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“अमृत काल के इस बजट ने हरित विकास की गति को तेज किया है”
“इस सरकार का हर बजट वर्तमान चुनौतियों का समाधान खोजने के साथ-साथ नए युग के सुधारों को आगे बढ़ता रहा है”
“हरित ऊर्जा को लेकर इस बजट में की गई घोषणाएं भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य की आधारशिला हैं और उसके लिए मार्ग प्रशस्त करती हैं”
“यह बजट वैश्विक हरित ऊर्जा बाजार में भारत को एक अगुआ के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा”
“भारत 2014 के बाद से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तेज गति से बढ़ाने के मामले में विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे आगे रहा है”
“भारत में सौर, पवन और बायोगैस की क्षमता हमारे निजी क्षेत्र के लिए किसी सोने की खान या तेल क्षेत्र से कम नहीं है”
“भारत की वाहनों के स्क्रैप संबंधी नीति हरित विकास की रणनीति का एक अहम हिस्सा है”
“भारत में हरित ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करने की अपार क्षमता है। यह हरित रोजगार सृजित करने के अलावा वैश्विक कल्याण को आगे बढ़ाएगा।”
“यह बजट एक अवसर ही नहीं, बल्कि हमारे भविष्य की सुरक्षा की गारंटी भी है”

नमस्कार जी।

2014 के बाद से भारत में जितने भी बजट आए हैं, उनमें एक पैटर्न रहा है। पैटर्न ये है कि हमारी सरकार का हर बजट वर्तमान चुनौतियों के समाधान के साथ ही New Age Reforms को आगे बढ़ाता रहा है। Green Growth और Energy Transition के लिए भारत की रणनीति के तीन मुख्य स्तंभ रहे हैं। पहला- Renewable Energy का प्रोडक्शन बढ़ाना। दूसरा- अपनी अर्थव्यवस्था में fossil fuels का इस्तेमाल कम करना। और तीसरा- देश के अंदर gas based economy की तरफ तेज गत‍ि से आगे बढ़ना। इसी रणनीति के तहत, चाहे इथेनॉल ब्लेंडिंग हो, पीएम-कुसुम योजना हो, सोलर मैन्यूफैक्चरिंग के लिए incentive देना हो, Roof-top Solar Scheme हो, Coal Gasification हो, Battery Storage हो, बीते वर्षों के बजट में अनेक महत्वपूर्ण घोषणाएं हुई हैं। इस साल के बजट में भी इंडस्ट्री के लिए green credits हैं, तो किसानों के लिए PM PRANAM योजना है। इसमें गांवों के लिए गोबरधन योजना है तो, शहरी क्षेत्रों के लिए vehicle scrapping policy है। इसमें ग्रीन हाईड्रोजन पर बल है, तो wetland conservation पर भी उतना ही फोकस है। Green Growth को लेकर इस साल के बजट में जो प्रावधान किए गए हैं, वो एक तरह से हमारी भावी पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य का शिलान्यास हैं।

Friends,

भारत Renewable Energy resources में जितना कमांडिंग पोजीशन में होगा उतना ही बड़ा बदलाव वो पूरे विश्व में ला सकता है। ये बजट भारत को Global Green Energy market में एक लीड प्लेयर के रूप में स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाएगा। इसलिए मैं आज energy world से जुड़े हर स्टेकहोल्डर को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित करता हूं। विश्व आज अपनी Renewable Energy supply chains को diversify कर रहा है। ऐसे में इस बजट के माध्यम से भारत ने हर Green Investor को अपने यहां निवेश का बेहतरीन अवसर दिया है। ये इस सेक्टर में आ रहे स्टार्ट-अप्स के लिए भी बहुत ही उपयोगी साबित होने जा रहा है।

साथियों,

2014 के बाद से ही भारत major economies में renewable energy capacity addition में सबसे तेज रहा है। हमारा ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि renewable energy resources को लेकर भारत जो लक्ष्य तय करता है, उसे समय से पहले पूरा करके दिखाता है। हमारी installed electricity Capacity में 40 परसेंट non-fossil fuel के योगदान के लक्ष्य को भारत ने 9 साल पहले ही प्राप्त कर लिया। पेट्रोल में 10 परसेंट इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को भी भारत ने 5 महीना पहले ही हासिल कर लिया। 20 परसेंट इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को भी भारत ने 2030 से कम करके 2025-26 तक पूरा करने का न‍िर्धारित क‍िया। वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट non-fossil-based electricity capacity हासिल करके रहेगा। हमारी सरकार जिस तरह Bio-Fuels पर जोर दे रही है, वो सभी investors के लिए बहुत बड़ी opportunity लेकर आया है। अभी हाल ही में मैंने E20 Fuel को भी लॉन्च किया है। हमारे देश में Agri-Waste की कमी नहीं है। ऐसे में देश के कोने-कोने में Ethanol Plants की स्थापना के मौके को investors को छोड़ना नहीं चाहिए। भारत में solar, wind, bio-gas का जो potential है, वो हमारे private sector के लिए किसी Gold Mine या Oil Field से कम नहीं है।

Friends,

National Green Hydrogen Mission के माध्यम से भारत हर साल 5 MMT Green Hydrogen के प्रॉडक्शन का लक्ष्य लेकर चल रहा है। प्राइवेट सेक्टर को encourage करने के लिए इस मिशन में 19 हजार करोड़ रुपए से अधिक का प्रावधान किया गया है। Green Hydrogen के production के साथ ही आपके लिए और भी बहुत सारे Options हैं। जैसे electrolyser manufacturing, green steel की manufacturing, long haul transportation के लिए fuel cells के निर्माण में भी investment की अनेक opportunities आ रही हैं।

Friends,

भारत में गोबर से 10 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर बायोगैस और agri residue से डेढ़ लाख मिलियन क्यूबिक मीटर गैस के उत्पादन का potential है। इससे हमारे देश में City Gas Distribution में 8 परसेंट तक का योगदान हो सकता है। इन्हीं संभावनाओं की वजह से आज गोबरधन योजना, भारत की biofuel strategy का एक अहम component है। इस बजट में सरकार ने गोबरधन योजना के तहत 500 नए प्लांट लगाने की घोषणा की है। ये पुराने जमाने के गोबरगैस प्लांट की तरह नहीं होते। इन आधुनिक प्लांट्स पर सरकार 10 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। सरकार का ''Waste to Energy'' प्रोग्राम, देश के प्राइवेट सेक्टर के लिए, हमारे MSME's के लिए एक नया मार्केट बना रहा है। गांवों से निकलने वाले Agri-Waste के साथ ही शहरों के Municipal Solid Waste से भी CBG का प्रॉडक्शन उनके लिए बेहतरीन मौका है। प्राइवेट सेक्टर को उत्साहित करने के लिए सरकार टैक्स में छूट के साथ ही आर्थिक मदद भी दे रही है।

साथियों,

भारत की Vehicle Scrapping Policy, green growth strategy का एक अहम हिस्सा है। Vehicle Scrapping को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने इस बजट में 3 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। आने वाले कुछ महीनों में केंद्र और राज्य सरकार की करीब-करीब 3 लाख गाड़ियों को scrap किया जाना है। ये गाड़ियां 15 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी हैं। इनमें पुलिस जिन vehicles का उपयोग करती है वो गाड़ियां हैं, खासकर के हमारे हॉस्पिटल्स में जो एंबुलेंस हैं, हमारे public transport की जो buses हैं। Vehicle Scrapping आप सभी के लिए बहुत बड़ा मार्केट बनने जा रहा है। ये Reuse, Recycle और Recovery के सिद्धांत पर चलते हुए हमारी circular economy को भी नई ताकत देगा। मैं भारत के नौजवानों को, हमारे स्टार्ट-अप्स को circular economy के विभिन्न माध्यमों से जुड़ने का भी आग्रह करूंगा।

Friends,

भारत को अगले 6-7 साल में अपनी battery storage capacity को बढ़ाकर 125 Gigawatt hours करना है। ये लक्ष्य जितना बड़ा है, उतना ही आपके लिए इसमें नई संभावनाएं बन रही हैं। इसे हासिल करने के लिए लाखों करोड़ रुपए के निवेश की आवश्यकता है। Battery developers को सपोर्ट करने के लिए सरकार ने इस बजट में Viability Gap Funding स्कीम की भी घोषणा की है।

Friends,

भारत में water-based transport एक बहुत बड़ा सेक्टर है जिसमें आने वाले दिनों में बहुत तेजी आने वाली है। आज भारत अपने coastal route के जरिए सिर्फ 5 परसेंट कार्गो का ट्रांसपोर्ट करता है। इसी तरह inland waterways के जरिए सिर्फ 2 परसेंट कार्गो भारत में ट्रांसपोर्ट होता है। जिस तरह भारत में वॉटरवेज का निर्माण हो रहा है, उसमें इस क्षेत्र में आप सभी के लिए बहुत सारी opportunities बन रही हैं।

साथियों,

भारत Green Energy से जुड़ी टेक्नॉलॉजी में दुनिया में लीड ले सकता है। ये भारत में Green Jobs को बढ़ाने के साथ ही Global Good में भी बहुत मदद करेगा। ये बजट आपके लिए एक अवसर तो है ही, इसमें आपके भविष्य की सुरक्षा गारंटी भी समाहित है। बजट के हर प्रावधान को अमल में लाने के लिए हमें तेजी से काम करना है, मिलकर के काम करना है। आप सभी आज के इस webinar में बहुत गंभीरता से चर्चाएं करेंगे। ये बजट पर चर्चा, बजट में क्या होना चाहिए था, क्या नहीं होना चाहिए था इसके संदर्भ में नहीं है। अब बजट आ चुका है, संसद में already पेश हो चुका है। अब हम सबको मिलकर के सरकार और देशवासियों को मिलकर के इस बजट की एक-एक चीज को बहुत ही अच्छे तरीके से कैसे लागू करे, नए-नए innovations कैसे करें, देश में Green Growth को हम कैसे सुनिश्चित करें। आप, आपकी टीम इसके लिए आगे आए, सरकार कंधे से कंधा मिलाकर के आपके साथ चलने के लिए तैयार है। मैं फिर एक बार इस webinar के लिए समय निकालने के लिए आप सभी निवेशकों का, स्टार्ट अप बल के जवानों का, agriculture field के लोगों का, experts का, academicians का ह्दय से बहुत-बहुत स्वागत करता हूं और इस webinar की सफलता के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s Interaction with ground level functionaries of G20 Summit
September 22, 2023
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“Today’s event is about the unity of labourers (Mazdoor Ekta) and both you and I are Mazdoor”
“Working collectively in the field removes silos and creates a team”
“There is strength in the collective spirit”
“A well organized event has far-reaching benefits. CWG infused a sense of despondency in the system while G20 made the country confident of big things”
“For the welfare of humanity India is standing strong and reaches everywhere in times of need”

आप में से कुछ कहेंगे नहीं-नहीं, थकान लगी ही नहीं थी। खैर मेरे मन में कोई विशेष आपका समय लेने का इरादा नहीं है । लेकिन इतना बड़ा सफल आयोजन हुआ, देश का नाम रोशन हुआ, चारों तरफ से तारीफ ही तारीफ सुनने को मिल रही है, तो उसके पीछे जिनका पुरुषार्थ है, जिन्‍होंने दिन-रात उसमें खपाए और जिसके कारण ये सफलता प्राप्‍त हुई, वे आप सब हैं। कभी-कभी लगता है कि कोई एक खिलाड़ी ओलंपिक के podium पर जा करके मेडल लेकर आ जाए और देश का नाम रोशन हो जाए तो उसकी वाहवाही लंबे अरसे तक चलती है। लेकिन आप सबने मिल करके देश का नाम रोशन किया है ।

शायद लोगों को पता भी नहीं होगा । कितने लोग होंगे कितना काम किया होगा, कैसी परिस्थितियों में किया होगा। और आप में से ज्‍यादातर वो लोग होंगे जिनको इसके पहले इतने बड़े किसी आयोजन से कार्य का या जिम्‍मेदारी का अवसर ही नहीं आया होगा। यानी एक प्रकार से आपको कार्यक्रम की कल्‍पना भी करनी थी, समस्‍याओं के विषय में भी imagine करना था कि क्‍या हो सकता है, क्‍या नहीं हो सकता है। ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे, ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे। बहुत कुछ आपको अपने तरीके से ही गौर करना पड़ा होगा। और इसलिए मेरा आप सबसे से एक विशेष आग्रह है, आप कहेंगे कि इतना काम करवा दिया, क्‍या अभी भी छोड़ेंगे नहीं क्‍या।

मेरा आग्रह ऐसा है कि जब से इस काम से आप जुड़े होंगे, कोई तीन साल से जुड़ा होगा, कोई चार साल से जुड़ा होगा, कोई चार महीने से जुड़ा होगा। पहले दिन से जब आपसे बात हुई तब से ले करके जो-जो भी हुआ हो, अगर आपको इसको रिकॉर्ड कर दें, लिख दें सारा, और centrally जो व्‍यवस्‍था करते हैं, कोई एक वेबसाइट तैयार करें। सब अपनी-अपनी भाषा में लिखें, जिसको जो भी सुविधा हो, कि उन्‍होंने किस प्रकार से इस काम को किया, कैसे देखा, क्‍या कमियां नजर आईं, कोई समस्‍या आई तो कैसे रास्‍ता खोला। अगर ये आपका अनुभव रिकॉर्ड हो जाएगा तो वो एक भविष्‍य के कार्यों के लिए उसमें से एक अच्‍छी गाइडलाइन तैयार हो सकती है और वो institution का काम कर सकती है। जो चीजों को आगे करने के लिए जो उसको जिसके भी जिम्‍मे जो काम आएगा, वो इसका उपयोग करेगा।

और इसलिए आप जितनी बारीकी से एक-एक चीज को लिख करके, भले 100 पेज हो जाएं, आपको उसके लिए cupboard की जरूरत नहीं है, cloud पर रख दिया फिर तो वहां बहुत ही बहुत जगह है। लेकिन इन चीजों का बहुत उपयोग है। मैं चाहूंगा कि कोई व्‍यवस्‍था बने और आप लोग इसका फायदा उठाएं। खैर मैं आपको सुनना चाहता हूं, आपके अनुभव जानना चाहता हूं, अगर आप में से कोई शुरूआत करे।

गमले संभालने हैं मतलब मेरे गमले ही जी-20 को सफल करेंगे। अगर मेरा गमला हिल गया तो जी-20 गया। जब ये भाव पैदा होता है ना, ये spirit पैदा होता है कि मैं एक बहुत बड़े success के लिए बहुत बड़ी महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी संभालता हूं, कोई काम मेरे लिए छोटा नहीं है तो मान कर चलिए सफलता आपके चरण चूमने लग जाती है।

साथियों,

इस प्रकार से मिल करके अपने-अपने विभाग में भी कभी खुल करके गप्‍पे मारनी चाहिए, बैठना चाहिए, अनुभव सुनने चाहिए एक-दूसरे के; उससे बहुत लाभ होते हैं। कभी-कभी क्‍या होता है जब आप अकेले होते हैं तो हमको लगता है मैंने बहुत काम कर दिया। अगर मैं ना होता तो ये जी-20 का क्‍या हो जाता। लेकिन जब ये सब सुनते हैं तो पता चलता है यार मेरे से तो ज्यादा उसने किया था, मेरे से तो ज्‍यादा वो कर रहा था। मुसीबत के बीच में देखो वो काम कर रहा था। तो हमें लगता है कि नहीं-नहीं मैंने जो किया वो तो अच्‍छा ही है लेकिन ओरों ने भी बहुत अच्‍छा किया है, तब जा करके ये सफलता मिली है।

जिस पल हम किसी और के सामर्थ्य को जानते हैं, उसके efforts को जानते हैं, तब हमें ईर्ष्या भाव नहीं होता है, हमें अपने भीतर झांकने का अवसर मिलता है। अच्‍छा, मैं तो कल तो सोचता रहा मैंने ही सब कुछ किया, लेकिन आज पता चला कि इतने लोगों ने किया है। ये बात सही है कि आप लोग ना टीवी में आए होंगे, ना आपकी अखबार में फोटो छपी होगी, न कहीं नाम छपा होगा। नाम तो उन लोगों के छपते होंगे जिसने कभी पसीना भी नहीं बहाया होगा, क्‍योंकि उनकी महारत उसमें है। और हम सब तो मजदूर हैं और आज कार्यक्रम भी तो मजदूर एकता जिंदाबाद का है। मैं थोड़ा बड़ा मजदूर हूं, आप छोटे मजदूर हैं, लेकिन हम सब मजदूर हैं।

आपने भी देखा होगा कि आपको इस मेहनत का आनंद आया होगा। यानी उस दिन रात को भी अगर आपको किसी ने बुला करके कुछ कहा होता, 10 तारीख को, 11 तारीख को तो आपको नहीं लगता यार पूरा हो गया है क्‍यों मुझे परेशान कर रहा है। आपको लगता होगा नहीं-नहीं यार कुछ रह गया होगा, चलो मुझे कहा है तो मैं करता हूं। यानी ये जो spirit है ना, यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

साथियो,

आपको पता होगा पहले भी आपने काम किया है। आप में से बहुत लोगों को ये जो सरकार में 25 साल, 20 साल, 15 साल से काम करते होंगे, तब आप अपने टेबल से जुड़े हुए होंगे, अपनी फाइलों से जुड़े होंगे, हो सकता है अगल-बगल के साथियों से फाइल देते समय नमस्‍ते करते होंगे। हो सकता है कभी लंच टाइम, टी टाइम पर कभी चाय पी लेते होंगे, कभी बच्‍चों की पढ़ाई की चर्चा कर लेते होंगे। लेकिन रूटीन ऑफिस के काम में हमें अपने साथियों के सामर्थ्‍य का कभी पता नहीं चलता है। 20 साल साथ रहने के बाद भी पता नहीं चलता है कि उसके अंदर और क्‍या सामर्थ्‍य है। क्‍योंकि हम एक प्रोटोटाइप काम से ही जुड़े रहते हैं।

जब इस प्रकार के अवसर में हम काम करते हैं तो हर पल नया सोचना होता है, नई जिम्मेदारी बन जाती है, नई चुनौती आ जाती है, कोई समाधान करना और तब किसी साथी को देखते हैं तो लगता है इसमें तो बहुत बढ़िया क्वालिटी है जी। यानी ये किसी भी गवर्नेंस की success के लिए, फील्‍ड में इस प्रकार से कंधे से कंधा मिला करके काम करना, वो silos को भी खत्‍म करता है, वर्टिकल silos और होरिजेंटल silos, सबको खत्म करता है और एक टीम अपने-आप पैदा हो जाती है।

आपने इतने सालों से काम किया होगा, लेकिन यहां जी-20 के समय रात-रात जगे होंगे, बैठे होंगे, कहीं फुटपाथ के आसपास कही जाकर चाय ढूंढी होगी। उसमें से जो नए साथी मिले होंगे, वो शायद 20 साल की, 15 साल की नौकरी में नहीं मिले होंगे। ऐसे नए सामर्थ्यवान साथी आपको इस कार्यक्रम में जरूर मिले होंगे। और इसलिए साथ मिल करके काम करने के अवसर ढूंढने चाहिए।

अब जैसे अभी सभी डिपार्टमेंट में स्‍वच्‍छता अभियान चल रहा है। डिपार्टमेंट के सब लोग मिलकर अगर करें, सचिव भी अगर चैंबर से बाहर निकल कर के साथ चले, आप देखिए एकदम से माहौल बदल जाएगा। फिर वो काम नहीं लगेगा वो फेस्टिवल लगेगा, कि चलो आज अपना घर ठीक करें, अपना दफ्तर ठीक करें, अपने ऑफिस में फाइलें निकाल कर करें, इसका एक आनंद होता है। और मेरा हर किसी से, मैं तो कभी-कभी ये भी कहता हूं भई साल में एकाध बार अपने डिपार्टमेंट का पिकनिक करिए। बस ले करके जाइए कहीं नजदीक में 24 घंटे के लिए, साथ में रह करके आइए।

सामूहिकता की एक शक्ति होती है। जब अकेले होते हैं कितना ही करें, कभी-कभी यार, मैं ही करूंगा क्‍या, क्‍या मेरे ही सब लिखा हुआ है क्‍या, तनख्‍वाह तो सब लेते हैं, काम मुझे ही करना पड़ता है। ऐसा अकेले होते हैं तो मन में विचार आता है। लेकिन जब सबके साथ होते हैं तो पता चलता है जी नहीं, मेरे जैसे बहुत लोग हैं जिनके कारण सफलताएं मिलती हैं, जिनके कारण व्‍यवस्‍थाएं चलती हैं।

साथियो,

एक और भी महत्‍व की बात है कि हमें हमेशा अपने से ऊपर जो लोग हैं वो और हम जिनसे काम लेते हैं वो, इनसे hierarchy की और प्रोटोकॉल की दुनिया से कभी बाहर निकल करके देखना चाहिए, हमें कल्‍पना तक नहीं होती है कि उन लोगों में ऐसा कैसा सामर्थ्‍य होता है। और जब आप अपने साथियों की शक्ति को पहचानते हैं तो आपको एक अद्भुत परिणाम मिलता है, कभी आप अपने दफ्तर में एक बार ये काम कीजिए। छोटा सा मैं आपको एक गेम बताता हूं, वो करिए। मान लीजिए आपके यहां विभाग में 20 साथियों के साथ आप काम कर रहे हैं। तो उसमे एक डायरी लीजिए, रखिए एक दिन। और बीसों को बारी-बारी से कहिए, या तो एक बैलेट बॉक्‍स जैसा रखिए कि वो उन 20 लोगों का पूरा नाम, वो मूल कहां के रहने वाले हैं, यहां क्‍या काम देखते हैं, और उनके अंदर वो एक extraordinary क्‍वालिटी क्‍या है, गुण क्‍या है, पूछना नहीं है उसको। आपने जो observe किया है और वो लिख करके उस बक्‍से में डालिए। और कभी आप बीसों लोगों के वो कागज बाद में पढ़िए, आपको हैरानी हो जाएगी कि या तो आपको उसके गुणों का पता ही नहीं है, ज्‍यादा से ज्‍यादा आप कहेंगे उसकी हेंड राइटिंग अच्‍छी है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहेंगे वो समय पर आता है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहते हैं वो polite है, लेकिन उसके भीतर वो कौन से गुण हैं उसकी तरफ आपकी नजर ही नहीं गई होगी। एक बार try कीजिए कि सचमुच में आपके अगल-बगल में जो लोग हैं, उनके अंदर extraordinary गुण क्‍या है, जरा देखें तो सही। आपको एक अकल्‍प अनुभव होगा, कल्‍पना बाहर का अनुभव होगा।

मैं सा‍थियो सालों से मेरा human resources पर ही काम करने की ही नौबत आई है मुझे। मुझे कभी मशीन से काम करने की नौबत नहीं आई है, मानव से आई है तो मैं भली-भांति इन बातों को समझ सकता हूं। लेकिन ये अवसर capacity building की दृष्टि से अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण अवसर है। कोई एक घटना अगर सही ढंग से हो तो कैसा परिणाम मिलता है और होने को हो, चलिए ऐसा होता रहता है, ये भी हो जाएगा, तो क्‍या हाल होता है, हमारे इस देश के सामने दो अनुभव हैं। एक- कुछ साल पहले हमारे देश में कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स का कार्यक्रम हुआ था। किसी को भी कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स की चर्चा करोगे तो दिल्‍ली या दिल्‍ली से बाहर का व्‍यक्ति, उसके मन पर छवि क्‍या बनती है। आप में से जो सीनियर होंगे उनको वो घटना याद होगी। सचमुच में वो एक ऐसा अवसर था कि हम देश की branding कर देते, देश की एक पहचान बना देते, देश के सामर्थ्‍य को बढ़ा भी देते और देश के सामर्थ्‍य को दिखा भी देते। लेकिन दुर्भाग्‍य से वो ऐसी चीजों में वो इवेंट उलझ गया कि उस समय के जो लोग कुछ करने-धरने वाले थे, वे भी बदनाम हुए, देश भी बदनाम हुआ और उसमें से सरकार की व्‍यवस्‍था में और एक स्‍वभाव में ऐसी निराशा फैल गई कि यार ये तो हम नहीं कर सकते, गड़बड़ हो जाएगा, हिम्‍मत ही खो दी हमने।

दूसरी तरफ जी-20, ऐसा तो नहीं है कि कमियां नहीं रही होंगी, ऐसा तो नहीं है जो चाहा था उसमें 99-100 के नीचे रहे नहीं होंगे। कोई 94 पहुंचे होंगे, कोई 99 पहुंचे होंगे, और कोई 102 भी हो गए होंगे। लेकिन कुल मिलाकर के एक cumulative effect था। वो effect देश के सामर्थ्‍य को, विश्‍व को उसके दर्शन कराने में हमारी सफलता थी। ये जो घटना की सफलता है, वो जी-20 की सफलता और दुनिया में 10 editorials और छप जाएं इससे मोदी का कोई लेना-देना नहीं है। मेरे लिए आनंद का विषय ये है कि अब मेरे देश में एक ऐसा विश्‍वास पैदा हो गया है कि ऐसे किसी भी काम को देश अच्‍छे से अच्‍छे ढंग से कर सकता है।

पहले कहीं पर भी कोई calamity होती है, कोई मानवीय संबंधी विषयों पर काम करना हो तो वेस्‍टर्न world का ही नाम आता था। कि भई दुनिया में ये हुआ तो फलाना देश, ढिंगना देश, उसने ये पहुंच गए, वो कर दिया। हम लोगों का तो कहीं चित्र में नाम ही नहीं थ। बड़े-बड़े देश, पश्चिम के देश, उन्‍हीं की चर्चा होती थी। लेकिन हमने देखा कि जब नेपाल में भूकंप आया और हमारे लोगों ने जिस प्रकार से काम किया, फिजी में जब साइक्‍लोन आया, जिस प्रकार से हमारे लोगों ने काम किया, श्रीलंका संकट में था, हमने वहां जब चीजें पहुंचानी थीं, मालदीव में बिजली का संकट आया, पीने का पानी नहीं था, जिस तेजी से हमारे लोगों ने पानी पहुंचाया, यमन के अंदर हमारे लोग संकट में थे, जिस प्रकार से हम ले करके आए, तर्कीये में भूकंप आया, भूकंप के बाद तुरंत हमारे लोग पहुंचे; इन सारी चीजों ने आज विश्‍व के अंदर विश्‍वास पैदा किया है कि मानव हित के कामों में आज भारत एक सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। संकट की हर घड़ी में वो दुनिया में पहुंचता है।

अभी जब जॉर्डन में भूकंप आया, मैं तो व्‍यस्‍त था ये समिट के कारण, लेकिन उसके बावजूद भी मैंने पहला सुबह अफसरों को फोन किया था कि देखिए आज हम जॉर्डन में कैसे पहुंच सकते हैं। और सब ready करके हमारे जहाज, हमारे क्‍या–क्‍या equipment लेकर जाना है, कौन जाएगा, सब ready था, एक तरफ जी-20 चल रहा था और दूसरी तरफ जॉडर्न मदद के लिए पहुंचने के लिए तैयारियां चल रही थीं, ये सामर्थ्‍य है हमारा। ये ठीक है जॉर्डन ने कहा कि हमारी जिस प्रकार की टोपोग्राफी है, हमें उस प्रकार की मदद की आवश्‍यकता नहीं रहेगी, उनको जरूरत नहीं थी और हमें जाना नहीं पड़ा। और उन्‍होंने अपनी स्थितियों को संभाल भी लिया।

मेरा कहने का तात्‍पर्य ये है कि जहां हम कभी दिखते नहीं थे, हमारा नाम तक नहीं होता था। इतने कम समय में हमने वो स्थिति प्राप्त की है। हमें एक global exposure बहुत जरूरी है। अब साथियो हम यहां सब लोग बैठे हैं, सारी मंत्री परिषद है, यहां सब सचिव हैं और ये कार्यक्रम की रचना ऐसी है कि आप सब आगे हैं वो सब पीछे हैं, नॉर्मली उलटा होता है। और मुझे इसी में आनंद आता है। क्‍योंकि मैं जब आपको यहां नीचे देखता हूं मतलब मेरी नींव मजबूत है। ऊपर थोड़ा हिल जाएगा तो भी तकलीफ नहीं है।

और इसलिए साथियो, अब हमारे हर काम की सोच वैश्विक संदर्भ में हम सामर्थ्‍य के साथ ही काम करेंगे। अब देखिए जी-20 समिट हो, दुनिया में से एक लाख लोग आए हैं यहां और वो लोग थे जो उन देश की निर्णायक टीम के हिस्‍से थे। नीति-निर्धारण करने वाली टीम के हिस्‍से थे। और उन्‍होंने आ करके भारत को देखा है, जाना है, यहां की विविधता को सेलिब्रेट किया है। वो अपने देश में जा करके इन बातों को नहीं बताएंगे ऐसा नहीं है, वो बताएगा, इसका मतलब कि वो आपके टूरिज्‍म का एम्बेसडर बन करके गया है।

आपको लगता होगा कि मैं तो उसको आया तब नमस्‍ते किया था, मैंने तो उसको पूछा था साहब मैं क्‍या सेवा कर सकता हूं। मैंने तो उसको पूछा था, अच्‍छा आपको चाय चाहिए। आपने इतना काम नहीं किया है। आपने उसको नमस्‍ते करके, आपने उसको चाय का पूछ करके, आपने उसकी किसी जरूरत को पूरी करके, आपने उसके भीतर हिन्‍दुस्‍तान के एम्बेसडर बनने का बीज बो दिया है। आपने इतनी बड़ी सेवा की है। वो भारत का एम्बेसडर बनेगा, जहां भी जाएगा कहेगा अरे भाई हिन्‍दुस्‍तान तो देखने जैसा है, वहां तो ऐसा-ऐसा है। वहां तो ऐसी चीजें होती हैं। टेक्‍नोलॉजी में तो हिन्‍दुस्‍तान ऐसा आगे हैं, वो जरूर कहेगा। मेरा कहने का तात्‍पर्य है कि मौका है हमारे लिए टूरिज्‍म को हम बहुत बड़ी नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं।