Text of PM’s address at the launch of Pradhan Mantri MUDRA Yojana

Published By : Admin | April 8, 2015 | 14:42 IST

उपस्थित सभी महानुभाव,

हमारे देश में एक अनुभव ये आता है कि बहुत सी चीजें Perception के आसपास मंडराती रहती है। और जब बारीकी से उसकी और देखें तो चित्र कुछ और ही नजर आता है। जैसे एक सामान्य व्यक्ति को पूछो तो उसको लगेगा कि “भई, ये जो बड़े-बड़े उद्योग हैं, बड़े-बड़े उद्योग घराने हैं, उससे रोजगार ज्यादा मिलता है।“ लेकिन अगर बारीकी से देखें तो चित्र कुछ और होता है, इसमें इतनी ज्यादा पूंजी लगी है। इतने सारे ताम-झांम, हवाबाजी, ये सब हम देखते आए हैं।

लेकिन अगर बारीकी से देखें तो ultimately हम विकास में हैं। रोजगार हमारी प्राथमिकता है और भारत जैसा देश जिसके पास Demographic dividend हो, जहां पर 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 से कम आयु की हो, उस देश ने अपने विकास की जो भी नीतियां बनानी हो, उसके केंद्र में ये युवा शक्ति होना चाहिए। अगर वो बराबर match कर लिया, तो हम नई ऊंचाईयों को पार कर सकते हैं। ये जितने बड़-बड़े उद्योगों की हम चर्चा सुनते आए हैं, उसमें सिर्फ एक करोड़ 25 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। सवा सौ करोड़ देश में सवा करोड़ लोगों को रोजगार, ये जो बहुत बड़े-बड़े लोग जिसके लिए दुनिया में चर्चा रहती है, आधा अखबार जिनसे भरा पडा रहता है, वो देते हैं।

लेकिन इस देश में छोटा-छोटा काम करने वाला व्यक्ति करीब 5 करोड़ 70 लाख लोग, 12 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। उन सवा करोड़ को रोजगार देने के लिए बहुत सारी व्यवस्थाएं सक्रिय है। लेकिन 12 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाले लोगों के लिेए थोड़ी सी हम मदद करें, तो कितना बड़ा फर्क आ सकता है इसका हम अंदाज कर सकते हैं। और इस 5 करोड़ 75 लाख इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग हैं, जो स्वरोजगार एक प्रकार से हैं - दर्जी होंगे, कुम्हार होंगे, टायर का पंक्चर करने वाले लोग हैं, साइकिल की repairing करने वाले लोग हैं, अपनी एक ऑटो रिक्शा लेकर के काम करने वाले लोग हैं, सब्जी बेचने वाले, गरीब-गरीब लोग हैं। उनका पूरा जो कारोबार है, उसमें ज्यादा से ज्यादा हिसाब लगाएं जाएं, तो 11 लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा उसमें पूंजी नहीं लगी है। यानी सिर्फ 11 लाख करोड़ रुपयों की पूंजी लगी है, 5 करोड़ 75 लाख उसका नेतृत्व कर रहे हैं, और 12 करोड़ लोगों का पेट भरते हैं।

ये बातें जब सामने आईं तो लगा कि देश में स्वरोजगारी के अवसर बढ़ाने चाहिए। देश की Economy को ताकत देने वाला जो नीचे पायरी पर जो लोग हैं, उनकी शक्ति को समझना चाहिए। और उनके लिए अवसर उपलब्ध कराने चाहिए और इस मूल चिंतन में से ये मुद्रा की कल्पना आई है। मेरा अपना एक अनुभव इसमें काम कर रहा था, क्योंकि सिर्फ आर्थिक जगत के लोगों के आंकड़ों के आधार पर निर्णय करना, इतना सरल नहीं होता है। लेकिन कभी-कभी अनुभव बहुत काम आता है।

मैं गुजरात में मुख्यमंत्री रहा तो मैंने पतंग उद्योग की तरफ थोड़ा ध्यान दिया। अब गुजरात में पतंग एक बड़ा त्‍योहार के रूप में मनाया जाता है, और ज्‍यादातर, अब वो पूरा Environment Friendly Industry है, Cottage Industry है। और लाखों की तादाद में गरीब मुसलमान उस काम में लगा हुआ है 90 प्रतिशत से ज्‍यादा पतंग बनाने व कबाड़ का काम गुजरात में मुसलमान कर रहा है, लेकिन वो वही पुरानी चीजें करता था। वो पतंग अगर उसको तय तीन कलर का बनाना है तो तीन कलर के कागज लाता था पेस्टिंग करता था और फिर पतंग बनाता था। अब दुनिया बदल चुकी है तीन कलर का कागज प्रिंट हो सकता है, टाइम बच सकता है। तो मैंने चेन्‍नई की एक Institute को काम दिया कि जरा सर्वे किजिए कि इनकी मुसीबत क्‍या है, कठिनाईयां क्‍या है, अनुभव ये आया कि छोटे-छोटे लोगों को थोड़ी मदद दी जाए थोड़ा Skill Development हो जाए, थोड़ी पैकेजिंग सिखा दिया जाए, आप उसमें कितना बड़ा बदलाव ला सकते है। मुझे आज कहने से आनंद होता है कि जो करीब 35 करोड़ का पतंग का बिजनेस था थोड़ी मदद की वो पतंग का उद्योग 500 करोड़ cross कर गया था।

फिर मेरी उसमें जरा रूचि बढ़ने लगी तो मैं कई चीजे नई-नई करने लगा। बांस, बांस वो लाते थे असम से। कारण क्‍या तो पतंग में जिस बांस के पट्टे की जरूरत होती है वो साइज का बांस गुजरात में होता नहीं था तो मैंने ये जेनेटिक इंजीनियरिंग वालों को पकड़ा। मैंने कहा बांस हमारे यहां ऐसा क्‍यों न हो दो गांठ के बीच अंतर ज्‍यादा हो ताकि वो हमारा ही लोकल बांस का product उसको काम आ जाए। बांस वो बाहर से लाता है तो उसको फाइनेंस की व्‍यवस्‍था हो फिर मैंने एडवरटाइजमेंट कम्‍पनी को बुलाया। मैंने कहा जरा पतंग वालों के साथ बैठो पतंग के ऊपर कोई एडवरटाइजमेंट का काम हो सकता है क्‍या उनकी कमाई बढ़ सकती है।

छोटी-छोटी चीजों को मैंने इतना ध्‍यान दिया था और मुझे उतना आनंद आया था उस काम में - I’m Talking about 2003-04 - कहने का मेरा तात्‍पर्य यह था कि जो बिल्‍कुल उपेक्षित सा काम था उसमें थोड़ा ध्‍यान दिया गया, फाइनेंस की व्‍यवस्‍था की गई, उसने तेज गति से आगे बढ़ाया। ये ताकत सब दूर है। आप देखिए हर गांव में दो-चार मुसलमान बच्‍चे ऐसे होंगे, इतनें Innovative होते है technology में ईश्‍वरदत्‍त उनको कृपा है। वो तुरंत चीजों को पकड़ लेते है। आप एक ताला उसको रिपेयर करने को दीजिए वो दूसरे दिन वो ताला वैसा बना के दे देगा। जिनके हाथों में ये परम्‍परागत कौशल है। ऐसे लोगों को अगर हम मदद करें और वो कुछ गिरवी रखें तब मिले तो उसके पास तो गिरवी रखने के लिए कुछ नहीं है - सिवाय कि उसका ईमान। उसकी सबसे बड़ी पूंजी है उसका ईमान। ये गरीब इंसान की जो पूंजी है, ईमान। उस पूंजी के साथ मुद्रा अपनी पूंजी जोड़ना चाहता है, ताकि वो सफलता की कुंजी बन जाए और उस दिशा में हम काम करना चाहते है।

कुम्‍हार है, अब बिजली गांव में पहुंच गई है। वो भी चाहता है कि मैं मटकी बनाता हूं और चीजें बनाता हूं। लेकिन अगर Electric motor लग जाए तो मेरा काम तेज हो जाएगा। लेकिन Electric motor खरीदने के लिए पैसा नहीं है। बैंक के लिए उनके पास इतना समय भी नहीं है और उतना नेटवर्क भी नहीं है। लेकिन मैं आज, यहां बैंक के बड़े-बड़े लोग बैठे है। मेरे शब्‍द लिख करके रखिए। एक साल के बाद बैंक वाले Queue लगाएगें मुद्रा वालों के यहां और कहेंगे भई 50 लाख हमको client दे दीजिए।

क्‍योंकि अब देखिए प्रधानमंत्री जन-धन योजना में हिन्‍दुस्‍तान की बैंक सेक्‍टर ने जो काम किया है, मैं जितना अभिनंदन करूं उतना कम है जी, जितना अभिनंदन करूं उतना कम है। कोई सोच नहीं सकता था, क्‍योंकि बैंक के संबंध में एक सोच बनी हुई थी कि बैंक यानी इस दायरे से नीचे नहीं जा सकते। तो बैंक के लोगों ने गर्मी के दिनों में गांव-गांव घर-घर जा करके गरीब की झोपड़ी में जा करके उसको देश की फाइनेंस की Main Stream में लाने का प्रयास किया और इस देश के 14 करोड़ लोगों को, 14 करोड़ लोगों को बैंक खाते से जोड़ दिया। तो ये ताकत हमने अनुभव की है तो उसका ये अलग एक नया step है।

आज वैसे एक ओर भी अवसर है SIDBI का रजत जयंती वर्ष है SIDBI 25 साल की उम्र हो गई और मूलतः SIDBI का कारोबार इसी काम से शुरू हुआ था, छोटे-छोटे लोगों को... लेकिन जितनी तेजी से क्योंकि भारत देश rhythmic way में progress करे तो अपेक्षाएं पूरी नहीं होंगी। हमने उस rhythm को बदलकर के jump लगाने की जरूरत है। हमने दायरा बढ़ाने की जरूरत है। हमने अधिक लोगों को इसके अंदर जोड़ने की आवश्यकता है और सामान्य मानवी का अपना अनुभव है।

आप देखिए हिंदुस्तान में जहां भी women self help group चलते हैं, पैसों के विषय में शायद ऐसी ईमानदारी कहीं देखने को मिलेगी नहीं। उनको अगर 5 तारीख को पैसा जमा करवाना है तो 1 तारीख को जाकर के जमा करवाकर आ जाती हैं। बचत हमारे यहां स्वभाव है, उसको और जरा ताकत देने की आश्यकता है। हमारी परंपरागत वो शक्ति है।

मुद्रा बैंक के माध्यम से व्यवसाय के क्षेत्र में, स्वरोजगार के क्षेत्र में, उद्योग के क्षेत्र में जो निचले तबके पर आर्थिक व्यवस्था में रहे हुए लोग हैं, वे हमारा सबसे बड़ा client, हमारा सबसे बड़ा target group है। हम उसी पर focus करना चाहते हैं। इन 5 करोड़ 75 लाख जो छोटे व्यापारी हैं... और उनका average कर्ज कितना है? पूरे हिंदुस्तान में 11 लाख करोड़ की उनके पास पूंजी है total पूरे देश में कोई ज्यादा amount नहीं है वो और average कर्ज निकाला जाए तो एक यूनिट का average कर्ज 17 thousand है सिर्फ। 17 thousand हैं, यानि कुछ नहीं है। अगर उसको एक लाख के कर्ज की ताकत दे दी जाए। उसको इतना अगर जोड़ दिया जाए और ये 11 लाख करोड़ है वो एक करोड़ तक अगर पहुंच जाए। हम कल्पना कर सकते हैं देश की economy को GDP को, नीचे से ताकत देने का इतना बड़ा force जो कि कभी untapped था।

और इसलिए जब हम प्रधानमंत्री जन-धन योजना लेकर के आए थे तब हमने कहा था, जहां बैंक नहीं उसको बैंक से जोड़ेंगे। आज जब हम मुद्रा लेकर के आए हैं, तो हमारा मंत्र है जिसको funding नहीं हो रहा है, जो un-funded है, उसको funding करने का हम बीड़ा उठाते हैं।

ये एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें शुरू के समय में सामान्य व्यक्ति जाएगा ये संभव नहीं है क्योंकि बेचारों को अनुभव बहुत खराब है। वो कहता है भई मुझे तो साहूकार से ही पैसा लेना पड़ता है। 24 percent, 30 percent interest देना पड़ता है, वो ही मुझे आदत हो गई है। वो विश्वास नहीं करेगा कि उसको इस प्रकार से ऋण मिल सकता है। हम ये एक नया विश्वास पैदा करना चाहते हैं कि आप देश के लिए काम कर रहे हो, देश के विकास के भागीदार हो, देश आपके लिए चिंता करने के लिए तैयार है। ये message मुझे देना है।

और ये मुद्रा के concept के द्वारा, उसी दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं। हमारे देश में agriculture sector में value addition - इतनी बड़ी संभावनाएं हैं। अगर उसकी एक विधा को develop कर दिया जाए तो हमारे किसान को कभी संकटों से गुजरना नहीं पड़ेगा। और ये छोटे-छोटे entrepreneur के माध्यम से ये पूरा network खड़ा किया जा सकता है जो सामान्य किसान, जो सामान्य पैदावार करता है, उसमें value addition का काम करे। और स्थानीय स्तर पर करे। कोई बहुत बड़ी व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है। अपने आप उसका काम आगे बढ़ जाएगा।

और हम देखते हैं आम उसको बेचना है, तो बेचारे को बड़ा कम पैसा मिलता है लेकिन एक अगर एक छोटा सा unit भी हो, आम में से अचार बना दे तो ज्यादा पैसा मिलता है और अचार को भी अच्छा बढ़िया bottle में packing करे और ज्यादा पैसा मिलता है और कोई नटी bottle लेकर खड़ी हो जाए तो और ज्यादा पैसा मिलता है advertising होता है तो।

यानि वक्त बदल चुका है, branding, advertising इन सारी चीजों की जरूरत पड़ गई है। हम ऐसे छोटे-छोटे लोगों को ताकत देना चाहते हैं। और उनको अगर ताकत मिलती है तो देश की economy की नीचे की धरातल, जितनी ज्यादा मजबूत होगी, उतनी देश की economy को लाभ होने वाला है। और जब मैंने ये आकड़े बताए तो आप भी चौंक गए होगे कि इतना बड़ा तामझाम सवा करोड़ लोग रोजगार पाते है। और जिसकी ओर कोई देखता नहीं है, वो 12 करोड़ लोगों के पेट भरता है। कितना बड़ा अंतर है। ये जो 12 करोड़ लोग है 25 करोड़ को रोजगार देने की ताकत देते है। वो Potential पड़ा है। और ज्‍यादा कोई शासकीय व्‍यवस्‍था में बड़े बदलाव की भी जरूरत नहीं है। थोड़ी संवदेनशीलता चाहिए, थोड़ी समझ चाहिए और थोड़ा Pro-Active role चाहिए।

मुद्रा एक ऐसा platform खड़ा किया गया है, जिस platform के साथ इसको... आज छोटी-मोटी finance की व्‍यवस्‍थाएं चल पड़ी है। दुनिया में कई जगह पर प्रयोग हुए है Micro finance के। लिए मैं चाहूंगा कि हम पूरे विश्‍व में Micro finance के जो Successful Model है हम भी उसका अध्‍ययन करें। उसकी जो अच्‍छाइयां है जो हमारे लिए suitable है, हम उसको adopt करें। और हिन्‍दुस्‍तान इतना बड़ा देश है कि जो चीज नागालैंड में चलती है वो महाराष्‍ट्र में चलेगी जरूरी नहीं है। विविधता चाहिए। और विविधताओं के अनुसार स्‍थानीय आवश्‍यकताओं के अनुसार अपने मॉडल बनाएं उसकी requirement करें। वरना हम दिल्‍ली में बैठ करके tailor के लिए ये और फिर कहेंगे कि तुमको ये मिलेगा तो मेल नहीं बैठेगा। वो वहां है उसी को पूछना पड़ेगा कि भई बताओं तुम्‍हारे लिए क्‍या जरूरत है? ये अगर हमने कर दिया तो हम बहुत बड़ी मात्रा में समाज के इस नीचे के तबके को मदद कर सकते है।

जिस प्रकार से सामान्‍य व्‍यक्ति की चिंता करना ये हमारा प्रयास है... और आपने इस सरकार के एक-एक कदम देखें होंगे, गतिशीलता तो आप देखते ही होंगे। वरना सामान्‍यत: देश में योजनाओं की घोषणा को ही काम माना जाता था और आप रोज नई योजना की घोषणा करो तो अखबार के आधार पर देश को समझने वाले जो लोग है वो तो यही मानते है कि वाह देश बहुत आगे बढ़ गया। और दो-चार साल के बाद देखते है कि वही कि वही रह गए। हमारी कोशिश है योजनाओं को धरती पर उतारना।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना ये सीधा-सीधा दिखता है। पहल योजना - दुनिया में सबसे बड़ा Cash Transfer का काम। गैस सब्सिडी में। 13 करोड़ लोगों के गैस सब्सिडी सिलेंडर, सब्सिडी सीधी उसके बैंक खाते में चली गई। यानी अगर एक बार निर्णय करें कि इस काम पूरा करना है और हर काम को आप देखिए... जब हमने 15 अगस्‍त को प्रधानमंत्री जन-धन योजना की बात कही करीब-करीब सवा सौ दिन के अंदर उस काम को पूरा कर दिया।

जब हम प्रधानमंत्री जन-धन योजना के बाद हम आगे बढ़े सौ दिन के भीतर-भीतर हमने पहल का काम पूरा कर दिया।

और आज जब बजट के अंदर घोषणा हुई, 50 दिन भी नहीं हुए, वो आज योजना आपके सामने रख दी। और ये Functional होगी और उसका परिणाम मैं कहता हूं एक साल मैं ज्‍यादा समय नहीं कहता। एक साल के भीतर-भीतर हमारी जो Established Banking System है, वो मुद्रा के मॉडल की ओर जाएगी मैं दावे से कहता हूं क्‍योंकि इसकी ताकत इसकी ताकत पहचान में आने वाली है। वे अपना एक लचीली बैंकिंग व्‍यवस्‍था खड़ी करेंगे, एक बहुत बड़ी ऑफिस चाहिए, कोई एयरकंडीशन चाहिए कोई जरूरत नहीं है। ऐसे Bare footed बैंकरर्स तैयार हो सकते है जो मुद्रा के मॉडल पर बड़ी-बड़ी बैंकों का काम भी कर सकते है।

आने वाले दिनों में कम से कम धन लगा करके भी ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को रोजगार देने का काम इसके साथ सरलता से हो सकता है और ये लोग जो संकट से गुजरते है, ब्‍याज के चक्‍कर में गरीब आदमी मर जाता है। उसको बचाना है और उसकी जो ताकत है उसके लिए अवसर देना है उस अवसर की दिशा में काम कर रहे है, जिस प्रकार से देश में ये जो वर्ग है उसकी जितनी चिंता करते है, उतनी ही देश के किसान की चिंता करना उतना ही जरूरी है।

किसी न किसी कारण से देश का किसान प्राकृतिक संकटों से जूझ रहा है। गत वर्ष, वर्षा कम हुई। वर्षा कम होने के कारण वैसे ही किसान मुसीबत से गुजारा कर रहा था और इस बार जितनी मात्रा में बेमौसमी वर्षा और ओले गिरना। इतनी तबाही हुई है किसान की। हमने मंत्रियों को भेजा था। खेतों में जा करके किसानों से बात करके परिस्थिति का जायजा लिया। कल इन सारे मंत्रियों से मैंने डिटेल में रिपोर्ट ली थी। इन किसानों को हम क्या मदद कर सकते हैं। और मैंने पहले दिन कहा था कि किसान को इस मुसीबत से बचाना, उसका साथ देना, उसको संकटों से बाहर लाना। ये सरकार की, समाज की, हम सबकी जिम्मेवारी है और किसान की चिंता करना ये आवश्यक है।

Natural calamity पहले भी आई है। लेकिन सरकार के जो parameter रहे हैं, उन parameters में आज के संकट में किसान को ज्यादा मदद नहीं मिल सकती है। और इसलिए ये संकट की व्यापकता इतनी है और उस समय है जबकि उसको फसल लेकर के बाजार में जाना था। एक प्रकार से उसके नोटों का बंडल ही जल गया, इस प्रकार से हम कह सकते हैं। इतना बड़ा उसका, उसका पूरा पसीना बहाया हुआ उसका, ये हालत हुई है। और इसलिए हमने insurance company को भी आदेश किया है कि बहुत ही proactive होकर के उनकी मदद की जाए। बैंकों को हमने आदेश किया है कि बैंक उनके जो कर्ज हैं, उनके संबंध में किस प्रकार से restructure करे ताकि उनको इस संकट से बाहर लाया जाए।

सरकार की तरफ से भी एक बहुत बड़ा अहम निर्णय हम करने जा रहे हैं। अब तक खेत में 50 प्रतिशत से ज्यादा अगर नुकसान हुआ हो, तभी वो उस मदद पाने की list में आता है। 50 प्रतिशत से ज्यादा अगर नुकसान हुआ होगा तभी आपको मदद मिल सकती है। अगर 50 प्रतिशत से कम हुआ है तो मदद नहीं मिल सकती है। राज्यों के मुख्यमंत्रियों का भी ये एक सुझाव था कि साहब ये norms बदलना चाहिए। हमारे मंत्री अभी जाकर के आए, उन्होंने प्रत्यक्ष देखा, और ये सब देखने के बाद एक बहुत बड़ा हमने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है कि अब किसान के वो जो 50 प्रतिशत के नुकसान वाला दायरा था उसको बदलकर के 33 percent भी अगर नुकसान हुआ है तो भी वो किसान हकदार बनेगा।

उसके कारण मुझे मालूम है बहुत बड़ा बोझ आने वाला है, बहुत बड़ा बोझ आने वाला है लेकिन किसान को 50 प्रतिशत वाले हिसाब में रखने से उसको ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा। 33 percent जो कि कईयों की मांग थी, उसको हमने स्वीकार किया है।

दूसरा विषय है उसको जो मुआवजा दिया जाता है। देश में आजादी के बाद सबसे बड़ा निर्णय पहली बार हुआ है 50 प्रतिशत को 33 प्रतिशत लाना। और दूसरा महत्वपूर्ण आजादी के बाद इतना बड़ा jump नहीं लगाया है, किसानों को मदद करने में हम इतना बड़ा jump इस बार लगा रहे हैं। और आज उसको जो मदद करने के सारे parameters हैं, उसको अब डेढ़ गुना कर दिया जाएगा। अगर उसको नुकसान में पहले 100 रुपया मिलता था, 150 मिलेगा, लाख मिलता था तो डेढ़ लाख मिलेगा, उसकी मदद डेढ़ गुना कर दी जाएगी।

कभी हमारे यहां incremental होता था 5 percent, 2 percent, 50 प्रतिशत वृद्धि। और ये किसान को तत्काल मदद मिले। राज्यों ने सर्वे का काम किया है। भारत सरकार और राज्य सरकार मिलकर के उसको आगे बढ़ाएगी लेकिन मैं चाहता हूं हमारे देश के किसानों को जितनी मदद हो सके, उतनी मदद करने के लिए ये सरकार संकल्पबद्ध है। क्योंकि आर्थिक विकास की यात्रा में किसान का भी बहुत बड़ा योगदान है और हमारी जीवन नैया चलाने में भी किसान का बहुत बड़ा योगदान है। बैंक हो, insurance company हो, भारत सरकार हो, राज्य सरकार हो, हम सब मिलकर के किसान को इस संकट की घड़ी से हम बाहर लाएंगे। ऐसा मुझे पूरा विश्वास है।

फिर एक बार मैं SIDBI की इस रजत जयंती वर्ष के प्रारंभ पर उनको मैं बहुत-बहुत शुभकामना देता हूं और SIDBI आने वाले दिनों में नए लक्ष्य को लेकर के और नई ऊंचाइयों को पार करने में सफल होगा, ऐसी मेरी शुभकामनाएं हैं।

और मुद्रा platform प्रधानमंत्री मुद्रा योजना आने वाले दिनों में देश की आर्थिक, जो पक्की धरोहर है उसको जानदार बनाना, शानदार बनाने के काम में मुद्रा बहुत बड़ा role play करेगी। और ये पूंजी उसकी सफलत की कुंजी बने, ये मंत्र को हम चरितार्थ करेंगे। इसी एक शुभ आशय के साथ आज इस महत्वपूर्ण योजना को प्रारंभ करते हुए मुझे खुशी हो रही है, मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।

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‘Restoring Balance’ is a global urgency: PM Modi highlights global health challenges at WHO Global Summit on Traditional Medicine
December 19, 2025
It is India’s privilege and a matter of pride that the WHO Global Centre for Traditional Medicine has been established in Jamnagar: PM
Yoga has guided humanity across the world towards a life of health, balance, and harmony: PM
Through India’s initiative and the support of over 175 nations, the UN proclaimed 21 June as International Yoga Day; over the years, yoga has spread worldwide, touching lives across the globe: PM
The inauguration of the WHO South-East Asia Regional Office in Delhi marks another milestone. This global hub will advance research, strengthen regulation & foster capacity building: PM
Ayurveda teaches that balance is the very essence of health, only when the body sustains this equilibrium can one be considered truly healthy: PM
Restoring balance is no longer just a global cause-it is a global urgency, demanding accelerated action and resolute commitment: PM
The growing ease of resources and facilities without physical exertion is giving rise to unexpected challenges for human health: PM
Traditional healthcare must look beyond immediate needs, it is our collective responsibility to prepare for the future as well: PM

WHO के डायरेक्टर जनरल हमारे तुलसी भाई, डॉक्टर टेड्रोस़, केंद्रीय स्वास्थ्य में मेरे साथी मंत्री जे.पी. नड्डा जी, आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव जी, इस आयोजन से जुड़े अन्य देशों के सभी मंत्रीगण, विभिन्न देशों के राजदूत, सभी सम्मानित प्रतिनिधि, Traditional Medicine क्षेत्र में काम करने वाले सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

आज दूसरी WHO Global Summit on Traditional Medicine का समापन दिन है। पिछले तीन दिनों में यहां पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े दुनिया भर के एक्सपर्ट्स ने गंभीर और सार्थक चर्चा की है। मुझे खुशी है कि भारत इसके लिए एक मजबूत प्लेटफार्म का काम कर रहा है। और इसमें WHO की भी सक्रिय भूमिका रही है। मैं इस सफल आयोजन के लिए WHO का, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का और यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

ये हमारा सौभाग्य है और भारत के लिए गौरव की बात है कि WHO Global Centre for Traditional Medicine भारत के जामनगर में स्थापित हुआ है। 2022 में Traditional Medicine की पहली समिट में विश्व ने बड़े भरोसे के साथ हमें ये दायित्व सौंपा था। हम सभी के लिए खुशी की बात है कि इस ग्लोबल सेंटर का यश और प्रभाव locally से लेकर के globally expand कर रहा है। इस समिट की सफलता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस समिट में Traditional knowledge और modern practices का कॉन्फ्लूएंस हो रहा है। यहां कई नए initiatives भी शुरू हुए हैं, जो medical science और holistic health के future को transform कर सकते हैं। समिट में विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रतिनिधियों के बीच विस्तार से संवाद भी हुआ है। इस संवाद ने ज्वाइंट रिसर्च को बढ़ावा देने, नियमों को सरल बनाने और ट्रेनिंग और नॉलेज शेयरिंग के लिए नए रास्ते खोले हैं। ये सहयोग आगे चलकर Traditional Medicine को अधिक सुरक्षित, अधिक भरोसेमंद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

साथियों,

इस समिट में कई अहम विषयों पर सहमति बनना हमारी मजबूत साझेदारी का प्रतिबिंब है। रिसर्च को मजबूत करना, Traditional Medicine के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाना, ऐसे रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना जिन पर पूरी दुनिया भरोसा कर सके। ऐसे मुद्दे Traditional Medicine को बहुत सशक्त करेंगे। यहां आयोजित Expo में डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी, AI आधारित टूल्स, रिसर्च इनोवेशन, और आधुनिक वेलनेस इंफ्रास्ट्रक्चर, इन सबके जरिए हमें ट्रेडिशन और टेक्नोलॉजी का एक नया collaboration भी देखने को मिला है। जब ये साथ आती हैं, तो ग्लोबल हेल्थ को अधिक प्रभावी बनाने की क्षमता और बढ़ जाती है। इसलिए, इस समिट की सफलता ग्लोबल दृष्टि से बहुत ही अहम है।

साथियों,

पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का एक अहम हिस्सा योग भी है। योग ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का रास्ता दिखाया है। भारत के प्रयासों और 175 से ज्यादा देशों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को योग दिवस घोषित किया गया था। बीते वर्षों में हमने योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचते देखा है। मैं योग के प्रचार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले हर व्यक्ति की सराहना करता हूं। आज ऐसे कुछ चुनींदा महानुभावों को पीएम पुरस्कार दिया गया है। प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने एक गहन चयन प्रक्रिया के माध्यम से इन पुरस्कार विजेताओं का चयन किया है। ये सभी विजेता योग के प्रति समर्पण, अनुशासन और आजीवन प्रतिबद्धता के प्रतीक हैं। उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा है। मैं सभी सम्मानित विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

मुझे ये जानकर भी अच्छा लगा कि इस समिट के आउटकम को स्थायी रूप देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया हैं। Traditional Medicine Global Library के रूप में एक ऐसा ग्लोबल प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है, जो ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़े वैज्ञानिक डेटा और पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स को एक जगह सुरक्षित करेगा। इससे उपयोगी जानकारी हर देश तक समान रूप से पहुंचने का रास्ता आसान होगा। इस Library की घोषणा भारत की G20 Presidency के दौरान पहली WHO Global Summit में की गई थी। आज ये संकल्प साकार हो गया है।

साथियों,

यहां अलग-अलग देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने ग्लोबल पार्टनरशिप का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। एक साझेदार के रूप में आपने Standards, safety, investment जैसे मुद्दों पर चर्चा की है। इस संवाद से जो Delhi Declaration इसका रास्ता बना है, वो आने वाले वर्षों के लिए एक साझा रोडमैप की तरह काम करेगा। मैं इस joint effort के लिए विभिन्न देशों के माननीय मंत्रियों की सराहना करता हूं, उनके सहयोग के लिए मैं आभार जताता हूं।

साथियों,

आज दिल्ली में WHO के South-East Asia Regional Office का उद्घाटन भी किया गया है। ये भारत की तरफ से एक विनम्र उपहार है। ये एक ऐसा ग्लोबल हब है, जहां से रिसर्च, रेगुलेशन और कैपेसिटी बिल्डिंग को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

भारत दुनिया भर में partnerships of healing पर भी जोर दे रहा है। मैं आपके साथ दो महत्वपूर्ण सहयोग साझा करना चाहता हूं। पहला, हम बिमस्टेक देशों, यानी दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में हमारे पड़ोसी देशों के लिए एक Centre of Excellence स्थापित कर रहे हैं। दूसरा, हमने जापान के साथ एक collaboration शुरू किया है। ये विज्ञान, पारंपरिक पद्धितियों और स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ने का प्रयास है।

साथियों,

इस बार इस समिट की थीम है- ‘Restoring Balance: The Science and Practice of Health and Well-being’, Restoring Balance, ये holistic health का फाउंडेशनल थॉट रहा है। आप सब एक्स्पर्ट्स अच्छी तरह जानते हैं, आयुर्वेद में बैलेन्स, अर्थात् संतुलन को स्वास्थ्य का पर्याय कहा गया है। जिसके शरीर में ये बैलेन्स बना रहता है, वही स्वस्थ है, वही हेल्दी है। आजकल हम देख रहे हैं, डायबिटीज़, हार्ट अटैक, डिप्रेशन से लेकर कैंसर तक अधिकांश बीमारियों के background में lifestyle और imbalances एक प्रमुख कारण नजर आ रहा है। Work-life imbalance, Diet imbalance, Sleep imbalance, Gut Microbiome Imbalance, Calorie imbalance, Emotional Imbalance, आज कितने ही global health challenges, इन्हीं imbalances से पैदा हो रहे हैं। स्टडीज़ भी यही प्रूव कर रही हैं, डेटा भी यही बता रहा है कि आप सब हेल्थ एक्स्पर्ट्स कहीं बेहतर इन बातों को समझते हैं। लेकिन, मैं इस बात पर जरूर ज़ोर दूँगा कि ‘Restoring Balance, आज ये केवल एक ग्लोबल कॉज़ ही नहीं है, बल्कि, ये एक ग्लोबल अर्जेंसी भी है। इसे एड्रैस करने के लिए हमें और तेज गति से कदम उठाने होंगे।

साथियों,

21वीं सदी के इस कालखंड में जीवन के संतुलन को बनाए रखने की चुनौती और भी बड़ी होने वाली है। टेक्नोलॉजी के नए युग की दस्तक AI और Robotics के रूप में ह्यूमन हिस्ट्री का सबसे बड़ा बदलाव आने वाले वर्षों में जिंदगी जीने के हमारे तरीके, अभूतपूर्व तरीके से बदलने वाले हैं। इसलिए हमें ये भी ध्यान रखना होगा, जीवनशैली में अचानक से आ रहे इतने बड़े बदलाव शारीरिक श्रम के बिना संसाधनों और सुविधाओं की सहूलियत, इससे human bodies के लिए अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा होने जा रही हैं। इसलिए, traditional healthcare में हमें केवल वर्तमान की जरूरतों पर ही फोकस नहीं करना है। हमारी साझा responsibility आने वाले future को लेकर के भी है।

साथियों,

जब पारंपरिक चिकित्सा की बात होती है, तो एक सवाल स्वाभाविक रूप से सामने आता है। ये सवाल सुरक्षा और प्रमाण से जुड़ा है। भारत आज इस दिशा में भी लगातार काम कर रहा है। यहां इस समिट में आप सभी ने अश्वगंधा का उदाहरण देखा है। सदियों से इसका उपयोग हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में होता रहा है। COVID-19 के दौरान इसकी ग्लोबल डिमांड तेजी से बढ़ी और कई देशों में इसका उपयोग होने लगा। भारत अपनी रिसर्च और evidence-based validation के माध्यम से अश्वगंधा को प्रमाणिक रूप से आगे बढ़ा रहा है। इस समिट के दौरान भी अश्वगंधा पर एक विशेष ग्लोबल डिस्कशन का आयोजन किया गया। इसमें international experts ने इसकी सुरक्षा, गुणवत्ता और उपयोग पर गहराई से चर्चा की। भारत ऐसी time-tested herbs को global public health का हिस्सा बनाने के लिए पूरी तरह कमिटेड होकर काम कर रहा है।

साथियों,

ट्रेडिशनल मेडिसिन को लेकर एक धारणा थी कि इसकी भूमिका केवल वेलनेस या जीवन-शैली तक सीमित है। लेकिन आज ये धारणा तेजी से बदल रही है। क्रिटिकल सिचुएशन में भी ट्रेडिशनल मेडिसिन प्रभावी भूमिका निभा सकती है। इसी सोच के साथ भारत इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आयुष मंत्रालय और WHO-Traditional Medicine Center ने नई पहल की है। दोनों ने, भारत में integrative cancer care को मजबूत करने के लिए एक joint effort किया है। इसके तहत पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक कैंसर उपचार के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। इस पहल से evidence-based guidelines तैयार करने में भी मदद मिलेगी। भारत में कई अहम संस्थान स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही गंभीर विषयों पर क्लिनिकल स्टडीज़ कर रहे हैं। इनमें अनीमिया, आर्थराइटिस और डायबिटीज़ जैसे विषय भी शामिल हैं। भारत में कई सारे स्टार्ट-अप्स भी इस क्षेत्र में आगे आए हैं। प्राचीन परंपरा के साथ युवाशक्ति जुड़ रही है। इन सभी प्रयासों से ट्रेडिशनल मेडिसिन एक नई ऊंचाई की तरफ बढ़ती दिख रही है।

साथियों,

आज पारंपरिक चिकित्सा एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। दुनिया की बड़ी आबादी लंबे समय से इसका सहयोग लेती आई है। लेकिन फिर भी पारंपरिक चिकित्सा को वो स्थान नहीं मिल पाया था, जितना उसमें सामर्थ्य है। इसलिए, हमें विज्ञान के माध्यम से भरोसा जीतना होगा। हमें इसकी पहुंच को और व्यापक बनाना होगा। ये जिम्मेदारी किसी एक देश की नहीं है, ये हम सबका साझा दायित्व है। पिछले तीन दिनों में इस समिट में जो सहभागिता, जो संवाद और जो प्रतिबद्धता देखने को मिली है, उससे ये विश्वास गहरा हुआ है कि दुनिया इस दिशा में एक साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आइए, हम संकल्प लें कि पारंपरिक चिकित्सा को विश्वास, सम्मान और जिम्मेदारी के साथ मिलकर के आगे बढ़ाएंगे। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।