QuoteFor decades, one party devoted all their energies to serving one family- PM Modi attacks Congress
QuoteIndia did not get democracy due to Pandit Nehru alone, as Congress wants us to believe: PM Modi
QuoteThe NDA Government has changed the work culture in the nation. Projects are now executed in a timely manner: PM Modi
QuoteOur Government is giving wings to the aspirations of India's youth and middle class: PM Modi
QuoteGovernment's efforts to eliminate corruption & black money are hurting a select group of people, says PM Modi
QuoteThe workings of previous government and nobody else are 100% responsible for the NPA mess: PM

आदरणीय अध्‍यक्ष महोदया जी, माननीय राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण पर उन्‍हें आभार व्‍यक्‍त करने के लिए मैं सदन में आपके बीच आभार प्रस्‍ताव का समर्थन करते हुए कुछ बातें जरूर कहना चाहूंगा। कल सदन में राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण के धन्‍यवाद प्रस्‍ताव पर कई मान्‍य  सदस्‍यों ने अपने विचार वयक्‍त किए। श्रीमान मल्लिका अुर्जन जी, श्रीमान मोहम्‍मद सलीम जी, श्रीमान विनोद कुमार जी, श्रीमान नरसिम्‍हन धोटा जी, श्री तारिक अनवर जी, श्री प्रेम सिंह जी, श्री अनवर रजा जी, जयप्रकाश नारायण यादव जी, कल्‍याण बैनर्जी, श्री पी. वेणु गोपाल, आनंदराव अडसुल जी, आर. के. भारती मोहन जी, करीब 34 मान्‍य सदस्‍यों ने अपने विचार व्‍यक्‍त किए। विस्‍तार से चर्चा हुई। किसी ने पक्ष में कहा, किसी ने विपक्ष में कहा। लेकिन यह सार्थक चर्चा इस सदन में हुई और राष्‍ट्रपति जी का भाषण किसी दल का नहीं होता है। देश की आशा-आकांक्षाओं की अभिव्‍यक्ति का और उस दिशा में हो रहे कार्य का एक आलेख होता है। और उस दृष्टि से राष्‍ट्रपति जी के भाषण का सम्‍मान होना चाहिए। सिर्फ विरोध के खातिर विरोध करना कितना उचित है।

सभापति महोदया जी, हमारे देश में राज्‍यों की रचना आदरणीय अटल बिहार वाजपेयी जी ने भी की थी। तीन नये राज्‍यों का निर्माण हुआ था और उन तीन राज्‍यों के निर्माण में चाहे उत्‍तर प्रदेश में से उत्‍तराखंड बना हो, मध्‍य प्रदेश में से छत्‍तीसगढ़ बना हो, बिहार में से झारखंड बना हो, लेकिन उस सरकार की दीर्घ दृष्टि थी कि कोई भी समस्‍या के बिना तीनों राज्‍य अलग होते ही अगर जो भी बंटवारा करना था तो बंटवारा, अफसरों के तबादले करने थे तो अफसरों के तबादले सारी चीजें smoothly हुई। नेतृत्‍व अगर दीर्घ द्रष्‍टया हो, राजनीतिक स्‍वार्थ की हड़बड़ाहट में निर्णय नहीं होते हो, तो कितने स्‍वस्‍थ निर्णय होते हैं। इसका उदाहरण अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जो तीन राज्‍यों का निर्माण किया था, आज देश अनुभव कर रहा है। आपके चरित्र में हैं जब भारत का विभाजन किया आपने, देश के टुकड़े किए और जो जहर बोया। आज आजादी के 70 साल के बाद एक दिन ऐसा नहीं जाता है कि आपके उस पाप की सजा सवा सौ करोड़ हिंदुस्‍तानी न भुगत रहे हो।

आपने देश के टुकड़े किए वो भी उस तरीके से किए। आपने चुनाव को ध्‍यान में रखते हुए हड़बड़ी में संसद के दरवाजे बंद करके सदन ऑर्डर में नहीं था, तब भी आंध्र के लोगों की भावनाओं का आदर किए बिना तेलंगाना बनाने के पक्ष में हम भी थे। तेलंगाना आगे बढ़े उसके पक्ष में आज भी हम है। लेकिन आंध्र के साथ उस दिन आपने जो बीज बोये, आपने जो चुनाव के लिए हड़बड़ी में किया। यह उसी का नतीजा है कि आज चार साल के बाद भी समस्‍याएं सुलगती रहती हैं और इसलिए आपको यह प्रकार की चीजें शोभा नहीं देती।

सभापति महोदया जी, कल मैं कांग्रेस पार्टी के नेता श्रीमान खड़गे जी का भाषण सुन रहा था। मैं यह समझ नहीं पा रहा था कि वे ट्रेजरी बेंच को संबोधित कर रहे थे, कर्नाटक के लोगों को संबोधित कर रहे थे कि अपने ही दल के नीति निर्धारकों को खुश करने का प्रयास कर रहे थे। और जब उन्‍होंने कल बशीर बद्र की शायरी से शुरू किया। खड़गे जी ने बशीर बद्र जी की शायरी सुनाई। और मैं आशा करता हूं कि उन्‍होंने जो शायरी सुनाई है, वो कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री महोदय ने जरूरी सुनी होगी। कल उस शायरी में उन्‍होंने कहा कि –

‘दुश्‍मनी जमकर करो, लेकिन यह गुंजाइश रहे

जब कभी हम दोस्‍त हो जाएं, तो शर्मिंदा न हो’ 

मैं जरूरत मानता हूं कि कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री जी ने आपकी यह गुहार सुन ली होगी, लेकिन श्रीमान खड़गे जी जिस बशीर बद्र की शायरी का आपने जिक्र किया, अच्‍छा होता उस शायरी में जो शब्‍द आप बोल रहे हैं उसके बिल्‍कुल पहले वाली लाइन उसको भी अगर याद कर लेते तो शायद इस देश को यह पता जरूर चलता कि आप कहां खड़े हैं। उसी शायरी में बशीर बद्र जी ने आगे कहा है –

‘जी चाहता है सच बोले, जी बहुत चाहता है सच बोले,

क्‍या करे हौसला नहीं होता।’ 

मैं नहीं जानता हूं कि कर्नाटक के चुनाव के बाद खड़गे जी उस सही जगहें पर होंगे कि नहीं होंगे और इसलिए एक प्रकार से यह farewell speech भी उनकी हो सकती है। और इसलिए आमतौर पर सदन में जब पहली बार कोई सदस्‍य बोलते हैं तो हर कोई सम्‍मान से  और उसी प्रकार से जो farewell की speech होती है, वो भी करीब-करीब सम्‍मान से देखी जाती है। अच्‍छा होता कल कुछ माननीय सदस्‍यों ने संयम बरता होता और आदरणीय खड़गे जी की बात को उसी सम्‍मान के साथ सुना होता, तो अच्‍छा होता। लोकतंत्र के लिए बहुत आवश्‍यक है। विरोध करने का हक है, लेकिन सदन को मान में लेने का हक नहीं है।

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कल अध्‍यक्ष महोदया, मैं देख रहा हूं कि जब भी हमारे विपक्ष में कुछ लोग हमारी किसी बात की आलोचना करने जाते हैं, तो तथ्‍य तो कम होते हैं। लेकिन हमारे जमाने में ऐसा था, हमारे जमाने में ऐसा किया था, हम यह करते थे ज्‍यादातर उसी कैसेट को बजाया जाता है। लेकिन यह न भूलें कि भारत आजाद हुआ, उसके बाद भी जो देश आजाद हुए वो हमसे भी तेज गति से काफी आगे बढ़ चुके हैं। हम नहीं बढ़ पाए मानना पड़ेंगा और आपने मां भारती के टुकड़े कर दिए उसके बावजूद भी यह देश आपके साथ रहा था। आप उस जमाने में देश पर राज कर रहे थे। प्रारंभिक तीन-चार दशक विपक्ष का एकमात्र से नाममात्र का विपक्ष था। वो समय था, जब मीडिया का व्‍याप भी बहुत कम था और जो था वो भी ज्‍यादातर देश का भला होगा इस आशा से शासन के साथ चलता था। रेडियो पूरी तरह आप ही के गीत गाता था और कोई स्‍वर वहां सुनाई नहीं देता था। और बाद में जब टीवी आया तो वो टीवी भी आप ही को पूरी तरह समर्पित था। उस समय न्‍यायपालिका में भी judiciary की top position पर भी नियुक्तियां कांग्रेस पार्टी करती थी। पार्टी के द्वारा तय होता था यानि इतनी luxury आपको। उस समय कोर्ट में न कोई पीआईएल होता था न कोई NGO की ऐसी भरमार होती थी। आप जिन विचारों से पले-बढ़े हो, वैसा ही माहौल उस समय देश में उपको उपलब्‍ध था।  विरोध का नामो-निशान नहीं था। पंचायत से पार्लियामेंट तक आप ही का झंडा फहर रहा था, लेकिन आपने पूरा समय एक परिवार के गीतगाने में खपा दिया। देश के इतिहास को भुला करके एक ही परिवार को देश याद रखें, सारी शक्ति उसी में लगाई। उस समय देश का जज्‍बा आजादी के बाद के दिन थे। देश को आगे ले जाने का जज्‍बा था, आपने कुछ जिम्‍मेदारी के साथ काम किया होता, तो एक देश की जनता में सामर्थ्‍य था देश को कहां से कहां तक पहुंचा देते। लेकिन आप अपनी ही धुन बजाते रहे। और यह मानना पड़ेगा कि आपने सही दिशा रखी होती, सही नीतियां बनाई होती, अगर नियत साफ होती, तो यह देश आज जहां है, उससे कई गुना आगे और अच्‍छा होता। इसको इंकार नहीं कर सकते। यह दुर्भाग्‍य रहा है देश का कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं को यही लगता है कि भारत नाम के देश का जन्‍म 15 अगस्‍त, 1947 को हुआ। जैसे इसके पहले देश था ही नहीं। और कल मैं हैरान था, इसको मैं अहंकार कहूं, या नसमझी कहूं, या वर्षा ऋतु के समय अपनी कुर्सी बचाने का प्रयास कहूं। जब यह कहा गया कि देश को नेहरू ने लोकतंत्र  दिया, देश को कांग्रेस ने लोकतंत्र दिया। अरे खड़गे साहब, कुछ तो कम करो। जरा मैं पूछना चाहता हूं आप लोकतंत्र की बा करते हैं। आपको पता होगा यह हमारा देश, जब आप जो लोकतंत्र की बात  करते हैं, हमारा देश जब लिच्‍छवी साम्राज्‍य था, जब बुध परंपराएं थी, तब भी हमारे देश में लोकतंत्र की गूंज थी। यह कांग्रेस और नेहरू जी ने लोकतंत्र नहीं दिया।

बौद्ध संघ एक ऐसी व्‍यवस्‍था थी जो चर्चा, विचार विमर्श और वोटिंग के आधार पर निर्णय करने की प्रक्रिया चलाता था और श्रीमान खड़गे जी, आप तो कर्नाटक से आते हो कम से कम एक परिवार की भक्ति करके कर्नाटक के चुनाव के बाद शायद आपके यहां बैठने की जगह बची रहे, लेकिन कम से कम जगत गुरू बश्‍वेश्‍वर जी का तो अपमान मत करो। आपको पता होना चाहिए, आप कर्नाटक से आते हो कि जगत गुरू बश्‍वेश्‍वर थे, जिन्‍होंने उस जमाने में अुनभव मंडपम नाम की व्‍यवस्‍था की, 12वीं शताब्‍दी में, और गांव के सारे निर्णय लोकतांत्रिक तरीके से होता था। और इतना ही नहीं women empowerment का काम हुआ था उस सदन के, उस सभा के अंदर महिलाओं का होना अनिवार्य हुआ करता था। यह जगत गुरू बश्‍वेश्‍वर जी के कालखंड में लोकतंत्र को प्रस्‍तावित करने का काम 12वीं शताब्‍दी में इस देश हुआ था। लोकतंत्र हमारी रगों में हैं, हमारी परंपरा में है। और बिहार के अंदर इतिहास गवाह है लिच्‍छवी साम्राज्‍य के समय इस प्रकार से हमारे यहां, अगर हम प्राचीन इतिहास की तरह गौर करे, तो हमारे यहां गणराज्‍य की व्‍यवस्‍थाएं हुआ करती थी, ढ़ाई हजार साल पहले,  यह भी लोकतंत्र की परंपरा थी। सहमति और असहमति को हमारे यहां मान्‍यता थी। आप लोकतंत्र की बात करते हो, श्रीमान मनमोहन जी की सरकार में मंत्री रहे हुए और आप ही के पार्टी के नेता उन्‍होंने अभी-अभी जब आपकी पार्टी के भीतर चुनाव चल रहा था, तो उन्‍होंने मीडिया को क्‍या कहा था। उन्‍होंने कहा था जहांगीर की जगह पर शाहजहां आए, शाहजहां की जगह औरंगजैब आए। क्‍या वहां चुनाव हुआ था क्‍या? तो हमारे यहां भी आ गए। आप लोकतंत्र की बात करते हो। आप लोकतंत्र की चर्चा करते हो। मैं जरा पूछना चाहता हूं, वो कौन सा लोकतंत्र की चर्चा करते हैं, जब आपके पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमान राजीव गांधी हैदराबाद के एयरपोर्ट पर उतरते हैं। वहां पर आप ही के पार्टी के चुने हुए मुख्‍यमंत्री, schedule caste के मुख्‍यमंत्री एयरपोर्ट पर receive करने आए थे और लोकतंत्र में विश्‍वास की बातें करने वाले लोग जिस नेहरू जी के नाम पर आप लोकतंत्र की सारी परंपरा समर्पित कर रहे हो। श्रीमान राजीव गांधी ने हैदराबाद एयरपोर्ट पर उतर करके एक दलित मुख्‍यमंत्री उनको खुलेआम अप‍मानित किया था। एक चुने हुए जनप्रतिनिधि मुख्‍यमंत्री टी अंजैया का अपमान किया आप लोकतंत्र की बातें करते हो, अरे आप लोकतंत्र की चर्चा करते हो तब सवाल यह उठता है और यह तेलगूदेशम पार्टी यह एंटी रामाराव उस अपमान की आग में से पैदा हुए थे। टी अंजैया का अपमान हुआ उनका सम्‍मान करने के लिए रामाराव को अपना फिल्‍म क्षेत्र छोड़ करके आंध्र की जनता की सेवा के लिए मैदान में आना पड़ा।

आप लोकतंत्र की बात समझा रहे हो। इस देश में 90 बार, 90 से अधिक बार धारा-356 का दुरूपयोग करते हुए राज्‍य सरकारों को उन राज्‍यों में उभरती हुई पार्टियों को आपने उखाड़  के फैंक दिया। आपने पंजाब में अकाली दल के साथ क्‍या किया? आपने तमिलनाडु में क्‍या किया? आपने केरल में क्‍या किया? इस देश के लोकतंत्र को आपने पनपने नहीं दिया। आप अपने परिवार के लोकतंत्र को लोकतंत्र मानते हो। और देश को आप गुमराह कर रहे हो। इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी का लोकतंत्र, जब आत्‍मा की आवाज़ उठती है, तो उनका लोकतंत्र दबोच जाता है। आप जानते हैं कांग्रेस पार्टी ने राष्‍ट्रपति के उम्‍मीदवार के रूप में नीलम संजीव रेड्डी को पंसद किया था। और रातो-रात उनका पीठ पर छुरा भौंक दिया गया। अतिकृत उम्‍मीदवार का पराजित कर दिया गया। और यह भी तो देखिए इतफाक से वे भी आंध्र से आते थे। टी अंजैया के साथ किया आपने संजीव रेड्डी के साथ किया। आप लोकतंत्र की बात बताते हो? इतना ही नहीं अभी का डॉक्‍टर मनमोहन सिंह जी इस देश के प्रधानमंत्री कैबिनेट का निर्णय किया लोकतंत्र की महत्‍वपूर्ण संस्‍था संविधान के द्वारा बनी हुई संस्‍था आप ही की पार्टी की सरकार और आपकी पार्टी के एक पदाधिकारी पत्रकार वार्ता बुला करके कैबिनेट के निर्णय को प्रेस के सामने टुकड़े कर दे। आपके मुंह में लोकतंत्र शोभा नहीं देता है। और इसलिए कृपा करके आप हमें लोकतंत्र के पाठ मत पढ़ाइये।

मैं जरा एक और इतिहास की एक बात आज बता रहा हूं। क्‍या सत्‍य नहीं है देश में कांग्रेस में नेतृत्‍व करने के लिए चुनाव हुआ । 15 कांग्रेस कमेटियां, उसमें से 12 कांग्रेस कमेटियों ने सरदार वल्‍लभ भाई पटेल को चुना था। तीन लोगों ने नोटा किया था। किसी को भी वोट नहीं देने का निर्णय किया था। उसके बावजूद नेतृत्‍व सरदार वल्‍लभ भाई पटेल को नहीं दिया गया। वो कौन सा लोकतंत्र था? पंडित नेहरू को बिठा दिया गया। अगर देश के पहले प्रधानमंत्री सरदार वल्‍लभ भाई पटेल होते, तो मेरा कश्‍मीर का यह हिस्‍सा आज पाकिस्‍तान के पास न होता।

अभी दिसंबर में क्‍या कांग्रेस पार्टी के अध्‍यक्ष का चुनाव था या ताजपोशी थी। आप ही के पार्टी के नौजवान ने आवाज़ उठाई, वो अपना उम्‍मीदवारी पत्र भरना चाहता था। आपने उसको भी रोक दिया। आप लोकतंत्र की बातें करते हो। मैं जानता हूं यह आवाज़ दबाने के लिए इतनी कोशिश नाकाम रहने वाली है। सुनने की हिम्‍मत चाहिए, और इसलिए अध्‍यक्ष महोदया, हमारी सरकार की विशेषता है ऐसे एक वर्क कल्‍चर को लाए, जिस वर्क कल्‍चर में सिर्फ घोषणाएं करके अखबार की सुर्खियों में छा जाना, सिर्फ योजनाएं घोषित करके जनता के आंख में धूल झोंक देना, यह हमारा कल्‍चर नहीं है।  हम उन चीजों को हाथ लगाते हैं जिसको पूरा करने का प्रयास हो। और जो अच्‍छी चीजें हैं वो किसी भी सरकार की, किसी की भी क्‍यों न हो अगर वो अटकी है, देश का नुकसान हो रहा है, तो उसको ठीक-ठाक करके पूरा करने का प्रयास करते हैं, क्‍योंकि लोकतंत्र में सरकारें आती-जाती हैं, देश बना रहता है और उस सिद्धांत को हम मानने वाले व्‍यक्ति हैं। क्‍या यह सत्‍य नहीं हैं। यही मुलाजिम, यही फाइलें, यही कार्यशैली और क्‍या कारण था कि पिछली सरकार में हर रोज 11 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनते थे। आज एक दिन में 22 किलोमीटर नेशनल हाईवे बने हैं। रोड आप भी बनाते हैं, रोड हम भी बनाते हैं। पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में 80 हजार किलोमीटर सड़कें बनी। हमारी सरकार के तीन साल में एक लाख 20 हजार किलोमीटर सड़के बनी। पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में लगभग 1100 किलोमीटर नई रेल लाइन का निर्माण हुआ। सरकार के इन तीन वर्षों में 2100 किलोमीटर हुआ। पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में ढाई हजार किलोमीटर रेल लाइन का बिजलीकरण हुआ। इस सरकार के तीन सालों में चार हजार तीन सौ किलोमीटर से ज्‍यादा काम हुआ। 2011 के बाद पिछली सरकार 2014 तक आप फिर कहेंगे, यह तो योजना हमारी थी, यह तो कल्‍पना हमारी थी, इसकी क्रेडिट तो हमारी है, यह गीत गाएंगे, सच्‍चाई क्‍या है? ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क, आपके कार्य करने के तरीके क्‍या थे? जब तक रिश्‍तेदारों का मेल न बैठे या अपनों का मेल न बैठे, गाड़ी आगे चलती नहीं थी। 2011 के बाद से 2014 तक आपने सिर्फ 59 पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाया। 2011 से 2014 तीन साल। हमने आने के बाद इतने कम समय में एक लाख से अधिक पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क पहुंचा दिया। कहां तीन साल में 60 से भी कम गांव और कहां तीन में एक लाख से भी ज्‍यादा गांव, कोई हिसाब ही नहीं है जी। और इसलिए पिछली सरकार शहरी आवास योजना 939 शहरों में लागू किए थे। आज प्रधानमंत्री आवास योजना urban 4320 शहरों में लागू की थी। आप एक हजार से भी कम हम 4000 से भी ज्‍यादा। पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में कुल 12 हजार मेगावाट की renewable energy की नई क्षमता जोड़ी गई। इस सरकार के तीन सालों में 22 हजार मेगावाट से भी ज्‍यादा जोड़ी गई। Shipping Industry कार्गो हेंडलिंग में आपके समय negative growth था। इस सरकार ने तीन साल में 11 प्रतिशत से ज्‍यादा growth  करके दिखाया है। अगर आप जमीन से जुड़े होते, तो शायद आपकी हालात न होती। मुझे अच्‍छा लगा हमारे खड़गे जी ने, दो चीजें एक तो रेलवे और दूसरा कर्नाटक और खड़गे जी का एकदम सीना फूल जाता है। आपने बीदर कलबुर्गी रेल लाइन का जिक्र किया। जरा देश को इस सच्‍चाई का पता होना चाहिए। यह बात कांग्रेस के मुंह से कभी किसी ने सुनी नहीं होगी, कभी नहीं बोले होंगे। उद्घाटन समारोह में भी नहीं बोले होंगे, शिलान्‍यास में भी नहीं बोले होंगे। सत्‍य स्‍वीकार करिये कि यह बीदर कलबुर्गी 110 किलोमीटर की नई रेल लाइन का प्रोजेक्‍ट अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंजूर हुआ था। और 2013 तक आपकी सरकार रही, आप स्‍वयं रेल मंत्री रहे यह आप ही के parliamentary Constituency का इलाका है और उसके बावजूद भी इतने सालों में, अटल जी की सरकार के बाद कितने साल हुए अंदाज लगाइये सिर्फ 37 किलोमीटर का काम हुआ, 37 किलोमीटर। और वो काम भी तब हुआ जब येदियुरप्‍पा जी मुख्‍यमंत्री थे और उन्‍होंने initiative लिया। उन्‍होंने भारत सरकार ने जो मांगा देने के लिए सहमति दे दी। तब जाकर आपकी सरकार ने अटल जी के सपने को आगे बढ़ाने का काम चालू किया। और वो भी जब चुनाव आया तो आपको लगा कि यह रेल चल पड़े तो अच्‍छा होगा। 110 किलोमीटर होनी थी साढ़े तीस किलोमीटर के टुकड़े पर जा करके झंडी फहरा करके आ गए। और हमने आ करके इतने कम समय में 72 किलोमीटर का जो बाकी काम था पूरा किया। और यह हमने नहीं सोचा कि विपक्ष के नेता की  parliamentary Constituency है इसको अभी गड्ढे में डालो देखा जाएगा। ऐसा पाप हम नहीं करते। आपका इलाका था, लेकिन काम देश का था। हमने देश का काम मान करके उसको पूरा किया। और उस पूरी योजना का लोकार्पण मैंने किया तो भी आपको दर्द हो रहा है। इस दर्द की दवा शायद देश की जनता ने बहुत पहले कर दी है।

अध्‍यक्ष महोदया, दूसरी एक चर्चा कर रहे हैं बाड़मेर की रिफाइनरी की। चुनाव प्राप्‍त करने के लिए, चुनाव के पहले पत्‍थर पर नाम जड़ जाएगा तो गाड़ी चल जाएगी। आपने बाड़मेर रिफाइनरी पर जाकर पत्‍थर जड़ लिए, नाम लिखवा दिया, लेकिन जब हम आ करके कागजात देखे तो जो वो शिलान्‍यास हुआ था रिफाइनरी का वो सारा का सारा कागज़ पर था जमीन पर न मंजूरी थी, न जमीन थी, न भारत सरकार के साथ कोई Final Agreement था। और चुनाव को ध्‍यान में रखते हुए आपने वहां भी पत्‍थर जड़ दिया। आपकी गलतियों को ठीक करते उस योजना को सही स्‍वरूप देने में भारत सरकार को, राजस्‍थान सरकार को इतनी माथापच्‍ची करनी पड़ी, तब बड़ी मुश्किल से उसको नि‍काल पाए और आज उस काम को प्रारंभ कर दिया है।

असम में एक धोला सादिया ब्रिज, यह धोला सादिया ब्रिज जब हमने उद्घाटन किया तो जरा कुछ लोगों को तकलीफ हो गई और कह दिया यह तो हमारा था बड़ा आसान है। यह कभी नहीं बोले हैं जब उस ब्रिज का काम आगे बढ़ रहा था, कभी सदन में सवाल उठे हैं, कभी यह कहने की ईमानदारी नहीं दिखाई कि यह काम भी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में निर्णित हुआ था और वो भी हमारे बीजेपी के एक विधायक उन्‍होंने विस्‍तार से अध्‍ययन करके मांग की थी और अटल जी ने उस मांग को माना था और उसमें से यह बना था। और 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद नॉर्थ ईस्‍ट उत्‍तर पर्व के इलाकों को हमने प्राथमिकता दी और उसको तेज गति से आगे बढ़ाने का काम हमने किया और तब जा करके वो ब्रिज बना। इतना ही नहीं मैं गर्व से कह सकता हूं यह सरकार है जो देश में आज सबसे लंबी सुरंग, सबसे लंबी गैस पाइप लाइन, सबसे लंबा समुद्र के अंदर ब्रिज, सबसे तेज ट्रेन यह सारे निर्णय यही सरकार कर सकती है और समय सीमा में आगे बढ़ा रही है। इसी कालखंड में 104 सेटेलाइट छोड़ने का विक्रम भी इसी कालखंड में होता है।

इस बात का इन्‍कार नहीं किया जा सकता जो राष्‍ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में उल्‍लेखन किया और मैं कहना चाहूंगा लोकतंत्र कैसे होता है। शासन में रहे हुए हरेक का सम्‍मान कैसा होता है। लालकिले पर से भाषण निकाल दीजिए। आजादी के सभी कांग्रेस के नेताओं के लालकिले से भाषण निकाल दीजिए एक भाषण में किसी ने यह कहा हो कि देश में जो प्रगति हो रही है, उसमें सभी सरकारों का योगदान है। भूतपूर्व सरकारों का योगदान है, ऐसा एक वाक्‍य लालकिले पर से कांग्रेस के नेताओं ने बोला हो, तो जरा इतिहास खोल करके ले आइये। यह नरेंद्र मोदी लालकिले पर से कहता है कि देश आज जहां है पुरानी सभी सरकारों का भी योगदान है, राज्‍य सरकारों का भी योगदान है और देशवासियों का योगदान है। खुलेआम स्‍वीकार करने की हमारी हिम्‍मत है और यह हमारे चरित्र में हैं।

मैं आज बताना चाहता हूं गुजरात में जब मुख्‍यमंत्री था, तो उस मुख्‍यमंत्री के कालखंड में गुजरात की Golden Jubilee का Year था। हमने  Golden Jubilee Year मनाने में जो कार्यक्रम किए एक कार्यक्रम क्‍या किया, जितने भी राज्‍यपाल श्री के भाषण थे governor के, गवर्नर के भाषण क्‍या होते हैं, जैसे राष्‍ट्रपति का भाषण उस सरकार की गतिविधियों का उल्‍लेख करता है। गवर्नर का भाषण उस काल के राज्‍य सरकार के किए गए कामों का बयान करता है। सरकारें कांग्रेस की रही थी, गुजरात बनने के बाद। लेकिन हमने गुजरात बना तब से लेकर 50 साल तक की यात्रा में जितने भी गवर्नरों के भाषण थे, जिसमें सभी सरकारों के काम का ब्‍योरा था, उसका ग्रंथ प्रसिद्ध किया और उसको archives में रखने का काम किया। लोकतंत्र इसको कहते हैं। आप मेहरबानी करके, हर कुछ आप ही ने किया है, आपके यह परिवार ने किया है। इस मानसिकता के कारण आज वहां जाकर बैठने की नौबत आई है आपको। आपने देश को स्‍वीकार नहीं किया है और इसलिए आज यह कारण है कि दोगुनी रफ्तार से सड़के बन रही है। रेलवे लाइनें तेज गति से आगे बढ़ रही है, पोर्ट डेवलपमेंट हो रहे हैं, गैस पाइपलाइन बिछ रही है, बंद पड़े fertilizer plant उसको खोलने का काम चल रहा है, करोड़ों घरों में शौचालय बन रहे हैं और रोजगार के नये अवसर उपलब्‍ध हो रहे हैं।

मैं जरा कांग्रेस के मित्रों से पूछना चाहता हूं, रोजगारी और बेरोजगारी की आलोचना करने वाले उनसे मैं जरा पूछना चाहता हूं। आप जब बेरोजगारी का आंकड़ा देते हैं, तो आप भी जानते हैं, देश भी जानता है, मैं भी जानता है कि आप बेरोजगारी का आंकड़ा पूरे देश का देते हैं। अगर बेरोजगारी का आंकड़ा पूरे देश का है, तो रोजगारी का आंकड़ा भी पूरे देश का बनता है। अब आपको हमारी बात पर भरोसा नहीं होगा, मैं जरा कुछ कहना चाहता हूं और आप रिकॉर्ड के पास रहिए, पश्चिम बंगाल की सरकार, कर्नाटक की सरकार, ओडि़शा की सरकार और केरल की सरकार हम तो है नहीं वहां, न कोई एनडीए है। इन चार सरकारों ने स्‍वयं ने जो घोषित किया है, उस हिसाब से पिछले तीन-चार वर्ष में इन चार सरकारों का दावा है कि वहां करीब-करीब एक करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। क्‍या आप उनको भी इंकार करोगे क्‍या? क्‍या आप उस रोजगार को रोजगार नहीं मानोगे क्‍या? बेरोजगारी देश की और पूरे देश में रोजगारी का काम, और मैं इसमें देश के आर्थिक रूप से समृद्ध राज्‍यों की चर्चा नहीं कर रहा, भाजपा की सरकारों की चर्चा नहीं कर रहा हूं, एनडीए की सरकारों की चर्चा नहीं कर रहा हूं, मैं उन सरकारों की चर्चा कर रहा हूं जो सरकार में आपके लोग बैठे हैं और रोजगार के claim वो कर रहे हैं। या तो आप नकार कर दीजिए कि आपकी कर्नाटक सरकार रोजगार के जो आंकड़े बोल रही है, झूठे बोल रही है। बोलो।

और इसलिए देश को गुमराह करने की कोशिश मत कीजिए और ऐसे देश के सभी राज्‍यों के रोजगार भारत सरकार ने जो प्रयास किया है उसकी योजनाएं और आप जानते हैं एक साल में 70 लाख नये ईपीएफ में नाम रजिस्‍टर हुए हैं और यह 18 से 25 साल के नौजवान है बेटे-बेटियां हैं और इनका नाम जुड़ा है। क्‍या यह रोजगार नहीं है क्‍या? इतना ही नहीं जो कोई डॉक्‍टर बने, कोई इंजीनियर बने, कोई lawyer बने, कोई chartered accountant बने। इन्‍होंने अपने कारोबार प्रारंभ किए। अपनी कंपनियों में लोगों को काम दिया। खुद का रोजगार बढ़ाया। आप इसको गिनने को तैयार नहीं है। और आप जानते हैं, भलीभांति जानते हैं formal sector में सिर्फ 10 प्रतिशत रोजगार होता है, informal sector में 90 percent होता है। और आज informal को भी formal में लाने के लिए हमने कई ऐसे incentive और कई योजनाएं बनाने की दिशा में सफलतापूर्वक प्रयास किया है। इतना ही नहीं, आज देश का मध्‍यम वर्गीय परिवार का नौजवान वो नौकरी की भीख मांगने वालों में से नहीं है, वो सम्‍मान से जीना चाहता है, वो अपने बलबूते पर जीना चाहता है। मैंने ऐसे कई आईएएस अफसर देखे हैं कभी मैं पूछता हूं कि आपकी संतान क्‍या करती है? ज्‍यादातर मैं सोचता हूं कि शायद वो भी बाबू बनेंगे। लेकिन आजकल वो मुझे कह रहे हैं कि सर जमाना बदल गया है। हमारे पिताजी के सामने हम थे तो हम सरकारी नौकरी खोजते-खोजते यहां पहुंच गए। आज हमारे बच्‍चों को हम कहते हैं कि बेटा यहां आ जाओ, वो मना करता है और वो कहता है कि मैं तो स्‍टार्टअप चालू करूंगा।  वो विदेश से पढ़ करके आया है, बोले मैं स्‍टार्टअप चालू करूंगा। सब दूर देश के नौजवानों में यह aspiration है और भारत के नेतृत्‍व में कोई भी दल हो देश के मध्‍यमवर्गीय तेज और तर्रार जो नौजवान है, उनके aspiration को बल देना चाहिए, उनको निराश करने का काम नहीं करना चाहिए और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, skill development योजना, entrepreneurship training की योजना या सारी बातें देश के मध्‍यम वर्ग के ऊर्जावान नौजवानों को उसे aspiration को बल देने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं और उसी का परिणाम है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 10 करोड़ से ज्‍यादा Loan की स्‍वीकृति हुई है। यह आंकड़ा कम नहीं है और अभी तक यह 10 करोड़ लोन स्‍वीकृति में कहीं किसी की अटकी हुई, कोई बीच में दलाल आया, उसकी कोई शिकायत नहीं आई है। और यह भी तो इस सरकार के वर्ग कल्‍चर का परिणाम है। यह भी उस कल्‍चर का परिणाम है, कोई बिचौलिया नहीं आया। और उसका कारण था कि हमने जो प्रोडक्‍ट बनाई है, नीति नियम बनाए हैं, उसी का वो परिणाम था कि उसको बिना कोई गारंटी बैंक में जा करके उसको धन मिल सकता है। और यह 10 करोड़ लोन स्‍वीकृत हुई है, उसमें चार लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा पैसा दिया गया है। इतना ही नहीं यह लोन प्राप्‍त करने वाले लोग हैं उसमें तीन करोड़ लोग बिल्‍कुल नये उद्यमी हैं, जिनको कभी ऐसा अवसर नहीं आया जीवन में ऐसे लोग हैं क्‍या यह भारत की रोजगारी बढ़ाने का काम नहीं हो रहा है, लेकिन आपने आंखे बंद करके रखी है। और इसलिए आप सब अपने गीत गाने से ऊपर आ नहीं पा रहे हैं, और यह मानसिकता आपको वहीं रहने देगी। और यह भी अटल जी ने कहा है वो ही सच्‍चाई है कि आप छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, अटल जी ने कहा कि ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता और टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता’ और इसलिए आप वहीं रह जाओगे, वहीं पर गुजारा करना है आपको।

मैं जरा पूछना चाहता हूं यह सब हमारे जमाने के, हमारे जमाने के गीत गाते रहते हैं। 80 के दशक में हमारे देश में यह गूंज सुनाई दे रही थी, 21वीं सदी आ रही है, 21वीं सदी आ रही, 21वीं सदी आ रही है। और उस समय यह कांग्रेस के नेता हर किसी को 21वीं सदी का एक पर्चा दिखाते थे। नौजवान नेता थे, नये-नये आए थे, अपने नाना से भी ज्‍यादा सीटें जीत करके आए थे और देश की जनता 21वीं सदी, 21वीं सदी.. और मैंने उस समय एक कार्टून देखा था, बड़ा ही interesting cartoon था कि रेल के पास प्‍लेटफॉर्म पर एक नौजवान खड़ा है और सामने से ट्रेन आ रही है। ट्रेन पर लिखा था 21वीं शताब्‍दी और यह नौजवान उस तरफ दौड़ रहा है। एक बुजुर्ग ने कहा खड़े रहो वो तो आने ही वाली है, तुम्‍हें कुछ करने की जरूरत नहीं है। 80 के दशक में 21वीं शताब्‍दी के सपने दिखाए जाते थे। सारे देर 21वीं सदी के भाषण सुनाए जा रहे थे और 21वीं सदी बात करने वाली सरकार इस देश में Aviation Policy तक नहीं ले पाई। अगर 21वीं सदी में Aviation Policy नहीं होगी, वो कैसी 21वीं सदी का आपने सोचा था? बेलगाड़ी वाली, यही आप चल रहे हैं।

भाइयों-बहनों, अध्‍यक्ष महोदया, एक Aviation Policy हमने बनाई और आज छोटे-छोटे शहरों में जो छोटी-छोटी हवाई पट्टियां पड़ी हुई थी, इसका हमने उपयोग किया और 16 नई हवाई पट्टियां जहां जहाज आना-जाना शुरू हो गया। 80 से ज्‍यादा Aviation के लिए संभावनाएं पड़ी हुई है, उस पर हम कार्य कर रहे हैं। tier-2, tier-3 इन शहरों में हवाई जहाज उड़ने वाले हैं। और आज देश में यह सुन करके यह तकलीफ होगी, आज देश में करीब-करीब साढ़े चार सौ जहाज, हवाई जहाज operational हैं। करीब-कीरब साढ़े चार सौ। आपको जान करके खुशी होगी कि हमारे इस initiative का परिणाम है कि इस वर्ष नौ सौ से ज्‍यादा नये हवाई जहाज खरीदने के order हिन्दुस्‍तान से गए हैं और इसलिए मैं मानता हूं और यह सफलता इसलिए नहीं मिली है कि सिर्फ हम निर्णय करते हैं। हम Technology का भरपूर उपयोग करते हैं, हम monitoring करते हैं। और रोड़ के काम को भी और रेल के काम को भी हम ड्रोन से देख रहे हैं। हम सेटेलाइट टेक्‍नोलॉजी के द्वारा, हम tagging कर रहे हैं। इतना ही नहीं अगर टॉयलेट बने तो mobile phone पर उसकी तस्‍वीर tag की जाती है। और इस प्रकार से हर चीज को सेटेलाइट की टेक्‍नोलॉजी का उपयोग करते हुए आगे बढ़ाने का हमने काम किया है और उसके कारण मॉनिटरिंग के कारण गति भी आई है। monitoring के कारण transparency को भी ताकत मिली है।

मैं हैरान हूं अगर आधार मुझे बराबर याद है, जब हम चुनाव जीत करके आए। आप ही की तरफ से आशंकाएं पैदा की गई थी कि मोदी आधार को खत्‍म कर देगा। यह हमारी योजना है मोदी पटक देगा, मोदी आधार को आने नहीं देगा। आप मान करके चले थे और इसलिए आपने मोदी पर हमला बुलाने के लिए आधार का इसलिए उपयोग किया था कि मोदी लाएगा नहीं। लेकिन जब मोदी ने उसको वैज्ञानिक तरीके से लाया और उसका वैज्ञानिक उपयोग करने के रास्‍ते खोजे जो आपकी कल्‍पना तक में नहीं थे, और जब आधार लागू हो गया, अच्‍छे ढंग से लागू हो गया। गरीब से गरीब व्‍यक्ति को अच्‍छी तरह उसका लाभ मिलने लगा, तो आपको आधार का implementation बुरा लगने लग गया। चट भी मेरी, पट भी मेरी। यह खेल चलता है क्‍या? और इसलिए आज 115 करोड़ से ज्‍यादा आधार बन चुके हैं। करीब केंद्र सरकार की चार सौ योजनाएं Direct benefit transfer scheme से गरीबों के खाते में सीधे पैसे जाने लगे हैं। 57 हजार करोड़ रुपया, अरे आपने ऐसी-ऐसी विधवाओं को पेंशन दिया है, जो बेटी का जन्‍म नहीं हुआ, वो कागज़ पर विधवा हो जाती है। सालों तक पेंशन जाता है, पैसे जाते हैं, और मलाई खाने वाले बिचौलिए मलाई खाते हैं। विधवा के नाम पर, बुजुर्गों के नाम, दिव्‍यांगों के नाम पर, सरकारी खजाने से निकले पैसे बिचौलियों के जेब में गए हैं और राजनीति चलती रही है। आज आधार के कारण Direct benefit transfer से आप दुखी है, ऐसा नहीं है। आपका दुख का कारण है यह जो बिचौलियों की चाल थी, वो बिचौलियों की चाल खत्‍म हुई है और इसलिए जो रोजगार गया है बिचौलियों का गया है। जो रोजगार गया है, बेईमानों का गया है, जो रोजगार गया है देश को लूटने वालों का गया है।

अध्‍यक्ष महोदया, चार करोड़ गरीब और मध्‍यम वर्ग के परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्‍शन देने का सौभाग्‍य हम लाए हैं। आप कहेंगे कि लोगों के घरों में बिजली देने की योजना हमारे समय हुई थी। होगी, लेकिन क्‍या बिजली थी? क्‍या ट्रांसमिशन लाइनें थी? अरे 18 हजार गांव तक खम्‍बे तक नहीं लगे थे, 18वीं शताब्‍दी में जीने के लिए वो मजबूर हुआ था और आज आप यह कह रहे हैं कि हमारी योजना थी। और हम किसी भी development के लिए टुकड़ों में नहीं देखते। हम एक holistic integrated approach और दूरदृष्टि के साथ और दूरगामी परिणाम देने वाली योजना के साथ हम चीजों को आगे करते हैं। सिर्फ बिजली का विषय मैं बताना चाहता हूं। आपको पता चलेगा कि सरकार के काम करने का तरीका क्‍या है। हम किस तरीके से काम करते हैं। बिजली व्‍यवस्‍था सुधारने के लिए चार करोड़ घरों में, देश में कुल घर है 25 करोड़, चार करोड़ घरों में आज भी बिजली न होना मतलब कि करीब-करीब 20 percent लोग आज भी अंधेरे में जिंदगी गुजार रहे हैं। यह गर्व करने जैसा विषय नहीं है। और आपने यह हमें विरासत में दिया है, जिसको पूरा करने का हम प्रयास कर रहे हैं। लेकिन कैसे कर रहे हैं। हम बिजली व्‍यवस्‍था सुधारने के लिए चार अलग-अलग चरणों में चीजों को हमने हाथ लगाया। एक बिजली उत्‍पादन प्रोडक्‍शन, transmission, distribution और चौथा आता है connection। और यह सारी चीजें एक साथ हम आगे बढ़ा रहे हैं। सबसे पहले हमने बिजली के प्रोडक्‍शन बढ़ाने पर बल दिया। सौर ऊर्जा हो, हाइड्रो ऊर्जा हो, थर्मल हो, न्‍यूक्लिअर हो, जो भी क्षेत्र से बिजली हो सकती है और उस पर हमने बल दे करके बिजली का उत्‍पादन बढ़ाया। transmission network में हमने तेज गति से वृद्धि की। पिछले तीन सालों में डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक प्रोजेक्‍ट पर काम किया। यह पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों की तुलना में 83 percent ज्‍यादा है। हमने स्‍वतंत्रता के बाद देश में कुल स्‍थापित transmission line इसमें 2014 के बाद 31 percent यानी आजादी के बाद जो था, उसमें 31 percent अकेले हमने आ करके बढ़ाया। transformer capacity पिछले तीन साल में 49 percent हमने बढ़ाई है। कश्‍मीर से कन्‍या कुमारी, कच्‍छ से कामरो, निर्बाध रूप से बिजली को transmission करने के लिए सारा नेटवर्क का काम हमने खड़ा कर दिया। power distribution system मजबूत करने के लिए 2015 में उज्‍जवल डिस्‍कॉम इंश्‍योरेंस योजना यानी कि उदय योजना और राज्‍यों को साथ ले करके MOU करके आगे बढ़ाई है। बिजली डिस्‍ट्रीब्‍यूशन कंपनियों में बेहतर ऑपरेशन और फाइनेंशनल मैनेजमेंट साबित हो, उस पर हमने बल दिया है। इसके बाद कनेक्‍शन के लिए घर में बिजली पहुंचाने के लिए सौभाग्‍य योजना launch की है। एक तरफ बिजली पहुंचाना, दूसरी तरफ बिजली बचाना, हमने 28 करोड़ एलईडी बल्‍ब बांटे। मध्‍यम वर्ग का परिवार जो घर में बिजली का उपयोग करता है। 28 करोड़ बिजली के बल्‍ब पहुंचने के कारण 15 हजार करोड़ रुपया बिजली का बिल बचा है, जो मध्‍यम वर्ग के परिवार के जेब में बचा है। देश के मध्‍यम वर्ग को लाभ हुआ है। हमने wastage of time भी बचाया है, हमने wastage of money को भी रोकने के लिए ईमानदारी का प्रयास किया है।

अध्‍यक्ष महोदया, यहां पर किसानों के नाम पर राजनीति करने के भरपूर प्रयास चल रहे हैं और उनको भी मददगार लोग मिल जाते हैं। यह सच्‍चाई है कि आजादी के 70 साल के बाद भी हमारे किसान जो उत्‍पादन करते हैं करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपयों का यह जो उत्‍पादित चीजें हैं फल हो, फूल हो, स‍ब्‍जी हो, अन्‍न हो यह खेत से लेकर स्‍टोर तक और बाजार के साथ जो सप्‍लाई चेंज चाहिए उसकी कमी के कारण वो सम्‍पदा बर्बाद हो जाती है। हमने प्रधानमंत्री किसान सम्‍पदा योजना शुरू की और हम उस infrastructure को बल दे रहे हैं कि किसान जो पैदावर करता है उसको रख-रखाव की व्‍यवस्‍था मिले, कम खर्चें से मिले और उसकी फसल बर्बाद न हो, उसकी गारंटी तैयार है।

सरकार ने सप्‍लाई चेन में नई infrastructure को तैयार करने में मदद करने का फैसला किया है। और इसके बाद जो एक लाख करोड़ बचेगें वो देश को किसानों को food processing में लगे हुए मध्‍यम वर्ग के नौजवानों को गांव में ही कृषि आ‍धारित उद्योगों के लिए अवसर की संभावना पैदा हुई है। हमारे देश में जितना कृषि का महत्‍व है उतना ही पशु-पालन का, वो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हमारे देश में पशु-पालन के क्षेत्र में आवश्‍यक प्रबंधन के अभाव में सालाना 40 हजार करोड़ रूपये का नुकसान होता है। हमनें पशुओं की चिंता करना कामधेनु योजना के द्वारा इन पशुओं का रख-रखाव की चिंता करने के लिए, उनके आरोग्‍य की चिंता करने के लिए एक बड़ा aggressive काम शुरू किया है। और उसके कारण कामधेनु योजना का लाभ देश के पशु-पालन को और जो किसान पशु-पालन करता है। उनको एक बहुत बड़ी राहत मिलने वाली है। हम दोगुना 22 में इनकम करने की बात करते हैं। 80 में 21वीं सदी की बात करना वो तो मंजूर था लेकिन मोदी अगर आज 2018 में आजादी के 75 साल वाले 2022 को याद करे तो आपको तकलीफ हो रही है। कि मोदी 22 की बात क्‍यों करता है। आप 80 में 21वीं सदी के गीत गाते थे। देश को दिखाते रहते थे। और जब मेरी सरकार निर्धारित काम के सा‍थ 2022 आजादी के 75 साल एक inspiration एक प्रेरणा उसको लेकर के अगर काम कर रही है। तो आपको उसकी भी तकलीफ हो रही है। और किसानों की आय दोगुना करना। आप शंकाओं में इसलिए जीते हैं कि आपने कभी बड़ा सोचा ही नहीं, छोटे मन से कुछ होता नहीं, छोटे मन से कुछ होता नहीं। आप किसान की आय दोगुना करनी क्‍या हम उसकी लागत में कमी नहीं कर सकते। Soil Health Card के द्वारा ये संभव हुआ है, Solar Pump के द्वारा ये संभव हुआ है। Urea Neem coating के कारण ये संभव हुआ है। ये सारी चीजें किसान की लागत कम करने के लिए काम आने वाली चीजे हैं ऐसी अनेक चीजों को हमनें आगे बढ़ाया है। उसी प्रकार से किसान को अपने किसानी कारोबार के साथ हमनें bamboo का निर्णय किया। अगर वो अपने खेत के किनारे पर bamboo लगाएगा। और आज उस bamboo का assured market है। आज देश हजारों करोड़ रूपये का bamboo import करता है। आपकी एक गलत नीति के कारण। क्‍या आपने bamboo को tree कह दिया, पेड़ कह दिया और उसके कारण कोई bamboo काट नहीं सकता था। मेरे north east के लोग परेशान हो गए। हममें हिम्‍मत है कि हमने bamboo को grass की category में लाकर के रखा। वो किसान की आय बढ़ाएगा। अपने खेत पर किनारे पर अगर वो bamboo लगाता है। उसकी छाया के कारण किसान को तकलीफ नहीं होती है। उसकी अतिरिक्‍त Income बढ़ेगी। हम दूध के उत्‍पादन को बढ़ाना चाहते हैं। प्रति पशु हमारे यहां दूध का उत्‍पादन होता है। उसको बढ़ाया जा सकता है। हम मधुमक्‍खी पालन पर बल देना चाहते हैं। आपको हैरानी होगी मधुमक्‍खी पालन में करीब-करीब 40 प्रतिशत वृद्धि हुई। मद export करने में हुए और बहुत कम लोगों को मालूम होगा। आज दुनिया holistic healthcare, ease of living इसपे बल दे रहा है और इसीलिए उसको chemical wax  से बचकर के  bee wax के लिए आज पूरी दुनिया में bee wax का बहुत बड़ा market है। और हमारा किसान खेती के साथ मधुमक्‍खी का पालन करेगा। तो bee wax के कारण उसको एक उत्‍तम प्रकार का और आय में भी बदलाव होगा। हम ये भी जानते हैं कि मधुमक्‍खी फसल को उगाने में भी एक नई ताकत देती है। अनेक ऐसे क्षेत्र हैं और ये सारे काम दूध उत्‍पादन, poetry farm, fisheries हो, bamboo होए value edition ये सारी चीजें हैं। जो किसान की आय को डबल करती है। हम जानते हैं कि जो लोग सोचते थे आधार कभी आएगा नहीं- आ गया, उनको ये भी परेशानी थी कि जीएसटी नहीं आएगी और हम सरकार को डुबोते रहेंगे। अब जीएसटी आ गई, आ गई तो क्‍या करें तो नया खेल खेलो, ये खेल चल रहा है। कोई देश की राजनीतिक नेतागिरी देश को निराश करने का काम कभी नहीं करती। लेकिन कुछ लोगों ने इस काम का रास्‍ता अपनाया है। आज सिर्फ जीएसटी के कारण logistic में जो फायदा हुआ है। हमारी ट्रक पहले जितना समय जाता था उसका wastage जाम के कारण, टोल टैक्‍स के कारण। आज उसका वो बच गया। और हमारी transportation की capacity को 60 प्रतिशत डिलीवरी की ताकत नई आई है। जो काम पांच छह दिन में एक ट्रक जाकर करता था1 वो आज ढाई-तीन दिन में पूरा कर रहा है। ये देश को बहुत बड़ा फायदा हो रहा है। हमारे देश में मध्‍यम वर्ग भारत को आगे ले जाने में उसकी बहुत बड़ी भूमिका है। मध्‍यम वर्ग को निराश करने के लिए भ्रम फैलाने के प्रयास हो रहे हैं। हमारे देश का मध्‍यम वर्ग का व्‍यक्ति good governance चाहता है। बेहतरीन व्‍यवस्‍थाएं चाहता है। वो अगर ट्रेन की टिकट ले तो ट्रेन में उसके हक की सुविधा चाहता है। अगर वो कॉलेज में बच्‍चे को पढ़ने के लिए भेजे तो उसको अच्‍छी शिक्षा चाहता है। बच्‍चों को स्‍कूल भेजे तो स्‍कूल में अच्‍छी शिक्षा चाहता है। वो खाना खरीदने जाए तो खाने की quality अच्‍छी मिले ये मध्‍यम वर्ग का व्‍यक्ति चाहता है। और सरकार का ये काम है। कि पढ़ाई की बेहतर संस्‍थान हों, उचित मूल्‍य पर उसको घर मिले, अच्‍छी सड़कें मिलें, ट्रांसपोर्ट की बेहतर सुविधाएं मिलें, आधुनिक Urban Infrastructure हो, मध्‍यम वर्ग की आशा-आंकाक्षाओं को पूरा करने के लिए ease of living के लिए ये सरकार डेढ़ साल से कदम उठा रही है। हमनें और ये सुनकर के हैरान हो जाएगें ये लोग entry level income tax दुनिया में 5 प्रतिशत की दर पर सबसे अगर कम कहीं है तो भारत हिन्‍दुस्‍तान में है। जो गरीबों को किसी समृद्ध देश में भी नहीं है, समृद्ध देश में भी नहीं है वो हमारे यहां है। 2000 के पहले बजट में टैक्‍स से छूट की सीमा पचास हजार रूपया बढ़ाकर ढाई लाख रूपया कर दिया गया था। इस वर्ष बजट में चालीस हजार रूपये का standard deduction हमनें मंजूर कर दिया है। senior citizen को टैक्‍स में छूट का भी प्रावधान किया है। मध्‍यम वर्ग को करीब 12 हजार करोड़ रूपये का सालाना नया फायदा ये जुड़ता जाए ये काम हमारी सरकार ने किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 31 हजार करोड़ से ज्‍यादा खर्च हमनें किया है। ब्‍याज में पहली बार इस देश में मध्‍यम वर्ग के लोगों को ब्‍याज में राहत देने का काम इस सरकार ने किया है। नए एम्‍स, नई आईआईटी, नए IIM 11 बड़े शहरों में मेट्रो 32 लाख से ज्‍यादा street LED light कर दी गई है। और इसलिए नए उद्यमों MSME ये कोई इंकार नहीं कर सकता। MSME क्षेत्र के साथ जुड़े लोग ये मध्‍यम वर्ग और उच्‍च मध्‍यम वर्ग है। ढाई सौ करोड़ के turnover पर हमनें टैक्‍स रेट 30 प्रतिशत से कम करके 25 प्रतिशत करके मध्‍यम वर्ग के समाज की बहुत बड़ी सेवा की है। 5 प्रतिशत दिया है। 2 करोड़ रूपये तक कारोबार करने वाले सभी व्‍यापारियों को केवल बैंकिग जनों के माध्‍यम से लेन-देन करते हैं। सरकार उनकी आय को turnover का 8 प्रतिशत नहीं 6 प्रतिशत मानती है। यानि उन्‍हें टैक्‍स पर 2 प्रतिशत का लाभ होता  है। जीएसटी में डेढ़ करोड़ रूपये तक की turnover वाले कारोबार को composition scheme दी और turnover का केवल एक प्रतिशत का भुगतान ये भी दुनिया में सबसे कम हिन्‍दुस्‍तान में करने वाली ये सरकार है।

माननीय अध्‍यक्ष महोदया, जनधन योजना 31 करोड़ से ज्‍यादा गरीबों के बैंक अकांउट खुलना, 18 करोड़ से ज्‍यादा गरीबों को स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा की बीमा योजना का लाभ हो, 90 पैसे प्रतिदिन यो एक रूपया महीना इतना अच्‍छा प्रोडेक्‍ट वाला बीमा हमनें देश को, गरीबों को दिया। और आप, आपको ये जानकर के ये संतोष होगा कि इतने कम समय में ऐसे गरीब परिवारों के ऊपर आफत आई तो Insurance की योजना के कारण ऐसे परिवारों को दो हजार करोड़ रूपया उनके घर में पहुंच गया। ये, ये असामान्‍य काम हुआ है।

उज्‍ज्‍वला योजना के तहत तीन करोड़ तीस लाख मां-बहनों को, गरीब मां-बहन, अरे गैस का कनेक्‍शन के लिए ये एमपीओ के कुर्ते पकड़ कर चलना पड़ता था। हम सामने से जाकर के ये गैस कनेक्‍शन दे रहे हैं और अब संख्‍या हमनें 8 करोड़ करने का निर्णय किया है। 

आयुषमान भारत योजना मैं हैरान हूं क्‍या देश के गरीब को स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए। गरीब पैसो के अभाव में इलाज करवाने नहीं जाता है, वो मृत्‍यु को पसंद करता है। लेकिन बच्‍चों के लिए वो कर्ज छोड़कर के जाना नहीं चाहता है। क्‍या ऐसे गरीब निम्‍न वर्ग के परिवारों की रक्षा करने का निर्णय गलत हो सकता है क्‍या? हां आपको लगता है कि इस प्रोडेक्‍ट में कोई बदलाव  करना है तो अच्‍छे positive सुधार लेकर के आइए। मैं स्‍वयं समय देने के लिए तैयार हूं। ताकि देश के गरीबों को पांच लाख रूपये तक सालाना खर्च करें उसके काम आए सरकार लेकिन आप उसके लिए भी इस प्रकार के बयानबाजी कर रहे हैं। अच्‍छी योजना है, जरूर मुझे सुझाइए, हम मिल-बैठकर के नकी करेंगे, तय करेंगे।

अध्‍यक्ष महोदया जी, हमारी सरकार ने जो कदम उठाए हैं। उतने सरकार के जमात के भी सोचने के तौर तरीके में बदलाव किया है। जनधन योजना गरीब का आत्‍मविश्‍वास बढ़ाया है। बैंक में पैसे जमा कर रहा है। रूपये डेबिट कार्ड उपयोग कर रहा है। वो भी अपने-आपको समृद्ध परिवारों की बराबरी में देखने लगा है। स्‍वच्‍छ भारत मिशन महिलाओं के अंदर एक बहुत बड़ा आत्‍मविशवास पैदा करने का काम किया है। अनेक प्रकार की पीड़ाओं से उसको मुक्ति देने का कारण बना है। उज्‍जवला योजना गरीब माताओं को धुएं से मुक्ति दिलाने का काम कहा। पहले हमारा श्रमिक या तो अच्‍छी नौकरी पाने के लिए पुरानी नौकरी छोड़ने की हिम्‍मत नहीं करता था, क्‍योंकि पुराने जमा पैसे डूब जाएंगे। हमने उनके unclaimed 27 हजार करोड़ रुपया universal account number दे करके उस तक पहुंचाने का काम किया है और आगे गरीब मजदूर जहां जाएगा, उसका बैंक अकाउंट भी साथ-साथ चलता जाएगा। यह काम किया है। भ्रष्‍टाचार और कालाधन। अभी भी आपको रात को नींद नहीं आती। मैं जानता हूं आपकी बैचेनी भ्रष्‍टाचार के कारण जमानत पर जीने वाले लोग भ्रष्‍टाचार के कामों से बचने वाले नहीं हैं, कोई भी बचने वाला नहीं है। पहली बार हुआ है देश में, चार-चार पूर्व मुख्‍यमंत्री भारत की न्‍यायपालिका ने उनको दोषित घोषित कर दिया है और जेल में जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर होना पड़ा है। यह हमारा commitment है। देश को जिन्‍होंने लूटा है उनको देश को लौटाना पड़ेगा और इस काम में मैं कभी पीछे हटने वाला नहीं हूं। मैं लड़ने वाला इंसान हूं, इसलिए देश में आज एक ईमानदारी का माहौल बना है। एक ईमानदारी का उत्‍सव है। अधिक लोग आज आगे आ रहे हैं, Income Tax देने के लिए आ रहे हैं। उनको भरोसा है कि शासन के पास खजाने में जो पैसा जाएगा, पाई-पाई का हिसाब मिलेगा, सही उपयोग होगा। यह काम हो रहा है।

आज मैं एक विषय को जरा विस्‍तार से कहना चाहता हूं। कुछ लोगों को झूठ बोलो, जोर से झूठ बोलो, बार-बार झूठ बोलो, यह फैशन हो गया है। हमारे वित्‍त मंत्री ने बार-बार इस बात को कहा है, तो भी उनकी मदद करने चाहने वाले लोग, सत्‍य को दबा देते हैं और झूठ बोलने वाले लोग चौराहे पर खड़े रह करके जोरों से झूठ बोलते रहते हैं। और वो मसला है एनपीए का, मैं इस सदन के माध्‍यम से, अध्‍यक्ष महोदया आपके माध्‍यम से आज देश को भी कहना चाहता हूं कि आखिर एनपीए का मामला है क्‍या? देश को पता चलना चाहिए कि एनपीए के पीछे यह पुरानी सरकार के कारोबार है और शत-प्रतिशत पुरानी सरकार जिम्‍मेदार है, एक प्रतिशत भी कोई और नहीं है। आप देखिए उन्‍होंने ऐसी बैंकिंग नीतियां बनाई कि जिसमें बैंकों पर दबाव डाले गए टेलिफोन जाते थे, अपने चहेतों को लोन मिलता था। वो लोन पैसा नहीं दे पा रहे थे। बैंक, नेता, सरकार, बिचौलिये मिल करके उसका restructure करते थे। बैंक से गया पैसा कभी बैंक में आता नहीं था। कागज पर आता-जाता, आता-जाता चल रहा था और देश, देश लूटा जा रहा था। उन्‍होंने अरबों-खरबों रुपया दे दिया। हमने बाद में आ करके, आते ही हमारे ध्‍यान में विषय आया, अगर मुझे राजनीति करनी होती, तो मैं पहले ही दिन देश के सामने वो सारे तथ्‍य रख देता, लेकिन ऐसे समय बैंकों की दुर्दशा की बात देश के अर्थतंत्र को तबाह कर देती। देश में एक ऐसे संकट का माहौल आ जाता उससे निकलना मुश्किल हो जाता और इसलिए आपके पापों को देखते हुए, सबूत होते हुए मैंने मौन रखा, मेरे देश की भलाई के लिए। आपके आरोप मैं सहता रहा, देश की भलाई के लिए। लेकिन अब बैंकों को हमने आवश्‍यक ताकत दी है, अब समय आ गया है कि देश के सामने सत्‍य आना चाहिए। यह एनपीए आपका पाप था और मैं यह आज इस पवित्र सदन में खड़ा रह करके कह रहा हूं। मैं लोकतंत्र के मंदिर में खड़ा रह करके कह रहा हूं। हमारी सरकार आने के बाद एक भी लोन हमने ऐसी नहीं दी है जिसको एनपीए की नौबत आई हो। और आपने छुपाया, आपने क्‍या किया, आपने आंकड़े गलत दिए, जब तक आप थे, आपने बताया एनपीए 36 percent हैं। हमने जब देखा और 2014 में हमने कहा कि भई झूठ नहीं चलेगा सच कहो, जो होगा देखा जाएगा और जब सारे कागजात खंगालना शुरू किया तो आपने जो देश को बताया था वो गलत आंकड़ा था, 82 percent एनपीए था, 82 percent. मार्च 2008 में बैंकों द्वारा दिया गया कुल advance 18 लाख करोड़ रुपये और हमने छह साल में आप देखिए क्‍या हाल हो गया, 8 में 18 लाख करोड़ और आप जब तक मार्च 2000 तक बैठे थे, यह 18 लाख करोड़ पहुंच गया 52 लाख करोड़ रुपया, जो देश के गरीब का पैसा आपने लूटा था। और लगातार हम restructure करते रहे कागज पर हां, लोन आ गया, लोन दे दिया। आप ऐसे ही उनको बचाते रहे, क्‍योंकि बीच में बिचौलिए थे, क्‍योंकि वो आपको चहेते थे, क्‍योंकि आपको उसमें कोई न कोई हित छिपा हुआ था। और इसलिए आपने यह काम किया। हमने यह तय किया कि जो भी तकलीफा होगी सहेंगे, लेकिन साफ-सफाई और मेरा स्‍वच्‍छता अभियान सिर्फ चौराहें तक नहीं है। मेरा स्‍वच्‍छता अभियान इस देश के नागरिकों के हक के लिए इन आचार-विचार में भी है। और इसलिए हमने इस काम को किया है।

हमने योजना बनाई चार साल लगे रहे। हमने recapitalisation पर काम किया है। हमने दुनियाभर के अनुभव पर अध्‍ययन किया है और देश की बैंकिंग सेक्‍टर को ताकत भी दी है। ताकत देने के बाद की आज मैं पहली बार चार साल आपके झूठ को झेलता रहा। आज मैं देश के सामने पहली बार यह जानकारी दे रहा हूं। 18 लाख से 52 लाख, 18 लाख करोड़ से 52 लाख करोड़ लूटा दिया आपने, और आज जो पैसे बढ़ रहे हैं वो उस समय के आपके पाप का ब्‍याज है। यह हमारी सरकार के दिए हुए पैसे नहीं है। यह जो आंकड़ा बदला है, वो 52 लाख करोड़ पर ब्‍याज जो लग रहा है उसका है। और देश कभी इस पाप के लिए आपको माफ नहीं करेगा और कभी न कभी तो यह चीजें इसका हिसाब देश को आपको देना पड़ेगा।

मैं देख रहा हूं, हिट और रन वाली राजनीति चल रही है, कीचड़ फैंकों और भाग जाओ, जितना ज्‍यादा कीचड़ उछालोगे कमल उतना ही ज्‍यादा खिलने वाला है और उछालो, जितना उछालना है, उछालो और इसलिए मैं जरा कहना चाहता हूं अब इसमें मैं कोई आरोप नहीं करना चाहता, लेकिन देश तय करेगा कि क्‍या है? आपने कतर से गैस लेने का 20 साल का कॉन्‍ट्रेक्‍ट किया था, और जिस नाम से गैस का कॉन्‍ट्रेक्‍ट किया था हमने आ करके कतर से बात की, हमने अपना पक्ष रखा, भारत सरकार बंधी हुई थी, आप जो सौदा कर गए थे हमको उसको निभाना था, क्‍योंकि देश की सरकार की अपनी एक विवशता होती है। लेकिन हमने उनको तथ्‍यों के सामने रखा, हमने उनको विवश किया और मेरे देशवासियों को खुशी होगी अध्‍यक्ष महोदया, यह पवित्र सदन में मुझे यह कहते हुए संतोष हो रहा है कि हमने कतार को renegotiation किया और गैस की जो हम खरीदी करते थे करीब-करीब आठ हजार करोड़ रुपये देश का हमने बचाया।

आपने आठ हजार करोड़ ज्‍यादा दिया था। क्‍यों दिया, किसके लिए दिया, कैसे दिया, क्‍या इसके लिए सवाल या निशान खड़े हो सकते हैं, वो देश तय करेगा, मुझे नहीं कहना है। उसी प्रकार से मैं यह भी कहना चाहूंगा ऑस्‍ट्रेलिया के अंदर गैस के लिए भारत सरकार का एक सौदा हुआ था। गैस उनसे लिया जाता था हमने उनसे भी negotiation किया, लम्‍बे समय का किया और आपने ऐसा क्‍यों नहीं किया, हमने चार हजार करोड़ रुपया उसमें भी बचाया। देश के हक का पैसा हमने बचाया, क्‍यों दिया, किसने दिया, कब दिया, किसके लिए दिया, किस हेतु से दिया, यह सारे सवालों के जवाब आपको कभी देंगे नहीं, मुझे मालूम है, देश की जनता जवाब मांगने वाली है।

छोटा सा विषय एलईडी बल्‍ब कोई मुझे बताए, क्‍या कारण था कि आपके समय में वो बल्‍ब तीन सौ, साढ़े तीन सौ रुपये में बिकता था। भारत सरकार तीन सौ, साढ़े तीन सौ में खरीदती थी। क्‍या कारण है कि वही बल्‍ब, कोई टेक्‍नोलॉजी में फर्क नहीं। कोई क्‍वालिटी में फर्क नहीं। देने वाली कंपनी वही, साढ़े तीन सौ का बल्‍ब, 40 रुपये में कैसे आने लगा। जरा कहना पड़ेगा, आपको कहना पड़ेगा, आपको जवाब देना पड़ेगा। मुझे बताइये सोलर एनर्जी क्‍या कारण है कि आपके समय सोलर पावर यूनिट 12 रुपया, 13 रुपया, 14 रुपया, 15 रुपया लूटो, जिसको भी लूटना है लूटो, बस हमारा ख्‍याल रखो। इसी मंत्र को ले करके चला। आज वही सोलर पावर दो रुपया, तीन रुपये के बीच में आ गया है। लेकिन उसके बावजूद  हम आप पर भ्रष्‍टाचार के आरोप नहीं लगाते। देश को लगाना है, लगाएगा। मैं उसमें अपने आप को संयमित रखना चाहता हूं। लेकिन यह हकीकत बोल रही है कि क्‍या हो रहा था और इसलिए, और आज विश्‍व में भारत का मान-सम्‍मान बढ़ा। आज भारत के पासपोर्ट की ताकत सारी दुनिया में जहां हिन्दुस्‍तानी हिन्‍दुस्‍तान का पासपोर्ट ले करके जाता है, सामने मिलने वाला आंख ऊंची करके गर्व के साथ देखता है। आपको शर्म आती है, विदेशों में जा करके देश की गलती गलत तरीके से पेश कर रहे हो। जब देश डोकलाम की लड़ाई लड़ रहा था, खड़ा था, आप चीन के लोगों से बात कर रहे थे। आपको याद होना चाहिए ससंदीय प्रणाली, लोकतंत्र, देश, विपक्ष, एक जिम्‍मेदार पक्ष क्‍या होता है? शिमला करार जब हुआ इंदिरा गांधी जी ने बैनजीर बुटो जी के साथ करार किया। हमारी पार्टी का इकरार था, लेकिन इतिहास गवाह है अटल बिहारी वाजपेयी इंदिरा जी का समय मांगा, इंदिरा जी को मिलने गए और उनको बताया कि देशहित में यह गलत हो रहा है, बस हमने बाहर आ करके उस समय देश का कोई नुकसान नहीं होने दिया था। देश की हमारी जिम्‍मेदारी होती थी। जब हमारी सेना का जवान सर्जिकल स्‍ट्राइक करता है, आप सवालिया निशान खड़ा करते हैं। मैं समझता हूं जब देश में एक कॉमन वेल्‍थ गेम हुआ इस देश में एक कॉमन वेल्‍थ गेम हुआ, अभी भी कैसी-कैसी चीजें लोगों के मन में सवालिया निशान बनी हैं। इस सरकार में आने के बाद 54 देशों का इंडिया अफ्रीका summit हुआ। ब्रिक्‍स समिट हुआ, फीफा अंडर-17 का वर्ल्‍ड कप हुआ। इतनी बड़ी-बड़ी योजनाएं हुई, अरे अभी 26 जनवरी को आसियान के 10 देश के मुखिया आ करके बैठे थे और मेरा तिरंगा लहरा रहा है। आपने सोचा नहीं था कभी, अरे जिस दिन नयी सरकार का शपथ हुआ और सार्क देशों के मुखिया आ करके बैठ गए तो आपके मन में सवाल था कि 70 साल में हमें क्‍यों समझ में नहीं आया छोटा मन बड़ी बात नहीं कर सकता है।

अध्‍यक्ष महोदया, एक न्‍यू इंडिया का सपना, उसको ले करके देश आगे बढ़ना चाहता हैं। महात्‍मा गांधी ने यंग इंडिया की बात कहीं थी, स्‍वामी विवेकानंद जी ने नये भारत की बात कही थी, हमारे राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जब पद पर थे तब भी नये भारत का सपना सबके सामने रखा था। आओ हम सब मिल करके नया भारत बनाने के संकल्‍प को पूर्ण करने के लिए अपनी जिम्‍मेदारियों का निर्वाह करे। लोकतंत्र में आलोचनाएं लोकतंत्र की ताकत है। यह होना चाहिए, तभी तो अमृत निकलता है, लेकिन लोकतंत्र झूठे आरोप करने का अधिकार नहीं देता है। अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए देश को निराश करने का हक नहीं देता है। और इसलिए मैं आशा करता हूं कि राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण को बोलने वालों ने बोल लिया, अब जरा आराम से उसको पढ़े। पहली बार पढ़ने पर समझ में नहीं आया, तो दोबारा पढ़े। भाषा समझ नहीं आई है, तो किसी की मदद लें। लेकिन जो black-white में सत्‍य लिखा गया है, उसको नकारने का काम न करें। इसी एक अपेक्षा के साथ राष्‍ट्र‍पति के अभिभाषण पर जिन-जिन मान्‍य सदस्‍यों ने अपने विचार व्‍यक्‍त किए, मैं उनको अभिनंदन करता हूं और मैं सबको कहता हूं कि सर्वसम्‍मति से राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण को हम स्‍वीकार करे। इसी अपेक्षा के साथ आपने जो समय दिया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं, धन्‍यवाद।

  • krishangopal sharma Bjp January 13, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹
  • krishangopal sharma Bjp January 13, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷
  • Mukesh Kaushik December 13, 2024

    भारत में बदलाव आय है, अब शासन प्रशासन की जिम्मेदारियां भी तय करें जिससे "हम भारत के लोग" कार्य करवाने के लिए धक्के ना खाएं
  • Vinodsah Vinodsah October 18, 2024

    vinod Kumar and
  • Reena chaurasia August 31, 2024

    बीजेपी
  • Naresh Singh March 13, 2024

    very happy
  • Kishor choudhari January 03, 2024

    जय हो
  • Babla sengupta December 23, 2023

    Babla sengupta
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Joint declaration on the implementation of the comprehensive partnership between the Republic of Cyprus and the Republic of India
June 16, 2025

A Historic Visit and Enduring Partnership

The President of the Republic of Cyprus, Mr. Nikos Christodoulides, warmly welcomed the Prime Minister of the Republic of India, Shri Narendra Modi, for an official visit to Cyprus from 15 to 16 June 2025. Prime Minister Modi’s visit, the first by an Indian Prime Minister to Cyprus in over two decades, marks a historic milestone and reaffirms the deep and enduring friendship between the two nations. The visit celebrates not only a shared history, but a forward-looking partnership, rooted in a joint strategic vision and mutual trust and respect.

The two leaders held wide-ranging discussions on bilateral, regional, and global issues, underscoring the growing breadth and depth of cooperation between Cyprus and India. They welcomed recent progress in economic, technological, and people-to-people ties, reflective of the dynamic and evolving nature of the relationship.

Acknowledging the increasing alignment of their values, interests, international outlook and vision, both sides expressed their determination to further advance this partnership across key sectors.Cyprus and India committed to deepening their cooperation as trusted and indispensable partners contributing to regional and global peace, prosperity, and stability.

They agreed on the following joint declaration:

Shared Values and Global Commitments

The two leaders underscored their shared commitment to peace, democracy, the rule of law, effective multilateralism, and sustainable development. They reaffirmed their support for a rules-based international order, grounded in the UN Charter and international law, placing particular emphasis on the United Nations Convention on the Law of the Sea (UNCLOS), with regard to freedom of navigation and sovereign maritime rights.

The leaders reaffirmed their unwavering support for the sovereignty and territorial integrity of all nations. They held detailed discussions on international issues, including the situation in the Middle East and the war in Ukraine. The two leaders also discussed the importance of upholding the global non-proliferation architecture, recognizing the value of India joining the Nuclear Suppliers group.

The leaders expressed their intention to strengthen coordination within international organizations, including within the United Nations and the Commonwealth, and agreed to work closely on implementing the 2024 Apia Commonwealth Ocean Declaration, highlighting ocean governance as a pillar of global sustainability and resilience. In this context, the inaugural Commonwealth Ocean Ministers Meeting was held in April 2024 in Cyprus, also marked the establishment of the Blue Charter Centre of Excellence to advance sustainable ocean governance and strengthen capacity across Commonwealth member states.

Both Leaders discussed the need for reform of the United Nations Security Council, including ways to make it more effective, efficient, and representative of the contemporary geopolitical challenges. The two Leaders expressed support to forward movement in the Intergovernmental Negotiations on United Nations Security Council reform, and reiterated their commitment to make continuous efforts to move towards text-based negotiations. Cyprus reiterated its support for the enhancement of the representative character of the United Nations Security Council expansion with India as a permanent member in an expanded United Nations Security Council.

Both sides agreed to engage in close co-operation and support each other at the United Nations including supporting each other’s candidacies to multilateral forums.

Political Dialogue

The two sides agreed to hold regular political dialogue and to utilize existing bilateral mechanisms, inter alia those between the Ministry of Foreign Affairs of the Republic of Cyprus and the Ministry of External Affairs of the Republic of India, to streamline coordination and advance cooperation across various sectors. The above competent Ministries shall overview and monitor the implementation of the areas of cooperation included in the Action Plan that is to be prepared, in close coordination with the competent authorities of both countries.

Support for Sovereignty and Peace

Cyprus and India expressed their strong commitment to the resumption of UN-facilitated efforts to achieve a comprehensive and lasting settlement of the Cyprus Question on the basis of a bizonal, bicommunal federation with political equality, in accordance with the agreed UN framework and the relevant United Nations Security Council Resolutions.

India reiterated its unwavering and consistent support for the independence, sovereignty, territorial integrity, and unity of the Republic of Cyprus. In this regard, both sides emphasized the need to avoid unilateral actions as essential for creating a conducive environment for the resumption of meaningful negotiations.

Security, Defence, and Crisis Cooperation

Cyprus and India unequivocally condemned terrorism and violent extremism in all its forms and manifestations, including international and cross-border terrorism, and reaffirmed their shared commitment to countering hybrid threats that undermine peace and stability.

Cyprus expressed solidarity and unwavering support to India in its fight against cross-border terrorism. The two leaders strongly condemned the gruesome killing of civilians in the recent heinous terrorist attacks in Pahalgam, Jammu & Kashmir, India. They reiterated their zero-tolerance approach to terrorism, rejecting any justification for such acts, under any circumstances. They emphasized that those responsible for the attacks should be held accountable.

The leaders urged all States to respect the sovereignty of other nations and condemned cross-border terrorism in all its forms. They called for the disruption of terrorism financing networks, elimination of safe havens, dismantling of terrorist infrastructure, and bringing perpetrators of terrorism to justice swiftly. Emphasizing the need for a comprehensive, coordinated, and sustained approach to combatting terrorism across borders, they underscored the importance of working collaboratively, bilaterally and with the multilateral system.

Both leaders reaffirmed their commitment to strengthening multilateral efforts to combat terrorism and called for the expeditious finalization and adoption of the Comprehensive Convention on International Terrorism within the UN framework. They urged for concerted actions against all UN- and EU-designated terrorists and terrorist entities, associated proxy groups, facilitators, and sponsors, including terrorists under 1267 UNSC Sanctions Committee. They reiterated their strong commitment to continue taking active measures to disrupt terrorist financing channels including through the UN and Financial Action Task Force (FATF).

Acknowledging emerging challenges within the international security environment, the leaders stressed the importance of enhancing strategic autonomy, defence readiness, and defence capabilities.

They agreed to deepen their defence and security cooperation, including through collaboration between their respective defence industries, with a special focus on cybersecurity and emerging technologies.

Recognizing both India and Cyprus as maritime nations with deep-rooted naval traditions, the leaders also discussed expanding cooperation to include the maritime domain. They will encourage more regular port calls by Indian naval vessels and explore opportunities for joint maritime training and exercises to enhance maritime domain awareness and regional security.

In that vein, and in light of ongoing global crises, both sides committed to strengthening cooperation in emergency preparedness and coordinated crisis response. Drawing on past successful efforts, the leaders agreed to institutionalize coordination in evacuation and Search and Rescue (SAR) operations.

Connectivity and Regional Cooperation

Cyprus and India share a strategic vision of serving as bridges between regions. Both leaders underscored the significance of the India–Middle East–Europe Economic Corridor (IMEC) as a transformative, multi-nodal initiative that fosters peace, economic integration, and sustainable development. Viewing IMEC as a catalyst for constructive regional cooperation, they reiterated their shared commitment to promoting stability in the Eastern Mediterranean and the wider Middle East and emphasized the importance of fostering deeper engagement and corridors of interconnection from the Indian peninsula through the wider Middle East to Europe.

While recognizing Cyprus’ role as a gateway into Europe and, in this context, its prospect to serve as a regional hub for transshipment, storage, distribution, and logistics, they welcomed the prospect of Indian shipping companies establishing a presence in Cyprus, encouraging the advancement of maritime cooperation through joint ventures involving Cyprus-based and Indian maritime service providers as a means of further strengthening economic and logistical ties.

EU–India Strategic Engagement

Looking ahead to Cyprus’ Presidency of the Council of the European Union in early 2026, both leaders reaffirmed their commitment to strengthening EU–India relations. They recalled the milestone visit of the College of Commissioners to India, and expressed satisfaction on the launch of the first India-EU Strategic Dialogue and the progress already made in the priority areas identified during the visit including in trade, defence and security, maritime, connectivity, clean and green energy, and space.

Cyprus pledged to work towards the advancement of the EU-India strategic partnership during the Presidency. Both sides expressed readiness to support the conclusion of the EU–India Free Trade Agreement by the end of this year recognizing its significant economic and strategic potential. They also expressed their support for the ongoing work through the EU–India Trade and Technology Council and committed to sustaining a forward-looking agenda beyond the 2025 Strategic Roadmap to deepen this key global partnership.

Trade, Innovation, Technology and Economic Opportunity

Recognizing the growing strategic complementarity between Cyprus and India, the leaders committed to expanding economic ties through increased trade, investment, and collaboration in science, innovation, and research.

To advance cooperation, the two leaders noted they would welcome a Cypriot high-level delegation visiting India, including business representatives, as well as the organisation of a Cyprus–India Business Forum to promote investment opportunities. The two leaders also addressed the Cyprus–India Business Round Table on Advancing a Strategic Economic Partnership.

Both leaders agreed to promote collaboration in research, innovation, and technology, fostering stronger ties between startups, academic institutions, and industry, and supporting innovation exchanges in key sectors like artificial intelligence, digital infrastructure, and research, with a view of concluding a related MoU.

Mobility, Tourism, and People-to-people Ties

The two leaders recognized people-to-people ties as a strategic asset and multiplier for deepening economic and cultural ties. The two sides will work to finalise a Mobility Pilot Program Arrangement by the end of 2025.

Both sides emphasized the value of fostering mutual understanding through cultural and people-to-people ties. They agreed to explore opportunities for enhancing tourism and the establishment of direct air connectivity between Cyprus and India, as well as enhanced air routes via shared partners, to improve ease of travel and boost bilateral exchanges.

The Future: 2025-2029 Action Plan

This Joint Declaration reaffirms the strategic bond between Cyprus and India. Both leaders noted with satisfaction the progress in ongoing bilateral cooperation and expressed confidence that the partnership will continue to flourish, promoting peace, stability, and prosperity across their regions and beyond.

The leaders agreed that an Action Plan is to be prepared in order to guide bilateral relations between Cyprus and India for the next five years, under the supervision of the Ministry of Foreign Affairs of the Republic of Cyprus and the Ministry of External Affairs of the Republic of India.