Quoteमैं यहाँ आया हूँ – बच्चों की पढ़ाई, नौजवानों की कमाई और बुजुर्गों की दवाई के लिए; अच्छी शिक्षा, अच्छे जीवन और विकास के लिए: पीएम मोदी
Quoteमेरा 3 एजेंडा है – पहला विकास, दूसरा तेज़ गति से विकास और तीसरा चारों तरफ विकास: बंगाल में प्रधानमंत्री मोदी
Quote34 साल तक लेफ्ट ने बंगाल की प्रतिष्ठा और सम्मान को मिट्टी में मिला दिया और टीएमसी अर्थात टी फॉर टेरर, एम फॉर मौत और सी फॉर करप्शन: पीएम
Quoteलेफ़्ट और कांग्रेस का खेल देखिये - केरल में कुश्ती और बंगाल में दोस्ती: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteसत्ता में आने के बाद ममता जी ने कहा था कि मां, माटी और मानुष लेकिन हमने 5 साल में हर दिन देखा – मौत और पैसों का कारोबार: पीएम मोदी
Quoteहमारी सभी समस्याओं का समाधान केवल विकास में है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteदिल्ली पूरी ताक़त लगाएगा और पिछले कई वर्षों से बंगाल में जितनी बुराईयाँ हैं, उसे निकालने के लिए मैं कंधे से कंधा मिलकर काम करूँगा: मोदी
 

मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और विशाल संख्या में पधारे हुए आसनसोल के मेरे प्यारे भाईयों एवं बहनों 

आज मैं सुबह से पश्चिम बंगाल में दौरा कर रहा हूँ। टीवी पर आता है कि इस बार जून महीने में जो गर्मी पड़ती है, वो गर्मी अप्रैल महीने में शुरू हो गई है और इतनी भयंकर गर्मी के बीच पश्चिम बंगाल में चुनावी गर्मी है और आप लोगों का इतना जबर्दस्त उत्साह है। दिल्ली में बैठकर किसी को अंदाजा नहीं सकता कि पश्चिम बंगाल के चुनाव का मिजाज़ क्या है, यहाँ के लोगों का इरादा क्या है। मैंने ऐसा उत्साह पश्चिम बंगाल में कभी देखा नहीं था। मैं आप लोगों से एक शिकायत करना चाहता हूँ जब 2014 में लोकसभा का चुनाव था और मैं ख़ुद प्रधानमंत्री का उम्मीदवार था और इसी मैदान में आया था और तब इसकी आधी भीड़ भी नहीं थी। आज पश्चिम बंगाल का भविष्य तय करने के लिए आप जो उत्साह दिखा रहे हैं, ये मेरी शिकायत नहीं है, आपका अभिनंदन है। 

लेफ़्ट और टीएमसी और उसके पीछे भाग रही कांग्रेस, आने वाले दिनों में ये सभा देखने के बाद सोचेंगे कि कौन से गुंडे हैं जिनको आसनसोल भेजा जाए ताकि ये लोग मतदान न कर सकें, घपलेबाजी हो, हिंसा हो। ये सभा दीदी की भी नींद खराब कर देंगे और लेफ़्ट और सोनिया जी की भी नींद खराब कर देंगे। आप लोगों ने पूरे पश्चिम बंगाल को ये सन्देश दिया है कि अब पश्चिम बंगाल इन दोनों से मुक्ति चाहता है। क्या मिला पश्चिम बंगाल को? 34 साल तक लेफ्ट वालों ने बंगाल की प्रतिष्ठा, सम्मान को मिट्टी में मिला दिया और जब बाद में दीदी आई तो उन्होंने कहा था कि मां, माटी और मानुष लेकिन हमने 5 साल में हर दिन देखा – मौत का कारोबार, पैसों का कारोबार। 

यहाँ जिस प्रकार से बंगाल के लोगों के साथ धोखा किया गया, शारदा चिटफंड को कोई भूल सकता है क्या? गरीबों के पैसे डूबे हैं और ये पाप करने वाले जेलों में होने चाहिए थे, दीदी को ऐसे लोगों के खिलाफ़ कठोर कदम उठाने चाहिए थे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। ये सरकार गरीबों का धन लूटने वालों पर मेहरबानी करने वाली सरकार है। गरीब बेचारा कुछ सपने देखकर पैसे रखता था, बेटी की शादी हो या बच्चों की पढ़ाई लेकिन इन लुटेरों ने गरीब के पैसे हज़म कर लिये और उन्हें बेघर बना दिया। 

जब अच्छी एवं ईमानदार सरकार होती है तो गरीबों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं बनाती हैं। इन्होंने चिटफंड चलाया और हम प्रधानमंत्री जन-धन योजना लेकर आए; उन्होंने चिटफंड के नाम पर गरीबों से पैसे बनाए और हमने बिना पैसे गरीबों के खाते खोल दिए और मुफ़्त में अकाउंट खोलने की व्यवस्था कर दी। हमने गरीबों को रूपये कार्ड दिया ताकि उनके परिवार में कभी कोई संकट आ गया तो उसमें 2 लाख का बीमा होगा और परिवार को ये पैसा मिल जाएगा। अनेकों को ये मिला भी और जन-धन योजना के तहत हमने हिंदुस्तान के करोड़ों गरीबों के लिए बैंक के दरवाजे खोल दिए। असम हो, उड़ीसा हो, बंगाल हो, इन्होंने कहीं के गरीबों को नहीं छोड़ा। गरीबों को लूटने वालों को क्या चुनाव जीतना चाहिये? 

मैं आज आपसे आग्रह करने आया हूँ कि जिन-जिन लोगों ने गरीबों के पेट पर लात मारी है, ऐसे लोगों को इस चुनाव में एक पल के लिए भी स्वीकार नहीं करना चाहिए। 34 साल तक बंगाल में लेफ़्ट वालों की सरकार रही और उन्होंने बंगाल को बर्बाद कर दिया। दूर जाने की जरुरत नहीं है, 5 साल पहले चुनाव में कांग्रेस के नेता ने लेफ़्ट के खिलाफ़ क्या-क्या बोला था, ये आप वीडियो निकाल के सुन लो तो पता चल जाएगा कि लेफ़्ट वाले क्या करते थे और ये अजूबा देखो कि कांग्रेस वाले लेफ़्ट का कुर्ता पकड़ कर चल पड़े। जिस कांग्रेस पार्टी ने पहली बार केरल में लेफ़्ट की सरकार को धारा 356 लगाकर भंग कर दिया था और जिस कांग्रेस को लेफ़्ट के प्रति गुस्सा रहता था, आज पूरी कांग्रेस पार्टी लेफ़्ट के चरणों में जाकर बैठ गई है। ये जनता-जनार्दन जब देती है तो छप्पर फाड़कर देती है लेकिन जब ये लेती है तो कूड़े-कचरे की तरह साफ़ कर देती है। 

एक जमाना था जब कांग्रेस पार्टी 400 लोगों के साथ संसद में बैठती थी और जनता का गुस्सा ऐसा फूटा कि वे 40 पर आ गए। आज कांग्रेस की हालत देखो कि जीने-मरने के लिए लेफ़्ट के सामने झुकना पड़ा है और इनकी बेईमानी देखो - विचारधारा से अगर झगड़ा होता है तो ये केरल में भी होना चाहिए और वहां भी आमने-सामने लड़ना चाहिए लेकिन कांग्रेस का कमाल देखो कि केरल में वे कम्युनिस्ट को गाली दे रहे हैं और उनसे लड़ रहे हैं और बंगाल में कम्युनिस्ट को कंधे पर बिठाकर नाच रहे हैं। समझ नहीं आ रहा कि केरल में कुश्ती और बंगाल में दोस्ती? ये आप लोगों की आँखों में धूल झोंक रहे हैं। केरल में दोनों एक-दूसरे को गालियां देते हैं और बंगाल में कहते हैं कि बहुत अच्छे हैं और सबका भला करेंगे। 

एक जमाना था जब दीदी भ्रष्टाचार का नाम सुनती थी तो कुर्सी फेंक कर चली जाती थी लेकिन अब दीदी को क्या हो गया, ऐसा परिवर्तन कैसे आ गया। वो तो भ्रष्टाचार के खिलाफ़ रोड पर निकलती थीं, लाठियां झेलती थीं; आज इतना बड़ा स्कैंडल आ गया, टेंडर का सौदा होता है, नोटों की थप्पियाँ दी जा रही हैं और सब कैमरा पर है लेकिन इसके बावजूद दीदी ने कोई कदम नहीं उठाया। इसका मतलब है कि अब दीदी भ्रष्टाचार से एडजस्ट हो गई हैं; अब दीदी को ये सब ठीक लग रहा है। ये लुटते रूपये जनता के हैं और ये लूट बंद होना चाहिए। ये चुनाव एक ऐसा मौका है जब ऐसा करने वालों को राजनीति से हमेशा के लिए विदा कर देना चाहिए। 

मैं कभी कभी सोचता हूँ कि ये टीएमसी क्या है – टी फॉर टेरर, एम फॉर मौत और सी फॉर करप्शन। पांच सालों में टीएमसी का यह सीधा-सीधा मतलब निकल कर आया है। जब हम छोटे थे और लेफ़्ट वाले चुनाव जीतते थे तो हम लोगों से पूछते थे कि ये लेफ़्ट वाले चुनाव कैसे जीतते हैं तो समझदार लोग मुझे बताते थे कि यहाँ का चुनाव साइंटिफिक रिजीम करके जीता जाता था। साइंटिफिक रिजीम तो मैंने सुना था लेकिन दीदी के राज़ में मैं देख रहा हूँ - साइंटिफिक करप्शन। टेंडर का कारोबार टेंडर निकलने से पहले तय हो जाता है। 

अभी कोलकाता में करप्शन का भंडा फूट गया। विवेकानंद ब्रिज अनेकों की ज़िन्दगी को तबाह कर गया जिन्होंने अपनों को खोया है, उनके प्रति मेरी संवेदना है लेकिन दीदी मौत पर भी राजनीति कर रही हैं। ब्रिज गिरा है, लाशें पड़ी हैं, घायल लोग कराह रहे हैं और दीदी मदद करने के नाम पर कुछ नहीं बोलती हैं और कहती हैं इस ब्रिज का कॉन्ट्रैक्ट तो लेफ़्ट वालों ने दिया था। मैं पूछता हूँ कि अगर ये ब्रिज बन जाता तो आप उद्घाटन करने जाती कि नहीं और आप ब्रिज बनाने के क्रेडिट लेने की कोशिश करती कि नहीं। अगर लेफ़्ट वालों ने पाप किया तो उस पाप को आपने आगे क्यों बढ़ाया। पूरे पश्चिम बंगाल में जो लेफ़्ट वाले करके गए, उसे ही आगे बढ़ाने का काम दीदी कर रही हैं और इसलिए पश्चिम बंगाल को लेफ़्ट और दीदी, दोनों से मुक्ति चाहिए। 

जिस प्रकार से टेरर का माहौल बनाया जा रहा है, अपने विरोधियों को ख़त्म करने की कोशिश हो रही है, ये लोकतंत्र और उसके प्रति आस्था का प्रतीक नहीं है। इस चुनाव में जो डिबेट चल रही है, उससे मैं हैरान हूँ। वो पूछते हैं कि ममता जी के राज़ में कितनी हत्याएं हुईं तो ममता जी कहती हैं कि आपके राज़ में इतनी हत्याएं हुईं, लेफ़्ट वाले कहते हैं कि आपके ज़माने में इतनी बलात्कार की घटनाएँ हुईं तो ममता जी कहती हैं कि आपके ज़माने में इतनी हुईं, दोनों के बीच दंगों की गिनती हो रही है। मैं पूछता हूँ कि चुनाव में यही डिबेट चलेगा क्या? ये आरोप-प्रत्यारोप गलत है। अच्छा होता कि ये कहते कि लेफ़्ट वालों ने इतना रास्ता बनाया था और हमने उससे ज्यादा बना दिया; लेफ़्ट वालों ने इतने स्कूल खोले थे और हमने उससे ज्यादा स्कूल खोल दिए, ये स्पर्धा होनी चाहिए थी लेकिन यहाँ स्पर्धा इस बात की हो रही है कि कौन ज्यादा बुरा है। 

भाईयों-बहनों, हमारी सरकार को 2 साल होने को आए हैं। आपने कभी अपने सांसद बाबुल सुप्रियो जो मेरी सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री हैं, उनके ऊपर एक भी आरोप सुना है क्या? 2 साल से हम बैठे हैं, हमने एक भी पाप नहीं किया, ऐसे सरकार चलाई जाती है। हमारी सभी समस्याओं का समाधान चुनावी खोखलेबाजी से नहीं होने वाला है। मेरा 3 एजेंडा है – पहला विकास, दूसरा तेज़ गति से विकास और तीसरा चारों तरफ विकास, जिस पर मैं पिछले साल से काम कर रहा हूँ और यहाँ भी करना चाहता हूँ। आप मुझे सेवा करने का मौका दीजिए। हमारी सभी समस्याओं का समाधान विकास में है। 

आप हैरान होंगे कि ये पश्चिम बंगाल इतना प्यारा और प्रगतिशील था कि अंग्रेजों को भी कोलकाता में आकर अपना काम करने का मन कर गया था, ऐसा शानदार और जानदार हुआ करता था हमारा बंगाल। बंगाल पूरे देश को दिशा दिखाता था लेकिन आज इस बंगाल की स्थिति देखिये। सुभाष भाई के भतीजे, चन्द्र कुमार बोस भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं और दीदी ऐसी घबरा गई हैं और दीदी ने ऐसा टेरर दिया है कि कोई चन्द्र बोस को दफ्तर खोलने की जगह नहीं दे रहा है। लोग कहते हैं कि हम वोट दे देंगे लेकिन जब तक दीदी हैं तब तक हम आपको मकान नहीं दे पाएंगे वर्ना हम जिंदा नहीं रह पाएंगे। ये लोकतंत्र है क्या? 

आसनसोल सुंदर नगरी के रूप में जाना जाता था। अभी भारत सरकार पूरे देश में लगातार स्पर्धा करती है और ज्यूरी निष्पक्षता से उसकी जाँच करती है। 2016 के शुरू में इस देश के 72 शहरों में सफ़ाई को लेकर स्पर्धा हुई। दो महीने का समय दिया गया कि आपको क्या-क्या करना है। आपको जानकर दुःख होगा कि आसनसोल उस सूची में नीचे से दूसरे पायदान पर था। दीदी ने आसनसोल को ऐसा बना दिया कि पूरे हिंदुस्तान में इसकी इज्ज़त को मिट्टी में मिला दिया। आसनसोल एक औद्योगिक नगरी रही है, साफ़-सुथरा होना चाहिए लेकिन न बंगाल की सरकार को परवाह है और न यहाँ बैठे हुए लोगों को परवाह है। 

मैं कहता हूँ कि आप इन लोगों से मुक्ति लेकर बंगाल में भाजपा को स्वीकार करें। दिल्ली पूरी ताक़त लगाएगा और जितनी बुराईयाँ यहाँ पिछले कई वर्षों से हैं, उसे निकालने के लिए मैं कंधे से कंधा मिलकर काम करूँगा। साइंटिफिक रिजीम और साइंटिफिक करप्शन; पश्चिम बंगाल में सिंडिकेट के नाम पर सारा कारोबार हड़प लिया जाता है। कोयले की कालाबाजारी में सिंडिकेट का क्या नाता है और ये सिंडिकेट लेफ़्ट वालों ने शुरू किया और तृणमूल वालों ने उसे आगे बढ़ाया है। मैंने पहले भी कहा है कि जिन्होंने देश का कोयला भी नहीं छोड़ा, उन्हें हम नहीं छोड़ेंगे। आपने कुछ दिन पहले देखा होगा कि कोयले की कालाबाजारी करने वाले कुछ लोगों को सजा भी हो गई और जेल भी हो गया और अब आगे औरों की भी बारी है। 

हमने करप्शन के खिलाफ़ लड़ाई चलाई है और मैं जानता हूँ कि मैं जितना इन चीजों को ठीक करता हूँ, उतना इन लोगों को परेशानी ज्यादा होती है। इसलिए वे जोर से चिल्लाते हैं क्योंकि उनको पता है कि अब उनके जेल में जाने के दिन आ रहे हैं। विकास की बात को छोड़कर और बातें जो उठाई जा रही हैं, उसका मूल कारण यही है कि मुसीबत अब उनके कदमों तक पहुँचने की तयारी कर रही है। कहीं भी जोर से आवाज़ सुनाई दे तो समझ लेना कि मोदी ने कोई ऐसा कदम उठाया है जिससे बेईमान लोगों के लिए परेशानी आनी शुरू हो गई है। 

मैं आपके पास वोट मांगने आया हूँ। मुझे वोट चाहिए – बच्चों की पढ़ाई के लिए, नौजवानों की कमाई के लिए, बुजुर्गों की दवाई के लिए, अच्छी शिक्षा के लिए, अच्छे जीवन के लिए, विकास के लिए। आप पूरी तरह समर्थन देकर भाजपा के उम्मीदवारों को विजयी बनाईए। 

बहुत-बहुत धन्यवाद!
Explore More
हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी
From Kartavya Bhavan, PM Modi charts path for world’s third-largest economy

Media Coverage

From Kartavya Bhavan, PM Modi charts path for world’s third-largest economy
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
भारत अपने किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा: पीएम मोदी
August 07, 2025
Quoteडॉ. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया: प्रधानमंत्री
Quoteडॉ. स्वामीनाथन ने जैव विविधता से आगे बढ़कर जैव-सुख की दूरदर्शी अवधारणा दी: प्रधानमंत्री
Quoteभारत अपने किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा: प्रधानमंत्री
Quoteहमारी सरकार ने किसानों की शक्ति को देश की प्रगति की आधारशिला के रूप में मान्यता दी है: प्रधानमंत्री
Quoteखाद्य सुरक्षा की विरासत पर निर्माण करते हुए, हमारे कृषि वैज्ञानिकों के लिए अगला लक्ष्य सभी के लिए पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है: प्रधानमंत्री

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी शिवराज सिंह चौहान जी, एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. सौम्या स्वामीनाथन जी, नीति आयोग के सदस्य डॉ. रमेश चंद जी, मैं देख रहा हूं स्वामीनाथन जी के परिवार से भी सभी जन यहां मौजूद हैं, मैं उनको भी प्रणाम करता हूं। सभी साइंटिस्ट्स, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनका योगदान किसी एक कालखंड तक सीमित नहीं रहता, किसी एक भू-भाग तक सीमित नहीं रहता। प्रोफेसर एम. एस. स्वामीनाथन ऐसे ही महान वैज्ञानिक थे, मां भारती के सपूत थे। उन्होंने विज्ञान को जनसेवा का माध्यम बनाया। देश की खाद्य सुरक्षा को, फूड सेक्योरिटी को उन्होंने अपने जीवन का ध्येय बना लिया। उन्होंने वो चेतना जागृत की, जो आने वाली कई सदियों तक भारत की नीतियां और प्राथमिकताओं को दिशा देती रहेगी। मैं आप सभी को स्वामीनाथन जन्मशताब्दी समारोह की शुभकामनाएं देता हूं।

|

साथियों,

आज 7 अगस्त, नेशनल हैंडलूम डे भी है। पिछले 10 सालों में हैंडलूम सेक्टर को देशभर में नई पहचान और ताकत मिली है। मैं आप सभी को, हैंडलूम सेक्टर से जुड़े लोगों को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की बधाई देता हूं।

साथियों,

डॉ. स्वामीनाथन के साथ मेरा जुड़ाव कई वर्षों पुराना था। गुजरात की पहले की स्थितियां बहुत लोगों को पता हैं, पहले वहां सूखे और चक्रवात की वजह से कृषि पर काफी संकट रहता था, कच्छ का रेगिस्तान बढ़ता चला जा रहा था। जब मैं मुख्यमंत्री था, तो उसी दौरान हमने सॉयल हेल्थ कार्ड योजना पर काम शुरू किया। मुझे याद है, प्रोफेसर स्वामीनाथन ने उसमें बहुत ज्यादा इंटरेस्ट दिखाया था। उन्होंने खुले दिल से हमें सुझाव दिया, हमारा मार्गदर्शन किया। उनके योगदान से इस पहल को जबरदस्त सफलता भी मिली। करीब 20 साल हुए, जब मैं तमिलनाडु में उनके रिसर्च फाउंडेशन के सेंटर पर गया था। साल 2017 में मुझे उनकी लिखी किताब ‘द क्वेस्ट फॉर अ वर्ल्ड विदआउट हंगर’ उसको रिलीज करने का मौका मिला था। साल 2018 में जब वाराणसी में International Rice Research Institute के Regional Centre का उद्घाटन हुआ, तो भी उनका मार्गदर्शन हमें मिला। उनसे हुई हर मुलाकात मेरे लिए एक लर्निंग एक्सपीरियंस होती थी, उन्होंने एक बार कहा था, science is not just about discovery, but delivery. और उन्होंने इसे अपने कार्यों से सिद्ध किया। वो केवल रिसर्च नहीं करते थे, बल्कि खेती के तौर-तरीके बदलने के लिए किसानों को प्रेरित भी करते थे। आज भी भारत के एग्रीकल्चर सेक्टर में उनकी अप्रोच, उनके विचार हर तरफ नजर आते हैं। वो सही मायने में मां भारती के रत्न थे। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि डॉ. स्वामीनाथन को हमारी सरकार में भारत रत्न से सम्मानित करने का सौभाग्य मिला।

साथियों,

डॉ. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने का अभियान चलाया। लेकिन उनकी पहचान हरित क्रांति से भी आगे बढ़कर थी। वो खेती में chemical के बढ़ते प्रयोग और monoculture farming के खतरों से किसानों को लगातार जागरूक करते रहे। यानी एक तरफ वो ग्रेन प्रोडक्शन बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे, और साथ ही उन्हें environment की, धरती मां की भी चिंता थी। दोनों के बीच संतुलन साधने और चुनौतियों का समाधान करने के लिए उन्होंने एवरग्रीन रेवोल्यूशन का कॉन्सेप्ट दिया। उन्होंने बायो-विलेज का कॉन्सेप्ट दिया, जिसके जरिए गांव के लोगों और किसानों का सशक्तिकरण हो सकता है। उन्होंने कम्युनिटी सीड बैंक, और अपॉरचुनिटी क्रॉप्स जैसे आइडियाज को बढ़ावा दिया।

|

साथियों,

डॉ. स्वामीनाथन मानते थे कि क्लाइमेट चेंज और न्यूट्रीशन की चुनौती का हल उन्हीं फसलों में छुपा है, जिन्हें हमने भुला दिया है। ड्राउट- टॉलरेन्स और सॉल्ट टॉलरेन्स पर उनका फोकस था। उन्होंने मिलेट्स-श्रीअन्न पर उस समय काम किया, जब मिलेट्स को कोई पूछता नहीं था। डॉ. स्वामीनाथन ने वर्षों पहले ये सुझाव दिया था कि मैंग्रोव की जेनेटिक क्वालिटी को धान में ट्रांसफर किया जाना चाहिए। इससे फसलें भी जलवायु के अनुकूल बनेंगी। आज जब हम climate adaptation की बात करते हैं, तो महसूस होता है कि वो कितना आगे की सोचते थे।

साथियों,

आज दुनियाभर में बायोडायवर्सिटी को लेकर चर्चा होती है, इसे सुरक्षित रखने के लिए सरकारें अनेक कदम उठा रही हैं। लेकिन डॉ. स्वामीनाथन ने एक कदम आगे बढ़ते हुए बायोहैप्पीनेस का आइडिया दिया। आज हम यहां इसी आइडिया को सेलीब्रेट कर रहे हैं। डॉ. स्वामीनाथन कहते थे कि बायोडायवर्सिटी की ताकत से हम स्थानीय लोगों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं, local resources के इस्तेमाल से लोगों के लिए आजीविका के नए साधन बना सकते हैं। और जैसा उनका व्यक्तित्व था, अपने आइडियाज को वो जमीन पर उतारने में माहिर थे। अपने रिसर्च फाउंडेशन के द्वारा उन्होंने नई खोजों का लाभ किसानों तक पहुंचाने का निरंतर प्रयास किया। हमारे छोटे किसान, हमारे मछुआरे भाई-बहन, हमारे ट्राइबल कम्यूनिटी, इन सबको उनके प्रयासों से बहुत लाभ हुआ है।

साथियों,

आज मुझे इस बात की विशेष खुशी है कि प्रोफेसर स्वामीनाथन की विरासत को सम्मान देने के लिए एम. एस. स्वामीनाथन अवॉर्ड फॉर फूड एंड पीस शुरू हुआ है। ये इंटरनेशनल अवॉर्ड विकासशील देशों के उन व्यक्तियों को दिया जाएगा, जिन्होंने फूड सिक्योरिटी की दिशा में बड़ा काम किया है। फूड एंड पीस, भोजन और शांति का रिश्ता जितना दार्शनिक है, उतना ही प्रैक्टिकल भी है। हमारे यहां, उपनिषदों में कहा गया है- अन्नम् न निन्द्यात्, तद् व्रतम्। प्राणो वा अन्नम्। शरीरम् अन्नादम्। प्राणे शरीरम् प्रतिष्ठितम्। अर्थात्, हमें अन्न की, अनाज की अवहेलना या उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। प्राण अर्थात् जीवन, अन्न ही है।

|

इसलिए साथियों,

अगर अन्न का संकट पैदा होता है, तो जीवन का संकट पैदा होता है। और जब हजारों लाखों लोगों के जीवन का संकट बढ़ता है, तो वैश्विक अशांति भी स्वभाविक है। इसलिए एम. एस. स्वामीनाथन अवॉर्ड फॉर फूड एंड पीस बहुत ही अहम है। मैं यह पहला अवार्ड पाने वाले नाइजीरिया के टैलेंटेड साइंटिस्ट प्रोफेसर आडेनले, उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

आज भारतीय कृषि जिस ऊंचाई पर है, वो देखकर डॉ. स्वामीनाथन जहां भी होंगे, उन्हें गर्व होता होगा। आज भारत दूध, दाल और जूट के प्रॉडक्शन में नंबर वन है। आज भारत चावल, गेहूं, कपास, फल और सब्ज़ी के उत्पादन में नंबर टू पर है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फिश प्रोड्यूसर भी है। पिछले साल भारत ने अब तक का सबसे ज़्यादा food grain production किया है। ऑयल सीड्स में भी हम रिकॉर्ड बना रहे हैं। सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, सभी का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है।

साथियों,

हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों के, पशुपालकों के, और मछुवारे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। और मैं जानता हूं व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। मेरे देश के किसानों के लिए, मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशुपालकों के लिए आज भारत तैयार है। किसानों की आय बढ़ाना, खेती पर खर्च कम करना, आय के नए स्रोत बनाना, इन लक्ष्यों पर हम लगातार काम कर रहे हैं।

|

साथियों,

हमारी सरकार ने किसानों की ताकत को देश की प्रगति का आधार माना है। इसलिए बीते वर्षों में जो नीतियां बनीं, उनमें सिर्फ मदद नहीं थी, किसानों में भरोसा बढ़ाने का प्रयास भी था। पीएम किसान सम्मान निधि से मिलने वाली सीधी सहायता ने छोटे किसानों को आत्मबल दिया है। पीएम फसल बीमा योजना ने किसानों को जोखिम से सुरक्षा दी है। सिंचाई से जुड़ी समस्याओं को पीएम कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से दूर किया गया है। 10 हजार FPOs के निर्माण ने छोटे किसानों की संगठित शक्ति बढ़ाई है, Co-operatives, और self-help groups को आर्थिक मदद ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति दी है। e-NAM की वजह से किसानों को अपनी उपज बेचने की आसानी हुई है। PM किसान संपदा योजना ने नई फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, भंडारण के अभियान को भी गति दी है। हाल ही में पीएम धन धान्य योजना को भी मंजूरी दी गई है। इसके तहत उन 100 डिस्ट्रिक्ट को चुना गया है, जहां खेती पिछड़ी रही। यहां सुविधाएं पहुंचाकर, किसानों को आर्थिक मदद देकर खेती में नया भरोसा पैदा किया जा रहा है।

साथियों,

21वीं सदी का भारत विकसित होने के लिए पूरे जी-जान से जुटा है। और ये लक्ष्य, हर वर्ग, हर प्रोफेशन के योगदान से ही हासिल होगा। डॉ. स्वामीनाथन से प्रेरणा लेते हुए, अब देश के वैज्ञानिकों के पास एक बार फिर इतिहास रचने का मौका है। पिछली पीढ़ी के वैज्ञानिकों ने food security सुनिश्चित की। अब nutritional security पर फोकस करने की आवश्यकता है। हमें बायो-फोर्टिफाइड और न्यूट्रीशन से भरपूर फसलों को व्यापक स्तर पर बढ़ाना होगा, ताकि लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो। केमिकल का उपयोग कम हो, नैचुरल फार्मिंग को बढ़ावा मिले, इसके लिए हमें अधिक तत्परता दिखानी होगी।

साथियों,

क्लाइमेट चेंज से जुड़ी चुनौतियों से आप भली-भांति परिचित हैं। हमें climate-resilient crops की ज्यादा से ज्यादा वैरायटीज को विकसित करना होगा। ड्राउट-tolerant, heat-resistant और flood-adaptive फसलों पर फोकस करना होगा। फसल चक्र कैसे बदला जाए, किस मिट्टी के लिए क्या उपयुक्त है, उस पर अधिक रिसर्च होनी चाहिए। इसके साथ ही, हमें सस्ते सॉइल टेस्टिंग टूल्स और nutrient management के तरीके, उसको भी विकसित करने की आवश्यकता है।

|

साथियों,

हमें solar-powered micro-irrigation की दिशा में और ज्यादा काम करने की आवश्कता है। ड्रिप सिस्टम और प्रिसिशन इरिगेशन को हमें ज्यादा व्यापक और असरदार बनाना होगा। क्या हम सैटेलाइट डेटा, AI और मशीन लर्निंग को जोड़ सकते हैं? क्या हम ऐसा सिस्टम बना सकते हैं, जो उपज का पूर्वानुमान दे सके, कीटों की निगरानी कर सके, और बुवाई के लिए गाइड कर सके? क्या हर जिले में ऐसा real-time decision support system पहुंचाया जा सकता है? आप सभी एग्री-टेक startups को भी निरंतर गाइड करते रहिए। आज बड़ी संख्या में innovative युवा खेती की समस्याओं का समाधान निकालने में जुटे हैं। अगर आप, जो अनुभवी लोग हैं, आप अगर लोग उन्हें गाइड करेंगे, तो उनके बनाए प्रोडक्ट ज्यादा प्रभावशाली होंगे, और यूजर फ्रेंडली होंगे।

साथियों,

हमारे किसान और हमारे किसान समुदायों के पास पारंपरिक ज्ञान का खजाना है। Traditional Indian agricultural practices, और modern science को जोड़कर एक holistic knowledge base तैयार किया जा सकता है। Crop diversification भी आज एक national priority है। हमें अपने किसानों को बताना होगा कि इसका क्या महत्व है। हमें समझाना होगा कि इससे क्या फायदे होंगे, साथ ही ये भी बताना होगा कि ऐसा ना करने पर क्या नुकसान होंगे। और इसके लिए आप बहुत बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं।

|

साथियों,

पिछले साल जब मैं 11 अगस्त को यहां पूसा कैंपस में आया था, तो कहा था कि एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी को लैब से लैंड तक पहुंचाने के लिए प्रयास बढ़ाएं। मुझे खुशी है कि मई-जून के महीने में “विकसित कृषि संकल्प अभियान” चलाया गया। पहली बार देश के 700 से ज्यादा जिलों में वैज्ञानिकों की करीब 2200 टीमों ने भाग लिया, 60 हजार से ज्यादा कार्यक्रम किए, इतना ही नहीं, करीब-करीब सवा करोड़ जागरूक किसानों के साथ सीधा संवाद किया। हमारे वैज्ञानिकों का ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचने का ये प्रयास बहुत ही सराहनीय है।

साथियों,

डॉ.एम. एस. स्वामीनाथन ने हमें सिखाया था कि खेती सिर्फ फसल की नहीं होती, खेती लोगों की जिंदगी होती है। खेत से जुड़े हर इंसान की गरिमा, हर समुदाय की खुशहाली और प्रकृति की सुरक्षा, यही हमारी सरकार की कृषि नीति की ताकत है। हमें विज्ञान और समाज को एक धागे में जोड़ना है, छोटे किसान के हितों को सर्वोपरि रखना है, और खेतों में काम करने वाली महिलाओं को सशक्त करना है, Empower करना है। हम इसी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ें, डॉ. स्वामीनाथन की प्रेरणा हम सभी के साथ है। मैं एक बार फिर आप सभी को इस समारोह की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।