QuoteUjjwala Yojana aims to provide cooking gas connections to five crore below-poverty-line beneficiaries: PM Modi
QuoteThe aim of all workers across the world should be to unite the world: PM Modi
QuoteUnion Government’s primary focus is the welfare of the poor: PM
QuoteFruits of development must reach eastern part of India, for us to gain strength in the fight against poverty: PM
QuotePradhan Mantri Ujjwala Yojana will benefit the poor, especially the women: PM Modi
QuoteSchemes must be made for the welfare of the poor not keeping in mind considerations of the ballot box: PM

विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

भृगु बाबा की धरती पर रउवा, सभन के प्रणाम। ‘ई धरती त साक्षात भृगु जी की भूमि रहल’ ब्रह्मा जी भी यही जमीन पर उतर रहल। रामजी यहीं से विश्वामित्र मुनी के साथे गइल। त सुन्दर धरती पर सभी के हाथ जोड़ के फिर से प्रणाम।

भाइयों – बहनों मैं पहले भी बलिया आया हूं। ये बलिया की धरती क्रांतिकारी धरती है। देश को आजादी दिलाने के लिए इसी धरती के मंगल पाण्डे और वहां से लेकर के चितु पाण्डे तक एक ऐसा सिलसिला हर पीढ़ी में, हर समय देश के लिए जीने-मरने वाले लोग इस बलिया की धरती ने दिये। ऐसी धरती को मैं नमन करता हूं। यही धरती है जहां भारत के प्रधानमंत्री श्रीमान चन्द्र शेखर जी का भी नाम जुड़ा हुआ है। यही धरती है, जिसका सीधा नाता बाबू जयप्रकाश नारायण के साथ जुड़ता है। और यही तो धरती है। उत्तर प्रदेश राम मनोहर लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय के बिना अधूरा लगता है। ऐसे एक से बढ़कर एक दिग्गज, जिस धरती ने दिये उस धरती को मैं नमन करता हूं। आपके प्यार के लिए सत्, सत् नमन।

आप मुझे जितना प्यार देते हैं, मुझ पर आपका कर्ज चड़ता ही जाता है, चढ़ता ही जाता है, लेकिन मेरे प्यारे भाइयों -बहनों मैं इस कर्ज को इस प्यार वाले कर्ज को ब्याज समेत चुकाने का संकल्प लेकर के काम कर रहा हूं और ब्याज समेत मैं चुकाऊंगा, विकास करके चुकाऊंगा मेरे भाइयों बहनों, विकास कर के चुकाऊंगा।

आज पहली May है, एक मई, पूरा विश्व आज श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। और आज देश का ये ‘मजदूर नम्बर एक’ देश के सभी श्रमिकों को उनके पुरुषार्थ को, उनके परिश्रम को, राष्ट्र को आगे बढ़ाने में उनके अविरथ योगदान को कोटि-कोटि अभिनन्दन करता है। उस महान परम्परा को प्रणाम करता है।

भाइयों–बहनों दुनिया में एक नारा चलता था। जिस नारे में राजनीति की बू स्वाभाविक थी। और वो नारा चल रहा था। दुनिया के मजदूर एक था, दुनिया के मजदूर एक हो जाओ, और वर्ग संघर्ष के लिए मजदूरों को एक करने के आह्वान हुआ करते थे। भाइयों–बहनों जो लोग इस विचार को लेकर के चले थे, आज दुनिया के राजनीतिक नक्शे पर धीरे-धीरे करके वो अपनी जगह खोते चले जा रहे हैं। 21वीं सदी में दुनिया के मजदूर एक हो जाओ इतनी बात से चलने वाला नहीं है। 21वीं सदी की आवश्यकताएं अलग हैं, 21वीं सदी की स्थितियां अलग है और इसलिये 21वीं सदी का मंत्र एक ही हो सकता है ‘विश्व के मजदूरों विश्व के श्रमिकों आओ हम दुनिया को एक करें दुनिया को जोड़ दें’ ये नारा 21वीं सदी का होना चाहिए।

वो एक वक्त था ‘Labourers of the World, Unite’, आज वक्त है ‘Labourers, Unite the World’ ये बदलाव इस मंत्र के साथ। आज दुनिया को जोड़ने की जरूरत है। और दुनिया को जोड़ने के लिए अगर सबसे बड़ा कोई chemical है, सबसे बड़ा ऊर्जावान कोई cementing force है, तो वो मजदूर का पसीना है। उस पसीने में एक ऐसी ताकत है, जो दुनिया को जोड़ सकता है।

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भाइयों–बहनों जब आप लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को भारी बहुमत से विजयी बनाया। तीस साल के बाद दिल्ली में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। और NDA के सभी घटकों ने मुझे अपने नेता के रूप में चुना, तो उस दिन Parliament के Central Hall में मेरे प्रथम भाषण में मैंने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है। ये सरकार जो भी करेगी वो गरीबों की भलाई के लिये करेगी, गरीबों के कल्याण के लिये करेगी। भाइयों-बहनों हमने मजदूरों के लिए भी श्रम कानूनों में, श्रमिकों की सरकार के साथ संबंधों में, एक आमूलचूल परिवर्तन लाया है। अनेक बदलाव लाए हैं। मेरे प्यारे भाइयों-बहनों आपको जानकर के दुःख होगा, पीड़ा होगी, आश्चर्य भी होगा कि हमारे देश में सरकार से जिनको पैंशन मिलता था, इस देश में तीस लाख से ज्यादा श्रमिक ऐसे थे, जिसको पैंशन किसी को 15 रुपया महीने का, किसी को 100 रुपया, किसी को 50 रुपया इतना पैंशन मिलता था। आप मुझे बताइए कि पैंशन लेने के लिए वो गरीब वृद्ध व्यक्ति दफ्तर जाएगा, तो उसका बस का किराय का खर्चा हो जाएगा, ऑटो रिक्शा का खर्चा हो जाएगा। लेकिन सालों से मेरे देश के बनाने वाले श्रमिकों को 15 रुपया, 20 रुपया, 50 रुपया, 100 रुपया पैंशन मिलता था। हमने आकर के इन तीस लाख से ज्यादा मेरे श्रमिकों परिवारों को minimum 1000 रुपया पैंशन देने का निर्णय कर लिया, लागू कर दिया और उस गरीब परिवार को वो पैंशन मिलने लग गया।

भाइयों-बहनों हमारे यहां कभी कभार गरीबों के लिये योजनाओं की चर्चाएं बहुत होती हैं और उनकी भलाई के लिए काम करने की बातें भी बहुत होती हैं। हमने आने के बाद एक श्रम सुविधा पोर्टल चालू किया, जिसके तहत आठ महत्वपूर्ण श्रम कानूनों को एकत्र कर के उसका सरलीकरण करने का काम कर लिया। पहली बार देश के श्रमिकों को एक Labour Identity Number (LIN) ये नम्बर दिया गया, ताकि हमारे श्रमिक की पहचान बन जाए। इतना ही नहीं हमारे देश के श्रमिकों को पूरे देश में Opportunity प्राप्त हो। इसलिए NCSP इसकी हमने एक National Career Service Portal, इसकी शुरुआत की। ताकि जिसको रोजगार देना है और जिसको रोजगार लेना है दोनों के बीच एक सरलता से तालमेल हो सके।

भाइयों-बहनों बोनस का कानून हमारे देश में सालों से है। बोनस का कानून यह था कि 10 हजार रुपये से अगर कम आवक है और कंपनी बोनस देना चाहती है तो उसी को मिलेगा। आज के जमाने में 10 हजार रुपये की आय कुछ नहीं होती है। और उसके कारण अधिकतम श्रमिकों को बोनस नहीं मिलता था। हमने आकर के निर्णय किया कि minimum income 10 हजार से बढ़ाकर के 21 हजार रुपया कर दी जाए। इतना ही नहीं पहले बोनस सिर्फ साढ़े तीन हजार रुपया मिलता था। हमने निर्णय किया कि ये बोनस minimum सात हजार रुपया मिलेगा और उससे भी ज्यादा उसका पाने का हक़ बनता है तो वो भी उसको मिलेगा।

भाइयों-बहनों कभी हमारा श्रमिक एक जगह से दूसरी जगह पर नौकरी चला जाता था, तो उसके जो पीएफ वगैरह के पैसे कटते थे उसका कोई हिसाब ही नहीं रहता था। वो गरीब मजदूर बेचारा पुरानी जगह पर लेने के लिए वापस नहीं जाता था। सरकार के खजाने में करीब 27 हजार करोड़ रुपया इन मेरे गरीबों के पड़े हुए थे। कोई सरकार उसकी सूंघ लेने को तैयार नहीं था। हमने आकर के सभी मजदूरों को ऐसे कानून में बांध दिया कि मजदूर जहां जाएगा उसके साथ उसके ये Provident Fund के पैसे भी साथ-साथ चले जाएंगे। और उसको जब जरूरत पड़ेगी वो पैसे ले सकता है। आज वो 27 हजार करोड़ रुपयों का मालिक बन सकेगा। ऐसी व्यवस्था हमने की है।

भाइयों-बहनों हमारे यहां Construction के काम में बहुत बड़ी मात्रा में मजदूर होते हैं। करीब चार करोड़ से ज्यादा मजदूर Construction के काम में हैं, इमारत बनाते हैं, मकान बनाते हैं, लेकिन उनके देखभाल की व्यवस्था नहीं थी। श्रमिक कानूनों में परिवर्तन करके आज हमने इन Construction के श्रमिकों के लिए उनके आरोग्य के लिए, उनके insurance के लिए, उनके bank account के लिए, इनके पैंशन के लिए एक व्यापक योजना बना कर के हमारे Construction के मजदूरों को भी हमनें उसका फायदा दिया है।

भाइयों–बहनों हमारा उत्तर प्रदेश जिसने अनेक-अनेक प्रधानमंत्री दिये, लेकिन क्या कारण कि हमारी गरीबी बढ़ती ही गई बढ़ती ही गई। गरीबों की संख्या भी बढ़ती गई। हमारी नीतियों में ऐसी क्या कमी थी कि हम गरीबों को गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिये तैयार नहीं कर पाए। ऐसा क्या कारण था कि हमने गरीबों को सिर्फ गरीबी के बीच जीना नहीं, लेकिन हमेशा सरकारों के पास हाथ फैलाने के लिए मजबूर कर के छोड़ दिया, उसके जमीर को हमने खत्म कर दिया। गरीबी के खिलाफ लड़ने का उसका हौसला हमने तबाह कर दिया। भाइयों–बहनों अभी धर्मेन्द्र जी बता रहे थे के गाजीपुर के सांसद नेहरू के जमाने में पूरे हिन्दुस्तान को हिला दिया था। जब उन्होंने संसद में कहा कि मेरे पूर्वी उत्तर प्रदेश के भाई-बहन ऐसी गरीबी में जी रहे हैं के उनके पास खाने के लिए अन्न नहीं होता है। पशु के गोबर को धोते हैं और उस गोबर में से जो दाने निकलते हैं उन दानों से पेट भर के वे अपना गुजारा करते हैं। जब ये बात संसद में कही गई थी, पूरा हिन्दुस्तान हिल गया था और तब एक पटेल कमीशन बैठा था। यहां की स्थिति सुधारने के लिए। कई बातों का सुझाव आज से पचास साल पहले दिया गया था। लेकिन उन सुझाव पर क्या हुआ, वो तो भगवान जाने। लेकिन भाइयों–बहनों उसमें एक सुझाव था। उसमें एक सुझाव था ताड़ी घाट, गाजीपुर, और मऊ इसे रेल से जोड़ा जाए। पचास साल बीत गए, वो बात कागज पर ही रही। मैं भाई मनोज सिन्हा को हृदय से अभिनन्दन करता हूं, यहां के मेरे भारतीय जनता पार्टी के सभी सांसदों का अभिनन्दन करता हूं कि वे पचास साल पहले जिन बातों को भुला दिया गया था उसको लेकर के निकल पड़े, मुझ पर दबाव डालते रहे। बार-बार मिलते रहे, और आज मैं संतोष से कह सकता हूं उस रेल लाइन के लिए बजट आवंटन करने का निर्णय हमने कर लिया और उस काम को हम आगे बढ़ाएंगे। गंगा के ऊपर रेल और रोड का दोनों bridge बनेंगे। ताकि infrastructure होता है, जो विकास के लिए एक नया रास्ता भी खोलता है और उस दिशा में हम का कर रहे हैं।

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भाइयों-बहनों आज मैं बलिया की धरती पर से मेरे देश के उन एक करोड़ परिवारों को सर झुका कर के नमन करना चाहता हूं, उनका अभिनन्दन करना चाहता हूं। करीब एक करोड़ दस लाख से भी ज्यादा ऐसे परिवार हैं, जिनको मैंने कहा था कि अगर आप खर्च कर सकते हो तो रसोई गैस की सब्सिडी क्यों लेते हो। क्या आप पांच-दस हजार रुपया का बोझ नहीं उठा सकते साल का। क्या आप सब्सिडी Voluntarily छोड़ नहीं सकते। मैंने ऐसे ही एक कार्यक्रम में बोल दिया था। मैंने ज्यादा सोचा भी नहीं था, न योजना बनाई थी, न follow-up करने की व्यवस्था की थी, यूहीं दिल से एक आवाज उठी और मैंने बोल दिया। आज एक साल के भीतर-भीतर मेरे देश के लोग कितने महान हैं। अगर कोई अच्छा काम हो तो सरकार से भी दो कदम आगे जाकर के चलने के लिए तैयार रहते हैं। इसका ये उदहारण है । आज के युग में, हम बस में जाते हों, बगल वाली सीट खाली हो और हमें लगे की चलो बगल में कोई पैसेंजर नहीं है तो जरा ठीक से बैठूंगा। आराम से प्रवास करूंगा। लेकिन अगर कोई पैसेंजर आ गया, बगल में बैठ गया, हम तो हमारी सीट पर बैठे हैं, तो भी थोड़ा मुंह बिगड़ जाता है। मन में होता है ये कहां से आ गया। जैसे मेरी सीट ले ली हो। ऐसा जमाना है। ऐसे समय एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवार सिर्फ बातों–बातों में कहने पर प्रधानमंत्री की बात को गले लगा कर के सर आंखों पर चढ़ा के एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवार अपनी सब्सिडी छोड़ दें। इससे बड़ा क्या होगा। मैं आप सब से कहता हूं उन एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवारों के लिये जोर से तारियां बजाइए। उनका सम्मान कीजिए। उनका गौरव कीजिए। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं मेरे भाइयों – बहनों। ये देश के लिए किया हुआ काम है। ये गरीबों के लिये किया हुआ काम है। इन लोगों का जितना गौरव करें उतना कम है। और हमारे देश में लेने वाले से ज्यादा देने वाले की इज्जत होती है। ये देने वाले लोग हैं। जहां भी बैठे होंगे ये तालियों की गूंज उन तक सुनाई देती होगी और वो गौरव महसूस करते होंगे।

भाइयों – बहनों हमने कहा था गरीबों के लिए जो सब्सिडी छोड़ेगा वो पैसे सरकार की तिजोरी में नहीं जाएगी। वो पैसे गरीबों के घर में जाएंगे। एक साल में ये इतिहासिक रिकॉर्ड है भाइयों 1955 से, रसोई गैस देने का काम चल रहा है। इतने सालों में 13 करोड़ परिवारों को रसोई गैस मिला। सिर्फ 13 करोड़ परिवारों को करीब साठ साल में, मेरे भाइयों–बहनों हमने एक साल में तीन करोड़ से ज्यादा परिवारों को रसोई का गैस दे दिया। जिन लोगों ने सब्सिडी छोड़ी थी वो गैस सिलंडर गरीब के घर में पहुंच गया।

भाइयों-बहनों हम जानते हैं कि लोग कहते हैं कि मोदी जी बलिया में कार्यक्रम क्यों किया। हमारा देश का एक दुर्भाग्य है, कुछ लोग राजनीति में नहीं हैं, लेकिन उनको 24ओं घंटे राजनीति के सिवा कुछ दिखता ही नहीं है। किसी ने लिख दिया कि बलिया में मोदी जो आज कार्यक्रम कर रहे हैं वो चुनाव का बिगुल बजा रहे हैं। वे चुनाव का बिगुल बजा रहे हैं। अरे मेरे मेहरबानों हम कोई चुनाव का बिगुल बजाने नहीं आए हैं। ये बिगुल तो मतदाता बजाते हैं। हम बिगुल बजाने नहीं आए हैं।

भाइयों –बहनों अभी मैं पिछले हफ्ते झारखंड में एक योजना लागू करने के लिए गया था, झारखंड में कोई चुनाव नहीं है। मैं कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश में एक योजना लागू करने गया था, वहां पर कोई चुनाव नहीं है। मैंने ‘बेटी बचाओ’ अभियान हरियाणा से चालू किया था, वहां कोई चुनाव नहीं है। ये बलिया में ये रसोई गैस का कार्यक्रम इसलिए तय किया कि उत्तर प्रदेश में जो एवरेज हर जिले में जो रसोई गैस है, बलिया में कम से कम है, इसलिये मैं बलिया आया हूं। ये ऐसा इलाका है, जहां अभी भी गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले 100 में से मुश्किल से आठ परिवारों के घर में रसोई गैस जाता है। और इसलिये भाइयों –बहनों बलिया जहां कम से कम परिवारों में रसोई गैस जाता है, इसलिए मैंने आज बलिया में आकर के देश के सामने इतनी बड़ी योजना लागू करने का निर्णय किया। मैंने हरियाणा में बेटी बचाओ इसलिये कार्यक्रम लिया था, क्योंकि हरियाणा में बालकों की संख्या की तुलना में बेटियों की संख्या बहुत कम थी। बड़ी चिंताजनक स्थिति थी। और इसलिए मैंने वहां जाकर के खड़ा हो गया और उस काम के लिए प्रेरित किया और आज हरियाणा ने बेटी बाचाने के काम में हिन्दुस्तान में नम्बर एक लाकर के खड़ा कर दिया। और इसलिए भाइयों–बहनों मैं इस पूर्वी उत्तर प्रदेश में बलिया में इसलिये आया हूं, क्योंकि हमें गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है। अगर पूर्वी हिन्दुस्तान पश्चिमी हिन्दुस्तान की बराबरी भी कर ले तो इस देश में गरीबी का नामोनिशान नहीं रहेगा, मेरा मानना है। मेरा पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेरा बिहार, मेरा पश्चिम बंगाल, मेरा असम, मेरा नॉर्थ ईस्ट, मेरा ओड़िशा, ये ऐसे प्रदेश हैं कि अगर वहां विकास गरीबों के लिए पहुंच जाए, तो गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में हम सफल हो जाएंगे भाइयों।

आप मुझे बताइए एक जमाना था, बहुत लोगों को ये रसोई गैस की ताकत क्या है अभी भी समझ नहीं आती। बहुत लोगों को ये रसोई गैस की राजनीति क्या थी ये भी भूल चुके हैं, बहुत लोग ये रसोई गैस कितना मूल्यवान माना जाता था वो भूल गए हैं। मैं आज जरा याद दिलाना चाहता हूं। मैं political पंडितों को याद दिलाना चाहता हूं। दिल्ली में बैठकर के air-conditioned कमरे में बढ़िया-बढ़िया सलाह देने वालों को मैं आज झकझोड़ना चाहता हूं। उनको मैं हिलाना चाहता हूं, मैं उनको समझाना चाहता हूं। वो दिन याद करो, वो दिन याद करो, जब सांसद Parliament का Member बनता था, तो उसको हर साल रसोई गैस की 25 कूपन दी जाती थी और वो अपने इलाके में 25 परिवारों को साल में रसोई गैस दिलवाता था। और वो इतना गर्व करता था कि मैंने मेरे इलाके में 25 परिवारों को एक साल में रसोई गैस का connection दिलवा दिया। ये बहुत दूर की बात नहीं कर रहा हूं। मैं अभी-अभी पिछले सालों की बात करता हूं। और अखबारों में खबरें आती थीं कि सांसद महोदय ने कालेबाजारी में रसोई गैस का टिकट बेच दिया। ऐसे भी लोग थे कि रसोई गैस का connection लेने के लिए दस-दस, 15-15 हजार रुपया वो टिकट खरीदने के लिए black में खर्च करते थे। वो दिन थे और आज ये सरकार देखिए। एक-एक सांसद के क्षेत्र में हिन्दुस्तान के एक-एक Parliament Member के क्षेत्र में किसी के यहां साल में दस हजार गैल सिलंडर पहुंच जाएंगे, किसी के यहां बीस हजार, किसी के यहां पचास हजार और तीन साल के भीतर –भीतर पांच करोड़ गरीब परिवारों में ये रसोई गैस पहुंचाने का मेरा इरादा है। पांच करोड़ परिवारों में, भाइयों–बहनों ये पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस पहुंचाना ये छोटा काम नहीं है। इतना बड़ा काम, इतना बड़ा काम आज मैं गरीब माताओं बहनों के लिए लेकर आया हूं। आपने देखा होगा, मैं इन माताओं को पूछ रहा था कि आपने कभी सोचा था कि आपके घर में कभी रसोई गैस आएगा, उन्होंने कहा नहीं हमने तो सोचा नहीं था कि हमारे बच्चों के नसीब में भी रसोई गैस आएगा, ये हमने सोचा नहीं था। मैंने पूछा रसोई में कितना टाइम जाता है वो कहते लकड़ी लेने जाना पड़ता है, लकड़ी जलाते हैं , बुझ जाती है, कभी आधी रोटी रह जाती है फिर लकड़ी लेने जाते हैं, बड़ी अपनी मुसीबत बता रही थी। भाइयों –बहनों ये रसोई गैस के कारण पांच करोड़ परिवार 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी। 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी तब गांव और गरीब के लिए पांच करोड़ गैस रसोई गैस पहुंच चुके होंगे भाइयों, समय सीमा में काम करने का हमने फैसला किया है।

एक गरीब मां जब लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है, तो वैज्ञानिकों का कहना है कि गरीब मां लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है, तो एक दिवस में उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुआं चला जाता है, 400 सिगरेट का। बच्चे घर में होते हैं। और इसलिए उनको भी धुएं में ही गुजारा करना पड़ता है। खाना भी खाते हैं, तो धुआं ही धुआं होता है। आंख से पानी निकलता है और वो खाना खाता है। मैंने तो ये सारे हाल, बचपन में मैं जी चुका हूं। मैं जिस घर में पैदा हुआ, बहुत ही छोटा एक गलियारी जैसा मेरा घर था। कोई खिड़की नहीं थी। आने जाने का सिर्फ एक दरवाजा था। और मां लकड़ी का चूल्हा जला कर के खाना पकाती थी। कभी-कभी तो धुआं इतना होता था कि मां खाना परोस रही हो लेकिन हम मां को देख नहीं पाते थे। ऐसे बचपन में धुएं में खाना खाते थे। और इसलिए मैं उन माताओं की पीड़ा को, उन बच्चों की पीड़ा को, भलीभांति अनुभव कर के आया हूं उस पीड़ा को जी कर के आया हूं और इसलिये मुझे मेरी इन गरीब माताओं को इस कष्टदायक जिन्दगी से मुक्ति दिलानी है। और इसलिए पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस देने का हमने उपक्रम किया है।

भाइयों – बहनों आज लकड़ी के कारण जो खर्चा होता है । इस रसोई गैस से खर्चा भी कम होने वाला है। आज उसकी तबियत की बर्बादी होती है। उसकी तबियत भी ठीक रहेगी। लकड़ी लाना चूल्हा जलाना में time जाता है। उस गरीब मां का time भी बच जाएगा। उसको अगर मजदूरी करनी है सब्जी बेचनी है, तो वो आराम से कर सकती है।

भाइयों –बहनों हमारी कोशिश ये है और इतना ही नहीं ये जो गैस की सब्सिडी दी जाएगी वो भी उन महिलाओं के नाम दी जाएगी, उनका जो प्रधानमंत्री जनधन अकाउंट है, उसी में सब्सिडी जमा होगी ताकि वो पैसे किसी ओर के हाथ न लग जाए, उस मां के हाथ में ही पैसे लग जाए ये भी व्यवस्था की। ये environment के लिये भी हमारा एक बहुत बड़ा initiative है। और इसलिए मेरे भाइयों- बहनों हजारों करोड़ रुपया का खर्चा सरकार को लगने वाला है। कहां MP की 25 रसोई गैस की टिकट और कहां पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस पहुंचाने का अभियान, ये फर्क होता है सरकार-सरकार में। काम करने वाली सरकार, गरीबों की भला करने वाली सरकार, गरीबों के लिए सामने जाकर के काम करने वाली सरकार कैसे काम करती है इसका ये उत्तम उदहारण आज ये पांच करोड़ परिवारों को रसोई गैस देने का कार्यक्रम है।

भाइयों–बहनों आज, पिछली किसी भी सरकार ने उत्तर प्रदेश के विकास के लिए जितना काम नहीं किया होगा, इतनी धनराशि आज भारत सरकार उत्तर प्रदेश में लगा रही है। क्योंकि हम चाहते हैं कि देश को आगे बढ़ाने के लिए हमारे जो गरीब राज्य हैं वो तेजी से तरक्की करें। और इसलिये हम काम में लगे हैं। गंगा सफाई का अभियान जनता की भागीदारी से सफल होगा। और इसलिये जन भागीदारी के साथ जन-जन संकल्प करें। ये मेरा बलिया तो मां गंगे और सरयू के तट पर है। दोनों की कृपा आप पर बरसी हुई है और हम सब अभी जहां बैठे हैं वो जगह भी एक बार मां गंगा की गोद ही तो है। और इसलिये जब मां गंगा की गोद में बैठ कर के मां गंगा की सफाई का संकल्प हर नागरिक को करना होगा। हम तय करें मैं कभी भी गंगा को गंदी नहीं करूंगा। मेरे से कभी गंगा में कोई गंदगी नहीं जाएगी। एक बार हम तय कर लें कि मैं गंगा को गंदी नहीं करूंगा। ये मेरी मां है। उस मां को गंदा करने का पाप मैं नहीं कर सकता। ये अगर हमने कर लिया, तो दुनिया की कोई ताकत ये मां गंगा को गंदा नहीं कर सकता है।

और इसलिए मेरे भाइयों–बहनों हम गरीब व्यक्ति की जिंदगी बदलना चाहते हैं। उसके जीवन में बदलाव लाने के लिये काम कर रहे हैं। और आज पहली मई जब मजदूरों का दिवस है। गरीबी में जीने वाला व्यक्ति मजदूरी से जूझता रहता है। भाइयों–बहनों गरीबी हटाने के लिए नारे तो बहुत दिये गए, वादे बहुत बताए गए, योजनाएं ढेर सारी आईं लेकिन हर योजना गरीब के घर को ध्यान में रख कर के नहीं बनी, हर योजना मत पेटी को ध्यान में रख कर के बनी। जब तक मत पेटियों को ध्यान में रख कर के गरीबों के लिए योजनाएं बनेगी, कभी भी गरीबी जाने वाली नहीं है। गरीबी तब जाएगी, जब गरीब को गरीबी से लड़ने की ताकत मिलेगी। गरीबी तब जाएगी, जब गरीब फैसला कर लेगा कि अब मेरे हाथ में साधन है मैं गरीबी को प्रास्त कर के रहूंगा। अब मैं गरीब नहीं रहूंगा, अब मैं गरीबी से बाहर आऊंगा। और इसके लिए उसको शिक्षा मिले, रोजगार मिले, रहने को घर मिले, घर में शौचालय हो, पीने का पानी हो, बिजली हो, ये अगर हम करेंगे, तभी गरीबी से लड़ाई लड़ने के लिए मेरा गरीब ताकतवर हो जाएगा। और इसीलिये मेरे भाइयों-बहनों हम गरीबी के खिलाफ लड़ाइ लड़ने के लिए काम कर रहे हैं।

आजादी के इतने साल हो गये। आजादी के इतने सालों के बाद इस देश में 18 हजार गांव ऐसे जहां बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है, बिजली का तार नहीं पहुंचा है। 18वीं शताब्दि में जैसी जिन्दगी वो गुजारते थे। 21वीं सदी में भी 18 हजार गांव ऐसी ही जिन्दगी जीने के लिए मजबूर हैं। मुझे बताओ मेरे प्यारे भाइयों–बहनों क्या किया किया इन गरीबी के नाम पर राजनीति करने वालों ने । उन 18 हजार गांव को बिजली क्यों नहीं पहुंचाई। मैंने बीड़ा उठाया है। लालकिले से 15 अगस्त को मैंने घोषणा की मैं एक हजार दिन में 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचा दूंगा। रोज का हिसाब देता हूं, देशवासियों को और आज हमारे उत्तर प्रदेश में आर हैरान होंगे इतने प्रधानमंत्री हो गये उत्तर प्रदेश में । आज उत्तर प्रदेश मेरा कार्य क्षेत्र है। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे स्वीकार किया है। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे आशिर्वाद दिये हैं। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे अपना बनाया है। और इसलिये उत्तर प्रदेश में इतने प्रधानमंत्री आए भाइयों–बहनों बैठा 1529 गांव ऐसे थे, जहां बिजली का खंभा नहीं पहुंचा था। अभी तो ढाई सौ दिन हुए हैं। मेरी योजना को ढाई सौ दिन हुए हैं। भाइयों–बहनों मैंने अब तक मैंने 1326 गांवों में, 1529 में से 1326 गांवों खंभा पहुंच गया, तार पहुंच गया, तार लग गया, बिजली चालू हो गई और लोगों ने बिजली का स्वागत भी कर दिया। और जिन गांवों में बाकी है। वहां भी तेजी से काम चल रहा है। आज औसत उत्तर प्रदेश में हम एक दिन में तीन गांवों में बिजली पहुंचाने का काम कर रहे हैं, जो काम साठ साल तक नहीं हुआ वो हम एक दिन में तीन गांवों तक पहुंचने का काम कर रहे हैं।

भाइयों–बहनों पूरे देश में आज जो ‘प्रधानमंत्री उज्जवला योजना’ इसका आरम्भ हो रहा है। मेरे सवा सौ करोड़ देशवासी देश में करीब 25 कोरड़ परिवार है, उसमे से ये पांच करोड़ परिवारों के लिए योजना है। इससे बड़ी कोई योजना नहीं हो सकती। कभी एक योजना पांच करोड़ परिवारों को छूती हो, ऐसी एक योजना नहीं हो सकती। ऐसी योजना आज लागू हो रही है, बलिया की धरती पर हो रही है। राम मनोहर लोहिया, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, उनके आशिर्वाद से हो रही है, चन्द्र शेखर जी, बाबु जयप्रकाश जी ऐसे महापुरषों के आशीर्वाद से प्रारंभ हो रही है। और बलिया की धरती...अब बलिया- ‘बलिया’ बनना चाहिए, इस संकल्प को लेकर के आगे बढ़ना है। मैं फिर एक बार हमारे सासंद महोदय भाई भरत का बड़ा आभार व्यक्त करता हूँ, इतने उमंग के साथ इस कार्यक्रम की उन्होंने अर्जना की। मैं पूरे उत्तर प्रदेश का अभिनन्दन करता हूं। मैं श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान उसकी पूरी टीम का अभिनन्दन करता हूं। ये Petroleum sector कभी गरीबों के लिये माना नहीं गया था, हमने Petroleum sector को गरीबों का बना दिया। ये बहुत बड़ा बदलाव धर्मेन्द्र जी के नेतृत्व में आया है। मैं उनको बहुत–बहुत बधाई देता हूं। मेरी पूरी टीम को बधाई देता हूं। आप सबका बहुत – बहुत अभिनन्दन करता हूं। बहुत- बहुत धन्यवाद।

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రోజ్‌గార్ మేళా కింద 51,000కు పైగా నియామక పత్రాల పంపిణీ కార్యక్రమంలో ప్రధాని ప్రసంగం
July 12, 2025
Quoteనేడు నియామక పత్రాలు అందుకున్న 51 వేలకు పైగా యువత
Quoteఇటువంటి ఉద్యోగ మేళాల ద్వారా లక్షలాది మంది ఇప్పటికే ప్రభుత్వ ఉద్యోగాలను పొందారు
Quoteవీరంతా ఇప్పుడు జాతి నిర్మాణంలో కీలక పాత్ర పోషిస్తున్నారు
Quoteఅతిపెద్ద జనాభా, ప్రజాస్వామ్యం భారత్ బలంగా ప్రపంచం గుర్తించింది
Quoteఅతిపెద్ద యువ జనాభా, అతిపెద్ద ప్రజాస్వామ్యం భారత్ సొంతం
Quoteదేశంలో వృద్ధి చెందుతున్న అంకురసంస్థలు, ఆవిష్కరణలు, పరిశోధన రంగాలు
Quoteదేశ యువత సామర్థ్యాలను మెరుగుపరుస్తున్నాయి
Quoteప్రైవేట్ రంగంలోనూ కొత్త ఉపాధి అవకాశాలను సృష్టించడంపై ప్రభుత్వం దృష్టి సారించింది
Quoteఇటీవలే ఉపాధి ఆధారిత ప్రోత్సాహక పథకానికీ ఆమోదం
Quoteనేడు భారత్ ప్రధాన బలంగా మారిన తయారీరంగం
Quoteతయారీరంగంలో పెద్ద సంఖ్యలో ఉద్యోగాలు కల్పిస్తున్నాం
Quoteతయారీ రంగాన్ని ప్రోత్సహించడానికే ఈ సంవత్సరం బడ్జెట్‌లో మిషన్ మాన్యుఫాక్చరింగ్ ప్రకటించాం
Quoteగత దశాబ్దంలో 90 కోట్లకు పైగా భారత పౌరులు సంక్షేమ పథకాల పరిధిలోకి వచ్చారని తెలిపిన అంతర్జాతీయ కార్మిక సంస్థ - ఐఎల్ఓ నివేదిక
Quoteప్రపంచ బ్యాంకు వంటి ప్రధాన ప్రపంచస్థాయి సంస్థలు నేడు భారత్‌ను ప్రశంసిస్తున్నాయి
Quoteప్రపంచంలోనే అత్యున్నత సమానత్వం

నమస్కారం!

కేంద్ర ప్రభుత్వంలో యువతకు శాశ్వత ఉద్యోగాలు కల్పించే దిశగా మా చర్యలు స్థిరంగా కొనసాగుతున్నాయి. సిఫార్సు లేదు, అవినీతి లేదు- ఈ విధానానికి మేం కట్టుబడి ఉన్నాం. నేడు 51,000కు పైగా యువతకు నియామక పత్రాలను అందించాం. ఇలాంటి రోజ్‌గార్ మేళాల ద్వారా లక్షలాది మంది యువత ఇప్పటికే భారత ప్రభుత్వంలో శాశ్వత కొలువులను పొందారు. ఈ యువత ఇప్పుడు దేశ పురోగతిలో కీలక పాత్ర పోషిస్తోంది. నేడు మీలో చాలా మంది భారతీయ రైల్వేలలో బాధ్యతలను మొదలుపెట్టారు. కొందరు దేశ భద్రతకు రక్షకులవుతుండగా, మరికొందరు తపాలా శాఖలో నియమితులై ప్రభుత్వ సేవలను ఊరూరా చేరవేయబోతున్నారు. ‘అందరికీ ఆరోగ్యం’ మిషన్‌లో అడుగుపెట్టబోయే సైనికులు మరికొందరు. ఆర్థిక సమ్మిళిత్వాన్ని వేగవంతం చేసేలా సేవలందించేందుకు యువ నిపుణులనేకులు సిద్ధమవుతుండగా, మరికొందరు దేశ పారిశ్రామికాభివృద్ధిని పరుగులు పెట్టించబోతున్నారు. మీ విభాగాలు వేరు కావచ్చు... కానీ లక్ష్యం మాత్రం ఒక్కటే. విభాగం, పని, హోదా, ప్రాంతం ఏవైనా సరే – దేశ సేవే ఏకైక లక్ష్యం. మళ్లీమళ్లీ మనం దీన్ని మననం చేసుకోవాలి. ప్రజలే ప్రథమం: ఇదే మన మార్గదర్శక సూత్రం. దేశ ప్రజలకు సేవ చేయడానికి మీకు గొప్ప వేదిక లభించింది. జీవితంలోని ఈ ముఖ్యమైన దశలో ఇంత గొప్ప విజయాన్ని సాధించిన మీ అందరికీ అభినందనలు. కెరీర్‌లో కొత్త ప్రయాణాన్ని మొదలుపెడుతున్న మీకు నా శుభాకాంక్షలు.

మిత్రులారా,

ప్రజలు, ప్రజాస్వామ్యం.. ఈ రెండూ భారత్‌కు గల అపరిమిత శక్తులని ప్రపంచం నేడు గుర్తించింది. ప్రపంచంలో అత్యధిక సంఖ్యలో యువ జనాభా కలిగిన దేశం, అతిపెద్ద ప్రజాస్వామిక దేశం భారత్. ఈ యువశక్తి దేశ ఉజ్వల భవితకు గొప్ప ఆస్తి, బలమైన భరోసా. ఈ శక్తినే సంక్షేమానికి సాధనంగా మలిచేలా మా ప్రభుత్వం రేయింబవళ్లూ కృషిచేస్తోంది. నేను ఇటీవలే అయిదు దేశాల్లో పర్యటించి వచ్చిన విషయం మీ అందరికీ తెలిసిందే. ప్రతి దేశంలోనూ భారత యువశక్తిపై ప్రశంసలు వెల్లువెత్తాయి. మన యువతకు ప్రపంచవ్యాప్తంగా ప్రత్యేకమైన గుర్తింపు ఉంది. ఈ పర్యటనల సందర్భంగా కుదిరిన అన్ని ఒప్పందాలు దేశంలోనూ విదేశాల్లోనూ భారత యువతకు నిశ్చయంగా ప్రయోజనం చేకూరుస్తాయి. రక్షణ, ఔషధాలు, డిజిటల్ సాంకేతికత, ఇంధనం, అరుదైన భౌగోళిక ఖనిజాల వంటి రంగాల్లో కుదిరిన ఒప్పందాలు భారత్‌కు మున్ముందు విశేష ప్రయోజనాలను చేకూరుస్తాయి. అవి భారత తయారీ, సేవల రంగాలకు బలమైన ప్రోత్సాహాన్నిస్తాయి.

మిత్రులారా,

మారుతున్న కాలానికి అనుగుణంగా 21వ శతాబ్దంలో ఉద్యోగాల స్వభావం కూడా మారుతోంది. ఎప్పటికప్పుడు కొత్త రంగాలు అనేకం వస్తున్నాయి. అందుకే గత దశాబ్ద కాలంగా యువతను ఈ మార్పులకు సన్నద్ధులను చేయడంపై భారత్ దృష్టి పెట్టింది. ఈ శకం అవసరాల దృష్ట్యా.. ప్రభుత్వం ముఖ్య నిర్ణయాలు తీసుకోవడంతోపాటు ఆధునిక విధానాలనూ రూపొందించింది. అంకుర సంస్థల, ఆవిష్కరణలు, పరిశోధనలకు దేశంలో నేడు రూపొందుతున్న అనువైన వ్యవస్థ యువత సమర్థతను పెంచుతోంది. సొంతంగా అంకుర సంస్థలను ప్రారంభించాలనుకునే యువతను చూసినప్పుడల్లా నాలో ఆత్మవిశ్వాసం పెరుగుతుంది. అంకుర సంస్థలకు సంబంధించిన కొన్ని గణాంకాలను ఇప్పుడే డాక్టర్ జితేంద్ర సింగ్ మీ దృష్టికి తెచ్చారు. కొత్తగా ఏదైనా చేయాలనే సంకల్పంతో గొప్ప దార్శనికత, వేగం, శక్తియుక్తులతో ముందుకురుకుతున్న నా దేశ యువతను చూసి గర్విస్తున్నాను.

మిత్రులారా,

ప్రైవేటు రంగంలో కొత్త ఉపాధి అవకాశాలను సృష్టించడంపై కూడా భారత ప్రభుత్వం దృష్టి సారిస్తోంది. ఇటీవలే ఉపాధి ఆధారిత ప్రోత్సాహక పథకం పేరిట ఓ కొత్త పథకాన్ని ప్రభుత్వం ఆమోదించింది. ప్రైవేటు రంగంలో మొదటి ఉద్యోగం పొందే యువతకు ఈ పథకం కింద ప్రభుత్వం రూ. 15,000 అందిస్తుంది. మరోమాటలో చెప్పాలంటే- మొదటి ఉద్యోగం మొదటి జీతానికి సంబంధించి ప్రభుత్వం చేయూతనిస్తోంది. దీనికోసం ప్రభుత్వం దాదాపు రూ. లక్ష కోట్ల బడ్జెటును కేటాయించింది. ఈ పథకం ద్వారా దాదాపు 3.5 కోట్ల కొత్త ఉద్యోగావకాశాలు లభిస్తాయని అంచనా వేస్తున్నారు.

మిత్రులారా,

నేడు తయారీ రంగం మన దేశానికిగల గొప్ప వరం. తయారీ రంగంలో పెద్ద సంఖ్యలో కొత్త ఉద్యోగావకాశాలు లభిస్తున్నాయి. ఈ రంగానికి ఊతమిచ్చేందుకు ‘మిషన్ మాన్యుఫాక్చరింగ్’ను ప్రారంభించినట్లు ఈ ఏడాది కేంద్ర బడ్జెటులో ప్రభుత్వం ప్రకటించింది. కొన్నేళ్లుగా ‘మేకిన్ ఇండియా’ కార్యక్రమాన్ని మేం బలోపేతం చేశాం. ఒక్క పీఎల్ఐ (ఉత్పత్తి ఆధారిత ప్రోత్సాహకాలు) పథకం ద్వారానే దేశంలో 11 లక్షలకు పైగా ఉద్యోగాలు లభించాయి. ఇటీవల మొబైల్ ఫోన్, ఎలక్ట్రానిక్స్ రంగాలు మునుపెన్నడూ లేనిరీతిలో వృద్ధిని సాధించాయి. గత 11 ఏళ్లలో ఇందులో అయిదు రెట్ల వృద్ధి నమోదైంది. నేడు భారత్‌లో ఎలక్ట్రానిక్స్ తయారీ విలువ దాదాపు రూ. 11 లక్షల కోట్లు. అంతకుముందు భారత్‌లో 2 లేదా 4 మాత్రమే మొబైల్ ఫోన్ తయారీ యూనిట్లు ఉండేవి. నేడు మొబైల్ ఫోన్ తయారీకి సంబంధించిన దాదాపు 300 యూనిట్లున్నాయి. లక్షలాది యువతకు అవి ఉద్యోగాలను అందిస్తున్నాయి. మరో ముఖ్యమైన రంగం రక్షణ తయారీ. ముఖ్యంగా ఆపరేషన్ సిందూర్ అనంతరం ఇది అందరి దృష్టినీ ఆకర్షించింది. ఈ రంగం ప్రతిష్ఠ ఇనుమడిస్తోంది. రక్షణ ఉత్పత్తిలో భారత్ కొత్త రికార్డులు సృష్టిస్తోంది. ప్రస్తుతం మన రక్షణ ఉత్పత్తులు రూ. 1.25 లక్షల కోట్లు దాటాయి. లోకోమోటివ్ రంగంలోనూ భారత్ ప్రధాన మైలురాయిని చేరింది. భారత్ నేడు ప్రపంచంలో అతిపెద్ద రైలింజన్ ఉత్పత్తిదారు. రైలింజన్లు, రైలు పెట్టెలు, మెట్రో కోచ్‌లు... ఏవైనా సరే, భారత్ వాటిని పెద్ద సంఖ్యలో అనేక దేశాలకు ఎగుమతి చేస్తోంది. మన ఆటోమొబైల్ రంగం కూడా మునుపెన్నడూ లేనివిధంగా వృద్ధిని సాధిస్తోంది.

గత 5 సంవత్సరాల్లోనే ఈ రంగంలో దాదాపు 40 బిలియన్ డాలర్ల విదేశీ ప్రత్యక్ష పెట్టుబడులు వచ్చాయి. అంటే, కొత్త కంపెనీలు వచ్చాయి. కొత్త కర్మాగారాలను నెలకొల్పడంతోపాటు, కొత్త ఉద్యోగావకాశాలు లభించాయి. అదే సమయంలో దేశంలో రికార్డు స్థాయిలో ఆటోమొబైల్స్ అమ్మకాలతో వాహన డిమాండు పెరిగింది. అనేక రంగాల్లో భారత్ పురోగతి, తయారీలో ఈ రికార్డులు ఊరికే వచ్చినవి కాదు. ఎక్కువ మంది యువత ఉద్యోగాలు పొందుతుండడం వల్లే అవి సాధ్యమవుతున్నాయి. వారి కృషి, తెలివితేటలు, అంకితభావం వల్లే ఇది సాధ్యమైంది. దేశ యువత ఉద్యోగాలను పొందడమే కాకుండా, వాటిలో అత్యున్నతంగా రాణించారు. తయారీ రంగంలో ఇదే ఊపు కొనసాగేలా చూసుకోవడం ఇప్పుడు ప్రభుత్వ ఉద్యోగులుగా మీ కర్తవ్యం. మీరెక్కడ నియమితులైనా.. ఉత్తేజాన్ని నింపాలి... ప్రోత్సాహకులుగా ఉండాలి. అవరోధాలను అధిగమించి ప్రక్రియలను సులభతరం చేయాలి. మీరు వ్యవస్థను ఎంత తేలికగా నడపగలిగితే ప్రజలకు అంత మేలు జరుగుతుంది.

మిత్రులారా,

నేడు మన దేశం ప్రపంచంలో మూడో అతిపెద్ద ఆర్థిక వ్యవస్థగా నిలిచే దిశగా వేగంగా పురోగమిస్తోంది. భారతీయుడెవరైనా ఈ విషయాన్ని గర్వంగా చెప్పగలరు. ఈ ఘనత కూడా మన యువత చేసిన కృషి, వారు కష్టించడం వల్లనే సాధ్యం అయింది.

గత 11 సంవత్సరాల్లో దేశం అన్ని రంగాలలో పురోగతి సాధించింది. ఇటీవల అంతర్జాతీయ కార్మిక సంస్థ (ఐఎల్‌వో) విడుదల చేసిన ఓ నివేదికలోని అంశాలు అత్యంత ప్రశంసనీయార్హమైనవి. గత దశాబ్ద కాలంలో దేశంలోని 90 కోట్లకు పైగా పౌరులు సంక్షేమ పథకాల పరిధిలోకి వచ్చారనని ఈ నివేదిక పేర్కొన్నది. ముఖ్యంగా, ఇది సామాజిక భద్రతను విస్తృతపరచడమే. ఈ పథకాలు సంక్షేమానికే పరిమితం కాదు.. అవి భారీ సంఖ్యలో కొత్త ఉద్యోగాలను కూడా సృష్టించాయి. కొన్ని ఉదాహరణలు చెప్తాను... ప్రధానమంత్రి ఆవాస యోజన: ఈ పథకం కింద, ఇప్పటికే 4 కోట్ల కొత్త పక్కా ఇళ్ళను నిర్మించాం. మరో 3 కోట్ల ఇళ్లు నిర్మాణంలో ఉన్నాయి. ఇంత పెద్ద సంఖ్యలో ఇళ్ళు నిర్మిస్తుంటే.. మేస్త్రీలు, కార్మికులు, ముడి పదార్థాల సరఫరాదారులు, రవాణా చేసేవారు, స్థానిక దుకాణదారులు, లారీ డ్రైవర్లు.. ఇలా అందరికీ పని దొరుకుతుంది. దీని ద్వారా ఎంత భారీ సంఖ్యలో ఉపాధి అవకాశాలు లభించాయో ఊహించండి! ఇంకా సంతోషకరమైన విషయం ఏమిటంటే ఈ ఉపాధి అవకాశాల్లో ఎక్కువ భాగం గ్రామీణ ప్రాంతాల్లోనే ఉన్నాయి. కాబట్టి ప్రజలు నగరాలకు వలస పోవాల్సిన అవసరం లేదు. అదేవిధంగా దేశవ్యాప్తంగా కొత్తగా 12 కోట్ల టాయిలెట్లను నిర్మించారు. ఇది నిర్మాణ రంగంలోనే కాకుండా, మన విశ్వకర్మ సమాజానికి చెందిన ప్లంబర్లు, వడ్రంగులు, నైపుణ్యం కలిగిన కార్మికులకు కూడా పని దొరికేలా చేసింది. ఇలా ఉద్యోగావకాశాలు విస్తరించి, క్రియాశీల ప్రభావాన్ని చూపుతున్నాయి. అదేవిధంగా ఉజ్వల పథకం కింద 10 కోట్లకు పైగా కొత్త ఎల్‌పీజీ కనెక్షన్లను అందించాం. దీనికోసం పెద్ద సంఖ్యలో ఎల్పీజీ బాటిలింగ్ యూనిట్లు నెలకొల్పారు. ఇది సిలిండర్ తయారీదారులు, పంపిణీ సంస్థలు, డెలివరీ సిబ్బందికి ఉపాధిని కల్పిస్తోంది. మీరు జాగ్రత్తగా పరిశీలిస్తే.. ప్రతీ కార్యక్రమం అనేక దశల్లో ఉద్యోగ ఉపాధి అవకాశాలను అందిస్తోంది. ఈ కార్యక్రమాల ద్వారా లక్షలాది ప్రజలు కొత్త ఉద్యోగాలను పొందారు.

మిత్రులారా,

మరో పథకం గురించి నేను చెప్పాలనుకుంటున్నాను. ‘ఇంకో లడ్డూ కావాలా’ అని మనం మాట్లాడుకుంటాం చూడండి- అలాంటిదే ఇది. అది పీఎం సూర్య ఘర్ ముఫ్త్ బిజిలీ యోజన. ఈ పథకం కింద ప్రతి ఇంటికీ పైకప్పులపై సౌర ఫలకాలను ఏర్పాటు చేసుకోవడానికి సగటున రూ. 75,000 సబ్సిడీని ప్రభుత్వం అందిస్తోంది. ఇది ఇంటి పైకప్పును విద్యుత్ ప్లాంటుగా మారుస్తుంది. గృహ అవసరాల కోసం మాత్రమే కాదు.. మిగులు విద్యుత్ ఉంటే గ్రిడ్‌కు విక్రయించే అవకాశం కూడా ఉంది. ఇది కరెంటు బిల్లులు చెల్లించాల్సి అవసరం లేకుండా చేసి కుటుంబాలకు పెద్దమొత్తంలో డబ్బును ఆదా చేస్తుంది. ఈ ప్లాంట్లను ఏర్పాటు చేయడానికి ఇంజినీర్లు, సాంకేతిక నిపుణులు అవసరం. సోలార్ ప్యానెల్ తయారీ కర్మాగారాలు, ముడి పదార్థాల సరఫరాదారులు పెరుగుతున్నారు. సామగ్రిని తరలించడానికి రవాణా రంగంలో నిర్వాహకులను నియమించాలి. ఈ వ్యవస్థల నిర్వహణ, మరమ్మతుల కోసం ఒక సరికొత్త పరిశ్రమే ఆవిర్భవిస్తోంది. ఒక్కసారి ఆలోచించండి – ఈ ప్రయోజనాలు పౌరులకు సహాయపడడమే కాకుండా, లక్షలాది కొత్త ఉపాధి అవకాశాలను కూడా సృష్టిస్తున్నాయి.

మిత్రులారా,

‘నమో డ్రోన్ దీదీ’ కార్యక్రమం మన అక్కాచెల్లెళ్లు, బిడ్డల ఆదాయాన్ని పెంచడంతోపాటు గ్రామీణ ప్రాంతాల్లో కొత్త ఉపాధి అవకాశాలను కూడా సృష్టించింది. ఈ పథకం కింద లక్షలాది గ్రామీణ మహిళలు డ్రోన్ పైలట్లుగా శిక్షణ పొందుతున్నారు. గ్రామాలకు చెందిన మన తల్లులు, అక్కాచెల్లెళ్లు.. డ్రోన్ దీదీలుగా కాంట్రాక్ట్ ప్రాతిపదికన డ్రోన్ ఆధారిత వ్యవసాయ సేవలను అందిస్తూ, ఒకే వ్యవసాయ సీజన్‌లో లక్షల రూపాయలు సంపాదిస్తున్నారని అందుబాటులో ఉన్న పలు నివేదికలు వెల్లడిస్తున్నాయి. అంతేకాదు, దేశంలో డ్రోన్ తయారీ రంగానికి కూడా ఈ పథకం ఊపునిస్తోంది. వ్యవసాయమైనా రక్షణ రంగమైనా.. డ్రోన్ తయారీ దేశ యువతకు కొత్త అవకాశాలను అందిస్తోంది.

మిత్రులారా,

మూడు కోట్ల మహిళలను లాఖ్‌పతి దీదీలుగా తీర్చిదిద్దే కార్యక్రమం కొనసాగుతోంది. వీరిలో 1.5 కోట్ల మహిళలు ఇప్పటికే ఈ లక్ష్యాన్ని సాధించారు. మీకు తెలుసు.. లాఖ్‌పతి దీదీ కావడమంటే ఒక్కసారి మాత్రమే కాదు, స్థిరంగా ఏటా కనీసం లక్ష రూపాయలు సంపాదించడం. అదే దీనికి ప్రమాణం. 1.5 కోట్ల లాఖ్‌పతి దీదీలు! నేడు మీరు గ్రామాల్లోకి వెళ్తే.. బ్యాంక్ సఖి, బీమా సఖి, కృషి సఖి, పశు సఖి వంటి పదాలు మీకు వినిపిస్తాయి. గ్రామాల్లోని మన తల్లులు, అక్కాచెల్లెళ్లు ఉపాధి అవకాశాలు పొందిన వివిధ పథకాలవి. అదేవిధంగా, ప్రధానమంత్రి స్వనిధి పథకం ద్వారా మొదటిసారిగా వీధి వ్యాపారులు, విక్రేతలకు చేయూత లభించింది. లక్షల మంది దీని ద్వారా ప్రయోజనం పొందారు. డిజిటల్ చెల్లింపుల కారణంగా, రోడ్డు పక్కన ఉండే విక్రేతలు కూడా ఇప్పుడు నగదు కన్నా యూపీఐ వైపే మొగ్గు చూపుతున్నారు. ఎందుకు? ఎందుకంటే ఇది వారికి బ్యాంకు నుంచి అప్పటికప్పుడే మరిన్ని రుణాలను పొందేందుకు వీలు కల్పిస్తుంది. బ్యాంకులు వారిని మరింత విశ్వసిస్తాయి. కుప్పలకొద్దీ పత్రాలతో వారికి పనిలేదు. అంటే, ఓ చిన్న వీధి వ్యాపారి కూడా ఇప్పుడు ఆత్మవిశ్వాసంతో, సగర్వంగా ముందుకు సాగుతున్నాడు. ప్రధానమంత్రి విశ్వకర్మ పథకాన్నే ఉదాహరణగా తీసుకోండి. సాంప్రదాయక, పరంపరగా వస్తున్న, కుటుంబ ఆధారిత హస్తకళలు, వర్తకాలను ఆధునికీకరించడం, నవీకరించడంపై ఇది ప్రధానంగా దృష్టి సారించింది. ఆధునిక పరికరాలను అందించడం, కళాకారులకు శిక్షణ ఇవ్వడం, రుణ సౌలభ్యాన్ని అందించడం ద్వారా ఈ పథకం చేయూతనిస్తుంది. పేదల అభ్యున్నతికి, అలాగే యువతకు ఉపాధి లభించే పథకాలు అనేకం ఉన్నాయి. ఇవి ఎంతలా ప్రభావం చూపాయంటే- పదేళ్లలోనే 25 కోట్ల భారతీయులు పేదరికాన్ని అధిగమించారు. ఒక్కసారి ఆలోచించండి - ఉద్యోగం దొరకకపోతే, కుటుంబంలో ఆదాయం లేకపోతే, మూణ్నాలుగు తరాలుగా పేదరికంలో మగ్గిపోతున్న వ్యక్తి ఆ అంధకారం నుంచి బయటకు రావడాన్ని కనీసం ఊహించగలడా? వారికి, ప్రతిరోజూ మనుగడ కోసం పోరాటమే. జీవితం భారంగా అనిపిస్తుంది. కానీ నేడు, వారు తమ శక్తియుక్తులతో పేదరికాన్ని జయించారు. విజేతలుగా నిలిచిన ఈ 25 కోట్ల సోదరీసోదరుల దృఢ సంకల్పానికి నేను ప్రణమిల్లుతున్నాను. వారు ప్రభుత్వ పథకాలను ఉపయోగించుకున్నారు. ఫిర్యాదులు చేస్తూ కూర్చోలేదు. వారు పేదరికంతో పోరాడారు. దానిని సమూలంగా పెకలించి, విజయం సాధించారు. ఇప్పుడు ఈ 25 కోట్ల మందిలో ఎంతటి ఆత్మవిశ్వాసం ఉంటుందో ఊహించండి! ఓ వ్యక్తి సంక్షోభాన్ని అధిగమిస్తే, కొత్త హుషారు వస్తుంది. ఇప్పుడు మన దేశంలో ఈ కొత్త శక్తి కనిపిస్తోంది. ఇది దేశాన్ని ముందుకు తీసుకెళ్లడంలో కీలక పాత్ర పోషిస్తుంది. నేను స్పష్టంగా చెప్తున్నాను. ఇదేదో ప్రభుత్వం మాత్రమే చెబుతున్నది కాదు. ప్రపంచ బ్యాంకు వంటి అంతర్జాతీయ సంస్థలు నేడు ఈ విజయంపట్ల భారత్‌ను మెచ్చుకుంటున్నాయి. ప్రపంచం భారత్‌ను ఓ ఆదర్శంగా చూస్తోంది. సమానత్వం పరంగా, నేడు ప్రపంచంలోని అగ్రశ్రేణి దేశాలలో ఒకటిగా భారత్ నిలుస్తోంది. అంటే, అసమానతలు వేగంగా తగ్గుతున్నాయి. గొప్ప సమానత్వం దిశగా మనం పయనిస్తున్నాం. ఈ పరివర్తనను ప్రపంచం గమనిస్తోంది.

మిత్రులారా,

పేదల సంక్షేమం, ఉపాధి కల్పన దిశగా గొప్ప అభివృద్ధి లక్ష్యంతో సాగుతున్న ప్రయాణాన్ని ముందుకు తీసుకెళ్లే బాధ్యత ఈరోజు నుంచి మీపైనా ఉంది. ప్రభుత్వం ఎప్పుడూ అడ్డంకిగా ఉండకూడదు. అది అభివృద్ధికి దోహదకారిగా ఉండాలి. అభివృద్ధి చెందేందుకు ప్రతి వ్యక్తికీ అవకాశాలుండాలి. చేయూతనిచ్చే పాత్ర మనది. మీరంతా యువకులు. మీ మీద నాకు చాలా నమ్మకముంది. మీ మీద నాకు ఎన్నో ఆశలున్నాయి. మిమ్మల్ని ఎక్కడ నియమించినా, మీరెప్పుడూ ప్రజలకే ప్రాధాన్యమివ్వాలి. వారికి సహాయం చేయడం.. వారి కష్టాలను తగ్గించడం... అదే దేశాన్ని వేగంగా ముందుకు నడిపిస్తుంది. భారత అమృత కాలంలో, ఈ సువర్ణావకాశాల యుగంలో మీరు క్రియాశీల భాగస్వాములు కావాలి. రాబోయే 20 - 25 సంవత్సరాలు మీ కెరియర్ కే కాదు, మొత్తం దేశ భవిష్యత్తుకు కూడా చాలా కీలకం. ‘వికసిత భారత్’ నిర్మాణానికి ఇవి నిర్ణయాత్మక సంవత్సరాలు. అందుకే మీ పని, మీ విధులు, మీ లక్ష్యాలు అన్నీ వికసిత భారత్ సంకల్పానికి అనుగుణంగా ఉండాలి. ‘నాగరిక దేవో భవో (ప్రజల దేవుళ్లు)’- ఇదే మంత్రప్రదంగా మీ నరనరాల్లో ప్రవహించాలి. మీ మనస్సులో, ఆలోచనల్లో ఇదే ఉండాలి. మీ నడవడిలో, ప్రవర్తనలో ఆ స్ఫూర్తి ప్రతిబింబించాలి.

మిత్రులారా, గత పదేళ్లుగా దేశాన్ని ముందుకు తీసుకెళ్లడంలో ఈ యువశక్తి నాతో పాటు నిలిచిందన్న పూర్తి నమ్మకం నాకుంది. వారెక్కడున్నా నా ప్రతి మాటనూ మనస్ఫూర్తిగా విన్నారు. దేశం కోసం వారు చేయగలిగినదంతా చేశారు. ఇప్పుడు ఈ అవకాశం మీకు లభించింది. మీపై ఇంకా చాలా అంచనాలున్నాయి. మీ బాధ్యత చాలా పెద్దది. మీరు అవకాశాన్ని ఉపయోగించుకుని దాన్ని సాకారం చేస్తారన్న నమ్మకం నాకుంది. మీ అందరికీ మరోసారి మనస్ఫూర్తిగా శుభాకాంక్షలు తెలియజేస్తున్నాను. మీ కుటుంబాలకు నా హృదయపూర్వక శుభాకాంక్షలు. మీకెంతో ఉజ్వలమైన భవిష్యత్తు ఉంది. మీరంతా జీవితంలో గొప్ప విజయాలు సాధించాలని కోరుకుంటున్నాను. ఐగాట్ వేదిక ద్వారా ఎప్పటికప్పుడు మిమ్మల్ని మీరు తీర్చిదిద్దుకుంటూ ఉండండి. ఇప్పుడు మీకో అవకాశం వచ్చింది... వెనక్కి తగ్గకండి. గొప్పగా కలలు కనండి.. ఉన్నత లక్ష్యాలను నిర్దేశించుకోండి. నిరంతర కృషి, అభ్యాసం, కొత్త ఫలితాలతో ముందుకు సాగండి. మీ పురోగతి దేశానికి గర్వకారణం. మీ అభివృద్ధితోనే నాకు సంతృప్తి కలుగుతుంది. అందుకే.. నేడు మీరు జీవితంలో కొత్త ప్రయాణాన్ని ప్రారంభిస్తున్న ఈ వేళ మీతో మాట్లాడటానికి, మిమ్మల్ని ఆశీర్వదించడానికి, ఎన్నో కలలను నెరవేర్చుకోవడంలో నా భాగస్వామిగా మిమ్మల్ని స్వాగతించడానికి నేనిక్కడికి వచ్చాను. ఓ సన్నిహితుడైన, నమ్మకమైన సహచరుడిగా మీకు హృదయపూర్వకంగా స్వాగతం పలుకుతున్నాను. మీ అందరికీ ధన్యవాదాలు, శుభాకాంక్షలు.