प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में वर्ल्ड फ़ूड इंडिया 2025 के दौरान एक जनसभा को संबोधित किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान, उद्यमी, निवेशक, नवोन्मेषी और उपभोक्ता, सभी इस आयोजन में एक साथ उपस्थित हैं, जिससे वर्ल्ड फ़ूड इंडिया नए संपर्क, नए जुड़ाव और रचनात्मकता का एक मंच बन गया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अभी प्रदर्शनियों का दौरा किया और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इनमें मुख्य रूप से पोषण, तेल की खपत कम करने और पैकेज्ड उत्पादों की स्वास्थ्यवर्धकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। प्रधानमंत्री ने आयोजन में भाग लेने वाले सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएँ दीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक निवेशक निवेश करने से पहले किसी स्थान की प्राकृतिक शक्तियों का मूल्यांकन करता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज, वैश्विक निवेशक—विशेषकर खाद्य क्षेत्र के निवेशक—भारत की ओर बड़ी आशा भरी नज़रों से देख रहे हैं। श्री मोदी ने कहा, "भारत में विविधता, माँग और पैमाने की तिहरी शक्ति विद्यमान है।" उन्होंने कहा कि भारत हर प्रकार के अनाज, फल और सब्जियों का उत्पादन करता है और यही विविधता देश को वैश्विक परिदृश्य में विशिष्ट स्थान प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि हर सौ किलोमीटर पर व्यंजन और उनके स्वाद बदल जाते हैं, जो भारत की समृद्ध पाक-कला विविधता को प्रतिबिंबित करते हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह मजबूत घरेलू माँग भारत को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त देती है और इसे निवेशकों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य स्थल बनाती है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत अभूतपूर्व और असाधारण पैमाने पर काम कर रहा है। पिछले दस वर्षों में, 25 करोड़ लोग गरीबी से उबर चुके हैं और अब नव मध्यम वर्ग का हिस्सा हैं - जो भारत का सबसे ऊर्जावान और आकांक्षी वर्ग है।" उन्होंने कहा कि इस वर्ग की आकांक्षाएं खाद्य रुझानों को आकार दे रही हैं और माँग को बढ़ा रही हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के प्रतिभाशाली युवा विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार कर रहे हैं और खाद्य क्षेत्र भी इसका अपवाद नहीं है। श्री मोदी ने कहा, "भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है, जहाँ कई स्टार्ट-अप खाद्य और कृषि क्षेत्र में काम कर रहे हैं।" उन्होंने बताया कि एआई, ई-कॉमर्स, ड्रोन और ऐप जैसी तकनीकों को इस क्षेत्र में एकीकृत किया जा रहा है, जिससे आपूर्ति श्रृंखला, खुदरा बिक्री और प्रसंस्करण विधियों में बदलाव आ रहा है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत विविधता, माँग और नवाचार प्रदान करता है - ये सभी प्रमुख कारक इसे निवेश के लिए सबसे आकर्षक गंतव्य बनाते हैं। लाल किले से अपने संदेश को दोहराते हुए, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत में निवेश और विस्तार का यह सही समय है।
यह मानते हुए कि इक्कीसवीं सदी की चुनौतियाँ को सभी भली-भाँति जानते हैं और जब भी वैश्विक चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं, भारत ने लगातार सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए आगे कदम बढ़ाया है, श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा में सक्रिय योगदान दे रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि किसानों, पशुपालकों और मछुआरों की कड़ी मेहनत और सरकारी नीतियों के सहयोग से भारत के कृषि क्षेत्र की मज़बूती बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में खाद्यान्न उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो वैश्विक दूध आपूर्ति में 25% का योगदान देता है, और मोटे अनाजों का भी अग्रणी उत्पादक है। उन्होंने आगे कहा कि चावल और गेहूँ उत्पादन में भारत विश्व स्तर पर दूसरे स्थान पर है और फलों, सब्जियों और मत्स्य पालन में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब भी

वैश्विक फसल संकट होती है या आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान आता है, भारत दृढ़ता से खड़ा होता है और अपनी ज़िम्मेदारी निभाता है।
इस बात पर ज़ोर देते हुए कि भारत वैश्विक हित में अपनी क्षमता और योगदान बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार प्रत्येक हितधारक को शामिल करके संपूर्ण खाद्य एवं पोषण इकोसिस्टम को मजबूत कर रही है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें अब 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को पीएलआई योजना और मेगा फ़ूड पार्कों के विस्तार से भी लाभ हुआ है। श्री मोदी ने कहा कि भारत वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण अवसंरचना योजना चला रहा है। उन्होंने पुष्टि की कि सरकार के ये प्रयास परिणाम दे रहे हैं, पिछले दस वर्षों में भारत की प्रसंस्करण क्षमता बीस गुनी बढ़ गई है और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात दोगुने से भी अधिक हो गया है।

भारत की खाद्य आपूर्ति और मूल्य श्रृंखला में किसानों, पशुपालकों, मछुआरों और लघु प्रसंस्करण इकाइयों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने कहा कि पिछले दशक में सरकार ने इन सभी हितधारकों को मजबूत किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में 85% से ज्यादा किसान छोटे या सीमांत हैं, इसलिए उन्हें सशक्त बनाने के लिए नीतियां और सहायता प्रणालियां विकसित की गईं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आज ये छोटे किसान बाज़ार में एक बड़ी ताकत बनकर उभर रहे हैं।
स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का उल्लेख करते हुए, जिनमें भारत भर के करोड़ों ग्रामीण शामिल हैं, श्री मोदी ने कहा कि सरकार इन समूहों को ऋण-आधारित सब्सिडी के माध्यम से सहायता प्रदान कर रही है और लाभार्थियों को 800 करोड़ रुपये पहले ही अंतरित किए जा चुके हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का भी विस्तार कर रही है, 2014 से अब तक 10,000 एफपीओ स्थापित किए जा चुके हैं, जो लाखों छोटे किसानों को जोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये एफपीओ किसानों को अपनी उपज बड़े पैमाने पर बाज़ारों तक पहुँचाने में मदद करते हैं और ब्रांडेड उत्पाद विकसित करके खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भी प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के एफपीओ की ताकत अद्भुत है, 15,000 से ज़्यादा उत्पाद अब ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध हैं। उन्होंने कश्मीर के बासमती चावल, केसर और अखरोट; हिमाचल प्रदेश के जैम और सेब का जूस; राजस्थान के मोटे अनाजों के बिस्कुट; मध्य प्रदेश के सोया नगेट्स; बिहार के सुपरफूड मखाना; महाराष्ट्र के मूंगफली का तेल और गुड़; और केरल के केले के चिप्स और नारियल तेल जैसे उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, एफपीओ भारत की कृषि विविधता को हर घर तक पहुँचा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि 1,100 से ज़्यादा एफपीओ करोड़पति बन चुके हैं, जिनका वार्षिक कारोबार 1 करोड़ रुपये से ज़्यादा है और ये किसानों की आय बढ़ाने और युवाओं के लिए रोज़गार पैदा करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

श्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि एफपीओ के साथ-साथ भारत में सहकारी समितियों की भी अपार शक्ति है। उन्होंने कहा कि यह वर्ष अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष है और भारत में, सहकारी समितियां डेयरी क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रही हैं। इनके महत्व को समझते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारी समितियों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप नीतियाँ तैयार करने के लिए एक समर्पित मंत्रालय की स्थापना की गई है। उन्होंने आगे कहा कि इस क्षेत्र के लिए कर और पारदर्शिता सुधार भी लागू किए गए हैं। इन नीतिगत परिवर्तनों के परिणामस्वरूप, सहकारी क्षेत्र को नई ताकत मिली है।
समुद्री और मत्स्य पालन क्षेत्र में भारत की प्रभावशाली वृद्धि पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने कहा कि पिछले एक दशक में, सरकार ने मत्स्य पालन से संबंधित अवसंरचना का विस्तार किया है और मछुआरों को वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिसमें गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाली नौकाओं के लिए सहायता भी शामिल है। परिणामस्वरूप, समुद्री उत्पादन और निर्यात दोनों में वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र अब लगभग तीन करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि आधुनिक प्रसंस्करण संयंत्रों, कोल्ड चेन अवसंरचना और स्मार्ट पत्तनों में निवेश के साथ, समुद्री उत्पाद प्रसंस्करण के विस्तार के प्रयास जारी हैं।
इस बात पर ज़ोर देते हुए कि सरकार फसलों की सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक में निवेश कर रही है, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किसानों को खाद्य विकिरण तकनीकों से जोड़ा जा रहा है, जिससे कृषि उत्पादों की उपयोग-अवधि बढ़ी है और खाद्य सुरक्षा मजबूत हुई है। उन्होंने पुष्टि की कि इस कार्य में लगी इकाइयों को सरकार से व्यापक समर्थन मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत नवाचार और सुधारों के एक नए पथ पर आगे बढ़ रहा है, और अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों पर व्यापक चर्चा हो रही है।" उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये सुधार किसानों के लिए कम लागत और ज़्यादा मुनाफ़ा सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने बताया कि मक्खन और घी पर अब केवल 5% जीएसटी लगता है, जिससे उन्हें काफ़ी राहत मिली है, जबकि दूध के डिब्बों पर भी केवल 5% कर लगता है, जिससे किसानों और उत्पादकों को बेहतर क़ीमतें सुनिश्चित होती हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इससे ग़रीब और मध्यम वर्ग को कम कीमतों पर ज्यादा पोषण मिलेगा। श्री मोदी ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को इन सुधारों से काफ़ी फ़ायदा होगा, क्योंकि उपभोग के लिए तैयार और संरक्षित फल, सब्जियां और मेवे अब 5% जीएसटी श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने आगे कहा कि 90% से ज़्यादा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद शून्य या 5% कर श्रेणी में आते हैं। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि जैव-कीटनाशकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों पर जीएसटी कम कर दिया गया है, जिससे जैव-इनपुट ज्यादा किफायती हो गए हैं। इससे छोटे जैविक किसानों और एफपीओ को सीधे तौर पर फायदा हो रहा है।
जैविक रूप से अपघटित होने वाले (बायोडिग्रेडेबल) पैकेजिंग को समय की मांग बताते हुए, श्री मोदी ने कहा कि उत्पादों को ताज़ा और उच्च गुणवत्ता वाला रखना ज़रूरी है, साथ ही प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाना भी उतना ही ज़रूरी है। इसी भावना से, सरकार ने जैविक रूप से अपघटित होने वाले (बायोडिग्रेडेबल) पैकेजिंग पर जीएसटी को 18% से घटाकर 5% कर दिया है। प्रधानमंत्री ने सभी उद्योग हितधारकों से जैविक रूप से अपघटित होने वाले पैकेजिंग से संबंधित नवाचारों में निवेश करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत ने खुले मन से दुनिया के लिए अपने दरवाजे खोले हैं और देश खाद्य श्रृंखला के सभी क्षेत्रों में निवेशकों का स्वागत करता है। उन्होंने सहयोग के लिए भारत की तत्परता दोहराते हुए अपने भाषण का समापन किया और एक बार फिर कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी लोगों को बधाई दी।
इस कार्यक्रम में रूस के उप-प्रधानमंत्री महामहिम श्री दिमित्री पात्रुशेव, केंद्रीय मंत्री श्री चिराग पासवान, श्री रवनीत सिंह, श्री प्रतापराव जाधव सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
वर्ल्ड फ़ूड इंडिया का 2025 संस्करण 25 से 28 सितंबर तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित किया जा रहा है। यह खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र, खाद्य स्थायित्व और पौष्टिक एवं जैविक खाद्य उत्पादन में भारत की क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा।

वर्ल्ड फूड इंडिया में, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण (पीएमएफएमई) योजना के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 2,510 करोड़ रुपये से अधिक की सूक्ष्म परियोजनाओं के लिए लगभग 26,000 लाभार्थियों को 770 करोड़ रुपये से अधिक की ऋण-आधारित सहायता प्रदान की जाएगी।
वर्ल्ड फूड इंडिया में सीईओ गोलमेज बैठकें, तकनीकी सत्र, प्रदर्शनियाँ और बी2बी (व्यवसाय-से - व्यवसाय), बी2जी (व्यवसाय-से-शासन) और जी2जी (शासन-से-शासन) बैठकों सहित कई व्यावसायिक बातचीत कार्यक्रम शामिल होंगे। इसमें फ्रांस, जर्मनी, ईरान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, डेनमार्क, इटली, थाईलैंड, इंडोनेशिया, ताइवान, बेल्जियम, तंजानिया, इरिट्रिया, साइप्रस, अफगानिस्तान, चीन और अमेरिका सहित 21 प्रदर्शनी देशों के साथ-साथ 150 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागी भी शामिल होंगे।

वर्ल्ड फ़ूड इंडिया में कई विषयगत सत्र भी होंगे, जिनमें भारत एक वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण केंद्र के रूप में, खाद्य प्रसंस्करण में स्थायित्व और नेट ज़ीरो, खाद्य प्रसंस्करण की सीमाएं, भारत का पालतू पशु खाद्य उद्योग, पोषण और स्वास्थ्य के लिए प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, पादप-आधारित खाद्य पदार्थ, न्यूट्रास्युटिकल्स, विशिष्ट खाद्य पदार्थ जैसे विविध विषयों को शामिल किया जाएगा। इसमें 14 मंडप होंगे, जिनमें से प्रत्येक विशिष्ट विषय पर आधारित होगा और लगभग 1,00,000 आगंतुकों को आकर्षित करेगा।
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India has the triple strength of diversity, demand and scale. pic.twitter.com/C0XgWdyP6Y
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In the last 10 years, 25 crore people in India have overcome poverty. pic.twitter.com/kBKTaiZcT5
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Today, India is the world's third-largest start-up ecosystem, with many start-ups working in the food and agriculture sectors. pic.twitter.com/0PvhS8QVS4
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India is continuously contributing to global food security. pic.twitter.com/7PJ9YLESMy
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Today, small farmers are becoming a major force in the market. pic.twitter.com/TdqffjLyWj
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In India, cooperatives are giving our dairy sector and our rural economy a new strength. pic.twitter.com/wg6AJHzoeR
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