India-Indonesia ties are special: PM Modi
We are all proud of the manner in which the Indian diaspora has distinguished itself in Indonesia: PM Modi
In the last four years, India has witnessed unparalleled transformation, says PM Modi in Indonesia
Both India and Indonesia are proud of their democratic ethos and their diversity: PM Modi
In 2014 the people of India voted for a Government headed by a person belonging to a poor background. Similarly, the people of Indonesia elected President Widodo whose background is also humble: PM
Indian diaspora in Indonesia further strengthens the vibrant people-to-people ties between both our countries: PM Modi
Ensuring a corruption-free, citizen-centric and development-friendly ecosystem is our priority: PM Modi
GST has enhanced the tax compliance system in India; it has ensured a better revenue system: PM Modi
To enhance ‘Ease of Living’, we are focussing on modern infrastructure; we are creating a system which is transparent as well as sensitive: PM Modi

इंडोनेशिया में इंडिया को जीने वाले आप सभी बंधुओं को मेरा नमस्कार।

सलामत सोरे, तमान – तमान। (Good Evening Friends)

आपा काबार? (आप कैसे हैं।)

साया सनांग सकाली बर- अदा दी सिनी (मुझे यहां आकर बहुत खुशी है)

मैं इंडोनेशिया की जनता, आप सभी का और विशेषतौर पर राष्ट्रपति विडोडो का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने रमज़ान के इस पवित्र महीने में मेरा स्वागत किया। आज सुबह इंडोनेशिया की विविधता की झलक भी देखने को मिली। विभिन्न पोशाक पहने हुए नागरिकों और बच्चों ने मेरा स्वागत किया। इसने मेरे ह्रदय को छू लिया।

साथियों,

कुछ महीने पहले ही हमने सभी 10 आसियान नेताओं के साथ भारत का गणतंत्र दिवस मनाया। आसियान में इन्डोनेशिया सबसे बड़ी जनसंख्या का एक अहम सदस्य है। मैं राष्ट्रपति विडोडो का आभारी हूं कि उन्होंने हमें तब उनके आतिथ्य सत्कार का अवसर दिया। यह एक संयोग मात्र ही नहीं है कि सन् 1950 में भारत के पहले गणतंत्र दिवस में भी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि थे।

साथियों,

बीते चार वर्षों में सवा सौ करोड़ भारतीयों के प्रतिनिधि के रुप में दुनिया में जहां-जहां भी मैं गया, मेरा प्रयास रहा है कि आप जैसे उन लाखों बंधुओं और बहनों से मिलूं, जिनका मूल भारत भूमि में है। इस दौरान मेरी जितनी भी बातचीत हुई, उसमें एक बात समान रही है। वो बात है मां भारती के प्रति अटूट श्रद्धा और सम्मान। यहां इंडोनेशिया में भी यही भावना मैं अपने सामने देख सकता हूं। इंडोनेशिया के प्रति आपकी जितनी भक्ति है, उतनी ही प्रबल भावना अपनी जड़ों से जुड़ने की है। आप में से अधिकांश इंडोनेशिया के नागरिक हैं लेकिन हृद्य के एक कोने में कहीं भारत भी बसा हुआ है।

साथियों,

हमारा संस्कृत और संस्कृति का रिश्ता है। और आप सभी जो यहां इंडोनेशिया में आज रच बस गए हैं, हमारे इस रिश्ते की मजबूत कड़ी हैं। आप में से यहां कई चार-पांच पीढ़ियों से हैं तो, ऐसे भी तमाम लोग हैं जो बीते दो-तीन दशकों से यहां पहुंचे हैं। आज आप में से कोई कपड़े के कारोबार से जुड़ा है तो कोई स्पोर्ट्स के सामान का व्यापार कर रहा है। कोई इंजीनियर है, कोई कंसल्टेंट। कोई सीए है तो कोई बैंकर तो कोई अध्यात्मिक गुरू। भारत से ही संबंध रखने वाले श्री गुरुनाम सिंह जी ने 1962 के जकार्ता एशियन गेम्स में इंडोनेशिया के लिए मेडल भी जीता था। मुझे बहुत प्रसन्नता भी है और गर्व भी, कि अपने तप से, कठिन परिश्रम से ना सिर्फ आप सभी ने यहां के परिवेश को अनुकूल बनाया, बल्कि आज आप इंडोनेशिया के विकास में भी बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं।

साथियों,

एक दौर वो भी था, जब आपके पूर्वजों को अलग-अलग परिस्थितियों की वजह से भारत छोड़ना पड़ा। आज एक दौर वो भी है जब दुनिया भर में भारत की मजबूत पहचान बनी है। पिछले 4 वर्षों में भारत ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का काम किया है।

  • आज भारत दुनिया की सबसे open economies में से एक है। भारत में रिकॉर्ड स्तर पर विदेशी निवेश हो रहा है।
  • भारत का Foreign Exchange Reserve लगभग 300 बिलियन डॉलर से बढ़कर 400 बिलियन डॉलर के पार पहुंच गया है।
  • Greenfield FDI को आकर्षित करने वाला भारत दुनिया का नंबर वन देश बन गया है।
  • FDI Confidence Index में भारत top two emerging market में से एक है।
  • वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के Global Competitiveness Index में भारत की रैंकिंग 71 से सुधरकर 40 हो गई है।
  • Ease of Doing Business की रैंकिंग में भारत 142 से सौवें नंबर पर आ गया है।
  • Logistics Performance Index में 19 अंकों का सुधार हुआ है।
  • Global Innovation Index में भारत की रैकिंग 21 अंक उछली है।
  • अंकटाड की रिपोर्ट में भारत को भविष्य की मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में Top तीन में रखा गया है।
  • पिछले 14 वर्षों में पहली बार Moody's ने भारत की क्रेडिट रैंटिंग में सुधार किया है।

भाइयों और बहनों,

भारत जहां दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है वहीं इंडोनेशिया में भी लोकतंत्र की जड़ें बहुत मजबूत हैं। यही कारण है कि जिस प्रकार सवा सौ करोड़ भारतीयों ने मुझ जैसे साधारण नागरिक को प्रधान सेवक बनने का अवसर दिया, वैसे ही इंडोनेशिया की जनता ने भी विडोडो जी को अपना राष्ट्रपति चुना। साथियों, भारत और इंडोनेशिया सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता और सद्भाव के प्रतीक हैं। यहां अनेक भाषाएं बोलियां हैं, सैकड़ों समुदाय रहते हैं, तो भारत में भी कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी की कहावत मशहूर है। मैंने कहीं पढ़ा है कि इंडोनेशिया के बोर्नियो द्वीप में सत्रह सौ साल पहले के अवशेष हैं जो भारत के साथ संबंधों के सबूत हैं। अभी तीन-चार दिन पहले ही मैं ओडिशा के कटक में था। वहां पर जिस मैदान में विशाल जनसभा का आयोजन किया गया, उसका नाम था ‘बालीजात्रा’। बालीजात्रा का क्या मतलब है? इंडोनेशिया के बाली की यात्रा। सैकड़ों वर्ष पूर्व ओडिशा के महान नाविक, कटक से निकलकर ही जावा-सुमात्रा और बोर्नियो तक आते थे। आज भी हर साल अक्तूबर-नवंबर में ओडिशा में ‘बालीजात्रा’ का उत्सव बहुत ही शान, बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है।इंडोनेशिया का गुजरात से भी पुराना नाता रहा है। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो एक बार मुझे किसी ने कहा था कि 12वीं सदी के आसपास कच्छ में रहने वाले जो मुसलमान निकले, उनमें से काफी यहां इंडोनेशिया में भी आकर बसे थे। उन लोगों के साथ गुजराती भाषा, गुजराती खान-पान भी इंडोनेशिया पहुंची थी। मुझे बताया गया है कि बुबुर गुजरात, गुजराती खिचड़ी इंडोनेशिया में कई मुस्लिम परिवारों में भी बनाई जाती है। आज भी कई ऐसे शब्द इस्तेमाल में हैं जो भारत इंडोनेशिया के संबंधों की प्राचीनता और घनिष्ठता पर प्रकाश डालते हैं । जैसे भाई के लिए 'सहोदर', निधन के लिए 'माटी', रंगों या colourके लिए 'वर्ण', Group के लिए 'समूह' या 'समूअ', 'उपवास' और 'पुवास', 'बहासा' और 'भाषा'; 'रूपियाह' और 'रुपया'। ऐसे शब्दों को इकट्ठा करें तो पूरी डिक्शनरी बन जाएगी।ये समानताएं स्वाभाविक हैं। भारत और इंडोनेशिया के बीच सिर्फ 90 नॉटिकल मील का फासला है। यानि, हम 90 नॉटिकल मील दूर नहीं, 90 नॉटिकल मील पास हैं। पड़ोसी हैं।

साथियों,

मुझे बताया गया है कि भारत और इंडोनेशिया के गहरे सांस्कृतिक संबंधों को यहाँ कई प्रकार से मनाया जाता है।यहां ‘इंडोनेशिया तमिल संगम’ के सांस्कृतिक आयोजनों को भी एक अलग पहचान मिली है। पिछले वर्ष जकार्ता व अन्य स्थानों पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित सफल कार्यक्रमों के बारे में भी मुझे बताया गया है। मुझे यह भी जानकारी मिली है कि बाली में मशहूर भारतीय Traditional medicines के सेंटर, पंचकर्म-आयुर्वेद सेंटरों की लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है। हाल के वर्षों में Holistic Healthcare के प्रति दुनिया भर में आकर्षण बढ़ा है। आपके लिए भी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का Ambassador बनने का ये बेहतरीन अवसर है।

साथियों,

वैसे, ये भी एक संयोग ही है कुछ दिन पूर्व ही मुझे नेपाल के जनकपुर में मां जानकी का आशीर्वाद लेने का अवसर मिला था। और अब में यहां इंडोनेशिया में हूँ, जहां पर रामकथा को एक नयी भूमि और नये परिवेश मिले। ये अपने आप में इंडोनेशिया की विशेषता है कि यहां रामायण का मंचन करने वाले कलाकार मुस्लिम हैं। आज कुछ समय पहले राष्ट्रपति विडोडो और मैंने पतंगों की एक प्रदर्शनी देखी। यह देख कर बहुत ख़ुशी हुई की रामायण और महाभारत जैसी कथाओं और परम्पराओं को इंडोनेशिया के सामान्य जनजीवन में आज भी विशेष स्थान प्राप्त है।आस्था और संस्कृति किस प्रकार साथ-साथ पल्लवित और पोषित होते है, उसकी ये बहुत बड़ी मिसाल है।

साथियों,

पिछली सदी में जब हम दोनों देश आज़ाद हुए तब से ही हम वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर एक दूसरे के साथ सहयोग कर रहे हैं। बीते चार वर्षों से हमारे संबंधों में और प्रगाढ़ता आई है। आज भारत और इंडोनेशिया के बीच संबंध नई ऊंचाई पर हैं। राजनयिक हो, स्ट्रैटेजिक या फिर आर्थिक सहयोग, भारत और इंडोनेशिया साथ मिलकर चुनौतियों का मुकाबला कर रहे हैं, अवसरों का उपयोग कर रहे हैं। आज भारत और इंडोनेशिया ने अपनी स्ट्रैटेजिक साझेदारी को एक अलग स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया है। राष्ट्रपति विडोडो और मैंने आज इसे एक कदम और आगे बढ़ाकर ‘काम्प्रिहेन्सिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ का दर्जा दिया है। हमारी सेनाओं के बीच सम्मिलित अभ्यास हो रहे हैं। सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी हमारे बीच तालमेल बढ़ रहा है। आज इंडोनेशिया ASEAN देशों में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। आज हमारा व्यापार 18 अरब डॉलर से अधिक तक पहुंच चुका है।

साथियों,

भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत संबंधों का एक और आधार है हमारे लोग । यानि आप सब। हमारे यहां एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी है जो 35 वर्ष से कम उम्र की है। इनकी ऊर्जा को सही दिशा और प्रोत्साहन देने का प्रयास बीते चार वर्षों से भारत में हमारी सरकार ने किया है। इसीलिए, मेरी सरकार के काम करने की स्पीड तेज़ है और scale बहुत व्यापक है। देश के लोगों की आशाओं-अपेक्षाओं के अनुरूप हमने Good Governance पर बल दिया है, Minimum Government, Maximum Governance पर बल दिया है। हम Citizen-First के मंत्र को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। सरकार बहुत ग्राउंड लेवल पर जाकर बड़े प्रशासनिक, वित्तीय और कानूनी कदम उठा रही है।हमारी सरकार के लिए Corruption Free, Citizen-Centric और Development Friendly Ecosystem सबसे बड़ी प्राथमिकता है। पासपोर्ट के लिए अब भारत में महीनों या हफ्तों का इंतजार नहीं करना पड़ता, दो से तीन दिन में पासपोर्ट लोगों के घर पहुंच जाता है। इंडोनेशिया समेत 163 देशों के लोगों को e-Visa की सुविधा दी गई है। e-Visa पर भारत आने वाले टूरिस्टों की संख्या में करीब-करीब 150 प्रतिशत की बढोतरी हुई है।बीते वर्षों में भारत में 1400 से ज्यादा पुराने कानून खत्म किए जा चुके हैं। Goods and Service Tax - GST ने भारत को एक बेहतर Tax Compliance सिस्टम, बेहतर Revenue सिस्टम दिया है।

साथियों,

हम देश के नागरिकों के लिए Ease of Living और देश के लिए Modern Infrastuructureके Unique Combination पर काम कर रहे हैं। हम भारत में एक ऐसे सिस्टम का निर्माण कर रहे हैं जो ना सिर्फ Transparent हो बल्कि Sensitive भी हो।

  • रेलवे लाइनों को ब्रॉड गेज में बदलने की रफ्तार दोगुनी हो गई है।
  • रेल लाइनों का बिजलीकरण तीन गुनी रफ्तार से हो रहा है।
  • गांवों में सड़कें और नेशनल हाइवेज मेरी सरकार दोगुनी रफ्तार से बना रही है।
  • पहले जिस स्पीड से पावर ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जा रही थी, आज यही काम उससे दोगुनी रफ्तार से हो रहा है।
  • पहले सिर्फ 59 गांव पंचायतों के मुकाबले हमने 1 लाख 10 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ दिया है।
  • पहले सिर्फ 28 सरकारी योजनाओं के मुकाबले अब 400 से ज्यादा योजनाओं का पैसा लोगों को सीधे बैंक खाते में मिल रहा है।
  • यहां तक की जो LED बल्ब पहले साढ़े तीन सौ रुपए में मिला करता था, वो भी अब 40-50 रुपए में मिलने लगा है।
  • पहले जहां भारत में सिर्फ 2 मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां थीं, वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 120 हो गई है। भारत में बन रहे मोबाइल ने Import करने का खर्च भी घटाकर आधा कर दिया है।

भारत में आज बड़ी संख्या में नए इंजीनियरिंग कॉलेज खुल रहे हैं, मैनेजमेंट कॉलेज, मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। सिर्फ पिछले ढाई साल में भारत में 9 हजार से ज्यादा स्टार्ट अप रजिस्टर किए गए हैं। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा Start-up ecosystem भारत में बना है।आज दुनिया भर में भारत के पासपोर्ट की ताकत बढ़ी है। दुनिया की शक्तिशाली व्यवस्थाओं का भारत हिस्सा बना है। भारत Solar Energy को मानव कल्याण के हित में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने के लिए International Solar Alliance की अगुवाई करने वाले देशों में से एक है। हमारी सरकार भारत को 21वीं सदी की आवश्यकताओं- आशाओं-अपेक्षाओं के अनुरूप तैयार करने का काम कर रही है। आज भारत न्यू इंडिया के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। हमें न्यू इंडिया बनाना है 2022 तक, जब स्वतंत्र भारत 75 वर्ष का होगा।

साथियों,

यहां इंडोनेशिया में सुख-दुख में एक दूसरे का साथ देने की परंपरा और वसुधैव कुंटुबकम के मंत्र पर आप अडिग हैं। मुझे बताया गया है कि हाल में बाली में जो ज्वालामुखी का हादसा हुआ, उसमें फंसे हज़ारों भारतीय पर्यटकों को बाली और सूराबाया के लोगों ने न सिर्फ बचाया बल्कि उन्हें स्वदेश भेजने का प्रबंध भी किया। इस मानवीय व्यव्हार के लिए मैं आपकी दिल से प्रशंसा करता हूँ। और आपको धन्यवाद भी देता हूँ।मानवीय मूल्यों का यही संरक्षण भारत की विरासत का अभिन्न अंग रहा है। हम इसे भारत में भी उतने ही गौरव के साथ जी रहे हैं। चाहे नेपाल में भूकंप हो या श्रीलंका में बाढ़ की आपदा, भारत की पहचान संकट के समय सबसे पहले उपस्थित रहने वाला देश के तौर पर बन रही है। संकट में फंसे 90,000 भारतीयों को एनडीए सरकार के दौरान सुरक्षित वापस लाया गया है।

साथियों,

India और Indonesia सिर्फ नाम से ही मिलते जुलते नहीं हैं। यह तालमेल सिर्फ तुक यानि Rhyme का ही नहीं, ताल यानि Rhythm का भी है। यह तालमेल हमारी संस्कृति का है, हमारी परंपराओं का है। हमारी आस्था का है, व्यवस्था का है। लोक संपर्क का है, लोकतंत्र का है।

भाइयों और बहनों,

भारत और इंडोनेशिया सांस्कृतिक बंधन से बंधे हुए हैं। हमारे बहुत पुराने संबंध हैं। लेकिन आज हम सभी के सामने ये भी सवाल है कि क्या ये पुरातत्व का ही विषय रहेगा? हमारी आने वाली पीढ़ियां, भविष्य में हमारा People to People Contacts और कैसे बढ़े, कैसे मजबूत हो, जीवंत रहे, इस पर भी हमें मिलकर काम करना होगा।आप में अनेक ऐसे होंगे जो कभी भारत नहीं गए। ऐसे भी कई लोग होंगे जिनका काफी सालों से स्वदेश जाना नहीं हुआ होगा। मेरा आपसे आग्रह है कि, एक बार अपने दोस्तों के साथ भारत ज़रूर आएं। भारत में किस प्रकार बदलाव आ रहा है ये आप अनुभव कर पाएंगे। मैं आपको बताना चाहता हूँ कि इंडोनेशिया के नागरिकों को 30 दिन के लिए भारत यात्रा के निशुल्क वीसा की व्यवस्था की जा रही है।अगले कुछ महीनों में एक बड़ा अवसर आपका इंतज़ार कर रहा है। अगले वर्ष जनवरी में उत्तर प्रदेश के प्रयाग में कुंभ का आयोजन होने वाला है। आस्था का ये मेला आपके लिए एक नया अनुभव होगा। यहां आपको अपने भारत की समृद्ध आध्यात्मिकता का दर्शन तो होगा ही, New India की झांकी भी मिलेगी। आपको मैं New India में बन रहे नए अवसरों से जुड़ने का आमंत्रण देता हूं। आप आइए और बदले माहौल का लाभ भी उठाइए। तथा उसे और बदलने में अपना योगदान भी कीजिये।

आपने मुझे यहां इतना मान दिया, सम्मान दिया, इसके लिए फिर एक बार आपका और इंडोनेशिया की सरकार को यहां के प्रशासन को मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं।

तेरीमा कासिह कालियान तलह बर-अदा दी सिनी (यहां आने के लिए आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद)
सलामत रमादान !

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Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM Modi
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।