QuoteUjjwala Yojana aims to provide cooking gas connections to five crore below-poverty-line beneficiaries: PM Modi
QuoteThe aim of all workers across the world should be to unite the world: PM Modi
QuoteUnion Government’s primary focus is the welfare of the poor: PM
QuoteFruits of development must reach eastern part of India, for us to gain strength in the fight against poverty: PM
QuotePradhan Mantri Ujjwala Yojana will benefit the poor, especially the women: PM Modi
QuoteSchemes must be made for the welfare of the poor not keeping in mind considerations of the ballot box: PM

विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

भृगु बाबा की धरती पर रउवा, सभन के प्रणाम। ‘ई धरती त साक्षात भृगु जी की भूमि रहल’ ब्रह्मा जी भी यही जमीन पर उतर रहल। रामजी यहीं से विश्वामित्र मुनी के साथे गइल। त सुन्दर धरती पर सभी के हाथ जोड़ के फिर से प्रणाम।

भाइयों – बहनों मैं पहले भी बलिया आया हूं। ये बलिया की धरती क्रांतिकारी धरती है। देश को आजादी दिलाने के लिए इसी धरती के मंगल पाण्डे और वहां से लेकर के चितु पाण्डे तक एक ऐसा सिलसिला हर पीढ़ी में, हर समय देश के लिए जीने-मरने वाले लोग इस बलिया की धरती ने दिये। ऐसी धरती को मैं नमन करता हूं। यही धरती है जहां भारत के प्रधानमंत्री श्रीमान चन्द्र शेखर जी का भी नाम जुड़ा हुआ है। यही धरती है, जिसका सीधा नाता बाबू जयप्रकाश नारायण के साथ जुड़ता है। और यही तो धरती है। उत्तर प्रदेश राम मनोहर लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय के बिना अधूरा लगता है। ऐसे एक से बढ़कर एक दिग्गज, जिस धरती ने दिये उस धरती को मैं नमन करता हूं। आपके प्यार के लिए सत्, सत् नमन।

आप मुझे जितना प्यार देते हैं, मुझ पर आपका कर्ज चड़ता ही जाता है, चढ़ता ही जाता है, लेकिन मेरे प्यारे भाइयों -बहनों मैं इस कर्ज को इस प्यार वाले कर्ज को ब्याज समेत चुकाने का संकल्प लेकर के काम कर रहा हूं और ब्याज समेत मैं चुकाऊंगा, विकास करके चुकाऊंगा मेरे भाइयों बहनों, विकास कर के चुकाऊंगा।

आज पहली May है, एक मई, पूरा विश्व आज श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। और आज देश का ये ‘मजदूर नम्बर एक’ देश के सभी श्रमिकों को उनके पुरुषार्थ को, उनके परिश्रम को, राष्ट्र को आगे बढ़ाने में उनके अविरथ योगदान को कोटि-कोटि अभिनन्दन करता है। उस महान परम्परा को प्रणाम करता है।

भाइयों–बहनों दुनिया में एक नारा चलता था। जिस नारे में राजनीति की बू स्वाभाविक थी। और वो नारा चल रहा था। दुनिया के मजदूर एक था, दुनिया के मजदूर एक हो जाओ, और वर्ग संघर्ष के लिए मजदूरों को एक करने के आह्वान हुआ करते थे। भाइयों–बहनों जो लोग इस विचार को लेकर के चले थे, आज दुनिया के राजनीतिक नक्शे पर धीरे-धीरे करके वो अपनी जगह खोते चले जा रहे हैं। 21वीं सदी में दुनिया के मजदूर एक हो जाओ इतनी बात से चलने वाला नहीं है। 21वीं सदी की आवश्यकताएं अलग हैं, 21वीं सदी की स्थितियां अलग है और इसलिये 21वीं सदी का मंत्र एक ही हो सकता है ‘विश्व के मजदूरों विश्व के श्रमिकों आओ हम दुनिया को एक करें दुनिया को जोड़ दें’ ये नारा 21वीं सदी का होना चाहिए।

वो एक वक्त था ‘Labourers of the World, Unite’, आज वक्त है ‘Labourers, Unite the World’ ये बदलाव इस मंत्र के साथ। आज दुनिया को जोड़ने की जरूरत है। और दुनिया को जोड़ने के लिए अगर सबसे बड़ा कोई chemical है, सबसे बड़ा ऊर्जावान कोई cementing force है, तो वो मजदूर का पसीना है। उस पसीने में एक ऐसी ताकत है, जो दुनिया को जोड़ सकता है।

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भाइयों–बहनों जब आप लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को भारी बहुमत से विजयी बनाया। तीस साल के बाद दिल्ली में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। और NDA के सभी घटकों ने मुझे अपने नेता के रूप में चुना, तो उस दिन Parliament के Central Hall में मेरे प्रथम भाषण में मैंने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है। ये सरकार जो भी करेगी वो गरीबों की भलाई के लिये करेगी, गरीबों के कल्याण के लिये करेगी। भाइयों-बहनों हमने मजदूरों के लिए भी श्रम कानूनों में, श्रमिकों की सरकार के साथ संबंधों में, एक आमूलचूल परिवर्तन लाया है। अनेक बदलाव लाए हैं। मेरे प्यारे भाइयों-बहनों आपको जानकर के दुःख होगा, पीड़ा होगी, आश्चर्य भी होगा कि हमारे देश में सरकार से जिनको पैंशन मिलता था, इस देश में तीस लाख से ज्यादा श्रमिक ऐसे थे, जिसको पैंशन किसी को 15 रुपया महीने का, किसी को 100 रुपया, किसी को 50 रुपया इतना पैंशन मिलता था। आप मुझे बताइए कि पैंशन लेने के लिए वो गरीब वृद्ध व्यक्ति दफ्तर जाएगा, तो उसका बस का किराय का खर्चा हो जाएगा, ऑटो रिक्शा का खर्चा हो जाएगा। लेकिन सालों से मेरे देश के बनाने वाले श्रमिकों को 15 रुपया, 20 रुपया, 50 रुपया, 100 रुपया पैंशन मिलता था। हमने आकर के इन तीस लाख से ज्यादा मेरे श्रमिकों परिवारों को minimum 1000 रुपया पैंशन देने का निर्णय कर लिया, लागू कर दिया और उस गरीब परिवार को वो पैंशन मिलने लग गया।

भाइयों-बहनों हमारे यहां कभी कभार गरीबों के लिये योजनाओं की चर्चाएं बहुत होती हैं और उनकी भलाई के लिए काम करने की बातें भी बहुत होती हैं। हमने आने के बाद एक श्रम सुविधा पोर्टल चालू किया, जिसके तहत आठ महत्वपूर्ण श्रम कानूनों को एकत्र कर के उसका सरलीकरण करने का काम कर लिया। पहली बार देश के श्रमिकों को एक Labour Identity Number (LIN) ये नम्बर दिया गया, ताकि हमारे श्रमिक की पहचान बन जाए। इतना ही नहीं हमारे देश के श्रमिकों को पूरे देश में Opportunity प्राप्त हो। इसलिए NCSP इसकी हमने एक National Career Service Portal, इसकी शुरुआत की। ताकि जिसको रोजगार देना है और जिसको रोजगार लेना है दोनों के बीच एक सरलता से तालमेल हो सके।

भाइयों-बहनों बोनस का कानून हमारे देश में सालों से है। बोनस का कानून यह था कि 10 हजार रुपये से अगर कम आवक है और कंपनी बोनस देना चाहती है तो उसी को मिलेगा। आज के जमाने में 10 हजार रुपये की आय कुछ नहीं होती है। और उसके कारण अधिकतम श्रमिकों को बोनस नहीं मिलता था। हमने आकर के निर्णय किया कि minimum income 10 हजार से बढ़ाकर के 21 हजार रुपया कर दी जाए। इतना ही नहीं पहले बोनस सिर्फ साढ़े तीन हजार रुपया मिलता था। हमने निर्णय किया कि ये बोनस minimum सात हजार रुपया मिलेगा और उससे भी ज्यादा उसका पाने का हक़ बनता है तो वो भी उसको मिलेगा।

भाइयों-बहनों कभी हमारा श्रमिक एक जगह से दूसरी जगह पर नौकरी चला जाता था, तो उसके जो पीएफ वगैरह के पैसे कटते थे उसका कोई हिसाब ही नहीं रहता था। वो गरीब मजदूर बेचारा पुरानी जगह पर लेने के लिए वापस नहीं जाता था। सरकार के खजाने में करीब 27 हजार करोड़ रुपया इन मेरे गरीबों के पड़े हुए थे। कोई सरकार उसकी सूंघ लेने को तैयार नहीं था। हमने आकर के सभी मजदूरों को ऐसे कानून में बांध दिया कि मजदूर जहां जाएगा उसके साथ उसके ये Provident Fund के पैसे भी साथ-साथ चले जाएंगे। और उसको जब जरूरत पड़ेगी वो पैसे ले सकता है। आज वो 27 हजार करोड़ रुपयों का मालिक बन सकेगा। ऐसी व्यवस्था हमने की है।

भाइयों-बहनों हमारे यहां Construction के काम में बहुत बड़ी मात्रा में मजदूर होते हैं। करीब चार करोड़ से ज्यादा मजदूर Construction के काम में हैं, इमारत बनाते हैं, मकान बनाते हैं, लेकिन उनके देखभाल की व्यवस्था नहीं थी। श्रमिक कानूनों में परिवर्तन करके आज हमने इन Construction के श्रमिकों के लिए उनके आरोग्य के लिए, उनके insurance के लिए, उनके bank account के लिए, इनके पैंशन के लिए एक व्यापक योजना बना कर के हमारे Construction के मजदूरों को भी हमनें उसका फायदा दिया है।

भाइयों–बहनों हमारा उत्तर प्रदेश जिसने अनेक-अनेक प्रधानमंत्री दिये, लेकिन क्या कारण कि हमारी गरीबी बढ़ती ही गई बढ़ती ही गई। गरीबों की संख्या भी बढ़ती गई। हमारी नीतियों में ऐसी क्या कमी थी कि हम गरीबों को गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिये तैयार नहीं कर पाए। ऐसा क्या कारण था कि हमने गरीबों को सिर्फ गरीबी के बीच जीना नहीं, लेकिन हमेशा सरकारों के पास हाथ फैलाने के लिए मजबूर कर के छोड़ दिया, उसके जमीर को हमने खत्म कर दिया। गरीबी के खिलाफ लड़ने का उसका हौसला हमने तबाह कर दिया। भाइयों–बहनों अभी धर्मेन्द्र जी बता रहे थे के गाजीपुर के सांसद नेहरू के जमाने में पूरे हिन्दुस्तान को हिला दिया था। जब उन्होंने संसद में कहा कि मेरे पूर्वी उत्तर प्रदेश के भाई-बहन ऐसी गरीबी में जी रहे हैं के उनके पास खाने के लिए अन्न नहीं होता है। पशु के गोबर को धोते हैं और उस गोबर में से जो दाने निकलते हैं उन दानों से पेट भर के वे अपना गुजारा करते हैं। जब ये बात संसद में कही गई थी, पूरा हिन्दुस्तान हिल गया था और तब एक पटेल कमीशन बैठा था। यहां की स्थिति सुधारने के लिए। कई बातों का सुझाव आज से पचास साल पहले दिया गया था। लेकिन उन सुझाव पर क्या हुआ, वो तो भगवान जाने। लेकिन भाइयों–बहनों उसमें एक सुझाव था। उसमें एक सुझाव था ताड़ी घाट, गाजीपुर, और मऊ इसे रेल से जोड़ा जाए। पचास साल बीत गए, वो बात कागज पर ही रही। मैं भाई मनोज सिन्हा को हृदय से अभिनन्दन करता हूं, यहां के मेरे भारतीय जनता पार्टी के सभी सांसदों का अभिनन्दन करता हूं कि वे पचास साल पहले जिन बातों को भुला दिया गया था उसको लेकर के निकल पड़े, मुझ पर दबाव डालते रहे। बार-बार मिलते रहे, और आज मैं संतोष से कह सकता हूं उस रेल लाइन के लिए बजट आवंटन करने का निर्णय हमने कर लिया और उस काम को हम आगे बढ़ाएंगे। गंगा के ऊपर रेल और रोड का दोनों bridge बनेंगे। ताकि infrastructure होता है, जो विकास के लिए एक नया रास्ता भी खोलता है और उस दिशा में हम का कर रहे हैं।

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भाइयों-बहनों आज मैं बलिया की धरती पर से मेरे देश के उन एक करोड़ परिवारों को सर झुका कर के नमन करना चाहता हूं, उनका अभिनन्दन करना चाहता हूं। करीब एक करोड़ दस लाख से भी ज्यादा ऐसे परिवार हैं, जिनको मैंने कहा था कि अगर आप खर्च कर सकते हो तो रसोई गैस की सब्सिडी क्यों लेते हो। क्या आप पांच-दस हजार रुपया का बोझ नहीं उठा सकते साल का। क्या आप सब्सिडी Voluntarily छोड़ नहीं सकते। मैंने ऐसे ही एक कार्यक्रम में बोल दिया था। मैंने ज्यादा सोचा भी नहीं था, न योजना बनाई थी, न follow-up करने की व्यवस्था की थी, यूहीं दिल से एक आवाज उठी और मैंने बोल दिया। आज एक साल के भीतर-भीतर मेरे देश के लोग कितने महान हैं। अगर कोई अच्छा काम हो तो सरकार से भी दो कदम आगे जाकर के चलने के लिए तैयार रहते हैं। इसका ये उदहारण है । आज के युग में, हम बस में जाते हों, बगल वाली सीट खाली हो और हमें लगे की चलो बगल में कोई पैसेंजर नहीं है तो जरा ठीक से बैठूंगा। आराम से प्रवास करूंगा। लेकिन अगर कोई पैसेंजर आ गया, बगल में बैठ गया, हम तो हमारी सीट पर बैठे हैं, तो भी थोड़ा मुंह बिगड़ जाता है। मन में होता है ये कहां से आ गया। जैसे मेरी सीट ले ली हो। ऐसा जमाना है। ऐसे समय एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवार सिर्फ बातों–बातों में कहने पर प्रधानमंत्री की बात को गले लगा कर के सर आंखों पर चढ़ा के एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवार अपनी सब्सिडी छोड़ दें। इससे बड़ा क्या होगा। मैं आप सब से कहता हूं उन एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवारों के लिये जोर से तारियां बजाइए। उनका सम्मान कीजिए। उनका गौरव कीजिए। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं मेरे भाइयों – बहनों। ये देश के लिए किया हुआ काम है। ये गरीबों के लिये किया हुआ काम है। इन लोगों का जितना गौरव करें उतना कम है। और हमारे देश में लेने वाले से ज्यादा देने वाले की इज्जत होती है। ये देने वाले लोग हैं। जहां भी बैठे होंगे ये तालियों की गूंज उन तक सुनाई देती होगी और वो गौरव महसूस करते होंगे।

भाइयों – बहनों हमने कहा था गरीबों के लिए जो सब्सिडी छोड़ेगा वो पैसे सरकार की तिजोरी में नहीं जाएगी। वो पैसे गरीबों के घर में जाएंगे। एक साल में ये इतिहासिक रिकॉर्ड है भाइयों 1955 से, रसोई गैस देने का काम चल रहा है। इतने सालों में 13 करोड़ परिवारों को रसोई गैस मिला। सिर्फ 13 करोड़ परिवारों को करीब साठ साल में, मेरे भाइयों–बहनों हमने एक साल में तीन करोड़ से ज्यादा परिवारों को रसोई का गैस दे दिया। जिन लोगों ने सब्सिडी छोड़ी थी वो गैस सिलंडर गरीब के घर में पहुंच गया।

भाइयों-बहनों हम जानते हैं कि लोग कहते हैं कि मोदी जी बलिया में कार्यक्रम क्यों किया। हमारा देश का एक दुर्भाग्य है, कुछ लोग राजनीति में नहीं हैं, लेकिन उनको 24ओं घंटे राजनीति के सिवा कुछ दिखता ही नहीं है। किसी ने लिख दिया कि बलिया में मोदी जो आज कार्यक्रम कर रहे हैं वो चुनाव का बिगुल बजा रहे हैं। वे चुनाव का बिगुल बजा रहे हैं। अरे मेरे मेहरबानों हम कोई चुनाव का बिगुल बजाने नहीं आए हैं। ये बिगुल तो मतदाता बजाते हैं। हम बिगुल बजाने नहीं आए हैं।

भाइयों –बहनों अभी मैं पिछले हफ्ते झारखंड में एक योजना लागू करने के लिए गया था, झारखंड में कोई चुनाव नहीं है। मैं कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश में एक योजना लागू करने गया था, वहां पर कोई चुनाव नहीं है। मैंने ‘बेटी बचाओ’ अभियान हरियाणा से चालू किया था, वहां कोई चुनाव नहीं है। ये बलिया में ये रसोई गैस का कार्यक्रम इसलिए तय किया कि उत्तर प्रदेश में जो एवरेज हर जिले में जो रसोई गैस है, बलिया में कम से कम है, इसलिये मैं बलिया आया हूं। ये ऐसा इलाका है, जहां अभी भी गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले 100 में से मुश्किल से आठ परिवारों के घर में रसोई गैस जाता है। और इसलिये भाइयों –बहनों बलिया जहां कम से कम परिवारों में रसोई गैस जाता है, इसलिए मैंने आज बलिया में आकर के देश के सामने इतनी बड़ी योजना लागू करने का निर्णय किया। मैंने हरियाणा में बेटी बचाओ इसलिये कार्यक्रम लिया था, क्योंकि हरियाणा में बालकों की संख्या की तुलना में बेटियों की संख्या बहुत कम थी। बड़ी चिंताजनक स्थिति थी। और इसलिए मैंने वहां जाकर के खड़ा हो गया और उस काम के लिए प्रेरित किया और आज हरियाणा ने बेटी बाचाने के काम में हिन्दुस्तान में नम्बर एक लाकर के खड़ा कर दिया। और इसलिए भाइयों–बहनों मैं इस पूर्वी उत्तर प्रदेश में बलिया में इसलिये आया हूं, क्योंकि हमें गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है। अगर पूर्वी हिन्दुस्तान पश्चिमी हिन्दुस्तान की बराबरी भी कर ले तो इस देश में गरीबी का नामोनिशान नहीं रहेगा, मेरा मानना है। मेरा पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेरा बिहार, मेरा पश्चिम बंगाल, मेरा असम, मेरा नॉर्थ ईस्ट, मेरा ओड़िशा, ये ऐसे प्रदेश हैं कि अगर वहां विकास गरीबों के लिए पहुंच जाए, तो गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में हम सफल हो जाएंगे भाइयों।

आप मुझे बताइए एक जमाना था, बहुत लोगों को ये रसोई गैस की ताकत क्या है अभी भी समझ नहीं आती। बहुत लोगों को ये रसोई गैस की राजनीति क्या थी ये भी भूल चुके हैं, बहुत लोग ये रसोई गैस कितना मूल्यवान माना जाता था वो भूल गए हैं। मैं आज जरा याद दिलाना चाहता हूं। मैं political पंडितों को याद दिलाना चाहता हूं। दिल्ली में बैठकर के air-conditioned कमरे में बढ़िया-बढ़िया सलाह देने वालों को मैं आज झकझोड़ना चाहता हूं। उनको मैं हिलाना चाहता हूं, मैं उनको समझाना चाहता हूं। वो दिन याद करो, वो दिन याद करो, जब सांसद Parliament का Member बनता था, तो उसको हर साल रसोई गैस की 25 कूपन दी जाती थी और वो अपने इलाके में 25 परिवारों को साल में रसोई गैस दिलवाता था। और वो इतना गर्व करता था कि मैंने मेरे इलाके में 25 परिवारों को एक साल में रसोई गैस का connection दिलवा दिया। ये बहुत दूर की बात नहीं कर रहा हूं। मैं अभी-अभी पिछले सालों की बात करता हूं। और अखबारों में खबरें आती थीं कि सांसद महोदय ने कालेबाजारी में रसोई गैस का टिकट बेच दिया। ऐसे भी लोग थे कि रसोई गैस का connection लेने के लिए दस-दस, 15-15 हजार रुपया वो टिकट खरीदने के लिए black में खर्च करते थे। वो दिन थे और आज ये सरकार देखिए। एक-एक सांसद के क्षेत्र में हिन्दुस्तान के एक-एक Parliament Member के क्षेत्र में किसी के यहां साल में दस हजार गैल सिलंडर पहुंच जाएंगे, किसी के यहां बीस हजार, किसी के यहां पचास हजार और तीन साल के भीतर –भीतर पांच करोड़ गरीब परिवारों में ये रसोई गैस पहुंचाने का मेरा इरादा है। पांच करोड़ परिवारों में, भाइयों–बहनों ये पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस पहुंचाना ये छोटा काम नहीं है। इतना बड़ा काम, इतना बड़ा काम आज मैं गरीब माताओं बहनों के लिए लेकर आया हूं। आपने देखा होगा, मैं इन माताओं को पूछ रहा था कि आपने कभी सोचा था कि आपके घर में कभी रसोई गैस आएगा, उन्होंने कहा नहीं हमने तो सोचा नहीं था कि हमारे बच्चों के नसीब में भी रसोई गैस आएगा, ये हमने सोचा नहीं था। मैंने पूछा रसोई में कितना टाइम जाता है वो कहते लकड़ी लेने जाना पड़ता है, लकड़ी जलाते हैं , बुझ जाती है, कभी आधी रोटी रह जाती है फिर लकड़ी लेने जाते हैं, बड़ी अपनी मुसीबत बता रही थी। भाइयों –बहनों ये रसोई गैस के कारण पांच करोड़ परिवार 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी। 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी तब गांव और गरीब के लिए पांच करोड़ गैस रसोई गैस पहुंच चुके होंगे भाइयों, समय सीमा में काम करने का हमने फैसला किया है।

एक गरीब मां जब लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है, तो वैज्ञानिकों का कहना है कि गरीब मां लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है, तो एक दिवस में उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुआं चला जाता है, 400 सिगरेट का। बच्चे घर में होते हैं। और इसलिए उनको भी धुएं में ही गुजारा करना पड़ता है। खाना भी खाते हैं, तो धुआं ही धुआं होता है। आंख से पानी निकलता है और वो खाना खाता है। मैंने तो ये सारे हाल, बचपन में मैं जी चुका हूं। मैं जिस घर में पैदा हुआ, बहुत ही छोटा एक गलियारी जैसा मेरा घर था। कोई खिड़की नहीं थी। आने जाने का सिर्फ एक दरवाजा था। और मां लकड़ी का चूल्हा जला कर के खाना पकाती थी। कभी-कभी तो धुआं इतना होता था कि मां खाना परोस रही हो लेकिन हम मां को देख नहीं पाते थे। ऐसे बचपन में धुएं में खाना खाते थे। और इसलिए मैं उन माताओं की पीड़ा को, उन बच्चों की पीड़ा को, भलीभांति अनुभव कर के आया हूं उस पीड़ा को जी कर के आया हूं और इसलिये मुझे मेरी इन गरीब माताओं को इस कष्टदायक जिन्दगी से मुक्ति दिलानी है। और इसलिए पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस देने का हमने उपक्रम किया है।

भाइयों – बहनों आज लकड़ी के कारण जो खर्चा होता है । इस रसोई गैस से खर्चा भी कम होने वाला है। आज उसकी तबियत की बर्बादी होती है। उसकी तबियत भी ठीक रहेगी। लकड़ी लाना चूल्हा जलाना में time जाता है। उस गरीब मां का time भी बच जाएगा। उसको अगर मजदूरी करनी है सब्जी बेचनी है, तो वो आराम से कर सकती है।

भाइयों –बहनों हमारी कोशिश ये है और इतना ही नहीं ये जो गैस की सब्सिडी दी जाएगी वो भी उन महिलाओं के नाम दी जाएगी, उनका जो प्रधानमंत्री जनधन अकाउंट है, उसी में सब्सिडी जमा होगी ताकि वो पैसे किसी ओर के हाथ न लग जाए, उस मां के हाथ में ही पैसे लग जाए ये भी व्यवस्था की। ये environment के लिये भी हमारा एक बहुत बड़ा initiative है। और इसलिए मेरे भाइयों- बहनों हजारों करोड़ रुपया का खर्चा सरकार को लगने वाला है। कहां MP की 25 रसोई गैस की टिकट और कहां पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस पहुंचाने का अभियान, ये फर्क होता है सरकार-सरकार में। काम करने वाली सरकार, गरीबों की भला करने वाली सरकार, गरीबों के लिए सामने जाकर के काम करने वाली सरकार कैसे काम करती है इसका ये उत्तम उदहारण आज ये पांच करोड़ परिवारों को रसोई गैस देने का कार्यक्रम है।

भाइयों–बहनों आज, पिछली किसी भी सरकार ने उत्तर प्रदेश के विकास के लिए जितना काम नहीं किया होगा, इतनी धनराशि आज भारत सरकार उत्तर प्रदेश में लगा रही है। क्योंकि हम चाहते हैं कि देश को आगे बढ़ाने के लिए हमारे जो गरीब राज्य हैं वो तेजी से तरक्की करें। और इसलिये हम काम में लगे हैं। गंगा सफाई का अभियान जनता की भागीदारी से सफल होगा। और इसलिये जन भागीदारी के साथ जन-जन संकल्प करें। ये मेरा बलिया तो मां गंगे और सरयू के तट पर है। दोनों की कृपा आप पर बरसी हुई है और हम सब अभी जहां बैठे हैं वो जगह भी एक बार मां गंगा की गोद ही तो है। और इसलिये जब मां गंगा की गोद में बैठ कर के मां गंगा की सफाई का संकल्प हर नागरिक को करना होगा। हम तय करें मैं कभी भी गंगा को गंदी नहीं करूंगा। मेरे से कभी गंगा में कोई गंदगी नहीं जाएगी। एक बार हम तय कर लें कि मैं गंगा को गंदी नहीं करूंगा। ये मेरी मां है। उस मां को गंदा करने का पाप मैं नहीं कर सकता। ये अगर हमने कर लिया, तो दुनिया की कोई ताकत ये मां गंगा को गंदा नहीं कर सकता है।

और इसलिए मेरे भाइयों–बहनों हम गरीब व्यक्ति की जिंदगी बदलना चाहते हैं। उसके जीवन में बदलाव लाने के लिये काम कर रहे हैं। और आज पहली मई जब मजदूरों का दिवस है। गरीबी में जीने वाला व्यक्ति मजदूरी से जूझता रहता है। भाइयों–बहनों गरीबी हटाने के लिए नारे तो बहुत दिये गए, वादे बहुत बताए गए, योजनाएं ढेर सारी आईं लेकिन हर योजना गरीब के घर को ध्यान में रख कर के नहीं बनी, हर योजना मत पेटी को ध्यान में रख कर के बनी। जब तक मत पेटियों को ध्यान में रख कर के गरीबों के लिए योजनाएं बनेगी, कभी भी गरीबी जाने वाली नहीं है। गरीबी तब जाएगी, जब गरीब को गरीबी से लड़ने की ताकत मिलेगी। गरीबी तब जाएगी, जब गरीब फैसला कर लेगा कि अब मेरे हाथ में साधन है मैं गरीबी को प्रास्त कर के रहूंगा। अब मैं गरीब नहीं रहूंगा, अब मैं गरीबी से बाहर आऊंगा। और इसके लिए उसको शिक्षा मिले, रोजगार मिले, रहने को घर मिले, घर में शौचालय हो, पीने का पानी हो, बिजली हो, ये अगर हम करेंगे, तभी गरीबी से लड़ाई लड़ने के लिए मेरा गरीब ताकतवर हो जाएगा। और इसीलिये मेरे भाइयों-बहनों हम गरीबी के खिलाफ लड़ाइ लड़ने के लिए काम कर रहे हैं।

आजादी के इतने साल हो गये। आजादी के इतने सालों के बाद इस देश में 18 हजार गांव ऐसे जहां बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है, बिजली का तार नहीं पहुंचा है। 18वीं शताब्दि में जैसी जिन्दगी वो गुजारते थे। 21वीं सदी में भी 18 हजार गांव ऐसी ही जिन्दगी जीने के लिए मजबूर हैं। मुझे बताओ मेरे प्यारे भाइयों–बहनों क्या किया किया इन गरीबी के नाम पर राजनीति करने वालों ने । उन 18 हजार गांव को बिजली क्यों नहीं पहुंचाई। मैंने बीड़ा उठाया है। लालकिले से 15 अगस्त को मैंने घोषणा की मैं एक हजार दिन में 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचा दूंगा। रोज का हिसाब देता हूं, देशवासियों को और आज हमारे उत्तर प्रदेश में आर हैरान होंगे इतने प्रधानमंत्री हो गये उत्तर प्रदेश में । आज उत्तर प्रदेश मेरा कार्य क्षेत्र है। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे स्वीकार किया है। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे आशिर्वाद दिये हैं। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे अपना बनाया है। और इसलिये उत्तर प्रदेश में इतने प्रधानमंत्री आए भाइयों–बहनों बैठा 1529 गांव ऐसे थे, जहां बिजली का खंभा नहीं पहुंचा था। अभी तो ढाई सौ दिन हुए हैं। मेरी योजना को ढाई सौ दिन हुए हैं। भाइयों–बहनों मैंने अब तक मैंने 1326 गांवों में, 1529 में से 1326 गांवों खंभा पहुंच गया, तार पहुंच गया, तार लग गया, बिजली चालू हो गई और लोगों ने बिजली का स्वागत भी कर दिया। और जिन गांवों में बाकी है। वहां भी तेजी से काम चल रहा है। आज औसत उत्तर प्रदेश में हम एक दिन में तीन गांवों में बिजली पहुंचाने का काम कर रहे हैं, जो काम साठ साल तक नहीं हुआ वो हम एक दिन में तीन गांवों तक पहुंचने का काम कर रहे हैं।

भाइयों–बहनों पूरे देश में आज जो ‘प्रधानमंत्री उज्जवला योजना’ इसका आरम्भ हो रहा है। मेरे सवा सौ करोड़ देशवासी देश में करीब 25 कोरड़ परिवार है, उसमे से ये पांच करोड़ परिवारों के लिए योजना है। इससे बड़ी कोई योजना नहीं हो सकती। कभी एक योजना पांच करोड़ परिवारों को छूती हो, ऐसी एक योजना नहीं हो सकती। ऐसी योजना आज लागू हो रही है, बलिया की धरती पर हो रही है। राम मनोहर लोहिया, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, उनके आशिर्वाद से हो रही है, चन्द्र शेखर जी, बाबु जयप्रकाश जी ऐसे महापुरषों के आशीर्वाद से प्रारंभ हो रही है। और बलिया की धरती...अब बलिया- ‘बलिया’ बनना चाहिए, इस संकल्प को लेकर के आगे बढ़ना है। मैं फिर एक बार हमारे सासंद महोदय भाई भरत का बड़ा आभार व्यक्त करता हूँ, इतने उमंग के साथ इस कार्यक्रम की उन्होंने अर्जना की। मैं पूरे उत्तर प्रदेश का अभिनन्दन करता हूं। मैं श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान उसकी पूरी टीम का अभिनन्दन करता हूं। ये Petroleum sector कभी गरीबों के लिये माना नहीं गया था, हमने Petroleum sector को गरीबों का बना दिया। ये बहुत बड़ा बदलाव धर्मेन्द्र जी के नेतृत्व में आया है। मैं उनको बहुत–बहुत बधाई देता हूं। मेरी पूरी टीम को बधाई देता हूं। आप सबका बहुत – बहुत अभिनन्दन करता हूं। बहुत- बहुत धन्यवाद।

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ರೋಜ್‌ಗಾರ್ ಮೇಳದ ಅಡಿಯಲ್ಲಿ 51,000 ಕ್ಕೂ ಹೆಚ್ಚು ನೇಮಕಾತಿ ಪತ್ರಗಳ ವಿತರಣೆಯ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿಯವರ ಭಾಷಣದ ಕನ್ನಡ ಅವತರಣಿಕೆ
July 12, 2025
Quoteಇಂದು, 51 ಸಾವಿರಕ್ಕೂ ಹೆಚ್ಚು ಯುವಜನರಿಗೆ ನೇಮಕಾತಿ ಪತ್ರಗಳನ್ನು ನೀಡಲಾಗಿದೆ, ಇಂತಹ ಉದ್ಯೋಗ ಮೇಳಗಳ ಮೂಲಕ, ಲಕ್ಷಾಂತರ ಯುವಜನರು ಈಗಾಗಲೇ ಸರ್ಕಾರದಲ್ಲಿ ಖಾಯಂ ಉದ್ಯೋಗಗಳನ್ನು ಪಡೆದುಕೊಂಡಿದ್ದಾರೆ, ಈಗ ಈ ಯುವಜನರು ರಾಷ್ಟ್ರ ನಿರ್ಮಾಣದಲ್ಲಿ ಮಹತ್ವದ ಪಾತ್ರ ವಹಿಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ: ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ
Quoteಭಾರತವು ಎರಡು ಅಗಾಧ ಶಕ್ತಿಗಳನ್ನು ಹೊಂದಿದೆ ಎಂದು ಇಂದು ಜಗತ್ತು ಒಪ್ಪಿಕೊಂಡಿದೆ, ಒಂದು ಜನಸಂಖ್ಯೆ, ಇನ್ನೊಂದು ಪ್ರಜಾಪ್ರಭುತ್ವ, ಮತ್ತೊಂದು ರೀತಿಯಲ್ಲಿ ಹೇಳುವುದಾದರೆ, ಅತಿದೊಡ್ಡ ಯುವ ಜನಸಂಖ್ಯೆ ಮತ್ತು ಅತಿದೊಡ್ಡ ಪ್ರಜಾಪ್ರಭುತ್ವ: ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ
Quoteಇಂದು ದೇಶದಲ್ಲಿ ನಿರ್ಮಿಸಲಾಗುತ್ತಿರುವ ನವೋದ್ಯಮಗಳು, ನಾವೀನ್ಯತೆ ಮತ್ತು ಸಂಶೋಧನೆಯ ಪೂರಕ ವ್ಯವಸ್ಥೆಯು ರಾಷ್ಟ್ರದ ಯುವಜನತೆಯ ಸಾಮರ್ಥ್ಯಗಳನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸುತ್ತಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ
Quoteಇತ್ತೀಚೆಗೆ ಅನುಮೋದಿಸಲಾದ ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗ ಆಧಾರಿತ ಪ್ರೋತ್ಸಾಹಕ ಯೋಜನೆಯ ಮೂಲಕ ಖಾಸಗಿ ವಲಯದಲ್ಲಿ ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಾವಕಾಶಗಳನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸುವತ್ತಲೂ ಸರ್ಕಾರ ಗಮನಹರಿಸಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ
Quoteಇಂದು, ಭಾರತದ ದೊಡ್ಡ ಸಾಮರ್ಥ್ಯಗಳಲ್ಲಿ ಒಂದು ನಮ್ಮ ತಯಾರಿಕಾ ವಲಯ, ತಯಾರಿಕೆಯಲ್ಲಿ ಹೆಚ್ಚಿನ ಸಂಖ್ಯೆಯ ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಗಳನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಲಾಗುತ್ತಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ
Quoteತಯಾರಿಕಾ ವಲಯವನ್ನು ಉತ್ತೇಜಿಸಲು, ಈ ವರ್ಷದ ಬಜೆಟ್ ನಲ್ಲಿ ಮಿಷನ್ ಮ್ಯಾನುಫ್ಯಾಕ್ಚರಿಂಗ್ ಅನ್ನು ಘೋಷಿಸಲಾಗಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ
Quoteಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಕಾರ್ಮಿಕ ಸಂಘಟನೆ – ಐ ಎಲ್ ಓ ವರದಿಯ ಪ್ರಕಾರ, ಕಳೆದ ದಶಕದಲ್ಲಿ, ಭಾರತದ 90 ಕೋಟಿಗೂ ಹೆಚ್ಚು ನಾಗರಿಕರನ್ನು ಕಲ್ಯಾಣ ಯೋಜನೆಗಳ ವ್ಯಾಪ್ತಿಗೆ ತರಲಾಗಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ
Quoteಇಂದು, ವಿಶ್ವಬ್ಯಾಂಕ್ ನಂತಹ ಪ್ರಮುಖ ಜಾಗತಿಕ ಸಂಸ್ಥೆಗಳು ಭಾರತವನ್ನು ಶ್ಲಾಘಿಸುತ್ತಿವೆ, ಭಾರತವು ವಿಶ್ವದ ಅತ್ಯುನ್ನತ ಸಮಾನತೆಯನ್ನು ಹೊಂದಿರುವ ಅಗ್ರ ರಾಷ್ಟ್ರಗಳಲ್ಲಿ ಸ್ಥಾನ ಪಡೆದಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ

ನಮಸ್ಕಾರ!

ಕೇಂದ್ರ ಸರ್ಕಾರದಲ್ಲಿ ಯುವಜನರಿಗೆ ಶಾಶ್ವತ ಉದ್ಯೋಗಗಳನ್ನು ಒದಗಿಸುವ ನಮ್ಮ ಅಭಿಯಾನವು ಸ್ಥಿರವಾಗಿ ಮುಂದುವರಿಯುತ್ತಿದೆ. ಮತ್ತು ನಾವು ಇದಕ್ಕೆ ಹೆಸರುವಾಸಿಯಾಗಿದ್ದೇವೆ - ಯಾವುದೇ ಶಿಫಾರಸು ಇಲ್ಲ, ಭ್ರಷ್ಟಾಚಾರವಿಲ್ಲ. ಇಂದು, 51,000 ಕ್ಕೂ ಹೆಚ್ಚು ಯುವಜನರಿಗೆ ನೇಮಕಾತಿ ಪತ್ರಗಳನ್ನು ನೀಡಲಾಗಿದೆ. ಲಕ್ಷಾಂತರ ಯುವಜನರು ಈಗಾಗಲೇ ಇಂತಹ ರೋಜ್‌ಗಾರ್ ಮೇಳಗಳ (ಉದ್ಯೋಗ ಮೇಳಗಳು) ಮೂಲಕ ಭಾರತ ಸರ್ಕಾರದಲ್ಲಿ ಶಾಶ್ವತ ಉದ್ಯೋಗಗಳನ್ನು ಪಡೆದುಕೊಂಡಿದ್ದಾರೆ. ಈ ಯುವ ಜನರು ಈಗ ರಾಷ್ಟ್ರ ನಿರ್ಮಾಣದಲ್ಲಿ ಮಹತ್ವದ ಪಾತ್ರ ವಹಿಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಇಂದು, ನಿಮ್ಮಲ್ಲಿ ಅನೇಕರು ಭಾರತೀಯ ರೈಲ್ವೆಯಲ್ಲಿ ನಿಮ್ಮ ಜವಾಬ್ದಾರಿಗಳನ್ನು ಪ್ರಾರಂಭಿಸಿದ್ದೀರಿ. ಕೆಲವರು ಈಗ ರಾಷ್ಟ್ರದ ಭದ್ರತೆಯ ರಕ್ಷಕರಾಗುತ್ತಾರೆ, ಅಂಚೆ ಇಲಾಖೆಯಲ್ಲಿ ನೇಮಕಗೊಂಡ ಇತರರು ಪ್ರತಿ ಹಳ್ಳಿಗೆ ಸರ್ಕಾರಿ ಸೇವೆಗಳನ್ನು ತಲುಪಿಸಲು ಸಹಾಯ ಮಾಡುತ್ತಾರೆ, ಕೆಲವರು ಎಲ್ಲರಿಗೂ ಆರೋಗ್ಯ ಮಿಷನ್‌ನ ಕಾಲಾಳುಗಳಾಗುತ್ತಾರೆ, ಅನೇಕ ಯುವ ವೃತ್ತಿಪರರು ಆರ್ಥಿಕ ಸೇರ್ಪಡೆಯನ್ನು ವೇಗಗೊಳಿಸಲು ಸಹಾಯ ಮಾಡುತ್ತಾರೆ ಮತ್ತು ಇತರರು ಭಾರತದ ಕೈಗಾರಿಕಾ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಯನ್ನು ಮುಂದಕ್ಕೆ ಕೊಂಡೊಯ್ಯುತ್ತಾರೆ. ನಿಮ್ಮ ಇಲಾಖೆಗಳು ವಿಭಿನ್ನವಾಗಿರಬಹುದು, ಆದರೆ ಗುರಿ ಒಂದೇ ಆಗಿರುತ್ತದೆ. ಮತ್ತು ಆ ಗುರಿ ಏನು? ನಾವು ಇದನ್ನು ಮತ್ತೆ ಮತ್ತೆ ನೆನಪಿನಲ್ಲಿಟ್ಟುಕೊಳ್ಳಬೇಕು: ಇಲಾಖೆ, ಕಾರ್ಯ, ಸ್ಥಾನ ಅಥವಾ ಪ್ರದೇಶ ಏನೇ ಇರಲಿ - ಒಂದೇ ಮತ್ತು ಏಕೈಕ ಗುರಿ ರಾಷ್ಟ್ರಕ್ಕೆ ಸೇವೆ. ಮಾರ್ಗದರ್ಶಿ ತತ್ವ ಯಾವುದೆಂದರೆ : ನಾಗರಿಕ ಮೊದಲು. ದೇಶದ ಜನರಿಗೆ ಸೇವೆ ಸಲ್ಲಿಸಲು ನಿಮಗೆ ಉತ್ತಮ ವೇದಿಕೆ ನೀಡಲಾಗಿದೆ. ಜೀವನದ ಇಂತಹ ಮಹತ್ವದ ಹಂತದಲ್ಲಿ ಈ ದೊಡ್ಡ ಯಶಸ್ಸನ್ನು ಸಾಧಿಸಿದ್ದಕ್ಕಾಗಿ ನಾನು ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರನ್ನು ಅಭಿನಂದಿಸುತ್ತೇನೆ. ನಿಮ್ಮ ವೃತ್ತಿಜೀವನದ ಈ ಹೊಸ ಪ್ರಯಾಣಕ್ಕೆ ನನ್ನ ಶುಭಾಶಯಗಳನ್ನು ಕೋರುತ್ತೇನೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಇಂದು ಜಗತ್ತು ಭಾರತಕ್ಕೆ ಎರಡು ಅಪರಿಮಿತ ಶಕ್ತಿಗಳಿವೆ ಎಂದು ಒಪ್ಪಿಕೊಂಡಿದೆ: ಒಂದು ಜನಸಂಖ್ಯಾಶಾಸ್ತ್ರ, ಮತ್ತು ಇನ್ನೊಂದು ಪ್ರಜಾಪ್ರಭುತ್ವ - ಇದು ಅತಿ ಹೆಚ್ಚು ಯುವ ಜನಸಂಖ್ಯೆ ಮತ್ತು ವಿಶ್ವದ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಪ್ರಜಾಪ್ರಭುತ್ವ. ಈ ಯುವ ಶಕ್ತಿಯು ಭಾರತದ ಉಜ್ವಲ ಭವಿಷ್ಯಕ್ಕೆ ದೊಡ್ಡ ಆಸ್ತಿ ಮತ್ತು ಅಷ್ಟೇ ಬಲವಾದ ಖಾತರಿಯಾಗಿದೆ. ಈ ಶಕ್ತಿಯನ್ನು ಸಮೃದ್ಧಿಯ ಸೂತ್ರವನ್ನಾಗಿ ಪರಿವರ್ತಿಸಲು ನಮ್ಮ ಸರ್ಕಾರ ಹಗಲಿರುಳು ಶ್ರಮಿಸುತ್ತಿದೆ. ನಿಮಗೆಲ್ಲರಿಗೂ ತಿಳಿದಿರುವಂತೆ, ನಾನು ಐದು ದೇಶಗಳಿಗೆ ಭೇಟಿ ನೀಡಿ ಹಿಂತಿರುಗಿದ್ದೇನೆ. ಪ್ರತಿಯೊಂದು ದೇಶದಲ್ಲಿಯೂ, ಭಾರತದ ಯುವ ಶಕ್ತಿಯ ಪ್ರಶಂಸೆ ಮತ್ತು ಮನ್ನಣೆಯನ್ನು ನಾನು ಕೇಳಲು ಸಾಧ್ಯವಾಯಿತು. ಈ ಭೇಟಿಗಳ ಸಮಯದಲ್ಲಿ ಸಹಿ ಹಾಕಲಾದ ಎಲ್ಲಾ ಒಪ್ಪಂದಗಳೂ  ಖಂಡಿತವಾಗಿಯೂ ಭಾರತದ ಯುವಜನರಿಗೆ, ದೇಶ ಮತ್ತು ವಿದೇಶಗಳಲ್ಲಿ ಪ್ರಯೋಜನವನ್ನು ನೀಡುತ್ತವೆ. ರಕ್ಷಣೆ, ಔಷಧಗಳು, ಡಿಜಿಟಲ್ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನ, ಇಂಧನ ಮತ್ತು ಅಪರೂಪದ ಖನಿಜಗಳಂತಹ ಕ್ಷೇತ್ರಗಳಲ್ಲಿ, ಮಾಡಿಕೊಂಡ ಒಪ್ಪಂದಗಳು ಮುಂಬರುವ ದಿನಗಳಲ್ಲಿ ಭಾರತಕ್ಕೆ ಗಮನಾರ್ಹ ಪ್ರಯೋಜನಗಳನ್ನು ತರುತ್ತವೆ. ಅವು ಭಾರತದ ಉತ್ಪಾದನೆ ಮತ್ತು ಸೇವಾ ವಲಯಗಳಿಗೆ ಬಲವಾದ ಉತ್ತೇಜನವನ್ನು ನೀಡುತ್ತವೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಬದಲಾಗುತ್ತಿರುವ ಕಾಲಕ್ಕೆ ತಕ್ಕಂತೆ, 21 ನೇ ಶತಮಾನದಲ್ಲಿ ಉದ್ಯೋಗಗಳ ಸ್ವರೂಪವೂ ವಿಕಸನಗೊಳ್ಳುತ್ತಿದೆ ಮತ್ತು ಹೊಸ ವಲಯಗಳು ನಿರಂತರವಾಗಿ ಹೊರಹೊಮ್ಮುತ್ತಿವೆ. ಅದಕ್ಕಾಗಿಯೇ, ಕಳೆದ ದಶಕದಲ್ಲಿ ಭಾರತವು ತನ್ನ ಯುವಜನರನ್ನು ಈ ಬದಲಾವಣೆಗಳಿಗೆ ಸಿದ್ಧಪಡಿಸುವತ್ತ ಗಮನಹರಿಸಿದೆ. ಪ್ರಸ್ತುತ ಯುಗದ ಅಗತ್ಯಗಳನ್ನು ಗಮನದಲ್ಲಿಟ್ಟುಕೊಂಡು ಪ್ರಮುಖ ನಿರ್ಧಾರಗಳನ್ನು ತೆಗೆದುಕೊಳ್ಳಲಾಗಿದೆ ಮತ್ತು ಆಧುನಿಕ ನೀತಿಗಳನ್ನು ರೂಪಿಸಲಾಗಿದೆ. ಇಂದು ದೇಶದಲ್ಲಿ ರೂಪುಗೊಳ್ಳುತ್ತಿರುವ ನವೋದ್ಯಮಗಳು (ಸ್ಟಾರ್ಟ್-ಅಪ್‌ಗಳು), ನಾವೀನ್ಯತೆ ಮತ್ತು ಸಂಶೋಧನೆಯ ಪರಿಸರ ವ್ಯವಸ್ಥೆಯು ನಮ್ಮ ಯುವಜನರ ಸಾಮರ್ಥ್ಯವನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸುತ್ತಿದೆ. ತಮ್ಮದೇ ಆದ ಸ್ಟಾರ್ಟ್-ಅಪ್‌ಗಳನ್ನು ಪ್ರಾರಂಭಿಸಲು ಆಶಿಸುವ ಯುವಜನರನ್ನು ನಾನು ನೋಡಿದಾಗ, ಅದು ನನ್ನ ಸ್ವಂತ ಆತ್ಮವಿಶ್ವಾಸವನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸುತ್ತದೆ. ಇದೀಗ, ಡಾ. ಜಿತೇಂದ್ರ ಸಿಂಗ್ ಜೀ ಅವರು ಸ್ಟಾರ್ಟ್-ಅಪ್‌ಗಳ ಕುರಿತು ಕೆಲವು ವಿವರವಾದ ಅಂಕಿಅಂಶಗಳನ್ನು ನಿಮ್ಮೊಂದಿಗೆ ಹಂಚಿಕೊಂಡಿದ್ದಾರೆ. ನನ್ನ ದೇಶದ ಯುವಜನರು ಉತ್ತಮ ದೃಷ್ಟಿಕೋನ, ವೇಗ ಮತ್ತು ಶಕ್ತಿಯೊಂದಿಗೆ, ಹೊಸದನ್ನು ಮಾಡುವ ಬಯಕೆಯೊಂದಿಗೆ ಮುಂದುವರಿಯುತ್ತಿರುವುದನ್ನು ನೋಡಿ ನನಗೆ ಹೆಮ್ಮೆಯ ಭಾವನೆ ಮೂಡುತ್ತದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಭಾರತ ಸರ್ಕಾರವು ಖಾಸಗಿ ವಲಯದಲ್ಲಿ ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಾವಕಾಶಗಳನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸುವತ್ತ ಗಮನ ಹರಿಸುತ್ತಿದೆ. ಇತ್ತೀಚೆಗೆ, ಸರ್ಕಾರವು ಹೊಸ ಯೋಜನೆಯನ್ನು ಅನುಮೋದಿಸಿದೆ - ಉದ್ಯೋಗ ಸಂಬಂಧಿತ ಪ್ರೋತ್ಸಾಹಕ ಯೋಜನೆ. ಈ ಯೋಜನೆಯಡಿಯಲ್ಲಿ, ಖಾಸಗಿ ವಲಯದಲ್ಲಿ ಮೊದಲ ಉದ್ಯೋಗ ಪಡೆಯುವ ಯುವಜನರಿಗೆ ಸರ್ಕಾರವು 15,000 ರೂಪಾಯಿಗಳನ್ನು ನೀಡುತ್ತದೆ. ಬೇರೆ ರೀತಿಯಲ್ಲಿ ಹೇಳುವುದಾದರೆ, ಸರ್ಕಾರವು ಮೊದಲ ಕೆಲಸದ ಮೊದಲ ಸಂಬಳಕ್ಕೆ ಕೊಡುಗೆ ನೀಡುತ್ತದೆ. ಇದಕ್ಕಾಗಿ, ಸರ್ಕಾರವು ಸುಮಾರು 1 ಲಕ್ಷ ಕೋಟಿ ರೂಪಾಯಿಗಳ ಬಜೆಟ್ ನಿಗದಿಪಡಿಸಿದೆ. ಈ ಯೋಜನೆಯು ಸುಮಾರು 3.5 ಕೋಟಿ ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಗಳ ಸೃಷ್ಟಿಗೆ ಸಹಾಯ ಮಾಡುತ್ತದೆ ಎಂದು ನಿರೀಕ್ಷಿಸಲಾಗಿದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಇಂದು, ಭಾರತದ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಶಕ್ತಿಗಳಲ್ಲಿ ಒಂದು ನಮ್ಮ ಉತ್ಪಾದನಾ ವಲಯ. ಉತ್ಪಾದನೆಯಲ್ಲಿ ಹೆಚ್ಚಿನ ಸಂಖ್ಯೆಯ ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಗಳು ಸೃಷ್ಟಿಯಾಗುತ್ತಿವೆ. ಈ ವಲಯವನ್ನು ಉತ್ತೇಜಿಸಲು, ಈ ವರ್ಷದ ಕೇಂದ್ರ ಬಜೆಟ್ “ಮಿಷನ್ ಮ್ಯಾನುಫ್ಯಾಕ್ಚರಿಂಗ್” (ಉತ್ಪಾದನಾ ಮಿಷನ್ )  ಪ್ರಾರಂಭಿಸುವುದಾಗಿ ಘೋಷಿಸಿದೆ. ಕಳೆದ ಕೆಲವು ವರ್ಷಗಳಲ್ಲಿ, ನಾವು ಮೇಕ್ ಇನ್ ಇಂಡಿಯಾ ಉಪಕ್ರಮವನ್ನು ಬಲಪಡಿಸಿದ್ದೇವೆ. ಪಿಎಲ್ಐ (ಉತ್ಪಾದನೆ ಸಂಬಂಧಿತ ಪ್ರೋತ್ಸಾಹ) ಯೋಜನೆಯ ಮೂಲಕ, ದೇಶದಲ್ಲಿ 11 ಲಕ್ಷಕ್ಕೂ ಹೆಚ್ಚು ಉದ್ಯೋಗಗಳು ಸೃಷ್ಟಿಯಾಗಿವೆ. ಇತ್ತೀಚಿನ ವರ್ಷಗಳಲ್ಲಿ ಮೊಬೈಲ್ ಫೋನ್ ಮತ್ತು ಎಲೆಕ್ಟ್ರಾನಿಕ್ಸ್ ವಲಯಗಳು ಅಭೂತಪೂರ್ವ ಬೆಳವಣಿಗೆಯನ್ನು ಕಂಡಿವೆ. ಇಂದು, ಭಾರತದಲ್ಲಿ ಸುಮಾರು 11 ಲಕ್ಷ ಕೋಟಿ ರೂಪಾಯಿ ಮೌಲ್ಯದ ಎಲೆಕ್ಟ್ರಾನಿಕ್ಸ್ ಉತ್ಪಾದನೆ ನಡೆಯುತ್ತಿದೆ. ಅದು ಕಳೆದ 11 ವರ್ಷಗಳಲ್ಲಿ ಐದು ಪಟ್ಟು ಹೆಚ್ಚಳವಾಗಿದೆ. ಈ ಹಿಂದೆ, ಭಾರತವು ಕೇವಲ 2 ಅಥವಾ 4 ಮೊಬೈಲ್ ಫೋನ್ ಉತ್ಪಾದನಾ ಘಟಕಗಳನ್ನು ಹೊಂದಿತ್ತು. ಈಗ, ನಮ್ಮಲ್ಲಿ ಮೊಬೈಲ್ ಫೋನ್ ತಯಾರಿಕೆಗೆ ಸಂಬಂಧಿಸಿದ ಸುಮಾರು 300 ಘಟಕಗಳಿವೆ, ಇದು ಲಕ್ಷಾಂತರ ಯುವಜನರಿಗೆ ಉದ್ಯೋಗ ನೀಡುತ್ತದೆ. ಮತ್ತೊಂದು ಪ್ರಮುಖ ವಲಯವೆಂದರೆ ರಕ್ಷಣಾ ಉತ್ಪಾದನೆ, ಇದು ಆಪರೇಷನ್ ಸಿಂಧೂರ್ ನಂತರ ಇನ್ನಷ್ಟು ಗಮನ ಮತ್ತು ಹೆಮ್ಮೆಯನ್ನು ಗಳಿಸುತ್ತಿದೆ. ಭಾರತ ರಕ್ಷಣಾ ಉತ್ಪಾದನೆಯಲ್ಲಿ ಹೊಸ ದಾಖಲೆಗಳನ್ನು ಸ್ಥಾಪಿಸುತ್ತಿದೆ. ನಮ್ಮ ರಕ್ಷಣಾ ಉತ್ಪಾದನೆ ಈಗ 1.25 ಲಕ್ಷ ಕೋಟಿ ರೂಪಾಯಿಗಳನ್ನು ದಾಟಿದೆ. ಭಾರತ ಲೋಕೋಮೋಟಿವ್ ವಲಯದಲ್ಲಿ ಒಂದು ಪ್ರಮುಖ ಮೈಲಿಗಲ್ಲು ಸಾಧಿಸಿದೆ - ನಾವು ಈಗ ವಿಶ್ವದ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಲೋಕೋಮೋಟಿವ್‌ಗಳ ಉತ್ಪಾದಕರಾಗಿದ್ದೇವೆ. ಅದು ಲೋಕೋಮೋಟಿವ್‌ಗಳಾಗಿರಲಿ, ರೈಲು ಕೋಚ್‌ಗಳಾಗಿರಲಿ ಅಥವಾ ಮೆಟ್ರೋ ಕೋಚ್‌ಗಳಾಗಿರಲಿ, ಭಾರತ ಅವುಗಳನ್ನು ಅನೇಕ ದೇಶಗಳಿಗೆ ಹೆಚ್ಚಿನ ಸಂಖ್ಯೆಯಲ್ಲಿ ರಫ್ತು ಮಾಡುತ್ತಿದೆ. ನಮ್ಮ ಆಟೋಮೊಬೈಲ್ ವಲಯವು ಅಭೂತಪೂರ್ವ ಬೆಳವಣಿಗೆಯನ್ನು ಅನುಭವಿಸುತ್ತಿದೆ.

ಕಳೆದ 5 ವರ್ಷಗಳಲ್ಲಿ, ಈ ವಲಯವು ಸುಮಾರು $40 ಬಿಲಿಯನ್ ಎಫ್‌ಡಿಐ (ವಿದೇಶಿ ನೇರ ಹೂಡಿಕೆ) ಪಡೆದಿದೆ. ಅಂದರೆ ಹೊಸ ಕಂಪನಿಗಳು ಬಂದಿವೆ, ಹೊಸ ಕಾರ್ಖಾನೆಗಳು ಸ್ಥಾಪನೆಯಾಗಿವೆ, ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಗಳು ಸೃಷ್ಟಿಯಾಗಿವೆ - ಮತ್ತು ಅದೇ ಸಮಯದಲ್ಲಿ, ವಾಹನಗಳ ಬೇಡಿಕೆ ಹೆಚ್ಚಾಗಿದೆ, ಭಾರತದಲ್ಲಿ ದಾಖಲೆಯ ವಾಹನಗಳ ಮಾರಾಟವಾಗಿದೆ. ವಿವಿಧ ಕ್ಷೇತ್ರಗಳಲ್ಲಿ ಭಾರತದ ಪ್ರಗತಿ ಮತ್ತು ಈ ಉತ್ಪಾದನಾ ದಾಖಲೆಗಳು ತಾವಾಗಿಯೇ ಸಂಭವಿಸಿದಂತಹವಲ್ಲ. ಹೆಚ್ಚು ಹೆಚ್ಚು ಯುವಜನರು ಉದ್ಯೋಗಗಳನ್ನು ಪಡೆಯುತ್ತಿರುವುದರಿಂದ ಮಾತ್ರ ಅವು ಸಾಧ್ಯ. ಅವರ ಕಠಿಣ ಪರಿಶ್ರಮ, ಬುದ್ಧಿಶಕ್ತಿ ಮತ್ತು ಸಮರ್ಪಣೆಯೇ ಇದನ್ನು ಸಾಧ್ಯವಾಗಿಸಿದೆ. ಭಾರತದ ಯುವಜನರು ಉದ್ಯೋಗವನ್ನು ಕಂಡುಕೊಂಡಿದ್ದಾರೆ, ಆದರೆ ಅವರು ಅದರಲ್ಲಿಯೂ ಶ್ರೇಷ್ಠತ್ವವನ್ನು ಸಾಧಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಈಗ, ಸರ್ಕಾರಿ ಉದ್ಯೋಗಿಗಳಾಗಿ, ಉತ್ಪಾದನಾ ವಲಯದಲ್ಲಿ ಈ ವೇಗ ಮುಂದುವರಿಯುವುದನ್ನು ಖಚಿತಪಡಿಸಿಕೊಳ್ಳುವುದು ನಿಮ್ಮ ಕರ್ತವ್ಯ. ನಿಮ್ಮನ್ನು ಎಲ್ಲಿಗೆ ನಿಯೋಜಿಸಲಾಗಿದ್ದರೂ, ನೀವು ಉತ್ತೇಜನ ಕೊಡುವಂತಹವರಾಗಿ, ಪ್ರೋತ್ಸಾಹಕರಾಗಿ ಕಾರ್ಯನಿರ್ವಹಿಸಬೇಕು, ಅಡೆತಡೆಗಳನ್ನು ತೆಗೆದುಹಾಕಬೇಕು ಮತ್ತು ಪ್ರಕ್ರಿಯೆಗಳನ್ನು ಸರಳಗೊಳಿಸಬೇಕು. ನೀವು ವ್ಯವಸ್ಥೆಯನ್ನು  ಹೆಚ್ಚು ಸುಲಭಗೊಳಿಸುತ್ತೀರಿ, ಮತ್ತು ಅದು ದೇಶದ ಜನರಿಗೆ ಹೆಚ್ಚಿನ ಪ್ರಯೋಜನವನ್ನು ತರುತ್ತದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಇಂದು, ನಮ್ಮ ದೇಶವು ವಿಶ್ವದ ಮೂರನೇ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಆರ್ಥಿಕತೆಯಾಗುವತ್ತ ವೇಗವಾಗಿ ಸಾಗುತ್ತಿದೆ, ಮತ್ತು ಯಾವುದೇ ಭಾರತೀಯನು ಇದನ್ನು ಹೆಮ್ಮೆಯಿಂದ ಹೇಳಬಹುದು. ಈ ಸಾಧನೆಯು ನಮ್ಮ ಯುವಜನರ ಕಠಿಣ ಪರಿಶ್ರಮ ಹಾಗು ಬೆವರಿನ ಫಲಿತಾಂಶವಾಗಿದೆ. ಕಳೆದ 11 ವರ್ಷಗಳಲ್ಲಿ, ರಾಷ್ಟ್ರವು ಪ್ರತಿಯೊಂದು ವಲಯದಲ್ಲೂ ಪ್ರಗತಿ ಸಾಧಿಸಿದೆ. ಇತ್ತೀಚೆಗೆ, ಅಂತರರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಕಾರ್ಮಿಕ ಸಂಸ್ಥೆ (ILO) ಬಹಳ ಶ್ಲಾಘನೀಯ ವರದಿಯನ್ನು ಬಿಡುಗಡೆ ಮಾಡಿದೆ. ಕಳೆದ ದಶಕದಲ್ಲಿ ಭಾರತದ 90 ಕೋಟಿಗೂ ಹೆಚ್ಚು ನಾಗರಿಕರನ್ನು ಕಲ್ಯಾಣ ಯೋಜನೆಗಳ ಅಡಿಯಲ್ಲಿ ತರಲಾಗಿದೆ ಎಂಬುದನ್ನು ಈ ವರದಿ ಎತ್ತಿ ತೋರಿಸುತ್ತದೆ. ಇದು ಮೂಲಭೂತವಾಗಿ ಸಾಮಾಜಿಕ ಭದ್ರತೆಯ ವಿಸ್ತರಣೆಯಾಗಿದೆ. ಮತ್ತು ಈ ಯೋಜನೆಗಳ ಪರಿಣಾಮವು ಕಲ್ಯಾಣವನ್ನು ಮೀರಿದುದಾಗಿದೆ - ಅವು ಬೃಹತ್ ಸಂಖ್ಯೆಯ ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಗಳನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಿವೆ. ನಾನು ನಿಮಗೆ ಒಂದು ಸರಳ ಉದಾಹರಣೆಯನ್ನು ನೀಡುತ್ತೇನೆ - ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿ ಆವಾಸ್ ಯೋಜನೆ. ಈ ಯೋಜನೆಯಡಿಯಲ್ಲಿ, 4 ಕೋಟಿ ಹೊಸ ಪಕ್ಕಾ (ಶಾಶ್ವತ) ಮನೆಗಳನ್ನು ಈಗಾಗಲೇ ನಿರ್ಮಿಸಲಾಗಿದೆ ಮತ್ತು ಪ್ರಸ್ತುತ 3 ಕೋಟಿ ಮನೆಗಳ ನಿರ್ಮಾಣ ನಡೆಯುತ್ತಿದೆ. ಈಗ, ಇಷ್ಟು ದೊಡ್ಡ ಸಂಖ್ಯೆಯ ಮನೆಗಳನ್ನು ನಿರ್ಮಿಸುತ್ತಿರುವಾಗ, ಮೇಸ್ರಿಗಳು, ಕಾರ್ಮಿಕರು, ಕಚ್ಚಾ ವಸ್ತುಗಳ ಪೂರೈಕೆದಾರರು, ಸಾರಿಗೆ ನಿರ್ವಾಹಕರು, ಸ್ಥಳೀಯ ಅಂಗಡಿಯವರು ಮತ್ತು ಟ್ರಕ್ ಚಾಲಕರು - ಎಲ್ಲರಿಗೂ ಕೆಲಸ ಸಿಗುತ್ತದೆ. ಇದರ ಮೂಲಕ ಸೃಷ್ಟಿಯಾದ ಅಗಾಧ ಸಂಖ್ಯೆಯ ಉದ್ಯೋಗಗಳನ್ನು ಊಹಿಸಿ! ಇನ್ನೂ ಹೆಚ್ಚಿನ ಸಂತೋಷದ ಸಂಗತಿಯೆಂದರೆ, ಈ ಉದ್ಯೋಗಗಳಲ್ಲಿ ಹೆಚ್ಚಿನವು ಗ್ರಾಮೀಣ ಪ್ರದೇಶಗಳಲ್ಲಿವೆ, ಆದ್ದರಿಂದ ಜನರು ನಗರಗಳಿಗೆ ವಲಸೆ ಹೋಗುವ ಅಗತ್ಯವಿಲ್ಲ. ಅದೇ ರೀತಿ, ದೇಶಾದ್ಯಂತ 12 ಕೋಟಿ ಹೊಸ ಶೌಚಾಲಯಗಳನ್ನು ನಿರ್ಮಿಸಲಾಗಿದೆ. ಇದು ನಿರ್ಮಾಣ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೆ ನಮ್ಮ ವಿಶ್ವಕರ್ಮ ಸಮುದಾಯದ ಪ್ಲಂಬರ್‌ಗಳು, ಬಡಗಿಗಳು ಮತ್ತು ನುರಿತ ಕೆಲಸಗಾರರಿಗೂ ಕೆಲಸವನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಿದೆ. ಉದ್ಯೋಗ ಸೃಷ್ಟಿ ಹೇಗೆ ವಿಸ್ತರಿಸುತ್ತದೆ ಮತ್ತು ನಿಜವಾದ ಪರಿಣಾಮವನ್ನು ಬೀರುತ್ತದೆ ಎಂಬುದಕ್ಕೆ ಇದು ಉದಾಹರಣೆ. ಅದೇ ರೀತಿ, ಉಜ್ವಲ ಯೋಜನೆಯಡಿಯಲ್ಲಿ 10 ಕೋಟಿಗೂ ಹೆಚ್ಚು ಹೊಸ ಎಲ್‌ಪಿಜಿ ಸಂಪರ್ಕಗಳನ್ನು ಒದಗಿಸಲಾಗಿದೆ. ಇದನ್ನು ಬೆಂಬಲಿಸಲು, ಹೆಚ್ಚಿನ ಸಂಖ್ಯೆಯ ಬಾಟಲ್ ಪ್ಲಾಂಟ್‌ಗಳನ್ನು ಸ್ಥಾಪಿಸಲಾಗಿದೆ, ಇದು ಸಿಲಿಂಡರ್ ತಯಾರಕರು, ವಿತರಣಾ ಸಂಸ್ಥೆಗಳು ಮತ್ತು ವಿತರಣಾ ಸಿಬ್ಬಂದಿಗೆ ಉದ್ಯೋಗವನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸುತ್ತದೆ. ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಉಪಕ್ರಮವು - ನೀವು ಸೂಕ್ಷ್ಮವಾಗಿ ಪರಿಶೀಲಿಸಿದರೆ - ಬಹು ಹಂತದ ಉದ್ಯೋಗಾವಕಾಶಗಳನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸುತ್ತದೆ. ಅಂತಹ ಉಪಕ್ರಮಗಳಿಂದ ಲಕ್ಷಾಂತರ ಜನರು ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಗಳನ್ನು ಗಳಿಸಿದ್ದಾರೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ನಾನು ಇನ್ನೊಂದು ಯೋಜನೆಯನ್ನು ಉಲ್ಲೇಖಿಸಲು ಬಯಸುತ್ತೇನೆ, ಅದು ನಿಜವಾಗಿಯೂ ದುಪ್ಪಟ್ಟು ಪ್ರಯೋಜನವನ್ನು ತರುತ್ತದೆ - ನಾವು ಹೇಳುವಂತೆ ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬರ ಕೈಯಲ್ಲಿ ಲಡ್ಡು ಇದ್ದಂತೆ. ಆ ಯೋಜನೆ ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿ ಸೂರ್ಯ ಘರ್ ಮುಫ್ತ್ ಬಿಜ್ಲಿ ಯೋಜನೆ. ಈ ಯೋಜನೆಯಡಿಯಲ್ಲಿ, ಸರ್ಕಾರವು ಪ್ರತಿ ಮನೆಗೆ ಮೇಲ್ಛಾವಣಿಯ ಸೌರ ಫಲಕಗಳನ್ನು ಸ್ಥಾಪಿಸಲು ಸರಾಸರಿ 75,000 ರೂಪಾಯಿಗಳಿಗಿಂತ ಹೆಚ್ಚಿನ ಸಬ್ಸಿಡಿಯನ್ನು ನೀಡುತ್ತಿದೆ. ಇದು ಮೂಲಭೂತವಾಗಿ ನಿಮ್ಮ ಛಾವಣಿಯನ್ನು ವಿದ್ಯುತ್ ಸ್ಥಾವರವನ್ನಾಗಿ ಪರಿವರ್ತಿಸುತ್ತದೆ - ನಿಮ್ಮ ಸ್ವಂತ ಬಳಕೆಗೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೆ, ಹೆಚ್ಚುವರಿ ಇದ್ದರೆ ಗ್ರಿಡ್‌ಗೆ ಮಾರಾಟ ಮಾಡಲು ಸಹ ವಿದ್ಯುತ್ ಉತ್ಪಾದಿಸುತ್ತದೆ. ಇದು ವಿದ್ಯುತ್ ಬಿಲ್‌ಗಳನ್ನು ಶೂನ್ಯಕ್ಕೆ ತರುತ್ತದೆ ಮತ್ತು ಕುಟುಂಬಗಳಿಗೆ ಗಮನಾರ್ಹ ಹಣವನ್ನು ಉಳಿಸುತ್ತದೆ. ಸ್ಥಾವರಗಳನ್ನು ಸ್ಥಾಪಿಸಲು ಎಂಜಿನಿಯರ್‌ಗಳು ಮತ್ತು ತಂತ್ರಜ್ಞರು ಅಗತ್ಯವಿದೆ. ಸೌರ ಫಲಕ ಉತ್ಪಾದನಾ ಕಾರ್ಖಾನೆಗಳು ಮತ್ತು ಕಚ್ಚಾ ವಸ್ತುಗಳ ಪೂರೈಕೆದಾರರು ಬೆಳೆಯುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ವಸ್ತುಗಳನ್ನು ಸಾಗಿಸಲು ಸಾರಿಗೆ ನಿರ್ವಾಹಕರನ್ನು ನೇಮಿಸಿಕೊಳ್ಳಲಾಗುತ್ತದೆ. ಈ ವ್ಯವಸ್ಥೆಗಳ ನಿರ್ವಹಣೆ ಮತ್ತು ದುರಸ್ತಿಗಾಗಿ ಒಂದು ಸಂಪೂರ್ಣ ಹೊಸ ಉದ್ಯಮ ಹೊರಹೊಮ್ಮುತ್ತಿದೆ. ಊಹಿಸಿ - ಪ್ರಯೋಜನಗಳು ನಾಗರಿಕರಿಗೆ ಸಹಾಯ ಮಾಡುವುದಲ್ಲದೆ, ಲಕ್ಷಾಂತರ ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಾವಕಾಶಗಳನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸುತ್ತಿವೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

‘ನಮೋ ಡ್ರೋನ್ ದೀದಿ’ ಉಪಕ್ರಮವು ನಮ್ಮ ಸಹೋದರಿಯರು ಮತ್ತು ಹೆಣ್ಣುಮಕ್ಕಳ ಆದಾಯವನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸಿದೆ ಮತ್ತು ಗ್ರಾಮೀಣ ಪ್ರದೇಶಗಳಲ್ಲಿ ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಾವಕಾಶಗಳನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಿದೆ. ಈ ಯೋಜನೆಯಡಿಯಲ್ಲಿ, ಲಕ್ಷಾಂತರ ಗ್ರಾಮೀಣ ಮಹಿಳೆಯರಿಗೆ ಡ್ರೋನ್ ಪೈಲಟ್‌ಗಳಾಗಿ ತರಬೇತಿ ನೀಡಲಾಗುತ್ತಿದೆ. ಲಭ್ಯವಿರುವ ವರದಿಗಳು ನಮ್ಮ ಹಳ್ಳಿಗಳ ತಾಯಂದಿರು ಮತ್ತು ಸಹೋದರಿಯರು ಡ್ರೋನ್ ಆಧಾರಿತ ಕೃಷಿ ಸೇವೆಗಳನ್ನು ಒಪ್ಪಂದದ ಆಧಾರದ ಮೇಲೆ ನೀಡುವ ಮೂಲಕ ಒಂದೇ ಕೃಷಿ ಋತುವಿನಲ್ಲಿ ಲಕ್ಷಾಂತರ ರೂಪಾಯಿಗಳನ್ನು ಗಳಿಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ ಎಂಬುದನ್ನು ತೋರಿಸುತ್ತವೆ. ಅಷ್ಟೇ ಅಲ್ಲ, ಈ ಉಪಕ್ರಮವು ದೇಶದಲ್ಲಿ ಡ್ರೋನ್ ಉತ್ಪಾದನಾ ವಲಯಕ್ಕೆ ದೊಡ್ಡ ಉತ್ತೇಜನವನ್ನು ನೀಡುತ್ತಿದೆ. ಕೃಷಿಯಲ್ಲಾಗಲಿ ಅಥವಾ ರಕ್ಷಣೆಯಲ್ಲಾಗಲಿ, ಡ್ರೋನ್ ಉತ್ಪಾದನೆಯು ನಮ್ಮ ದೇಶದ ಯುವಜನರಿಗೆ ಹೊಸ ಅವಕಾಶಗಳನ್ನು, ಮಾರ್ಗಗಳನ್ನು ತೆರೆಯುತ್ತಿದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

3 ಕೋಟಿ ಲಕ್ಷಪತಿ ದೀದಿಗಳನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸುವ ಅಭಿಯಾನ ನಡೆಯುತ್ತಿದೆ. ಇವರಲ್ಲಿ 1.5 ಕೋಟಿ ಮಹಿಳೆಯರು ಈಗಾಗಲೇ ಈ ಮೈಲಿಗಲ್ಲು ಸಾಧಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಮತ್ತು ನಿಮಗೆ ತಿಳಿದಿರುವಂತೆ, ಲಕ್ಷಪತಿ ದೀದಿಯಾಗುವುದು ಎಂದರೆ ಪ್ರತಿ ವರ್ಷ ಕನಿಷ್ಠ 1 ಲಕ್ಷ ರೂಪಾಯಿಗಳನ್ನು ನಿರಂತರವಾಗಿ ಗಳಿಸುವುದು - ಒಮ್ಮೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ. ಅದೇ ಮಾನದಂಡ. 1.5 ಕೋಟಿ ಲಕ್ಷಪತಿ ದೀದಿಗಳು! ಇಂದು, ನೀವು ಹಳ್ಳಿಗಳಿಗೆ ಭೇಟಿ ನೀಡಿದರೆ, ನೀವು ಹೆಚ್ಚಾಗಿ ಬ್ಯಾಂಕ್ ಸಖಿಗಳು, ಬಿಮಾ ಸಖಿಗಳು, ಕೃಷಿ ಸಖಿಗಳು, ಪಶು ಸಖಿಗಳು ಮುಂತಾದ ಪದಗಳನ್ನು ಕೇಳುತ್ತೀರಿ - ಇವು ಹಳ್ಳಿಗಳಲ್ಲಿನ ನಮ್ಮ ತಾಯಂದಿರು ಮತ್ತು ಸಹೋದರಿಯರು ಉದ್ಯೋಗಾವಕಾಶಗಳನ್ನು ಪಡೆದಿರುವ ವಿವಿಧ ಯೋಜನೆಗಳಾಗಿವೆ. ಅದೇ ರೀತಿ, ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿ ಸ್ವನಿಧಿ ಯೋಜನೆಯಡಿಯಲ್ಲಿ, ಬೀದಿ ವ್ಯಾಪಾರಿಗಳು ಮತ್ತು ಕೈಗಾಡಿ ವ್ಯಾಪಾರಿಗಳಿಗೆ ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ ಬೆಂಬಲ ನೀಡಲಾಯಿತು. ಲಕ್ಷಾಂತರ ಜನರು ಇದರ ಲಾಭ ಪಡೆದಿದ್ದಾರೆ. ಡಿಜಿಟಲ್ ಪಾವತಿಗಳಿಂದಾಗಿ, ರಸ್ತೆಬದಿಯ ವ್ಯಾಪಾರಿಗಳು ಸಹ ಈಗ ನಗದುಗಿಂತ ಯು.ಪಿ.ಐ.(UPI) ಬಯಸುತ್ತಾರೆ. ಏಕೆ? ಏಕೆಂದರೆ ಅದು ಅವರಿಗೆ ಬ್ಯಾಂಕಿನಿಂದ ಹೆಚ್ಚಿನ ಸಾಲಕ್ಕೆ ತ್ವರಿತ ಪ್ರವೇಶವನ್ನು ನೀಡುತ್ತದೆ. ಬ್ಯಾಂಕುಗಳು ಅವರನ್ನು ಹೆಚ್ಚು ನಂಬುತ್ತವೆ ಮತ್ತು ಅವರಿಗೆ ಕಾಗದಪತ್ರಗಳ ಅಗತ್ಯವಿಲ್ಲ. ಇದರರ್ಥ ವಿನಮ್ರ ಬೀದಿ ವ್ಯಾಪಾರಿ ಕೂಡ ಈಗ ವಿಶ್ವಾಸ ಮತ್ತು ಹೆಮ್ಮೆಯಿಂದ ಮುಂದುವರಿಯುತ್ತಾನೆ. ಉದಾಹರಣೆಗೆ, ಪ್ರಧಾನ ಮಂತ್ರಿ ವಿಶ್ವಕರ್ಮ ಯೋಜನೆಯನ್ನು ತೆಗೆದುಕೊಳ್ಳಿ. ಇದು ಸಾಂಪ್ರದಾಯಿಕ, ಪೂರ್ವಜರಿಂದ ಬಳುವಳಿಯಾಗಿ ಬಂದ  ಹಾಗು ಕುಟುಂಬ ಆಧಾರಿತ ಕರಕುಶಲ ವಸ್ತುಗಳು ಮತ್ತು ವ್ಯಾಪಾರಗಳನ್ನು ಆಧುನೀಕರಿಸುವ ಮತ್ತು ಮೇಲ್ದರ್ಜೆಗೇರಿಸುವತ್ತ ಗಮನಹರಿಸುತ್ತದೆ. ಇದು  ಆಧುನಿಕ ಉಪಕರಣಗಳನ್ನು ಒದಗಿಸುತ್ತದೆ, ಕರಕುಶಲಕರ್ಮಿಗಳು, ಕುಶಲಕರ್ಮಿಗಳು ಮತ್ತು ಸೇವಾ ಪೂರೈಕೆದಾರರಿಗೆ ತರಬೇತಿ ನೀಡುತ್ತದೆ, ಸುಲಭದಲ್ಲಿ  ಸಾಲಗಳನ್ನು ಒದಗಿಸುತ್ತದೆ. ಬಡವರನ್ನು ಉನ್ನತೀಕರಿಸಲು ಮತ್ತು ಯುವಜನರು ಉದ್ಯೋಗವನ್ನು ಕಂಡುಕೊಂಡಿರುವ ಇಂತಹ ಲೆಕ್ಕವಿಲ್ಲದಷ್ಟು ಯೋಜನೆಗಳಿವೆ. ಈ ಎಲ್ಲಾ ಉಪಕ್ರಮಗಳ ಪರಿಣಾಮವು ಎಷ್ಟು ಮಹತ್ವದ್ದಾಗಿದೆ ಎಂದರೆ, ಕೇವಲ 10 ವರ್ಷಗಳಲ್ಲಿ, 25 ಕೋಟಿ ಭಾರತೀಯರು ಬಡತನದಿಂದ ಹೊರಬಂದಿದ್ದಾರೆ. ಅದರ ಬಗ್ಗೆ ಯೋಚಿಸಿ - ಅವರು ಉದ್ಯೋಗವನ್ನು ಕಂಡುಕೊಳ್ಳದಿದ್ದರೆ, ಕುಟುಂಬದಲ್ಲಿ ಯಾವುದೇ ಆದಾಯವಿಲ್ಲದಿದ್ದರೆ, ಮೂರು ಅಥವಾ ನಾಲ್ಕು ತಲೆಮಾರುಗಳಿಂದ ಬಡವನಾಗಿದ್ದ ವ್ಯಕ್ತಿಯು ಆ ಕತ್ತಲೆಯಿಂದ ಹೊರಬರುವುದನ್ನು ಊಹಿಸಿಕೊಳ್ಳಲು ಹೇಗೆ ಸಾಧ್ಯವಿತ್ತು.? ಅವರಿಗೆ, ಪ್ರತಿ ದಿನವೂ ಬದುಕುಳಿಯುವುದೇ ಹೋರಾಟವಾಗಿತ್ತು ಮತ್ತು ಜೀವನವು ಒಂದು ಹೊರೆಯಂತೆ ಭಾಸವಾಗಿರುತ್ತಿತ್ತು. ಆದರೆ ಇಂದು, ಅವರು ತಮ್ಮ ಶಕ್ತಿ ಮತ್ತು ಧೈರ್ಯದಿಂದ ಬಡತನವನ್ನು ಸೋಲಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಈ 25 ಕೋಟಿ ಸಹೋದರ ಸಹೋದರಿಯರು ವಿಜಯಶಾಲಿಗಳಾಗಿ ಹೊರಹೊಮ್ಮಿದ್ದಾರೆ ಮತ್ತು ನಾನು ಅವರ ದೃಢಸಂಕಲ್ಪಕ್ಕೆ ವಂದಿಸುತ್ತೇನೆ. ಅವರು ಸರ್ಕಾರದ ಯೋಜನೆಗಳನ್ನು ಸಾಧನಗಳಾಗಿ ಬಳಸಿಕೊಂಡರು, ಸುತ್ತು ಕುಳಿತುಕೊಂಡು  ದೂರು ನೀಡಲಿಲ್ಲ - ಅವರು ಬಡತನದ ವಿರುದ್ಧ ಹೋರಾಡಿದರು, ಅದನ್ನು ಬೇರು ಸಹಿತ ಕಿತ್ತುಹಾಕಿದರು ಮತ್ತು ಅದನ್ನು ಜಯಿಸಿದರು. ಈಗ ಊಹಿಸಿ, ಈ 25 ಕೋಟಿ ಜನರಲ್ಲಿ ಮೂಡಿರುವ  ಹೊಸ ಆತ್ಮ ವಿಶ್ವಾಸ! ಒಬ್ಬ ವ್ಯಕ್ತಿಯು ಬಿಕ್ಕಟ್ಟಿನಿಂದ ಹೊರಬಂದಾಗ , ಹೊಸ ಶಕ್ತಿ ಹೊರಹೊಮ್ಮುತ್ತದೆ. ಈ ಹೊಸ ಶಕ್ತಿ ನನ್ನ ದೇಶದಲ್ಲಿಯೂ ಹೊರಹೊಮ್ಮಿದೆ ಮತ್ತು ಅದು ದೇಶವನ್ನು ಮುಂದಕ್ಕೆ ಕೊಂಡೊಯ್ಯುವಲ್ಲಿ ಪ್ರಮುಖ ಪಾತ್ರ ವಹಿಸುತ್ತದೆ. ಮತ್ತು ನಾನು ಒಂದನ್ನು ಸ್ಪಷ್ಟಪಡಿಸುತ್ತೇನೆ- ಇದನ್ನು ಕೇವಲ ಸರ್ಕಾರ ಹೇಳುತ್ತಿರುವುದಲ್ಲ. ಇಂದು, ವಿಶ್ವಬ್ಯಾಂಕ್‌ನಂತಹ ಜಾಗತಿಕ ಸಂಸ್ಥೆಗಳು ಭಾರತವನ್ನು ಈ ಸಾಧನೆಗಾಗಿ ಬಹಿರಂಗವಾಗಿ ಹೊಗಳುತ್ತಿವೆ. ಜಗತ್ತು ಭಾರತವನ್ನು ಮಾದರಿಯಾಗಿ ಪ್ರಸ್ತುತಪಡಿಸುತ್ತಿದೆ. ಸಮಾನತೆಯ ವಿಷಯದಲ್ಲಿ ಭಾರತವು ಈಗ ವಿಶ್ವದ ಅಗ್ರ ರಾಷ್ಟ್ರಗಳಲ್ಲಿ ಸ್ಥಾನ ಪಡೆದಿದೆ - ಅಂದರೆ ಅಸಮಾನತೆ ವೇಗವಾಗಿ ಕಡಿಮೆಯಾಗುತ್ತಿದೆ ಮತ್ತು ನಾವು ಹೆಚ್ಚಿನ ಸಮಾನತೆಯತ್ತ ಸಾಗುತ್ತಿದ್ದೇವೆ. ಜಗತ್ತು ಈಗ ಈ ರೂಪಾಂತರವನ್ನು ಗಮನಿಸುತ್ತಿದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಪ್ರಸ್ತುತ ನಡೆಯುತ್ತಿರುವ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಯ ಮಹಾನ್ ಆಂದೋಲನ, ಬಡವರ ಕಲ್ಯಾಣ ಮತ್ತು ಉದ್ಯೋಗ ಸೃಷ್ಟಿಗಾಗಿ ಚಳುವಳಿ - ಇಂದಿನಿಂದ ಅದನ್ನು ಮುಂದಕ್ಕೆ ಕೊಂಡೊಯ್ಯುವ ಜವಾಬ್ದಾರಿಯನ್ನು ನೀವು ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳುತ್ತೀರಿ. ಸರ್ಕಾರ ಎಂದಿಗೂ ಅಡಚಣೆಯಾಗಬಾರದು; ಅದು ಯಾವಾಗಲೂ ಬೆಳವಣಿಗೆಗೆ ಅನುಕೂಲ ಮಾಡಿಕೊಡಬೇಕು. ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬ ವ್ಯಕ್ತಿಯು ಮುಂದುವರಿಯಲು ಅವಕಾಶಕ್ಕೆ ಅರ್ಹರು. ಸಹಾಯ ಹಸ್ತ ಚಾಚುವುದು ನಮ್ಮ ಪಾತ್ರ. ಮತ್ತು ನೀವು, ನನ್ನ ಸ್ನೇಹಿತರು, ಯುವಜನರು. ನನಗೆ ನಿಮ್ಮ ಮೇಲೆ ಅಪಾರ ನಂಬಿಕೆ ಇದೆ. ನನಗೆ ನಿಮ್ಮಿಂದ ಹೆಚ್ಚಿನ ನಿರೀಕ್ಷೆಗಳಿವೆ. ನಿಮ್ಮನ್ನು ಎಲ್ಲೇ ನಿಯೋಜಿಸಿದರೂ, ನೀವು ಸದಾ ನಾಗರಿಕರಿಗೆ ಮೊದಲ ಸ್ಥಾನ ನೀಡಬೇಕು. ಅವರಿಗೆ ಸಹಾಯ ಮಾಡುವುದು, ಅವರ ಕಷ್ಟಗಳನ್ನು ನಿವಾರಿಸುವುದು –ಅದರಿಂದ ಮಾತ್ರ ರಾಷ್ಟ್ರವನ್ನು ವೇಗವಾಗಿ ಮುನ್ನಡೆಸಲು ಸಾಧ್ಯವಾಗುತ್ತದೆ. ನೀವು ಭಾರತದ ಅಮೃತ ಕಾಲದಲ್ಲಿ ಸಕ್ರಿಯವಾಗಿ ಭಾಗವಹಿಸುವವರಾಗಬೇಕು - ಈ ಅವಕಾಶದ ಸುವರ್ಣ ಅವಧಿ. ಮುಂದಿನ 20 ರಿಂದ 25 ವರ್ಷಗಳು, ನಿಮ್ಮ ವೃತ್ತಿಜೀವನಕ್ಕೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ, ಇಡೀ ದೇಶದ ಭವಿಷ್ಯಕ್ಕೂ ನಿರ್ಣಾಯಕವಾಗಿವೆ. ಇವು 'ವಿಕಸಿತ ಭಾರತ' (ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಹೊಂದಿದ ಭಾರತ) ನಿರ್ಮಿಸಲು ನಿರ್ಣಾಯಕ ವರ್ಷಗಳು. ಅದಕ್ಕಾಗಿಯೇ, ನಿಮ್ಮ ಕೆಲಸ, ನಿಮ್ಮ ಕರ್ತವ್ಯಗಳು ಮತ್ತು ನಿಮ್ಮ ಗುರಿಗಳನ್ನು 'ವಿಕಸಿತ ಭಾರತ'ವನ್ನು ರಚಿಸುವ ಸಂಕಲ್ಪದೊಂದಿಗೆ ಜೋಡಿಸಬೇಕು. 'ನಾಗರಿಕ ದೇವೋ ಭವೋ' (ನಾಗರಿಕನೇ ದೇವರು) ಎಂಬ ಮಂತ್ರವು ನಿಮ್ಮ ರಕ್ತನಾಳಗಳಲ್ಲಿ ಹರಿಯಬೇಕು, ನಿಮ್ಮ ಹೃದಯ ಮತ್ತು ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿ ನೆಲೆಸಬೇಕು ಮತ್ತು ನಿಮ್ಮ ವರ್ತನೆ ಮತ್ತು ನಡವಳಿಕೆಯಲ್ಲಿ ಪ್ರತಿಫಲಿಸಬೇಕು. ಮತ್ತು ನನ್ನ ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಕಳೆದ 10 ವರ್ಷಗಳಿಂದ ಈ ಯುವ ಶಕ್ತಿ ದೇಶವನ್ನು ಮುನ್ನಡೆಸುವಲ್ಲಿ ನನ್ನೊಂದಿಗೆ ನಿಂತಿದೆ ಎಂಬುದರ ಬಗ್ಗೆ ನನಗೆ ಸಂಪೂರ್ಣ ವಿಶ್ವಾಸವಿದೆ. ಅವರು ನನ್ನ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಮಾತುಗಳನ್ನು ಹೃದಯಕ್ಕೆ ತೆಗೆದುಕೊಂಡು ದೇಶಕ್ಕಾಗಿ ತಮ್ಮಿಂದ ಸಾಧ್ಯವಾದದ್ದನ್ನು ಮಾಡಿದ್ದಾರೆ - ಅವರು ಎಲ್ಲಿದ್ದರೂ, ಯಾವುದೇ ಸಾಮರ್ಥ್ಯದಲ್ಲಿ ಕಾರ್ಯನಿರ್ವಹಿಸುತ್ತಿದ್ದರೂ ಅದನ್ನು ಮಾಡಿದ್ದಾರೆ. ಈಗ ನಿಮಗೆ ಈ ಅವಕಾಶ ನೀಡಲಾಗಿದೆ, ನಿಮ್ಮಿಂದ ನಿರೀಕ್ಷೆಗಳು ಹೆಚ್ಚಿವೆ. ನಿಮ್ಮ ಜವಾಬ್ದಾರಿ ಹೆಚ್ಚಾಗಿದೆ. ಮತ್ತು ನಾನು ನಂಬುತ್ತೇನೆ - ನೀವು ಸಂದರ್ಭಕ್ಕೆ ತಕ್ಕಂತೆ ಎದ್ದು ನಿಂತು ಅದನ್ನು ಸಾಧಿಸುವಿರಿ. ಮತ್ತೊಮ್ಮೆ, ನಾನು ನಿಮ್ಮನ್ನು ಹೃತ್ಪೂರ್ವಕವಾಗಿ ಅಭಿನಂದಿಸುತ್ತೇನೆ. ಉಜ್ವಲ ಮತ್ತು ಸಮೃದ್ಧ ಭವಿಷ್ಯಕ್ಕೆ ಅರ್ಹರಾಗಿರುವ ನಿಮ್ಮ ಕುಟುಂಬಗಳಿಗೆ ನಾನು ನನ್ನ ಹೃತ್ಪೂರ್ವಕ ಶುಭಾಶಯಗಳನ್ನು ಸಲ್ಲಿಸುತ್ತೇನೆ. ನೀವೆಲ್ಲರೂ ಜೀವನದಲ್ಲಿ ಉತ್ತಮ ಯಶಸ್ಸನ್ನು ಸಾಧಿಸುವಂತಾಗಲಿ. ಐ.ಜಿ.ಒ.ಟಿ (iGOT) ವೇದಿಕೆಯ ಮೂಲಕ ನಿರಂತರವಾಗಿ ನಿಮ್ಮನ್ನು ಉನ್ನತೀಕರಿಸುತ್ತಾ ಹೋಗಿ. ಈಗ ನೀವು ನಿಮ್ಮ ಸ್ಥಾನವನ್ನು ಪಡೆದುಕೊಂಡಿದ್ದೀರಿ, ಹಿಂದೆ ಕುಳಿತುಕೊಳ್ಳಬೇಡಿ. ದೊಡ್ಡ ಕನಸು ಕಾಣಿರಿ, ಉನ್ನತ ಗುರಿಯನ್ನು ಹೊಂದಿರಿ. ಕಠಿಣ ಪರಿಶ್ರಮ, ನಿರಂತರ ಕಲಿಕೆ ಮತ್ತು ಹೊಸ ಫಲಿತಾಂಶಗಳನ್ನು ತರುವ ಮೂಲಕ, ಮುಂದುವರಿಯಿರಿ. ನಿಮ್ಮ ಪ್ರಗತಿ ದೇಶದ ಹೆಮ್ಮೆ ಮತ್ತು ನಿಮ್ಮ ಬೆಳವಣಿಗೆ ನನ್ನ ತೃಪ್ತಿ. ಅದಕ್ಕಾಗಿಯೇ, ಇಂದು, ನೀವು ಜೀವನದಲ್ಲಿ ಈ ಹೊಸ ಪ್ರಯಾಣವನ್ನು ಪ್ರಾರಂಭಿಸುತ್ತಿರುವಾಗ, ನಿಮ್ಮೊಂದಿಗೆ ಮಾತನಾಡಲು, ನಿಮ್ಮನ್ನು ಆಶೀರ್ವದಿಸಲು ಮತ್ತು ಅನೇಕ ಕನಸುಗಳನ್ನು ಈಡೇರಿಸುವಲ್ಲಿ ನನ್ನ ಪಾಲುದಾರನಾಗಿ ನಿಮ್ಮನ್ನು ಸ್ವಾಗತಿಸಲು ನಾನು ಇಲ್ಲಿಗೆ ಬಂದಿದ್ದೇನೆ. ಒಬ್ಬ ಆಪ್ತ ಮತ್ತು ವಿಶ್ವಾಸಾರ್ಹ ಒಡನಾಡಿಯಾಗಿ, ನಾನು ನಿಮ್ಮನ್ನು ಹೃತ್ಪೂರ್ವಕವಾಗಿ ಸ್ವಾಗತಿಸುತ್ತೇನೆ. ತುಂಬಾ ಧನ್ಯವಾದಗಳು, ಮತ್ತು ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರಿಗೂ ಶುಭಾಶಯಗಳು.