आज कच्छ व्यापार और पर्यटन का एक बड़ा केंद्र है, आने वाले समय में कच्छ की यह भूमिका और भी बड़ी होने जा रही है: प्रधानमंत्री
समुद्री भोजन से लेकर पर्यटन और व्यापार तक, भारत तटीय क्षेत्रों में एक नया पारिस्थितिकी तंत्र बना रहा है: प्रधानमंत्री
आतंकवाद के खिलाफ हमारी नीति शून्य सहिष्णुता की है: प्रधानमंत्री
ऑपरेशन सिंदूर मानवता की रक्षा और आतंकवाद को खत्म करने का मिशन है: प्रधानमंत्री
भारत के रडार पर आतंकवाद के मुख्यालय थे और हमने उन पर सटीक हमला किया, जिससे हमारे सशस्त्र बलों की ताकत और अनुशासन का पता चलता है: प्रधानमंत्री
भारत की लड़ाई सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय।

अपना तिरंगा झुकना नहीं चाहिए।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल में मेरे साथी मनोहर लाल जी, मंत्रिमंडल के अन्य सभी सदस्य, सांसद, विधायकगण, अन्य सभी वरिष्ठ महानुभाव, और कच्छ के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों !

मुज्झा शरद जा संतरी एड़ा कच्छी माडू की आयों ? आऊँ कच्छजा सपूत एड़ा क्रांति गुरू श्यामजी कृष्ण वर्मा के घणे-घणे नमन करियां तो। अईं मड़े कच्छी भा भेणु के मुज्झा झझा झझा राम राम।

साथियों,

कच्छ की इस पावन धरा पर आशापुरा माता के आशीर्वाद, हमारी सारी आशाएं पूरी करते हैं। आशापुरा माता ने हमेशा इस धरती पर अपनी कृपा रखी है। मैं आज कच्छ की धरती से मां आशापुरा को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, और सभी जनता-जनार्दन को प्रणाम करता हूं।

साथियों,

मेरा और कच्छ का नाता बहुत पुराना है, आप लोगों का प्यार भी इतना है कि मैं अपने आप को कच्छ आने से कभी रोक नहीं पाता हूं। और जब मैं राजनीति में भी नहीं था, सत्ता से मेरा कोई लेना-देना नहीं था, उस समय भी कच्छ की धरती पर लगातार आना, ये मेरी सहज कार्यरचनाएं हुआ करती थीं। यहां के चप्पे-चप्पे पर जाने का मौका मिला है। कच्छ के लोग, कच्छ के लोगों का आत्मविश्वास, अभावों के बीच भी आत्मविश्वास से भरे हुए लोग, ये हमेशा-हमेशा मेरे जीवन को दिशा देते रहे हैं। जो पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, वो जानते हैं, वर्तमान पीढ़ी को शायद पता नहीं है, आज तो यहां का जीवन बहुत आसान हो गया है, लेकिन तब हालात कुछ और हुआ करते थे, और जब मुख्यमंत्री के रूप में, मुझे याद है जब पहली बार नर्मदा का पानी कच्छ की धरती पर आया, शायद वो दिन कच्छ के लिए दिवाली बन गया था, और ऐसी दिवाली पहले कभी भी कच्छ ने देखी नहीं होगी, जो उस दिन हमने देखी थी। पानी के लिए सदियों से तरसता कच्छ, मां नर्मदा ने हम पर कृपा की, और मेरा सौभाग्य है कि सूखी धरती पर पानी पहुंचाने के कार्य में निमित्त बनने का मुझे अवसर दिया आप सबने। मैं जब मुख्यमंत्री था, लोग गिनते थे, कि मुख्यमंत्री जी कितनी बार कच्छ आए, हिसाब लगाते थे। कुछ लोग तो कहते थे, मोदी जी ने सेंचुरी लगा दी है। अनेक गांवों में जाना, मेरे कार्यकर्ताओं के घरों में जाना, लोगों को मिलना, मेरे कार्यालय में जाकर के बैठना, ये मेरे स्वाभाविक गतिविधि का हिस्सा था।

साथियों,

मैंने देखा है कि कच्छ में पानी नहीं था, लेकिन कच्छ के किसान पानीदार थे, उनका जज्बा हमेशा देखने लायक रहा है। सालों तक जो भी मैंने कच्छ में अनुभव किया, और मैं उसमें विकास की बहुत संभावनाएं देखता था, कच्छ ऐसा नहीं हो सकता। जिस भूमि पर हजारों साल पहले धोलावीरा हुआ हो, उस भूमि में जरूर कोई ताकत होनी चाहिए, हमें उसकी पूजा करनी चाहिए।

और साथियों,

कच्छ ने दिखा दिया कि उम्मीद और निरंतर परिश्रम से स्थितियों को पलटा जाता है, आपत्ति को अवसर में बदला जा सकता है, और इच्छित सिद्धियों को प्राप्त किया जा सकता है। जब यहां भूकंप आया था, तो दुनिया को लगता था कि बस खत्म, अब कुछ नहीं हो सकता। और कच्छ मौत की चादर ओढ़कर के सोया खुद भूकंप में। लेकिन साथियों मैंने कभी मेरा विश्वास खोया नहीं था, मेरा विश्वास कच्छी खमीर पर था, और इसलिए मैं तो कहता था, बच्चों को पढ़ाना पड़ेगा, कि कच्छ का ‘क’ और खमीर का ‘ख’। लेकिन मुझे विश्वास था कि कच्छ इस संकट को परास्त करेगा, भूकंप को भी कंपा करके, मेरा कच्छीमाडू खड़ा हो जाएगा। और आपने, बिल्कुल वैसा ही किया। आज कच्छ व्यापार-कारोबार का, टूरिज्म का एक बड़ा सेंटर है। आने वाले समय में कच्छ की ये भूमिका और बड़ी होने वाली है। इसलिए जब भी मैं कच्छ विकास को गति देने आता हूं, मुझे लगता है कि मैं और कुछ करूंगा, और नया करूंगा, और ज्यादा करूंगा, मन रुकने का नाम नहीं करता है। आज यहां विकास से जुड़े पचास हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। एक समय था पूरे गुजरात में पचास हज़ार करोड़ की योजना सुनाई नहीं देती थी, आज एक जिले में पचास हज़ार करोड़ रुपए का काम।

साथियों,

ये प्रोजेक्ट भारत को दुनिया की एक बहुत बड़ी और ब्लू इकोनॉमी बनाने, ग्रीन एनर्जी का सेंटर बनाने में भी मदद करेंगे। मैं आप सभी को, मेरे प्यारे कच्छियों को इन सभी विकास कार्यों के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। एक बार तिरंगा फहरा करके, जरा अपना आनंद भी जताइए, उत्साह भी जताइए।

साथियों,

हमारा कच्छ, हरित ऊर्जा का, दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र बन रहा है। आप सुन रहे हो? क्या कहा मैंने? दुनिया का सबसे बड़ा, हो जाए एक बार। ग्रीन हाइड्रोजन एक नए प्रकार का ईंधन है। आने वाले समय में कारें, बसें, स्ट्रीट लाइट, ये ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली हैं। कांडला, देश के तीन ग्रीन हाइड्रोजन हब्स में से एक है। आज भी यहां ग्रीन हाईड्रोजन कारखाने का शिलान्यास हुआ है। इस कारखाने में जो टेक्नोलॉजी लगी है, आप गर्व करेंगे साथियों, वो भी मेड इन इंडिया है। हमारा कच्छ, भारत की सौर क्रांति के भी केंद्र में है। दुनिया के सबसे बड़े सोलर पावर प्रोजेक्ट्स में से एक यहां, मेरे कच्छ में बन रहा है। एक जमाना था, हम कच्छ का वर्णन करते थे, तो बोलते थे कि हमारे यहाँ तो क्या है, रेगिस्तान है, यहाँ क्या हो सकता है, और उस समय मैं कहता था, ये रेगिस्तान नहीं, ये तो मेरे गुजरात का तोरण है, और वही रेगिस्तान, जो धूल के तूफान और बंजर जमीन, हमें जो घेरा डाले हुए थे, वही रेगिस्तान अब हमें ही नहीं, पूरे हिन्दुस्तान को उर्जावान बनाने वाला है। खावड़ा कॉम्पलेक्स के कारण, कच्छ पूरी दुनिया के एनर्जी मैप में अपनी जगह बना चुका है।

साथियों,

हमारी सरकार का प्रयास है कि आपको पर्याप्त बिजली भी मिले और बिजली का बिल भी ज़ीरो हो। और इसलिए हमने पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना शुरू की है। गुजरात में लाखों परिवार इस योजना से जुड़ चुके हैं।

भाइयों और बहनों,

दुनिया के जिन भी देशों ने समृद्धि पाई है, वहां समंदर समृद्धि का एक बहुत बड़ा कारण रहा है। यहां भी धोलावीरा का उदाहरण हमारे सामने है, लोथल जैसे प्राचीन पोर्ट सिटी यहां हुआ करते थे, ये भारत की प्राचीन सभ्यता की समृद्धि के केंद्र रहे हैं। हमारा पोर्ट लेड डेवलपमेंट का विजन, इसी महान विरासत से प्रेरित है। भारत पोर्ट्स के इर्द-गिर्द बसे शहरों को विकसित कर रहा है। सी-फूड से लेकर टूरिज्म और ट्रेड तक, कोस्टल रीजन में देश एक नए इकोसिस्टम का निर्माण कर रहा है। देश, पोर्ट्स के विस्तार और आधुनिकीकरण, उस पर बहुत बड़ा निवेश कर रहा है। और इसके परिणाम भी शानदार हैं। देश के कुछ बड़े पोर्ट्स ने पहली बार, एक साल में रिकॉर्ड 15 करोड़ टन कार्गो हैंडल किया है। इसमें हमारा कांडला का दीनदयाल पोर्ट भी शामिल है। देश के कुल समुद्री व्यापार कारोबार का लगभग एक तिहाई हिस्सा, अकेले हमारे कच्छ के ही बंदरगाह से हैंडल होता है। इसलिए, कांडला और मुंद्रा पोर्ट की कैपेसिटी को, उसकी कनेक्टिविटी को लगातार बढ़ाया जा रहा है। आज भी यहां शिपिंग से जुड़ी कई सुविधाओं का लोकार्पण किया गया है। यहां नई जेटी बनाई गई है। यहां ज्यादा से ज्यादा सामान स्टोर हो सके, इसके लिए कार्गो स्टोरेज सुविधा बनाई गई है। इस वर्ष बजट में हमने मैरीटाइम सेक्टर के लिए एक स्पेशल फंड की घोषणा की है। बजट में, शिप बिल्डिंग पर भी जोर दिया गया है, हम अपनी ज़रूरत के लिए भी, और दुनिया की ज़रूरत के लिए भी भारत में ही बड़े जहाज़ बनाएंगे। एक जमाना था, अपना मांडवी तो उसी के लिए मशहूर था। बडे़-बड़े जहाज अपने लोग बनाते थे, आज भी वही शक्ति मांडवी में देखने को मिलती है। अब हम आधुनिक जहाज को लेकर दुनिया में जाना चाहते हैं, उसका निर्माण करके, उसको एक्सपोर्ट करना चाहते हैं। और उसी से अपने हजारों नौजवानों को शिप बिल्डिंग, अपने यहाँ अलंग में शिप ब्रेकिंग यार्ड है, अब हमने ताकत लगाई है, शिप बिल्डिंग में, और ये वो क्षेत्र है, जिसमें रोजगार के सबसे ज्यादा अवसर है।

साथियों,

हमारे कच्छ ने हमेशा से अपनी विरासत का सम्मान किया है। अब ये विरासत भी कच्छ के विकास की प्रेरणा बन रही है। बीते दो-ढाई दशक में, भुज में टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, सिरेमिक और नमक से जुड़े उद्योगों का बहुत विकास हुआ है। कच्छी कढ़ाई, ब्लॉक प्रिंटिंग, बांधनी कपड़े और चमड़े का काम, इनकी धूम हर तरफ दिखाई देती है। और अपना भुजोड़ी, ऐसा कोई हथकरघा या हस्तकला का कारखाना नहीं है, जिसमें हमारा भुजोड़ी न हो, अजरक प्रिंटिंग की परंपरा, कच्छ में वो अनोखी है, और अब तो हमारे कच्छ की यह सभी कलाओं को जी-आई टैग मिल गया है। उसकी पहचान बन गई है, दुनिया में उसकी पहचान बन गई है। यानी अब इस पर मोहर लग गई है, कि मूलरूप से ये कला कच्छ की है। ये विशेष रूप से हमारे जनजातीय परिवारों के लिए, कारीगरों के लिए बहुत बड़ी पहचान है। इस वर्ष के बजट में केंद्र सरकार ने चमड़ा और कपड़ा उद्योग के लिए अनेक घोषणाएं की हैं।

साथियों,

मैं कच्छ के किसान बहनों और भाइयों के परिश्रम को भी नमन करता हूं, आपने मुश्किल चुनौतियों के बीच भी हार नहीं मानी। एक समय था, जब गुजरात में पानी सैकड़ों फीट नीचे चला गया था। नर्मदा जी की कृपा और सरकार के प्रयासों से,आज स्थिति बदल गई है। केवड़िया से कच्छ के मोडकुबा तक जो नहर बनी है, उससे कच्छ की किस्मत बदल गई है। आज कच्छ के आम, खजूर, अनार, जीरा, और ड्रेगन फ्रूट तो कमाल कर रहा है, ऐसी अनेक फसलें दुनिया भर के बाज़ारों तक पहुंच रही हैं। एक समय था, कच्छ पलायन के लिए मजबूर था, हमारे यहां पापुलेशन का माइनस ग्रोथ हुआ करता था, आज कच्छ के लोगों को ही, कच्छ में रोजगार मिलता है इतना ही नहीं, कच्छ के बाहर लोगों की आशा भी कच्छ में बन गई है दोस्तों।

साथियों,

देश के नौजवानों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले, ये भाजपा सरकार की प्राथमिकता है। टूरिज्म एक ऐसा सेक्टर है, जिसमें बहुत बड़ी संख्या में रोजगार है। कच्छ में इतिहास भी है, संस्कृति भी है और प्रकृति भी है। मुझे खुशी है कि कच्छ का रणोत्सव दिनों-दिन नई बुलंदी की तरफ बढ़ रहा है। ये जो स्मृति वन हमारे भुज में बना है, इसको यूनेस्को ने दुनिया का सबसे खूबसूरत संग्रहालय माना है। आने वाले समय में यहां के पर्यटन में और विस्तार होगा। धोरडो गांव, दुनिया के best tourism villages में से एक है, है क्या धोरडो वाले आज यहां?, जरा तिरंगा फहराइए। मांडवी का sea beach भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है। और मैं तो भूपेंद्र भाई को रिक्वेस्ट करता हूं, कच्छ के सारे नेता यहां बैठे हैं, जब हमारा रणोत्सव चलता हो, क्या उसी समय हम कच्छ के Beach पर, Beach Competition खेलों की, क्योंकि आजकल Beach Games बहुत पॉपुलर हो रहे हैं। अभी कुछ समय पहले दीव में, नेशनल कंपटीशन हुआ, हजारों बच्चे खेलने के लिए आते हैं, Beach की बालू में खेलना होता है। मैं चाहूंगा कि आप रेगुलरली जब रणोत्सव चलता हो, उसी समय हमारे मांडवी के Beach पर, देशभर के लोग आए, खेलें और Beach उत्सव हो, यानी एक प्रकार से कच्छ टूरिज्म के अंदर नई-नई ऊंचाइयों को प्राप्त करता चले। आपको जो भी मदद चाहिए, मैं तो मौजूद ही हूं हमेशा।

साथियों,

अहमदाबाद और भुज के बीच नमो भारत रैपिड रेल, इसने भी टूरिज्म को बड़ी तकात दी है।

साथियों,

आज 26 मई है, क्यों ऐसे ठंडे हो गए? आप सभी गुजरात के भाइयों-बहनों ने मुझे बैंड-बाजे के साथ गुजरात से विदाई देकर दिल्ली भेजा, और 2014 में 26 मई, आज ही के दिन, और लगभग इसी समय देश में पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में, प्रधान सेवक के रूप में मैंने सौगंध ली थी। आपके आशीर्वाद से 26-5-2014 को गुजरात की सेवा से आगे बढ़कर राष्ट्र की सेवा में 11 साल की यात्रा, और विधि के लेख देखो, 26 मई, प्रधानमंत्री पद को 11 साल हो गए, और जिस दिन मैंने सौगंध ली थी, और देश, दुनिया में, इकोनॉमी में 11वें नंबर पर था, और आज 11 साल बाद 4 नंबर पर पहुँच गया।

साथियों,

भारत टूरिज्म पर विश्वास करता है, टूरिज्म लोगों को जोड़ता है, लेकिन पाकिस्तान जैसा देश भी है, जो टेररिज्म को ही टूरिज्म मानता है, और ये दुनिया के लिए बहुत बड़ा खतरा है। हमारे गुजरात में कच्छ के लोगों को पता होगा, कि पहले गांधीनगर से कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री कच्छ आते थे, 25-30 साल पहले, तो उनके भाषण में पाकिस्तान से शुरू होता था, पाकिस्तान पर पूरा होता था, और कच्छ वालों को बार-बार याद कराते थे, पाकिस्तान-पाकिस्तान-पाकिस्तान। आपने देखा होगा, 2001 में, मैंने तय कर लिया कि मैं समय उसमें बर्बाद नहीं करूंगा, मैं कभी भी जिक्र ही नहीं करता था, मैं सिर्फ कच्छ की ताकत की बात करता था, भुला दिया था मैंने, और कच्छ के लोगों ने पूरे सामर्थ्य के साथ, पाकिस्तान को भी ईर्ष्या हो जाए, वैसा कच्छ बना दिया दोस्तों।

साथियों,

हमारी नीति आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की है। ऑपरेशन सिंदूर ने इस नीति को और स्पष्ट कर दिया है। जो भी भारतीयों का खून बहाने की कोशिश करेगा, उसको उसकी भाषा में ही जवाब दिया जाएगा। भारत पर आंख उठाने वाले, किसी भी कीमत पर बख्शे नहीं जाएंगे।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर, मानवता की रक्षा और आतंकवाद के अंत का मिशन है। 22 मई के बाद, मैंने कभी छुपाया नहीं, सीना तानकर बिहार की जनसभा में, मैंने घोषणा की थी, मैं आतंकवाद के ठिकानों को मिट्टी में मिला दूंगा। 15 दिन तक हमने इंतजार किया, कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कोई कदम उठाएगा, लेकिन शायद आतंकवाद ही उनकी रोजी-रोटी है। जब उन्होंने कुछ नहीं किया, तो फिर मैंने देश की सेना को खुली छूट दे दी। भारत के टारगेट पर आतंकवादियों के हेडक्वार्टर थे, सैकड़ो किलोमीटर अंदर जाकर के, अगल-बगल में किसी का भी नुकसान हुए बिना, सीधी चोट करके आ गए, सटीक वार किया। ये दिखाता है कि हमारी सेना कितनी सक्षम और कितनी अनुशासित है। हमने दुनिया को दिखाया कि हम आतंकवाद के अड्डों को, उनके ठिकानों को यहां बैठे-बैठे मिट्टी में मिला सकते हैं।

साथियों,

भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान कैसे बौखला गया, ये भी हमने देखा है। 9 तारीख रात को हमारे कच्छ की सीमा पर भी ड्रोन आए ड्रोन। उनको लगता था कि मोदी गुजरात का है तो जरा गुजरात में कमाल करें, उन्हें मालूम नहीं है, जरा 1971 को याद कीजिए, ये जो वीरांगना यहां आई थी ना, उन्होंने तुमको धूल चटा दी थी। ये माताएं-बहने, उस समय 72 घंटे में रनवे तैयार कर दिया, और हमने हमले फिर से चालू कर दिए थे। और आज मेरा सौभाग्य है, कि 1971 की, लड़ाई की उस वीरांगना माताओं ने आकर के मुझे आशीर्वाद दिए हैं, इतना ही नहीं, सिंदूर के वृक्ष का पौधा भी दिया है। माताएं- बहने आपका दिया हुआ ये पौधा, अब पीएम हाउस में लगेगा, ये सिंदूर का पौधा है, ये वटवृक्ष बनकर के रहेगा।

साथियों,

पाकिस्तान ने, हमने तो आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला किया था, उन्होंने हमारे निर्दोष नागरिकों पर हमला करने की कोशिश की। और जब उनके ड्रोन दिखने लगे, तो पलक झपकते ही एक के बाद एक, आपने देखा कैसे गिरते थे। और तब भारत ने भी उनकी सेना पर दोगुनी ताकत से हमला किया। भारत ने जिस सटीकता से पाकिस्तान के एयरबेस को, उनके सैनिक ठिकानों को तबाह कर दिया, उससे दुनिया हैरान हो गई। जैसा मैंने कहा, आपने तो 1971 की लड़ाई देखी है, इस बार पूरा पाकिस्तान कांप रहा था दोस्तों, कांप रहा था। और 1971 में वो सोचते थे कि हमने भुज की एयरबेस पर हमला किया था, और उस समय हमारी बहनों ने कमाल करके दिखा दिया था, बहादुरी की मिसाल दिखाई थी।

और साथियों,

पाकिस्तान के हमले का जवाब हमने इतनी ताकत से दिया, कि उनके सारे एयरबेस आज भी ICU में पड़े हैं, आज भी ICU में पड़े हैं। और तब जाकर के पाकिस्तान शरणागति के लिए मजबूर हो गया। पाकिस्तान को लगा अब बच नहीं सकते हैं, भारत ने रौद्र रूप दिखा दिया है। और आखिरकार ये हमारी सेना का पराक्रम था, ये हमारी सेना का साहस था, ये हमारी सेना का सटीक ऑपरेशन था, कुछ ही घंटों में पाकिस्तान ने सफेद झंडा फहराना शुरू कर दिया, उन्होंने कहा कि हम गोली नहीं चलाना चाहते, हमने कहा, हम तो पहले ही कह रहे थे भई, हमने तो पहले ही कहा था, हमें आतंकवाद के ठिकानों को तोड़ना था, मारना था, सबक सिखाना था, उसके बाद तुम्हें चुप रहने की जरूरत थी, लेकिन तुमने गलती की, तो तुम्हें सजा भी भुगतनी पड़ी।

साथियों,

भारत की लड़ाई, सीमापार पल रहे आतंकवाद से है। जो आज इस आतंकवाद को पाल-पोस रहा है, उससे हमारी दुश्मनी है। मैं कच्छ की इस धरती से पाकिस्तान की सीमा पर सटा हुआ मेरा जिला है, मैं पाकिस्तान के लोगों को भी कहना चाहता हूं, क्या पाया आपने? हिंदुस्तान दुनिया की चौथी इकोनामी बन गया और तुम्हारा हाल क्या है, तुम्हारे बच्चों के भविष्य को बर्बाद किसने किया? उन्हें दर-दर भटकने के लिए मजबूर किसने किया? ये आतंकवाद के आकाओं ने, वहां की सेना का अपना एजेंडा है। पाकिस्तान के नागरिकों, खास करके वहां के बच्चे, ये मोदी की बात कान खोल करके सुन लो, ये आप की सरकार और आपकी सेना आतंकवाद को समर्थन दे रही है। आतंकवाद, पाकिस्तान की सेना और सरकार के लिए पैसे कमाने का जरिया बन गया है। पाकिस्तान के युवकों को तय करना होगा, पाकिस्तान के बच्चों को तय करना होगा, क्या ये रास्ता उनके लिए ठीक है? क्या उनका भला हो रहा है? सत्ता के लिए जो ये खेल खेले जा रहे हैं, क्या उससे पाकिस्तान के बच्चों की जिंदगी बनेगी ? मैं पाकिस्तान के बच्चों को कहना चाहता हूं, ये आपके हुक्मरान, ये आपकी सेना आतंकवाद के साये में पल रही है, वो आपके जीवन में खतरे पैदा कर रही है, आपके भविष्य को नष्ट कर रही है, आपको अंधेरे में धकेल रही है। पाकिस्तान को आतंक की बीमारी से मुक्त करने के लिए पाकिस्तान की अवाम को भी आगे आना होगा, पाकिस्तान के नौजवानों को आगे आना होगा, सुख-चैन की जिंदगी जियो, रोटी खाओ, वरना मेरी गोली तो है ही।

साथियों,

भारत की दिशा एकदम स्पष्ट है। भारत ने विकास का पथ चुना है, शांति और समृद्धि का रास्ता चुना है। मुझे भरोसा है कि जैसे कच्छ की जो स्पिरिट है, वो भारत को विकसित बनाने के लिए भी प्रेरणा बनेगी।

मेरे कच्छी भाइयों-बहनों, अब थोड़े दिन बाद अपनी अषाढ़ी बीज आएगी, अपना कच्छी नया साल, यहाँ आया हूं, पहले तो यहाँ अषाढ़ी बीज को आने का मौका लेता था। लेकिन अब आने वाला नहीं हूं, तो आज ही अपने अषाढ़ी बीज के नए साल की शुभकामनाएँ मेरे कच्छी भाइयों-बहनों को देता जाऊ। कच्छ के मेरे प्यारे भाई-बहनों आपका प्रेम, आपका आशीर्वाद और आज जो रोड शो किया, वाह-वाह इतनी गर्मी में, एयरपोर्ट से यहाँ तक जनसमुदाय उमड़ा। कच्छ को मेरे 100-100 सलाम, दोस्तो 100-100 सलाम। एक बार फिर, आप सभी को अनेक विकास कार्यों की बहुत-बहुत शुभकामनाए देता हूं। मेरे साथ जोर से, पूरी ताकत बोलिए और तिरंगे झंडे को बराबर ऊंचा करके बोलिये-

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय

वंदे मातरम। वंदे मातरम।

वंदे मातरम। वंदे मातरम।

वंदे मातरम। वंदे मातरम।

बहुत- बहुत धन्यवाद।

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