Railways has to be about both 'Gati' and 'Pragati': PM Narendra Modi

Published By : Admin | November 18, 2016 | 21:54 IST
QuoteRailways has to be about both 'Gati' and 'Pragati': PM Narendra Modi
QuoteIn a technology driven century, innovation in railways is essential: PM Modi
QuoteThe focus of our government's Rail Budgets has never been politics: PM Modi
QuoteIndian Railways has to develop and be financially strong: PM Modi
QuoteThe century has changed and so must the systems in our Railways: PM Modi

आप में से बहुत लोग होगें, जिनको शायद रात को नींद नहीं आएगी, आप के मन में ऐसा सवाल होगा की प्रधान मंत्री ऐसा क्यों कह रहे है? इस का कारण है कि शायद सूरजकुंड की इस जगह के नजदीक रेल लाइन नहीं हैI इस लिए पटरी कि आवाज़ नहीं आएगी और आप में से अधिकतम लोग वो है जिनको जब तक रेल कि और पटरी कि आवाज नहीं आती उनको नींद नहीं आती होगीI और इसलिए कभी-कभी आप जैसे लोगो के लिए comfort भी un-comfort हो जाता हैI।

एक अनोखा प्रयास है, मेरा लम्बे अरसे का अनुभव है कि अगर हम कुछ भी परिवर्तन करना चाहते है कि बाहर से कितने ही विचार मिल जाए, ideas मिल जाएं, सुझाव मिल जाएं उसका उतना परिणाम और प्रभाव नहीं होता है, जितना कि भीतर से एक आवाज उठे। आप वो लोग है जो, जिन्होंने ने ज़िन्दगी इसमें बितायी हैI किसी ने 15 साल किसी ने 20 साल किसी ने 30 साल, हर मोड़ को आप ने देखा हुआ है; गति कब कम हुई गति कब बढ़ी ये भी आपको पता है; अवसर क्या है वो भी पता है; चुनोतियां क्या हैं वो भी पता है, अड़चनें क्या है ये भी भली भांति पता हैI और इस लिए मेरे मन में ये विचार आया था कि इतनी बड़ी रेल इतनी बड़ी ताकत, क्या कभी हम सब ने मिलकर बैठ करके सोचा है क्या कि सारी दुनिया बदल गयी, सारी दुनिया की रेल बदल गयी; क्या कारण है कि हम एक सीमा में बंधे हुए हैं, ज्यादातर तो stoppage कितने बढ़ाएंगे या डिब्बे कितने बढ़ाएंगे इसी के आस पास हमारी दुनिया चली है।

ठीक है, पिछली शताब्दी में ये सभी चीज़े आवश्यक थी, ये शताब्दी पूरी तरह technology के प्रभाव की शताब्दी हैI विश्व में बहुत प्रयोग हुए है, प्रयास हुए है, innovations हुए है। भारत ने बात समझनी होगी कि रेल, ये भारत की लिए गति और प्रगति की एक बहुत बड़ी व्‍यवस्‍था है। देश को अगर गति चाहिए तो भी रेल से मिलेगी, देश को प्रगति चाहिए तो भी रेल से मिलेगी। लेकिन ये बात जो रेलवे में है, वे जब तक इसके साथ अपने-आपको identify नहीं करते, तब तक इतना बड़ा परिवर्तन संभव नहीं है। जो Gang-Man है वो अपना काम अच्‍छे से करता होगा; जो Station-Master है वो अपना काम अच्‍छे से करता होगा, जो Regional Manager होगा वो अच्‍छा काम करता होगा, लेकिन तीनों अगर टुकड़ों में अच्‍छा करते होंगे तो कभी परिणाम आने वाला नहीं है। और इसलिए आवश्‍यक ये है कि हमारा एक मन बने, हम सब मिल करके सोचें कि हमें देश को क्‍या देना है। क्‍या हम ऐसी रेल चलाना चाहते हैं, कि हमारा जो Gang-Man है, उसका बेटा भी बड़ा होकर Gang-Man बने? मैं इसमें बदलाव चाहता हूं। हम ऐसा माहौल गया बनाएं कि हमारा एक Gang-Man का बेटा भी Engineer बन करके रेलवे में नया योगदान देने वाला क्‍यों न बने? रेल से जुड़ा हुआ गरीब से गरीब हमारा साथी, छोटे से छोटे तबके पर काम करने वाला हमारा व्‍यक्ति, उसकी जिंदगी में बदलाव कैसे आए? और ये बदलाव लाने के लिए आवश्‍यक है रेल प्रगति करे, रेल विकास करे, रेल आर्थिक रूप से समृद्ध बने। तो उसका benefit देश को तब मिलेगा, मिलेगा, कम से कम रेल परिवार के जो हमारे ये 10, 12, 13 लाख लोग हैं, उनमें जो छोटे तबके के लोग हैं, उनको कम से कम मिलना चाहिए। आज जिस प्रकार से हम चला रहे हैं, कभी मुझे चिंता सता रही है, कि मेरे लाखों गरीब परिवारों का होगा क्‍या? छोटे-छोटे लोग जो हमारे यहां काम कर रहे हैं, उनका क्‍या होगा? सबसे पहला रेल की प्रगति का benefit रेल परिवार के जो लाखों छोटे तबके के लोग हैं, उनको अनुभव होगा। अगर हमारे सामने रोज काम करते हैं, रोजमर्रा की अपनी जिंदगी हमारे साथ गुजारते हैं, उनकी जिंदगी में बदलाव लाने के लिए सोचेंगे, रेल बदलने का मन अपने-आप हो जाएगा। देश की प्रगति का लाभ सबको मिलेगा।

कभी-कभार आप में से बहुत बड़े-बड़े लोग होंगे, जो बड़े-बड़े Seminar में गए होंगे, Global level के, Conferences में गए होंगे, कई नई-नई बातें उन्‍होंने सुनी होंगी, लेकिन आने के बाद वो विचार - विचार रह जाता है। एक सपना देखा था, ऐसा लग रहा है। आ करके फिर अपनी पुरानी व्‍यवस्था में, ढर्रे में हम दब जाते हैं। इस सामूहिक चिंतन से, और हर तबके के लोग हैं यहां, साथ रहने वाले हैं; तीन दिन साथ गुजारा करने वाले। ऐसा बहुत rare होता है, शायद पहली बार होता होगा। समूह चिंतन की बहुत बड़ी ताकत होती है। और कभी-कभार अनुभवी एक छोटा व्‍यक्ति समस्‍या का ऐसा हल्‍का-फुल्‍का समाधान दे देता है जो कभी बड़े बाबू को ध्‍यान में नहीं आ सकता है। एक बड़े व्‍यक्ति के ध्‍यान में नहीं आता है। यहां दोनों प्रकार के लोग बैठे हैं, जिसके पास अनुभव भी है और‍ जिसके पास एक global exposure पर भी है। ये दोनों लोग जब मिलते हैं तो कितना बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

हम कल्‍पना कर सकते हैं, आपकी व्‍यवस्‍था के तहत करीब सवा दो करोड़ से भी ज्‍यादा लोग प्रतिदिन आपके साथ Interface होता है। लाखों टन माल एक जगह से दूसरी जगह पर जाता है, लेकिन हमारी गति, हमारा समय, हमारी व्‍यवस्‍थाएं, जब तक हम बदलेंगे नहीं; अब पूरे विश्‍व में जो बदलाव आ रहा है, उसके न हम लाभार्थी बन पाएंगे; न हम contributor बन पाएंगे। इस चिंतन शिविर से क्‍या निकले, कोई agenda नहीं है। agenda भी आपको तय करना है, solution भी आपको खोजने हैं, जो विचार उभर करके आए उसका road-map भी आपको ही बनाना है और बाहर का कोई भी व्‍यक्ति यह करे, उससे उत्‍तम से उत्‍तम आप कर पाएंगे ये मेरा पूरा भरोसा है।

और इसलिए ये सामूहिक चिंतन एक बहुत बड़ा सामर्थ्‍य देता है। सह-जीवन की भी एक शक्ति है, आप में से बहुत लोग होंगे, जिनको अपने साथी की शक्तियों का परिचय भी नहीं होगा। इसमें कोई आपका दोष नहीं है। हमारी कार्य की रचना ही ऐसी है कि हम अपनों को बहुत कम जानते हैं, काम को जरूर जानते हैं। यहां सह-जीवन के कारण आपके अगल-बगल में जो 12 15, 25 लोग काम करते हैं, उनके भीतर जो extra-ordinary ताकत है, ये हल्‍के-फुल्‍के वतावरण में आपको उसका अहसास होगा। आपके पास कितने able human resource हैं। जिसको कभी जाना-पहचाना नहीं, साथ रहने के कारण आपको ध्‍यान आएगा।

जब आप चर्चा करोगे खुल करके, तो आपको ध्‍यान में आएगा अरे भाई ये तो पहले सिर्फ ticket window पर बैठते थे और कभी सोचा ही नहीं कि इतना सोचते होंगे, इनके पास इतने ideas होंगे। कभी किसी एक को लें यार ये तो हमारे साब को हम तो सोच रहे थे भई गंभीर हैं, डर लगता था इनके, नहीं-नहीं तो वो तो बड़े human nature के हैं और उनसे तो कभी बात भी की जा सकती है। ये दीवारें ढह जाएंगी। और किसी भी संगठन की शक्ति उस बात में है कि जब Hierarchy की दीवारें ढह जाएं, अपनापन का पारिवारिक माहौल बन जाए, आप देखते ही देखते परिवर्तन आना शुरू हो जाता है।

तो ये सह-जीवन- सह-जीवन अपने आप में एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में परिवर्तित होने वाला है। यहां पर जिन विषयों की रचना की गई है, वो रचना भी काफी मंथन से निकली। मुझे बताया गया कि करीब एक लाख से अधिक लोगों ने इस पूरी विचार-प्रकिया में contribute किया है। किसी ने पेपर लिखे हैं, किसी ने छोटे समूह में चर्चा की है, उसमें से कुछ तथ्‍य निकाल करके फिर ऊपर भेजा गया है, किसी ने online से विचार भेजे हैं, किसी ने अपना SMS का उपयोग करके काम किया है, लेकिन नीचे से ऊपर तबके के एक लाख लोग, रेलवे स्थिति क्‍या है; संभावनाएं क्‍या हैं; सामर्थ्‍य क्‍या है; चुनौतियां क्‍या हैं; सपने क्‍या हैं; उसको अगर प्रस्‍तुत करता है, तो ये आप लोगों का काम है कि इतने बड़े मंथन में से मोती निकालना।

एक लाख साथियों का contribution है, छोटी बात नहीं है, बहुत बड़ी घटना है ये। लेकिन अगर हम उसमें से मोती खोजने में विफल रहे, और मैंने सुना है कि आप काफी बड़ी तादाद में यहां इस शिविर में हैं। आप लोग बड़ी बारिकाई से मेहनत करने की कोशिश करोगे, तो उसमें से अच्‍छे से अच्‍छे मोती निकल आएंगे। और ये मोती जो निकलेंगे, जो अमृत-मंथन से निकलेंगे वो रेलवे को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए काम आएंगे।

पहले मेरे मन में विचार ऐसा था आज शाम को आपके बीच रहूं, आप सबके साथ भोजन करूं, वैसे भी मैं ज्‍यादा समय देने वालों में से व्‍यक्ति हूं, मेरे पास ज्‍यादा काम-वाम होता नहीं है, तो बैठ लेता हूं, सुन लेता हूं सबको। लेकिन सदन चालू होने के कारण ऐसा कार्यक्रम बना नहीं पाया। लेकिन परसों मैं आ रहा हूं, ये मैं धमकी नहीं दे रहा हूं, मैं आप सबके दर्शन करने के लिए आ रहा हूं। आप सबके दर्शन करने के लिए आ रहा हूं, जो मंथन आप कर रहे हैं, उस अमृत का आचमन करने के लिए आ रहा हूं। क्‍योंकि आप हैं तो रेल है, आप हैं तो भविष्‍य है, और आप पर मेरा भरोसा है और इसलिए मैं आपके पास आ रहा हूं। मिलने के लिए आ रहा हूं, खुले माहौल में आप लोगों से मिलूंगा। वहां के इस मंथन से जो निकलेगा, उसको समझने का मैं प्रयास करूंगा। जो कठिनाई है उसको समझने का प्रयास करूंगा। नीतियां निर्धारित करते समय जरूर इन बातों का प्रभाव रहेगा।

आपने देखा कि, और आपको पूरी तरह ध्‍यान में आया होगा कि मेरा कोई political agenda नहीं है। रेल बजट जो पहला आया सरकार का, तभी से आपने देखा होगा, normally rail budget का पहलू हुआ करता था किस MP को कहां ट्रेन मिली, किस MP को कहां stoppage मिला, किस MP के लिए नया डिब्‍बा जुड़ गया, और पूरा रेल बजट की तालियों की गड़गड़ाहट इसी बात पर होती थी। और जब मैंने आ करके देखा कि इतनी घोषणाएं हुई हैं क्‍या हुआ है भाई। करीब 1500 घोषणाएं ऐसी मेरे ध्‍यान में आईं, कि जो सिर्फ बजट के दिन तालियां बजाने के सिवाय किसी काम नहीं आईं। ये काम मैं भी कर सकता था, मैं भी तालियां बजा करके खुशी दे सकता, वाह-वाह मोदीजी ने इतना बढि़या रेल बजट दिला दिया, कि वो अच्‍छा हो गया। मैंने उस political लोभ से अपने-आपको मुक्‍त रखा है और ब‍ड़ी हिम्‍मत करके इस प्रकार की लोक-लुभावनी बातें करने के बजाय मैंने व्‍यवस्‍था को streamline करने का साहस किया है।

मैंने राजनीतिक नुकसान भुगतने की हिम्‍मत की है, इसलिए कि मेरा पहला सपना है कि रेल में मेरा सबसे छोटा आज साथी है, जो कहीं crossing पे खड़ा रहता होगा, कहीं झंडी ले करके खड़ा होता होगा, कहीं सुबह ट्रैक पर पैदल चलता होगा, क्‍या उसके बच्‍चे पढ़-लिख करके, आज जो बड़े-बड़े बाबू परिवार में देख रहे हैं, क्‍या वो बच्‍चे भी उस स्‍थान पर पहुंच सकते हैं क्‍या? और ये मेरा सपना तब पूरा होगा, जब मैं रेलवे को ताकतवर बनाऊंगा, रेलवे को सामर्थ्‍यवान बनाऊंगा। और रेलवे सामर्थ्‍यवान बनेगी तो अपने-आप देश को लाभ होना ही होना है। और इसलिए मेरे साथियो तत्‍कालिक लाभ लेने का कोई मोह नहीं है, राजनीतिक लाभ लेने का बिल्‍कुल मोह नहीं है, सिर्फ और सिर्फ शताब्‍दी बदल चुकी है; रेल भी बदलनी चाहिए।

21वीं सदी के अनुकूल हमें नई रेल, नई व्‍यवस्‍था, नई गति, नया सामर्थ्‍य, ये सब देना है और लोग मिल करके दे सकते हैं। अगर हममें से कोई पहले छोटे एकाध मकान में रहता है तो गुजारा तो करता है, लेकिन कुछ अच्‍छी स्थिति बनी और मान लीजिए फ्लैट में रहने गए, तो फिर नए तरीके से कैसे रहना, कौन किस कमरे में रहेगा, बैठेंगे कहां पर मेहमान आए, सब सोचना शुरू करते हैं और हो भी जाता है। बदलाव ला देता है इंसान। पहले एक कमरे में रहते थे तो भी तो गुजारा करता था, लेकिन उस प्रकार से जिंदगी को adjust कर लेते थे। अगर आप स्‍वर बदलेंगे कि हमने 21वीं सदी, बदली हुई सदी में अपने-आपको set करना है तो फिर हम भी बदलाव शुरू कर देंगे और ये संभव है।

सा‍थियो आप में से जितना रेल से नाता जब जितना रहा होगा, कम से कम मेरा नाता पुराना है। मेरा बचपन रेल की पटरी पर गुजरा है। और मैं एक प्रकार से आपके बीच का ही हूं, रेलवाला ही हूं मैं। और उस समय मैंने बारीकी से बचपन में रेलवे को ही हर प्रकार से देखा हुआ है। कुछ और कुछ देखा ही नहीं था जिंदगी में, जो कुछ भी देखा रेल ही देखी। और उसके साथ मेरा बचपन मेरे साथ ऐसे जुड़ा हुआ है कि मैं इन चीजों को बराबर से भलीभांति समझता हूं। और जिस चीज से बचपन का लगाव रहा हो, उसमें बदलाव लाने का जब अवसर आता है तो आनंद कितना बड़ा होगा, ये आप कल्‍पना कर सकते हैं। रेल में बदलाव होगा, उसका आनंद जितना आपको होगा, मुझे उससे जरा भी कम नहीं होगा। क्‍योंकि मैं उसी परिसर से पल करके निकला हुआ हूं। आज भी जब मैं काशी जाता हूं मेरी parliamentary constituency में तो मैं रेलवे की व्‍यवस्‍था में रात को रहने चला जाता हूं। मुझे जैसे अपनापन सा लगता है, अच्‍छा लगता है, वरना प्रधानमंत्री के लिए कहीं और भी व्‍यवस्‍था मिल सकती है। लेकिन मैं वो रेलवे के guest house में ही जा करके रुकता हूं। मुझे काफी अपनापन सा महसूस होता है।

तो मेरा इतना नाता आप लोगों से है। और इसलिए मेरी आपसे अपेक्षा है कि आइए हम इस तीन दिन का सर्वाधिक उपयोग करें, अच्‍छा करने के इरादे से करेंगे। अच्‍छा करने के लिए जिम्‍मेवारियां उठाने के साहस के साथ करेंगे। साथियों को जोड़ने का क्‍या व्‍यवस्‍था हो? नई हमारी Human Resource Management क्‍या हो? इन सारी बातों को आप देख करके चिंतन करें।

देश को चलाने के लिए, देश को गति देने के लिए, देश को प्रगति देने के लिए आप से बढ़ करके कोई बड़ा संगठन नहीं है, कोई बड़ी व्‍यवस्‍था नहीं है। एक तरफ हिन्‍दुस्‍तान की सारी व्‍यवस्‍थाएं और एक तरफ रेल की व्‍यवस्‍था- इतना बड़ा आपका हुजूम है। आप क्‍या कुछ नहीं कर सकते हैं? और इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं समय का पूरा उपयोग हो, focus हो, कुछ करना, निकालना इस इरादे से हो, और आने वाले कम के संबंध में सोचें। कठिनाइयां बहुत हुई होंगी, तकलीफ हुई होगी, अन्‍याय हुआ होगा, यहां posting होना चाहिए, वहां हो गया होगा, यहां promotion होना चाहिए नहीं हुआ होगा। ऐसी बहुत सी बातें होंगी, शिकायतों की कमी नहीं होंगी, लेकिन ये दिन-दिन आने वाले दिनों के लिए, सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए, बदले हुए विश्‍व में भारत का झंडा गाड़ने के लिए आप लोगों को मेरी शुभकमानाएं हैं, उत्‍तम परिणाम दें, यही अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Cabinet approves construction of 4-Lane Badvel-Nellore Corridor in Andhra Pradesh
May 28, 2025
QuoteTotal capital cost is Rs.3653.10 crore for a total length of 108.134 km

The Cabinet Committee on Economic Affairs chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi has approved the construction of 4-Lane Badvel-Nellore Corridor with a length of 108.134 km at a cost of Rs.3653.10 crore in state of Andhra Pradesh on NH(67) on Design-Build-Finance-Operate-Transfer (DBFOT) Mode.

The approved Badvel-Nellore corridor will provide connectivity to important nodes in the three Industrial Corridors of Andhra Pradesh, i.e., Kopparthy Node on the Vishakhapatnam-Chennai Industrial Corridor (VCIC), Orvakal Node on Hyderabad-Bengaluru Industrial Corridor (HBIC) and Krishnapatnam Node on Chennai-Bengaluru Industrial Corridor (CBIC). This will have a positive impact on the Logistic Performance Index (LPI) of the country.

Badvel Nellore Corridor starts from Gopavaram Village on the existing National Highway NH-67 in the YSR Kadapa District and terminates at the Krishnapatnam Port Junction on NH-16 (Chennai-Kolkata) in SPSR Nellore District of Andhra Pradesh and will also provide strategic connectivity to the Krishnapatnam Port which has been identified as a priority node under Chennai-Bengaluru Industrial Corridor (CBIC).

The proposed corridor will reduce the travel distance to Krishanpatnam port by 33.9 km from 142 km to 108.13 km as compared to the existing Badvel-Nellore road. This will reduce the travel time by one hour and ensure that substantial gain is achieved in terms of reduced fuel consumption thereby reducing carbon foot print and Vehicle Operating Cost (VOC). The details of project alignment and Index Map is enclosed as Annexure-I.

The project with 108.134 km will generate about 20 lakh man-days of direct employment and 23 lakh man-days of indirect employment. The project will also induce additional employment opportunities due to increase in economic activity in the vicinity of the proposed corridor.

Annexure-I

 

 The details of Project Alignment and Index Map:

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 Figure 1: Index Map of Proposed Corridor

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 Figure 2: Detailed Project Alignment