य बापू के इस भाव को सही मायने में ज़मीन पर उतारने का काम बीते दशक में हुआ है। जिन ढाई करोड़ से अधिक परिवारों तक बीते 10 वर्ष में बिजली पहुंची, वे अधिकतर गांव के ही हैं। जिन 10 करोड़ से अधिक परिवारों तक बीते 10 वर्ष में शौचालय पहुंचे, वे भी ज्यादातर गांवों के ही हैं। जिन 10 करोड़ बहनों को उज्ज्वला का गैस कनेक्शन मिला, उनमें से अधिकांश बहनें गांव में ही रहती हैं। जिन 12 करोड़ से अधिक परिवारों तक पांच सालों में नल से जल पहुंचा है, वे भी गांव के ही हैं। जिन 50 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक में खाते खुले, वे भी ज्यादातर गांवों से ही हैं। बीते दशक में डेढ़ लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर बने, वो भी ज्यादातर गांवों में ही, गांव के लोगों के स्वाथ्य की सेवा करते हैं। आज़ादी के इतने दशकों तक हमारे गांव, गांव के करोड़ों लोग, ऐसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित थे। हमारे दलित, पिछड़े, आदिवासी समाज के परिवार सबसे ज्यादा अभाव में थे। अब इन सारी सुविधाओं का सबसे अधिक लाभ भी इन्हीं परिवारों को ही हुआ है।
साथियों,
गांवों में अच्छी सड़कें हों, इसके लिए भी बीते दशक में अभूतपूर्व प्रयास किए गए हैं। साल 2000 में, जब अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, तब एक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरु की थी। तब से लेकर आज तक करीब सवा 8 लाख किलोमीटर सड़कें गांवों में बनाई गई हैं। इतने सालों में सवा 8…. अब आप देखिए 10 साल में हमने पौने चार लाख किलोमीटर, यानि लगभग आधी सड़कें बीते 10 साल में ही बना दी हैं। अब हम सीमा पर स्थित दुर्गम गांवों तक कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम भी चला रहे हैं।
औऱ साथियों,
सड़क ही नहीं, गांव में इंटरनेट पहुंचाना भी हमारी प्राथमिकता रही है। साल 2014 से पहले देश की 100 से भी कम पंचायतें ब्रॉडबैंड फाइबर कनेक्शन से जुड़ी थीं। बीते 10 साल में हमने 2 लाख से ज्यादा पंचायतों को ब्रॉडबैंड फाइबर कनेक्शन से जोड़ा है। 2014 से पहले देश के गांवों में एक लाख से भी कम, कॉमन सर्विस सेंटर थे। बीते 10 साल में हमारी सरकार ने 5 लाख से ज्यादा नए कॉमन सर्विस सेंटर बनाए हैं। और ये सिर्फ आंकड़े नहीं है, इन आंकड़ों के साथ गांवों में सुविधाएं पहुंची हैं, आधुनिकता पहुंची है। पहले जिन सुविधाओं को लोग शहरों में देखते थे, अब वो गांवों में मिलने लगी है। इससे गांव में सुविधा ही नहीं, बल्कि आर्थिक सामर्थ्य भी बढ़ रहा है।
साथियों,
2025 की शुरुआत भी गांवों के लिए, किसानों के लिए बड़े फैसलों के साथ हुई है। सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को जारी रखने का फैसला किया है। इसके तहत अभी तक, करीब पौने 2 लाख करोड़ रुपए की क्लेम राशि किसानों को मिल चुकी है, बीमा का पैसा मिला है। एक और फैसला, DAP खाद को लेकर भी किया गया है, जिसके दाम दुनिया में काफी बढ़ गए हैं। सरकार ने फिर से हज़ारों करोड़ रुपए की व्यवस्था की है, ताकि किसानों को सस्ती खाद मिलती रहे। बीते दशक में किसानों को सस्ती खाद देने के लिए करीब 12 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। ये 2014 से पहले के दशक की तुलना में करीब दोगुनी राशि है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के, उसके तहत भी अभी तक करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं। ये किसान कल्याण के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है।
साथियों,
विकसित भारत के निर्माण में नारीशक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है। इसलिए बीते दशक में हमने माताओं-बेटियों के सशक्तिकरण को, हर बड़ी योजना के केंद्र में रखा है। बैंक सखी और बीमा सखी जैसी योजनाओं ने गांवों में महिलाओं को नए अवसर दिए हैं। लखपति दीदी योजना ने देश में सवा करोड़ से ज्यादा महिलाओं को लखपति दीदी बना दिया है। स्वामित्व योजना ने भी महिलाओं के प्रॉपर्टी राइट्स को और मजबूत किया है। कई राज्यों में प्रॉपर्टी कार्ड्स में पति के साथ-साथ पत्नियों के नाम भी शामिल किए हैं। कहीं पर पहला नाम पत्नी का है, तो कहीं पर दूसरा नाम है, लेकिन दोनों की भागीदारी से किया है। पीएम आवास योजना के तहत गरीबों को जो घर मिलते हैं, उनमें भी अधिकतर आवास, महिलाओं के नाम पर रजिस्टर किए गए हैं। और ये कितना सुखद संयोग है कि स्वामित्व योजना के ड्रोन भी आज महिलाओं को प्रॉपर्टी राइट्स देने में मदद कर रहे हैं। स्वामित्व योजना में मैपिंग का काम ड्रोन कर रहे हैं। वहीं नमो ड्रोन दीदी योजना से गांव की बहनें, ड्रोन पायलट बन रही हैं। वो ड्रोन से खेती में मदद कर रही हैं इससे उन्हें अतिरिक्त कमाई हो रही है।
साथियों,
स्वामित्व योजना के साथ हमारी सरकार ने गांव के लोगों को एक ऐसा सामर्थ्य दिया है, जो भारत के ग्रामीण जीवन का पूरी तरह कायाकल्प कर सकता है। हमारे गांव, हमारे गरीब, सशक्त होंगे, तो विकसित भारत का हमारा सफर भी सुहाना होगा। बीते दशक में जो भी कदम गांव और गरीब के हित में उठाए गए हैं, उसके कारण 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त किया है। मुझे पूरा विश्वास है कि स्वामित्व जैसी योजनाओं से, हम गांवों को विकास के मजबूत केंद्र बना पाएंगे। एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्यवाद !