QuoteUjjwala Yojana aims to provide cooking gas connections to five crore below-poverty-line beneficiaries: PM Modi
QuoteThe aim of all workers across the world should be to unite the world: PM Modi
QuoteUnion Government’s primary focus is the welfare of the poor: PM
QuoteFruits of development must reach eastern part of India, for us to gain strength in the fight against poverty: PM
QuotePradhan Mantri Ujjwala Yojana will benefit the poor, especially the women: PM Modi
QuoteSchemes must be made for the welfare of the poor not keeping in mind considerations of the ballot box: PM

विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

भृगु बाबा की धरती पर रउवा, सभन के प्रणाम। ‘ई धरती त साक्षात भृगु जी की भूमि रहल’ ब्रह्मा जी भी यही जमीन पर उतर रहल। रामजी यहीं से विश्वामित्र मुनी के साथे गइल। त सुन्दर धरती पर सभी के हाथ जोड़ के फिर से प्रणाम।

भाइयों – बहनों मैं पहले भी बलिया आया हूं। ये बलिया की धरती क्रांतिकारी धरती है। देश को आजादी दिलाने के लिए इसी धरती के मंगल पाण्डे और वहां से लेकर के चितु पाण्डे तक एक ऐसा सिलसिला हर पीढ़ी में, हर समय देश के लिए जीने-मरने वाले लोग इस बलिया की धरती ने दिये। ऐसी धरती को मैं नमन करता हूं। यही धरती है जहां भारत के प्रधानमंत्री श्रीमान चन्द्र शेखर जी का भी नाम जुड़ा हुआ है। यही धरती है, जिसका सीधा नाता बाबू जयप्रकाश नारायण के साथ जुड़ता है। और यही तो धरती है। उत्तर प्रदेश राम मनोहर लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय के बिना अधूरा लगता है। ऐसे एक से बढ़कर एक दिग्गज, जिस धरती ने दिये उस धरती को मैं नमन करता हूं। आपके प्यार के लिए सत्, सत् नमन।

आप मुझे जितना प्यार देते हैं, मुझ पर आपका कर्ज चड़ता ही जाता है, चढ़ता ही जाता है, लेकिन मेरे प्यारे भाइयों -बहनों मैं इस कर्ज को इस प्यार वाले कर्ज को ब्याज समेत चुकाने का संकल्प लेकर के काम कर रहा हूं और ब्याज समेत मैं चुकाऊंगा, विकास करके चुकाऊंगा मेरे भाइयों बहनों, विकास कर के चुकाऊंगा।

आज पहली May है, एक मई, पूरा विश्व आज श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। और आज देश का ये ‘मजदूर नम्बर एक’ देश के सभी श्रमिकों को उनके पुरुषार्थ को, उनके परिश्रम को, राष्ट्र को आगे बढ़ाने में उनके अविरथ योगदान को कोटि-कोटि अभिनन्दन करता है। उस महान परम्परा को प्रणाम करता है।

भाइयों–बहनों दुनिया में एक नारा चलता था। जिस नारे में राजनीति की बू स्वाभाविक थी। और वो नारा चल रहा था। दुनिया के मजदूर एक था, दुनिया के मजदूर एक हो जाओ, और वर्ग संघर्ष के लिए मजदूरों को एक करने के आह्वान हुआ करते थे। भाइयों–बहनों जो लोग इस विचार को लेकर के चले थे, आज दुनिया के राजनीतिक नक्शे पर धीरे-धीरे करके वो अपनी जगह खोते चले जा रहे हैं। 21वीं सदी में दुनिया के मजदूर एक हो जाओ इतनी बात से चलने वाला नहीं है। 21वीं सदी की आवश्यकताएं अलग हैं, 21वीं सदी की स्थितियां अलग है और इसलिये 21वीं सदी का मंत्र एक ही हो सकता है ‘विश्व के मजदूरों विश्व के श्रमिकों आओ हम दुनिया को एक करें दुनिया को जोड़ दें’ ये नारा 21वीं सदी का होना चाहिए।

वो एक वक्त था ‘Labourers of the World, Unite’, आज वक्त है ‘Labourers, Unite the World’ ये बदलाव इस मंत्र के साथ। आज दुनिया को जोड़ने की जरूरत है। और दुनिया को जोड़ने के लिए अगर सबसे बड़ा कोई chemical है, सबसे बड़ा ऊर्जावान कोई cementing force है, तो वो मजदूर का पसीना है। उस पसीने में एक ऐसी ताकत है, जो दुनिया को जोड़ सकता है।

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भाइयों–बहनों जब आप लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को भारी बहुमत से विजयी बनाया। तीस साल के बाद दिल्ली में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। और NDA के सभी घटकों ने मुझे अपने नेता के रूप में चुना, तो उस दिन Parliament के Central Hall में मेरे प्रथम भाषण में मैंने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है। ये सरकार जो भी करेगी वो गरीबों की भलाई के लिये करेगी, गरीबों के कल्याण के लिये करेगी। भाइयों-बहनों हमने मजदूरों के लिए भी श्रम कानूनों में, श्रमिकों की सरकार के साथ संबंधों में, एक आमूलचूल परिवर्तन लाया है। अनेक बदलाव लाए हैं। मेरे प्यारे भाइयों-बहनों आपको जानकर के दुःख होगा, पीड़ा होगी, आश्चर्य भी होगा कि हमारे देश में सरकार से जिनको पैंशन मिलता था, इस देश में तीस लाख से ज्यादा श्रमिक ऐसे थे, जिसको पैंशन किसी को 15 रुपया महीने का, किसी को 100 रुपया, किसी को 50 रुपया इतना पैंशन मिलता था। आप मुझे बताइए कि पैंशन लेने के लिए वो गरीब वृद्ध व्यक्ति दफ्तर जाएगा, तो उसका बस का किराय का खर्चा हो जाएगा, ऑटो रिक्शा का खर्चा हो जाएगा। लेकिन सालों से मेरे देश के बनाने वाले श्रमिकों को 15 रुपया, 20 रुपया, 50 रुपया, 100 रुपया पैंशन मिलता था। हमने आकर के इन तीस लाख से ज्यादा मेरे श्रमिकों परिवारों को minimum 1000 रुपया पैंशन देने का निर्णय कर लिया, लागू कर दिया और उस गरीब परिवार को वो पैंशन मिलने लग गया।

भाइयों-बहनों हमारे यहां कभी कभार गरीबों के लिये योजनाओं की चर्चाएं बहुत होती हैं और उनकी भलाई के लिए काम करने की बातें भी बहुत होती हैं। हमने आने के बाद एक श्रम सुविधा पोर्टल चालू किया, जिसके तहत आठ महत्वपूर्ण श्रम कानूनों को एकत्र कर के उसका सरलीकरण करने का काम कर लिया। पहली बार देश के श्रमिकों को एक Labour Identity Number (LIN) ये नम्बर दिया गया, ताकि हमारे श्रमिक की पहचान बन जाए। इतना ही नहीं हमारे देश के श्रमिकों को पूरे देश में Opportunity प्राप्त हो। इसलिए NCSP इसकी हमने एक National Career Service Portal, इसकी शुरुआत की। ताकि जिसको रोजगार देना है और जिसको रोजगार लेना है दोनों के बीच एक सरलता से तालमेल हो सके।

भाइयों-बहनों बोनस का कानून हमारे देश में सालों से है। बोनस का कानून यह था कि 10 हजार रुपये से अगर कम आवक है और कंपनी बोनस देना चाहती है तो उसी को मिलेगा। आज के जमाने में 10 हजार रुपये की आय कुछ नहीं होती है। और उसके कारण अधिकतम श्रमिकों को बोनस नहीं मिलता था। हमने आकर के निर्णय किया कि minimum income 10 हजार से बढ़ाकर के 21 हजार रुपया कर दी जाए। इतना ही नहीं पहले बोनस सिर्फ साढ़े तीन हजार रुपया मिलता था। हमने निर्णय किया कि ये बोनस minimum सात हजार रुपया मिलेगा और उससे भी ज्यादा उसका पाने का हक़ बनता है तो वो भी उसको मिलेगा।

भाइयों-बहनों कभी हमारा श्रमिक एक जगह से दूसरी जगह पर नौकरी चला जाता था, तो उसके जो पीएफ वगैरह के पैसे कटते थे उसका कोई हिसाब ही नहीं रहता था। वो गरीब मजदूर बेचारा पुरानी जगह पर लेने के लिए वापस नहीं जाता था। सरकार के खजाने में करीब 27 हजार करोड़ रुपया इन मेरे गरीबों के पड़े हुए थे। कोई सरकार उसकी सूंघ लेने को तैयार नहीं था। हमने आकर के सभी मजदूरों को ऐसे कानून में बांध दिया कि मजदूर जहां जाएगा उसके साथ उसके ये Provident Fund के पैसे भी साथ-साथ चले जाएंगे। और उसको जब जरूरत पड़ेगी वो पैसे ले सकता है। आज वो 27 हजार करोड़ रुपयों का मालिक बन सकेगा। ऐसी व्यवस्था हमने की है।

भाइयों-बहनों हमारे यहां Construction के काम में बहुत बड़ी मात्रा में मजदूर होते हैं। करीब चार करोड़ से ज्यादा मजदूर Construction के काम में हैं, इमारत बनाते हैं, मकान बनाते हैं, लेकिन उनके देखभाल की व्यवस्था नहीं थी। श्रमिक कानूनों में परिवर्तन करके आज हमने इन Construction के श्रमिकों के लिए उनके आरोग्य के लिए, उनके insurance के लिए, उनके bank account के लिए, इनके पैंशन के लिए एक व्यापक योजना बना कर के हमारे Construction के मजदूरों को भी हमनें उसका फायदा दिया है।

भाइयों–बहनों हमारा उत्तर प्रदेश जिसने अनेक-अनेक प्रधानमंत्री दिये, लेकिन क्या कारण कि हमारी गरीबी बढ़ती ही गई बढ़ती ही गई। गरीबों की संख्या भी बढ़ती गई। हमारी नीतियों में ऐसी क्या कमी थी कि हम गरीबों को गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिये तैयार नहीं कर पाए। ऐसा क्या कारण था कि हमने गरीबों को सिर्फ गरीबी के बीच जीना नहीं, लेकिन हमेशा सरकारों के पास हाथ फैलाने के लिए मजबूर कर के छोड़ दिया, उसके जमीर को हमने खत्म कर दिया। गरीबी के खिलाफ लड़ने का उसका हौसला हमने तबाह कर दिया। भाइयों–बहनों अभी धर्मेन्द्र जी बता रहे थे के गाजीपुर के सांसद नेहरू के जमाने में पूरे हिन्दुस्तान को हिला दिया था। जब उन्होंने संसद में कहा कि मेरे पूर्वी उत्तर प्रदेश के भाई-बहन ऐसी गरीबी में जी रहे हैं के उनके पास खाने के लिए अन्न नहीं होता है। पशु के गोबर को धोते हैं और उस गोबर में से जो दाने निकलते हैं उन दानों से पेट भर के वे अपना गुजारा करते हैं। जब ये बात संसद में कही गई थी, पूरा हिन्दुस्तान हिल गया था और तब एक पटेल कमीशन बैठा था। यहां की स्थिति सुधारने के लिए। कई बातों का सुझाव आज से पचास साल पहले दिया गया था। लेकिन उन सुझाव पर क्या हुआ, वो तो भगवान जाने। लेकिन भाइयों–बहनों उसमें एक सुझाव था। उसमें एक सुझाव था ताड़ी घाट, गाजीपुर, और मऊ इसे रेल से जोड़ा जाए। पचास साल बीत गए, वो बात कागज पर ही रही। मैं भाई मनोज सिन्हा को हृदय से अभिनन्दन करता हूं, यहां के मेरे भारतीय जनता पार्टी के सभी सांसदों का अभिनन्दन करता हूं कि वे पचास साल पहले जिन बातों को भुला दिया गया था उसको लेकर के निकल पड़े, मुझ पर दबाव डालते रहे। बार-बार मिलते रहे, और आज मैं संतोष से कह सकता हूं उस रेल लाइन के लिए बजट आवंटन करने का निर्णय हमने कर लिया और उस काम को हम आगे बढ़ाएंगे। गंगा के ऊपर रेल और रोड का दोनों bridge बनेंगे। ताकि infrastructure होता है, जो विकास के लिए एक नया रास्ता भी खोलता है और उस दिशा में हम का कर रहे हैं।

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भाइयों-बहनों आज मैं बलिया की धरती पर से मेरे देश के उन एक करोड़ परिवारों को सर झुका कर के नमन करना चाहता हूं, उनका अभिनन्दन करना चाहता हूं। करीब एक करोड़ दस लाख से भी ज्यादा ऐसे परिवार हैं, जिनको मैंने कहा था कि अगर आप खर्च कर सकते हो तो रसोई गैस की सब्सिडी क्यों लेते हो। क्या आप पांच-दस हजार रुपया का बोझ नहीं उठा सकते साल का। क्या आप सब्सिडी Voluntarily छोड़ नहीं सकते। मैंने ऐसे ही एक कार्यक्रम में बोल दिया था। मैंने ज्यादा सोचा भी नहीं था, न योजना बनाई थी, न follow-up करने की व्यवस्था की थी, यूहीं दिल से एक आवाज उठी और मैंने बोल दिया। आज एक साल के भीतर-भीतर मेरे देश के लोग कितने महान हैं। अगर कोई अच्छा काम हो तो सरकार से भी दो कदम आगे जाकर के चलने के लिए तैयार रहते हैं। इसका ये उदहारण है । आज के युग में, हम बस में जाते हों, बगल वाली सीट खाली हो और हमें लगे की चलो बगल में कोई पैसेंजर नहीं है तो जरा ठीक से बैठूंगा। आराम से प्रवास करूंगा। लेकिन अगर कोई पैसेंजर आ गया, बगल में बैठ गया, हम तो हमारी सीट पर बैठे हैं, तो भी थोड़ा मुंह बिगड़ जाता है। मन में होता है ये कहां से आ गया। जैसे मेरी सीट ले ली हो। ऐसा जमाना है। ऐसे समय एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवार सिर्फ बातों–बातों में कहने पर प्रधानमंत्री की बात को गले लगा कर के सर आंखों पर चढ़ा के एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवार अपनी सब्सिडी छोड़ दें। इससे बड़ा क्या होगा। मैं आप सब से कहता हूं उन एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवारों के लिये जोर से तारियां बजाइए। उनका सम्मान कीजिए। उनका गौरव कीजिए। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं मेरे भाइयों – बहनों। ये देश के लिए किया हुआ काम है। ये गरीबों के लिये किया हुआ काम है। इन लोगों का जितना गौरव करें उतना कम है। और हमारे देश में लेने वाले से ज्यादा देने वाले की इज्जत होती है। ये देने वाले लोग हैं। जहां भी बैठे होंगे ये तालियों की गूंज उन तक सुनाई देती होगी और वो गौरव महसूस करते होंगे।

भाइयों – बहनों हमने कहा था गरीबों के लिए जो सब्सिडी छोड़ेगा वो पैसे सरकार की तिजोरी में नहीं जाएगी। वो पैसे गरीबों के घर में जाएंगे। एक साल में ये इतिहासिक रिकॉर्ड है भाइयों 1955 से, रसोई गैस देने का काम चल रहा है। इतने सालों में 13 करोड़ परिवारों को रसोई गैस मिला। सिर्फ 13 करोड़ परिवारों को करीब साठ साल में, मेरे भाइयों–बहनों हमने एक साल में तीन करोड़ से ज्यादा परिवारों को रसोई का गैस दे दिया। जिन लोगों ने सब्सिडी छोड़ी थी वो गैस सिलंडर गरीब के घर में पहुंच गया।

भाइयों-बहनों हम जानते हैं कि लोग कहते हैं कि मोदी जी बलिया में कार्यक्रम क्यों किया। हमारा देश का एक दुर्भाग्य है, कुछ लोग राजनीति में नहीं हैं, लेकिन उनको 24ओं घंटे राजनीति के सिवा कुछ दिखता ही नहीं है। किसी ने लिख दिया कि बलिया में मोदी जो आज कार्यक्रम कर रहे हैं वो चुनाव का बिगुल बजा रहे हैं। वे चुनाव का बिगुल बजा रहे हैं। अरे मेरे मेहरबानों हम कोई चुनाव का बिगुल बजाने नहीं आए हैं। ये बिगुल तो मतदाता बजाते हैं। हम बिगुल बजाने नहीं आए हैं।

भाइयों –बहनों अभी मैं पिछले हफ्ते झारखंड में एक योजना लागू करने के लिए गया था, झारखंड में कोई चुनाव नहीं है। मैं कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश में एक योजना लागू करने गया था, वहां पर कोई चुनाव नहीं है। मैंने ‘बेटी बचाओ’ अभियान हरियाणा से चालू किया था, वहां कोई चुनाव नहीं है। ये बलिया में ये रसोई गैस का कार्यक्रम इसलिए तय किया कि उत्तर प्रदेश में जो एवरेज हर जिले में जो रसोई गैस है, बलिया में कम से कम है, इसलिये मैं बलिया आया हूं। ये ऐसा इलाका है, जहां अभी भी गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले 100 में से मुश्किल से आठ परिवारों के घर में रसोई गैस जाता है। और इसलिये भाइयों –बहनों बलिया जहां कम से कम परिवारों में रसोई गैस जाता है, इसलिए मैंने आज बलिया में आकर के देश के सामने इतनी बड़ी योजना लागू करने का निर्णय किया। मैंने हरियाणा में बेटी बचाओ इसलिये कार्यक्रम लिया था, क्योंकि हरियाणा में बालकों की संख्या की तुलना में बेटियों की संख्या बहुत कम थी। बड़ी चिंताजनक स्थिति थी। और इसलिए मैंने वहां जाकर के खड़ा हो गया और उस काम के लिए प्रेरित किया और आज हरियाणा ने बेटी बाचाने के काम में हिन्दुस्तान में नम्बर एक लाकर के खड़ा कर दिया। और इसलिए भाइयों–बहनों मैं इस पूर्वी उत्तर प्रदेश में बलिया में इसलिये आया हूं, क्योंकि हमें गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है। अगर पूर्वी हिन्दुस्तान पश्चिमी हिन्दुस्तान की बराबरी भी कर ले तो इस देश में गरीबी का नामोनिशान नहीं रहेगा, मेरा मानना है। मेरा पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेरा बिहार, मेरा पश्चिम बंगाल, मेरा असम, मेरा नॉर्थ ईस्ट, मेरा ओड़िशा, ये ऐसे प्रदेश हैं कि अगर वहां विकास गरीबों के लिए पहुंच जाए, तो गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में हम सफल हो जाएंगे भाइयों।

आप मुझे बताइए एक जमाना था, बहुत लोगों को ये रसोई गैस की ताकत क्या है अभी भी समझ नहीं आती। बहुत लोगों को ये रसोई गैस की राजनीति क्या थी ये भी भूल चुके हैं, बहुत लोग ये रसोई गैस कितना मूल्यवान माना जाता था वो भूल गए हैं। मैं आज जरा याद दिलाना चाहता हूं। मैं political पंडितों को याद दिलाना चाहता हूं। दिल्ली में बैठकर के air-conditioned कमरे में बढ़िया-बढ़िया सलाह देने वालों को मैं आज झकझोड़ना चाहता हूं। उनको मैं हिलाना चाहता हूं, मैं उनको समझाना चाहता हूं। वो दिन याद करो, वो दिन याद करो, जब सांसद Parliament का Member बनता था, तो उसको हर साल रसोई गैस की 25 कूपन दी जाती थी और वो अपने इलाके में 25 परिवारों को साल में रसोई गैस दिलवाता था। और वो इतना गर्व करता था कि मैंने मेरे इलाके में 25 परिवारों को एक साल में रसोई गैस का connection दिलवा दिया। ये बहुत दूर की बात नहीं कर रहा हूं। मैं अभी-अभी पिछले सालों की बात करता हूं। और अखबारों में खबरें आती थीं कि सांसद महोदय ने कालेबाजारी में रसोई गैस का टिकट बेच दिया। ऐसे भी लोग थे कि रसोई गैस का connection लेने के लिए दस-दस, 15-15 हजार रुपया वो टिकट खरीदने के लिए black में खर्च करते थे। वो दिन थे और आज ये सरकार देखिए। एक-एक सांसद के क्षेत्र में हिन्दुस्तान के एक-एक Parliament Member के क्षेत्र में किसी के यहां साल में दस हजार गैल सिलंडर पहुंच जाएंगे, किसी के यहां बीस हजार, किसी के यहां पचास हजार और तीन साल के भीतर –भीतर पांच करोड़ गरीब परिवारों में ये रसोई गैस पहुंचाने का मेरा इरादा है। पांच करोड़ परिवारों में, भाइयों–बहनों ये पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस पहुंचाना ये छोटा काम नहीं है। इतना बड़ा काम, इतना बड़ा काम आज मैं गरीब माताओं बहनों के लिए लेकर आया हूं। आपने देखा होगा, मैं इन माताओं को पूछ रहा था कि आपने कभी सोचा था कि आपके घर में कभी रसोई गैस आएगा, उन्होंने कहा नहीं हमने तो सोचा नहीं था कि हमारे बच्चों के नसीब में भी रसोई गैस आएगा, ये हमने सोचा नहीं था। मैंने पूछा रसोई में कितना टाइम जाता है वो कहते लकड़ी लेने जाना पड़ता है, लकड़ी जलाते हैं , बुझ जाती है, कभी आधी रोटी रह जाती है फिर लकड़ी लेने जाते हैं, बड़ी अपनी मुसीबत बता रही थी। भाइयों –बहनों ये रसोई गैस के कारण पांच करोड़ परिवार 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी। 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी तब गांव और गरीब के लिए पांच करोड़ गैस रसोई गैस पहुंच चुके होंगे भाइयों, समय सीमा में काम करने का हमने फैसला किया है।

एक गरीब मां जब लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है, तो वैज्ञानिकों का कहना है कि गरीब मां लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है, तो एक दिवस में उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुआं चला जाता है, 400 सिगरेट का। बच्चे घर में होते हैं। और इसलिए उनको भी धुएं में ही गुजारा करना पड़ता है। खाना भी खाते हैं, तो धुआं ही धुआं होता है। आंख से पानी निकलता है और वो खाना खाता है। मैंने तो ये सारे हाल, बचपन में मैं जी चुका हूं। मैं जिस घर में पैदा हुआ, बहुत ही छोटा एक गलियारी जैसा मेरा घर था। कोई खिड़की नहीं थी। आने जाने का सिर्फ एक दरवाजा था। और मां लकड़ी का चूल्हा जला कर के खाना पकाती थी। कभी-कभी तो धुआं इतना होता था कि मां खाना परोस रही हो लेकिन हम मां को देख नहीं पाते थे। ऐसे बचपन में धुएं में खाना खाते थे। और इसलिए मैं उन माताओं की पीड़ा को, उन बच्चों की पीड़ा को, भलीभांति अनुभव कर के आया हूं उस पीड़ा को जी कर के आया हूं और इसलिये मुझे मेरी इन गरीब माताओं को इस कष्टदायक जिन्दगी से मुक्ति दिलानी है। और इसलिए पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस देने का हमने उपक्रम किया है।

भाइयों – बहनों आज लकड़ी के कारण जो खर्चा होता है । इस रसोई गैस से खर्चा भी कम होने वाला है। आज उसकी तबियत की बर्बादी होती है। उसकी तबियत भी ठीक रहेगी। लकड़ी लाना चूल्हा जलाना में time जाता है। उस गरीब मां का time भी बच जाएगा। उसको अगर मजदूरी करनी है सब्जी बेचनी है, तो वो आराम से कर सकती है।

भाइयों –बहनों हमारी कोशिश ये है और इतना ही नहीं ये जो गैस की सब्सिडी दी जाएगी वो भी उन महिलाओं के नाम दी जाएगी, उनका जो प्रधानमंत्री जनधन अकाउंट है, उसी में सब्सिडी जमा होगी ताकि वो पैसे किसी ओर के हाथ न लग जाए, उस मां के हाथ में ही पैसे लग जाए ये भी व्यवस्था की। ये environment के लिये भी हमारा एक बहुत बड़ा initiative है। और इसलिए मेरे भाइयों- बहनों हजारों करोड़ रुपया का खर्चा सरकार को लगने वाला है। कहां MP की 25 रसोई गैस की टिकट और कहां पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस पहुंचाने का अभियान, ये फर्क होता है सरकार-सरकार में। काम करने वाली सरकार, गरीबों की भला करने वाली सरकार, गरीबों के लिए सामने जाकर के काम करने वाली सरकार कैसे काम करती है इसका ये उत्तम उदहारण आज ये पांच करोड़ परिवारों को रसोई गैस देने का कार्यक्रम है।

भाइयों–बहनों आज, पिछली किसी भी सरकार ने उत्तर प्रदेश के विकास के लिए जितना काम नहीं किया होगा, इतनी धनराशि आज भारत सरकार उत्तर प्रदेश में लगा रही है। क्योंकि हम चाहते हैं कि देश को आगे बढ़ाने के लिए हमारे जो गरीब राज्य हैं वो तेजी से तरक्की करें। और इसलिये हम काम में लगे हैं। गंगा सफाई का अभियान जनता की भागीदारी से सफल होगा। और इसलिये जन भागीदारी के साथ जन-जन संकल्प करें। ये मेरा बलिया तो मां गंगे और सरयू के तट पर है। दोनों की कृपा आप पर बरसी हुई है और हम सब अभी जहां बैठे हैं वो जगह भी एक बार मां गंगा की गोद ही तो है। और इसलिये जब मां गंगा की गोद में बैठ कर के मां गंगा की सफाई का संकल्प हर नागरिक को करना होगा। हम तय करें मैं कभी भी गंगा को गंदी नहीं करूंगा। मेरे से कभी गंगा में कोई गंदगी नहीं जाएगी। एक बार हम तय कर लें कि मैं गंगा को गंदी नहीं करूंगा। ये मेरी मां है। उस मां को गंदा करने का पाप मैं नहीं कर सकता। ये अगर हमने कर लिया, तो दुनिया की कोई ताकत ये मां गंगा को गंदा नहीं कर सकता है।

और इसलिए मेरे भाइयों–बहनों हम गरीब व्यक्ति की जिंदगी बदलना चाहते हैं। उसके जीवन में बदलाव लाने के लिये काम कर रहे हैं। और आज पहली मई जब मजदूरों का दिवस है। गरीबी में जीने वाला व्यक्ति मजदूरी से जूझता रहता है। भाइयों–बहनों गरीबी हटाने के लिए नारे तो बहुत दिये गए, वादे बहुत बताए गए, योजनाएं ढेर सारी आईं लेकिन हर योजना गरीब के घर को ध्यान में रख कर के नहीं बनी, हर योजना मत पेटी को ध्यान में रख कर के बनी। जब तक मत पेटियों को ध्यान में रख कर के गरीबों के लिए योजनाएं बनेगी, कभी भी गरीबी जाने वाली नहीं है। गरीबी तब जाएगी, जब गरीब को गरीबी से लड़ने की ताकत मिलेगी। गरीबी तब जाएगी, जब गरीब फैसला कर लेगा कि अब मेरे हाथ में साधन है मैं गरीबी को प्रास्त कर के रहूंगा। अब मैं गरीब नहीं रहूंगा, अब मैं गरीबी से बाहर आऊंगा। और इसके लिए उसको शिक्षा मिले, रोजगार मिले, रहने को घर मिले, घर में शौचालय हो, पीने का पानी हो, बिजली हो, ये अगर हम करेंगे, तभी गरीबी से लड़ाई लड़ने के लिए मेरा गरीब ताकतवर हो जाएगा। और इसीलिये मेरे भाइयों-बहनों हम गरीबी के खिलाफ लड़ाइ लड़ने के लिए काम कर रहे हैं।

आजादी के इतने साल हो गये। आजादी के इतने सालों के बाद इस देश में 18 हजार गांव ऐसे जहां बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है, बिजली का तार नहीं पहुंचा है। 18वीं शताब्दि में जैसी जिन्दगी वो गुजारते थे। 21वीं सदी में भी 18 हजार गांव ऐसी ही जिन्दगी जीने के लिए मजबूर हैं। मुझे बताओ मेरे प्यारे भाइयों–बहनों क्या किया किया इन गरीबी के नाम पर राजनीति करने वालों ने । उन 18 हजार गांव को बिजली क्यों नहीं पहुंचाई। मैंने बीड़ा उठाया है। लालकिले से 15 अगस्त को मैंने घोषणा की मैं एक हजार दिन में 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचा दूंगा। रोज का हिसाब देता हूं, देशवासियों को और आज हमारे उत्तर प्रदेश में आर हैरान होंगे इतने प्रधानमंत्री हो गये उत्तर प्रदेश में । आज उत्तर प्रदेश मेरा कार्य क्षेत्र है। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे स्वीकार किया है। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे आशिर्वाद दिये हैं। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे अपना बनाया है। और इसलिये उत्तर प्रदेश में इतने प्रधानमंत्री आए भाइयों–बहनों बैठा 1529 गांव ऐसे थे, जहां बिजली का खंभा नहीं पहुंचा था। अभी तो ढाई सौ दिन हुए हैं। मेरी योजना को ढाई सौ दिन हुए हैं। भाइयों–बहनों मैंने अब तक मैंने 1326 गांवों में, 1529 में से 1326 गांवों खंभा पहुंच गया, तार पहुंच गया, तार लग गया, बिजली चालू हो गई और लोगों ने बिजली का स्वागत भी कर दिया। और जिन गांवों में बाकी है। वहां भी तेजी से काम चल रहा है। आज औसत उत्तर प्रदेश में हम एक दिन में तीन गांवों में बिजली पहुंचाने का काम कर रहे हैं, जो काम साठ साल तक नहीं हुआ वो हम एक दिन में तीन गांवों तक पहुंचने का काम कर रहे हैं।

भाइयों–बहनों पूरे देश में आज जो ‘प्रधानमंत्री उज्जवला योजना’ इसका आरम्भ हो रहा है। मेरे सवा सौ करोड़ देशवासी देश में करीब 25 कोरड़ परिवार है, उसमे से ये पांच करोड़ परिवारों के लिए योजना है। इससे बड़ी कोई योजना नहीं हो सकती। कभी एक योजना पांच करोड़ परिवारों को छूती हो, ऐसी एक योजना नहीं हो सकती। ऐसी योजना आज लागू हो रही है, बलिया की धरती पर हो रही है। राम मनोहर लोहिया, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, उनके आशिर्वाद से हो रही है, चन्द्र शेखर जी, बाबु जयप्रकाश जी ऐसे महापुरषों के आशीर्वाद से प्रारंभ हो रही है। और बलिया की धरती...अब बलिया- ‘बलिया’ बनना चाहिए, इस संकल्प को लेकर के आगे बढ़ना है। मैं फिर एक बार हमारे सासंद महोदय भाई भरत का बड़ा आभार व्यक्त करता हूँ, इतने उमंग के साथ इस कार्यक्रम की उन्होंने अर्जना की। मैं पूरे उत्तर प्रदेश का अभिनन्दन करता हूं। मैं श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान उसकी पूरी टीम का अभिनन्दन करता हूं। ये Petroleum sector कभी गरीबों के लिये माना नहीं गया था, हमने Petroleum sector को गरीबों का बना दिया। ये बहुत बड़ा बदलाव धर्मेन्द्र जी के नेतृत्व में आया है। मैं उनको बहुत–बहुत बधाई देता हूं। मेरी पूरी टीम को बधाई देता हूं। आप सबका बहुत – बहुत अभिनन्दन करता हूं। बहुत- बहुत धन्यवाद।

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मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगुभाई पटेल, हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन यादव जी, टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए केंद्रीय मंत्री, इंदौर से तोखन साहू जी, दतिया से राम मोहन नायडू जी, सतना से मुरलीधर मोहोल जी, यहां मंच पर उपस्थित राज्य के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा जी, राजेंद्र शुक्ला जी, लोकसभा में मेरे साथी वी डी शर्मा जी, अन्य मंत्रिगण, जनप्रतिनिधिगण और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

सबसे पहले मैं मां भारती को भारत की मातृशक्ति को प्रणाम करता हूं। आज यहां इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें-बेटियां हमें आशीर्वाद देने आई हैं। मैं आप सभी बहनों के दर्शन पाकर धन्य हो गया हूं।

भाइयों और बहनों,

आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की तीन सौवीं जन्म जयंती है।140 करोड़ भारतीयों के लिए ये अवसर प्रेरणा का है, राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे भागीरथ प्रयासों में अपना योगदान देने का है। देवी अहिल्याबाई कहती थीं, कि शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है। आज का कार्यक्रम, उनकी इस सोच को आगे बढ़ाता है। आज इंदौर मेट्रो की शुरुआत हुई है। दतिया और सतना भी अब हवाई सेवा से जुड़ गए हैं। ये सभी प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश में सुविधाएं बढ़ाएंगे, विकास को गति देंगे और रोजगार के अनेक नए अवसर बनाएंगे। मैं आज इस पवित्र दिवस पर विकास के इन सारे कामों के लिए आप सबको, पूरे मध्य प्रदेश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

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साथियों,

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर, ये नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। देवी अहिल्याबाई प्रतीक हैं, कि जब इच्छाशक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है, तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों ना हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है। ढाई-तीन सौ साल पहले, जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना, कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करें, ये कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था।

साथियों,

लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभु सेवा और जन सेवा, इसे कभी अलग नहीं माना। कहते हैं, वे हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व कांटों से भरा ताज, कोई कल्पना कर सकता है, कांटों से भरा ताज पहनने जैसा वो काम, लेकिन लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी। उन्होंने गरीब से गरीब को समर्थ बनाने के लिए काम किया। देवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति पर, हमारे मंदिरों, हमारे तीर्थ स्थलों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उन्हें संरक्षित करने का बीड़ा उठाया, उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित पूरे देश में हमारे अनेकों मंदिरों का, हमारे तीर्थों का पुनर्निर्माण किया। औऱ ये मेरा सौभाग्य है कि जिस काशी में लोकमाता अहिल्याबाई ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया है। आज अगर आप काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएंगे, तो वहां आपको देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी वहाँ पर मिलेगी।

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साथियों,

माता अहिल्याबाई ने गवर्नेंस का एक ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई। रोजगार के लिए, उद्यम बढ़ाने के लिए उन्होंने अनेक योजनाओं को शुरू किया। उन्होंने कृषि और वन-उपज आधारित कुटीर उद्योग और हस्तकला को प्रोत्साहित किया। खेती को बढ़ावा देने के लिए, छोटी-छोटी नहरों की जाल बिछाई, उसे विकसित किया, उस जमाने में आप सोचिए 300 साल पहले। जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कितने ही तालाब बनवाए और आज तो हम लोग भी लगातार कह रहे हैं, catch the rain, बारिश के एक एक बूंद पानी को बचाओ। देवी अहिल्या जी ने ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमें ये काम बताया था। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्होंने कपास और मसालों की खेती को प्रोत्साहित किया। आज ढाई सौ-तीन सौ साल के बाद भी हमें बार बार किसानों को कहना पड़ता है, कि crop diversification बहुत जरूरी है। हम सिर्फ धान की खेती करके या गन्ने की खेती करके अटक नहीं सकते, देश की जरूरतों को, सारी चीजों को हमें diversify करके उत्पादित करना चाहिए। उन्होंने आदिवासी समाज के लिए, घुमन्तु टोलियों के लिए, खाली पड़ी जमीन पर खेती की योजना बनाई। ये मेरा सौभाग्य है, कि मुझे एक आदिवासी बेटी, आज जो भारत के राष्ट्रपति पद पर विराजमान है, उनके मार्गदर्शन में मेरे आदिवासी भाई-बहनों की सेवा करने का मौका मिला है। देवी अहिल्या ने विश्व प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए और बहुत कम लोगों को पता होगा, कि देवी अहिल्या जी हूनर की पारखी थी और वो जूनागढ़ से गुजरात में, जूनागढ़ से कुछ परिवारों को माहेश्वर लाईं और उनको साथ जोड़कर के, आज से ढाई सौ-तीन सौ साल पहले ये माहेश्वरी साड़ी का काम आगे बढ़ाया, जो आज भी अनेक परिवारों को वो गहना बन गया है, और जिससे हमारे बुनकरों को बहुत फायदा हुआ।

साथियों,

देवी अहिल्याबाई को कई बड़े सामाजिक सुधारों के लिए भी हमेशा याद रखा जाएगा। आज अगर बेटियों की शादी की उम्र की चर्चा करें, तो हमारे देश में कुछ लोगों को सेक्यूलरिज्म खतरे में दिखता है, उनको लगता है ये हमारे धर्म के खिलाफ है। ये देवी अहिल्या जी देखिए, मातृशक्ति के गौरव के लिए उस जमाने में बेटियों की शादी की उम्र के विषय में सोचती थीं। उनकी खुद की शादी छोटी उम्र में हुई थी, लेकिन उनको सब पता था, बेटियों के विकास के लिए कौन सा रास्ता होना चाहिए। ये देवी अहिल्या जी थीं, उन्होंने महिलाओं का भी संपत्ति में अधिकार हो, जिन स्त्रियों के पति की असमय मृत्यु हो गई हो, वो फिर विवाह कर सकें, उस कालखंड में ये बातें करना भी बहुत मुश्किल होता था। लेकिन देवी अहिल्याबाई ने इन समाज सुधारों को भरपूर समर्थन दिया। उन्होंने मालवा की सेना में महिलाओं की एक विशेष टुकड़ी भी बनाई थी। ये पश्चिम की दुनिया के लोगों को पता नहीं है। हमें कोसते रहते हैं, हमारी माताओं बहनों के अधिकारों के नाम पर हमें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमारे देश में सेना में महिलाओं का होना, साथियों महिला सुरक्षा के लिए उन्होंने गांवों में नारी सुरक्षा टोलियां, ये भी बनाने का काम किया था। यानी माता अहिल्याबाई, राष्ट्र निर्माण में हमारी नारीशक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं। मैं, समाज में इतना बड़ा परिवर्तन लाने वाली देवी अहिल्या जी को आज श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उनके चरणों में प्रणाम करता हूं और मैं उनसे प्रार्थना करता हूं, कि आप जहां भी हों, हम सभी पर अपना आशीर्वाद बरसाए।

साथियों,

देवी अहिल्या का एक प्रेरक कथन है, जो हम कभी भूल नहीं सकते। और उस कथन का अगर मोटे-मोटे शब्दों में मैं कहूं, उसका भाव यही था, कि जो कुछ भी हमें मिला है, वो जनता द्वारा दिया ऋण है, जिसे हमें चुकाना है। आज हमारी सरकार लोकमाता अहिल्याबाई के इन्हीं मूल्यों पर चलते हुए काम कर रही है। नागरिक देवो भव:- ये आज गवर्नेंस का मंत्र है। हमारी सरकार, वीमेन लेड डवलपमेंट के विजन को विकास की धुरी बना रही है। सरकार की हर बड़ी योजना के केंद्र में माताएं-बहनें-बेटियां हैं। आप भी जानती हैं, गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनाए जा चुके हैं और इनमें से अधिकतर घर हमारी माताओं-बहनों के नाम पर हैं, मालिकाना हक मेरी माताओं-बहनों को दिया है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं, जिनके नाम पर पहली बार कोई संपत्ति दर्ज हुई है। यानी देश की करोड़ों बहनें पहली बार घर की मालकिन बनी हैं।

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साथियों,

आज सरकार, हर घर तक नल से जल पहुंचा रही है, ताकि हमारी माताओं-बहनों को असुविधा न हो, बेटियां अपनी पढ़ाई में ध्यान दे सकें। करोड़ों बहनों के पास पहले, बिजली, एलपीजी गैस और टॉयलेट जैसी सुविधाएं भी नहीं थीं। ये सुविधाएं भी हमारी सरकार ने पहुंचाईं। और ये सिर्फ सुविधाएं नहीं हैं, ये माताओं-बहनों के सम्मान का हमारी तरफ से एक नम्र प्रयास है। इससे गांव की, गरीब परिवारों की माताओं-बहनों के जीवन से अनेक मुश्किलें कम हुईं हैं।

साथियों,

पहले माताएं-बहनें अपनी बीमारियां छुपाने पर मजबूर थीं। गर्भावस्था के दौरान अस्पताल जाने से बचती थीं। उनको लगता था, कि इससे परिवार पर बोझ पड़ेगा और इसलिए दर्द सहती थीं, लेकिन परिवार में किसी को बताती नहीं थीं। आयुष्मान भारत योजना ने उनकी इस चिंता को भी खत्म किया है। अब वो भी अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करा सकती हैं।

साथियों,

महिलाओं के लिए पढ़ाई और दवाई के साथ ही जो बहुत जरूरी चीज है, वो कमाई भी है। जब महिला की अपनी आय होती है, तो घर में उसका स्वाभिमान और बढ़ जाता है, घर के निर्णयों में उसकी सहभागिता और बढ़ जाती है। बीते 11 वर्षों में हमारी सरकार ने देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए निरंतर काम किया है। आप कल्पना कर सकते है, 2014 से पहले, आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया उसके पहले, 30 करोड़ से ज्यादा बहनें ऐसी थीं, जिनका कोई बैंक खाता तक नहीं था। हमारी सरकार ने इन सभी के बैंक में जनधन खाते खुलवाए, इन्हीं खातों में अब सरकार अलग-अलग योजनाओं का पैसा सीधा उनके खाते में भेज रही है। अब वे गांव हो या शहर अपना कुछ ना कुछ काम कर रही हैं, आर्थिक उपार्जन कर रही हैं, स्वरोजगार कर रही हैं। उन्हें मुद्रा योजना से बिना गारंटी का लोन मिल रहा है। मुद्रा योजना की 75 प्रतिशत से ज्यादा लाभार्थी, ये हमारी माताएं-बहनें-बेटियां हैं।

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साथियों,

आज देश में 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से जुड़ी हैं, जो कोई न कोई आर्थिक गतिविधि करती हैं। ये बहनें अपनी कमाई के नए साधन बनाएं, इसके लिए सरकार लाखों रुपयों की मदद कर रही है। हमने ऐसी 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने का संकल्प लिया है। मुझे संतोष है कि अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा बहनें, लखपति दीदी बन भी चुकी हैं। अब गांव-गांव में बैंक सखियां लोगों को बैंकिंग से जोड़ रही हैं। सरकार ने बीमा सखियां बनाने का अभियान भी शुरु किया है। हमारी बहनें-बेटियां अब देश को बीमा की सुरक्षा देने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

साथियों,

एक समय था, जब नई टेक्नोलॉजी आती थी, तो उससे महिलाओं को दूर रखा जाता था। हमारा देश आज उस दौर को भी पीछे छोड़ रहा है। आज सरकार का प्रयास है कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी में भी हमारी बहनें, हमारी बेटियां आगे बढ़कर के नेतृत्व दें। अब जैसे आज खेती में ड्रोन क्रांति आ रही है। इसको हमारी गांव की बहनें ही नेतृत्व दे रही हैं। नमो ड्रोन दीदी अभियान से गांव की बहनों का हौसला बढ़ रहा है, उनकी कमाई बढ़ रही है और गांव में उनकी एक नई पहचान बन रही है।

साथियों,

आज बहुत बड़ी संख्या में हमारी बेटियां वैज्ञानिक बन रही हैं, डॉक्टर-इंजीनियर और पायलट बन रही हैं। हमारे यहां साइंस और मैथ्स पढ़ने वाली बेटियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आज जितने भी हमारे बड़े स्पेस मिशन हैं, उनमें बड़ी संख्या में वैज्ञानिक के नाते हमारी माताएं-बहनें-बेटियां काम कर रही हैं। चंद्रयान थ्री मिशन, पूरा देश गौरव कर रहा है। चंद्रयान थ्री मिशन में तो 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थीं। ऐसे ही जमाना स्टार्ट अप्स का है, स्टार्ट अप्स के क्षेत्र में भी हमारी बेटियां अदभुत काम कर रही हैं। देश में लगभग पैंतालीस परसेंट स्टार्ट अप्स की, उसमे कम से कम एक डायरेक्टर कोई न कोई हमारी बहन है, कोई न कोई हमारी बेटी है, महिला है। और ये संख्या लगातार बढ़ रही है।

साथियों,

हमारा प्रयास है, कि नीति निर्माण में बेटियों की भागीदारी लगातार बढ़े। बीते एक दशक में इसके लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। हमारी सरकार में पहली बार पूर्ण कालिक महिला रक्षामंत्री बनीं। पहली बार देश की वित्तमंत्री, एक महिला बनीं। पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बार 75 सांसद महिलाएं हैं। लेकिन हमारा प्रयास है कि ये भागीदारी और बढ़े। नारीशक्ति वंदन अधिनियम के पीछे भी यही भावना है। सालों तक इस कानून को रोका गया, लेकिन हमारी सरकार ने इसे पारित करके दिखाया। अब संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण पक्का हो गया है। कहने का अर्थ ये है कि भाजपा सरकार, बहनों-बेटियों को हर स्तर पर, हर क्षेत्र में सशक्त कर रही है।

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साथियों,

भारत संस्कृति और संस्कारों का देश है। और सिंदूर, ये हमारी परंपरा में नारीशक्ति का प्रतीक है। राम भक्ति में रंगे हनुमान जी भी सिंदूर को ही धारण किए हुए हैं। शक्ति पूजा में हम सिंदूर का अर्पण करते हैं। और यही सिंदूर अब भारत के शौर्य का प्रतीक बना है।

साथियों,

पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतीयों का खून ही नहीं बहाया, उन्होंने हमारी संस्कृति पर भी प्रहार किया है। उन्होंने हमारे समाज को बांटने की कोशिश की है। और सबसे बड़ी बात, आतंकवादियों ने भारत की नारीशक्ति को चुनौती दी है। ये चुनौती, आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई है काल। ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवादियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन है। जहां पाकिस्तान की सेना ने सोचा तक नहीं था, वहां आतंकी ठिकानों को हमारी सेनाओं ने मिट्टी में मिला दिया। सैंकड़ों किलोमीटर अंदर घुसकर के मिट्टी में मिला दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने डंके की चोट पर कह दिया है, कि आतंकवादियों के जरिए छद्म युद्ध, proxy war नहीं चलेगा। अब घर में घुसकर भी मारेंगे और जो आतंकियों की मदद करेगा, उसको भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अब भारत का एक-एक नागरिक कह रहा है, 140 करोड़ देशवासियों की बुलंद आवाज कह रही है- अगर, अगर तुम गोली चलाओगे, तो मानकर चलों गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर हमारी नारीशक्ति के सामर्थ्य का भी प्रतीक बना है। हम सभी जानते हैं, कि BSF का इस ऑपरेशन में कितना बड़ा रोल रहा है। जम्मू से लेकर पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमा तक बड़ी संख्या में BSF की हमारी बेटियां मोर्चे पर रही थीं, मोर्चा संभाल रही थीं। उन्होंने सीमापार से होने वाली फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स से लेकर दुश्मन की पोस्टों को ध्वस्त करने तक, BSF की वीर बेटियों ने अद्भुत शौर्य दिखाया है।

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साथियों,

आज दुनिया, राष्ट्ररक्षा में भारत की बेटियों का सामर्थ्य देख रही है। इसके लिए भी बीते दशक में सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। स्कूल से लेकर युद्ध के मैदान तक, आज देश अपनी बेटियों के शौर्य पर अभूतपूर्व भरोसा कर रहा है। हमारी सेना ने पहली बार सैनिक स्कूलों के दरवाज़े बेटियों के लिए खोले हैं। 2014 से पहले एनसीसी में सिर्फ 25 प्रतिशत कैडेट्स ही बेटियां होती थीं, आज उनकी संख्या 50 प्रतिशत की तरफ आगे बढ़ रही है। कल के दिन देश में एक औऱ नया इतिहास बना है। आज अखबार में देखा होगा आपने, नेशनल डिफेंस एकेडमी यानी NDA से महिला कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हुआ है। आज सेना, नौसेना और वायुसेना में बेटियां अग्रिम मोर्चे पर तैनात हो रही हैं। आज फाइटर प्लेन से लेकर INS विक्रांत युद्धपोत तक, वीमेन ऑफीसर्स अपनी जांबाजी दिखा रही हैं।

साथियों,

हमारी नौसेना की वीर बेटियों के साहस का ताज़ा उदाहरण भी देश के सामने है। आपको मैं नाविका सागर परिक्रमा के बारे में बताना चाहता हूं। नेवी की दो वीर बेटियों ने करीब ढाई सौ दिनों की समुद्री यात्रा पूरी की है, धरती का चक्कर लगाया है। हज़ारों किलोमीटर की ये यात्रा, उन्होंने ऐसी नाव से की जो मोटर से नहीं बल्कि हवा से चलती है। सोचिए, ढाई सौ दिन समंदर में, इतने दिनों तक समंदर में रहना, कई कई हफ्ते तक जमीन के दर्शन तक नहीं होना और ऊपर से समंदर का तूफान कितना तेज होता है, हमें पता है, खराब मौसम, भयानक तूफान, उन्होंने हर मुसीबत को हराया है। ये दिखाता है, कि चुनौती कितनी भी बड़ी हो, भारत की बेटियां उस पर विजय पा सकती हैं।

साथियों,

नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन हों या फिर सीमापार का आतंक हो, आज हमारी बेटियां भारत की सुरक्षा की ढाल बन रही हैं। मैं आज देवी अहिल्या की इस पवित्र भूमि से, देश की नारीशक्ति को फिर से सैल्यूट करता हूं

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साथियों,

देवी अहिल्या ने अपने शासनकाल में विकास के कार्यों के साथ साथ विरासत को भी सहेजा। आज का भारत भी विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चल रहा है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को देश कैसे गति दे रहे है, आज का कार्यक्रम इसका उदाहरण है। आज मध्य प्रदेश को पहली मेट्रो सुविधा मिली है। इंदौर पहले ही स्वच्छता के लिए दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। अब इंदौर की पहचान उसकी मेट्रो से भी होने जा रही है। यहां भोपाल में भी मेट्रो का काम तेज़ी से चल रहा है। मध्य प्रदेश में, रेलवे के क्षेत्र में व्यापक काम हो रहा है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने रतलाम-नागदा रूट को चार लाइनों में बदलने के लिए स्वीकृति दे दी है। इससे इस क्षेत्र में और ज्यादा ट्रेनें चल पाएंगी, भीड़भाड़ कम होगी। केंद्र सरकार ने इंदौर–मनमाड रेल परियोजना को भी मंजूरी दे दी है।

साथियों,

आज मध्य प्रदेश के दतिया और सतना भी हवाई यात्रा के नेटवर्क से जुड़ गए हैं। इन दोनों हवाई अड्डों से बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में एयर कनेक्टिविटी बेहतर होगी। अब माँ पीतांबरा, मां शारदा देवी और पवित्र चित्रकूट धाम के दर्शन करना और सुलभ हो जाएगा।

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साथियों,

आज भारत, इतिहास के उस मोड़ पर है, जहां हमें अपनी सुरक्षा, अपने सामर्थ्य और अपनी संस्कृति, हर स्तर पर काम करना है। हमें अपना परिश्रम बढ़ाना है। इसमें हमारी मातृशक्ति, हमारी माताओं-बहनों-बेटियों की भूमिका बहुत बड़ी है। हमारे सामने लोकमाता देवी अहिल्याबाई जी की प्रेरणा है। रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, रानी कमलापति, अवंतीबाई लोधी, कित्तूर की रानी चेनम्मा, रानी गाइडिन्ल्यू, वेलु नाचियार, सावित्री बाई फुले, ऐसे हर नाम हमें गौरव से भर देते हैं। लोकमाता अहिल्याबाई की ये तीन सौवीं जन्मजयंती, हमें निरंतर प्रेरित करती रहे, आने वाली सदियों के लिए हम एक सशक्त भारत की नींव मजबूत करें, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से एक बार बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। अपना तिरंगा ऊपर उठाकर के मेरे साथ बालिए –

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!