QuoteDevelopment is the only solution for all problems related to poverty and unemployment: PM
QuoteIndia will progress only through the development of the States and for this the Centre and States have to work together: PM

देवियों और सज्‍जनों,

आज यहां अनेक शिलान्‍यास के और उद्घाटन के कार्यक्रम हुए। हम सब इस बात को अब भलीभांति समझने लगे हैं कि विकास का कोई पर्याय नहीं है। अगर हमें गरीबी से लड़ना है तो विकास करना होगा, हमें बेरोजगारी से लड़ना है, तो विकास करना होगा, हमें अशिक्षा से लड़ना है तो विकास करना होगा, यदि हमें आरोग्‍य की सुविधाएं मुहैया करानी होंगी तो विकास करना होगा। सब दुखों की अगर कोई एक दवाई है तो वो दवाई है – विकास। यह अच्‍छी बात है कि इन दिनों राज्‍यों के बीच भी विकास को लेकर एक स्‍पर्धा का माहौल बनता चला जा रहा है। राज्‍यों को लगने लगा है कि वो राज्‍य उस बात में मुझसे आगे निकल गया, अब हम कुछ कोशिश करेंगे, हम आगे निकलेंगे। आखिरकार देश को आगे बढ़ाना है तो राज्‍यों के विकास से ही आगे बढ़ने वाला है। इसलिए देश के विकास के लिए राज्‍यों का विकास.. इस मूलमंत्र को ले करके, केंद्र हो या राज्‍य हो, सबने मिलकर के काम करना, काम को आगे बढ़ाना, यह आवश्‍यक होता है।

विकास के कामों में राजनीति कितना नुकसान करती है उसका ब्‍यौरा आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी ने विस्‍तार से दिया। अटल जी के समय में जो काम.. छ: महीने मिलते तो पूरा हो जाता, उसको पूरा होते-होते आज 2015 आ गया। मैं नीतीश जी की बात से सहमत हूं कि अटल जी की सरकार का चुनाव यदि थोड़ी देर से होता, छ: महीने मिल जाते तो उस समय अटल जी के मार्गदर्शन में.. और यही के रेल मंत्री थे नीतीश जी, यह काम पूरा हो गया होता। वो सही बोल रहे हैं। लेकिन बाद में सरकार बदल गई और रेल मंत्री यहां से ऐसे आए कि काम को रोक दिया गया और हमारे आने के बाद उसको चालू किया गया। अब, राजनीति जो करते हैं करें लेकिन नुकसान बिहार का हुआ, बिहार की जनता का हुआ। नीतीश कुमार की इस व्‍यथा के साथ मैं भी अपना स्‍वर मिलाता हूं।



लेकिन मैं इस मत का हूं कि हमें विकास की यात्रा को निरंतर गति देना चाहिए। आज नीतीश जी ने बहुत अच्‍छी बातें बताई कि भई IIT है, हमें यहां की आवश्‍यकताओं के अनुसार और यहां की क्षमता के अनुसार नई-नई faculties को लाना चाहिए। मुझे विश्‍वास है कि नए परिसर की क्षमता इतनी है, 500 बीघा ज़मीन है.. यह होगा। हम तो कोशिश यह कर रहे हैं कि दुनिया में जो top cost faculties हों उनको भी भारत में लाया जाए ताकि भारत के हमारे युवकों को देश के लिए जो आवश्‍यक है, जिस राज्‍य में IIT हैं, वहां जो आवश्‍यक है, उन विषयों को बल दिया जाए। सिर्फ दिल्‍ली में बैठ करके योजनाएं बनाने का वक्‍त पूरा हो गया। अब तो राज्य के मन में जो भाव उठते हैं, उसकी जो आवश्यकताएं होती हैं, उसके अनुसार ही दिल्ली को ढलना चाहिए, ये मेरी सोच है औऱ मैं उसी को आगे बढ़ा रहा हूं।

आज यहां एक Incubation centre का प्रारंभ हो रहा है। ये Incubation centre मैं मानता हूं, ये एक बहुत बड़ा नजराना है। IIT complex, इमारत से भी ज्यादा, ये Incubation centre बहुत बड़ा महत्वपूर्ण हमारा initiative है। इसलिए मैं इस बात से convince हूं। मैं जिस प्रदेश से आया हूं, लोगों ने परिश्रम किया होगा, परमात्मा ने कृपा की होगी, लक्ष्मी ने वहां जाना पसंद किया होगा लेकिन ये भूमि है, जहां सरस्वती वास करती है। यहां के नौजवान तेजस्‍वी हैं। और मैं मानता हूं, यहां की जो तेजस्विता है वो पूरे हिंदुस्तान को तेजस्वी बना सके, ऐसी तेजस्विता इस धरती पर है। ..और मुझे विश्वास है कि ये जो Incubation centre हम सोच रहे हैं, बनाने जा रहे हैं, वो भी एक विशेष मकसद से है।

आज हम देख रहे हैं कि Medical services, health sector ये सिर्फ डॉक्टर नाड़ी पकड़ लें, चार सवाल पूछ लें और निर्णय नहीं होता कि बीमारी क्या है, दवाई क्या दें? ढेर सारे मशीनों के अंदर से शरीर को गुजारा जाता है, भांति-भांति मशीनों को शऱीर पर लगाया जाता है उसके बाद बीमारी तय होती है, उसके बाद उपचार तय होता है। पूरे Health Sector में Technology का प्रभाव इतना बढ़ा है, इतने नये-नये संसाधनों का आविष्‍कार हो रहा है। आज भारत को गरीब व्‍यक्ति को अगर इन संसाधनों को मुहैया कराना पड़े.. विदेशों से लाना बहुत महंगा पड़ रहा है। इस पटना की धरती पर बिहार के मेरे नौजवानों की प्रतिभा को एक अवसर दिया जा रहा है कि इस incubation centre में प्रमुख रूप से Electronic and Digital mechanics के साथ किस प्रकार से हम Health Sector के नये विषयों में आविष्‍कार करें, उसका उत्‍पादन करें ताकि हमारे गरीब से गरीब के लिए हमारे अस्‍पतालों में भारत में बने हुए उत्‍तम से उत्‍तम साधन तैयार हों, जिसका लाभ गरीब को मिले, उस दिशा में हम काम करें। इसलिए यह incubation Centre भले ही पटना की धरती पर बनने वाला हो, लेकिन वह हिंदुस्‍तान के गरीबों के आरोग्‍य की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने का एक अहम कार्यक्रम बनेगा, यह मैं देख रहा हूं।

आखिरकार विकास करना है तो infrastructure का बहुत महत्‍व होता है। अगर infrastructure को बहुत महत्‍व नहीं दिया गया तो हम बहुत पिछड़कर रह जाएंगे। बिहार में चाहे rail हो, road हो air हो, उसको infrastructure मिलें, उसकी connectivity बढ़े, capacity बढ़ें, इस पर हम बल दे रहे हैं। हिंदुस्‍तान में शायद अधिकतम रेलमंत्री यदि किसी राज्‍य ने दिये है तो बिहार ने दिये हैं। जमाने से जैसे यह रेल डिपार्टमेंट बिहार के लिए reservation है। रेल मंत्री तो मिले हैं, रेल देने का काम मेरे दिमाग में भरा पड़ा है। मैं रेल के माध्‍यम से बिहार के दूर-सुदूर इलाकों को कैसे जोड़ पाऊं, मुख्‍य धारा में विकास की.. यहां infrastructure आता है, उसको कैसे आगे बढ़ाऊं, इस दिशा में योजनाएं लेकर के आगे चल रहा हूं।

आज एक महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम हमने launch किया है। वैसे नीतीश जी ने धर्मेंद्र प्रधान जी की इतनी तारीफ कर दी है, उसी से मुझे समझ आता है कि इस प्रोजेक्‍ट का कितना महत्‍व है। नीतीश जी की बात सही है, आने वाले दिनों में जिस प्रकार से रोड का महत्‍व है, रेल का महत्‍व है वैसे ही गैस ग्रिड का भी महत्‍व है। पूरी economy में गैसे आधारित economy shape ले रही है और गैस पहुंचाने के लिए महंगा खर्चीला नेटवर्क खड़ा करना पड़ता है, infrastructure बनाना पड़ता है। मैं देख रहा हूं कि energy के sector में गैस की उपलब्धि उस देश की पूरी economy को बदल देती है। बिहार की economy को बदलने का एक बहुत बड़ा ताकतवर प्रयास.. गंगा तो हमारे पास है ही है, हम ऊर्जा गंगा को लेकर के आ रहे हैं आपके पास।



गैस पाइप लाइन बिछाएंगे सैंकड़ों किलोमीटर। पटना में पाइप लाइन से घर-घर गैस कैसे पहुंचे.. जैसे हमारे घर में गृहणी के kitchen में tap चालू करते ही पानी आता है, वैसे ही tap चालू करते ही गैस आ जाए, इसके लिए यह योजना है। हर परिवार को यह पहुंचे हैं .. सैंकड़ों किलोमीटर से दूर से पाइप लाइन आएगी, हां बड़ा महंगा कारोबार है लेकिन एक बार अगर वह लग गया तो सालों साल तक यहां के जीवन को भी लाभ होगा और यहां के quality of life में भी बहुत बड़ा फायदा होगा, economy में भी फायदा होगा।

जैसा नीतीश जी ने कहा कि बिजली का पैसा तक माफ कर दिया है, fertilizer कारखाने का। उस समय हमारे सुशील जी आया करते थे कि साहब हमसे 300 करोड़ क्‍यों ले रहे हो। लेकिन फिर भी बिहार ने तकलीफ झेल करके भी इस काम को किया है। वित्‍त मंत्री थे हमारे सुशील जी, कठिनाई होने के बावजूद भी किया। यह करने के बावजूद भी 10 साल बीत गए साहब, fertilizer कारखाने की किसी को याद नहीं आई। क्‍या गुनाह है बिहार का? बिहार की जेब से पैसा निकाल करके यहां की सरकार ने तकलीफ होने के बावजूद भी दिया लेकिन उसको रोक दिया गया। हमने तय किया है कि यह बिहार का यह हक है। यह fertilizer का काम चालू होगा। यहां के किसानों को सस्‍ता fertilizer मिले, यह काम हम करेंगे। बिहार की जनता का या बिहार की सरकार का कोई दोष नहीं था। बिहार की सरकार आगे आई थी। लेकिन काम रोक दिया गया। लेकिन भाईयों बहनों मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि यह काम भी पूरा होगा और नौजवानों को रोजगार भी मिलेगा और किसान को fertilizer भी पहुंचेगा, इसका पूरा प्रबंध करके हम आगे बढ़ेंगे।

भाईयों बहनों, विकास की इस अवधारणा में हमने यह भी हमेशा निरंतर प्रयास किया है, cooperative federalism का। हमारा मत है कि राज्‍यों को अगर सहायता मिले, राज्‍यों को अगर अवसर मिले तो देश के आगे बढ़ने की ताकत बहुत बढ़ जाएगी। इसलिए 14th finance commission जो कि लागू हुआ है, उसके कारण बहुत बड़ा लाभ राज्‍यों को हो रहा है। एक राज्‍य को हो रहा है, एक को नहीं हो रहा है, ऐसा नहीं है। सभी राज्‍यों को हो रहा है। इसलिए कोई बिहार को कम मिला, अधिक मिला, किसी और राज्‍य को कम मिला, अधिक मिला, ऐसा नहीं है। क्‍योंकि हमारी योजना है। आज स्थिति ऐसी है.. एक जमाना था भारत का खजाना जो था, केंद्र का और राज्‍य का उसमें से 65-70% खजाना दिल्‍ली की सरकार की तिजौरी में रहता था। 38-35% सभी राज्‍यों की मिला करके तिजौरी में रहता था। हमने ऐसा एक महत्‍वपूर्ण फैसला किया है, कठिन काम लिया है सर पर। लेकिन जैसा नीतीश जी ने कहा कि मोदी जी आप पर हमारी आशा है, उसको पूरा करने के लिए हमने एक महत्‍वपूर्ण फैसला किया है। वो फैसला है vote in finance commission जिसके कारण आने वाले दिनों में बिहार को .. अगर पांच साल के finance commission का मैं देखूं तो बिहार को 2015 से 2020 के दरम्यिान finance commission के द्वारा करीब-करीब पौने चार लाख करोड़ के करीब रुपया मिलने वाले हैं। पौने चार लाख करोड़ के करीब रुपया मिलने वाले हैं, जो पहले सिर्फ बीते हुए समय में सिर्फ डेढ़ लाख करोड़ रुपया मिला था। डेढ़ लाख का पौने चार लाख करोड़ रुपया आने वाले दिनों में.. क्‍योंकि हम मानते हैं कि यह प्रदेश आगे बढ़ना चाहिए।

मेरा यह विश्‍वास है कि पूरब में जब तक प्रगति नहीं होती है, देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता। चाहे बिहार हो, चाहे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश हो, चाहे ओडि़शा हो, चाहे पश्चिम बंगाल हो, चाहे झारखंड हो असम हो, नागालैंड हो, मिजोरम हो, यह सारा हिंदुस्‍तान का पूर्वी भाग यह जब विकसित नहीं होता है, यह भारत माता हमारी समृध नहीं हो सकती है। इसलिए बिहार का विकास, यह हमारा प्राइम एजेंडा है। पूर्वी भारत का विकास, हमारा मकसद है, हमारा लक्ष्‍य है। उसको आगे बढ़ाने के लिए अनेक विध हम नई योजनाएं लाने वाले हैं, उसको पूरा करेंगे।

आने वाले कुछ दिनों में हमारे कुछ साथियों से मैंने कहा है कि आप जाइये, शिलान्‍यास कीजिए, उद्घाटन कीजिए, काम को आगे बढ़ाइये। जैसे मुजफ्फरपुर स्‍वर्ण-वर्ष नेशनल हाइवे, 77 किलोमीटर को double lane करने का काम पूर्ण हो चुका है। करीब छ: सौ करोड़ रुपया की लागत लगी है। पटना-गया-डोबी रोड के four laning का काम मंजूर हो गया है। करीब 1231 करोड़ रुपये की लागत है। पटना-कोयलावर-भोजपुर और भोजपुर-बक्‍सर रोड के भी four laning का काम मंजूर हो चुका है। लागत है करीब 2012 करोड़ रुपया। भागलपुर बाइपास का काम मंजूर हो गया है। लागत है करीब 230 करोड़ रुपया। शिवहरी-सीतामढ़ी-जयनगर-निरहिया रोड का भी सुधार मंजूर कर दिया गया है। लागत है करीब 701 करोड़ रुपया। फतवा-हरनोद-बारा रोड का काम भी मंजूर कर दिया है। लागत है करीब 590 करोड़ रुपया। यह सारे नेशनल हाइवे के प्रोजेक्‍ट जो इस सरकार ने already मंजूर कर दिये हैं, इन सबकी लागत होती है करीब-करीब पांच हजार करोड़ रुपया। क्‍योंकि मैं जानता हूं कि बिहार को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए इन चीजों का भरपूर उपयोग होना चाहिए। और हम इसको करना चाहते हैं।



आपको याद होगा पिछले लोकसभा के चुनाव में मैं यहां आया था। गांधी मैदान में बम धमाकों के बीच, मैं भाषण कर रहा था। उस समय मैंने कहा था कि केंद्र में हम सत्‍ता में आएंगे तो बिहार को विशेष पैकेज देंगे। उस समय मैंने घोषणा की थी.. चुनाव के पहले मैंने घोषणा की थी, मैंने कहा था कि 50 हजार करोड़ रुपयों का पैकेज बिहार को दिया जाएगा। भाईयों बहनों मैं जब दिल्‍ली में बैठा, बारीकी से चीजों को देखा तो मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि मेरे दिल दिमाग में बिहार की जो कल्‍पना है, बिहार को अगर मुझे उस ऊंचाई पर ले जाने में बिहार को साथ लेकर के चलना है तो 50 हजार करोड़ से बात बनने वाली नहीं है। उसे और अधिक करने की आवश्‍यकता है। मैं आज उसकी घोषणा नहीं करूंगा, मैं सही समय पर आ करके उसकी घोषणा करूंगा, लेकिन मैं इतना कहता हूं कि मैंने जो वादा किया उसको तो निभाऊंगा, उससे भी आगे मामला ले जाऊंगा, यह आपको मैं वादा करने आया हूं। ताकि बिहार को विकास की यात्रा में कोई रूकावट नहीं आनी चाहिए और विकास की यात्रा तेज गति से आगे बढ़नी चाहिए।

इसी एक अपेक्षा के साथ, मुझे विश्‍वास है कि आज जिन योजनाओं का आरंभ हुआ है, जिन कार्यक्रमों की शुरूआत हो गई है, और भी हमारे मंत्रिगण के लोग आने वाले हैं, वो इस बात को आगे बढ़ाएंगे। आज यहां पर देशभर के कृषि वैज्ञानिकों को मैंने बुलाया है, पटना की धरती पर। अब इस कार्यक्रम के बाद उनके साथ बैठने वाला हूं, क्‍योंकि मैं मानता हूं कि हिंदुस्‍तान की second green revolution की संभावना अगर कहीं है, तो हिंदुस्‍तान के पूर्वी इलाके में हैं। बिहार में है, बंगाल में है, असम में है, पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में है। second green revolution की संभावना इस इलाके में है। इसलिए मैंने देशभर के कृषि वैज्ञानिकों को आज पटना की धरती पर बुलाया है। वो यहां बैठ करके विचार-विमर्श करने वाले हैं। आने वाले दिनों में यहां के कृषि क्षेत्र को एक नई ताकत देने की दिशा में प्रयास करने वाले हैं।

मैं फिर एक बार बिहार सरकार का, बिहार की जनता-जर्नादन का, यहां के मुख्‍यमंत्री जी का स्‍वागत सम्‍मान के लिए हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगुभाई पटेल, हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन यादव जी, टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए केंद्रीय मंत्री, इंदौर से तोखन साहू जी, दतिया से राम मोहन नायडू जी, सतना से मुरलीधर मोहोल जी, यहां मंच पर उपस्थित राज्य के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा जी, राजेंद्र शुक्ला जी, लोकसभा में मेरे साथी वी डी शर्मा जी, अन्य मंत्रिगण, जनप्रतिनिधिगण और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

सबसे पहले मैं मां भारती को भारत की मातृशक्ति को प्रणाम करता हूं। आज यहां इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें-बेटियां हमें आशीर्वाद देने आई हैं। मैं आप सभी बहनों के दर्शन पाकर धन्य हो गया हूं।

भाइयों और बहनों,

आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की तीन सौवीं जन्म जयंती है।140 करोड़ भारतीयों के लिए ये अवसर प्रेरणा का है, राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे भागीरथ प्रयासों में अपना योगदान देने का है। देवी अहिल्याबाई कहती थीं, कि शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है। आज का कार्यक्रम, उनकी इस सोच को आगे बढ़ाता है। आज इंदौर मेट्रो की शुरुआत हुई है। दतिया और सतना भी अब हवाई सेवा से जुड़ गए हैं। ये सभी प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश में सुविधाएं बढ़ाएंगे, विकास को गति देंगे और रोजगार के अनेक नए अवसर बनाएंगे। मैं आज इस पवित्र दिवस पर विकास के इन सारे कामों के लिए आप सबको, पूरे मध्य प्रदेश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

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साथियों,

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर, ये नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। देवी अहिल्याबाई प्रतीक हैं, कि जब इच्छाशक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है, तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों ना हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है। ढाई-तीन सौ साल पहले, जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना, कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करें, ये कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था।

साथियों,

लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभु सेवा और जन सेवा, इसे कभी अलग नहीं माना। कहते हैं, वे हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व कांटों से भरा ताज, कोई कल्पना कर सकता है, कांटों से भरा ताज पहनने जैसा वो काम, लेकिन लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी। उन्होंने गरीब से गरीब को समर्थ बनाने के लिए काम किया। देवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति पर, हमारे मंदिरों, हमारे तीर्थ स्थलों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उन्हें संरक्षित करने का बीड़ा उठाया, उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित पूरे देश में हमारे अनेकों मंदिरों का, हमारे तीर्थों का पुनर्निर्माण किया। औऱ ये मेरा सौभाग्य है कि जिस काशी में लोकमाता अहिल्याबाई ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया है। आज अगर आप काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएंगे, तो वहां आपको देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी वहाँ पर मिलेगी।

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साथियों,

माता अहिल्याबाई ने गवर्नेंस का एक ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई। रोजगार के लिए, उद्यम बढ़ाने के लिए उन्होंने अनेक योजनाओं को शुरू किया। उन्होंने कृषि और वन-उपज आधारित कुटीर उद्योग और हस्तकला को प्रोत्साहित किया। खेती को बढ़ावा देने के लिए, छोटी-छोटी नहरों की जाल बिछाई, उसे विकसित किया, उस जमाने में आप सोचिए 300 साल पहले। जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कितने ही तालाब बनवाए और आज तो हम लोग भी लगातार कह रहे हैं, catch the rain, बारिश के एक एक बूंद पानी को बचाओ। देवी अहिल्या जी ने ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमें ये काम बताया था। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्होंने कपास और मसालों की खेती को प्रोत्साहित किया। आज ढाई सौ-तीन सौ साल के बाद भी हमें बार बार किसानों को कहना पड़ता है, कि crop diversification बहुत जरूरी है। हम सिर्फ धान की खेती करके या गन्ने की खेती करके अटक नहीं सकते, देश की जरूरतों को, सारी चीजों को हमें diversify करके उत्पादित करना चाहिए। उन्होंने आदिवासी समाज के लिए, घुमन्तु टोलियों के लिए, खाली पड़ी जमीन पर खेती की योजना बनाई। ये मेरा सौभाग्य है, कि मुझे एक आदिवासी बेटी, आज जो भारत के राष्ट्रपति पद पर विराजमान है, उनके मार्गदर्शन में मेरे आदिवासी भाई-बहनों की सेवा करने का मौका मिला है। देवी अहिल्या ने विश्व प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए और बहुत कम लोगों को पता होगा, कि देवी अहिल्या जी हूनर की पारखी थी और वो जूनागढ़ से गुजरात में, जूनागढ़ से कुछ परिवारों को माहेश्वर लाईं और उनको साथ जोड़कर के, आज से ढाई सौ-तीन सौ साल पहले ये माहेश्वरी साड़ी का काम आगे बढ़ाया, जो आज भी अनेक परिवारों को वो गहना बन गया है, और जिससे हमारे बुनकरों को बहुत फायदा हुआ।

साथियों,

देवी अहिल्याबाई को कई बड़े सामाजिक सुधारों के लिए भी हमेशा याद रखा जाएगा। आज अगर बेटियों की शादी की उम्र की चर्चा करें, तो हमारे देश में कुछ लोगों को सेक्यूलरिज्म खतरे में दिखता है, उनको लगता है ये हमारे धर्म के खिलाफ है। ये देवी अहिल्या जी देखिए, मातृशक्ति के गौरव के लिए उस जमाने में बेटियों की शादी की उम्र के विषय में सोचती थीं। उनकी खुद की शादी छोटी उम्र में हुई थी, लेकिन उनको सब पता था, बेटियों के विकास के लिए कौन सा रास्ता होना चाहिए। ये देवी अहिल्या जी थीं, उन्होंने महिलाओं का भी संपत्ति में अधिकार हो, जिन स्त्रियों के पति की असमय मृत्यु हो गई हो, वो फिर विवाह कर सकें, उस कालखंड में ये बातें करना भी बहुत मुश्किल होता था। लेकिन देवी अहिल्याबाई ने इन समाज सुधारों को भरपूर समर्थन दिया। उन्होंने मालवा की सेना में महिलाओं की एक विशेष टुकड़ी भी बनाई थी। ये पश्चिम की दुनिया के लोगों को पता नहीं है। हमें कोसते रहते हैं, हमारी माताओं बहनों के अधिकारों के नाम पर हमें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमारे देश में सेना में महिलाओं का होना, साथियों महिला सुरक्षा के लिए उन्होंने गांवों में नारी सुरक्षा टोलियां, ये भी बनाने का काम किया था। यानी माता अहिल्याबाई, राष्ट्र निर्माण में हमारी नारीशक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं। मैं, समाज में इतना बड़ा परिवर्तन लाने वाली देवी अहिल्या जी को आज श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उनके चरणों में प्रणाम करता हूं और मैं उनसे प्रार्थना करता हूं, कि आप जहां भी हों, हम सभी पर अपना आशीर्वाद बरसाए।

साथियों,

देवी अहिल्या का एक प्रेरक कथन है, जो हम कभी भूल नहीं सकते। और उस कथन का अगर मोटे-मोटे शब्दों में मैं कहूं, उसका भाव यही था, कि जो कुछ भी हमें मिला है, वो जनता द्वारा दिया ऋण है, जिसे हमें चुकाना है। आज हमारी सरकार लोकमाता अहिल्याबाई के इन्हीं मूल्यों पर चलते हुए काम कर रही है। नागरिक देवो भव:- ये आज गवर्नेंस का मंत्र है। हमारी सरकार, वीमेन लेड डवलपमेंट के विजन को विकास की धुरी बना रही है। सरकार की हर बड़ी योजना के केंद्र में माताएं-बहनें-बेटियां हैं। आप भी जानती हैं, गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनाए जा चुके हैं और इनमें से अधिकतर घर हमारी माताओं-बहनों के नाम पर हैं, मालिकाना हक मेरी माताओं-बहनों को दिया है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं, जिनके नाम पर पहली बार कोई संपत्ति दर्ज हुई है। यानी देश की करोड़ों बहनें पहली बार घर की मालकिन बनी हैं।

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साथियों,

आज सरकार, हर घर तक नल से जल पहुंचा रही है, ताकि हमारी माताओं-बहनों को असुविधा न हो, बेटियां अपनी पढ़ाई में ध्यान दे सकें। करोड़ों बहनों के पास पहले, बिजली, एलपीजी गैस और टॉयलेट जैसी सुविधाएं भी नहीं थीं। ये सुविधाएं भी हमारी सरकार ने पहुंचाईं। और ये सिर्फ सुविधाएं नहीं हैं, ये माताओं-बहनों के सम्मान का हमारी तरफ से एक नम्र प्रयास है। इससे गांव की, गरीब परिवारों की माताओं-बहनों के जीवन से अनेक मुश्किलें कम हुईं हैं।

साथियों,

पहले माताएं-बहनें अपनी बीमारियां छुपाने पर मजबूर थीं। गर्भावस्था के दौरान अस्पताल जाने से बचती थीं। उनको लगता था, कि इससे परिवार पर बोझ पड़ेगा और इसलिए दर्द सहती थीं, लेकिन परिवार में किसी को बताती नहीं थीं। आयुष्मान भारत योजना ने उनकी इस चिंता को भी खत्म किया है। अब वो भी अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करा सकती हैं।

साथियों,

महिलाओं के लिए पढ़ाई और दवाई के साथ ही जो बहुत जरूरी चीज है, वो कमाई भी है। जब महिला की अपनी आय होती है, तो घर में उसका स्वाभिमान और बढ़ जाता है, घर के निर्णयों में उसकी सहभागिता और बढ़ जाती है। बीते 11 वर्षों में हमारी सरकार ने देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए निरंतर काम किया है। आप कल्पना कर सकते है, 2014 से पहले, आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया उसके पहले, 30 करोड़ से ज्यादा बहनें ऐसी थीं, जिनका कोई बैंक खाता तक नहीं था। हमारी सरकार ने इन सभी के बैंक में जनधन खाते खुलवाए, इन्हीं खातों में अब सरकार अलग-अलग योजनाओं का पैसा सीधा उनके खाते में भेज रही है। अब वे गांव हो या शहर अपना कुछ ना कुछ काम कर रही हैं, आर्थिक उपार्जन कर रही हैं, स्वरोजगार कर रही हैं। उन्हें मुद्रा योजना से बिना गारंटी का लोन मिल रहा है। मुद्रा योजना की 75 प्रतिशत से ज्यादा लाभार्थी, ये हमारी माताएं-बहनें-बेटियां हैं।

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साथियों,

आज देश में 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से जुड़ी हैं, जो कोई न कोई आर्थिक गतिविधि करती हैं। ये बहनें अपनी कमाई के नए साधन बनाएं, इसके लिए सरकार लाखों रुपयों की मदद कर रही है। हमने ऐसी 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने का संकल्प लिया है। मुझे संतोष है कि अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा बहनें, लखपति दीदी बन भी चुकी हैं। अब गांव-गांव में बैंक सखियां लोगों को बैंकिंग से जोड़ रही हैं। सरकार ने बीमा सखियां बनाने का अभियान भी शुरु किया है। हमारी बहनें-बेटियां अब देश को बीमा की सुरक्षा देने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

साथियों,

एक समय था, जब नई टेक्नोलॉजी आती थी, तो उससे महिलाओं को दूर रखा जाता था। हमारा देश आज उस दौर को भी पीछे छोड़ रहा है। आज सरकार का प्रयास है कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी में भी हमारी बहनें, हमारी बेटियां आगे बढ़कर के नेतृत्व दें। अब जैसे आज खेती में ड्रोन क्रांति आ रही है। इसको हमारी गांव की बहनें ही नेतृत्व दे रही हैं। नमो ड्रोन दीदी अभियान से गांव की बहनों का हौसला बढ़ रहा है, उनकी कमाई बढ़ रही है और गांव में उनकी एक नई पहचान बन रही है।

साथियों,

आज बहुत बड़ी संख्या में हमारी बेटियां वैज्ञानिक बन रही हैं, डॉक्टर-इंजीनियर और पायलट बन रही हैं। हमारे यहां साइंस और मैथ्स पढ़ने वाली बेटियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आज जितने भी हमारे बड़े स्पेस मिशन हैं, उनमें बड़ी संख्या में वैज्ञानिक के नाते हमारी माताएं-बहनें-बेटियां काम कर रही हैं। चंद्रयान थ्री मिशन, पूरा देश गौरव कर रहा है। चंद्रयान थ्री मिशन में तो 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थीं। ऐसे ही जमाना स्टार्ट अप्स का है, स्टार्ट अप्स के क्षेत्र में भी हमारी बेटियां अदभुत काम कर रही हैं। देश में लगभग पैंतालीस परसेंट स्टार्ट अप्स की, उसमे कम से कम एक डायरेक्टर कोई न कोई हमारी बहन है, कोई न कोई हमारी बेटी है, महिला है। और ये संख्या लगातार बढ़ रही है।

साथियों,

हमारा प्रयास है, कि नीति निर्माण में बेटियों की भागीदारी लगातार बढ़े। बीते एक दशक में इसके लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। हमारी सरकार में पहली बार पूर्ण कालिक महिला रक्षामंत्री बनीं। पहली बार देश की वित्तमंत्री, एक महिला बनीं। पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बार 75 सांसद महिलाएं हैं। लेकिन हमारा प्रयास है कि ये भागीदारी और बढ़े। नारीशक्ति वंदन अधिनियम के पीछे भी यही भावना है। सालों तक इस कानून को रोका गया, लेकिन हमारी सरकार ने इसे पारित करके दिखाया। अब संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण पक्का हो गया है। कहने का अर्थ ये है कि भाजपा सरकार, बहनों-बेटियों को हर स्तर पर, हर क्षेत्र में सशक्त कर रही है।

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साथियों,

भारत संस्कृति और संस्कारों का देश है। और सिंदूर, ये हमारी परंपरा में नारीशक्ति का प्रतीक है। राम भक्ति में रंगे हनुमान जी भी सिंदूर को ही धारण किए हुए हैं। शक्ति पूजा में हम सिंदूर का अर्पण करते हैं। और यही सिंदूर अब भारत के शौर्य का प्रतीक बना है।

साथियों,

पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतीयों का खून ही नहीं बहाया, उन्होंने हमारी संस्कृति पर भी प्रहार किया है। उन्होंने हमारे समाज को बांटने की कोशिश की है। और सबसे बड़ी बात, आतंकवादियों ने भारत की नारीशक्ति को चुनौती दी है। ये चुनौती, आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई है काल। ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवादियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन है। जहां पाकिस्तान की सेना ने सोचा तक नहीं था, वहां आतंकी ठिकानों को हमारी सेनाओं ने मिट्टी में मिला दिया। सैंकड़ों किलोमीटर अंदर घुसकर के मिट्टी में मिला दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने डंके की चोट पर कह दिया है, कि आतंकवादियों के जरिए छद्म युद्ध, proxy war नहीं चलेगा। अब घर में घुसकर भी मारेंगे और जो आतंकियों की मदद करेगा, उसको भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अब भारत का एक-एक नागरिक कह रहा है, 140 करोड़ देशवासियों की बुलंद आवाज कह रही है- अगर, अगर तुम गोली चलाओगे, तो मानकर चलों गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर हमारी नारीशक्ति के सामर्थ्य का भी प्रतीक बना है। हम सभी जानते हैं, कि BSF का इस ऑपरेशन में कितना बड़ा रोल रहा है। जम्मू से लेकर पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमा तक बड़ी संख्या में BSF की हमारी बेटियां मोर्चे पर रही थीं, मोर्चा संभाल रही थीं। उन्होंने सीमापार से होने वाली फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स से लेकर दुश्मन की पोस्टों को ध्वस्त करने तक, BSF की वीर बेटियों ने अद्भुत शौर्य दिखाया है।

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साथियों,

आज दुनिया, राष्ट्ररक्षा में भारत की बेटियों का सामर्थ्य देख रही है। इसके लिए भी बीते दशक में सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। स्कूल से लेकर युद्ध के मैदान तक, आज देश अपनी बेटियों के शौर्य पर अभूतपूर्व भरोसा कर रहा है। हमारी सेना ने पहली बार सैनिक स्कूलों के दरवाज़े बेटियों के लिए खोले हैं। 2014 से पहले एनसीसी में सिर्फ 25 प्रतिशत कैडेट्स ही बेटियां होती थीं, आज उनकी संख्या 50 प्रतिशत की तरफ आगे बढ़ रही है। कल के दिन देश में एक औऱ नया इतिहास बना है। आज अखबार में देखा होगा आपने, नेशनल डिफेंस एकेडमी यानी NDA से महिला कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हुआ है। आज सेना, नौसेना और वायुसेना में बेटियां अग्रिम मोर्चे पर तैनात हो रही हैं। आज फाइटर प्लेन से लेकर INS विक्रांत युद्धपोत तक, वीमेन ऑफीसर्स अपनी जांबाजी दिखा रही हैं।

साथियों,

हमारी नौसेना की वीर बेटियों के साहस का ताज़ा उदाहरण भी देश के सामने है। आपको मैं नाविका सागर परिक्रमा के बारे में बताना चाहता हूं। नेवी की दो वीर बेटियों ने करीब ढाई सौ दिनों की समुद्री यात्रा पूरी की है, धरती का चक्कर लगाया है। हज़ारों किलोमीटर की ये यात्रा, उन्होंने ऐसी नाव से की जो मोटर से नहीं बल्कि हवा से चलती है। सोचिए, ढाई सौ दिन समंदर में, इतने दिनों तक समंदर में रहना, कई कई हफ्ते तक जमीन के दर्शन तक नहीं होना और ऊपर से समंदर का तूफान कितना तेज होता है, हमें पता है, खराब मौसम, भयानक तूफान, उन्होंने हर मुसीबत को हराया है। ये दिखाता है, कि चुनौती कितनी भी बड़ी हो, भारत की बेटियां उस पर विजय पा सकती हैं।

साथियों,

नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन हों या फिर सीमापार का आतंक हो, आज हमारी बेटियां भारत की सुरक्षा की ढाल बन रही हैं। मैं आज देवी अहिल्या की इस पवित्र भूमि से, देश की नारीशक्ति को फिर से सैल्यूट करता हूं

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साथियों,

देवी अहिल्या ने अपने शासनकाल में विकास के कार्यों के साथ साथ विरासत को भी सहेजा। आज का भारत भी विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चल रहा है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को देश कैसे गति दे रहे है, आज का कार्यक्रम इसका उदाहरण है। आज मध्य प्रदेश को पहली मेट्रो सुविधा मिली है। इंदौर पहले ही स्वच्छता के लिए दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। अब इंदौर की पहचान उसकी मेट्रो से भी होने जा रही है। यहां भोपाल में भी मेट्रो का काम तेज़ी से चल रहा है। मध्य प्रदेश में, रेलवे के क्षेत्र में व्यापक काम हो रहा है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने रतलाम-नागदा रूट को चार लाइनों में बदलने के लिए स्वीकृति दे दी है। इससे इस क्षेत्र में और ज्यादा ट्रेनें चल पाएंगी, भीड़भाड़ कम होगी। केंद्र सरकार ने इंदौर–मनमाड रेल परियोजना को भी मंजूरी दे दी है।

साथियों,

आज मध्य प्रदेश के दतिया और सतना भी हवाई यात्रा के नेटवर्क से जुड़ गए हैं। इन दोनों हवाई अड्डों से बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में एयर कनेक्टिविटी बेहतर होगी। अब माँ पीतांबरा, मां शारदा देवी और पवित्र चित्रकूट धाम के दर्शन करना और सुलभ हो जाएगा।

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साथियों,

आज भारत, इतिहास के उस मोड़ पर है, जहां हमें अपनी सुरक्षा, अपने सामर्थ्य और अपनी संस्कृति, हर स्तर पर काम करना है। हमें अपना परिश्रम बढ़ाना है। इसमें हमारी मातृशक्ति, हमारी माताओं-बहनों-बेटियों की भूमिका बहुत बड़ी है। हमारे सामने लोकमाता देवी अहिल्याबाई जी की प्रेरणा है। रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, रानी कमलापति, अवंतीबाई लोधी, कित्तूर की रानी चेनम्मा, रानी गाइडिन्ल्यू, वेलु नाचियार, सावित्री बाई फुले, ऐसे हर नाम हमें गौरव से भर देते हैं। लोकमाता अहिल्याबाई की ये तीन सौवीं जन्मजयंती, हमें निरंतर प्रेरित करती रहे, आने वाली सदियों के लिए हम एक सशक्त भारत की नींव मजबूत करें, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से एक बार बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। अपना तिरंगा ऊपर उठाकर के मेरे साथ बालिए –

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!