QuoteLays foundation stone of Sant Shiromani Gurudev Shri Ravidas ji Memorial to be constructed at a cost of more than Rs 100 crores
QuoteLays foundation stone of two road projects to be developed at a cost of more than Rs 1580 crores
QuoteDedicates doubling of Kota-Bina rail route to the nation developed at a cost of more than Rs 2475 crores
Quote“Sant Shiromani Gurudev Shri Ravidas ji Memorial will have grandeur as well as divinity”
Quote“Sant Ravidas ji provided strength to the society to fight oppression”
Quote“Today, the nation is moving forward with the spirit of liberation and rejecting the mentality of slavery”
Quote“In Amrit Kaal, we are trying to eradicate poverty and hunger from the country”
Quote“I know the pain of hunger and self-respect of the poor. I am a member of your family and I don’t need to look into the books to understand your pain”
Quote“Our focus is on welfare of the poor and empowerment of every section of society”
Quote“Today, be it Dalit, deprived, backward or tribal, our government is giving them due respect and new opportunities”

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

कार्यक्रम में उपस्थित मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री श्रीमान शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कैबिनेट के मेरे सहयोगी श्री वीरेंद्र खटीक जी, ज्य़ोतिरादित्य सिंधिया जी, प्रह्लाद पटेल जी, मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रीगण, सभी सांसद, अलग-अलग स्थानों से पधारे सभी पूज्य संतगण और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

सागर की धरती, संतों का सानिध्य, संत रविदास जी का आशीर्वाद, और समाज के हर वर्ग से, हर कोने से इतनी बड़ी संख्या में आशीर्वाद देने के लिए आए हुए आप सब महानुभाव। आज सागर में समरसता का महासागर उमड़ा हुआ है। देश की इसी साझी संस्कृति को और समृद्ध करने के लिए आज यहाँ संत रविदास स्मारक एवं कला संग्रहालय की नींव पड़ी है। संतों की कृपा से कुछ देर पहले मुझे इस पवित्र स्मारक के भूमि पूजन का पुण्य अवसर मिला है और मैं काशी का सांसद हूं और इसलिए ये मेरे लिए दोहरी खुशी का अवसर है। और पूज्य संत रविदास जी के आशीर्वाद से मैं विश्वास से कहता हूं कि आज मैंने शिलान्यास किया है, एक-डेढ़ साल के बाद मंदिर बन जाएगा, तो लोकार्पण के लिए भी मैं जरूर आऊंगा। और संत रविदास जी मुझे यहां अगली बार आने का मौका देने ही वाले है। मुझे बनारस में संत रविदास जी की जन्मस्थली पर जाने का कई बार सौभाग्य मिला है। और अब आज मैं यहां आप सबके सानिध्य में हूं। मैं आज सागर की इस धरती से संत शिरोमणि पूज्य रविदास जी के चरणों में नमन करता हूँ, उन्हें प्रणाम करता हूँ।

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भाइयों और बहनों,

संत रविदास स्मारक एवं संग्रहालय में भव्यता भी होगी, और दिव्यता भी होगी। ये दिव्यता रविदास जी की उन शिक्षाओं से आएगी जिन्हें आज इस स्मारक की नींव में जोड़ा गया है, गढ़ा गया है। समरसता की भावना से ओतप्रोत 20 हजार से ज्यादा गांवों की, 300 से ज्यादा नदियों की मिट्टी आज इस स्मारक का हिस्सा बनी है। एक मुट्ठी मिट्टी के साथ-साथ एमपी के लाखों परिवारों ने समरसता भोज के लिए एक-एक मुट्ठी अनाज भी भेजा है। इसके लिए जो 5 समरसता यात्राएं चल रही थीं, आज उनका भी सागर की धरती पर समागम हुआ है। और मैं मानता हूँ कि ये समरसता यात्राएं यहाँ खत्म नहीं हुई हैं, बल्कि, यहाँ से सामाजिक समरसता के एक नए युग की शुरूआत हुई है। मैं इस कार्य के लिए मध्य प्रदेश सरकार का अभिनंदन करता हूँ, मुख्यमंत्री भाई शिवराज जी का अभिनंदन करता हूं और आप सभी को बधाई देता हूं।

साथियों,

प्रेरणा और प्रगति, जब एक साथ जुड़ते हैं तो एक नए युग की नींव पड़ती है। आज हमारा देश, हमारा एमपी इसी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में, आज यहाँ कोटा-बीना सेक्शन पर रेलमार्ग के दोहरीकरण का भी लोकार्पण हुआ है। नेशनल हाइवे पर दो महत्वपूर्ण मार्गों का शिलान्यास भी किया गया है। विकास के ये काम सागर और आस-पास के लोगों को बेहतर सुविधा देंगे। इसके लिए मैं यहाँ के सभी भाई-बहनों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ।

साथियों,

संत रविदास स्मारक और संग्रहालय की ये नींव एक ऐसे समय में पड़ी है, जब देश ने अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। अब अगले 25 वर्षों का अमृतकाल हमारे सामने है। अमृतकाल में हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अपनी विरासत को भी आगे बढ़ाएँ, और अतीत से सबक भी लें। एक राष्ट्र के रूप में हमने हजारों वर्षों की यात्रा की है। इतने लंबे कालखंड में समाज में कुछ बुराइयाँ आना भी स्वभाविक है। ये भारतीय समाज की ही शक्ति है कि इन बुराइयों को दूर करने वाला समय-समय पर कोई महापुरूष, कोई संत, कोई औलिया इसी समाज से निकलता रहा है। रविदास जी ऐसे ही महान संत थे। उन्होंने उस कालखंड में जन्म लिया था, जब देश पर मुगलों का शासन था। समाज, अस्थिरता, उत्पीड़न और अत्याचार से जूझ रहा था। उस समय भी रविदास जी समाज को जागृत कर रहे थे, समाज को जगा रहे थे, वो उसे उसकी बुराइयों से लड़ना सीखा रहे थे। संत रविदास जी ने कहा था-

जात पांत के फेर महि, उरझि रहई सब लोग।

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मानुष्ता कुं खात हई, रैदास जात कर रोग॥

अर्थात्, सब लोग जात-पात के फेर में उलझे हैं, और ये बीमारी मानवता को खा रही है। वो एक तरफ सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ बोल रहे थे, तो दूसरी तरफ देश की आत्मा को झकझोर रहे थे। जब हमारी आस्थाओं पर हमले हो रहे थे, हमारी पहचान मिटाने के लिए हम पर पाबन्दियाँ लगाई जा रहीं थीं, तब रविदास जी ने कहा था, उस समय मुगलों के कालखंड में, ये हिम्मत देखिए, ये राष्ट्रभक्ति देखिए, रविदास जी ने कहा था-

पराधीनता पाप है, जान लेहु रे मीत|

रैदास पराधीन सौ, कौन करेहे प्रीत ||

यानी, पराधीनता सबसे बड़ा पाप है। जो पराधीनता को स्वीकार कर लेता है, उसके खिलाफ जो लड़ता नहीं है, उससे कोई प्रेम नहीं करता। एक तरह से उन्होंने समाज को अत्याचार के खिलाफ लड़ने का हौसला दिया था। इसी भावना को लेकर छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य की नींव रखी थी। यही भावना आज़ादी की लड़ाई में लाखों लाख स्वाधीनता सेनानियों के दिलों में थी। और, इसी भावना को लेकर आज देश गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के संकल्प पर आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

रैदास जी ने अपने एक दोहे में कहा है और अभी शिवराज जी ने उसका उल्लेख भी किया -

ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिलै सबन को अन्न।

छोट-बड़ों सब सम बसै, रैदास रहै प्रसन्न॥

यानी, समाज ऐसा होना चाहिए, जिसमें कोई भी भूखा न रहे, छोटा-बड़ा, इससे ऊपर उठकर सब लोग मिलकर साथ रहें। आज आजादी के अमृतकाल में हम देश को गरीबी और भूख से मुक्त करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। आपने देखा है, कोरोना की इतनी बड़ी महामारी आई। पूरी दुनिया की व्यवस्थाएं चरमरा गई, ठप्प पड़ गई। भारत के गरीब तबके के लिए, दलित-आदिवासी के लिए हर कोई आशंका जता रहा था। कहा जा रहा था कि सौ साल बाद इतनी बड़ी आपदा आई है, समाज का ये तबका कैसे रह पाएगा। लेकिन, तब मैंने ये तय किया कि चाहे जो हो जाए, मैं मेरे गरीब भाई-बहन को खाली पेट सोने नहीं दूँगा। दोस्तों मैं भली-भांति जानता हूं कि भूखे रहने की तकलीफ क्या होती है। मैं जानता हूं कि गरीब का स्वाभिमान क्या होता है। मैं तो आपके ही परिवार का सदस्य हूं, आपका सुख-दुख समझना मुझे किताबें नहीं ढूंढनी पड़ती। इसलिए ही हमने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की। 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन सुनिश्चित किया। और आज देखिए, हमारे इन प्रयासों की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है।

साथियों,

आज देश गरीब कल्याण की जितनी भी बड़ी योजनाएँ चला रहा है, उसका सबसे बड़ा लाभ दलित, पिछड़े आदिवासी समाज को ही हो रहा है। आप सब अच्छे से जानते हैं, पहले की सरकारों के समय जो योजनाएँ आती थीं वो चुनावी मौसम के हिसाब से आती थीं। लेकिन, हमारी सोच है कि जीवन के हर पड़ाव पर देश दलित, वंचित, पिछड़े, आदिवासी, महिलाएं इन सबके साथ खड़ा हो, हम उनकी आशाओं-आकांक्षाओं को सहारा दें। आप देखिए जरा योजनाओं पर नजर करेंगे तो पता चलेगा बच्चे के जन्म का समय होता है तो मातृवंदना योजना के जरिए गर्भवती माता को 6 हजार रुपए दिए जाते हैं ताकि माँ-बच्चा स्वस्थ रहें। आप भी जानते हैं कि जन्म के बाद बच्चों को बीमारियों का, संक्रामक रोगों का खतरा होता है। गरीबी के कारण दलित-आदिवासी बस्तियों में इनकी सबसे ज्यादा मार होती थी। आज नवजात बच्चों की पूरी सुरक्षा के लिए मिशन इंद्रधनुष चलाया जा रहा है। बच्चों को सभी बीमारियों से बचने के लिए टीका लगें, ये चिंता सरकार करती है। मुझे संतोष है कि बीते वर्षों में साढ़े 5 करोड़ से अधिक माताओं और बच्चों का टीकाकरण किया जा चुका हैं।

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साथियों,

आज हम देश के 7 करोड़ भाई-बहनों को सिकल सेल अनीमिया से मुक्ति के लिए अभियान चला रहे हैं। देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए काम हो रहा है, काला जार और दिमागी बुखार का प्रकोप धीरे-धीरे कम हो रहा है। इन बीमारियों से सबसे ज्यादा दलित, वंचित, गरीब परिवार वो ही इसके शिकार होते थे। इसी तरह, अगर इलाज की जरूरत होती है तो आयुष्मान योजना के जरिए अस्पतालों में मुफ्त इलाज की व्यवस्था की गई है। लोग कहते है मोदी कार्ड मिल गया है, 5 लाख रूपये तक अगर कोई बीमारी को लेकर के बिल चुकाना है तो ये आपका बेटा कर देता है।

साथियों,

जीवन चक्र में पढ़ाई का बहुत महत्व है। आज देश में आदिवासी बच्चों की पढ़ाई के लिए अच्छे स्कूलों की व्यवस्था हो रही है। आदिवासी क्षेत्रों में 700 एकलव्य आवासीय स्कूल खोले जा रहे हैं। उन्हें सरकार पढ़ाई के लिए किताबें देती है, स्कॉलरशिप देती है। मिड डे मील की व्यवस्था को बेहतर बनाया जा रहा है ताकि बच्चों को अच्छा पोषण वाला खाना मिले। बेटियों के लिए सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की गई है, ताकि बेटियाँ भी बराबरी से आगे बढ़े। स्कूल के बाद हायर एजुकेशन में जाने के लिए SC, ST, OBC युवा-युवतियों के लिए अलग से स्कॉलरशिप की व्यवस्था की गई है। हमारे युवा आत्मनिर्भर बनें, अपने सपनों को पूरा कर सकें, इसके लिए मुद्रा लोन जैसी योजनाएँ भी शुरू की गई हैं। मुद्रा योजना के अब तक जितने लाभार्थी हैं, उनमें बड़ी संख्या में SC-ST समाज के ही मेरे भाई-बहन हैं। और सारा पैसा बिना गांरटी दिया जाता है।

साथियों,

SC-ST समाज को ध्यान में रखकर हमने स्टैंडअप इंडिया योजना भी शुरू की थी। स्टैंडअप इंडिया के तहत SC-ST समाज के युवाओं को 8 हजार करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता मिली है, 8 हजार करोड़ रूपए, ये हमारे SC-ST समाज के नव-जवानों के पास गए हैं। हमारे बहुत से आदिवासी भाई-बहन वन सम्पदा के जरिए अपना जीवन यापन करते हैं। उनके लिए देश वनधन योजना चला रहा है। आज करीब 90 वन उत्पाद को MSP का लाभ भी मिल रहा है। इतना ही नहीं, कोई भी दलित, वंचित, पिछड़ा बिना घर के न रहे, हर गरीब के सर पर छत हो, इसके लिए प्रधानमंत्री आवास भी दिये जा रहे हैं। घर में सभी जरूरी सुविधाएं हों, इसके लिए बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन भी मुफ्त दिया गया है। इसका परिणाम है कि SC-ST समाज के लोग आज अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं। उन्हें बराबरी के साथ समाज में सही स्थान मिल रहा है।

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साथियों,

सागर एक ऐसा जिला है, जिसके नाम में तो सागर है ही, इसकी एक पहचान 400 एकड़ की लाखा बंजारा झील से भी होती है। इस धरती से लाखा बंजारा जैसे वीर का नाम जुड़ा है। लाखा बंजारा ने इतने वर्ष पहले पानी की अहमियत को समझा था। लेकिन, जिन लोगों ने दशकों तक देश में सरकारें चलाईं, उन्होंने गरीबों को पीने का पानी पहुंचाने की जरूरत भी नहीं समझी। ये काम भी जलजीवन मिशन के जरिए हमारी सरकार जोरों पर कर रही है। आज दलित बस्तियों में, पिछड़े इलाकों में, आदिवासी क्षेत्रों में पाइप से पानी पहुँच रहा है। ऐसे ही, लाखा बंजारा की परंपरा को आगे बढ़ाते हुये हर जिले में 75 अमृत सरोवर भी बनाए जा रहे हैं। ये सरोवर आज़ादी की भावना का प्रतीक बनेंगे, सामाजिक समरसता का केंद्र बनेंगे।

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साथियों,

आज देश का दलित हो, वंचित हो, पिछड़ा हो, आदिवासी हो, हमारी सरकार इन्हें उचित सम्मान दे रही है, नए अवसर दे रही है। न इस समाज के लोग कमजोर हैं, न इनका इतिहास कमजोर है। एक से एक महान विभूतियाँ समाज के इन वर्गों से निकलकर आई हैं। उन्होंने राष्ट्र के निर्माण में असाधारण भूमिका निभाई है। इसीलिए, आज देश इनकी विरासत को भी गर्व के साथ सहेज रहा है। बनारस में संत रविदास जी की जन्मस्थली पर मंदिर का सौंदर्यीकरण किया गया। मुझे खुद उस कार्यक्रम में जाने का सौभाग्य मिला। यहाँ भोपाल के गोविंदपुरा में जो ग्लोबल स्किल पार्क बन रहा है, उसका नाम भी संत रविदास के नाम पर रखा गया है। बाबा साहब के जीवन से जुड़े प्रमुख स्थानों को भी पंच-तीर्थ के रूप में विकसित करने का जिम्मा हमने उठाया है। इसी तरह, आज देश के कई राज्यों में जनजातीय समाज के गौरवशाली इतिहास को अमर करने के लिए म्यूज़ियम्स बन रहे हैं। भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को देश ने जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की है। मध्य प्रदेश में भी हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम गोंड समाज की रानी कमलापति के नाम पर रखा गया है। पातालपानी स्टेशन का नाम टंट्या मामा के नाम पर किया गया है। आज पहली बार देश में दलित, पिछड़ा और आदिवासी परंपरा को वो सम्मान मिल रहा है, जिसके ये समाज के लोग हकदार थे। हमें ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’, के इसी संकल्प को लेकर आगे बढ़ना है। मुझे भरोसा है, देश की इस यात्रा में संत रविदास जी की शिक्षाएं हम सब देशवासियों को एकजुट करती रहेंगी। हम साथ मिलकर, बिना रुके भारत को विकसित राष्ट्र बनाएँगे। इसी भावना के साथ, आप सभी को बहुत- बहुत धन्यवाद। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।

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PM Modi to visit Republic of Cyprus, Canada and Croatia from 15th to 19th June
June 14, 2025

​At the invitation of the President of the Republic of Cyprus, H.E. Mr. Nikos Christodoulides, Prime Minister Shri Narendra Modi will pay an official visit to Cyprus on 15-16 June, 2025. This will be the first visit of an Indian Prime Minister to Cyprus in over two decades. While in Nicosia, Prime Minister will hold talks with President Christodoulides and address business leaders in Limassol. The visit will reaffirm the shared commitment of the two countries to deepen bilateral ties and strengthen India’s engagement with the Mediterranean region and the European Union.

In the second leg of his visit, at the invitation of the Prime Minister of Canada, H.E. Mr. Mark Carney, Prime Minister will travel to Kananaskis in Canada on June 16-17 to participate in the G-7 Summit. This would be Prime Minister’s 6th consecutive participation in the G-7 Summit. At the Summit, Prime Minister will exchange views with leaders of G-7 countries, other invited outreach countries and Heads of International Organisations on crucial global issues, including energy security, technology and innovation, particularly the AI-energy nexus and Quantum-related issues. Prime Minister will also hold several bilateral meetings on the side-lines of the Summit.

In the final leg of his tour, at the invitation of the Prime Minister of the Republic of Croatia, H.E. Mr. Andrej Plenković, Prime Minister will undertake an official visit to Croatia on 18 June 2025. This will be the first ever visit by an Indian Prime Minister to Croatia, marking an important milestone in the bilateral relationship. Prime Minister will hold bilateral discussions with Prime Minister Plenković and meet the President of Croatia, H.E. Mr. Zoran Milanović. The visit to Croatia will also underscore India's commitment to further strengthening its engagement with partners in the European Union.