Text of PM’s address at the Civic Reception in Mauritius

Published By : Admin | March 12, 2015 | 18:30 IST

इतनी बारिश और आज Working Day उसके बावजूद भी यह नजारा - मैं आपके प्‍यार के लिए मैं आपका सदा सर्वदा ऋणी रहूंगा। मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि मॉरीशियस ने मुझे जीत लिया है। अपना बना लिया है और जब आपने मुझे अपना बनाया है तो मेरी जिम्‍मेवारी भी बढ़ जाती है। और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं इस जिम्‍मेवारी को निभाने में भारत कोई कमी नहीं रखेगा।

मैं मॉरीशियस के सभी नागरिकों का अभिनंदन करता हूं। दुनिया का कोई भी व्‍यक्ति आज के मॉरीशियस को अगर देखेगा, मॉरीशियस के इतिहास को जानेगा, तो उसके मन में क्‍या विचार आएगा? उसके मन में यही विचार आएगा कि सौ साल पहले जो यहां मजदूर बनकर आए थे, जिनको लाया गया था, उन लोगों ने इस धरती को कैसा नंदनवन बना दिया है! इस देश को कैसी नई ऊंचाईयों पर ले गए हैं! और तब मेहनत तो आपने की है, पसीना तो आपने बहाया है, कष्‍ट तो आपके पूर्वजों ने झेले हैं, लेकिन Credit हमारे खाते में जाती है। क्‍योंकि हर किसी को लगता है कि भई यह कौन लोग हैं? वो हैं जो हिंदुस्‍तान से आए थे ना, वो हैं।

20.5 PM's at civic reception in Mauritius (2)

और दुनिया को हिंदुस्‍तान की पहचान होगी कि दुनिया के लिए जो मजदूर था, जिसे खेतों से उठाकर के लाया गया था। जबरन लाया गया था। वो अगर जी-जान से जुड़ जाता है तो अपने आप धरती पर स्‍वर्ग खड़ा कर देता है। यह काम आपने किया है, आपके पूर्वजों ने किया है और इसलिए एक हिंदुस्‍तानी के नाते गर्व महसूस करता हूं और आपको नमन करता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं, आपके पूर्वजों को प्रणाम करता हूं।

कभी-कभार आम अच्‍छा है या नहीं है, यह देखने के लिए सारे आम नहीं देखने पड़ते। एक-आधा आम देख लिया तो पता चल जाता है, हां भई, फसल अच्‍छी है। अगर दुनिया मारिशियस को देख ले तो उसको विश्‍वास हो जाएगा हिंदुस्‍तान कैसा होगा। वहां के लोग कैसे होंगे। अगर sample इतना बढि़या है, तो godown कैसा होगा! और इसलिए विश्‍व के सामने आज भारत गर्व के साथ कह सकता है कि हम उस महान विरासत की परंपरा में से पले हुए लोग हैं जो एक ही मंत्र लेकर के चले हैं।

जब दुनिया में भारत सोने की चिडि़या कहलाता था। जब दुनिया में सुसंस्‍कृ‍त समाज के रूप में भारत की पहचान थी, उस समय भी उस धरती के लोगों ने कभी दुनिया पर कब्‍जा करने की कोशिश नहीं की थी। दूसरे का छीनना यह उसके खून में नहीं था। एक सामान्‍य व्‍यक्ति भी वही भाषा बोलता है जो एक देश का प्रधानमंत्री बोलता है। इतनी विचारों की सौम्यता, सहजता ऐसे नहीं आती है, किताबों से नहीं आती हैं, यह हमारे रक्‍त में भरा पड़ा है, हमारे संस्‍कारों में भरा पड़ा है। और हमारा मंत्र था “वसुधैव कुटुम्‍बकम्”। पूरा विश्‍व हमारा परिवार है इस तत्‍व को लेकर के हम निकले हुए लोग हैं और इसी के कारण आज दुनिया के किसी भी कोन में कोई भारतीय मूल का कोई व्‍यक्ति गया है तो उसने किसी को पराजित करने की कोशिश नहीं की है, हर किसी को जीतने का प्रयास किया है, अपना बनाने का प्रयास किया है।

2014 का साल मॉरिशियस के लिए भी महत्‍वपूर्ण था। भारत के लिए भी महत्‍वपूर्ण था। भारत ने बहुत सालों से मिली-जुली सरकारें बना करती थी, गठबंधन की सरकारें बनती थी। एक पैर उसका तो एक पैर इसका, एक हाथ उसका तो एक हाथ इसका। मॉरिशियस का भी वही हाल था। यहां पर भी मिली-जुली सरकार बना करती थी।

2014 में जो हिंदुस्‍तान के नागरिकों ने सोचा वही मॉरिशियस के नागरिकों ने सोचा। हिंदुस्‍तान के नागरिकों ने 30 साल के बाद एक पूर्ण बहुमत वाली स्थिर सरकार बनाई। मॉरिशियस के लोगों ने भी पूर्ण बहुमत वाली स्थिर सरकार दी। और इसका मूल कारण यह है कि आज की जो पीढ़ी है, वो पीढ़ी बदलाव चाहती है। आज जो पीढ़ी है वो विकास चाहती है, आज जो पीढ़ी है वो अवसर चाहती है, उपकार नहीं। वो किसी के कृपा का मोहताज नहीं है। वो कहता है मेरे भुजा में दम है, मुझे मौका दीजिए। मैं पत्‍थर पर लकीर ऐसी बनाऊंगा जो दुनिया की ज़िन्दगी बदलने के काम आ सकती है। आज का युवा मक्‍खन पर लकीर बनाने का शौकीन नहीं है, वो पत्‍थर पर लकीर बनाना चाहता है। उसकी सोच बदली है उसके विचार बदले है और उसके मन में जो आशाएं आकांक्षाए जगी है, सरकारों का दायित्‍व बनता है वो नौजवानों की आशाओं-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए राष्‍ट्र को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाएँ।

और मैं आज जब आपके बीच में आया हूं मेरी सरकार को ज्‍यादा समय तो नहीं हुआ है, लेकिन मैं इतना विश्‍वास से कह रहा हूं कि जिस भारत की तरफ कोई देखने को तैयार नहीं था और देखते भी थे, तो आंख दिखाने के लिए देखते थे। पहली बार आज दुनिया भारत को आंख नहीं दिखा दे रही है, भारत से आंख मिलाने की कोशिश कर रही है। सवा सौ करोड़ का देश, क्‍या दुनिया के भाग्‍य को बदलने का निमित्त नहीं बन सकता? क्‍या ऐसे सपने नहीं संजोने चाहिए? सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय, जगत हिताय च । जिस मंत्र को लेकर के हमारे पूर्वजों ने हमें पाला-पौसा है। क्‍या समय की मांग नहीं है, कि हम अपने पुरुषार्थ से, अपने पराक्रम से, अपनी कल्पनाशीलता से जगत को वो चीज़ें दें जिनके लिए जगत सदियों से तरसता रहा है? और मैं विशवास दिलाता हूँ, यह ताकत उस धरती में है। उन संस्कारों में है, जो जगत को समस्यायों के समाधान के लिए रास्‍ता दे सकते हैं।

20.5 PM's at civic reception in Mauritius (5)

आज पूरा विश्‍व और विशेषकर के छोटे-छोटे टापुओं पर बसे हुए देश इस बात से चिंतित है कि 50 साल, सौ साल के बाद उनका क्‍या होगा। Climate Change के कारण कहीं यह धरती समंदर में समा तो नहीं जाएगी? सदियों ने पूर्वजों ने परिश्रम करके जिसे नंदनवन बनाया, कहीं वो सपने डूब तो नहीं जाएंगे? सपने चकनाचूर हो नहीं जाएंगे क्‍या? सारी दुनिया Global Warming के कारण चिंतित है। और टापूओं पर रहने वाले छोटे-छोटे देश मुझे जिससे मिलना हुआ उनकी एक गहन चिंता रहती है कि यह दुनिया समझे अपने सुख के लिए हमें बलि न चढ़ा दे, यह सामान्‍य मानव सोचता है। और इसलिए, कौन सा तत्‍व है, कौन सा मार्गदर्शन है, कौन सा नेतृत्‍व है, जो उपभोग की इस परंपरा में से समाज को बचाकर के सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय जीवन की प्रशस्ति के लिए आगे आए? जब ऐसे संकट आते हैं तब भारत ही वो ताकत है जिस ताकत ने सदियों पहले... जब महात्‍मा गांधी साबरमती आश्रम में रहते थे, साबरमती नदी पानी से भरी रहती थी, लबालब पानी था। 1925-30 का कालखंड था, लेकिन उसके बावजूद भी अगर कोई महात्‍मा गांधी को पानी देता था और जरूरत से ज्‍यादा देता था, तो गांधी जी नाराज होकर कहते “भाई पानी बर्बाद मत करो, जितना जरूरत का है उतना ही दीजिए, अगर उसको आधे ग्लिास की जरूरत है तो पूरा ग्लिास भरकर मत दीजिए।“ नदी भरी पड़ी थी पानी सामने था, लेकिन सोच स्‍वयं के सुख की नहीं थी, सोच आने वाली पीढि़यों के सुख की थी और इसलिए गांधी हमें प्रशस्‍त करते थे कि हम उतना ही उपयोग करे जितना हमारी जरूरत है। अगर दुनिया गांधी के इस छोटे से सिद्धांत को मान लें कि हम जरूरत से ज्‍यादा उपभोग न करे, तो क्‍या Climate का संकट पैदा होगा क्‍या? बर्फ पिघलेगी क्‍या? समंदर उबलेंगे क्‍या? और मॉरिशियस जैसे देश के सामने जीने-मरने का संकट पैदा होगा क्‍या? नहीं होगा। यह छोटी सी बात।

हम उस परंपरा के लोग हैं जिस परंपरा में प्रकृति से प्रेम करना सिखाया गया है। हमी तो लोग हैं, जिन्‍हें “पृथ्‍वी यह माता है”, यह बचपन से सिखाया जाता है। शायद दुनिया में कोई ऐसी परंपरा नहीं होगी जो “पृथ्‍वी यह माता है” यह संकल्‍प कराती हो। और इतना ही नहीं बालक छोटी आयु में भी जब बिस्‍तर से नीचे पैर रखता है तो मां यह कहती है कि “देखो बेटे, जब बिस्‍तर से जमीन पर पैर रखते हो तो पहले यह धरती मां को प्रणाम करो। उसकी क्षमा मांगों, ताकि तुम उसके सीने पर पैर रख रहे हो।“ यह संस्‍कार थे, यही तो संस्‍कार है, जो धरती माता की रक्षा के लिए प्रेरणा देते थे और धरती माता की रक्षा का मतलब है यह प्रकृति, यह पर्यावरण, यह नदियां, यह जंगल... इसी की रक्षा का संदेश देते हैं। अगर यह बच जाता है, तो Climate का संकट पैदा नहीं होता है। हम ही तो लोग हैं जो नदी को मां कहते हैं। हमारे लिए जितना जीवन में मां का मूल्‍य है, उतना ही हमारे यहां नदी का मूल्‍य है। अगर जिस पल हम यह भूल गए कि नदी यह मां हैं और जब से हमारे दिमाग में घर कर गया कि आखिर नदी ही तो H2O है और क्‍या है। जब नदी को हमने H2O मान लिया, पानी है, H2O... जब नदी के प्रति मां का भाव मर जाता है, तो नदी की रखवाली करने की जिम्‍मेदारी भी खत्‍म हो जाती है।

यह संस्‍कार हमें मिले हैं और उन्‍हीं संस्‍कारों के तहत हम प्रकृति की रक्षा से जुड़े हुए हैं। हमारे पूर्वजों ने हमें कहा है – मनुष्‍य को प्रकृति का दोहन करना चाहिए। कभी आपने बछड़े को उतनी ही दूध पीते देखा होगा, जितना बछड़े को जरूरत होगी। मां को काटने का, गाय को काटने का प्रयास कोई नहीं करता है। और इसलिए प्रकृति का भी दोहन होना चाहिए, प्रकृति को शोषण नहीं होना चाहिए। “Milking of Nature” हमारे यहां कहा गया है। “Exploitation of the Nature is a Crime.” अगर यह विचार और आदर्शों को लेकर के हम चलते हैं, तो हम मानव जिस संकट से जूझ रहा है, उस संकट से बचाने का रास्‍ता दे सकते हैं।

हम वो लोग हैं जिन्‍होंने पूरे ब्रह्माण को एक परिवार के रूप मे माना है। आप देखिए छोटी-छोटी चीजें होती हैं लेकिन जीवन को कैसे बनाती हैं। पूरे ब्रह्माण को परिवार मानना यह किताबों से नहीं, परिवार के संस्‍कारों से समझाया गया है। बच्‍चा छोटा होता है तो मां उसको खुले मैदान में ले जाकर के समझाती है कि “देखो बेटे, यह जो चांद दिखता है न यह चांद जो है न तेरा मामा है”। कहता है कि नहीं कहते? आपको भी कहा था या नहीं कहा था? क्‍या दुनिया में कभी सुना है जो कहता है सूरज तेरा दादा है, चांद तेरा मामा है, यानी पूरा ब्रह्माण तेरा परिवार है। यह संस्‍कार जिस धरती से मिलते हैं, वहां प्रकृति के साथ कभी संघर्ष नहीं हो सकता है, प्रकृति के साथ समन्‍वय होता है। और इसलिए आज विश्‍व जिस संकट को झेल रहा है, भारतीय चिंतन के आधार पर विश्‍व का नेतृत्व करने का समय आ गया है। Climate बचाने के लिए दुनिया हमें न सिखाये।

दुनिया, जब मॉरिशस कहेगा, ज्‍यादा मानेगी। उसका कारण क्‍या है, मालूम है? क्‍योंकि आप कह सकते हो कि “भई मैं मरने वाला हूं, मैं डूबने वाला हूं”। तो उसका असर ज्‍यादा होता है और इसलिए विश्‍व को जगाना.. मैं इन दिनों कई ऐसे क्षेत्रों में गया। मैं अभी फिजी में गया तो वहां भी मैं अलग-अलग आईलैंड के छोटे-छोटे देशों से मिला था। अब पूरा समय उनकी यही पीड़ा थी, यही दर्द था कोई तो हमारी सुने, कोई तो हमें बचाएं, कोई तो हमारी आने वाली पीढि़यों की रक्षा करे। और जो दूर का सोचते हैं उन्‍होंने आज से शुरू करना पड़ता है।

20.5 PM's at civic reception in Mauritius (3)

भाईयों-बहनों भारत आज विश्‍व का सबसे युवा देश है। 65% Population भारत की 35 साल से कम उम्र की है। यह मॉरिशियस 1.2 Million का है, और हिंदुस्‍तान 1.2 Billion का है। और उसमें 65% जनसंख्‍या 35 साल से कम है। पूरे विश्‍व में युवाशक्ति एक अनिवार्यता बनने वाला है। दुनिया को Workforce की जरूरत पड़ने वाली है। कितना ही ज्ञान हो, कितना ही रुपया हो, कितना ही डॉलर हो, पौंड हो, संपत्ति के भंडार हो, लेकिन अगर युवा पीढ़ी के भुजाओं का बल नहीं मिलता है, तो गाड़ी वहीं अटक जाती है। और इसलिए दुनिया को Youthful Manpower की आवश्‍यकता रहने वाली है, Human Resource की आवश्‍यकता रहने वाली है। भारत आज उस दिशा में आगे बढ़ना चाहता है कि आने वाले दिनों में विश्‍व को जिस मानवशक्ति की आवश्‍यकता है, हम भारत में ऐसी मानवशक्ति तैयार करें जो जगत में जहां जिसकी जरूरत हो, उसको पूरा करने के लिए हमारे पास वो काबिलियत हो, वो हुनर हो, वो सामर्थ्‍य हो।

और इसलिए Skill Development एक Mission mode में हमने आरंभ किया है। दुनिया की आवश्‍यकताओं का Mapping करके किस देश को आने वाले 20 साल के बाद कैसे लोग चाहिए, ऐसे लोगों को तैयार करने का काम आज से शुरू करेंगे। और एक बार भारत का नौजवान दुनिया में जाएगा तो सिर्फ भुजाएं लेकर के नहीं जाएगा, सिर्फ दो बाहू लेकर के नहीं जाएगा, दिल और दिमाग लेकर के भी जाएगा। और वो दिमाग जो वसुधैव कुटुम्‍बकम् की बात करता है। जगत को जोड़ने की बात करता है।

और इसलिए आने वाले दिनों में फिर एक बार युग का चक्‍कर चलने वाला है, जिस युग के चक्‍कर से भारत का नौजवान विश्‍व के बदलाव में दुनिया में फैलकर के एक catalytic agent के रूप में अपनी भूमिका का निर्माण कर सके, ऐसी संभावनाएं पड़ी है। उन संभावनाओं को एक अवसर मानकर के हिंदुस्‍तान आगे बढ़ना चाहता है। दुनिया में फैली हुई सभी मानवतावादी शक्तियां भारत को आशीर्वाद दें ता‍कि इस विचार के लोग इस मनोभूमिका के लोग विश्‍व में पहुंचे, विश्‍व में फैले और विश्‍व कल्‍याण के मार्ग में अपनी-अपनी भूमिका अदा करे। यह जमाना Digital World है। हर किसी के हाथ में मोबाइल है, हर कोई selfie ले रहा है। Selfie ले या न ले, बहुत धक्‍के मारता है मुझे। जगत बदल चुका है। Selfie लेता हैं, पलभर के अंदर अपने साथियों को पहुंचा देता है “देखो अभी-अभी मोदी जी से मिलकर आ गया।“ दुनिया तेज गति से बदल रही है। भारत अपने आप को उस दिशा में सज्ज कर रहा है और हिंदुस्‍तान के नौजवान जो IT के माध्‍यम से जगत को एक अलग पहचान दी है हिंदुस्‍तान की।

वरना एक समय था, हिंदुस्‍तान की पहचान क्‍या थी? मुझे बराबर याद है मैं एक बार ताइवान गया था। बहुत साल पहले की बात है, ताइवान सरकार के निमंत्रण पर गया था। तब तो मैं कुछ था नहीं, मुख्‍यमंत्री वगैरह कुछ नहीं था, ऐसे ही... जैसे यहां एक बार यहाँ मॉ‍रिशियस आया था। कुछ लोग हैं जो मुझे पुराने मिल गए आज। तो पांच-सात दिन का मेरा Tour था जो उनका Computer Engineer था वो मेरा interpretor था, वहां की सरकार ने लगाया था। तो पांच-सात दिन मैं सब देख रहा था, सुन रहा था, पूछ रहा था, तो उसके मन में curiosity हुई। तो उसने आखिरी एक दिन बाकी था, उसने मुझे पूछा था। बोला कि “आप बुरा न माने तो एक सवाल पूछना चाहता हूं।“ मैंने कहा “क्या?” बोले.. “आपको बुरा नहीं लगेगा न?“ मैंने कहा “पूछ लो भई लगेगा तो लगेगा, तेरे मन में रहेगा तो मुझे बुरा लगेगा।“ फिर “नहीं नहीं..” वो बिचारा भागता रहा। मैंने फिर आग्रह किया “बैठो, बैठो। मुझे बताओ क्‍या हुआ है।“ तो उसने मुझे पूछा “साहब, मैं जानना चाहता हूं क्‍या हिंदुस्‍तान आज भी सांप-सपेरों का देश है क्‍या? जादू-टोना वालों का देश है क्‍या? काला जादू चलता है क्‍या हिंदुस्‍तान में?” बड़ा बिचारा डरते-डरते मुझे पूछ रहा था। मैंने कहा “नहीं यार अब वो जमाना चला गया। अब हम लोगों में वो दम नहीं है। हम अब सांप से नहीं खेल सकते। अब तो हमारा devaluation इतना हो गया कि हम Mouse से खेलते हैं।“ और हिंदुस्‍तान के नौजवान का Mouse आज Computer पर click कर करके दुनिया को डुला देता है। यह ताकत है हमारे में।

हमारे नौजवानों ने Computer पर करामात करके विश्‍व के एक अलग पहचान बनाई है। विश्‍व को भारत की तरफ देखने का नजरिया बदलना पड़ा है। उस सामर्थ्‍य के भरोसे हिंदुस्‍तान को भी हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।

20.5 PM's at civic reception in Mauritius (1)

एक जमाना था। जब Marx की theory आती थी तो कहते थे “Haves and Have nots” उसकी theory चलती थी। वो कितनी कामगर हुई है, उस विचार का क्‍या हुआ वो सारी दुनिया जानती है मैं उसकी गहराई में नहीं जाना चाहता। लेकिन मैं एक बात कहना चाहता हूं आज दुनिया Digital Connectivity से जो वंचित है और जो Digital World से जुड़े हुए हैं, यह खाई अगर ज्‍यादा बढ़ गई, तो विकास के अंदर बहुत बड़ी रूकावट पैदा होने वाली है। इसलिए Digital Access गरीब से गरीब व्‍यक्ति तक होना आने वाले दिनों में विकास के लिए अनिवार्य होने वाला है। हर किसी के हाथ में मोबाइल फोन है।

हर किसी को दुनिया के साथ जुड़ने की उत्‍सुकता... मुझे याद है मैं जब गुजरात में मुख्‍यमंत्री था तो एक आदिवासी जंगल में एक तहसील है वहां मेरा जाना नहीं हुआ था। बहुत पिछड़ा हुआ इलाका था interior में था, लेकिन मेरा मन करता था कि ऐसा नहीं होना चाहिए मैं मुख्‍यमंत्री रहूं और यह एक इलाका छूट जाए, तो मैंने हमारे अधिकारियों से कहा कि भाई मुझे वहां जाना है जरा कार्यक्रम बनाइये। खैर बड़ी मुश्किल से कार्यक्रम बना अब वहां तो कोई ऐसा प्रोजेक्‍ट भी नहीं था क्‍या करे। कोई ऐसा मैदान भी नहीं था जहां जनसभा करे, तो एक Chilling Centre बना था। दूध रखने के लिए, जो दूध बेचने वाले लोग होते हैं वो Chilling Centre में दूध देते हैं, वहां Chilling Plant में Chilling होता है फिर बाद में बड़ा Vehicle आता है तो Dairy में ले जाता है। छोटा सा प्रोजेक्‍ट था 25 लाख रुपये का। लेकिन मेरा मन कर गया कि भले छोटा हो पर मुझे वहां जाना है। तो मैं गया और उससे तीन किलोमीटर दूर एक आम सभा के लिए मैदान रखा था, स्‍कूल का मैदान था, वहां सभा रखी गयी। लेकिन जब मैं वहां गया Chilling Centre पर तो 20-25 महिलाएं जो दूध देने वाली थी, वो वहां थी, तो मैंने जब उद्घाटन किया.. यह आदिवासी महिलाएं थी, पिछड़ा इलाका था। वे सभी मोबाइल से मेरी फोटो ले रही थी। अब मेरे लिए बड़ा अचरज था तो मैं कार्यक्रम के बाद उनके पास गया और मैंने उनसे पूछा कि “मेरी फोटो लेकर क्‍या करोगे?” उन्‍होंने जो जवाब दिया, वो जवाब मुझे आज भी प्रेरणा देता है। उन्‍होंने कहा कि “नहीं, नहीं यह तो जाकर के हम Download करवा देंगे।“ यानी वो पढ़े-लिखे लोग नहीं थे, वो आदिवासी थे, दूध बेचकर के अपनी रोजी-रोटी कमाते थे, लेकिन वहां की महिलाएं हाथ से मोबाइल से फोटो निकाल रही हैं, और मुझे समझा रही है कि हम Download करा देंगे। तब से मैंने देखा कि Technology किस प्रकार से मानवजात के जीवन का हिस्‍सा बनती चली जा रही है। अगर हमने विकास के Design बना लिये हैं तो उस Technology का महत्‍व हमें समझना होगा।

और भारत Digital India का सपना देख कर के चल रहा है। कभी हिंदुस्‍तान की पहचान यह बन जाती थी कोई भी यहां अगर किसी को कहोगे भारत... “अरे छोड़ो यार, भ्रष्‍टाचार है, छोड़ो यार रिश्‍वत का मामला है।“ ऐसा सुनते हैं न? अब सही करना है। अभी-अभी आपने सुना होगा, यह अखबार में बहुत कम आया है। वैसे बहुत सी अच्‍छी चीजें होती है जो अखबार टीवी में कम आती है। एक-आध कोन में कहीं आ जाती है। भारत में कोयले को लेकर के भ्रष्‍टाचार की बड़ी चर्चा हुई थी। CAG ने कहा था एक लाख 76 हजार करोड़ के corruption की बात हुई थी। हमारी सरकार आई और सुप्रीम कोर्ट ने 204 जो खदानें थी उसको रद्द कर दिया। कोयला निकालना ही पाबंदी लग गई। अब बिजली के कारखाने कैसे चलेंगे? हमारे लिए बहुत जरूरी था कि इस काम को आगे बढ़ाएं। हमने एक के बाद एक निर्णय लिए, तीने महीने के अंदर उसमें Auction करना शुरू कर दिया और 204 Coal Blocks खदानें जो ऐसे ही कागज पर चिट्ठी लिखकर के दे रही है यह मदन भाई को दे देना, यह मोहन भाई को दे देना या रज्‍जू भाई को... ऐसा ही दे दिया। तो सुप्रीम ने गलत किया था, हमने उसका Auction किया था। अब तक सिर्फ 20 का Auction हुआ है। 204 में से 20 का Auction हुआ है। और 20 के Auction में दो लाख करोड़ से ज्‍यादा रकम आई है।

Corruption जा सकता है या नहीं जा सकता है? Corruption जा सकता है या नहीं जा सकता है? अगर हम नीतियों के आधार पर देश चलाएं, पारदर्शिता के साथ चलाएं, तो हम भ्रष्‍टाचार से कोई भी व्‍यवस्‍था को बाहर निकाल सकते हैं और भ्रष्‍टाचार मुक्‍त व्‍यवस्‍थाओं को विकसित कर सकते हैं। हिंदुस्‍तान ने बीड़ा उठाया है, हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

भारत विकास की नई ऊंचाईयों पर जा रहा है। भारत ने एक सपना देखा है “Make In India” हम दुनिया को कह रहे हैं कि आइये हिंदुस्‍तान में पूंजी लगाइये, हिंदुस्‍तान में Manufacturing कीजिए। भारत में आपको Low Cost Manufacturing होगा, Skilled Manpower मिलेगा। Zero loss का माहौल मिलेगा। Redtape की जगह Red Carpet मिलेगा। आइये और आप अपना नसीब आजमाइये और मैं देख रहा हूं आज दुनिया का भारत में बहुत रूचि लगने लगी। दुनिया के सारे देश जिनको पता है कि हां भारत एक जगह है, जहां पूंजी निवेश कर सकते हैं, वहां Manufacturing करेंगे और दुनिया के अंदर Export करेंगे।

बहुत बड़ी संभावनाओं के साथ देश विकास की ऊंचाईयों को पार कर रहा है। मुझे विश्‍वास है कि आप जो सपने देख रहे हो वो कहीं पर भी बैठे होंगे, लेकिन आप आज कहीं पर भी क्‍यों न हो, लेकिन कौन बेटा है जो मां को दुखी देखना चाहता है? सदियों पहले भले वो देश छोड़ा हो, लेकिन फिर भी आपके मन में रहता होगा कि “भारत मेरी मां है। मेरी मां कभी दुखी नहीं होनी चाहिए।“ यह आप भी चाहते होंगे। जो आप चाहते हो। आप यहां आगे बढि़ए, प्रगति कीजिए और आपने जो भारत मां की जिम्‍मेवारी हमें दी है, हम उसको पूरी तरह निभाएंगे ताकि कभी आपको यह चिंता न रहे कि आपकी भारत माता का हाल क्‍या है। यह मैं विश्‍वास दिलाने आया हूं।

20 PM Modi floral tribute at Gandhi Statue at Mahatama Gandhi institute of Mauritius (1)

मैं कल से यहां आया हूं, जो स्‍वागत सम्‍मान दिया है, जो प्‍यार मिला है इसके लिए मैं मॉरीशियस का बहुत आभारी हूं। यहां की सरकार का आभारी हूं, प्रधानमंत्री जी का आभारी हूं, आप सबका बहुत आभार हूं। और आपने जो स्‍वागत किया, जो सम्‍मान दिया इसके लिए मैं फिर एक बार धन्‍यवाद करता हूं। और आज 12 मार्च आपका National Day है, Independence Day है। और 12 मार्च 1930 महात्‍मा गांधी साबरमती आश्रम से चले थे, दांडी की यात्रा करने के लिए। और वो दांडी यात्रा कोई कल्‍पना नहीं कर सकता था कि नमक सत्‍याग्रह पूरी दुनिया के अंदर एक क्रांति ला सकता है। जिस 12 मार्च को दांडी यात्रा का प्रारंभ हुआ था उसी 12 मार्च को महात्‍मा गांधी से जुड़े हुए पर्व से मॉरिशियस की आजादी का पर्व है। मैं उस पर्व के लिए आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बहुत बधाई देता हूं।

फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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રોજગાર મેળા હેઠળ 51,000થી વધુ નિમણૂક પત્રોના વિતરણ પ્રસંગે પ્રધાનમંત્રીના સંબોધનનો મૂળપાઠ
July 12, 2025
Quoteઆજે, 51 હજારથી વધુ યુવાનોને નિમણૂક પત્રો આપવામાં આવ્યા છે. આવા રોજગાર મેળાઓ દ્વારા, લાખો યુવાનોને સરકારમાં કાયમી નોકરીઓ મળી છે. હવે આ યુવાનો રાષ્ટ્ર નિર્માણમાં મહત્વપૂર્ણ ભૂમિકા ભજવી રહ્યા છે: પ્રધાનમંત્રી
Quoteઆજે દુનિયા માને છે કે ભારતમાં બે અપાર શક્તિઓ છે, એક વસ્તી વિષયક, બીજી લોકશાહી. બીજા શબ્દોમાં કહીએ તો, સૌથી મોટી યુવા વસ્તી અને સૌથી મોટી લોકશાહી: પ્રધાનમંત્રી
Quoteઆજે, દેશમાં જે સ્ટાર્ટઅપ્સ, નવીનતા અને સંશોધન વાતાવરણ બનાવવામાં આવી રહ્યું છે તે દેશના યુવાનોની ક્ષમતાઓમાં વધારો કરી રહ્યું છે: પ્રધાનમંત્રી
Quoteતાજેતરમાં મંજૂર થયેલી નવી યોજના, રોજગાર લિંક્ડ ઇન્સેન્ટિવ યોજના સાથે, સરકાર ખાનગી ક્ષેત્રમાં નવી રોજગાર તકો ઊભી કરવા પર પણ ધ્યાન કેન્દ્રિત કરી રહી છે: પ્રધાનમંત્રી
Quoteઆજે, ભારતની સૌથી મોટી શક્તિઓમાંની એક આપણું ઉત્પાદન ક્ષેત્ર છે. બાંધકામ ક્ષેત્ર મોટી સંખ્યામાં નવી નોકરીઓનું સર્જન કરી રહ્યું છે: PM
Quoteઆ વર્ષના બજેટમાં બાંધકામ ક્ષેત્રને પ્રોત્સાહન આપવા માટે મિશન બાંધકામ ક્ષેત્રની જાહેરાત કરવામાં આવી છે: PM

નમસ્કાર!

કેન્દ્ર સરકારમાં યુવાનોને કાયમી નોકરીઓ પૂરી પાડવાનું અમારું અભિયાન અવિરતપણે ચાલુ છે. અને અમારી ઓળખ પણ છે, કાપલી વિના, ખર્ચ વિના. આજે, 51 હજારથી વધુ યુવાનોને નિમણૂક પત્રો આપવામાં આવ્યા છે. આવા રોજગાર મેળાઓ દ્વારા, અત્યાર સુધીમાં લાખો યુવાનોને ભારત સરકારમાં કાયમી નોકરીઓ મળી છે. હવે આ યુવાનો રાષ્ટ્ર નિર્માણમાં મોટી ભૂમિકા ભજવી રહ્યા છે. આજે પણ, તમારામાંથી ઘણાએ ભારતીય રેલવેમાં તમારી જવાબદારીઓ શરૂ કરી દીધી છે, ઘણા સાથીઓ હવે દેશની સુરક્ષાના રક્ષક બનશે, ટપાલ વિભાગમાં નિયુક્ત સાથીઓ સરકારની સુવિધાઓને દરેક ગામ સુધી લઈ જશે, કેટલાક સાથીઓ હેલ્થ ફોર ઓલ મિશનના સૈનિક હશે, ઘણા યુવાનો નાણાકીય સમાવેશના એન્જિનને વધુ વેગ આપશે અને ઘણા સાથીઓ ભારતના ઔદ્યોગિક વિકાસને નવી ગતિ આપશે. તમારા વિભાગો અલગ અલગ છે, પરંતુ ધ્યેય એક છે અને તે ધ્યેય શું છે, આપણે વારંવાર યાદ રાખવું પડશે કે, એક જ ધ્યેય છે, ગમે તે વિભાગ હોય, ગમે તે કાર્ય હોય, ગમે તે પદ હોય, ગમે તે ક્ષેત્ર હોય, એક જ ધ્યેય છે - રાષ્ટ્રની સેવા. સૂત્ર એક છે - નાગરિક પહેલા. દેશના લોકોની સેવા કરવા માટે તમારી પાસે ખૂબ મોટું પ્લેટફોર્મ છે. જીવનના આ મહત્વપૂર્ણ તબક્કામાં આટલી મોટી સફળતા માટે હું આપ સૌ યુવાનોને અભિનંદન આપું છું. આપની આ નવી સફર માટે હું આપ સૌને શુભકામનાઓ પાઠવું છું.

મિત્રો,

આજે દુનિયા સ્વીકારી રહી છે કે ભારતમાં બે અમર્યાદિત શક્તિઓ છે. એક છે ડેમોગ્રાફી, બીજી છે લોકશાહી. એટલે કે, સૌથી મોટી યુવા વસ્તી અને સૌથી મોટી લોકશાહી. યુવાનોની આ શક્તિ આપણી સૌથી મોટી મૂડી છે અને ભારતના ઉજ્જવળ ભવિષ્યની સૌથી મોટી ગેરંટી છે. અને આપણી સરકાર આ મૂડીને સમૃદ્ધિનું સૂત્ર બનાવવામાં દિવસ-રાત કાર્યરત છે. તમે બધા જાણો છો, હમણાં જ એક દિવસ પહેલા હું પાંચ દેશોની મુલાકાત લઈને પાછો ફર્યો છું. ભારતની યુવા શક્તિનો પડઘો દરેક દેશમાં સંભળાયો. આ સમયગાળા દરમિયાન થયેલા તમામ કરારો દેશના અને વિદેશના યુવાનોને લાભ પહોંચાડવા માટે બંધાયેલા છે. સંરક્ષણ, ફાર્મા, ડિજિટલ ટેકનોલોજી, ઉર્જા, દુર્લભ પૃથ્વી ખનીજ, આવા અનેક ક્ષેત્રોમાં થયેલા કરારો આવનારા દિવસોમાં ભારતને ખૂબ ફાયદો કરાવશે, ભારતના ઉત્પાદન અને સેવા ક્ષેત્રોને ઘણી મજબૂતી મળશે.

મિત્રો,

બદલાતા સમય સાથે, 21મી સદીમાં નોકરીઓનું સ્વરૂપ પણ બદલાઈ રહ્યું છે, નવા ક્ષેત્રો પણ ઉભરી રહ્યા છે. તેથી, છેલ્લા દાયકામાં, ભારતનો ભાર તેના યુવાનોને આ માટે તૈયાર કરવા પર છે. હવે આ માટે મહત્વપૂર્ણ નિર્ણયો લેવામાં આવ્યા છે, આધુનિક જરૂરિયાતોને ધ્યાનમાં રાખીને આધુનિક નીતિઓ પણ બનાવવામાં આવી છે. આજે દેશમાં જે સ્ટાર્ટ-અપ્સ, નવીનતા અને સંશોધનનું ઇકોસિસ્ટમ બની રહ્યું છે તે દેશના યુવાનોની ક્ષમતાઓમાં વધારો કરી રહ્યું છે, આજે જ્યારે હું યુવાનોને પોતાનું સ્ટાર્ટ-અપ શરૂ કરવા માંગતા જોઉં છું, ત્યારે મારો આત્મવિશ્વાસ પણ વધે છે, અને હમણાં જ આપણા ડૉ. જીતેન્દ્ર સિંહજીએ પણ તમારી સામે સ્ટાર્ટઅપ વિશે વિગતવાર કેટલાક આંકડા શેર કર્યા છે. મને ખુશી છે કે મારા દેશના યુવાનો એક મોટા વિઝન સાથે મજબૂત ગતિએ આગળ વધી રહ્યા છે, તેઓ કંઈક નવું કરવા માંગે છે.

મિત્રો,

ભારત સરકાર ખાનગી ક્ષેત્રમાં રોજગારની નવી તકો ઊભી કરવા પર પણ ધ્યાન કેન્દ્રિત કરી રહી છે. તાજેતરમાં, સરકારે એક નવી યોજના, રોજગાર સાથે જોડાયેલ પ્રોત્સાહન યોજનાને મંજૂરી આપી છે. આ યોજના હેઠળ, સરકાર ખાનગી ક્ષેત્રમાં પહેલી વાર રોજગાર મેળવનારા યુવાનોને 15,000 રૂપિયા આપશે. એટલે કે, સરકાર પહેલી નોકરીના પહેલા પગારમાં ફાળો આપશે. આ માટે, સરકારે લગભગ એક લાખ કરોડ રૂપિયાનું બજેટ બનાવ્યું છે. આ યોજના લગભગ 3.5 કરોડ નવી નોકરીઓ ઊભી કરવામાં મદદ કરશે.

મિત્રો,

આજે, ભારતની એક ખૂબ જ મોટી તાકાત આપણું ઉત્પાદન ક્ષેત્ર છે. ઉત્પાદનમાં મોટી સંખ્યામાં નવી નોકરીઓનું સર્જન થઈ રહ્યું છે. ઉત્પાદન ક્ષેત્રને વેગ આપવા માટે આ વર્ષના બજેટમાં મિશન ઉત્પાદનની જાહેરાત કરવામાં આવી છે. છેલ્લા વર્ષોમાં, અમે મેક ઇન ઇન્ડિયા અભિયાનને મજબૂત બનાવ્યું છે. ફક્ત PLI યોજના દ્વારા દેશમાં 11 લાખથી વધુ નોકરીઓનું સર્જન થયું છે. છેલ્લા કેટલાક વર્ષોમાં મોબાઇલ ફોન અને ઇલેક્ટ્રોનિક્સ ક્ષેત્રનો અભૂતપૂર્વ વિકાસ થયો છે. આજે લગભગ 11 લાખ કરોડ રૂપિયાનું ઇલેક્ટ્રોનિક્સ ઉત્પાદન થઈ રહ્યું છે, 11 લાખ કરોડ. આમાં પણ છેલ્લા 11 વર્ષમાં 5 ગણાથી વધુનો વધારો થયો છે. પહેલા દેશમાં મોબાઇલ ફોન ઉત્પાદનના ફક્ત 2 કે 4 યુનિટ હતા, ફક્ત 2 કે 4. હવે ભારતમાં મોબાઇલ ફોન ઉત્પાદન સાથે સંબંધિત લગભગ 300 યુનિટ છે. અને લાખો યુવાનો તેમાં કામ કરી રહ્યા છે. એક બીજું સમાન ક્ષેત્ર છે અને ઓપરેશન સિંદૂર પછી, તેની ખૂબ ચર્ચા થઈ રહી છે, તેની ખૂબ ગર્વથી ચર્ચા થઈ રહી છે અને તે છે સંરક્ષણ ઉત્પાદન. ભારત સંરક્ષણ ઉત્પાદનમાં પણ નવા રેકોર્ડ બનાવી રહ્યું છે. આપણું સંરક્ષણ ઉત્પાદન 1.25 લાખ કરોડ રૂપિયાથી વધુ થયું છે. ભારતે લોકોમોટિવ ક્ષેત્રમાં બીજી એક મોટી સિદ્ધિ હાંસલ કરી છે. ભારત વિશ્વમાં સૌથી વધુ લોકોમોટિવ બનાવતો દેશ બની ગયો છે, વિશ્વમાં સૌથી વધુ. તે લોકોમોટિવ હોય, રેલ કોચ હોય, મેટ્રો કોચ હોય, આજે ભારત વિશ્વના ઘણા દેશોમાં મોટી સંખ્યામાં તેમની નિકાસ કરી રહ્યું છે. આપણું ઓટોમોબાઇલ ક્ષેત્ર પણ અભૂતપૂર્વ વૃદ્ધિ દર્શાવી રહ્યું છે.

છેલ્લા 5 વર્ષમાં આ ક્ષેત્રમાં લગભગ 40 અબજ ડોલરનું FDI આવ્યું છે. એટલે કે, નવી કંપનીઓ આવી છે, નવા કારખાનાઓ સ્થપાયા છે, નવી નોકરીઓનું સર્જન થયું છે, અને તે જ સમયે વાહનોની માંગમાં પણ ઘણો વધારો થયો છે, ભારતમાં વાહનોનું રેકોર્ડ વેચાણ થયું છે. વિવિધ ક્ષેત્રોમાં દેશની આ પ્રગતિ, આ ઉત્પાદન રેકોર્ડ ત્યારે જ બને છે, તે આ રીતે બનતા નથી, આ બધું ત્યારે શક્ય છે જ્યારે વધુને વધુ યુવાનોને નોકરીઓ મળી રહી હોય. યુવાનો પોતાનો પરસેવો પાડે છે, તેમનું મગજ કામ કરે છે, તેઓ સખત મહેનત કરે છે, દેશના યુવાનોને માત્ર રોજગાર મળ્યો જ નથી, પરંતુ આ અદ્ભુત સિદ્ધિ પણ હાંસલ કરી છે. હવે એક સરકારી કર્મચારી તરીકે, તમારે દેશમાં ઉત્પાદન ક્ષેત્ર આ ગતિએ આગળ વધે તે માટે શક્ય તેટલા બધા પ્રયાસો કરવા પડશે. તમને જ્યાં પણ જવાબદારી મળે છે, તમારે પ્રોત્સાહન તરીકે કામ કરવું જોઈએ, લોકોને પ્રોત્સાહિત કરવા જોઈએ, અવરોધો દૂર કરવા જોઈએ, તમે જેટલી સરળતા લાવશો, તેટલી જ વધુ સુવિધાઓ દેશના અન્ય લોકોને પણ મળશે.

મિત્રો,

આજે આપણો દેશ ઝડપથી વિશ્વની ત્રીજી સૌથી મોટી અર્થવ્યવસ્થા બનવા તરફ આગળ વધી રહ્યો છે, અને કોઈપણ ભારતીય ખૂબ ગર્વથી કહી શકે છે. આ મારા યુવાનોના પરસેવાનો ચમત્કાર છે. છેલ્લા 11 વર્ષમાં, દેશે દરેક ક્ષેત્રમાં પ્રગતિ કરી છે. તાજેતરમાં, આંતરરાષ્ટ્રીય શ્રમ સંગઠન - ILO - તરફથી એક ખૂબ જ સારો અહેવાલ આવ્યો છે - તે એક અદ્ભુત અહેવાલ છે. આ અહેવાલમાં કહેવામાં આવ્યું છે કે છેલ્લા દાયકામાં, ભારતના 90 કરોડથી વધુ નાગરિકોને કલ્યાણકારી યોજનાઓના દાયરામાં લાવવામાં આવ્યા છે. એક રીતે, સામાજિક સુરક્ષાનો અવકાશ ગણાય છે. અને આ યોજનાઓના ફાયદા ફક્ત કલ્યાણ પૂરતા મર્યાદિત નથી. આનાથી મોટી સંખ્યામાં નવી નોકરીઓનું પણ સર્જન થયું છે. ઉદાહરણ તરીકે, હું એક નાનું ઉદાહરણ આપીશ - પ્રધાનમંત્રી આવાસ યોજના. હવે, આ પ્રધાનમંત્રી આવાસ યોજના હેઠળ, 4 કરોડ નવા ઘરો બનાવવામાં આવ્યા છે અને 3 કરોડ નવા ઘરો બનાવવાની પ્રક્રિયા હજુ પણ ચાલુ છે. ઘણા બધા ઘરો બનાવવામાં આવી રહ્યા છે, તેથી કડિયાકામના, મજૂર અને કાચા માલથી લઈને પરિવહન ક્ષેત્રના નાના દુકાનદારો, માલસામાન વહન કરતા ટ્રકના સંચાલકો સુધી, તમે કલ્પના કરી શકો છો કે કેટલી નોકરીઓનું સર્જન થયું છે. આમાં સૌથી ખુશીની વાત એ છે કે મોટાભાગની નોકરીઓ આપણા ગામડાઓમાં મળી છે, કોઈને ગામ છોડવાની જરૂર નથી. તેવી જ રીતે, દેશમાં 12 કરોડ નવા શૌચાલય બનાવવામાં આવ્યા છે. બાંધકામની સાથે, પ્લમ્બર, લાકડાના કામદારો, આપણા વિશ્વકર્મા સમાજના લોકો માટે ઘણી નોકરીઓનું સર્જન થયું છે. આ જ રોજગારનો વિસ્તાર કરે છે અને અસર પણ પેદા કરે છે. તેવી જ રીતે, આજે ઉજ્જવલા યોજના હેઠળ દેશમાં 10 કરોડથી વધુ નવા LPG કનેક્શન આપવામાં આવ્યા છે. હવે, આ માટે, મોટી સંખ્યામાં બોટલિંગ પ્લાન્ટ બનાવવામાં આવ્યા છે. ગેસ સિલિન્ડર બનાવનારાઓને કામ મળ્યું છે, તેમાં પણ નોકરીઓ ઉભી થઈ છે, ગેસ સિલિન્ડર એજન્સીઓને કામ મળ્યું છે. જેમને ઘર સુધી ગેસ સિલિન્ડર પહોંચાડવાની જરૂર છે તેમને નવી નોકરીઓ મળી છે. તમે દરેક કામ એક પછી એક લો, રોજગારની કેટલી તકો ઉભી થાય છે. આ બધી જગ્યાએ લાખો લોકોને નવી નોકરીઓ મળી છે.

મિત્રો,

હું બીજી યોજનાની પણ ચર્ચા કરવા માંગુ છું. હવે તમે આ યોજના જાણો છો, એટલે કે, એવું કહેવામાં આવે છે કે પાંચેય આંગળીઓ ઘીમાં છે, અથવા એવું કહેવામાં આવે છે કે બંને હાથોમાં લાડુ છે. પીએમ સૂર્ય ઘર મફત વીજળી યોજના. સરકાર તમારા ઘરની છત પર છત ઉપર સોલાર પ્લાન્ટ લગાવવા માટે એક પરિવારને સરેરાશ ₹ 75,000 થી વધુ આપી રહી છે. આ સાથે, તે તેના ઘરની છત પર સોલાર પ્લાન્ટ લગાવે છે. એક રીતે, તેના ઘરની છત વીજળી ફેક્ટરી બની જાય છે, તે વીજળી ઉત્પન્ન કરે છે અને તે પોતે વીજળીનો ઉપયોગ કરે છે, જો વધારાની વીજળી હોય, તો તે તેને વેચે છે. આનાથી વીજળીનું બિલ શૂન્ય થઈ રહ્યું છે, તે પૈસા બચાવી રહ્યો છે. આ પ્લાન્ટ લગાવવા માટે એન્જિનિયરોની જરૂર છે, ટેકનિશિયનોની જરૂર છે. સોલાર પેનલ બનાવવા માટે ફેક્ટરીઓ સ્થાપિત કરવામાં આવી રહી છે, કાચા માલ માટે, તેના પરિવહન માટે ફેક્ટરીઓ સ્થાપિત કરવામાં આવી રહી છે. તેને સુધારવા માટે એક નવો ઉદ્યોગ પણ સ્થાપિત કરવામાં આવી રહ્યો છે. તમે કલ્પના કરી શકો છો કે, દરેક યોજના લોકોનું ભલું કરી રહી છે, પરંતુ તેના કારણે લાખો નવી નોકરીઓ પણ ઉભી થઈ રહી છે.

મિત્રો,

નમો ડ્રોન દીદી અભિયાનથી બહેનો અને દીકરીઓની આવકમાં પણ વધારો થયો છે અને ગ્રામીણ વિસ્તારોમાં રોજગારની નવી તકો પણ ઉભી થઈ છે. આ યોજના હેઠળ, લાખો ગ્રામીણ બહેનોને ડ્રોન પાઇલટ તરીકે તાલીમ આપવામાં આવી રહી છે. ઉપલબ્ધ અહેવાલો જણાવે છે કે આપણી ડ્રોન દીદી, આપણી ગામડાની માતાઓ અને બહેનોએ ખેતીની દરેક સીઝનમાં ડ્રોનથી ખેતી કરવામાં મદદ કરીને અને કોન્ટ્રાક્ટ પર કામ લઈને લાખો રૂપિયા કમાવવાનું શરૂ કર્યું છે. એટલું જ નહીં, આ દેશમાં ડ્રોન ઉત્પાદન સંબંધિત નવા ક્ષેત્રને ઘણી શક્તિ આપી રહ્યું છે. કૃષિ હોય કે સંરક્ષણ, આજે ડ્રોન ઉત્પાદન દેશના યુવાનો માટે નવી તકો ઉભી કરી રહ્યું છે.

મિત્રો,

દેશમાં 3 કરોડ લખપતિ દીદી બનાવવાનું અભિયાન ચાલી રહ્યું છે. તેમાંથી 1.5 કરોડ લખપતિ દીદીઓ બની ચૂકી છે. અને તમે જાણો છો કે લખપતિ દીદી બનવાનો અર્થ એ છે કે તેની આવક વર્ષમાં ઓછામાં ઓછી 1 લાખથી વધુ હોવી જોઈએ અને તે એક વાર નહીં પણ દર વર્ષે થવી જોઈએ, તે મારી લખપતિ દીદી છે. 1.5 કરોડ લખપતિ દીદી, હવે જો તમે ગામમાં જશો તો તમને કેટલીક વાતો સાંભળવા મળશે, બેંક સખી, વીમા સખી, કૃષિ સખી, પશુ સખી, આવી ઘણી યોજનાઓમાં આપણા ગામની માતાઓ અને બહેનોને પણ રોજગાર મળ્યો છે. તેવી જ રીતે, પીએમ સ્વાનિધિ યોજના હેઠળ, પહેલીવાર, ફૂટપાથ પર કામ કરતા લોકો અને ફેરિયાઓને મદદ કરવામાં આવી. આ હેઠળ, લાખો લોકોને કામ મળ્યું છે અને ડિજિટલ પેમેન્ટને કારણે, આજકાલ દરેક ફેરિયા રોકડ લેતા નથી, તે UPIનો ઉપયોગ કરે છે. કેમ? કારણ કે તેને બેંકમાંથી તરત જ આગળની રકમ મળે છે. બેંકનો વિશ્વાસ વધે છે. તેને કોઈ કાગળની જરૂર નથી. તેનો અર્થ એ કે આજે ફેરિયા આત્મવિશ્વાસ અને ગર્વ સાથે આગળ વધી રહ્યો છે.

પીએમ વિશ્વકર્મા યોજના જુઓ. આ અંતર્ગત, પૂર્વજોનું કાર્ય, પરંપરાગત કાર્ય, કૌટુંબિક કાર્ય, આપણે તેનું આધુનિકીકરણ કરવું પડશે, તેમાં નવીનતા લાવવી પડશે, નવી ટેકનોલોજી લાવવી પડશે, તેમાં નવા સાધનો લાવવા પડશે, તેમાં કામ કરતા કારીગરો, શિલ્પકારો, કામદારો અને સેવા પ્રદાતાઓને તાલીમ આપવામાં આવી રહી છે. લોન આપવામાં આવી રહી છે, આધુનિક સાધનો પૂરા પાડવામાં આવી રહ્યા છે. હું તમને અસંખ્ય યોજનાઓ વિશે કહી શકું છું. આવી ઘણી યોજનાઓ છે જેણે ગરીબોને લાભ આપ્યો છે અને યુવાનોને રોજગાર પણ આપ્યો છે. આવી ઘણી યોજનાઓનો પ્રભાવ છે કે માત્ર 10 વર્ષમાં 25 કરોડ લોકો ગરીબીમાંથી બહાર આવ્યા છે. જો રોજગાર ન હોત, જો પરિવારમાં આવકનો કોઈ સ્ત્રોત ન હોત, તો મારા ગરીબ ભાઈ-બહેન, જે ત્રણ-ચાર પેઢીઓથી ગરીબીમાં જીવી રહ્યા હતા, તેમણે પોતાના જીવનના દરેક દિવસ દરમિયાન મૃત્યુ જોયું હોત, તે ખૂબ ડરતો હતો. પરંતુ આજે તે એટલો મજબૂત બન્યો છે કે મારા 25 કરોડ ગરીબ ભાઈ-બહેનોએ ગરીબીને હરાવી છે. તેઓ વિજયી બન્યા છે. અને હું આ બધા 25 કરોડ ભાઈ-બહેનોની હિંમતની કદર કરું છું જેમણે ગરીબીને પાછળ છોડી દીધી છે. તેઓએ સરકારી યોજનાઓનો લાભ લીધો અને હિંમતથી આગળ વધ્યા, તેઓ રડતા બેઠા ન રહ્યા. તેઓએ ગરીબીને જડમૂળથી ઉખેડી નાખી, તેને હરાવી. હવે કલ્પના કરો કે આ 25 કરોડ લોકોમાં કેટલો નવો આત્મવિશ્વાસ હશે. એકવાર વ્યક્તિ સંકટમાંથી બહાર આવે છે, ત્યારે એક નવી શક્તિ જન્મે છે. મારા દેશમાં એક નવી તાકાત પણ આવી છે, જે દેશને આગળ વધારવામાં ખૂબ ઉપયોગી થશે. અને તમે જુઓ, ફક્ત સરકાર જ આ વાત કહી રહી નથી. આજે, વિશ્વ બેંક જેવી મોટી વૈશ્વિક સંસ્થાઓ આ કાર્ય માટે ભારતની ખુલ્લેઆમ પ્રશંસા કરી રહી છે. તેઓ ભારતને વિશ્વ સમક્ષ એક મોડેલ તરીકે રજૂ કરે છે. ભારતને વિશ્વના સૌથી વધુ સમાનતા ધરાવતા ટોચના દેશોમાં સ્થાન આપવામાં આવી રહ્યું છે. એટલે કે, અસમાનતા ઝડપથી ઘટી રહી છે. આપણે સમાનતા તરફ આગળ વધી રહ્યા છીએ. વિશ્વ પણ હવે આની નોંધ લઈ રહ્યું છે.

મિત્રો,

વિકાસનો આ મહાન યજ્ઞ, ગરીબ કલ્યાણ અને રોજગાર નિર્માણનું મિશન જે આજથી ચાલી રહ્યું છે, તેને આગળ વધારવાની જવાબદારી તમારી છે. સરકારે અવરોધ ન બનવું જોઈએ, સરકારે વિકાસનું પ્રમોટર બનવું જોઈએ. દરેક વ્યક્તિને આગળ વધવાની તક મળે છે. હાથ પકડવાનું આપણું કામ છે. અને તમે યુવાન મિત્રો છો. મને તમારામાં ખૂબ વિશ્વાસ છે. તમારી પાસેથી મારી અપેક્ષા છે કે તમને જ્યાં પણ જવાબદારી મળે છે, તમે મારા માટે સૌ પ્રથમ આ દેશના નાગરિક છો, તેમને મદદ કરો અને તેમની સમસ્યાઓથી છુટકારો મેળવો, દેશ થોડા સમયમાં પ્રગતિ કરશે. તમારે ભારતના અમૃત કાળનો ભાગ બનવું પડશે. આવનારા 20-25 વર્ષ તમારા કરિયર માટે મહત્વપૂર્ણ છે, પરંતુ તમે એવા સમયગાળામાં છો જ્યારે આગામી 20-25 વર્ષ દેશ માટે ખૂબ જ મહત્વપૂર્ણ છે. વિકસિત ભારતના નિર્માણ માટે આ 25 મહત્વપૂર્ણ વર્ષ છે. તેથી, તમારે તમારા કાર્ય, તમારી જવાબદારીઓ, તમારા લક્ષ્યોને વિકસિત ભારતના સંકલ્પ સાથે આત્મસાત કરવા પડશે. 'નાગરિક દેવો ભવ' મંત્ર આપણી નસોમાં દોડવો જોઈએ, આપણા હૃદય અને મનમાં હોવો જોઈએ, આપણા વર્તનમાં દૃશ્યમાન હોવો જોઈએ.

અને હું દ્રઢપણે માનું છું કે મિત્રો, આ યુવા શક્તિ છેલ્લા 10 વર્ષમાં દેશને આગળ વધારવામાં મારી સાથે ઉભી રહી છે. તેમણે મારા દરેક શબ્દો સાંભળીને દેશના કલ્યાણ માટે જે કંઈ કરી શક્યું છે તે કર્યું છે. તેઓ જ્યાં પણ છે ત્યાંથી તે કર્યું છે. તમને તક મળી છે, તમારી પાસેથી અપેક્ષાઓ ઊંચી છે. તમારી જવાબદારી ઊંચી છે, મને વિશ્વાસ છે કે તમે તે કરીને તે કરી બતાવશો. હું ફરી એકવાર તમને અભિનંદન આપું છું. હું તમારા પરિવારને પણ શુભકામનાઓ પાઠવું છું અને તમારા પરિવારને પણ ઉજ્જવળ ભવિષ્યની હકદાર છું. તમે પણ જીવનમાં ઘણી પ્રગતિ કરો. iGOT પ્લેટફોર્મ પર જઈને પોતાને અપગ્રેડ કરતા રહો. એકવાર તમને સ્થાન મળી જાય, પછી શાંતિથી ન બેસો, મોટા સપના જુઓ, ઘણું આગળ વધવાનું વિચારો. કામ કરીને, નવી વસ્તુઓ શીખીને, નવા પરિણામો લાવીને પ્રગતિ કરો. તમારી પ્રગતિમાં દેશનું ગૌરવ છે, તમારી પ્રગતિમાં સંતોષ છે. અને તેથી જ આજે જ્યારે તમે નવું જીવન શરૂ કરી રહ્યા છો, ત્યારે હું તમારી સાથે વાત કરવા, તમને મારી શુભેચ્છાઓ આપવા આવ્યો છું અને હવે તમે ઘણા સપના પૂરા કરવા માટે મારા સાથી બની રહ્યા છો. હું મારા નજીકના સાથીઓમાંના એક તરીકે તમારું સ્વાગત કરું છું. તમારા બધાનો ખૂબ ખૂબ આભાર. શુભકામનાઓ.