मेरे प्याारे भाइयों और बहनों,

आज राष्ट्रम को ये आधुनिक Steel की इकाई समर्पित करते हुए, मैं गर्व महसूस कर रहा हूं। कोई इसको (IISCO) कहे, कोई उसको कहे, लेकिन आज का अवसर तो हम सबको गर्व देने वाला है। अभी मैं आदरणीय मुख्यSमंत्री जी को सुन रहा था। उन्होंगने बहुत ही अच्छीो बात बताई, और उन्होंरने कहा कि केंद्र और राज्यन हम मिल करके जितना काम करेंगे, देश उतना तेजी से आगे बढ़ेगा। भारत के संविधान में Federal structure तो दिया है लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद कई वर्षों तक केंद्र और राज्ये के संबंधों में हमेशा तनाव रहा है। केंद्र में बैठे हुए लोग मानते थे हम कुछ खास हैं और राज्योंऔ को वो कुछ गिनते ही नहीं थे। मैं भी बहुत लंबे अरसे तक राज्यम का मुख्य मंत्री रहा हूं। और इसलिए मुझे भली-भांति पता है कि केंद्र का राज्योंस के साथ यह व्यमवहार देश का भला नहीं करेगा। और इसलिए हमने आते ही एक बहुत बड़ा परिवर्तन लाया, Cooperative Federalism की बात कही। Cooperative competitive federalism की बात कही। नीति आयोग का निर्माण किया। और अब दिल्लीऔ अकेला देश नहीं चलाएगा, अब देश एक खंभे पर नहीं सभी राज्योंि का एक-एक खंभा मिला करके, 30 खंभों पर देश आगे बढ़ेगा। ये हमने सोचा है।

टीम इंडिया, मैं Day One से कह रहा हूं टीम इंडिया के बिना हिंदुस्ताचन प्रगति नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री और मुख्यैमंत्री ये मिल करके एक टीम है। ये टीम हिंदुस्तांन को आगे बढ़ाएगी, दल कोई भी हो लेकिन दल से बड़ा देश होता है। आज टीम इंडिया के कारण प्रगति कैसे होती है, आज एक बीमार इकाई ताकत के साथ खड़ी हो गई, हजारों लोगों के लिए नौकरी के अवसर मिल गये। हिंदुस्ता न को Steel के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में ये बर्नपुर की धरती, ये बंगाल की धरती काम आई। अगर यहां के मुख्यसमंत्री ने यहां की सरकार ने, रोड़े अटकाये होते तो ये काम संभव नहीं होता। मिल करके काम करते हैं तो परिणाम मिलता है। ये टीम इंडिया का सफलता का उदाहरण है कि आज हम देश को ये इकाई समर्पित कर रहे हैं।

दो दिन पहले आपने देखा होगा 41 साल से, Fourteen One Year से एक मामला लटका हुआ था। “बंग-बंधु” Mujibur Rahman के जमाने से यह काम लटका हुआ था। लेकिन अभी दो दिन पहले भारत और बांग्लाखदेश के बीच जो सीमा का विवाद रहता था, तनाव चलता रहता था, उसका समाधान हुआ। कैसे हुआ? टीम इंडिया के कारण हुआ। ममता जी ने, बंगाल की सरकार ने, असम ने, त्रिपुरा ने, मेघालय, मिजोरम ने, दिल्लीक सरकार के साथ कंधे से कंधा मिला करके फैसला किया। सभी राजनीतिक दलों ने फैसला लिया। और पहली बार यह देश गर्व कर सकता है कि राज्यीसभा हो या लोकसभा - दोनों सदनों में एक भी मत विरोध में नहीं पड़ा, सब के सब मत एक साथ पड़े और टीम इंडिया का यह दर्शन हम पूरी दुनिया को दिखा पाए। सारे विश्व के लिए भारत की संसद का यह निर्णय, टीम इंडिया का यह निर्णय, केंद्र और राज्यस के साथ मिलकर के चलने का प्रयास का परिणाम यह आज समस्या्एं दुनिया के किसी देश के साथ भी सुलझाई जा सकती है। अगर टीम इंडिया का भाव हो, अगर विदेशों से समस्या एं सुलझाई जा सकती है, तो घर में तो बहुत आसानी से सुलझाई जा सकती है। और इसलिए हमारी पूरी कोशिश है।

अब देखिए अभी 14th Finance Commission हमने शब्दइश: स्वीलकार किया और उसका परिणाम क्या आया? एक जमाना था जब दिल्लीn सरकार की तिजौरी में देश की 60-65% संपत्ति रहती थी। और 35-40% में सभी राज्योंस के खजाने में पैसे रहते थे। हमने आने के बाद जो फैसले किए उसका परिणाम यह आया है कि आज हिंदुस्ता न का Total जो खजाना है उस खजाने का 62% राज्योंक के खजानों में है और सिर्फ 38% दिल्ली के खजाने में है। यह बदलाव हम लाएं हैं, क्योंाकि विकास करना है तो राज्योंर की मदद के बिना हो नहीं सकता है। विकास करना है तो राज्योंप और दिल्लीो मिलकर के करेंगे तभी संभव होता है और इसका यह उदाहरण है। ऐसे बहुत उदाहरण बन सकते हैं, जिसको लेकर के हमारा चलने का प्रयास है।

और मैं मानता हूं... हिंदुस्तारन का जो नक्शाय देखें तो मैं पहले ही दिन से मानता हूं कि भारत के विकास में सामाजिक स्त.र पर असंतुलन है, आर्थिक स्त र पर असंतुलन है, शैक्षणिक स्तिर पर अंसतुलन है लेकिन साथ-साथ भौगोलिक स्तथर पर भी असंतुलन है। हिंदुस्तासन का पश्चिमी किनारा देखिए - केरल हो, कर्नाटक हो, गोवा हो, महाराष्ट्र हो, राजस्थाेन हो, दिल्ली हो, हरियाणा हो, पंजाब हो - आपको पश्चिमी छोर पर आर्थिक गतिविधि तेज नज़र आती है। लेकिन हिंदुस्ताकन का पूर्वी क्षेत्र उपेक्षित रहा है। हिंदुस्ता न के पूर्वी क्षेत्र चाहे पूर्वी उत्तलर प्रदेश हो, चाहे बिहार, चाहे बंगाल हो, चाहे ओडि़शा हो, चाहे असम हो, चाहे नॉर्थ ईस्टव हो - बहुत ही शक्तिशाली राज्ये है। यहां के लोग सामर्थ्यतवान हैं। प्राकृतिक संपदाओं के भंडार भरे पड़े हैं। लेकिन फिर भी विकास के दौर में पीछे रहे गए है। अगर भारत मां को हमें भव्यस रूप से देखना है तो भारत मां का एक अंग अगर बीमार होगा तो भारत माता कभी मजबूत नहीं हो सकती है। और इसलिए हमारा सपना है हिंदुस्ताान के पूर्वी हिस्सेब को सबसे अधिक ताकतवर बनाना, हिंदुस्तापन के पश्चिमी छोर की बराबरी में लाकर के खड़ा कर देना और अगर बंगाल मजबूत नहीं बनता, कोलकाता मजबूत नहीं बनता तो हिंदुस्ता न का पूर्वी हिस्साअ भी मजबूत नहीं हो सकता है और इसलिए मां भारती को मजबूत बनाने के लिए भारत के इस भू-भाग को भी ताकत देने की आवश्यलकता है।

Second Green Revolution हम सपना तो देख रहे हैं लेकिन Second Green Revolution कहां होगा। मैं साफ देख रहा हूं Second Green Revolution के लिए सबसे अधिक उर्वरा भूमि कहीं है सबसे अधिक ताकत कहीं है तो वो पूर्वी हिंदुस्ताuन में है। चाहे पूर्वी उत्त र-प्रदेश हो, चाहे बिहार हो, ओडि़शा हो, बंगाल हो, असम हो, नॉर्थ इर्स्ट‍ हो विपुल मात्रा में पानी है, जमीन भी बहुत मात्रा में है। अगर किसानों का कल्याओण करना है, देश का भला करना है, तो हिंदुस्ताबन की Second Green Revolution इसी धरती पर केंद्रित करके किया जा सकता है और आने वाले 5-10 साल में सारा गांव का आर्थिक जीवन बदला जा सकता है। और हम इस vision के साथ देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।

आप जानते हैं, 2014 के यह दिवस चुनाव के दिवस थे। चारों तरफ राजनीतिक दल एक दूसरे पर हमला कर रहे थे। हम भी बंगाल में आए थे, हम भी हमला कर रहे थे। और लोग हम पर हमला कर रहे थे लेकिन विचार क्या आते थे? 2014 के फरवरी, मार्च, अप्रैल के अखबार देख लीजिए एक ही बात आती थी। कोयले का घोटाला एक लाख 76 हजार का घोटाला, spectrum का घोटाला, पनडुब्बी7 का घोटाला, पानी में घोटाला, जमीन में घोटाला, आसमान में घोटाला, घोटालों ही घोटालों की खबरें हम पूरी देर सुनते आते थे। भाईयों-बहनों आज एक साल हो गया दिल्लीc में नई सरकार को। अखबार में खबर आती है तो क्या आती है? कोयले के घोटाले की खबर नहीं आती है। खबर आती है तो कोयले की नीलामी की खबर आती है और एक लाख 74 हजार करोड़ के घोटाले को निगल करके आज तीन लाख करोड़ रुपया सरकारी खजाने में जमा होने का खबर नजर आता है।

भाईयों बहनों, अगर विश्वा स के साथ काम किया जाए। यह कोयले की खदानें कहां हैं? हिंदुस्ताान के पूर्वी इलाके में है। जिसके पास इतनी प्राकृतिक संपदा हो, यह राज्य गरीब नहीं रहना चाहिए। और इसलिए हमने नीतिगत परिवर्तन किए। हमने कहा कोयले की खदानों का Auction होगा। पहले क्यान होता था? किसी नेता के घर से चिट्ठी आती थी कि यह कोयले की खदान उसको दे दो, और किसी को पूछे बिना दे देते थे। सरकारी खजाने में एक नया पैसा नहीं आता था। यह सारा हमने बंद कर दिया, पुराना खत्मे कर दिया, Auction किया और यह भी तय किया कि Auction में जो पैसा आएगा, कोयले के Auction में जो पैसा आएगा वो पैसा दिल्लीक की तिजोरी में नहीं, उस राज्य के खजाने में जाएगा ताकि वो सरकार राज्यी का भला कर पाए। इसका लाभ पश्चिम बंगाल को भी मिल रहा है, झारखंड को मिल रहा है, छत्तीरसगढ़ को मिल रहा है। जहां-जहां पर कोयले की खदानें हैं उन राज्योंग को मिल रहा है। पहली बार गरीबों के लिए काम करने वाली सरकार ने एक बड़ा महत्वेपूर्ण निर्णय किया। हमारे देश में खनिज संपदा हो, कोयला हो, ज्यातदातर जहां आदिवासी लोग रहते हैं, उस इलाके में हैं, जंगलों में हैं। कोयला तो जाता था, खजिन संपदा जाती थी, लेकिन उन जिले गरीबों का, आदिवसियों का भला नहीं होता था। हमने तय किया है उन जिलों में एक foundation बनाया जाएगा। इस रॉयल्टी का कुछ हिस्साक उस foundation में डाला जाएगा और वो पैसे उस जिले की नागरिकों की भलाई के लिए होगा। चाहे उनको शिक्षा देनी होगी, अरोग्य देना होगा, घर देना होगा, पानी पहुंचाना होगा। यह पैसे उनके लिए खर्च आएंगे।

अभी मुझे छत्तीासगढ़ के मुख्यमंत्री मिले थे, उन्होंंने बड़ी मजेदार बात बताई। उन्होंनने कहा साहब यह खदानों की रॉयल्टीस से आने वाले पैसों से यह जो foundation बनेगा इसमें अरबों, खरबों रुपये आने वाले हैं और उसके कारण हमारे यह जो tribal district है, उसको अब हमें सरकारी तिजोरी से शायद पैसा ही नहीं देना पड़ेगा। और शायद और राज्यों की तुलना में वो तेजी गति से बढ़ने वाले राज्य बन जाएंगे। अगर नीतिगत परिवर्तन करते हैं, दीर्घ दृष्टि से नीतियों का निर्माण करते हैं तो राष्ट्र के विकास को कैसे बदला जा सकता है, इसका हमने उदाहरण देखा है।

भाईयों और बहनों, यह कैसा देश है कि हम iron ore विदेशों में export करते रहे है, विकास करते रहे, कच्चास माल देते रहे और steel विदेशों से मंगवाते रहे? भाईयों बहनों ऐसे तो देश नहीं चल सकता कि हम गेहूं बाहर भेजे और चपाती बाहर से अंदर लाए। ऐसा नहीं हो सकता। अगर iron ore हमारा है तो स्टी ल भी हम बनाएंगे, नौजवानों को रोजगार देंगे और यह देश यह सपना देखकर के चलता है कि 2020 में आज हम दुनिया में जिस जगह हैं उससे दो कदम आगे चल सकते हैं या नहीं चल सकते। उस दिशा में हम काम करना चाहते हैं। आज China से स्टीयल हमकों लाना पड़ रहा है। हम स्टीाल iron ore होने के बावजूद भी उत्पाददन नहीं करते। हमारी जो खनिज संपदा है आखिरकार जो लोग अर्थशास्त्रा के पंडित हैं वो भलिभांति जानते हैं पैसा आएगा कहां से? वो भली-भांति जानते हैं पैसा आएगा कहां से आएगा? देश को विकास करना है तो धन कहां से आएगा, धन कहां से पैदा होगा, तीन प्रमुख जगहें हैं, तीन प्रमुख जगह हैं जहां से पैसा ज्‍यादा से ज्यासदा आने की संभावना है:

• एक हमारी उर्वरा भूमि से, हम जितना ज्या्दा मूल्येवान उत्पाददन करें,
• दूसरा हमारी खनिज संपदा उसमें Value Addition करके मूल्यू वृद्धि करके, उसमें से हम नये product बनायें, हमारे खजाने में पैसा आता है और
• तीसरा सवा सौ करोड़ देशवासियों की ताकत, उनका हुनर, हमारे नौजवानों की Skill , हमारे नौजवानों की बुद्धि, हमारी ज्ञान शक्ति, हमारी कौशल्य शक्ति, वो रूपयों को पैदा कर सकती है

और इसलिए हमने इन तीन ही धाराओं को ले करके, एक तरफ देश के नौजवानों को हुनर सिखाना, दूसरी तरफ खनिज संपदा में मूल्यन वृद्धि करना, और तीसरी तरफ, soil health Card जैसे प्रयोगों द्वारा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के द्वारा, किसानों को पानी पहुंचा करके जमीन की परख करके उतम से उत्पा दन कैसे हो, उसके रास्तेा दिखा करके कम जमीन में ज्या दा उत्पाेदन परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारे, ऐसा उत्पामदन उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।

और मुझे विश्वा्स है एक साल के भीतर-भीतर हमने पाया है। आज सारी दुनिया कहने लगी है, आज हिंदुस्ताहन दुनिया में, मेरे प्या रे भाइयों और बहनों गर्व कीजिए, पूरा विश्वो कह रहा था एक साल पहले कि हिंदुस्ता न डूब जाएगा, हिंदुस्तापन कुछ नहीं कर सकता है, हिंदुस्ता न लुढ़क गया है, दुनिया की आर्थिक रचना में, अब हिंदुस्तानन अपनी जगह नहीं बना सकता, ये सारी दुनिया ने मान लिया था। एक साल के भीतर-भीतर पूरा विश्वह एक स्वर से कह रहा है। IMF हो, World Bank हो, Moody’s हो हर कोई दुनिया की जितनी rating agency है सारी rating agency ये कह रही हैं - भारत आज दुनिया का सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला देश बन गया है। दुनिया का सबसे तेज गति से आर्थिक विकास करने वाला देश बन गया है।

भाईयों और बहनों, मजबूत नींव रखी गई है एक साल के भीतर-भीतर और मजबूत नींव को देख करके दुनिया कहने लगी है कि विश्वत की अर्थ रचना में भारत तेज गति से अपनी जगह बना रहा है। भाईयों और बहनों, खास करके नौजवानों को रोजगार देना है, गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है, नौजवानों की ताकत से लड़नी है, सरकार और जनता साथ मिल करके चलें तो हम कैसा परिवर्तन ला सकते हैं, इसका ये उत्तंम उदाहरण है। .

मैं चाहता हूं, बंगाल भी विकास की नई ऊंचाईयों पर पहुंचे, और जो बंगाल का भव्यी इतिहास था, पूरे हिंदुस्ताकन की आर्थिक डोर बंगाल के हाथ में हुआ करता था। देश को आर्थिक देने का काम कभी बंगाल किया करता था। वो ताकत फिर से मिलेगी। बंगाल बहुत आगे बढ़ेगा, पूर्वी हिंदुस्ताथन को आगे बढ़ाएगा। इतना ही नहीं पूर्व के देशों के साथ हमारे संबंधों को मजबूत बनाने में बंगाल की आर्थिक ताकत बहुत काम आने वाली है। इसलिए राष्ट्रीय कारणों से, अंतर्राष्ट्रीय कारणों से, पूरी दुनिया की तरफ आगे बढ़ने के लिए जब हमारी Act East Policy है तब बंगाल की एक अहम भूनिका है। और मुझे विश्वास है कि टीम इंडिया की यह ताकत, केन्द्र और राज्य की मिलकर के आगे बढ़ने की यह ताकत हमारे सारे सपनों का पूरा करने में काम आएगी।

इसी एक विश्वास के साथ मैं फिर एक बार आप सभी का हृदय से धन्यवाद करता हूँ। और मैं सभी मेरे मजदूर भाईयों और बहनों को विश्सास दिलाता हूँ कि आपका पसीना बेकार नही जाएगा। आपका पसीना बेकार नही जाएगा। आपका पसीना ही है जो पूरे विश्वा में हिंदुस्ता न की आबो-हवा को बदलेगा। यह मेरा विश्वा स है।

मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यैवाद।

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हमारी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में महिला सशक्तिकरण के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए हैं: पानीपत, हरियाणा में पीएम
December 09, 2024
PM lays the foundation stone of the main campus of Maharana Pratap Horticultural University, Karnal
Our government has taken unprecedented steps for women empowerment in the last 10 years: PM
Today, India is moving forward with the resolve to develop by the year 2047: PM
To empower women, it is very important that they get ample opportunities to move forward and every obstacle in their way is removed: PM
Today, a campaign has started to make lakhs of daughters Bima Sakhis: PM

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

हरि के ठिकाणे हरियाणे के सारे भाण भाइयां नै राम राम।

हरियाणा के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय जी, यहां के लोकप्रिय और ऊर्जावान मुख्यमंत्री श्रीमान नायब सिंह जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी निर्मला सीतारमण जी, और यहीं के संतान और यहीं के सांसद पूर्व मुख्यमंत्री और सरकार में मेरे साथी श्री मनोहर लाल जी, श्री कृष्ण पाल जी, हरियाणा सरकार में मंत्री श्रुति जी, आरती जी, सांसदगण, विधायकगण...देश के अनेकों LIC केंद्रों से जुड़े हुए सभी साथी, और प्यारे भाइयों और बहनों।

आज महिला सशक्तिकरण की दिशा में भारत एक और मजबूत कदम उठा रहा है। आज का दिन और भी वजहों से विशेष है। आज 9 तारीख है। शास्त्रों में 9 अंक को बहुत शुभ माना जाता है। 9 अंक नव दुर्गा की नौ शक्तियों से जुड़ा है। हम सब साल में नवरात्रि के 9 दिन शक्ति की उपासना करते हैं। आज का दिन भी नारी शक्ति की उपासना जैसा ही है।

साथियों,

आज 9 दिसंबर को ही संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी। ऐसे समय में जब देश संविधान के 75 वर्ष का महोत्सव मना रहा है, 9 दिसंबर की ये तारीख हमें समानता की, विकास को सर्वस्पर्शी बनाने की प्रेरणा देती है।

साथियों,

विश्व को नीति और धर्म का ज्ञान देने वाली महान धरती पर आज के दिन आना और भी सुखद है। इस समय कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव भी चल रहा है। मैं गीता की इस धरती को प्रणाम करता हूं, नमन करता हूं। मैं पूरे हरियाणा को, यहां के देशभक्त लोगों को राम-राम करता हूं। हरियाण ने एक हैं तो सेफ हैं इस मंत्र को जिस तरह अपनाया, वो पूरे देश के लिए उदाहरण बना है।

साथियों,

हरियाणा से मेरा रिश्ता, मेरा लगाव किसी से छिपा नहीं है। आप सभी ने हम सभी को इतना आशीर्वाद दिया, लगातार तीसरी बार हरियाणा में भाजपा सरकार बनाई, इसके लिए मैं हरियाणा के हर परिवारजन का वंदन करता हूं। सैनी जी की नई सरकार को अभी कुछ हफ्ते ही हुए हैं वैसे तो, और उनकी प्रशंसा पूरे देश में हो रही है। सरकार बनने के तुरंत बाद जिस तरह यहां बिना खर्ची, बिना पर्ची के हज़ारों नौजवानों को पक्की नौकरियां मिली हैं, वो देश ने देखा है। अब यहां डबल इंजन की सरकार, डबल रफ्तार से काम कर रही है।

साथियों,

चुनाव के दौरान आप सभी माताओं-बहनों ने नारा दिया था- म्हारा हरियाणा, नॉन स्टॉप हरियाणा। उस नारे को हम सभी ने अपना संकल्प बना दिया है। उसी संकल्प के साथ आज मैं यहां आप सबके दर्शन करने के लिए आया हूं। और मैं देख रहा हूं, जहां मेरी नजर पहुंच रही है माताएं-बहनें इतनी बड़ी तादाद में हैं।

साथियों,

अभी यहां देश की बहनों-बेटियों को रोजगार देने वाली बीमा सखी योजना की शुरुआत की गई है। बेटियों को अभी यहां बीमा सखी के प्रमाण पत्र दिए गए हैं। मैं देश की सभी बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

कुछ साल पहले मुझे यहां पानीपत से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान शुरु करने का सौभाग्य मिला था। इसका सकारात्मक प्रभाव हरियाणा के साथ-साथ पूरे देश में हुआ, अकेले हरियाणा में ही, बीते दशक में हज़ारों बेटियों का जीवन बचा है। अब 10 साल बाद, इसी पानीपत की धरती से बहनों-बेटियों के लिए बीमा सखी योजना का शुभारंभ हुआ है। यानि हमारा पानीपत एक प्रकार से नारीशक्ति की प्रतीक भूमि बन गया है।

साथियों,

आज भारत साल 2047 तक विकसित होने के संकल्प के साथ चल रहा है। 1947 से लेकर आजतक के कालखंड में हर वर्ग, हर क्षेत्र की ऊर्जा ने भारत को इस उंचाई तक पहुंचाया। लेकिन 2047 के विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि के लिए हमें ऊर्जा के ढेर सारे नए स्रोतों की ज़रूरत है। ऊर्जा का ऐसा ही एक स्रोत, हमारा पूर्वी भारत है, हमारे भारत का नॉर्थ ईस्ट है। और ऊर्जा का ऐसा ही महत्वपूर्ण स्रोत है, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की नारीशक्ति। भारत को विकसित बनाने के लिए हमें अतिरिक्त ऊर्जा, ये कोटि-कोटि हमारी माताएं-बहनें हैं, हमारी नारीशक्ति है, वो ही हमारी प्रेरणा की स्रोत रहने वाली है। आज जो ये महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप हैं, बीमा सखी हैं, बैंक सखी हैं, कृषि सखी हैं, ये विकसित भारत का बहुत बड़ा आधार स्तंभ बनेंगी।

साथियों,

नारी को सशक्त करने के लिए बहुत आवश्यक है कि उन्हें आगे बढ़ने के खूब अवसर मिलें, उनके सामने से हर बाधा हटे। जब नारी को आगे बढ़ने का अवसर मिलता है, तो वो देश के सामने अवसरों के नए द्वार खोल देती हैं। लंबे समय तक हमारे देश में ऐसे अनेक काम थे, जो महिलाओं के लिए वर्जित थे, वहां महिलाएं काम कर ही नहीं सकती थीं। भाजपा की हमारी सरकार ने बेटियों के सामने से हर बाधा को हटाने की ठानी। आज आप देखिए, सेना के अग्रिम मोर्चों में बेटियों की तैनाती हो रही हैं। हमारी बेटियां अब बड़ी संख्या में फाइटर पायलट बन रही हैं। आज पुलिस में भी बड़ी संख्या में बेटियों की भर्ती हो रही है। आज बड़ी-बड़ी कंपनियों को, और उसकी कमान हमारी बेटियां संभाल रही हैं। देश में किसानों के, पशुपालकों के 1200 ऐसे उद्पादक संघ या सहकारी समितियां हैं, जिनका नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। खेल का मैदान हो या पढ़ाई का, बेटियां हर क्षेत्र में बहुत आगे चल रही हैं। गर्भवती महिलाओं की छुट्टी को बढ़ाकर 26 हफ्ते करने का भी लाभ लाखों बेटियों को मिला है।

साथियों,

कई बार जब हम किसी खिलाड़ी को मेडल पाकर गर्व से घूमते देखते हैं तो ये भूल जाते हैं कि उस मेडल को पाने के लिए उस खिलाड़ी ने, उस बेटी ने बरसों तक कितनी मेहनत की है। कोई एवरेस्ट पर तिरंगे के साथ फोटो खिंचवाता है तो उस खुशी में हम ये भूल जाते हैं कि वो व्यक्ति कितने बरसों के संघर्षों के बाद एवरेस्ट की ऊंचाई पर पहुंचा है। आज यहां जिस बीमा सखी कार्यक्रम की शुरुआत हो रही है, उसकी नींव में भी बरसों की मेहनत है, बरसों की तपस्या है। आज़ादी के 60-65 सालों बाद भी, अधिकतर महिलाओं के पास बैंक खाते नहीं थे। यानि पूरी बैंकिंग व्यवस्था से ही महिलाएं कटी हुई थीं। इसलिए हमारी सरकार ने सबसे पहले माताओं-बहनों के जनधन बैंक खाते खुलवाए। और आज मुझे गर्व है कि जनधन योजना से 30 करोड़ से ज्यादा बहनों-बेटियों के बैंक खाते खुले। क्या आपने कभी सोचा है अगर ये जनधन बैंक खाते ना होते तो क्या होता? जनधन बैंक खाते ना होते तो गैस सब्सिडी के पैसे सीधे आपके खाते में ना आते, कोरोना के समय मिलने वाली मदद ना मिली होती, किसान कल्याण निधि के पैसे महिलाओं के खाते में जमा ना हो पाते, बेटियों को ज्यादा ब्याज देने वाली सुकन्या समृद्धि योजना का लाभ मिलना मुश्किल होता, अपना घर बनाने के लिए पैसे बेटियों के खाते में सीधे ट्रांसफर ना होते, रेहड़ी-पटरी लगाने वाली बहनों के लिए बैंक के दरवाजे बंद ही रहते, और मुद्रा योजना से करोड़ों बहनों को बिना गारंटी का लोन भी मिलना मुश्किल होता। महिलाओं के पास अपने बैंक खाते थे, इसलिए वो मुद्रा लोन ले पाईं, पहली बार अपने मन का काम शुरू कर पाईं।

साथियों,

गांव-गांव में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने में हमारी बहनों ने ही बड़ी भूमिका निभाई है। आप कल्पना कर सकते हैं जिनके बैंक खाते तक नहीं थे, वो अब बैंक सखी के रूप में गांव के लोगों को बैंकों से जोड़ रही हैं। बैंक में कैसे बचत होती है, कैसे लोन मिलता है, ये सब कुछ लोगों को सीखा रही हैं हमारी माताएं-बहनें। ऐसी लाखों बैंक सखियां आज गांव में सेवाएं दे रही हैं।

साथियों,

बैंक खाते की तरह ही, कभी महिलाओं का बीमा भी नहीं होता था। आज लाखों बेटियां, उनको बीमा एजेंट, बीमा सखी बनाने का अभियान शुरु हो रहा है। यानि जिस सेवा का लाभ पाने से कभी वो वंचित रहीं, आज उसी सेवा से दूसरे लोगों को जोड़ने का ज़िम्मा उन्हें दिया जा रहा है। आज बीमा जैसे सेक्टर के विस्तार का नेतृत्व भी एक प्रकार से अब महिलाएं ही करेंगी। बीमा सखी योजना के तहत 2 लाख महिलाओं को रोजगार के अवसर देने का लक्ष्य है। बीमा सखी कार्यक्रम के माध्यम से दसवीं पास बहनों-बेटियों को ट्रेनिंग दी जाएगी, उन्हें तीन साल तक आर्थिक मदद भी दी जाएगी, भत्ता दिया जाएगा। बीमा के सेक्टर से जुड़ा डेटा बताता है कि एक LIC एजेंट, हर महीने औसतन, average 15 हज़ार रुपए कमाता है। इस हिसाब से देखें तो हमारी बीमा सखियां, हर वर्ष पौने दो लाख रुपए से अधिक कमाएंगी। बहनों की ये कमाई परिवार को अतिरिक्त आय देगी।

साथियों,

बीमा सखियों के इस काम का महत्व सिर्फ इतना ही नहीं है कि उन्हें हर महीने हज़ारों रुपए कमाई होगी। बीमा सखियों का योगदान इससे कहीं अधिक होने वाला है। विकसित होते हमारे देश में Insurance for All हम सभी का ध्येय है। ये सोशल सिक्योरिटी के लिए, गरीबी को जड़ से मिटाने के लिए अति आवश्यक है। आज बीमा सखी के रूप में आप जिस भूमिका में आ रही हैं, उससे Insurance for All उस मिशन को बल मिलेगा।

साथियों,

जब व्यक्ति के पास बीमा की ताकत होती है, तो कितना लाभ होता है, इसके उदाहरण भी हमारे सामने हैं। सरकार, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजनाएं चला रही है। इसके तहत बहुत ही कम प्रीमियम पर 2-2 लाख रुपए तक का बीमा कराया जाता है। देश के 20 करोड़ से ज्यादा लोग जो कभी बीमा के बारे में सोच भी नहीं सकते थे, उनका बीमा हुआ है। इन दोनों योजनाओं के तहत अभी तक करीब 20 हज़ार करोड़ रुपए की क्लेम राशि दी जा चुकी है। आप कल्पना कीजिए, किसी का एक्सीडेंट हुआ, किसी ने अपने स्वजन को खोया, उस मुश्किल परिस्थिति में ये 2 लाख रुपए कितने काम आए होंगे। यानि बीमा सखियां, देश के अनेक परिवारों को सामाजिक सुरक्षा का कवच देने जा रही हैं, पुण्य का काम करने जा रही हैं।

साथियों,

भारत में पिछले 10 साल में ग्रामीण महिलाओं के लिए जो क्रांतिकारी नीतियां बनीं, जो निर्णय लिए हैं वो वाकई स्टडी का विषय हैं। बीमा सखी, बैंक सखी, कृषि सखी, पशु सखी, ड्रोन दीदी, लखपति दीदी ये नाम भले ही बड़े सहज से लगते हों, सामान्य लगते हों, लेकिन ये भारत का भाग्य बदल रहे हैं। खासतौर पर भारत का सेल्फ हेल्प ग्रुप अभियान, महिला सशक्तिकरण की ऐसी गाथा है, जिसे इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। हमने महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप को ग्रामीण अर्थव्यवस्था में परिवर्तन लाने का बड़ा माध्यम बनाया है। आज देशभर की 10 करोड़ बहनें, सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी हैं, उनसे जुड़कर महिलाओं की कमाई हो रही है। बीते 10 साल में हमने सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को 8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद दी है।

साथियों,

मैं देशभर में सेल्फ हेल्फ ग्रुप्स से जुड़ी बहनों से भी कहूंगा, आपकी भूमिका असाधारण है, आपका योगदान बहुत बड़ा है। आप सभी, भारत को दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक ताकत बनाने के लिए काम कर रही हैं। इसमें हर समाज, हर वर्ग, हर परिवार की बहनें जुड़ी हैं। इसमें सबको अवसर मिल रहे हैं। यानि सेल्फ हेल्प ग्रुप्स का ये आंदोलन, सामाजिक समरसता को, सामाजिक न्याय को भी सशक्त कर रहा है। हमारे यहां कहा जाता है कि एक बेटी पढ़ती है, तो दो परिवार पढ़ते हैं। वैसे ही सेल्फ हेल्प ग्रुप से सिर्फ एक महिला की आय बढ़ती है, इतना ही नहीं है, इससे एक परिवार का आत्मविश्वास बढ़ता है, पूरे गांव का आत्मविश्वास बढता है। इतना काम, इतना बड़ा काम आप सभी कर रहे हैं।

साथियों,

मैंने लाल किले से 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने की भी घोषणा की है। अभी तक देशभर में 1 करोड़ 15 लाख से अधिक लखपति दीदी बन चुकी हैं। ये बहनें हर साल एक लाख रुपए से अधिक की कमाई करने लगी हैं। सरकार की नमो ड्रोन दीदी योजना से भी लखपति दीदी अभियान को बल मिल रहा है। हरियाणा में तो नमो ड्रोन दीदी की बहुत चर्चा है। हरियाणा चुनाव के दौरान मैंने कुछ बहनों के इंटरव्यू पढ़े थे। उसमें एक बहन ने बताया कि कैसे उसने ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग ली, उनके ग्रुप को ड्रोन मिला। उस बहन ने बताया कि पिछले खरीफ सीज़न में उनको ड्रोन से स्प्रे करने का काम मिला। उन्होंने लगभग 800 एकड़ खेती में ड्रोन से स्प्रे दवा का छिड़काव किया। आप जानती हैं उनको इससे कितना पैसा मिला? इससे उनको 3 लाख रुपए की कमाई हुई। यानि एक सीज़न में ही लाखों की कमाई हो रही है। इस योजना से ही खेती और बहनों का जीवन, दोनों बदल रहा है।

साथियों,

आज देश में आधुनिक खेती, प्राकृतिक खेती, नैचुरल फार्मिंग इसके बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए हज़ारों कृषि सखियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। करीब 70 हज़ार कृषि सखियों को सर्टिफिकेट मिल भी चुके हैं। ये कृषि सखियां भी हर वर्ष 60 हज़ार रुपए से अधिक कमाने का सामर्थ्य रखती हैं। ऐसे ही, सवा लाख से अधिक पशु सखियां आज पशुपालन को लेकर जागरूकता अभियान का हिस्सा बनी हैं। कृषि सखी, पशु सखी ये भी सिर्फ रोजगार का माध्यम नहीं हैं, आप सभी मानवता की भी बहुत बड़ी सेवा कर रही हैं। जैसे मरीज़ को नई ज़िंदगी देने में नर्स का बहुत बड़ा योगदान होता है, वैसे ही हमारी कृषि सखियां, आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती माता को बचाने का काम कर रही हैं। ये प्राकृतिक खेती के लिए जागरूकता फैलाकर मिट्टी की, हमारे किसानों की, धरती माता की सेवा कर रही हैं। इसी प्रकार हमारी पशु सखियां भी, पशुओं की सेवा से मानव सेवा का बहुत पुण्य काम कमा रही हैं।

साथियों,

हर चीज़ को राजनीति के, वोटबैंक को उस तराज़ू पर तौलने वाले लोग, आजकल बहुत हैरान- परेशान हैं। उनको समझ ही नहीं आ रहा है कि चुनाव दर चुनाव, मोदी के खाते में माताओं-बहनों-बेटियों का आशीर्वाद बढ़ता ही क्यों जा रहा है। जिन लोगों ने माताओं-बहनों को सिर्फ वोट बैंक समझा और चुनाव के समय घोषणाएं करने की ही राजनीति की, वो इस मजबूत रिश्ते को समझ भी नहीं पाएंगे। आज माताओं-बहनों का इतना लाड-प्यार मोदी को क्यों मिलता है, ये समझने के लिए उन्हें बीते 10 वर्षों के सफर को याद करना होगा। 10 साल पहले करोड़ों बहनों के पास एक अदद शौचालय नहीं था। मोदी ने देश में 12 करोड़ से अधिक टॉयलेट बनाए। 10 साल पहले करोड़ों बहनों के पास गैस कनेक्शन नहीं था, मोदी ने उन्हें उज्ज्वला के मुफ्त कनेक्शन दिए, सिलेंडर सस्ते किए। बहनों के घरों में पानी का नल नहीं था, हमने घर-घर नल से जल पहुंचाना शुरु किया। पहले कोई प्रॉपर्टी महिलाओं के नाम नहीं होती थी, हमने करोड़ों बहनों को पक्के घर की मालकिन बना दिया। कितने लंबे समय से महिलाएं मांग कर रही थीं, कि उन्हें विधानसभा और लोकसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। आपके आशीर्वाद से इस मांग को पूरा करने का सौभाग्य भी हमें मिला। जब सही नीयत से, ऐसे ईमानदार प्रयास होते हैं, तभी आप बहनों का आशीर्वाद मिलता है।

साथियों,

हमारी डबल इंजन सरकार किसानों के कल्याण के लिए भी ईमानदारी से काम कर रही है। पहले दो कार्यकाल में हरियाणा के किसानों को MSP के रूप में सवा लाख करोड़ रुपए से अधिक मिला है। यहां तीसरी बार सरकार बनने के बाद धान, बाजरा और मूंग किसानों को MSP के रूप में 14 हज़ार करोड़ रुपए दिए गए हैं। सूखा प्रभावित किसानों की मदद के लिए भी 800 करोड़ रुपए से अधिक दिए गए हैं। हम सब जानते हैं, हरियाणा को हरित क्रांति का अगुआ बनाने में चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय ने बड़ी भूमिका निभाई है। अब 21वीं सदी में हरियाणा को फल और सब्ज़ी के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में महाराणा प्रताप विश्वविद्यालय का रोल अहम होगा। आज महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के नए कैंपस का शिलान्यास हुआ है। इससे इस यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे नौजवानों को नई सहूलियत मिलेगी।

साथियों,

आज मैं हरियाणा के आप सभी लोगों को, सभी बहनों को फिर से ये भरोसा दे रहा हूं कि राज्य का तेजी से विकास होगा, डबल इंजन की सरकार, तीसरे कार्यकाल में तीन गुना तेजी से काम करेगी। और इसमें यहां की नारीशक्ति की भूमिका इसी तरह लगातार बढ़ती रहेगी। आपका प्यार, आपका आशीर्वाद, यूं ही हम पर बना रहे। इसी कामना के साथ फिर से सभी को बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

बहुत-बहुत धन्यवाद।