उपस्थित सभी महानुभाव,

हमारे देश में एक अनुभव ये आता है कि बहुत सी चीजें Perception के आसपास मंडराती रहती है। और जब बारीकी से उसकी और देखें तो चित्र कुछ और ही नजर आता है। जैसे एक सामान्य व्यक्ति को पूछो तो उसको लगेगा कि “भई, ये जो बड़े-बड़े उद्योग हैं, बड़े-बड़े उद्योग घराने हैं, उससे रोजगार ज्यादा मिलता है।“ लेकिन अगर बारीकी से देखें तो चित्र कुछ और होता है, इसमें इतनी ज्यादा पूंजी लगी है। इतने सारे ताम-झांम, हवाबाजी, ये सब हम देखते आए हैं।

लेकिन अगर बारीकी से देखें तो ultimately हम विकास में हैं। रोजगार हमारी प्राथमिकता है और भारत जैसा देश जिसके पास Demographic dividend हो, जहां पर 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 से कम आयु की हो, उस देश ने अपने विकास की जो भी नीतियां बनानी हो, उसके केंद्र में ये युवा शक्ति होना चाहिए। अगर वो बराबर match कर लिया, तो हम नई ऊंचाईयों को पार कर सकते हैं। ये जितने बड़-बड़े उद्योगों की हम चर्चा सुनते आए हैं, उसमें सिर्फ एक करोड़ 25 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। सवा सौ करोड़ देश में सवा करोड़ लोगों को रोजगार, ये जो बहुत बड़े-बड़े लोग जिसके लिए दुनिया में चर्चा रहती है, आधा अखबार जिनसे भरा पडा रहता है, वो देते हैं।

लेकिन इस देश में छोटा-छोटा काम करने वाला व्यक्ति करीब 5 करोड़ 70 लाख लोग, 12 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। उन सवा करोड़ को रोजगार देने के लिए बहुत सारी व्यवस्थाएं सक्रिय है। लेकिन 12 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाले लोगों के लिेए थोड़ी सी हम मदद करें, तो कितना बड़ा फर्क आ सकता है इसका हम अंदाज कर सकते हैं। और इस 5 करोड़ 75 लाख इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग हैं, जो स्वरोजगार एक प्रकार से हैं - दर्जी होंगे, कुम्हार होंगे, टायर का पंक्चर करने वाले लोग हैं, साइकिल की repairing करने वाले लोग हैं, अपनी एक ऑटो रिक्शा लेकर के काम करने वाले लोग हैं, सब्जी बेचने वाले, गरीब-गरीब लोग हैं। उनका पूरा जो कारोबार है, उसमें ज्यादा से ज्यादा हिसाब लगाएं जाएं, तो 11 लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा उसमें पूंजी नहीं लगी है। यानी सिर्फ 11 लाख करोड़ रुपयों की पूंजी लगी है, 5 करोड़ 75 लाख उसका नेतृत्व कर रहे हैं, और 12 करोड़ लोगों का पेट भरते हैं।

ये बातें जब सामने आईं तो लगा कि देश में स्वरोजगारी के अवसर बढ़ाने चाहिए। देश की Economy को ताकत देने वाला जो नीचे पायरी पर जो लोग हैं, उनकी शक्ति को समझना चाहिए। और उनके लिए अवसर उपलब्ध कराने चाहिए और इस मूल चिंतन में से ये मुद्रा की कल्पना आई है। मेरा अपना एक अनुभव इसमें काम कर रहा था, क्योंकि सिर्फ आर्थिक जगत के लोगों के आंकड़ों के आधार पर निर्णय करना, इतना सरल नहीं होता है। लेकिन कभी-कभी अनुभव बहुत काम आता है।

मैं गुजरात में मुख्यमंत्री रहा तो मैंने पतंग उद्योग की तरफ थोड़ा ध्यान दिया। अब गुजरात में पतंग एक बड़ा त्‍योहार के रूप में मनाया जाता है, और ज्‍यादातर, अब वो पूरा Environment Friendly Industry है, Cottage Industry है। और लाखों की तादाद में गरीब मुसलमान उस काम में लगा हुआ है 90 प्रतिशत से ज्‍यादा पतंग बनाने व कबाड़ का काम गुजरात में मुसलमान कर रहा है, लेकिन वो वही पुरानी चीजें करता था। वो पतंग अगर उसको तय तीन कलर का बनाना है तो तीन कलर के कागज लाता था पेस्टिंग करता था और फिर पतंग बनाता था। अब दुनिया बदल चुकी है तीन कलर का कागज प्रिंट हो सकता है, टाइम बच सकता है। तो मैंने चेन्‍नई की एक Institute को काम दिया कि जरा सर्वे किजिए कि इनकी मुसीबत क्‍या है, कठिनाईयां क्‍या है, अनुभव ये आया कि छोटे-छोटे लोगों को थोड़ी मदद दी जाए थोड़ा Skill Development हो जाए, थोड़ी पैकेजिंग सिखा दिया जाए, आप उसमें कितना बड़ा बदलाव ला सकते है। मुझे आज कहने से आनंद होता है कि जो करीब 35 करोड़ का पतंग का बिजनेस था थोड़ी मदद की वो पतंग का उद्योग 500 करोड़ cross कर गया था।

फिर मेरी उसमें जरा रूचि बढ़ने लगी तो मैं कई चीजे नई-नई करने लगा। बांस, बांस वो लाते थे असम से। कारण क्‍या तो पतंग में जिस बांस के पट्टे की जरूरत होती है वो साइज का बांस गुजरात में होता नहीं था तो मैंने ये जेनेटिक इंजीनियरिंग वालों को पकड़ा। मैंने कहा बांस हमारे यहां ऐसा क्‍यों न हो दो गांठ के बीच अंतर ज्‍यादा हो ताकि वो हमारा ही लोकल बांस का product उसको काम आ जाए। बांस वो बाहर से लाता है तो उसको फाइनेंस की व्‍यवस्‍था हो फिर मैंने एडवरटाइजमेंट कम्‍पनी को बुलाया। मैंने कहा जरा पतंग वालों के साथ बैठो पतंग के ऊपर कोई एडवरटाइजमेंट का काम हो सकता है क्‍या उनकी कमाई बढ़ सकती है।

छोटी-छोटी चीजों को मैंने इतना ध्‍यान दिया था और मुझे उतना आनंद आया था उस काम में - I’m Talking about 2003-04 - कहने का मेरा तात्‍पर्य यह था कि जो बिल्‍कुल उपेक्षित सा काम था उसमें थोड़ा ध्‍यान दिया गया, फाइनेंस की व्‍यवस्‍था की गई, उसने तेज गति से आगे बढ़ाया। ये ताकत सब दूर है। आप देखिए हर गांव में दो-चार मुसलमान बच्‍चे ऐसे होंगे, इतनें Innovative होते है technology में ईश्‍वरदत्‍त उनको कृपा है। वो तुरंत चीजों को पकड़ लेते है। आप एक ताला उसको रिपेयर करने को दीजिए वो दूसरे दिन वो ताला वैसा बना के दे देगा। जिनके हाथों में ये परम्‍परागत कौशल है। ऐसे लोगों को अगर हम मदद करें और वो कुछ गिरवी रखें तब मिले तो उसके पास तो गिरवी रखने के लिए कुछ नहीं है - सिवाय कि उसका ईमान। उसकी सबसे बड़ी पूंजी है उसका ईमान। ये गरीब इंसान की जो पूंजी है, ईमान। उस पूंजी के साथ मुद्रा अपनी पूंजी जोड़ना चाहता है, ताकि वो सफलता की कुंजी बन जाए और उस दिशा में हम काम करना चाहते है।

कुम्‍हार है, अब बिजली गांव में पहुंच गई है। वो भी चाहता है कि मैं मटकी बनाता हूं और चीजें बनाता हूं। लेकिन अगर Electric motor लग जाए तो मेरा काम तेज हो जाएगा। लेकिन Electric motor खरीदने के लिए पैसा नहीं है। बैंक के लिए उनके पास इतना समय भी नहीं है और उतना नेटवर्क भी नहीं है। लेकिन मैं आज, यहां बैंक के बड़े-बड़े लोग बैठे है। मेरे शब्‍द लिख करके रखिए। एक साल के बाद बैंक वाले Queue लगाएगें मुद्रा वालों के यहां और कहेंगे भई 50 लाख हमको client दे दीजिए।

क्‍योंकि अब देखिए प्रधानमंत्री जन-धन योजना में हिन्‍दुस्‍तान की बैंक सेक्‍टर ने जो काम किया है, मैं जितना अभिनंदन करूं उतना कम है जी, जितना अभिनंदन करूं उतना कम है। कोई सोच नहीं सकता था, क्‍योंकि बैंक के संबंध में एक सोच बनी हुई थी कि बैंक यानी इस दायरे से नीचे नहीं जा सकते। तो बैंक के लोगों ने गर्मी के दिनों में गांव-गांव घर-घर जा करके गरीब की झोपड़ी में जा करके उसको देश की फाइनेंस की Main Stream में लाने का प्रयास किया और इस देश के 14 करोड़ लोगों को, 14 करोड़ लोगों को बैंक खाते से जोड़ दिया। तो ये ताकत हमने अनुभव की है तो उसका ये अलग एक नया step है।

आज वैसे एक ओर भी अवसर है SIDBI का रजत जयंती वर्ष है SIDBI 25 साल की उम्र हो गई और मूलतः SIDBI का कारोबार इसी काम से शुरू हुआ था, छोटे-छोटे लोगों को... लेकिन जितनी तेजी से क्योंकि भारत देश rhythmic way में progress करे तो अपेक्षाएं पूरी नहीं होंगी। हमने उस rhythm को बदलकर के jump लगाने की जरूरत है। हमने दायरा बढ़ाने की जरूरत है। हमने अधिक लोगों को इसके अंदर जोड़ने की आवश्यकता है और सामान्य मानवी का अपना अनुभव है।

आप देखिए हिंदुस्तान में जहां भी women self help group चलते हैं, पैसों के विषय में शायद ऐसी ईमानदारी कहीं देखने को मिलेगी नहीं। उनको अगर 5 तारीख को पैसा जमा करवाना है तो 1 तारीख को जाकर के जमा करवाकर आ जाती हैं। बचत हमारे यहां स्वभाव है, उसको और जरा ताकत देने की आश्यकता है। हमारी परंपरागत वो शक्ति है।

मुद्रा बैंक के माध्यम से व्यवसाय के क्षेत्र में, स्वरोजगार के क्षेत्र में, उद्योग के क्षेत्र में जो निचले तबके पर आर्थिक व्यवस्था में रहे हुए लोग हैं, वे हमारा सबसे बड़ा client, हमारा सबसे बड़ा target group है। हम उसी पर focus करना चाहते हैं। इन 5 करोड़ 75 लाख जो छोटे व्यापारी हैं... और उनका average कर्ज कितना है? पूरे हिंदुस्तान में 11 लाख करोड़ की उनके पास पूंजी है total पूरे देश में कोई ज्यादा amount नहीं है वो और average कर्ज निकाला जाए तो एक यूनिट का average कर्ज 17 thousand है सिर्फ। 17 thousand हैं, यानि कुछ नहीं है। अगर उसको एक लाख के कर्ज की ताकत दे दी जाए। उसको इतना अगर जोड़ दिया जाए और ये 11 लाख करोड़ है वो एक करोड़ तक अगर पहुंच जाए। हम कल्पना कर सकते हैं देश की economy को GDP को, नीचे से ताकत देने का इतना बड़ा force जो कि कभी untapped था।

और इसलिए जब हम प्रधानमंत्री जन-धन योजना लेकर के आए थे तब हमने कहा था, जहां बैंक नहीं उसको बैंक से जोड़ेंगे। आज जब हम मुद्रा लेकर के आए हैं, तो हमारा मंत्र है जिसको funding नहीं हो रहा है, जो un-funded है, उसको funding करने का हम बीड़ा उठाते हैं।

ये एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें शुरू के समय में सामान्य व्यक्ति जाएगा ये संभव नहीं है क्योंकि बेचारों को अनुभव बहुत खराब है। वो कहता है भई मुझे तो साहूकार से ही पैसा लेना पड़ता है। 24 percent, 30 percent interest देना पड़ता है, वो ही मुझे आदत हो गई है। वो विश्वास नहीं करेगा कि उसको इस प्रकार से ऋण मिल सकता है। हम ये एक नया विश्वास पैदा करना चाहते हैं कि आप देश के लिए काम कर रहे हो, देश के विकास के भागीदार हो, देश आपके लिए चिंता करने के लिए तैयार है। ये message मुझे देना है।

और ये मुद्रा के concept के द्वारा, उसी दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं। हमारे देश में agriculture sector में value addition - इतनी बड़ी संभावनाएं हैं। अगर उसकी एक विधा को develop कर दिया जाए तो हमारे किसान को कभी संकटों से गुजरना नहीं पड़ेगा। और ये छोटे-छोटे entrepreneur के माध्यम से ये पूरा network खड़ा किया जा सकता है जो सामान्य किसान, जो सामान्य पैदावार करता है, उसमें value addition का काम करे। और स्थानीय स्तर पर करे। कोई बहुत बड़ी व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है। अपने आप उसका काम आगे बढ़ जाएगा।

और हम देखते हैं आम उसको बेचना है, तो बेचारे को बड़ा कम पैसा मिलता है लेकिन एक अगर एक छोटा सा unit भी हो, आम में से अचार बना दे तो ज्यादा पैसा मिलता है और अचार को भी अच्छा बढ़िया bottle में packing करे और ज्यादा पैसा मिलता है और कोई नटी bottle लेकर खड़ी हो जाए तो और ज्यादा पैसा मिलता है advertising होता है तो।

यानि वक्त बदल चुका है, branding, advertising इन सारी चीजों की जरूरत पड़ गई है। हम ऐसे छोटे-छोटे लोगों को ताकत देना चाहते हैं। और उनको अगर ताकत मिलती है तो देश की economy की नीचे की धरातल, जितनी ज्यादा मजबूत होगी, उतनी देश की economy को लाभ होने वाला है। और जब मैंने ये आकड़े बताए तो आप भी चौंक गए होगे कि इतना बड़ा तामझाम सवा करोड़ लोग रोजगार पाते है। और जिसकी ओर कोई देखता नहीं है, वो 12 करोड़ लोगों के पेट भरता है। कितना बड़ा अंतर है। ये जो 12 करोड़ लोग है 25 करोड़ को रोजगार देने की ताकत देते है। वो Potential पड़ा है। और ज्‍यादा कोई शासकीय व्‍यवस्‍था में बड़े बदलाव की भी जरूरत नहीं है। थोड़ी संवदेनशीलता चाहिए, थोड़ी समझ चाहिए और थोड़ा Pro-Active role चाहिए।

मुद्रा एक ऐसा platform खड़ा किया गया है, जिस platform के साथ इसको... आज छोटी-मोटी finance की व्‍यवस्‍थाएं चल पड़ी है। दुनिया में कई जगह पर प्रयोग हुए है Micro finance के। लिए मैं चाहूंगा कि हम पूरे विश्‍व में Micro finance के जो Successful Model है हम भी उसका अध्‍ययन करें। उसकी जो अच्‍छाइयां है जो हमारे लिए suitable है, हम उसको adopt करें। और हिन्‍दुस्‍तान इतना बड़ा देश है कि जो चीज नागालैंड में चलती है वो महाराष्‍ट्र में चलेगी जरूरी नहीं है। विविधता चाहिए। और विविधताओं के अनुसार स्‍थानीय आवश्‍यकताओं के अनुसार अपने मॉडल बनाएं उसकी requirement करें। वरना हम दिल्‍ली में बैठ करके tailor के लिए ये और फिर कहेंगे कि तुमको ये मिलेगा तो मेल नहीं बैठेगा। वो वहां है उसी को पूछना पड़ेगा कि भई बताओं तुम्‍हारे लिए क्‍या जरूरत है? ये अगर हमने कर दिया तो हम बहुत बड़ी मात्रा में समाज के इस नीचे के तबके को मदद कर सकते है।

जिस प्रकार से सामान्‍य व्‍यक्ति की चिंता करना ये हमारा प्रयास है... और आपने इस सरकार के एक-एक कदम देखें होंगे, गतिशीलता तो आप देखते ही होंगे। वरना सामान्‍यत: देश में योजनाओं की घोषणा को ही काम माना जाता था और आप रोज नई योजना की घोषणा करो तो अखबार के आधार पर देश को समझने वाले जो लोग है वो तो यही मानते है कि वाह देश बहुत आगे बढ़ गया। और दो-चार साल के बाद देखते है कि वही कि वही रह गए। हमारी कोशिश है योजनाओं को धरती पर उतारना।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना ये सीधा-सीधा दिखता है। पहल योजना - दुनिया में सबसे बड़ा Cash Transfer का काम। गैस सब्सिडी में। 13 करोड़ लोगों के गैस सब्सिडी सिलेंडर, सब्सिडी सीधी उसके बैंक खाते में चली गई। यानी अगर एक बार निर्णय करें कि इस काम पूरा करना है और हर काम को आप देखिए... जब हमने 15 अगस्‍त को प्रधानमंत्री जन-धन योजना की बात कही करीब-करीब सवा सौ दिन के अंदर उस काम को पूरा कर दिया।

जब हम प्रधानमंत्री जन-धन योजना के बाद हम आगे बढ़े सौ दिन के भीतर-भीतर हमने पहल का काम पूरा कर दिया।

और आज जब बजट के अंदर घोषणा हुई, 50 दिन भी नहीं हुए, वो आज योजना आपके सामने रख दी। और ये Functional होगी और उसका परिणाम मैं कहता हूं एक साल मैं ज्‍यादा समय नहीं कहता। एक साल के भीतर-भीतर हमारी जो Established Banking System है, वो मुद्रा के मॉडल की ओर जाएगी मैं दावे से कहता हूं क्‍योंकि इसकी ताकत इसकी ताकत पहचान में आने वाली है। वे अपना एक लचीली बैंकिंग व्‍यवस्‍था खड़ी करेंगे, एक बहुत बड़ी ऑफिस चाहिए, कोई एयरकंडीशन चाहिए कोई जरूरत नहीं है। ऐसे Bare footed बैंकरर्स तैयार हो सकते है जो मुद्रा के मॉडल पर बड़ी-बड़ी बैंकों का काम भी कर सकते है।

आने वाले दिनों में कम से कम धन लगा करके भी ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को रोजगार देने का काम इसके साथ सरलता से हो सकता है और ये लोग जो संकट से गुजरते है, ब्‍याज के चक्‍कर में गरीब आदमी मर जाता है। उसको बचाना है और उसकी जो ताकत है उसके लिए अवसर देना है उस अवसर की दिशा में काम कर रहे है, जिस प्रकार से देश में ये जो वर्ग है उसकी जितनी चिंता करते है, उतनी ही देश के किसान की चिंता करना उतना ही जरूरी है।

किसी न किसी कारण से देश का किसान प्राकृतिक संकटों से जूझ रहा है। गत वर्ष, वर्षा कम हुई। वर्षा कम होने के कारण वैसे ही किसान मुसीबत से गुजारा कर रहा था और इस बार जितनी मात्रा में बेमौसमी वर्षा और ओले गिरना। इतनी तबाही हुई है किसान की। हमने मंत्रियों को भेजा था। खेतों में जा करके किसानों से बात करके परिस्थिति का जायजा लिया। कल इन सारे मंत्रियों से मैंने डिटेल में रिपोर्ट ली थी। इन किसानों को हम क्या मदद कर सकते हैं। और मैंने पहले दिन कहा था कि किसान को इस मुसीबत से बचाना, उसका साथ देना, उसको संकटों से बाहर लाना। ये सरकार की, समाज की, हम सबकी जिम्मेवारी है और किसान की चिंता करना ये आवश्यक है।

Natural calamity पहले भी आई है। लेकिन सरकार के जो parameter रहे हैं, उन parameters में आज के संकट में किसान को ज्यादा मदद नहीं मिल सकती है। और इसलिए ये संकट की व्यापकता इतनी है और उस समय है जबकि उसको फसल लेकर के बाजार में जाना था। एक प्रकार से उसके नोटों का बंडल ही जल गया, इस प्रकार से हम कह सकते हैं। इतना बड़ा उसका, उसका पूरा पसीना बहाया हुआ उसका, ये हालत हुई है। और इसलिए हमने insurance company को भी आदेश किया है कि बहुत ही proactive होकर के उनकी मदद की जाए। बैंकों को हमने आदेश किया है कि बैंक उनके जो कर्ज हैं, उनके संबंध में किस प्रकार से restructure करे ताकि उनको इस संकट से बाहर लाया जाए।

सरकार की तरफ से भी एक बहुत बड़ा अहम निर्णय हम करने जा रहे हैं। अब तक खेत में 50 प्रतिशत से ज्यादा अगर नुकसान हुआ हो, तभी वो उस मदद पाने की list में आता है। 50 प्रतिशत से ज्यादा अगर नुकसान हुआ होगा तभी आपको मदद मिल सकती है। अगर 50 प्रतिशत से कम हुआ है तो मदद नहीं मिल सकती है। राज्यों के मुख्यमंत्रियों का भी ये एक सुझाव था कि साहब ये norms बदलना चाहिए। हमारे मंत्री अभी जाकर के आए, उन्होंने प्रत्यक्ष देखा, और ये सब देखने के बाद एक बहुत बड़ा हमने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है कि अब किसान के वो जो 50 प्रतिशत के नुकसान वाला दायरा था उसको बदलकर के 33 percent भी अगर नुकसान हुआ है तो भी वो किसान हकदार बनेगा।

उसके कारण मुझे मालूम है बहुत बड़ा बोझ आने वाला है, बहुत बड़ा बोझ आने वाला है लेकिन किसान को 50 प्रतिशत वाले हिसाब में रखने से उसको ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा। 33 percent जो कि कईयों की मांग थी, उसको हमने स्वीकार किया है।

दूसरा विषय है उसको जो मुआवजा दिया जाता है। देश में आजादी के बाद सबसे बड़ा निर्णय पहली बार हुआ है 50 प्रतिशत को 33 प्रतिशत लाना। और दूसरा महत्वपूर्ण आजादी के बाद इतना बड़ा jump नहीं लगाया है, किसानों को मदद करने में हम इतना बड़ा jump इस बार लगा रहे हैं। और आज उसको जो मदद करने के सारे parameters हैं, उसको अब डेढ़ गुना कर दिया जाएगा। अगर उसको नुकसान में पहले 100 रुपया मिलता था, 150 मिलेगा, लाख मिलता था तो डेढ़ लाख मिलेगा, उसकी मदद डेढ़ गुना कर दी जाएगी।

कभी हमारे यहां incremental होता था 5 percent, 2 percent, 50 प्रतिशत वृद्धि। और ये किसान को तत्काल मदद मिले। राज्यों ने सर्वे का काम किया है। भारत सरकार और राज्य सरकार मिलकर के उसको आगे बढ़ाएगी लेकिन मैं चाहता हूं हमारे देश के किसानों को जितनी मदद हो सके, उतनी मदद करने के लिए ये सरकार संकल्पबद्ध है। क्योंकि आर्थिक विकास की यात्रा में किसान का भी बहुत बड़ा योगदान है और हमारी जीवन नैया चलाने में भी किसान का बहुत बड़ा योगदान है। बैंक हो, insurance company हो, भारत सरकार हो, राज्य सरकार हो, हम सब मिलकर के किसान को इस संकट की घड़ी से हम बाहर लाएंगे। ऐसा मुझे पूरा विश्वास है।

फिर एक बार मैं SIDBI की इस रजत जयंती वर्ष के प्रारंभ पर उनको मैं बहुत-बहुत शुभकामना देता हूं और SIDBI आने वाले दिनों में नए लक्ष्य को लेकर के और नई ऊंचाइयों को पार करने में सफल होगा, ऐसी मेरी शुभकामनाएं हैं।

और मुद्रा platform प्रधानमंत्री मुद्रा योजना आने वाले दिनों में देश की आर्थिक, जो पक्की धरोहर है उसको जानदार बनाना, शानदार बनाने के काम में मुद्रा बहुत बड़ा role play करेगी। और ये पूंजी उसकी सफलत की कुंजी बने, ये मंत्र को हम चरितार्थ करेंगे। इसी एक शुभ आशय के साथ आज इस महत्वपूर्ण योजना को प्रारंभ करते हुए मुझे खुशी हो रही है, मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।

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आज जॉर्डन के हर बिजनेस, हर इन्वेस्टर के लिए भी भारत में अवसरों के नए द्वार खुल रहे हैं: भारत-जॉर्डन बिजनेस फोरम में पीएम मोदी
December 16, 2025

His Majesty किंग Abdulla,
The Crown Prince,
दोनों देशों के delegates,
बिजनेस जगत के लीडर्स,

नमस्कार।

Friends,

दुनिया में कई देशों के borders मिलते ही हैं, कई देशों के मार्केट्स भी मिलते हैं। लेकिन भारत और जॉर्डन के संबंध ऐसे है, जहाँ ऐतिहासिक विश्वास और भविष्य के आर्थिक अवसर एक साथ मिलते हैं।

कल His Majesty के साथ मेरी बातचीत का सार भी यही था। geography को opportunity में और opportunity को growth में कैसे बदला जाए, इस पर हमने विस्तार से चर्चा की।

Your Majesty,

आपकी लीडरशिप में, जॉर्डन एक ऐसा Bridge बना है जो अलग-अलग रीजन्स के बीच सहयोग और तालमेल बढ़ाने में बहुत मदद कर रहा है। कल हमारी मुलाकात में आपने बताया कैसे भारतीय companies जॉर्डन के मार्ग से USA, कनाडा, और अन्य देशों की मार्केटस तक पहुँच सकती हैं। मैं यहाँ आई भारतीय कॉम्पनियों से इन अवसरों का पूरा लाभ उठाने का अनुरोध करूँगा।

Friends,

भारत आज जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा Trading partner है। मैं जानता हूं कि बिजनेस की दुनिया में नंबर्स का महत्व होता है। लेकिन यहां हम सिर्फ numbers गिनने नहीं आए हैं, बल्कि हम long term relationship बनाने आए हैं।

एक ज़माना था, जब गुजरात से Petra के रास्ते यूरोप तक का व्यापार होता था। हमारी फ्यूचर prosperity के लिए हमें वो links फिर से revive करने होंगे। और इसको साकार करने मे आप सभी का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।

Friends,

आप सभी जानते हैं कि भारत, Third Largest Economy की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। भारत की ग्रोथ रेट Eight percent से ऊपर है। ये ग्रोथ नंबर, productivity-driven governance और Innovation driven policies का नतीजा है।

आज जॉर्डन के हर बिजनेस, हर इन्वेस्टर के लिए भी भारत में अवसरों के नए द्वार खुल रहे हैं। भारत की तेज़ ग्रोथ में आप सहयोगी बन सकते हैं, और अपने निवेश पर शानदार रिटर्न भी पा सकते हैं।

Friends,

आज दुनिया को नए growth engines चाहिए। दुनिया को एक trusted supply chain की ज़रूरत है। भारत और Jordan मिलकर, दुनिया की ज़रूरतों को पूरा करने में बड़ा रोल निभा सकते हैं।

मैं आपसी सहयोग के कुछ key sectors की चर्चा आपके साथ ज़रूर करना चाहूंगा। ऐसे सेक्टर, जहाँ vision, viability और velocity, ये तीनों मौजूद हैं।

पहला, Digital Public Infrastructure और IT. इसमें भारत का अनुभव जॉर्डन के भी बहुत काम आ सकता है। भारत ने डिजिटल टेक्नॉलॉजी को inclusion और efficiency का model बनाया है। हमारे UPI, Aadhaar, डिजिलॉकर जैसे frameworks आज global benchmarks बन रहे हैं। His Majesty और मैंने इन frameworks को Jordan के सिस्टम्स से जोड़ने पर चर्चा की है। हम दोनों देश, Fintech, Health-tech, Agri-tech ऐसे अनेक सेक्टर्स में अपने startups को directly connect कर सकते हैं। एक shared ecosystem बना सकते हैं, जहाँ हम ideas को capital से, और innovation को scale से कनेक्ट कर सकते हैं।

Friends,

Pharma और Medical Devices के क्षेत्र में भी अनेक संभावनाएं हैं। आज healthcare सिर्फ एक sector नहीं है, बल्कि एक strategic priority है।

जॉर्डन में भारतीय कंपनियां मेडिसन बनाएं, मेडिकल डिवाइस बनाएं, इससे जॉर्डन के लोगों को तो फायदा होगा ही. West Asia और Africa के लिए भी जॉर्डन एक reliable hub बन सकता है। Generics हों, vaccines हों, आयुर्वेद हो या wellness, India brings trust and Jordan brings reach.

Friends,

अब अगला सेक्टर Agriculture का है। भारत को dry climate में खेती का बहुत अनुभव है। हमारा ये experience, जॉर्डन में real difference ला सकता है। हम Precision farming और micro-irrigation जैसे solutions पर काम कर सकते हैं। Cold chains, food parks और storage facilities बनाने में भी हम मिलकर काम कर सकते हैं। जैसे Fertilisers में हम Joint Venture कर रहे हैं, वैसे ही अन्य क्षेत्रों में भी हम आगे बढ़ सकते हैं।

Friends,

Infrastructure और Construction तेज ग्रोथ के लिए बहुत ज़रूरी हैं। इन क्षेत्रों में हमारा collaboration हमें Speed और Scale, दोनों देगा।

His Majesty ने जॉर्डन में रेलवे और नेक्स्ट-gen इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने का विज़न साझा किया है। मैं उनको विश्वास दिलाना चाहता हूँ, कि हमारी कॉम्पनियाँ उनके विज़न को साकार करने के लिए सक्षम भी है, और उत्सुक भी।

कल हमारी मुलाकात में His Majesty ने सिरिया में इंफ्रास्ट्रक्चर reconstruction की जरूरतों के बारे में भी बताया। भारत और जॉर्डन की कॉम्पनीस इन जरूरतों को पूरा करने पर मिलकर काम कर सकती हैं।

Friends,

आज की दुनिया Green Growth के बिना आगे नहीं बढ़ सकती। Clean Energy अब केवल विकल्प नहीं है, बल्कि एक need बन चुकी है। Solar, wind, green hydrogen, energy storage इसमें भारत बहुत बड़ी इन्वेस्टर के रूप में काम कर रहा है। जॉर्डन के पास भी बहुत बड़ा potential है, जिसे हम Unlock कर सकते हैं।

ऐसे ही Automobile और Mobility का सेक्टर है। भारत आज Affordable EVs, two-wheelers और CNG mobility solutions में दुनिया के टॉप देशों में से एक है। इस क्षेत्र में भी हमें ज्यादा से ज्यादा काम मिलकर करना चाहिए।

Friends,

भारत और जॉर्डन, दोनों देश अपने कल्चर, अपनी हैरिटेज पर बहुत गर्व करते हैं। हैरिटेज और कल्चरल टूरिज्म के लिए भी दोनों देशों में बहुत अधिक स्कोप है। मैं समझता हूं कि दोनों देशों के इन्वेस्टर्स को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

भारत में, इतनी सारी फिल्म्स बनती हैं। इन फिल्मों की शूटिंग जॉर्डन में हो, यहां joint film festivals हों, इसके लिए भी ज़रूरी प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं। भारत में होने वाली अगले WAVES समिट में हम जोर्डन से एक बड़े delegation की अपेक्षा करते हैं।

Friends,

geography, जॉर्डन की strength है, और भारत के पास, स्किल भी है और स्केल भी। दोनों की strength जब एक साथ आएंगी, तो इससे दोनों देशों के नौजवानों को नए अवसर मिलेंगे।

दोनों देशों की सरकारों का विजन बिल्कुल स्पष्ट है। अब बिजनेस वर्ल्ड के आप सभी साथियों को अपनी imagination, innovation और entrepreneurship से इसको ज़मीन पर उतारना है।

अंत में मैं आपसे फिर कहूंगा।

Come…
Let us invest together
Innovate Together
And Grow Together

Your Majesty,

मैं एक बार फिर आपका, जॉर्डन सरकार का और इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी महानुभावों का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।

'शुक्रान'।
बहुत-बहुत धन्यवाद।