विश्व में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत को आत्मनिर्भर बनना ही होगा: प्रधानमंत्री
चिप हों या शिप, हमें उन्हें भारत में ही बनाना होगा: प्रधानमंत्री मोदी
देश के मेरीटाइम सेक्टर को मज़बूत करने के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, सरकार अब बड़े जहाजों को इन्फ्रास्ट्रक्चर के रूप में मान्यता दे दी है: प्रधानमंत्री
भारत की समुद्रतट राष्ट्र की समृद्धि के प्रवेश द्वार बनेंगे: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के भावनगर में 34,200 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने 'समुद्र से समृद्धि' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सभी गणमान्य व्यक्तियों और जनता का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने 17 सितंबर को उन्हें भेजी गई जन्मदिवस की शुभकामनाओं का आभार व्यक्त किया। श्री मोदी ने लोगों से मिले स्नेह को शक्ति का एक बड़ा स्रोत बताते हुए, इस बात पर प्रकाश डाला कि राष्ट्र विश्वकर्मा जयंती से गांधी जयंती तक, यानी 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक, सेवा पखवाड़ा मना रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले 2-3 दिनों में गुजरात में कई सेवा के अनुरूप गतिविधियाँ हुई हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि सैकड़ों स्थानों पर रक्तदान शिविर आयोजित किए गए हैं, जिनमें अब तक एक लाख लोगों ने रक्तदान किया है। उन्होंने कहा कि कई शहरों में स्वच्छता अभियान चलाए गए हैं, जिनमें लाखों नागरिक सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। श्री मोदी ने बताया कि राज्य भर में 30,000 से अधिक स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं, जहाँ जनता और विशेष रूप से महिलाओं की चिकित्सा जाँच की जा रही है और उपचार प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने देश भर में सेवा गतिविधियों में शामिल सभी लोगों के प्रति अपनी सराहना और आभार व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने कृष्णकुमारसिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी महान विरासत का स्मरण किया। श्री मोदी ने कहा कि कृष्णकुमार सिंह जी ने सरदार वल्लभभाई पटेल के मिशन के साथ जुड़कर भारत की एकता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऐसे महान देशभक्तों से प्रेरित होकर, राष्ट्र एकता की भावना को निरंतर मजबूत कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि इन सामूहिक प्रयासों से एक भारत, श्रेष्ठ भारत का संकल्प और मजबूत हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने उल्लेख करते हुए कहा कि वह ऐसे समय में भावनगर पहुँचे हैं जब नवरात्रि का पावन पर्व शुरू होने वाला है। श्री मोदी ने कहा कि जीएसटी में कमी के कारण बाजारों में रौनक और उत्सव का उत्साह बढ़ेगा। इस उत्सव के माहौल में, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि राष्ट्र समुद्र से समृद्धि का एक भव्य उत्सव मना रहा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि 21वीं सदी का भारत समुद्र को अवसरों के एक प्रमुख स्रोत के रूप में देखता है। श्री मोदी ने बताया कि बंदरगाह आधारित विकास को गति देने के लिए अभी-अभी हज़ारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है। उन्होंने कहा कि क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आज मुंबई में अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का भी उद्घाटन किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भावनगर और गुजरात से जुड़ी विकास परियोजनाएं भी शुरू हो गई हैं। उन्होंने सभी नागरिकों और गुजरात के लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत विश्व बंधुत्व की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है और आज दुनिया में भारत का कोई बड़ा दुश्मन नहीं है, लेकिन सही मायने में भारत का सबसे बड़ा दुश्मन दूसरे देशों पर निर्भरता है।" उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस निर्भरता को सामूहिक रूप से पराजित किया जाना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि अधिक विदेशी निर्भरता राष्ट्रीय विफलता को और बढ़ाती है। श्री मोदी ने कहा कि वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए, दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश को आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने आगाह किया कि दूसरों पर निर्भरता राष्ट्रीय स्वाभिमान के साथ समझौता है। श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि 140 करोड़ भारतीयों का भविष्य बाहरी ताकतों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता और न ही राष्ट्रीय विकास का संकल्प विदेशी निर्भरता पर आधारित हो सकता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को खतरे में नहीं डाला जाना चाहिए। श्री मोदी ने घोषणा की कि सौ समस्याओं का एक ही समाधान है - आत्मनिर्भर भारत का निर्माण। इसे प्राप्त करने के लिए, भारत को चुनौतियों का सामना करना होगा, बाहरी निर्भरता कम करनी होगी और सच्ची आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन करना होगा।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि भारत में क्षमता की कभी कमी नहीं रही, श्री मोदी ने कहा कि आज़ादी के बाद, तत्कालीन सत्तारूढ़ दल ने देश की अंतर्निहित शक्तियों को लगातार नज़रअंदाज़ किया। परिणामस्वरूप, आज़ादी के छह-सात दशक बाद भी, भारत वह सफलता हासिल नहीं कर पाया जिसका वह हक़दार था। प्रधानमंत्री ने इसके दो प्रमुख कारण बताए: लाइसेंस-कोटा व्यवस्था में लंबे समय तक उलझा रहना और वैश्विक बाज़ारों से अलगाव। उन्होंने कहा कि जब वैश्वीकरण का दौर आया, तो तत्कालीन सरकारों ने सिर्फ़ आयात पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे हज़ारों करोड़ रुपये के घोटाले हुए। श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि इन नीतियों ने भारत के युवाओं को काफ़ी नुकसान पहुँचाया और देश की असली क्षमता को उभरने से रोका।

श्री मोदी ने भारत के शिपिंग क्षेत्र को दोषपूर्ण नीतियों से हुए नुकसान का एक प्रमुख उदाहरण बताते हुए कहा कि भारत ऐतिहासिक रूप से एक अग्रणी समुद्री शक्ति और दुनिया के सबसे बड़े जहाज निर्माण केंद्रों में से एक रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के तटीय राज्यों में निर्मित जहाज कभी घरेलू और वैश्विक व्यापार को संचालित करते थे। श्री मोदी ने कहा कि पचास साल पहले भी, भारत घरेलू रूप से निर्मित जहाजों का उपयोग करता था और 40 प्रतिशत से अधिक आयात-निर्यात उनके माध्यम से किया जाता था। प्रधानमंत्री ने वर्तमान विपक्षी दल की आलोचना करते हुए कहा कि शिपिंग क्षेत्र बाद में उनकी गुमराह नीतियों का शिकार हो गया और घरेलू जहाज निर्माण को मजबूत करने के बजाय, उन्होंने विदेशी जहाजों को माल ढुलाई का भुगतान करना पसंद किया। इससे भारत का जहाज निर्माण इकोसिस्टम ध्वस्त हो गया और विदेशी जहाजों पर निर्भरता बढ़ गई। परिणामस्वरूप, व्यापार में भारतीय जहाजों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से घटकर केवल 5 प्रतिशत रह गई।

श्री मोदी ने राष्ट्र के समक्ष कुछ आँकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि नागरिक यह जानकर आश्चर्यचकित होंगे कि भारत शिपिंग सेवाओं के लिए विदेशी शिपिंग कंपनियों को हर साल लगभग 75 बिलियन डॉलर - यानी लगभग छह लाख करोड़ रुपये का भुगतान करता है। प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्लेख किया कि यह राशि भारत के वर्तमान रक्षा बजट के लगभग बराबर है। उन्होंने जनता से यह कल्पना करने का आग्रह किया कि पिछले सात दशकों में अन्य देशों को माल ढुलाई के रूप में कितनी धनराशि का भुगतान किया गया है। उन्होंने बताया कि धन के इस बहिर्वाह ने विदेशों में लाखों रोजगार सृजित किए हैं। श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि यदि इस व्यय का एक छोटा सा हिस्सा भी पिछली सरकारों द्वारा भारत के शिपिंग उद्योग में निवेश किया गया होता, तो आज दुनिया भारतीय जहाजों का उपयोग कर रही होती और भारत शिपिंग सेवाओं से लाखों करोड़ रुपये कमा रहा होता।

प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा, “अगर भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है, तो उसे आत्मनिर्भर बनना ही होगा, आत्मनिर्भरता का कोई विकल्प नहीं है और सभी 140 करोड़ नागरिकों को एक ही संकल्प के लिए प्रतिबद्ध होना होगा – चाहे वह चिप्स हों या शिप, वे भारत में ही बनने चाहिए।” श्री मोदी ने कहा कि इसी दृष्टिकोण के साथ, भारत का समुद्री क्षेत्र अब अगली पीढ़ी के सुधारों की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने घोषणा की कि आज से देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों को कई दस्तावेजों और खंडित प्रक्रियाओं से मुक्त कर दिया जाएगा। ‘एक राष्ट्र, एक दस्तावेज’ और ‘एक राष्ट्र, एक बंदरगाह’ प्रक्रिया के कार्यान्वयन से व्यापार और वाणिज्य सरल हो जाएगा। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाल के मानसून सत्र के दौरान, औपनिवेशिक काल के कई पुराने कानूनों में संशोधन किया गया। उन्होंने बताया कि समुद्री क्षेत्र में कई सुधार शुरू किए गए हैं और पाँच समुद्री कानूनों को नए रूप में पेश किया गया है। ये कानून शिपिंग और बंदरगाह प्रशासन में बड़े बदलाव लाएंगे।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि भारत सदियों से बड़े जहाज़ बनाने में माहिर रहा है, प्रधानमंत्री ने कहा कि अगली पीढ़ी के सुधार इस विस्मृत विरासत को पुनर्जीवित करने में सहायता करेंगे। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पिछले एक दशक में 40 से ज़्यादा जहाज़ और पनडुब्बियाँ नौसेना में शामिल की गई हैं, और एक-दो को छोड़कर, सभी भारत में ही निर्मित हुई हैं। उन्होंने बताया कि विशाल आईएनएस विक्रांत का निर्माण भी घरेलू स्तर पर किया गया था, जिसमें इसके निर्माण में इस्तेमाल किया गया उच्च-गुणवत्ता वाला स्टील भी शामिल है। श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि भारत में क्षमता है और कौशल की कोई कमी नहीं है। उन्होंने राष्ट्र को आश्वस्त किया कि बड़े जहाज़ बनाने के लिए आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति मज़बूती से मौजूद है।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि भारत के समुद्री क्षेत्र को मज़बूत करने के लिए कल एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, श्री मोदी ने एक बड़े नीतिगत सुधार की घोषणा की जिसके तहत अब बड़े जहाजों को बुनियादी ढाँचे का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि जब किसी क्षेत्र को बुनियादी ढाँचे की मान्यता मिलती है, तो उसे महत्वपूर्ण लाभ मिलते हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जहाज़ निर्माण कंपनियों को अब बैंकों से ऋण प्राप्त करना आसान होगा और उन्हें कम ब्याज दरों का लाभ मिलेगा। बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण से जुड़े सभी लाभ अब इन जहाज़ निर्माण उद्यमों को भी मिलेंगे। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इस निर्णय से भारतीय शिपिंग कंपनियों पर वित्तीय बोझ कम होगा और उन्हें वैश्विक बाजार में अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने में सहायता मिलेगी।

भारत को एक प्रमुख समुद्री शक्ति बनाने के लिए सरकार तीन प्रमुख योजनाओं पर काम कर रही है, इस पर ज़ोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन पहलों से जहाज निर्माण क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता आसान होगी, शिपयार्ड आधुनिक तकनीक अपनाने में सक्षम होंगे और डिज़ाइन एवं गुणवत्ता मानकों में सुधार होगा। उन्होंने बताया कि आने वाले वर्षों में इन योजनाओं में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा।

श्री मोदी ने 2007 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, जहाज निर्माण के अवसरों की खोज के लिए गुजरात में आयोजित एक बड़े सेमिनार का स्मरण करते हुए कहा कि इसी दौरान गुजरात ने जहाज निर्माण इकोसिस्टम विकसित करने के लिए सहयोग दिया था। उन्होंने कहा कि भारत अब देश भर में जहाज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए व्यापक कदम उठा रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जहाज निर्माण कोई साधारण उद्योग नहीं है; इसे विश्व स्तर पर "सभी उद्योगों की जननी" कहा जाता है क्योंकि यह कई संबद्ध क्षेत्रों के विकास को गति देता है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस्पात, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, पेंट और आईटी सिस्टम जैसे उद्योगों को शिपिंग क्षेत्र द्वारा समर्थन दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को महत्वपूर्ण लाभ होता है। प्रधानमंत्री ने एक शोध का हवाला देते हुए कहा कि जहाज निर्माण में निवेश किया गया प्रत्येक रुपया लगभग दोगुना आर्थिक लाभ देता है। उन्होंने कहा कि एक शिपयार्ड में सृजित प्रत्येक रोजगार आपूर्ति श्रृंखला में छह से सात नए रोजगारों का सृजन करता है, जिसका अर्थ है कि 100 जहाज निर्माण रोजगार संबंधित क्षेत्रों में 600 से अधिक रोजगारों का सृजन कर सकते हैं, जो जहाज निर्माण उद्योग के व्यापक गुणक प्रभाव को रेखांकित करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जहाज निर्माण के लिए आवश्यक कौशल को मज़बूत करने के लिए केंद्रित प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और समुद्री विश्वविद्यालय के योगदान को और बढ़ाया जाएगा। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाल के वर्षों में तटीय क्षेत्रों में नौसेना और राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के बीच समन्वय के माध्यम से नए ढाँचे विकसित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि एनसीसी कैडेट अब न केवल नौसैनिक भूमिकाओं के लिए, बल्कि वाणिज्यिक समुद्री क्षेत्र में ज़िम्मेदारियों के लिए भी तैयार होंगे।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि आज का भारत एक विशिष्ट गति के साथ आगे बढ़ रहा है, प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र न केवल महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करता है, बल्कि उन्हें समय से पहले हासिल भी करता है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा क्षेत्र में, भारत अपने लक्ष्यों को चार से पाँच साल पहले ही पूरा कर रहा है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बंदरगाह-आधारित विकास के लिए ग्यारह साल पहले निर्धारित किए गए उद्देश्यों को अब उल्लेखनीय सफलता के साथ पूरा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बड़े जहाजों को समायोजित करने के लिए देश भर में बड़े बंदरगाहों का विकास किया जा रहा है और सागरमाला जैसी पहलों के माध्यम से कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा रहा है।

पिछले ग्यारह वर्षों में भारत द्वारा अपनी बंदरगाह क्षमता को दोगुना करने का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2014 से पहले, भारत में जहाजों का औसत टर्न-अराउंड समय दो दिन था, जबकि आज यह घटकर एक दिन से भी कम हो गया है। उन्होंने बताया कि देश भर में नए और बड़े बंदरगाहों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में, केरल में भारत के पहले गहरे पानी के कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट बंदरगाह का संचालन शुरू हुआ है। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि महाराष्ट्र में वधावन बंदरगाह का विकास 75,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया जा रहा है और यह दुनिया के शीर्ष दस बंदरगाहों में शामिल होगा।

यह उल्लेख करते हुए कि वर्तमान में भारत वैश्विक समुद्री व्यापार का 10 प्रतिशत हिस्सा है, श्री मोदी ने इस हिस्सेदारी को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया और घोषणा की कि 2047 तक, भारत का लक्ष्य वैश्विक समुद्री व्यापार में अपनी भागीदारी को तीन गुना करना है और वह इसे हासिल करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे समुद्री व्यापार बढ़ रहा है, भारतीय नाविकों की संख्या भी बढ़ रही है। उन्होंने इन पेशेवरों को मेहनती व्यक्ति बताया जो जहाजों का संचालन करते हैं, इंजन और मशीनरी का प्रबंधन करते हैं और समुद्र में माल चढ़ाने और उतारने के कार्यों की देखरेख करते हैं। एक दशक पहले, भारत में 1.25 लाख से भी कम नाविक थे। आज यह संख्या तीन लाख को पार कर गई है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत अब दुनिया भर में सबसे अधिक नाविकों की आपूर्ति करने वाले शीर्ष तीन देशों में शामिल है। श्री मोदी ने कहा कि भारत का बढ़ता जहाज निर्माण उद्योग वैश्विक क्षमताओं को भी मजबूत कर रहा है।

इस बात पर जोर देते हुए कि भारत के पास एक समृद्ध समुद्री विरासत है, जिसका प्रतीक उसके मछुआरे और प्राचीन बंदरगाह शहर हैं, श्री मोदी ने कहा कि भावनगर और सौराष्ट्र क्षेत्र इस विरासत के प्रमुख उदाहरण हैं। प्रधानमंत्री ने आने वाली पीढ़ियों और दुनिया के लिए इस विरासत को संरक्षित करने और प्रदर्शित करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने घोषणा की कि लोथल में एक विश्व स्तरीय समुद्री संग्रहालय विकसित किया जा रहा है, जो स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की तरह भारत की पहचान का एक नया प्रतीक बनेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत के समुद्र तट राष्ट्रीय समृद्धि के प्रवेश द्वार बनेंगे।" उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि गुजरात का समुद्र तट एक बार फिर इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह पूरा क्षेत्र अब देश में बंदरगाह-आधारित विकास के लिए एक नया मानदंड स्थापित कर रहा है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में समुद्री मार्गों से आने वाले 40 प्रतिशत माल का संचालन गुजरात के बंदरगाहों द्वारा किया जाता है और ये बंदरगाह जल्द ही समर्पित माल ढुलाई गलियारे (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) से लाभान्वित होंगे, जिससे देश के अन्य हिस्सों में माल की तेज़ आवाजाही संभव होगी और बंदरगाहों की दक्षता में और वृद्धि होगी।

श्री मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र में एक मज़बूत जहाज-तोड़ने का इकोसिस्टम उभर रहा है, जिसका एक प्रमुख उदाहरण अलंग शिप ब्रेकिंग यार्ड है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र युवाओं के लिए रोज़गार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि एक विकसित भारत के निर्माण के लिए सभी क्षेत्रों में तेज़ी से प्रगति ज़रूरी है। उन्होंने दोहराया कि विकसित भारत का रास्ता आत्मनिर्भरता से होकर गुजरता है। उन्होंने नागरिकों से यह याद रखने का आग्रह किया कि वे जो भी खरीदें वह स्वदेशी हो और जो भी बेचें वह भी स्वदेशी हो। दुकानदारों को संबोधित करते हुए, श्री मोदी ने उन्हें अपनी दुकानों पर "गर्व से कहो, यह स्वदेशी है" लिखे पोस्टर लगाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने यह कहते हुए अपना संबोधन का समापन किया कि यह सामूहिक प्रयास हर त्यौहार को भारत की समृद्धि के उत्सव में बदल देगा और सभी को नवरात्रि की शुभकामनाएँ दीं। इस कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल, केंद्रीय मंत्री श्री सी. आर. पाटिल, श्री सर्बानंद सोनोवाल, डॉ. मनसुख मांडविया, श्री शांतनु ठाकुर, श्रीमती निमुबेन बंभानिया सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने समुद्री क्षेत्र को एक बड़ा बढ़ावा देते हुए 34,200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली समुद्री क्षेत्र से संबंधित कई विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। उन्होंने इंदिरा डॉक पर मुंबई अंतर्राष्ट्रीय क्रूज टर्मिनल का उद्घाटन किया। उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह, कोलकाता में एक नए कंटेनर टर्मिनल और संबंधित सुविधाओं; पारादीप बंदरगाह पर नए कंटेनर बर्थ, कार्गो हैंडलिंग सुविधाओं और संबंधित विकास कार्यों; टूना टेकरा मल्टी-कार्गो टर्मिनल; कामराजर बंदरगाह, एन्नोर में अग्निशमन सुविधाओं और आधुनिक सड़क संपर्क; चेन्नई बंदरगाह पर समुद्री दीवारों और रिवेटमेंट सहित तटीय सुरक्षा कार्य; कार निकोबार द्वीप पर समुद्री दीवार निर्माण; दीनदयाल बंदरगाह, कांडला में एक बहुउद्देश्यीय कार्गो बर्थ और ग्रीन बायो-मेथनॉल संयंत्र; और पटना और वाराणसी में जहाज मरम्मत सुविधाओं की आधारशिला रखी।

समग्र और सतत विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने गुजरात के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी केंद्र और राज्य सरकार की 26,354 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। उन्होंने छारा बंदरगाह पर एचपीएलएनजी पुनर्गैसीकरण टर्मिनल, गुजरात आईओसीएल रिफाइनरी में एक्रिलिक और ऑक्सो अल्कोहल परियोजना, 600 मेगावाट ग्रीन शू पहल, किसानों के लिए पीएम-कुसुम 475 मेगावाट कंपोनेंट सी सोलर फीडर, 45 मेगावाट बडेली सोलर पीवी परियोजना, धोरडो गांव के पूर्ण सौरीकरण आदि का उद्घाटन किया। उन्होंने एलएनजी अवसंरचना, अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं, तटीय संरक्षण कार्यों, राजमार्गों और स्वास्थ्य सेवा एवं शहरी परिवहन परियोजनाओं की आधारशिला रखी, जिनमें भावनगर में सर टी. जनरल अस्पताल, जामनगर में गुरु गोविंद सिंह सरकारी अस्पताल का विस्तार और 70 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों को चार लेन का बनाना शामिल है। प्रधानमंत्री धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (डीएसआईआर) का हवाई सर्वेक्षण भी करेंगे, जिसकी परिकल्पना एक हरित औद्योगिक शहर के रूप में की गई है जो सतत औद्योगीकरण, स्मार्ट बुनियादी ढाँचे और वैश्विक निवेश पर आधारित है। वे लोथल में लगभग 4,500 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किए जा रहे राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएचएमसी) का दौरा और उसकी प्रगति की समीक्षा भी करेंगे। यह परिसर भारत की प्राचीन समुद्री परंपराओं का उत्सव मनाने और उन्हें संरक्षित करने तथा पर्यटन, अनुसंधान, शिक्षा और कौशल विकास के केंद्र के रूप में कार्य करेगा।

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भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है: रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान पीएम मोदी
December 05, 2025

Your Excellency, My Friend, राष्ट्रपति पुतिन,
दोनों देशों के delegates,
मीडिया के साथियों,
नमस्कार!
"दोबरी देन"!

आज भारत और रूस के तेईसवें शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। उनकी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे द्विपक्षीय संबंध कई ऐतिहासिक milestones के दौर से गुजर रहे हैं। ठीक 25 वर्ष पहले राष्ट्रपति पुतिन ने हमारी Strategic Partnership की नींव रखी थी। 15 वर्ष पहले 2010 में हमारी साझेदारी को "Special and Privileged Strategic Partnership” का दर्जा मिला।

पिछले ढाई दशक से उन्होंने अपने नेतृत्व और दूरदृष्टि से इन संबंधों को निरंतर सींचा है। हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने आपसी संबंधों को नई ऊंचाई दी है। भारत के प्रति इस गहरी मित्रता और अटूट प्रतिबद्धता के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का, मेरे मित्र का, हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

Friends,

पिछले आठ दशकों में विश्व में अनेक उतार चढ़ाव आए हैं। मानवता को अनेक चुनौतियों और संकटों से गुज़रना पड़ा है। और इन सबके बीच भी भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है।परस्पर सम्मान और गहरे विश्वास पर टिके ये संबंध समय की हर कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं। आज हमने इस नींव को और मजबूत करने के लिए सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा की। आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है। इसे साकार करने के लिए आज हमने 2030 तक के लिए एक Economic Cooperation प्रोग्राम पर सहमति बनाई है। इससे हमारा व्यापार और निवेश diversified, balanced, और sustainable बनेगा, और सहयोग के क्षेत्रों में नए आयाम भी जुड़ेंगे।

आज राष्ट्रपति पुतिन और मुझे India–Russia Business Forum में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि ये मंच हमारे business संबंधों को नई ताकत देगा। इससे export, co-production और co-innovation के नए दरवाजे भी खुलेंगे।

दोनों पक्ष यूरेशियन इकॉनॉमिक यूनियन के साथ FTA के शीघ्र समापन के लिए प्रयास कर रहे हैं। कृषि और Fertilisers के क्षेत्र में हमारा करीबी सहयोग,food सिक्युरिटी और किसान कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। मुझे खुशी है कि इसे आगे बढ़ाते हुए अब दोनों पक्ष साथ मिलकर यूरिया उत्पादन के प्रयास कर रहे हैं।

Friends,

दोनों देशों के बीच connectivity बढ़ाना हमारी मुख्य प्राथमिकता है। हम INSTC, Northern Sea Route, चेन्नई - व्लादिवोस्टोक Corridors पर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे। मुजे खुशी है कि अब हम भारत के seafarersकी polar waters में ट्रेनिंग के लिए सहयोग करेंगे। यह आर्कटिक में हमारे सहयोग को नई ताकत तो देगा ही, साथ ही इससे भारत के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे।

उसी प्रकार से Shipbuilding में हमारा गहरा सहयोग Make in India को सशक्त बनाने का सामर्थ्य रखता है। यह हमारेwin-win सहयोग का एक और उत्तम उदाहरण है, जिससे jobs, skills और regional connectivity – सभी को बल मिलेगा।

ऊर्जा सुरक्षा भारत–रूस साझेदारी का मजबूत और महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। Civil Nuclear Energy के क्षेत्र में हमारा दशकों पुराना सहयोग, Clean Energy की हमारी साझा प्राथमिकताओं को सार्थक बनाने में महत्वपूर्ण रहा है। हम इस win-win सहयोग को जारी रखेंगे।

Critical Minerals में हमारा सहयोग पूरे विश्व में secure और diversified supply chains सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे clean energy, high-tech manufacturing और new age industries में हमारी साझेदारी को ठोस समर्थन मिलेगा।

Friends,

भारत और रूस के संबंधों में हमारे सांस्कृतिक सहयोग और people-to-people ties का विशेष महत्व रहा है। दशकों से दोनों देशों के लोगों में एक-दूसरे के प्रति स्नेह, सम्मान, और आत्मीयताका भाव रहा है। इन संबंधों को और मजबूत करने के लिए हमने कई नए कदम उठाए हैं।

हाल ही में रूस में भारत के दो नए Consulates खोले गए हैं। इससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क और सुगम होगा, और आपसी नज़दीकियाँ बढ़ेंगी। इस वर्ष अक्टूबर में लाखों श्रद्धालुओं को "काल्मिकिया” में International Buddhist Forum मे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का आशीर्वाद मिला।

मुझे खुशी है कि शीघ्र ही हम रूसी नागरिकों के लिए निशुल्क 30 day e-tourist visa और 30-day Group Tourist Visa की शुरुआत करने जा रहे हैं।

Manpower Mobility हमारे लोगों को जोड़ने के साथ-साथ दोनों देशों के लिए नई ताकत और नए अवसर create करेगी। मुझे खुशी है इसे बढ़ावा देने के लिए आज दो समझौतेकिए गए हैं। हम मिलकर vocational education, skilling और training पर भी काम करेंगे। हम दोनों देशों के students, scholars और खिलाड़ियों का आदान-प्रदान भी बढ़ाएंगे।

Friends,

आज हमने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। यूक्रेन के संबंध में भारत ने शुरुआत से शांति का पक्ष रखा है। हम इस विषय के शांतिपूर्ण और स्थाई समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत सदैव अपना योगदान देने के लिए तैयार रहा है और आगे भी रहेगा।

आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत और रूस ने लंबे समय से कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया है। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला हो या क्रोकस City Hall पर किया गया कायरतापूर्ण आघात — इन सभी घटनाओं की जड़ एक ही है। भारत का अटल विश्वास है कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा प्रहार है और इसके विरुद्ध वैश्विक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।

भारत और रूस के बीच UN, G20, BRICS, SCO तथा अन्य मंचों पर करीबी सहयोग रहा है। करीबी तालमेल के साथ आगे बढ़ते हुए, हम इन सभी मंचों पर अपना संवाद और सहयोग जारी रखेंगे।

Excellency,

मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हमारी मित्रता हमें global challenges का सामना करने की शक्ति देगी — और यही भरोसा हमारे साझा भविष्य को और समृद्ध करेगा।

मैं एक बार फिर आपको और आपके पूरे delegation को भारत यात्रा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ।