Had these family-oriented parties been in the government, they would have got the vaccine first by breaking all the lines, says PM Modi
If any decision is against the interest of the country, opposition do not hesitate to take that decision. They act only to remain in power: PM Modi on vote bank politics
Congress or Samajwadi Party, has remained hostage to one family for the past several decades: PM Modi on ‘Parivarvad’ in politics

नमस्कार !

अमेठी और सुल्तानपुर के यहां के लोग जब प्यार देते हैं, तो जमकर के देते हैं। आज भी मैं वही स्नेह, वही अनुराग, वही अपनापन अनुभव कर रहा हूं और इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। साथियो, उत्तर प्रदेश चुनाव के 4 चरण पूरे हो चुके हैं। चारों ही चरणों में लोगों ने एकजुट होकर बीजेपी को अपना आशीर्वाद दिया है। जो घोर परिवारवादी सोच रहे हैं, कि यूपी के लोग बंट जाएंगे, बिखर जाएंगे। देशहित को भूल जाएंगे। उत्तर प्रदेश के हितों को भूल जाएंगे। अपने इलाकों के हितों को भूल जाएंगे। उन सबके सारे गणित उल्टे पड़ गए हैं। उन्हें सच्चाई का पता 10 मार्च को लग जाने वाला है भाइयो। और इसलिए इस बार उत्तर प्रदेश रंगों वाली होली 10 को ही मनाना शुरू कर देगा। अमेठी-सुल्तानपुर के लोग तो जानते ही हैं कि परिवारवादियों की हमेशा से ही ये दिक्कत रही है। ये लोग जमीनी हकीकत से इतना दूर हैं, इतने आसमान में हैं, कि जमीन पर क्या चल रहा है, इन्हें दिखाई ही नहीं देता है। 

साथियो, 

आज दशकों बाद यूपी में ऐसा चुनाव हो रहा है जब कोई सरकार अपने किए विकास कार्यों के आधार पर, गरीबों के हित में किए गए कार्यों के आधार पर आज आपसे वोट मांग रहा है। वर्षों बाद ऐसा हुआ है जब यूपी की सरकार, सुधरी हुई कानून-व्यवस्था पर वोट मांग रहा है। वर्षों बाद ऐसा हुआ है जब यूपी में दंगे रुके हैं, अपराधियों की हिम्मत पस्त हुई है। वर्षों बाद ऐसा हुआ है जब मुख्यमंत्री अपने परिवार को आगे बढ़ाने, भ्रष्टाचार का आरोप ऐसी किसी भी मुसीबत को इस चुनाव के मैदान में झेल नहीं रहा है। और, वर्षों बाद ऐसा हुआ है, जब गरीब, मध्यम वर्ग, खुद आगे आकर कह रहा है- आएगी तो एनडीए ही, आएगी तो एनडीए ही, आएंगे तो योगी ही। 

भाइयो और बहनो, 

जो ये परिवारवादी लोग होते हैं, वो सत्ता में इसलिए आना चाहते हैं ताकि अपनी और अपने परिवार की ताकत बढ़ा सकें, और राजा-महाराजा की तरह आप पर राज कर सकें। हमें किसी ताकत के लिए सत्ता नहीं चाहिए, ना ही हमारी ताकत कोई बाहुबली या माफिया है। हमारी ताकत उत्तर प्रदेश की जनता है, उत्तर प्रदेश का गरीब है। उत्तर प्रदेश की माताएं-बहनें हैं। वो आज देख रहा है कि कैसे बीते पांच सालों में भाजपा सरकार ने उसकी भलाई के लिए काम किया है। वो जानता है कि हर सुख-दुख में हमारी सरकार उनके साथ खड़ी रही है। वो जानता है कि सरकार का योजनाओं का लाभ देने में, हम कभी भी न  जाति देखते हैं न मजहब देखते हैं। हम सिर्फ ईमानदारी से जो भी गरीब है, जो भी योजना का हकदार है,  उसकी आवश्यकता की पूर्ति का प्रयास करते हैं। इसलिए आज यूपी के लोग भाजपा को दिल से इतना आशीर्वाद दे रहे हैं।

भाइयो और बहनो, 

आज का दिन 24 फरवरी मेरे जीवन का विशेष दिन है क्योंकि आज ही पीएम किसान सम्मान निधि को तीन साल पूरे हुए हैं। जब 2019 में हमने ये योजना शुरू की थी तो कई लोग अफवाहें फैला रहे थे, भ्रम फैला रहे थे कि ये तो 2019 के चुनाव के पहले मोदी लाया है। एक बार चुनाव हो जाएगा, फिर मोदी बंद कर देगा। और कुछ हमारे विरोधी लोग हैं ना वो तो दिन-रात इसको चला भी रहे थे। लेकिन भाइयो और बहनो, हम जो भी काम करते हैं सोच-समझ कर करते हैं। ईमानदारी से करते हैं और लोगों की भलाई के लिए करते हैं। और आपने देखा, चुनाव हो गया, हम जीत भी गए और जो योजना शुरू की गई थी, तीन साल से अनवरत इस योजना का पैसा सीधे किसानों के बैंक खातों में जा रहा है। यहां अमेठी के किसानों को भी 450 करोड़ रुपये, साढ़े चार सौ करोड़ रुपये से ज्यादा इस योजना से सीधे मेरे किसानों के खाते में जमा हुए हैं। सुल्तानपुर के किसानों को भी 430 करोड़ रुपये से ज्यादा पीएम किसान योजना के मिले हैं। ये योजना कितने ही किसानों का, और खासकर के मेरे छोटे किसान भाई-बहनों का, उनका ये संबल बनी है। 

साथियो, 

आज आपके बीच आया हूं तो एक और बात भी बताना चाहता हूं। आज से 20 साल पहले, 24 फरवरी की ही वो तारीख थी, जब मैं पहली बार विधायक बना था। पहली बार, पहली बार जीवन में अचानक चुनाव के मैदान में आना पड़ा था और राजकोट के लोगों ने मुझे आशीर्वाद दिए और सेवा का यह सिलसिला शुरू हुआ।  मैंने जीवन में कभी सोचा नहीं था कि कभी मैं चुनावी दंगल में जाउंगा, चुनावी राजनीति में जाउंगा। जिस रास्ते पर जाने का मैंने कभी सोचा तक नहीं था, उस रास्ते पर चलने की शुरुआत 24 फरवरी को हुई थी, मैंने अपना पहला कदम बढ़ाया था। जनता-जनार्दन का सेवक बनकर, उनके लिए काम करने का वो संकल्प हर दिन के साथ और सशक्त हुआ है। यही सेवा भावना, भारतीय जनता पार्टी की पहचान है और चुनावी दुनिया में आने के बाद जिस तरह यूपी ने मुझे अपना लिया,  मां गंगा ने मुझ पर जिस प्रकार से स्नेह वर्षा की, आप लोगों ने  मुझे गले लगाया, इससे बड़ा जीवन में कोई सौभाग्य नहीं होता है। आपका ये स्नेह, आपका ये आशीर्वाद, मेरे जीवन की बहुत बड़ी पूंजी है। और पूंजी के नाम पर आपका प्यार ही तो यही एक मेरी अमानत है।

भाइयो और बहनो, 

आज यूपी में आपको ऐसे परिवार खोजना मुश्किल होगा, जिसकी हमारी सरकार ने सेवाभाव से सहायता ना की हो। 100 साल के इस सबसे बड़े संकट में, ये कोरोना की महामारी, पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। पूरी मानव जात, दुनिया के हर कोने में, इस महामारी ने क्या से क्या कर दिया, लेकिन हिंदुस्तान में भाजपा सरकार ने सबकी मदद का प्रयास अविरल जारी रखा। आज यूपी के 16 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली डोज मुफ्त लग चुकी है। करीब-करीब 12 करोड़ लोगों को दूसरी डोज भी मुफ्त लग गई है। भाइयो और बहनो, आप मुझे बताइये, आपको वैक्सीन का टीका लग गया, टीका लग गया, सबको लग गया, आपको कोई पैसा देना पड़ा, एक रुपया भी आपकी जेब से खर्चा करना पड़ा। टीका लगवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ी। आपको कोई तकलीफ हुई। भाइयो और बहनो, इतनी तेजी से वैक्सीनेशन हमारे देश में पहले कभी नहीं हुआ है। इसी वैक्सीन ने कोरोना से लड़ने की ताकत हर एक नागरिक में बढ़ा दी है। इसी के कारण आज दुकानें खुली हैं, व्यापार खुला है, स्कूल-कॉलेज खुले हैं, फैक्ट्रियां खुलीं हैं। 

साथियो,

इन परिवारवादियों का वैक्सीन को लेकर जो रवैया रहा है, वो भी पूरे उत्तर प्रदेश, पूरे देश ने देखा है। इन लोगों ने भारत में बनी वैक्सीन को बदनाम करने की भरपूर कोशिश की और यहां तक कह दिया, आपको याद है न, यहां तक कह दिया ये भाजपा की वैक्सीन है। ये तो भाजपा की वैक्सीन है। और कुछ लोगों ने कहा ये तो भाजपा की वैक्सीन है, हम नहीं लगाएंगे। कोशिश यही थी, उनका इरादा यही था कि लोग डर जाएं, राजनीति का रंग लग जाए और लोग वैक्सीन ना लगवाएं और वैक्सीन न लगे, कोरोना का हमला होता रहे। लोग मुसीबत में फंसते रहें और मोदी बदनाम होता रहे, योगी बदनाम होता रहे, तबाही होती रहे। भाइयो-बहनो क्या ये सोच अच्छी है क्या। किसी का बुरा सोचना, ये अच्छी बात है क्या , क्या ऐसे लोगों को माफ किया जा सकता है क्या। इन्होंने गुनाह किया कि नहीं किया है। ऐसे गुनहगारों को आपका वोट मांगने के हक है क्या।  लेकिन इन लोगों की इज्जत ही इतनी ही जमीन पर पहुंच गई है। इनकी  क्रेडिबिलिटी इतनी खराब है कि खुद इनकी पार्टी के लोगों ने भी, उनके कार्यकर्ताओं ने भी इनकी बात नहीं सुनी और वैक्सीन लगवा दी। ये परिवारवादी बहकाते रहे, लेकिन उनके कार्यकर्ताओं ने भी रजिस्ट्रेशन करवाया और उन्होंने भी कोरोना वैक्सीन की डोज ले ली।

साथियो, 

भारत ने जिस तरह दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन कार्यक्रम चलाया, उस पर हर भारतीय को गर्व है। पहले दिन से ये अभियान नियमों के अनुसार चला। Discipline से चला। कोई भगदड़ नहीं, कोई ब्लैक मार्केटिंग नहीं। कोई मेरा तेरा नहीं, सब कुछ नियम से हुआ। इतने बड़े देश में जब कोरोना के कारण मुसीबतें सामने खड़ी हों, फिर भी सारा काम discipline से चले, ये हिंदुस्तान के लिए सिर ऊंचा करने की घटना है भाइयो। बहुत बड़ी बात है। और आप खुद भी गवाह हैं कि जब वैक्सीनेशन शुरू हुआ…जब वैक्सीनेशन शुरू हुआ, तो मोदी खुद दौड़कर सबसे पहले वैक्सीन लगवाने के लिए नहीं पहुंचा। हमने पहले स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों को, सफाई कर्मचारियों को,  बुजुर्गों को,  गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को वैक्सीन लगवाने का मौका दिया। ये परिवारवादी सरकार में होते तो सारी लाइनें तोड़कर खुद सबसे पहले वैक्सीन लगवाते। आप ये भी देखिए, मैंने भी वैक्सीन तब लगवाई जब नियम से मेरा नंबर आया। आप सबको मालूम होगा,  मेरी मां सौ साल की उम्र है। उन्होंने भी लाइन नहीं तोड़ी। उन्होंने भी जब उनका नंबर आया नियम से तब वैक्सीन लगवाई,  इतना ही नहीं अभी बूस्टर डोज, तीसरे डोज की चर्चा चल रही है। मेरी मां ने नहीं लगवाया,  क्योंकि उम्र सौ साल है लेकिन कोई और बीमारी नहीं होने के कारण उनका नंबर नहीं लगता है, तो उन्होंने नहीं लगवाई। कानून नियमों का पालन प्रधानमंत्री भी करता है, प्रधानमंत्री की 100 साल की उम्र की मां भी करती है। ये परिवारवादी होते तो पहले खुद का वैक्सीनेशन होता और सामान्य लोग पीछे रह जाते।

साथियो, 

यूपी के 15 करोड़ लाभार्थियों को इस मुश्किल समय में मुफ्त राशन का डबल बेनिफिट मिल रहा है। यूपी के एक करोड़ 65 लाख गरीब परिवारों को हमारी सरकार ने मुफ्त गैस कनेक्शन दिया है। यूपी के 34 लाख गरीब परिवारों को हमारी सरकार ने पक्का घर बनाकर के दिया है। और ये जो घर मिल रहे हैं ना, वो भी हमारा आग्रह है, वो मकान का मालिकाना हक उस परिवार की महिला के नाम पर हो। महिलाओं को उसका हक मिले। यूपी की लाखों बहनें बीते 5 साल में अपने घर की मालकिन हो गई हैं, लखपति हो गई हैं। 

साथियो, 

भाजपा सरकार की स्वामित्व योजना की वजह से आज यूपी के गांवों में लाभार्थियों को एक बहुत बड़ा वर्ग, जिनको लगातार उनके हक की चीजें सामने से उनके घर पहुंच रही हैं।  ये वो वर्ग है जिसको पहले की सरकारों के समय अपने घर, अपनी ज़मीन पर कब्ज़े की चिंता आए दिन सताती थी। अब हम ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं कि कोई भूमाफिया, कभी आपका घर और आपकी जमीन को छू  भी नहीं सकेगा, ये व्यवस्था हम कर रहे हैं। हम आपके घर, आपकी ज़मीन का पक्का कानूनी दस्तावेज़, टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार करके आपको घरौनी दे रहे हैं। पीएम स्वामित्व योजना के तहत यूपी के लाखों ग्रामीणों को घरौनी दी जा चुकी है। और आगे भी काम चल रहा है। बाकी  गांवों में भी ड्रोन के माध्यम से काम, ये आचार संहिता के कारण अफसर जरा दूसरे कामों में, इलेक्शन कमीशन की सेवा में हैं, लेकिन जैसे ही चुनाव का काम पूरा होगा, दनादन ये काम फिर से शुरू हो जाएगा। 

भाइयो और बहनो, 

आज अमेठी के लोगों के सामने, सुल्तानपुर के लोगों के सामने, मैं ऐसे दो विषयों की भी चर्चा करूंगा, जिसके हमारे देश के नागरिक, हमारे उत्तर प्रदेश के नागरिक, हमारे सुल्तानपुर-अमेठी के नागरिक इसके भुक्तभोगी रहे हैं। परेशानियां झेली हैं। ये विषय है, और वो देश के सामने है। लोकतंत्र के सामने है। बहुत बड़ी चुनौती है। और मैं चाहूंगा कि मेरे जो नवजवान हैं,  मेरी इस बात पर गौर करें, उस पर जरूर ध्यान दें। साथियो, ये विषय हैं,  पहला- वोटबैंक की पॉलिटिक्स और दूसरा परिवारवादी राजनीति। जब मैं दो विषयों की चर्चा करता हूं, तो ये परिवारवादी लोग मुंह पर ताले लगा देते हैं। और उनके जो इकोसिस्टम है ना वो भी बात को उलटकर दूसरी दिशा में ले जाती है।  आप देखिएगा, ये लोग कभी इसका जवाब नहीं देते, क्योंकि इनके दिल में खोट है। साथियो, वोटबैंक की पॉलिटिक्स और परिवारवादी राजनीति, दोनों ने देश का बहुत ज्यादा नुकसान किया है। जब आप वोटबैंक की पॉलिटिक्स करते हैं, किसी का तुष्टिकरण करते हैं तो इसका सीधा मतलब ये होता है कि समाज के एक बड़े वर्ग से आप विकास का हक छीन रहे हैं। जब आप परिवारवादी राजनीति करते हैं तो इसका सीधा मतलब ये होता है कि आप किसी साधारण व्यक्ति से आगे बढ़ने का अधिकार छीन रहे हैं। 

साथियो,

एक समय था जब इन नेताओं ने वोटबैंक पॉलिटिक्स को, तुष्टिकरण को बढ़ावा दिया। उसे खाद-पानी दिया। आज वोट बैंक की इसी पॉलिटिक्स ने, तुष्टिकरण की इसी राजनीति ने इन नेताओं को, इन राजनीतिक दलों को अपना बंधक बना दिया है। बंधक बना दिया है। अब वोट बैंक की पॉलिटिक्स ही इन दलों की, नेताओं की मजबूरी बन गयी है। इसलिए आज भी उनका हर फैसला इसी वोटबैंक की पॉलिटिक्स के हिसाब से ही होता है। ये फैसला अगर देशहित के खिलाफ हो तो भी ये नेता उस फैसले को लेने में जरा भी हिचकते नहीं हैं। उनको देश की नहीं, वोट बैंक की चिंता रहती है और इसलिए आप लोग देखते हैं कि ये लोग हमारी सेनाओं का अपमान करते हैं, हमारे पुलिस फोर्सेस का अपमान करते हैं। उनके मनोबल को तोड़ने की बातें करते हैं। क्योंकि ऐसी बातें करने से उनकी वोट को खुशी होती है। इसी सोच की वजह से ये लोग हमारे संविधान की परवाह नहीं करते, देश की संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल खड़े करते हैं। 

अभी आपने देखा है 56, ये आंकड़ा छोटा नहीं है 56 निर्दोष लोगों को कुछ ही मिनटों में अलग-अलग जगह बम धमाके करके 56 लोगों को मार दिया गया था, सैकड़ों लोगों को अपाहिज कर दिया था। ऐसा भयंकर मानवता के खिलाफ कृत्य करने वाले आतंकवादियों को,  38 आतंकवादियों को गुजरात की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। अब मैं देख रहा हूं, मैंने कहा कि अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है आप सब तालियां बजाने लगे गए, आपको अच्छा लगा कि नहीं लगा, न्याय मिला उससे आपको संतोष हुआ कि नहीं हुआ, आपको न्याय में विश्वास है कि नहीं है लेकिन आप देखिये, मानवता के दुश्मनों को फांसी हो गई। लेकिन वोटबैंक के डर से, वोट बैंक खिसक जाएगी तो क्या होगा, इन पार्टियों ने, अदालत के फैसले का स्वागत करने की भी हिम्म्त नहीं दिखाई, उनके मुंह पर ताले लग गए हैं भाइयो। जो लोग गुनहगार सिद्ध हो चुके हैं, उनके लिए भी अगर रहम नजर रखते हैं, क्या ऐसे लोगों को राजनीति में सत्ता में आने का हक है क्या? ऐसे लोगों को बाहर करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए?

भाइयो और बहनो, 

जहां तक दूसरी बात है परिवारवादी राजनीति की, तो उससे भी देश का बहुत नुकसान होता है। परिवारवादी राजनीति में पार्टी का अध्यक्ष परिवार का होता है, पार्टी के सभी महत्वपूर्ण पदों पर परिवार के लोग ही जमकर बैठे होते हैं। महत्वपूर्ण पदों पर दावेदारी भी उसी परिवार के सदस्यों की होती है, पार्टी में कोई आंतरिक लोकतंत्र नहीं होता। पिता के बाद बेटा, फिर बेटे का बेटा,  या बेटी, बहू उन्हीं लोगों को पद पर रहने का हक मिल जाता है, ये परिवारवादी पार्टियां यही पहले पक्का कर लेती हैं। इन पार्टियों में जो परिवार को समर्पित होता है, उसी को वहां कुछ अवसर मिलता है। उनके लिए संविधान सुप्रीम नहीं होता है, परिवार का सुप्रीमो ही सुप्रीम होता है। वहां वो खुद के लिए कुछ नहीं कर पाता, देश के लिए कुछ नहीं कर पाता, उसको तो सिर्फ और सिर्फ परिवार के हित में ही काम करना होता है। ऐसी परिवारवादी पार्टियों में कार्यकर्ता के लिए स्पष्ट संदेश होता है- मेहनत आप करिए, फल हम खाएंगे।

साथियो,

इन घोर परिवारवादियों ने, सरकार चलाने का भी एक बहुत बड़ा फिक्स फॉर्मूला बना रखा है।  ये लोग अलग-अलग जिलों से मंत्री-वंत्री तो बना लेते हैं। अपने वोट बैंक के हिसाब से मंत्री भी ले आते हैं, लेकिन उन मंत्रियों के पास कोई अधिकार नहीं होता है। वो क्या करते हैं अपने परिवार के लोग जो चुनाव जीतकर के नहीं आये हैं। जो संविधान की व्यवस्था में नहीं हैं। उनको इलाके बांट देते हैं। भतीजों को कहते हैं ये दो जिले तुम्हारे,  भांजे को कहते हैं ये जिले तुम्हारे, बहन को कहते हैं ये जिला तुम्हारा। और अफसरों को भी मालूम होता है जो मंत्री बनाये हैं वो तो नाम के हैं, असली मंत्री तो परिवार में जिनको बनाया है सब कुछ उसी को। ये सुपर मिनिस्टर, मिनिस्टर के ऊपर सुपर मिनिस्टर वो परिवार का होता है, फिर जो विभाग होते हैं। खनन का काम भांजा देखेगा। हेल्थ का काम भतीजा देखेगा। विभागों को भी परिवार के सुपर मिनिस्टर को बांट दिया जाता है। और इसलिए नीचे सरकारी तंत्र को भी मालूम होता है। कोई काम-वाम करने की जरूरत नहीं, जनता का भला करने की जरूरत नहीं है। बस इस सुपर मिनिस्टर को संभालो। अपना CR ठीक रहेगा। अच्छा अच्छा पोस्टिंग मिलता रहेगा। और इसलिए सरकारी तंत्र भी बर्बाद हो जाता है।  

भाइयो और बहनो,

इस तरह चुपचाप परिवार में बैठे-बैठे लोग, सरकार में सुपर मिनिस्टर के नाते सारा कब्जा कर के बैठ जाते हैं। चोरी-छिपी से फाइलें भी तब तक क्लीयर नहीं होती है, जब तक की सुपर मिनिस्टर ने हां ना कहा हो। यानि मंत्री कोई भी हो, लेकिन परिवार का सदस्य ही उस मंत्रालय को चलाता है। उसी के काम से बात आगे बनती है। भाइयो-बहनो, क्या ये लोकतंत्र के लिए, संविधान के लिए सामान्य मानवी के आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ये रास्ता उचित है क्या ? भाइयो-बहनो,  और इन सब परिस्थिति में वहां के अधिकारियों को परिवार का सदस्य ही कंट्रोल करता है। ट्रांसफर, पोस्टिंग भी वो सुपर मिनिस्टर कहेगा तभी होगी। जो संविधान के मर्यादाओं के बाहर बैठा हुआ है। भाइयो-बहनो, वही सुप्रीम होता है, परिवार की इच्छा आदेश वही सुप्रीम। इसलिए परिवारवादी पार्टियां डगर-डगर पर संविधान का अपमान करती हैं, संविधान को नकार देती हैं।

साथियो, 

परिवारवादी पार्टियां अगर सबसे ज्यादा नुकसान करती हैं तो वो है हमारी युवा प्रतिभा का, युवा टैलेंट का। जबकि आप देखेंगे, भाजपा में आज कोई अध्यक्ष है, कल कोई और अध्यक्ष बन जाता है। आज कोई एक भूमिका निभा रहा है कल कोई और वही भूमिका निभा सकता है। भाजपा, पिता एंड सन्स की प्राइवेट पार्टी नहीं है, और ना ही कभी हो सकती है। भाजपा में कौन किस परिवार का है इसका कोई महत्व नहीं है। हमारे यहां कार्यकर्ता का परिवार नहीं उसकी कर्मठता, उसका समर्पण, जनता के लिए सेवा करने का भाव, उसी को हम ध्यान में रखकर के हम पार्टी का विस्तार और विकास करते हैं।  और आप जनसंघ के जमाने से इसे देख सकते हैं।  हमारे यहां हमने इसी लोकतांत्रिक परंपरा को आज भी हम जीते हैं और आगे भी जीने का वादा करते हैं। 

भाइयो और बहनो,

भारतीय जनता पार्टी को जन्म हुए करीब चार दशक हो गए हैं। इन चार दशक में आप देखिए हमारे यहां पार्टी अध्यक्ष, सभी पार्टी अध्यक्ष अलग-अलग बने हैं, अलग-अलग इलाके के बने हैं। कोई  किसी परिवार के प्रभाव में हमारा अध्यक्ष नहीं बना है। जबकि पिछले चार-पांच दशकों में हमने कांग्रेस पार्टी में करीब-करीब एक ही परिवार का अध्यक्ष देखा है। साथियो, आजादी की लड़ाई के समय में कांग्रेस में कम-अधिक मात्रा में लोकतंत्र बचे हुए थे। जब बड़े-बड़े स्टॉलवर्ड लीडर हुआ करते थे, तब वहां अध्यक्ष बदले जाते थे, वहां लोकतंत्र बचा हुआ था, लेकिन कांग्रेस में आजादी के बाद जो दिक्कत आना शुरू हुई, जब एक ही परिवार ने पार्टी पर कब्जा शुरू कर दिया। कांग्रेस की देखा-देखी पूरे देश में बहुत सारी पार्टियां, ये कांग्रेस को देखकर के सीख गईं और पूरे लोकतंत्र को दीमक की तरह बहुत बड़ा नुकसान कर दिया। यहां यूपी में भी घोर परिवारवादियों ने कांग्रेस कल्चर को ही खुद में पूरा का पूरा उतार लिया है, उसी रंग में रंग गए हैं।  बीते कई दशकों से कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी, एक ही परिवार की बंधक बनी हुई है। 

साथियो,

परिवारवादी पार्टियों का एक बहुत बड़ा नुकसान ये भी है कि जब परिवार के लोग कोई गलती करते हैं, बुरा काम करते हैं, भ्रष्टाचार करते हैं तो परिवार की इको सिस्टम ही उनको बचाने में काम में लग जाती है। उनको कोई सुधारने के लिए भी काम नहीं करता है। उनको संभालने का काम होता है। आखिर जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है वो भी परिवार के सदस्य होते हैं। इसलिए कोई कुछ नहीं कर सकता है और कार्रवाई करनी है तो पारिवारिक रिश्ते, फैसलों के आड़े आ जाते हैं। भ्रष्टाचार अगर परिवार का सदस्य कर रहा हो तो उससे चुपचाप स्वीकार कर लिया जाता है। उसके बाद यही भ्रष्टाचार उस पार्टी का, उस सरकार का, रोजमर्रा का व्यवहार बन जाता है। इससे भी देश का बहुत नुकसान होता है। इसी ने उत्तर प्रदेश का भी दशकों तक बहुत नुकसान किया है। इसलिए यूपी के लोगों को वोटबैंक की पॉलिटिक्स करने वालों से, परिवारवाद की राजनीति करने वालों से बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। और मेरे नौजवान आपको ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। और अमेठी के लोग तो जानते हैं कि ये लोग किसी के नहीं होते हैं। आपने जिन्हें बरसों तक सर-आंखों पर बिठाया, सम्मान दिया, और जैसे ही आपने उनको भगाया, तो उन्होंने केरल में जाकर आपकी ही बुद्धि को कोसने की शुरुआत कर दी, आपकी समझ पर ही सवाल उठाने लगे।

भाइयो और बहनो,

विरोध और अवरोध जिनकी राजनीति है, वो ये करते ही रहेंगे, हम विकास की नीति, उस पर तेज़ गति से चलते रहेंगे। बीते 5 साल में अमेठी में ही पीएम आवास योजना के 60 हजार से ज्यादा घर बनाकर गरीबों को दिए गए हैं। बीते 5 साल में अमेठी में करीब-करीब 2 लाख शौचालय, जिसे हमारे उत्तर प्रदेश की बेटियों ने इज्जत घर नाम दिया है, दो लाख शौचालय बनवाए हैं। ये हमारी ही सरकार है जिसने अमेठी में मेडिकल कॉलेज का निर्माण शुरू करवाया है। ये हमारी ही सरकार है जिसने पुलिस लाइन स्वीकृत की है, गौरीगंज और जगदीशपुर में पुलिस फायर स्टेशन स्वीकृत किया है। घोर परिवारवादियों ने यहां की रायफल फैक्ट्री का क्या हाल बना रखा था, ये भी अमेठी के लोग जानते हैं। हमारी सरकार ने ये सुनिश्चित किया है कि अमेठी की फैक्ट्री में बनी एके-203 आधुनिक रायफल, देश की सुरक्षा बढ़ाएगी, पूरे अमेठी का नाम रोशन करेगी। ये काम पहले भी हो सकते थे। लेकिन परिवारवादियों के अपने स्वार्थ से फुरसत मिलेगी तभी तो आप लोगों के बारे में सोचेंगे।

साथियो,

योगी जी सरकार ने अमेठी और सुल्तानपुर को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से भी जोड़ा है। आपका लखनऊ और दिल्ली का सफर भी आसान हो गया है। यहां के किसानों और पशुपालकों का दूध, फल-सब्ज़ी, तेज़ी से बड़े बाज़ारों तक पहुंचने का रास्ता बना है। अब हम इसके इर्दगिर्द बहुत बड़ा औद्योगिक गलियारा भी बनाने वाले हैं। इससे रोज़गार-स्वरोज़गार के अनेकों अवसर यहां खुलने वाले हैं।

साथियो, 

ये जितनी भी योजनाओं-परियोजनाओं पर डबल इंजन की सरकार काम कर रही है, वो तभी पूरी हो सकती हैं, जब यहां कानून का राज होगा। उत्तर प्रदेश का कोई भी मतदाता यहां ऐसी सरकार नहीं चाहता, जो यूपी के संकल्पों के सामने रोड़ा बनकर के खड़ी हो जाए। और आप ध्यान रखिए, आज हमारी योजनाओं से गरीबों को जो लाभ मिल रहा है, ये घोर परिवारवादी, उन योजनाओं को, या तो अपने चहेतों की बंदरबांट करेंगे या तो उसको ताले लगा देंगे। केंद्र की योजनाएं यूपी में लागू ना हों, क्या ऐसे दिन आप उत्तर प्रदेश में चाहते हैं। डबल इंजन सरकार का डबल बेनिफिट मिलते ही रहना चाहिए, ये हमारा संकल्प है। इसलिए आपको भारी संख्या में भाजपा के पक्ष में वोट डालना है, अपना दल हमारा साथी दल है, निषाद पार्टी हमारा साथी दल है, उनके उम्मीदवारों को भी जिताना है। आप सब इतनी बड़ी तादाद में हमें आशीर्वाद देने आए, मैं देख रहा हूं कि दूर-दूर तक लोग खड़े हैं। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। मेरे साथ बोलिए..

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Cabinet approves three new corridors as part of Delhi Metro’s Phase V (A) Project
December 24, 2025

The Union Cabinet chaired by the Prime Minister, Shri Narendra Modi has approved three new corridors - 1. R.K Ashram Marg to Indraprastha (9.913 Kms), 2. Aerocity to IGD Airport T-1 (2.263 kms) 3. Tughlakabad to Kalindi Kunj (3.9 kms) as part of Delhi Metro’s Phase – V(A) project consisting of 16.076 kms which will further enhance connectivity within the national capital. Total project cost of Delhi Metro’s Phase – V(A) project is Rs.12014.91 crore, which will be sourced from Government of India, Government of Delhi, and international funding agencies.

The Central Vista corridor will provide connectivity to all the Kartavya Bhawans thereby providing door step connectivity to the office goers and visitors in this area. With this connectivity around 60,000 office goers and 2 lakh visitors will get benefitted on daily basis. These corridors will further reduce pollution and usage of fossil fuels enhancing ease of living.

Details:

The RK Ashram Marg – Indraprastha section will be an extension of the Botanical Garden-R.K. Ashram Marg corridor. It will provide Metro connectivity to the Central Vista area, which is currently under redevelopment. The Aerocity – IGD Airport Terminal 1 and Tughlakabad – Kalindi Kunj sections will be an extension of the Aerocity-Tughlakabad corridor and will boost connectivity of the airport with the southern parts of the national capital in areas such as Tughlakabad, Saket, Kalindi Kunj etc. These extensions will comprise of 13 stations. Out of these 10 stations will be underground and 03 stations will be elevated.

After completion, the corridor-1 namely R.K Ashram Marg to Indraprastha (9.913 Kms), will improve the connectivity of West, North and old Delhi with Central Delhi and the other two corridors namely Aerocity to IGD Airport T-1 (2.263 kms) and Tughlakabad to Kalindi Kunj (3.9 kms) corridors will connect south Delhi with the domestic Airport Terminal-1 via Saket, Chattarpur etc which will tremendously boost connectivity within National Capital.

These metro extensions of the Phase – V (A) project will expand the reach of Delhi Metro network in Central Delhi and Domestic Airport thereby further boosting the economy. These extensions of the Magenta Line and Golden Line will reduce congestion on the roads; thus, will help in reducing the pollution caused by motor vehicles.

The stations, which shall come up on the RK Ashram Marg - Indraprastha section are: R.K Ashram Marg, Shivaji Stadium, Central Secretariat, Kartavya Bhawan, India Gate, War Memorial - High Court, Baroda House, Bharat Mandapam, and Indraprastha.

The stations on the Tughlakabad – Kalindi Kunj section will be Sarita Vihar Depot, Madanpur Khadar, and Kalindi Kunj, while the Aerocity station will be connected further with the IGD T-1 station.

Construction of Phase-IV consisting of 111 km and 83 stations are underway, and as of today, about 80.43% of civil construction of Phase-IV (3 Priority) corridors has been completed. The Phase-IV (3 Priority) corridors are likely to be completed in stages by December 2026.

Today, the Delhi Metro caters to an average of 65 lakh passenger journeys per day. The maximum passenger journey recorded so far is 81.87 lakh on August 08, 2025. Delhi Metro has become the lifeline of the city by setting the epitome of excellence in the core parameters of MRTS, i.e. punctuality, reliability, and safety.

A total of 12 metro lines of about 395 km with 289 stations are being operated by DMRC in Delhi and NCR at present. Today, Delhi Metro has the largest Metro network in India and is also one of the largest Metros in the world.