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PM Modi inaugurates Dr Ambedkar National Memorial in Delhi, travels by Metro to the ceremony
Many Govts came to power after independence but what should have been done much before has happened now: PM Modi
Dr Ambedkar National Memorial will bring Baba Saheb closer to younger generation, says PM Modi
It is a matter of fortune for the Govt that we have got an opportunity to develop five places associated with Baba Saheb: PM Modi
Dr Ambedkar National Memorial is a symbol of an ordinary person's extraordinary life, says the PM
Last Govt closed files related to Ambedkar memorial, we reopened file to this project in 2014: PM
In 2015, we strengthened the law against atrocities on Dalits, we won’t allow dilution of SC/ST act: PM Modi at inauguration of Dr Ambedkar National Memorial in Delhi
I challenge the Congress to tell about a single work done by them for Baba Saheb, any single work done by them as a mark of respect to him: PM Modi

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी, 

श्री थावरचंद गहलोत जी,

श्री राम विलास पासवान जी,

डॉक्टर हर्षवर्धन जी,

श्री रामदास आठवले जी,

श्री कृष्ण पाल जी,

श्री विजय सांपला जी,

 

यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों, सबसे पहले मैं देश के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं कि आज उन्हें डॉक्टर आंबेडकर नेशनल मेमोरियल के तौर पर एक अनमोल उपहार मिला है। 

आज बाबा साहेब की स्मृति में बने इस नेशनल मेमोरियल को राष्ट्र को समर्पित करते हुए, मैं खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। देश में बैसाखी भी मनाई जा रही है। ये हमारे अन्नदाता- हमारे किसान के परिश्रम को पूजने का दिन है। मैं देश को बैसाखी की भी बधाई देता हूं। 

आज ही जलियांवाला बाग़ नरसंहार की बरसी भी है। 99 वर्ष पूर्व आजादी के दीवानों पर जिस तरह अंग्रेजी हुकूमत का कहर बरपा था, वो मानव इतिहास की सबसे हृदय विदारक घटनाओं में से एक है।

जलियांवाला बाग़ गोलीकांड में शहीद हर सेनानी को मैं नमन करता हूं।

 

साथियों, 

स्वतंत्रता के बाद से इतनी सरकारें आईं, इतना वक्त गुजर गया, लेकिन जो कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिए था वो अब हो रहा है। इसलिए, मेरे लिए इस जगह पर आना, इस कार्यक्रम में शामिल होना, उस जमीन पर खड़े होना, जहां बाबा साहेब ने आखिरी समय गुजारा था, बहुत ही भावुक है। बाबा साहेब के नाम पर, उनकी याद में निर्मित ये राष्ट्रीय स्मारक, देश की तरफ से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि है।

कल उनकी जन्म जयंती है और उससे एक दिन पहले यहां इस समारोह का आयोजन बाबा साहेब के प्रति हमारी सरकार की अटूट श्रद्धा को दर्शाता है।

इस पवित्र कार्य को पूरा करने के लिए, मैं सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और भारत सरकार के अन्य संबंधित विभागों की हृदय से प्रशंसा करता हूं। मेमोरियल के निर्माण में अपना पसीना बहाने वाले एक - एक श्रमिक को मेरा नमन है। उनमें से अधिकांश आज यहां नहीं होंगे, इस कार्यक्रम से दूर होंगे, लेकिन उन्हें मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है।

भाइयों और बहनों, अब आज से 26 अलीपुर रोड पर बनी ये स्मारक, दिल्ली ही नहीं, देश के मानचित्र पर हमेशा-हमेशा के लिए अंकित हो गई है। 

यहां आकर लोग बाबा साहेब के जीवन से जुड़ी बातों को, उनकी दृष्टि को, और बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। 

  • ये स्मारकएक असाधारण व्यक्ति के असाधारण जीवन का प्रतीक है। 
  • ये स्मारकमां भारती के होनहार सपूत के आखिरी दिनों की यादगार है।

 

भाइयों और बहनों,

इस स्मारक को एक किताब की शक्ल में तैयार किया गया है। वो किताब, हमारे देश का वो संविधान, जिसके शिल्पकार डॉक्टर आंबेडकर थे। 

जिस संविधान को रचकर,

बाबा साहेब ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को, लोकतांत्रिक बने रहने का रास्ता दिखाया था। 

आज की नई पीढ़ी, जब इस मेमोरियल में आएगी, तो यहां लगी प्रदर्शनी देखकर, यहां म्यूजियम में आधुनिक तकनीक के माध्यम से उनके जीवन के अहम पड़ावों को देखकर,

बाबा साहेब के जीवन के अथाह विस्तार को समझ पाएगी।

 

साथियों,

ये हमारी सरकार के लिए सौभाग्य की बात है कि उसे बाबा साहब आंबेडकर से जुड़े पांच स्थानों को पंच तीर्थ के तौर पर विकसित करने का अवसर मिला है। 

मध्य प्रदेश के महू में बाबा साहेब की जन्मभूमि, 

लंदन में डॉक्टर अंबेडकर मेमोरियलउनकी शिक्षाभूमि, 

नागपुर में दीक्षाभूमि, 

मुंबई में चैत्य भूमि और 

यहां दिल्ली में इस नेशनल मेमोरियल के तौर पर उनकी महापरिनिर्वाण भूमि। 

ये स्थान, ये तीर्थ, सिर्फ ईंट-गारे की इमारत भर नहीं हैं, बल्कि ये जीवंत संस्थाएं हैं, आचार-विचार के सबसे बड़े संस्थान हैं। 

साथियों,

ये दिव्य - भव्य इमारत इस सरकार के कार्य करने की संस्कृति का भी प्रतीक है। जब अटल जी की सरकार थी, तब यहां इस जमीन पर नेशनल मेमोरियल की बात आगे बढ़ी थी। 

लेकिन उनकी सरकार जाने के बाद कांग्रेस सरकार के समय इस प्रोजेक्ट पर काम रुक गया।

2014 में हमारी सरकार बनने के बाद एक बार फिर 26 अलीपुर रोड की फाइल को खोजकर निकाला गया। फाइल मिलने के बाद फिर तेजी से काम शुरू हुआ। 

21 मार्च, 2016 को मेमोरियल का शिलान्यास करते हुए ही मैंने कह दिया था कि 2018 में, बाबा साहेब की जयंती पर इसका लोकार्पण करने आऊंगा। समय की पाबंदी, संसाधनों पर विश्वास और सरकार की इच्छाशक्ति, किस तरह परिवर्तन लाती है, ये आज हम फिर देख रहे हैं।

 

साथियों,

लोकतंत्र में जब जनता जवाब मांगे, उससे पहले आपको स्वयं से अपनी जवाबदेही तय करनी होती है। आपको खुद को जवाब देना होता है।

लेकिन हमारे यहां पहले की सरकारों में इस तरह की जवाबदेही, कम ही देखी गई। इस व्यवस्था को इस सरकार में बदल दिया गया है। संभवत: आप में से कुछ लोग दिल्ली के 15 जनपथ पर बने आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर गए होंगे। 1992 में इस सेंटर का विचार सामने आया था। लेकिन 22 साल तक इसकी भी फाइल कहीं दबी रह गई। 

दिल्ली में कार्यभार संभालने के सालभर के भीतर ही अप्रैल 2015 में मैंने इस सेंटर का शिलान्यास किया और कुछ महीने पहले ही दिसंबर में इसका लोकार्पण भी किया। अब डॉक्टर आंबेडकर के विचारों का प्रतीक ये स्टेट ऑफ द आर्ट इंटरनेश्नल सेंटर दिल्ली की शान बना हुआ है।

 

भाइयों और बहनों,

व्यवस्था का ऐसा कायाकल्प तब होता है, जब बिल्कुल ग्राउंड लेवल पर जाकर कमियों को समझा जाए, उन्हें दूर किया जाए। 

अभी तीन दिन पहले मैं चंपारण में था। वहां से मैंने मधेपुरा में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री के फेज वन का भी लोकार्पण किया। इस प्रोजेक्ट की भी वही कहानी है। 

स्वीकृत हुआ साल 2007 में, लेकिन काम शुरू हुआ 2015 में। पहले की सरकार ने सात साल ऐसे ही गुजार दिए। हमारी सरकार के सिर्फ दो-ढाई साल के प्रयास से, अब इस फैक्ट्री में दुनिया के सबसे शक्तिशाली रेल इंजनों में से एक, मैन्यूफैक्चर भी होने लगा है। मैं आपको इस तरह के प्रोजेक्ट की लिस्ट गिनाने लग जाऊं तो सुबह हो जाएगी। देश को स्वतंत्रता के बाद अटकाने-भटकाने-लटकाने की कार्यसंस्कृति मिलेगी, ये तो बाबा साहेब ने कभी नहीं सोचा था। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि आने वाली सरकारों में परियोजनाएं तीस-तीस-चालीस-चालीस साल तक पूरी नहीं होंगी। योजनाओं का इस तरह अधूरा रहना, देश के प्रति बहुत बड़ा अपराध है। 

साथियों,

पिछले चार साल से हमारी सरकार खोज-खोज कर बरसों से अधूरी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने का काम कर रही है।

सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय की निगरानी में होने वाली प्रगति की बैठकों के माध्यम से साढ़े 9 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की अधूरी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने का काम किया गया है। पिछले चार साल में प्रगति की बैठकों से, देश के विकास में गति आई है।

 

साथियों,

अभाव का रोना नहीं और प्रभाव से विचलित नहीं होना, ये मंत्र हर किसी के लिए एक ताकत बन जाता है। ये ताकत देने का काम बाबा साहेब आंबेडकर ने हमें  अपने जीवन से दिया है। इसलिए इस सरकार में भी आपको अभाव का रोना नहीं दिखेगा। हम तो अपने संसाधनों पर, अपने सामर्थ्य पर भरोसा करके आगे बढ़ रहे हैं। इसी सोच ने हमें लक्ष्य तय करना और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देना सिखाया है।

 

भाइयों और बहनों,

आज से ठीक एक महीना पहले, यहीं दिल्ली में एक कार्यक्रम हुआ था। पूरी दुनिया के लोग जुटे थे। उस कार्यक्रम में दुनिया के बाकी देशों ने बात रखी कि कैसे TB को 2030 तक खत्म किया जाए। उसी बैठक में भारत ने ऐलान किया कि वो साल 2025 तक TB को पूरी तरह खत्म करने के लिए काम करेगा।

यानि हमने अपने लिए लक्ष्य प्राप्त करने की समय सीमा को, बाकी देशों के मुकाबले 5 साल और कम कर लिया है। 

अब आप सोचिए। पहले की सरकारें, काम पूरा होने की तारीख आगे बढ़ाने में दिमाग खपाती थीं, ये सरकार काम पूरा करने की तारीख को और पहले करने में विश्वास रखती है। चाहे देश के दूर - दराज वाले इलाकों में गर्भवती महिलाओं और बच्चों के टीकाकरण का कार्यक्रम हो या ग्रामीण सड़कों को जोड़ने की योजना, इस सरकार में लक्ष्य पूरा होने की आखिरी तारीख को दो-दो, तीन-तीन साल कम कर दिया है। 

साथियों,

बाबा साहब की विचारधारा के मूल में समानता अनेक रूपों में निहित रही है।

सम्मान की समानता, 

कानून की समानता,

अधिकार की समानता,

मानवीय गरिमा की समानता,

अवसर की समानता। 

ऐसे कितने ही विषयों को बाबा साहेब ने अपने जीवन में लगातार उठाया। उन्होंने हमेशा उम्मीद जताई थी कि भारत में सरकारें संविधान का पालन करते हुए बिना पंथ का भेद किए हुए, बिना जाति का भेद किए हुए चलेंगी। आज इस सरकार की हर योजना में आपको सामाजिक न्याय और बिना किसी भेदभाव, सभी को समानता का अधिकार देने का प्रयास दिखेगा। दशकों से हमारे देश में जो असंतुलन बना हुआ था, उसे इस सरकार की योजनाएं समाप्त करने का काम कर रही हैं। 

जैसे जनधन योजना। स्वतंत्रता के इतने वर्षों के बाद भी करोड़ों लोगों के पास बैंक अकाउंट न होना, बहुत बड़ा सामाजिक अन्याय था। इसे खत्म करने का काम हमने किया। जनधन योजना के तहत अब तक देश में 31 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खुलवाए जा चुके हैं। इसी तरह देश के करोड़ों घरों में शौचालय न होना भी सामाजिक अन्याय का ही एक पहलू था। स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश में इस सरकार ने

7 करोड़ शौचालय बनवाए हैं। इनमें से लगभग सवा 2 करोड़ शौचालय ग्रामीण इलाकों में रहने वाले दलित और आदिवासियों के घरों में बने हैं। पिछले चार वर्षों में देश ने देखा है कि किस तरह शौचालयों से इज्जत भी आती है, समानता भी आती है। 

भाइयों और बहनों।

आज के इस आधुनिक दौर में किसी के घर में बिजली न हो, ये भी बहुत बड़ा सामाजिक अन्याय है। हमारे यहां तो 2014 में 18 हजार से ज्यादा गांव ऐसे थे, जहां तक बिजली पहुंची ही नहीं थी। वो 18वीं सदी में ही जी रहे थे। डंके की चोट पर लाल किले से ऐलान करके हमारी सरकार इन गावों तक बिजली पहुंचा रही है। अब तक 16 हजार से ज्यादा गांवों में बिजली पहुंचाई भी जा चुकी है। 

अब तो हमने हर घर को बिजली कनेक्शन से जोड़ने का भगीरथ काम भी शुरू कर दिया है।

प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत देश के 4 करोड़ घरों में बिजली कनेक्शन मुफ्त दिया जा रहा है। जब घर में रोशनी होगी, तो पूरे समाज में भी प्रकाश फैलेगा। स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली मुद्रा योजना भी दशकों से हो रहे अन्याय को खत्म करने का काम कर रही है। 

बैंक से कर्ज, सिर्फ बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाने वाले लोगों को ही मिले, अपने दम पर कुछ करने का सपना देख रहा नौजवान, बैंक गारंटी के नाम पर भटकता रहे, ये स्थिति ठीक नहीं। इसलिए हमारी सरकार ने बिना बैंक गारंटी लोन लेने का विकल्प दिया।  मुद्रा योजना के तहत अब तक 12 करोड़ से ज्यादा Loan स्वीकृत किए गए हैं। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार के असीमित द्वार खुलना संभव हुआ है।  मुद्रा योजना के तहत 2 करोड़ 16 लाख से ज्यादा दलित लाभार्थियों का फायदा भी हुआ है। 

साथियों,

इस बजट में सरकार ने एक और बड़ी योजना का ऐलान किया है। पूरी दुनिया में इस योजना की चर्चा हो रही है। ये योजना, सामाजिक असंतुलन दूर करने की दिशा में हमारा बहुत बड़ा प्रयास है। इस योजना का नाम है- आयुष्मान भारत। इस योजना के तहत सरकार, देश के लगभग 11 करोड़ गरीब परिवारों यानि करीब-करीब 45 से 50 करोड़ लोगों को हेल्थ एश्योरेंस देने जा रही है। गरीब परिवार में अगर कोई बीमार पड़ता है, तो उसे 5 लाख रुपए तक का इलाज सुनिश्चित किया जाएगा।

 

साथियों,

आज देश के किसी भी कोने में आप चले जाइए, तो वहां पर ग्रामीण महिलाओं में जिस योजना की सबसे ज्यादा चर्चा है, वो है उज्जवला।  दशकों तक देश में ऐसी स्थिति रही कि गांव के कुछ घरों में ही गैस कनेक्शन था। गैस कनेक्शन होने की वजह से उन घरों की अपनी पहचान थी। जिन घरों में गैस नहीं थी, वो सामाजिक अन्याय का ही एक उदाहरण थे। उज्जवला योजना के तहत सरकार ने देश में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा गैस कनेक्शन मुफ्त दिए हैं। अब इसका लक्ष्य बढ़ाकर 8 करोड़ कनेक्शन कर दिया गया है। मैं समझता हूं कि बीते कई दशकों की योजनाओं की तुलना कर लें, तो भी सामाजिक न्याय स्थापित करने वाली ये सबसे लोकप्रिय योजना है।

 

साथियों,

इस सरकार में कानून के माध्यम से सामाजिक संतुलन को स्थापित करने का भी निरंतर प्रयास किया गया है।ये हमारी ही सरकार है जिसने साल 2015 में दलितों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए कानून को और सख्त किया था।

 

दलितों पर होने वाले अत्याचारों की लिस्ट को 22 अलग-अलग अपराधों से बढ़ाकर 47 कर दिया था। यानि अब दलितों के खिलाफ 47 अलग-अलग अपराधों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।   साथियों, जब हमारी सरकार ने इस कानून को संशोधित किया था, तब आरोपियों को अग्रिम जमानत न देने का जो प्रावधान था, उसे यथावत रखा गया था।  पीड़ितों को मिलने वाली राशि भी इसी सरकार ने बढ़ाई। इस कानून का कड़ाई से पालन हो, इसके लिए, हमारी सरकार ने पहले की सरकार के मुकाबले दोगुने से ज्यादा राशि खर्च की।  जब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को इस अधिनियम से जुड़ा फैसला दिया, तो सिर्फ 12 दिन में पुनर्विचार याचिका भी

दाखिल की गई।

  • मैं आज इस अवसर पर देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जिस कानून को हमारी सरकार ने ही सख्त किया है, उस पर प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाएगा। मेरा आग्रह है लोगों से, कांग्रेस और कांग्रेस कल्चर के सामने आत्मसमर्पण करने वाले दलों के जाल में न फंसे।

 

साथियों,

अपने दलित भाई-बहनों, पिछड़ों-आदिवासियों के सम्मान के लिए, उनके अधिकार के लिए हमारी  सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

 SC/ST पर अत्याचार से जुड़े मामलों की तेज सुनवाई के लिए special courts का गठन किया जा रहा है।  सरकार ने पिछड़ी जातियों के सब-कैटेगरी के लिए कमीशन के गठन का निर्णय भी किया है। सरकार चाहती है कि OBC समुदाय में जो अति पिछड़े हैं, उन्हें सरकार और शिक्षण संस्थाओं में तय सीमा में रहते हुए आरक्षण का और ज्यादा फायदा मिले। इसलिए OBC समुदाय में सब-कैटेगरी बनाने के लिए कमीशन बनाया गया है।

 

साथियों,

पहले 6 लाख रुपए सालाना की आय वाले कर्मचारी क्रीमी लेयर के दायरे में आ जाते थे। सरकार ने इसे बढ़ाकर 8 लाख रुपए प्रतिवर्ष कर दिया है। यानि अब पिछड़े वर्ग के और ज्यादा लोगों को OBC आरक्षण का फायदा मिल रहा है।  पहले सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों में क्रीमी लेयर की समानता नहीं थी। इस असंतुलन को खत्म करने की मांग पिछले 24 साल से की जा रही थी। इस सरकार ने कुछ महीना पहले ये असंतुलन खत्म कर दिया है। केंद्र में आने के बाद सरकार ने ऐसे पदों को भरने में भी तेजी दिखाई है जो  दलितों-पिछड़ों के लिए आरक्षित हैं। 

साथियों,

सामाजिक अधिकार इस सरकार के लिए सिर्फ कहने-सुनने की बात नहीं, बल्कि एक कमिटमेंट है। 

जिस ‘न्यू इंडिया’ की बात मैं करता हूं वो बाबा साहेब के भी सपनों का भी भारत है।  डॉक्टर आंबेडकर की 125वीं जन्म जयंती को देश-विदेश में बहुत ही भव्य तरीके से मनाया गया। इस दौरान विशेष डाक टिकट, सिक्के जारी किए गए। 

गणतंत्र दिवस पर बाबा साहेब से संबंधित झांकी निकाली गई। अमेरिका और ब्रिटेन में जहां बाबा साहेब ने पढ़ाई की थी, वहां पर अनेक विद्यार्थियों को भेजा गया। 

सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए 26 नवंबर को जिस दिन, संविधान को स्वीकार किया गया था, उसे संविधान दिवस घोषित किया और पहली बार संविधान पर संसद में दो दिन तक चर्चा भी की गई।

 

भाइयों और बहनों,

मैं आज देश के लोगों को स्पष्ट कहना चाहता हूं कि ये बाबा साहेब की सत्यनिष्ठा, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्र निर्माण के पवित्र यज्ञ में उनका योगदान ही है जिसकी वजह से वो भारतीयों के हृदय में निवास करते हैं। 

वरना कांग्रेस ने पूरी शक्ति लगा दी थी देश के इतिहास से उनका नामो-निशान मिट जाए।  ये इतिहास की बहुत कड़वी सच्चाई है कि जब बाबा साहेब जीवित थे, तब भी कांग्रेस ने उनके अपमान में कोई

कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी थी।

इसलिए भाइयों और बहनों, 

  • आज की पीढ़ी के लिए जानना आवश्यक है कि कैसे कांग्रेस ने बाबा साहेब को जीवित रहते और उनके निधन के बाद भी अपमानित किया।

 

  • आज की पीढ़ी के लिए ये जानना भी आवश्यक है कि कैसे बाबा साहेब ने कांग्रेस का असली चरित्र देश के सामने रखा था।

 

  • आज की पीढ़ी के लिएये जानना भी जरूरी है कि जब कांग्रेस आरोपों से घिरती हैतो कैसे सामने वाले व्यक्ति को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए

साम-दाम-दंड-भेदहर तरह से साजिश रचने लगी है।

 

कांग्रेस और बाबा साहेब के बीच जब संबंध टूटने का आखिर दौर था, उस समय के बारे में आपसे विस्तार से बात करना चाहता हूं। ये बातें याद करनी इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि ये कांग्रेस का असली चेहरा सामने लाती हैं।

 

साथियों,

तमाम विवादों की वजह से बाबा साहेब ने नेहरू जी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। अपने बयान में बाबा साहेब ने एक - एक करके अपनी तकलीफों का जिक्र किया था। 

वो वजहें भी विस्तार से बताईं थीं, जिनकी वजह से उन्होंने इस्तीफा दिया। मैं उस बयान की कुछ पंक्तियों के बारे में आपको बताना चाहता हूं। 

ये बताना इसलिए बहुत महत्वपूर्ण हैताकि देशभर का दलित समाज,

देश भर का आदिवासीपिछड़ा समाजप्रत्येक भारतवासी ये जाने किदेश में इमरजेंसी लगाने वाली कांग्रेस ने संविधान के रचयिता के साथ कैसा सलूक किया था।

 

साथियों, बाबा साहेब ने लिखा था-

मुझे कैबिनेट की किसी कमेटी में नहीं लिया गया। 

 ही विदेश मामलों की कमेटी में, 

 ही रक्षा कमेटी में। 

जब आर्थिक मामलों की कमेटी बन रही थीतो मुझे लगा कि उसमें मुझे जरूर शामिल किया जाएगाक्योंकि मैं अर्थशास्त्र और वित्तीय मामलों का छात्र रहा हूं। लेकिन मुझे उसमें भी छोड़ दिया गया।

 

बाबा साहेब को लेकर कांग्रेस की क्या सोच थी, उसकी ये सच्चाई 70 साल पहले की है। 

जिस व्यक्ति ने दुनिया के एक से बढ़कर एक विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की हो, उस व्यक्ति का कांग्रेस में पल-पल अपमान किया गया। 

खुद बाबा साहेब ने कहा है कि उन्हें सिर्फ एक मंत्रालय दिया गया जिसमें बहुत काम नहीं था। वो सोचते थे योजनाएं बनाने के काम से जुड़ेंगे, जिन विषयों के वो सिद्धस्त हैं, उनमें अपने अनुभव का फायदा देश को देंगे, लेकिन उन्हें इन सबसे दूर रखा गया।  यहां तक की मंत्रिमंडल विस्तार के समय, किसी मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी तक बाबा साहेब को नहीं दी गई। 

साथियों,

एक और बड़ी वजह थी जिसकी वजह से बाबा साहेब ने इस्तीफा दिया। ये वजह भी बताती है कि कांग्रेस का देश के दलितों, देश के पिछड़ों के साथ क्या व्यवहार रहा है।

अपने बयान में बाबा साहेब ने लिखा था- 

अब मैं आपको वजह बताना चाहता हूं जिसने सरकार से मेरा मोहभंग कर दिया। ये पिछड़ों और दलितों के साथ किए जा रहे बर्ताव से जुड़ा है। 

मुझे इसका अफसोस है कि संविधान में पिछड़ी जातियों के हितों के संरक्षण के लिए उचित प्रावधान नहीं हैं। ये कार्य एक आयोग की सिफारिशों के आधार पर होना था। 

संविधान को लागू हुए एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन सरकार ने अब तक आयोग नियुक्त करने के बारे में सोचा तक नहीं है

 

साथियों,

तब से लेकर आज तक, कांग्रेस की सोच नहीं बदली है। 70 साल पहले पिछड़ी जातियों के खिलाफ आयोग को लेकर कांग्रेस ने बात आगे नहीं बढ़ने दी। यहां तक की डॉक्टर आंबेडकर को इस्तीफा तक देना पड़ा।

आज 70 साल भी कांग्रेस संसद में OBC कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने के काम को रोकने का काम कर रही है।  OBC कमीशन को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद इस आयोग को भी ST/SC आयोग की तरह शक्तियां हासिल हो जाएंगी। लेकिन कांग्रेस इसमें भी अड़ंगा लगा रही है।

 

साथियों,

आप सभी से मैंने बाबा साहेब के इस्तीफे के प्रकरण पर इतना विस्तार से इसलिए बात की, क्योंकि कांग्रेस द्वारा ये भ्रम फैलाया जाता है कि उसने तो बाबा साहेब को देश का कानून मंत्री बनाया था।

कानून मंत्री बनाने के बाद बाबा साहेब के साथ जो बर्ताव कांग्रेस ने किया, वो हर भारतीय को जानना चाहिए।  क्योंकि स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस ने इकोसिस्टम ऐसा बनाया कि देश का इतिहास सिर्फ एक परिवार के इर्द-गिर्द सिमटकर रह गया। 

जिसने कांग्रेस के इकोसिस्टम के आगे घुटने नहीं टेकेउसे किताबों तक में जगह नहीं मिली।

 

साथियों,

1951 में कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद बाबा साहेब ने 1952 में लोकसभा का आम चुनाव लड़ा था। 

कांग्रेस ने उस समय न सिर्फ उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा बल्कि खुद नेहरू जी, बाबा साहेब के खिलाफ प्रचार करने भी गए। कांग्रेस द्वारा पूरी शक्ति लगाने की वजह से बाबा साहेब को हार का अपमान सहना पड़ा। 

इसके बाद उन्होंने 1953 में भंडारा सीट से लोकसभा का उपचुनाव लड़ा। कांग्रेस ने फिर उनके खिलाफ उम्मीदवार उतारा और फिर बाबा साहेब को लोकसभा में पहुंचने से रोक दिया। इस लगातार अपमान के समय उनका साथ दिया था, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने। उन्हीं के प्रयासों से बाबा साहेब राज्यसभा में पहुंचे। 

साथियों,

 मैं चुनौती देता हूं कांग्रेस को।

वो एक काम बता दें जो उसने बाबा साहेब के लिए किया है। 

वो एक काम बता दें जो उसने बाबा साहेब के सम्मान के लिए किया है।

 

भाइयों और बहनों,

हमें, आपको, पता है कि कांग्रेस के पास इसका कोई जवाब नहीं है। जवाब के नाम पर वो सिर्फ झूठ बोल सकती है। सच्चाई ये है कि बाबा साहेब के निधन के बाद कांग्रेस ने राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को भी मिटाने की कोशिश की। नेहरू जी से लेकर राजीव गांधी तक, कांग्रेस ने तमाम लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया, लेकिन उसे कभी बाबा साहेब ‘भारत के रत्न’ नहीं लगे।

बाबा साहेब को भारत रत्न तब मिला, जब वी.पी.सिंह जी की सरकार बनी, जब अटलजी, आडवाणी जी ने उनसे बाबा साहेब को भारत रत्न देने का आग्रह किया।

ये बीजेपी की ही कोशिश थी, कि संसद के सेंट्रल हॉल में बाबा साहेब का चित्र लगाया गया।

वरना बाबा साहेब का चित्र लगाने के खिलाफ ये तर्क दिया जाता था कि सेंट्रल हॉल में जगह नहीं है।

सोचिए, जिस व्यक्ति ने सेंट्रल हॉल में बैठेकर संविधान को रचा हो, उसकी बारीकी पर घंटों चर्चा की हो, कांग्रेस शासन के दौरान उसी के लिए सेंट्रल हॉल में कोई जगह नहीं थी।

 

भाइयों और बहनों,

मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर 90 के दशक में देश में पिछड़ों और दलितों के अधिकारों पर राष्ट्रव्यापी चर्चा नहीं शुरू हुई होतीतो कांग्रेस आज भी बाबा साहेब से अपनी नफरत सार्वजनिक तौर पर वैसे ही दिखातीजैसे पहले दिखाती थी।

कांग्रेस को बाबा साहेब के नाम में वोटबैंक नजर आता हैसत्ता नजर आती हैइसलिए वो अब मजबूरी में उनका नाम लेने का दिखावा करने लगी है। 

मैं समझता हूं, कांग्रेस के अपने इतिहास में, बाबा साहेब का नाम लेना उसकी सबसे बड़ी मजबूरियों में से एक है। 

ये बाबा साहेब के महान कर्मों कादेश के लिए उनकी सेवा का फल है कि एक परिवार की पूजा करने वालेउस परिवार को देश का भाग्यविधाता समझने वालेअब दिल पर पत्थर रखकर बाबा साहेब का नाम ले रहे हैं। 

लेकिन मुझे पता है, कांग्रेस ये भी नहीं करेगी। वो सिर्फ भ्रम फैला सकती है, दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों को झूठ बोल सकती है, उनके बीच अफवाह फैला सकती है। इस कोशिश की एक तस्वीर इस महीने की दो तारीख को हम देख चुके हैं। कभी आरक्षण खत्म किए जाने की अफवाह फैलाना, कभी दलितों के अत्याचार से जुड़े कानून को खत्म किए जाने की अफवाह फैलाना, भाई से भाई को लड़ाने में कांग्रेस कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही।

 

साथियों,

कांग्रेस कभी नहीं चाहती थी और  आज चाहती है कि दलित और पिछड़े विकास की मुख्यधारा में आएं। 

जबकि हमारी सरकार, बाबा साहेब के दिखाए रास्ते पर चलते हुए, सबका साथ-सबका विकास के मंत्र के साथ समाज के हर वर्ग तक विकास का लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है।

कोई भी राजनीतिक दल और व्यक्ति जो ईमानदारी के साथ बाबा साहेब के नाम की माला जपता हैउनमें आस्था रखता हैकभी कांग्रेस के साथ नहीं जा सकता।

 

साथियों,

मैं अगर गरीब और पिछड़े परिवार में पैदा नहीं हुआ होता, तो बाबासाहेब को इतनी आसानी से समझ ही नहीं पाता। मैंने गरीबी देखी है, जाति से जुड़े अपशब्द भी सुने हैं, ताने भी सुने हैं। इसलिए मेरे जैसे व्यक्ति के लिए ये अनुभव सहज रहा कि उस कालखंड में बाबासाहेब को क्या-क्या सहना पड़ा। बाबा साहेब की प्रेरणा से ही, कल से, यानि उनकी जयंती से, देश में ग्राम स्वराज अभियान की शुरुआत होने जा रही है। मैं खुद भी छत्तीसगढ़ के बीजापुर में रहूंगा। कल से देश में क्षेत्रीय विकास में होने वाले असंतुलन, स्वास्थ्य में होने वाले असंतुलन को खत्म करने के लिए एक नए अध्याय की भी शुरुआत होगी। 

साथियों,

सामाजिक न्याय इस सरकार के लिए सिर्फ कहने-सुनने की बात नहीं, बल्कि एक कमिटमेंट है। लेकिन जिस तरह की घटनाएं हमने बीते दिनों में देखीं हैं, वो सामाजिक न्याय की अवधारणा को चुनौती देती हैं। 

पिछले दो दिनो से जो घटनाये चर्चा में है वो निश्चित रूप से किसी भी सभ्य समाज के लिये शर्मनाक है। हमारे स्वतंत्रा सेनानियो ने जिन्होंने अपनी ज़िंदगी इस देश के भविष्य के लिए बलिदान कर दी यह उनके बलिदान का अपमान है। 

एक समाज के रूप में, एक देश के रूप में हम सब इस के लिए शर्मसार है. देश के किसी भी राज्य में, किसी भी क्षेत्र में होने वाली ऐसी वारदातें, हमारी मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देती हैं।  मैं देश को विश्वास दिलाना चाहता हूँ की कोई अपराधी बचेगा नहीं, न्याय होगा और पूरा होगा। हमारे समाज की इस आंतरिक बुराई को खत्म करने का काम, हम सभी को मिलकर करना होगा। 

मैंने तो लाल किले से बोलने का साहस किया था कि लड़की से नहीं, लड़कों से पूछो। हमें पारिवारिक व्यवस्था, Social Values से लेकर न्याय व्यवस्था तक, सभी को इसके लिए मजबूत करना होगा ।

तभी हम बाबा साहेब के सपनों का भारत बना पाएंगे, न्यू इंडिया बना पाएंगे। 

बाबा साहेब का आशीर्वाद आप  सभी पर भी बना रहे, उनके विचारों से आप भी निरंतर प्रेरणा लेते रहें, इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।

एक बार फिर आप सभी को, देश के सभी लोगों को, डॉक्टर आंबेडकर नेशनल मेमोरियल के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद !!!

 

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PM flags off Assam’s first Vande Bharat Express connecting Guwahati to New Jalpaiguri
May 29, 2023
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Dedicates newly electrified sections and newly constructed DEMU/MEMU shed
“First Vande Bharat Express of Northeast will boost tourism and enhance connectivity”
“The last 9 years have been of unprecedented achievements for building a New India”
“Our government has prioritized the welfare of the poor”
“Infrastructure is for everyone and it does not discriminate, Infrastructure development is true social justice and true secularism”
“The biggest beneficiaries of the infrastructure push have been the states of Eastern and Northeastern India”
“Indian Railway has become a medium of connecting hearts, societies and opportunities to the people along with speed”

The Prime Minister, Shri Narendra Modi flagged off Assam’s first Vande Bharat Express via video conferencing today. The Vande Bharat Express will connect Guwahati with New Jalpaiguri Guwahati and the journey will take 5 hrs 30 mins. The Prime Minister also dedicated 182 Route kilometers of newly electrified sections and inaugurated a newly constructed DEMU/MEMU shed at Lumding in Assam

Addressing the gathering, the Prime Minister said that today is a huge day for the connectivity of the Northeast as three development works are being accomplished together. Firstly, the Prime Minister elaborated, Northeast is getting its first Vande Bharat Express today where this is the third Vande Bharat Express which connects West Bengal. Secondly, approximately 425 kilometers of railway tracks in Assam and Meghalaya have been electrified. And, thirdly, a new DEMU/MEMU shed has been inaugurated in Lumding in Assam. The Prime Minister congratulated the citizens of the entire Northeast along with Assam, Meghalaya and West Bengal on this momentous occasion.

The Prime Minister said that the Guwahati -New Jalpaiguri Vande Bharat train will strengthen the centuries-old ties between Assam and West Bengal. This will increase ease of travel and provide huge benefits to students and will increase job opportunities arising out of tourism and business. He said that this Vande Bharat will provide connectivity to Maa Kamakhya Temple, Kaziranga, Manas National Park, and Pobitora Wildlife Sanctuary. Furthermore, the Prime Minister pointed out that it will enhance travel and tourism in Shillong, Cherrapunji in Meghalaya and Tawang and Pasighat in Arunachal Pradesh.

Throwing light on the 9 years of the NDA government in power, the Prime Minister remarked that the nation has witnessed numerous accomplishments and unprecedented development towards a new India in these years. He highlighted the newly inaugurated magnificent Parliament House of independent India and said that it will connect the thousand-year-old democratic history of India with its prosperous democracy of the future. Referring to past governments, the Prime Minister pointed out that the scams of before 2014 had broken all records where the maximum impact was felt by the poor and the states which lagged behind in development. “Our government has prioritized the welfare of the poor”, the Prime Minister remarked as he gave examples of houses, toilets, tapped water connections, electricity, gas pipelines, the development of AIIMS, infrastructure boost to roads, railways, airways, airways, waterways, ports and mobile connectivity. He underlined that the government has worked at full strength to achieve these goals. Noting that infrastructure makes people’s lives easier, creates employment opportunities and becomes a basis for development, the Prime Minister mentioned that the infrastructure development pace in India is being discussed all over the globe. This infrastructure, the Prime Minister said, strengthens and empowers the poor, backward, dalits, adivasis and other deprived sections of the society. “Infrastructure is for everyone and it does not discriminate”, the Prime Minister said as he underlined that this form of development is the pure form of social justice and secularism.

The Prime Minister said that the biggest beneficiaries of the infrastructure push have been the states of Eastern and Northeastern India. He said that earlier, the people of the Northeast remained deprived of even the basic facilities for decades. He said that a large number of villages and families which did not have electricity, telephone or good rail road air connectivity until 9 years ago were from the Northeast.

The Prime Minister presented rail connectivity in the region as an example of work with a service spirit. The rail connectivity in the northeast is proof of the government’s speed, scale and intention, the Prime Minister said. The Prime Minister said that even in colonial times Assam, Tripura and Bengal were connected with railways, even though, with an intention to loot the natural resources of the region. However, even after Independence, the expansion of railways in the region was ignored and finally fell on the current government after 2014.

Shri Modi said that he has given the highest priority to Northeast people's sensitivities and facilities. This change has been widely felt, he added. He informed that before 2014, the average railways budget for the Northeast was about 2500 crore rupees which has grown to more than 10 thousand crores this year, a four-fold increase. Now capitals of Manipur, Mizoram, Nagaland, Meghalaya and Sikkim are being connected to the rest of the country, “Very soon all capital cities of the Northeast are going to be connected with a broad gauge network”, he said, “One lakh crore rupees are being spent on these projects.”

“The scale and speed of the development works of the government has been unprecedented”, the Prime Minister remarked as he noted that new rail lines are being laid in the Northeast at three times the pace than before and the doubling of rail lines is taking place 9 times faster than before. The Prime Minister mentioned that the work for doubling of rail lines began in the last 9 years and the government is working towards saturation at a very fast pace.

The Prime Minister credited the pace of development which led to many remote areas of the Northeast being connected with railways. He informed that Nagaland got its second railway station after almost 100 years. Now, the Prime Minister said, Vande Bharat Semi High-speed trains and Tejas Express are running on the same path where once stood a narrow gauge line capable of low speeds. He also mentioned the Vista Dome coaches of the Indian Railways which have become a center of attraction for tourists.

“Indian Railway has become a medium of connecting hearts, societies and opportunities to the people along with speed”, the Prime Minister remarked as he highlighted the first transgender tea stall at Guwahati Railway Station. He stated that it is an attempt to give a life of respect to those who expect better behaviour from society. Under the 'One Station, One Product' scheme, the Prime Minister highlighted that stalls have been set up at railway stations in the Northeast which give emphasis to Vocal for Local thereby providing a new market for local artisans, artists, and craftsmen. He also gave the example of Wi-Fi facilities provided at hundreds of stations in the Northeast. “It is only with this combination of sensitivity and speed that Northeast will move forward on the path of progress and pave the way towards a developed India.

Background

The state-of-the-art Vande Bharat Express will provide the people of the region with the means to travel with speed and comfort. It will also boost tourism in the region. Connecting Guwahati with New Jalpaiguri, the train will help save about an hour of journey time, when compared with the current fastest train connecting the two places. Vande Bharat will cover the journey in 5 hrs 30 mins, while the current fastest train takes 6 hrs 30 mins to cover the same journey.

The Prime Minister dedicated 182 Route kilometers of newly electrified sections. This will help provide pollution-free transportation with trains running at higher speeds and reduced running time of trains. It will also open the doors for trains running on electric traction to enter Meghalaya.

The Prime Minister also inaugurated a newly constructed DEMU/MEMU shed at Lumding in Assam. This new facility will be helpful for maintaining DEMU rakes operating in this region, leading to better operational feasibility.