अगली पीढ़ी के वस्तु और सेवाकर सुधार 22 सितंबर से लागू होंगे, यह जीएसटी बचत उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है: प्रधानमंत्री
प्रत्येक नागरिक के लिए वस्तु और सेवाकर लाभों की एक नई लहर आ रही है: प्रधानमंत्री मोदी
वस्तु और सेवाकर सुधार भारत की विकास गाथा को गति प्रदान करेंगे: प्रधानमंत्री
नए वस्तु और सेवाकर सुधार लागू होने के बाद अब केवल 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत कर स्लैब रहेंगे: प्रधानमंत्री मोदी
कम वस्तु और सेवाकर के साथ, नागरिकों के लिए अपने सपने पूरे करना आसान होगा: प्रधानमंत्री
नागरिकों की सेवा का सार अगली पीढ़ी के वस्तु और सेवाकर सुधारों में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होता है: प्रधानमंत्री मोदी
देश को जो चाहिए और जो भारत में बनाया जा सकता है, वह भारत में ही बनाया जाना चाहिए: प्रधानमंत्री
भारत की समृद्धि को आत्मनिर्भरता से बल मिलेगा: प्रधानमंत्री मोदी
आइए, भारत में निर्मित उत्पाद खरीदें: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने सभी को नवरात्रि की शुभकामनाएं दीं

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित किया। शक्ति की उपासना के पर्व नवरात्रि के शुभारम्भ पर सभी नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि नवरात्रि के प्रथम दिन से ही, राष्ट्र आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ा रहा है। श्री मोदी ने कहा कि 22 सितंबर को सूर्योदय से ही, देश अगली पीढ़ी के वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) सुधारों को लागू करेगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह पूरे भारत में जीएसटी बचत उत्सव की शुरुआत है। उन्होंने बल देकर कहा कि यह उत्सव बचत को बढ़ाएगा और लोगों के लिए अपनी पसंदीदा वस्तुएँ खरीदना आसान बनाएगा। श्री मोदी ने कहा कि इस बचत उत्सव का लाभ गरीब, मध्यम वर्ग, नव मध्यम वर्ग, युवाओं, किसानों, महिलाओं, दुकानदारों, व्यापारियों और उद्यमियों, सभी को समान रूप से मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस त्यौहारी सीज़न में, हर घर में खुशियाँ और मिठास बढ़ेगी। प्रधानमंत्री ने देश भर के करोड़ों परिवारों को बधाई देते हुए अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों और जीएसटी बचत उत्सव की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये सुधार भारत की विकास गाथा को गति प्रदान करेंगे, व्यापार संचालन को आसान बनाएंगे, निवेश को अधिक आकर्षक बनाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि विकास की दौड़ में प्रत्येक राज्य समान भागीदार बने।

यह याद करते हुए कि भारत ने 2017 में जीएसटी सुधार की दिशा में अपना पहला कदम उठाया, जिसने देश के आर्थिक इतिहास में एक पुराने अध्याय की समाप्ति और एक नए अध्याय की शुरुआत की, श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दशकों से नागरिक और व्यापारी करों - चुंगी, प्रवेश कर, बिक्री कर, उत्पाद शुल्क, वैट और सेवा कर - देश भर में दर्जनों शुल्कों के बराबर करों के एक जटिल जाल में उलझे हुए थे। प्रधानमंत्री ने बताया कि एक शहर से दूसरे शहर में माल परिवहन के लिए कई जांच चौकियों को पार करना, कई फॉर्म भरना और हर स्थान पर अलग-अलग कर नियमों के चक्रव्यूह से गुजरना पड़ता था। उन्होंने 2014 की एक व्यक्तिगत स्मृति साझा की, जब उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला, एक विदेशी समाचार पत्र में प्रकाशित एक उल्लेखनीय उदाहरण का उल्लेख किया। लेख में एक कंपनी के सामने आने वाली चुनौतियों का वर्णन किया गया था, जिसे बेंगलुरु से हैदराबाद - मात्र 570 किलोमीटर की दूरी - तक माल भेजना इतना कठिन लगा कि उसने बेंगलुरु से यूरोप और फिर वापस हैदराबाद अपना माल भेजना पसंद किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि करों और टोल की उलझनों के कारण ऐसी स्थितियाँ पैदा हुई हैं। उन्होंने दोहराया कि पिछला उदाहरण अनगिनत उदाहरणों में से एक है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि लाखों कंपनियों और करोड़ों नागरिकों को विभिन्न करों के जटिल जाल के कारण रोज़ाना कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि एक शहर से दूसरे शहर तक माल पहुँचाने की बढ़ी हुई लागत अंततः गरीबों को वहन करनी पड़ती है और आम जनता जैसे ग्राहकों से वसूली जाती है।

देश को मौजूदा कर जटिलताओं से मुक्त करना अनिवार्य बताते हुए, श्री मोदी ने याद दिलाया कि 2014 में जनादेश प्राप्त करने के बाद, सरकार ने लोगों और राष्ट्र के हित में जीएसटी को प्राथमिकता दी थी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया, राज्यों द्वारा उठाई गई हर चिंता का समाधान किया गया और हर प्रश्न का समाधान निकाला गया। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों को एक साथ लाकर, स्वतंत्र भारत में इतना बड़ा कर सुधार संभव हो पाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्यों के संयुक्त प्रयासों का ही परिणाम था कि देश विभिन्न करों के जाल से मुक्त हुआ और पूरे देश में एक समान व्यवस्था स्थापित हुई। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र-एक कर का सपना साकार हो गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सुधार एक सतत प्रक्रिया है और जैसे-जैसे समय बदलता है और राष्ट्रीय आवश्यकताएँ विकसित होती हैं, अगली पीढ़ी के सुधार भी उतने ही आवश्यक हो जाते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि देश की वर्तमान आवश्यकताओं और भविष्य की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, ये नए जीएसटी सुधार लागू किए जा रहे हैं। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि नए जीएसटी ढांचे के अंतर्गत, मुख्य रूप से केवल 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के कर स्लैब ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि ज़्यादातर रोज़मर्रा की चीज़ें ज़्यादा सस्ती हो जाएँगी। उन्होंने खाने-पीने की चीज़ें, दवाइयाँ, साबुन, टूथब्रश, टूथपेस्ट, स्वास्थ्य और जीवन बीमा जैसी कई वस्तुओं और सेवाओं का वर्णन करते हुए कहा कि या तो अधिकतर वस्तुएं कर-मुक्त होंगी या केवल 5 प्रतिशत कर ही लगेगा। प्रधानमंत्री ने आगे बताया कि जिन वस्तुओं पर पहले 12 प्रतिशत कर लगता था, उनमें से 99 प्रतिशत या लगभग सभी वस्तुएं अब 5 प्रतिशत कर दायरे में आ गई हैं।

प्रधानमंत्री ने पिछले ग्यारह वर्षों में 25 करोड़ भारतीयों के गरीबी से उबरने और देश की प्रगति में प्रमुख भूमिका निभाने वाले नव-मध्यम वर्ग के एक महत्वपूर्ण वर्ग के रूप में उभरने पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस नव-मध्यम वर्ग की अपनी आकांक्षाएँ और सपने हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष, सरकार ने 12 लाख रुपये तक की आय को कर-मुक्त करके आयकर में राहत का तोहफ़ा दिया है, जिससे मध्यम वर्ग के जीवन में काफ़ी आसानी और सुविधा आई है। श्री मोदी ने कहा कि अब गरीबों और नव-मध्यम वर्ग को लाभ मिलने की बारी है। उन्होंने कहा कि उन्हें दोहरा लाभ मिल रहा है—पहले आयकर में राहत के रूप में और अब कम जीएसटी के माध्यम से। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जीएसटी की कम दरों से नागरिकों के लिए अपने सपनों को पूरा करना आसान हो जाएगा—चाहे वह घर बनाना हो, टीवी या रेफ्रिजरेटर खरीदना हो, या स्कूटर, बाइक या कार खरीदना हो—अब सब कम खर्च में होगा। उन्होंने आगे कहा कि यात्रा भी अधिक किफायती हो जाएगी, क्योंकि अधिकांश होटल कमरों पर जीएसटी कम कर दिया गया है। श्री मोदी ने जीएसटी सुधारों के प्रति दुकानदारों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे जीएसटी में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि कई जगहों पर, सुधारों से पहले और बाद में कीमतों की तुलना करने वाले बोर्ड प्रमुखता से लगाए जा रहे हैं।

यह रेखांकित करते हुए कि 'नागरिक देवोभव' का मंत्र अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होता है, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब आयकर राहत और जीएसटी कटौती को मिला दिया जाए, तो पिछले वर्ष में लिए गए निर्णयों से भारत के लोगों को 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी। उन्होंने पुष्टि की कि यही कारण है कि वे इसे 'बचत उत्सव' कहते हैं।

इस बात पर बल देते हुए कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आत्मनिर्भरता के मार्ग पर अटूट प्रतिबद्धता की आवश्यकता है, श्री मोदी ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने की एक बड़ी ज़िम्मेदारी एमएसएमई - भारत के सूक्ष्म, लघु और कुटीर उद्योगों पर है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जो कुछ भी लोगों की ज़रूरतों को पूरा करता है और देश के भीतर निर्मित किया जा सकता है, उसका उत्पादन घरेलू स्तर पर किया जाना चाहिए।

इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि जीएसटी की कम दरें और सरल प्रक्रियाएं भारत के एमएसएमई, लघु उद्योग और कुटीर उद्यमों को महत्वपूर्ण रूप से लाभान्वित करेंगी, प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सुधार उनकी बिक्री को बढ़ावा देंगे और उनके कर के बोझ को कम करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप दोहरा लाभ होगा। उन्होंने एमएसएमई से अधिक उम्मीदें व्यक्त कीं और समृद्धि के उत्कर्ष के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ के रूप में उनकी ऐतिहासिक भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत का विनिर्माण और उत्पाद की गुणवत्ता कभी विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त और श्रेष्ठ थी। श्री मोदी ने उस गौरव को पुनः प्राप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि छोटे उद्योगों द्वारा बनाए गए उत्पादों को उच्चतम वैश्विक मानकों को पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के विनिर्माण को गरिमा और उत्कृष्टता के साथ सभी मानदंडों को पार करना चाहिए और भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता को देश की वैश्विक पहचान और प्रतिष्ठा को बढ़ाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने सभी हितधारकों से इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम करने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह स्वदेशी के मंत्र ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को सशक्त बनाया, उसी तरह यह राष्ट्र की समृद्धि की यात्रा को भी ऊर्जा प्रदान करेगा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई विदेशी वस्तुएँ अनजाने में ही दैनिक जीवन का हिस्सा बन गई हैं और नागरिकों को अक्सर यह भी पता नहीं चलता कि उनकी जेब में रखी कंघी विदेशी है या स्वदेशी। श्री मोदी ने इस निर्भरता से मुक्ति पाने की आवश्यकता पर बल दिया और लोगों से ऐसे उत्पाद खरीदने का आग्रह किया जो भारत में निर्मित हों और जिनमें देश के युवाओं की कड़ी मेहनत और पसीने की खुशबू हो। उन्होंने आह्वान किया कि हर घर स्वदेशी का प्रतीक बने और हर दुकान स्वदेशी वस्तुओं से सजी हो। प्रधानमंत्री ने नागरिकों को स्वदेशी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता —“मैं स्वदेशी खरीदता हूँ,” “मैं स्वदेशी बेचता हूँ” का गर्व से उद्घोष करने के लिए प्रोत्साहित किया। श्री मोदी ने कहा कि यह मानसिकता प्रत्येक भारतीय में अंतर्निहित होनी चाहिए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस तरह के परिवर्तन से भारत के विकास को गति मिलेगी। उन्होंने सभी राज्य सरकारों से अपने क्षेत्रों में पूरी ऊर्जा और उत्साह के साथ विनिर्माण को बढ़ावा देकर और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण बनाकर आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी अभियानों का सक्रिय रूप से समर्थन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जब केंद्र और राज्य मिलकर आगे बढ़ेंगे, तो आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा, हर राज्य का विकास होगा और भारत एक विकसित राष्ट्र बनेगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के समापन पर जीएसटी बचत उत्सव और नवरात्रि के पावन अवसर की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।

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November 09, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has extended heartfelt appreciation to the people and leadership of Bhutan for the reverent welcome accorded to the Sacred Relics of Lord Buddha from India. Shri Modi stated that these relics symbolise the timeless message of peace, compassion and harmony. "The teachings of Lord Buddha are a sacred link between our two nations’ shared spiritual heritage", Shri Modi said.

The Prime Minister posted on X:

"Heartfelt appreciation to the people and leadership of Bhutan for the reverent welcome accorded to the Sacred Relics of Lord Buddha from India.

These relics symbolise the timeless message of peace, compassion and harmony. The teachings of Lord Buddha are a sacred link between our two nations’ shared spiritual heritage."

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