The BJP relies on its cadre of hard-working, dedicated Karyakartas to reach out to the people: PM Modi in Varanasi
We all have seen in these elections how in states like Bengal and Kerala, several BJP Karyakartas have even sacrificed their lives for the cause they believe in: PM Modi
Such a large support from across the country was made possible because the people had faith in the ‘Saaf Niyat, Sahi Vikas’ approach of the BJP government: Prime Minister Modi

हर-हर महादेव, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जिनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं ने जी-जान से इस चुनाव अभियान को चलाया, वैसे भाई श्री अमित भाई शाह, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी जी, प्रदेश के अध्यक्ष महेंद्रनाथ जी और काशी के सभी श्रेष्ठ बंधुजन।

मैं भी भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता होने के नाते पार्टी और कार्यकर्ता जो आदेश करते हैं उसका पालन करने का मैं भरसक प्रयास करता हूं। एका मास पूर्व जब 25 तारीख को मैं यहां था, जिस आन, बान, शान के साथ काशी ने एक विश्व रूप दिखाया था और वो सिर्फ काशी को प्रभावित करने वाला नहीं था, सिर्फ उत्तर प्रदेश को प्रभावित करने वाला नहीं था, उसने पूरे हिंदुस्तान को प्रभावित किया था। हिंदुस्तान का कोई कोना ऐसा नहीं होगा, जो काशी की गलियों में, काशी के मार्ग पर काशी का मिजाज जिस प्रकार से प्रगट हो रहा था, उसे जब देश के हर कोने में जब मतदाता देख रहा था।

कुछ कार्यकर्ताओं के हाथ में जो कागज हैं उन्हें कलेक्ट कर लीजिए, मुझे पहुंचा दीजिएगा। आपको संतोष हो गया? कार्यकर्ता का संतोष, यही हमारा जीवन मंत्र है।

और जब 25 की शाम को और 26 में यहां के प्रबुद्धजनों से कार्यकर्ताओं से मुझे बात-चीत करने का अवसर मिला था और आप सब ने मुझे आदेश दिया था की एक महीने तक आप काशी में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। देश ने भले मुझे प्रधानमंत्री बनाया हो लेकिन आपके लिए मैं कार्यकर्ता हूं और मेरे लिए आपका आदेश सर-आंखों पर रहा। 18-19 को जब प्रचार अभियान समाप्त हो चुका था, 19 को मतदान होना था। मेरे मन में भी था की चलो भले कोई काम नहीं है लेकिन चले जाएं काशी। लेकिन फिर याद आता था, आपने आदेश दिया है एन्ट्री नहीं देंगे तो क्या होगा तो मैंने सोचा चलो ये बाबा नहीं तो कोई और बाबा। शायद ही कोई उम्मीदवार चुनाव में और चुनाव के नतीजों के समय में इतना निश्चिंत होता है जितना की मैं था। और इस निश्चिंतता का कारण मोदी नहीं था, निश्चिंतता का कारण आप सब का परिश्रम था, काशीवासियों का विश्वास था। जब नतीजे आए तब भी निश्चिंत था, जब परिणाम आए तब भी निश्चिंत था और इसलिए बड़े मौज के साथ केदारनाथ में बाबा के चरणों में जा कर बैठ चुका था। काशी तो अविनाशी है और जो स्नेह मुझे दिया है, जो शक्ति मुझे दी है ये अपने आप में शायद ही, ऐसा सौभाग्य मिलना बहुत मुश्किल होता है जी। आप में से कई लोग हैं, कितने कार्यक्रम किए, मुझे जानकारी मिलती थी की क्या-क्या कार्यक्रम चल रहे हैं। एक प्रकार से चुनाव को लोकोत्सव बना दिया गया है, देश के लिए भी। और पूरे चुनाव अभियान में बहुत एक मात्रा में मैं कह सकता हूं की तू-तू, मैं-मैं का तत्व बहुत कम था, अपनत्व का माहौल ज्यादा था। इस चुनाव में अलग-अलग दलों के जो साथी मैदान में थे, इस चुनाव में जो निर्दलीय साथी जो मैदान में थे, मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने ने भी अपने तरीके से काशी की गरिमा के अनुकूल इस चुनाव के अभियान को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया है, वे भी अभिनंदन के अधिकारी हैं और इसलिए मैं सार्वजनिक रूप से जो अन्य उम्मीदवार थे, उनका भी हृदय से धन्यवाद करना चाहता हूं।

चुनाव में प्रशासन को बहुत कठिनाइयां रहती हैं, बहुत परिश्रम रहता है, देश भर मीडिया वर्ल्ड भी यहां आता था तो स्थानीय मीडिया के लोगों के भरोसे वो चलते थे। एक प्रकार से उनको भी काशी की रिपोर्टिंग करना और देश भर से आए मीडिया को संभालना, ये अपने आप कर रहे थे, मैं इस मीडिया जगत के सभी साथियों का भी हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करना चाहता हूं। इस चुनाव में जब कार्यकर्ताओं के साथ मेरा मिलना हुआ था तो उस दिन मैंने कहा था की यहां पर शायद नामांकन तो एक नरेंद्र मोदी का हुआ होगा, लेकिन ये चुनाव हर घर का नरेंद्र मोदी लड़ेगा, हर गली का नरेंद्र मोदी लड़ेगा। और आपने एक प्रकार से अपने भीतर की शक्तियां, एक प्रकार से नरेंद्र मोदी के रूप में ही आपने अपने अंदर ही इसको समाहित कर दिया है और आप सब नरेंद्र मोदी बन गए हैं और इस पूरे चुनाव अभियान को आपने चलाया। आम तौर पर जब इस प्रकार का चुनाव होता है तो थोड़ा मन में अब क्या है भाई जीतने ही वाले हैं, लेकिन मैं काशी के संगठन से जुड़े हुए लोगों का, काशी के हर छोटे-मोटे कार्यकर्ता का और काशी के हर समर्थक का इस बात के लिए आभार व्यक्त करता हूं की उन्होंने इस चुनाव को जय और पराजय के तराजू से नहीं तौला, मैं समझता हूं की ये हिंदुस्तान के लोकतंत्र की बहुत बड़ी घटना है। जय और पराजय के तराजू में नहीं तौला, उन्होंने चुनाव को एक लोकशिक्षा का पर्व माना, लोकसंपर्क का पर्व माना, लोक संग्रह का पर्व माना, लोक समर्पण का पर्व माना और कोई कमी ना रह जाए, किसी मतदाता को ये ना लगे की कोई मेरे पास तो आया नहीं था, किसी ने तो मुझे कहा नहीं था। मोदी हमें पसंद है पर भाई क्या बात है, इतना बड़ा अवसर है आपने मुझे याद भी नहीं किया। हर घर गए, हर मतदाता को मिले, 40-45 डिग्री टेंपरेचर पर गए और गर्मागर्मी नहीं थी। चुनाव के माहौल को गर्म करना भी अपने आप में एक कसौटी होती है ताकी मतदाताओं का उत्साह बढ़े। इन सभी कसौटियों से आप पार उभरे हैं और डिस्टिंक्शन मार्क के साथ पार उतरे हैं इसलिए आप बधाई के पात्र हैं।

सारे देश में और सोशल मीडिया में यहां की बेटियों ने जो स्कूटी निकाली इसकी बड़ी चर्चा है और उसने मैसेजिंग किया की स्कूटी पर बैठकर के हमारी बेटियों ने पूरे काशी को अपने सर पर ले लिया था। भांति-भांति के कार्यक्रम और कभी-कभी तो जाकर के हम सिर्फ देखते थे वाह कैसा चल रहा है, लेकिन कर रही थी जनता जनार्दन, जनता जनार्दन का उत्साह था, कोई कारण नहीं था ये आज तो मुझे ऐसे ही उतरकर के बाबा के चरणों में जाना था और फिर आप सब के माध्यम से काशी का और उत्तर प्रदेश का अभिनंदन करना था। लेकिन उसके बावजूद भी जिस प्रकार से पूरे रास्ते भर लोग अपने आशीर्वाद दे रहे थे, ये भी अपने आप में एक अनोखा अनुभव था और इसलिए मैं आप सब का हृदय से अभिनंदन करता हूं। आज मैं भले काशी से बोल रहा हूं लेकिन पूरा उत्तर प्रदेश अनेक-अनेक अभिनंदन का अधिकारी है। आज उत्तर प्रदेश देश की राजनीति को दिशा दे रहा है, आज उत्तर प्रदेश स्वस्थ लोकतंत्र की नींव को और मजबूत कर रहा है। उत्तर प्रदेश ने 77 में लोकतंत्र के लिए सारी दीवारें तोड़ कर के, लोकतंत्र के प्रति अपनी निष्ठा बता कर के देश को एक दिशा दी थी, ताकत दी थी। लेकिन 2014 हो, 2017 हो, 2019 हो, ये हैट्रिक छोटी नहीं है जी। ये तत्कालीन किए हुए निर्णय नहीं हैं, उत्तर प्रदेश के गांव, गरीब परिवार का व्यक्ति भी, भारत के उज्जवल भविष्य की दिशा क्या हो सकती है इसके विषय में सोचता भी है और उसी की दिशा में चलता भी है और देश को चलने के लिए प्रेरित भी करता है। उत्तर प्रदेश के ये 14, 17 और 19, इन तीन चुनावों के योगदान को, भारत की राजनीति, भारत की समाजनीति, भारत की मतदान की नीतियां किस प्रकार से बदलाव ला रही हैं, इसके अद्भुत, विराट रूप के दर्शन कराए हैं और तीन-तीन चुनाव के बाद भी अगर पॉलीटिकल पंडित की आंखें खुलती नहीं है, तीन-तीन चुनाव के बावजूद भी पॉलीटिकल पंडितों के कान पर आवाज नहीं पहुंचती है तो इसका मतलब है की उनके विचार, उनकी सोच, उनके तर्क कालबाह्य हो चुके हैं, वो 20वीं सदी के लिए हैं 21वीं सदी के लिए नहीं हैं। 50-50 पेज का जिनका बॉयोडेटा बनता होगा, प्रोफाइल बनता होगा, इतनी डिग्रियां होंगी, इतने पेपर लिखे होंगे ना जाने क्या-कुछ हुआ होगा, लेकिन उनकी तुलना में जमीन से जुड़ा हुआ एक गरीब आदमी उसकी समझ शक्ति कई गुना ऊंचा होती है, बहुत दीर्घ दृष्टि होती है। और हम उसी के प्रति श्रद्धा रखते हुए, उसी के प्रति समर्पण भाव रखते हुए और उसी के सहारे, उसी की शक्ति के भरोसे राष्ट्र की राजनीति में एक नई व्यवस्था को विकसित करने का प्रयास किया है।

चुनाव परिणाम, वो तो एक गणित होता है, जिसको 200 वोट मिले हैं और दूसरे को 201 मिला है तो विजेता तो 201 वाला होने वाला है 200 वाला नहीं। परिणाम का आधार तो गणित समझ सकता हूं मैं, 20 सदी के चुनावों के हिसाब-किताब भी गणित और अंकगणित के दायरे में चले होंगे, लेकिन चाहे वो 2014 हो, 17 हो या 2019, देश के राजनीतिक विश्लेषकों को मानना होगा की अर्थमैटिक के आगे भी कैमेस्ट्री होती है। गुणा-भाग के हिसाब के परे भी एक कैमेस्ट्री होती है। देश में समाजशक्ति की जो कैमेस्ट्री है, आदर्शों और संकल्पों की जो कैमेस्ट्री है वो कभी-कभी सारे गुणा-भाग, सारे अंकगणित को निरस्त कर देती है, पराजित कर देती है और इस बार अंकगणित को कैमेस्ट्री ने पराजित किया है। इस अर्थ में यो चुनाव अपने आप में, देश और दुनिया के पॉलीटिकल पंडितों को, कुछ लोगों की घिसी-पिटी कैसेट है और वही एक दायरे में फिट करके एक परसेप्शन बनाने की कोशिश करते रहते हैं। और ये माना गया है की पॉलीटिक्स इज अबाउट परसेप्शन, लेकिन और हम वो लोग हैं जो हम जैसे हैं वैसे दुनिया हमें देख ना लें इसलिए 90% से अधिक ताकतें जो पिछले 50-60-70 साल में इसटैब्लिश हो चुकी हैं वे दो काम करती रहती हैं। किसी भी हालत में हमारे विषय में सही परसेप्शन ना बने इसके लिए जो भी झूठ का सहारा लेना पड़े और दूसरा, एक है जैसे परसेप्शन सही ना पहुंचे, तो दूसरा है, हो सके जितने कुतर्क करके परसेप्शन के बर्बाद किया जाए, बिगाड़ा जाए। एक ऐसा खराब परसेप्शन बना दिया जाए की लोग पास खड़े रहने से डर जाएं, ये 70 साल तक चला है। पंडितों की ये थ्योरी होगी की पॉलीटिक्स इज अबाउट परसेप्शन, लेकिन उन पंडितों को दोबारा सोचना पड़ेगा की दो चीजें ऐसी होती है जो परसेप्शन को तबाह करने वालों की कोशिशों को भी, गंदा और बुरा परसेप्शन क्रिएट करने वालों की कोशिशों को भी उसको परास्त करके आगे बढ़ने की ताकत होती है और वो है, वो दो चीजें, एक है पारदर्शिता और दूसरा है परिश्रम। पारदर्शिता और परिश्रम, लोग कितनी ही अपनी ताकत लगा लें परसेप्शन बनाने की, उसको परास्त करने का साहस रखती हैं और हिंदुस्तान ने उसे स्वीकार करके दिखाया है, उसे करके दिखाया है। और इसलिए हमारे लिए भी पारदर्शिता और परिश्रम का कोई ऑलटर्नेट नहीं है क्योंकि हमें इस प्रकार की इसटैब्लिश निगेटीविटी के बीच पॉजिटीविटी को लेकर जाना है और निरंतर जाना है, अविरत जाना है क्योंकि देश उसी से आगे बढ़ने वाला है और उसको हमने किया है।  

साथियो, हम लोगों को लगता है ये सफलता है। सरकार और संगठन, इन दोनों के बीच तालमेल, परफेक्ट सिनर्जी ये बहुत बड़ी ताकत होती है। आप देखते होंगे की भारतीय जनता पार्टी ने सफलतापूर्वक इसको साकार किया है। राज्यों में इतनी सरकारें हों, केंद्र में सरकार हों, लेकिन सरकार और संगठन, दोनों के बीच में सिनर्जी। सरकार नीति बनाती है नीति पर चलती है, संगठन रणनीति बनाता है। नीति और रणनीति, इसकी सिनर्जी, सरकार और संगठन के काम की सिनर्जी का एक प्रतिबिम्ब होती है और जिस प्रतिबिम्ब का आज हम सफल, उसका लाभ देश को मिल रहा है। उसी प्रकार से हम ये जानते हैं की सरकार का कार्य है काम करना और इसलिए एक तरफ सरकार का कार्य हो और उसमें जब कार्यकर्ता जुड़ जाता है, कार प्लस कार्यकर्ता वो एक ऐसी ताकत है जो करिश्मा करती है। ये जो करिश्मा दिख रहा है वो कार्य का भी है और कार्य के साथ कार्यकर्ता का भी है, दोनों में से एक होने में होना नहीं है ये करिश्मा और इसलिए वर्क एंड वर्कर क्रिएट्स वंडर। और इसलिए वर्क और वर्कर, ये वंडर की बहुत बड़ी सबसे उद्दीपक, केटेलिक एजेंट हैं, जो आज हम कर रहे हैं। सरकार ने काम किया, शौचालय बनाए, घर बनाए, गैस पहुंचाया, बिजली पहुंचाई, लेकिन ये कार्यकर्ता है जिसने विश्वास पैदा किया की अभी तो ये शुरूआत है। जिसे नहीं मिला है मिलने वाला है और जिसे मिला है वो उपकार नहीं उसके हक का मिला है। ये जो वर्क और वर्कर वाला सिनर्जी है, जो वंडर करता है वो आज हर बात में हम देख पाते हैं। और इसलिए मैं समझता हूं की भारतीय जनता पार्टी, एक प्रकार से दो संकटों से हम गुजरे हैं और लगातार हमें झेलना पड़ता है। जैसे दो शक्ति हैं नीति और रीति, जैसे दो शक्ति हैं नीति और रणनीति, जैसे दो शक्ति हैं पारदर्शिता और परिश्रम, जैसे दो शक्ति हैं वर्क और वर्कर वैसे ही दो संकट भी हमने झेले हैं। और वो दो संकट हैं, चाहे केरल लीजिए या कश्मीर ले लीजिए, चाहे बंगाल ले लीजिए या त्रिपुरा ले लीजिए। ये चीजें अखबारों में नहीं छपती हैं, मीडिया में नहीं दिखती हैं। कुछ लोगों की सलेक्टिव संवेदनशीलता, सलेक्टिव मानवतावाद इन सत्य को नकारता है, लेकिन हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने शहादत मोल ली हैं, उनकी हत्याएं हुई हैं। उनको सिर्फ राजनीतिक विचारधारा के कारण मौत के घाट उतार दिया गया है। जब त्रिपुरा में चुनाव चल रहा था, फांसी पर लटका दिए जाते थे हमारे कार्यकर्ता, बंगाल में आज भी हत्याओं का दौर रुक नहीं रहा है। कश्मीर में हमारे लोगों ने जान की बाजी लगाई है, केरल में हमें मौत के घाट उतार दिया जाता है। शायद हिंदुस्तान में कोई एक राजनीतिक दल इतनी व्यापक प्रकार से हिंसा का शिकार हुआ है और उसके मूल में जो हेटरेज का जो नैरेटिव बनाया गया है, उसी का परिणाम है की हिंसा को एक प्रकार से मान्यता दी गई है ये हमारे सामने बहुत बड़ा संकट है। दूसरा हमारे सामने संकट है, बाबा साहब अंबेडकर, महात्मा गांधी जैसे महापुरुषों ने सार्वजनिक जीवन में छुआछूत को, समाज जीवन में छुआछूत को, सामाजिक व्यवस्था में छुआछूत को खत्म करने के लिए अपनी जिंदगी खपा दी, लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश में राजनीतिक छुआछूत दिन पर दिन बढ़ती चली जा रही है। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं पर लगातार हिंसा होना, उनकी हत्याएं होना और दूसरी तरफ भाजपा का नाम लेते ही अनटचेबिलिटी, छुओ मत ये तो बड़े खतरनाक हैं। हम इतने सालों से सत्ता में आए हैं, हम विभाजनकारी मनोक्ति के नहीं हैं। जो लोग अपने आप को एकता का ठेकेदार बनाते हैं उन्होंने सिर्फ आन्ध्र का विभाजन किया, आज भी वहां शांति का माहौल नहीं बन पाया है, तेलंगाना और आन्ध्र। और हम वो लोग हैं जो एकता के मंत्र को लेकर के चलते हैं, हम उत्तर प्रदेश में से उत्तराखंड बना दें, दिलों में आग नहीं लगने देते हैं। हम बिहार में से झारखंड बना दें, दिलों को चोट नहीं पहुंचाते हैं। हम मध्य प्रदेश में से छत्तीसगढ़ बना दें, प्यार में कोई कमी नहीं आने देते हैं क्योंकि सबका साथ-सबका विकास ये मंत्र हमारी रगों में है, हमारी जहन में है। लेकिन उसके बावजूद भी एक ऐसा परसेप्शन क्रिएट किया गया है की जिसमें हमें आज भी अछूत। मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था और गुजरात के टूरिज्म प्रमोशन के लिए मैंने सिने जगत के लोगों की मदद मांगी, उन्होंने मदद की। लेकिन सारी दुनिया उन पर टूट पड़ी, आप और गुजरात, यानी ऐसा छुआछूत का परसेप्शन बनाते चले गए। ये चुनौती भी है, भारत के लोकतंत्र में इस प्रकार के वृत्ति वाले लोग हैं उनसे भी मैं आज काशी की पवित्र धरती से पुनर्विचार करने के लिए आज प्रार्थना करना चाहता हूं, बहुत हो चुका-बहुत हो चुका। आओ दोस्तों आओ, नए सिरे से सोचना शुरू करो, कमियां हममें भी होंगी, लेकिन हमारे इरादे नेक हैं।

दोस्तो, लोकतंत्र, कोई कुछ भी कह दे, आज हिंदुस्तान के राजनीतिक तख्त पर, राजनीतिक कैनवास पर ईमानदारी से रग-रग में लोकतंत्र को जीने वाला कोई दल है तो भारतीय जनता पार्टी है। हम शासन में आते हैं तब भी हम सबसे ज्यादा लोकतंत्र की परवाह करने वाले लोग होते हैं। कभी-कभी तो और लोग जब सत्ता में आते हैं तो विपक्ष का नामोनिशान नहीं होता है। हमें जब सत्ता मिलती है तो विपक्ष का अस्तित्व शुरू होता है क्योंकि लोकतंत्र ही हमारा स्पिरीट है। आप त्रिपुरा देख लीजिए, मैं देश के पॉलीटिकल पंडितों से कहना चाहूंगा और चुनौती दे कर के कहना चाहता हूं। कोई मुझे बताए, त्रिपुरा के अंदर 30 साल कम्यूनिस्टों की सरकार रही, क्या वहां कोई विपक्ष था, क्या वहां विपक्ष की कोई आवाज थी, क्या वहां विपक्ष को कभी सुना गया था? क्या दिल्ली के मीडिया में कभी विपक्ष की चर्चा हुई थी? कुचल दिया जा चुका था। आज त्रिपुरा में हम सत्ता में आए हैं, अभी तो दो साल मुश्किल से होने जा रहे हैं, आज वहां जानदार, शानदार विपक्ष मौजूद है और उसकी आवाज सुनी जाती है। ये लोकतंत्र स्पिरीट है, उसकी आवाज के तवज्जो दी जाती है और देश चलाने के लिए ये अपने आप में बहुत बड़ी बात होती है और जिम्मेवारी भी होती है, वो कोई उपकार नहीं है। मैं मानता हूं जो हमारे पूर्व राष्ट्रपति बार-बार कहते थे। पार्लियामेंट का उपयोग चर्चा के लिए होना चाहिए, चर्चा में आप भरपूर विरोध कीजिए ना, लेकिन जब चर्चा के लिए मुद्दे नहीं होते हैं, तर्क नहीं होते हैं, एक्सपोज होने का डर लगता है तो हो हल्ला करके संसद को ना चलने देना ये सरल मार्ग बन जाता है। हम विपक्ष की ताकत को स्वीकार कर के तवज्जो देने वाले, लोकतंत्र में विश्वास करने वाले लोग हैं और जहां-जहां हमें मौका मिला, वहां पर विपक्ष का आवाज, संख्या भले कम होती हो, जनता के अविश्वास के कारण उनकी जनसंख्या कम हो जाती है, वो उनकी जिम्मेवारी है जनता का विश्वास जीते, लेकिन संविधान हमें जिम्मेवारी देता है, एक भी क्यों ना हो उसकी आवाज का महत्व बड़ा है, ये हमारे जेहन में है।

दोस्तो, एक और बात है, हमारे देश के लोकतंत्र को वोटबैंक की राजनीति ने कुचल दिया है और इसलिए जो भी निर्णय होते हैं, चर्चा होती है। सबके बीच आकर हिम्मत से अपनी बात रखनी है तो ये वोटबैंक की राजनीति के दबाव में हमारे देश में कोई हिम्मत नहीं कर पाता है। क्या इस देश के सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को अपने हक के लिए इतना इंतजार करना पड़ा, कोई उनकी बात सुनने को तैयार नहीं था। ऐसा तो नहीं था की आवाज आ नहीं रही थी, ऐसा तो नहीं था की लोग रोष व्यक्त नहीं करते थे। ऐसा भी नहीं था की आंदोलन नहीं होते थे, होता सब कुछ था। लेकिन वोटबैंक की राजनीति के प्रभाव में ये करेंगे तो शायद कुछ खिसक जाएगा तो। ये हमारी निष्पक्ष सोच थी, वोटबैंक की राजनीति से ऊपर उठकर सबका साथ-सबका विकास को अवसर और उसका कारण है की हम सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का फैसला कर सके। अगर हम वोटबैंक की राजनीति पर चलते तो शायद हम भी उसी में ढल जाते, हम नहीं ढले, देश के उज्जवल भविष्य के लिए जो आवश्यक है वो हम करेंगे। आज भी मेरी सूचना रहती है, गांव में घर मिलेगा, एक तरफ से लिस्ट के अंदर से शुरू करो, 51 लोग हैं 25 को देने वाले हैं, पहले 25 को दे दो फिर दूसरा बजट आए 26 से शुरू करो। कौन जाति का है, कौन बिरादरी का है, प्रधान से लेना-देना है, कोई लेना-देना नहीं है, वो मेरे देश का नागरिक है उसको मिलना चाहिए। मैं जानता हूं इन चीजों से मिलने वाले को कभी लगता नहीं है। वो इसे ही मानता है, ये नियम में मेरा नाम आया है, भाजपा वालों ने क्या किया, मोदी ने क्या किया, ये निगेटीविटी हो सकती है, नुकसान हो सकता है, लेकिन ये नुकसान झेल कर भी हमने देश में व्यवस्थाओं को सुचारु रूप से विकसित करने की हिम्मत दिखाई है।

साथियो, हम वो लोग हैं जो भारत की महान विरासत को लेकर के गौरव के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं, जो कालबाह्य है उसको छोड़ने वाले हम लोग हैं, लेकिन जो सदियों से खरा उतरा है, ऋषियों ने, आचार्यों ने, भगवंतों ने, मजदूर ने, किसान ने, कामगार ने, शिक्षक ने, वैज्ञानिक ने हजारों सालों से देश की परंपरा को विकसित किया है औरों को शर्म आती हो आने दो, मुझे इसका गर्व होता है। जिनको शर्म आती है वो उनका प्रॉब्लम है, हमें लगता है कि हमारे महापुरुषों ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है और जिसकी विरासत भारत के पास है। इसलिए हम दो बातों को लेकर चलने का प्रयास करते हैं, एक ये महान विरासत और दूसरा आधुनिक विजन। हमें कल्चर को भी बरकरार रखना है और हमें करंट सिचुएशन को भी एड्रेस करना है। योग हो, आयुर्वेद हो, रामायण सर्किट हो, बुद्धिस्त सर्किट हो, भारत की महान विविधताएं हैं। अयोध्या में दीवाली मनाना, इतने साल तक किसने रोकी था भाई। कुंभ के मेले का उपयोग देश की मर्यादाओं को चूर-चूर करने के लिए हुआ है इतने सालों तक, एक ही प्रकार का परसेप्शन क्रिएट किया गया। कुंभ का मेला मतलब, नागा साधुओं की जमात, उस परसेप्शन को बदला जा सकता है और योगी जी के नेतृत्व में देश ने बदला है और उसका गौरव सिर्फ उत्तर प्रदेश नहीं पूरे भारत का हुआ है।

26 जनवरी को जब विजय चौक पर परेड होती है और विजय पथ पर टेब्ल्यू जाते हैं। पहली बार एशिया के अंदर भगवान राम को किस-किस रूप में देखा जाता है, उसका प्रगतिकरण देश ने देखा। लेकिन इसके साथ हम वो लोग हैं जो अटल टिंकरिंग लैब भी बनाते हैं ताकी मेरी जो नई पीढ़ी है, 8वीं, 10वीं कक्षा का जो बच्चा है, जो अटल टिंकरिंग लैब से इनोवेशन पर सोचे, नए अनुसंधान पर सोचे, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचे और भारत को 21वीं सदी में वैज्ञानिक अधिष्ठान पर ले जाए, इसके लिए भी हम उतनी ही ताकत लगा रहे हैं। इसलिए हम कल्चर को जितना महत्व देते हैं, हम 21वीं सदी के विजन को भी उतना ही प्रगढ़तापूर्वक आगे बढ़ाने के पक्ष में हैं। हमारे देश में पूजा-पाठ में सवा रुपए का महत्व है, लेकिन फिर भी भीम ऐप बनाकर के मोबाइल फोन से डिजिटली डोनेट करने की परंपरा हम विकसित कर रहे हैं। जरूरी नहीं है की पुराना तोड़-फोड़ कर ही सब कुछ नया बनाया जा सकता है, लेकिन हमने उन चीजों को आगे लिया है। हमने 11 नंबर की अर्थव्यवस्था से शुरू की थी यात्रा, आज 6 नंबर पर पहुंच गए दुनिया में। पांच नंबर के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं, 3 में पहुंचने के इरादे से काम कर रहे हैं। आज मेरे देश का नवजवान स्टार्ट-अप को लेकर के विश्व में ताकत बन कर उभर सकता है, तो स्टार्टअप को बल देकर देश के नवजवान की ताकत से विश्व को अचंभित करने की दिशा में बढ़ना चाहते हैं। इसलिए हम उन चीजों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, जो लोग परसेप्शन बनाते हैं उन्होंने हमेशा ये बनाया और उनके लिए वो शायद एक ऐकेडेमिक डिसकशन होगा, लेकिन इस प्रकार की सोच से देश में दरारें पड़ती हैं। उनको पता भी नहीं होता है की उनकी ये सोच किस प्रकार से देश में दरार पैदा करती है। आज हिंदुस्तान का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधि चुनते हों या ना चुनते हों, लेकिन लगातार हमारा वोट परसेंटेज बढ़ रहा है। केरल हो, तमिलनाडु हो, कश्मीर घाटी हो, आज लद्दाख से भी बीजेपी चुनकर आती है। फिर भी ये पंडित लोग बैठेंगे तो हिंदी हार्टलैंड की पार्टी, कर्नाटक में सबसे बड़ा दल फिर भी हम हिंदी हार्टलैंड, गोवा में हम सालों से सरकार चला रहे हैं फिर भी हिंदी हार्टलैंड, पूरे नार्थईस्ट में, वहां हिंदी भाषा समझना मुश्किल है फिर भी वहां हम सरकार चलाते हैं, असम में सरकार चलाते हैं। हम लद्दाख के अंदर चुनकर के आते हैं, एक ऐसा भ्रम पैदा किया गया है। हम एक सर्वसमावेशक, सर्वस्पर्शी और सर्वजनहिताय-सर्वजनसुखाय काम करने वाले भारतीय जनता पार्टी के हम लोग हैं।

भाइयो-बहनो, चुनाव जीतना एक काम है और लोकतंत्र का ये उत्सव आन, बान, शान के साथ हमने मनाया है। लेकिन अब 2022, आजादी के 75 साल, अधिकार की चर्चाएं हमने बहुत कर ली हैं, ये पांच साल कर्तव्य पर हम चल सकते हैं। इस देश का नागरिक अगर अपने कर्तव्यों का पालन करे तो किसी के अधिकारों का हनन होने वाला नहीं है। ये देश मेरा है, आज हमारे देश में एक मानसिकता बन गई है। आजादी का आंदोलन चला तो हम देश के लिए मर मिटते थे, लेकिन आजाद होने के बाद, स्कूल है तो हम आराम से कह देते हैं की ये सरकारी स्कूल है। अस्पताल, भाई ये तो सरकारी अस्पताल है, अरे भाई वो सरकारी नहीं है, वो तेरा है आप उसके मालिक हो। हमने ये भाव पैदा करना है, जो भी सरकारी है, वो भारत के हर नागरिक की मालिकी का है। और उसको बढ़ाना, उसको ताकत देना, उसकी रक्षा करना एक नागरिक के नाते हमारा कर्तव्य है। ये तो सरकारी स्कूल है भाई, वहां कौन जाएगा, ये सरकारी अस्पताल है वहां कौन जाएगा। जी नहीं, हम ही मिलकर सरकार हैं वो हमारा है, हम इसको ताकत कैसे दें। अपना स्कूटर तो हम दिन में चार बार साफ करते हैं, 20 साल पुराना हो, कलर उखड़ गया हो फिर भी चार बार साफ करते हैं। लेकिन सरकारी बस में बैठें और बगल में सीट खाली हो, बातें करने वाला ना हो और नींद आती नहीं हो तो क्या करते हैं, सीट में उंगली डालते हैं, यहां सबने किया होगा और अंदर से दो-तीन इंच का जब तक गढ्ढा ना करें हमको चैन नहीं आता है। भारत माता की जय बोलें और फिर बनारसी पान खा कर के, ये कौन से भारत माता की जय है भाई। उसी मां को गंदा करें, जिस मां का जयकारा करने के लिए हम संकट झेलते हैं, कहने का तात्पर्य ये है की ये देश मेरा है, ये देशवासी मेरे हैं। जिस स्पिरिट से आजादी का आंदोलन चला, उसी स्पिरिट से आजादी के 75 साल देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए हम आगे बढ़ आए और काशी कर के दिखाए।

साथियो, आज चुनाव की गहमागहमी के बाद, विजयोत्सव का माहौल अब धीरे-धीरे ठंडा हो रहा है तब अपनों के बीच मैं आया हूं, ज्ञान नगरी में आया हूं, महान विरासत की धरती पर आया हूं और उसमें से जो भाव जगा, उस भाव को मैंने आपके सामने प्रकट किया है। जब चुनाव का काम चल रहा था उसी समय इस वर्ष जिनको हमने पद्मश्री दिया था वो श्रद्धेय हीरालाल जी हमारे बीच नहीं रहे, जिन्होंने संगीत साधना में बहुत बड़ा योगदान किया। मैं आज जब उनके स्वर्गवास के बाद पहली बार आया हूं तो मैं आदरपूर्वक उनको श्रद्धांजली देता हूं। उनके परिवारजनों से तो मैंने बात की थी, लेकिन उन्होंने जो विरासत छोड़ी है उस विरासत के प्रति हम सब का गर्व बना रहे। मैं फिर एक बार आपके पुरुषार्थ के लिए, आपके परिश्रम के लिए, आपके समर्पण के लिए जी जान से जो मेहनत आपने की है, आप सब को हाथ जोड़कर नमन करते हुए मैं हृदय से धन्यवाद करता हूं। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद। सभी काशी के मतदाताओं का धन्यवाद, पूरे उत्तर प्रदेश का धन्यवाद। बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

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Operation Sindoor is an unwavering pledge for justice: PM
Terrorists dared to wipe the Sindoor from the foreheads of our sisters; that's why India destroyed the very headquarters of terror: PM
Pakistan had prepared to strike at our borders,but India hit them right at their core: PM
Operation Sindoor has redefined the fight against terror, setting a new benchmark, a new normal: PM
This is not an era of war, but it is not an era of terrorism either: PM
Zero tolerance against terrorism is the guarantee of a better world: PM
Any talks with Pakistan will focus on terrorism and PoK: PM

പ്രിയ ദേശവാസികളെ, നമസ്കാരം
നമ്മളെല്ലാം കഴിഞ്ഞ ദിവസങ്ങളിൽ രാജ്യത്തിന്റെ ശക്തിയും സംയമനവും കണ്ടു.
ഞാൻ ആദ്യമായി ഭാരതത്തിലെ പരാക്രമശാലികളായ സൈനിക‍ർക്ക്, സായുധസേനാ വിഭാഗങ്ങളെ, നമ്മുടെ ശാസ്ത്രജ്ഞരെയും ഓരോ ഭാരതീയരുടേയും പേരിൽ സല്യൂട്ട് ചെയ്യുകയാണ്
നമ്മുടെ വീരസൈനികർ ഓപ്പറേഷൻ സിന്ദൂറിന്റെ ലക്ഷ്യപ്രാപ്തിക്കായി അതിരുകളില്ലാത്ത ധൈര്യം പ്രകടിപ്പിച്ചു.
ഞാൻ അവരുടെ ധീരതയെ-സാഹസത്തെ-പരാക്രമശൈലിയെ ആദരിക്കുന്നു
അതിനായി ഇന്ന് സമ‍ർപ്പിക്കുന്നു
നമ്മുടെ രാജ്യത്തെ ഓരോ അമ്മമാ‍ർക്കും രാജ്യത്തെ ഓരോ പെൺമക്കൾക്കും ഈ പരാക്രമത്തെ ഇന്ന് സമർപ്പിക്കുന്നു
സുഹൃത്തുക്കളേ,
ഏപ്രിൽ 22ന് പഹൽഗാമിൽ തീവ്രവാദികൾ കാട്ടിയ കാടത്തം രാജ്യത്തെയും ലോകത്തെയും വേദനയിലാഴ്ത്തി
അവധിക്കാലം ആഘോഷിക്കാനെത്തിയ നിർദോഷികളായ സാധാരണ പൗരൻമാരെ മതം ചോദിച്ച് അവരുടെ കുടുംബാംഗങ്ങൾക്ക് മുന്നിൽ വെച്ച് ക്രൂരമായി കൊലപ്പെടുത്തി
ഇത് ഭീകരവാദികളുടെ ബീഭത്സമായ മുഖമായിരുന്നു, ക്രൂരതയായിരുന്നു
ഇത് രാജ്യത്തിന്റെ സദ്ഭാവനയെ ഇല്ലാതാക്കാനുള്ള ശക്തമായ പരിശ്രമമായിരുന്നു
എന്നെ സംബന്ധിച്ച് ഇത് വ്യക്തിപരമായി വളരെയധികം വേദനിപ്പിച്ചു
ഈ ഭീകരവാദ ആക്രമണത്തിന് ശേഷം രാജ്യം മുഴുവൻ-ഓരോ പൗരനും-മുഴുവൻ സമൂഹവും-ഓരോ വിഭാഗവും-ഓരോ രാഷ്ട്രീയ പാ‍ർട്ടിയും-ഒരേ സ്വരത്തിൽ തീവ്രവാദികൾക്കെതിരെ ശക്തമായ നടപടികൾ സ്വീകരിക്കണമെന്ന ആവശ്യവുമായി മുന്നോട്ടുവന്നു.
ഞങ്ങൾ തീവ്രവാദികളെ ഇല്ലാതാക്കാൻ ഭാരതീയ സൈനിക‍ർക്ക് പൂർണമായ അധികാരം നൽകി
ഇന്ന് ഓരോ തീവ്രവാദിയും-ഓരോ തീവ്രവാദി സംഘടനയും ഇത് മനസിലാക്കിയിട്ടുണ്ട്
അതായത് നമ്മുടെ സഹോദരിമാരുടെ-പെൺമക്കളുടെ നെറ്റിയിലെ സിന്ദൂരം മായ്ച്ചാൽ അവസ്ഥ എന്താകുമെന്ന്.

സുഹൃത്തുക്കളേ,
ഓപ്പറേഷൻ സിന്ദൂ‍ർ കേവലം ഒരു പേര് മാത്രമല്ല
ഇത് രാജ്യത്തെ കോടാനുകോടി ആളുകളുടെ ഭാവനകളുടെ പ്രതിബിംബമാണ്.
ഓപ്പറേഷൻ സിന്ദൂ‍ർ നീതിക്ക് വേണ്ടിയുള്ള അഖണ്ഡമായ പ്രതിജ്ഞയാണ്
മെയ് 6ആം തീയതി അ‍ർധരാത്രി, മെയ് 7ന് അതിരാവിലെ, ലോകം ഈ പ്രതിജ്ഞയുടെ ഫലപ്രാപ്തി തിരിച്ചറിഞ്ഞു
ഭാരതീയ സൈനിക‍ർ പാകിസ്ഥാന്റെ തീവ്രവാദി കേന്ദ്രങ്ങളിൽ, അവരുടെ പരിശീലന കേന്ദ്രങ്ങളിൽ അവരുടെ പരിശീലന കേന്ദ്രങ്ങളിൽ ശക്തിയായ ആക്രമണം നടത്തി.
തീവ്രവാദികൾ സ്വപ്നത്തിൽ പോലും വിചാരിച്ചിരുന്നില്ല, ഭാരതം ഇത്ര ശക്തമായ തീരുമാനം കൈക്കൊള്ളുമെന്ന്
എന്നാൽ ഇന്ന് രാജ്യം ഒരുമിച്ച് നിൽക്കുന്നു
രാഷ്ട്രം പ്രഥമം എന്ന ഭാവനയിൽ ഉറച്ച് നിൽക്കുന്നു
എല്ലാത്തിനും മുകളിൽ രാഷ്ട്രം എന്ന ചിന്തക്ക് പ്രാധാന്യം നൽകുന്നു
ശക്തമായ, ഉറച്ച തീരുമാനം കൈക്കൊള്ളുന്നു.
അതിന്റെ ഫലവും കാണുന്നു.
പാകിസ്ഥാന്റെ തീവ്രവാദ കേന്ദ്രങ്ങളിൽ ഭാരതീയ മിസൈലുകൾ ആക്രമിച്ചപ്പോൾ, ഭാരതീയ ഡ്രോണുകൾ ആക്രമിച്ചപ്പോൾ അത് തീവ്രവാദ സംഘടനകളുടെ കെട്ടിടങ്ങൾ മാത്രമല്ല തക‍ർത്തത്.
അവരുടെ ആവേശത്തെയും അത് ഇല്ലാതാക്കി.
ബഹാവൽപൂ‍ർ, മുരിദ്കെ തുടങ്ങിയ തീവ്രവാദ കേന്ദ്രങ്ങൾ ഇവയെല്ലാം ഒരുതരത്തിൽ ആഗോള തീവ്രവാദത്തിന്റെ സ‍ർവകലാശാലകളാണ്.
ലോകത്താകമാനം നടന്ന തീവ്രവാദ ആക്രമണങ്ങൾ- 9/11 ആയാലും ലണ്ടൻ ട്യൂബ് ബോംബിംഗുകൾ അല്ലെങ്കിൽ ഭാരതത്തിന് നേരെ ദശകങ്ങളായി നടന്ന വലിയ തീവ്രവാദ ആക്രമണങ്ങൾ ആയാലും അതിന്റെയെല്ലാം അടിസ്ഥാന വേര് ഒരു തരത്തിൽ ഈ തീവ്രവാദ കേന്ദ്രങ്ങളായിരുന്നു.

തീവ്രവാദികൾ നമ്മുടെ സഹോദരിമാരുടെ സിന്ദൂരം മായ്ച്ചു.

അതിനാൽ ഭാരതം ഭീകര തീവ്രവാദത്തിന്റെ ഈ ഹെഡ് ക്വാട്ടേഴ്‌സ് അടിച്ച് തകർത്തു. ഭാരതത്തിന്റെ ഈ ആക്രമണങ്ങളിൽ നൂറിലധികം ഭീകരന്മാർ കൊല്ലപ്പെട്ടു.

ഭീകരവാദത്തിന്റെ ശക്തി കേന്ദ്രങ്ങൾ കഴിഞ്ഞ രണ്ടര - മൂന്ന് ദശകങ്ങളായി പാകിസ്ഥാനിൽ പരസ്യമായി ചുറ്റി തിരിഞ്ഞിരുന്നവർ..

അവർ ഭാരതത്തിനെതിരായി പ്രവർത്തിച്ച് വന്നിരുന്നു.

അവരെ ഭാരതം ഒരു ആക്രമണത്തിലൂടെ ഇല്ലാതാക്കി.

സുഹൃത്തുക്കളെ....
ഭാരതത്തിന്റെ ഈ പ്രവർത്തനത്തിലൂടെ പാകിസ്ഥാൻ കടുത്ത നിരാശയിലകപ്പെട്ടു.

നിരാശയുടെ പടുകുഴിയിലകപ്പെട്ടു.

ഇതിനിടയിൽ അവർ ഒരു ദുഃസ്സാഹസം കാട്ടി.

ഭാരതം ഭീകര വാദത്തിനെതിരെ കൈകൊണ്ട നടപടിക്കെതിരായി പാകിസ്ഥാൻ ഭാരതത്തെ ആക്രമിക്കാൻ ആരംഭിച്ചു.

പാകിസ്ഥാൻ നമ്മുടെ സ്കൂളുകളും കോളേജുകളും, ഗുരുദ്വാരകളും, ക്ഷേത്രങ്ങളും, സാധാരണക്കാരുടെ വീടുകളും ലക്ഷ്യം വച്ചു.

പാകിസ്ഥാൻ നമ്മുടെ സൈനിക കേന്ദ്രങ്ങൾ ലക്‌ഷ്യം വച്ചു.

എന്നാൽ ഇവിടെയും പാകിസ്ഥാൻ സ്വയം പരാജയപ്പെട്ടു.

പാകിസ്താന്റെ ഡ്രോണുകളും മിസൈലുകളും ഭാരതത്തിന് മുന്നിൽ പുല്കൊടിയെ പോലെ ചിതറിയാത്ത ലോകം കണ്ടു.


ഭാരതത്തിന്റെ ശക്തമായ എയർ ഡിഫെൻസ് സിസ്റ്റം, അവയെല്ലാം ആകാശത്ത് വച്ച് തന്നെ നശിപ്പിച്ചു.

പാകിസ്ഥാൻ അതിർത്തിയിൽ ആക്രമണം നടത്തുന്നതിനും തയ്യാറായി.

എന്നാൽ, ഭാരതം പാകിസ്ഥാന്റെ നെഞ്ചിന് നേരെ നിറയൊഴിച്ചു.

ഭാരതീയ ഡ്രോണുകളും ഭാരതീയ മിസൈലുകളും ശക്തമായി തിരിച്ചടിച്ചു.

പാകിസ്ഥാൻ വായു സേനയുടെ ബസുകൾക്ക് കേടുപാടുകൾ വരുത്തി.


ഇതിൽ പാകിസ്ഥാൻ അഹങ്കരിച്ചിരുന്നു.


ഭാരതം ആദ്യത്തെ മൂന്ന് ദിവസങ്ങൾക്കുള്ളിൽ തന്നെ പാകിസ്ഥാനിൽ വരുത്തിയ നാശം, അത് അവർ ഒരിക്കലും പ്രതീക്ഷിച്ചിരുന്നില്ല.

അതിനാൽ.

ഭാരതത്തിന്റെ ശക്തമായ ആക്രമണത്തിന് ശേഷം - പാകിസ്ഥാൻ രക്ഷാമാർഗം ചിന്തിച്ച് തുടങ്ങി.

പാകിസ്ഥാൻ - ലോകത്താകമാനം ആക്രമണം ലഘൂകരിക്കുന്നതിനുള്ള മാർഗം തേടി.

വളരെ അധികം നാശ നഷ്ടങ്ങൾ ഉണ്ടായ ശേഷം നിർബന്ധിതമായി മെയ് പത്തിന് ഉച്ചയ്ക്ക് പാകിസ്ഥാൻ സൈന്യം നമ്മുടെ DGMO യുമായി ബന്ധപ്പെട്ടു.


അതിനിടയിൽ നാം തീവ്രവാദത്തിൻറെ അടിസ്ഥാന കേന്ദ്രങ്ങളെ വലിയ രീതിയിൽ നശിപ്പിച്ചു.

ഭീകരവാദികളെ മൃത്യുവിൻറെ മാർഗ്ഗത്തിലേയ്ക്ക് നയിച്ചു.

പാകിസ്ഥാന്റെ നെഞ്ചിൽ തഴച്ച് വളർന്ന തീവ്രവാദ കേന്ദ്രങ്ങളെ

നാം നിലംപരിശാക്കി.


അതിനാൽ പാകിസ്ഥാന്റെ ഭാഗത്ത് നിന്നും അഭ്യർഥന വരാൻ തുടങ്ങി.
പാകിസ്ഥാൻ ഇത് പറഞ്ഞപ്പോൾ-ഇനി അവരുടെ ഭാഗത്ത് നിന്നും ഭീകരവാദ പ്രവ‍ർത്തനങ്ങളും ആക്രമണവും ഉണ്ടാകില്ലെന്ന് പറഞ്ഞപ്പോൾ ഭാരതം അതിനെക്കുറിച്ച് ചിന്തിച്ചു.
ഞാൻ വീണ്ടും ആവ‍ത്തിക്കുകയാണ്, നാം പാകിസ്ഥാന്റെ തീവ്രവാദ-സൈനിക കേന്ദ്രങ്ങൾക്കെതിരെ സ്വീകരിച്ച മറുപടി നടപടികൾ ഇപ്പോൾ കേവലം നിർത്തിവെച്ചിരിക്കുകയാണ്.
വരും ദിവസങ്ങളിൽ നാം പാകിസ്ഥാന്റെ ഓരോ ചുവടും പ്രത്യേകം നിരീക്ഷിക്കും-അളക്കും.
അവ‍ർ സ്വീകരിക്കുന്ന നടപടികൾ എന്താണെന്ന് നിരീക്ഷിക്കും.

സുഹൃത്തുക്കളേ,
ഭാരതത്തിന്റെ മൂന്ന് സൈനിക വിഭാഗങ്ങൾ-നമ്മുടെ എയ‍ഫോഴ്സ്-നമ്മുടെ ആ‍ർമി-നമ്മുടെ നേവി-നമ്മുടെ ബോർഡർ സെക്യൂരിറ്റി ഫോഴ്സ്-BSF-ഭാരതീയ അ‍ധസൈനിക വിഭാഗങ്ങൾ ഇവരെല്ലാം ജാഗരൂകരാണ്.
സ‍ജിക്കൽ സ്ട്രൈക്ക് - എയ‍ർ സ്ട്രൈക്ക് എന്നിവക്ക് ശേഷം ഇപ്പോൾ ഓപ്പറേഷൻ സിന്ദൂർ തീവ്രവാദത്തിനെതിരായ ഭാരതത്തിന്റെ നീതിയാണ്.
ഓപ്പറേഷൻ സിന്ദൂ‍ർ തീവ്രവാദത്തിനെതിരായ യുദ്ധത്തിൽ ഒരു അതിര് നിശ്ചയിച്ചിരിക്കുകയാണ്. പുതിയ അതിര്.
ന്യൂ നോർമൽ നിശ്ചയിച്ചിരിക്കുകയാണ്.
ആദ്യം- ഭാരതം തീവ്രവാദത്തിനെതിരായി ശക്തമായ മറുപടി നൽകി.
നാം നമ്മുടെ രീതിയിൽ -നമ്മുടെ തീരുമാനങ്ങളിൽ മറുപടി നൽകുക തന്നെ ചെയ്യും.
തീവ്രവാദത്തിന്റെ വേരുകൾ പിഴുതെറിയാൻ നാം ഓരോ സ്ഥലത്തും കടന്നുചെന്ന് ശക്തമായ നടപടി സ്വീകരിക്കും.
രണ്ടാമത്-ഒരിക്കലും ആരിൽ നിന്നുമുള്ള ന്യൂക്ലിയ‍ർ ബ്ലാക്മെയിലിംഗ് ഭാരതം സഹിക്കില്ല.
ന്യൂക്ലിയർ ബ്ലാക്മെയിലിംഗിന്റെ തണലിൽ വള‍ർന്ന ഭീകരവാദ കേന്ദ്രങ്ങൾ ഭാരതം ശക്തമായി നശിപ്പിച്ചു.
മൂന്നാമത്- തീവ്രവാദികളെ പിന്തുണക്കുന്ന സ‍ർക്കാരിനെയും തീവ്രവാദികളെയും നാം വ്യത്യസ്തമായി കാണുന്നില്ല.
ഓപ്പറേഷൻ സിന്ദൂറിന് ശേഷം ലോകം പാകിസ്ഥാന്റെ യാദാ‍ർഥ്യം തിരിച്ചറിഞ്ഞു.
മരണപ്പെട്ട തീവ്രവാദികളുടെ സംസ്കാരച്ചടങ്ങ്-അതിൽ വലിയ വലിയ പാകിസ്ഥാൻ സൈനിക ഓഫീസ‍ർമാർ പങ്കെടുത്തു.
സ്റ്റേറ്റ് സ്പോൺസേർഡ് ടെററിസത്തിന് ഇത് ഉത്തമ ഉദാഹരണമാണ്.
നാം ഭാരതത്തിന്റെ, നമ്മുടെ ദേശവാസികളുടെ-രക്ഷക്കായി അപകടത്തിൽ നിന്നും മോചിപ്പിക്കാനായി തുട‍ർച്ചയായി ശക്തമായ നടപടികൾ സ്വീകരിക്കും

സുഹൃത്തുക്കളേ,
യുദ്ധമൈതാനത്ത് നാം ഓരോ തവണയും പാകിസ്ഥാനെ പരാജയപ്പെടുത്തിയിട്ടുണ്ട്.
ഇപ്രാവശ്യം ഓപ്പറേഷൻ സിന്ദൂർ പുതിയ മാതൃകയാണ്.
നാം മരുഭൂമിയിലും, പ‍ർവ്വതത്തിലും സ്വന്തം ശക്തി, ശക്തമായി പ്രകടിപ്പിക്കുന്നു.
ഒപ്പം ന്യൂ ഏജ് വാ‍ർഫെയറിനും സ്വന്തം ശക്തി തെളിയിക്കുന്നു.
ഈ ഓപ്പറേഷന് ശേഷം നാം മെയ്ഡ് ഇൻ ഇന്ത്യ ആയുധങ്ങളുടെ ശക്തി തിരിച്ചറിയുന്നു.
അത് ലോകം കണ്ടു.
21ാം നൂറ്റാണ്ടിലെ വാ‍ർഫെയറിൽ മെയ്ഡ് ഇൻ ഇന്ത്യ പ്രതിരോധ ഉപകരണങ്ങളുടെ സമയം വന്നു വഴിഞ്ഞു.

സുഹൃത്തുക്കളേ,
ഇങ്ങനെ തീവ്രവാദത്തിനെതിരായി നാം ഒത്തുചേരുന്നതാണ് നമ്മുടെ ഐക്യം.
അതാണ് നമ്മുടെ ഏറ്റവും വലിയ ശക്തി.
തീ‍ർച്ചയായും ഈ യുഗം യുദ്ധത്തിന്റേതല്ല.
എന്നാൽ ഈ യുഗം തീവ്രവാദ
അതിനാൽ പാകിസ്ഥാന്റെ ഭാഗത്ത് നിന്നും അഭ്യർഥന വരാൻ തുടങ്ങി.
പാകിസ്ഥാൻ ഇത് പറഞ്ഞപ്പോൾ-ഇനി അവരുടെ ഭാഗത്ത് നിന്നും ഭീകരവാദ പ്രവ‍ർത്തനങ്ങളും ആക്രമണവും ഉണ്ടാകില്ലെന്ന് പറഞ്ഞപ്പോൾ ഭാരതം അതിനെക്കുറിച്ച് ചിന്തിച്ചു.
ഞാൻ വീണ്ടും ആവ‍ത്തിക്കുകയാണ്, നാം പാകിസ്ഥാന്റെ തീവ്രവാദ-സൈനിക കേന്ദ്രങ്ങൾക്കെതിരെ സ്വീകരിച്ച മറുപടി നടപടികൾ ഇപ്പോൾ കേവലം നിർത്തിവെച്ചിരിക്കുകയാണ്.
വരും ദിവസങ്ങളിൽ നാം പാകിസ്ഥാന്റെ ഓരോ ചുവടും പ്രത്യേകം നിരീക്ഷിക്കും-അളക്കും.
അവ‍ർ സ്വീകരിക്കുന്ന നടപടികൾ എന്താണെന്ന് നിരീക്ഷിക്കും.

സുഹൃത്തുക്കളേ,
ഭാരതത്തിന്റെ മൂന്ന് സൈനിക വിഭാഗങ്ങൾ-നമ്മുടെ എയ‍ഫോഴ്സ്-നമ്മുടെ ആ‍ർമി-നമ്മുടെ നേവി-നമ്മുടെ ബോർഡർ സെക്യൂരിറ്റി ഫോഴ്സ്-BSF-ഭാരതീയ അ‍ധസൈനിക വിഭാഗങ്ങൾ ഇവരെല്ലാം ജാഗരൂകരാണ്.
സ‍ജിക്കൽ സ്ട്രൈക്ക് - എയ‍ർ സ്ട്രൈക്ക് എന്നിവക്ക് ശേഷം ഇപ്പോൾ ഓപ്പറേഷൻ സിന്ദൂർ തീവ്രവാദത്തിനെതിരായ ഭാരതത്തിന്റെ നീതിയാണ്.
ഓപ്പറേഷൻ സിന്ദൂ‍ർ തീവ്രവാദത്തിനെതിരായ യുദ്ധത്തിൽ ഒരു അതിര് നിശ്ചയിച്ചിരിക്കുകയാണ്. പുതിയ അതിര്.
ന്യൂ നോർമൽ നിശ്ചയിച്ചിരിക്കുകയാണ്.
ആദ്യം- ഭാരതം തീവ്രവാദത്തിനെതിരായി ശക്തമായ മറുപടി നൽകി.
നാം നമ്മുടെ രീതിയിൽ -നമ്മുടെ തീരുമാനങ്ങളിൽ മറുപടി നൽകുക തന്നെ ചെയ്യും.
തീവ്രവാദത്തിന്റെ വേരുകൾ പിഴുതെറിയാൻ നാം ഓരോ സ്ഥലത്തും കടന്നുചെന്ന് ശക്തമായ നടപടി സ്വീകരിക്കും.
രണ്ടാമത്-ഒരിക്കലും ആരിൽ നിന്നുമുള്ള ന്യൂക്ലിയ‍ർ ബ്ലാക്മെയിലിംഗ് ഭാരതം സഹിക്കില്ല.
ന്യൂക്ലിയർ ബ്ലാക്മെയിലിംഗിന്റെ തണലിൽ വള‍ർന്ന ഭീകരവാദ കേന്ദ്രങ്ങൾ ഭാരതം ശക്തമായി നശിപ്പിച്ചു.
മൂന്നാമത്- തീവ്രവാദികളെ പിന്തുണക്കുന്ന സ‍ർക്കാരിനെയും തീവ്രവാദികളെയും നാം വ്യത്യസ്തമായി കാണുന്നില്ല.
ഓപ്പറേഷൻ സിന്ദൂറിന് ശേഷം ലോകം പാകിസ്ഥാന്റെ യാദാ‍ർഥ്യം തിരിച്ചറിഞ്ഞു.
മരണപ്പെട്ട തീവ്രവാദികളുടെ സംസ്കാരച്ചടങ്ങ്-അതിൽ വലിയ വലിയ പാകിസ്ഥാൻ സൈനിക ഓഫീസ‍ർമാർ പങ്കെടുത്തു.
സ്റ്റേറ്റ് സ്പോൺസേർഡ് ടെററിസത്തിന് ഇത് ഉത്തമ ഉദാഹരണമാണ്.
നാം ഭാരതത്തിന്റെ, നമ്മുടെ ദേശവാസികളുടെ-രക്ഷക്കായി അപകടത്തിൽ നിന്നും മോചിപ്പിക്കാനായി തുട‍ർച്ചയായി ശക്തമായ നടപടികൾ സിവീകരിക്കും.

സുഹൃത്തുക്കളേ,
യുദ്ധമൈതാനത്ത് നാം ഓരോ തവണയും പാകിസ്ഥാനെ പരാജയപ്പെടുത്തിയിട്ടുണ്ട്.
ഇപ്രാവശ്യം ഓപ്പറേഷൻ സിന്ദൂർ പുതിയ മാതൃകയാണ്.
നാം മരുഭൂമിയിലും, പ‍ർവ്വതത്തിലും സ്വന്തം ശക്തി, ശക്തമായി പ്രകടിപ്പിക്കുന്നു.
ഒപ്പം ന്യൂ ഏജ് വാ‍ർഫെയറിനും സ്വന്തം ശക്തി തെളിയിക്കുന്നു.
ഈ ഓപ്പറേഷന് ശേഷം നാം മെയ്ഡ് ഇൻ ഇന്ത്യ ആയുധങ്ങളുടെ ശക്തി തിരിച്ചറിയുന്നു.
അത് ലോകം കണ്ടു.
21ാം നൂറ്റാണ്ടിലെ വാ‍ർഫെയറിൽ മെയ്ഡ് ഇൻ ഇന്ത്യ പ്രതിരോധ ഉപകരണങ്ങളുടെ സമയം വന്നു വഴിഞ്ഞു.

സുഹൃത്തുക്കളേ,
ഇങ്ങനെ തീവ്രവാദത്തിനെതിരായി നാം ഒത്തുചേരുന്നതാണ് നമ്മുടെ ഐക്യം.
അതാണ് നമ്മുടെ ഏറ്റവും വലിയ ശക്തി.
തീ‍ർച്ചയായും ഈ യുഗം യുദ്ധത്തിന്റേതല്ല.
എന്നാൽ ഈ യുഗം തീവ്രവാദ ത്തിന്റേതുമല്ല.

തീവ്രവാദത്തിനെതിരായി സീറോ ടോളറൻസ് എന്നതാണ് ഒരു മികച്ച മാർഗം ലോകത്തിൻറെ ഗ്യാരന്റി.

സുഹൃത്തുക്കളെ..

പാകിസ്ഥാൻ സേന - പാകിസ്ഥാൻ സർക്കാർ എങ്ങനെയാണോ തീവ്രവാദത്തെ പരിപോക്ഷിപ്പിക്കുന്നത്- അത് ഒരു ദിവസം പാകിസ്ഥാനെ തന്നെ ഇല്ലാതാക്കും.

പാകിസ്ഥാന് രക്ഷപ്പെടണമെന്നുണ്ടെങ്കിൽ അവർ തീവ്രവാദത്തെ തുടച്ച് നീക്കണം.

ഇതല്ലാതെ സമാധാനത്തിന് മറ്റൊരു മാർഗമില്ല.

ഭാരതത്തിന്റെ അഭിപ്രായം വ്യക്തമാണ്.


തീവ്രവാദവും - സംഭാഷണവും ഒരുമിച്ച് മുന്നോട്ട് പോകില്ല.

തീവ്രവാദവും വ്യാപാരവും ഒരുമിച്ച് പോകില്ല.

വെള്ളവും രക്തവും ഒരുമിച്ച് ഒഴുകില്ല.

എനിക്ക് ലോകത്തോട് പറയാനുള്ളത് നമ്മുടെ നീതിയുടെ പ്രഖ്യാപനം പാകിസ്താനുമായി സംസാരിക്കുന്നുണ്ടെങ്കിൽ അത് തീവ്രവാദത്തിന് എതിരായി.

പാകിസ്ഥാനുമായി സംസാരിക്കുന്നെങ്കിൽ അത് പാക് occupied kashmir നെ പറ്റിയായിരിക്കും.

പ്രിയ ദേശവാസികളെ,

ഇന്ന് ബുദ്ധ പൂർണിമ. ഭഗവാൻ ബുദ്ധൻ നമുക്ക് സമാധാനത്തിന്റെ മാർഗം കാട്ടിത്തന്നു. സമാധാനത്തിന്റെ മാർഗവും ശക്തി പകരുന്നു. മാനവ - സമാധാനം - സമൃദ്ധി എന്നിവ കൊണ്ടുവരും. ഓരോ ഭാരതീയനും സമാധാനത്തോടെ ജീവിക്കണം. വികസിത ഭാരതമെന്ന സ്വപനം പൂര്തത്തീകരിക്കണം. അതിനായി ഭാരതം കൂടുതൽ ശാക്തീകരിക്കേണ്ടത് ആവശ്യമാണ്. ആവശ്യമുണ്ടെങ്കിൽ ഈ ശക്തി പ്രയോജനപ്പെടുത്താം. കഴിഞ്ഞ കുറച്ച് ദിവസങ്ങളിൽ ഭാരതം അതാണ് ചെയ്തത്. ഒരിക്കൽ കൂടി ഭാരതീയ സൈനികർക്ക് - സായുധ സെനങ്ങൾക്ക്ക് അഭിവാദ്യങ്ങൾ. നാം ഭാരതീയയുടെ ഐക്യം ഒരുമ എന്നിവയെ ഞാൻ നമിക്കുന്നു.

നന്ദി

ഭാരത് മാതാ കീ ജയ്

ഭാരത് മാതാ കീ ജയ്

ഭാരത് മാതാ കീ ജയ്