നേരത്തെ ത്രിപുരയിൽ സർക്കാർ പദ്ധതികളുടെ ആനുകൂല്യം ഇടതുപക്ഷ പ്രവർത്തകർക്ക് മാത്രമായിരുന്നു ലഭിച്ചിരുന്നത്. ഇപ്പോൾ ത്രിപുരയിലെ ഓരോ പൗരനും സർക്കാർ പദ്ധതികളുടെ ആനുകൂല്യങ്ങൾ ലഭിക്കുന്നു: ത്രിപുരയിലെ അംബാസയിൽ പ്രധാനമന്ത്രി മോദി
ത്രിപുരയിലെ ജനങ്ങൾക്ക് നൽകിയ HIRA (ഹൈവേ, ഇന്റർനെറ്റ്, റെയിൽവേ, എയർവേ) വാഗ്ദാനം എങ്ങനെ നിറവേറ്റിയെന്ന് പ്രധാനമന്ത്രി മോദി വിശദീകരിച്ചു
ബിജെപി സർക്കാർ മുളകൊണ്ടുള്ള ഉൽപ്പന്നങ്ങൾ രാജ്യത്തും ലോകത്തും പ്രചരിപ്പിക്കുന്നു. ഇതിൽ നിന്ന് ഏറ്റവും കൂടുതൽ പ്രയോജനം ലഭിക്കുന്നത് ആദിവാസി സമൂഹമാണ്: ബിജെപിയുടെ ഗോത്ര സൗഹൃദ നയങ്ങളെക്കുറിച്ച് പ്രധാനമന്ത്രി മോദി

जोतो नो खुलुमका, जोतो कहम दा?


सबई के नमोस्कार।

त्रिपुरा चुनाव की ये मेरी पहली जनसभा है। यहां मैं देख रहा हूं कि इतनी बड़ी संख्या में जहां भी मेरी नजर पहुंच रही है, लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। वहां ऊपर भी लोग खड़े हैं। आप इतनी बड़ी तादाद में हमें आशीर्वाद देने के लिए आए हैं। हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आए हैं। मैं आपका हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। बहुत बड़ी संख्या में जनजातीय समाज के मेरे भाई-बहन, वे जब आशीर्वाद देते हैं तो उन आशीर्वाद की पवित्रता, उसका सामर्थ्य कई गुना बढ़ जाता है। ढलाई जिले का ये उत्साह साफ-साफ त्रिपुरा का मूड बता रहा है। त्रिपुरा ये ठान चुका है कि विकास का डबल इंजन अब रुकने वाला नहीं है। इसलिए आज त्रिपुरा के कोने-कोने में एक ही आवाज़ है, एक ही नारा है, एक ही जयघोष है-


फिर एक बार- भाजपा सरकार !
फिर एक बार- डबल इंजन सरकार !
फिर एक बार- भाजपा सरकार
फिर एक बार- डबल इंजन सरकार
फिर एक बार डबल इंजन सरकार का ये मंत्र

भाइयों और बहनों,


आज मैं त्रिपुरा की संतान, विजनरी नेता नरेंद्र चंद्र देबबर्मा जी उनको भी आदरपूर्वक याद कर रहा हूं। हम सब उन्हें एनसी दा के नाम से बुलाते थे। त्रिपुरा के विकास को लेकर अक्सर मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने समझने का अवसर मिलता था। आज एनसी दा हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हम सभी के बीच है और आने वाले समय में भी प्रेरणा देती रहेगी। मुझे संतोष है कि देश ने उनके योगदान को सम्मान देते हुए, इस वर्ष उन्हें भारत का बहुमूल्य ऐसा पद्मश्री का सम्मान दिया है। ये हमारा सौभाग्य है। श्री बिक्रम बहादुर जमातिया जी को भी पद्मश्री देकर भारतीय जनता पार्टी सरकार का गौरव बढ़ा है। भाजपा सरकार ने कोशिश की है कि त्रिपुरा और राष्ट्र के विकास में जनजातीय समाज के योगदान को पूरा देश देखे, पूरा देश जाने।

भाइयों और बहनों,


दशकों तक कांग्रेस और वामपंथियों के शासन ने त्रिपुरा को विकास के हर पैमाने पर पीछे धकेल दिया था। लेकिन डबल इंजन की सरकार सिर्फ 5 वर्षों में ही त्रिपुरा को तेज विकास की पटरी पर ले आई है। अब त्रिपुरा की पहचान हिंसा नहीं है, त्रिपुरा की पहचान पिछड़ापन नहीं है। त्रिपुरा में आए बदलाव का एक और उदाहरण ये चुनाव में भी है। आज आप देखिए, त्रिपुरा में चुनाव हो रहे हैं तो हर पार्टी का झंडा दिख रहा है। 5 साल पहले क्या किसी और दल को अपना झंडा भी गाड़ने दिया जाता था क्या? त्रिपुरा में ज्यादातर जगहों पर पहले एक ही पार्टी का झंडा फहराने की इजाजत थी। उनके लोकतंत्र की ये डेफिनेशन थी। बाकी कोई हिम्मत ही नहीं कर सकता था। और अगर किसी ने अपने घर पर झंडा लगा दिया तो घर के घर जला दिए जाते थे। आज भाजपा सरकार ने डर, भय और हिंसा से त्रिपुरा को मुक्ति दी है।

साथियों,


पहले त्रिपुरा में जीवन के हर बात में एक शब्द सुनाई देता था- चंदा। कुछ भी हो चंदा, गाड़ी आए चंदा, घर बना रहे हो- चंदा, दुकान खोल रहे हो- चंदा। इन लोगों ने तीन-तीन दशक तक चंदा, चंदा, चंदा। हर किसी को लूटने का लाइसेंस देकर रखा था। किसी ना किसी बहाने से लोगों को चंदा देना ही पड़ता था। अब भाजपा सरकार ने त्रिपुरा को चंदा, चंदा करने वालों से ही मुक्त कर दिया है।
पहले त्रिपुरा के सरकारी कर्मचारियों को पुराने आधार पर ही वेतन मिला करता था। भाजपा सरकार ने त्रिपुरा में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करके लाखों कर्मचारियों का वेतन बढ़ाया है। पहले त्रिपुरा में सिर्फ वामपंथी काडर को ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता था। अब भाजपा सरकार में त्रिपुरा के हर नागरिक को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। पहले त्रिपुरा में लोग पुलिस थाने तक मुश्किल से पहुंच पाते थे, पहुंचने के पहले भी चंदा देना पड़ता था, पहुंचने के बाद भी चंदा देना पड़ता था। थानों पर भी सीपीएम काडर का ही कब्जा था। अब भाजपा के शासन में त्रिपुरा में कानून का राज स्थापित हुआ है।

साथियों,


आप याद करिए, हिंसा के उस दौर में महिलाओं पर, हमारी बहनों- हमारी बेटियों पर कितने अत्याचार हुए थे। लेकिन आज त्रिपुरा में महिला सशक्तिकरण हो रहा है, महिलाओं का जीवन आसान बनाने वाले काम हो रहे हैं। अभी मेरे त्रिपुरा के एक मां ने आकर के मुझे पगड़ी पहनाई। सिर्फ पगड़ी ही नहीं पहनाई, बेटे की तरह उस मां मेरे सिर पर हाथ रखके आशीर्वाद दिया। इससे बड़ा जीवन का सौभाग्य क्या होता है। मुझे खुशी है इस चुनाव में यहां से हमारी एक युवा बेटी ही भाजपा की उम्मीदवार है।

साथियों,


पहले की सरकारों के दौर में ढलाई भारत के सबसे पिछड़े जिलों में से एक था। लेकिन डबल इंजन सरकार ने ढलाई को आकांक्षी जिला घोषित किया और विकास के हर पहलू पर ध्यान दिया। इसका परिणाम ये है कि आज ढलाई देश के 110 आकांक्षी जिलों में दूसरे स्थान पर आ चुका है। दूसरे स्थान पर...ये बहुत बड़ा काम है। मैं सरकार को, सभी अफसरों को ढलाई की इतनी बड़ी सेवा करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

भाइयों और बहनों,


मुझे खुशी है कि आज ढलाई के साथ ही पूरे त्रिपुरा में विकास के हर पैमाने पर प्रगति दिखाई दे रही है। मैं त्रिपुरा बीजेपी की सराहना करूंगा जिसने बहुत मंथन करके, यहां के गांव-गांव जाकर के, लोगों को क्या चाहिए, लोग क्या कहना चाहते हैं, हर किसी से सुझाव लेकर के एक सशक्त संकल्प-पत्र जारी किया है। ये संकल्प-पत्र साबित करता है कि भाजपा जो कहती है, वो वही होता है जो आप चाहते हैं। और भाजपा वही करती है जो आपकी प्राथमिकता होती है, आपकी जरूरत होती है।


त्रिपुरा के गरीबों के लिए, युवाओं के लिए, हमारी माताओं-बहनों के लिए, हमारे विशाल जनजातीय समुदाय के लिए, यहां की कनेक्टिविटी के लिए, भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने नए लक्ष्य तय किए हैं। और भाजपा ने संकल्प पत्र में, मेनिफेस्टो में नए लक्ष्य के साथ नए कदम का फैसला लिया है। मैं हमारे मित्र और यहां के जनप्रिय लोकप्रिय मुख्यमंत्री माणिक साहा जी, प्रदेश भाजपा के सभी साथियों को भी इतना बढ़िया संकल्प पत्र देने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।


त्रिपुरा के लोगों को याद रखना है- 16 फरवरी को आपका एक-एक वोट भाजपा और उसके सहयोगी दलों को ही देना है। आपके एक वोट की शक्ति से ही त्रिपुरा, वामपंथियों के कुशासन से मुक्त हुआ है। अब आपका एक वोट ही डबल इंजन की सरकार की वापसी कराएगा, वामपंथियों को सरकार से दूर रखेगा।

साथियों,


5 साल पहले जब मैं त्रिपुरा आया था तो आपसे HIRA यानि हाईवे, इंटरनेट, रेलवे और एयरवे का वादा किया था। त्रिपुरा के विकास को हाईवे, इंटरनेट, रेलवे और एयरवे से सशक्त करने के लिए भाजपा की डबल इंजन सरकार ने दिन रात काम किया है। त्रिपुरा में नेशनल हाईवे की लंबाई दोगुनी करने का काम तेज गति से चल रहा है। चुराईबारी से अगरतला नेशनल हाईवे भी 2 लेन से 4 लेन का हो गया है। त्रिपुरा में गांवों को जोड़ने के लिए बीते वर्षों में 5 हजार किलोमीटर के करीब नई सड़कों का निर्माण किया गया है। पिछले साल जनवरी में अगरतला को नए एयरपोर्ट की सौगात मिलने के अवसर पर मैं आप सबके बीच भी आया था। आज जो कोई अगरतला एयरपोर्ट आता है तो उसकी भव्यता देखकर वो हैरान रह जाता है। त्रिपुरा में गांव-गांव तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाने और मोबाइल टॉवर के द्वारा 4G कनेक्टिविटी पहुंचाने के प्रयास जारी हैं। पिछले 8 वर्षों में त्रिपुरा में तीन गुने से ज्यादा ऑप्टिकल फाइबर बिछाए जा चुके हैं।

साथियों,


कनेक्टिविटी का ये विस्तार सिर्फ त्रिपुरा के भीतर ही नहीं हो रहा, बल्कि आज त्रिपुरा अभूतपूर्व तरीके से दुनिया से कनेक्ट कर रहा है। अब मेरा त्रिपुरा ग्लोबल बन रहा है ग्लोबल। हम त्रिपुरा और नॉर्थ ईस्ट को बंदरगाहों से जोड़ने के लिए वाटरवेज को भी विकसित कर रहे हैं। बांग्लादेश और भूटान के साथ-साथ नदियों के रास्ते पहले से व्यापार हो रहा है। बांग्लादेश के साथ सड़क और रेल कनेक्टिविटी भी मजबूत हो रही है। जल्द ही अगरतला से अंतर्राष्ट्रीय उड़ान भी शुरू हो जाएंगी। त्रिपुरा दक्षिण पूर्व एशिया का गेटवे बनने की ओर अग्रसर है। और अभी मुख्यमंत्री जी एक्ट ईस्ट पॉलिसी की चर्चा भी कर रहे थे। इसका बहुत बड़ा लाभ त्रिपुरा की अर्थव्यवस्था को होगा, त्रिपुरा के नौजवानों को होगा, यहां के लोगों को होगा।

साथियों,


त्रिपुरा पर मां त्रिपुरसुंदरी का आशीर्वाद है। भाजपा सरकार, त्रिपुरा की ताकत को एक और त्रिशक्ति से बढ़ा रही है। इसमें पहली शक्ति है- आवास, त्रिपुरा के लोगों को पक्का घर। दूसरी शक्ति है- आरोग्य, त्रिपुरा के लोगों को स्वास्थ की सुविधाएं। तीसरी शक्ति है- आमदनी, त्रिपुरा के लोगों की आय में वृद्धि आवास। आरोग्य और आय की ये त्रिशक्ति, त्रिपुरा के लोगों का जीवन आसान बना रही है। मेरे गरीब भाई-बहन, मेरी माताएं-बहनें- हमारी बेटियां, मेरे किसान भाई-बहन, हमारे श्रमिक भाई-बहन, सभी को बीते 5 वर्षों में भाजपा सरकार की इस त्रिशक्ति का लाभ लगातार मिलता रहा है।

साथियों,


त्रिपुरा में पीएम आवास योजना ने यहां के लोगों का जीवन बदल दिया है। वो गरीब, जो कभी सोच तक नहीं सकते थे...पीढ़ियां बीत गईं, पक्का घर कभी मिला नहीं, उन्हें भी पीएम आवास योजना का पक्का घर मिल रहा है। त्रिपुरा में भाजपा सरकार ने बीते पांच साल में करीब-करीब तीन लाख पक्के घर बनाकर गरीबों को दिए हैं। जो दिल्ली में बैठे हुए हैं न, वो जब ये आंकड़ा सुनेंगे तो वो सोचते रह जाएंगे। त्रिपुरा जैसा छोटा राज्य और इतने कम समय में तीन लाख परिवारों को पक्का घर। इससे बड़ी सरकार की तेज गति क्या हो सकती है, डबल इंजन की ताकत क्या हो सकती है। और अगर एक परिवार में चार से पांच लोग भी मानूं तो 10 से 12 लाख लोगों को सीधे-सीधे पीएम आवास योजना का लाभ हुआ है। उनकी जिंदगी में एक नई आशा का संचार हुआ है। त्रिपुरा की 40 लाख की आबादी को देखते हुए ये आंकड़ा बहुत बड़ा है। ये है भाजपा सरकार के काम करने का तरीका, ये है डबल इंजन की सरकार के काम करने के परिणाम। जो लोग झूठ बोलकर, साजिशें रचकर भाजपा सरकार को हटाने के सपने देख रहे हैं, उनके सामने ये लाखों लोग भाजपा का सुरक्षा कवच बनकर के आज दीवार बनकर के खड़े हैं।

साथियों,


त्रिपुरा के लोगों ने लेफ्ट और कांग्रेस के बरसों के कुशासन में एक बहुत बड़ी पीड़ा भुगती है। ये पीड़ा थी- स्वास्थ्य की सुविधाओं में कमी। घर में कोई बीमार हो जाए, तो यहां के लोगों के पास इलाज के लिए ना तो अच्छे अस्पताल थे। इलाज के पैसे भी उनकी बहुत बड़ी चिंता थे। भाजपा सरकार को आपकी इस चिंता का ध्यान था। इसलिए ही हम 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देने वाली आयुष्मान भारत योजना लेकर के आए। और मुझे खुशी है कि त्रिपुरा के करीब-करीब 2 लाख से भी ज्यादा गरीब मरीजों को गंभीर बीमारी की स्थिति में आयुष्मान योजना ने मदद की है। और उनकी जिंदगी बचाने का पुण्य प्राप्त किया है।


आप कल्पना करिए, अगर आयुष्मान योजना ना होती, अगर भाजपा सरकार ना होती, तो क्या ये सुविधाएं त्रिपुरा के गांवों में मेरे गरीब के घर तक पहुंचती क्या? जनजातीय समुदाय के घर तक पहुंचती क्या? हमारी माताओं-बहनों को बीमारी से मुक्ति मिलती क्या? आयुष्मान योजना के साथ-साथ हमने त्रिपुरा में अस्पतालों के निर्माण पर भी बल दिया है। हाल में ही पहला, आजादी के इतने सालों बाद पहला डेंटल कॉलेज भी त्रिपुरा को देने का सौभाग्य हमें मिला है। कांग्रेस और लेफ्ट, गरीब से सिर्फ विश्वासघात करना जानते हैं, वो गरीब को कभी किसी चिंता से मुक्त नहीं कर सकते।

साथियों,


भाजपा सरकार की कोशिश सिर्फ आपको बेहतर इलाज की सुविधा देने की ही नहीं है। लेकिन भाजपा सरकार हर वो उपाय कर रही है कि आपको बीमार पड़ने की नौबत ही नहीं आए। जब हर घर नल से जल आता है, तो घर में बीमारी कम होती है। जब हर घर में शौचालय की सुविधा पहुंचती है, तो घर से बीमारी भी दूर भागती है। जब हर घर में उज्जवला का गैस कनेक्शन पहुंचता है तो रसोई से धुआं कभी ऊपर नहीं उठ पाता है, उसको भागना ही पड़ता है। और सिर्फ धुआं नहीं, बीमारी भी भागती है। भाजपा आपकी सेवक की तरह, सच्चे साथी की तरह, आपके सुख-दुख के संबल की तरह, आपकी हर चिंता दूर करने का काम आज भाजपा सरकार दिन रात मेहनत करके कर रही है। भाजपा सरकार की वजह से यहां चार लाख से ज्यादा घरों में शौचालय बने हैं। भाजपा सरकार की वजह से यहां चार लाख से ज्यादा घरों में पाइप से पीने का पानी पहुंचा है। भाजपा सरकार की वजह से यहां करीब-करीब तीन लाख घरों में गैस कनेक्शन पहुंचा है।

आप मुझे बताइए साथियों,


कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां कभी आपकी सेवक बनकर काम कर सकती हैं?कांग्रेस और लेफ्ट तो त्रिपुरा के लोगों का जीवन आसान बनाने वाली ऐसी हर योजना को बंद कर देना चाहती हैं। इसलिए त्रिपुरा के लोगों को लेफ्ट और कांग्रेस की ये दुधारी तलवार से सतर्क रहना है।

भाइयों और बहनों,


आवास, आरोग्य के साथ ही आय भी त्रिपुरा के लोगों की नई त्रिशक्ति बनी है। भाजपा सरकार ने जितना त्रिपुरा के लोगों की आय बढ़ाने के लिए किया है, उतना पहले कभी त्रिपुरा में हुआ ही नहीं। आय उनकी बढ़ती थी क्योंकि वे चंदा ले लेते थे। हम आपकी आय बढ़ाने में लगे हैं। भाजपा सरकार अभी तक त्रिपुरा के ढाई लाख से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में 500 करोड़ रुपए से अधिक जमा कर चुकी है। और वहां कोई बिचौलिया नहीं, कोई चंदा चोर नहीं। यहां ढलाई के भी करीब 40 हजार किसानों के बैंक खाते में पीएम किसान निधि के 80 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। पीएम किसान सम्मान निधि का बहुत लाभ त्रिपुरा के धान बोने वाले किसानों को हुआ है। अब तो त्रिपुरा बीजेपी ने ऐलान किया है कि सरकार में वापसी के बाद इस राशि में और वृद्धि की जाएगी।

साथियों,


मुझे याद है, जब त्रिपुरा में भाजपा सरकार नहीं थी तो किसानों को MSP के नाम पर कुछ खास नहीं मिलता था। लेफ्ट के शासन में किसानों को MSP का लाभ मिलना एक सपने की तरह था। लेकिन अब भाजपा सरकार में जब MSP की घोषणा होती है, तो यहां त्रिपुरा के भी हर किसान को उसका लाभ मिलता है। त्रिपुरा में धान पैदा करने वाले 27 हजार से ज्यादा किसानों के खाते में भाजपा सरकार ने करोड़ों रुपए सीधे भेजे हैं।

भाइयों और बहनों,


आवास, आरोग्य और आय की इस त्रिशक्ति का सबसे बड़ा लाभार्थी हमारा जनजातीय समाज है। ये क्षेत्र तो वन संपदा के लिए, वन उपज के लिए मशहूर है। ‘बांस करील’ को लेकर पहले की सरकारों का क्या रवैया था, ये आप भी जानते हैं। कांग्रेस और लेफ्ट की सरकारों के दौरान तो बांस काटना और इसका व्यापार, उस पर भी प्रतिबंध था, बैन था। ये भाजपा सरकार ही है जिसने इस कानून को हटाया। भाजपा सरकार तो अब बांस से बने उत्पादों का देश-दुनिया में प्रचार कर रही है। इसका लाभ सबसे अधिक जनजातीय समाज को हो रहा है। मुझे खुशी है कि आज त्रिपुरा में देश का पहला बांस पार्क बना है।

साथियों,


त्रिपुरा में भाजपा सरकार, ‘अगर वुड’ की खेती को भी प्रोत्साहित कर रही है। भाजपा सरकार ‘अगर नीति' लेकर भी आई है। इससे हज़ारों किसानों की आय बढ़ने वाली है। 2014 से पहले कुछ ही वन उपजों पर एमएसपी मिलता था। लेकिन हम 90 से अधिक वन उपजों को एमएसपी के दायरे में लाए हैं।

साथियों,


भाजपा सरकार देश में कहीं भी हो, जनजातीय समाज के विकास के लिए पूरी ईमानदारी से काम करती है। अटल जी की सरकार ने पहली बार आदिवासी समुदाय के लिए अलग मंत्रालय बनाया, अलग बजट बनाया। अब तो हमने आदिवासी विकास के लिए बजट को 5 गुणा कर दिया है। जब दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी, उसके मुकाबले 1 लाख करोड़ रुपए ज्यादा का बजट इस बार जनजातीय समाज के लिए रखा है। इसका बहुत बड़ा लाभ मेरे त्रिपुरा के जनजातीय समाज को होने वाला है।

साथियों,


ये हमारी ही भाजपा सरकार है जिसने सरकारी स्कूलों में कोकबोरोक भाषा को एक विषय के रूप में शामिल किया है। आज इसे त्रिपुरा के सैकड़ों स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है। भाजपा सरकार ने जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई है, उससे स्थानीय भाषा में पढ़ाई और आसान हुई है। अब डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी स्थानीय भाषाओं में हो सकेगी। यानि मेरे गरीब आदिवासी भाई-बहन का बेटा औऱ बेटी भी अब डॉक्टर इंजीनियर बनने का सपना आसानी से पूरा कर सकेगा।

साथियों,


दिल्ली में जब कांग्रेस-लेफ्ट की सरकार थी, जब यहां सीपीएम की सरकार थी, तब उन्होंने जनजातियों के बीच भी दरारें पैदा कर दी। इन दलों ने समाज में एक-दूसरे के बीच टकराव को बढ़ावा दिया। दशकों तक यहां ब्रू-रियांग का मुद्दा चलता रहा। लेकिन इन्होंने उसके स्थाई समाधान के लिए प्रयास नहीं किए। डबल इंजन सरकार ने इसे सुलझाया और आज हम ब्रू-रियांग समुदाय की हर समस्या का समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं। इस बजट में ब्रू-रियांग जैसी जनजातियों के लिए भी एक विशेष योजना बनाई गई है। यही सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास है। यही डबल इंजन सरकार की पहचान है।


लेकिन साथियों मैं आपको एक बात से सतर्क करना चाहता हूं। कांग्रेस और लेफ्ट के लोग मिलकर छल-कपट में जुटे हैं। कुशासन के पुराने खिलाड़ियों ने हाथ मिला लिया है। साथ ही कुछ दूसरे दल भी उनकी पीछे से मदद कर रहे हैं। ऐसे दलों का नाम और नारा कुछ भी हो, लेकिन उनको जाने वाला एक-एक वोट त्रिपुरा को फिर से पीछे धकेल देगा। इसलिए 16 फरवरी को सिर्फ और सिर्फ कमल के फूल पर और IPFT के चुनाव चिन्ह पर ही बटन दबाना है। आप ये याद रखेंगे न? रखेंगे न। गांव-गांव जाएंगे?, आस-पड़ोस जाएंगे? औरों को भी बताएंगे?


अच्छा मेरा एक काम करेंगे? करेंगे, पक्का करेंगे? सबके घर जाना और बताना कि हमारे मोदी जी आए थे और मोदी जी ने आपको प्रणाम भेजा है। इतना मेरा संदेश बता देंगे। बता देंगे।


चलिए इतनी बड़ी संख्या में आकर के आपने आशीर्वाद दिया। मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।


भारत माता की।


वंदे, वंदे, वंदे।

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Text of PM’s address at the 2nd WHO Global Summit on Traditional Medicine in New Delhi
December 19, 2025
It is India’s privilege and a matter of pride that the WHO Global Centre for Traditional Medicine has been established in Jamnagar: PM
Yoga has guided humanity across the world towards a life of health, balance, and harmony: PM
Through India’s initiative and the support of over 175 nations, the UN proclaimed 21 June as International Yoga Day; over the years, yoga has spread worldwide, touching lives across the globe: PM
The inauguration of the WHO South-East Asia Regional Office in Delhi marks another milestone. This global hub will advance research, strengthen regulation & foster capacity building: PM
Ayurveda teaches that balance is the very essence of health, only when the body sustains this equilibrium can one be considered truly healthy: PM
Restoring balance is no longer just a global cause-it is a global urgency, demanding accelerated action and resolute commitment: PM
The growing ease of resources and facilities without physical exertion is giving rise to unexpected challenges for human health: PM
Traditional healthcare must look beyond immediate needs, it is our collective responsibility to prepare for the future as well: PM

WHO के डायरेक्टर जनरल हमारे तुलसी भाई, डॉक्टर टेड्रोस़, केंद्रीय स्वास्थ्य में मेरे साथी मंत्री जे.पी. नड्डा जी, आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव जी, इस आयोजन से जुड़े अन्य देशों के सभी मंत्रीगण, विभिन्न देशों के राजदूत, सभी सम्मानित प्रतिनिधि, Traditional Medicine क्षेत्र में काम करने वाले सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

आज दूसरी WHO Global Summit on Traditional Medicine का समापन दिन है। पिछले तीन दिनों में यहां पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े दुनिया भर के एक्सपर्ट्स ने गंभीर और सार्थक चर्चा की है। मुझे खुशी है कि भारत इसके लिए एक मजबूत प्लेटफार्म का काम कर रहा है। और इसमें WHO की भी सक्रिय भूमिका रही है। मैं इस सफल आयोजन के लिए WHO का, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का और यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

ये हमारा सौभाग्य है और भारत के लिए गौरव की बात है कि WHO Global Centre for Traditional Medicine भारत के जामनगर में स्थापित हुआ है। 2022 में Traditional Medicine की पहली समिट में विश्व ने बड़े भरोसे के साथ हमें ये दायित्व सौंपा था। हम सभी के लिए खुशी की बात है कि इस ग्लोबल सेंटर का यश और प्रभाव locally से लेकर के globally expand कर रहा है। इस समिट की सफलता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस समिट में Traditional knowledge और modern practices का कॉन्फ्लूएंस हो रहा है। यहां कई नए initiatives भी शुरू हुए हैं, जो medical science और holistic health के future को transform कर सकते हैं। समिट में विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रतिनिधियों के बीच विस्तार से संवाद भी हुआ है। इस संवाद ने ज्वाइंट रिसर्च को बढ़ावा देने, नियमों को सरल बनाने और ट्रेनिंग और नॉलेज शेयरिंग के लिए नए रास्ते खोले हैं। ये सहयोग आगे चलकर Traditional Medicine को अधिक सुरक्षित, अधिक भरोसेमंद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

साथियों,

इस समिट में कई अहम विषयों पर सहमति बनना हमारी मजबूत साझेदारी का प्रतिबिंब है। रिसर्च को मजबूत करना, Traditional Medicine के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाना, ऐसे रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना जिन पर पूरी दुनिया भरोसा कर सके। ऐसे मुद्दे Traditional Medicine को बहुत सशक्त करेंगे। यहां आयोजित Expo में डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी, AI आधारित टूल्स, रिसर्च इनोवेशन, और आधुनिक वेलनेस इंफ्रास्ट्रक्चर, इन सबके जरिए हमें ट्रेडिशन और टेक्नोलॉजी का एक नया collaboration भी देखने को मिला है। जब ये साथ आती हैं, तो ग्लोबल हेल्थ को अधिक प्रभावी बनाने की क्षमता और बढ़ जाती है। इसलिए, इस समिट की सफलता ग्लोबल दृष्टि से बहुत ही अहम है।

साथियों,

पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का एक अहम हिस्सा योग भी है। योग ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का रास्ता दिखाया है। भारत के प्रयासों और 175 से ज्यादा देशों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को योग दिवस घोषित किया गया था। बीते वर्षों में हमने योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचते देखा है। मैं योग के प्रचार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले हर व्यक्ति की सराहना करता हूं। आज ऐसे कुछ चुनींदा महानुभावों को पीएम पुरस्कार दिया गया है। प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने एक गहन चयन प्रक्रिया के माध्यम से इन पुरस्कार विजेताओं का चयन किया है। ये सभी विजेता योग के प्रति समर्पण, अनुशासन और आजीवन प्रतिबद्धता के प्रतीक हैं। उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा है। मैं सभी सम्मानित विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

मुझे ये जानकर भी अच्छा लगा कि इस समिट के आउटकम को स्थायी रूप देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया हैं। Traditional Medicine Global Library के रूप में एक ऐसा ग्लोबल प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है, जो ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़े वैज्ञानिक डेटा और पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स को एक जगह सुरक्षित करेगा। इससे उपयोगी जानकारी हर देश तक समान रूप से पहुंचने का रास्ता आसान होगा। इस Library की घोषणा भारत की G20 Presidency के दौरान पहली WHO Global Summit में की गई थी। आज ये संकल्प साकार हो गया है।

साथियों,

यहां अलग-अलग देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने ग्लोबल पार्टनरशिप का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। एक साझेदार के रूप में आपने Standards, safety, investment जैसे मुद्दों पर चर्चा की है। इस संवाद से जो Delhi Declaration इसका रास्ता बना है, वो आने वाले वर्षों के लिए एक साझा रोडमैप की तरह काम करेगा। मैं इस joint effort के लिए विभिन्न देशों के माननीय मंत्रियों की सराहना करता हूं, उनके सहयोग के लिए मैं आभार जताता हूं।

साथियों,

आज दिल्ली में WHO के South-East Asia Regional Office का उद्घाटन भी किया गया है। ये भारत की तरफ से एक विनम्र उपहार है। ये एक ऐसा ग्लोबल हब है, जहां से रिसर्च, रेगुलेशन और कैपेसिटी बिल्डिंग को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

भारत दुनिया भर में partnerships of healing पर भी जोर दे रहा है। मैं आपके साथ दो महत्वपूर्ण सहयोग साझा करना चाहता हूं। पहला, हम बिमस्टेक देशों, यानी दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में हमारे पड़ोसी देशों के लिए एक Centre of Excellence स्थापित कर रहे हैं। दूसरा, हमने जापान के साथ एक collaboration शुरू किया है। ये विज्ञान, पारंपरिक पद्धितियों और स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ने का प्रयास है।

साथियों,

इस बार इस समिट की थीम है- ‘Restoring Balance: The Science and Practice of Health and Well-being’, Restoring Balance, ये holistic health का फाउंडेशनल थॉट रहा है। आप सब एक्स्पर्ट्स अच्छी तरह जानते हैं, आयुर्वेद में बैलेन्स, अर्थात् संतुलन को स्वास्थ्य का पर्याय कहा गया है। जिसके शरीर में ये बैलेन्स बना रहता है, वही स्वस्थ है, वही हेल्दी है। आजकल हम देख रहे हैं, डायबिटीज़, हार्ट अटैक, डिप्रेशन से लेकर कैंसर तक अधिकांश बीमारियों के background में lifestyle और imbalances एक प्रमुख कारण नजर आ रहा है। Work-life imbalance, Diet imbalance, Sleep imbalance, Gut Microbiome Imbalance, Calorie imbalance, Emotional Imbalance, आज कितने ही global health challenges, इन्हीं imbalances से पैदा हो रहे हैं। स्टडीज़ भी यही प्रूव कर रही हैं, डेटा भी यही बता रहा है कि आप सब हेल्थ एक्स्पर्ट्स कहीं बेहतर इन बातों को समझते हैं। लेकिन, मैं इस बात पर जरूर ज़ोर दूँगा कि ‘Restoring Balance, आज ये केवल एक ग्लोबल कॉज़ ही नहीं है, बल्कि, ये एक ग्लोबल अर्जेंसी भी है। इसे एड्रैस करने के लिए हमें और तेज गति से कदम उठाने होंगे।

साथियों,

21वीं सदी के इस कालखंड में जीवन के संतुलन को बनाए रखने की चुनौती और भी बड़ी होने वाली है। टेक्नोलॉजी के नए युग की दस्तक AI और Robotics के रूप में ह्यूमन हिस्ट्री का सबसे बड़ा बदलाव आने वाले वर्षों में जिंदगी जीने के हमारे तरीके, अभूतपूर्व तरीके से बदलने वाले हैं। इसलिए हमें ये भी ध्यान रखना होगा, जीवनशैली में अचानक से आ रहे इतने बड़े बदलाव शारीरिक श्रम के बिना संसाधनों और सुविधाओं की सहूलियत, इससे human bodies के लिए अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा होने जा रही हैं। इसलिए, traditional healthcare में हमें केवल वर्तमान की जरूरतों पर ही फोकस नहीं करना है। हमारी साझा responsibility आने वाले future को लेकर के भी है।

साथियों,

जब पारंपरिक चिकित्सा की बात होती है, तो एक सवाल स्वाभाविक रूप से सामने आता है। ये सवाल सुरक्षा और प्रमाण से जुड़ा है। भारत आज इस दिशा में भी लगातार काम कर रहा है। यहां इस समिट में आप सभी ने अश्वगंधा का उदाहरण देखा है। सदियों से इसका उपयोग हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में होता रहा है। COVID-19 के दौरान इसकी ग्लोबल डिमांड तेजी से बढ़ी और कई देशों में इसका उपयोग होने लगा। भारत अपनी रिसर्च और evidence-based validation के माध्यम से अश्वगंधा को प्रमाणिक रूप से आगे बढ़ा रहा है। इस समिट के दौरान भी अश्वगंधा पर एक विशेष ग्लोबल डिस्कशन का आयोजन किया गया। इसमें international experts ने इसकी सुरक्षा, गुणवत्ता और उपयोग पर गहराई से चर्चा की। भारत ऐसी time-tested herbs को global public health का हिस्सा बनाने के लिए पूरी तरह कमिटेड होकर काम कर रहा है।

साथियों,

ट्रेडिशनल मेडिसिन को लेकर एक धारणा थी कि इसकी भूमिका केवल वेलनेस या जीवन-शैली तक सीमित है। लेकिन आज ये धारणा तेजी से बदल रही है। क्रिटिकल सिचुएशन में भी ट्रेडिशनल मेडिसिन प्रभावी भूमिका निभा सकती है। इसी सोच के साथ भारत इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आयुष मंत्रालय और WHO-Traditional Medicine Center ने नई पहल की है। दोनों ने, भारत में integrative cancer care को मजबूत करने के लिए एक joint effort किया है। इसके तहत पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक कैंसर उपचार के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। इस पहल से evidence-based guidelines तैयार करने में भी मदद मिलेगी। भारत में कई अहम संस्थान स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही गंभीर विषयों पर क्लिनिकल स्टडीज़ कर रहे हैं। इनमें अनीमिया, आर्थराइटिस और डायबिटीज़ जैसे विषय भी शामिल हैं। भारत में कई सारे स्टार्ट-अप्स भी इस क्षेत्र में आगे आए हैं। प्राचीन परंपरा के साथ युवाशक्ति जुड़ रही है। इन सभी प्रयासों से ट्रेडिशनल मेडिसिन एक नई ऊंचाई की तरफ बढ़ती दिख रही है।

साथियों,

आज पारंपरिक चिकित्सा एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। दुनिया की बड़ी आबादी लंबे समय से इसका सहयोग लेती आई है। लेकिन फिर भी पारंपरिक चिकित्सा को वो स्थान नहीं मिल पाया था, जितना उसमें सामर्थ्य है। इसलिए, हमें विज्ञान के माध्यम से भरोसा जीतना होगा। हमें इसकी पहुंच को और व्यापक बनाना होगा। ये जिम्मेदारी किसी एक देश की नहीं है, ये हम सबका साझा दायित्व है। पिछले तीन दिनों में इस समिट में जो सहभागिता, जो संवाद और जो प्रतिबद्धता देखने को मिली है, उससे ये विश्वास गहरा हुआ है कि दुनिया इस दिशा में एक साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आइए, हम संकल्प लें कि पारंपरिक चिकित्सा को विश्वास, सम्मान और जिम्मेदारी के साथ मिलकर के आगे बढ़ाएंगे। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।