प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के भुज में 53,400 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर, उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कच्छ के लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और विशेष रूप से महान स्वतंत्रता सेनानी श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा सहित क्रांतिकारियों और शहीदों के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने उनके लचीलेपन एवं योगदान को स्वीकार करते हुए कच्छ के बेटों और बेटियों के प्रति अपना सम्मान प्रकट किया।
श्री मोदी ने कच्छ की पवित्र भूमि पर आशापुरा माता की दिव्य उपस्थिति को स्वीकार करते हुए उनके प्रति भक्तिभाव प्रकट किया। उन्होंने क्षेत्र पर उनके निरंतर आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त किया और लोगों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया।
कच्छ के साथ अपने गहरे संबंध को प्रकट करते हुए, श्री मोदी ने जिले भर में अपनी लगातार यात्राओं को याद किया और इस बात पर जोर दिया कि कैसे इस भूमि ने उनके जीवन की दिशा को आकार दिया है। उन्होंने कहा कि भले ही, जीवन की स्थितियों में काफी सुधार हुआ है, लेकिन अतीत ने काफी चुनौतियां पेश की हैं। उन्होंने यह भी याद करते हुए कहा कि नर्मदा नदी का पानी कच्छ क्षेत्र में पहुंचते हुए देखना उनके लिए खुशकिस्मती की बात है। मुख्यमंत्री का पद संभालने से पहले भी, वे अक्सर कच्छ आते थे और जिला कार्यालय में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते थे। श्री मोदी ने कच्छ के किसानों के अटूट दृढ़ संकल्प के बारे में भी बताया और कहा कि उनका जज्बा हमेशा यादगार रहा है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में उनके वर्षों के अनुभव ने इसके विकास की दिशा में उनके प्रयासों में बहुत योगदान दिया।

कच्छ के उल्लेखनीय सफलता प्राप्त करने में उम्मीदों और अथक प्रयास की शक्ति के प्रदर्शन पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने उस विनाशकारी भूकंप को याद किया जिसने एक बार कई लोगों को इस क्षेत्र के भविष्य पर संदेह करने पर मजबूर कर दिया था। हालांकि, उन्हें अटूट विश्वास था कि कच्छ राख से उठ खड़ा होगा - और लोगों ने इसे संभव बनाया। प्रधानमंत्री ने कहा, "आज, कच्छ व्यापार, वाणिज्य और पर्यटन के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में खड़ा है।" उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र की भूमिका और भी बड़ी होगी। उन्होंने कच्छ के तेज विकास को देखने और इसकी प्रगति का समर्थन करने पर अपनी खुशी व्यक्त की। अपनी यात्रा के दौरान, बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन और शुभारंभ किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये पहल भारत के एक प्रमुख नीली अर्थव्यवस्था और हरित ऊर्जा के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने में महत्वपूर्ण योगदान देंगी। उन्होंने इन परिवर्तनकारी विकासों के लिए कच्छ के लोगों को बधाई दी।
श्री मोदी ने हरित हाइड्रोजन की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर देते हुए इसे भविष्य का ईंधन बताया और कहा, "कच्छ दुनिया में हरित ऊर्जा के सबसे बड़े केंद्र के रूप में उभर रहा है।" उन्होंने कहा कि कार, बस और स्ट्रीट लाइट जल्द ही हरित हाइड्रोजन से संचालित होंगी, जिससे भारत के ऊर्जा परिदृश्य में क्रांति आएगी। श्री मोदी ने कहा कि कांडला देश के तीन नामित हरित हाइड्रोजन केंद्रों में से एक है। उन्होंने कच्छ में एक नए हरित हाइड्रोजन संयंत्र की आधारशिला रखने की घोषणा की और जोर देकर कहा कि इस संयंत्र में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक पूरी तरह से "मेड इन इंडिया" है। इसके अलावा, श्री मोदी ने भारत की सौर क्रांति में कच्छ की केंद्रीय भूमिका पर जोर देते हुए बताया कि इस क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाओं में से एक विकसित की जा रही है। उन्होंने कहा कि खावड़ा परिसर की स्थापना के साथ, कच्छ ने वैश्विक ऊर्जा मानचित्र पर खुद को मजबूती से स्थापित कर लिया है।
नागरिकों के लिए बिजली की लागत कम करते हुए पर्याप्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के शुभारंभ पर प्रकाश डाला, जिससे गुजरात में लाखों परिवार पहले ही लाभान्वित हो चुके हैं। उन्होंने तटीय क्षेत्रों के आर्थिक महत्व पर जोर दिया और कहा कि समुद्री समृद्धि कई देशों के विकास में एक महत्वपूर्ण कारक रही है। प्राचीन बंदरगाह शहरों ढोला वीरा और लोथल का भारत की समृद्ध विरासत और ऐतिहासिक व्यापार एवं विकास में भूमिका के प्रमुख उदाहरण के रूप में उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, "इस विरासत से प्रेरित होकर, सरकार बंदरगाहों के आसपास शहरों का विस्तार करके बंदरगाह-आधारित विकास पर आधारित अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ा रही है।" उन्होंने कहा कि भारत समुद्री भोजन, पर्यटन और व्यापार को शामिल करते हुए एक नए तटीय इकोसिस्टम को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बंदरगाहों के आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए महत्वपूर्ण निवेश किए जा रहे हैं, जिसके उल्लेखनीय परिणाम सामने आ रहे हैं। पहली बार प्रमुख बंदरगाहों ने सामूहिक रूप से एक साल में रिकॉर्ड 15 करोड़ टन कार्गो संभाला है, जिसमें कांडला पोर्ट की अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि भारत के समुद्री व्यापार के लगभग एक तिहाई हिस्से का प्रबंधन कच्छ के बंदरगाहों द्वारा किया जाता है। बुनियादी ढांचे के महत्व को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर क्षमता और कनेक्टिविटी को लगातार बढ़ाया जा रहा है। इस अवसर पर, परिचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए एक नई जेटी और विस्तारित कार्गो भंडारण सुविधा सहित कई शिपिंग-संबंधित सुविधाओं का उद्घाटन किया गया। प्रधानमंत्री ने समुद्री क्षेत्र पर सरकार के बढ़ते जोर का उल्लेख करते हुए इस साल के बजट में इसके विकास के लिए एक विशेष कोष बनाने की घोषणा की। उन्होंने जहाज निर्माण के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि भारत न केवल घरेलू जरूरतों के लिए बल्कि वैश्विक मांग के लिए भी बड़े जहाजों का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा कि इन पहलों से समुद्री क्षेत्र में देश के युवाओं के लिए महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

कच्छ की अपनी विरासत के प्रति गहरे सम्मान पर जोर देते हुए, श्री मोदी ने बताया कि कैसे यह विरासत अब क्षेत्र के विकास के पीछे एक प्रेरक शक्ति बन गई है। उन्होंने भुज में कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, चीनी मिट्टी की चीजें और नमक उत्पादन सहित विभिन्न उद्योगों में पिछले दो दशकों में देखी गई उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डाला। श्री मोदी ने कच्छ कढ़ाई, ब्लॉक प्रिंटिंग, बांधनी कपड़े और चमड़े के काम जैसे कच्छ के पारंपरिक शिल्प की व्यापक मान्यता पर टिप्पणी की और हथकरघा कला के एक जीवंत संग्रहालय के रूप में भुजोडी गांव की प्रशंसा की। साथ ही, उन्होंने अजरख छपाई की अनूठी परंपरा को स्वीकार किया, जिसने अब भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग हासिल कर लिया है, जिससे आधिकारिक तौर पर कच्छ में इसकी उत्पत्ति की पुष्टि होती है। उन्होंने विशेष रूप से आदिवासी परिवारों और कारीगरों के लिए इस पहचान के महत्व को रेखांकित किया, क्योंकि इससे उनकी सांस्कृतिक पहचान और शिल्प कौशल को मजबूती मिलती है। इसके अतिरिक्त, श्री मोदी ने केंद्रीय बजट में चमड़ा और कपड़ा उद्योगों का समर्थन करने वाले प्रमुख प्रावधानों के बारे में बताते हुए इन क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
चुनौतियों पर काबू पाने में कच्छ के मेहनतकश किसानों की दृढ़ता को स्वीकार करते हुए, प्रधानमंत्री ने उनको श्रद्धांजलि दी और उस दौर को याद किया जब गुजरात में भूजल स्तर में भारी गिरावट आई थी, जिससे गंभीर कठिनाइयां पैदा हुई थीं। हालांकि, नर्मदा जी के आशीर्वाद और सरकार के समर्पित प्रयासों से स्थिति बदल गई है। प्रधानमंत्री ने कच्छ के भाग्य को नया आकार देने में केवड़िया से मोदकुबा तक फैली नहर की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज, कच्छ से आम, खजूर, अनार, जीरा और ड्रैगन फ्रूट जैसी कृषि उपज वैश्विक बाजारों तक पहुंच रही है। क्षेत्र के अतीत को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमित अवसरों के कारण कच्छ को एक समय मजबूरन पलायन का सामना करना पड़ा था। हालांकि, उल्लेखनीय प्रगति के साथ, स्थानीय युवाओं को अब कच्छ में ही रोजगार मिल रहा है, जिससे इस क्षेत्र की बढ़ती समृद्धि का पता चलता है।
श्री मोदी ने इस बात की पुष्टि की कि भारत के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करना उनकी सरकार की प्रमुख प्राथमिकता बनी हुई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है जो बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने में सक्षम है और कच्छ अपने समृद्ध इतिहास, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता के साथ इस क्षेत्र में विस्तार के लिए अच्छी स्थिति में है। कच्छ के रण उत्सव की बढ़ती लोकप्रियता पर संतोष व्यक्त करते हुए, श्री मोदी ने स्मृति वन स्मारक पर प्रकाश डाला और कहा कि यूनेस्को ने इसे दुनिया के सबसे खूबसूरत संग्रहालयों में से एक माना है। रण उत्सव लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में कच्छ के पर्यटन उद्योग में और वृद्धि होगी और उन्होंने बताया कि धोरडो गांव ने वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों में से एक के रूप में अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल की है। इसके अलावा, मांडवी का समुद्री तट पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण के रूप में उभर रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए, श्री मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री से पर्यटन की संभावनाओं को और बढ़ाने के लिए रण उत्सव के दौरान मांडवी में एक समुद्र तट उत्सव आयोजित करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी बताया कि अहमदाबाद और भुज के बीच नमो भारत रैपिड रेल क्षेत्र में पर्यटन को और बढ़ावा देगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 26 मई का दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन उन्होंने 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने कहा कि आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जबकि 2014 में भारत 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। उन्होंने लोगों को जोड़ने के साधन के रूप में पर्यटन में भारत के दृढ़ विश्वास की पुष्टि की और इसकी तुलना पाकिस्तान जैसे देशों से की जो पर्यटन के बजाय आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने दोहराया, "आतंकवाद एक गंभीर वैश्विक खतरा है और भारत इसके खिलाफ शून्य-सहिष्णुता की नीति रखता है।" ऑपरेशन सिंदूर पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मिशन आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख को रेखांकित करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय नागरिकों को नुकसान पहुंचाने के किसी भी प्रयास का उसी भाषा में कड़ा जवाब दिया जाएगा और जोर देकर कहा कि जो लोग भारत को चुनौती देने की हिम्मत करेंगे, उन्हें किसी भी कीमत पर गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर मानवता की रक्षा और आतंकवाद को मिटाने का मिशन है।" उन्होंने 22 अप्रैल के बाद बिहार में एक रैली में अपने शब्दों को याद किया, जिसमें उन्होंने आतंकी संगठनों और बुनियादी ढांचे को नष्ट करने की कसम खाई थी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जब पहलगाम हमलों के एक पखवाड़े बाद भी पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की, तो भारतीय सशस्त्र बलों को जवाब देने के लिए खुली छूट दी गई थी।

उन्होंने कहा कि भारत ने अपने सशस्त्र बलों की क्षमता और अनुशासन का प्रदर्शन करते हुए आतंकवादी मुख्यालयों को सटीक रूप से निशाना बनाया। उन्होंने टिप्पणी की कि भारत ने दुनिया को दिखाया है कि वह सटीकता के साथ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर सकता है। प्रधानमंत्री ने भारत की निर्णायक कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की घबराहट का भी उल्लेख करते हुए बताया कि पाकिस्तान ने भारतीय नागरिकों पर हमले करने का प्रयास किया, लेकिन भारत ने दोगुनी ताकत से जवाबी कार्रवाई की, पर्याप्त सटीकता के साथ उनके सैन्य ठिकानों पर हमला किया। उन्होंने कहा, "भारत द्वारा पाकिस्तान के एयरबेस और सैन्य प्रतिष्ठानों को नष्ट करने से दुनिया स्तब्ध रह गई।" उन्होंने असाधारण व्यावसायिकता, बहादुरी और सटीकता के लिए सशस्त्र बलों की भी सराहना की।
1971 के ऐतिहासिक युद्ध को याद करते हुए, श्री मोदी ने भुज की महिलाओं की असाधारण बहादुरी की सराहना की, जिन्होंने विकट परिस्थितियों में एयरबेस को बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने भुज एयरबेस पर हमला किया था। उन्होंने बताया कि कैसे, लगातार पाकिस्तानी बमबारी के बीच, भुज की महिलाओं ने 72 घंटों के भीतर एयरबेस का पुनर्निर्माण किया, जिससे इसके परिचालनात्मक को जल्दी बहाल करना संभव हुआ था। उन्होंने बताया कि उन्हें पहले भी इन साहसी महिलाओं से मिलने का अवसर मिला था और उन्होंने उनके लचीलेपन और योगदान की सराहना की।

भारत की दुश्मनी किसी देश के लोगों से नहीं, बल्कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली ताकतों से होने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत की लड़ाई सीमा पार आतंकवाद और इसे प्रायोजित करने वालों के खिलाफ है।" कच्छ से पाकिस्तान के नागरिकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने उनसे अपनी स्थिति की वास्तविकता को पहचानने का आग्रह किया। उन्होंने आगाह किया कि उनकी सरकार और सेना आतंकवाद का सक्रिय रूप से समर्थन करती है और इसे राजस्व अर्जित करने के साधन के रूप में इस्तेमाल करती है। उन्होंने पाकिस्तान के लोगों से इस बात पर विचार करने का आह्वान किया कि क्या यह रास्ता वास्तव में उनके सर्वोत्तम हित में है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सत्ता से प्रेरित एजेंडे पाकिस्तानियों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं और उनके बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अगर पाकिस्तान को आतंकवाद के अभिशाप से खुद को मुक्त करना है, तो उसके लोगों को एक कदम उठाना होगा और इसके उन्मूलन में योगदान देना होगा।
भारत की स्पष्ट दिशा की पुष्टि करते हुए और राष्ट्र द्वारा विकास, शांति और समृद्धि का मार्ग चुने जाने की बात पर जोर देते हुए, श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि कच्छ की भावना भारत के विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा में प्रेरणा का काम करेगी। भविष्य को देखते हुए, श्री मोदी ने आगामी आषाढ़ी बीज के लिए अपनी अग्रिम शुभकामनाएं दीं, जो कच्छी नव वर्ष का प्रतीक है। उन्होंने एक बार फिर कच्छ के लोगों को उनकी उल्लेखनीय प्रगति और चल रही विकास उपलब्धियों के लिए बधाई देते हुए अपने भाषण का समापन किया।

इस कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्रभाई पटेल, केंद्रीय विद्युत तथा आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री ने गुजरात के भुज में 53,400 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। बिजली क्षेत्र की परियोजनाओं में खावड़ा अक्षय ऊर्जा पार्क में उत्पादित अक्षय ऊर्जा की निकासी के लिए ट्रांसमिशन परियोजनाएं, ट्रांसमिशन नेटवर्क का विस्तार, तापी में अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट इकाई आदि शामिल हैं। इसमें कांडला बंदरगाह की परियोजनाएं और गुजरात सरकार की कई सड़क, जल और सौर परियोजनाएं भी शामिल हैं।
पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आज कच्छ व्यापार-कारोबार का...टूरिज्म का एक बड़ा सेंटर है: PM @narendramodi pic.twitter.com/1lDNGqGw8G
— PMO India (@PMOIndia) May 26, 2025
From seafood to tourism and trade, India is building a new ecosystem along the coastal regions. pic.twitter.com/IXnQ3ma3cg
— PMO India (@PMOIndia) May 26, 2025
Zero tolerance for terrorism. pic.twitter.com/VSKCAyhk8T
— PMO India (@PMOIndia) May 26, 2025
Operation Sindoor is a mission to protect humanity and end terrorism. pic.twitter.com/caGbgchomS
— PMO India (@PMOIndia) May 26, 2025
The headquarters of terrorism were on India's radar and we struck them with precision.
— PMO India (@PMOIndia) May 26, 2025
This showcases the strength and discipline of our armed forces: PM @narendramodi pic.twitter.com/7DSmzcDJK4
India's fight is against cross-border terrorism. pic.twitter.com/g3wOvOtGsO
— PMO India (@PMOIndia) May 26, 2025