मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महनुभाव, और भारत माता की सेवा के लिए अपने आप को समर्पित करने वाले सभी वीर बहादुर जवानों,
ये बड़ा सौभाग्य है की आज मातृभूमि के लिए जीवन अर्पण करने वाले वीर शहीदों को नमन करने का मुझे अवसर मिला I मुझे विश्वास है कि भारत माँ की सेवा करने वाले इन वीर शहीदों को स्मरण करते हुए उनको नमन किया है तब, मुझे उन सभी वीर शहीद आत्माओं का आशीर्वाद मिलेगा, जो मुझे देश की सेवा करने की और अधिक ताक़त देगा I त्याग तपस्या में कोई कमी न रहे, इसके लिए उनका जीवन, हम जैसे नागरिकों के लिए भी प्रेरक है I आप लोग मातृभूमि के लिए अपना घर-बार-गाँव, यार-दोस्त-परिवार छोड़ कर के उन कठिन क्षेत्रों में काम करते हैं, जिस कठिनाई का अंदाज़ सामान्य जीवन जीने वाले नागरिकों को होना बहुत मुश्किल होता है I लेकिन आप ये जो साधना करते हैं, जो तपस्या करते हैं, उसी की बदौलत देश के कोटि कोटि नागरिक सुख-चैन की ज़िंदगी जी सकते हैं I कोटि कोटि जनों के आशीर्वाद आपके साथ हैं, और जब कोटि कोटि जनों के आशीर्वाद आपके साथ हैं, तो आपकी रक्षा जो कोटि-कोटि जनों के आशीर्वाद से बना रहता है। इस से बड़ा कोई रक्षा-कवच नहीं हो सकता है I
मैं इस मत का हूँ कि अगर देश विकास करना चाहता है, देश अगर प्रगति करना चाहता है, तो देश में सुख, शांति, सद्भावना, भाईचारा, ये अनिवार्य होता है, और उसी की नीव पर देश विकास की नयी उँचाइयों को पाता रहता है I ये सुख शांति तब तक प्राप्त नहीं होती है, जब तक हम हमारी सीमाओं को सुरक्षित न करें, हमारे सुरक्षा बलों को समर्थ न करें, हमारे सुरक्षा बलों को आधुनिक न करें, तब तक ये संभव नहीं होगा और राष्ट्र के विकास के लिए भी सुरक्षा का क्षेत्र सबसे ज़्यादा सशक्त होना, समय की माँग है I
मैं सैन्य-बल के आधुनिकरण के पक्ष का हूँ I ना सिर्फ़ सैन्य-बल, सब प्रकार के सुरक्षा बलों के आधुनिकरण के पक्ष का हूँ I विज्ञान बहुत आगे बढ़ चुका है I टेक्नालजी बहुत आगे बढ़ चुकी है I अब शायद आने वाले नज़दीक के भविष्य में आमने-सामने लड़ाई के कुछ अवसर ही रहने वाले हैं I बहुत बढ़ा बदलाव आने वाला है I और तब जाकर के सेना को आधुनिक बनाना, वैज्ञानिक बनाना, टेक्नालजी से सू-सज्य बनाना, यह समय की माँग है, और हमारी यह प्राथमिकता रही है I आज देखिए हमारी कठिनाई कैसी है, कि सेना के जवानों के लिए जितना खर्च करना चाहिए, सुरक्षा बलों के लिए जितना खर्च करना चाहिए, उससे काफ़ी ज़्यादा हमारा बजट, हमारे सुरक्षा के संसाधनों को import करने में जाता है I अगर हम defence offset में आत्म-निर्भर होते हैं, सेना के लिए आवश्यक आधुनिक से आधुनिक प्रकार के शस्त्र हम अपने यहाँ उत्पादित करते हैं तो बजट का काफ़ी हिस्सा, जो आज विदेशों में जा रहा है, वो हमारे सैन्य-बल के लोगों के कल्याण के लिए खर्च किया जा सकता है I अगर हम शस्त्र-अस्त्रों का उत्पादन अपने देश में करने पर बल दें, तो हमारे देश के नौजवानों को रोज़गार उपलब्ध होता है, और जो देश शस्त्र-अस्त्र उत्पादन करने की क्षमता रखता है, वो सेना के जवानों के साथ-साथ उस देश के नागरिकों का मनोबल भी बहुत ऊँचा होता हैI उनको विश्वास होता है कि मेरी सेना के जवानों के हाथ खाली नहीं हैं,उनकी भुजाओं में सामर्थ्यवान अस्त्र-शस्त्र भरे पड़े हैंI जो उसके दिल दिमाग़ में जुझारूपन है और दिल दिमाग के जुझारूपन के साथ अस्त्र-शस्त्र का बल अनिवार्य है, और इसलिए, भारत को आत्म-रक्षा के लिए शस्त्र-अस्त्र के उत्पादन में आत्म-निर्भर होना बहुत आवश्यक है I आत्म-निर्भर व्यक्ति ही जैसे आत्म-गौरव से जी सकता है, वैसे आत्म निर्भर देश भी आत्म-गौरव के साथ विश्व के सामने सर ऊँचा करके जी सकता हैI
बदले हुए कालखण्ड में पूरा विश्व भारत की तरफ बड़ी आशा के साथ से देख रहा हैI विश्व भी, जो शांति की तलाश में है, उसे भी लगता है की भारत एक catalytic agent के रूप में एक बहुत बड़ी भूमिका अदा कर सकता हैI
विश्व के सामर्थ्यवान देश आज भारत के साथ बराबरी के साथ बात करने के लिए उत्सुक हैं I ये तभी संभव हुआ है के हम सामर्थ के साथ खड़े हैं I
मेरे नौजवान साथियो, आपकी ये तपस्या कभी बेकार नहीं जाएगी I आपका कल्याण, आपके परिवारजनों का कल्याण, आपकी संतानों का उज्ज्वल भविष्य, ये भारत की सामूहिक ज़िम्मेवारी है, और मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ क्योंकि मेरी सरकार इस विषय में प्रतिबद्ध है, और सेना के जवान के परिवार की चिंता अगर देश करता है, तो जवान हंसते-हंसते देश की चिंता करता है. इस मंत्र को मैं भली भाँति समझता हूँ, और इसलिए, वन्दे-मातरम का मंत्र लेकर के, देश की आज़ादी के लिए कितने लोगों ने जीवन दे दिया I
आज , हर दो कदम पर जय हिंद- जय हिंद- जय हिंद सुनाई देता है I एक जवान दूसरे जवान को मिलता है तो जय हिंद कह करके ग्रीट करता है I ये जय हिंद करने के लिए सीमा पर जवान, देश में किसान, 65% नौजवान – गाओं हो, खेत हो, खलिहान हो, शहर हो, सीमा हो – हर कोने पर ये “जय हिंद” का नारा, ये “भारत माँ की जय” की ललकार, हमें देश को आगे बढ़ाने की ताक़त दे I हम देश को और नयी उँचाइयों पर ले जायें I सवा सौ करोड़ देशवासियों के सपनो को पूरा करने का संकल्प लेकर के हम आगे बढ़ें I और उन संकल्पों की सुरक्षा भी आपके हाथों में है I मुझे विश्वास है, सवा सौ करोड़ देशवासियों को विश्वास है, के देश को कभी दुनिया की कोई ताक़त आपके रहते हुए ना झुका सकती है, ना कभी उसे पराजित कर सकती है I ये विजय का विश्वास लेकर के निकले हुए आप लोग कभी पराजित हो नही सकते, और जहाँ विजयश्री का मंत्र होता है, वहाँ ईश्वर का भी आशीर्वाद रहते हैं, और कभी हम अकेले नहीं होते I दूर-दूर पहाड़ी-नदी में कभी आप अकेले सेना के साथ अपनी ज़िम्मेदारी अगर निभा रहे हो, दूर-दूर चले गए हों आपके अगल-बगल में कोई दिखता नहीं होगा, लेकिन आप विश्वास करना कि आप अकेले नहीं होंगे, एक प्लस-वन आपके साथ होगा, वो ईश्वरीय शक्ति आपके साथ होती है हर पल होती है, क्यों? इसलिए की आप नि-स्वार्थ भाव से पवित्र कार्य करने के लिए चल पड़े हैं और जो नि-स्वार्थ भाव से पवित्र कार्य करता है, उसके ईश्वर हमेशा साथ रहता है I और जिसके साथ ईश्वर रहता है, वहाँ पराजय की कभी संभावना नहीं होती I वहाँ सिर्फ़ जै ही जै लिखा हुआ होता है I और वही जै अल्टिमेट्ली जय -हिंद का मंत्र बन जाता है I ये जय हिन्द का मंत्र हम सबको देश को आगे ले जाने की प्रेरणा देता है I
मैं आज, आप सभी जवानों को मेरी तरफ से बहुत बहुत शुभकामनायें देता हूँ, और मैं आपको विश्वास देता हूँ की चाहे सरकार हो या समाज हो, पूरा देश आपके साथ खड़ा है I जैसा अभी बताया गया, देश के जवान कई सालों से प्रतीक्षा कर रहे थे, की आज़ाद हिन्दुस्तान में एक हमारा नैशनल वॉर म्यूज़ीयम बनाना चाहिए, नैशनल वॉर मेमोरियल बनाना चाहिए I मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ, और वैसे भी, मैं जबसे शासकीय व्यवस्था में आया हूँ, जब कभी गुजरात का मुख्यमंत्री रहा, या अभी प्रधानमंत्री बना, मेरा अनुभव रहा है कि जो अच्छे-अच्छे काम हैं, वो मेरे लिए बाकि रह गये हैं I वो सारे अच्छे-अच्छे काम मुझे ही करने हैं, और मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ की जो सौभाग्य मुझे मिला है, वो सौभाग्य मैं पूरा करके रहूँगा और सम्मान प्राप्त हों। देश की आम इंसान को गौरव हो इसके लिए आवश्यक सारे कदम उठाउँगाI मैं फिर एक बार, आप सबको बहुत बहुत शुभ-कामनायें देता हूँ और आपकी रक्षा राष्ट्र की रक्षा के लिए बहुत अनिवार्य है, इस बात को समझते हुए, आपको हर प्रकार से सज्य करना, ये शासन का दायित्व है I त्याग और तपस्या की आपकी भावना बहुत उँची होने के बावजूद भी आपकी रक्षा करने की भावना भी शासन के लिए सर्वोपरि रहनी चाहिए, इस मंत्र को लेकर के हम काम करते हैं I फिर एक बार, आपके बीच आने का मुझे अवसर मिला, आपसे मिलने का अवसर मिला – मैं आप सबका बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ, और आप सबको बहुत बहुत शुभकामनायें देता हूँ I
जय हिंद I




प्रधानमंत्री: शुभांशु नमस्कार!
शुभांशु शुक्ला: नमस्कार!
प्रधानमंत्री: आप आज मातृभूमि से, भारत भूमि से, सबसे दूर हैं, लेकिन भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है। इस समय बात हम दोनों कर रहे हैं, लेकिन मेरे साथ 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाएं भी हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग शामिल है। अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं ज्यादा समय नहीं ले रहा हूं, तो सबसे पहले तो यह बताइए वहां सब कुशल मंगल है? आपकी तबीयत ठीक है?
शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी wishes का और 140 करोड़ मेरे देशवासियों के wishes का, मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं, सुरक्षित हूं। आप सबके आशीर्वाद और प्यार की वजह से… बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत नया एक्सपीरियंस है यह और कहीं ना कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं, जो दर्शाती है कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग हमारे देश में और हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। यह जो मेरी यात्रा है, यह पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 किलोमीटर तक की जो छोटे सी यात्रा है, यह सिर्फ मेरी नहीं है। मुझे लगता है कहीं ना कहीं यह हमारे देश के भी यात्रा है because जब मैं छोटा था, मैं कभी सोच नहीं पाया कि मैं एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का भी मौका देता है। तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व feel कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!
प्रधानमंत्री: शुभ, आप दूर अंतरिक्ष में हैं, जहां ग्रेविटी ना के बराबर है, पर हर भारतीय देख रहा है कि आप कितने डाउन टू अर्थ हैं। आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?
शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! यह कुछ चीजें मैं अपने देश की खाने की लेकर आया था, जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस और मैं चाहता था कि यह बाकी भी जो मेरे साथी हैं, बाकी देशों से जो आए हैं, वह भी इसका स्वाद लें और चखें, जो भारत का जो rich culinary हमारा जो हेरिटेज है, उसका एक्सपीरियंस लें, तो हम सभी ने बैठकर इसका स्वाद लिया साथ में और सबको बहुत पसंद आया। कुछ लोग कहे कि कब वह नीचे आएंगे और हमारे देश आएं और इनका स्वाद ले सकें हमारे साथ…
प्रधानमंत्री: शुभ, परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है। आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे?
शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! इस समय तो मेरे पास यह इनफॉरमेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन थोड़ी देर पहले मैं खिड़की से, विंडो से बाहर देख रहा था, तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे और हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं। 16 सूर्य उदय और 16 सनराइज और सनसेट हम देखते हैं ऑर्बिट से और बहुत ही अचंभित कर देने वाला यह पूरा प्रोसेस है। इस परिक्रमा में, इस तेज गति में जिस हम इस समय करीब 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं आपसे बात करते वक्त और यह गति पता नहीं चलती क्योंकि हम तो अंदर हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह गति जरूर दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री: वाह!
शुभांशु शुक्ला: इस समय हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है।
प्रधानमंत्री: अच्छा शुभ अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहले विचार क्या आया आपको?
शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, सच में बोलूं तो जब पहली बार हम लोग ऑर्बिट में पहुंचे, अंतरिक्ष में पहुंचे, तो पहला जो व्यू था, वह पृथ्वी का था और पृथ्वी को बाहर से देख के जो पहला ख्याल, वो पहला जो thought मन में आया, वह ये था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है, मतलब बाहर से कोई सीमा रेखा नहीं दिखाई देती, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता। और दूसरी चीज जो बहुत noticeable थी, जब पहली बार भारत को देखा, तो जब हम मैप पर पढ़ते हैं भारत को, हम देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है, हमारा आकार कैसा है, वह मैप पर देखते हैं, लेकिन वह सही नहीं होता है क्योंकि वह एक हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D यानी पेपर पर हम उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य दिखता है, बहुत बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा और जो oneness की फीलिंग है, पृथ्वी की oneness की फीलिंग है, जो हमारा भी मोटो है कि अनेकता में एकता, वह बिल्कुल उसका महत्व ऐसा समझ में आता है बाहर से देखने में कि लगता है कि कोई बॉर्डर एक्जिस्ट ही नहीं करता, कोई राज्य ही नहीं एक्जिस्ट करता, कंट्रीज़ नहीं एक्जिस्ट करती, फाइनली हम सब ह्यूमैनिटी का पार्ट हैं और अर्थ हमारा एक घर है और हम सबके सब उसके सिटीजंस हैं।
प्रधानमंत्री: शुभांशु स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है। लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप रियल सिचुएशन में हैं, सच में अंतरिक्ष में हैं, वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे अडॉप्ट कर रहे हैं?
शुभांशु शुक्ला: यहां पर तो सब कुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग की हमने पिछले पूरे 1 साल में, सारे systems के बारे में मुझे पता था, सारे प्रोसेस के बारे में मुझे पता था, एक्सपेरिमेंट्स के बारे में मुझे पता था। लेकिन यहां आते ही suddenly सब चेंज हो गया, because हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे डिसाइड होती है, पर यहां आने के बाद चूंकि ग्रेविटी माइक्रोग्रेविटी है absent है, तो छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। अभी आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है, नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा और माइक को भी ऐसे जैसे यह छोटी-छोटी चीजें हैं, यानी ऐसे छोड़ भी दूं, तो भी यह ऐसे float करता रहा है। पानी पीना, पैदल चलना, सोना बहुत बड़ा चैलेंज है, आप छत पर सो सकते हैं, आप दीवारों पर सो सकते हैं, आप जमीन पर सो सकते हैं। तो पता सब कुछ होता है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग अच्छी है, लेकिन वातावरण चेंज होता है, तो थोड़ा सा used to होने में एक-दो दिन लगते हैं but फिर ठीक हो जाता है, फिर normal हो जाता है।
प्रधानमंत्री: शुभ भारत की ताकत साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों हैं। आप अंतरिक्ष यात्रा पर हैं, लेकिन भारत की यात्रा भी चल रही होगी। भीतर में भारत दौड़ता होगा। क्या उस माहौल में मेडिटेशन और माइंडफूलनेस का लाभ भी मिलता है क्या?
शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बिल्कुल सहमत हूं। मैं कहीं ना कहीं यह मानता हूं कि भारत already दौड़ रहा है और यह मिशन तो केवल एक पहली सीढ़ी है उस एक बड़ी दौड़ का और हम जरूर आगे पहुंच रहे हैं और अंतरिक्ष में हमारे खुद के स्टेशन भी होंगे और बहुत सारे लोग पहुंचेंगे और माइंडफूलनेस का भी बहुत फर्क पड़ता है। बहुत सारी सिचुएशंस ऐसी होती हैं नॉर्मल ट्रेनिंग के दौरान भी या फिर लॉन्च के दौरान भी, जो बहुत स्ट्रेसफुल होती हैं और माइंडफूलनेस से आप अपने आप को उन सिचुएशंस में शांत रख पाते हैं और अपने आप को calm रखते हैं, अपने आप को शांत रखते हैं, तो आप अच्छे डिसीजंस ले पाते हैं। कहते हैं कि दौड़ते हो भोजन कोई भी नहीं कर सकता, तो जितना आप शांत रहेंगे उतना ही आप अच्छे से आप डिसीजन ले पाएंगे। तो I think माइंडफूलनेस का बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है इन चीजों में, तो दोनों चीजें अगर साथ में एक प्रैक्टिस की जाएं, तो ऐसे एक चैलेंजिंग एनवायरमेंट में या चैलेंजिंग वातावरण में मुझे लगता है यह बहुत ही यूज़फुल होंगी और बहुत जल्दी लोगों को adapt करने में मदद करेंगी।
प्रधानमंत्री: आप अंतरिक्ष में कई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट है, जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा?
शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने 7 यूनिक एक्सपेरिमेंट्स डिजाइन किए हैं, जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर लेकर आया हूं और पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं करने वाला हूं, जो कि आज ही के दिन में शेड्यूल्ड है, वह है Stem Cells के ऊपर, so अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि ग्रेविटी क्योंकि एब्सेंट होती है, तो लोड खत्म हो जाता है, तो मसल लॉस होता है, तो जो मेरा एक्सपेरिमेंट है, वह यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या फिर डिले कर सकते हैं। इसका डायरेक्ट इंप्लीकेशन धरती पर भी है कि जिन लोगों का मसल लॉस होता है, ओल्ड एज की वजह से, उनके ऊपर यह सप्लीमेंट्स यूज़ किए जा सकते हैं। तो मुझे लगता है कि यह डेफिनेटली वहां यूज़ हो सकता है। साथ ही साथ जो दूसरा एक्सपेरिमेंट है, वह Microalgae की ग्रोथ के ऊपर। यह Microalgae बहुत छोटे होते हैं, लेकिन बहुत Nutritious होते हैं, तो अगर हम इनकी ग्रोथ देख सकते हैं यहां पर और ऐसा प्रोसेस ईजाद करें कि यह ज्यादा तादाद में हम इन्हें उगा सके और न्यूट्रिशन हम प्रोवाइड कर सकें, तो कहीं ना कहीं यह फूड सिक्योरिटी के लिए भी बहुत काम आएगा धरती के ऊपर। सबसे बड़ा एडवांटेज जो है स्पेस का, वह यह है कि यह जो प्रोसेस है यहां पर, यह बहुत जल्दी होते हैं। तो हमें महीनों तक या सालों तक वेट करने की जरूरत नहीं होती, तो जो यहां के जो रिजल्ट्स होते हैं वो हम और…
प्रधानमंत्री: शुभांशु चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रूचि पैदा हुई, अंतरिक्ष को explore करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ये ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो यह सोचते हैं, मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे?
शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा, तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए, हमें आप सबकी जरूरत है, तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए, मैं ये कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है, वो ये होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए, Never Stop Trying. अगर आपने ये मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पर हों, कहीं पर भी हों, लेकिन आप कभी गिव अप नहीं करेंगे, तो सक्सेस चाहे आज आए या कल आए, पर आएगी जरूर।
प्रधानमंत्री: मुझे पक्का विश्वास है कि आपकी ये बातें देश के युवाओं को बहुत ही अच्छी लगेंगी और आप तो मुझे भली-भांति जानते हैं, जब भी किसी से बात होती हैं, तो मैं होमवर्क जरूर देता हूं। हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है, और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशंस में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। मुझे विश्वास है, आप वहां अपने अनुभवों को जरूर रिकॉर्ड कर रहे होंगे।
शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, बिल्कुल ये पूरे मिशन की ट्रेनिंग लेने के दौरान और एक्सपीरियंस करने के दौरान, जो मुझे lessons मिले हैं, जो मेरी मुझे सीख मिली है, वो सब एक स्पंज की तरह में absorb कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि यह सारी चीजें बहुत वैल्युएबल प्रूव होंगी, बहुत इंपॉर्टेंट होगी हमारे लिए जब मैं वापस आऊंगा और हम इन्हें इफेक्टिवली अपने मिशंस में, इनके lessons अप्लाई कर सकेंगे और जल्दी से जल्दी उन्हें पूरा कर सकेंगे। Because मेरे साथी जो मेरे साथ आए थे, कहीं ना कहीं उन्होंने भी मुझसे पूछा कि हम कब गगनयान पर जा सकते हैं, जो सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने बोला कि जल्द ही। तो मुझे लगता है कि यह सपना बहुत जल्दी पूरा होगा और मेरी तो सीख मुझे यहां मिल रही है, वह मैं वापस आकर, उसको अपने मिशन में पूरी तरह से 100 परसेंट अप्लाई करके उनको जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे।
प्रधानमंत्री: शुभांशु, मुझे पक्का विश्वास है कि आपका ये संदेश एक प्रेरणा देगा और जब हम आपके जाने से पहले मिले थे, आपके परिवारजन के भी दर्शन करने का अवसर मिला था और मैं देख रहा हूं कि आपके परिवारजन भी सभी उतने ही भावुक हैं, उत्साह से भरे हुए हैं। शुभांशु आज मुझे आपसे बात करके बहुत आनंद आया, मैं जानता हूं आपकी जिम्मे बहुत काम है और 28000 किलोमीटर की स्पीड से काम करने हैं आपको, तो मैं ज्यादा समय आपका नहीं लूंगा। आज मैं विश्वास से कह सकता हूं कि ये भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, ये हमारी विकसित भारत की यात्रा को तेज गति और नई मजबूती देगी। भारत दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा। मैं चाहता हूं, कुछ और भी सुनने की इच्छा है, आपके मन में क्योंकि मैं सवाल नहीं पूछना चाहता, आपके मन में जो भाव है, अगर वो आप प्रकट करेंगे, देशवासी सुनेंगे, देश की युवा पीढ़ी सुनेगी, तो मैं भी खुद बहुत आतुर हूं, कुछ और बातें आपसे सुनने के लिए।
शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी! यहां यह पूरी जर्नी जो है, यह अंतरिक्ष तक आने की और यहां ट्रेनिंग की और यहां तक पहुंचने की, इसमें बहुत कुछ सीखा है प्रधानमंत्री जी मैंने लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे पर्सनल accomplishment तो एक है ही, लेकिन कहीं ना कहीं मुझे ये लगता है कि यह हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा कलेक्टिव अचीवमेंट है। और मैं हर एक बच्चे को जो यह देख रहा है, हर एक युवा को जो यह देख रहा है, एक मैसेज देना चाहता हूं और वो यह है कि अगर आप कोशिश करते हैं और आप अपना भविष्य बनाते हैं अच्छे से, तो आपका भविष्य अच्छा बनेगा और हमारे देश का भविष्य अच्छा बनेगा और केवल एक बात अपने मन में रखिए, that sky has never the limits ना आपके लिए, ना मेरे लिए और ना भारत के लिए और यह बात हमेशा अगर अपने मन में रखी, तो आप आगे बढ़ेंगे, आप अपना भविष्य उजागर करेंगे और आप हमारे देश का भविष्य उजागर करेंगे और बस मेरा यही मैसेज है प्रधानमंत्री जी और मैं बहुत-बहुत ही भावुक और बहुत ही खुश हूं कि मुझे मौका मिला आज आपसे बात करने का और आप के थ्रू 140 करोड़ देशवासियों से बात करने का, जो यह देख पा रहे हैं, यह जो तिरंगा आप मेरे पीछे देख रहे हैं, यह यहां नहीं था, कल के पहले जब मैं यहां पर आया हूं, तब हमने यह यहां पर पहली बार लगाया है। तो यह बहुत भावुक करता है मुझे और बहुत अच्छा लगता है देखकर कि भारत आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है।
प्रधानमंत्री: शुभांशु, मैं आपको और आपके सभी साथियों को आपके मिशन की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। शुभांशु, हम सबको आपकी वापसी का इंतजार है। अपना ध्यान रखिए, मां भारती का सम्मान बढ़ाते रहिए। अनेक-अनेक शुभकामनाएं, 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं और आपको इस कठोर परिश्रम करके, इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। भारत माता की जय!
शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, धन्यवाद और सारे 140 करोड़ देशवासियों को धन्यवाद और स्पेस से सबके लिए भारत माता की जय!